Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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आकारादि-चूर्ण
(१३५)
अथ आकारादि चूर्णप्रकरणम्
[३८७] आनन्दयोगः (भै र. अश्म.) , सर्पिषा वाऽपि लेयं तु दधिमण्डेन वा पुनः॥ बिलापामार्गकदलीपलाशामलकाण्डकान् । अस्थिसधिगतं वायुं स्नायुमजाश्रितं च यम् । दग्ध्वा तदस्मतोयन्तु वस्त्र पूतश्च कारयेत् ॥ कटिग्रहं गृध्रसीं च मन्यास्तम्भं हनुग्रहम् ॥ तत्पयेत्तोयशेषान्तं ततधूर्ण द्विगुंजकम् । ये च कोष्ठगता रोगास्तांश्च सर्वान्प्रणाशयेत् । पाययेदविमूत्रेण शर्कराश्मरिजिद्भवेत् ॥ आमाद्यो नाम चूर्णोऽयं सर्वव्याधिनिवर्हणः॥
तिल, चिरचिटा, केला और ढाक की स्वच्छ * कीकर, रास्ना, गिलोय, शतावरी, सोंठ, सोया, छालों को जलाकर, पानी में घोलकर उसे (२१ असगन्ध, हाउबेर, विधारा, अजवायन और अजबार) छानकर ( चुवाकर ) पकावें। जब पकते | मोद । इन सब चीजों को समान भाग लेकर चूर्ण पकते सब पानी जलकर चूर्ण सा हो जाय तो | करके १। तोला की मात्रा से मद्य, यूष, तक्र, उतार कर रख छोड़ें।
गरम पानी, धी या दधिमण्ड के साथ सेवन करने इसे दो रती की मात्रा से भेड़ के मूत्र के | से अस्थि सन्धिगत, तथा स्नायु और मज्जागत साथ सेवन करने से शर्करा और पथरी का नाश वायु, कटिंग्रह, गृध्रसी, मन्यास्तम्भ, हनुग्रह और होता है।
समस्त उदर विकारों का नाश होता है। [३८८] आभादिचूर्णम् (वृ. नि. र. भग्न.) [३९०] आमलक्यादि चूर्णम् आभाचूर्ण मधुयुतमस्थिभंगे व्यहं पिबेत् ॥
___ (यो. र. ज्वरा.) पीत्वा चास्थि भवेत्सम्यग् वज्रसारनिभ दृढम् ।। आमतं चित्रक पथ्या पिप्पली सैंधवं तथा । बबूल का चूर्ण तीन दिन तक शहद में मिला
चूर्णितोऽयं गणो ज्ञेयः सर्वज्वरविनाशनः॥ कर पीने से टूटी हुइ हड्डी जुड़कर बज्र के समान
भेदी रुचिकरः श्लेष्मजेता दीपनपाचनः॥ मजबुत हो जाती है। [३८९] आभादिचूर्णम् (यो. र. वा व्या.)
आमला, चीता, हैड़, पीपल और सेंधानमक ।
इनका चूर्ण सब प्रकार के ज्वरों को नाश करता आभा रास्ना गुडूची च शतावों महौषधम् ।।
है एवं रोचक, श्लेष्म नाशक और दीपन पाचन है। शतपुष्पाऽश्वगन्धा च हपुषा वृद्धदारकः ।।
[३९१] आम्रादि चूर्णम् यवानी चाजमोदा च समभागानि कारयेत् । सूक्ष्मचूर्णमिदं कृत्वा बिडालपदकं पिबेत् ॥
(वृ. नि. र. हिक्का ) मद्यै...."यूषस्तकै रुष्णोदकेन वा।
| आम्रादिलाजसिंधूत्थं सक्षौद्रं छर्दिनुद्भवेत् ।। * यहां पर मामल' शब्द ग्रहण करके |
__आम्रादि चूर्ण, खील और सैंधानमक को मामला भी लिया जा सकता है। शहदमें मिलाकर चाटने से वमन का नाश होता है ।
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