Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज द्वारा प्राप्त अनेक ज्ञानभंडारों के हस्तलिखित ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथों की फोटोकॉपीयों की प्रत नाम के अकारादि क्रम से सूचि भाग २ रा * संपादक * पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालङ्कार पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरशिष्यरत्न पूज्यपादगुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजयः VA 15 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग २ रा मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज द्वारा प्राप्त अनेक ज्ञानभंडारों के हस्तलिखित ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथों की फोटोकॉपीयों की प्रत नाम के अकारादि क्रम से सूची * संपादक पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालङ्कार पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरशिष्यरत्न पूज्यपादगुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजयः Page #3 --------------------------------------------------------------------------  Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || श्री सिद्धाचलमंडन श्री ऋषभदेवस्वामिने नमः ।। श्री शान्तिनाथस्वामिने नमः । श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः। श्री नाकोडापार्श्वनाथाय नमः । श्री महावीरस्वामिने नमः । श्री गौतमस्वामिने नमः । ||श्री नाकोडाभैरवाय नमः || पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपादपद्मेभ्यो नमः | पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरजीपादपद्मभ्यो नमः । पूज्यपादसद्गुरूदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयजीपादपद्धेभ्यो नमः । प्रस्तावना विक्रम संवत् २०५८नुं अमारूं चातुर्मास नाकोडातीर्थमां थयुं ते वखतना नाकोडातीर्थना अध्यक्ष पारसमलजी भणसाली हता तेमनी उंची भावना के नाकोडातीर्थ बधी रीते समृद्ध छे मात्र ज्ञानना क्षेत्रे त्रुटी छे। आप एवं आदर्श ज्ञान- संशोधन केन्द्र उभं करवा मार्गदर्शन आपो तो अमारी बधी रीते सहकार आपवा तैयारी छे। ज्ञानमंदिर तथा संशोधन करवानी अनुकूळता वाळु मोटुं मकान बनाववानो पण निर्णय कर्यो। त्यारे अमने पण थयं के अहीं आवं केन्द्र उभं थाय तो सारुं तेथी अमारी पासे जे हस्तलिखित ताडपत्रीय अने कागळ उपरना ग्रंथभंडारोना ग्रंथोनी फोटोकॉपीओ हती तेनी फोटोकॉपीओ त्यां मूकवी एवं मनमा नक्की कर्यु। साथे साथे अमने एम पण थयु के सकळ श्री संघमां अनेक साधु-साध्वीजी तथा विद्वानों आ क्षेत्रमा कार्य करवानी इच्छा वाळा छे परन्तु मूळ हस्तलिखित ग्रंथो सरळताथी प्राप्य नथी अने कदाच क्यांकथी प्राप्य होय तो पण मूळ प्रतिओ मोटा भागे जीर्ण अवस्थामां होवाथी तेनो उपयोग करवा जतां फाटवानी-तूटवानी संभावना होइ भविष्यमा ए ग्रंथ खोई बेसवानो वारो आवे। अने मोटाभागना ग्रंथ भंडारोमांथी ग्रंथ बहार नहीं लई जवानो ठराव पण होय छे। साधु-साध्वीजी विहारमा होय, दूर होय, घणा साथे संकळायेला होय तेथी काम करवा माटे अनेक महिनाओ सुधी ग्रंथ भंडारमा मात्र ग्रंथने माटे बेसी रहेg के पहोंचवू पण पालवे नहीं। तेथी आ क्षेत्रमा काम करनार साधु-साध्वीने विद्वानोने आ मूळ ग्रंथो मळवा प्रायः अशक्य हता अने क्यांय मळे तो पण ग्रंथनी अवस्थाने कारणे उपयोग करवो फावे तेम न हतो। घणा साधु-साध्वीजी भगवंतो तेमज विद्वानो अमारी पासे रहेला ग्रंथनी फोटोकॉपीनी मांगणी करता हता। पण अमारी पासे एq कोई तंत्र नहीं अने अमे फरता राम तेथी तेओ मांगे त्यारे अमे तेमने फोटोकॉपी आपी शकता न हता। अमने घणुं मनमां थतुं के आपणा पूर्वाचार्योए आ ज्ञाननो वारसो पछीनी पेढीने उपयोगमां आवे ते माटे तेमना काळमां आजना जेवी छापकामनी मशीनरी के साधनो न होवा छतां तनतोड महेनत करी दरिया जेवडा शास्त्रो लाखो रूपियानो व्यय करी लहियाओ पासे लखाव्या एटलुं ज नहिं तेने पाछा संशोधन करी शुद्ध स्वरूपमां मुक्या। आपणे अत्यारे वर्तमानमां तेने ताळाकुंचीमां कोईने पण नहीं आपवाना ठराव साथे भंडारमा ज मूकी राखीए अने तेने सुरक्षित साचवी राख्यानुं गौरव पण लईए। सारी वात छे के आ रीते साचव्या तेथी आजे पण जे बच्यु ते आपणा कब्जामा छे. आटलुं कर्या पछी हवे जो तेनो उपयोग ज न थाय तो तो पुद्गलना स्वभाव मुजब ५-५० वर्षे ते ज्यां छे त्यां ज सडीने के उधई लागीने नाश पामी जशे. त्यारे जैन संघने राते पाणीए रोवानो वारो आवशे के आपणा समस्त संघनी जीवादोरी समान आ अमूल्य मुडीनो आपणे उपयोग कर्या विना ज नाश करी नाख्यो अने जेने आ ज्ञाननी जरुर हती तेने पण जडबेसलाक सुरक्षाने कारणे तेमना ज्ञानमां अंतरायभूत बनी फोगट ज ज्ञानावरणीय कर्म बान्धी ग्रंथ न आप्या। तेथी अमने विचार आव्यो के आ अमूल्य शास्त्रवारसो नाश पामी जाय ते पहेला तेने वधु सुरक्षित अने उपयोगी पण बनाववानी जरूर छ। आ क्षेत्रमा काम करता साधु-साध्वीओने उपयोगी बनाववानी दृष्टिए तेमज संघने भविष्यमां ग्रंथनी जरूरीयात माटे मारी पासे मांगणी करवा आवधू ज न पडे माटे जे मारी पासे हस्तलिखित ग्रंथोनी Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फोटोकॉपीओ छे तेमांथी जे भंडारो आ ग्रंथोनी झेरोक्ष कॉपी करी जोईए तेने आपे छे तथा आपवानी संमति आपे छे ते ज भंडारोना ग्रंथोनी कॉपीओना १०/१२ सेटो बनावी जुदा जुदा संघो, ज्ञानभंडारोमां मूक्या होय तो भविष्यमां साधु-साध्वी के विद्वानोने सरळताथी मळी शके। तेमज कोईक एक ठेकाणे कोईपण कारणसर ग्रंथ भंडार नाश पामे तो पण तेनी संपूर्ण कॉपी कोईक ठेकाणे तो उपलब्ध थई ज जाय जेथी ग्रंथ भंडार चिरकाळ सुधी सुरक्षित पण बने। बीजुं कागळy लांबु आयुष्य होतुं नथी। २५/३० वर्षे कागळ पण नाश पामी जाय तेथी जो मात्र कागळ पर झेरोक्ष कॉपी ज बनाववामां आवे तो तेनी दर २५/३० वर्षे नवी कॉपी कराववी पडे। पण झेरोक्ष उपरथी पाछी कॉपी एटली स्पष्ट न आवे केटलुक भंसाई जाय। तेथी तेनो वारसो लांबाकाळ सुधी टकाववा माटे तेनी सीडी (कोम्प्युटर स्केनर द्वारा) जो बनावी होय तो तेनी कॉपी वारंवार गमे तेटलीवार करो तो पण ते जेवी होय तेवी ज आवे छे अने तेनी कॉपी बनाववी सरळ अने अत्यंत सस्ती पण छे. तथा घणी ओछी जग्यामां ते रही शके छे. उपयोग माटे हस्तांतरण पण सहेलुं छे। अने एना उपरथी कागळ उपर प्रीन्ट पण ज्यारे जोईए त्यारे स्पष्ट नीकळी शके छे। वळी तेमां प्रूफ रीडींग विगेरेनी पण कोई माथाकूट नहीं. जेवू होय तेवू ज रहे। जेथी लहिया द्वारा शास्त्रालेखनमा जे नवी भूलो गमे तेटलुं प्रूफ रीडींग करवा छता उमेराय छे ते न बने अने शास्त्रो मूळ स्वरूपमा चिरकाळ सुरक्षित अने उपयुक्त बनी जाय। आ भावनाथी नाकोडा तीर्थमां दरेक ग्रंथोना केटलाक सेटो बनाववामां आव्या तेनी सी.डी. पण बनाववामां आवी। जे संघोए, ज्ञानभंडारोए तथा साधु भगवंतोए आ सेट राखवानी तथा वहिवट करवानी अने तेनो खर्च आवे ते आपवानी तैयारी बतावी तेमने आ ग्रंथोनी कॉपीओनो सेट आपवामां आव्यो छे। तेमां मात्र खर्च ज लीधो छ। अमे तो अपार समय, शक्ति अने द्रव्यनो भोग आप्यो छे छतां श्रुतसेवा कर्यानो घणो संतोष छे। झेरोक्षना संपूर्ण एक सेटमां लगभग बे लाख कागळोनी संख्या छ। आ कार्यमां श्री नाकोडा जैन तीर्थे खूब खूब सहकार आप्यो छे। आ काम लगभग ७ (सात) महिना सुधी चाल्युं । त्यां सुधी आ तीर्थना ट्रस्टे आ काम माटे २२ (बावीस) तो रुमो होल विगेरे फाळवी आप्या। पोष सुद दशम मेळाना त्रण दिवसोमां हजारो यात्रिकोनी अत्यंत भीड होवा छतां अने तेमने रुमोनी अत्यंत आवश्यकता होवा छतां तेमने आ भगीरथ कार्यमां रोकायेली २२ रूमोमांथी एक पण रुम खाली करी आपवा मागणी करी नथी। तेमज पांच झेरोक्ष मशीनो, सात कोम्प्युटरो, चार स्केनरो, ए.सी. आदि माटे वधु पावरनी इलेक्ट्रीक लाईननी व्यवस्था पण नाकोडातीर्थे उभी करी आपी। आ काममां काम करनारा कर्मचारीओ तथा सेवा करनारा मळी लगभग १०/२० जणानी ७ महिना सुधी खावा-पीवानी रहेवानी तमाम जवाबदारी तीर्थे उपाडी लीधी। नाकोडातीर्थना अध्यक्ष स्व. पारसमलजी भणसाली तथा नवा अध्यक्ष चंपालालजी पारख, प्रकाशजी वडेरा, रीखबचंदजी मालू, चंपालालजी मुथा मांडवला वाला आदि ट्रस्टीगण तथा बालोतरा वाला गणपतचंदजी पटवारी आदि महानुभावोनो सिंहफाळो रह्यो छे तेमज नाकोडातीर्थना मेनेजर श्री महेता साहेब तथा श्री पी. सी. जैन आदि तमाम स्टाफे पण खूब ज उदारताथी कार्यमां संपूर्ण सहकार आप्यो छे। ते माटे ते सहुने खूब खूब धन्यवाद घटे छ। आ ग्रंथोनी कॉपीओ उपर लगाववा माटेना लेबलो तैयार करवा तेना हेडींगो तैयार करवा विगेरे कामोमां कोबा (गांधीनगर)ना ज्ञानभंडार ना संचालनमा जेमनुं मुख्य नाम छे एवा प. पू. पद्मसागरसूरिजी महाराज साहेबना शिष्यरत्न मुनिराज श्री अजयसागरजी महाराज साहेब श्री ए तो आ कार्यमां खूब खूब जहमत उठावी छ। आ ग्रंथो जुदा जुदा भंडारना हता। तेथी ते ते ग्रंथनी विस्तृत माहिती अमारी पासे न हती। तो ते बधी अधूरी माहितीने पूर्ण करवा माटे आ मुनिराजश्रीए महिनाओ सुधी केटकेटला ठेकाणेथी माहितीओ एकठी करी। भारे महेनत बाद पोते पोताना कार्योमां अत्यंत व्यस्त होवा छता समयनो भोग अने एमनी कोठासूजनो उपयोग करी आ सर्वांगसुंदर सूचीपत्र बनाववानो तमाम यश एमने फाळे जाय छे। अने Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एमनी पासे कोम्प्यूटरनुं पण तलस्पर्शी ज्ञान होवाथी समये समये आ कार्यना कोम्प्युटर, स्केनर विगेरेना काममां सी.डी. बनाववामां, सोफ्टवेर नक्की करवामां एमणे जे मार्गदर्शन आप्युं छे ते दाद मांगी ले तेवुं छे। तेमने मारा अंतरना खूब खूब धन्यवाद आपुं छु । जितेन्द्र मणिलाल संघवी अने अशोकभाई संघवी, अजयभाई शाहे पण वारंवार ठेठ अमदावाद थी नाकोडा आवी आ कार्यने सारी रीते संभाळ्युं हतुं । मुंबई बोरीवलीथी नीतिनभाई बगडीया पण आ कार्यमां सारो एवो रस लई तेमां बधो ज सहकार आपता हता । तेमज लाकडीया (वागड-कच्छ) ना नानालालभाईए पण सी. डी. तेमज सी.डी. राईटरनी खरीदीमां खूब ज सहकार आप्यो छे । तेमज अमदावादना वतनी प्रशांतभाई सुबोधभाई चिनुभाई ( हाल साउथ अमेरिका ) ए पण सीडीराईटर भेट आपीने घणुं योगदान आप्युं छे । नाकोडातीर्थनी ज्ञानशाळाना संचालक श्री नरेंद्रभाई कोरडीया तथा तेमना अनेक विद्यार्थिओ पण आ कार्यमां जोडाई गया हता । अमदावादना जयेशभाई तथा सतलासणाना गुणवंतभाई तथा धीरुभाई आदिए पोताना झेरोक्ष मशीनो लावीने आ कार्यने समय के पैसानो विचार कर्या विना सारी रीते पार पाड्युं हतुं । अनेक वार मशीनो खोटवाय त्यारे ठेठ अमदावादथी मीकेनीक लावीने पण काम पार पाड्यं हतुं । अंते मारा मातुश्री साध्वी श्री मनोहर श्रीजी (सरकारी उपाश्रयवाळा ) ना शिष्या साध्वीश्री सूर्यप्रभाश्रीजी ना शिष्या साध्वीश्री जिनेन्द्रप्रभाश्रीजी आदि शिष्या प्रशिष्या परिवार तथा मारा सहवर्ति साधुओए ग्रंथोना व्यवस्थित पेकींग, लीस्टींग, प्रुफरीडींग आदि दरेक कार्योमां खूब खूब जहेमत उठावी छे । आ काममां अनेकानेक विघ्नो आवतां हतां छतां श्री नाकोडापार्श्वनाथ भगवाननी कृपा अने श्री नाकोडा भैरवदेवनी दैवी सहायथी अने उपरोक्त नामी, अनामी, जाणीता अने अजाण्या एवा अनेकना सक्रिय सहकारथी आ भगीरथ कार्य पार पड्युं छे । ते सर्वनो आ तके हुं खूब खूब आभारी छु । - आ फोटोकॉपीओ करवाना काममां प्रथम चरणथी मांडी अंतिम चरण सुधीनुं बधुं ज कार्य मारा शिष्य मुनिश्री धर्मचन्द्रविजयजीना शिष्य मुनिश्री पुंडरीकरत्नविजयजीए ज संभाळयुं छे तथा धर्मघोषविजयजी महाराजनो तमाम कामोमां संपूर्ण सहकार हतो तेथी मारा तेमने अनेक अनेक धन्यवाद घटे छे । जिला- आणंद, गुजराज राज्य पीन नं.३८८ ६२० श्री स्तंभन पार्श्वनाथ जैन तीर्थ C/o श्री शान्तिनाथ ताडपत्रीय जैन ज्ञानभंडार भोयरापाडो, ऋण दरवाजा पासे, मु.पो. खंभात, ता. २४-०८-२००५, बुधवार विक्रम संवत् २०६१ श्रावण वदि ५ लि. पूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपट्टालंकारपूज्यपादाचार्यमहाराजश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरजीशिष्य जम्बूविज पूज्यपादसद्गुरुदेवमुनिराज श्रीभुवनविजयान्तेवासी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ फोटोकॉपीओनो संपूर्ण सेट जेमणे राखेल छे तेमनी यादी १. नमस्कारमंत्राराधक पू. पं. श्री भद्रंकरविजयजी महाराजना प्रशिष्य पं. वज्रसेनविजयजी महाराज तथा पं. श्री हेमप्रभविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी वर्धमान तत्त्वज्ञान जैन विद्यालय मु. वांकीतीर्थ, तालुको - मुन्द्रा, जिलो - कच्छ, पीन नं.३७० ४२५ फोन नं. (०२८३८) २७८२४०, २७८२८४ २. फूलचंद कल्याणचंद जैन पौषधशाळा लालबंगला, अठवालेन्स, सूरत फोन नं.c/o संजयभाई (०२६१) ३२२१९२६ ३. आ. म. श्री अशोकचंद्रसूरिजी महाराज तथा आ. म. श्री चंद्रोदयसूरिजी महाराजनी प्रेरणाथी श्री नेमिसूरि आराधना भवन मोटी पोळ, गोपीपुरा, सूरत फोन नं. c/o अश्विनभाई (R) ७४१२८३३, (0) ७४२०४१५ ४. नमस्कारमंत्राराधक पू. पं. श्री भद्रंकरविजयजी महाराजना प्रशिष्य पं. वज्रसेनविजयजी महाराज तथा पं. श्री हेमप्रभविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी आराधना धाम - हालार तीर्थ पोस्ट - वडालीया सिंहण, जिलो - जामनगर, पीन - ३६१ ३०५ फोन नं. (०२८३३) २५४१५६, २५४१५७ ५. श्रेयस्कर श्री अंधेरी गुजराती जैन संघ शेठ करमचंद जैन पौषधशाळा १०६, एस.वी.रोड,ईला ब्रीज, विलेपार्ले (वेस्ट) मुंबई - ४०० ०५६ फोन नं. (०२२) २६७१९३५७, २६७१२६३१ ६. आ. म. श्री पद्मसागरसूरिजी महाराजनी प्रेरणाथी श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र मु. कोबा, जिलो - गांधीनगर, पीन नं.३८२ ००९ फोन नं. २३२७६२५२, २३२७६२०४, २३२७६२०५ ७. पंकज सोसायटी जैन संघ पंकज सोसायटी, भट्ठा, पालडी अमदावाद - ३८० ००७ फोन नं. ८. श्रुतानंद ट्रस्ट - शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढी बंगला नं.-२४, वसंतकुंज सोसायटी, नवा शारदामंदिर रोड पालडी, अमदावाद, फोन नं. (०७९) २६६०८२४४ ९. रत्नाकरसूरिजी महाराज साहेब C/o श्री रंजनविजयजी जैन पुस्तकालय मु. मालवाडा, जिला - जालोर, राजस्थान पीन नं.३४३ ०३९ फोन नं. C/o अमदावाद - ०७९ - २८६०२४७ पारसगंगा ज्ञानमंदिर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०. श्री नाकोडा जैन तीर्थ मु.पो. मेवानगर, वाया बालोतरा जिला - बाडमेर, राजस्थान, पीन नं. ३४४ ०२५ फोन नं. (०२९८८) २४०००५, २४००९६, २४०७६१ ११. प. पू. भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजना प्रशिष्य आ. म. श्रीहेमचंद्रसूरिजी महाराज साहेबनी प्रेरणाथी श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट C/o पंडित चंद्रकान्त सरूपचंद संघवी B/६, अशोका कोम्प्लेक्ष, रेल्वेगरनाळा पासे, पाटण, पीन नं. ३८४ २६५ फोन नं. (०२७६६) २३१६०३ १२. शेठ मोतीशा लालबाग जैन चेरीटीझ २१२/- पांजरापोल स्ट्रीट, सी. पी. टेक माधवलाग, मुंबई - ४०० ००४ फोन नं. C/o राजेशभाई (०२२) २२४२८३३५, २२४२१८२९ जेणे संपूर्ण नहिं पण आंशिक सेट राखेल छे तेमनी यादी १. भोगिलाल लहेरचंद इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी २० वाँ किलोमीटर, जी. टी. करनाल रोड, पोस्ट- अलीपुर, दिल्ली- ११००३६ फोन नं. (०११) ७२०२०६५, ७२०२२२५ २. आचार्यमहाराज श्री मुनिचंद्रसूरिजी महाराज C/o श्री भद्रसूरि ज्ञानभण्डार, पार्श्वभक्ति नगर मुं. भीलडीया, वाया डीसा ३. आचार्यमहाराजश्री प्रद्युम्नसूरिजी महाराज C/o कीर्तिभाई, दर्शन फ्लेट, १ले माळे अमूल सोसायटी, सुखीपुरा गार्डननी सामे पालडी, अमदावाद फोन नं. (०७९) २६६३४३०८ Page #9 --------------------------------------------------------------------------  Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. अपभ्रं २. अभं ३. आदिवा ४. कृ.वि. ५. कृति ६. गा. ७. ग्रं. ८. झे. पत्र ९. डतामुक्ता १०. डी.वी.डी. ११. डीवीडी ओरिजिनल १३. डीवीडी क्लीन संकेत सूची १४. तालाद १५. पाकाभा अपभ्रंश अज्ञात भंडार आदि वाक्य कृति विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु, प्रसंग आदि को लक्ष्य में रखकर स्वकथ्य अथवा अपने मनोभाव को रचनात्मक शैली में प्रस्तुत की जानेवाली वस्तु को कृति अथवा रचना कहते है । रचना का क्षेत्र वटवृक्षवत् विशाल होता है। अर्थात् विद्वान जीवन में उपयुक्त विविध क्षेत्रों की कार्यप्रणाली, सैद्धान्तिक व्यवस्था तथा अपने वैचारिक दृष्टिकोण को जीवंत रखने हेतु आलेखन करते है। उसकी विविध शाखाये होती है। मूल तोर पर तथा मूलगत विषय को सुस्पष्ट करने की रचनात्मक क्रिया भी कृति कहलाती है। यह गद्य/पद्य/चम्पू / नाटक आदि रूपमें होती है। टीका, व्याख्या, अनुवाद, कथा, टबार्थ, बालावबोध आदि विविध कृति प्रकार इसके अंदर समाविष्ट है। इस डीवीडी में मूल ताडपत्रीय या कागजीय ग्रंथ की जैसी स्थिति है वैसे हि प्रतिबिंबित कीया गया है। इसमें कोई कोई ग्रंथ के पन्ने धब्बे आदि वाले होने से उनकी तस्वीरे साफ पढने लायक नहीं भी हो ऐसा संभव है। फिर भी उसे डीवीडी में सुरक्षित रखा गया है जिससे जिज्ञासु मूल चित्र देखकर अपनी शंका का निराकरण कर सकता है। डीवीडी ओरिजिनल याने उस डीवीडी का अनुक्रम क्रमांक । १२. डीवीडी क्लिन/ओरिजिनल इस कॉलम में पहले छपा नंबर क्लीन डीवीडी का है तथा बादमें छपा नंबर ओरिजिनल डीवीडी का है तथा उसके बाद छपा नंबर झेरोक्ष (फोटोकॉपी) के पत्रों की कूल संख्या का है मूल ताडपत्रीय या कागजीय ग्रंथ धब्बे वाले हो या तो जिसके मूल में धब्बे आदि के कारण अक्षर साफ पढने लायक नहीं दीखते हो उन्हें स्केन करके कोम्प्यूटरीय तकनीक द्वारा धब्बे आदि साफ कर अक्षरों को पढने लायक साफ किया गया हो उसका प्रतिबिंब (इमेज) जिस डीवीडी में लिया गया हो उस डीवीडी का अनुक्रम नंबर । इसमें कभी कभी अक्षर को साफ करते समय संभव है की किसी जगह का अक्षर अनुस्वार काना मात्रा आदि भी मिट गये हो इसलिये ऐसे पन्नों में जहाँ शंका पडे वहां उसी पन्ने का ओरीजिनल में प्रतिबिंब देख लेना चाहिए। डीवीडी क्लिन याने डीवीडी का अनुक्रम क्रमांक । ताडपत्रीय लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर (अमदावाद) के ग्रंथ पाटण कागजीय भाभा के पाडा का भंडार गाथा ग्रंथाग्र झेरोक्ष (फोटोस्टेट) पत्र संख्या ( डभोई) ताडपत्रीय मुक्ताबाई जैन ज्ञानमंदिर के ग्रंथ डीवीडी का अनुक्रम नंबर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६. पाकाहेम १७. पाताखेत १८. पातासंपा १९. पातासंपाजी २०. पाताहेसं २१. पृ. २२. पे. २३. पे.पत्र २४. पे.पृ. २५. पे.वि. २६. प्रत पाटण कागजीय हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानभंडार पाटण ताडपत्रीय खेतरवसीय के पाडा का भंडार पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का भंडार पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का जीर्ण त्रुटक भंडार पाटण ताडपत्रीय हेमचंद्राचार्य संघ भंडार पृष्ठ संख्या पेटांक पेटांक पत्रसंख्या पेटांक पृष्ठ संख्या पेटांक विशेष एक या एकाधिक कृति रचनाओं को व्यवस्थित लिपिबद्ध करके लोकभोग्य की दृष्टि से तैयार की हुई वस्तु प्रत या प्रति कहलाती हैं। इसे विविध संसाधनों के द्वारा तैयार की जाती है। इसे आवश्यकतानुसार विविध साधनों पर तैयार की जाती है जैसे कि- तालपत्र पर लिखी प्रति को तालपत्र अथवा ताडपत्र, भोजपत्र पर लिखी प्रत को भोजपत्रीय प्रति, काजग पर लिखी प्रत को कागद या सीधे प्रत भी कहते हैं। इसी प्रकार अन्य भी इसके साधन है। प्रतियाँ कालक्रमानुसार विविध शैलियों में लिखी जाने की परंपरा रही है। जैसे- गंडी, कच्छली, मुष्टिका आदि । प्राकृत भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे कागजीय ग्रंथ भंडार भांडारकर इन्स्टीट्यूट पूणे ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार रचना संवत् (विक्रम) लिमडी ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथ भंडार लेखन संवत् (विक्रम) वडोदरा ताडपत्रीय कान्तिविजयजी का भंडार वडोदरा ताडपत्रीय हंसविजयजी का भंडार विक्रमसंवत संस्कृत भाषा २७. प्रा. २८. भांका २९. भांता ३०. र.सं. ३१. लिंता ३२. ले.सं. ३३. वताकान्ति ३४. वताहंस ३५. वि. ३६. सं. Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका ग्रंथ भंडारनुं नाम ग्रंथ भंडारनुं टुंकु नाम (भंडार कोड) भांता भांका .पातासंपा ............ ..... ..पाताहेसं पाताखेत पातासंपाजीर्ण तालाद १. भांडारकर इन्स्टीट्यूट-पूणे ___ ताडपत्रीय ज्ञानभंडार..... २. भांडारकर इन्स्टीट्यूट-पूणे कागजीय ज्ञानभंडार. ३. पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का ताडपत्रीय ज्ञानभंडार. ४. पाटण ताडपत्रीय हेमचंद्राचार्य संघभंडार. ५. पाटण ताडपत्रीय खेतरवसीपाडा का ज्ञानभंडार. ६. पाटण ताडपत्रीय संघवीपाडा का जीर्ण त्रुटक ग्रंथों का ज्ञानभंडार. ७. ताडपत्रीय लालभाई दलपतभाई _ विद्यामंदिर - अमदावाद भंडार.. ८. वडोदरा ताडपत्रीय कांतिविजयजी महाराज का ज्ञानभंडार...... ९. वडोदरा ताडपत्रीय हंसविजयजी महाराज का ज्ञानभंडार. १०. डभोई ताडपत्रीय मुक्ताबाई का ज्ञानभंडार............... ११. अन्य ताडपत्रीय एवं कागजीय ग्रंथ........ १२. लींमडी कागजीय ग्रंथ भंडार............ १३. पुण्यविजयजी कृत प्रेसकॉपीयाँ.. १४. पाटण कागजीय भाभा के पाडा का ज्ञानभंडार......... १५. पाटण कागजीय हस्तलिखितों का ज्ञानभंडार.. ..वताकान्ति .वताहंस ..डतामुक्ता अताका .लींता ...पुप्रे ........ पाकाभाभा पाकाहेम Page #13 --------------------------------------------------------------------------  Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * सूचनाओ + लीस्टोमां कृति संबंधी नाम, भाषा, कर्ता, आदिवाक्य, रचनासंवत के कृतिविशेष आदि विगतो जे ते छपाएला सूचीपत्र करतां घणी जग्याए जुदी पडशे. केमके आ विगत जुदा-जुदा सूचीपत्रोमांथी भेगी करीने भरवामां आवी छे. सामान्यपणे गायकवाडी केटलोग, भांडारकर, खंभात अने जेसलमेरना प्रथम सूचीपत्रनो आमां विशेष आधार लेवामां आव्यो छे. केटलीक विगतो कोबा ज्ञानभंडारमाथी जे ते कृतिनी मुद्रित पुस्तको जोईने पण उमेरवामां आवी छे. जेमके महावीर विद्यालयवाळु पइन्नय सुत्ताई. • जे प्रत के पेटांक माटे पृष्टनी विगत नथी मळी त्यां ?' करी देवामां आव्यां छे. पेटांकमां क्यारेक अमुक पेटांको माटे भेगी एक सरखीज पृष्ट माहिती मळी छे त्यां ते माहिती ते बधा पेटांकोमा आपी देवामां आवी * जे कृतिओ माटे नाम सिवाय कांईज माहिती मळती नथी त्यां अने कृतिनाम बाबते कोई शंका रही जती होय त्यां घणे अंशे कृतिनामना छेडे ?' करी देवामां आव्यो छे. * ज्ञानभंडार ताडपत्रीय होय पण एमांय जो कोई प्रत कागळनी होय तो प्रतस्वरूपमा एनो ए रीते उल्लेख को छे. जेसलमेर ताडपत्रीय भंडारमा आq घणी वखत बन्युं छे. * दरेक सूचीओमां सर्वप्रथम जे माहिती माटेना मथाळाओ आपवामां आव्या छे ते पैकीनी जे लागू पडती माहिती उपलब्ध हती तेटलीज नीचे सूचीमां प्रिन्ट करवामां आवी छे. जे माहिती नथी ते माटे अलगथी कोई खाली जग्या विगेरे राखवामां आवी नथी. Page #15 --------------------------------------------------------------------------  Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति परिवार वृक्ष अनुसार प्रत सूचि इस सूची में "कृति परिवार वृक्ष" शैली से सूचनाएँ होगी. मूल (सर्वोच्च) कृतियां परस्पर अकारादि क्रम से होगी व तत् तत् मूल कृति के नीचे उस पर से लिखी गई कृतियाँ शाखा/प्रशाखा आदि की शैली से आएगी. अकारादि क्रम सर्व प्रथम बिंदी बाद में विसर्ग, फिर अ से औ स्वर, फिर क से ह व्यंजन व अंत में काना, मात्रा, खडी पाई, नुक्ता की निशानी व हलन्त की निशानी- इस तरह से होगा. इस कृति परिवार में माहिती द्विस्तरीय होगी. * कृति माहिती स्तर इसमें निम्नलिखित माहिती होगी. प्रथम पंक्ति (1) कृति का प्रथम नाम : यह नाम जिस भी स्तर पर हो, पूरी स्पष्टता के साथ लिखा जाता है. यथा 'C' स्तर हो तो कल्पसूत्र के (प्रा.) नियुक्ति की टीका इत्यादि. जो कृतियां संभवितरूप से (आ. श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में रही प्रकाशित पुस्तकों के आधार पर) अप्रकाशित है उन कृति नामों के अंत में * का चिह्न किया गया है. (2) कृति के प्रचलित नाम : यदि हो तो '()' में लिख दिए जाते है. यथा ॐकार माहात्म्य स्तोत्र के लिए (प्रणवमंत्र/ महावाक्यमंत्रस्तोत्र) ये दो प्रचलित नाम है. (3) विभाग : कृति को धार्मिक, धर्मेतर, जैन-जैनेतर, श्वे., दि. आदि विभाग व सामान्य रूपसे दिया गया स्थूल विषय वर्गांक. यथा DJशम1अ = धार्मिक जैन श्वे. मूर्तिपूजक आगमिक अंग साहित्य. द्वितीय पंक्ति इस पंक्ति में यथा उपलब्ध कृति संबंधी निम्न लिखित सूचनाएँ होती है.. (1) कर्ता माहिती : कर्ता का पद आदि स्वरूप, नाम, गच्छ/गोत्र, कर्ता के अन्य प्रचलितनाम, कर्ता के हयातीकाल का नियत या अनुमानित समय/समयावधि-(यथा वि. सं. 1354 हयात, 1415 से 1470, 12वी इत्यादि), विद्वान कोड- (यथा Jशम = जैन श्वे. मूर्तिपूजक इत्यादि), (2) कर्ता के गुरु का नाम : कर्ता की ही तरह प्रचलित नाम से लगा कर विद्वान नंबर तक की सूचनाओं के साथ. (3) भाषा : कृति गत संस्कृत, प्राकृत आदि एक या एकाधिक जितनी भी भाषाएँ हो. (4) कृतिप्रकार : गद्य, पद्य, गद्य+पद्य आदि. (5) कृति परिमाण : अध्याय/ढाल आदि, गाथा/श्लोकादि, ग्रंथाग्र - ये तीनों यथोपलब्ध आएँगे. (6) आदि वाक्य : (1), (2)... ऐसे क्रमांक के साथ कृति के एकाधिक आदि वाक्य सामान्यतः उपलब्ध विशिष्ट पाठ भेदों के आधार पर होंगे. आदि वाक्य के बीच शब्द के अंत में एक एवं दो शून्य '0' सुविधा के लिए पाठ के किए गए सामान्य एवं विशिष्ट/अधिक संक्षिप्तिकरण के सूचक है (यथा तेणं0 समणे0 चपा0.... इत्यादि व मंगलादि सत्थानि00 आचारंग...इत्यादि) पाठ के बीच में Underscore___ खंडित पाठ के सूचक है व ???' भ्रष्ट/अपठनीय पाठ के सूचक है. यदि एक ही प्रति मिलती हो और उसका आद्य पत्र न हो तो यह कोलम खाली रहता है. (7) अंतिम वाक्य : कृति विशेष में यथोपलब्ध कही-कहीं पर दिया गया है. (8) जुओ : कृति का यदि कोई प्रचलित अन्य नाम भी हो तो शोधार्थी की सुविधा के लिए वह नाम भी अकारादि क्रम से जिस जगह आना चाहिए उस जगह पर भी आएगा तथा उसके सामने "जुओ" कर के उस कृति का मूलनाम, कर्तानाम, व भाषा दिया जाएगा. इस पद्धति से वाचक को कृति का कोई सा भी नाम मालूम हो तो भी सही कृति वह सरलता से ढूंढ सकेगा. Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तृतीय पंक्ति (1) कृतिविशेष : कृति के विषय में अवशिष्ट उल्लेखनीय बातें. यथा-कुछ मतांतर, अध्याय आदि की विशेष सूचना, शब्दांको में उल्लिखित रचनावर्ष के शब्दांक इत्यादि. * प्रतमाहिती स्तर थोडा indent लिए इस स्तर' में प्रत की संपूर्ण माहिती न हो कर तत तत कृति से संबद्ध सभी प्रतों की उपयोगिता का निर्णय करने में प्रमुख रूप से सहायक मात्र आवश्यक सूचना ही होगी. प्रत की विस्तृत सूचना 'प्रत पर से कृति माहिती' वाले सूचीपत्र में से देखी जा सकेगी. (1) प्रत क्रमांक : भंडार नाम के साथ प्रत क्रमांक दिया गया हैं. (2) पेटा क्रमांक : यदि प्रस्तुत कृति किसी प्रत में किसी पेटा कृति के रूप में हो-यानी किसी प्रत में क्रमशः अनेक स्वतंत्र कृतियां/कृति परिवार के अंश लिखे गए हो - तो प्रस्तुत कृति उस प्रत में कौन से क्रम पर है उसका नंबर आएगा. इस पेटा क्रमांक के व इसी पंक्ति के अंत में रहे पृष्ठांकों के आधार से उपयोगकर्ता प्रत में कृति को सरलता से ढूंढ सकेंगे. (3) पृष्ठ माहिती : पेटा कृति का मामला न हो तो प्रत के कुल उपलब्ध पृष्ठ अन्यथा पेटा कृति किस पृष्ठ से किस पृष्ठ तक लिखी गई है वह संख्या. (4) प्रतनाम : यहाँ यथा नियम, यथा संभव 'सह' आदि वाला प्रतनाम आएगा. (5) प्रतिलेखन संवत : प्रत में उपलब्ध या अनुमान से दी गई. (5) पूर्णता : संपूर्ण, पूर्ण (जरा सा अपूर्ण होतो), प्रतिपूर्ण (विवक्षित अध्याय आदि ही लिखे गए हो), अपूर्ण इत्यादि. (7) पेटांक नाम : यदि मामला पेटा कृति का हो और उसका पेटांक नाम भरा हुआ हो तो यहा प्रिन्ट __ किया हुआ है. (8) पेटांक विशेष : यदि मामला पेटा कृति का हो और उसका पेटांक विशेष भरा हुआ हो तो यहा प्रिन्ट __किया हुआ है. (9) प्रत विशेष : प्रत से संदर्भित विशेषताए अगर भरी हुई हो तो यहा प्रिन्ट किया गया है. (10) झेरोक्ष माहिती : यहाँ प्रत से संबंधित कुल झेरोक्ष पृष्ठ माहिती प्रिन्ट की गई है. (11) डीवीडी माहिती : उपलब्ध डीवीडी की माहिती प्रिन्ट की गई है. જનરલ * જે પ્રત કે પેટાંક માટે પુષ્ટની વિગત નથી મળી ત્યાં “?' કરી દેવામાં આવ્યા છે. પેટાંકમાં ક્યારેક અમુક પેટાંકો માટે ભેગી એક સરખી જ પૃષ્ટ માહિતી મળી છે ત્યાં તે માહિતી તે બધા પેટાંકોમાં આપી દેવામાં આવી છે. * દરેક સૂચીઓમાં સર્વપ્રથમ જે માહિતી માટેના મથાળાઓ આપવામાં આવ્યા છે તે પૈકીની જે લાગૂ પડતી માહિતી ઉપલબ્ધ હતી તેટલીજ નીચે સૂચીમાં પ્રિન્ટ કરવામાં આવી છે. જે માહિતી નથી તે માટે અલગથી કોઈ ખાલી જગ્યા વિગેરે રાખવામાં આવી નથી. Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृति नाम (प्रचलित नाम), भाग-विभाग कर्ता नाम, गुरु नाम, भाषा, कृति प्रकार, रचना वर्ष, परिमाण, रचना स्थल, आदिवाक्य कृति विशेष प्रत नंबर, पेटांक क्रमांक, पृष्ठ, प्रतनाम, प्रतिलेखन वर्ष, प्रत पूर्णता, कुल पेटांक पेटांक नाम, पेटांक विशेष प्रत विशेष कुल झेरोक्ष पृष्ठ, डीवीडी नंबर *अज्ञात कृतिओ विगत नथी पातासंघवीजीर्ण ९५- पे.क्र.३, पृ.?, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष- विविध ग्रन्थों के छुटक पत्र स्पष्ट माहिती रहित. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित पातासंघवीजीर्ण ९६- पे.क्र. ४, पृ.?, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- गायकवाडी सूचिपत्रमा योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र.४, पृ.?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १४९- पे.क्र. २, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमां अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५१- पे.क्र. ४, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित, खंडित, अपूर्ण व अस्पष्ट कृतियाँ. झेरोक्ष पत्र-१-४२. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १४४३६- पे.क्र. ३, पृ. ५, षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण *प्रकीर्ण त्रुटित ग्रन्थसङ्ग्रह पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २७, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण, संदर्भरहित, त्रुटक, संदिग्ध व परचूरन कृतियों का संग्रह. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० १० पच्चक्खाणसूत्र जुओ - दशपच्चक्खाण, प्राकृत १६ व्रतोच्चार द्वार जुओ - षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार, प्राकृत १८ पापस्थान उपर कथाओ जुओ - अढार पापस्थान उपर कथाओ, प्राकृत २२ परीसह नाम (द्वाविंशति परिसह), (बावीस परीसह नाम) प्रा., पद्य, गा.२, आदि वाक्यः खुहा पिवासासीउण्हं दंसा वेलारइ... भांता ७०- पे.क्र. १५१, पृ. २०२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ २४ जिन स्तुति (चतुर्विंशतिजिन स्तुति) अप., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः मङ्गलमाला पुन्नघड जय भुवणत्तय सामी... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ६२, पृ. १५८अ-१५९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- चउवीसी, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७१-७२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ २४ जिनना पञ्चकल्याणक स्तव (चोवीस जिनना पञ्चकल्याणक स्तव) प्रा., पद्य, गा.१३६, पातासंघवी १९५-२- पे.क्र.६, पृ. १३६-१५०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५५ २५ कायोत्सर्ग द्वार जुओ - षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार, प्राकृत २८ अनशन द्वार जुओ - षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार, प्राकृत ३२ आराधनाफल द्वार जुओ - षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार, प्राकृत ५६ दिक्कुमारिकृत शुचिकर्म जुओ - छप्पन दिक्कुमारीकृत शुचिकर्म, मारुगूर्जर ८४ आशातना काव्य जुओ - चोरासी आशातना काव्य, संस्कृत, का.४ ८४ आशातनासूत्र जुओ - चौरासी आशातनागाथा, प्राकृत, गा.४ ९२ जिननाम स्तवन जुओ - बाणुजिननामस्तवन, आचार्य-विनयदेवसूरि, मारुगूर्जर, गा.३१ ९६ जिनस्तवन जुओ - षण्णवति जिनस्तवन, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, संस्कृत, का.२९ अकलकदेवाष्टक सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १, पृ. १, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १, पृ. १, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ अक्रियावाद्यादिसर्वनयादिविचार प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः असीयसयं किरयाणं अक्किरियाणं च होइ चुलसीइ... ___कृ.विः अं.वाक्य-यद्भव्ये त एव च त्रिकचतुष्कसंयोगगतिभेदात् पंचदशधा प्रदेशान्तरेभिहिता इति. भांता ७०- पे.क्र. १०२, पृ. १३९०-१३९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अक्षरार्थगमनिका जुओ - दशवैकालिकसूत्र-(सं.)चूलिकायुगलावचूर्णि-अक्षरार्थगमनिका, संस्कृत अक्षरार्थगमनिका अवचूरि जुओ - दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि, संस्कृत, ग्रं.१७०० अक्षौहिणीसेनाप्रमाण प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्यः गयरहहयजोहाणं सव्वेसि पिण्डियाण दो लक्खो... भांता ७०- पे.क्र. १४२, पृ. १९६०-१९७A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अग्निशीतत्वस्थापनवादस्थल सं., आदि वाक्यः शीतोवह्निर्दाहकत्वात्... पाकाहेम ८८०८, पृ. १, अग्निशीतत्वस्थापनवादस्थल, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भांका २१४- पे.क्र. १, पृ. 9A-२A, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- अग्निशीतत्वव्यवस्थापकस्थल कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ भांका २९२- पे.क्र. १४, पृ. २७B-२८B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- अग्निशीतत्वस्थापनावाद कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ अघटकथानक तपविषये (तपविषये अघटकथानक) प्रा., पद्य, गा.१२२, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र.८, पृ. ८३-९६, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ अघटकुमारकथा सं... पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १, पृ. १-७, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० अङ्गचूलिका प्रा., आदि वाक्यः नमो अरिहन्ताणं० साहूरणं तेणं कालेणं० चम्पा० पुण्णम्भद्द... भांका ८३, पृ. १६, अङ्गचूलिका, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३६३. डीवीडी-८४ अङ्गलक्षणविचार सं., पद्य, श्लोक१६, आदि वाक्यः अस्थिष्वर्थाः सुखं... तालाद ३३९- पे.क्र. १२, पृ. ७१-७३, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ अङ्गविज्जा पइण्णय (अङ्गविद्या प्रकीर्णक) प्रा., ग्रं.९०००, पाकाहेम १००८२, पृ. १२७, अङ्गविद्या प्रकीर्णक, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२७ पाकाहेम १४८६५, पृ. १३३, अङ्गविज्जा, वि-१५०५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८००. पत्र ६७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१३७ अङ्गविद्या प्रकीर्णक जुओ - अङ्गविज्जा पइण्णय, प्राकृत, ग्रं.९००० अङ्गस्फुरणविचार सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम १२३२८- पे.क्र.२, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र तथा अङ्गस्फुरणविचार, वि-१८मी, संपूर्ण अङ्गारमर्दकाख्यान प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र. ९, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- अंगारमर्दकाख्यान सह टीका, पे. विशेष- यह कृति झे.पत्र ३३-३५ अन्तर्गत है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० अङ्गारमर्दकाख्यान-(सं.)टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.९, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- अंगारमर्दकाख्यान सह टीका, पे. विशेष- यह कृति झे.पत्र ३३-३५ अन्तर्गत है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० अङ्गारमर्दकाख्यान-(सं.)टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.९, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- अंगारमर्दकाख्यान सह टीका, पे. विशेष- यह कृति झे.पत्र ३३-३५ अन्तर्गत है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० अजितनाथ चरित्र आचार्य-देवानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक१७३४, सर्ग७, आदि वाक्यः अर्हन् पादाम्बुजध्यानवर्जिता मोहवर्जितः... पुप्रे ४२१, पृ. ३०१, अजितनाथ चरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०१ अजितनाथस्तव तारणदुर्गमण्डन (तारणदुर्गमण्डन अजितनाथस्तव) आचार्य-जिनसोमसूरि, सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः विजयाजितशत्रुनन्दन... पाकाहेम १२३७७- पे.क्र.४, पृ. १, स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण अजितनाथस्तवन यमकबन्ध (यमकबन्ध अजितनाथस्तवन) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक२१, आदि वाक्यः विश्वेश्वरं मथितमन्मथ... पाताखेत ११- पे.क्र. ११, पृ. २३४-२४२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ११३०८ - पे.क्र. ३, पृ. २-३, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १२३१०- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकबन्ध आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन यमकबन्ध सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ पाकाहेम १२३४५- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि १५मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन सह (सं.)अवचूरि अजितनाथस्तवन यमकबन्ध-(सं.)अवचूरि (यमकबन्ध अजितनाथस्तवन-(सं.)अवचूरि ) सं., गद्य, पाकाहेम १२३१०- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकबन्ध आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन यमकबन्ध सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ पाकाहेम १२३४५- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि १५मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन सह (सं.)अवचूरि अजितनाथस्तवन यमकबन्ध-(सं.)अवचूरि (यमकबन्ध अजितनाथस्तवन-(सं.)अवचूरि ) सं., गद्य, पाकाहेम १२३१०- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकबन्ध आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन यमकबन्ध सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३४५- पे.क्र. १, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि १५मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितनाथस्तवन सह (सं.)अवचूरि अजितशान्ति नमस्कार मुनि-वज्रसेनसूरिशिष्य, अप., पद्य, गा.१५, पाकाहेम १२३४४, पृ. १, अजितशान्ति नमस्कार, वि-१७मी, संपूर्ण अजितशान्ति लघु जुओ - लघुअजितशान्तिस्तव, गणि-वीरगणि, अपभ्रंश, गा.८ अजितशान्तिस्तव जुओ - अजितशान्तिस्तोत्र, आचार्य-नन्दिषेण, प्राकृत, गा.४० अजितशान्तिस्तव लघु जुओ - लघुअजितशान्तिस्तव, आचार्य-सिद्धसूरि, संस्कृत, श्लोक२२ अजितशान्तिस्तव लघु जुओ - लघुअजितशान्तिस्तव, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१७ अजितशान्तिस्तवन बृहद् जुओ - बृहत् अजितशान्तिस्तवन, आचार्य-जयशेखरसूरि, संस्कृत, का.१७ अजितशान्तिस्तोत्र (अजितशान्तिस्तव) आचार्य-नन्दिषेण, प्रा., पद्य, गा.४०, आदि वाक्यः अजियं जियसव्वभयं सन्ति च पसन्तसव्वगयपावं... कृ.विः गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे. पाताखेत ५- पे.क्र. १७, पृ. १८५-१९५, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. १८, पृ. १३१-१३७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तव प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ४, पृ. ८२-८८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३८. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३२-२- पे.क्र. ३, पृ. ११००-१२१B, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तव, पे. विशेष- संपूर्ण. जेरोक्ष पत्र-२३-२६.. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-३- पे.क्र.४, पृ. २५९-२६४, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४४. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ७६- पे.क्र. ४, पृ. ९४-१००, दशवैकालिकसूत्र आदि, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १५, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र. १०, पृ. २१८-२२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६५- पे.क्र. १५, पृ. २३०-२४२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पावपडिग्घायगुणबीजाहाणसुत्तं, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-८९-९०. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६६- पे.क्र.८, पृ. २५-२७, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. १४, पृ. ५-९, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २५, पृ. २२४-२३२, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३२, पृ. २०४-२०८, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ९, पृ. ६१-६५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-४३, गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४० लखेल छे. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८२-१- पे.क्र. ६. पृ. ८३-८९, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १७, पृ. १०८-११०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-४०. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १०५- पे.क्र. २, पृ. -६६अ-९२आ, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रथम गाथा नहीं है. झेरोक्ष पत्र-९-२०. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११४- पे.क्र. ११, पृ. १३७-१४२, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४१. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३३, पृ. २४४-२४५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४६. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४७, पृ. ९३अ-९८अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तव, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-४४. झेरोक्ष पत्र५१-५३. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. ___ कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १३, पृ. ९६A-९९B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाता-४४. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता २४- पे.क्र. १४, पृ. १२१B-१२८B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- अजितशान्तस्तव, पे. विशेष- गाथा-१४. सूचीपत्रांक-१-११४६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता ७२- पे.क्र. ३१, पृ. १५८०-१६४B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३३६- पे.क्र. ३, पृ. २३६-२७७, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८९- पे.क्र. ३, पृ. ९०-९६, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४४. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २०, पृ. २०२-२०४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- का.-४२. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ५, पृ. ८-१०, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४२. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३०, पृ. १०७-१०९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम २६३९, पृ. ३, अजितशान्तिस्तव छन्दशास्त्र सहविवरण त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- शुभविजयशिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १४, पृ. १३३-१३७, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४२. कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१८८, पृ. ४, अजितशान्तिस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०६५१, पृ. १०, अजितशान्तिस्तव बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १५, पृ. ७९-८३, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र.५, पृ. ५-७, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, गाथा-४०. कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १५०३४, पृ. ६, अजितशान्तिस्तव प्राकृत संस्कृत अवचूरि सह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भांका १८६, पृ. १०, अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-११७६. ग्रन्थाग्र-७४१., खोखटसुत कुंपा लिखितं. डीवीडी-८७ भांका २४४, पृ. १३, अजितस्तव सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-११७९. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८९ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)बोधदीपिका वृत्ति (बोधदीपिका वृत्ति), (बोधिदीपिका टीका) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६५, ग्रं.७४०, तालाद ३३६- पे.क्र. ३, पृ. २३६-२७७, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका प्रत विशेष- ८९ नंबर, पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ भांका १८६ , पृ. १०, अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-११७६. ग्रन्थाग्र-७४१., खोखटसुत कुंपा लिखितं. डीवीडी-८७ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., पद्य, ग्रं.३५०, दाशरथिपुर, आदि वाक्यः प्रणिपत्याजितशान्ती... पाताहेसं १०५- पे.क्र.२, पृ. १५३, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रथम गाथा नहीं है. झेरोक्ष पत्र-९-२०. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ भांका २४४, पृ. १३, अजितस्तव सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-११७९. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८९ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १७, पृ. ११०-११२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-४०. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ५, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, गाथा-४०. कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १५०३४, पृ. ६, अजितशान्तिस्तव प्राकृत संस्कृत अवचूरि सह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)टिप्पण ण सं., गद्य, कृ.विः भाषा? पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ९, पृ. ६१-६५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-४३, गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४० लखेल छे. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ अजितशान्तिस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः अजिय० अजितनाथ बीजउ तीर्थङ्कर किसिउ छइ... पाकाहेम १०६५१, पृ. १०, अजितशान्तिस्तव बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)छन्दशास्त्र विवरण (छन्दशास्त्र-(सं.)विवरण) सं., गद्य, पाकाहेम २६३९, पृ. ३, अजितशान्तिस्तव छन्दशास्त्र सहविवरण त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- शुभविजयशिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति कुल झे.पृष्ठ-४ अजितशान्तिस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः अजिय० अजितनाथ बीजउ तीर्थङ्कर किसिउ छइ... पाकाहेम १०६५१, पृ. १०, अजितशान्तिस्तव बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १७, पृ. ११०-११२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-४०. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र.५, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, गाथा-४०. कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १५०३४, पृ. ६, अजितशान्तिस्तव प्राकृत संस्कृत अवचूरि सह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)छन्दशास्त्र विवरण (छन्दशास्त्र-(सं.)विवरण) सं., गद्य, पाकाहेम २६३९, पृ. ३, अजितशान्तिस्तव छन्दशास्त्र सहविवरण त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- शुभविजयशिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति कुल झे.पृष्ठ-४ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)टिप्पण ण सं., गद्य, कृ.विः भाषा? पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ९, पृ. ६१-६५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-४३, गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४० लखेल छे. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., पद्य, ग्रं.३५०, आदि वाक्यः प्रणिपत्याजितशान्ती... पाताहेसं १०५- पे.क्र. २, पृ. १५३, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- अजितशान्ति सह टीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रथम गाथा नहीं है. झेरोक्ष पत्र-९-२०. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ भांका २४४, पृ. १३, अजितस्तव सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-११७९. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८९ अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)बोधदीपिका वृत्ति (बोधदीपिका वृत्ति), (बोधिदीपिका टीका) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६५, ग्रं.७४०, तालाद ३३६- पे.क्र. ३, पृ. २३६-२७७, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका प्रत विशेष- ८९ नंबर, पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ भांका १८६, पृ. १०, अजितशान्तिस्तोत्र सह बोधदीपिकाटीका, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-११७६. ग्रन्थाग्र-७४१., खोखटसुत कुंपा लिखितं. डीवीडी-८७ अजीवकल्पप्रकीर्णक प्रा., पद्य, गा.४५, आदि वाक्यः आहारे उवहिम्मि अ उवस्सए तहय... पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. ११, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-४४. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १३, पृ. ११०-१२२, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १६, पृ. १६२-१६४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १००८८- पे.क्र.७, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक-चन्द्रवेध्यक-देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तव अजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. ७, पृ. ४६-४८, भक्तपरिज्ञा आदि, वि-१५५४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-११ थी २२ नथी. भांका २२७- पे.क्र. ११, पृ. ५६-५७A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३६६., सूचीपत्रानुसार पेटाक्रम-११. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ अज्ञात अलङ्कार ग्रन्थ (अलङ्कार ग्रन्थ अज्ञात) सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. ४, पृ. १८-१२९, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० अज्ञात-अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, अप., पद्य, कृ.विः कृतियाँ त्रुटक व अपूर्ण है. अनुसंधान पाठ नहीं मिलता है. ज्यादातर कृति चक्रेश्वरसूरि रचित है. पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २२, पृ.?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ अञ्चलमतदलन जुओ - श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसद्उत्तर, मुनि-हर्षभूषण, संस्कृत, ग्रं.१२८३ अञ्चलमतसद्उत्तर जुओ - श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसद्उत्तर, मुनि-हर्षभूषण, संस्कृत, ग्रं.१२८३ अञ्जनासती-हनुमानविद्याधरराजर्षिचरित्र-पद्य (हनुमानविद्याधरराजर्षि अञ्जनासतीचरित्र-पद्य) सं., पद्य, श्लोक३०९, पाकाहेम ८०८०, पृ. ११, अञ्जनासती-हनुमद्विद्याधरराजर्षिचरित्र पद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ अञ्जनासुन्दरीचरित्र अप., आदि वाक्यः कुलभयविहवंसम्पुन्निमहि... पातासंघवी २०५-१- पे.क्र.५, पृ. ५४-५५, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-जीर्ण-आंक वगरनां पाना. कुल झे.पृष्ठ-६१, डीवीडी-३८/५५ अढार पापस्थान उपर कथाओ (१८ पापस्थान उपर कथाओ) प्रा., आदि वाक्यः पाणिवहालियअदत्तगहणमेहुणपरिग्गहो... पातासंघवी १६१-१, पृ. ८३, १८ पापस्थान उपर कथाओ, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम, अडधुं पत्र नथी. बीजाना बे टुकडा छे. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-३६/५३ अढारपापस्थानक जुओ अढारसहखशीलाङ्गरथ कृति उपरथी प्रत माहिती - अष्टादशपापस्थानक, प्राकृत, गा. १७ प्रा., गद्य, पाकाभाभा ६, पृ. ९, अढारसहस्रशीलाङ्गरथ वि-१७वी संपूर्ण अढारहजारी वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन - (सं.) बृहद्वृत्ति, आचार्य - हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत अणसण पच्चक्खाण प्रा.. पातासंघवी १९६-२- पे. क्र. ८, पृ. ६२, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ अणाणुपुवीजन्त जुओ - अनानुपूर्वीयन्त्र, प्राकृत, संस्कृत अणुओगद्वारसुत जुओ अनुयोगद्वारसूत्र आचार्य आर्यरक्षितसूरि प्राकृत ग्रं. २००५ अणुत्तरोववाई जुओ - अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं. १९२ अोझाई जुओ - वीरजिनस्तुति, संस्कृत, का ४ अतिचार-श्रावक जुओ - श्रावकातिचार, मारुगूर्जर अतिचारगाथा प्रा. पद्य, गा.८, आदि वाक्यः नाणम्मि दंसणम्मि चरणम्मि तवम्मि.... " पाताहेसं ११० पे.क्र. १ पृ. १अ अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण " पे. नाम- अतिचार की आठ गाथा, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - १. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहे १११- पे.क्र. ८ पृ. १८८B-१८९B उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक- १९६ के बाद है. कुल झे. पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ भांता ६४ पे क्र. १०, पृ. १९७B- १९८३ उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष झेरोक्ष पत्र-५८. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-७२/८१ अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथे (आयरिय उवज्झाय साथै अतिचारगाथा ) प्रा., पद्य, गा.१२, पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. १०, पृ. १४७-१५५. पुष्पमाला आदि संपूर्ण पे. नाम अतिचार अष्टगाथा डीवीडी - ३० / ४९ पातासंघवी १८२१ पे.क्र. ३. पृ. ५९-६० दशवैकालिक आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ 7 पातासंघवी २०३-२- पे. क्र. ५. पृ. ४०मुं. योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. नाम अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथे पे विशेष गाथा-८. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३१, पृ. १२१मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- अतिचार अष्ट गाथा डीवीडी-३८/५५ भांता २५- पे.क्र. १०, पृ. १९७४-१९८B, उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं. १-११८६. प्रत विशेष - भण्डार संदर्भाक-७४ (A) / ८०-८१. सूचीपत्र नं. २-२३२. 11 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६९/७७ अतिचारपाठ प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः आलोयण समत्तं वयाइं सागार चउसरण... पाताखेत १७-२- पे.क्र.९, पृ. १४६-१५१, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ अतिलोभे शृङ्गदत्तकथा जुओ - शृङ्गदत्तकथा अतिलोभे, संस्कृत अतिशयस्तवन जुओ - चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ अतिशयस्तोत्र जुओ - चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित स्तुति (स्तुति अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित) आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः देविन्दवन्दियपए... पाकाहेम १२३४९, पृ. १, अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित स्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सं., पद्य, पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. १, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. १, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. १, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अध्यात्मतरङ्गिणी-(सं.)टीका आचार्य-धर्मसूरि(दि०), गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., गद्य, आदि वाक्य: गुरुं प्रणम्य लोकेशं शिशूनामलं... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. दिगंबरीय. पातासंघवी ७०-३, पृ. ११७, अध्यात्मतरङ्गिणी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रनो टुकडो नथी. डीवीडी-३१/४९ अध्यात्मसार उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पद्य, पाकाभाभा १७२७, पृ. ४६, अध्यात्मसार टिप्पणक सह, वि-१९वी, संपूर्ण अध्यात्मसार-(सं.)टिप्पणक सं., पद्य, पाकाभाभा १७२७, पृ. ४६, अध्यात्मसार टिप्पणक सह, वि-१९वी, संपूर्ण अध्यात्मसार-(सं.)टिप्पणक सं., पद्य, पाकाभाभा १७२७, पृ. ४६, अध्यात्मसार टिप्पणक सह, वि-१९वी, संपूर्ण अध्यात्मोपनिषद जुओ - योगशास्त्र, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत अनध्याय विधि प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः कालग्रहणमनधायेन विधेयमतः... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र.६, पृ. ४०-४B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. 12 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४१ अनन्तकाय प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्यः पञ्चुम्बरि चउगई... पाताखेत ५- पे.क्र. १०, पृ. १६१-१६२, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ अनन्तनाथचरित्रोद्धृत पूजाष्टक जुओ - अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.१८७०, गा.१५२५ अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत अष्टप्रकारीपूजाकथा जुओ - अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत, आचार्य नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.१८७०, गा.१५२५ अनन्तनाथजिनचरित्र जुओ - अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.१८७०, गा.१५२५ अनन्तनाथस्तोत्र आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-विमलसूरि, प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः सम्पत्तनाणदंसणवीरियसोक्खाइं जस्स णन्ताई... पाताखेत ५४-१- पे.क्र. २, पृ. ९६-९८, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२०. प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ अनर्घराघवनाटक-(सं.)रहस्यादर्श टिप्पणी (रहस्यादर्श टिप्पणी) आचार्य-देवप्रभसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७१००, पाताखेत २५, पृ. २१७, अनर्घराघवरहस्यादर्श, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ अनर्थदण्डव्रतोपरि वीरसेन-कुसुमश्री कथानक पद्य जुओ - वीरसेन-कुसुमश्री कथानक पद्य-अनर्थदण्डव्रतोपरि, संस्कृत, श्लोक३४७ अनागत २४जिनस्तव जुओ - अनागतचतुर्विंशतिजिनस्तव, संस्कृत, श्लोक१४ अनागत २४जिनस्तोत्र जुओ - अनागतचतुर्विंशतिजिनस्तोत्र, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, प्राकृत अनागतचतुर्विंशतिजिनस्तव (अनागत २४जिनस्तव) सं., पद्य, श्लोक१४, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २५, पृ. २४मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ अनागतचतुर्विंशतिजिनस्तोत्र (अनागत २४जिनस्तोत्र) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः वीरवरस्स भगवओ... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६४, पृ. १२६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ अनाथिसन्धि अप., पद्य, गा.३५, पातासंघवी ५५-३- पे.क्र. ३, पृ. ९२-१०१, आराधना कुलक आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पाकाहेम ९०३२- पे.क्र. २, पृ. ?, केशीगोयमसन्धि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ अनाथिसन्धि (कडव-२) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः जस्सज्जवि माहप्पा परमप्पा पाणिणो लहुं हुन्ति... पाताखेत ६- पे.क्र. २८, पृ. १७३-१७६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण 13 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- अणाथियासन्धि प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ अनाथीकुलक मारुगूर्जर, पद्य, गा.३६, पाकाहेम १०२४७, पृ. २, अनाथीकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ अनाथीमुनि चउपइ मारुगूर्जर, पद्य, गा.६४, पाकाहेम १०१३६, पृ. ५, अनाथीरुषिचोपई, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६३. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०२३९- पे.क्र. २, पृ. १७-२१, बारभावनारास व अनाथीमुनिचउपई, वि-१५९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ अनानुपूर्वीयन्त्र (अणाणुपुव्वीजन्त) प्रा.,सं., यंत्र, आदि वाक्यः पुव्वाणुपुविहिट्ठा समयाभेएण कुरू जहा जेठें... भांता ७०- पे.क्र. १२३, पृ. १६४A-१६७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-५२८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अनिट्कारिका सं., पद्य, श्लोक.११, पाकाहेम ८५७१, पृ. ३, अनिट्कारिका सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०२०८, पृ. २, अनिट्कारिका, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अनिट्कारिका-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८५७१, पृ. ३, अनिट्कारिका सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ अनिट्कारिका-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८५७१, पृ. ३, अनिट्कारिका सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ अनित्यताविषये समुद्रदत्तकथा जुओ - समुद्रदत्तकथा अनित्यताविषये, प्राकृत, गा.११८ अनुकम्पादाने चम्पक श्रेष्ठीकथा जुओ - चम्पक श्रेष्ठीकथा-अनुकम्पादाने-गद्य, संस्कृत अनुत्तरोववाई जुओ - अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.१९२ अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र (अनुत्तरोववाई), (अणुत्तरोववाई) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.१९२, आदि वाक्यः (१) तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णगरे अज्जसुहम्मस्स समोसरणं।...(२) अट्ठमस्स अङ्गस्स अन्तगडदसाणं अयमढे पण्णत्ते।... पाताखेत २७- पे.क्र. ३, पृ. ?, पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्ग-अन्तगडदशा-अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र, संपूर्ण 14 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. ३, पृ. ३१-३४, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १२४-१- पे.क्र. ३, पृ. ८४-९१, उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाङ्ग, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ६- पे.क्र. १, पृ. -४७A-५०B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. शरुआतनो भाग अपूर्ण छे. प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाताहेसं ५१- पे.क्र.४, पृ.?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-२१-?, "जतिणं भंते" कुल का पाठ. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाताहेसं १७१-५, पृ. ३, अनुत्तरौपपात्तिकोपाङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १५७- पे.क्र. २, पृ. १७-२१, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र व अनुत्तरौपपातिकसूत्र, वि-१६१८, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२००. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०००५, पृ. ५, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा पांच अनुत्तरविमाननुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०४१५, पृ.५, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१५५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०५४१, पृ. ६, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१९७. पाकाहेम १०५४२, पृ. ५, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२००., पाकाभाभा ११, पृ. ७, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रे तीर्थंकर अने बीजा पत्रे चतुर्विध संघD चित्र छे. पाकाभाभा १४, पृ. ४, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, संपूर्ण पाकाभाभा १५, पृ. ४, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पुप्रे ४५५-३, पृ. १४, अनुत्तरोपपातिकसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसरि, सं., गद्य, ग्रं.१०५, आदि वाक्यः अथानुत्तरौपपातिकदशासु किञ्चिद् व्याख्यायते।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.८, पृ. ११२-११४, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे.. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र.६, पृ. १५९B-१६३A, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र की टीक प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. ___15 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १५८- पे.क्र. २, पृ. ८-११, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्रवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०००७- पे.क्र. ३, पृ. २३-२५, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ३, पृ. १९-२१, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण __ प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण, चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभाभा ८- पे.क्र. ३, पृ. २२-२४, उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम- अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१०५, आदि वाक्यः अथानुत्तरौपपातिकदशासु किञ्चिद् व्याख्यायते।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.८, पृ. ११२-११४, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ६, पृ. १५९B-१६३A, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र की टीका प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १५८- पे.क्र. २, पृ. ८-११, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्रवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०००७- पे.क्र.३, पृ. २३-२५, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ३, पृ. १९-२१, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभाभा ८- पे.क्र. ३, पृ. २२-२४, उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम- अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति जुओ - गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित, संस्कृत, श्लोक११ अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव (सरस्वतीस्तोत्र), (सिद्धसारस्वतस्तव) आचार्य-बप्पभट्टसूरि, सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः कलमरालविहङ्गमवाहना... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. ११, पृ. ६०-७A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- सरस्वतीस्तोत्रमन्त्रयुक्त कुल झे.पृष्ठ-८ अनुमानदूषणवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः अग्निमान यं पर्वतः इति पक्षः प्रतिज्ञेत्येकार्थांसाध्यधर्मविशिष्टो... भांका २१४- पे.क्र. ७, पृ. ७B-CA, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- अनुमानदूषणानि __ कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ अनुयोगद्वारसूत्र (अणुओगद्वारसुत्त) आचार्य-आर्यरक्षितसूरि, प्रा., ग्रं.२००५, आदि वाक्यः नाणं पञ्चविहं पण्णत्तं । तं जहा आभिणिबोहियणाणं... __16 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ३२- पे.क्र. १, पृ. १-४३, अनुयोगद्वारसूत्र वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२००५. प्रत विशेष- सारी. पूर्ण. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ७- पे.क्र. १, पृ. १-४३, अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-१/११ पाताहेसं ५१- पे.क्र. ६, पृ. ?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६९-१०४. __कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाकाहेम १००२९, पृ. ३४, अनुयोगद्वारसूत्र, वि-१५६९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०४७६ , पृ. ५३, अनुयोगद्वारसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४००. कुल झे.पृष्ठ-५३ पाकाभाभा १६, पृ. २७, अनुयोगद्वारसूत्र, वि-१६३०, संपूर्ण अनुयोगद्वारसूत्र-(प्रा.)चूर्णी गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ७मी , ग्रं.२२६८, आदि वाक्यः किञ्चि पञ्चविहायारजाणयं तप्परूवणे अ उज्जुत्तं तट्ठिअं च गुरुं पणमिऊण जातिकुलरूवविणयादिगुणसम्पन्नो य सीसो भणाई-भगवं! पातासंघवी १६-३, पृ. १२८, अनुयोगद्वारचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी. डीवीडी-२२/४० पातासंघवी ५८-४, पृ. १५८, अनुयोगद्वारचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४८ पाताहेसं ७- पे.क्र. २, पृ. ४४-२१८, अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-१/११ पाकाहेम ६५३६ , पृ. २६, अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १००३०, पृ. २८, अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १४८५५, पृ. २७, अनुयोगद्वारसूत्रचूर्णि, वि-१५८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ अनुयोगद्वारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.५८८८, आदि वाक्यः सम्यक्सुरेन्द्रकृतसंस्तुतिपादपद्ममुद्दामकामकरिराजकठोरसिंहम् । पातासंघवी ३२- पे.क्र. २, पृ. ४४-२२३, अनुयोगद्वारसूत्र वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी. पूर्ण. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ७- पे.क्र. ३, पृ. २१८-४३०, अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-१/११ भांता ५९- पे.क्र. २, पृ.?, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१. डीवीडी-७२/८१ 17 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६५३५, पृ. १४४, अनुयोगद्वारसूत्रटीका, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाभाभा ३७, पृ. १०५, अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति, वि-१६३०, संपूर्ण अनुयोगद्वारसूत्र-(प्रा.)चूर्णी गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ७मी , ग्रं.२२६८, आदि वाक्यः किञ्चि पञ्चविहायारजाणयं तप्परूवणे अ उज्जुत्तं तट्ठिअं च गुरुं पणमिऊण जातिकुलरूवविणयादिगुणसम्पन्नो य सीसो भणाई-भगवं!... पातासंघवी १६-३, पृ. १२८, अनुयोगद्वारचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी. डीवीडी-२२/४० पातासंघवी ५८-४, पृ. १५८, अनुयोगद्वारचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४८ पाताहेसं ७- पे.क्र. २, पृ. ४४-२१८, अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-१/११ पाकाहेम ६५३६, पृ. २६, अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १००३०, पृ. २८, अनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १४८५५, पृ. २७, अनुयोगद्वारसूत्रचूर्णि, वि-१५८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ अनुयोगद्वारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.५८८८, आदि वाक्यः सम्यक्सुरेन्द्रकृतसंस्तुतिपादपद्ममुद्दामकामकरिराजकठोरसिंहम् । पातासंघवी ३२- पे.क्र. २, पृ. ४४-२२३, अनुयोगद्वारसूत्र वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी. पूर्ण. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ७- पे.क्र. ३, पृ. २१८-४३०, अनुयोगद्वारसूत्र, चूर्णि व वृत्ति, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-१/११ भांता ५९- पे.क्र. २, पृ. ?, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१. __डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ६५३५, पृ. १४४, अनुयोगद्वारसूत्रटीका, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाभाभा ३७, पृ. १०५, अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति, वि-१६३०, संपूर्ण अनुशासनकुलक जुओ - विषयानुशासनाकुश, प्राकृत, गा.२५ अनुशासनाकुश जुओ - विषयानुशासनाकुश, प्राकृत, गा.२५ अनुष्ठानविधि टीका जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)वन्दारु वृत्ति, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२७७० अनेक कविप्रतिज्ञा काव्यसङ्ग्रह सं., पद्य, पाकाहेम ८६८७, पृ. ३, अनेककविप्रतिज्ञाकाव्यसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ अनेक बोल विचार (बोल विचार) मारुगूर्जर, गद्य, Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०४४०, पृ. १५, अनेकबोलविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १०४४१, पृ. १८, अनेकबोलविचार, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ अनेक विचार सङ्ग्रह (विचार सङ्ग्रह) प्रा., गद्य, पाकाहेम १०२५६, पृ. २१, अनेकविचारसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ अनेकविचारसङ्ग्रह जुओ - परम्पराप्रामाण्य आदि अनेकविचारसङ्ग्रह#, संस्कृत अनेकान्तवादप्रवेशप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं.७३०, पाकाहेम ५०८९, पृ. १३, अनेकान्तवाद प्रवेश प्रकरण, वि-१४८३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०७०९, पृ. १३, अनेकान्तवादप्रवेश, वि-१५मी, संपूर्ण अनेकार्थकैरवकौमुदी टीका जुओ - अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, संस्कृत, ग्रं.१०००० अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका जुओ - अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, संस्कृत, ग्रं.१०००० अनेकार्थकोश जुओ - अनेकार्थसङ्ग्रह, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८२७ अनेकार्थतिलक जैनेतर-महीप, सं., ग्रं.९५०, पाकाहेम १०२१३, पृ. २१, अनेकार्थतिलक, वि-१७१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी सं., ग्रं.३०३, कृ.विः क्षपणककृत अने आ बन्ने एक? पाकाहेम ८७३१, पृ. ४, अनेकार्थध्वनिमञ्जरी, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी क्षपणक, सं., पाकाहेम १३९७७, पृ. ५, अनेकार्थध्वनिमञ्जरी, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-४ अनेकार्थनाममाला जुओ - अनेकार्थसङ्ग्रह, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८२७ अनेकार्थभाष्य जुओ - न्यायशास्त्र-(सं.)अनेकार्थभाष्य, संस्कृत अनेकार्थसङ्ग्रह (अनेकार्थनाममाला), (हैम अनेकार्थनाममाला), (हैम अनेकार्थकोश). (हैम अनेकार्थसङ्ग्रह), (अनेकार्थकोश) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., ग्रं.१८२७, आदि वाक्यः ध्यात्वार्हतः कृतैकार्थशब्दसन्दोहसङ्ग्रहः... पाताखेत २३- पे.क्र. १, पृ. ८२, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. पत्र २२-८० + ९६-११६. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ८२-१, पृ. १३१, अनेकार्थसङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-३२/५० पातासंघवी १७८-१, पृ. १४९, अनेकार्थसङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं १३६, पृ. २८२, अनेकार्थनाममाला, संपूर्ण 19 Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२५. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३७, पृ. ११९, अनेकार्थ नाममाला, संपूर्ण प्रत विशेष- आ नंबरनी विगत नवा सूचीपत्रमा नथी.- गायकवाड केटलॉग-६४(१). डीवीडी-८/१७ अताका ४७७- पे.क्र. २, पृ. ९३A-१६२A, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङ्ग्रह सह टिप्पण, पे. विशेष- ग्रन्थान-१८२६. अपूर्ण. बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ अताका ४८६- पे.क्र. ३, पृ. १३४०-१५९B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङ्ग्रह-षट्स्वरकाण्ड पर्यन्त सह टिप्पण, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभ से त्रिस्वरकांड श्लोक-१०६१ तक के पाठ नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६६१८, पृ. १७१, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरकौमुदीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-१५१ पाकाहेम ८७२३, पृ. २३, हैमअनेकार्थसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०३९१, पृ. ३१, हैमअनेकार्थनाममाला, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ पाकाहेम १०४०१, पृ. ५५, हैमअनेकार्थनाममाला, वि-१४६६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५५ पाकाहेम १०६८२, पृ. २०२, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरवृत्तिसह, वि-१६६५, संपूर्ण अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका (अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका), (अनेकार्थकैरवकौमुदी टीका) आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः परमात्मानमानम्य निजाऽनेकार्थसङ्ग्रहे | वक्ष्ये टीकामनेकार्थकैरवाकरकौमुदीम् ||१||... पाताखेत २२, पृ. २८६, अनेकार्थसङ्ग्रहटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्त्ता तरीके हेमचन्द्रसूरि आपेल छे. डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ६६१८, पृ. १७१, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरकौमुदीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५१ पाकाहेम १०६८२, पृ. २०२, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरवृत्तिसह, वि-१६६५, संपूर्ण अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, अताका ४७७- पे.क्र.२, पृ. ९३०-१६२A, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङ्ग्रह सह टिप्पण, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२६. अपूर्ण. बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ अताका ४८६- पे.क्र. ३, पृ. ९५, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङ्ग्रह-षट्स्वरकाण्ड पर्यन्त सह टिप्पण, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभ से त्रिस्वरकांड श्लोक-१०६१ तक के पाठ नहीं है. 20 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका (अनेकार्थकैरवाकरकौमुदी टीका), (अनेकार्थकैरवकौमुदी टीका) आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः परमात्मानमानम्य निजाऽनेकार्थसङ्ग्रहे | वक्ष्ये टीकामनेकार्थकैरवाकरकौमुदीम् ||१||... पाताखेत २२, पृ. २८६, अनेकार्थसङ्ग्रहटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्त्ता तरीके हेमचन्द्रसूरि आपेल छे. डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ६६१८, पृ. १७१, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरकौमुदीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५१ पाकाहेम १०६८२, पृ. २०२, हैमअनेकार्थनाममाला अनेकार्थकैरवाकरवृत्तिसह, वि-१६६५, संपूर्ण अनेकार्थसङ्ग्रह-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, अताका ४७७- पे.क्र. २, पृ. ९३A-१६२A, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङग्रह सह टिप्पण, पे. विशेष- ग्रन्थान-१८२६. अपूर्ण. बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ अताका ४८६- पे.क्र. ३, पृ. ९५, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अनेकार्थसङ्ग्रह-षट्स्वरकाण्ड पर्यन्त सह टिप्पण, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभ से त्रिस्वरकांड श्लोक-१०६१ तक के पाठ नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र (अन्तगडदशाङ्गसूत्र) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.८९०, आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समतेणं चम्पा णाम णयरी... सत्तमस्स उवासगदसाणं अयमढं पण्णत्ते।... पाताखेत २७- पे.क्र. २, पृ. ?, पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्ग-अन्तगडदशा-अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.२, पृ. १७-३१, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे.. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १२४-१- पे.क्र. २, पृ. ४६-८४, उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाङ्ग, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १७१-१५- पे.क्र. १, पृ. १-१४, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १५२, पृ. २२, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलनु परिमाण ८९५ ग्रंथाग्र आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १५३, पृ. २४, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, संपूर्ण 21 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १५७- पे.क्र. १, पृ. १-१७, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र व अनुत्तरौपपातिकसूत्र, वि-१६१८, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७२५. ___ कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ७४५०, पृ. २५, अन्तकृद्दशासूत्र, वि-१६५०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८२५. पाकाहेम १०००४, पृ. १५, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा अन्धकवृष्णि राजानी धारणी राणीनो पुत्र गौतम भार्याओनो त्याग करीने भगवान पासे प्रव्रज्या ले छे ते भाव सूचवतुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०१३२, पृ. १५, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १०४१४, पृ. १९, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१५५४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७९०. प्रति चोंटी जवाथी अक्षरो उखडी गया छे. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १०५३९, पृ. ३५, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०५४०, पृ. २२, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७९०. कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाभाभा १०, पृ. २३, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रे समवसरण- चित्र छे, बीजा पत्रे चतुर्विध संघD चित्र छे. पुप्रे ४५५-२, पृ. ५०, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-(सं.)अभयदेवीय वृत्ति (अभयदेवीय वृत्ति) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३५६, आदि वाक्यः अथान्तकृद्दशासु किमपि विव्रियते।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. ७, पृ. १०५-११२, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००. सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ५, पृ. १५०B-१५९B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र की टीका प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १५८- पे.क्र. १, पृ. १-८, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्रवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०००७- पे.क्र. २, पृ. १७-२३, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. २, पृ. १५-१९, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण- चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभाभा ८- पे.क्र. २, पृ. १७-२२, उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- अन्तकृद्दशांगसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-(सं.)अभयदेवीय वृत्ति (अभयदेवीय वृत्ति) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३५६, आदि वाक्यः अथान्तकृद्दशासु किमपि विव्रियते।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.७, पृ. १०५-११२, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००. सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ५, पृ. १५०B-१५९B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र की टीका प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १५८- पे.क्र. १, पृ. १-८, अन्तकृद्दशाङ्गसूत्रवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०००७- पे.क्र.२, पृ. १७-२३, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. २, पृ. १५-१९, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभाभा ८- पे.क्र. २, पृ. १७-२२, उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम- अन्तकृद्दशांगसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति अन्तगडदशाङ्गसूत्र जुओ - अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.८९० अन्तरङ्गरास आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः पणमिउ पढमजिणिन्दू सेत्तुज्जह मण्डणु... पाताखेत ६- पे.क्र. ३३, पृ. १९०-१९४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ अन्तरङ्गविवाह धवल आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः पमायगुणठाणु पाटणु तहिं अहे भवियजिउ निरुवमुवरु ए... पाताखेत ६- पे.क्र. ४१, पृ. २२०-२२१, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- वसंतरागेण भणनीयः. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ अन्तरङ्गसन्धि आचार्य-धर्मप्रभसूरि, आचार्य-रत्नप्रभसूरि, अप., पद्यअध्यायए, ग्रं.२०६, आदि वाक्यः परमवि दुहखण्डण दुरियविहण्डण जगमण्डण जिण सिद्धट्ठिय... पाताहेसं १७७- पे.क्र. २, पृ. १-१२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१३९२, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तरंग संधिनो उल्लेख गायकवाड केटलॉगमां छे. डीवीडी-९/१९ अन्तरप्रमाण (जिन अन्तर प्रमाण) सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीऋषभदेवान् सागारोपमाणं पञ्चाश कोटिलक्षाः..... कृ.विः अं.वाक्य-चन्दप्पहाउ संती तदंतरालंमि सत्तसु जिणेसु एक्केक्क दुन्नि य दुगेग एक्केह पल्लेहि. भांता ७०- पे.क्र. १३६, पृ. १८८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 23 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र -२५२+२ - १ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ अन्तराव्याख्यान (जिन अन्तरा व्याख्यान) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः उसभ भरह. ध ५०० पूर्वलक्ष ८४.... कृ.वि: अं. वाक्य चक्किदुगं हरिपणगं पणगं चक्कीस केसवो चक्की केसव चक्की केसव दु चक्की केसव चक्की य भांता ७० पे.क्र. १३५. पृ. १८६B-१८८B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. ३ - १५. पत्र - २५२+२- १ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अन्तरीक्ष पार्श्वनाथ छन्द उपाध्याय भावविजयजी मारुगुर्जर, पद्य, गा. ५१. पाकाहेम १७५३८, पृ. ५, अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ छन्द, वि-१७६७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ अन्तद्वपविचार प्रा., पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः भुल्ल हिमवन्त पुव्वावरेण विदिसासु.... पाताहेसं १६१- पे. क्र. १६, पृ. १८५-१८६, दशवेकालिकसूत्र आदि प्रकरण सग्रह वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-८/१८ अन्नायउञ्छकुलक प्रा., पद्य, गा. २५४, पाकाहेम ११०६३, पृ. १, अन्नायउञ्छ कुलक, वि-१६मी, संपूर्ण अन्नाय कुलक (संवेगकुलक) 7 प्रा., पद्य, गा. २८, पाकाहेम ७७९७ पे क्र. १ पृ. 2 संवेगकुलक अन्नायउञ्छकुलक आदि वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ अन्यथाख्यातिवाद " जैनेतर-जयराम भट्टाचार्य, सं., गद्य, तालाद ३९१-२- पे.क्र. २, पृ. १-३, काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास आदि, प्रतिपूर्ण " प्रत विशेष - महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति प्रत नं. ३९१ - A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१ - A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं. २७६१३. कुल झे. पृष्ठ २९, डीवीडी- ९४ / ९६ अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका जुओ - अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका', आचार्य- हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, का. ३२ अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका * (अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका), (वीरद्वात्रिंशिका ) आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं., पद्य, का.३२, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. ९, पृ. २५३-२५८, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम १०७०७, पृ. ४१, स्याद्वादमञ्जरी - अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १०७०८, पृ. ४६. स्याद्वादमञ्जरी - अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाय ३००० प्रति उधईए खाघेली होवाथी एने नवेसरथी सारी रीते सांधेली छे. अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका - (सं.) स्याद्वादमञ्जरी टीका (स्याद्वादमञ्जरी टीका ) 24 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-मल्लिषणाचार्य, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३४९, श्लोक२८००, पातासंघवी १११, पृ. २०८, स्याद्वादमञ्जरी, वि-१३५७, संपूर्ण प्रत विशेष- छेल्लुं पानुं एक बाजुए खराब छे. अंक पासे कोई कोई पानुं चोटेलुं छे. डीवीडी-३३/५२ पाकाहेम १०७०७, पृ.४१, स्याद्वादमञ्जरी-अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १०७०८, पृ. ४६, स्याद्वादमञ्जरी-अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. प्रति ऊधईए खाधेली होवाथी एने नवेसरथी सारी रीते सांधेली छे. अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका-(सं.)स्याद्वादमञ्जरी टीका (स्याद्वादमञ्जरी टीका) आचार्य-मल्लिषेणाचार्य, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३४९, श्लोक२८००, पातासंघवी १११, पृ. २०८, स्याद्वादमञ्जरी, वि-१३५७, संपूर्ण प्रत विशेष- छेल्लुं पानुं एक बाजुए खराब छे. अंक पासे कोई कोई पानुं चोटेलुं छे. डीवीडी-३३/५२ पाकाहेम १०७०७, पृ. ४१, स्याद्वादमञ्जरी-अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १०७०८, पृ. ४६, स्याद्वादमञ्जरी-अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. प्रति ऊधईए खाधेली होवाथी एने नवेसरथी सारी रीते सांधेली छे. अपञ्चवर्गनाममाला जुओ - पञ्चवर्गपरिहारनाममाला, आचार्य-जिनभद्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३६०, गा.१३३ अपवर्गनाममाला जुओ - पञ्चवर्गपरिहारनाममाला, आचार्य-जिनभद्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३६०, गा.१३३ अपशब्दनिराकरणवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रमाणं स्वपरव्यवसायिज्ञानप्रमाणत्वान्यथामुपपत्तेः... भांका २९२- पे.क्र. ३, पृ. ९०-१०B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ अपशब्दव्याकरण कूटखण्डन उपाध्याय-कीर्तिचन्द्र, सं., पाकाहेम ७२६४, पृ. ४, अपशब्दव्याकरणकूटखण्डन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ अपशब्दाभास कूटकाव्य जुओ - कविरहस्य, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, ग्रं.२९९ अभक्ष्यानन्तकायकुलक जुओ - कन्दजातिकुलक, प्राकृत, गा.७ अभयदेवीय वृत्ति जुओ - अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र-(सं.)अभयदेवीय वृत्ति, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.१३५६ अभयाभ्युदयमहाकाव्य सं., पद्य, ग्रं.२६९, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. २, पृ. ५-१४, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक कवि-कालिदास, सं., पद्य, श्लोक१३५१, पाकाहेम १६६३०, पृ. ३७, अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १६६३०, पृ. ३७, अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १६६३०, पृ. ३७, अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट, संस्कृत अभिधानचिन्तामणिनाममाला (हैमीनाममाला) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यअध्यायकांड, ग्रं.२६३०, आदि वाक्यः प्रणिपत्यार्हतः सिद्धसाङ्गशब्दानुशासनः।... पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. २, पृ. १६३-१६९, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणी प्रथम काण्ड, पे. विशेष- श्लोक-८६. प्रथम २३ श्लोक छोडीने. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८५-१, पृ. १६१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला, वि-१३१४, संपूर्ण प्रत विशेष- छेवटे कोईक ग्रंथना १२ पत्र नकामां छे, पण आंक वगरनां छे. डीवीडी-३७/५४ तालाद ३४१, पृ. ८६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-९४/९६ अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A-८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति __ होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १००९९, पृ. २८, अभिधानचिन्तामणिनाममाला, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १०२१०, पृ. १०, अभिधानचिन्तामणिनाममाला अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१९४ पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२२ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः धर्मतीर्थकृतां वाचं नत्वा तत्त्वाभिधायिनीम्।... कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१००००. टीका ग्रन्थाग्र-४६८५. पातासंघवीजीर्ण ३६, पृ. २९६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला टीका, वि-१३३७, त्रुटक प्रत विशेष- प्रथमनां ४ पत्र बगडेलां ने पाछलां २६४ थी पाना खवाई गया छे-जीर्ण-त्रुटक छे., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५७/५९ पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण ___26 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष - पत्र २७मुं डबल छे. कुल झ. पृष्ठ- १९४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला (सं.) व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका (व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका) कृति उपरथी प्रत माहिती गणि देवसागर | आञ्चलिक), सं., गद्य, पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१ अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १३९४०, पृ. ११५, व्युत्पत्तिरत्नाकर, वि - १८०९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र - ५७+५८=११५ कुल झ. पृष्ठ-७७ अभिधानचिन्तामणिनाममाला - (सं.) टिप्पण सं., गद्य, अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A - ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है.. - प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र ५४ लिखा हुआ है। परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे. पृष्ठ - ५४, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५८ झे अभिधानचिन्तामणिनाममाला- (सं.) अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट ( अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट) सं. पयअध्याय६ कांड आदि वाक्य निर्वाणे स्याच्छीतीभावः...... , अताका ४७७- पे. क्र. १ पृ. ८६A ९२B अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२) संपूर्ण पे. नाग- अभिधानचिन्तामणि शेषनाममाला, पे. विशेष पूर्ण प्रारंभिक ४ गाथाएँ नहीं है. प्रतिलेखन वर्ष १३८७. ग्रन्थ का अंतिम भाग व प्रतिलेखन पुष्पिका अक्षर घिसे व उखड़े होने से अवाच्य है. प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे. पृष्ठ ६५, डीवीडी - १०३/१०४ अताका ४८६- पे.क्र. २, पृ. ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक मात्र ४ श्लोक हैं. प्रत विशेष - पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र - ५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. - कुल झे. पृष्ठ - ५४, डीवीडी - १०३/१०४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला- (सं.) अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट ( अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट) सं., पद्यअध्याय६ कांड, आदि वाक्यः निर्वाणे स्याच्छीतीभावः... अताका ४७५ पे. क्र. १, पृ. ८६-२२B अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे नाम अभिधानचिन्तामणि शेषनाममाला, पे. विशेष पूर्ण प्रारंभिक ४ गाथाएँ नहीं है. प्रतिलेखन वर्ष१३८७. ग्रन्थ का अंतिम भाग व प्रतिलेखन पुष्पिका अक्षर घिसे व उखड़े होने से अवाच्य है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है.. कुल झे. पृष्ठ-६५, डीवीडी - १०३/१०४ अताका ४८६- पे.क्र. २, पृ. ८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओं (भाग-१), अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक मात्र ४ श्लोक हैं. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. ( जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र - ५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. 27 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A-८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः धर्मतीर्थकृतां वाचं नत्वा तत्त्वाभिधायिनीम् ।... कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१००००. टीका ग्रन्थाग्र-४६८५. पातासंघवीजीर्ण ३६, पृ. २९६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला टीका, वि-१३३७, त्रुटक प्रत विशेष- प्रथमनां ४ पत्र बगडेलां ने पाछलां २६४ थी पाना खवाई गया छे-जीर्ण-त्रुटक छे., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५७/५९ पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१९४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका (व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका) गणि-देवसागर[आञ्चलिक], सं., गद्य, पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १३९४०, पृ. ११५, व्युत्पत्तिरत्नाकर, वि-१८०९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-५७+५८=११५ कुल झे.पृष्ठ-७७ अमरकोष (नामलिङ्गानुशासन), (त्रिकाण्डकोश) पण्डित-अमरसिंह, सं., पद्य, श्लोक२०००, आदि वाक्यः यस्यज्ञानदयासिन्धोरगाधस्यानघा गुणा... पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरकोष-(सं.)टीका गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरकोष-(सं.)टीका गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरसत्तरी (अमरसप्ततिका) 28 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.७५, पाकाहेम १०७९६, पृ. ५, अमरसत्तरी, वि-१७मी, संपूर्ण अमरसप्ततिका जुओ - अमरसत्तरी, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.७५ अमरसेन वयरसेनकथा दान, देवपूजाविषये (दान, देवपूजाविषये अमरसेन वयरसेनकथा) सं.. कृ.विः दान देवपूजा विषये पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ९, पृ. ३२-३६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० अमरसेनकथा गाथाबद्ध चातुर्मासिकनियमे (चातुर्मासिकनियमे अमरसेनकथा गाथाबद्ध ) प्रा., पद्य, गा.५७, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ११, पृ. ३१-३३, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ अमावास्या पूर्णिमा विचार प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः जहा गेहं पइदिवसपि सोहियं... भांता ७०- पे.क्र.७१, पृ. ८९०-९१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अमृतसञ्जीवनी जुओ - छन्दोवृत्ति अमृतसञ्जीवनी, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, श्लोक१२३४ अमृताशीति आचार्य-योगीन्द्रदेव (दिगम्बर), सं., पद्य, श्लोक७९, आदि वाक्यः विश्वप्रकाशिमहिमानममानमेक... वताकांति ४१९- पे.क्र. २, पृ. १-७, चन्द्रप्रभस्तुति व अमृताशीति, वि-११९२, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका में "योगसाराख्यं" अथवा "योगस्मराख्य" इस तरह कृतिनाम लिखा गया है. वस्तुतः योगीन्द्रदेव रचित अमृताशीति नामक कृति है.सन्दर्भ देखें C-१२५९ पत्र-८५. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९७/९८ अमृताष्टमीकथा सं., पद्य, श्लोक९२, आदि वाक्यः श्रीवीरवदनकलशः... पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. १, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० अम्बाईस्तुति प्रा.,अप., पद्य, गा.२, आदि वाक्यः नेमि जिणन्दह तित्थ... तालाद ३३९- पे.क्र. ७, पृ. ६७, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ अरजिन चरित्र गणि-शुभशील, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२२अध्याय११, आदि वाक्य: येनादौ पद्धतिधर्मकर्मणोरवदर्शिता... पुप्रे ४२२, पृ. ४१८, अरजिन चरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१८ अरिष्टनेमिचरित्र 29 Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-रत्नप्रभसूरि, प्रा., रचना सं. विक्रम १२३३, ग्रं.१३६००, आदि वाक्यः जयइ निरञ्जणमिच्चमिच्चलनिम्मलनिस्सीमनिस्समसरूवा... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी २५, पृ. २७७, अरिष्टनेमिचरित्र, वि-१४७०, संपूर्ण प्रत विशेष- संपूर्ण सारी., झेरोक्ष पत्रांक-१०B बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-२५७, डीवीडी-२३/४२ अरिष्टनेमिचरित्र पाताहेसं ५०, पृ. २३७, अरिष्टनेमिचरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३८, डीवीडी-५/१५ अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय# (नम अक्षरद्वयमय अरिष्टनेमिस्तवन), (नेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय) पं.-शाली आगमिक, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः मानेनानूनमानेन... पाकाहेम १२२९३, पृ. १, अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२९३, पृ. १, अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२९३, पृ. १, अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण अरिहथोत्त जुओ - अर्हत्स्तोत्र, प्राकृत, गा.३७ अरिहन्तविनती अप., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः देव पुच्छिउ दुत्थसाहार अइदीणु दीणु... भांता ७२- पे.क्र. ३५, पृ. १८६B-१८९B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ अरिहाणस्तोत्र (सूरिविद्यास्तोत्र) आचार्य-मानदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः रेगोपुण... भांता ७०- पे.क्र. २, पृ. ३A-३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-१६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अरिहाणस्तोत्र जुओ - अर्हत्स्तोत्र, प्राकृत, गा.३७ अर्थदीपिका वृत्ति जुओ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति, आचार्य-रत्नशेखरसूरि, संस्कृत, ग्रं.६६४४ अर्बुदाचलमण्डन आदिजिनस्तुति जुओ - आदिजिनस्तुति अर्बुदाचलमण्डन, प्राकृत, का.४ अर्बुदाद्रिजिनस्तवन सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः अर्बुदाद्रौ युगादीशं... पाकाहेम १२३७८ - पे.क्र. ३, पृ. १, कल्याणकस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण अर्हत्स्तोत्र (अरिहथोत्त), (अरिहाणस्तोत्र) प्रा., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः अरिहाण णमो पूयं अरहन्ताणं... भांता ७०- पे.क्र. १, पृ. 9A-३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-१५. 30 Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय सं., पद्य, श्लोक१११, पाकाहेम ८२२०- पे.क्र. १, पृ. १-३, अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १२२७१- पे.क्र. १, पृ.?, अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ अलङ्कार ग्रन्थ अज्ञात जुओ - अज्ञात अलङ्कार ग्रन्थ, संस्कृत अलङ्कारचूडामणि टीका जुओ - काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)अलङ्कारतिलक टीका, कवि-वाग्भट (दिगम्बर), संस्कृत अलङ्कारतिलक टीका जुओ - काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)अलङ्कारतिलक टीका, कवि-वाग्भट (दिगम्बर), संस्कृत अलङ्कारमण्डन कवि-मण्डन, सं., पाकाहेम ९४९१, पृ. ९, अलङ्कारमण्डन, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ अलङ्कारविवरण सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १८, पृ.?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-८७-९०. झेरोक्ष पत्र ८७ नं. एक पत्र अतिरिक्त है. कोई अलंकार ग्रन्थ है पर स्पष्ट रूप से कौन सा ग्रन्थ है वह पता नहीं. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. __कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० अलवरपुरमण्डन रावणपार्श्वनाथाष्टक जुओ - रावणपार्श्वनाथाष्टक अलवरपुरमण्डन#, आचार्य-कल्याणसागरसूरि, संस्कृत, का.९ अलीकविषये ऋषिदत्ताकथा जुओ - ऋषिदत्ताकथा अलिकविषये, संस्कृत, श्लोक४५१ अल्पबहुत्व-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र.६, पृ. ६-७, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ अवन्तिकुमार सन्धि अप., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ७४- पे.क्र. १, पृ. १६-२४, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- २०मुं पार्नु नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ५५-३- पे.क्र. ४, पृ. १०१-१२१, आराधना कुलक आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ अवन्तिसुकुमालना ढाळियां मुनि-जिनहर्ष, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७४१, गा.१०५, पाकाहेम १०१३३- पे.क्र. २, पृ. ?, गौतमपृच्छास्तवन आदि, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०२३३- पे.क्र. १, पृ. १-८, अवन्तिसुकुमाल स्वाध्याय, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०२३४, पृ.८, अवन्तिसुकुमालनां ढालिया, वि-१८१२, संपूर्ण 31 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८ अविचारितकार्ये देवराजादिकथा जुओ - देवराजादिकथा अविचारितकार्ये, संस्कृत अव्यय सं., पद्य, श्लोक१४०, पाकाहेम १४९८५, पृ. १, अव्यय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५०४, संपूर्ण अव्यय-(सं.)अवचूरि, , विभाग-DJशम सं., गद्य, पाकाहेम १४९८५, पृ. १, अव्यय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५०४, संपूर्ण अव्यय-(सं.)अवचूरि, , विभाग-DJशम सं., गद्य, पाकाहेम १४९८५, पृ. १, अव्यय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५०४, संपूर्ण अशोकचन्द्र गुणकीर्तन प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः नमिर सुरासुरमहियं वन्दित्ता... भांता ६९- पे.क्र. ११, पृ. ८९०-९१A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-७०५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ अशोकचन्द्र वर्णन प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः सङ्खक्खमालधणुबाणचउकरा... भांता ६९- पे.क्र. १०, पृ. ८७A-८९B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२२१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. __ कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ अशोकदत्तकथा-गद्य सं., गद्य, पाकाहेम ८०७७- पे.क्र. २, पृ.?, कुसुमसारकथा गद्य तथा अशोकदत्तकथा गद्य, वि-१५७३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ अष्टकप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, का.२५६, पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. १, पृ. १-१९३, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण पे. नाम- अष्टक सटीका कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६७-१- पे.क्र. २, पृ. १-१९, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम ६७४२- पे.क्र. १, पृ. १-७, अष्टकप्रकरण व टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२६६ आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-८९ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३७०, पाकाहेम ६७४२- पे.क्र. २, पृ. ७-८८, अष्टकप्रकरण व टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-३३७० आपेल छे. -नक्की करवू. __ कुल झे.पृष्ठ-८९ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, 32 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः कर्त्ता? पातासंघवी १३८-१- पे.क्र.१, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण पे. नाम- अष्टक सटीका कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ ब्रह्मा लूनशिरा इति वृत्तद्वयव्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः ब्रह्मालूनशिरा इत्येवत्कथमत्रोच्यते... पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. २, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३७०, पाकाहेम ६७४२- पे.क्र.२, पृ.७-८८, अष्टकप्रकरण व टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-३३७० आपेल छे. -नक्की करवं. कुल झे.पृष्ठ-८९ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, कृ.विः कर्ता? पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. १, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण पे. नाम- अष्टक सटीका कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ अष्टकानि जुओ - गजाष्टक, संस्कृत, श्लोक९ अष्टकानि जुओ - गजाष्टकादिसप्तदशाष्टक, संस्कृत अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक प्रा., पद्य, गा.७५४, अध्याय७कथानक, आदि वाक्यः वरगन्धधूअचुक्खक्खएहिं कुसुमेहिं पवरदीवेहिं... भांका २५४, पृ. १५, अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक, वि-१४७५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. ३, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र अस्त-व्यस्त है. झेरोक्ष पत्र-७४-?. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ४, पृ. ?, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० अष्टप्रकारी पूजा जुओ - पूजाष्टक, संस्कृत, श्लोक८ अष्टप्रकारीपूजा आचार्य-भद्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः परिमलमिलन्तभसला पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६८, पृ. १२८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत (अनन्तनाथजिनचरित्र), (अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत अष्टप्रकारीपूजाकथा), (पूजाष्टक अनन्तनाथचरित्रोद्धृत), (अनन्तनाथचरित्रोद्धृत पूजाष्टक) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५२५, ग्रं.१८७०, आदि वाक्यः जयइ जुगाइजिणिन्दो परिविलसिरसमवसरणचउरूवो।... 33 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाताखेत २-१, पृ. १५२, पूजाष्टक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७५, डीवीडी-६१/६३ वताकांति ४३७- पे.क्र. १, पृ. २, पूजाष्टक, पूर्णिमापाक्षिक बुद्धिसूरि स्तुति अपभ्रंश, संपूर्ण पे नाम पूजाष्टक डीवीडी-९७ / ९८ भांका २०५, पृ. १३, पूजाष्टक, संपूर्ण डीवीडी-८७ अष्टप्रवचनमातागाथा ( स्वाध्यायसमाप्तिगुरूपृच्छा ) प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः सज्झायसमत्तीए अभउ... भांता ६९ पे.क्र. १५, पृ. १२५-१२७, आगामिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३३४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. २- १३३. कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ अष्टप्रवचनमाताविषयककथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) सं.. पाकाहेम ८१३४, पृ. २, अष्टप्रवचनमाताविषयककथासङ्ग्रहगद्य वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ अष्टप्रवचनमातृकुलक प्रा., पद्य, गा.२८, पाकाहेम ७७८६ पृ. १ अष्टप्रवचनमातृकुलक, वि-१७मी संपूर्ण P , कुल झ. पृष्ठ-र अष्टभाषावद्धनेमिजिनस्तवन (नेमिजिन स्तवन- अष्टभाषाबद्ध) सं., प्रा., अप, पद्य, श्लोक२१, पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. १ पृ. १ अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ अष्टभाषामय सीमन्धरजिनस्तव जुओ सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय, गणि-जिनहर्ष गणि, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, का. २७ प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. अष्टसहस्री टिप्पण जुओ आप्तमीमांसालङ्कार अष्टसहस्री - (सं.) टिप्पण, संस्कृत अष्टादश दोषरहित पुरुष संसारस्वामिश्लोक सं., पद्य, श्लोक आदि वाक्य अज्ञानारतिमानलोभरतय..... भांता ७२- पे.क्र. ९, पृ. ६९B, दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण · - कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ अष्टादशचक्रबद्ध वीरस्तव जुओ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध आचार्य कुलमण्डनसूरि संस्कृत, का. २१ अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्मित' (अस्मद् युष्मद् रूपगर्मित अष्टादशजिनस्तोत्र) (जिनअष्टादशस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूप गर्भित ), ( युष्मदस्मद्रूपगर्भित स्तोत्रसङ्ग्रह ), ( अष्टादशस्तवी) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि [तपागच्छ], सं., पद्य, पाकाहेम १२२९४, पृ. ४ युष्मदस्मद्रूपगर्भितस्तोत्रसङ्ग्रह सटीक पञ्जपाठ अष्टादशस्तवी वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-4 पाकाहेम १५७१६, पृ. ४. अष्टादशजिनस्तोत्रसावचूरि अस्मद् युष्मद्रुपगर्भित वि-१६मी संपूर्ण " 34 , 1 " कुल झ. पृष्ठ-५ झे. स्तोत्रसङ्ग्रह युष्मदस्मद्रूपगर्भित (सं.) टीका गणि-सोमदेव गणि, सं., गद्य, पाकाहेम १२२९४, पृ. ४, युष्मदस्मद्रूपगर्भितस्तोत्रसङ्ग्रह सटीक पञ्जपाठ अष्टादशस्तवी वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद रूपगर्भित-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५७१६, पृ. ४, अष्टादशजिनस्तोत्रसावचूरि अस्मद्-युष्मद्रुपगर्भित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५७१६, पृ. ४, अष्टादशजिनस्तोत्रसावचूरि अस्मद्-युष्मद्रुपगर्भित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ अष्टादशपापस्थानक (अढारपापस्थानक) प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः सव्वं भन्ते पाणाइवाय पच्चक्खामि... पाताहेसं १८९- पे.क्र. २२, पृ. ११००-१११A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७२- पे.क्र. १७, पृ. ७९B-८०B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्र नं.१-१२९५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ अष्टादशप्रसूति सं., गद्य, आदि वाक्यः भलनं कुशलं तर्जा राजभागावलोकमं... भांता ७०- पे.क्र. १४७, पृ. १९९०-१९९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अष्टादशविधरसवती प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सुओ दाणा... भांता ७०- पे.क्र. १४६, पृ. १९८B-१९९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- नव निधय प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अष्टादशसहस्री वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत अष्टादशस्तवी जुओ - अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित', आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत अष्टादशस्तवी जुओ - युष्मदस्मदष्टादशस्तवी, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत अष्टाध्यायी जुओ - पाणिनिव्याकरण, ऋषि-पाणिनि, संस्कृत अष्टापदादितीर्थस्तुति अप., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः देव जिणवरपवरजस पसर सरणगय धीरवण... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ५०, पृ. ९९आ-१०२आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५३-५४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्भित, संस्कृत, श्लोक३३ 35 Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अष्टोत्तरशतनामगर्भित महावीरद्वात्रिंशिका (महावीरद्वात्रिंशिका अष्टोत्तरशतनामगर्भित) सं., पद्य, श्लोक३२, पाकाहेम ८२२२, पृ. २, अष्टोत्तरशतनामगर्भितमहावीरद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अष्टोत्तरीस्तवन आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्नात्रविधि प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम १६५५९, पृ.७, अष्टोत्तरीस्नात्रविधि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ असद्ध्यानक्षामणाकुलक जुओ - मिथ्यादुष्कृतकुलक, प्राकृत, गा.१६ अस्पृशद्गतिवाद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पाकाहेम ८७६२, पृ. २, अस्पृशद्गतिवाद, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्यत्र दुर्लभ ग्रन्थ. कुल झे.पृष्ठ-३ अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित अष्टादशजिनस्तोत्र जुओ - अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित*, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत आउत्तकप्पजोगवाही (योगविधि) प्रा., आदि वाक्यः आउत्तकप्पजोगवाही गिहत्थसन्न्नासाण मज्झारआमिसासिणं पक्खीणं सन्नाओ... कृ.विः अन्तिमवाक्य-तित्थपरेहिं इयाणि...ते तेतमन्नयरं तस्स पच्छित्तं. भांता ७०- पे.क्र. १५, पृ. १९A-१९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आउर पच्चक्खाण पयन्ना जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.२६ आउरपच्चक्खाण लघु जुओ - आतुरप्रत्याख्यान लघु, प्राकृत, गा.६० आउरपच्चक्खाणपयन्ना बृहत् जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ आख्यातवाद जुओ - तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद, जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, संस्कृत आख्यातविवेक जैनेतर-रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य, सं., गद्य, आदि वाक्यः आख्यातस्य यन्नोवाच्यः पचति पाकं करोतीति... पाकाहेम १३१८०, पृ. ३, आख्यातविवेक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आगम अष्टोत्तरी प्रकरण , पद्य, पाताहेसं १७१-१४, पृ. २, आगम अष्टोत्तरी प्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ 36 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आगम छत्तीसी जुओ आगमषट्त्रिशिका पं पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर, गा.३६ आगम मञ्जूषानी झेरोक्ष " अताका ४९३, पृ. ?, आगम मञ्जूषानी झेरोक्ष, संपूर्ण प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी - १०३/१०४ आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आचार्य - रत्नसिंहरि, सं., पथ, श्लोक२४, पद्य, पाकाहेम ११०२६- पे क्र. १ पृ. १ आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि वि-१६मी, संपूर्ण आगमपत्रिशिका (आगम छत्तीसी) पं. पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर, पद्य, गा.३६, पाकाहेम १०३६२- पे क्र. १२ पृ. ३४-३६, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ-५० आगमस्तवन जुओ जैनागमस्तव, आचार्य जिनप्रभसूरि, संस्कृत, का ४६ आगमादि विविध ग्रन्थों के सूत्रवृत्ति आदि का ग्रन्थपरिमाण (समग्र ग्रन्थ परिमाण) सं., गद्य, भांता ७०- पे.क्र. १७३, पृ. २४७A - २४९A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति* (षडशीतिप्रकरण ), ( आगमिकविचारसार), (छयासियं), (आगमियवत्थुवियारसारपगरण), (छासीइ), (कर्मग्रन्थ चतुर्थ), (प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति) गणि- जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.८६, आदि वाक्यः निच्छिन्नमोहपासं पसरियविमलोरुकेवलपया सं... कृ. वि. गाथा १०४ सुची मळे छे. पाताखेत २३- पे.क्र. ४, पृ. २४७-२५३ अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे. क्र. १३ पृ. १६३-१७३ बृहत्सग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०४. प्रत विशेष सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४२ पे.क्र. ४ पृ. ??? कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-१०४. प्रत विशेष पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५० पे. क्र. १०, पृ. १३९ १४५, बृहत्सग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष गाथा- ९४. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ ९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५ पे. क्र. ९ पृ. १०१-१०७ सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक पे. विशेष - गाथा - ८६. प्रत विशेष- त्रुटक- जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६ - पे. क्र. ३, पृ. १२०-१२४, सङ्ग्रहणी आदि, वि- १२८६, अपूर्ण 37 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- आगमिकवस्तुसूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, पे. विशेष- ताडपत्रीय पत्र ८१-१२४ तथा झेरोक्ष पत्र-२६ ३५. बीच में दूसरी भी कृतियां हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अत:११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.७, पृ. १८२A-१८८B, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४९-५४. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ५, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. ७, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १२, पृ. ११५-१२२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- षडशीति प्राचीन कर्मग्रन्थआगमिकवस्तुविचारसार प्रकरणषडशीतिभाष्य, पे. विशेष- संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-४४-४६., प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. ३, पृ. ११७-१६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- छेल्लां अने वचलां पत्र नथी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. १, पृ. २-१२०, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमा २३ पत्र नथी-तेनी नोंध साथे ज छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र. ५, पृ. १२९-१५९, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे., गाथा-८६. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ९५, पृ. १८१, आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण वृत्ति सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११०- पे.क्र.७, पृ. ४२आ-५२आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- छायासीयं, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१०६. झेरोक्षपत्र-१२-१६. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११२- पे.क्र.८, पृ. १०१-११२, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- गाथा-२३. 38 Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. २०, पृ. १८७अ, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१ लिखकर प्रतिलेखक ने छोड़ दिया है. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ भांता ६९- पे.क्र. १, पृ. १-१०B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-२-१३३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३ कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम ६५९२, पृ. १८, षडशीतिककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम ७६६३, पृ. ६, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण षडशीतिप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)वृत्ति (प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७२, ग्रं.८५०, आदि वाक्यः नत्वा जिनं विधास्ये विवृत्तिं जिनवल्लभप्रणीतस्य।... पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. ३, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- छेल्लां अने वचलां पत्र नथी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ६५९२, पृ. १८, षडशीतिककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ६५-२, पृ. १३३, षडशीति प्राचीन कर्मग्रन्थवृत्ति, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिना पत्र-२ खराब छे. पाछला १२० थी खराब छे. भीमदेवराज्ये लिखिता. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. १, पृ. १२१-१५१, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमा २३ पत्र नथी-तेनी नोंध साथे ज छे. डीवीडी-३४/५२ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः आगमिकवस्तुगोचर विचारसारप्रकरणपदजाता... पाताहेसं ९५, पृ. १८१, आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण वृत्ति सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७६६३, पृ. ६, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण षडशीतिप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(प्रा.)टिप्पनक (चतुर्थकर्मग्रन्थ प्राचीन-(प्रा.)टिप्पनक) गणि-रामदेव गणि, प्रा., गद्य, वताकांति ४१०, पृ. ७०, षडशीतिका प्राकृत वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)वृत्ति (प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७२, ग्रं.८५०, आदि वाक्यः नत्वा जिनं विधास्ये विवृत्तिं जिनवल्लभप्रणीतस्य।... 39 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. ३, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- छेल्लां अने वचलां पत्र नथी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ६५९२, पृ. १८, षडशीतिककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ६५-२, पृ. १३३, षडशीति प्राचीन कर्मग्रन्थवृत्ति, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिना पत्र-२ खराब छे. पाछला १२० थी खराब छे. भीमदेवराज्ये लिखिता. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. १, पृ. १२१-१५१, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमां २३ पत्र नथी-तेनी नोंध साथे ज छे. डीवीडी-३४/५२ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः आगमिकवस्तुगोचर विचारसारप्रकरणपदजाता... पाताहेसं ९५, पृ. १८१, आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण वृत्ति सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७६६३, पृ. ६, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण षडशीतिप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(प्रा.)टिप्पनक (चतुर्थकर्मग्रन्थ प्राचीन-(प्रा.)टिप्पनक) गणि-रामदेव गणि, प्रा., गद्य, वताकांति ४१०, पृ. ७०, षडशीतिका प्राकृत वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ आगमिकविचारसार जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ आगमियवत्थुवियारसारपगरण जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ आगमोद्धारगाथा (स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण) प्रा., पद्य, गा.७१, आदि वाक्यः एवं विसिट्ठकाला... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३४, पृ. ६९-७०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० स्वप्नसप्ततिकाप्रकरणगतगाथा प्रा., पद्य, गा.३८, आदि वाक्यः किञ्चोदाहरणाई बहुजणमहिगिच्च पुवसूरीहिं। एत्थं णिदंसियाइं एयाइं इमम्मि कालम्मि ।।१।।... पाकाहेम ६५९६- पे.क्र.२, पृ. १-२८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, ग्रं.२५०, आदि वाक्यः किचेत्यभ्युश्चये... स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-सर्वदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२८७, ग्रं.९७०, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र. २, पृ. २८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ 40 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमोद्धत अनेक विचार प्रा., गद्य, पातासंघवी ११७-१- पे. क्र. २५, पृ. ११८ - १३६, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन- २६ सामाचारी, पे. विशेष- १३१ना बे टुकडा छे., गायकवाड केटलॉगमां उत्तराध्ययन अध्याय ३६ - सामाचारी एम आपेल छे. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी-३४ / ५२ पाताहेसं १५८- पे.क्र. ३, पृ. ???, साधु श्रावकसामाचारी सुखबोधा सामाचारी, आगमगत अनेक विचार सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- आगमगत अनेक विचार सङ्ग्रह डीवीडी-८/१८ आगमोद्धृत आहारशुद्धयादि अनेक विचार सं., प्रा.,मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः जीवा सुहेसिणो तं सिवम्मि..... पातासंघवी ११८-२- पे. क्र. ६. पृ. १२८-१६७B, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण.. आङ्कना घडिया कुल झे. पृष्ठ- ४८, डीवीडी-३४/५२ मारुगूर्जर, पाकाहेम ११५०३, पृ. ६, आङ्कना घडिया, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ आकना पलाखां मारुगूर्जर, पाकाहेम ११५०२, पृ. १७, आङ्कनां पलाखां, वि-१८४१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२ आचरणशतकविचार , गद्य, बताकांति ४०५ पृ. ४४ आचरणशतक विचार संपूर्ण डीवीडी - २७/९८ आचरणोपन्यासप्रकरण जुओ सिद्धान्तसारप्रकरण-आचरणोपन्यासप्रकरण, संस्कृत आचारदशासूत्र जुओ दशाश्रुतस्कन्ध, आचार्य भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं. २०९६ आचारदशासूत्रचूर्णि जुओ दशाश्रुतस्कन्ध - (प्रा.) चूर्णी, प्राकृत, ग्रं. २२२५ आचाराङ्गसूत्र आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. संयुक्त प+ग, ग्रं. २६४४ आदि वाक्यः सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं इहमेगेसिं नो सण्णा भवति । ... पाताखेत १४- पे.क्र. १ पृ. १-१४८, आचाराङ्गसूत्र अने नियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ३१-१- पे.क्र. २, पृ. १७६, आचाराङ्गनिर्युक्ति तथा आचाराङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी - २५/४३ पातासंघवी १३५-१- पे. क्र. १, पृ. १-१२७, आचाराङ्गसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष - सारी प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३४/५३ पाताहेसं १७१-४, पृ. ३९ आचाराङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्ध दीपिका सह पञ्चपाठ, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दीपिकाना कर्ता आदिनी विगत आपेल नथी. डीवीडी-९/१८ 41 Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता २७, पृ. ४२७, आचाराङ्गसूत्र, वि-१३४८, संपूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३, सूचीपत्र नं.१-२. डीवीडी-६९/७७ तालाद ३६८, पृ.?, आचाराङ्गसूत्रना खण्डित पाना, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७४, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८०, पृ. १४९, आचाराङ्गसूत्र, वि-१२९२, संपूर्ण ____ कुल झे.पृष्ठ-७४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ९९८६, पृ. ४८, आचाराङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५४. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०३०९, पृ. ४३, आचाराङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५४. प्रतिना वचमानां बधां पानां एक बाजुथी खवाई गयां छे. पाकाहेम १०३९५, पृ. ४९, आचाराङ्गसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५४. कुल झे.पृष्ठ-४९ पाकाहेम १०४०७, पृ. ४४, आचाराङ्गसूत्र, वि-१६०३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५४. कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०४०८, पृ. १२३, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १०४३५, पृ. ५, आचाराङ्गसूत्र-श्रुतस्कन्ध-२ अध्ययन-१५ व श्रुतस्कन्ध-१ अध्ययन-९, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०४५६, पृ. ९०, आचाराङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५४. प्रति बन्ने बाजुथी उंदरे करडेली छे. पत्र ७७-७८ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-९१ पाकाहेम १५३७७, पृ. ८९, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० पुप्रे ४२०, पृ. ३६०, आचाराङ्गसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६० आचाराङ्गसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.३६५, ग्रं.४७०, आदि वाक्यः वन्दित्तु सव्वसिद्धे जिणे य अणुओगदायए सव्वे। पाताखेत १४- पे.क्र. २, पृ. १४८-१७१, आचाराङ्गसूत्र अने नियुक्ति, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६७. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ३१-१- पे.क्र. १, पृ. १-१४, आचाराङ्गनियुक्ति तथा आचाराङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १३५-१- पे.क्र. २, पृ. १-३६, आचाराङ्गसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३., सारी. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३४/५३ पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. १, पृ. १-२५, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भांता २८, पृ. १६, आचाराङ्गसूत्रनियुक्ति, वि-१३४८, पूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३, सूचीपत्र नं.१-७. 42 Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१३, डीवीडी-६९/७७ भांता ३१, पृ. ३४, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८ डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ६५७३, पृ. ९, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४००. पाकाहेम ९९८७, पृ.७, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०४५७, पृ. ६, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३६८. प्रतिनी एक बाजुनी किनारी उंदरे करडेली छे. आचाराङ्गसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.८३००, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलमज्झाणि मङ्गलावसाणाणि । पाताहेसं २, पृ. ८६, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि अपूर्ण, अपूर्ण भांता ३०, पृ. २७८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१४५०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९., कुल- ८७४० श्लोक. डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ८४२, पृ. १०६, आचाराङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१४७५, संपूर्ण प्रत विशेष- पाद्रावास्तव्य लेखकेन लिखितम्. ग्रन्थाग्र-८६००. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम ६५३३, पृ. १३३, आचाराङ्ग सूत्र चूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम ६५४७, पृ. ९८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०१ पाकाहेम ९९८८, पृ. ११४, आचाराङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम १४८५१, पृ. १२८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १४९३२, पृ. १३१, आचाराङ्गसूत्रवृत्तिचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४९मुं डबल तथा पत्र ८७ मुंत्रण छे. कुल झे.पृष्ठ-१३९ भांका २२८, पृ. २१७, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०. डीवीडी-८८ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-शीलाङ्काचार्य, सं., गद्य, रचना सं. शक ७९८ , ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः जयति समस्तवस्तुपर्यायविचारापास्ततीर्थिकं कृ.विः प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थाग्र-९६६१. वाहरी साधु सहायेन कृता टीका. पातासंघवी ३०, पृ. ३६७, आचाराङ्गवृत्ति, वि-१४६७, संपूर्ण प्रत विशेष- कोई कोई पानुं चोंटेलुं छे. , सं.१४८५-त्रुटितं समारचितं. डीवीडी-२४/४३ भांता २९, पृ. ३४९, आचाराङ्गसूत्रनियुक्तिटीका, वि-१३४८, पूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३, सूचीपत्र नं.१-१२. कुल झे.पृष्ठ-२६४, डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ९९८९, पृ. २१९, आचाराङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण 43 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२२० पाकाहेम १४९२८, पृ. १९८, आचाराङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरणनुं चित्र छे. पुप्रे ४२०, पृ. ३६०, आचाराङ्गसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६० आचाराङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २, पृ. २-३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २२, पृ. ६०-६२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका), (प्रदीपिका टीका) आचार्य-जिनहंससूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५७३, ग्रं.१०५००, आदि वाक्यः शासनाधीश्वरो जीयाद् वर्धमानो जिनेश्वरो... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाताहेसं १७१-४, पृ. ३९, आचाराङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्ध दीपिका सह पञ्चपाठ, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दीपिकाना कर्ता आदिनी विगत आपेल नथी. डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ६८९४, पृ. १२४, आचाराङ्गसूत्र दीपिका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८-६९ भएगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१२५ पाकाहेम १०४०९, पृ. १८३, आचाराङ्गसूत्र दीपिका, वि-१५८७, संपूर्ण भांका २९१, पृ. १९४, आचाराङ्गसूत्रप्रदीपिका, वि-१६१२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८. डीवीडी-९१ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, ग्रं.९०००, आदि वाक्यः श्रीआचारानुयोग आरभ्यते अनुयोगो... कृ.विः शीलांकीय टीकाना आधारे. भांका ११२, पृ. २५१, आचाराङ्गसूत्रदीपिका, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२१., परिमाण- ९००० श्लोक. डीवीडी-८४ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि रागद्वेषमोहाद्यभिभूतेन सर्वेणापि जन्तुना शारीरमानसातिकटुकदुःखोपनिपातपीडीतेन... पाकाहेम १०४०८, पृ. १२३, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १५३७७, पृ. ८९, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० भांका १११, पृ. ३६, आचाराङ्गसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२२. डीवीडी-८४ आचाराङ्गसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.८३००, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलमज्झाणि मङ्गलावसाणाणि । पाताहेसं २, पृ. ८६, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि अपूर्ण, अपूर्ण भांता ३०, पृ. २७८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१४५०, संपूर्ण 44 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९., कुल- ८७४० श्लोक. डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ८४२, पृ. १०६, आचाराङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१४७५, संपूर्ण प्रत विशेष- पाद्रावास्तव्य लेखकेन लिखितम्. ग्रन्थाग्र-८६००. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम ६५३३, पृ. १३३, आचाराङ्ग सूत्र चूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम ६५४७, पृ. ९८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०१ पाकाहेम ९९८८, पृ. ११४, आचाराङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम १४८५१, पृ. १२८, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १४९३२, पृ. १३१, आचाराङ्गसूत्रवृत्तिचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४९मुं डबल तथा पत्र ८७ मुंत्रण छे. कुल झे.पृष्ठ-१३९ भांका २२८, पृ. २१७, आचाराङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०. डीवीडी-८८ आचाराङ्गसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.३६५, ग्रं.४७०, आदि वाक्यः वन्दित्तु सव्वसिद्धे जिणे य अणुओगदायए सव्वे । पाताखेत १४- पे.क्र.२, पृ. १४८-१७१, आचाराङ्गसूत्र अने नियुक्ति, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६७. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ३१-१- पे.क्र. १, पृ. १-१४, आचाराङ्गनियुक्ति तथा आचाराङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १३५-१- पे.क्र.२, पृ. १-३६, आचाराङ्गसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३., सारी. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३४/५३ पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. १, पृ. १-२५, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भांता २८, पृ. १६, आचाराङ्गसूत्रनियुक्ति, वि-१३४८, पूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३, सूचीपत्र नं.१-७. कुल झे.पृष्ठ-१३, डीवीडी-६९/७७ भांता ३१, पृ. ३४, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८ डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ६५७३, पृ. ९, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४००. पाकाहेम ९९८७, पृ.७, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०४५७, पृ. ६, आचाराङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३६८. प्रतिनी एक बाजुनी किनारी उंदरे करडेली छे. 45 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचाराङ्गसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि रागद्वेषमोहाद्यभिभूतेन सर्वेणापि जन्तुना शारीरमानसातिकटुकदुःखोपनिपातपीडीतेन... पाकाहेम १०४०८, पृ. १२३, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १५३७७, पृ. ८९, आचाराङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० भांका १११, पृ. ३६, आचाराङ्गसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२२. डीवीडी-८४ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका), (प्रदीपिका टीका) आचार्य-जिनहंससूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५७३, ग्रं.१०५००, आदि वाक्यः शासनाधीश्वरो जीयाद् वर्धमानो जिनेश्वरो... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाताहेसं १७१-४, पृ. ३९, आचाराङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्ध दीपिका सह पञ्चपाठ, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दीपिकाना कर्ता आदिनी विगत आपेल नथी. डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ६८९४, पृ. १२४, आचाराङ्गसूत्र दीपिका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८-६९ भएगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१२५ पाकाहेम १०४०९, पृ. १८३, आचाराङ्गसूत्र दीपिका, वि-१५८७, संपूर्ण भांका २९१, पृ. १९४, आचाराङ्गसूत्रप्रदीपिका, वि-१६१२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८. डीवीडी-९१ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, ग्रं.९०००, आदि वाक्यः श्रीआचारानुयोग आरभ्यते अनुयोगो... कृ.विः शीलांकीय टीकाना आधारे. भांका ११२, पृ. २५१, आचाराङ्गसूत्रदीपिका, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२१., परिमाण- ९००० श्लोक. डीवीडी-८४ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २, पृ. २-३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २२, पृ. ६०-६२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ आचाराङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-शीलाङ्काचार्य, सं., गद्य, रचना सं. शक ७९८ , ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः जयति समस्तवस्तुपर्यायविचारापास्ततीर्थिकं कृ.विः प्रथमश्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थाग्र-९६६१. वाहरी साधु सहायेन कृता टीका. पातासंघवी ३०, पृ. ३६७, आचाराङ्गवृत्ति, वि-१४६७, संपूर्ण । प्रत विशेष- कोई कोई पानुं चोंटेलुं छे. , सं.१४८५-त्रुटितं समारचितं. डीवीडी-२४/४३ भांता २९, पृ. ३४९, आचाराङ्गसूत्रनियुक्तिटीका, वि-१३४८, पूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३, सूचीपत्र नं.१-१२. 46 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२६४, डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ९९८९, पृ. २१९, आचाराङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२० पाकाहेम १४९२८, पृ. १९८, आचाराङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. पुप्रे ४२०, पृ. ३६०, आचाराङ्गसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६० आचाराङगादि आगमिक टीकाकारादि, आद्यन्तपाठ व ग्रन्थमानादिसङग्रह सं., गद्य, पाकाहेम १००९८, पृ.४, आचाराङ्गादि आगमिक टीकाकारादि,आद्यन्तपाठ व ग्रन्थमानादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आचार्यचूलिका सिद्धान्त मुनि-जिनमुनि, प्रा., पद्य, गा.८७, आदि वाक्यः तं नमह रिसहनाहं केवलवरनाणदंसणसणाहं.. पाकाहेम १४९३५- पे.क्र. २, पृ. ४-६, सारावलि प्रकीर्णक, आचाराङ्गसूत्र चूलिका, संपूर्ण पे. नाम- आचारांगसूत्र चूलिका, पे. विशेष- आचारांगसूत्र चूलिकागाथा-८७. कुल झे.पृष्ठ-७ आचार्यना ३६ गुण जुओ - आचार्यषट्त्रिंशद्गुण, संस्कृत आचार्यनामगर्भित नेमिनाथस्तवन जुओ - सूरिनामगर्भित नेमिनाथस्तवन, संस्कृत, श्लोक१० आचार्यनामगर्भित स्तुति (स्तुति आचार्यनामगर्भित) सं., पद्य, श्लोक, आदि वाक्यः प्रणवहृदि यदीयं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७३, पृ. १२९-१३०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ आचार्यप्रतिष्ठा विधि (प्रतिष्ठा विधि) प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः सिहिजोगम्मि पसत्थे गहिए काले निवेइए... पातासंघवी १४६-२- पे.क्र. २, पृ. ८२-८९, नन्दीसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ भांता ७०- पे.क्र. ३४, पृ. ४१B-४२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२ उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्यषट्त्रिंशद्गुण (आचार्यना ३६ गुण) सं., गद्य, आदि वाक्यः आयाराई अट्ठओ तह चेव... भांता ७०- पे.क्र. १४०, पृ. १९५B-१९६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२९., प्रारंभिक पाठ अवाच्य होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्यस्तुति (आयरियथुइ ?) प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः पञ्चविह आयारं आयरमाणा तहा पयासेन्ता... 47 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ७०- पे.क्र. ३६, पृ. ४३B-४५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४१४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्यस्तुति सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः धन्य स्वयं येन विज्ञातः संसारगिरिदारकः... भांता ७०- पे.क्र. ३५, पृ. ४३०-४३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४१५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्योनी स्तुति , पद्य, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५३, पृ. १४२-१४४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १४५मुं नथी डीवीडी-३८/५५ आञ्चलिकमतनिरास प्रा., गद्य, आदि वाक्यः जइ चेइयपरिठविया वेलावियं कालं पडिक्कन्ता अकए आवस्सए गोसे य आवस्सए... कृ.विः अं.वाक्य-से अप्पबियाए वा अप्पतइयाए वा...निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा. भांता ७०- पे.क्र. ७९, पृ. ९७B-१०३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आठ दृष्टि स्वाध्याय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः शिवसुख कारण उपदिसी योगतणी अरु दिट्ठी रे... तालाद ३९१-१- पे.क्र. १, पृ. १B-४A, आठ दृष्टि स्वाध्याय, वि-१८वी, संपूर्ण प्रत विशेष- महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित लिपिवाली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३९१-४- पे.क्र. १, पृ. १-४, आठ दृष्टि स्वाध्याय व सम्यक्त्व चतुष्पदिका, संपूर्ण प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखा गया है जो दोनो अलग-अलग पेटांक रूप में है., पेटांक-१ के पत्र-४ तथा पेटांक-२ के ७ पत्र है. दोनो पेटांक के पत्र को क्रमशः गिना गया है. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९४/९६ आतुरप्रत्याख्यान लघु (आउरपच्चक्खाण लघु), (लघु आतुरप्रत्याख्यान), (लघु आउरप्रत्याख्यान) प्रा., पद्य, गा.६०, कृ.विः गाथा परिमाणमा ४० थी ९४ सुधीनुं वैविध्य जोवा मळे छे. आनी साथे संकळाएल केटलीक प्रतो वीरभद्र गणि वाला आउर पच्चक्खाणनी अगर "अरहन्ता मंगलं मज्झ..." आदिवाक्यवाला के पछी "कुससत्थरे निसन्नो..."वाला आदिवाक्य वाला आउर पच्चक्खाणनी पण होई शके.(महावीर जैन विद्यालयथी आ बन्ने छपाया छे) पाताखेत २३- पे.क्र.८, पृ. ३२३-३२५, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण 48 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- त्रुटित. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. २, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-९४. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८ - पे.क्र. ४, पृ. ८६-८७, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- आउरपच्चक्खाण लघु, पे. विशेष- गाथा-७४. गायकवाड केटलॉगमां गाथा-४०. आपेल छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १९, पृ. ३३३-३४१, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७१. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १२, पृ. १४६-१४९, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४०. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६२- पे.क्र. ३, पृ. ???, उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे. डीवीडी-८/१८ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक लघु-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४५५- पे.क्र.२, पृ. १२, चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति, वि-१६०१, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यानसूत्रवृत्ति कुल झे.पृष्ठ-२४ आतुरप्रत्याख्यानगत त्रिषष्टिध्यानकथाप्रकरण जुओ - त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण, प्राकृत, गा.३७ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (आउर पच्चक्खाण पयन्ना) प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः (१) अरहन्ता मङ्गलं मज्झ अरहन्ता मज्झ देवया।...(२) अरिहन्ता मङ्गलं मज्झ अरिहन्ता मज्झ देवया... पाताखेत ५- पे.क्र. ६, पृ. १२७-१३१, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. ५१, पृ. २४४-२४७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- आउरपच्चक्खाण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३२-१- पे.क्र.७, पृ. ६२-६६, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. ३, पृ. ३०५-३१०, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २७, पृ. १०४-११०, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र.३, पृ. ५४०-५६A, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. 49 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १२, पृ. १४५-१४९, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पाताहेसं ११३- पे.क्र.८, पृ. १५७-१५८, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४-पे.क्र.९, पृ. १३०-१३३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३२, पृ. २४२-२४४, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२०. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. ____ कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ भांता ६९- पे.क्र. २६, पृ. १७८A-१८२A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३७०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ३, पृ. २५-२६, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०५२०- पे.क्र. २, पृ. १-१६, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक प्रा., पद्य, गा.१२०, पाकाहेम १०५१३, पृ. ७, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०५१४, पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत् (आउरपच्चक्खाणपयन्ना बृहत्), (बृहत् आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक), (बृहत् आउरपच्चक्खान पयन्ना) गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, गा.७१, आदि वाक्यः देसिक्कदेसविरओ सम्मद्दिट्ठी मरेज्ज जो जीवो।... कृ.विः गाथा ६० थी ८० सुधी मळे छे. पाताखेत ४२- पे.क्र. १५, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८०. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङक उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.८, पृ. २०३-२१९, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-६४. पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-६५-६६,७१-७२ व ७३-७४ पर है. प्रारंभ पत्र-७२ व अन्त पत्र ६६ है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १६८- पे.क्र.७, पृ. ९१-९४, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- आउरपच्चक्खाण बृहत् डीवीडी-३६/५४ 50 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११७-१- पे क्र. ४, पृ. ५५-६०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- आउरपच्चक्खाण, पे. विशेष गाथा - ६०. कुल झे. पृष्ठ १०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २, पृ. ७६-८०, चउसरण आदि, पे. विशेष - गाथा - ६०. कुल झे. पृष्ठ - ९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १७१-१५- पे.क्र. २. पृ. १२२ अन्तकृदशाङ्गसूत्र आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, संपूर्ण संपूर्ण डीवीडी-९/१८ तालाद ३८९- पे.क्र. ५, पृ. १०४-१११, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ६०. कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. २, पृ. १-४, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक, वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८४. कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ७, पृ. १०५-१०८, ओघनिर्युक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक- प्रकरण - कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे क्र. ४ पृ. १-३८ मरणविधिप्रकीर्णक आदि वि-१५मी संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ८४. कुल झे. पृष्ठ- ३९ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. ८, पृ. ६-८, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ६७. कुल झे. पृष्ठ-१७ पाकाहेम १००८५ पे क्र. १ पृ. १-२ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि वि-१५७३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ११ पाकाहेम १०१४० पे क्र. २, पृ. ? संस्तारकप्रकीर्णक आदि वि-१८मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ६७. ग्रन्थाग्र - ३००. कुल थी. पृष्ठ-८ पाकाहेम १०४२८- पे क्र. २. पृ. ? चतुःशरण आतुरप्रत्याख्यान - भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी संपूर्ण , पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) टीका कुल झे. पृष्ठ- २१ पाकाहेम १०५१५, पृ. १५, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बालावबोधवार्तिकसह, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १५ पाकाहेम १०५५४, पृ. ४ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष गाथा-८१. पाकाहेम १०५५५, पृ. ३, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - ६५. पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. २, पृ. ७-१० भक्तपरिज्ञा आदि वि-१५५४, संपूर्ण पे. विशेष- किञ्चिद् अपूर्ण. प्रत विशेष- पत्र - ११ थी २२ नथी. भांका १२३ - पे.क्र. ३, पृ. ६A-७A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि- १४९१, संपूर्ण पे. नाम- आउरपच्चक्खाण, पे. विशेष - गाथा - ८४. सूचीपत्रांक-१-२८९. प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-३१७ प्रतिलेखन पुष्पिका. 51 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १६८- पे.क्र. २, पृ. २A-३B, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २०१, पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९३. डीवीडी-८७ भांका २२७- पे.क्र. २, पृ. ३B-६B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८६., सूचीपत्र नं.-२९९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ भांका २४६- पे.क्र. २, पृ. २A-३A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८८. डीवीडी-८९ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९१. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र.२, पृ. २०, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)अवचूरि । आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., पद्य, श्लोक८५०, आदि वाक्यः नत्वा वीरजिनं वक्ष्ये मुग्धोपि स्वगुरोर्मुखात्... पाकाहेम १००८५- पे.क्र. २, पृ. २-१०, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१५७३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ भांका १६८ - पे.क्र. २, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २०१, पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९३. डीवीडी-८७ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९१. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-समरचन्द्रसूरि[पार्श्वचन्द्रीय], मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१६०८, पाकाहेम १०५१५, पृ. १५, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बालावबोधवार्तिकसह, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)विवरण 52 Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, आदि वाक्यः देशस्य त्रसकायस्य एकदेशः सङ्कल्पजनिवृत्तिरूपस्तस्यापि सापराधनिर (तं) परार्थ(ध) त्वेन नहीं (द्वि) प्रकारत्वात् । .... बताकांति ४०२ पे क्र. १ पृ. १२३ आतुरप्रत्याख्यान विवरण व प्रदेशीनृपचरित, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक का विवरण डीवीडी - २७/९८ भांका १९२ पे.क्र. २, पृ. ५B-९B, चतुःशरणविषमपद विवरण आदि संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९७. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८४, १-२९७ १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ भांका ३०१ पे. क्र. २. पृ. ४BUA, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९६. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८३ १२९६ १-३०७, १-३२१. डीवीडी- ९२ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे क्र. २, पृ. २० चतुःशरण आतुरप्रत्याख्यान भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) टीका कुल झे. पृष्ठ- २१ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (मा.गु.) बालावबोध " आचार्य-समरचन्द्रसूरि [पार्श्वचन्द्रीय], मारुगुर्जर, गद्य ग्रं. १६०८. पाकाहेम १०५१५, पृ. १५, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बालावबोधवार्तिकसह, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) अवचूरि आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., पद्य, श्लोक८५०, आदि वाक्यः नत्वा वीरजिनं वक्ष्ये मुग्धोपि स्वगुरोर्मुखात्.... पाकाहेम १००८५- पे.क्र. २, पृ. २- १०, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि, वि- १५७३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-११ भांका १६८- पे.क्र. २, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष सुचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २०१ पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-२९३. डीवीडी-८७ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२९१. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी- ९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः देशस्य त्रसकायस्य एकदेशः सङ्कल्पजनिवृत्तिरूपस्तस्यापि सापराधनिर (तं) परार्थ(ध) त्वेन नहीं (द्वि) प्रकारत्वात् । .... वताकांति ४०२- पे.क्र. १, पृ. १- २३, आतुरप्रत्याख्यान विवरण व प्रदेशीनृपचरित, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक का विवरण डीवीडी-२७/९८ 53 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका १९२ पे क्र. २. पृ. ५४ ९४ चतुःशरणविषमपद विवरण आदि संपूर्ण पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-२९७. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८४, १-२९७ १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ भांका ३०१ पे.क्र. २, पृ. ४8-04, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९६. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी- ९२ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक लघु - (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४५५- पे.क्र. २. पृ. १२ चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति, वि-१६०१, , आत्मकुलक आचार्य जयशेखरसूरि[अंचलगच्छ]. प्रा. पद्य गा.४३. पाकाहेम ५६३४, पृ. ८, आत्मकुलक सस्तबक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ संपूर्ण पे. नाम आतुरप्रत्याख्यानसूत्रवृत्ति कुल झे. पृष्ठ- २४ आत्मकुलक- (मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य ग्रं. १९६. पाकाहेम ५६३४, पृ. ८, आत्मकुलक सस्तबक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-६ आत्मकुलक- (मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, अं.१९६. पाकाहेम ५६३४, पृ. ८, आत्मकुलक सस्तबक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-६ आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आचार्य रत्नसिंहरि, सं., पद्य, श्लोक२४, आदि वाक्यः कल्याणशस्यपायोदन्दुरिध्वान्त भास्कर..... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २६ पृ. ३६मुं मुनिचन्द्रसूरि चक्रेश्वरसूरि रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९. आत्मनिन्दाष्टक संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-३५ सं., पद्य, श्लोक १०, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. २, पृ. १, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुलझे . पृष्ठ-४ पाकाहेम ७९४५- पे.क्र. २, पृ. १-२, सङ्घपट्टकप्रकरण तथा आत्मनिन्दाष्टक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ आत्मप्रतिबोध पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. २, पृ. २, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष उदरे करडेली छे, कुल झे. पृष्ठ-६ वाचक- नयनसुन्दरवाचक, मारुगूर्जर, पद्य, गा.८२, पाकाहेम १५६१७, पृ. ५, आत्मप्रतिबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ 54 Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आत्मबोधकुलक जुओ धर्मोपदेशकुलक, आचार्य देवेन्द्रसूरि प्राकृत, गा. २२ आत्मरक्षास्तोत्र जुओ - पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन, संस्कृत, प्राकृत, श्लोक ८ आत्मविज्ञप्ति आचार्य - रत्नसिंहरि, प्रा., पद्य, गा. ३०, आदि वाक्यः जयजयभुवणदिवायर तिहुयणगुणरयणसायर जिन्दि..... पाकाहेम १११५३- पे क्र. २८ पृ. ३७मुं मुनिचन्द्रसूरि चक्रेश्वरसूरि रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९. संपूर्ण आत्मशुद्धि - आत्मसम्बोधकुलक कुल झ. पृष्ठ-३५ झे सं., पद्य, श्लोकर, पातासंघवी ५६-२- पे.क्र. ६, पृ. ?, उपदेशमाला आदि, वि- १३वी, संपूर्ण पे. विशेष- यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी - २९/४८ आचार्य - जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा. ३३, आदि वाक्यः मोक्खमुक्खे मायामोहं..... पाताखेत ६- पे. क्र. ७, पृ. ९६ ९९ उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष शुद्ध प्रति कुल झे. पृष्ठ- ११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३४, पृ. २४५ - २४९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि- १३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३३. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ आत्मसम्बोधकुलक जुओ एगुणतीसी भावना, प्राकृत, गा. ३० आत्मसम्बोधकुलक जुओ धर्मोपदेशकुलक, आचार्य देवेन्द्रसूरि प्राकृत, गा. २२ आत्मसम्बोधकुलक प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्य तेलोक्के कूलमल्लरस महावीरस्सा..... पातासंघवी १४५-१- पे. क्र. २२, पृ. १६७ - १६८, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९४ डीवीडी- ३५/५३ पाताहेसं १८९ पे.क्र. १९. पृ. १०५-१०६ आत्मसम्बोधनकुलक . दशवेकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक कुल पत्र - ४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि[अञ्चलगच्छ], प्रा., पद्य, गा. ४३, आदि वाक्य : (१) नमिरसुर असुरविन्देहिं वन्दिय कमं वीरमभिवन्दि... (२) नमिरअसुरविन्देहिं.... पाताहेसं १६८- पे.क्र. २४, पृ. ४२अ - ४६आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- आत्मसंबोधनकुलं, पे. विशेष- अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्र ४३ ( गाथा - ११ से १८) नहीं है झेरोक्ष पत्र३५-३६. प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ पे. क्र. १०, पृ. ८२B-८६B दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक, कुल पत्र-४५+१५९ २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ 55 Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आत्महितकुलक आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः नियगुरुपायपसाया नाउं संसारविलसिय विवागं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३०, पृ. ३९-४०, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ आत्मानुशासन आचार्य-पार्श्वनाग (दिगम्बर), सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १०४२, श्लोक७७, आदि वाक्यः सकलत्रिभुवनतिलकं प्रथमं देवं प्रणम्य सर्वज्ञम्... कृ.विः परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे. पाताखेत २३- पे.क्र.५, पृ. २५३-२५८, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १६४- पे.क्र.११, पृ. २४७-२५६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १७४- पे.क्र. ४, पृ. ५२-५७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र ५३ अने ५५ नथी. ५६ना बे टुकडा छे. झेरोक्ष पत्र-१९-२२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. ११, पृ. २४९-२५१, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र.३, पृ. २९-४०, जीवविचार आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७६. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ७२-२- पे.क्र.५, पृ. ४७-५५, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७६., व्यर्गल चत्वारिंशत्समधिकवत्सरसहस्र संख्यामां. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ७२-३- पे.क्र.५, पृ. ८२-८७, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १६, पृ. १९७-२०२, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३४-२- पे.क्र. ४, पृ. ८-१२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २५, पृ. २००-२०६, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६७-१- पे.क्र.५, पृ. १-८, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-७६., प्रथम बे पानाना टुकडा छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १५, पृ. १६७-१७२, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७५. पत्र १७०मुं नथी. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १८, पृ. ११०-११२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र.४५, पृ. ३२५-३२९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ 56 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३२६- पे.क्र. १७, पृ. १३७-१४१, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ९, पृ. २८-३०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ११०८५, पृ. २, आत्मानुशासन, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१००. आत्मानुशासनकुलक आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.५६, आदि वाक्यः सिरिधम्मसूरिसुगरुं पुणो पुणो पुणमिऊण सावेणं.. पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २९, पृ. ३७-३९, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ आत्मानुशास्तिपचीशी जुओ - आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, संस्कृत, श्लोकर५ आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका (आत्मानुशास्तिपञ्चविशी), (आत्मानुशास्तिपचीशी) आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, आदि वाक्यः प्राकृतः संस्कृतो वापि पाठः सर्वोपकारणं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २७, पृ. ३६-३७, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ आत्मानुशास्तिपञ्चविशी जुओ - आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, संस्कृत, श्लोक२५ आदि वीर स्तव जुओ - आदि-वीरस्तुति, आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्राकृत आदि-वीरस्तुति (आदि वीर स्तव) आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सयलसुरासुरनमियं सेत्तुज्जगिरिस्स मण्डणं वीरं उसहं... पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २१, पृ. २१२-२१३, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ आदिजिन पारणा अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः सव्वट्ठह जिणु अवयरिउ मरुदेवीहि कुखिहि सम्भमिउ... पाताहेसं १६८- पे.क्र.६१, पृ. १५६आ-१५८अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७१-७२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिन स्तवन जुओ - युगादिदेवस्तवन, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक६ आदिजिन स्तवन सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः प्रणमामि युगादिजिनेन्द्रमहं सुपंचास्यं । पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५५, पृ. १२७, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- ऋषभनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६३-६४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिन स्तुति जुओ - युगादिदेवस्तुति, मारुगूर्जर, गा.९ आदिजिन स्तुति सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः प्रणतनरामरभुजगेन्द्रमौलिमालाभिरर्चितांह्रियुगं... ___ कृ.विः अन्तवाक्य-संबोधिलाभमतुलं ददातु भक्त्याग्र नाभेयः. पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- ऋषभनाथ स्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. 57 Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ प्रा. पथ, गा.९, आदि वाक्यः अमरासुरवरवन्दिय पाय..... " पाताहेसं १६८- पे.क्र. १२, पृ. २३अ - २४अ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-२९-३०. आदिजिन स्तुति प्रत विशेष - प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्यः विणीय भूमीए सिरिनाभि तिवा गहिणी.... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५९, पृ. १४३-१४४ - दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - ६७-६८. ताडपत्रीय पत्रांक १४५ नहीं है. गाथा - ९ तक है. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिनस्तव जुओ नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय# अज्ञात नयप्रभ संस्कृत श्लोक १३ आदिजिनस्तवन कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य अभयदेवसुरि, अप, पच पाकाहेम १४९७१- पे. क्र. ३. पृ. ८ प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि वि-१५मी संपूर्ण आदिजिनस्तवन जुओ युगादिजिनस्तवन कुल्पपाकमण्डन, आचार्य-भुवनसुन्दरसूरि संस्कृत आदिजिनस्तवन खाद्यपदार्थनामगर्मित राणकपुरमण्डन (राणकपुरमण्डन खाद्यपदार्थनामगर्मित आदिजिनस्तवन), (खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डन आदिजिनस्तवन ) ( खाद्यपदार्थनामगर्मित आदिजिनस्तवन राणकपुरमण्डन ) मुनि-जिनसागर, सं., पद्य, श्लोक ११, आदि वाक्यः श्रीसङ्घे बरसाकर.... पाकाहेम १२३०७, पृ. १, खाद्यपदार्थनामगर्मित राणकपुरमण्डनआदिजिनस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ - आदिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध जुओ - युगादिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध#, आचार्य-सोमतिलकसूरि, संस्कृत, का.३२ आदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय महिसाणापुरमण्डन जुओ महिसाणापुरमण्डन आदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय संस्कृत, श्लोक १० आदिजिनस्तवन-इलदुर्गमण्डन जुओ युगादिजिनस्तवन इलदुर्गमण्डन, आचार्य - मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, का. २४ आदिजिनस्तुति जुओ शत्रुञ्जयमण्डन युगादिदेवस्तोत्र, आचार्य सोमसुन्दरसूरि संस्कृत श्लोक १६ आदिजिनस्तुति अर्बुदाचलमण्डन (अर्बुदाचलमण्डन आदिजिनस्तुति) प्रा. पद्य, का. ४, आदि वाक्य: वरमुत्तियहार.... - - पाकाहेम १२३६२- पे.क्र. २, पृ. १, यमकमयपार्श्वनाथस्तव आदि वि-१८मी, संपूर्ण आदिजिनस्तुति- शत्रुञ्जयमण्डन (शत्रुञ्जयमण्डन आदिजिनस्तुति) - - सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः शैले शत्रुञ्जयाख्ये भवजलधि..... पाकाहेम १२१३३- पे. क्र. १ पृ. १ आदिजिनस्तुत्यादिसङ्ग्रह, वि-१६मी संपूर्ण पे. नाम - शत्रुंजय आदिस्तुतिसङ्ग्रह प्रत विशेष जीर्णप्राय कुल हो. पृष्ठ- २ आदिजिनस्तोत्र जुओं नाभेयजिनस्तोत्र, गणि- जिनवल्लभ, प्राकृत, गा. २० आदिजिनस्तोत्र जुओ नामेयस्तोत्र, प्राकृत, गा. २८ - आदिजिनस्तोत्र जुओ- युगादिजिनस्तोत्र, संस्कृत, श्लोक‍ आदिनाथ जन्माभिषेक मारुगूर्जर, पद्य, गा. ११, आदि वाक्य : (१) वीणीयनयरि वीणीयनयरि... (२) विणीय नयरि विणीय नयरी..... 58 Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५३, पृ. २३४-२३५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ आदिनाथ देशना (युगादिदेशना) गणि-सोममण्डन, सं., पद्यअध्याय५उल्लास, आदि वाक्यः श्रीमानादिजिनः श्रेयो विश्राणयतु भाविना... भांका ९०- पे.क्र. १, पृ. १-११A, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- आदिनाथदेशना- उल्लास १ कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ आदिनाथ वीनति मुनि-रत्नाकर मुनि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः शेत्रुञ्जमण्डणसामि... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४९, पृ. २३२-२३२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ आदिनाथ स्तवन जुओ - युगादिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध#, आचार्य-सोमतिलकसूरि, संस्कृत, का.३२ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी (ऋषभदेव, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी), (जिनपञ्चस्तवी) प्रा., पद्य, गा.३१, आदि वाक्यः (१) तं नमह पासनाहं... (२) गाहाजुयलेण जिणं... (३) सन्थुणिमो चन्दप्पहं... (४) भीमभवसम्भमब्भन्त... (५) हरिकरिरहुकडञ्चक्कलच्छि... (६) निविड पडिबन्ध बन्धुर... (७) सढकमढदप्पचमढण... (८) चलणगुलिचालियकणय... कृ.विः च्यवनादि १५ स्थान गर्भित. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३४, पृ. ११०-११२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनस्तोत्रपञ्चक अप., पद्य, कृ.विः आ नामथी त्रण स्तोत्रो मळे छे - सरखा हशे? पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ४, पृ. ८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है.. आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक (षड्भाषामयस्तवनपञ्चक), (जिनपञ्चकस्तवनपञ्चक), (षड्भाषागर्भित ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र), (ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र षड्भाषागर्भित) प्रा.,सं.,अप., पद्य, का.३०, कृ.विः प्राकृत आदि छ भाषाओ. पाकाहेम ८२२७- पे.क्र. १, पृ. १-२, आदिजिन-शान्तिनाथ-नेमिनाथ-पार्श्वनाथ माहावीरजिनपञ्चकषड्भाषामयस्तवनपञ्चक आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १७३५४, पृ. ३, षड्भाषागर्भित-ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर पञ्चक स्तोत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १७३५४, पृ. ३, षड्भाषागर्भित-ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर पञ्चक स्तोत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, कल 59 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १७३५४, पृ. ३, षड्भाषागर्भित-ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र टिप्पणी सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आदिनाथचरित्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.२०, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. १, पृ. १-६, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ आदिनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. १, पृ. ६-११, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध पञ्चावसरमय (ऋषभचरित्र) आचार्य-वर्द्धमानसूरि, गुरु-आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११६०, ग्रं.११०००, आदि वाक्यः नमह जुगाइजिणिन्दं पुरिसोत्तिमनाभिसम्भवं पयडं । वरनाणदंसणरविं सुगयमणन्तं महादेवं ||१||... पातासंघवी १३९-१, पृ. २२५, ऋषभचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- केवलज्ञान पछी, वृतांत छे. २२५मो टुकडो छे. प्रत सारी. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ४१, पृ. २९७, आदिनाथचरित्र पञ्चावसरमय, वि-१२८९, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ आदिनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. १, पृ. ६-११, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ आदिनाथचरित्रमहाकाव्य आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक४२७८, पाकाहेम ८०१९, पृ. १०७, आदिनाथचरित्रमहाकाव्य, वि-१६४४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७२ आदिनाथचरित्रस्तोत्र जुओ - नाभेयजिनस्तोत्र, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.२० आदिनाथजिनस्तुति विद्याचन्द्र, सं., पद्य, श्लोक४, पाकाहेम ८२१८- पे.क्र. २, पृ. १, चन्द्रप्रभजिनस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ आदिनाथवर्णन सं., पाकाहेम १३६९१, पृ. ३, आदिनाथवर्णन-अपूर्ण, वि-१९मी, संपूर्ण आदिनाथस्तवन महत्तरानामगर्भित जुओ - महत्तरानामगर्भित आदिनाथस्तवन, संस्कृत, श्लोक८ आदिनाथस्तवन यमकमय जुओ - सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन, संस्कृत, श्लोक१४ आदिनाथस्तुति कामक्रीडा छन्दोबद्ध (कामक्रीडा छन्दोबद्ध आदिनाथस्तुति) सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः संसाराम्भोधौ कामक्रीडा... पाकाहेम ७४०६- पे.क्र.४, पृ.?, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ आदिनाथस्तोत्र प्रा., पद्य, गा.१९, आदि वाक्यः बालत्तणम्मि सामिय पाताहेसं १६८- पे.क्र. १३, पृ. २६अ-२७अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- ऋषभनाथस्तोत्र, पे. विशेष- संपूर्ण गाथा-२१. झेरोक्ष पत्र-२९-३१. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. 60 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८४, पृ. १३६-१३७, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ आदिमध्यान्त यमकमय-सर्वजिनस्तोत्र जुओ - सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय, पं.-हर्षवर्द्धन गणि, संस्कृत, श्लोक२८ आदिस्तव सं., पद्य, श्लोक५, पाकाहेम १२३६५- पे.क्र.८, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण आदिस्तव सं., पद्य, श्लोक५, पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. ९, पृ.७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण आदीश्वरस्तुति सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २२, पृ. ८७मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ आदौ नेमिजिन स्तोत्र (चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र) शिवलक्ष्मी, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः आदौ नेमिजिनं... पाकाहेम ११६६६- पे.क्र. १, पृ. १, आदौ नेमिजिनं स्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२१७, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१ आनन्दघनकृत पदसङ्ग्रह (पदसङ्ग्रह आनन्दघनकृत) मुनि-आनन्दघन, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ९४७५, पृ. १४, आनन्दघनकृतपदसङ्ग्रह, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ आनन्दघनबावीसी मुनि-आनन्दघन, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ५८५५, पृ. २७, आनन्दधनबावीसी बालावबोधसह, वि-१८०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० आनन्दघनबावीसी-(मा.ग.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ५८५५, पृ. २७, आनन्दधनबावीसी बालावबोधसह, वि-१८०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० आनन्दघनबावीसी-(मा.ग.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ५८५५, पृ. २७, आनन्दधनबावीसी बालावबोधसह, वि-१८०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० आनन्दश्रावकसन्धि मुनि-विनयचन्द्र, अप., पद्य, गा.७५, पाकाहेम ९०३२- पे.क्र. ४, पृ.?, केशीगोयमसन्धि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ आप्तपरीक्षा बत्रीशी जुओ - आप्तपरीक्षाद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.३२ 61 Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आप्तपरीक्षाद्वात्रिंशिका (आप्तपरीक्षा बत्रीशी) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, का.३२, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र.८, पृ. २५०-२५३, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ आप्तमीमांसा आचार्य-समन्तभद्र[दिगम्बर], सं., पाकाहेम १८२२४, पृ. ३७, आप्तमीमांसा सटीक, वि-१९४४, संपूर्ण आप्तमीमांसा-(सं.)आप्तमीमांसालङ्कार टीका (आप्तमीमांसालङ्कार टीका) आचार्य-विद्यानन्दसूरि[दिगम्बर], सं., गद्य, पाकाहेम ४२८५, पृ. १४१, आप्तमीमांसालङ्कार सह अष्टसहस्री टिप्पणी, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. , आ प्रतमां खरेखर आप्तमीमांसा थी अष्टसहस्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ४? कुल झे.पृष्ठ-१४१ आप्तमीमांसालकार-अष्टसहस्री-(सं.)टिप्पण (अष्टसहस्री टिप्पण) सं., गद्य, पाकाहेम ४२८५, पृ. १४१, आप्तमीमांसालङ्कार सह अष्टसहस्री टिप्पणी, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. , आ प्रतमा खरेखर आप्तमीमांसा थी अष्टसहस्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ४? कुल झे.पृष्ठ-१४१ आप्तमीमांसा-(सं.)टीका आचार्य-वसुनन्दी (दिगम्बर), सं., गद्य, पाकाहेम १८२२४, पृ. ३७, आप्तमीमांसा सटीक, वि-१९४४, संपूर्ण आप्तमीमांसा-(सं.)आप्तमीमांसालङ्कार टीका (आप्तमीमांसालङ्कार टीका) आचार्य-विद्यानन्दसूरि[दिगम्बर], सं., गद्य, पाकाहेम ४२८५, पृ. १४१, आप्तमीमांसालङ्कार सह अष्टसहस्री टिप्पणी, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. , आ प्रतमां खरेखर आप्तमीमांसा थी अष्टसहस्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ४? कुल झे.पृष्ठ-१४१ आप्तमीमांसालङ्कार-अष्टसहस्री-(सं.)टिप्पण (अष्टसहस्री टिप्पण) सं., गद्य, पाकाहेम ४२८५, पृ. १४१, आप्तमीमांसालङ्कार सह अष्टसहस्री टिप्पणी, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. , आ प्रतमा खरेखर आप्तमीमांसा थी अष्टसहस्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ४? कुल झे.पृष्ठ-१४१ आप्तमीमांसा-(सं.)टीका आचार्य-वसुनन्दी (दिगम्बर), सं., गद्य, पाकाहेम १८२२४, पृ. ३७, आप्तमीमांसा सटीक, वि-१९४४, संपूर्ण आप्तमीमांसालङ्कार टीका जुओ - आप्तमीमांसा-(सं.)आप्तमीमांसालङ्कार टीका, आचार्य-विद्यानन्दसूरि, संस्कृत आप्तमीमांसालङ्कार-अष्टसहस्री-(सं.)टिप्पण (अष्टसहस्री टिप्पण) सं., गद्य, पाकाहेम ४२८५, पृ. १४१, आप्तमीमांसालङ्कार सह अष्टसहस्री टिप्पणी, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. , आ प्रतमा खरेखर आप्तमीमांसा थी अष्टसहस्री सुधीनी केटली कृतिओ छे ते नक्की थतुं नथी २ के ३ के ४? कुल झे.पृष्ठ-१४१ आभाव्यानाभाव्यविचार Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः खेत्ताण अणुन्नवणा जहा मूलस्य सुद्धपढिवए... कृ.विः अ.वाक्य-संभोगविसुकरणं इयरअलंभं न पेल्लंति भांता ७०- पे.क्र. ६७, पृ. ८३A-८४A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आभाव्यानाभाव्यविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः दो मासा पोसपुन्निमाए पूरन्ति जत्थ वासं ठिया... कृ.विः अं.वाक्य-से आणाअणवत्थं मिच्छात्थविराहणं पावे. भांता ७०- पे.क्र.६९, पृ. ८७A-CLA, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आमराजयात्राप्रबन्ध आचार्य-बप्पभट्टसूरि, सं., पाकाहेम ८००७, पृ. २१, बप्पभट्टिकारितामराजयात्राप्रबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ आमेरु महामन्त्र (सूरिमन्त्रपटालेखनविधि) आचार्य-पूर्णचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः इय एए उवएसो सम्मं नाऊण ज्झाइ जो सूरी... कृ.विः अंतिमवाक्य-(१)ॐ बउ निबऊ समणे सोमणासे महुरे महुरे स्वाहा. (२)ॐ किरिकिरि. भांता ७०- पे.क्र.३, पृ. ४०-४B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३७९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आयतनगाथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः जइ समणाण ण कप्पइ एवं एगाणिया जिणवरिन्दा... कृ.विः अंतिमवाक्य-नीयाइं सुरलोए भत्तिकथाए...तथाएसो वयसु निच्चं. भांता ७०- पे.क्र.६२, पृ.७९B-८१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आयतनस्वरूप प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः वज्जेत्तु अणाययणं आयतणगवेसणं सया कुज्जा... कृ.विः अन्तिमवाक्य-जत्थ साहम्मिया बहवे...आययणं वियाणाहि. भांता ७०- पे.क्र. ६६, पृ. ८२B-८३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५६६. सूचीपत्रांक-१-१४३६ मां पण आज विगत छे. 63 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ आयरिय-उवज्झाय साथे अतिचारगाथा जुओ - अतिचारगाथा आयरिय-उवज्झाय साथे, आयरियथुइ ? जुओ आचार्यस्तुति, प्राकृत, गा. २१ आयुःसङ्ग्रह (सारसङ्ग्रह ) आचार्य - महेन्द्रसिंहसूर, गुरु-आचार्य धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १२८४, गा. ८२, आदि वाक्य : (१) सट्ठी कम्माभावे सो तवसा... (२) सिद्धि कम्माभावे सो तवसा..... पातासंघवी ११८-२- पे. क्र. ४, पृ. २६B- ३२A, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण आराधना आरम्भसिद्धि आचार्य उदयप्रभसूरि, गुरु आचार्य माणिक्यप्रभसूरि, सं., आदि वाक्यः ॐ नमः सकलारम्भसिद्धिनिर्विघ्नवेधसे..... पाताखेत ३४-१- पे.क्र. २, पृ. २अ - १२०आ-, आरम्भसिद्धि, शब्दब्रह्मोल्लास, चउशरण, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रथम पत्र नथी. प्रारंभिक श्लोक ३ थी विमर्श-५ ना श्लोक ४९ सुधी छे. प्रत विशेष- पत्र - १४+१२० - १३४. चउशरण पयन्ना नथी. कुल झे. पृष्ठ २२, डीवीडी-६२/६४ आरात्रिक भ्रमणविधि अप.. आराधना कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. आराधना आराधना पे. नाम- आउसङ्गहो कुल हो. पृष्ठ-४८, डीवीडी-३४/५२ प्रा. पद्य, गा, आदि वाक्यः नाणे दंसण चरणे तव विरिए सिद्धसक्खियं सुद्धिं । गिण्हामि उच्चरामी वयाई जगहियभङ्गाई ।।१।।... पातासंघवी १६८- पे.क्र. १८ पृ. १३७, वन्दारुवृति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ आराधना 3 क्र. विः पाटण नवा केटलोगमां आरात्रिक अने भ्रमण विधि आम नाम छे. पातासंघवी ६२-१- पे.क्र. २, पृ. ?, आवश्यकनिर्युक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष पत्रो अस्तव्यस्त छे. छतां पूर्ण छे. डीवीडी-३०/४९ प्राकृत, गा. १२ समरसिंह मारुगूर्जर, पद्य, पं.५८, पाकाहेम १०७९३- पे. क्र. २ पृ. ३-४ किरियाठाणसज्झाय आदि वि-१६मी, संपूर्ण " सं., पद्य, गा. ७. पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३०, पृ. ११९-१२१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष - पत्र १२०-१२१ माना अक्षरो घसाई गया छे. पण १२१ पत्रनी बीजी पुंठीमां आराधना समाप्त छे. डीवीडी-३८/५५ प्रा. मारुगूर्जर, पद्य, गा. ७६, पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. ११ पृ. १८९-१९८ योगशास्त्र चार प्रकाश आदि वि- १३३०, संपूर्ण डीवीडी-३४ / ५२ पद्य, गा.६९, कृ.विः सोमसूरिकृत आ बन्ने एक ? 64 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ३२-१-पे.क्र.६, पृ. ५४-६२, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ आराधना बृहत् जुओ - बृहत् आराधना, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.६९ आराधना महती (महती आराधना) प्रा., पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ४, पृ. ४४-६६, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० आराधना सक्षेप जुओ - सक्षेप आराधना, प्राकृत, गा.२१ आराधनाकुलक (पर्यन्ताराधनाप्रकरण), (आराधनाप्रकरण) आचार्य-सोमसूरि, प्रा., पद्य, गा.६९, आदि वाक्यः (१) नमिऊण भणइ एवं भयवं! समओचियं समायस्सु (२) आछोय सुअइयारे... पाताखेत ५-पे.क्र.५, पृ. ११८-१२६, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- आराधना प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६-पे.क्र.५३, पृ. २५१-२५७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र.७, पृ. ८४-८९, उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १६५- पे.क्र. ५, पृ. १७०-१७६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- आराधना, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६७-६९. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६५- पे.क्र. १६, पृ. २३८-२४४-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्रांक २२२, २२५, २२७ व २२८ की कृतियां अस्पष्ट है. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६८ - पे.क्र.५, पृ. ८७-९०, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५५-३- पे.क्र. १, पृ. ७२-८४, आराधना कुलक आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र.२, पृ. ५००-५४A, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. नाम- आराधना, पे. विशेष- गाथा-७०. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. ३, पृ. ६४-६८, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६८. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १०, पृ. १२४-१२८, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६१. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र.७, पृ. ५६-६२, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३१, पृ. २३९-२४२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण 65 Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पे. विशेष- गाथा - ६९. प्रत विशेष प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-८/१८ तालाद ३२६- पे क्र. ९ पृ. ७६-८१ बृहत्सग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-६९. कुल झे. पृष्ठ १०६, डीवीडी - २४ / ९६ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. २ पृ. २३-२५, साधु श्रावकसामाचारी आदि संपूर्ण " पे. विशेष - गाथा - ७०. कुल डी. पृष्ठ-७ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. ४ पृ. ५७-६१, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण " पे. विशेष- गाथा - ६८. कुल डी. पृष्ठ-५१ आराधनाकुलक प्रा. पद्य, गा. १६, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं लोयालोयप्पयासयं धीरं.... " कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १५, पृ. १३८ - १३९, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९४, डीवीडी - ३५/५३ आराधनाकुलक आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा. पद्य गा. ११२ आदि वाक्यः सिद्धिपत्ते नमिय चउवीसमवि जिणे गणहरे साहुणो..... पातासंघवी १४५१ पे.क्र. ८. पू. १०८-११७ चउसरण आदि संपूर्ण आराधनापताका पे. विशेष - गाथा - ६१. कुल झे. पृष्ठ - ९४, डीवीडी-३५/५३ गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १०७८, गा.९९०, आदि वाक्यः नियसुचरियगुणमाहप्पदिण्ण सुरराय..... कृ.वि: 'सम्मं / पणमि नरिन्द देविंद थी प्रारम्भ थती अज्ञातकृत ९३२ गाथानी आज नामनी अन्य कृति पण मले छे. पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १६, पृ. १३१-१३७, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक वि - १५३८, संपूर्ण , पे. विशेष आदि नियसुचरियगुणमाहप्प. कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम १००९१, पृ. २५ आराधनापताका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - ९९३. कुल ही, पृष्ठ- २६ आराधनापताका भगवती प्रा., पद्य, गा. ९३२, आदि वाक्य : (१) सम्मं नरिन्ददेविन्दवन्दियं वन्दिउं जिणं वीरं...(२) पणमिर नरिन्ददेविन्द .... पातासंघवी ११७-१- पे क्र. १, पृ. १-५१, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा- २३१. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी - ३४ / ५२ भांका २५८ पे.क्र. १, पृ. ९२-९२B, आराधनापताकाभगवती व सारावली प्रकीर्णक, संपूर्ण पे. नाम- आराधनापताका भगवती, पे. विशेष- गाथा - ९०३ तक के पाठ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ- २, डीवीडी-८९ आराधनापताकाप्रकीर्णक लघु जुओ लघुआराधनापताकाप्रकीर्णक, प्राकृत, गा. २६३ आराधनाप्रकरण जुओ - आराधनाकुलक, आचार्य - सोमसूरि, प्राकृत, गा.६९ आराधनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२८, पाताखेत १२ पे.क्र. १३. पृ. १७८-१८१, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण 66 Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ आराधनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१५९, आदि वाक्यः अरहन्ताण पणमिऊण... पाताहेसं ११३- पे.क्र. ६, पृ. १२०-१३५, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ आराधनाप्रकरण आचार्य-यशोघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१००, आदि वाक्यः मयणग्गि समणमेहं पासजिणं पणमिऊण गुणगेहं... पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ९, पृ. ११७-१२४, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- आराहणपगरण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ आराधनाविधि जुओ - यतिआराधनाविधि, प्राकृत,संस्कृत आराधनासार प्रा., पद्य, गा.४८, आदि वाक्यः सिवसुह सिरीए हेउं वन्दिय वीरं... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १०, पृ.८८-९०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ आरामनन्दनकथा सं., पद्य, श्लोक५३५, पाकाहेम १०१७०, पृ. १२, आरामनन्दनकथा पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ आरामशोभाकथा श्लोकबद्ध मुनि-मलयहंस, सं., पद्य, श्लोक३५१, पाकाहेम २१०८, पृ. ६, आरामशोभाकथा श्लोकबद्ध, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. आरामशोभाकथानक गद्य सं., गद्य, पाकाहेम १०१७९, पृ. ५, आरामशोभाकथानक गद्य, वि-१६मी, संपूर्ण आराहणाकुलं जुओ - परित्यागकुलक, प्राकृत, गा.१६ आर्द्रकुमार कथानक - गद्य प्रा., गद्य, ग्रं.१३०, पातासंघवी ९९- पे.क्र.८, पृ. २४०-२५१, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र २४१ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमा चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ आर्द्रकुमारकथा प्रा., पद्य, गा.१७०, पाताहेसं १८५- पे.क्र. ४, पृ. ६२-७०, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ आर्द्रकुमारकथा पद्य प्रा., पद्य, गा.१५९, आदि वाक्यः अप्पं पि भावसल्लं अण्णुद्धियं राय वणियतणएहिं... पातासंघवी ११८-२- पे.क्र. १, पृ. १B-८B, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण पे. नाम- आर्द्रकुमारकथानक कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-३४/५२ आर्द्रकुमारधवल Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मारुगुर्जर, पद्य, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४२, पृ. १३१-१३५ प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी.. कुल झे. पृष्ठ- ८१ आर्यअनार्यदेशगाथा कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. पद्य, गा. १०, आदि वाक्यः रायगिहमगहवण्ण अङ्गा तहवा..... भांता ७०- पे.क्र. ७०, पृ. ८८A - ८९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-१२९१. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ४६, डीवीडी-७२/८२ आर्यवसुधाराधारिणीकल्प जुओ- वसुधारा, संस्कृत आर्यास्वरूप सं.. पाकाहेम १२०५१ पृ. १ आर्यास्वरूप वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ आर्थिकाप्रक्रम जुओ सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत, प्राकृत आर्धमीयचरित्रमहाकाव्य सं., पद्य, तालाव ३९१-३, पृ. १६ आर्षभीयचरित महाकाव्य अपूर्ण अपूर्ण प्रत विशेष - सर्ग-४ श्लोक - १६६ तक है. कुल झे. पृष्ठ- १७, डीवीडी- ९४ / २६ - आलापकसङ्ग्रह प्रा... पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ७, पृ. १४-२०, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झ. पृष्ठ-५० आलापकसङ्ग्रह जुओ भगवतीसूत्र (प्रा.सं.) आलापकसङ्ग्रह, प्राकृत, संस्कृत आलोक टीका जुओ तत्त्वचिन्तामणी (सं.) आलोक टीका, जैनेतर जयदेव संस्कृत आलोचनाप्रकीर्णक आचार्य - सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा. १२२, पाकाहेम ७९४९ पृ. ४, आलोचना प्रकीर्णक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-४ आलोचनाविधि (सं.) टिप्पण आलोचनाविधि आदि सं.. पाकाहेम १०३२६, पृ. ३. आलोचनाविधि आदि, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ आचार्य भुवनरत्नाचार्य, सं. गद्य, पाकाहेम ७९४८- पे.क्र. ३, पृ. ३-१३, श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण आदि, वि-१६००, संपूर्ण पे. नाम- आलोचनादान टिप्पणक कुल हो. पृष्ठ १० 68 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आवश्यक आदि विचारगाथा प्रा., पद्य, पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १७, पृ. १४३-१५३, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० आवश्यक द्विपञ्चाशिका (आवश्यक बावनी) मारुगूर्जर, पद्य, गा.५२, पाकाहेम १०७९७, पृ. ३, आवश्यकद्विपञ्चाशिका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय आवश्यक बावनी जुओ - आवश्यक द्विपञ्चाशिका, मारुगूर्जर, गा.५२ आवश्यक स्वरूप प्रा., पद्य, गा.३१७, आदि वाक्यः जह गणहरेहिं भणियं सुत्तम्मि तहा परम्पराणुगयं... पातासंघवी १६४- पे.क्र. ३, पृ. १२१-१५५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ आवश्यकनियुक्ति जुओ - आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.३१००, गा.२५०० आवश्यकनियुक्ति उद्धार (आवश्यकनियुक्ति सक्षेप) प्रा., पाताहेसं १२०, पृ. ८३, आवश्यकनियुक्ति (गाथोद्धार), संपूर्ण प्रत विशेष- गा.नं. ५७/६मां षडावश्यक उद्धार एम नाम छे. डीवीडी-७/१७ आवश्यकनियुक्ति सक्षेप जुओ - आवश्यकनियुक्ति उद्धार, प्राकृत आवश्यकप्रतिलेखनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः मुहणन्तयदोहावस्सएणं... पाताखेत ५- पे.क्र. ९, पृ. १५७-१६१, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ आवश्यकविधि प्रकरण गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१४०, पातासंघवी ७२-२- पे.क्र.२, पृ. ८-२४, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० आवश्यकसप्ततिका (पाक्षिकसप्ततिका) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७०, आदि वाक्यः देविन्दविन्दवन्दियपयपउमं वन्दिउं जिणं वीरं... भांता ६९- पे.क्र.२, पृ. १०B-१७B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ आवश्यकसूत्र आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., संयुक्त प+ग, पाताखेत १७-२- पे.क्र. ३, पृ. ६३-६८, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण पे. नाम- आवश्यकसूत्रसंग्रह, पे. विशेष- करेमि भन्ते, वंदित्तु, आयरिय उवज्झाय व नाणंमिसूत्र. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५८, पृ. १६५-१७९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दन वन्दनक विवरण वृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ६५५६, पृ. २३९, आवश्यकसूत्र लघुवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४० 69 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७५१४, पृ. ५२३, आवश्यकसूत्र हारिभद्रीया वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२५००. कुल झे.पृष्ठ-५२३ पाकाहेम १०३५२, पृ. १५३, आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह प्रथमखण्ड, वि-१५९०, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०३५३, पृ. २१४, आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह द्वितीयखण्ड, वि-१५९२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- क्रमांक १०३५२ अने १०३५३ ना ग्रं.२२००० छे. १०३५३मां पत्र ३६-३७ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-२१४ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति (आवश्यकनियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२५००, ग्रं.३१००, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी वियाणओ जगगुरू जगाणन्दो।... कृ.विः आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. पाताखेत १२- पे.क्र. ११, पृ. १४०-१५७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- वन्दननियुक्ति, पे. विशेष- गाथा-१८९. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५६, पृ. २१२, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-२- पे.क्र. ३, पृ. ?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती छे., पत्र-१३५+१५. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५२-१, पृ. १७१, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां कल्पसूत्र लख्युं छे. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ३७, पृ. १५९, आवश्यकनियुक्ति, वि-११९१, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५७/५९ पातासंघवीजीर्ण ५४- पे.क्र. १, पृ. १-२०९, आवश्यकनियुक्ति आदि, त्रुटक पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- अपूर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ४, पृ.?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ९०- पे.क्र. १, पृ. १-१६७, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी १६६- पे.क्र. १०, पृ. ३३-९९, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६२-१- पे.क्र. १, पृ. १-७३, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. १, पृ. १-११७, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण 70 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६८-४, पृ. २०२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१२१२, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत ११९१ आप्यो छे. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. २१, पृ. १-१६५, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ३८ थी ६४, ६६ थी १५०(?) डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १७१-१, पृ. १७३, आवश्यकनियुक्ति, वि-१२९७, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २००-२- पे.क्र. २, पृ.१-१३१, जीवसमास आदि, वि-११९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३५ पछी नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ८९, पृ. ३३८, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १५२, पृ. २२७, आवश्यकनियुक्ति, वि-१४००, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १७७- पे.क्र. १, पृ. १-२३२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१३९२, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तरंग संधिनो उल्लेख गायकवाड केटलॉगमां छे. डीवीडी-९/१९ डतामुक्ता ४६३, पृ. ६४, आवश्यक नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ अताका ४७०, पृ.?, आवश्यकसूत्र नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (देवसा नो पाडो) (क्र.६०१) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५२६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम ६५७४, पृ. ४५, आवश्यकसूत्र नियुक्ति, वि-१४८१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ७५०९, पृ. ४१, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१४६३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३३००. कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १००६४, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे. पाकाहेम १००६६, पृ. ३७०, आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य-शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण - प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३७० पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०.. पाकाहेम १०३६९, पृ. ४२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाभाभा १७, पृ. ६२, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- जलथी भींजायेली. भांका १९६, पृ. ३५, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१४८३, संपूर्ण Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१००२., गाथा-३२९४. डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति-(सं.)टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ४, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका), (आवश्यकसूत्रनियुक्तिनी दीपिका टीका) आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीआवश्यकसूत्रनियुक्ति विषयः प्रायोदुर्गपदार्थः... पाकाहेम १०४८४, पृ. १७६, आवश्यकनियुक्ति दीपिका, वि-१५०६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भींजाई जवाथी सहेज चोंटी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-१७६ भांका २२०, पृ. ४२३, आवश्यकसूत्रनियुक्तिदीपिका, वि-१६३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९६. डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १९१, पृ. २६१, आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी, वि-१३९१, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति पत्र-१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३ एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णी आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४०, ग्रं.९००५, आदि वाक्यः (१) जयति इन्द्रियविषयकषायघातिकर्म...(२) प्रणिपत्य जिनंवरेन्द्रा वीरं श्रुतदेवता... पाकाहेम १०४८५, पृ. १३१, आवश्यकनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. ___कुल झे.पृष्ठ-१३१ भांका १६३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्र-निर्युक्त्यवचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९३. डीवीडी-८६ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, भांका ३०३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्रनिर्युक्त्यवचूर्णि, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९८. आदि अने अन्तनी पत्रो नथी. डीवीडी-९२ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनो हिस्सो @ (उपपातनियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाताखेत २४-२- पे.क्र. २, पृ. ६१A-७४B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण 72 Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- उपपातनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ३, पृ. ७४B-८३B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- नमस्कारनियुक्ति (णमोक्कार णिज्जुत्ति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ४, पृ. ८३B-८९A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- सामायिकनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.५, पृ. ८९०-९३A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिस्तवनियुक्ति (चउवीसत्थयज्झयण) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.६, पृ. ९३A-१०५B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- वन्दनकनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.७, पृ. १०५B-१०९A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- प्रतिक्रमणाध्ययन (प्रतिक्रमणनियुक्ति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ९, पृ. १११B-१३७A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- पारिष्ठापनिकानियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. १०, पृ. १३७A-१४०B-, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- असज्झायनिज्जुत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त भाग के पत्र नहीं है. प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ आवश्यकनियुक्ति उद्धार (आवश्यकनियुक्ति सक्षेप) प्रा.. पाताहेसं १२०, पृ. ८३, आवश्यकनियुक्ति (गाथोद्धार), संपूर्ण प्रत विशेष- गा.नं. ५७/६मां षडावश्यक उद्धार एम नाम छे. डीवीडी-७/१७ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, पाकाहेम १००६६, पृ. ३७०, आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य-शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३७० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः (१) काऊण नमोक्कारं तिथयराणं तिलोयम(२) नमो अरहन्ताणं।... काऊण नमोक्काहियाणं।... कृ.विः नियुक्ति ऊपर पण. पातासंघवी २४, पृ. ४०३, आवश्यकचूर्णि, वि-१३७७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावक अंबडनी खरीदेली. गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत १३६७. डीवीडी-२३/४२ पातासंघवी ८१, पृ. २७७, आवश्यकचूर्णी, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण डीवीडी-३२/५० पाताहेसं १५, पृ. २६४, आवश्यकसूत्रचूर्णि प्रथम खण्ड अपूर्ण, प्रतिअपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाकाहेम ६५७९, पृ. ३२८, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२८ पाकाहेम १००६५, पृ. २६१, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६२ भांका २७९, पृ. ३४६, आवश्यकसूत्र-नियुक्ति चूर्णि, वि-१७७४, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९०. डीवीडी-९० आवश्यकसूत्र-(सं.)शिष्यहितावृत्ति (शिष्यहितावृत्ति), (आवश्यकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति शिष्यहिता) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., गद्य, ग्रं.२२०००, आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनवरेन्द्रं वीरं श्रुतदेवतां गुरून् साधून्।... पाताखेत ६- पे.क्र. ५४, पृ. २५७-२६४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६, पृ. ५१६, आवश्यकवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रत्याख्यान पर्यन्त. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १७, पृ. ३२८, आवश्यकवृत्ति प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गा. के. नं. ३७मां विशेषावश्यकवृत्ति एम लखेल छे. डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १८, पृ. ४५२, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १९, पृ. २७७, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, वि-१४४२, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं २०, पृ. २८७, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड प्रत्याख्यान नियुक्ति विवरण, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३/१२ पाकाहेम ७५१४, पृ. ५२३, आवश्यकसूत्र हारिभद्रीया वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२५००. कुल झे.पृष्ठ-५२३ पाकाहेम १००६६, पृ. ३७०, आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य-शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३७० पाकाहेम १०३५२, पृ. १५३, आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह प्रथमखण्ड, वि-१५९०, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०३५३, पृ. २१४, आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह द्वितीयखण्ड, वि-१५९२, प्रतिपूर्ण 74 Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष क्रमांक १०३५२ अने १०३५३ ना ग्रं. २२००० छे. १०३५३मां पत्र ३६-३७ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ- २१४ पाकाहेम १४७९१ पृ. ३२५ आवश्यकसूत्र बृहद्वृत्ति- शिष्यहिता वि-१४७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - २२००० पत्र १६४मुं नथी. कुल झ. पृष्ठ-३१७ पाकाहेम १४८६६, पृ. ३२५, आवश्यकसूत्रबृहद्वृत्ति ( शिष्यहिता), वि-१६६७, संपूर्ण प्रत विशेष परिमाण श्लोक संख्या २२००० आपेल छे. आवश्यक सूत्रना (सं.) शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.) प्रदेशव्याख्या टिप्पण (प्रदेशव्याख्या टिप्पणक) आचार्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं. गद्य ग्रं. ४६४०, आदि वाक्य जगत्त्रयमतिक्रम्य स्थिता यस्य पदत्रयी .... " " पातासंघवी १२३-१, पृ. १८९ आवश्यक टिप्पण, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष - जीर्ण थई गई छे. डीवीडी-३४/५२ यताकांति ३९८ पृ. २१८ आवश्यकवृत्तिप्रदेश- व्याख्या, टीप्पणक, संपूर्ण डीवीडी-९७ / ९८ पाकाहेम ६५२७, पृ. ८०, आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम ६५५७, पृ. ६६, आवश्यकसूत्र वृत्तिटिप्पनक, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र-४४२०. कुल झे. पृष्ठ-६६ पाकाहेम १००६७, पृ. ६१ आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३७०, पृ. ५५ आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या - टिप्पनक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५६ आवश्यक सूत्र-(सं.) लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९६, श्लोक १२३२५, आदि वाक्यः (१) यो मन्दरागेण न मन्थितोऽपि न वा नरैः क्वाऽपि विलङ्घितोऽपि ...(२) देवः श्रीनाभिसूनुर्जनयतु स शिवं....... पातासंघवी २३- पे. क्र. १ पृ. १-१८१ आवश्यक लघुवृत्ति, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति सारी छे. डीवीडी - २३ / ४१ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५८ पृ. १७९-१८४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दन वन्दनक विवरण वृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ६५५६, पृ. २३९ आवश्यकसूत्र लघुवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २४० पाकाहेम १०३४८, पृ. ९ चैत्यवन्दन प्रत्याख्यान श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ७५०. कुल झे. पृष्ठ-६ आवश्यक सूत्र - ( सं .) बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपद पर्याय विभाग-२ सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १७, पृ. ३२-४६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८४ आवश्यक सूत्र- (सं.) वृत्ति आचार्य तिलकसुरि, सं. गद्य, "" पातासंघवी २३- पे.क्र. २. पृ. १८१-३६०, आवश्यक लघुवृत्ति, वि-१४८६. संपूर्ण 75 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति सारी छे. डीवीडी-२३/४१ आवश्यकसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४०, कृ.विः नियुक्तिनी अवचूरि? पाकाहेम १०४८६, पृ. ४३, आवश्यकसूत्रावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं डहल छे. कुल झे.पृष्ठ-४३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)चैत्यवन्दनासूत्र* (चैत्यवन्दनासूत्र) प्रा., भांता ६९- पे.क्र. १४, पृ. १२०B-१२५A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रमा आपेल १३ थी २४ सुधीना पेटांक चैत्यवन्दनासूत्र अन्तर्गत लई लीधा छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनासूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, ग्रं.८४०, आदि वाक्यः इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए इत्यादि जाव तस्स मिच्छामि दुक्कडं ति एयस्स..... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. १, पृ. १-१७८, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र-(सं.)ललितविस्तरावृत्ति (ललितविस्तरावृत्ति), (चैत्यवन्दनसूत्र व्याख्या) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य भुवनालोकं महावीरं जिनोत्तमं... पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. १, पृ. १२, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. १, पृ. १-८८, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ४-५-९-१५-१६-४०-६४ थी ६६-६८-७३-८० नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६०, पृ. ४६, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनसूत्रटीका , संपूर्ण डीवीडी-८/१८ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका-(सं.)पज्जिका टीका (ललितविस्तरापञ्जिका टीका), (पञ्जिका टीका) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२०५०, आदि वाक्यः नत्वानुयोगवृद्धेभ्यश्चैत्यवन्दन... पातासंघवी १६३, पृ. २७१, ललितविस्तरापञ्जिका, वि-१२८९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. २, पृ. ८९-२२९, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ९८-९९-१२०-१३६-१४३-१५३ थी १६७ नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ९९, पृ. ५२, ललितविस्तरापञ्जिकावृत्ति अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ भांता ६६, पृ. २४८, ललितविस्तरापञ्जिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८४६. डीवीडी-७२/८२ चैत्यवन्दनासूत्र-(मा.गु.)गाथार्थ मारुगूर्जर, गद्य, 16 Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डतामुक्ता ४५१, पृ. ४, चैत्यवन्दन गाथार्थ, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो वन्दनकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.७०७, आदि वाक्यः सुयसागरपारगए अणुओगधरेऽभिवन्दिय मुणिन्दे । पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. २, पृ. ?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान* (चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यानभाष्य) प्रा., पातासंघवी १६६- पे.क्र. १, पृ. १-५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनक प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यान-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५५०, आदि वाक्यः श्रीवीरजिनवरेन्द्रं वन्दित्वा चैत्यवन्दनादीनि... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. १, पृ. १-५८, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(प्रा.)चूर्णि आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, गा.३२९, ग्रं.४००, आदि वाक्यः तवझाणानलनिद्दड्ढदुट्ठकम्मिन्धणं जिणं नमिउं।... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. ३, पृ.?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.५५०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५९, पृ. १७९-१८४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ प्रत्याख्यानभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०४३७, पृ. ३, प्रत्याख्यानभाष्य अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ प्रत्याख्यानपदपर्यायमञ्जरी आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९४४- पे.क्र.३, पृ. ?, चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि, वि-१५०१, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ आवश्यकसूत्र जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र, प्राकृत,संस्कृत आवश्यकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः (१) काऊण नमोक्कारं तिथयराणं तिलोयम(२) नमो अरहन्ताणं।... काऊण नमोक्काहियाणं।... कृ.विः नियुक्ति ऊपर पण. पातासंघवी २४, पृ. ४०३, आवश्यकचूर्णि, वि-१३७७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावक अंबडनी खरीदेली. गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत १३६७. डीवीडी-२३/४२ 77 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ८१, पृ. २७७, आवश्यकचूर्णी, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण डीवीडी-३२/५० पाताहेसं १५, पृ. २६४, आवश्यकसूत्रचूर्णि प्रथम खण्ड अपूर्ण, प्रतिअपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाकाहेम ६५७९, पृ. ३२८, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२८ पाकाहेम १००६५, पृ. २६१, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६२ भांका २७९, पृ. ३४६, आवश्यकसूत्र-नियुक्ति चूर्णि, वि-१७७४, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९०. डीवीडी-९० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति (आवश्यकनियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२५००, ग्रं.३१००, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी वियाणओ जगगुरू जगाणन्दो।.... कृ.विः आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. पाताखेत १२- पे.क्र. ११, पृ. १४०-१५७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- वन्दननियुक्ति, पे. विशेष- गाथा-१८९. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५६, पृ. २१२, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-२- पे.क्र. ३, पृ. ?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती छे., पत्र-१३५+१५. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५२-१, पृ. १७१, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां कल्पसूत्र लख्युं छे. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ३७, पृ. १५९, आवश्यकनियुक्ति, वि-११९१, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५७/५९ पातासंघवीजीर्ण ५४- पे.क्र. १, पृ. १-२०९, आवश्यकनियुक्ति आदि, त्रुटक पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- अपूर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ४, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ९०- पे.क्र. १, पृ. १-१६७, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३२/५१ 78 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १६६- पे.क्र. १०, पृ. ३३-९९, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६२१- पे.क्र. १ पृ. १७३ आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी - ३० / ४९ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. १ पृ. १-११७ आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६८-४, पृ. २०२, आवश्यकनिर्युक्ति, वि - १२१२, संपूर्ण प्रत विशेष गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत ११९१ आप्यो छे. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे. क्र. २१, पृ. १-१६५, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ३८ थी ६४, ६६ थी १५० (?) डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १७१-१, पृ. १७३ आवश्यकनिर्युक्ति, वि-१२९७, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २००-२- पे. क्र. २, पृ. १-१३१, जीवसमास आदि, वि - ११९८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३५ पछी नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहे ८९ पृ. ३३८ आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहे १५२ पृ. २२७ आवश्यकनिर्युक्ति, वि-१४००, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १७७ पे.क्र. १ पृ. १-२३२ आवश्यकनियुक्ति, वि-१३९२, संपूर्ण प्रत विशेष - अन्तरंग संधिनो उल्लेख गायकवाड केटलॉगमां छे. डीवीडी-२/१९ डतामुक्ता ४६३, पृ. ६४ आवश्यक निर्युक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष जम्बो डीवीडी - १०१ / १०२ अताका ४७०, पृ. ?, आवश्यकसूत्र निर्युक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - पृष्ठ माहिती नथी. (देवसा नो पाडो) (क्र.६०१) डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम ६५२६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५४ पाकाहेम ६५७४, पृ. ४५, आवश्यकसूत्र निर्युक्ति, वि- १४८१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४५ पाकाहेम ७५०९, पृ. ४१, आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति, वि-१४६३, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र - ३३००. कुल झे. पृष्ठ-४१ पाकाहेम १००६४, पृ. ५३ आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण - प्रत विशेष- प्रथम क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवुं चित्र छे. पाकाहेम १००६६, पृ. ३४० आवश्यक सूत्रनिर्युक्ति-भाष्य-शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र- २२००० प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-३७० पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण 79 Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. पाकाहेम १०३६९, पृ. ४२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाभाभा १७, पृ. ६२, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- जलथी भींजायेली. भांका १९६, पृ. ३५, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१४८३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१००२., गाथा-३२९४. डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति-(सं.)टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र. ४, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका), (आवश्यकसूत्रनियुक्तिनी दीपिका टीका) आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीआवश्यकसूत्रनियुक्ति विषयः प्रायोदुर्गपदार्थः... पाकाहेम १०४८४, पृ. १७६, आवश्यकनियुक्ति दीपिका, वि-१५०६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाई जवाथी सहेज चोंटी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-१७६ भांका २२०, पृ. ४२३, आवश्यकसूत्रनियुक्तिदीपिका, वि-१६३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९६. डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १९१, पृ. २६१, आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी, वि-१३९१, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति पत्र-१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३ एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णी आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४०, ग्रं.९००५, आदि वाक्यः (१) जयति इन्द्रियविषयकषायघातिकर्म...(२) प्रणिपत्य जिनंवरेन्द्रा वीरं श्रुतदेवता... पाकाहेम १०४८५, पृ. १३१, आवश्यकनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-१३१ भांका १६३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्र-निर्युक्त्यवचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९३. डीवीडी-८६ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, 80 Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका ३०३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्रनिर्युक्त्यवचूर्णि, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९८. आदि अने अन्तनी पत्रो नथी. डीवीडी-९२ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनो हिस्सो @ (उपपातनियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाताखेत २४-२- पे.क्र.२, पृ. ६१A-७४B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- उपपातनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ३, पृ. ७४B-८३B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- नमस्कारनियुक्ति (णमोक्कार णिज्जुत्ति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ४, पृ. ८३B-८९A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- सामायिकनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.५, पृ. ८९०-९३A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिस्तवनियुक्ति (चउवीसत्थयज्झयण) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.६, पृ. ९३A-१०५, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- वन्दनकनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. __कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.७, पृ. १०५B-१०९A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- प्रतिक्रमणाध्ययन (प्रतिक्रमणनियुक्ति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.९, पृ. १११B-१३७A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- पारिष्ठापनिकानियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. १०, पृ. १३७A-१४०B-, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- असज्झायनिज्जुत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त भाग के पत्र नहीं है. प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ आवश्यकनियुक्ति उद्धार (आवश्यकनियुक्ति सड़क्षेप) प्रा., पाताहेसं १२०, पृ. ८३, आवश्यकनियुक्ति (गाथोद्धार), संपूर्ण प्रत विशेष- गा.नं. ५७/६मां षडावश्यक उद्धार एम नाम छे. डीवीडी-७/१७ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति-(सं.)टीका 81 Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ४, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक निर्युक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है, यही कृति होने की संभावना है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है.. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ ९०, डीवीडी-५८/६० आवश्यक सूत्र - (प्रा.) निर्युक्तिनी (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका). (आवश्यकसूत्रनिर्युक्तिनी दीपिका टीका ) आचार्य माणिक्यशेखरसूरि गुरु आचार्य मेरुतुद्ङ्गसूरि[ अंचलगच्छीय (विधि] सं. गद्य, आदि वाक्यः ., श्री आवश्यक सूत्रनिर्युक्ति विषयः प्रायोदुर्गपदार्थः.... पाकाहेम १०४८४, पृ. १७६, आवश्यकनिर्युक्ति दीपिका, वि-१५०६, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीमां भींजाई जवाथी सहेज चोटी गई छे. कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ- १७६ भांका २२०, पृ. ४२३ आवश्यकसूत्रनिर्युक्तिदीपिका, वि-१६३३, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१०९६. डीवीडी-८७ आवश्यक सूत्र - (प्रा.) नियुक्तिनी (सं.) अवचूर्णी आचार्य ज्ञानसागरसूरि, सं. गद्य रचना सं. विक्रम १४४० नं.९००५ आदि वाक्यः (१) जयति इन्द्रियविषयकषायधातिकर्म.. (२) प्रणिपत्य जिनंवरेन्द्रा वीरं श्रुतदेवता..... पाकाहेम १०४८५, पृ. १३१, आवश्यकनिर्युक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल हो. पृष्ठ- १३१ भांका १६३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्र - निर्युक्त्यवचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१०९३. - डीवीडी-८६ आवश्यक सूत्र - (प्रा.) नियुक्तिनी (सं.) अवचूर्णि सं. गद्य, भांका ३०३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्रनिर्युक्त्यवचूर्णि, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १- १०९८ आदि अने अन्तनी पत्रो नथी. डीवीडी-९२ आवश्यक सूत्र - (प्रा.) नियुक्तिनो हिस्सो @ (उपपातनिर्युक्ति) आचार्य भद्रबाहुस्वामी, प्रा.. पाताखेत २४-२- पे.क्र. २, पृ. ६१-७४B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनिर्युक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम - उपपातनिर्युक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी... कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ३. पृ. ७४B-८३B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनिर्युक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- नमस्कारनिर्युक्ति (णमोक्कार णिज्जुति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी.. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ४ पृ. ८३B ८९A दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनिर्युक्तिसङ्ग्रह अपूर्ण पे. नाम सामायिकनिर्युक्ति प्रत विशेष बच्चेना २० पाना नथी. कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-६१/६३ 82 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत २४-२- पे.क्र.५, पृ. ८९०-९३A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिस्तवनियुक्ति (चउवीसत्थयज्झयण) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. ___ कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. ६, पृ. ९३A-१०५B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- वन्दनकनियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.७, पृ. १०५B-१०९A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- प्रतिक्रमणाध्ययन (प्रतिक्रमणनियुक्ति) प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र.९, पृ. १११B-१३७A, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- पारिष्ठापनिकानियुक्ति प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २४-२- पे.क्र. १०, पृ. १३७A-१४०B-, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- असज्झायनिज्जुत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त भाग के पत्र नहीं है. प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, पाकाहेम १००६६, पृ. ३७०, आवश्यकसूत्रनियुक्ति-भाष्य-शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२०००. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३७० आवश्यकसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४०, कृ.विः नियुक्तिनी अवचूरि? पाकाहेम १०४८६, पृ. ४३, आवश्यकसूत्रावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुंडहल छे. कुल झे.पृष्ठ-४३ आवश्यकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति शिष्यहिता जुओ - आवश्यकसूत्र-(सं.)शिष्यहितावृत्ति, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.२२००० आवश्यकसूत्र-(सं.)बृहद्धृत्तिनो (सं.)विषमपद पर्याय, , विभाग-२ सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १७, पृ. ३२-४६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ आवश्यकसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति । आचार्य-तिलकसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९६, श्लोक१२३२५, आदि वाक्यः (१) यो मन्दरागेण न मन्थितोऽपि न वा नरैः क्वाऽपि विलङ्घितोऽपि...(२) देवः श्रीनाभिसूनुर्जनयतु स शिवं..... पातासंघवी २३- पे.क्र. १, पृ. १-१८१, आवश्यक लघुवृत्ति, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति सारी छे. डीवीडी-२३/४१ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ५८, पृ. १७९-१८४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दन वन्दनक विवरण वृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ६५५६, पृ. २३९, आवश्यकसूत्र लघुवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २४० पाकाहेम १०३४८, पृ. ९. चैत्यवन्दन प्रत्याख्यान श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति, वि-१५मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र- ७५०. कुल डी. पृष्ठ-६ आवश्यक सूत्र- (सं.) वृत्ति आचार्य - तिलकसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी २३- पे.क्र. २, पृ. १८१-३६०, आवश्यक लघुवृत्ति, वि- १४८६, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति सारी छे. डीवीडी-२३/४१ आवश्यकसूत्र-(सं.)शिष्यहितावृत्ति ( शिष्यहितावृत्ति), (आवश्यक सूत्र - ( सं .) बृहद्वृत्ति शिष्यहिता) " आचार्य हरिभद्रसूरि सं. प्रा. गद्य नं. २२०००, आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनवरेन्द्र वीरं श्रुतदेवतां गुरून् साधून्।.... पाताखेत ६- पे.क्र. ५४, पृ. २५७-२६४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष शुद्ध प्रति. - कुल झे. पृष्ठ- ११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६, पृ. ५१६, आवश्यकवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रत्याख्यान पर्यन्त विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२/१२ पाताहे १७ पृ. ३२८ आवश्यकवृत्ति प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण T प्रत विशेष - गा. के. नं. ३७मां विशेषावश्यकवृत्ति एम लखेल छे. डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १८, पृ. ४५२, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १९, पृ. २७७, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, वि-१४४२, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं २०, पृ. २८७, आवश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड प्रत्याख्यान निर्युक्ति विवरण, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३/१२ पाकाहेम ७५१४, पृ. ५२३ आवश्यकसूत्र हारिभद्रीया वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२५००. कुल झे. पृष्ठ-५२३ पाकाहेम १००६६, पृ. ३७०, आवश्यकसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य - शिष्यहितावृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२००० प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे. पत्र २८४मु डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-३७० पाकाहेम १०३५२, पृ. १५३ आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह प्रथमखण्ड वि १५९० प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०३५३, पृ. २१४ आवश्यकसूत्र शिष्यहितावृत्ति सह द्वितीयखण्ड, वि-१५९२ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष क्रमांक १०३५२ अने १०३५३ ना ग्रं. २२००० छे. १०३५३मां पत्र ३६-३७ मेगा छे. - कुल झे. पृष्ठ-२१४ पाकाहेम १४७९१, पृ. ३२५, आवश्यकसूत्र बृहद्वृत्ति - शिष्यहिता, वि- १४७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - २२००० पत्र १६४मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ-३१७ पाकाहेम १४८६६, पृ. ३२५ आवश्यकसूत्रबृहद्वृत्ति ( शिष्यहिता), वि-१६६७, संपूर्ण 84 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या २२००० आपेल छे. आवश्यकसूत्रना (सं.)शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.)प्रदेशव्याख्या टिप्पण (प्रदेशव्याख्या टिप्पणक) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.४६४०, आदि वाक्यः जगत्त्रयमतिक्रम्य स्थिता यस्य पदत्रयी।... पातासंघवी १२३-१, पृ. १८९, आवश्यक टिप्पण, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण थई गई छे. डीवीडी-३४/५२ वताकांति ३९८, पृ. २१८, आवश्यकवृत्तिप्रदेश-व्याख्या, टीप्पणक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ६५२७, पृ. ८०, आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम ६५५७, पृ. ६६, आवश्यकसूत्र वृत्तिटिप्पनक, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४२०. कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १००६७, पृ. ६१, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३७०, पृ. ५५, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या-टिप्पनक , वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १९१, पृ. २६१, आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी, वि-१३९१, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति पत्र-१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३ एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. आवश्यकसूत्रना (सं.)शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.)प्रदेशव्याख्या टिप्पण (प्रदेशव्याख्या टिप्पणक) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.४६४०, आदि वाक्य: जगत्रयमतिक्रम्य स्थिता यस्य पदत्रयी।... पातासंघवी १२३-१, पृ. १८९, आवश्यक टिप्पण, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण थई गई छे. डीवीडी-३४/५२ वताकांति ३९८, पृ. २१८, आवश्यकवृत्तिप्रदेश-व्याख्या, टीप्पणक, संपूर्ण __ डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ६५२७, पृ. ८०, आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम ६५५७, पृ. ६६, आवश्यकसूत्र वृत्तिटिप्पनक, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४२०. कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १००६७, पृ. ६१, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३७०, पृ. ५५, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या-टिप्पनक , वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ आवश्यकसूत्रनियुक्तिनी दीपिका टीका जुओ - आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका, आचार्य माणिक्यशेखरसूरि, संस्कृत 85 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आवश्यकसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)चैत्यवन्दनासूत्र (चैत्यवन्दनासूत्र) प्रा.. भांता ६९- पे.क्र. १४, पृ. १२०B-१२५A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रमा आपेल १३ थी २४ सुधीना पेटांक चैत्यवन्दनासूत्र अन्तर्गत लई लीधा छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनासूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, ग्रं.८४०, आदि वाक्यः इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए इत्यादि जाव तस्स मिच्छामि दुक्कडं ति एयस्स..... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. १, पृ. १-१७८, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र-(सं.)ललितविस्तरावृत्ति (ललितविस्तरावृत्ति), (चैत्यवन्दनसूत्र व्याख्या) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य भुवनालोकं महावीरं जिनोत्तमं... पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. १, पृ. १२, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. १, पृ. १-८८, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ४-५-९-१५-१६-४०-६४ थी ६६-६८-७३-८० नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६०, पृ. ४६, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनसूत्रटीका , संपूर्ण डीवीडी-८/१८ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका-(सं.)पञ्जिका टीका (ललितविस्तरापञ्जिका टीका), (पञ्जिका टीका) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२०५०, आदि वाक्यः नत्वानुयोगवृद्धेभ्यश्चैत्यवन्दन... पातासंघवी १६३, पृ. २७१, ललितविस्तरापञ्जिका, वि-१२८९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. २, पृ. ८९-२२९, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ९८-९९-१२०-१३६-१४३-१५३ थी १६७ नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ९९, पृ. ५२, ललितविस्तरापञ्जिकावृत्ति अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ भांता ६६, पृ. २४८, ललितविस्तरापञ्जिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८४६. डीवीडी-७२/८२ चैत्यवन्दनासूत्र-(मा.गु.)गाथार्थ मारुगूर्जर, गद्य, डतामुक्ता ४५१, पृ. ४, चैत्यवन्दन गाथार्थ, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान* (चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यानभाष्य) प्रा., पातासंघवी १६६- पे.क्र.१, पृ. १-५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनक प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ 86 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यान-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५५०, आदि वाक्यः श्रीवीरजिनवरेन्द्रं वन्दित्वा चैत्यवन्दनादीनि... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. १, पृ. १-५८, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र-(सं.)ललितविस्तरावृत्ति (ललितविस्तरावृत्ति), (चैत्यवन्दनसूत्र व्याख्या) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य भुवनालोकं महावीरं जिनोत्तमं... पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. १, पृ. १२, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. १, पृ. १-८८, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ४-५-९-१५-१६-४०-६४ थी ६६-६८-७३-८० नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६०, पृ. ४६, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनसूत्रटीका , संपूर्ण डीवीडी-८/१८ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका-(सं.)पञ्जिका टीका (ललितविस्तरापञ्जिका टीका), (पञ्जिका टीका) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२०५०, आदि वाक्यः नत्वानुयोगवृद्धेभ्यश्चैत्यवन्दन... पातासंघवी १६३, पृ. २७१, ललितविस्तरापञ्जिका, वि-१२८९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. २, पृ. ८९-२२९, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ९८-९९-१२०-१३६-१४३-१५३ थी १६७ नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ९९, पृ. ५२, ललितविस्तरापञ्जिकावृत्ति अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ भांता ६६, पृ. २४८, ललितविस्तरापञ्जिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८४६. डीवीडी-७२/८२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनासूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, ग्रं.८४०, आदि वाक्यः इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए इत्यादि जाव तस्स मिच्छामि दुक्कडं ति एयस्स..... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. १, पृ. १-१७८, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका-(सं.)पञ्जिका टीका (ललितविस्तरापञ्जिका टीका), (पञ्जिका टीका) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२०५०, आदि वाक्यः नत्वानुयोगवृद्धेभ्यश्चैत्यवन्दन... पातासंघवी १६३, पृ. २७१, ललितविस्तरापञ्जिका, वि-१२८९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९२-२- पे.क्र. २, पृ. ८९-२२९, ललितविस्तरा तथा ललितविस्तरापञ्जिका, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ९८-९९-१२०-१३६-१४३-१५३ थी १६७ नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ९९, पृ. ५२, ललितविस्तरापञ्जिकावृत्ति अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ६६, पृ. २४८, ललितविस्तरापञ्जिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-८४६. डीवीडी-७२/८२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.५५०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५९, पृ. १७९-१८४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(प्रा.)चूर्णि आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, गा.३२९, ग्रं.४००, आदि वाक्यः तवझाणानलनिद्दड्ढदुट्ठकम्मिन्धणं जिणं नमिउं।... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. ३, पृ. ?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो वन्दनकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.७०७, आदि वाक्यः सुयसागरपारगए अणुओगधरेऽभिवन्दिय मुणिन्दे । पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. २, पृ. ?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आशातनासमास आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७३, आदि वाक्यः आसायणायणासण सोहिय समत्तनाणचरणगुणो... भांता ६९- पे.क्र. ३, पृ. १७B-२६B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- कृतिनाम आपेल नथी. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ आशाराजस्तवन जुओ - कल्याणकस्तोत्र, अज्ञात-आसराज, संस्कृत, श्लोक३२ आश्चर्ययोगमाला (योगरत्नमाला), (योगमाला) आचार्य-नागार्जुन, सं., पद्य, श्लोक१४०, आदि वाक्यः विमलमतिकिरणनिकर... कृ.विः कौतुक ग्रन्थ. भांका १६०, पृ. ७, आश्चर्ययोगमाला विवृत्ति सहित, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-७६५/९५-१९०२, सूचीपत्रक्रम-२-१७३. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८६ आश्चर्ययोगमाला-(सं.)सुखबोधा विवृत्ति (सुखबोधा टीका), (योगमाला-(सं.)लघुवृत्ति) आचार्य-गुणाकरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९६, आदि वाक्यः गुरुचरणकमलममलां प्रणम्य नागार्जुन प्रणीतायाः... भांका १६०, पृ.७, आश्चर्ययोगमाला विवृत्ति सहित, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-७६५/९५-१९०२, सूचीपत्रक्रम-२-१७३. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८६ आश्चर्ययोगमाला-(सं.)सुखबोधा विवृत्ति (सुखबोधा टीका), (योगमाला-(सं.)लघुवृत्ति) आचार्य-गुणाकरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९६, आदि वाक्यः गुरुचरणकमलममलां प्रणम्य नागार्जुन प्रणीतायाः... भांका १६०, पृ. ७, आश्चर्ययोगमाला विवृत्ति सहित, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-७६५/९५-१९०२, सूचीपत्रक्रम-२-१७३. ___ कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८६ आश्रव, बन्ध, उदय, उदीरणा, सत्ता, भाव, त्रिभङ्गीविषयक यन्त्रो पाकाहेम १४८०१, पृ. ९६, आश्रव-बन्ध-उदय-उदीरणा-सत्ता-भावत्रिभङ्गीविषयकयन्त्रो, वि-१८मी, संपूर्ण 88 Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आसराजादिप्रबन्ध पं. रविवर्धन, सं., कुल झे. पृष्ठ-९६ कृ.विः पं.रविवर्धन लिखित कपर्दियक्ष १, आसराजर, भर्तृहरि३, मानतुंगसूरि४, अभयदेवसूरि५, मोरनाग६, अम्बिका, नागार्जुन, सांतु‍, वसाह१०, आमड११ यशोवर्मनृप१२, सिद्धर्षि१३ माघपण्डित १४ वादिदेवसूरि१५ अने जिनप्रमसूरि १६नां प्रबन्धो छे. पाकाहेम ७९९८, पृ. ७, आसराजादिप्रबन्ध, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १२ झे. आहारोपधिशय्या भावाधिकरणविचार इगुणतीसीभावना प्रा., गद्य, आदि वाक्यः आहारउवहिसिज्जा एयस्स विट्ठो उग्गमो इति यन्तडहिट्ठामणाइतियं.... कृ. वि. अं. वाक्य आहारे उवगरणे वि २७ सेज्जाए वि २९ सव्वे ८१ भंगाः बायालसि आहारदोसे एएहिं भंगेहिं साहू परिहरइ. भांता ७०- पे क्र. १०५, पृ. १४४A १४४B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम - वोदिकोच्चाटनवादस्थानक, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४५१. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ इतरसमुद्घात कृति उपरथी प्रत माहिती अप, पद्य, गा. २९. पाकाहेम १२१२४ - पे. क्र. ३८, पृ. १२६-१२८, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ-८१ सं., प्रा., गद्य, आदि वाक्यः केवलकसायमरणे वेयणा चउव्विहे य आहारे.... कृ.वि. अ. वाक्य-नारकानां दशधनुर्मानमुत्रवैक्रियं. भांता ७०- पे.क्र. ९०, पृ. १२६B - १२७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - इलापुत्रकथा प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ इन्द्रमालपरिधाने जगडुवणिक्सम्बन्ध जुओ जगडुवणिक्सम्बन्ध इन्द्रमालपरिधाने, संस्कृत श्लोक३३ इन्द्रियपराजयशतक प्रा.. - पद्य, पाकाहेम १०६२५- पे.क्र. १, पृ. १-८, इन्द्रियपराजयशतक तथा भववैराग्यशतक, वि-१६मी, संपूर्ण इरियावहीकुलक जुओ ईर्ष्यापथिकीकुलक, प्राकृत, मा. १३ इलदुर्गमण्डन युगादिजिनस्तवन जुओ- युगादिजिनस्तवन इलदुर्गमण्डन, आचार्य - मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, का. २४ इलाकुमारचोपाई आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७२१, पाकाहेम १०२२७, पृ. १३, इलाकुमारचोपाई, वि-१७६८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१३ सं., पद्य, श्लोक३६, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ७, पृ. २५-२६, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १८ 89 Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती इसिभासियाणं जुओ - ऋषिभाषितसूत्र, प्राकृत इसिभासियाणं सङ्गहणी जुओ - ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी, प्राकृत ईर्यापथिकीकुलक (इरियावहीकुलक) प्रा., पद्य, गा.१३, पाकाहेम ७७८१- पे.क्र. २, पृ.?, दानकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम ७७९५, पृ. १, ईर्यापथिकीकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ७७९७- पे.क्र. २, पृ.?, संवेगकुलक-अन्नायउञ्छकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२. ___कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम ११०६९, पृ. १, ईर्यापथिकीकुलक सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. ईर्यापथिकीकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०६९, पृ. १, ईर्यापथिकीकुलक सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. ईर्यापथिकीकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०६९, पृ. १, ईर्यापथिकीकुलक सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. ईर्यापथिकीमिथ्यादुष्कृतस्थानप्रकरण जुओ - ऋषिमण्डलप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.२२३ ईलातीपुत्रकथा भावनाविषये जुओ - भावनाविषये ईलातीपुत्रकथा, प्राकृत, श्लोक६८ ईश्वरकर्तृत्वप्रकरण मुनि-चन्द्रप्रभ, सं., पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. ५, पृ. ९३-९८, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ ईश्वरजगत्कतृत्ववादनिरासस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः इह केचिदित्थं प्रमाणयन्ति उर्वी... पाकाहेम ८७९२- पे.क्र. १, पृ. १-३, ईश्वरजगत्कर्तृत्ववादनिरास आदि, वि-१६मी, संपूर्ण ___कुल झे.पृष्ठ-६ ईश्वरनिराकरणवादस्थल सं., पाकाहेम ८७९०, पृ. ३, ईश्वरनिराकरणवादस्थल, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ ईश्वरवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः किं पुनरीश्वरसद्भावे प्रमाणमागमः... भांका २९२- पे.क्र. १०, पृ. १८A-१९B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण ____ कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ ईश्वरशिक्षाकुलक जुओ - ईसरशिक्षाकुलक, मारुगूर्जर, गा.२९ ईसरशिक्षाकुलक (ईश्वरशिक्षाकुलक) मारुगूर्जर, पद्य, गा.२९, पाकाहेम ९४३०, पृ. २, ईसरशिक्षाकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 90 Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ईहामृग जुओ रुक्मणीहरण ईहामृगा, कवि वत्सराज महामात्य, संस्कृत ग्रं. ५०८ उक्तित्रय समासषट्क षट्प्रत्ययमय जिनस्तवन जुओ देवा:प्रभोस्तोत्र, आचार्य जयानन्दसूरि, संस्कृत, का. ९ उक्तिरत्नाकर पं. साधुसुन्दर [ खरतर ], सं., मारुगूर्जर, पाकाहेम १२०१०, पृ. १६, उक्तिरत्नाकर, वि १७५० संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१२ उक्तिव्यक्तिकारिका " पण्डित दामोदर, सं. पद्य का. ५०, आदि वाक्यः नानाप्रपञ्चरचनाबहिकृतं सारभूतमेकं यत्... पातासंघवी १९०१ पे.क्र. १ पृ. १ ४ उक्तिव्यक्तिकारिका तथा उक्तिव्यक्तिवृत्ति, संपूर्ण उक्तिव्यक्तिकारिका- (सं.) वृत्ति · सं., गद्य, आदि वाक्यः गणानां नायकं नत्वा हेरम्बममितद्युतिं .... पातासंघवी १९०१ पे. क्र. २ पृ. ४६१, उक्तिव्यक्तिकारिका तथा उक्तिव्यक्तिवृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण.. उक्तिव्यक्तिकारिका- (सं.) वृत्ति - सं., गद्य, आदि वाक्यः गणानां नायकं नत्वा हेरम्बममितद्युतिं .... पातासंघवी १९०-१- पे. क्र. २, पृ. ४-६१, उक्तिव्यक्तिकारिका तथा उक्तिव्यक्तिवृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण., उक्तिसङ्ग्रह तिलक पण्डित, सं., पाकाहेम ८६०२, पृ. ६, उक्तिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ उट्ठउट्ठावणविही जुओ उत्थापनविधि, प्राकृत उत्तमराजचरित्रकथा गद्य सं., गद्य, कृ. विः वस्त्रदान उपर कथा. पाकाहेम ८०७४, पृ. १३, उत्तमराजचरित्रकथा गद्य - वस्त्रदानोपरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० उत्तमसेवायाम् दिवाकरकथा जुओ दिवाकरकथा उत्तमसेवायाम्, प्राकृत, गा. १३९ उत्तराध्ययन सूत्र आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. संयुक्त प+गअध्याय३६. ग्रं. २०९५, आदि वाक्यः सञ्जोगाविष्यमुक्कस्य अणगारस्स भिक्खुणो..... पातासंघवीजीर्ण ९० पे. क्र. १२ पृ. २. कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम - उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. प्रत विशेष टक-अव्यवस्थित. - कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९४ पे.क्र. २. पृ. २, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष - झेरोक्ष पत्र ९ - २२, ३५-४४, ८३-९४ पर है. प्रत विशेष जीर्ण टक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९७- पे. क्र. १ पृ. ? उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक " पानां, संपूर्ण पे. नाम उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका, पे. विशेष पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ११ पे. क्र. १ पृ. १४७ उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण 91 Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२०५६., सारी. डीवीडी-२१/४० पातासंघवी १६६- पे.क्र. १३, पृ. १४७-१९४, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-३५००. प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६८- पे.क्र. १९, पृ. १३७-१९५, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ४-३, पृ. १०६, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-११७९, संपूर्ण __ डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ५७-२- पे.क्र. १, पृ. १-१५९, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, वि-१३८१, संपूर्ण प्रत विशेष- कागळमां. डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६७-३, पृ. १६१, उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ९८-२, पृ. १३९, उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३३-१, पृ. १४८, उत्तराध्ययन सूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पे. १. अंतनुं पत्र तुटेलुं छे. डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं २६, पृ. ४०१, उत्तराध्ययनसूत्र पाईयटीकासहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २७- पे.क्र. १, पृ. १-५४, उत्तराध्ययनसूत्र पाईय टीका, वि-१३४३, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २८, पृ. २८९, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २९, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१२२८, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं ५८- पे.क्र. १, पृ. २-१५८, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६७, पृ. ४२, उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १६२- पे.क्र. १, पृ. १७८, उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे. डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८२, पृ. १६३, उत्तराध्ययनसूत्र मूल (अध्ययन ३५ अपूर्ण), अपूर्ण डीवीडी-१०/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २८, पृ. १२४०-१२५A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र-अध्ययन-२४ समितीओ प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३४, पृ. १३४A-१४१A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र- अध्ययन-३, ९, १० व २० 92 Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक कुल पत्र - ४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी - १०/१९ पाताहे १७१-३, पृ. ८९ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक पञ्चायतन, संपूर्ण डीवीडी-२/१८ भांता १०, पृ. ४२५, उत्तराध्ययन सुखबोधा सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं. १-६५४., पत्र- ४२५+२+३-२० = ४१०. पण सम्पूर्ण छे., पत्र ११३ नथी. डीवीडी-६६/७५ भांता ११, पृ. १६५, उत्तराध्ययनसूत्र वि-१३३२. संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६४५., पत्र - १७५-१०-१६५. डीवीडी-६६/७६ भांता १२, पृ. १३४, उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६४९ ग्रन्थाग्र- २३००, डीवीडी-६६/७६ भांता १३ पृ. ६४, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१३४०. संपूर्ण , प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६४६. डीवीडी-६६/७६ पाकाहेम ७५१, पृ. १५६, उत्तराध्ययनसूत्र सह दीपिकावृत्ति, वि- १५०१, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ७६ डबल, सत्यविजय गणिए पाटणना भंडारमां मुकेली प्रति कुल झे. पृष्ठ- १०८ पाकाहेम ६५६४, पृ. ३२ उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र-२०९५. कुल झ. पृष्ठ-३३ झे. पाकाहेम ६९४२, पृ. ५०, उत्तराध्ययनसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५१ पाकाहेम १००७८, पृ. ३५, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे.. कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाहेम १००८१ पृ. २९२. उत्तराध्ययनसूत्र पाइयटीकासह वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष पहेला अने बीजा पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्मणना जेवां चित्रो छे. पत्र २जुं ३जुं १८७ २०७ डबल छे अने २०४-२०५ भेगां छे. कुल झ. पृष्ठ- २९१ झे. पाकाहेम १०१०४, पृ. ९८. उत्तराध्ययनसूत्र सटीक त्रयोदशअध्यययनपर्यन्त सुखबोधावृत्ति, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-९९ पाकाहेम १०१३८, पृ. २७२ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित वि-१६३९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७२ पाकाहेम १०३४३, पृ. ८९ उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१५८३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ९० पाकाहेम १०४५४, पृ. ५६, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५७ पाकाहेम १०५००, पृ. ७० उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७० पाकाहेम १०५०१ पृ. ८९ उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८९ 93 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०५०२, पृ. ४७, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१५१७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०५०३, पृ. ९३, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९३ पाकाहेम १०५०४, पृ. ४९, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२२००. पत्र ३४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १०५०५- पे.क्र. १, पृ. १-२४, उत्तराध्ययनसूत्र तथा चारित्रमनोरथमाला , वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०५०६, पृ. २७६, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७६ पाकाहेम १०५०८, पृ. ७१, उत्तराध्ययनसूत्र अर्थसहित पञ्चपाठ त्रुटक, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाभाभा ३२, पृ. ४१, उत्तराध्ययनसूत्र, वि-१७वी, संपूर्ण भांका १५५, पृ. २८४, उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति, वि-१७१०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६६५. डीवीडी-८५ उत्तराध्ययनसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.५९६, ग्रं.६०७, पातासंघवी २- पे.क्र. १, पृ. १-१७, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, पाईयटीका पूर्वार्ध, वि-१४८९, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६०७, ग्रन्थाग्र-७५०. प्रत विशेष- डुंगरपुरमां गजपाल राजाना राज्यमां लखाव्युं छे. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. ३, पृ. ५६-९७, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६५६५, पृ. १५, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०८. कुल झे.पृष्ठ-१३८ पाकाहेम १००७९, पृ. ११, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-५६६. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३१३, पृ. ९, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६०६. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०४२७, पृ. १६, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १४८६४, पृ. ११, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा महावीरस्वामी-चित्र छे. गाथा संख्या ७०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ भांका ११५, पृ. १३, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-६८१., गाथा-६००+४=६०४. डीवीडी-८४ उत्तराध्ययनसूत्र-(प्रा.)चूर्णि 94 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मुनि-गोपालिक महत्तर शिष्य, प्रा., गद्य, ग्रं.५८५५, पाकाहेम ६५३०, पृ. १०८, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णि, वि-१४९३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५९९०. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम ६५४६, पृ. ८४, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णि, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८५०. पत्र २६K डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-८६ पाकाहेम १००८०, पृ. ७४, उत्तराध्ययनसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८५०. कुल झे.पृष्ठ-७४ पाकाहेम १४८९२, पृ. १५०, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी, वि-१६मी, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति (पाइयटीका) आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, सं.,प्रा., पद्य, श्लोक१३३४५, आदि वाक्यः शिवदाः सन्तु तीर्थेशा विघ्नसङ्घातघातिनः।... कृ.विः मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. पातासंघवी २- पे.क्र. २, पृ. १-२३५, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, पाईयटीका पूर्वार्ध, वि-१४८९, प्रतिपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनपाईयटीका-पूर्वार्द्ध प्रत विशेष- डुंगरपुरमां गजपाल राजाना राज्यमां लखाव्युं छे. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ३, पृ. २२७, उत्तराध्ययनपाईयटीका उत्तरार्ध, वि-१४८९, संपूर्ण डीवीडी-२०/३९ पाताहेसं २६, पृ. ४०१, उत्तराध्ययनसूत्र पाईयटीकासहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २७- पे.क्र. २, पृ. १-३६८, उत्तराध्ययनसूत्र पाईय टीका, वि-१३४३, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. डीवीडी-३/१३ पाकाहेम १००८१, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र पाइयटीकासह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पहेला अने बीजा पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेवां चित्रो छे. पत्र रजु ३जुं १८७मुं २०७मुं डबल छे अने २०४-२०५ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-२९१ पाकाहेम १४७९०, पृ. २३४, उत्तराध्ययनसूत्र बृहद्वृत्ति-पाइयटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाहेम १४८५२, पृ. ३३१, उत्तराध्ययनसूत्रबृहद्वृत्ति पाईयटीका, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०७-१०८ भेगा छे. अने २१४मुं पत्र डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३३१ पाकाहेम १४८८९, पृ. ५०५, उत्तराध्ययनसूत्रबृहद्वृत्ति पाइयटीका, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाभाभा ३४, पृ. ३१४, उत्तराध्ययन बृहवृत्ति, वि-१६२८, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्रनी (सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २१, पृ. ५५-६०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो (सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल (सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थलउत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत) सं., गद्य, 95 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७९८ पृ. २. सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, वि-१८मी संपूर्ण प्रत विशेष उत्तराध्ययन- पाइयटीकागत. कुल झे. पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र (सं.) सुखबोधावृत्ति (सुखबोधावृत्ति), (सुबोधावृत्ति) आचार्य - नेमिचन्द्रसूरि, गुरु आचार्य - आम्रदेवसूरि, सं., प्रा., अप, गद्य, रचना सं. विक्रम ११२९, ग्रं. १२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य विघ्नसङ्घातघातिनस्तीर्थनायकान् । .... पातासंघवीजीर्ण ९७- पे क्र. १ पृ. ? उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां संपूर्ण पे. नाम उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका, पे. विशेष पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ११ पे क्र. २, पृ. १-१६० उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-१ डीवीडी - २१/४० पातासंघवी ११ पे क्र. ३. पू. १६१-२७६ उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण थे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग- २ डीवीडी - २१/४० पातासंघवी ४३ पृ. ३४७ उत्तराध्ययनसुखबोधावृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष वचमा त्रुटक छे. अंत नथी. ताडपत्रना पानामां लखेलां अंकवाला पत्रो नथी. डीवीडी - २७/४५ पाताहेसं २८, पृ. २८९, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, संपूर्ण - डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २९, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि - १२२८, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं १९३, पृ. ४२८, उत्तराध्ययन सुखबोधा नेमिचन्द्रटीका, संपूर्ण डीवीडी-१०/१८ भांता ८, पृ. ३९३, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि-१३४२, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६३. पत्र-३९३+१+१-२-३९३. डीवीडी-६६/७५ भांता ९ पृ. ३४१, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि - ११६४, अपूर्ण P प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६२. डीवीडी-६६/७५ भांता १०, पृ. ४२५, उत्तराध्ययन सुखबोधा सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६५४, पत्र- ४२५+२+३-२००४१०, पण सम्पूर्ण छे.. पत्र ११३ नथी. डीवीडी-६६/७५ पाकाहेम १०१०४, पृ. ९८ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक त्रयोदशअध्यययनपर्यन्त सुखबोधावृत्ति, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल ही पृष्ठ ९९ पाकाहेम १०१३८, पृ. २७२ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१६३९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७२ पाकाहेम १०५०६, पृ. २७६ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७६ उत्तराध्ययन सूत्र (सं.) वृत्ति सं. गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. १२, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका, पे. विशेष अपूर्ण झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. 96 Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १७१-३, पृ. ८९, उत्तराध्ययनसूत्र सटीक पञ्चायतन, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ वताहंस ४४७, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी डीवीडी-९९/१०० उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)दीपिकाटीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, ग्रं.८६७०, आदि वाक्यः श्रीउत्तराध्ययनस्य किञ्चिदर्थः कथाश्च लिख्यन्ते... पाकाहेम ७५१, पृ. १५६, उत्तराध्ययनसूत्र सह दीपिकावृत्ति, वि-१५०१, संपूर्ण __प्रत विशेष- पत्र ७६ डबल, सत्यविजय गणिए पाटणना भंडारमा मुकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम १०३६८, पृ. १३६, उत्तराध्ययनसूत्रदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०५०७, पृ. १२८, उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ भांका २६३, पृ. १९०, उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६७२. डीवीडी-८९ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति मुनि-कीर्तिवल्लभ गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२५, श्लोक ८२६०, आदि वाक्यः अहं भिक्षोर्विनयं प्रादुष्करिष्यामि... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका १५५, पृ. २८४, उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति, वि-१७१०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६६५. डीवीडी-८५ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४४१, श्लोक५२५०, आदि वाक्यः कय. एषा पूर्वाचार्यागाथा प्रकृतोयमुत्तराध्ययन... कृ.विः मूल, नियुक्ति बन्ने पर, पाइअटीकानुसारिणी. भांका ३०४, पृ. ४५, उत्तराध्ययनसूत्रावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६८८. डीवीडी-९२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) सञ्जोगा. संयोगान्मात्रादि कषायादि बाह्याभ्यन्तरभेदात् विविधैः...(२) संयोगान्मात्रादि कषायादि बाह्याभ्यन्तरभेदात् विविधैः... पाकाहेम १०५०९, पृ. ५३, उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ भांका ११४, पृ. २३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-६९१. डीवीडी-८४ भांका १६४, पृ. ३३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, वि-१५१२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६९०. डीवीडी-८६ 91 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६९४२, पृ. ५०, उत्तराध्ययनसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ उत्तराध्ययनसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५०८, पृ. ७१, उत्तराध्ययनसूत्र अर्थसहित पञ्चपाठ त्रुटक, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो @ प्रा., पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १९, पृ. १०६-१०९, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन-९ नमि प्रव्रज्या, पे. विशेष- गाथा-६०. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २०, पृ. १०९-११०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन-१० दुमपत्तय, पे. विशेष- गाथा-३७. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २१, पृ. ११०-११३, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन-१२ हरिकेशी, पे. विशेष- गाथा-४७. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २२, पृ. ११३-११५, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन-१३ चित्तसम्भूईज्ज, पे. विशेष- गाथा-३५. __ कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २३, पृ. ११५-११७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- महानियण्ठिज्ज-अध्ययने अध्ययन-२०, पे. विशेष- गाथा-५७. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २४, पृ. ११७-११८, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन-१८ समिइओ संजइय, पे. विशेष- गाथा-२४. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. २, पृ. १५५-१५६, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- कापालिक अध्ययन डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. ३, पृ. १७७-१८५, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- उरभ्रीय अध्ययन डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. ४, पृ. १८५-१९६, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- केशी गौतमीय अध्ययन-३३ डीवीडी-३७/५४ उत्तराध्ययनसूत्र वृत्तिगत कथा प्रा., ग्रं.२१५०, पाकाहेम ७८१, पृ. २२, उत्तराध्ययनसूत्र वृत्तिगत कथा, वि-१५२९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ उत्तराध्ययनसूत्रकथा मुनि-मुनिसुन्दरसूरि-शिष्य, सं., आदि वाक्यः अर्हतः सर्वसिद्धाश्चाचार्य... भांका ११३, पृ. २०, उत्तराध्ययनसूत्रकथा, वि-१५२०, संपूर्ण Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६९३. डीवीडी-८४ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य बृहत्वृत्यनुसारतः श्रीउत्तराध्ययनानामवचूरि... भांका २५२, पृ. २०, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६८९. डीवीडी-८९ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६५७१, पृ. २३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र वृत्तिगत कथा प्रा., ग्रं.२१५०, पाकाहेम ७८१, पृ. २२, उत्तराध्ययनसूत्र वृत्तिगत कथा, वि-१५२९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ उत्तराध्ययनसूत्र-(प्रा.)चूर्णि मुनि-गोपालिक महत्तर शिष्य, प्रा., गद्य, ग्रं.५८५५, पाकाहेम ६५३०, पृ. १०८, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णि, वि-१४९३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५९९०. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम ६५४६, पृ. ८४, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णि, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८५०. पत्र २६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-८६ पाकाहेम १००८०, पृ. ७४, उत्तराध्ययनसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८५०. कुल झे.पृष्ठ-७४ पाकाहेम १४८९२, पृ. १५०, उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी, वि-१६मी, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.५९६, ग्रं.६०७, पातासंघवी २- पे.क्र. १, पृ. १-१७, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, पाईयटीका पूर्वार्ध, वि-१४८९, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६०७, ग्रन्थाग्र-७५०. प्रत विशेष- डुंगरपुरमां गजपाल राजाना राज्यमां लखाव्युं छे. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. ३, पृ. ५६-९७, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६५६५, पृ. १५, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०८. कुल झे.पृष्ठ-१३८ पाकाहेम १००७९, पृ. ११, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-५६६. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३१३, पृ. ९, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६०६. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०४२७, पृ. १६, उत्तराध्ययनसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण 99 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १४८६४, पृ. ११, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा महावीरस्वामीनूचित्र छे. गाथा संख्या ७०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ भांका ११५, पृ. १३, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-६८१., गाथा-६००+४=६०४. डीवीडी-८४ उत्तराध्ययनसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५०८, पृ. ७१, उत्तराध्ययनसूत्र अर्थसहित पञ्चपाठ त्रुटक, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४४१, श्लोक५२५०, आदि वाक्यः कय. एषा पूर्वाचार्यागाथा प्रकृतोयमुत्तराध्ययन... कृ.विः मूल, नियुक्ति बन्ने पर, पाइअटीकानुसारिणी. भांका ३०४, पृ. ४५, उत्तराध्ययनसूत्रावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६८८. डीवीडी-९२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) सञ्जोगा. संयोगान्मात्रादि कषायादि बाह्याभ्यन्तरभेदात् विविधैः...(२) संयोगान्मात्रादि कषायादि बाह्याभ्यन्तरभेदात् विविधैः... पाकाहेम १०५०९, पृ. ५३, उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ भांका ११४, पृ. २३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-६९१. डीवीडी-८४ भांका १६४, पृ. ३३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, वि-१५१२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६९०. डीवीडी-८६ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य बृहत्वृत्यनुसारतः श्रीउत्तराध्ययनानामवचूरि... भांका २५२, पृ. २०, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६८९. डीवीडी-८९ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६५७१, पृ. २३, उत्तराध्ययनसूत्रावचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६९४२, पृ. ५०, उत्तराध्ययनसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)दीपिकाटीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, ग्रं.८६७०, आदि वाक्यः श्रीउत्तराध्ययनस्य किञ्चिदर्थः कथाश्च लिख्यन्ते... पाकाहेम ७५१, पृ. १५६, उत्तराध्ययनसूत्र सह दीपिकावृत्ति, वि-१५०१, संपूर्ण 100 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र ७६ डबल, सत्यविजय गणिए पाटणना भंडारमा मुकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम १०३६८, पृ. १३६, उत्तराध्ययनसूत्रदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०५०७, पृ. १२८, उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ भांका २६३, पृ. १९०, उत्तराध्ययनसूत्र दीपिका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६७२. डीवीडी-८९ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति (पाइयटीका) आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, सं.,प्रा., पद्य, श्लोक१३३४५, आदि वाक्यः शिवदाः सन्तु तीर्थेशा विघ्नसङ्घातघातिनः।... कृ.विः मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. पातासंघवी २- पे.क्र. २, पृ. १-२३५, उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति, पाईयटीका पूर्वार्ध, वि-१४८९, प्रतिपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनपाईयटीका-पूर्वार्द्ध प्रत विशेष- डुंगरपुरमां गजपाल राजाना राज्यमां लखाव्युं छे. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ३, पृ. २२७, उत्तराध्ययनपाईयटीका उत्तरार्ध, वि-१४८९, संपूर्ण डीवीडी-२०/३९ पाताहेसं २६, पृ. ४०१, उत्तराध्ययनसूत्र पाईयटीकासहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २७- पे.क्र.२, पृ. १-३६८, उत्तराध्ययनसूत्र पाईय टीका, वि-१३४३, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. डीवीडी-३/१३ पाकाहेम १००८१, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र पाइयटीकासह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पहेला अने बीजा पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेवां चित्रो छे. पत्र रजु ३जुं १८७मुं २०७मुं डबल छे अने २०४-२०५ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-२९१ पाकाहेम १४७९०, पृ. २३४, उत्तराध्ययनसूत्र बृहद्वृत्ति-पाइयटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाहेम १४८५२, पृ. ३३१, उत्तराध्ययनसूत्रबृहद्वृत्ति पाईयटीका, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०७-१०८ भेगा छे. अने २१४मुं पत्र डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३३१ पाकाहेम १४८८९, पृ. ५०५, उत्तराध्ययनसूत्रबृहद्वृत्ति पाइयटीका, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाभाभा ३४, पृ. ३१४, उत्तराध्ययन बृहवृत्ति, वि-१६२८, संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्रनी (सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २१, पृ. ५५-६०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो (सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल (सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थलउत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत) सं., गद्य, पाकाहेम ८७९८, पृ. २, सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उत्तराध्ययन-पाइयटीकागत. 101 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो (सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल (सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थलउत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत) सं., गद्य, पाकाहेम ८७९८, पृ. २, सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उत्तराध्ययन-पाइयटीकागत. कुल झे.पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १२, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १७१-३, पृ. ८९, उत्तराध्ययनसूत्र सटीक पञ्चायतन, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ वताहंस ४४७, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी डीवीडी-९९/१०० उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति | मुनि-कीर्तिवल्लभ गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२५, श्लोक८२६०, आदि वाक्यः अहं भिक्षोविनयं प्रादुष्करिष्यामि... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका १५५, पृ. २८४, उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति, वि-१७१०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६६५. डीवीडी-८५ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)सुखबोधावृत्ति (सुखबोधावृत्ति), (सुबोधावृत्ति) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, सं.,प्रा.,अप., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२९, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य विघ्नसङ्घातघातिनस्तीर्थनायकान्।... पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. १, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ११- पे.क्र. २, पृ. १-१६०, उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-१ डीवीडी-२१/४० पातासंघवी ११- पे.क्र. ३, पृ. १६१-२७६, उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-२ डीवीडी-२१/४० पातासंघवी ४३, पृ. ३४७, उत्तराध्ययनसुखबोधावृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां त्रुटक छे. अंत नथी. ताडपत्रना पानामां लखेलां अंकवाळा पत्रो नथी. डीवीडी-२७/४५ पाताहेसं २८, पृ. २८९, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २९, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१२२८, संपूर्ण 102 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-३/१३ पाताहेसं १९३, पृ. ४२८, उत्तराध्ययन सुखबोधा नेमिचन्द्रटीका, संपूर्ण डीवीडी - १०/१८ भांता ८, पृ. ३९३, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि - १३४२, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६३, पत्र- ३९३+१+१-२-३९३डीवीडी-६६/७५ भांता ९ पृ. ३४१, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि-११६४, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६२. कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६६/७५ भांता १०, पृ. ४२५ उत्तराध्ययन सुखबोधा सह संपूर्ण , प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६५४, पत्र-४२५+२+३-२० ४१०. पण सम्पूर्ण छे.. पत्र ११३ नथी. डीवीडी-६६/७५ पाकाहेम १०१०४, पृ. ९८ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक त्रयोदशअध्यययनपर्यन्त-सुखबोधावृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९९ पाकाहेम १०१३८ पृ. २७२ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित वि-१६३९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७२ पाकाहेम १०५०६, पृ. २७६, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २०६ उत्तराध्ययनसूत्रकथा मुनि मुनिसुन्दरसूरि-शिष्य, सं., आदि वाक्य अर्हतः सर्वसिद्धाश्चाचार्य.... भांका ११३, पृ. २०, उत्तराध्ययनसूत्रकथा, वि- १५२०, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६९३. डीवीडी-८४ - उत्तराध्ययनसूत्रनी (सं.) बृहद्वृत्तिनो (सं.) पर्याय सं. गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २१, पृ. ५५-६०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८४ उत्तराध्ययनसूत्रनो हिस्सो @ प्रा.. संपूर्ण पातासंघवी ११७-१- पे. क्र. १९, पृ. १०६ - १०९, आराधनापताका भगवती आदि, पे. नाम - उत्तराध्ययने अध्ययन - ९ नमि प्रव्रज्या, पे. विशेष- गाथा - ६०. कुल झे. पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ संपूर्ण पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २०, पृ. १०९-११०, आराधनापताका भगवती आदि, पे. नाम- उत्तराध्ययने अध्ययन १० दुमपत्तय, पे. विशेष- गाथा - ३७. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे. क्र. २१, पृ. ११०-११३ आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम - उत्तराध्ययने अध्ययन- १२ हरिकेशी, पे. विशेष गाथा- ४७. कुल झे. पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २२, पृ. ११३ - ११५, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम उत्तराध्ययने अध्ययन १३ चित्तसम्भूईज्ज, पे, विशेष गाथा- ३५. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २३, पृ. ११५-११७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम महानियण्ठिज्ज-अध्ययने अध्ययन-२०, पे. विशेष गाथा ५७. कुल झे. पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ 103 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २४, पृ. ११७-११८, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम - उत्तराध्ययने अध्ययन- १८ समिइओ संजइय, पे. विशेष- गाथा - २४. कुल झे. पृष्ठ १०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. २ पृ. १५५-१५६, ओघनियुक्ति आदि वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम कापालिक अध्ययन डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. ३ पृ. १७७-१८५, ओघनियुक्ति आदि वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम उरभ्रीय अध्ययन डीवीडी - ३७ / ५४ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. ४, पृ. १८५-१९६, ओघनियुक्ति आदि वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- केशी गौतमीय अध्ययन- ३३ डीवीडी-३७/५४ उत्थापनविधि (उट्ठ उट्ठावणविही) प्रा. गद्य, आदि वाक्य उठावणविही एसो पसत्ये तिथिकरण.... " भांता ७०- पे.क्र. ३०, पृ. ३८B - ४०A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि- १३७८, संपूर्ण उत्थापना विधि प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल - ४२०० श्लोक अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रा. सं., गद्य, आदि वाक्यः गुरु शिष्यं वामपार्श्वे स्थाप्य शिष्येण सह चैत्यानि वन्दते... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १०, पृ. ११A - ११B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे पत्र ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल डी. पृष्ठ-४१ उत्थापनाकथा प्रा., गद्य, आदि वाक्यः आढवइ सम्ममेसो तहा तहा लाघवं न पावेइ .... भांता ७० पे. क्र. ३१, पृ. ४०A ४०B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३६१. . प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे भारतीयोपदेश सं., गद्य, आदि वाक्यः समुलसत्वन्दनाचलद्विलोललहिरीभराप्लावित पूर्वोत्तरप्रदेश..... भांका १४४, पृ. १३, उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे भारतीयोपदेश - १२ से १३ अध्याय, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष भण्डारसंदर्भाक-२/८६-९२ कुल झे. पृष्ठ - १०, डीवीडी-८५ - - उत्सर्पिणी अवसर्पिणी प्रमाण उत्सर्गापवादषभङ्गीविचार सं., गद्य, पाकाहेम १२६५७, पृ. ३, उत्सर्गापवादषड्भङ्गीविचार, वि - २०वी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ प्रा. सं., गद्य, आदि वाक्य वाणियगामे जियसत्तुराय आणन्दमज्ज शिवनन्द..... " 104 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ३, पृ. १B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ उत्सूत्रकन्दकुद्दाल जुओ - गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल, उपाध्याय-धर्मसागर, संस्कृत, श्लोक२४५ उदायिनृपमारककथानक प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ११, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३७ से प्रारंभ होता है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० उद्दामदण्डकछन्दोमयी जिनस्तुति जुओ - जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी, संस्कृत, का.४ उपकरणविचार प्रा., पद्य, आदि वाक्यः उवगरणम्मि धरेज्जा न रागस्स होइ उप्पत्ती... कृ.विः अं.वाक्य-पृथुत्वेन दुहत्तेत्यादिना भणिता दीहत्तणेण कप्पमाणा चउहत्था वा. भांता ७०- पे.क्र. १६४, पृ. २१८A-२२५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- विनस्पतिविचार-प्रज्ञापनायां, पे. विशेष- पूर्ण. पत्रांक ६ नहीं है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपकारविषये श्रीदत्तकथा जुओ - श्रीदत्तकथा उपकारविषये, संस्कृत उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र (जिनस्तोत्र उपखाणागर्भित) प्रा., पद्य, गा.३५, पाकाहेम ८२२९, पृ. १, उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ उपदेश कुलक प्रा., पद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. १, पृ. १-४, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेश कुलक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. १, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेश कुलक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८ - पे.क्र. १, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेशकन्दली (उपदेशस्कन्दली) आसड, प्रा., पद्य, गा.१२५, आदि वाक्यः तिहुयणमङ्गलतिलयं कयदुज्जय भाववेरिभवविलयं.. पातासंघवी १६४- पे.क्र.७, पृ. २०१-२१५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण 105 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष भीनमालमा गाथा १२५. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी २७-१, पृ. २३६, उपदेशकन्दली वृत्ति सह संपूर्ण डीवीडी - २४/४२ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १५, पृ. १३०-१३७, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पाताहे ३५ पृ. २३३ उपदेशकन्दली वृत्ति सह संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३६, पृ. २८४, उपदेशकन्दली वृत्ति सह, वि- १२९६, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २३, पृ. २०३-२१०, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि - १३८९, संपूर्ण पे. विशेष गाथा- १२२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. ९ पृ. २३९-२४८, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता ५८, पृ. २५०, उपदेशकन्दलीविवरण सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - ?, साचो भंडारसंदर्भांक-६/८०-८१ अने सूचीपत्र नं. २- १९१ जणाय छे. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम १४९८४- पे. क्र. ४ पृ. ७६-७८, सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि वि-१५०४ संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १२५. प्रत विशेष सूचीपत्रमां पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे. कुल झे. पृष्ठ-१७ उपदेशकन्दली- (सं.) वृत्ति आचार्य बालचन्द्रसूरि, सं. गद्य, ग्रं. ७६००, आदि वाक्यः यन्नाभीनासिकाभूद्गालिकमुखहृततालुमौलिश्रवस्सु .... कृ. विः विस्तृत रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ९२, पृ. २८९, उपदेशकन्दलीवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १६०मां पानाना अंक पछी जीर्ण छे. केटलाकना टुकडा छे. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २७-१, पृ. २३६, उपदेशकन्दली वृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ पाताहे ३५ पृ. २३३ उपदेशकन्दली वृत्ति सह संपूर्ण T डीवीडी - ४ / १४ पाताहे ३६, पृ. २८४ उपदेशकन्दली वृत्ति सह वि- १२९६, संपूर्ण , डीवीडी - ४ / १४ भांता ५८, पृ. २५०, उपदेशकन्दलीविवरण सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - ?, साचो भंडारसंदर्भांक - ६/८०-८१ अने सूचीपत्र नं. २- १९१ जणाय छे.. डीवीडी-७२/८१ उपदेशकन्दली- (सं.) वृत्ति " आचार्य बालचन्द्रसूरि, सं. गद्य, ग्रं. ७६००, आदि वाक्यः यन्नाभीनासिकाभ्रूद्गालिकमुखद्वततालुमौलिश्रवस्सु... कृ. विः विस्तृत रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ९२ पृ. २८९ उपदेशकन्दलीवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १६०मां पानाना अंक पछी जीर्ण छे, केटलाकना टुकड़ा छे. डीवीडी-३२/५१ 106 Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी २७-१, पृ. २३६, उपदेशकन्दली वृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ पाताहेसं ३५, पृ. २३३, उपदेशकन्दली वृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३६, पृ. २८४, उपदेशकन्दली वृत्ति सह, वि-१२९६, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ भांता ५८, पृ. २५०, उपदेशकन्दलीविवरण सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-?, साचो भंडारसंदर्भाक-६/८०-८१ अने सूचीपत्र नं.२-१९१ जणाय छे. डीवीडी-७२/८१ उपदेशकुलक (पश्चात्तापकुलक), (सुभाषितकुलक), (सुभाषितद्वात्रिंशिका) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः सुगुरु न सेविउ जङ्गमु तित्थु, सुणिय न आगमवयणु महत्थु ।... पाताखेत ६- पे.क्र.९, पृ. १०२-१०६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- सुभाषितकुलक प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३७, पृ. २५२-२५४, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- सुभाषितकुलक, पे. विशेष- गाथा-३२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ उपदेशकुलक प्रा., पद्य, गा.१५, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २३, पृ. ११५मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ उपदेशकुलक (हितोपदेशकुलक) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः निसुणन्तु खणं परिरम्भिऊण भव्वा... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र.३, पृ. १६-१९, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ भांता ६९- पे.क्र. २१, पृ. १४५१४७B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१९२. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३, पृ. ४-५, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ उपदेशकुलक प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः संसारम्मि असारे नत्थि सुहं वाहि वेयणापउरे... पाताखेत २३- पे.क्र. १८, पृ. ३३७-३३८, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ उपदेशकुलक आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः चिन्तसु उवायमेयं संसारे गरुयमोहनियलाओ... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३४, पृ. ४२-४३, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ 107 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपदेशकुलक जुओ - धर्मोपदेशकुलक, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.२२ उपदेशगाथा सम्यक्त्वविषये जुओ - सम्यक्त्वविषये उपदेश गाथा, प्राकृत, गा.२६ उपदेशचिन्तामणी आचार्य-जयशेखरसूरि[अंचलगच्छ], प्रा., पाकाहेम ८३८३, पृ. ५, उपदेशचिन्तामणिगत साधुअधिकार, वि-१८मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ उपदेशपदप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०४०, आदि वाक्यः नमिऊण महाभागं तिलोयनाहं जिणं महावीरं।... पातासंघवी ६५-५, पृ. १६९, उपदेश पद, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १५२-१- पे.क्र. २, पृ. ७९-१६४, पञ्चाशकसूत्र तथा उपदेशपद, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १०८-१३३-१३४-१४५-१४७ नथी. अंत पण नथी. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १०७, पृ. ४९, उपदेशपदप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाकाहेम १४१३, पृ. ३३७, उपदेशपदप्रकरण सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३०८ मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३३८ पाकाहेम ६५८१, पृ. १९७, उपदेशपदप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६६ उपदेशपदप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक११७४, कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१४०००? पाकाहेम १४१३, पृ. ३३७, उपदेशपदप्रकरण सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३०८ मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३३८ पाकाहेम ६५८१, पृ. १९७, उपदेशपदप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६६ उपदेशपदप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक११७४, कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१४०००? पाकाहेम १४१३, पृ. ३३७, उपदेशपदप्रकरण सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३०८ मु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३३८ पाकाहेम ६५८१, पृ. १९७, उपदेशपदप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६६ उपदेशमणिमालाकुलक आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः जीवदयाइ रमिज्जइ... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १, पृ. १-२, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र (१) पहेलामां श्री तीर्थंकर,, पत्र (२) बीजामां साधुनुं ने पत्र ४७मां देवी, चित्र छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ उपदेशमाला गणि-धर्मदास गणि, प्रा., पद्य, गा.५४४, आदि वाक्यः नमिऊण जिणवरिन्दे इन्दनरिन्दच्चिए जगपईवे । 108 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ. विः गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. पाताखेत ३ - पे.क्र. ३, पृ. १-८०, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि-१२९२, संपूर्ण पे. विशेष- ले. सं. १२९२ प्रतिलेखन स्थल-भृगुकच्छ. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५- पे.क्र. १, पृ. १७४, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ५४० प्रथम पत्र खंडित है. प्रत विशेष - श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक - १६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे. पृष्ठ ९२ डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. २, पृ. २-५१, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम उवएसमालापगरण, पे. विशेष गाथा - ५४१ पूर्ण प्रारंभिक १५ गाथा नहीं है. प्रत विशेष शुद्ध प्रति - कुल झे. पृष्ठ - ११०, डीवीडी- ६१/६३ पाताखेत १२ पे. क्र. ५. पू. ३-४६, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १७-२- पे.क्र. १, पृ. ७-५२, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि - १२९५, पूर्ण पे. विशेष अपूर्ण प्रारंभिक ६ पत्र (गाथा-१ से ५६) नहीं है. कुल झे. पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३२-२- पे.क्र. १ पृ. ३-१००B, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण पे. नाम उचएसमालापगरण, पे. विशेष पत्रांक- १-२ नहीं है १९ गाथा नहीं है. पत्रानुक्रम जमाये बिना ही झेरोक्ष किया गया है. झेरोक्ष पत्र - १ - १८ व १९-२२. कुल झे. पृष्ठ- २६, डीवीडी - ६२ / ६४ पातासंघवीजीर्ण ४६ - पे. क्र. ६, पृ. १५० - १८१, सङ्ग्रहणी आदि, वि- १२८६, अपूर्ण पे. विशेष - अपूर्ण. गाथा- ४७३ तक है. बीच व अन्त के कुछ पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र - ३९-५०. पेटांक ७ आगमिकवस्तुविचारसार वाली प्रत से ये अलग प्रत के पत्र हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्द्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे. पृष्ठ-८० डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४५ पे क्र. १ पृ. १४८ उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८१ पे. क्र. १ पृ. १४४ उपदेशमाला आदि त्रुटक प्रत विशेष नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ८८ पे. क्र. १ पृ. २. उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक " पे. विशेष - गाथा ६ तक ही उपलब्ध है. झेरोक्ष पत्र २ पर यह कृति है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ - ९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ५०, पृ. ३४६, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि - १२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, चंद्रावतीमां पं. मलयचंद्रे लखेली छे. पहेलां बीजा पानामां ३-३ नथी. बे पानामा एक ११ नथी. डीवीडी-२८/४७ पातासंघवी १०८ पे क्र. १ पृ. १-४८ उपदेशमाला आदि संपूर्ण 109 Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-५४३. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र.१, पृ. १-४९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४२. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६४- पे.क्र. १, पृ. १-६०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४३. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६५- पे.क्र. १, पृ. १-५७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४३. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-२३. __ कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १७, पृ. ६-६१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-५४५. झेरोक्ष पत्र-९३-१२१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५६-२- पे.क्र. १, पृ. १-७७, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४१. झेरोक्ष अव्यवस्थित व उलटे क्रम में किया गया है. झेरोक्षपत्र-१-१३(१३-१). प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. १, पृ. १-६५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. ५, पृ. १८५-२०६, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. १, पृ. १-५४, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४१. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २९, पृ. १७१-१९६, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४२. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३४-२- पे.क्र. १, पृ. १-६७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४१. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १, पृ. १-४१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४३. प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. १, पृ. १-३९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४२. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र. १, पृ. १-५६, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४४. डीवीडी-३६/५३ 110 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १८११ पे.क्र. १ पृ. ३६-४२ उपदेशमाला आदि वि १२७९. संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ५४३. प्रथमना ३५ पत्र नथी. डीवीडी - ३७/५४ पातासंघवी १८२-१- पे.क्र. ८, पृ. ९५-१४३, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८४१ पे.क्र. १ पृ. १५०, उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष गाथा-५४०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०२ पे.क्र. १ पृ. १-३८, उपदेशमाला आदि संपूर्ण , पे. विशेष - गाथा - ५४४. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५-२- पे क्र. १, पृ. १-७१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ५४०. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९६-२- पे. क्र. ४, पृ. १-४७, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ५४२. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४ पृ. ३१-४७ योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ५४०. पत्र ३७नो आंक तूटेलो छे ३८नो आंक तूटेलो छे. ३९, ४०ना अक्षरो घसायेला छे. ४१नो टुकडो छे. ४४मुं पत्र नथी., डीवीडी-३८/५५ पाताहेस ३१, पृ. २४६ उपदेशमाला वृत्ति, कथा सहित वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी - ४ / १३ पाताहे ३२ पृ. २८४ उपदेशमाला वृति सह, वि-१३३१, संपूर्ण प्रत विशेष प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-२४४, डीवीडी-४/१३ पाताहेसं ५६- पे.क्र. १, पृ. २४७, उपदेशमालाप्रकरण दोघट्टीवृत्तिसह वि - १३९४, संपूर्ण P डीवीडी-६/१५ पाताहेसं १०१, पृ. १६२, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीका सह, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ , पाताहेसं १११- पे.क्र. १, पृ. १-८४, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक-१७ तक के भाग त्रुटक व छिन्न-भिन्न रूप में है. प्रत विशेष- पत्रांक १७६ - १७९ का झेरोक्ष पत्रांक- १९६ के बाद है.. कुल झे. पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहे ११३- पे.क्र. १ पृ. ९-४६ उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण पत्र १-८ ( गाथा- १-८९) नहीं है. कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेस ११४- पे.क्र. १ पृ. ५-४६ उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण . पे. विशेष- गाथा - ५४३. त्रुटित. प्रारंभिक दो पत्र अर्धखंडित है. कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११६- पे.क्र. १, पृ. १-५४, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण 111 Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- उवएसमाला प्रकरण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-२४. संपूर्ण गाथा-५४३ है परंतु प्रतिलेखक द्वारा गाथा-५४४ का उल्लेख किया गया है. लगभग आधी प्रत के वामपार्श्व भाग कहीं कम तो कहीं अधिक रूप में खंडित है. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २९, पृ. ८७-१४१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. नाम- उवएसमालापगरण, पे. विशेष- गाथा-५४०. किसी अन्य प्रत के पत्र होने की संभावना है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. __ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र. २, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १५१- पे.क्र. १, पृ. ?, उपदेशमालाकथासङ्क्षपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमालाकथासंक्षेपविवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र त्रुटक व अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-१-२४. गाथा-४२९ तक मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र.४, पृ. ५४-८८, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. __कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र.५, पृ. १२९-१६५, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता २३, पृ. २९९, उपदेशमाला सह दोघट्टीवृत्ति, वि-१२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२४३., पत्र-२९९+१=३००. डीवीडी-६८/७७ भांता २४- पे.क्र. १, पृ. १-५७A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२३३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता २५- पे.क्र. १, पृ. १-५२A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३२. प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र. १, पृ.?, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उवएसमालापगरण, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-५४३. प्रारंभ के पत्र नहीं है. गाथा-३५ तक नहीं है. ताडपत्रीय पत्रांक झेरोक्ष में नहीं आया है. झेरोक्ष पत्र-१-११. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ तालाद ३२१, पृ. २७४, उपदेशमाला सह हेयोपदेयाटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र अनुपूरित रूप है. इस प्रति में मंगलगाथा जगचूडामणिभूओ है. कुल झे.पृष्ठ-२१८, डीवीडी-९३/९५ तालाद ३२५, पृ. ३०२, उपदेशमाला सह बालावबोध, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९५ तालाद ३२८, पृ. २७२, उपदेशमाला सह हेयोपादेयावृत्ति, वि-१२१९, संपूर्ण 112 Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- संशोधित प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. १, पृ. २०-५९B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. प्रथम पत्र की गाथा- १ से ४ नहीं है. अंतिम पत्र पर आदिनाथ भगवान का चित्र है. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २६, पृ. ३९-४९, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४१. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १०, पृ. १५-२८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४१. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १७, पृ. २७-४८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ४६४०- पे.क्र. १, पृ. ८, उपदेशमालाप्रकरण तथा सीमन्धरस्वामिस्तवन , वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ६७०६, पृ. १६२, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिनां पानां चोंटीने केटलांक खराब थई गयां छे. कुल झे.पृष्ठ-१६३ पाकाहेम ६८५५, पृ. ३२, उपदेशमालाप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ पाकाहेम ७८९२, पृ. १३, उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि किञ्चिदपूर्ण, वि-१६मी, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १, पृ. १-३५, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४०. कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१०९, पृ. ५७, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१७५. पाकाहेम १०११७, पृ. ८१, उपदेशमालाप्रकरण लघुवृत्ति सह हेयोपादेयावृत्तिसह, वि-१५२०, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४०६०. नाममा 'लघुवृत्ति'थी अहीं शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०१५०, पृ. १२, उपदेशमाला प्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए करडेली छे. पत्र पमुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३३९, पृ. २५, उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अवचूरि अपूर्ण छे, पत्र ५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १०३५१, पृ. २५५, उपदेशमालाप्रकरण कर्णिकावृत्तिसहित, वि-१५४७, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२०१२. 113 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२५५ पाकाहेम १०५७०, पृ. ४४, उपदेशमालाप्रकरण, वि-१५८६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १०६०२, पृ. २५, उपदेशमालाप्रकरण, वि-१५४७, संपूर्ण पाकाहेम १०६०३, पृ. ३४, उपदेशमालाप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १०६०४, पृ. २८, उपदेशमालाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १०६०५, पृ. २६, उपदेशमालाप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १११५२, पृ.७१, उपदेशमाला बालावबोध सह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम एक पत्र नथी. पाकाभाभा ४१, पृ. ५८, उपदेशमाला प्रकरण विवरणसह, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. पाकाभाभा ४२, पृ. २३, उपदेशमाला प्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)दोघट्टीवृत्ति (दोघट्टीवृत्ति), (विशेषवृत्ति) आचार्य-रत्नप्रभसूरि, सं.,प्रा.,अप., गद्य, रचना सं. विक्रम १२३८, ग्रं.११७६४, आदि वाक्यः यस्यारघट्टस्य घनोपदेशमालार्पितध्यानघटाघीमिः।... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ५०, पृ. ३४६, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि-१२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, चंद्रावतीमां पं. मलयचंद्रे लखेली छे. पहेलां बीजा पानामां ३-३ नथी. बे पानामां एक १ १ नथी. डीवीडी-२८/४७ पाताहेसं ५६- पे.क्र. २, पृ. २४७, उपदेशमालाप्रकरण दोघट्टीवृत्तिसह , वि-१३९४, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ भांता २३, पृ. २९९, उपदेशमाला सह दोघट्टीवृत्ति, वि-१२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२४३., पत्र-२९९+१=३००. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ६७०६, पृ. १६२, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिनां पानां चोंटीने केटलांक खराब थई गयां छे. कुल झे.पृष्ठ-१६३ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित (हेयोपादेया टीका), (बृहद्वृत्ति), (उपदेशमालाप्रकरण(सं.)बृहद्वृत्ति-(प्रा.)कथा सहित) गणि-सिद्धर्षि गणि, आचार्य-वर्द्धमानसूरि, सं.,प्रा., गद्य, ग्रं.९५००, आदि वाक्यः हेयोपादेयार्थोपदेशमामिः प्रबोधितजनाव्जम्।... कृ.विः आ. वर्धमानसूरिजीए टीकामां सामान्य संस्कार करी प्राकृत कथाओ उमेरी छे. पाताहेसं ३१, पृ. २४६, उपदेशमाला वृत्ति, कथा सहित, वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी-४/१३ पाताहेसं ३२, पृ. २८४, उपदेशमाला वृत्ति सह, वि-१३३१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२४४, डीवीडी-४/१३ तालाद ३२१, पृ. २७४, उपदेशमाला सह हेयोपदेयाटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र अनुपूरित रूप है. इस प्रति में मंगलगाथा जगचूडामणिभूओ है. ___कुल झे.पृष्ठ-२१८, डीवीडी-९३/९५ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)कर्णिकावृत्ति (कर्णिकावृत्ति) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९९, ग्रं.१२२७४, आदि वाक्यः अहँस्तनोतु भुवनाद्भुतकल्पवृक्षः श्रेयः फलं निविडबोधसुमप्रसूतं... 114 Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण २, पृ. २५७, उपदेशमालावृत्ति कर्णिका, संपूर्ण प्रत विशेष- घणा पत्रो टूटेलां छे. डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम १०३५१, पृ. २५५, उपदेशमालाप्रकरण कर्णिकावृत्तिसहित, वि-१५४७, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२०१२. कुल झे.पृष्ठ-२५५ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)हेयोपादेया टीका-कथा रहित (हेयोपादेया टीका-कथा रहित), (उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्तिकथा रहित) गणि-सिद्धर्षि गणि, सं., गद्य, ग्रं.४०६१, आदि वाक्यः हेयोपदेयार्थोपदेशभामिः प्रबोधितजनाब्जम् ।... पातासंघवी १२२, पृ. ३६०, उपदेशमालावृत्ति-हेयोपादेयानाम्नी, वि-१२३६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१६०., डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १०१, पृ. १६२, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीका सह, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ तालाद ३२८, पृ. २७२, उपदेशमाला सह हेयोपादेयावृत्ति, वि-१२१९, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०१०९, पृ. ५७, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१७५. पाकाहेम १०११७, पृ. ८१, उपदेशमालाप्रकरण लघुवृत्ति सह हेयोपादेयावृत्तिसह, वि-१५२०, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४०६०. नाममा 'लघुवृत्ति'थी अहीं शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-८२ उपदेशमालाविवरण बृहद्वृत्ति उद्धार प्रा., गद्य, पातासंघवी १६८- पे.क्र. २०, पृ. १९६-२३८, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण डीवीडी-३६/५४ उपदेशमाला-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, वताकांति ३९४, पृ. ३०७, उपदेशमाला लघुवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ उपदेशमाला-(सं.)टीका आचार्य-अमरप्रभसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम ६८५५, पृ. ३२, उपदेशमालाप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७३९१, पृ. २२, उपदेशमालाप्रकरणावचूरि, वि-१४८६, संपूर्ण । पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ४, पृ. २३-३४, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम ७८९२, पृ. १३, उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि किञ्चिदपूर्ण, वि-१६मी, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १०१५१, पृ. १७, उपदेशमालाप्रकरण अवचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ 115 Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०३३९, पृ. २५, उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अवचूरि अपूर्ण छे, पत्र ५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाभाभा ४२, पृ. २३, उपदेशमाला प्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण उपदेशमाला-(सं.)छाया उपदेशमालापर्याय छायारुप (उपदेशमालापर्याय छायारुप) सं., पद्य, कृ.विः जयशेखरसूरि कृत अवचुरिमांथी उद्धरेला पर्याय. पाकाहेम ८८८, पृ. २८, उपदेशमालापर्याय छायारुप, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० उपदेशमालाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, तालाद ३२५, पृ. ३०२, उपदेशमाला सह बालावबोध, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९५ पाकाहेम १११५२, पृ. १-२, उपदेशमाला बालावबोध सह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम एक पत्र नथी. उपदेशमालाकथासमास (उपदेशमालाप्रकरण-(प्रा.)कथाकोश) आचार्य-जिनभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८९०, ग्रं.३६१३, आदि वाक्यः अरहन्तमरिहमरुहं पणमिय सिरिवीरद्धमाणजिणं... पातासंघवी ७०-२, पृ. १७१, उपदेशमालाकथासमास, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमथी १५ पत्र सुधी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३१/४९ उपदेशमाला-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाभाभा ४१, पृ. ५८, उपदेशमाला प्रकरण विवरणसह, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. उपदेशमाला-(प्रा.)हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा गणि-धर्मदास गणि, प्रा., पद्य, गा.१, आदि वाक्यः दोससयमूलजालं पुव्वरिसिविवज्जिअं जईवन्तं... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा-(सं.)शतार्थी टीका (शतार्थी टीका) पं.-उदयधर्म गणि, गुरु-पण्डित-लावण्यधर्म, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६०५, आदि वाक्यः नत्वानन्तार्थदेष्टारं जिनं विश्वत्रयीश्वरम्... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला-(सं.)विवरण-कथासक्षेप आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १५१- पे.क्र. १, पृ. ?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमालाकथासंक्षेपविवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र त्रुटक व अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-१-२४. गाथा-४२९ तक मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ उपदेशमाला जुओ - उपदेशरत्नकोष, आचार्य-जिनेश्वरसूरि, संस्कृत, गा.२६ 116 Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा-(सं.)शतार्थी टीका (शतार्थी टीका) पं.-उदयधर्म गणि, गुरु-पण्डित-लावण्यधर्म, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६०५, आदि वाक्यः नत्वानन्तार्थदेष्टारं जिनं विश्वत्रयीश्वरम्.... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला-(प्रा.)हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा गणि-धर्मदास गणि, प्रा., पद्य, गा.१, आदि वाक्यः दोससयमूलजालं पुवरिसिविवज्जिअं जईवन्तं... पुन ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण । प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा-(सं.)शतार्थी टीका (शतार्थी टीका) पं.-उदयधर्म गणि, गुरु-पण्डित-लावण्यधर्म, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६०५, आदि वाक्यः नत्वानन्तार्थदेष्टारं जिनं विश्वत्रयीश्वरम्... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला-(सं.)छाया उपदेशमालापर्याय छायारुप (उपदेशमालापर्याय छायारुप) सं., पद्य, कृ.विः जयशेखरसूरि कृत अवचूरिमांथी उद्धरेला पर्याय. पाकाहेम ८८८, पृ. २८, उपदेशमालापर्याय छायारुप, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० उपदेशमाला-(सं.)टीका आचार्य-अमरप्रभसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम ६८५५, पृ. ३२, उपदेशमालाप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ उपदेशमाला-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, वताकांति ३९४, पृ. ३०७, उपदेशमाला लघुवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ उपदेशमाला-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाभाभा ४१, पृ. ५८, उपदेशमाला प्रकरण विवरणसह, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. उपदेशमाला-(सं.)विवरण-कथासक्षेप आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १५१- पे.क्र. १, पृ. ?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमालाकथासंक्षेपविवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र त्रुटक व अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-१-२४. गाथा-४२९ तक मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ उपदेशमाला-(सं.)वृत्ति जुओ - धर्मोपदेशमाला-(सं.)वृत्ति, आचार्य-मुनिदेवसूरि, संस्कृत उपदेशमालाकथासमास (उपदेशमालाप्रकरण-(प्रा.)कथाकोश) आचार्य-जिनभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८९०, ग्रं.३६१३, आदि वाक्यः अरहन्तमरिहमरुहं पणमिय सिरिवीरद्धमाणजिणं... 117 Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ७०-२ पृ. १७१ उपदेशमालाकथासमास, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथमथी १५ पत्र सुधी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी - ३१/४९ उपदेशमालापर्याय छायारुप जुओ उपदेशमाला (सं.) छाया उपदेशमालापर्याय छायारूप, संस्कृत उपदेशमालाप्रकरण जुओ धर्मोपदेशमालाप्रकरण, आचार्य- जयसिंहसूरि, प्राकृत, गा. १०३ उपदेशमालाप्रकरण जुओ पुष्पमालाप्रकरण, आचार्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी, प्राकृत, गा. ५०५ उपदेशमालाप्रकरण- (प्रा.) कथाकोश जुओ उपदेशमालाकथासमास, आचार्य जिनभद्रसूरि प्राकृत ग्रं. ३६१३ गा.२८९० उपदेशमालाप्रकरण- (मा.गु.) बालावबोध - मारुगुर्जर, गद्य, तालाद ३२५, पृ. ३०२, उपदेशमाला सह बालावबोध, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १०६, डीवीडी- ९४/९५ . पाकाहेम १११५२, पृ. १-२ उपदेशमाला बालावबोध सह वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम एक पत्र नथी. उपदेशमालाप्रकरण- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ७३९१ पृ. २२ उपदेशमालाप्रकरणावचूरि वि-१४८६, संपूर्ण , पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ४, पृ. २३-३४, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाहेम ७८९२ पृ. १३ उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि किञ्चिदपूर्ण वि-१६मी पूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४ पाकाहेम १०१५१, पृ. १७ उपदेशमालाप्रकरण अवचूरि वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६ पाकाहेग १०३३९, पृ. २५ उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष अवचूरि अपूर्ण छे, पत्र ५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- २६ पाकाभाभा ४२, पृ. २३, उपदेशमाला प्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि- १६वी, संपूर्ण उपदेशमालाप्रकरण (सं.) कर्णिकावृत्ति (कर्णिकावृत्ति) , आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु- आचार्य - माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९९ ग्रं. १२२७४, आदि वाक्यः अर्हस्तनोतु भुवनाद्भुतकल्पवृक्षः श्रेयः फलं निविबोधसुमप्रसूतं..... पातारांघवीजीर्ण २, पृ. २५७ उपदेशमालावृत्ति कर्णिका, संपूर्ण प्रत विशेष - घणा पत्रो टूटेलां छे.. डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम १०३५१, पृ. २५५, उपदेशमालाप्रकरण कर्णिकावृत्तिसहित, वि-१५४७, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १२०१२. कुल झे. पृष्ठ-२५५ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.) दोघट्टीवृत्ति ( दोघट्टीवृत्ति), (विशेषवृत्ति) आचार्य रत्नप्रभसूरि, सं. प्रा. अप, गद्य रचना सं. विक्रम १२३८, ग्रं. ११७६४ आदि वाक्यः यस्थारघट्टस्य घनोपदेशमालार्पितध्यानघटाघर्टामिः । ... कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ५०, पृ. ३४६, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि- १२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, चंद्रावतीमां पं. मलयचंद्रे लखेली छे. पहेलां बीजा पानामां ३-३ नथी. बे पानामा एक १ १ नथी. डीवीडी-२८/४७ पाताहे ५६ पे.क्र. २ पृ. २४७ उपदेशमालाप्रकरण दोघट्टीवृत्तिसह वि-१३९४, संपूर्ण 118 Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६/१५ भांता २३, पृ. २९९, उपदेशमाला सह दोघट्टीवृत्ति, वि-१२९३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२४३., पत्र-२९९+१=३००. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ६७०६, पृ. १६२, उपदेशमाला दोघट्टीवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिनां पानां चोंटीने केटलांक खराब थई गयां छे. कुल झे.पृष्ठ-१६३ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति-(प्रा.)कथा सहित जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित, गणि-सिद्धर्षि गणि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.९५०० उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति-कथा रहित जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)हेयोपादेया टीका-कथा रहित, गणि-सिद्धर्षि गणि, संस्कृत, ग्रं.४०६१ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित (हेयोपादेया टीका), (बृहद्वृत्ति), (उपदेशमालाप्रकरण(सं.)बृहद्वृत्ति-(प्रा.)कथा सहित) गणि-सिद्धर्षि गणि, आचार्य-वर्द्धमानसूरि, सं.,प्रा., गद्य, ग्रं.९५००, आदि वाक्यः हेयोपादेयार्थोपदेशमामिः प्रबोधितजनाब्जम्।... कृ.विः आ. वर्धमानसरिजीए टीकामां सामान्य संस्कार करी प्राकृत कथाओ उमेरी छे. पाताहेसं ३१, पृ. २४६, उपदेशमाला वृत्ति, कथा सहित, वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी-४/१३ पाताहेसं ३२, पृ. २८४, उपदेशमाला वृत्ति सह, वि-१३३१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२४४, डीवीडी-४/१३ तालाद ३२१, पृ. २७४, उपदेशमाला सह हेयोपदेयाटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र अनुपूरित रूप है. इस प्रति में मंगलगाथा जगचूडामणिभूओ है. कुल झे.पृष्ठ-२१८, डीवीडी-९३/९५ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)हेयोपादेया टीका-कथा रहित (हेयोपादेया टीका-कथा रहित), (उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्तिकथा रहित) गणि-सिद्धर्षि गणि, सं., गद्य, ग्रं.४०६१, आदि वाक्यः हेयोपदेयार्थोपदेशभामिः प्रबोधितजनाब्जम् ।... पातासंघवी १२२, पृ. ३६०, उपदेशमालावृत्ति-हेयोपादेयानाम्नी, वि-१२३६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१६०., डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १०१, पृ. १६२, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीका सह, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ तालाद ३२८, पृ. २७२, उपदेशमाला सह हेयोपादेयावृत्ति, वि-१२१९, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०१०९, पृ. ५७, उपदेशमालाप्रकरण हेयोपादेयाटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१७५. पाकाहेम १०११७, पृ. ८१, उपदेशमालाप्रकरण लघुवृत्ति सह हेयोपादेयावृत्तिसह, वि-१५२०, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४०६०. नाममां लघुवृत्ति थी अहीं शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-८२ उपदेशमालाविवरण बृहद्वृत्ति उद्धार प्रा., गद्य, पातासंघवी १६८- पे.क्र. २०, पृ. १९६-२३८, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण 119 Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-३६/५४ उपदेशमालाविवरण बृहद्वृत्ति उद्धार प्रा., गद्य, पातासंघवी १६८ पे क्र. २०, पृ. १९६-२३८, वन्दारुवृत्ति आदि संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण डीवीडी-३६/५४ उपदेशरत्नकोष प्रा., पद्य, गा. ४१, पाकाहेम १०५७५, पृ. ३, उपदेशरत्नकोश, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - ४१, पार्श्वचन्द्रकृत मा. गु. कृति लागे छे. गाथा संख्या परथी. उपदेशरत्नकोष (उपदेशरत्नमाला) (उपदेशमाला) आचार्य जिनेश्वरसूरि, सं., पद्य, गा. २६, आदि वाक्यः उवएसरयणकोसं नासिय नीसेस लोगदोगच्चं .... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २९ पृ. ६०-६१, दशवेकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे पत्र -५८, ५९ भेगा छे, कुल झे. पृष्ठ १९० पाकाहेम २६६४- पे.क्र. २, पृ. ५, नेमिदूतकाव्य तथा उपदेशरत्नकोष, वि-१८मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-४ पाकाहेम ७९१७, पृ. १, उपदेशरत्नकोश उपदेशरत्नमाला सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - २५. कुल झे. पृष्ठ- २ उपदेशरत्नकोष (सं.) अवचूरि · सं., गद्य, पाकाहेम ७९१७, पृ. १-२६ उपदेशरत्नकोश उपदेशरत्नमाला सावचुरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - गाथा - २५. कुल झे. पृष्ठ-२ उपदेशरत्नकोष (उपदेशरत्नकोषकुलक) कृति उपरथी प्रत माहिती पं. पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाहेम ९४३५, पृ. २, उपदेशरत्नकोशकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ३, पृ. ४-६, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ-५० उपदेशरत्नकोष-(सं.) अवचूरि - सं., गद्य, पाकाहेम ७९१७, पृ. १-२६, उपदेशरत्नकोश - उपदेशरत्नमाला सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष गाथा २५. कुल झे. पृष्ठ- २ उपदेशरत्न कोषकुलक जुओ उपदेशरत्नकोष पं पार्श्वचन्द्र मारुगूर्जर, गा. ४१ उपदेशरत्नमाला जुओ - उपदेशरत्नकोष, आचार्य - जिनेश्वरसूरि, संस्कृत, गा. २६ उपदेशरत्नाकर आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[ तपागच्छ], प्रा., पद्य, पाकाहेम १४९१७, पृ. १४५ उपदेशरत्नाकरस्वोपज्ञटीकासह वि-१५४४, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ३१-३२ भेगा अने ११२ मुं डबल छे., कुल डी. पृष्ठ- १३४ 120 Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपदेशरत्नाकर-(सं.)स्वोपज्ञटीका आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.७६७५, पाकाहेम १४९१७, पृ. १४५, उपदेशरत्नाकरस्वोपज्ञटीकासह, वि-१५४४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१-३२ भेगा अने ११२ मुं डबल छे., कुल झे.पृष्ठ-१३४ उपदेशरत्नाकर-(सं.)स्वोपज्ञटीका आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.७६७५, पाकाहेम १४९१७, पृ. १४५, उपदेशरत्नाकरस्वोपज्ञटीकासह, वि-१५४४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१-३२ भेगा अने ११२ मुं डबल छे., कुल झे.पृष्ठ-१३४ उपदेशरसायन प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः (१) निद्दालीयविसमसरं वीरं वन्दित्तु दित्तरूइपसरं...(२) निद्दारिय विसमसरं... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र.७, पृ. २९-३३, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ७, पृ. ६-७, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. नाम- सामान्यगुणोपदेशकुलक कुल झे.पृष्ठ-३५ उपदेशरसायनरासक आचार्य-जिनदत्तसूरि, अप., पद्य, गा.८०, पातासंघवीजीर्ण ७४- पे.क्र. ४, पृ. १-१७, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- वचमां पत्र गया छे. प्रत विशेष- २०मुं पार्नु नथी. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. १, पृ. ३४-४८, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. २, पृ. १-?, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशरसायनरासक सह (सं.)टीका उपदेशरसायनरासक-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. २, पृ. १४, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशरसायनरासक सह (सं.)टीका उपदेशरसायनरासक-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. २, पृ. १४, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशरसायनरासक सह (सं.)टीका उपदेशरहस्य छत्रीशी जुओ - उपदेशरहस्यषट्त्रिंशिका, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.३६ उपदेशरहस्यषट्त्रिंशिका (उपदेशरहस्य छत्रीशी) पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३६, पाकाहेम १०३३१, पृ. १, उपदेशरहस्यषट्त्रिशिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ उपदेशसङ्ग्रह सं., पद्य, श्लोक८५४, आदि वाक्यः अचिन्तयच्च धिगिदं तालाद ३२६- पे.क्र. २१, पृ. १५८-२१३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण 121 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ उपदेशसङ्ग्रह श्लोकबद्ध सं., पद्य, श्लोक४३३, पाकाहेम ५२०४, पृ. १०, उपदेशसङ्ग्रह श्लोकबद्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ उपदेशसन्धि हेमसार, अप., पद्य, गा.१८, पाकाहेम ९०३२- पे.क्र.३, पृ.?, केशीगोयमसन्धि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ९०३३- पे.क्र. २, पृ. १-२, शीलसन्धि तथा उदेशसन्धि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१९. कुल झे.पृष्ठ-३ उपदेशसारप्रकरण आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, का.१०१, आदि वाक्यः नमिऊण विजियदुज्जयमोहमहारायमरुहमरिहन्तं... कृ.विः अन्तिम गाथामां कर्तानाम सांकेतिक रीते. पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ४, पृ. ६४-७४, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ उपदेशसाररत्नस्वाध्याय समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, गा.६१, पाकाहेम १०८०१- पे.क्र. १, पृ. १-३, उपदेशसाररत्नस्वाध्याय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण उपदेशस्कन्दली जुओ - उपदेशकन्दली, अज्ञात-आसड, प्राकृत, गा.१२५ उपदेशामृतप्रकरण (शोकवारणप्रकरण) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः वरहेमसमसरीरो वीरो सम्पत्तमोहमल तीरो... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. ११, पृ. ४६-५०, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ११, पृ. ९-१०, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ उपधान तप ने तेना यन्त्रो पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५६, पृ. १४८-१५०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ उपधान मालारोपणसमयवाच्यगाथा जुओ - मालारोपणसमयवाच्यगाथा, आचार्य-मानदेवसूरि, प्राकृत, गा.४३ उपधाननन्दि सं., आदि वाक्यः अक्षताञ्जलिं भृत्वा प्रदक्षिणात्रयं दत्वा चैत्यवन्दनां च कृत्वा... कृ.विः अन्तिमवाक्य-तुम्हाणं पाव इयं सल्लेणं...सागरवरगंभिरेत्यादि चिन्तनं. ततो अनुष्ठानं. भांता ७०- पे.क्र. ४९, पृ. ५२B-५३०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपधानविधि सं.,प्रा., पाकाहेम १०३४६, पृ. ३, उपधानविधि, वि-१६मी, संपूर्ण 122 Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४ उपधानविधि प्रा., पद्य, गा.४१, आदि वाक्यः पञ्च नमोक्कारे किर ह्वालसत चोउ होइ उवहाणं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-एवमभिग्गहबंधं...धण्णो सलक्खणो जंपिरो त्ति निक्खिवइ से गंथे. भांता ७० - पे.क्र. ५०, पृ. ५३B-५६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- वर्धमानविज्जा, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३८५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपधानविधि निशीथोक्त (निशीथोक्त उपधानविधि) प्रा., आदि वाक्यः सुयं मे आउसं...एवमक्खायं देज्जा आलोयणं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-सुलभबोधिलाभनिमित्तेणं एवं चेइयाइ अकुव्वममाणे अप्पाराहिए महानिशीथे. भांता ७०- पे.क्र. ५५, पृ. ५९A-६२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपधानविधि-आदि प्रा.,सं., पाकाहेम १०७३६ , पृ. ४, उपधानविधि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- भाषा-प्रा., मा.गु. पाकाहेम १६५०७, पृ.७, उपधानविधिआदि, वि-१६४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण जुओ - पञ्चाशकप्रकरण-(प्रा.)हिस्सो उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण-२०, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.५० उपधानविधिप्रकरण आचार्य-मानदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.५४, वताकांति ४१६- पे.क्र. १, पृ. ?, उपधानविधि-प्रकरण- मालारोपणविधि, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ५२६८- पे.क्र. ४, पृ. १२-१३, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ उपधानविधिसामाचारी प्रा., पाकाहेम ५२६८- पे.क्र. ५, पृ. १३-१५, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ उपधानविधिस्तवन मुनि-उत्तमचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७११, पाकाहेम ८१७६, पृ. ३, उपधानविधिस्तवन, वि-१७४०, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तवनकारे पोताना हाथे लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४ उपपातनियुक्ति जुओ - आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनो हिस्सो @, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत उपमितिभवप्रपञ्चकथासारोद्धार आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., कृ.विः कर्ता? 123 Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११२, पृ. २९३, उपमितिभवप्रपञ्चाकथासारोद्धार, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पत्र १९१-१९२ नथी. प्रत सारी. डीवीडी-३३/५२ उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार आचार्य-देवसूरि, सं., ग्रं.२३२८, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं मोहकन्दर्पदर्पहं... पातासंघवी १९३-२, पृ. १८४, उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार गद्य, संपूर्ण प्रत विशेष- १०४-१२२ थी १२६ ने १७७ एम ७ पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ उपमितिभवप्रपञ्चा कथा गणि-सिद्धर्षि गणि, सं., रचना सं. विक्रम ९६२ अध्याय८, ग्रं.१६०००, आदि वाक्यः नमो निर्नाशिताशेषमहामोहहिमालये।... कृ.विः प्रस्ताव-८. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ९७, पृ. २४८, उपमितिभवप्रपञ्चा कथा-उत्तर खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २४३ थी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३३/५१ पाताहेसं १८४, पृ. २४०, उपमितिभवप्रपञ्चाकथा चतुर्थ खण्ड, वि-१२६१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त. डीवीडी-१०/१९ भांता ७६, पृ. १७८, उपमितिभवप्रपञ्चकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-७(A)/१९८०-८१. सूचीपत्रांक-४-७३. ता. प.७ नथी. पूर्णता-राजकुमारभोजन गृद्धिनो अधिकार अधुरो. डीवीडी-७३/८२ वताहंस ४४२, पृ. ३९४, उपमितिभवप्रपञ्चा कथा, संपूर्ण डीवीडी-९९/१०० वताकांति ४१७, पृ. २३९, उपमितिभवप्रपञ्चाकथा-तृतीयखण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १४९०३, पृ. २२८, उपमितिभवप्रपञ्चकथा, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-२३१ उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार आचार्य-देवसूरि, सं., ग्रं.२३२८, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं मोहकन्दर्पदर्पहं... पातासंघवी १९३-२, पृ. १८४, उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार गद्य, संपूर्ण प्रत विशेष- १०४-१२२ थी १२६ ने १७७ एम ७ पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ उपमितिभवप्रपञ्चकथासारोद्धार आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., कृ.विः कर्ता? पातासंघवी ११२, पृ. २९३, उपमितिभवप्रपञ्चाकथासारोद्धार, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पत्र १९१-१९२ नथी. प्रत सारी. डीवीडी-३३/५२ उपवासगणना (उववासगणना) प्रा., आदि वाक्यः पुरिमड्ढएगभत्तुय निविय तह अम्बिलाणि उववासा... कृ.विः अंतिमवाक्य-अहवा दोहि वि भणिउ तयभावे पुव्वसूरींहि. भांता ७०- पे.क्र. १०, पृ. १३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 124 Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-३२. सूचीपत्रांक-१-१२५४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपशमकुलक अप., पद्य, गा.१०, पाकाहेम १५७२१, पृ. १, उपशमकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ उपशमकुलक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ उपशमश्रेणी सं., गद्य, आदि वाक्यः तच्च छद्मस्थवीतरागस्य केवलिनश्च भवति तत्र छद्मस्थ उपशामकस्य क्षपकस्य वा... कृ.विः अ.वाक्य-सव्वस्स दाहमग्गी दिति कसाया भवमणंतं...करणेनोक्तं. भांता ७०- पे.क्र. ८८, पृ. ११३B-११६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२३७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपसर्गप्रदीपिका लघु जुओ - लघुउपसर्गप्रदीपिका, संस्कृत, श्लोक२३ उपसर्गमण्डन कवि-मण्डन, सं., पद्य, श्लोक४४५, पाकाहेम ६८०२, पृ. ११, उपसर्गमण्डन, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां पलळेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ६८०३, पृ. १३, उपसर्गमण्डन, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम ९४८९, पृ. ७, उपसर्गमण्डन, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ उपसर्गहरस्तोत्र (उवसग्गहरं स्तोत्र) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः उवसग्गहरं... तालाद ३३६- पे.क्र. ४, पृ. २७७-२९३, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २३, पृ. २०६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पुप्रे ४१९-२, पृ. ३०, उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० भांका १५२, पृ. ६, उपसर्गहरस्तोत्र वृत्ति सह, वि-१६९७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-७८०. डीवीडी-८५ भांका २०२- पे.क्र. १, पृ. २०-३n, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६. 125 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ भांका २४३- पे.क्र. १, पृ. १-५A, उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं)लघुवृत्ति, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-७७५. डीवीडी-८९ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६५, ग्रं.२७१, तालाद ३३६- पे.क्र. ४, पृ. २७७-२९३, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति प्रत विशेष- ८९ नंबर, पार्नु नथी. __ कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, भांका २०२- पे.क्र. १, पृ. १३, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका गणि-द्विजपार्श्वदेव गणि, सं., गद्य, आदि वाक्यः धरणेन्द्र नमस्कृत्य श्रीपार्वं मुनिपुङ्गवं... भांका १५२, पृ. १-३७, उपसर्गहरस्तोत्र वृत्ति सह, वि-१६९७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-७८०. डीवीडी-८५ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-पूर्णचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमस्कृत्य परं पार्वं सर्वयोगिनमस्कृतं... भांका २४३- पे.क्र. १, पृ. ५, उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह, संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं)लघुवृत्ति, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-७७५. डीवीडी-८९ उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन प्रा.,सं., पद्य, गा.२२, कृ.विः पार्श्वनाथ लघुस्तवन समसंस्कृत-प्राकृत भाषामां छे. पाकाहेम ८२०६- पे.क्र. १, पृ. १, उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन आदि, वि-१६५५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका+कथा (प्रियङ्करनृपकथा) मुनि-जिनसूर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सुधानन्दनसूरि[तपागच्छ.], सं., पद्य, आदि वाक्यः वंशाब्जश्रीकरो हंसो दत्तोत्तमविभावसुः... पुप्रे ४१९-२, पृ. ३०, उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन प्रा.,सं., पद्य, गा.२२, कृ.विः पार्श्वनाथ लघुस्तवन समसंस्कृत-प्राकृत भाषामां छे. पाकाहेम ८२०६- पे.क्र. १, पृ. १, उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन आदि, वि-१६५५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, 126 Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २०२ पे.क्र. १ पृ. १३ नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं.) टीका, पे. विशेष सूचीपत्रक्रम-३-३९६. उपसर्गहरस्तोत्र (सं.) टीका प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ गणि-द्विजपार्श्वदेव गणि, सं., गद्य, आदि वाक्यः धरणेन्द्र नमस्कृत्य श्रीपार्श्वं मुनिपुङ्गवं.... भांका १५२, पृ. १-३७, उपसर्गहरस्तोत्र वृत्ति सह, वि-१६९७, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम- १-७८०. डीवीडी-८५ उपसर्गहरस्तोत्र (सं.) टीका आचार्य-पूर्णचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमस्कृत्य परं पार्श्वं सर्वयोगिनमस्कृतं..... भांका २४३ पे.क्र. १, पृ. ५. उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह संपूर्ण पे. नाम- उपसर्गहरस्तोत्र सह (सं) लघुवृत्ति, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-७७५. डीवीडी-८९ उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.) टीका + कथा ( प्रियङ्करनृपकथा) मुनि-जिनसूर [तपागच्छ], गुरु- आचार्य - सुधानन्दनसूरि [तपागच्छ.], सं., पद्य, आदि वाक्यः वंशाब्ज श्रीकरो हंसो दत्तोत्तमविभावसुः... पुप्रे ४१९-२, पृ. ३०, उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति, अपूर्ण उपसर्गहरस्तोत्र (सं.) वृत्ति उपाधिखण्डन सं.. कुल झे. पृष्ठ-३० आचार्य जिनप्रभसूरि, सं. गद्य रचना सं. विक्रम १३६५. ग्रं. २७१, तालाद ३३६- पे. क्र. ४. पृ. २७७-२९३ प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी संपूर्ण पे. नाम उपसर्गहरस्तोत्र सह वृत्ति उपाधिप्रकरण प्रत विशेष - ८९ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १५६, डीवीडी- ९४ / ९६ पाकाहेम ८८११- पे.क्र. १, पृ. १, उपाधिखण्डन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ आचार्य उदयनाचार्य, सं. आदि वाक्य उपाधिस्तु साधनाव्यापकत्वे सति... "" पाकाहेम ८८११- पे.क्र. ३, पृ. २-४, उपाधिखण्डन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १६७२४ - पे क्र. ४ पृ. ९-१४, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० उपाधिप्रकरणविडम्बन वाढेश्वर, सं., पाकाहेम ८८99- पे क्र. २ पृ. १-२ उपाधिखण्डन आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ४ उपासकदशाङ्गसूत्र (उवासगदसाओ) आचार्य - सुधर्मास्वामी प्रा. नं.८१२, आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा णाम णयरी...छट्ठस्स अङ्गस्स णायाधम्मकहाणं अयमट्ठे पण्णत्ते सत्तमस्स णं भन्ते! अङ्गस्स उवासगदसाणं सम... कृ.विः पूर्णभद्र कृत 'दशश्रवकचरित्रचूर्णिमां सप्तमाङ्ग चूर्णि एम नाम लखेल छे 127 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत २७- पे.क्र. १, पृ.?, पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्ग-अन्तगडदशा-अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. १, पृ. १-१७, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १२४-१- पे.क्र. १, पृ. ६-४५, उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाङ्ग, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५ नथी. डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १७१-१६, पृ. १०, उपासकदशाङ्ग सूत्र, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १२९, पृ. १९, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति सांधेली छे. __कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १३०, पृ. २३, उपासकदशाङ्गसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १३४, पृ. २६, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टिप्पणी, वि-१६०९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १०००३, पृ. १६, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा भगवान् महावीर, तेमना दश महान श्रमणोपासको, शासनदेव-देवी, इन्द्र अने इन्द्राणीनुं भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०३१२, पृ. २३, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०४४७, पृ. १८, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे. कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १०४६८, पृ. २५, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम १०४६९, पृ. १८, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजाएली छे. कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाहेम १०५३४, पृ. ३१, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९१२. ___ कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०५३५, पृ. २४, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८५२. प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम १०५३६, पृ. २९, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८५०. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १०५३७, पृ. २५, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण 128 Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- २५ पाकाम १४९०१ पृ. २२ उपासकदशाङ्गसूत्र वि - १६०७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२ पुणे ४४६, पृ. २४०, उपासकदशाङ्गसूत्र वि-१५६३, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष - उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. पंडित बेचरदास दोशी द्वारा संशोधित प्रति. टिप्पणयुक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका मध्यम. कुल झ. पृष्ठ- २४० झे. पुणे ४५६, पृ. १७, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१५७५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. मूल प्रति पर से झेरोक्ष किया गया है. कुल झे. पृष्ठ-३४ पुणे ४५७, पृ. ७१, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष एल. डी. इंडोलोजी अहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष. कुलझे पृष्ठ-७१ पुप्रे ४५८, पृ. १११, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष टिप्पण व पाठभेद सहित. कुल झ. पृष्ठ- १११ झे. पुप्रे ४५५-१, पृ. ७२, उपासकदशाङ्ग, संपूर्ण प्रत विशेष- पाठान्तरयुक्त भंडारों के संकेत एवं किस पत्र में क्या पाठान्तर है उसकी सूची प्रत की प्रेसकॉपी के संदर्भ में सामान्य जानकारी. कुल झ. पृष्ठ-७२ झे. उपासकदशाङ्गसूत्र (सं.) वृत्ति आचार्य - अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ९००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य व्याख्या क पातासंघवी ३३-१- पे. क्र. ६. पृ. ८५-१०५, उपासकदशाङ्ग आदि वि-१४५५. संपूर्ण पे. विशेष - सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी - २५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ४, पृ. १२३A - १५०B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम उपासकदशासूत्र की टीका प्रत विशेष मूल पत्र-४७थी १२३ टीका पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १०००७- पे क्र. १ पृ. १-१७, उपासकदशाङ्गसुत्रवृत्ति आदि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष पेटांक १ थी ३ ना श्लोक १३०० प्रथम पत्रमां क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाच्या प्रमाणेनुं भव्य चित्र छे. - कुल झे. पृष्ठ- १०६ पाकाहेम १०५३८, पृ. २० उपासकदशाङ्गसूत्र टीका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८४६. पत्र ५मुं डबल छे अने १७ नथी.. कुल झे. पृष्ठ- २० पाकाहेम १४९०६ - पे.क्र. १, पृ. १-१५, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभामा ८- पे.क्र. १ पृ. १ १७ उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृदशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम उपासकदशांगसूत्र की अमयदेवीय वृत्ति पुणे ४५७, पृ. ७१, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- एल. डी. इंडोलोजी - अहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष . 129 Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७१ पुप्रे ४५८, पृ. १११, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- टिप्पण व पाठभेद सहित. कुल झे.पृष्ठ-१११ उपासकदशाङ्गसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १३४, पृ. २६, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टिप्पणी, वि-१६०९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ उपासकदशाङ्गसूत्र-(प्रा.)चूर्णि प्रा., गद्य, आदि वाक्यः दिसिजत्तिय गाहा २७ दिसिजत्तियाणं ति... पुप्रे ४५०, पृ. २३, उपासकदशाङ्कचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- आचार्य सौभागयनन्दिसूरि के राज्य में पं.हर्षसागरगणि ने यह प्रति लिखवायी. कुल झे.पृष्ठ-२३ उपासकदशाङ्गसूत्र-(प्रा.)चूर्णि प्रा., गद्य, आदि वाक्यः दिसिजत्तिय गाहा २७ दिसिजत्तियाणं ति... पुप्रे ४५०, पृ. २३, उपासकदशाङ्कचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- आचार्य सौभागयनन्दिसूरि के राज्य में पं.हर्षसागरगणि ने यह प्रति लिखवायी. कुल झे.पृष्ठ-२३ उपासकदशाङ्गसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १३४, पृ. २६, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टिप्पणी, वि-१६०९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ उपासकदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य व्याख्या क पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.६, पृ. ८५-१०५, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे.. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ४, पृ. १२३०-१५०B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- उपासकदशासूत्र की टीका प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १०००७- पे.क्र. १, पृ. १-१७, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १०५३८, पृ. २०, उपासकदशाङ्गसूत्र टीका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८४६. पत्र ५मुं डबल छे अने १७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. १, पृ. १-१५, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण, चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभाभा ८- पे.क्र. १, पृ. १-१७, उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृद्दशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरौपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम- उपासकदशांगसूत्र की अभयदेवीय वृत्ति पुप्रे ४५७, पृ.७१, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण 130 Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- एल. डी. इंडोलोजी-अहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष. कुल झे.पृष्ठ-७१ पुप्रे ४५८, पृ. १११, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- टिप्पण व पाठभेद सहित. कुल झे.पृष्ठ-१११ उपासकप्रतिमा प्रा.,सं., आदि वाक्यः उपसकानां प्रतिमा प्रतिज्ञादर्शमादि गुण सुक्ता कार्या इत्यर्थः... भांता ७०- पे.क्र. ४५, पृ. ४९A-४९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३५३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपासकप्रतिमानन्दि सं., आदि वाक्यः नन्दिः प्रथमं क्रियते ततः क्षमाश्रमणपूर्वकं इच्छाकारि यूयमस्मान् दर्शनप्रतिमारोपणार्थं कायोत्सर्ग कारयत... कृ.विः अन्तिमवाक्य-भावउ णं जाव गहेणं...पुव्वपडिमाणुट्ठाणसहिया वन्निया. भांता ७०- पे.क्र. ४७, पृ. ५०B-५१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३४८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उल्लासिक्कमस्तोत्र जुओ - लघुअजितशान्तिस्तव, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१७ उवएसकुलक जुओ - धर्मोपदेशकुलक, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, का.१० उववाईसूत्र जुओ - औपपातिकोपाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.११६७ उववासगणना जुओ - उपवासगणना, प्राकृत उवसग्गहरं स्तोत्र जुओ - उपसर्गहरस्तोत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, गा.५ उवासगदसाओ जुओ - उपासकदशाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.८१२ ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र षड्भाषागर्भित जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक, प्राकृत संस्कृत,अपभ्रंश, का.३० ऋषभ-वर्धमानस्तव आचार्य-जिनसोमसूरि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः श्रीऋषभवर्धमानौ.... पाकाहेम १२३७७- पे.क्र. ३, पृ. १, स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण ऋषभगीत लीम्बो, मारुगूर्जर, पद्य, गा.८, पाकाहेम १२३३३- पे.क्र. ३, पृ. १, गोडीपार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण ऋषभचरितस्तवन चरितकुलक (युगादिजिनचरितकुलक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.२७, आदि वाक्यः पणमिय पढम जिणिन्दपाय सेत्तुज्जविहूसण... पाताखेत ६- पे.क्र. ३०, पृ. १७९-१८३, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- युगादिजिननाथचरितकुलक प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ ऋषभचरित्र जुओ - आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध पञ्चावसरमय, आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्राकृत, ग्रं.११००० 131 Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ऋषभजिनकुन्तलपञ्चविंशतिकास्तवन आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः ॐकारः सकलत्रिलोक कमला स्वीकारलीलाविधौ... पाकाहेम ८२२७- पे.क्र. २, पृ. १-२, आदिजिन-शान्तिनाथ-नेमिनाथ-पार्श्वनाथ माहावीरजिनपञ्चकषड्भाषामयस्तवनपञ्चक आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२२७, पृ. १, ऋषभकुन्तलपञ्चविंशतिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ ऋषभजिनजन्माभिषेक प्रा., पद्य, गा.१४३, आदि वाक्यः जयइ जुगादि जिणिन्दो पयासियासेसपढमनयविन्दो... पाताखेत ६- पे.क्र. २४, पृ. १५९-१६२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- जन्माभिषेकस्तुति प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ ऋषभजिनस्तवन जुओ - सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन, संस्कृत, श्लोक१४ ऋषभजिनस्तवन उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः समरथ साहिब समता दरिओ रे... अताका ४७९- पे.क्र.२, पृ. १अ, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. ला.द. नम्बर-४३०७४. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-१०३/१०४ ऋषभजिनस्तवन - अर्बुदमण्डन आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक३३, आदि वाक्यः श्रीअर्बुदाचलविभूषण भूषणाली... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. १, पृ. १-१, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- अर्बुदस्थ ऋषभजिनस्तवन कुल झे.पृष्ठ-६ ऋषभजिनस्तवन देलउलाण्डन मन्त्रौषधिकल्पगर्भित जुओ - मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन, आचार्य मुनिसुन्दरसूरि, अपभ्रंश, श्लोक२५ ऋषभजिनस्तुति अप., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः निसुणहु लोयवावलाहक रिसहेसर घरवारि... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १६, पृ. ४४-४७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ ऋषभजिनस्तुति जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन युगादिदेवस्तुति#, आचार्य-जयशेखरसूरि, मारुगूर्जर, गा.१६ ऋषभजिनस्तुति शत्रुञ्जयमण्डन जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभजिनस्तुति, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक४ ऋषभजिनस्तुति-सिद्धस्वरूपगर्भित# अप., पद्य, आदि वाक्यः पणमवि परमेसरु रिसहजिणेसरु वेयसिप्पाउप्पयगरु... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १२, पृ. ३५-३७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ ऋषभजिनस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम ८७४७- पे.क्र.१, पृ. १, ऋषभजिनस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 132 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ऋषभजिनस्तोत्र चरित्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिय जिणमुसभमुभयं सदेस विलसन्त... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १०, पृ. ३०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० ऋषभजिनस्तोत्र शत्रुञ्जयमण्डन सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः आदिनाथ जगन्नाथ.. पाकाहेम १२३६१- पे.क्र.८, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण ऋषभदेव, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी, प्राकृत, गा.३१ ऋषभदेवपञ्चकल्याणकस्तव? जुओ - पञ्चकल्याणकप्रकरण, अज्ञात-जिनेन्द्रइन्द्र, प्राकृत, गा.१३७ ऋषभदेवपञ्चकल्लाणयस्तोत्र जुओ - पञ्चकल्याणकप्रकरण, अज्ञात-जिनेन्द्रइन्द्र, प्राकृत, गा.१३७ ऋषभदेवविनती जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभदेवविनती, उपाध्याय-विनयविजय, मारुगूर्जर, गा.५८ ऋषभदेवस्तव सं., पाकाहेम १४४३६- पे.क्र. २, पृ. ५, षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण ऋषभदेवस्तवन आचार्य-कमलकलशसूरि, सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः पवित्रमन्त्रशिवसौध... पाकाहेम १२३५१, पृ. १, ऋषभदेवस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण ऋषभदेवस्तवन चउतीस अतिशयगर्भित (चउतीस अतिशयगर्भित ऋषभदेवस्तवन) मारुगूर्जर, पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः नाभिनरिन्दमलहारु... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५०, पृ. २३२-२३३, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ ऋषभदेवस्तुति सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः येनेदं सकलं समूल... तालाद ३३९- पे.क्र. ४, पृ. ६२-६३, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ ऋषभदेवस्तुति जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन-युगादिदेवस्तोत्र, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक१६ ऋषभदेवस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २३, पृ. २३मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ ऋषभदेवस्तोत्राष्टक सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः नरेन्द्रनाभिनन्दनं... पाकाहेम १२२२०- पे.क्र.३, पृ. १, प्रत्याख्यानागार, चोरासी गच्छना नाम तथा ऋषभदेवस्तोत्राष्टक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ ऋषभदेवाज्ञास्तव जुओ - नयगमस्तव, आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्राकृत, गा.११ ऋषभपञ्चाशिका (धनपालपञ्चाशिका) कवि-धनपाल, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जय जन्तुकप्पपायव! चन्दायवरायपङ्कयवणस्स।... पाताखेत ११- पे.क्र. १३, पृ. २४५-२५०, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २८-२- पे.क्र. २, पृ. १-६, दशवैकालिकनियुक्ति ऋषभपञ्चाशिका कर्मविपाक, संपूर्ण 133 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-५१. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३२-१- पे.क्र.८, पृ. ६६-७२, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १४, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. ७, पृ. १३७-१४६, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. ५, पृ. १२०-१२८, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १५, पृ. २१३-२१९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३२, पृ. १२१-१२२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १०५-पे.क्र.३, पृ. ९३आ-१२५आ, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- ऋषभपंचाशिका सह नेमिचन्द्रीय टीका, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१९-३२. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २८, पृ. २३२-२३५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५७, पृ. १३६अ-१३९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- रिषभ पंचासिका, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६५-६८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भांता २४- पे.क्र. ८, पृ. ७७B-८४A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-४९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र.६, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०६६४, पृ. २, ऋषभपञ्चाशिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ ऋषभपञ्चाशिका-(सं.)टीका गणि-नेमिचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनेन्द्रवीरं सर्वनरामर्त्यपूजितं... पाताहेसं १०५- पे.क्र. ३, पृ. १५३, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- ऋषभपंचाशिका सह नेमिचन्द्रीय टीका, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१९-३२. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ ऋषभपञ्चाशिका-(सं.)वृत्ति आचार्य-प्रभानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०००, आदि वाक्यः जयति विजितान्तरारिप्रोन्मीलद्विमलकेवलालोकः... पातासंघवी १९२-१, पृ. १६६, ऋषभपञ्चाशिकावृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- पत्र २-६०-१३० ना बे टुकड़ा छे. पत्र ६-७-१४-२५-७९-११३-१२२-१२८ एक एक टुकडा छे. पत्र ३८-४६-४७-४९-८५-१०२-१३९-१४८ पत्र नथी. १६३ पत्रना त्रण टुकडा छे. 134 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-३७/५४ ऋषभपञ्चाशिका (सं.) टीका कृति उपरथी प्रत माहिती गणि नेमिचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनेन्द्रवीरं सर्वनरामर्त्यपूजितं..... पाताहे १०५ पे.क्र. ३ पृ. १५३ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि अपूर्ण पे. नाम - ऋषभपंचाशिका सह नेमिचन्द्रीय टीका, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - १९-३२. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२ डीवीडी-७/१६ ऋषभपञ्चाशिका - (सं.) वृत्ति आचार्य प्रमानन्दसूरि, सं, पद्य, श्लोक १०००, आदि वाक्यः जयति विजितान्तरारिप्रोन्मीलद्विमल केवलालोक..... पातासंघवी १९२१ पृ. १६६ ऋषभपञ्चाशिकावृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- पत्र २-६०-१३० ना बे टुकडा छे. पत्र ६-७-१४-२५-७९-११३-१२२-१२८ एक एक टुकडा छे. पत्र ३८-४६-४७-४९-८५-१०२-१३९- १४८ पत्र नथी. १६३ पत्रना त्रण टुकडा छे. डीवीडी-३७/५४ ऋषभस्तोत्र षड्भाषामय जुओ - षड्भाषामयऋषभस्तोत्र, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, का. ४० ऋषभादिजिनपरिवार ( जिनपरिवार ) सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीउसहनाथस्य गणधर ८४ स्वदीक्षित साधु ८४०००... - भांता ७० पे. क्र. १३३ पृ. १८४८-१८५३, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसग्रहपोथी वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- समवसरण की टीका प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ ऋषिकुलक जुओ- गौतमकुलक, प्राकृत, गा. २०० ऋषिकुलक जुओ - चत्तारिअट्ठगाथाविवरणकुलक, प्राकृत, गा. १२ ऋषिदत्ताकथा जुओ सत्यव्रतविषये ऋषिदत्ताकथा संस्कृत श्लोक९९ ऋषिदत्ताकथा अलिकविषये (अलीकविषये ऋषिदत्ताकथा ) " सं पद्य, श्लोक४५१, आदि वाक्य अस्तीह भरतक्षेत्रे देशो नामिनिवेशभू..... कृ. विः अन्तवाक्य- गतवति विततायुःकर्मणि शांतमंतःकरमशरणवैरिध्वंसनादात्तकीर्ति... पातासंघवीजीर्ण ४८- पे.क्र. ३, पृ. २३८-२६१, नलदमयन्ती कथा, संपूर्ण पे. विशेष केरलांक पानां बगडेला छे. पत्र २५९मुं नथी. ऋषिदत्तामहासतीकथा सं.. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १२९ - पे. क्र. ५. पृ. ४७८४ सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि वि-१३३९, संपूर्ण पे, विशेष श्लोक-४४५. प्रत विशेष कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १७७६- पे.क्र. २२, पृ. ८२-८७, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६० ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी (इसिभासियाणं सङ्ग्रहणी) प्रा.. पाकाहेम ६७३८, पृ. १६, ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी, वि-१५५१, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १६ P 135 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. अध्याय ४५, आदि वाक्य: सोयव्वमेव वदती सोयव्वमेव पवदति... पाकाहेम १००८३, पृ. १३, ऋषिभाषितसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल ही पृष्ठ- १३ झे. ऋषिभाषितसूत्र (इसिभासियाणं) ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी (इसिमासियाणं सङ्गहणी) प्रा.. पाकाहेम ६७३८, पृ. १६, ऋषिभाषितसङ्ग्रहणी, वि-१५५१, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १६ झे. ऋषिमण्डलप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः भत्तिब्भर नमिर.... पातासंघवी २०२ - पे.क्र. ९, पृ. २२०-२४३, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-२०८. डीवीडी-३८/44 पाताहेसं १८९ पे.क्र. ८ पृ. ६०-६८B, दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष - अपूर्ण. गाथा १५७ तक है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र- ४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी - १०/१९ ऋषिमण्डलप्रकरण (ईर्ष्यापथिकी मिथ्यादुष्कृतरथानप्रकरण ) आचार्य - धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.२२३, पाकाहेम १०१६३- पे. क्र. १ पृ. १९ ऋषिमण्डलप्रकरण आदि वि-१८मी संपूर्ण पे. विशेष गाथा - २२३. कुल ३ पृष्ठ- १३ झे पाकाहेम १०६१७, पृ. ११, ऋषिमण्डलप्रकरण, वि-१६६५, अपूर्ण 3 प्रत विशेष गाथा-२२६. पाकाहेम ११०९४- पे. क्र. २. पृ. १ चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या आदि वि-१७मी, संपूर्ण ऋषिमण्डलप्रकरण (महर्षिकुलक), (ऋषिमण्डलस्तवप्रकरण), (महाऋषिमण्डलस्तव) ऋषिमण्डलप्रकरण प्रा., पद्य, आचार्य धर्मघोषसुरि, प्रा. पद्य, गा.२१०, प्र. २५४. कृ.विः संकळाएल प्रतोमां अमुक प्रतोमां १६१, १६२ गाथाओ छे तो अमुक प्रतोमा २०८ थी २२६ सुधीनी गाथाओ छे, पाकाहेम १०६१६, पृ. १०, ऋषिमण्डलप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण " ऋषिमण्डलप्रकरण- (सं.) बृहद्वृत्ति कथासहित , कृ.वि: विद्वाननाम अज्ञात है. पातासंघवी १९९१ पृ. २९३ ऋषिमण्डलस्तव सह बृहद्वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम ५ पत्र चोंटेला छे छेवटना पानां नथी. वचमां पण कोई कोई पत्र त्रुटक छे. अपूर्व छे. प्रायः मळतुं नथी, जीर्ण छे. मूल अने टीकाकार अज्ञात छे. कुल झे. पृष्ठ- ११३, डीवीडी-३८/५५ - 136 सं. गद्य, " पातासंघवी १९९-१, पृ. २९३, ऋषिमण्डलस्तव सह बृहद्वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम ५ पत्र चोटेला छे छेवटना पानां नथी. वचमां पण कोई कोई पत्र त्रुटक छे. अपूर्व छे. प्रायः मळतुं नथी, जीर्ण छे. मूल अने टीकाकार अज्ञात छे. कुल झे. पृष्ठ- ११३, डीवीडी-३८/५५ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ऋषिमण्डलप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति - कथासहित , सं., गद्य, पातासंघवी १९९-१, पृ. २९३, ऋषिमण्डलस्तव सह बृहद्वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम ५ पत्र चोंटेला छे. छेवटना पानां नथी. वचमां पण कोई कोई पत्र त्रुटक छे. अपूर्व छे. प्रायः मळतुं नथी, जीर्ण छे. मूल अने टीकाकार अज्ञात छे. कुल झे.पृष्ठ-११३, डीवीडी-३८/५५ ऋषिमण्डलस्तव (महर्षिस्तव) आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६२, आदि वाक्यः भत्तिभरनमिरसुरवर... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.७, पृ. ७३-८०-, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. पत्र-८१ नहीं है. गाथा-१५७ तक है. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३४-२- पे.क्र. ३, पृ. १-८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १८, पृ. १५१-१६१, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- महरिसिस्तवन ___ कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २६, पृ. २२१-२२९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६७. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाकाहेम १०१४९- पे.क्र. १, पृ. १-४, ऋषिमण्डलप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ ऋषिमण्डलस्तव (ऋषिमण्डलस्तव प्रकरण) प्रा., पद्य, गा.२७१, ग्रं.३४०, आदि वाक्यः (१) इसिमण्डलस्स गुणमण्डलस्स तवनियममण्डलवरस्स।..(२) रिसिमण्डलस्स गुणमण्डलस्स... कृ.विः धर्मघोषसूरिकृतथी अन्य. पाताखेत ५०- पे.क्र. ७, पृ. ८४-१०२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. नाम- रिसिमंडलस्तव, पे. विशेष- गाथा-२६९. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र.८, पृ. १५२-१६४, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१४५ तक है. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ ऋषिमण्डलस्तव प्रकरण जुओ - ऋषिमण्डलस्तव, प्राकृत, ग्रं.३४०, गा.२७१ ऋषिमण्डलस्तवप्रकरण जुओ - ऋषिमण्डलप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, ग्रं.२५४, गा.२१० ऋषिमण्डलस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक८३, पाकाहेम १२३८०- पे.क्र. १, पृ. २, ऋषिमण्डलस्तोत्र आदि, वि-१७२७, संपूर्ण एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य#, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत, का.४ एकविंशतिस्थानप्रकरण (एगवीसठाण) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.६६, आदि वाक्यः चवण विमाणा नयरी जणया जणणीओ रिक्ख रासीओ।... पाताखेत १२- पे.क्र. २३, पृ. २४०-२४७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. 137 Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र.७, पृ. ११४-१२०, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र.५, पृ. १२६-१३३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-२- पे.क्र. २, पृ. ६०-६७, भवभावनाप्रकरण तथा एकवीससस्थानप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-२- पे.क्र. १, पृ. १-८, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण __ डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२-पे.क्र. २३, पृ. २१६-२२१, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४१-२- पे.क्र.६, पृ. ९४-१००, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र.८, पृ. ११५-१२१, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-८१. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. २, पृ. २-७, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १४२(१) आपेलो छे., पत्र १ नथी. बीजानो टुकडो छे. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. ९, पृ. ५८-६२, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११९- पे.क्र.८, पृ. १३१-१३७, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ___ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १७, पृ. १८६-१८९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ भांता २४- पे.क्र. १३, पृ. १११-१२१A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२९०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता २५- पे.क्र.७, पृ. १७८B-१८४B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२९१. प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र.७, पृ. १७८B-१८४B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. झेरोक्ष पत्र-५२-५४. 138 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ भांता ७२- पे.क्र. ३३, पृ. १७४A-१८१A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. १०, पृ. ८१-८६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २२, पृ. ८१-८६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८३. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १०५६३, पृ. ४, एकविंशतिस्थानप्रकरण, वि-१६७२, अपूर्ण पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २८, पृ. ११०-११३, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित# (चतुरर्थगर्भित एकवृत्तमयीस्तुति), (जिनस्तवन?) सं., पद्य, पाकाहेम १२०१७, पृ. ४, चतुरर्थगर्भितएकवृत्तमयीस्तुतिस्वोपज्ञविवरणसहित त्रिपाठ कमलबन्धरूप, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे. कर्तानाम? कुल झे.पृष्ठ-४ एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण सं., गद्य, पाकाहेम १२०१७, पृ. ४, चतुरर्थगर्भितएकवृत्तमयीस्तुतिस्वोपज्ञविवरणसहित त्रिपाठ कमलबन्धरूप, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे. कर्तानाम? कुल झे.पृष्ठ-४ एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण सं., गद्य, पाकाहेम १२०१७, पृ. ४, चतुरर्थगर्भितएकवृत्तमयीस्तुतिस्वोपज्ञविवरणसहित त्रिपाठ कमलबन्धरूप, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे. कर्तानाम? कुल झे.पृष्ठ-४ एकषष्ट्यधिककाव्यशत जुओ - प्रश्नशतक, गणि-जिनवल्लभ, संस्कृत, श्लोक१६१ एकस्वर चित्रबद्ध-पद्मप्रभजिनस्तुति जुओ - पद्मप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्ध, संस्कृत, का.४ एकस्वरचित्रगर्भितसुविधिजिनस्तवन (सुविधिजिनस्तवन एकस्वरचित्रगर्भित) मुनि-गुणविजय, सं., पद्य, का.८, पाकाहेम ८२२६- पे.क्र. २, पृ. १, सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकस्वरचित्रबद्ध पार्श्वजिनस्तोत्र जुओ - पार्श्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रबद्ध#, संस्कृत, श्लोक७ एकस्वरचित्रमय सर्वजिनस्तोत्र जुओ - सर्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय, प्राकृत, गा.७ एकाक्षरकाण्ड इरुगपदण्डाधिनाथ, सं., पद्य, श्लोक७६, 139 Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७४६- पे.क्र. १, पृ. १, एकाक्षरकाण्ड आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरनाममाला जुओ - एकाक्षरीनाममाला, गणि-सुधाकलश, संस्कृत, श्लोक५० एकाक्षरस्तुति देवचन्द, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः जय अमरनय चरणमय... पातासंघवी २०५-१- पे.क्र.८, पृ. १२-१३, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१, डीवीडी-३८/५५ एकाक्षरीनाममाला पण्डित-अमरसिंह, सं., पद्य, श्लोक२०, पाकाहेम ८७३७, पृ. १, एकाक्षरीनाममाला, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरीनाममाला जैनेतर-विश्वशम्भु, सं., पद्य, श्लोक११५, पाकाहेम ८७३९, पृ. २, एकाक्षरीनाममाला, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरीनाममाला (एकाक्षरनाममाला) गणि-सुधाकलश, सं., पद्य, श्लोक५०, पाकाहेम ८७४०, पृ. २, एकाक्षरीनाममालाए, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १४३३२- पे.क्र. १, पृ. २, एकाक्षरनाममाला आदि, वि-१८५३, संपूर्ण पाकाहेम १७२९४, पृ. १, एकाक्षरनाममाला, वि-१४९७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरीनाममाला सं., पद्य, श्लोक१९, आदि वाक्यः अः कृष्णः आः स्वयम्भूरिः काम ई: श्रीरू ईश्वरः... अताका ४७७- पे.क्र. ३, पृ. १६२A-१६३A, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. नाम- एकाक्षरनाममाला, पे. विशेष- संपूर्ण. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ८७४३- पे.क्र. १, पृ. १, एकाक्षरीनाममाला आदि, वि-१७मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ८७४७- पे.क्र. २, पृ. १, ऋषभजिनस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरीनाममाला सं., पद्य, श्लोक१५, पाकाहेम ८७४६- पे.क्र. २, पृ. १, एकाक्षरकाण्ड आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ एकाक्षरीनाममाला सं., पद्य, श्लोक३५, पाकाहेम १४३३२- पे.क्र. २, पृ. २, एकाक्षरनाममाला आदि, वि-१८५३, संपूर्ण एकाक्षरीनाममाला आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९, आदि वाक्यः विश्वाभिधानकोशानि.... अताका ४७७- पे.क्र. ९, पृ. ?, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-३०-३१. 140 Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे. पृष्ठ ६५, डीवीडी - १०३/१०४ एकाक्षरीनाममालामातृकाक्षरानुक्रमेण सं., पद्य, श्लोक४६. पाकाहेम ८७४३- पे.क्र. २, पृ. १-२, एकाक्षरीनाममाला आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल की. पृष्ठ-२ एकादश रूद्र प्रा., गद्य, आदि वाक्यः भीमाउली जियसत्तूए रूद्दो.... भांता ७०- पे.क्र. १४५, पृ. १९८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम पत्त्यादिसेनाविशेष प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२4 उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ एकान्त नित्यानित्यवादभङ्गस्थल सं., आदि वाक्यः प्रत्यादया श्रीव्यात्मके सदित्यमि मन्यमानो... पाकाहेम ७४१२, पृ. ३, एकान्तनित्यानित्यवादभङ्गस्थल, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८७९२- पे क्र. २ पृ. ३-४ ईश्वरजगत्कर्तृत्ववादनिरास आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ एकेन्द्रियाणां जीवत्वस्थापना सं. गद्य, आदि वाक्यः वनस्पतयो जीवाजातिजरा सति द्रवत्वात्... भांका २१४- पे.क्र. ५. पृ. ४B, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ एगवीसठाण जुओ एकविंशतिस्थानप्रकरण, आचार्य-सिद्धसेनसूरि प्राकृत, गा. ६६ एगुणतीसी भावना (वैराग्यकुलक), (ओगणत्रीशी भावना कुलक) (जीवानुशासनकुलक), (भावनाकुलक), (आत्मसम्बोधकुलक) - प्रा. पच, गा.३०, आदि वाक्यः संसारम्मि असारे नत्थि सुहं वाहिवेयणापउरे..... पाताखेत ६- पे.क्र. १७ पृ. १२९ १३१, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. · कुल झे. पृष्ठ ११०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १६५- पे.क्र. १४, पृ. ?-२३०A, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष - अपूर्ण. त्रुटक रूप में गाथा है. झेरोक्ष पत्र ८७ ९०. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं है. कुल झे. पृष्ठ - ९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ११७-१- पे. क्र. १४, पृ. ९७ ९९, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- जीवानुशासनाकुलक, पे. विशेष- गाथा-२९. कुल झे. पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे. क्र. १९, पृ. १६१ - १६३, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाग आत्मसम्बोधनकुलक, पे. विशेष गाथा-२९कुल झे. पृष्ठ ९४ डीवीडी- ३५/५३ पातासंघवी १९०२ पे.क्र. १०, पृ. १९९-२०२ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४१ पृ. २६०-२६२ दशवेकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह वि-१३८९. संपूर्ण - 141 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३२, पृ. १३१A-१३३A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- आत्मसम्बोधनकुलक, पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांका ११०- पे.क्र. २, पृ. २B-३B, मिथ्यात्वपरिहार, एगुणतीसी भावना व जीवसम्बोध कुलक, संपूर्ण पे. नाम- भावनाकुलं, पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- लिखावट सुन्दर है. कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८४ एलकाक्षकथा (रात्रिभोजने) (रात्रिभोजने एलकाक्षकथा) प्रा., पद्य, गा.५०. पातासंघवी १६८- पे.क्र. १५, पृ. १३१-१३२, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- रात्रि भोजन उपर डीवीडी-३६/५४ एषणाशतक पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१०१, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. १०, पृ. २८-३२, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १०७७७, पृ. ५, एषणाशतक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०४. अतिजीर्ण. पाकाहेम १०७७८, पृ. ७, एषणाशतक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ ओगणत्रीशी भावना कुलक जुओ - एगुणतीसी भावना, प्राकृत, गा.३० ओघनियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.११६३, ग्रं.१४३२, आदि वाक्यः दुविहोवक्कमकालो सामायारी अहाउय कृ.विः गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. पाताखेत ३८-१- पे.क्र. १, पृ. १-८४, ओघनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति, वि-१२५९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११५४. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १६, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ६३-७८ तक क्रमशः यह कृति है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ३, पृ. १-८, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा ६१ तक ही उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ९०- पे.क्र. २, पृ. १६७-२७९, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११६२. डीवीडी-३२/५१ 142 Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १६६- पे.क्र. ११, पृ. ९९-१२९, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११४०. प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७-२- पे.क्र. १, पृ. १-७५, ओघनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्ति , संपूर्ण डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी १७-३- पे.क्र. १, पृ. १३१-१७८, ओघनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र- ४५-१७८. प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण, डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र.३, पृ. १४०-१८०, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. १, पृ. १-१०६, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण पत्र १०७ थी १५४ नथी डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९७-१- पे.क्र. १, पृ. १-११२, ओघनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्ति, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११९०. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं ५१- पे.क्र.३, पृ.?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-७-? कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ५८- पे.क्र. २, पृ. १५९-२४०, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ९०, पृ. ९२, ओघनियुक्ति, वि-११५४, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९१- पे.क्र. १, पृ. १-६२, ओघनियुक्ति-पिण्डनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-६२+९१. डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६३- पे.क्र. १, पृ. १-१०६, ओघनियुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनियुक्ति अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- ओघनियुक्ति टिप्पणीसह डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. ३, पृ. ५५-१२२, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता ७८, पृ. ११०, ओघनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११६२. सूचीपत्र नं.१-११२५. डीवीडी-७३/८३ तालाद ३१८, पृ. १९२, ओघनियुक्ति, वि-११५१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-९३/९५ तालाद ३४५, पृ. १६९, ओघनियुक्ति, वि-१३मी, संपूर्ण प्रत विशेष- १२ नंबर, पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-४९, डीवीडी-९४/९६ वताकांति ४३१-२, पृ. ३१, ओघनियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १, पृ. १-४०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण 143 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-११६०. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५४३, पृ. ४१, ओघनियुक्ति, वि-१४९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ६५५८, पृ. २६, ओघनियुक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११४६, ग्रन्थान-१४३२. कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम ७५०८, पृ. २९, ओघनियुक्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-११६०. प्रति शोधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १००६८, पृ. २६, ओघनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१४३२. __ कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १००६९, पृ. १३४, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे. पाकाहेम १०४८८, पृ. १५, ओघनियुक्ति, वि-१४६५, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११६५, ग्रन्थाग्र-१५००. कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १०४८९, पृ. ५३, ओघनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११६५, ग्रन्थान-१५००. कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १०४९०, पृ. २३, ओघनियुक्ति, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११८४. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०४९१, पृ. १८, ओघनियुक्ति, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११६४. कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १०५६२, पृ. १७८, ओघनियुक्ति सटीक त्रिपाठ, वि-१६६५, अपूर्ण पाकाहेम १४८५६, पृ. १०३, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८२२५. कुल झे.पृष्ठ-१०४ पाकाहेम १४८५७, पृ. १४६, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१५७०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १४८५८, पृ. २३, ओघनियुक्तिमूल, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां गाथा ११६४ आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १४८७५, पृ. १५४, ओघनियुक्तिसटीक, वि-१६३१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. पाकाहेम १४८७९, पृ. २६, ओघनियुक्ति, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा ११६५ आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ 144 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १६४०५, पृ. ९०, ओघनियुक्ति दीपिकाटीका सह, वि-१५०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाभाभा ६३, पृ. १२३, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१५२९, संपूर्ण भांका १३९, पृ. १६२, ओघनियुक्ति टीका सहित, वि-१४३६, संपूर्ण डीवीडी-८५ भांका २३७, पृ. ४३, ओघनियुक्ति सह अवचूर्णि, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३४ डीवीडी-८८ ओघनियुक्ति-(सं.)वृत्ति आचार्य-द्रोणाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.७०००, पातासंघवी १७-१, पृ. २१३, ओघनियुक्तिटीका, संपूर्ण डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६५५९, पृ. १३०, ओघनियुक्ति वृत्ति, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०-११ अने १०५-१०६ भेगां तेमज १२२मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१३० पाकाहेम १००६९, पृ. १३४, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे. पाकाहेम १०५६२, पृ. १७८, ओघनियुक्ति सटीक त्रिपाठ, वि-१६६५, अपूर्ण पाकाहेम १४८५६, पृ. १०३, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८२२५. कुल झे.पृष्ठ-१०४ पाकाहेम १४८५७, पृ. १४६, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१५७०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १४८७५, पृ. १५४, ओघनियुक्तिसटीक, वि-१६३१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५.. पाकाभाभा ६३, पृ. १२३, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१५२९, संपूर्ण भांका १३९, पृ. १६२, ओघनियुक्ति टीका सहित, वि-१४३६, संपूर्ण डीवीडी-८५ ओघनियुक्ति-(सं.)दीपिकाटीका आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., पद्य, श्लोक५८००, पाकाहेम १६४०५, पृ. ९०, ओघनियुक्ति दीपिकाटीका सह, वि-१५०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ ओघनियुक्ति-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४३९, आदि वाक्यः प्रकान्तोयमावश्यकानुयोग तदनेन सम्बन्धेन पूर्वं नमस्कारकमाह अरिहन्तेत्यादि व्याख्या सा च... कृ.विः द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. पाकाहेम ४८९, पृ. ५४, ओघनियुक्ति अवचूरि, वि-१५०५, संपूर्ण प्रत विशेष- शाके १३७०मां लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १०४९२, पृ. २३, ओघनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१४६३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०४९३, पृ. ३७, ओघनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० 145 Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २३७, पृ. ४३, ओघनियुक्ति सह अवचूर्णि, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३४ डीवीडी-८८ ओघनियुक्ति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रक्रान्तोयमावश्यकानुयोग. आचार्यो मङ्गलार्थं गाथाद्वयमाह अरिहन्ते अशोकाद्य... भांका ३०५, पृ. २४, ओघनिर्युक्त्यवचूरि, वि-१३३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३९., १५ अने १६ पार्नु डबल छे. डीवीडी-९२ ओघनियुक्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १६३- पे.क्र. १, पृ. १०६-१७५, ओघनियुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनियुक्ति अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- ओघनियुक्ति टिप्पणीसह डीवीडी-८/१८ ओघनियुक्ति-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १९, पृ. ४९-५०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ ओघनियुक्ति-(प्रा.)सक्षेप ओघनिर्युक्त्युद्धार (ओघनिर्युक्त्युद्धार) प्रा., पद्य, गा.५३, पाताखेत १२- पे.क्र. ३१, पृ. २८४-२८६, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ ओघनिर्युक्त्युद्धार प्रा., पद्य, गा.४३५, आदि वाक्यः अरिहन्ते वन्दित्ता ओहेणं यं निज्जुत्ति... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र.७, पृ. ५A-८B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ ओघनियुक्ति-(प्रा.)सक्षेप ओघनिर्युक्त्युद्धार (ओघनिर्युक्त्युद्धार) प्रा., पद्य, गा.५३, पाताखेत १२- पे.क्र. ३१, पृ. २८४-२८६, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ ओघनियुक्ति-(सं.)अवचूरि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४३९, आदि वाक्यः प्रकान्तोयमावश्यकानुयोग तदनेन सम्बन्धेन पूर्वं नमस्कारकमाह अरिहन्तेत्यादि व्याख्या सा च... कृ.विः द्रोणाचार्यवृत्यानुसारिणी. पाकाहेम ४८९, पृ. ५४, ओघनियुक्ति अवचूरि, वि-१५०५, संपूर्ण प्रत विशेष- शाके १३७०मां लखेली प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १०४९२, पृ. २३, ओघनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१४६३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०४९३, पृ. ३७, ओघनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० 146 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २३७, पृ. ४३, ओघनियुक्ति सह अवचूर्णि, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३४ डीवीडी-८८ ओघनियुक्ति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रक्रान्तोयमावश्यकानुयोग. आचार्यों मङ्गलार्थं गाथाद्वयमाह अरिहन्ते अशोकाद्य... भांका ३०५, पृ. २४, ओघनिर्युक्त्यवचूरि, वि-१३३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३९., १५ अने १६ पार्नु डबल छे. डीवीडी-९२ ओघनियुक्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १६३- पे.क्र. १, पृ. १०६-१७५, ओघनियुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनियुक्ति अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- ओघनियुक्ति टिप्पणीसह डीवीडी-८/१८ ओघनियुक्ति-(सं.)दीपिकाटीका आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., पद्य, श्लोक५८००, पाकाहेम १६४०५, पृ. ९०, ओघनियुक्ति दीपिकाटीका सह, वि-१५०६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ ओघनियुक्ति-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १९, पृ. ४९-५०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ ओघनियुक्ति-(सं.)वृत्ति आचार्य-द्रोणाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.७०००, पातासंघवी १७-१, पृ. २१३, ओघनियुक्तिटीका, संपूर्ण डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६५५९, पृ. १३०, ओघनियुक्ति वृत्ति, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०-११ अने १०५-१०६ भेगां तेमज १२२मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१३० पाकाहेम १००६९, पृ. १३४, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवं चित्र छे. पाकाहेम १०५६२, पृ. १७८, ओघनियुक्ति सटीक त्रिपाठ, वि-१६६५, अपूर्ण पाकाहेम १४८५६, पृ. १०३, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८२२५. कुल झे.पृष्ठ-१०४ पाकाहेम १४८५७, पृ. १४६, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१५७०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १४८७५, पृ. १५४, ओघनियुक्तिसटीक, वि-१६३१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. पाकाभाभा ६३, पृ. १२३, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१५२९, संपूर्ण भांका १३९, पृ. १६२, ओघनियुक्ति टीका सहित, वि-१४३६, संपूर्ण डीवीडी-८५ ओघनिर्युक्त्युद्धार जुओ - ओघनियुक्ति-(प्रा.)सङ्क्षप ओघनिर्युक्त्युद्धार, प्राकृत, गा.५३ ओघनियुक्त्युद्धार 147 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औक्तिक कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. पद्य, गा.४३५, आदि वाक्यः अरिहन्ते वन्दित्ता आहेणं यं निज्जुत्ति.... " पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ७, पृ. ५A-CB, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३ डबल छे पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ सं., मारुगूर्जर, पाकाहेम १०११५- पे. क्र. ३. पृ. १६-२३, शब्दसञ्चय आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २४ औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये भरतनटादिकथाओ जुओ भरतनटादिकथाओ- औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये, संस्कृत औदयिकतिथिविचार ( तिथिविचार ) मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३६२- पे. क्र. १५ पृ. ४३-४५ मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झ. पृष्ठ-५० औदयिकादिभावस्वरूप . सं., गद्य, आदि वाक्यः तत्रौदयिको भाव एकविंशतिभेदस्तद्यथा... भांता ७० पे. क्र. १०३ पृ. १३९४-१४०, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण - औपदेशिक कुलक प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र- २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः नमिय जिणसिद्धसाहूणपयपङ्कयं .... पाताहेसं १८९- पे.क्र. ११, पृ. ८६B-८९A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण औपदेशिक गाथा प्रत विशेष- त्रुटक कुल पत्र-४५+१५९ २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ ८४, डीवीडी-१०/१९ - - प्रा., पद्य, गा८, आदि वाक्यः विरलासधम्मरया विरला विरलं निगरूय कम्माई.... कृ.वि: अन्त वाक्य विरल विरला तिहुयण नमियं महावीरो. पातासंघवीजीर्ण ९१ पे.क्र. ८, पृ. २-३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. प्रत विशेष जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ ४८, डीवीडी-५८/६० औपदेशिक गीत उपाध्याय यशोविजयजी गणितपागच्छीय), मारुगुर्जर, पद्य, गा, आदि वाक्यः चेतन जो तुं ग्यान असासी..... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. ८ पृ. ९, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि- १७१४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. ४, पृ. २, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा. ७, आदि वाक्यः सब लया छाक मोह मदिरा की .... पाकाहेम ६१९७- पे. क्र. ९ पृ. ९. जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि- १७१४ संपूर्ण 148 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र.५, पृ. २-३, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः चेतन अब मोहिं दर्शन दीजे... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १०, पृ. ९-१०, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. ६, पृ. ३, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः चेतन राह चले उलटे... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १२, पृ. १०, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र.७, पृ. ३, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः सज्जन राख तरीत भली अपनो... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १४, पृ. १०, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र.८, पृ.३, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः अजब गति चिदानन्दघन की... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १३, पृ. १०, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८-पे.क्र. ९, पृ. ३, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः प्रभु मेरी अयसी आय बनी... पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. १०, पृ. ३-४, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक गीत उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.७, आदि वाक्यः अब में साचो साहिब पायो... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. ११, पृ. १०, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. ११, पृ. ४, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः परम गुरु जैन कहो क्युं होवइं... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. ६, पृ. ८-९, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. १, पृ. १, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.७, आदि वाक्यः चतुर नर सामाइक नय धारो... 149 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६१९७- पे.क्र.५, पृ.८, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. २, पृ. १-२, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- औपदेशिक स्वाध्याय कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः परम प्रभु सब जन सब्दे ध्यावें... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र.७, पृ. ९, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६१९८- पे.क्र. ३, पृ. २, यशोविजयकृत पदसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- औपदेशिक स्वाध्याय कुल झे.पृष्ठ-४ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः जब लग आवइ नहीं मन ठाम तब लग कष्ट... पाकाहेम ६१९६- पे.क्र. १, पृ. १, जसविलास-पदसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.६, आदि वाक्यः चेतन ममता छारि परीरी... पाकाहेम ६१९६- पे.क्र.२, पृ. १-२, जसविलास-पदसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.६, आदि वाक्यः चेतन ज्ञान की दृष्टि निहालो... पाकाहेम ६१९६- पे.क्र. ३, पृ. २, जसविलास-पदसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.६, आदि वाक्यः कन्त विण कहो कुण गति नारी... पाकाहेम ६१९६- पे.क्र. ४, पृ.२, जसविलास-पदसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ औपदेशिक पद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः धर्म के विलास वास ज्ञान के महाप्रकाश... पाकाहेम ६१९६- पे.क्र. ५, पृ. २-३, जसविलास-पदसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ औपदेशिक पाठ प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः भो भव्वा अथिरत्ते वियं भमणे भवम्मि भावाणं... कृ.विः अन्त वाक्य-सव्वेसि मवद्र्यिसहावो. पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र.७, पृ. १-२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४७-४८. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह (विविध विषयक औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह) सं., पद्य, पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १६, पृ. २९०-३१A, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण 150 Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- औपदेशिक श्लोक प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ औपदेशिक स्वाध्याय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १, पृ. -३, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक-१ व २ नहीं है. गाथा-२३ तक नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-६ औपदेशिकगाथा प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः अणुरत्तो भविगओ.. पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २३, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९१ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० औपपातिकोपाङ्गसूत्र (उववाईसूत्र) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.११६७, आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नाम नयरी होत्था रिद्धिस्थिमिय समिद्धापमुइयजणजाणपदा पाताहेसं १७१-१८, पृ. ?, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ भांता ७३- पे.क्र.३, पृ. १२९B-१५३, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१८२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ लिंता ३४१४-१, पृ. ९३, औपपातिकोपाङ्ग सूत्र, संपूर्ण वताकांति ४०६-१, पृ. ३५, औपपातिकसूत्र वृत्ति सह, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका गन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-३५, डीवीडी-९७/९८ वताकांति ४०६-३, पृ. २५, उववाईसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम मूल पत्र-२५ अने झेरोक्ष पत्र २४ नथी. मूल पत्र ३ पण नथी. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९७/९८ अताका ४७२, पृ. ३५, उववाई सूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- (आत्मारामजी-वडोदरा) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २०७, पृ. ४४, औपपातिकउपाङ्गसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ पाकाहेम ६९१३, पृ. ८३, औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मू. ग्रन्थाग्र-१,१७५ टीका ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम ६९१४, पृ. ४०, औपपातिकउपाङ्गसूत्र मूल, वि-१५९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १००१०, पृ. २०, औपपातिकउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० 151 Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०४७०, पृ. ३०, औपपातिकोपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०५४६, पृ. ८१, औपपातिकोपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२१२. पाकाहेम १०५६०, पृ. ४८, औपपातिकोपाङ्गसूत्र, वि-१६०१, संपूर्ण पाकाहेम १६७३४, पृ. ३१, औपपातिकोपाङ्गसूत्र अपूर्ण, संपूर्ण पाकाहेम १६७३६, पृ. ३४, औपपातिकोपाङ्गसूत्र, वि-१५८५, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १६७३७, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४३००. कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १६७३८, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ पुप्रे ४४५, पृ. १०४, औपपातिकसूत्र, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०५ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४३००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षिता औपपातिकशास्त्रस्य... भांता ७३- पे.क्र.४, पृ. १५४-२२६, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१८५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ वताकांति ४०६-१, पृ. ३५, औपपातिकसूत्र वृत्ति सह, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका गन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-३५, डीवीडी-९७/९८ अताका ४७२, पृ. ३५, उववाई सूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- (आत्मारामजी-वडोदरा) डीवीडी-१०३/१०४ अताका ५०४, पृ. ६५, औपपातिकसूत्रवृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २१७, पृ. ६९, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध करेल छे. ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम २१९, पृ. ५७, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, अपूर्ण ___कुल झे.पृष्ठ-५८ पाकाहेम २२२, पृ. ७६, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-९९ पाकाहेम ६९१३, पृ. ८३, औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मू. ग्रन्थाग्र-१,१७५ टीका ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम ६९१५, पृ. ५६, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ 152 Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००११, पृ. ५९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. प्रथम पत्रमा अम्बड परिव्राजक सुलसा श्राविकाना सम्यक्त्वनी परीक्षा करी रह्यो छे ते भावने सूचवता चित्र सहित भगवान महावीरना समवसरण, भाववाही हृद्यंगम सुमधुर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०३४४, पृ. ६३, औपपातिकोपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५७८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४३५. कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १६७३७, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४३००. कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १६७३८, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)सुखबोधा टीका (सुखबोधा टीका) सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१८, पृ. १-५९, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)पर्याय मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ साधुगुणरत्नसमुच्चय समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १५९२, गा.३९८, पाकाहेम १०७९९, पृ. २५, साधुगुणरत्नसमुच्चय-औपपातिकसूत्रानुसारी, वि-१७मी, संपूर्ण औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)पर्याय मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४३००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षिता __औपपातिकशास्त्रस्य... भांता ७३- पे.क्र. ४, पृ. १५४-२२६, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१८५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ वताकांति ४०६-१, पृ. ३५, औपपातिकसूत्र वृत्ति सह, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका गन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-३५, डीवीडी-९७/९८ अताका ४७२, पृ. ३५, उववाई सूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- (आत्मारामजी-वडोदरा) डीवीडी-१०३/१०४ अताका ५०४, पृ. ६५, औपपातिकसूत्रवृत्ति, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २१७, पृ. ६९, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध करेल छे. ग्रन्थाग्र-३१२५. 153 Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम २१९, पृ. ५७, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ पाकाहेम २२२, पृ. ७६, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-९९ पाकाहेम ६९१३, पृ. ८३, औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मू. ग्रन्थाग्र-१,१७५ टीका ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम ६९१५, पृ. ५६, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ पाकाहेम १००११, पृ. ५९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. प्रथम पत्रमा अम्बड परिव्राजक सुलसा श्राविकाना सम्यक्त्वनी परीक्षा करी रह्यो छे ते भावने सूचवता चित्र सहित भगवान महावीरना समवसरण- भाववाही हृद्यंगम सुमधुर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०३४४, पृ. ६३, औपपातिकोपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५७८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४३५. कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १६७३७, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४३००. कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १६७३८, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)सुखबोधा टीका (सुखबोधा टीका) सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१८, पृ. १-५९, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ औषध सङ्ग्रह जुओ - केटलाक दर्दोनां औषध, मारुगूर्जर औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक उपाध्याय-धर्मसागर, प्रा., पद्य, गा.१७, पाकाहेम ११०४९, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कक्क जुओ - शालिभद्रकारक, अज्ञात-पउम, अपभ्रंश, गा.६९ कक्षापट वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत कणपोटली टीका जुओ - सप्तपदार्थी-(सं.)कणपोटली टीका, संस्कृत कण्टकोद्धार सं., गद्य, पाकाहेम ८७९४- पे.क्र. २, पृ.?, सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण 154 Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ-४ कतिचिद्गाथावृत्ति जुओ- पिण्डनिर्युक्ति - (सं.) विषमगाथाविवरण, संस्कृत कथा सङ्ग्रह जुओ- प्रकीर्णक कथाओ, संस्कृत कथाओ जुओ प्रकीर्णक कथाओ, संस्कृत कथाओ जुओ सुदर्शन श्रेष्ठिकथादि कथाओ, संस्कृत कथाको - प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ६९- पे. क्र. २, पृ. १९५-२४६, ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६० कथाकोश कथाकोश - (सं.) टीका सं. गद्य, पातासंघवीजीर्ण ६९ पे क्र. २. पृ. ३०६ ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक प्रत विशेष छुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६० कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., सं., पाकाम ९६१९, पृ. ६१, कथाकोश, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४१ कथाकोश जुओ कथानककोशसूत्र गाथाबद्ध आचार्य जिनेश्वराचार्य, प्राकृत कथाकोश - (सं) विवरण आचार्य - जिनभद्रसूरि, गुरु- आचार्य - शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १७मी, गा.३०, पाकाहेम १७७५, पृ. १-७, कथाकोश सह विवरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - ९३-१४० सुधीना पाना उंदरे करडेला छे. कुल झे. पृष्ठ-९४ कथाकोश - (सं.) टीका सं. गद्य, पातासंघवीजीर्ण ६९ पे क्र. २. पृ. ३०६ ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक " प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६० कथाकोष कल्पमञ्जरी श्लोकबद्ध जुओ - कल्पमञ्जरी कथाकोष श्लोकबद्ध, आचार्य- जयतिलकसूरि, संस्कृत कथानक कोश मुनि-विनयचन्द्र, प्रा., ग्रं. ५१४०, आदि वाक्यः वन्दित्तु भुवणनाहे असुरामरमणुयवन्दिए विहिणा... पातासंघवी १५४-२ पृ. १९३, कथानुकोष सटीक, वि-११६६, संपूर्ण प्रत विशेष कर्ता-विनयचन्द्र ? एक तरफनी कोर खरी गई छे एटले अस्त व्यस्त छे. डीवीडी-३५/५३ कथानक कोश - (सं.) टीका मुनि- विनयचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्य आसां व्याख्या वन्दित्वा भुवननाथम्..... कृ. विः कर्ता विनयचन्द्रजी ? पातासंघवी १५४-२ पृ. १९३, कथानुकोष सटीक, वि-११६६, संपूर्ण प्रत विशेष कर्ता-विनयचन्द्र ? एक तरफनी कोर खरी गई छे एटले अस्त व्यस्त छे. डीवीडी-३५/५३ कथानक कोश (सं.) टीका मुनि - विनयचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्यः आसां व्याख्या वन्दित्वा भुवननाथम्... 155 Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः कर्ता विनयचन्द्रजी? पातासंघवी १५४-२, पृ. १९३, कथानुकोष सटीक, वि-११६६, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्ता-विनयचन्द्र ?, एक तरफनी कोर खरी गई छे. एटले अस्त व्यस्त छे. डीवीडी-३५/५३ कथानककोशसूत्र गाथाबद्ध (कथाकोश), (कथारत्नकोश) आचार्य-जिनेश्वराचार्य, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११०८, पाकाहेम १७७५, पृ.३, कथाकोश सह विवरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ९३-१४० सुधीना पाना उंदरे करडेला छे. कुल झे.पृष्ठ-९४ कथानककोशसूत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, कथाकोश-(सं) विवरण आचार्य-जिनभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १७मी, गा.३०, पाकाहेम १७७५, पृ. १-७, कथाकोश सह विवरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ९३-१४० सुधीना पाना उंदरे करडेला छे. कुल झे.पृष्ठ-९४ । कथारत्नकोश जुओ - कथानककोशसूत्र गाथाबद्ध, आचार्य-जिनेश्वराचार्य, प्राकृत कथारत्नकोश जुओ - कहारयणकोस, आचार्य-देवभद्रसूरि, प्राकृत कथारत्नसागर (तरङ्गकथा) आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं.अध्याय१५, कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. तरंग-१५. पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. २, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण पे. विशेष- इसके अन्दर दृढप्रहारी, खंधक, आर्यमंगू, सागरचन्द्र, दत्तकथानक, वसुतेजः व नागकेतु कथा सम्मिलित है. प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १३७-१, पृ. १६४, कथारत्नसागर-सचित्र, वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना १० पत्रो तूटेलां छे. १६३मां पत्रमा श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी अने १६४मां पत्रमा श्रोताओनी मूर्ति चितरेली छे. डीवीडी-३५/५३ कथारत्नाकर अताका ४६६- पे.क्र. २, पृ. ?, योनिप्राभृत अने कथारत्नाकर, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिति नथी डीवीडी-१०३/१०४ कथारत्नाकर गद्यबद्ध गणि-हेमविजय, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६५७, श्लोक७४००, पाकाहेम १७७४, पृ. २०३, कथारत्नाकर गद्यबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतिमा २५८ कथानो संग्रह छे.पत्र ११ मुं १२ मुं नथी अने १७६ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१३६ कथावली आचार्य-भद्रेश्वरसूरि, प्रा., ग्रं.१२६००, आदि वाक्यः नमिऊण नाहिजणियं देवं सरस्सइ गुरूण माहप्पा... पातासंघवी ८- पे.क्र. १, पृ. १-३०७, कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम तथा द्वितीय विभाग, वि-१४९७, प्रतिपूर्ण पे. नाम- कथावली प्रथमखण्ड-प्रथमविभाग 156 Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पे. २. संपूर्ण सारी छे., पत्र-३०७+३०७=६१४. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ८- पे.क्र. २, पृ. १-३०७, कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम तथा द्वितीय विभाग, वि-१४९७, प्रतिपूर्ण पे. नाम- कथावली प्रथमखण्ड द्वितीय विभाग प्रत विशेष- पे. २. संपूर्ण सारी छे., पत्र-३०७+३०७=६१४. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ९- पे.क्र. १, पृ. १-१५१, कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम विभागतथा द्वितीय विभाग, वि-१४९७, प्रतिपूर्ण पे. नाम- कथावली प्रथमखण्ड प्रथमविभाग डीवीडी-२१/३९ पातासंघवी ९- पे.क्र.२, पृ. १५२-३०२, कथावली प्रथम खण्ड-प्रथम विभागतथा द्वितीय विभाग, वि-१४९७, प्रतिपूर्ण पे. नाम- कथावली प्रथम खण्ड द्वितीय विभाग डीवीडी-२१/३९ कथासङ्ग्रह जुओ - अष्टप्रवचनमाताविषयककथासङ्ग्रह, संस्कृत कथासङ्ग्रह सं.. पाकाहेम ९५५८, पृ. ४, कथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूक्ष्माक्षरथी लखेली प्रत. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १५३९७, पृ. १८, कथासङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कथासङ्ग्रह पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र. १२, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- प्रकीर्ण कथासंग्रह, पे. विशेष- अनिर्णित कथासंग्रह के लिये इस कृति का चयन किया गया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १२६, पृ. २०६, अभयश्री कथानक आदि कथानको, संपूर्ण प्रत विशेष- १६ कथाओ. डीवीडी-८/१७ कथासङ्ग्रह सं., पद्य, आदि वाक्यः यन्नैकामपि कामिनी... कृ.विः ८४ अन्तर कथा. भांका ९६, पृ. ३४, कथासङ्ग्रह, वि-१४९७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९९. डीवीडी-८४ कथासङ्ग्रह जुओ - चारुदत्ता विगेरेनी कथाओनो सङ्ग्रह, प्राकृत कथासङ्ग्रह जुओ - दानादिफलविषयक विविधकथासङ्ग्रह, संस्कृत कथासङ्ग्रह जुओ - विविधकथासङ्ग्रह, संस्कृत कथासङ्ग्रह जुओ - सागरकथादिकथासङ्ग्रह, संस्कृत कथासङ्ग्रह जुओ - सिद्धान्तगतअनेककथासङ्ग्रह, प्राकृत,संस्कृत कथासङ्ग्रह जुओ - सुबाहु आदि कथासङ्ग्रह, प्राकृत कथासङग्रह गद्य प्रा., गद्य, ग्रं.१४००, पाकाहेम १०१८१, पृ. १८, कथासङ्ग्रह गद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ 157 Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १४२४१, पृ. १०, कथासङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- निशीथशास्त्रोक्त कथात्रिक देवचन्द्रजी लिखित. कथासङ्ग्रह गद्य जुओ - सक्षिप्तकथासङ्ग्रह गद्य, संस्कृत, ग्रं.४५९ कथासङ्ग्रह गद्य पद्य सं.,प्रा., संयुक्त प+ग, कृ.विः आ संग्रहमां वल्लभईप्रबन्ध, मदनवर्मप्रबन्ध वगेरे ऐतिहासिक प्रबन्धो पण छे. पाकाहेम ८१२५, पृ. २१, कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य, वि-१५२०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ८१२६, पृ. ११, कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- भाषा-संस्कृत. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०६४९, पृ. १४, कथासङ्ग्रह गद्य-पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कथासङ्ग्रह गाथाबद्ध प्रा., पद्य, ग्रं.१४००, पाकाहेम ८१२७, पृ. २०, कथासङ्ग्रह गाथाबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ कथासङ्ग्रह भावविषयक जुओ - भावविषयककथासङ्ग्रह, प्राकृत कथासङ्ग्रह रात्रिभोजनादिविषयक जुओ - रात्रिभोजनादिविषयककथासङ्ग्रह -गद्य, संस्कृत,प्राकृत कथासङ्ग्रह लघु जुओ - लघुकथासङ्ग्रह, संस्कृत कथासङ्ग्रह-वसतिशयनासनादिविषयक गद्य (वसति-शयनादिदानविषयककथा सङ्ग्रह गद्य ), (वसहिसयणासण गाथासम्बद्ध कथासङ्ग्रह गद्य) सं., गद्य, पाकाहेम ३८५२, पृ. ७, कथासङ्ग्रह वसतिशयनासनादिविषयकगद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ४८३४, पृ. ६, वसतिशयनासनादिविषयककथासङ्ग्रह गद्य, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम ८१३२, पृ. १३, वसति-शयनादिविषयककथासङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८१३३, पृ. ६, वसहिसयणासण गाथासम्बद्धकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४००. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०१८४, पृ. १६, वसति-शयनादिदानविषयककथासङ्ग्रहगद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ कथासङ्ग्रह-श्लोकबद्ध सं., पद्य, पाकाहेम ८१२३, पृ. ५, कथासङ्ग्रह श्लोकबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण कन्दजाई कुलग जुओ - कन्दजातिकुलक, प्राकृत, गा.७ कन्दजातिकुलक (कन्दजाई कुलग), (अभक्ष्यानन्तकायकुलक) प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्यः (१) सव्वा य कन्दजाई सूरणकन्दो य वज्जकन्दो य...(२) सव्वा वि कन्दजाई सूरणकन्दो ... पाताहेसं १४२- पे.क्र.५, पृ. ७-८, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ कन्दली टीका जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका, जैनेतर-श्रीधर भट्ट, संस्कृत, ग्रं.३७१६ 158 Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कप्पसुत्तन्त जुओ - कल्पसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.१२८० कमलावतीरास जुओ - कमलावतीसज्झाय, मुनि-विजयभद्र, मारुगूर्जर, गा.४४ कमलावतीसज्झाय (कमलावतीरास) मुनि-विजयभद्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४४, पाकाहेम १०१३५, पृ. ४, कमलावतीरास, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०७९४, पृ. ३, कमलावतीसज्झाय, वि-१६मी, संपूर्ण कम्मपयडीसङ्गहणी जुओ - कर्मप्रकृति, आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्राकृत, गा.४७५ कयवन्नाविवाहलुं मारुगूर्जर, पद्य, कृ.विः भाषा-अपभ्रंश प्रधान मा.गु. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४०, पृ. १२९-१३१, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ करकण्डूनृपकथा-गद्य सं., गद्य, पाकाहेम १३२०६, पृ. २, करकण्डूनृपकथा गद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ करगडुककथा सं., पद्य, श्लोक६८, पाकाहेम ४००१- पे.क्र.८, पृ. २६-२९, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ करभाष्टक सं., पद्य, श्लोकर, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ६, पृ. २, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ करहेटक पार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन करहेटक) सं., पद्य, पाकाहेम १३३०५- पे.क्र. २, पृ. १, चारित्रमनोरथमाला आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ कर्णिकावृत्ति जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)कर्णिकावृत्ति, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.१२२७४ कर्पूरचरितभाण कवि-वत्सराज महामात्य, सं., संयुक्त प+ग, ग्रं.१९०, आदि वाक्यः दास्येहं परिरम्भणानि कितव द्यूते जितानि त्वया... पाताखेत ४१-१- पे.क्र. १, पृ. १-२०, कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय,, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६२/६४ कर्पूरप्रकर मुनि-हरिषेण, सं., पद्य, अताका ५०२, पृ. १९३, कर्पूरप्रकर वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९ डीवीडी-१०३/१०४ कर्पूरप्रकर-(सं.)टीका सं., गद्य, अताका ५०२, पृ. १९३, कर्पूरप्रकर वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९ 159 कलो Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६९५०, पृ. ५२, कर्पूरप्रकरटीका, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ कर्पूरप्रकर-(सं.)टीका सं., गद्य, अताका ५०२, पृ. १९३, कर्पूरप्रकर वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९ डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६९५०, पृ. ५२, कर्पूरप्रकरटीका, वि-१७मी, अपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-५३ कर्पूरप्रतिष्टा प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सयलसुरासुरमाणुसवन्तर... भांता ७०- पे.क्र. ७७, पृ. ९७A-९७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ कर्पूरमञ्जरी लघुटीका जुओ - कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका, संस्कृत कर्पूरमञ्जरी सट्टक जुओ - कर्पूरमञ्जरीनाटिका, कवि-राजशेखर, संस्कृत,प्राकृत कर्पूरमञ्जरीनाटिका (कर्पूरमञ्जरी सट्टक) कवि-राजशेखर, सं.,प्रा., संयुक्त प+ग, कृ.विः अनेक भाषाओ. पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम ७३७६, पृ. १०, कर्पूरमञ्जरी सट्टक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-११ कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका (कर्पूरमञ्जरी लघुटीका) सं., गद्य, पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका (कर्पूरमञ्जरी लघुटीका) सं., गद्य, पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाकाहेम १०६१०- पे.क्र. ३, पृ. १४मुं, पुष्पमालाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कर्मग्रन्थ आचार्य-नेमिचन्द्र (दिगम्बर), प्रा., पद्य, गा.१६१, पाकाहेम १०१४२, पृ. १२, कर्मग्रन्थ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मग्रन्थ चतुर्थ जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ कर्मग्रन्थ चतुर्थ नव्य जुओ - षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.८६ कर्मग्रन्थ तृतीय प्राचीन जुओ - बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ, प्राकृत, गा.५४ 160 Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कर्मग्रन्थ नव्य तृतीय जुओ - बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत कर्मग्रन्थ नव्य द्वितीय कर्मस्तव जुओ - कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.३४ कर्मग्रन्थ नव्य पञ्चम जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत कर्मग्रन्थ नव्य प्रथम कर्मविपाक जुओ - कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ', आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.६१ कर्मग्रन्थ प्राचीन द्वितीय कर्मस्तव जुओ - कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ , प्राकृत, गा.५८ कर्मग्रन्थ प्राचीन प्रथम कर्मविपाक जुओ - कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ, आचार्य-गर्गर्षि, प्राकृत, गा.१६७ कर्मग्रन्थ सप्ततिका जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ', ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४३, पृ. ३३, कर्मग्रन्थ सङ्क्षिप्त बालावबोध सहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका* , सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ३, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- कर्मग्रन्थ की टीका, पे. विशेष- इस कृति के पत्र क्रमशः नहीं है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मग्रन्थ-५ जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्राकृत, गा.१११ कर्मग्रन्थषट्क (नव्य कर्मग्रन्थषट्क) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं वन्दिय कम्मविवागं समासओ वुच्छं।... कृ.विः १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत् छे. पाकाहेम ६९७० - पे.क्र. २, पृ. ?, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ६९७१, पृ. २३, कर्मग्रन्थषट्क, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०१४३, पृ. ३३, कर्मग्रन्थ सङ्क्षिप्त बालावबोध सहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५९०, पृ. ९२, नव्यकर्मग्रन्थषट्क सावचूर्णि, वि-१५२८, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०५९१, पृ. ८, कर्मग्रन्थषट्क, वि-१५मी, संपूर्ण कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४५९, ग्रं.३१००, पाकाहेम ८८४, पृ. २५, नव्यकर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम ६९७२, पृ. ५३, कर्मग्रन्थषट्क अवचूरि, वि-१५९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम ७६५९, पृ. ३१, कर्मग्रन्थषटकावचूर्णि, वि-१४६६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ पाकाहेम १०३२८, पृ. ३३, कर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५६५, पृ. २०१, कर्मग्रन्थषट्कावचूरि, वि-१६६१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६७०, रचना संवत १४८६ आपेल छे. पत्र १३मुं नथी. कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि 161 Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम १०५९०, पृ. ९२, नव्यकर्मग्रन्थषट्क सावचूर्णि, वि-१५२८, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-६० भांका १०१, पृ. ६५, कर्मग्रन्थ अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८४ कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४३, पृ. ३३, कर्मग्रन्थ सक्षिप्त बालावबोध सहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ कर्मग्रन्थषटक-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४५९, ग्रं.३१००, पाकाहेम ८८४, पृ. २५, नव्यकर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम ६९७२, पृ. ५३, कर्मग्रन्थषट्क अवचूरि, वि-१५९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम ७६५९, पृ. ३१, कर्मग्रन्थषटकावचूर्णि, वि-१४६६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ पाकाहेम १०३२८, पृ. ३३, कर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५६५, पृ. २०१, कर्मग्रन्थषटकावचूरि, वि-१६६१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६७०, रचना संवत १४८६ आपेल छे. पत्र १३मुं नथी. कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५९०, पृ. ९२, नव्यकर्मग्रन्थषट्क सावचूर्णि, वि-१५२८, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-६० भांका १०१, पृ. ६५, कर्मग्रन्थ अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८४ कर्मचन्द्रवंशप्रबन्ध गणि-गुणविनय, मारुगूर्जर, रचना सं. विक्रम १६५५, पाकाहेम ८००४, पृ. १३, कर्मचन्द्रवंशप्रबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ कर्मप्रकृति (कम्मपयडीसङ्गहणी), (कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी) आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्रा., पद्य, गा.४७५, आदि वाक्यः (१) सिद्धं सिद्धत्थं वन्दिय... (२) सिद्धं सिद्धत्थसुयं... कृ.विः गाथा-४७३-४७७ सुधी मळे छे. पाताखेत ३८-२- पे.क्र. १, पृ. ११९, कम्मपयडीसङ्ग्रहणी न्यायप्रवेशपञ्जिका, संपूर्ण पे. नाम- कम्मपयडिसंग्रहणी डीवीडी-६२/६४ पाताहेसं ११२- पे.क्र. १, पृ. १-४१, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- कम्मपयडी, पे. विशेष- गाथा-४७७. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ 162 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १७२, पृ. २४७, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण तालाद ३३८- पे.क्र.२, पृ. १४१-१८३, नाणाचित्तप्रकरण, कर्मप्रकृति, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३४३- पे.क्र. १, पृ. १-७३/१, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४७६. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८१- पे.क्र. १, पृ. ५०, कर्मप्रकृति व पिण्डविशुद्धिटीका, वि-१३मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४७३. कुल झे.पृष्ठ-२६, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट (१) कर्म प्रकृति - २६ तथा (२) पिंड विशुद्धि - ५० छे., डीवीडी-९४/९६ कर्मप्रकृति-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य कर्मद्रुमचक्रनेमिं नमतमत्सुराधीशमरिष्टनेमिम्।... पाताहेसं १७२, पृ. १-१४९, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण भांका १२०, पृ. २२४, कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष-४९,५०, पाना नं. भेगा छे. पाना नं. ५५ अने ५५A बे वखत छे. डीवीडी-८४ भांका २३१, पृ. १०१, कर्मप्रकृतिटीका, संपूर्ण डीवीडी-८८ कर्मप्रकृति बत्रीशी जुओ - कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका, प्राकृत, गा.२९ कर्मप्रकृति-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य कर्मद्रुमचक्रनेमि नमतमत्सुराधीशमरिष्टनेमिम्।... पाताहेसं १७२, पृ. १-१४९, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण भांका १२०, पृ. २२४, कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- ४९,५०, पाना नं. भेगा छे. पाना नं. ५५ अने ५५A बे वखत छे. डीवीडी-८४ भांका २३१, पृ. १०१, कर्मप्रकृतिटीका, संपूर्ण डीवीडी-८८ कर्मप्रकृतित्रोटन सं., गद्य, भांका २९३- पे.क्र. १०, पृ. ५००-५७B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका (कर्मप्रकृति बत्रीशी) प्रा., पद्य, गा.२९, पाकाहेम १०९८९, पृ. २, कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका, वि-१७मी, संपूर्ण कर्मप्रकृतिविषयक पाठ प्रा., पद्य, कृ.विः विषय को देखकर काल्पनिक नाम दिया गया है. प्रामाणिक संदर्भ पाठ मिलने पर सही नाम दिया जाएगा. पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र.७, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- कर्मप्रकृतिविषयक पाठ सह टीका, पे. विशेष- त्रुटक पत्र है. झे. पत्र-१७-२२ पर है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मप्रकृतिविषयक पाठ-(सं.)टीका 163 Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ७, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- कर्मप्रकृतिविषयक पाठ सह टीका, पे. विशेष- त्रुटक पत्र है. झे. पत्र-१७-२२ पर है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मप्रकृतिविषयक पाठ-(सं.)टीका सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.७, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- कर्मप्रकृतिविषयक पाठ सह टीका, पे. विशेष- त्रुटक पत्र है. झे. पत्र-१७-२२ पर है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी जुओ - कर्मप्रकृति, आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्राकृत, गा.४७५ कर्मबन्धगाथा प्रा., पद्य, पातासंघवी १६५- पे.क्र. १३, पृ. -२२५-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- अजितशान्तिस्तव, पे. विशेष- गाथा-४१. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-८५-८७. ___ कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ (नव्य कर्मग्रन्थ प्रथम), (कर्मग्रन्थ नव्य प्रथम कर्मविपाक) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.६१, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं वन्दिअ कम्मविवागं समासओ वुच्छं... पातासंघवी ६३-३, पृ. १८९, कर्मविपाकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९-४९-५०-८६-८७-१०७-१२७-१६५-१६८-१७० नथी. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. १, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मविपाक कर्मग्रन्थ सह (गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१७८२, पातासंघवी ६३-३, पृ. १८९, कर्मविपाकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९-४९-५०-८६-८७-१०७-१२७-१६५-१६८-१७० नथी. डीवीडी-३०/४९ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)स्तबक मुनि-धनविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. १, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मविपाक कर्मग्रन्थ सह (गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रियाष्टाप्रातिहार्यरूप या च पुस्त्रिंशदतिशय समृद्ध्या... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. १, पृ. १-२, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- कर्मपाकावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका १७४- पे.क्र. १, पृ. १-८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. 164 Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः सिरि० कर्मणं विपाकोनुभवः कर्मविपाकः.. भांका २०६- पे.क्र. १, पृ. १-७, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१७८२, पातासंघवी ६३-३, पृ. १८९, कर्मविपाकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९-४९-५०-८६-८७-१०७-१२७-१६५-१६८-१७० नथी. डीवीडी-३०/४९ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)स्तबक मुनि-धनविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. १, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मविपाक कर्मग्रन्थ सह (गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रियाष्टाप्रातिहार्यरूप या च पुस्त्रिंशदतिशय समृद्ध्या... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. १, पृ. १-२, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- कर्मपाकावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका १७४- पे.क्र. १, पृ. १-८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः सिरि० कर्मणं विपाकोनुभवः कर्मविपाकः.. भांका २०६- पे.क्र. १, पृ. १-७, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ कर्मविपाक), (कर्मग्रन्थ प्राचीन प्रथम कर्मविपाक) आचार्य-गर्गर्षि, प्रा., पद्य, गा.१६७, आदि वाक्यः ववगयकम्मकलङ्क वीरं नमिऊण कम्मगइकुसलं।... कृ.विः गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे. पाताखेत ५- पे.क्र.८, पृ. १३४-१५७, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण - प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ११- पे.क्र. ३, पृ. ५४-७०, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. १९, पृ. १९७-२१०, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. 165 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ११, पृ. १३१-१४५, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६७. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४२- पे.क्र. १, पृ. ???, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र. ३, पृ. ३६-४६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत २-२- पे.क्र. ३, पृ. १३१-१३४, उपदेशमाला, भवभावना, कर्मविपाकअपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २८-२- पे.क्र. ३, पृ. १-१७, दशवैकालिकनियुक्ति ऋषभपञ्चाशिका कर्मविपाक, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४३. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र.५, पृ. ६५-७६, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १३, पृ. १९७-२२७, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१६८. झेरोक्ष पत्र- ५७-६२ व ७३-७४. बीच के पत्र नहीं है तथा इस भाग में दूसरी कृतियां सम्मिलित है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. १०, पृ.?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. प्रत विशेष- प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ४, पृ. ?, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१६६. , यह कृति झेरोक्ष पत्र ३५-२९ (२९-३५) पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. ___ कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र.९, पृ. ९०-९९-, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक-९५-९६ व १०० नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-३४-३६. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. ___ कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. ३, पृ.७३-९१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. 166 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र.५, पृ. १३८-१५६, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १२७-१- पे.क्र.२, पृ. ६९-११७, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६६. सारी डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र.५, पृ. ३३-४४, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८., पत्र ४० थी ४४ सुधी टुकडा थयेला छे. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र.३, पृ. ९१-१०७, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र. ३, पृ. ६१-९०, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६६., गायकवाड केटलॉग प्रमाणे छल्ले बंधशतक संग्रहणी(?)नी साढा पांच गाथाओ छे. आदिवाक्य-अरहंते भगवंते अनुत्तर परक्कमे... डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. ३, पृ. ७४-८६, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६६. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०-पे.क्र. ४, पृ. ९अ-२३आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१६८. झेरोकपत्र-३-८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११२- पे.क्र.३, पृ. ४६-५९, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १७, पृ. १५९-१७२, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६६. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ अताका ५०१, पृ.?, कर्मविपाकसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (प्रत क्रमांक ५०१AB)(प्रेस कोपी नी झेरोक्ष)(कोबा) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५९६- पे.क्र. १, पृ. १-२८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१६८. कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १०१११, पृ. १२, कर्मविपाक प्रथम कर्मग्रन्थ वृत्तिसह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३जुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति आचार्य-परमानन्दसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९२२, आदि वाक्यः निःशेषकर्मोदयमेघजालमुक्तो दिनाधीश इवोग्रतेजाः।... 167 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १२७-१- पे. क्र. २. पृ. १६१ कर्मस्तव सटीक आदि वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १६६. सारी डीवीडी-३४ / ५२ पाकाहेम १०१११, पृ. १२ कर्मविपाक प्रथम कर्मग्रन्थ वृत्तिसह, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३जु नथी. कुल झे. पृष्ठ- १३ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (सं.) टीका - सं., गद्य, आदि वाक्यः रागादिवर्गहन्तारं प्रणेतारं सदागमं... पातासंघवी १०२-२, पृ. ६९, कर्मविपाकटीका, वि- १२७५, संपूर्ण प्रत विशेष वचमां पत्र ४, ११, १६, ५५, ६९ नथी. डीवीडी-३३/५१ अताका ५०१, पृ. ?, कर्मविपाकसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - पृष्ठ माहिती नथी. (प्रत क्रमांक ५०१AB ) ( प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) (कोबा) डीवीडी - १०३/१०४ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (सं.) अवचूरी सं. गद्य, भांका २३६, पृ. २२, कर्मविपाकावचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८८ , कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ ( सं . ) वृत्ति आचार्य परमानन्दसूरि, सं. गद्य ग्रं. ९२२, आदि वाक्यः निःशेषकर्मोदयमेघजालमुक्तो दिनाधीश इवोग्रतेजाः । .... 7 पातासंघवी १२७-१- पे. क्र. २. पृ. १६१ कर्मस्तव सटीक आदि वि-१२८८. संपूर्ण पे. विशेष गाथा १६६. सारी डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १०१११, पृ. १२ कर्मविपाक प्रथम कर्मग्रन्थ वृत्तिसह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३जुं नथी. कुल ३ पृष्ठ- १३ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (सं.) टीका - सं., गद्य, आदि वाक्यः रागादिवर्गहन्तारं प्रणेतारं सदागमं... पातासंघवी १०२-२, पृ. ६९, कर्मविपाकटीका, वि- १२७५, संपूर्ण प्रत विशेष वचमां पत्र ४, ११, १६, ५५, ६९ नथी. डीवीडी-३३/५१ अताका ५०१, पृ. ?, कर्मविपाकसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (प्रत क्रमांक ५०१AB ) ( प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) (कोबा) डीवीडी - १०३/१०४ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (सं.) अवचूरी सं. गय भांका २३६, पृ. २२, कर्मविपाकावचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८८ कर्मविपाककुलक प्रा. पथ, गा. २२. आदि वाक्य: (१) तियलुक्किक्कमल्लस्स महावीरस्स दारुणा... (२) अमरनररायमहियं सन्तिजिणं सयललोयसन्तिकर..... " पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १०, पृ. ६४-६५, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी - ३०/४९ 168 Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४३, पृ. ८७आ-८८आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४९-५०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. ___ कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. १०, पृ. ३०-३१, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ (नव्य कर्मग्रन्थ द्वितीय), (कर्मग्रन्थ नव्य द्वितीय कर्मस्तव) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३४, आदि वाक्यः तह थुणिमो वीरजिणं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १, पृ. १-९३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-८३२. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. २, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८३०, आदि वाक्यः बन्धोदयोदीरणसत्पदस्थं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १, पृ. १-९३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-८३२. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ भांता ८०, पृ. ४७, कर्मस्तवटीका, संपूर्ण डीवीडी-७३/८३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)स्तबक मुनि-धनविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. २, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः तथा तेन प्रकारेण स्तुमः श्रीवीरं... भांका १७४- पे.क्र. २, पृ. ८-१४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) तह० मिथ्यात्वादिभिर्बन्धहेतुभिः...(२) तह० गुणस्थानेषु मिथ्यात्वादिभिः... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. २, पृ. ३-५, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. २, पृ.७-१२, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ 169 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८३०, आदि वाक्यः बन्धोदयोदीरणसत्पदस्थं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १, पृ. १-९३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-८३२. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ भांता ८०, पृ. ४७, कर्मस्तवटीका, संपूर्ण डीवीडी-७३/८३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)स्तबक मुनि-धनविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. २, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक __ कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः तथा तेन प्रकारेण स्तुमः श्रीवीरं... भांका १७४- पे.क्र. २, पृ. ८-१४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) तह० मिथ्यात्वादिभिर्बन्धहेतुभिः...(२) तह० गुणस्थानेषु मिथ्यात्वादिभिः... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. २, पृ. ३-५, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. २, पृ. ७-१२, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ* (कर्मग्रन्थ प्राचीन द्वितीय कर्मस्तव), (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ कर्मस्तव) प्रा., पद्य, गा.५८, आदि वाक्यः नमिऊण जिणवरिन्दे तिहुयणवरनाणदंसणपईवे।... कृ.विः गाथा ५४ थी ५८ मळे छे. पाताखेत ११- पे.क्र. २, पृ. ४८-५४, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. __ कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. २, पृ. २३१-२३४, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १०, पृ. १२७-१३१, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४२- पे.क्र. २, पृ. १-???, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ 170 Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ५०- पे.क्र. २, पृ. ३२-३६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१,७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५- पे.क्र. ४, पृ. ६१-६५, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १०, पृ. १८८-१९२, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-५७. पत्र १९० की गाथाएँ २० से ३३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-५३-५४. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र.६, पृ.?,बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २०, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१२ तक है. झेरोक्ष पत्र ९०-९१ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ५, पृ.?, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-५२. , झेरोक्ष पत्रांक ३७-३५ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष हुआ है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र.८, पृ. ८७-९०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र-८८ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-३१-३४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. __कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. २, पृ. ६६-७२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. १, पृ. १-६८, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-सारी डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ४, पृ. ३०-३३, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र. २, पृ. ८४-९१, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र. २, पृ. ५२-६०, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. 171 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. २, पृ. ६९-७४, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण ये विशेष गाथा-५७. कुल झे. पृष्ठ ८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ९३, पृ. ७२, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९४, पृ. १५४, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहे ११० पे क्र. २ पृ. १आ-६आ अतिचारगाथा आदि संपूर्ण पे. नाम कर्मस्तव, पे विशेष संपूर्ण गाथा ५६. झेरोक्ष पत्र १-२. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहे ११२- पे. क्र. २ पृ. ४२-४६ कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि वि-१२५८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ५६. प्रत विशेष हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. झेरोक्ष पत्र ४० व है. ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ कुल झे. पृष्ठ ४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १६, पृ. १५५-१५९, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (प्रा.) भाष्य - १ आचार्य महेन्द्रसिंहसुरि, गुरु आचार्य धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा. 90, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं अणुसरिजं पुव्लवभासजुयलं च.... कृ.विः अन्त वाक्य- संकलियं सिरिमहिंदसूरीहिं० पाढंतु नो विवहा .. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. ११, पृ. १९२-१९६, सङ्ग्रहणी आदि, वि- १२८६, अपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ६९. संपूर्ण झेरोक्ष पत्र - ५४-५७. में प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे. पृष्ठ- ८०, डीवीडी-५७/६० कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ - (प्रा.) भाष्य - २ (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ भाष्य ) प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः बन्धेविसुत्तरसयं सयवावीसं तु.... कृ. विः अन्त वाक्य- अणुदय पत्तुदीरमा या. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १२, पृ. १९६-१९७, सङ्ग्रहणी आदि, वि- १२८६, अपूर्ण पे. विशेष गाथा ३३. संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ५७-५८. प्रत विशेष पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है, दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे. पृष्ठ- ८०, डीवीडी-५७/६० पाताहेसं ११०- पे.क्र. ३, पृ. ६अ - ९अ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम कर्मस्तवभाष्य पे. विशेष संपूर्ण गाथा २७. झेरोक्षपत्र- १ ४. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ 172 Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः अहिणवगहणं बन्धो उदओ सविवागवेयणं तस्स... पाताखेत ४२- पे.क्र.३, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. १२, पृ. १-४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५. डीवीडी-३६/५३ पाताहेसं ११२- पे.क्र.८, पृ. ११०-११२, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१०९०, आदि वाक्यः कर्मबन्धोदयोदीर्यासत्तावैचित्र्यवेदिनम।. पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. १, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-सारी डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ९३, पृ. ७२, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९४, पृ. १५४, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०९, पृ. १९, प्राचीन कर्मस्तव टीका, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रथम प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धेविसोत्तरसयं सयवावीसं... पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ७, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१०९०, आदि वाक्यः कर्मबन्धोदयोदीर्यासत्तावैचित्र्यवेदिनम् ।... पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. १, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-सारी डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ९३, पृ. ७२, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९४, पृ. १५४, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०९, पृ. १९, प्राचीन कर्मस्तव टीका, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य-१ आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.७०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं अणुसरिउं पुलवभासजुयलं च... 173 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः अन्त वाक्य- संकलियं सिरिमहिंदसूरीहिं० पाढंतु नो विवुहा. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. ११, पृ. १९२-१९६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६९. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५४-५७. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य-२ (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ भाष्य) प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः बन्धेविसुत्तरसयं सयवावीसं तु... कृ.विः अन्त वाक्य-अणुदय पत्तुदीरमा या. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १२, पृ. १९६-१९७, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ५७-५८. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पाताहेसं ११०- पे.क्र.३, पृ. ६अ-९अ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२७. झेरोक्षपत्र-१-४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः अहिणवगहणं बन्धो उदओ सविवागवेयणं तस्स... पाताखेत ४२- पे.क्र. ३, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाक उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. १२, पृ. १-४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५. डीवीडी-३६/५३ पाताहेसं ११२- पे.क्र.८, पृ. ११०-११२, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रथम प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धेविसोत्तरसयं सयवावीसं... पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ७, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० कर्मोपदेश प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः सुणेह भो भव्वजणा भवित्ता सम्मं समाहाणयहाणचित्ता... भांता ६९- पे.क्र. २२, पृ. १४७B-१५०A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण 174 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ कलश मारुगूर्जर, पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः भुवणमण्डणु भुवणण्डणु... पाकाहेम ९०२- पे.क्र.५४, पृ. २३५-२३६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ कलशस्नानगाथा प्रा., पद्य, गा.५+६, आदि वाक्यः (१) जम्ममज्जणि जिणह वीरस्स... (२) जे हि न्हवियउ पुव्वकालम्मि... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.७, पृ. १२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ कलापव्याकरण जुओ - कातन्त्रव्याकरण, जैनेतर-शर्ववर्मदेव, संस्कृत कलावती कथा प्रा., आदि वाक्यः अस्थि कलाविकुलड्ढे कइविसरविरायमाणघणसालं... पातासंघवी १४७-२, पृ. ८४, कलावती कथा, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ कलिकुण्डपार्श्वनाथमन्त्र (पार्श्वनाथमन्त्र कलिकुण्ड) सं., गद्य, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३३, पृ. १२१मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन कलिकुण्ड) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः नमामि श्रीपाचं कुलगिरि... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १६, पृ. १०३-१०९B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-८. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम १२३३५- पे.क्र. २, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३३६, पृ. १, कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन मन्त्राम्नायसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कलिङ्गसेनाकथा शीलविषये (शीलविषये कलिङ्गसेनाकथा) सं.. पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १२, पृ. ४२-४६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० कल्पचूर्णी जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)कल्पचूर्णी, प्राकृत, ग्रं.१४७८४ कल्पपल्लवशेष जुओ - कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलताटीकानी (सं.)कल्पलताविवेक टीका, संस्कृत कल्पबृहद्भाष्य जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहद्भाष्य, प्राकृत कल्पमञ्जरी कथाकोष श्लोकबद्ध (श्लोकबद्ध कल्पमञ्जरी कथाकोष), (कथाकोष कल्पमञ्जरी श्लोकबद्ध) आचार्य-जयतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं., पद्य, कृ.विः तृतीयस्तबक पर्यन्त पाकाहेम १७७३, पृ. ५, कल्पमञ्जरीकथाकोष श्लोकबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- तृतीय स्तबक पर्यन्त. कुल झे.पृष्ठ-६ 175 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कल्पलघुभाष्य जुओ बृहत् कल्पसूत्र (प्रा.) लघुभाष्य गणि सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.६६०० कल्पलताविवेक टीका जुओ कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलताटीकानी (सं.) कल्पलताविवेक टीका, संस्कृत कल्पविशेषचूर्णी जुओ बृहत् कल्पसूत्र - (प्रा.) विशेषचूर्णी, प्राकृत, ग्रं. ११००० - कल्पवृत्ति जुओ - बृहत् कल्पसूत्र - (सं.) वृत्ति, आचार्य - मलयगिरिसूरि, संस्कृत, प्राकृत कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प), ( दशाश्रुतस्कन्धसूत्र अष्टमाध्ययन), (बारसासूत्र), (कप्पसुत्त न्त) आचार्य भद्रबाहुस्वामी, प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं. १२८०, आदि वाक्यः नमो अरिहन्ताणं... तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पञ्च हत्युत्तरे होत्था। ... पाताखेत ५७ पे क्र. १ पृ. १-१३३. कल्पसूत्रमूल कालकाचार्यकथा संपूर्ण पे. नाम- पज्जोसवणाकप्प, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र - १२१६. ग्रन्थाग्र १२१६ को १३१६ बनाया गया है. कुल झे. पृष्ठ-७५, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत १-१, पृ. १२१, कल्पसूत्र त्रुटक, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २-१- पे.क्र. १ पृ. १-९२ कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ३३ पृ. २०४, कल्पसूत्र, त्रुटक प्रत विशेष प्रथम पत्र १ नथी. अंतना पण नथी, वचमां पण नथी. जीर्ण नकामुं. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवीजीर्ण ४१ पै.क्र. १, पृ. १४३, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यनी कथा, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां केटलांक पत्र नथी. - - डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६८ पृ. १६७, कल्पसूत्र, वि-१३३५, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-नकामुं. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ८७ पेक्र. १ पृ. ९०२ कल्पसूत्र तथा कालकाचार्य कथा, संपूर्ण प्रत विशेष- कागळमां-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. १ पृ. २, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. पत्र अस्त-व्यस्त है. झेरोक्ष पत्र - ४३-५४,६०-६७. प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९४ पे क्र. १. पू. १, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण ?, पे. विशेष झेरोक्ष पत्र १-८, २१-३४. प्रत विशेष - जीर्ण- त्रुटक - अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९४ पे क्र. ६. पृ. २, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष - कल्पसूत्र ही होने की संभावना है. झेरोक्ष पत्र ४५-६२ एक समान तथा ६३-७२ पहले (४५-६२) से थोड़ा अलग है परन्तु कल्पसूत्र ही होना चाहिये. टिप्पण का भी किञ्चित् अंश मिलता है.. प्रत विशेष जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित - डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९६ पे क्र. २. पृ. १, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि संपूर्ण पे. विशेष पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष गायकवाडी सूचिपत्रमां योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). - डीवीडी-५८/६० 176 Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ९९- पे.क्र.६, पृ. १३५-२००, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १३५-१३६-२०० नथी. १३६मां पत्रनो टुकडो छे. पत्र १९२ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमा चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ६५-१- पे.क्र. १, पृ. १-११४, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, वि-१३६०, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १६९-१- पे.क्र. १, पृ. १-११६, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, अपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४२-५३-६३-६५-६६-६९-७०-८२-८५ थी ९२-९४ नथी. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. १, पृ. १-८९, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९४-१- पे.क्र.१, पृ. १-१३८, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९४-२- पे.क्र. १, पृ. १-१४५, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ६०- पे.क्र. १, पृ.???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, दीपालीकाकल्प, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ७४- पे.क्र. १, पृ. ???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७५- पे.क्र. १, पृ.???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७६- पे.क्र. १, पृ. १-११८, कल्पसूत्र सचित्र कालिकाचार्यकथा गद्य, वि-१३४४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११०+३३. गायकवाड केटलॉगमां मूल पत्र ५३-११० कालकाचार्यकथा १११-१४३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७७- पे.क्र. १, पृ. १०७, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित कालिकाचार्यकथा गद्य, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (नवा केटलॉगमा पत्र १०७ ज आप्या छे.) डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७८ - पे.क्र. १, पृ. १-११३, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३३६, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७९- पे.क्र. १, पृ. १-११६, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३६४, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८०- पे.क्र. १, पृ. १-१२४, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा पद्य, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८१- पे.क्र. १, पृ. १-१३९, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा लघुपर्युषणा कल्प, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्त-समाप्तोयं लघुपर्युषणाकल्पः परं कथाया दिङ्मात्रं. नवा सूचीपत्रमा कर्तानाम विनयचन्द्रसूरि आप्यु छे-कोना कर्ता? डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८३, पृ. ९१, कल्पसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८५, पृ. १०७, कल्पसूत्र, संपूर्ण 177 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६४- पे.क्र. १, पृ. १०८मुं, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य, अपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह (सं.)टिप्पणी डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६५, पृ. ११०, कल्पसूत्र टिप्पणी त्रुटक अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६६- पे.क्र. १, पृ. १-१०२A, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह टिप्पणी प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८३- पे.क्र. १, पृ. १-११७, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण __ डीवीडी-१०/१९ भांता ३२- पे.क्र. १, पृ. १-९८, कल्पसूत्र, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४९९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४९९. डीवीडी-६९/७८ भांता ३३- पे.क्र. १, पृ. ३-९५, कल्पसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५०१. डीवीडी-६९/७८ तालाद ३३७- पे.क्र. १, पृ. १-११८, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-९४/९६ वताकांति ४१२- पे.क्र. १, पृ. ?, कल्पसूत्र कालिकाचार्य कथा, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ डतामुक्ता ४५४, पृ. २४, कल्पसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ अताका ४८७, पृ.?, कल्पसूत्र मूळ, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(प्राच्य विद्या भवन) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०१२०, पृ. ९९, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०० पाकाहेम १०२७५, पृ. ३२२, कल्पसूत्र किरणावलीटीकासह त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १०४७८, पृ. ३०, कल्पसूत्र-बारसा त्रुटक, वि-१७मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-३० पाकाहेम १०५५१, पृ. ६६, कल्पसूत्र - बारसा, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १४८९५, पृ. ६८, कल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२३६. पाकाहेम १६३०७, पृ. २१३, कल्पकिरणावलिसटीक त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४४ पाकाभाभा ७३, पृ. १०७, कल्पसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण भांका १७९, पृ. ९२, पर्युषण कल्पसूत्र सचित्र, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-७६१/१८९९-१९१५, सूचीपत्रक्रम-१-५००.५२ चित्र. 178 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८६ कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति (पर्युषणाकल्प-(प्रा.)नियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.६७, आदि वाक्यः पज्जोसमणाए अक्खराइं होन्ति उ इमाइं गोण्णाई। पाताखेत ९-१- पे.क्र. २, पृ. ९३-९९, कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र.५, पृ. ?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पाताहेसं ७५- पे.क्र. ३, पृ. ???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १८३- पे.क्र.२, पृ. ११८-१२७, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६७. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १००३४, पृ. २, कल्पसूत्रनियुक्ति-दशाश्रुतस्कन्ध अष्टमाध्ययनननियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६६. पत्र बीजामा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-३ कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)चूर्णि सं., गद्य, आदि वाक्यः पज्जोसवणा एतेसिं अक्खराणां शक्रेन्द्रपुरन्दरवदेकार्थिकानि नामानि... पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र. ५, पृ. ?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० कल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी (पर्युषणाकल्प-(प्रा.)चूर्णी) प्रा., गद्य, ग्रं.७००, आदि वाक्यः सम्बन्धो सत्तमासियं फासेत्ता आगतो ताहे वासाजोग्गं उवहिं उप्पाएति । पाताखेत ९-१- पे.क्र. ३, पृ. ९९-१४०, कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ९९- पे.क्र. ७, पृ. २०१-२३९, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमा चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ पाताहेसं ७५- पे.क्र. २, पृ. ???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १८३- पे.क्र. ३, पृ. १२७-१९५, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ कल्पसूत्र-(सं.)सन्देहविषौषधिवृत्ति (सन्देहविषौषधिवृत्ति) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६४, ग्रं.२१६८, पाकाहेम १००३५, पृ. ४५, कल्पसूत्र सन्देहविषौषधिवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरणनुं भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०११८, पृ. ५९, कल्पसूत्रसन्देहविषौषधिटीका, वि-१५७१, संपूर्ण 179 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०४३४, पृ. १०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्तिउत्तरार्ध, वि-१६०१, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १०४५२, पृ. २०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति, वि-१५९३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०४१. कुल झे.पृष्ठ-४१ कल्पसूत्र-(सं.)किरणावलीटीका (किरणावली टीका) उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६२८, पाकाहेम १०२७५, पृ. ३२२, कल्पसूत्र किरणावलीटीकासह त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १६३०७, पृ. २१३, कल्पकिरणावलिसटीक त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४४ कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १६४- पे.क्र. १, पृ. १०८-११८, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य, अपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह (सं.)टिप्पणी डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६५, पृ. १-१०३, कल्पसूत्र टिप्पणी त्रुटक अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६६- पे.क्र. १, पृ. १-१०२A, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह टिप्पणी प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९/१८ वताकांति ४१३, पृ. ५६, पर्युषणाकल्प टीप्पणक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १०१२०, पृ. ९९, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०० कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पण आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४१८, आदि वाक्यः सौवर्णः सूत्रभृद्भिर्व्यरचि शुचिफलैः श्रीगुरोराज्ञया यः... कृ.विः र.सं.-वाण..खेंदुवर्षे. पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र. ४, पृ. ?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- झरोक्ष पत्र १०८ से अन्तिम पत्र तक है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. ३, पृ. १-३२, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)अन्तर्वाच्य (कल्पसूत्र अन्तर्वाच्य), , विभाग-DJशम प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ७८९, पृ. ४९, कल्पान्तर्वाच्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०२७७, पृ. ६४, कल्पसूत्रान्तर्वाच्य, वि-१५५०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४३मुं नथी. 180 Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १०४७९, पृ. १७, कल्पान्तर्वाच्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०५५२, पृ. ३८, कल्पान्तर्वाच्य त्रुटक, वि-१७मी, संपूर्ण कल्पसूत्र-(सं.)अन्तर्वाच्य ना (मा.गु.)बालावबोध, , विभाग-DJशम मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०२७६, पृ. ७५, कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ कल्पसूत्र-(मा.गु.)सङ्क्षपसार मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६७६४, पृ. ९, कल्पसूत्रसङ्क्षिप्तसार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० कल्पसूत्र अन्तर्वाच्य जुओ - कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)अन्तर्वाच्य, प्राकृत,संस्कृत कल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी (पर्युषणाकल्प-(प्रा.)चूर्णी) प्रा., गद्य, ग्रं.७००, आदि वाक्यः सम्बन्धो सत्तमासियं फासेत्ता आगतो ताहे वासाजोग्गं उवहिं उप्पाएति । पाताखेत ९-१- पे.क्र. ३, पृ. ९९-१४०, कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ९९- पे.क्र.७, पृ. २०१-२३९, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमा चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ पाताहेसं ७५- पे.क्र. २, पृ. ???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १८३- पे.क्र. ३, पृ. १२७-१९५, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति (पर्युषणाकल्प-(प्रा.)नियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.६७, आदि वाक्यः पज्जोसमणाए अक्खराइं होन्ति उ इमाइं गोण्णाइं। पाताखेत ९-१- पे.क्र. २, पृ. ९३-९९, कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र. ५, पृ.?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पाताहेसं ७५- पे.क्र. ३, पृ. ???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १८३- पे.क्र. २, पृ. ११८-१२७, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६७. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १००३४, पृ. २, कल्पसूत्रनियुक्ति-दशाश्रुतस्कन्ध अष्टमाध्ययनननियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६६. पत्र बीजामा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-३ 181 Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)चूर्णि सं., गद्य, आदि वाक्यः पज्जोसवणा एतेसिं अक्खराणां शक्रेन्द्रपुरन्दरवदेकार्थिकानि नामानि... पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र.५, पृ. ?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)चूर्णि सं., गद्य, आदि वाक्यः पज्जोसवणा एतेसिं अक्खराणां शक्रेन्द्रपुरन्दरवदेकार्थिकानि नामानि... पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र.५, पृ.?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पर्युषणकल्पनियुक्ति सह चूर्णि, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७३-८२ तक यह कृति है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)अन्तर्वाच्य (कल्पसूत्र अन्तर्वाच्य), , विभाग-DJशम प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ७८९, पृ. ४९, कल्पान्तर्वाच्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०२७७, पृ. ६४, कल्पसूत्रान्तर्वाच्य, वि-१५५०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १०४७९, पृ. १७, कल्पान्तर्वाच्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०५५२, पृ. ३८, कल्पान्तर्वाच्य त्रुटक, वि-१७मी, संपूर्ण कल्पसूत्र-(सं.)अन्तर्वाच्य ना (मा.गु.)बालावबोध, , विभाग-DJशम मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०२७६ , पृ. ७५, कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ कल्पसूत्र-(मा.गु.)सक्षेपसार मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६७६४, पृ. ९, कल्पसूत्रसङ्क्षिप्तसार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० कल्पसूत्र-(सं.)अन्तर्वाच्य ना (मा.गु.)बालावबोध, , विभाग-DJशम मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०२७६, पृ. ७५, कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ कल्पसूत्र-(सं.)किरणावलीटीका (किरणावली टीका) उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६२८, पाकाहेम १०२७५, पृ. ३२२, कल्पसूत्र किरणावलीटीकासह त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १६३०७, पृ. २१३, कल्पकिरणावलिसटीक त्रिपाठ, वि-१६९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४४ कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पण आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४१८, आदि वाक्यः सौवर्णः सूत्रभृद्भिर्व्यरचि शुचिफलैः श्रीगुरोराज्ञया यः... कृ.विः र.सं.-वाण..खेंदुवर्षे. 182 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र. ४, पृ.?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- झरोक्ष पत्र १०८ से अन्तिम पत्र तक है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. ३, पृ. १-३२, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १६४- पे.क्र. १, पृ. १०८-११८, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य, अपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह (सं.)टिप्पणी डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६५, पृ. १-१०३, कल्पसूत्र टिप्पणी त्रुटक अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६६- पे.क्र. १, पृ. १-१०२A, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह टिप्पणी प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९/१८ वताकांति ४१३, पृ. ५६, पर्युषणाकल्प टीप्पणक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १०१२०, पृ. ९९, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०० कल्पसूत्र-(सं.)सन्देहविषौषधिवृत्ति (सन्देहविषौषधिवृत्ति) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६४, ग्रं.२१६८, पाकाहेम १००३५, पृ. ४५, कल्पसूत्र सन्देहविषौषधिवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरणनुं भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०११८, पृ. ५९, कल्पसूत्रसन्देहविषौषधिटीका, वि-१५७१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०४३४, पृ. १०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्तिउत्तरार्ध, वि-१६०१, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १०४५२, पृ. २०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति, वि-१५९३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०४१. कुल झे.पृष्ठ-४१ कल्प्याकल्प्यविचार चौबिसी जुओ - कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका, आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्राकृत कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका (चतुर्विंशतिका कल्प्याकल्प्यविचार), (कल्प्याकल्प्यविचार चौबिसी) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७७०६- पे.क्र. २, पृ. १-२, विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विंशतिकाआदि , वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय गाथा-५०. कुल झे.पृष्ठ-२ कल्याणक प्रा., पद्य, गा.२०, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १८, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० 183 Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कल्याणक प्रकरण जुओ - पञ्चकल्याणकप्रकरण, अज्ञात-जिनेन्द्रइन्द्र, प्राकृत, गा.१३७ कल्याणकस्तव जुओ - कल्याणकस्तोत्र, अज्ञात-आसराज, संस्कृत, श्लोक३२ कल्याणकस्तुति सं., पद्य, का.७, आदि वाक्यः श्रीमल्लिजन्मव्रतकेवलानि... पाकाहेम १२३८५, पृ. १, कल्याणकस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण कल्याणकस्तोत्र (कल्याणकस्तव), (आशाराजस्तवन) आसराज, सं., पद्य, श्लोक३२, आदि वाक्यः तिथिक्रमाज्जिनेन्द्राणां कुर्वे कल्याणस्तवं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र.७, पृ. १-३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- कल्याणिकस्तव प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. ३, पृ. १-४३, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५४, पृ. १४६मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १२३७८ - पे.क्र. १, पृ. १, कल्याणकस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कल्याणकस्तोत्र सं., पद्य, गा.३२, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र.५५, पृ. १४७मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ कल्याणकस्तोत्र जुओ - महावीरपञ्चकल्याणकस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ कल्याणकस्तोत्र मुनि-विजयचन्द, प्रा., पद्य, गा.१६, कृ.विः अन्तवाक्य-पसिय पसिय तिहुयणतिलय. पाताहेसं १६८- पे.क्र. २२, पृ. ४०अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्र ३८-३९ नहीं है. गाथा-१२ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र-३३. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ कल्याणमन्दिरस्तोत्र आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, सं., पद्य, का.४४, आदि वाक्यः कल्याणमन्दिरमुदारमवद्यभेदी... पाकाहेम १०२२- पे.क्र.९, पृ. १३-१५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०१९१, पृ. ५, कल्याणमन्दिरस्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०३९३, पृ. ४, कल्याणमन्दिरस्तोत्र सावचूरिक-पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी खवाई गई छे. कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०६५४, पृ. ४, कल्याणमन्दिरस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय पाकाहेम १०६५५, पृ. ७, कल्याणमन्दिरस्तोत्र वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.६, पृ. ६५-६९, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- का.४४. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. 184 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम १२१६७- पे.क्र. १, पृ. १-३, कल्याणमन्दिरस्तोत्र आदि वि-१६९०, संपूर्ण कुल की. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ३, पृ. २-४, पार्श्वजिनस्तव - क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ. कुल झे. पृष्ठ-७ कल्याणमन्दिरस्तोत्र (सं.) टीका आचार्य - गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०६५५ पृ. ७. कल्याणमन्दिरस्तोत्र वृत्तिसहित वि-१७मी संपूर्ण कल्याणमन्दिरस्तोत्र-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १०३९३, पृ. ४, कल्याणमन्दिरस्तोत्र सावचूरिक - पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी खवाई गई छे. कुल झे. पृष्ठ-५ कल्याणमन्दिरस्तोत्र-(सं.) अवचूरि आचार्य ज्ञानसागरसूरि, सं. गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ३, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव - क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह ( सं .) अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ. कुल झे. पृष्ठ-७ कल्याणमन्दिरस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९३ पृ. ४ कल्याणमन्दिरस्तोत्र सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक खुणेथी खवाई गई छे. कुल झे. पृष्ठ-५ कल्याणमन्दिरस्तोत्र (सं.) अवचूरि आचार्य ज्ञानसागरसूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ३, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव - क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि - १४८३, संपूर्ण पे. नाम- कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष- पंचपात कवचद्वार कल्याणमन्दिरस्तोत्र (सं.) टीका कुल झ. पृष्ठ-७ झे. आचार्य - गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०६५५, पृ. ७, कल्याणमन्दिरस्तोत्र वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कविकण्ठाभरण प्रा., पद्य, गा.२९. पाकाहेम ६५६९ - पे. क्र. १२, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३९ भांका २१६, पृ. २, कवचद्वार, संपूर्ण प्रत विशेष अन्त के मात्र दो पेज है. सूचीपत्रक्रम ? डीवीडी-८७ क्षेमेन्द्र, सं.. पाकाहेम ६६४४, पृ. ४ कविकण्ठाभरण वि-१५मी संपूर्ण कुझे पृष्ठकविकल्पद्रुमधातुपाठ पद्य (धातुपाठ कविकल्पद्रुम) 185 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कवि-बोपदेव, सं., पद्य, ग्रं.४००, पाकाहेम १०६७८, पृ. १६, कविकल्पद्रमधातुपाठ पद्य, वि-१६४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०६७९, पृ. १७, कविकल्पद्रुमधातुपाठ पद्य, वि-१६४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ कविकल्पलता टीका जुओ - कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता टीका, आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३३५७ कविकल्पलतापल्लवशेषविवेक जुओ - कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलताटीकानी (सं.)कल्पलताविवेक टीका, संस्कृत कविगुह्यकाव्य जुओ - कविरहस्य, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, ग्रं.२९९ कविगुह्यनामकाव्य जुओ - कविरहस्य, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, ग्रं.२९९ कविरहस्य (कविगुह्यकाव्य), (अपशब्दाभास कूटकाव्य), (कविगुह्यनामकाव्य), (हलायुधकाव्य) जैनेतर-हलायुध भट्ट, सं., ग्रं.२९९, आदि वाक्यः जयन्ति मुरजित्पादनखदीधितिदीपिक... पाकाहेम ८६८०, पृ.७, अपशब्दाभासकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ हलायुधकाव्य, वि-१४९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कविरहस्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः हेमधातुपाठानुसारिणी. पाकाहेम ८६८०, पृ. ७, अपशब्दाभासकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ हलायुधकाव्य, वि-१४९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कविरहस्य जुओ - काव्यमीमांसा, जैनेतर-राजशेखर, संस्कृत कविरहस्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः हेमधातुपाठानुसारिणी. पाकाहेम ८६८०, पृ.७, अपशब्दाभासकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ हलायुधकाव्य, वि-१४९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कविशिक्षा मुनि-विनयचन्द्र, सं., आदि वाक्यः नत्वा श्रीभारती देवीं बप्पभटिगुरोगिरा... पातासंघवी १७६-२, पृ. १७७, कविशिक्षा, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटित पत्रांकानि ७३-७६-८५-९५-१३०-१३५-१४३-१४७-१४८-१५७-१७१-१७३ने १७७ पछीनां पत्रो नथी एवं संख्या बार (१२) नास्ति इत्येवं शेषमपि नास्ति. डीवीडी-३६/५४ कविशिक्षा आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं.. पाकाहेम १०२१४, पृ. ७४, काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७४ पाकाहेम १०३८५, पृ. ४३, काव्यकल्पलता-कविशिक्षावृत्तिसह, वि-१५०१, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-४३ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता टीका (काव्यकल्पलता टीका), (कविकल्पलता टीका) आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३५७, पाकाहेम १०२१४, पृ. ७४, काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७४ पाकाहेम १०३८५, पृ. ४३, काव्यकल्पलता-कविशिक्षावृत्तिसह, वि-१५०१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलताटीकानी (सं.)कल्पलताविवेक टीका (कल्पपल्लवशेष), (कविकल्पलतापल्लवशेषविवेक), (कल्पलताविवेक टीका) 186 Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, आदि वाक्यः यत् पल्लवे न विवृतं दुर्बोधं मन्दबुद्धिभिश्वापि क्रियते कल्पलतायां तस्य विवेकोऽयमतिसुगमः । ... पातासंघवीजीर्ण ३०, पृ. ३२५ काव्यकल्पलताविवेक त्रुटित पत्र ५५ त्रुटक प्रत विशेष- अति जीर्णने वचमां घणा ज टुकडा छे-माटे नकामी पत्र २५माना टुकडा छे. शब्दालंकार, अर्थालंकार (परिमलना भाव ) डीवीडी-५६/५९ कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका (काव्यकल्पलता परिमल टीका ) आचार्य अमरचन्द्रसूरि, सं. गद्य, आदि वाक्यः श्रीशारदां हृदि ध्यात्वा विख्यातं परिमलाख्याया.... " पाकाहेम ९७९, पृ. ३९, काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४० पाकाहेम २५४३, पृ. ६६, कविशिक्षाकाव्यकल्पलता परिमल वृत्ति, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-६५ झे. पाकाहेम २६४६, पृ. ९२, काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष अपूर्ण - कुल झे. पृष्ठ-९२ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता टीकानी (सं.) काव्यकल्पलतामकरन्द टीका (काव्यकल्पलतामकरन्द टीका ) - शुभशील, सं., गद्य रचना सं. विक्रम १६६५, पाकाहेम १२९५८ पृ. ६४ काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्द वि १७२९. संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५४ थी ५७ नथी. कुल झ. पृष्ठ-६० कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलता टीका (काव्यकल्पलता टीका), (कविकल्पलता टीका) आचार्य - अमरचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ३३५७, पाकाहेम १०२१४, पृ.७४ काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७४ पाकाहेम १०३८५, पृ. ४३, काव्यकल्पलता - कविशिक्षावृत्तिसह, वि-१५०१, संपूर्ण झे कुल झ. पृष्ठ-४३ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलताटीकानी (सं.) कल्पलताविवेक टीका ( कल्पपल्लवशेष), (कविकल्पलतापल्लवशेषविवेक), (कल्पलताविवेक टीका ) सं., गद्य, आदि वाक्यः यत् पल्लवे न विवृतं दुर्बोधं मन्दबुद्धिभिश्चापि । क्रियते कल्पलतायां तस्य विवेकोऽयमतिसुगमः । ... पातासंघवीजीर्ण ३०, पृ. ३२५. काव्यकल्पलताविवेक त्रुटित पत्र ५५ त्रुटक प्रत विशेष - अति जीर्णने वचमां घणा ज टुकडा छे-माटे नकामी पत्र २५माना टुकडा छे. शब्दालंकार, अर्थालंकार (परिमलना भाव ) डीवीडी-५६/५९ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका (काव्यकल्पलता परिमल टीका) आचार्य अमरचन्द्रसूरि, सं. गद्य, आदि वाक्यः श्रीशारदां हृदि ध्यात्वा विख्यातं परिमलाख्यया..... पाकाम ९७९, पृ. ३९ काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४० पाकाहेम २५४३, पृ. ६६ कविशिक्षाकाव्यकल्पलता परिमल वृत्ति, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६५ पाकाहेम २६४६, पृ. ९२ काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, वि-१७मी अपूर्ण प्रत विशेष अपूर्ण कुल झ. पृष्ठ ९२ कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलता टीकानी (सं.) काव्यकल्पलतामकरन्द टीका (काव्यकल्पलतामकरन्द टीका ) गणि शुभशील, सं. गद्य रचना सं. विक्रम १६६५. 187 Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२९५८, पृ. ६४, काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्द, वि-१७२९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५४ थी ५७ नथी. कुल झे.पृष्ठ-६० कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता टीकानी (सं.)काव्यकल्पलतामकरन्द टीका (काव्यकल्पलतामकरन्द टीका) गणि-शुभशील, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६६५, पाकाहेम १२९५८, पृ. ६४, काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्द, वि-१७२९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५४ थी ५७ नथी. कुल झे.पृष्ठ-६० कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका (काव्यकल्पलता परिमल टीका) आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीशारदां हृदि ध्यात्वा विख्यातं परिमलाख्यया... पाकाहेम ९७९, पृ. ३९, काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम २५४३, पृ. ६६, कविशिक्षाकाव्यकल्पलता परिमल वृत्ति, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ पाकाहेम २६४६, पृ. ९२, काव्यकल्पलतावृत्ति परिमल, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९२ कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलताटीकानी (सं.)कल्पलताविवेक टीका (कल्पपल्लवशेष), (कविकल्पलतापल्लवशेषविवेक), (कल्पलताविवेक टीका) सं., गद्य, आदि वाक्यः यत् पल्लवे न विवृतं दुर्बोधं मन्दबुद्धिभिश्चापि । क्रियते कल्पलतायां तस्य विवेकोऽयमतिसुगमः |... पातासंघवीजीर्ण ३०, पृ. ३२५, काव्यकल्पलताविवेक त्रुटित पत्र ५५, त्रुटक प्रत विशेष- अति जीर्णने वचमां घणा ज टुकडा छे-माटे नकामी. पत्र २५माना टुकडा छे. शब्दालंकार, अर्थालंकार (परिमलना भाव) डीवीडी-५६/५९ कहारयणकोस (कथारत्नकोश) आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, प्रा., रचना सं. विक्रम ११५८, आदि वाक्यः पडिबिम्बियपणयजा निलीणभवभीरुभव्वलोय व्व।... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. वताकांति ३९५, पृ. १५७, कथारत्नकोष, अपूर्ण डीवीडी-९७/९८ काउसग्गना एकवीस दोष , पद्य, गा.२१, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६०, पृ. १८५मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ काक जुओ - शालिभद्रकारक, अज्ञात-पउम, अपभ्रंश, गा.६९ काकाष्टक सं., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र.६, पृ. ६, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. २०, पृ. २०, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ 188 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कातन्त्रलिङ्गानुशासन जैनेतर-दुर्गात्मज, सं., गद्य, पाकाहेम १०६७७, पृ. ४, कातन्त्रलिङ्गानुशासन, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४ कातन्त्रविभ्रमसूत्र सं., गद्य, ग्रं.४००, पाकाहेम ८६७८, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १३१७९, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-६ कातन्त्रविभ्रमसूत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६७८, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १३१७९, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-६ कातन्त्रविभ्रमसूत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६७८, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १३१७९, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-६ कातन्त्रव्याकरण (कालापकव्याकरण). (कलापव्याकरण) जैनेतर-शर्ववर्मदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः सिद्धो वर्णसमाम्नायः... वताकांति ४३९, पृ. २८७, कातन्त्रव्याकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थ नथी. डीवीडी-९७/९८ अताका ४७५, पृ. १५५, कातन्त्र व्याकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- कृत प्रक्रिया-पडिमात्रा. डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ९०३, पृ. ४०, कातन्त्रव्याकरण सह आख्यात वृत्ति व दौर्गसिंही वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम ९०४, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण - कृवृत्ति दौर्गसिंहीवृत्ति सहित, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ९७१, पृ. ८, कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र छठे नथी. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. 189 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम ३८१३, पृ. ११५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित आख्यातवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम ८५६४, पृ. ९, कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ, वि-१७वी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचिमां कर्ता, नाम कात्यायनमुनि आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम ९६८३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण सूत्रपाठ, वि-१७वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ९६९९, पृ. ३९, कात्यायनव्याकरण कृद्धृत्ति, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. १-२४७, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती- एम बे अतिसुन्दर चित्रो कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८ - पे.क्र. १, पृ. १-२६०, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १२८३९, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक, वि-१५मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१० कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्ति (दौर्गसिंहीवृत्ति), (कातन्त्रव्याकरण-बृहद्वृत्ति) जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, आदि वाक्यः देवदेवं प्रणम्यादौ सर्वज्ञं सर्वदर्शिनम्... पातासंघवीजीर्ण ९५- पे.क्र. १, पृ. ?, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष- प्रारंभमात्र है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित पाकाहेम ९०३, पृ. ४०, कातन्त्रव्याकरण सह आख्यात वृत्ति व दौर्गसिंही वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम ९०४, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण - कृद्धृत्ति दौर्गसिंहीवृत्ति सहित, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १०३६, पृ. ३६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति चतुष्कवृत्ति, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०३७, पृ. ६०, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति आख्यातवृत्ति, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-१४ 190 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम ३८१३, पृ. ११५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित आख्यातवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम ३९३४, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति प्रथमसन्धि, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम ६७८४, पृ. १२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १०४३०, पृ. ३६, कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित प्रथमवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०४३१, पृ. ३९, कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित आख्यातवृत्ति, वि-१४७०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १०६७४, पृ. ५२, कातन्त्रव्याकरण कृदत्ति, वि-१४७०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती- एम बे अतिसुन्दर चित्रो छ कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८ - पे.क्र. १, पृ. २७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १२८३९, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक, वि-१५मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १८७८९, पृ. ७६, कातन्त्रव्याकरण वृत्ति, वि-१५०५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११मुं, २७मुं, ३४मुं डबल छे. पत्र ३८मुं, ३९मुं तथा ४७मुं तथा ६२थी ७१ पत्र नथी. कातन्त्रव्याकरणनी (सं.)दुर्गसिंहवृत्तिनुं (सं.)पज्जिकाविवरण (पञ्जिकाविवरण) जैनेतर-त्रिलोचनदास, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य सर्वकर्तारं सर्वदं सर्वेवेदिनम् । सर्वीयं सर्वगं शर्वं सर्वदेवनमस्कृतम् ।।... पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. २, पृ. १६५मुं, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. विशेष- प्रकृतिसंधि सुधी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ८३-१, पृ. १०७, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५०५०. कुल झे.पृष्ठ-४५ पातासंघवी ८३-२, पृ. १८८, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ताडपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-७८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.)प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित-देशल, सं., गद्य, 191 Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४६, पृ. ८१, कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६७८२, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिकोद्योत, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)गोल्हणवृत्ति (गोल्हणवृत्ति) आचार्य-गोल्हण, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. ___ कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ कातन्त्रव्याकरणना (सं.)दुर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती- एम बे अतिसुन्दर चित्रो छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र.१, पृ. २७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १२८३९, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक, वि-१५मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१० कातन्त्रव्याकरण-(सं.)विद्यानन्दीवृत्ति (विद्यानन्दीवृत्ति), (कातन्त्रोत्तर विद्यानन्दीवृत्ति) पं.-विद्यानन्द, सं., गद्य, पाताखेत १-३, पृ. ३२, कातन्त्रोत्तर, संपूर्ण प्रत विशेष- कारक-समास-तद्धितपादपंजिकायाः कातन्त्रोत्तरः. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ६६५८- पे.क्र. २, पृ. ९-१६, षट्कारक तथा क्रियाकलाप, वि-१५मी, संपूर्ण 192 Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- उभय श्लोक-४२०. कुल झे.पृष्ठ-१६ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्ति आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४४, ग्रं.५०९, पाकाहेम ९७२, पृ. १७, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-४९४. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम ९७३, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति बालावबोधवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-४८१. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ३७०१, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्तिनो (सं.)टिप्पनक आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४४, पाकाहेम ९७४, पृ. ३०, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२१२८. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ९७५, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (आख्यातवृत्तिदुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ९७६, पृ. ११, कातन्त्रव्याकरण कृद्धृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृत्तिदुण्ढिका), वि-१४६९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७६७. कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम २५५८, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दुण्ढिका, वि-१९५९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम ३७०२, पृ. २४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. पत्र (मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम ३७०३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण कृद्धृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्धृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८५६५, पृ. ४४, कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्तिटिप्पनकदुण्ढिका, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ९६४८, पृ. ३३, कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्तिटिप्पनक-चतुष्कवृत्तिढुण्ढिका, वि १६वी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.-२१२८. कुल झे.पृष्ठ-३४ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ (गणपाठ) सं., गद्य, 193 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. २. पृ. २४८-२७६, कातन्त्रव्याकरण दीर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम - कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम बे अतिसुन्दर चित्रो छे. कुल झे. पृष्ठ ९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र. २, पृ. २६१-२७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण ये नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ नुं (सं.) विवरण सं. गद्य, पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. २, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम बे अतिसुन्दर चित्रो छे. कुल डी. पृष्ठ- ९० पाकाहेम १२८३८- पे. क्र. २ ५ २७९ कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ कातन्त्रविभ्रमसूत्र सं. गद्य ग्रं. ४००, पाकाहेम ८६७८, पृ. ८ कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-६ झे. पाकाहेम १३१७९ पृ. ८ कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ वि-१९मी संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे. पृष्ठ-६ कातन्त्रविभ्रमसूत्र - (सं.) टीका " सं., गद्य, पाकाहेम ८६७८, पृ. ८, कातन्त्रविभ्रमसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम १३१७९, पृ. ८. कातन्त्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ, वि-१९मी संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे. पृष्ठ-६ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र ( विमलाचलस्तोत्र कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित ) सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्धो वर्णसमाम्नाया..... · पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. २, पृ. ?, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ 194 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगण सं., गद्य, पाकाहेम ९६९०, पृ. २७, कातन्त्रव्याकरण उणादिगण वृत्तिसहित, वि-१६०५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगणनी (सं.)दौर्गसिंही वृत्ति जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, पाकाहेम ९६९०, पृ. १-२, कातन्त्रव्याकरण उणादिगण वृत्तिसहित, वि-१६०५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र जैनेतर-शर्ववर्मदेव, सं., गद्य, वताकांति ४४०, पृ. २२, कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दौर्गसिंही टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११, डीवीडी-९७/९८ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र-(सं.)टीका जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्पूर्ण मण्डलाकारं व्योमकल्पं निरामयां... वताकांति ४४०, पृ. २२, कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दौर्गसिंही टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११, डीवीडी-९७/९८ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगण सं., गद्य, पाकाहेम ९६९०, पृ. २७, कातन्त्रव्याकरण उणादिगण वृत्तिसहित, वि-१६०५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगणनी (सं.)दौर्गसिंही वृत्ति जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, पाकाहेम ९६९०, पृ. १-२, कातन्त्रव्याकरण उणादिगण वृत्तिसहित, वि-१६०५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगणनी (सं.)दौर्गसिंही वृत्ति जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, पाकाहेम ९६९०, पृ. १-२, कातन्त्रव्याकरण उणादिगण वृत्तिसहित, वि-१६०५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ (गणपाठ) सं., गद्य, पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. २, पृ. २४८-२७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, __ संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती, एम बे अतिसुन्दर चित्रो कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र.२, पृ. २६१-२७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ - (सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. २, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित 195 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम बे अतिसुन्दर चित्रो कुल हो. पृष्ठ - ९० पाकाहेम १२८३८- पे. क्र. २. पृ. २७९ कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१४९३. संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ नुं (सं.) विवरण सं., गद्य, पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. २. पृ. २७६ कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम - कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम बे अतिसुन्दर चित्रो छे कुल झे. पृष्ठ- ९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र. २, पृ. २७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण गणपाठ विवरण सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र जैनेतर - शर्ववर्मदेव, सं., गद्य, वताकांति ४४०, पृ. २२, कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दौर्गसिंही टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ११, डीवीडी- ९७/९८ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र - (सं.) टीका जैनेतर दुर्गसिंह, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्पूर्ण मण्डलाकारं व्योमकल्पं निरामयां.... वताकांति ४४०, पृ. २२, कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दौर्गसिंही टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-११, डीवीडी - २७/२८ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र (सं.) टीका जैनेतर दुर्गसिंह, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्पूर्ण मण्डलाकारं व्योमकल्पं निरामयां.... वताकांति ४४० पृ. २२ कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र सह दीर्गसिंही टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ११, डीवीडी- ९७/९८ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र ( विमलाचलस्तोत्र कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित ) सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्धो वर्णसमाम्नायः ... " पाकाम ७३८६- पे क्र. २ पृ. 2 पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र (सं.) अवचूरि " सं. गद्य, पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २ कातन्त्रव्याकरण- (सं.) दार्गसिंहीवृत्ति ( दौर्गसिंहीवृत्ति ). ( कातन्त्रव्याकरण - बृहद्वृत्ति) जैनेतर-दुर्गसिंह, सं., गद्य, आदि वाक्यः देवदेवं प्रणम्यादौ सर्वज्ञं सर्वदर्शिनम्... 196 Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९५- पे.क्र.१, पृ.?, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष- प्रारंभमात्र है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित पाकाहेम ९०३, पृ. ४०, कातन्त्रव्याकरण सह आख्यात वृत्ति व दौर्गसिंही वृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम ९०४, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण - कृमृत्ति दौर्गसिंहीवृत्ति सहित, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १०३६, पृ. ३६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति चतुष्कवृत्ति, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०३७, पृ. ६०, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति आख्यातवृत्ति, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम ३८१३, पृ. ११५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित आख्यातवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम ३९३४, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति प्रथमसन्धि, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम ६७८४, पृ. १२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १०४३०, पृ. ३६, कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित प्रथमवृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०४३१, पृ. ३९, कातन्त्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्तिसहित आख्यातवृत्ति, वि-१४७०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १०६७४, पृ. ५२, कातन्त्रव्याकरण कृद्धृत्ति, वि-१४७०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती- एम बे अतिसुन्दर चित्रो कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र. १, पृ. २७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १२८३९, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक, वि-१५मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १८७८९, पृ. ७६, कातन्त्रव्याकरण वृत्ति, वि-१५०५, संपूर्ण 197 Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र ११मुं, २७मुं, ३४मुं डबल छे. पत्र ३८मुं, ३९मुं तथा ४७मुं तथा ६२थी ७१ पत्र नथी. कातन्त्रव्याकरणनी (सं.)दुर्गसिंहवृत्तिनुं (सं.)पञ्जिकाविवरण (पञ्जिकाविवरण) जैनेतर-त्रिलोचनदास, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य सर्वकर्तारं सर्वदं सर्वेवेदिनम् । सर्वीयं सर्वगं शर्वं सर्वदेवनमस्कृतम् ||.... पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. २, पृ. १६५मुं, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. विशेष- प्रकृतिसंधि सुधी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ८३-१, पृ. १०७, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५०५०. कुल झे.पृष्ठ-४५ पातासंघवी ८३-२, पृ. १८८, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ताडपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-७८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.)प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित-देशल, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४६, पृ. ८१, कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६७८२, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिकोद्योत, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)गोल्हणवृत्ति (गोल्हणवृत्ति) आचार्य-गोल्हण, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ कातन्त्रव्याकरणना (सं.)दुर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पण 198 Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम वे अतिसुन्दर चित्रो छे कुल झे. पृष्ठ ९० पाकाहेम १२८३८- पे क्र. १ पृ. २७९ कातन्त्रव्याकरण दीर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१४९३. संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ पाकाहेम १२८३९. पृ. २५ कातन्त्रव्याकरण दीर्गसिंहीवृत्ति कृद्वृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक वि-१५मी त्रुटक कुल झे. पृष्ठ- १० कातन्त्रव्याकरण-(सं.) दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.) गोल्हणवृत्ति ( गोल्हणवृत्ति) आचार्य गोल्हण, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति - चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका - गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.) प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित - देशल, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्ति आचार्य मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय (विधि]. सं. गद्य रचना सं. विक्रम १४४४ ग्रं. ५०९. पाकाम ९७२, पृ. १७, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-४९४. कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम ९७३, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति बालावबोधवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - वृत्ति ग्रन्थाग्र-४८१. कुल झे. पृष्ठ- १४ पाकाहेम ३७०१ पृ. २१ कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ कातन्त्रव्याकरण- (सं.) बालावबोधवृत्तिनो (सं.) टिप्पनक आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय (विधि], सं., गद्य रचना सं. विक्रम १४४४, पाकाहेम ९७४, पृ. ३०, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२१२८. कुल झे. पृष्ठ- २९ पाकाहेम ९७५, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (आख्यातवृत्तिदुण्डिका), प्रतिपुर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. कुल झे. पृष्ठ- २१ पाकाहेम ९७६, पृ. ११, कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृद्वृत्तिदुण्डिका), वि-१४६९. प्रतिपुर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-७६७. कुल झे. पृष्ठ- ११ पाकाहेम २५५८, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दुण्डिका, वि-१९५९. संपूर्ण 199 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम ३७०२, पृ. २४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. पत्र ९मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम ३७०३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्वृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८५६५, पृ. ४४, कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्तिटिप्पनकढुण्ढिका, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ९६४८, पृ. ३३, कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्तिटिप्पनक-चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका, वि १६वी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.-२१२८. कुल झे.पृष्ठ-३४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्तिनो (सं.)टिप्पनक आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४४, पाकाहेम ९७४, पृ. ३०, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिढुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२१२८. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ९७५, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (आख्यातवृत्तिदुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ९७६ , पृ. ११, कातन्त्रव्याकरण कृमृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृद्धृत्तिढुण्ढिका), वि-१४६९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७६७. कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम २५५८, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दुण्ढिका, वि-१९५९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम ३७०२, पृ. २४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति ढुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. पत्र ९मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम ३७०३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण कृद्धृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्धृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८५६५, पृ. ४४, कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्तिटिप्पनकढुण्ढिका, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ९६४८, पृ. ३३, कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्तिटिप्पनक-चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका, वि १६वी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.-२१२८. कुल झे.पृष्ठ-३४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)विद्यानन्दीवृत्ति (विद्यानन्दीवृत्ति), (कातन्त्रोत्तर विद्यानन्दीवृत्ति) 200 Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पं.-विद्यानन्द, सं., गद्य, पाताखेत १-३, पृ. ३२, कातन्त्रोत्तर, संपूर्ण प्रत विशेष- कारक-समास-तद्धितपादपंजिकायाः कातन्त्रोत्तरः. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ६६५८- पे.क्र. २, पृ. ९-१६, षट्कारक तथा क्रियाकलाप, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय श्लोक-४२०. कुल झे.पृष्ठ-१६ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४६, पृ. ८१, कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६७८२, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिकोद्योत, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ कातन्त्रव्याकरण-बृहद्वृत्ति जुओ - कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्ति, जैनेतर-दुर्गसिंह, संस्कृत कातन्त्रव्याकरणना (सं.)दुर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष- पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वती- एम बे अतिसुन्दर चित्रो छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १२८३८- पे.क्र. १, पृ. २७९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१४९३, संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १२८३९, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-कृवृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक, वि-१५मी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१० कातन्त्रव्याकरणनी (सं.)दुर्गसिंहवृत्तिनुं (सं.)पञ्जिकाविवरण (पञ्जिकाविवरण) जैनेतर-त्रिलोचनदास, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य सर्वकर्तारं सर्वदं सर्वेवेदिनम् । सर्वीयं सर्वगं शर्वं सर्वदेवनमस्कृतम् ||... पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र.२, पृ. १६५मुं, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक 201 Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- प्रकृतिसंधि सुधी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ८३-१, पृ. १०७, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५०५०. कुल झे.पृष्ठ-४५ पातासंघवी ८३-२, पृ. १८८, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ताडपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-७८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.)प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित-देशल, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४६, पृ. ८१, कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६७८२, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिकोद्योत, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ कातन्त्रोत्तर विद्यानन्दीवृत्ति जुओ - कातन्त्रव्याकरण-(सं.)विद्यानन्दीवृत्ति, पं.-विद्यानन्द, संस्कृत कादम्बरी उत्तरार्द्ध जुओ - कादम्बरी-(सं.)कादम्बरीशेष, कवि-पुलिन्द्र भट्ट, संस्कृत कादम्बरी-(सं.)कादम्बरीशेष (कादम्बरीशेष), (पुलिन्द्रखण्ड), (कादम्बरी उत्तरार्द्ध) कवि-पुलिन्द्र भट्ट, सं., गद्यखण्डर, पाताखेत ३३, पृ. १४८, कादम्बरीशेष (उत्तरार्द्ध), वि-१२८२, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ कादम्बरीशेष जुओ - कादम्बरी-(सं.)कादम्बरीशेष, कवि-पुलिन्द्र भट्ट, संस्कृत कामक्रीडा छन्दोबद्ध आदिनाथस्तुति जुओ - आदिनाथस्तुति कामक्रीडा छन्दोबद्ध, संस्कृत, श्लोक४ कामदुधाक्षीरसागर (छन्दोविषयक ग्रन्थ) सं., कृ.विः छन्दोविषयक ग्रन्थ. पाकाहेम १३१५०, पृ. ३, कामदुधाक्षीरसागर, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ कामदेवकथा गद्य आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४६९, ग्रं.७४८, पाकाहेम १०४०४, पृ. १७, कामदेवकथा गद्य, वि-१६मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१८ कामरूपपञ्चाशिका जैनेतर-योगीन्द्र, प्रा., पद्य, गा.९१, कृ.विः योग विषयक ग्रन्थ. पाकाहेम ३९९६, पृ. ४, कामरूपपञ्चाशिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ कायस्थितिप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र.७, पृ. ७-८, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ 202 Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कायस्थितिस्तव (वीरस्तव) सं., पद्य, आदि वाक्यः यद्दर्शनमप्राप्ता भ्रमन्ति भवसागरे यथा जीवा... पातासंघवी ५६-२- पे.क्र.८, पृ.?, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. विशेष- यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ कायोत्सर्गना २१ दोष सं., गद्य, पातासंघवी १८९-१- पे.क्र.२, पृ. ५८-६०, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ कारकन्यायकन्दली यशोवर्धन, सं., तालाद ३४०, पृ. ८२, कारकन्यायकन्दली, वि-१४मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-१, ५ अने ८० नथी. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-९४/९६ कारणपदार्थ सं., पद्य, श्लोक३६, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १३, पृ. १५७-१५९, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ कार्तिकादिमासानुक्रमेण जिनकल्याणकदिनस्तुतयः जुओ - जिनकल्याणकदिनस्तुतयः-कार्तिकादिमासानुक्रमेण, आचार्य सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक१०३ काल सत्तरि जुओ - कालसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, ग्रं.९०, गा.७४ कालग्रहणविचार सं.,प्रा., पद्य, गा.१४३. पाकाहेम १४८०३, पृ. २, कालग्रहणविचार, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ कालग्रहणविधि जुओ - द्वितीयकालग्रहणविधि, मुनि-शीलचन्द, प्राकृत, गा.८४ कालग्रहणादिविधि सं.प्रा., गद्य, पाकाहेम १०३४५, पृ. २, कालग्रहणादि विधि, वि-१५३०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ कालचक्र , प्रा., पद्य, गा.३४, कृ.विः अन्त वाक्य- ...सूरींहि संकलिया. पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. २, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० कालचक्र सप्रपञ्च जुओ - सप्रपञ्चकालचक्र, प्राकृत, गा.२३ कालचक्रकुलक प्रा., पद्य, गा.२७, आदि वाक्यः चत्तारि सागरोवम... तालाद ३३९- पे.क्र. २, पृ. ५९-६१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७३९०- पे.क्र. २, पृ. १३, पुष्पमालाप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण 203 Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१४ कालचक्रविचारप्रकरण प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १२६७, गा.८५, पाकाहेम १०५९९, पृ. ३, कालचक्रविचारप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण कालद्रव्य तथा जीवद्रव्य स्वरूपविचार जुओ - जीवद्रव्य तथा कालद्रव्य स्वरुपविचार, संस्कृत कालप्रवेदनविधि जुओ - वसतिकालप्रवेदनविधि, प्राकृत कालविचारशतक आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०१, आदि वाक्यः नमियजियकालकीलङ्काल समुप्पन्नघणगहिरघोसं... __ कृ.विः यशोधवल की पुत्री परमश्राविका रूक्मिणी के प्रोत्साहन से इसकी रचना हुई. भांता ६९- पे.क्र.७, पृ. ६४A-७६४, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ कालव्यवहार,, विभाग-१ सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः समय आवलिका उच्छवास निश्वास द्वयोरपि... भांता ७०- पे.क्र. १५५, पृ. २०४B-२०५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ कालसप्ततिकाप्रकरण (कालसित्तरि), (काल सत्तरि) आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.७४, ग्रं.९०, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १३, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०१४५, पृ. १२, कालसप्ततिकाप्रकरण सस्तबक, वि-१६७०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०१४६, पृ. ४, कालसप्ततिकाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-७५. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०५९७, पृ. ७, कालसप्ततिकाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कालसप्ततिकाप्रकरण-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४५, पृ. १२, कालसप्ततिकाप्रकरण सस्तबक, वि-१६७०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कालसप्ततिकाप्रकरण-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४५, पृ. १२, कालसप्ततिकाप्रकरण सस्तबक, वि-१६७०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कालसित्तरि जुओ - कालसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, ग्रं.९०, गा.७४ कालस्वरुपकुलक आचार्य-जिनदत्तसूरि, अप., पद्य, गा.३२, पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ३, पृ. ४३-४४, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. ३, पृ. १-?, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कालस्वरूपकुलक सह (सं.)विवरण 204 Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कालस्वरूपकुलक-(सं.)विवरण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. ३, पृ. १४, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कालस्वरूपकुलक सह (सं.)विवरण कालस्वरूपकुलक-(सं.)विवरण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. ३, पृ. १४, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- कालस्वरूपकुलक सह (सं.)विवरण कालापकव्याकरण जुओ - कातन्त्रव्याकरण, जैनेतर-शर्ववर्मदेव, संस्कृत कालिकाचार्यकथा आचार्य-भावदेवसूरि, प्रा., ग्रं.१००, आदि वाक्यः अस्थित्थ भारहे वासे कमलाकेलिमन्दिरं।... पाताहेसं ६०- पे.क्र. २, पृ. ???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, दीपालीकाकल्प, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ कालिकाचार्यकथा प्रा., ग्रं.२११, आदि वाक्यः जो कुणइ ससत्तीए।... पाताहेसं ८०- पे.क्र.२, पृ. १२५-१४४, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा पद्य, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.१५४, पातासंघवीजीर्ण ८७- पे.क्र. २, पृ. ७?, कल्पसूत्र तथा कालकाचार्य कथा, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५४. प्रत विशेष- कागळमां-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.९२, ग्रं.१५०, आदि वाक्यः (१) पडिसिद्धम्पि कुणन्तो आणाए देस खित्त...(२) नामेन धारावासं अस्थिपुरं जत्थ... पातासंघवी ६५-१- पे.क्र.२, पृ. ११५-१३६, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, वि-१३६०, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.१८०, पातासंघवी १६८- पे.क्र. १७, पृ. १३४-१३७, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ कालिकाचार्यकथा प्रा., पातासंघवी १६९-१- पे.क्र. २, पृ. ११६-१२१, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, अपूर्ण पे. विशेष- पाछळनो भाग त्रुटक छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. २, पृ. ८९-९१, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ७४- पे.क्र. २, पृ. ???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १६४- पे.क्र. २, पृ. १०८-११८, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य, अपूर्ण डीवीडी-८/१८ 205 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ४१२- पे.क्र. २, पृ. ?, कल्पसूत्र कालिकाचार्य कथा, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.१३२, ग्रं.१६९, आदि वाक्यः अणुसरि आगमवयणं सिरि कालयसूरि... पाताहेसं १३५- पे.क्र. १, पृ. १५४-१६९, कालिकाचार्य कथानक आदि, अपूर्ण पे. नाम- कालकसूरिकथा, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- आ नंबरनी विगत नवा केटलॉगमां नथी. गायकवाड केटलॉग नं. ५७(२). डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १८३- पे.क्र. ४, पृ. १९६-२१२, कल्पसूत्र, वि-१३७७, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ भांता ३३- पे.क्र. २, पृ. ?, कल्पसूत्र, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-४-१११. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५०१. डीवीडी-६९/७८ कालिकाचार्यकथा प्रा., ग्रं.३७६, पाताहेसं ७६- पे.क्र. २, पृ. ११९-१४३, कल्पसूत्र सचित्र कालिकाचार्यकथा गद्य, वि-१३४४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११०+३३. गायकवाड केटलॉगमां मूल पत्र ५३-११० कालकाचार्यकथा १११-१४३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६/१६ कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.८४, आदि वाक्यः अत्थि धारावासपुरे नरनाहो वयरसिंह नामोत्ति... पाकाहेम १०१२६, पृ.७, कालिकाचार्यकथा, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कालिकाचार्यकथा सं., पद्य, श्लोक८७, आदि वाक्यः उत्पत्तिविगमध्रौव्यत्रिपदीव्याप्तविष्टपं... पाताहेसं ७९- पे.क्र. २, पृ. ११६-१२०, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३६४, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ कालिकाचार्यकथा मुनि-विनयचन्द्र, प्रा., पद्य, गा.७८, आदि वाक्यः देविन्दविन्द नमियं सिवनिहिसम्पत्ति... पाताहेसं ८१- पे.क्र. २, पृ. १३९-१५१, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा लघुपर्युषणा कल्प, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८५. प्रत विशेष- अन्त-समाप्तोयं लघुपर्युषणाकल्पः परं कथाया दिङ्मात्रं. नवा सूचीपत्रमा कर्तानाम विनयचन्द्रसूरि आप्यु छे-कोना कर्ता? डीवीडी-७/१६ कालिकाचार्यकथा मारुगूर्जर, पाकाहेम १०१३१, पृ. २०, कालिकाचार्यकथा, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ कालिकाचार्यकथा जैनश्रावक-प्रद्युम्न श्रेष्ठी, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३२५, श्लोक७४, आदि वाक्यः पर्वेदं भाद्रपञ्चम्यांश्चतुर्थ्यामभवद्यतः... कृ.विः मोढगुक हरिभद्रसूरिनी प्रार्थनाथी प्रद्युम्न श्रेष्ठीए रची छे. पातासंघवी १९४-२- पे.क्र.२, पृ. १४६-१५५, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण 206 Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५४ कालिकाचार्यकथा , प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सयलधरासुपसिद्धं... वताकांति ४२९, पृ. १६, कालिकाचार्यकथा, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कालिकाचार्यकथा प्रा., पद्य, गा.१३१, कृ.विः अन्त वाक्य-जह भणियं पुव्वसूरींहि. पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र.३, पृ. ?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र १०८ पर पूर्ण हुआ है इसका संबंध पहले से चालु है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित डीवीडी-५८/६० कालिकाचार्यकथा पद्य प्रा., पद्य, गा.५७, पाकाहेम १०१७७, पृ. ५, कालिकाचार्यकथा पद्य, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति स्थुलाक्षरी छे. कुल झे.पृष्ठ-५ कालिकाचार्यकथा-मूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता आचार्य-देवचन्द्रसूरि, प्रा., गद्य, रचना सं. विक्रम ११४६, ग्रं.३९५, आदि वाक्यः (१) अस्थि इहेव जम्बूद्दीवे दीवे भारहे वासे धरावासं नाम नयरं ।(२) एयं च चउत्थिए जेहिं... कृ.विः ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुधी मळे छे. पाताखेत ५७- पे.क्र. २, पृ. १३३-१७४-, कल्पसूत्रमूल-कालकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. नाम- मूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता- कालिकाचार्यकथा, पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-७५, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ९-१- पे.क्र. ४, पृ. १४१-१६५, कल्पसूत्र, कालकाचार्यकथा अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४१- पे.क्र.२, पृ.?, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यनी कथा, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां केटलांक पत्र नथी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १९४-१- पे.क्र.२, पृ. १३९-१७९, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६०. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ७७- पे.क्र. २, पृ. १०७-१४४, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित कालिकाचार्यकथा गद्य, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (नवा केटलॉगमा पत्र १०७ ज आप्या छे.) डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७८ - पे.क्र. २, पृ. ११४-१५२, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३३६, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ८२, पृ. २९, कालिकाचार्यकथा गद्य (अपूर्ण), अपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६६- पे.क्र. ३, पृ. १०३B-१३४B, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. नाम- मूलशुद्धिटीकागता-कालिकाचार्यकथा, पे. विशेष- कथानक संख्या-३६५. ग्रन्थाग्र-४३४. प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे. 207 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल हो. पृष्ठ ६४, डीवीडी-९/१८ भांता ३२ पे.क्र. २. पू. ९९-१३१, कल्पसूत्र, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-४-११२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-४९९. डीवीडी-६९/७८ तालाद ३३७ - पे.क्र. २, पृ. ११९-१५८, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, वि-१५मी, संपूर्ण ये विशेष सचित्र पत्र- १.२. कुल हो. पृष्ठ- ८०, डीवीडी- ९४ / ९६ काव्यकल्पलता टीका जुओ - कविशिक्षा - ( सं .) काव्यकल्पलता टीका, आचार्य - अमरचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं. ३३५७ काव्यकल्पलता परिमल टीका जुओ कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलता वृत्तिनी काव्यकल्पलता परिमल टीका, आचार्य कृति उपरथी प्रत माहिती - अमरचन्द्रसूरि, संस्कृत काव्यकल्पलतामकरन्द टीका जुओ कविशिक्षा - (सं.) काव्यकल्पलता टीकानी (सं.) काव्यकल्पलतामकरन्द टीका, गणिशुभशील, संस्कृत काव्यप्रकाश - कवि-मम्मट, अलक,, कवि-मम्मट, सं., आदि वाक्यः नियतिकृतिनियमरहितां..... तालाद ३९१-२- पे.क्र. १, पृ. ७-३६, काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास आदि, प्रतिपूर्ण - पे. नाम - काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास, पे. विशेष- पत्र १ थी ५, १४, १५, २० थी २२ नथी. प्रत विशेष महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति प्रत नं. ३९१- A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१ - A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं. २७६१३. कुल झे. पृष्ठ २९, डीवीडी- ९४ / ९६ काव्यप्रकाश - (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका) जैनेतर - जयन्त भट्ट, सं., गद्य, पाकाहेम ६६५०, पृ. २९ काव्यप्रकाश दीपिका, वि-१५मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २८ काव्यप्रकाश (सं.) काव्यप्रकाशसङ्केत टीका (काव्यप्रकाशसङ्केत टीका) आचार्य - माणिक्यचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६६, ग्रं. ३२४४, आदि वाक्यः वर्णनाविषयीचक्रे यत्र वाणी गतध्वनी.... कृ.वि: विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ६३-४, पृ. १९४ काव्यप्रकाशसङ्केत द्वितीय खण्ड, वि-१२१६ प्रतिपूर्ण काव्यप्रकाशसूत्र कारिका प्रत विशेष- पत्र १ थी २२ पानां टुकडा छे.. डीवीडी - ३० / ४९ पातासंघवी ६९-२ पृ. १६० काव्यप्रकाशषडुल्लास सङ्केत प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १५६३. डीवीडी - ३१ / ४९ पाकाहेम ६६५१, पृ. ४९, काव्यप्रकाश सङ्केत, वि - १४८७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५० काव्यप्रकाश - (सं.) टीका सं., पद्य, आदि वाक्यः नियतिकृतिनियमरहितां... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २७, पृ. १८४ -१८९, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. नाम- लघुसंघयणी, पे. विशेष- गाथा-२७. यन्त्र सहित. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी - ३०/४९ उपाध्याय यशोविजयजी गणितपागच्छीय), सं., गद्य, 208 Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३९१-२- पे.क्र. १, पृ. -७-३६, काव्यप्रकाश सह टीका - २ से ३ उल्लास आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- काव्यप्रकाश सह टीका - २ से ३ उल्लास, पे. विशेष- पत्र १ थी ५,१४,१५,२० थी २२ नथी. प्रत विशेष- महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति., प्रत नं.३९१-A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१-A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं.२७६१३. कुल झे.पृष्ठ-२९, डीवीडी-९४/९६ काव्यप्रकाश-(सं.)काव्यप्रकाशसङ्केत टीका (काव्यप्रकाशसङ्केत टीका) आचार्य-माणिक्यचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६६, ग्रं.३२४४, आदि वाक्यः वर्णनाविषयीचक्रे यत्र वाणी गतध्वनी... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ६३-४, पृ. १९४, काव्यप्रकाशसङ्केत द्वितीय खण्ड, वि-१२१६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १ थी २२ पानां टुकडा छे. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६९-२, पृ. १६०, काव्यप्रकाशषडुल्लास सङ्केत, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५६३. डीवीडी-३१/४९ पाकाहेम ६६५१, पृ. ४९, काव्यप्रकाश सङ्केत, वि-१४८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० काव्यप्रकाश-(सं.)टीका उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., गद्य, तालाद ३९१-२- पे.क्र. १, पृ. -७-३६, काव्यप्रकाश सह टीका - २ से ३ उल्लास आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- काव्यप्रकाश सह टीका - २ से ३ उल्लास, पे. विशेष- पत्र १ थी ५,१४,१५,२० थी २२ नथी. प्रत विशेष- महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति., प्रत नं.३९१-A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१-A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं.२७६१३. कुल झे.पृष्ठ-२९, डीवीडी-९४/९६ काव्यप्रकाश-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) जैनेतर-जयन्त भट्ट, सं., गद्य, पाकाहेम ६६५०, पृ. २९, काव्यप्रकाश दीपिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ काव्यप्रकाशसङ्केत टीका जुओ - काव्यप्रकाश-(सं.)काव्यप्रकाशसङ्केत टीका, आचार्य-माणिक्यचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३२४४ काव्यप्रकाशसूत्र कारिका सं., पद्य, आदि वाक्यः नियतिकृतिनियमरहितां... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २७, पृ. १८४-१८९, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. नाम- लघुसंघयणी, पे. विशेष- गाथा-२७. यन्त्र सहित. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ काव्यमनोहर कवि-मण्डन, सं., पाकाहेम ६८०४, पृ. १०, काव्यमनोहर, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ काव्यमनोहर-मण्डनमन्त्रीचरित्र (मण्डनमन्त्रीचरित्र काव्यमनोहर) कवि-महेश्वर, सं., पद्य, पाकाहेम ९४९३, पृ. ९, काव्यमनोहर-मण्डनमन्त्रिचरित्र, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ 209 Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती काव्यमीमांसा (कविरहस्य) जैनेतर-राजशेखर, सं., पाताहेसं १४२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६६२६, पृ. ५६, काव्यमीमांसा, वि-१४९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ काव्यादर्श कवि-सोमेश्वर भट्ट, सं., आदि वाक्यः पदार्थकुमुदवातसमुन्मीलनचन्द्रिकाम् । वन्दे वाचं ___ परिस्पन्दजगदानन्ददायिनीम् ।।... पाताखेत ४९, पृ. २४४, काव्यप्रकाशसङ्केत, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाताहेसं १४१, पृ. १२२, काव्यादर्श काव्यप्रकाश सङ्केत, अपूर्ण प्रत विशेष- उल्लास ४-६ त्रुटित. गायकवाड केटलॉगमां पत्र १०१-१७९+२२०-२२२ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ काव्यानुशासनसूत्र आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २०, पृ. १४३-१४७, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १४४ नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं १८६- पे.क्र. २, पृ. १२४-२५२, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- काव्यानुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १८६- पे.क्र. २, पृ. २५२, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- काव्यानुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ काव्यानुशासनसूत्र कवि-वाग्भट (दिगम्बर), सं., गद्य, पाताहेसं १६७, पृ. १८९, काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)अलङ्कारतिलक टीका (अलङ्कारतिलक टीका), (अलङ्कारचूडामणि टीका) कवि-वाग्भट (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्यः यथा च कर्पूरधूलि... पाताहेसं १३९, पृ. १८७, काव्यानुशासन अलङ्कारतिलक टीकासह, अपूर्ण प्रत विशेष- आ नाम उपर संघभंडारमा २६२नं. मां. १८५ पत्र लखेला छे. गा. के.नं. ११२मां १८७ पत्रनो ग्रंथ छे. पण त्यां तेनुं नाम अलंकार चूडामणि लखेलुं छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १६७, पृ. १-३७, काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)टिप्पणी 210 Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाताहेसं १६७, पृ. १-३७, काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)अलङ्कारतिलक टीका (अलङ्कारतिलक टीका), (अलङ्कारचूडामणि टीका) कवि-वाग्भट (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्यः यथा च कर्पूरधूलि... पाताहेसं १३९, पृ. १८७, काव्यानुशासन अलङ्कारतिलक टीकासह, अपूर्ण प्रत विशेष- आ नाम उपर संघभंडारमा २६२नं. मां. १८५ पत्र लखेला छे. गा. के.नं. ११२मां १८७ पत्रनो ग्रंथ छे. पण त्यां तेनुं नाम अलंकार चूडामणि लखेलुं छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १६७, पृ. १-३७, काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १६७, पृ. १-३७, काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ काव्यानुशासनसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १८६- पे.क्र. २, पृ. २५२, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- काव्यानुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ काव्यालङ्कार जुओ - रुद्रटालङ्कार, जैनेतर-रूद्रट, संस्कृत काव्यालङ्कार वामनीय जुओ - वामनीय काव्यालङ्कार, जैनेतर-वामन, संस्कृत काव्यालङ्कार व्यक्तिविवेक जुओ - व्यक्तिविवेक काव्यालङ्कार, जैनेतर-राजानक महिम, संस्कृत काव्यालोक जैनेतर-हरिप्रसाद, सं., पाकाहेम १३१९६, पृ. ४४, काव्यालोक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० किरणावली टीका जुओ - कल्पसूत्र-(सं.)किरणावलीटीका, उपाध्याय-धर्मसागर, संस्कृत किरणावली-(सं.)टीका कवि-दिवाकर, सं., गद्य, पाकाहेम १०१०२, पृ. २७, किरणावलि टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७१ किरणावली-(सं.)स्वोपज्ञटीका आचार्य-उदयनाचार्य, सं., गद्य, पाकाहेम १०७२१, पृ. ३२, किरणावलीटीका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पाकाहेम १४५४४, पृ. २८, द्रव्यकिरणावली, वि-१७८८, संपूर्ण किरातार्जुनीय रघुवंश कुमारसम्भव मेघदूत महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह जुओ - रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह, कवि-राजकुण्ड, संस्कृत, श्लोक१०१६ किरातार्जुनीयमहाकाव्य कवि-भारवि, सं., पद्य, पाताखेत ४०-१, पृ. १३५, किरातार्जुनीयम सर्ग १७ जीर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १०३८९, पृ. ३१, किरातार्जुनीयमाहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५०१, संपूर्ण 211 Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष- पत्र २६मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-३२ किरातार्जुनीयमहाकाव्य - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाम १०३८९, पृ. ३१ किरातार्जुनीयमाहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ वि-१५०१ संपूर्ण डबल छे. प्रत विशेष पत्र २६ कुल ३, पृष्ठ-३२ झे. किरातार्जुनीयमहाकाव्य - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १०३८९, पृ. ३१, किरातार्जुनीयमाहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ, वि - १५०१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २६मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-३२ कृति उपरथी प्रत माहिती किरातार्जुनीयव्यायोग कवि-वत्सराज महामात्य, सं., पद्य, श्लोक६१, आदि वाक्यः सा पातु वस्त्र्यम्बकचुम्बितायाः कपोलपाली चिरमम्बिकायाः..... पाताखेत ४१-१- पे.क्र. ४, पृ. १०४-१३०, कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय, संपूर्ण ये विशेष व्यायोग, कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी-६२/६४ किरियाठाण सज्झाय समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, ग्रं. १२०, पाकाहेम १०७९३- पे.क्र. १ पृ. १-३ किरियाठाणसज्झाय आदि वि-१६मी संपूर्ण , कीर्तिकौमुदीमहाकाव्य कीर्तिकल्लोलिनी-विजयसेनसूरिचरित्र (विजयसेनसूरिचरित्र कीर्तिकल्लोलिनी) गणि-हेमविजय, सं., पाकाहेम ८००२ पृ. ११ कीर्तिकल्लोलिनी विजयसेनसुरिचरित्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-११ कवि-सोमेश्वर भट्ट, सं., पद्य, पाकाहेम ७२७४, पृ. १२, कीर्तिकौमुदीमहाकाव्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १४ झे. पाकाहेम १०६९९, पृ. १८, कीर्तिकौमुदीमहाकाव्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुट्टनीमत- शुम्भलीमत (शुम्भलीमत कुट्टनीमत) (शम्भलीमत ) पण्डित-दामोदर, सं., पद्य, श्लोक १०३९, ग्रं. १२९०, आदि वाक्यः स जयति सङ्कल्पभवो रतिमुखशतपत्रचुम्बनभ्रमरः । .... पातासंघवी २०३-१, पृ. १४ शुम्भलीमत (अलभ्य ), अपूर्ण , कुन्थुनाथचरित्र " प्रत विशेष- आ प्रतमां पत्रांक १८३, २-१५ छे. अपूर्ण जेवुं पाछला बे पत्रना टुकडा छे. ने २-१२ पानां खवायेलां छे वे प्रतो छे. डीवीडी-३८/५५ आचार्य - पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रिये देवाधिदेवस्ता .... पुणे ४२६, पृ. १४८, कुन्थुनाथचरित्र, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४८ कुबेरपुराण नलायन जुओनलायन कुबेरपुराण, आचार्य माणिक्यदेव, संस्कृत ग्रं ४७२४ कुमतकदलीकृपाणिकाचउपई - लुङ्कानी हुण्डी (लुङ्कानी हुण्डी ) मारुगुर्जर, पद्य, श्लोक ११३५. पाकाहेम १३०३७, पृ. २८ कुमतकदलीकृपाणिकाचउपई- लुङ्कानीहुण्डी, वि- १९ मी संपूर्ण 212 Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १४१४९, पृ. १४, कुमतिकदलीकृपाणिकाचोपाई, वि-१९मी, संपूर्ण कुमारपालचरित जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-द्व्याश्रयसंस्कृत महाकाव्य, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२८२८ कुमारपालचरित्र सं., पद्य, श्लोक२२२, पाकाहेम ७१२४- पे.क्र. १, पृ. ?, कुमारपालचरित्र, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ कुमारपालचरित्र आचार्य-जयसिंहसूरि[कृष्णर्षिगच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४२२सर्ग१०, ग्रं.६३०७, आदि वाक्यः चिदानन्दैककन्दाय... भांका १३०, पृ. ८९, कुमारपालचरित्र, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१३५. डीवीडी-८५ कुमारपालचरित्र जुओ - सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्राकृत, श्लोक९५० कुमारपालप्रतिबोध (जिनधर्मप्रबोध(?)) आचार्य-सोमप्रभसूरि, प्रा.. पातासंघवी ५२, पृ. २५५, कुमारपालप्रतिबोध, अपूर्ण प्रत विशेष- ५३, ५४, ५९, १६१, १६२, पत्रो नथी. अन्तमां पण पत्रो नथी., डीवीडी-२८/४७ पाताहेसं ४९, पृ. २५५, कुमारपालप्रतिबोध, वि-१४५८, संपूर्ण डीवीडी-५/१५ कुमारपालप्रबन्ध (कुमारपालप्रबोधप्रबन्ध) सं., रचना सं. विक्रम १४६४, आदि वाक्यः स्वयं कृतार्थः पुरूषार्थभावैर्जगाद... पातासंघवी ६२-४, पृ. ८९, कुमारपालप्रबन्ध, वि-१४७५, संपूर्ण प्रत विशेष- कागळ उपर डीवीडी-३०/४९ पुप्रे ४२५, पृ. २५५, कुमारपालचरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५५ कुमारपालप्रबन्ध सं., पद्य, भांका ९९, पृ. ३३, कुमारपालप्रबन्ध, वि-१४८२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१४५., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. १२, २३, २५, २९. डीवीडी-८४ कुमारपालप्रबन्ध गणि-जिनमण्डनगणि, सं., रचना सं. विक्रम १४९१, पाकाहेम १४८७०, पृ. ६८, कुमारपालप्रबन्ध, वि-१५४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७२ कुमारपालप्रबोधप्रबन्ध जुओ - कुमारपालप्रबन्ध, संस्कृत कुमारविहारशतक आचार्य-रामचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.११६, पाकाहेम १०२१७, पृ. ५, कुमारविहारशतक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ कुमारसम्भव कवि-कालिदास, सं.. 213 Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०६९२, पृ. १९, कुमारसम्भवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७००. पाकाहेम १०७४२, पृ. ११, कुमारसम्भवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १४८७८, पृ. ३९, कुमारसम्भवमहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाभाभा ६०, पृ. २२, कुमारसम्भव महाकाव्य, वि-१७वी, संपूर्ण पाकाभाभा ६१, पृ. ३, कुमारसम्भव महाकाव्य चतुर्थसर्ग, वि-१७वी, प्रतिपूर्ण पाकाभाभा ७७, पृ. ४३, कुमारसम्भव महाकाव्य, वि-१५२५, संपूर्ण कुमारसम्भव-(सं.)अवचूरी सं., गद्य, पाकाहेम १४८७८, पृ. ३९, कुमारसम्भवमहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ कुमारसम्भव मेघदूत किरातार्जुनीय रघुवंश महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह जुओ - रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह, कवि-राजकुण्ड, संस्कृत, श्लोक१०१६ कुमारसम्भव-(सं.)अवचूरी सं., गद्य, पाकाहेम १४८७८, पृ. ३९, कुमारसम्भवमहाकाव्य सावचूरि पञ्चपाठ सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ कुरुकुल्लास्तव आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., पद्य, श्लोक९, पाकाहेम ११२६८- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथ-धरणोरगेन्द्रस्तव आदि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ कुरुचन्द्रनृपादिदृष्टान्त वसतिशयनादि दानविषये (गद्य) (वसतिशयनादि दानविषये कुरुचन्द्रनृपादिदृष्टान्त (गद्य)) सं., गद्य, पाकाहेम २१०६- पे.क्र.४, पृ. ३२-४६, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ कुलक प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः इयमच्छेरयभूयं पुव्वकयदुक्कडोदया जायं... पाताहेसं १४२- पे.क्र. ४, पृ. ६-७, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ कुल्पपाकमण्डन युगादिजिनस्तवन जुओ - युगादिजिनस्तवन कुल्पपाकमण्डन, आचार्य-भुवनसुन्दरसूरि, संस्कृत कुवलयानन्दकारिका जैनेतर-अप्पय दीक्षित, सं., पद्य, पाकाहेम १३१६०, पृ. १२, कुवलयानन्दकारिका टिप्पनकसह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० कुवलयानन्दकारिका-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १३१६०, पृ. १२, कुवलयानन्दकारिका टिप्पनकसह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० कुवलयानन्दकारिका-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १३१६०, पृ. १२, कुवलयानन्दकारिका टिप्पनकसह, वि-१८मी, संपूर्ण 214 Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ- १० कुशलानुबन्धि प्रकीर्णक जुओ- चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ कुशलानुबन्धी अध्ययन जुओ- चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ कुशलानुबन्ध्यध्ययन जुओ- चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि- वीरभद्र, प्राकृत, गा. ६३ कुसुममाला जुओ पुष्पमालाप्रकरण, आचार्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी, प्राकृत, गा. ५०५ कुसुमसारकथा तपविषये (तपविषये कुसुमसारकथा) सं.. कृ. विः तपविषये पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १३, पृ. ४६-५४, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६० पाकाहेम ८०७७- पे.क्र. १, पृ. ?, कुसुमसारकथा गद्य तथा अशोकदत्तकथा गद्य, वि-१५७३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ कुसुमाञ्जली मारुगूर्जर, पद्य, कृ.विः भाषा-अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ५७, पृ. १६१मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ कृतपुण्यकथा दानविषये जुओ- दानविषये कृतपुण्यकथा, संस्कृत, श्लोक १४५ कृपणश्रेष्ठिकथा दानविषये (दानविषये कृपणश्रेष्ठिकथा) प्रा., पद्य, गा. ८९. पातासंघवी १५७-१- पे. क्र. ४, पृ. ३४-४३ द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ कृष्णबारमासा जैनेतर ब्रह्मानन्द मारुगुर्जर, पद्य, गा.८७, " पाकाहेम १०७९५, पृ. ३, कृष्णाबारमासा, वि-१७८३, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २जुं नथी. जीर्णप्राय कृष्णराजीवविचार प्रा., पद्य, गा. १४, आदि वाक्यः जम्बुद्दीवार असङ्खज्जइ... पाताहेसं १६१- पे. क्र. ११ पृ. १७५ १७५ दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १४. प्रत विशेष प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७० डीवीडी-८/१८ केटलाक दर्दोनां औषध ( औषध सङ्ग्रह) मारुगुर्जर, पाकाहेम १२३८८- पे.क्र. ४, पृ. १, चतुःशरण आदि, वि-१७२२, संपूर्ण केवलज्ञानविंशिका सं., पद्य, श्लोक २०, आदि वाक्यः केवलज्ञानमनन्तं जीवस्वरूपं .... पुणे ४१८- पे. क्र. ५, पृ. १६९ - १७०, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७२ केवलभुक्ति आचार्य - शाकटायन भदन्तपाद [यापनीय], सं., पद्य, श्लोक ३३, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. २, पृ. १३-१५, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण 215 Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणचशास्त्र कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३४/५३ केवलीभुक्ति-(सं.)टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः एवं स्त्रीनिर्वाणं प्रतिपाद्येदानीं केवलिभुक्तिं... केशीगोयमसन्धि अप., पद्य, गा.७०, ग्रं.८५, पाकाहेम ९०२९, पृ. ३, केशीगोयमसन्धि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ९०३२- पे.क्र. १, पृ.?, केशीगोयमसन्धि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ कोकिलाष्टक सं., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र. २१, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ कौटलीय टीका जुओ - कौटिल्यअर्थशास्त्र-(सं.)टीका, संस्कृत कौटिल्यअर्थशास्त्र जैनेतर-कौटिल्य, सं.. पातासंघवीजीर्ण ७२- पे.क्र. १, पृ. ६४, कौटिल्य अर्थशास्त्र/टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकरण पहेलो ने बीजाअधिकरणना अध्याय २ सुधी. डीवीडी-५८/६० कौटिल्यअर्थशास्त्र-(सं.)टीका (कौटलीय टीका) सं., गद्य, कृ.विः ...कौटिल्यराजसिद्धान्तटीकायां... पातासंघवीजीर्ण ७२- पे.क्र.२, पृ. १८, कौटिल्य अर्थशास्त्र/टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकरण पहेलो ने बीजाअधिकरणना अध्याय २ सुधी. डीवीडी-५८/६० कौटिल्यअर्थशास्त्र-(सं.)टीका (कौटलीय टीका) सं., गद्य, कृ.विः ...कौटिल्यराजसिद्धान्तटीकायां... पातासंघवीजीर्ण ७२- पे.क्र.२, पृ. १८, कौटिल्य अर्थशास्त्र/टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकरण पहेलो ने बीजाअधिकरणना अध्याय २ सुधी. डीवीडी-५८/६० क्रियाकलाप आचार्य-जिनदेवसूरि[भावडार गच्छीय], सं., पाकाहेम ६८६९- पे.क्र. १, पृ. १-३८, क्रियाकलाप तथा स्यादिसमुच्चय, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६७ क्रियाकलाप मुनि-विजयानन्द, सं., गद्य, पाकाहेम १०२०९, पृ. ६, क्रियाकलाप, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-७ क्रियाकलाप वृत्ति जुओ - धातुरत्नाकर-(सं.)स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति, उपाध्याय-साधुसुन्दरगणि, संस्कृत क्रियाकुलक अप., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः दुलहु लहेविणु माणुसजम्मु... 216 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३४, पृ. २१८-२१९, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका जिनस्तुतिगर्भित जुओ - जिनस्तुतिगर्भित क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका, अज्ञात-महीमेरु, संस्कृत, श्लोक५३ क्रियागुप्त पार्श्वजिनस्तवन जयराजपुरीश जुओ - पार्श्वनाथस्तवन क्रियागुप्त जयराजपुरीश, गणि-सिद्धान्तरुचि, संस्कृत, का.१७ क्रियागुप्त पार्श्वनाथस्तव जुओ - पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त, मुनि-चन्द्रशेखर, संस्कृत, श्लोक३२ क्रियागुप्त यमकादिमय नाभेयस्तव जुओ - नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय#, अज्ञात-नयप्रभ, संस्कृत, श्लोक१३ क्रियागुप्त विविधछन्दोबद्ध महावीरस्तुति जुओ - महावीरस्तुति विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त#, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत, का.२५ क्रियागुप्त वीरजिनस्तव जुओ - वीरजिनस्तव क्रियागुप्त, संस्कृत, का.१६ क्रियागुप्त स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिकाविविध छन्दोमयी, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत, श्लोक२५ क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिका विविध छन्दोमयी (विविध छन्दोमयी क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विशतिका), (क्रियागुप्त स्तुतिचतुर्विंशतिका), (स्तुतिचतुर्विंशतिका-क्रियागुप्त विविध छन्दोमयी) मुनि-सागरचन्द्र, गुरु-आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), सं., पद्य, श्लोक२५, कृ.विः अन्तवाक्य- सागरचन्द्र इत्यभिध० नानावृत्तनिवेशपेशलतरैर्युक्ताक्रियागुप्तकैः. पाताहेसं १६८ - पे.क्र.७, पृ. १७-१८, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-१-६ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ४, पृ. ३-४, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन (चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन) सं., पद्य, श्लोक३६, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियारत्नसमुच्चय आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., रचना सं. विक्रम १४६६, ग्रं.५७७८, पातासंघवी ५६-१, पृ. २१२, क्रियारत्नसमुच्चय, वि-१४९२, संपूर्ण डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १०५-२, पृ. १८३, क्रियारत्नसमुच्चय, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-७७ नथी. पातासंघवी १०६-१, पृ. ११०, क्रियारत्नसमुच्चय सबीजक, वि-१४६६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र सबीजक-५७७८., पत्र १८६ थी ३१८ नथी. नं. ३३९ ना बे पत्र छे. ३५५ ने बदले १५५ पाकाहेम ७२१९, पृ.६७, क्रियारत्नसमुच्चय, वि-१५०१, संपूर्ण 217 Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७०८. शरूआतनां पानां ऊधईए करडेलां छे. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०३९६, पृ. ९५, क्रियारत्नसमुच्चय, वि-१६मी, संपूर्ण क्रियारत्नसमुच्चय-(सं.)बीजक सं., गद्य, पातासंघवी १०६-१, पृ. ११०, क्रियारत्नसमुच्चय सबीजक, वि-१४६६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र सबीजक-५७७८., पत्र १८६ थी ३१८ नथी. नं. ३३९ ना बे पत्र छे. ३५५ ने बदले १५५ क्रियारत्नसमुच्चय-(सं.)बीजक सं., गद्य, पातासंघवी १०६-१, पृ. ११०, क्रियारत्नसमुच्चय सबीजक, वि-१४६६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र सबीजक-५७७८., पत्र १८६ थी ३१८ नथी. नं. ३३९ ना बे पत्र छे. ३५५ ने बदले १५५ छे. क्रोधे सिंहव्याघ्रकथा जुओ - सिंहव्याघ्रकथा क्रोधे, क्षणिकवादनिरास प्रकरण सं.. पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. ९, पृ. १२२-१२७, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ क्षपक शिक्षा प्रकरण आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२३, पातासंघवी ७२-२- पे.क्र. ४, पृ. ३३-४७, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० क्षमाकुलक (उपशमकुलक), (क्षान्तिकुलक), (खन्तीकुलक). (जीवानुशास्तिकुलक), (जीवानुसट्ठिकुलक). (क्षान्तिशतक) आचार्य-यशोघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः (१) नमिऊण पुव्वपुरिसाण परमरस सुत्थियाण पयकमलं...(२) नमिऊण पुव्वपुरिसाण पसमरस सुट्ठियाण पयकमलं...(३) पणमियमिय कवयणं सिरिवीरजिणेसर... पाताखेत ६- पे.क्र. १४, पृ. १२१-१२३, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- उपशमकुलक, पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १९, पृ. ७४-७७, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ९, पृ. ५-८, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- जीवाणुसठ्ठिकुलय प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. __ कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ६, पृ. ५९-६०, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १०४-२-पे.क्र. ११, पृ. १४२-१४५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पाकाहेम १३५१- पे.क्र.४, पृ.६, यतिशिक्षापञ्चाशतादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम २५९६- पे.क्र.६, पृ. २८, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण 218 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७ क्षमापनाश्लोक सं., पद्य, श्लोक३, आदि वाक्यः हे सभ्याः श्रृणुतः क्षणं मम वचश्चेतोभिरव्याकुलै... पाताहेसं ५७- पे.क्र. २, पृ. १६५आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६१-१६२. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ क्षान्तिकुलक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ क्षान्तिशतक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ क्षामणककुलक (खामणाकुलक) प्रा., पद्य, गा.४०, आदि वाक्यः जो कोइ मए जीवो चउगइ संसारकडिलम्मि... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १३, पृ. ९६-९७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १३, पृ. १३४-१३७, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- खामणाकुल, पे. विशेष- गाथा-४६. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३५, पृ. ६९आ-७२आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- खामणाकुलक, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-३६. झेरोक्ष पत्र-४३-४६. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २१, पृ. १०७B-११०A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- खामणाकुलं, पे. विशेष- गाथा-३६. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७७९१- पे.क्र. १, पृ. १, क्षामणककुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ क्षामणकसूत्र (पक्खी खामणा), (पाक्षिक क्षामणक), (पाक्षिक खामणा), (खामणकसूत्र) प्रा., पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. ४, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र- ९०-९१. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १८२-१- पे.क्र.५, पृ. ८२-८३, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५, पृ. ९०-१०१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १००७१- पे.क्र. २, पृ. ४, पाक्षिकसूत्र तथा पाक्षिकक्षामणक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- खामणा पण साथे छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०४३३- पे.क्र. ४, पृ. १८, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २५, पृ. ८९-१०४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण 219 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ क्षामणकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ६, पृ. १२, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० क्षामणकसूत्र-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-यशोभद्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११८१, भांका ८२- पे.क्र. ३, पृ. २२A-B, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-९६१. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १, २ नथी. डीवीडी-८४ क्षामणकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र.६, पृ. १२, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० क्षामणकसूत्र-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-यशोभद्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११८१, भांका ८२- पे.क्र. ३, पृ. २२A-B, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-९६१. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १, २ नथी. डीवीडी-८४ क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण गणि-धर्मशेखर, प्रा., पद्य, पाकाभाभा ६८, पृ. १, क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण अवचूरिसह पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाभाभा ६८, पृ. १, क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण अवचूरिसह पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाभाभा ६८, पृ. १, क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण अवचूरिसह पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण क्षेत्रपालस्तुति प्रा., पद्य, गा.१, आदि वाक्यः जो रक्खइ जिणभुवणं... तालाद ३३९- पे.क्र.८, पृ. ६७, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ क्षेत्रसमास गाथोद्धार जुओ - जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८६ क्षेत्रसमासप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१०३, पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र.५, पृ.?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० 220 Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती क्षेत्रसमासप्रकरण , प्रा., पद्य, गा.९१, आदि वाक्यः वीरं कणयसरीरं पणमियं नियगुरुगुणाणथुइलेसं... कृ.विः अन्त वाक्य-एएण रज्जुमाणेण लोगो चउदस रज्जुओ. पाताखेत ३४-३- पे.क्र. ५, पृ. २६४-२६८, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९१. डीवीडी-६२/६४ क्षेत्रसमासप्रकरण उद्धार जुओ - जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८६ क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य बृहत् जुओ - नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, आचार्य-सोमतिलकसूरि, प्राकृत, गा.३८६ क्षेत्रसमासप्रकरण लघु जुओ - लघुक्षेत्रसमासप्रकरण, आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्राकृत, गा.२६२ क्षेत्रसमासप्रकरण सङ्क्षिप्त जुओ - बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-(प्रा.)सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८५ क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि (सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमास-(सं.)अवचूरि) सं., गद्य, पाकाहेम ६९६९, पृ. १-२५, सक्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-१३७, कर्तानाम आपेल नथी. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २१५, पृ. १४, क्षेत्रसमास अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८७ क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, डतामुक्ता ४६४, पृ. ५६, क्षेत्रसमास टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ खण्डनखण्डखाद्य-(सं.)शिष्यहितैषिणीवृत्ति (शिष्यहितैषिणीवृत्ति) सं., गद्य, पाताहेसं १४३, पृ. १४९, खण्डनटीका परिच्छेद, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- (१)आदिवाक्य-प्रमाणतदाभासनिरूक्त्या द्वैततद्विरोधं परिहृत्याधुना..., (२)अन्तवाक्य-इति... चतुर्थ परिच्छेदः. डीवीडी-८/१७ खन्तीकुलक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ खरतर-उत्पत्तिविचार सं., गद्य, पाकाहेम ८३८७- पे.क्र. २, पृ. १-६, द्रव्यस्तवविचार आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ खरतरगच्छगुर्वावली सं., पाकाहेम १४००५, पृ. २२, खरतरगच्छगुर्वावली, वि-२०मी, संपूर्ण खाद्यपदार्थनामगर्भित आदिजिनस्तवन राणकपुरमण्डन जुओ - आदिजिनस्तवन खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डन#, __ मुनि-जिनसागर, संस्कृत, श्लोक११ खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डन आदिजिनस्तवन जुओ - आदिजिनस्तवन खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डन#, मुनि-जिनसागर, संस्कृत, श्लोक११ खामणकसूत्र जुओ - क्षामणकसूत्र, प्राकृत खामणाकुलक जुओ - क्षामणककुलक, प्राकृत, गा.४० खुड्डककुमार कथानक भावनायां (भावनायां खुड्डककुमार कथानक) प्रा., पद्य, श्लोक१३५, आदि वाक्य: नवगुत्तीहिं विसुद्धं धरेज्ज... 221 Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ९९- पे.क्र. ९, पृ. २५१-२६७, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ गउडवहो जुओ - गौडवध-(सं.)गौडवध गाथोद्धार, प्राकृत, गा.१७६ गउडवहोमहाकाव्य (गौडवध महाकाव्य) जैनेतर-वाक्पतिराज, प्रा., पद्य, गा.११६८, ग्रं.१४९०, आदि वाक्यः पढमं चिय धवलकओववीअमम्बुरुहगोअरं नमह |... पाताखेत ९-२, पृ. १६८, गउडवहो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी २०५-२, पृ. १४५, गौडवध महाकाव्य, वि-१२८६, संपूर्ण प्रत विशेष- आंकनी बाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १३३, पृ. २२४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३४, पृ. २०४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-८/१७ गउडवहोमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाताहेसं १३३, पृ. २२४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३४, पृ. २०४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-८/१७ गौडवध-(सं.)गौडवध गाथोद्धार (गौडवध गाथोद्धार), (गउडवहो) प्रा., पद्य, गा.१७६, आदि वाक्यः इह ते जयन्ति कइणो जयमिणमो जाण सयलपरिणाम... पाताहेसं १८८- पे.क्र. १, पृ. १-२३, गौडवधादि छ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-१३-३२. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां त्रणज ग्रन्थो छे., झेरोक्ष पत्रांक १३-३२ कुल २० पत्रो छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-१०/१९ गउडवहोमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाताहेसं १३३, पृ. २२४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३४, पृ. २०४, गौडवधमहाकाव्यवृत्ति टीप्पणी सहित त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-८/१७ गच्छस्वरूप प्रा., आदि वाक्यः जहिं णत्थि सारणो वारणाय पडिचोयणाय... भांता ७०- पे.क्र. ६४, पृ. ८१A-८२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-३०५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ गच्छाचार पयन्ना जुओ - गच्छाचारप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.१३७ गच्छाचारप्रकीर्णक (गच्छाचार पयन्ना) 222 Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. पद्य, गा. १३७, आदि वाक्यः नमिऊण महवीरं तियसिन्दनमंसियं महाभागं .... पातासंघवीजीर्ण ६५ - पे. क्र. १२, पृ. ?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष - गाथा - १३८. प्रत विशेष- अति जीर्ण- त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे क्र. ११ पृ. १०० १०६ चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक दि १५३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १७, पृ. १६४ - १६९, ओघनिर्युक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक- प्रकरण - कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुलझे पृष्ठ ३१ पाकाहेम १००८९ पृ. ३. गच्छाचारप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - गाथा - १३६. कुल झे. पृष्ठ-३ भांका ११६- पे.क्र. १, पृ. १-१४५, गच्छाचार विवृत्ति सहित, अपूर्ण पे. नाम- गच्छाचारप्रकीर्णक सह (सं.) विवृत्ति, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३८४. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८४, १-३७९. डीवीडी-८४ भांका ११६- पे.क्र. २, पृ. १५१-१५५, गच्छाचार विवृत्ति सहित, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३७९. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८४, १-३७९. डीवीडी-८४ भांका १२३ - पे.क्र. १३, पृ. २५A - २७A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि - १४९१, संपूर्ण पे. नाम- गच्छायारं, पे. विशेष- गाथा - १३८. सूचीपत्रांक-१-३७६. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम - १ - ३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १५०, पृ. ९, गच्छाचार सह अवचूरि, वि - १६४६, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८६. डीवीडी-८५ भांका २२७- पे. क्र. १२, पृ. ५७B- ६१B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं. १-३७५. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२६८. कुल गाथा- १२३३ श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ गच्छाचारप्रकीर्णक-(सं.) विवृत्ति गणि-विजयविमल गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६३४, श्लोक५८५०, आदि वाक्यः उद्बोधो विदधेब्जानामिव .... कृ.वि: विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका ११६ - पे. क्र. १, पृ. १५३, गच्छाचार विवृत्ति सहित, अपूर्ण पे. नाम- गच्छाचारप्रकीर्णक सह (सं.) विवृत्ति, पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-३८४. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८४, १-३७९. डीवीडी-८४ गच्छाचारप्रकीर्णक-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, आदि वाक्यः नमिऊ आदी शास्त्रकारः स्वेष्टदेवतां नमस्कुर्वन्.... भांका १५०, पृ. ९, गच्छाचार सह अवचूरि, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८६. 223 Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८५ गच्छाचारप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः नमिऊ. आदौ शास्त्रकारः स्वेष्टदेवतां नमस्कुर्वन्... भांका १५०, पृ. ९, गच्छाचार सह अवचूरि, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८६. डीवीडी-८५ गच्छाचारप्रकीर्णक-(सं.)विवृत्ति गणि-विजयविमल गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६३४, श्लोक५८५०, आदि वाक्यः उद्बोधो विदधेब्जानामिव... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका ११६- पे.क्र. १, पृ. १५३, गच्छाचार विवृत्ति सहित, अपूर्ण पे. नाम- गच्छाचारप्रकीर्णक सह (सं.)विवृत्ति, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३८४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८४, १-३७९. डीवीडी-८४ गजसुकुमारकथा ब्रह्मचर्य विषये जुओ - ब्रह्मचर्यविषये गजसुकुमारकथा, संस्कृत, श्लोक२१ गजाष्टक (अष्टकानि) सं., पद्य, श्लोक, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १६, पृ. ५, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १६, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ गजाष्टकादिसप्तदशाष्टक (अष्टकानि) सं., पाकाहेम १७०८२, पृ. ६, गजाष्टकादिसप्तदशाष्टक, वि-१७५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ गणकारिका जैनेतर-भासर्वज्ञ, सं., पद्य, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १०, पृ. १२८-१५५, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण पे. नाम- गणकारिका सह (सं.)रत्नटीका डीवीडी-३४/५३ गणकारिका-(सं.)रत्नटीका (रत्नटीका) सं., गद्य, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १०, पृ. १५५-१५६, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण पे. नाम- गणकारिका सह (सं.)रत्नटीका डीवीडी-३४/५३ गणकारिका-(सं.)रत्नटीका (रत्नटीका) सं., गद्य, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १०, पृ. १५५-१५६, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण पे. नाम- गणकारिका सह (सं.)रत्नटीका डीवीडी-३४/५३ गणधरवाद सं., गद्य, आदि वाक्यः इह केचित्सदनुष्टानवतोपि जैनान्... भांका २९२- पे.क्र. ११, पृ. १९B-२३०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ 224 Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणधरसत्तरी (युगप्रधानसत्तरी), (सन्ताण सत्तरी) प्रा., पद्य, गा.७१, पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ४, पृ. १३५-१३८, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण पे. नाम- युगप्रधान सत्तरी-संताण सत्तरी डीवीडी-३०/४९ गणधरसार्द्धशतकप्रकरण आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५०, आदि वाक्यः गुणमणिरोहणगिरिणो रिसह जिणिन्दस्स... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३५, पृ. ७०-७३, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५७. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २०७९, पृ. ३१८, गणधरसार्धशतकप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६८५, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२१२ पाकाहेम ६७५९, पृ. १६८, गणधरसार्धशतकप्रकरण बृहत् टीकासह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५१मुं डबल छे. गणधरसार्द्धशतकप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति गणि-सुमति, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९५, पाकाहेम २०७९, पृ. ३१८, गणधरसार्धशतकप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१२ पाकाहेम ६७५९, पृ. १६८, गणधरसार्धशतकप्रकरण बृहत् टीकासह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५१मुं डबल छे. गणधरसार्द्धशतकप्रकरण-(सं.)बृहद्भत्ति गणि-सुमति, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९५, पाकाहेम २०७९, पृ. ३१८, गणधरसार्धशतकप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१२ पाकाहेम ६७५९, पृ. १६८, गणधरसार्धशतकप्रकरण बृहत् टीकासह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५१मुं डबल छे. गणधरहोरा प्रा., पद्य, गा.२९, आदि वाक्यः जीवाजीवयपयत्थवत्थुवित्थारमुणियपरमत्थं... पातासंघवी १८०-२- पे.क्र.८, पृ. ७२-७५, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ गणपतिकल्प सं., पाकाहेम ८९२१- पे.क्र.५, पृ. १-२, मयूरशिखाकल्प आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ गणपाठ जुओ - कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो गणपाठ, संस्कृत गणितपाटी त्रिशती जुओ - त्रिशतीगणितपाटी, जैनेतर-श्रीधराचार्य, संस्कृत गणितसार जैनेतर-श्रीधराचार्य, सं., पाकाहेम १०७२७, पृ. २३, गणितसार, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १०७२८, पृ. ११, गणितसार, वि-१६मी, संपूर्ण गणियोगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि (योगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि) प्रा., आदि वाक्यः सक्करकासारक्खोयरसखीरसेवइयखीरपायसखीरपेयसञ्जायमाहुरयमज्जिया वीसेदणचउत्थप्पाणोग्गाहमसमभरणतवियाए य घाणो... 225 Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः अन्तिमवाक्य-संजईणं उद्देसं समुद्देसं वा पडिक्कमियव्वं वासया पाउरियपरिहियाणं. भांता ७०- पे.क्र. १३, पृ. १८B-१९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२००. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ गणिविज्जापइण्णय जुओ - गणिविद्याप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.८६ गणिविद्याप्रकीर्णक (गणिविज्जापइण्णय) प्रा., पद्य, गा.८६, आदि वाक्यः (१) वोच्छं बलाबलविहिं... (२) वुच्छं बलाबलविहिं... पातासंघवीजीर्ण ६५-पे.क्र.८, पृ. ?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-८५. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र.७, पृ. ४६-५०, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८५. कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १३, पृ. १५२-१५५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८४. __ कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. १०, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १००८८ - पे.क्र. ४, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक-चन्द्रवेध्यक-देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तव अजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५१९, पृ. १, गणिविद्याप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भांका १२३- पे.क्र. ८, पृ. २००-२१B, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- गणविद्यानामप्रकीर्णक, पे. विशेष- गाथा-८५. सूचीपत्रांक-१-३४८ प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. ___ कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका २२७- पे.क्र. ८, पृ. ४७A-५०A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३४६. गाथा-८५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ गदबदडां शब्दगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथस्तोत्र गदबदडां शब्दगर्भित, अज्ञात-इन्द्रनन्दिसूरिशिष्य, संस्कृत, गा.१२ गमनागमनप्रकरण सं.. पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. १२, पृ. १३८-१७०, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां विवेकविलास उ.३-५ आपेल छे. डीवीडी-३६/५४ गम्भीर स्तव 226 Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक४०, आदि वाक्यः (१) अथ गम्भीरनिर्घोषः स्फुटरोमाञ्चभूषणः...(२) गम्भीरनिर्घोषः स्फुटरोमाञ्चभूषणः... पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १८, पृ. २०६-२०८, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २८, पृ. २१३-२१६, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ गर्गोक्त संहितानो ४७मो ध्वजाध्याय (ध्वजाध्याय) सं., पातासंघवी १८०-२- पे.क्र.५, पृ. ५८-५९, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ गर्भकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाकाहेम ७७९२, पृ. १, गर्भकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ गर्भलक्षण, वर्षालक्षण, उत्पातदर्शन (निमित्तशास्त्र) सं., पातासंघवी १८०-२- पे.क्र.६, पृ. ६०-६७, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ गाथा सप्तशती-(सं.)छाया (सप्तशती छाया) जल्हणदेव, सं., पद्य, पातासंघवी ६३-१, पृ. ३०४, सप्तशती छाया, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र पलुं नथी. डीवीडी-३०/४९ गाथाकोश प्रा., पद्य, गा.१५३, आदि वाक्यः निज्जरियजरामरणं वन्दित्ता जिणवरं महावीरं । पाताहेसं ११९- पे.क्र. २१, पृ. २२१-२३२, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ तालाद ३४३- पे.क्र. ४, पृ. १३३-१५१, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ भांका १६१- पे.क्र. ३, पृ. १५०-२०, प्रवचनसन्दोह, जीवदयाप्रकरण व गाथाकोश, वि-१७८९, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-८२०/९५-१९०२ कुल झे.पृष्ठ-१४, डीवीडी-८६ गाथाकोशोद्धार , प्रा., पद्य, पाकाहेम ३९९०, पृ. १०, गाथाकोशोद्धार, वि-१५वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ गाथाकोष जुओ - रसाउलओ-गाथाकोष, मुनि-मुनिचन्द्र, प्राकृत, गा.३५३ गाथासहस्री मुनि-समयसुन्दरजी, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १६८६, श्लोक१६००, पाकाहेम १३५९०, पृ. ४२, गाथासहस्री, वि-१७१९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० गायत्री मन्त्र वताकांति ४३६, पृ. १०, गायत्री मन्त्र सह टीका, संपूर्ण 227 Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- फाटेलो भाग छे. डीवीडी-९७/९८ गायत्री मन्त्र-(सं.)टीका सं., गद्य, वताकांति ४३६, पृ. १०, गायत्री मन्त्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- फाटेलो भाग छे. डीवीडी-९७/९८ गायत्री मन्त्र-(सं.)टीका सं., गद्य, वताकांति ४३६, पृ. १०, गायत्री मन्त्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- फाटेलो भाग छे. डीवीडी-९७/९८ गाहाजुअलविवरण जुओ - बृहत् षट्स्थानक, प्राकृत, ग्रं.२०२, गा.१७३ गाहाजुयलस्तोत्र जुओ - महावीरस्तोत्र, आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्राकृत, गा.४ गिरनारकल्प प्रा., पद्य, गा.३९, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १०, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० गिरनाररास अप., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ७४- पे.क्र.२, पृ. १-१२, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- २०मुं पार्नु नथी. डीवीडी-५८/६० गिरिनारगिरिस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः सत्पद्याहस्तयुक्तो... पाकाहेम १२३६८- पे.क्र. ४, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण गिरिनारतीर्थकल्प सरस्वती, सं., पद्य, का.२३, पाकाहेम १२१३४, पृ. १, गिरिनारतीर्थकल्प, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ गिरिनारमण्डन नेमिजिनस्तुति (नेमिजिनस्तुति गिरिनारमण्डन) आचार्य-जयशेखरसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः लच्छिकुलहरु लच्छिकुलहरु... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६४, पृ. २५०-२५२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- का.१६. कुल झे.पृष्ठ-३१ गिरिनारस्तवन सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः श्रीउज्जयन्तशैलेश... पाकाहेम १२३७८ - पे.क्र. २, पृ. १, कल्याणकस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण गुणवर्मकुमारकथा धर्मप्रभावे (धर्मप्रभावे गुणवर्मकुमारकथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १५, पृ. ५६-६१, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० 228 Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गुणवर्माचरित्र (पूजाधिकारे गुणवर्मकथा) आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि[अंचलगच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४८४सर्ग६, ग्रं.१८०८, आदि वाक्यः विजयतां जिनवाक्यसुधारसः... कृ.विः अं.वाक्य-गुणवर्मगुर्योग्यं. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाकाहेम १०१०५, पृ. २३, गुणवर्माचरित्र पद्य, वि-१४९६, संपूर्ण प्रत विशेष- सर्ग-५? कुल झे.पृष्ठ-२१ भांका २२२, पृ. ३६, गुणवर्मकथा, वि-१४८६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१८७. डीवीडी-८८ गुणस्थानक प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः जीवाइपयत्थेसु जिणोवइठेसु जा असद्दहणा... पाताखेत १२- पे.क्र. ४, पृ. २-३, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १३, पृ. १२२-१२३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१३. झेरोक्ष पत्र-४५-४७. प्रारंभिक कुछ गाथाएं षडशीतिभाष्य से मिलती है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ गुणस्थानकक्रमारोह आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., ग्रं.६४, पाकाहेम १३६९८ - पे.क्र. १, पृ. ?, गुणस्थानकक्रमारोह स्वोपज्ञटीकासह आदि, वि-१७६७, संपूर्ण पे. नाम- गुणस्थानकक्रमारोह सह (सं.)स्वोपज्ञ टीका कुल झे.पृष्ठ-१५ गुणस्थानकक्रमारोह-(सं.)टीका आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १३६९८- पे.क्र. १, पृ. २०, गुणस्थानकक्रमारोह स्वोपज्ञटीकासह आदि, वि-१७६७, संपूर्ण पे. नाम- गुणस्थानकक्रमारोह सह (सं.)स्वोपज्ञ टीका कुल झे.पृष्ठ-१५ गुणस्थानकक्रमारोह-(सं.)टीका आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १३६९८- पे.क्र. १, पृ. २०, गुणस्थानकक्रमारोह स्वोपज्ञटीकासह आदि, वि-१७६७, संपूर्ण पे. नाम- गुणस्थानकक्रमारोह सह (सं.)स्वोपज्ञ टीका कुल झे.पृष्ठ-१५ गुणस्थानादि सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः इदानी क्षपक श्रेण्यङ्गीकरणत... भांता ७०- पे.क्र. ८९, पृ. ११६B-१२६०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ गुणानुरागकुलक आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.२८, पाकाहेम ११०७१, पृ. १, गुणानुरागकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण 229 Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गुणानुरागकुलक स्तवन आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.३५, पाकाहेम ३६१७, पृ. ३, गुणानुरागकुलकस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ गुरु परिपाटी जुओ - पट्टावली तपागच्छीय, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, प्राकृत गुरुगुणकुलक प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः गुरुवियणविहुरेण वि जिणसासणभाविएण सत्तेण... पाताखेत ११- पे.क्र. १२, पृ. २४२-२४५, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. १५, पृ. ३३३-३३४, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक* (षट्त्रिंशत्षट्विशिका) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.४०, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्विशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण प्रा., पद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्विंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल* (उत्सूत्रकन्दकुद्दाल) उपाध्याय-धर्मसागर, सं., पद्य, श्लोक२४५, पाकाहेम २५९९, पृ. ४४, गुरुतत्त्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका, वि-१९५९, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ७०७५, पृ. ८, गुरुतत्त्वप्रदीप-उत्सूत्रकन्दकुद्दाल, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, ग्रं.२२०८, पाकाहेम २५९९, पृ. ४४, गुरुतत्त्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका, वि-१९५९, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, ग्रं.२२०८, 230 Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम २५९९, पृ. ४४, गुरुतत्त्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका, वि-१९५९, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ गुरुतत्त्वव्यवस्थापनवादस्थल सं., पाकाहेम ८८०१, पृ.७, गुरुत्वत्त्वव्यवस्थापनवादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पं. रविवर्घनलिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ गुरुतत्त्वशुद्धि प्रा., पाकाहेम ३८८१, पृ. १५, गुरुतत्त्वशुद्धि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९५ गुरुतत्त्वसिद्धि सं.,प्रा.. पाकाहेम १४९२३, पृ. ९, गुरुतत्त्वसिद्धि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ भांका १३७, पृ. १५, गुरुतत्वसिद्धि, संपूर्ण डीवीडी-८५ गुरुपरम्परास्तुति सं., पद्य, का.१५, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३६, पृ. १२३-१२५, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ गुरुप्रदक्षिणाकुलक प्रा., पद्य, गा.१४, पाकाहेम १११४९, पृ. १, गुरुप्रदक्षिणाकुलक, वि-१५९७, संपूर्ण गुरुप्रदक्षिणास्तुति मारुगूर्जर, पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणेसरपट्टनाह... कृ.विः भाषा? पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५६, पृ. २३७-२३८, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५८, पृ. २३९-२४०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- आ स्तुति बीजी वार आवी छे. कुल झे.पृष्ठ-३१ गुरुमहिमादर्शकगाथा प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः गुरुसक्खिओहु धम्मो सम्पुन्न... भांता ७०- पे.क्र. ७५, पृ. ९५A-९६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ गुरुवन्दनक गाथा जुओ - वन्दनकगाथा, प्राकृत, गा.४६ गुरुवन्दनकभाष्य प्रा., गद्य, 231 Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे. क्र. ६. पू. २. चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि वि-१३६९, त्रुटक कुल डी. पृष्ठ-६० गुरुवेयणकुलक गुरुस्तुति आचार्य धनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५, पातासंघवी १९०-२- पे. क्र. १२. पृ. २०५-२०६ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ प्रा. पद्य, गा. ११, आदि वाक्य: नरसुरअसुर नर्मसिय पाए वन्दिय जिणवरिन्द गराए..... " भांता ७२- पे.क्र. ८, पृ. ६८B - ६९B, दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-४२४. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. गुरुस्तुति जुओ गुरुस्तुति प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः गुरुचित्ता..... भांता ७२- पे.क्र. ३, पृ. ५५B, दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण गुरुस्तुतिकुलक कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ आवकव्रत, मुनि-देवसूरि-शिष्य, प्राकृत, गा. ५७ प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. प्रा. पद्य, गा.२३. आदि वाक्यः गम्भीरो मदविओ.... " कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४५, पृ. ८९-९०आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र- ४९-५०. गुरुस्तुतिचाचरि प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे, पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भांता ७२- पे.क्र. ११, पृ. ७०-७१B, दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम ९०२ - पे.क्र. ५५ पृ. २३६-२३७, ओघनिर्युक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक प्रकरण कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३१ गुरुस्थितिकुलक पे. नाम - गुरुस्तुति व यतिस्तुति, पे. विशेष - गाथा - २१. गाथांक - १७ का दो बार क्रम दिया गया है. दोनो स्तुतियों की गाथा क्रमशः है. गुरुस्तुति १९ गाथा तथा यतिस्तुति १०-२१ गाथा. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. अप., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः नन्दउ पुण्डरीउ गोयमपमुह गणहरवंसु... पाताखेत ६- पे.क्र. २६, पृ. १६५ - १६७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गौर्जरी रागेण. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे. पृष्ठ - ११०, डीवीडी - ६१/६३ - प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ११०६७, पृ.१ गुरुस्थितिकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादिकाव्य* सं., पद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र. १, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण 232 Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुलझे. पृष्ठ-४ गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादिकाव्य- (सं.) टीका सं. गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे क्र. १ पृ. ३. गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि वि-१६मी संपूर्ण कुझे पृष्ठ ४ गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादिकाव्य- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे. क्र. १ पृ. ३. गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ गुर्वावली खरतरगच्छीय गृहस्थधर्मकुलक प्रा., पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः वन्दे सुहम्मा सामी..... पाकाहेम ७७५ पे.क्र. २५ पृ. ३८-३९ दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८.५९ मेगा छे.. कुल झे. पृष्ठ ९० प्रा., पद्य, आदि वाक्यः वीरं नमिऊण गिहत्थधम्मं सम्मत्तमूलं पडिवज्जयामि... पाताखेत १२ - पे.क्र. १, पृ. १, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष - ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ गोडीपार्श्वनाथस्तव (पार्श्वनाथस्तव ) कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, का.५, आदि वाक्यः श्रीमरुमण्डलसारशृङ्गारं .... पाकाहेम १२३३३- पे.क्र. २, पृ. १, गोडीपार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण गोडीपार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति) सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः कमलोदयमङ्गलकीर्तिकरं... पाकाहेम १२२७१- पे क्र. २ पृ. ? अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि वि-१८मी, संपूर्ण 7 " कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम १२३३३- पे क्र. १ पृ. १ गोडीपार्श्वनाथस्तुति आदि वि-१७मी संपूर्ण गोधनकथा-माने (माने गोधनकथा) पाताहेसं १८५ - पे.क्र. ६, पृ. ९०-९८, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ गोमटसार (गोम्मटसार) प्रा... गोधूलिका · आचार्य भावप्रमसूरि, गुरु आचार्य महिमाप्रभसूरि, सं. गद्य, आदि वाक्यः नत्वा पार्श्वजिनेन्द्राय महिमाप्रभसद्मने.... कृ. विः गोधूलिका का ४१ अलग-अलग अर्थ दिया है. पाकाहेम ३३१४, पृ. ४, गोधूलिकार्थ, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ कृ.वि: दिगम्बर ग्रन्थ. पाकाहेम १४७९९ पृ. ९३९ गोमटसार त्रुटक अपूर्ण, वि-१७मी अपूर्ण गोम्मटसार जुओ गोमटसार, प्राकृत गोयमभासिय जुओ गौतमभाषित प्राकृत ग्रं.५५. गा. ४० गोयमवण्णणादण्डग जुओ गौतमवर्णनादण्डक, प्राकृत - प्रत विशेष - पत्र १ थी २३, ४०४ थी ५०४, ५४३ थी ५५५, ६०४ थी ६०७, ६६७ थी ७२९ अने ९०९मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ-५२४ , " · 233 Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गोल्हणवृत्ति जुओ कातन्त्रव्याकरण - (सं.) दीर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.) गोल्हणवृत्ति, आचार्य गोल्हण संस्कृत गोशब्दार्थकाव्य सं., पद्य, का. १, आदि वाक्यः गोश्राव: किमयं... पाकाहेम १२२८८- पे. क्र. २. पृ. १ हरिशब्दार्थगर्मितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी संपूर्ण ये नाम गोशब्दार्थकाव्य सह (सं.) टिप्पणी कुल झे. पृष्ठ-४ गोशब्दार्थ काव्य- (सं.) टिप्पणी सं. गद्य, पाकाहेम १२२८८- पे.क्र. २. पृ. १ हरिशब्दार्थगर्मितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- गोशब्दार्थकाव्य सह (सं.) टिप्पणी कुल झे. पृष्ठ-४ गोशब्दार्थकाव्य-(सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १२२८८- पे.क्र. २, पृ. १, हरिशब्दार्थगर्भितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम गोशब्दार्थकाव्य सह (सं.) टिप्पणी कुल झे. पृष्ठ-४ गौडवध गाथोद्धार जुओ गौडवध (सं.) गौडवध गाथोद्वार, प्राकृत, गा. १७६ गौडवध महाकाव्य जुओ - गउडवहोमहाकाव्य, जैनेतर - वाक्पतिराज, प्राकृत, ग्रं.१४९०, गा.११६८ गौडवध (सं.) गौडवध गाथोद्वार (गौडवध गाथोद्धार), (गउडवहो) - प्रा. पद्य गा. १७६ आदि वाक्यः इह ते जयन्ति कइणो जयमिणमो जाण सयलपरिणाम...... " पाताहेसं १८८- पे.क्र. १, पृ. १-२३, गौडवधादि छ ग्रन्थो, संपूर्ण ये विशेष झेरोक्ष पत्र-१३-३२. - प्रत विशेष - गायकवाड केटलॉगमां त्रण ग्रन्थो छे, झेरोक्ष पत्रांक १३-३२ कुल २० पत्रो छे. कुल झे. पृष्ठ ३२, डीवीडी - १०/१९ गौतमकुलक (ऋषिकुलक) प्रा., पद्य, गा.२०, पाकाहेम ७७८८, पृ. २, गौतमकुलक, वि - १८मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-२ पाकाहेम ७७८९ पे क्र. १ पृ. १ गौतमकुलक आदि वि-१७मी संपूर्ण . · कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम १०५७२, पृ. ४, गौतमकुलक सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण गौतमकुलक-(मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७२ पृ. ४. गौतमकुलक सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण गौतमकुलक- (मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७२, पृ. ४, गौतमकुलक सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण गौतमचरित्रकुलक J अप., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः मगहा गोवरगामि वरि माहणि वरु वसुभूई.... पाताखेत ६ पे. क्र. २३ पृ. १५६ १५९ उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष शुद्ध प्रति - 234 Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ गौतमनमस्कार सं., पाकाहेम १२३७५- पे.क्र.५, पृ. १, लघुशान्तिस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण गौतमपृच्छा प्रकरण (गौतमपृच्छाकुलक) प्रा., पद्य, गा.५३, आदि वाक्यः (१) नमिऊण तित्थनाहं जाणन्तो तह वि गोयमो भयवं।...(२) नमिऊण महावीरं जाणन्तोवि... कृ.विः गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. पाताखेत ५- पे.क्र. १५, पृ. १७३-१८०, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. ११, पृ. १११-११५, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- गौतमपृच्छाकुलक, पे. विशेष- गाथा-५२. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र.८, पृ. १२०-१२३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४४-१- पे.क्र.४, पृ. ३१०-?, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. १०, पृ. १२५-१२९, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-५४. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र.५, पृ. ८५-८९, उपदेशमाला आदि, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र. १२, पृ. १-६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६५- पे.क्र.६, पृ. १७६-१८२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- गौतमपृच्छाप्रकरण, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-५४. झेरोक्ष पत्र-६९-७१. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ४, पृ. १२९-१३२, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १८, पृ. १०३-१०६, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र.६, पृ. ४४-४९, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ 235 Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १३०-२- पे.क्र.९, पृ. १७४-१८०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण __ डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र.८, पृ. १११-११७, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १०, पृ. १४०-१४४, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४. पत्र १३९मुं नथी. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. ५, पृ. ४७-५१, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १५, पृ. २२६-२३०, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५२. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १४, पृ. ९५-९७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ९६ मानो टुकडो, ९७मुं नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २९, पृ. २३५-२३७, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २५, पृ. ११६B-१२०B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता २४- पे.क्र. ९, पृ. ८४-९०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता २५-पे.क्र. ११, पृ. १९८B-२०३B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- गौतमपृच्छा (?) प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र. ११, पृ. १९८B-२०३०, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. गाथा-५३ तक है. झेरोक्ष पत्र-५८-६०. ___ कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ भांता ७२- पे.क्र. ३४, पृ. १८१A-१८६०, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. १९, पृ. १४७-१५०, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४९. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ 236 Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अताका ४९७- पे.क्र. १२, पृ. १७७B-१८५A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६७. पत्रांक १८४ पर भगवान नेमिनाथ एवं १८५ पर भगवान पार्श्वनाथ का चित्र है. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र.६१, पृ. २४१-२४३, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १२, पृ. ३१-३२, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५, पृ. ५-७, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम २७२६- पे.क्र. ४, पृ. ८-९, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. ४, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र.३, पृ. ५३-५७, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०७३४- पे.क्र. २, पृ. २-३, शीलोपदेशमालाप्रकरण व गौतमपृच्छाप्रकरण, वि-१६वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ गौतमपृच्छाकुलक जुओ - गौतमपृच्छा प्रकरण, प्राकृत, गा.५३ गौतमपृच्छास्तवन जैनकवि-ऋषभदास, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६७८, गा.७७, पाकाहेम १०१३३- पे.क्र. १, पृ.?, गौतमपृच्छास्तवन आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- अवन्तिसुकुमाल स्तवन कुल झे.पृष्ठ-१२ गौतमभाषित (गोयमभासिय) प्रा., पद्य, गा.४०, ग्रं.५५, आदि वाक्यः नरिन्द देविन्दनमंसियस्स जिणस्स वीरस्स महामुणिस्स... पातासंघवी १५६-१- पे.क्र.७, पृ. १०४-१०९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ गौतमवर्णनादण्डक (गोयमवण्णणादण्डग) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेठे अन्तेवासी इन्दभूइ... कृ.विः अं.वाक्य-अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी. भांता ७०- पे.क्र. १४९, पृ. २००A-२००B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाक-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित (अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति) सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानशिष्याग्रणि... पाकाहेम १२२९६, पृ. १, अनुबन्धफलगर्भा गौतमस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १३१६४, पृ. १, अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण 237 Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल हो. पृष्ठ- २ गीतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित (सं.) टीप्पणी सं. गय " पाकाहेम १३१६४, पृ. १, अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-२ गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२९६ पृ. १ अनुबन्धफलगर्भा गीतमस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ वि-१५मी संपूर्ण गीतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित (सं.) टीप्पणी सं. गद्य, " पाकाहेम १३१६४, पृ. १, अनुबन्धफलगर्भित गौतमस्तुति सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-२ गौतमस्तुति अनुबन्धफलगर्भित- (सं.) अवचूरि कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, .. पाकाहेम १२२९६, पृ. १, अनुबन्धफलगर्भा गौतमस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण गौतमस्वामि स्तवन वज्रस्वामि, सं., पद्य, का. ११ आदि वाक्यः स्वर्णाष्टाग्रसहस्रपत्रकमलपद्द्मासनस्थं मुनिं ..... पाकाहेम ११२७०- पे.क्र. १, पृ. १, गौतमस्वामिस्तवन आदि, वि-२०मी, संपूर्ण पाकाहेग १३१७१- पे. क्र. ९ पृ. ५०-६०, वीरजिन भारती सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण ये नाम- गौतमस्वामिस्तोत्र पे विशेष श्लोक-१२. कुल झे. पृष्ठ-८ गौतमस्वामिरास उपाध्याय-विनयप्रभ, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १४१२, गा.८१, पाकाहेम १०२३६, पृ. ६, गौतमस्वामिरास, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ गौतमस्वामिस्तवन सं., पद्य, का. ५, पाकाहेम ११२७०- पे.क्र. २, पृ. ?, गौतमस्वामिस्तवन आदि, वि-२०मी, संपूर्ण गीतमस्वामिस्तुति आचार्य - रत्नप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, पाताखेत ३- पे.क्र. १, पृ. १-८, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि- १२९२, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ गीतमस्वामिस्तोत्र आचार्य जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः ॐनमस्त्रिजगन्नेतु.... पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २०, पृ. २२मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम १२३६३- पे.क्र. ३, पृ. १, नन्दीश्वर - पुण्डरीक - गौतम - सर्वसिद्धसिद्धचक्र - सीमन्धरजिनस्तुति आदि, वि१६मी संपूर्ण पाकाहेग १२३७४- पे.क्र. ३ पृ. १ परमात्मद्वात्रिंशिका आदि वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेग १३१७१- पे. क्र. १५ पृ. ८B-९A वीरजिन, भारती सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह वि-१९मी संपूर्ण पे. विशेष प्रतिलेखक ऋद्धिविजयजी. कुल ही, पृष्ठ-ट गौतमाष्टक सं., पद्य, श्लोक८ आदि वाक्यः इन्द्रभूति वसुभूतिपुत्रं पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ९, पृ. ७, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण 238 Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १२३४०- पे.क्र. २, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र तथा गौतमाष्टक, वि-१६५४, संपूर्ण पे. विशेष- का.९. गौतमीयन्यायसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः एवं किलात्र शब्द्यते । यदशक्यानुष्ठानोपायोपदेशकं तदशक्यार्थकम् ।... पाताखेत ४, पृ. ११९, गौतमन्यायसूत्रटीका अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ ग्रहणविधि जुओ - प्रथमकालग्रहणविधि, प्राकृत, गा.८४ ग्रामादिविचार प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः गाम नगरं खेडं... भांता ७०- पे.क्र.७३, पृ. ९५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३३. सूचीपत्रांक-२१४१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ घटकपरकाव्य सं., पद्य, का.२१, आदि वाक्यः निचितं खमुपेत्य नीरदैः प्रियहीना हृदयावनीरदैः।... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र. २, पृ.?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे.पृष्ठ-४४ घण्टाकर्णमन्त्रस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः घण्टाकर्णो महावीरः... पाकाहेम ९७६०- पे.क्र.३, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ११०९५- पे.क्र. ३, पृ. १, चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या व विचारसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-३. कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३७५- पे.क्र. ४, पृ. १, लघुशान्तिस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण घात्यापेबरलावसी श्लोक सं., पद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र.२, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ घात्याघेबरलावसी श्लोक-(सं.)व्यरि सं., गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र. २, पृ. ३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ घात्याघेबरलावसी श्लोक-(सं.)व्यरि सं., गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र. २, पृ. ३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चउक्कसाय अप., आदि वाक्यः चउक्कसाय... पाकाहेम १११५१- पे.क्र. ६, पृ. LA-८B, महासता-सतीकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण 239 Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ चउतीस अतिशयगर्भित ऋषभदेवस्तवन जुओ - ऋषभदेवस्तवन चउतीस अतिशयगर्भित, मारुगूर्जर, गा.२१ चउद्दसगकुलक (चतुर्दशकुलक) प्रा.,सं., पद्य, गा.४०, आदि वाक्यः जीवगुणठाणमग्गण अजीवउवगरणरयणसुयसिद्ध... पातासंघवीजीर्ण ५७- पे.क्र. २, पृ. २०-३B, श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-५७/६० चउसरण जुओ - चतुःशरण, प्राकृत चउसरणपयन्ना जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.२७ चउसरणपयन्ना जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ चक्रवाकाष्टक सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ४, पृ. २, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. ४, पृ. ४, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ चक्राष्टकेन पार्श्वस्तुति जुओ - पार्श्वस्तुति-चक्राष्टकेन, गणि-जिनवल्लभ, संस्कृत, श्लोक८ चच्चरिउ (चर्चरि), (पार्श्वदेव गणि) जैनश्रावक-सोलण, अप., पद्य, गा.३८, आदि वाक्यः जिण चउवीस नमेविणु सरसइ पय पणमेवि... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. ७, पृ. १००-१०३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ चण्डिकाशतक कवि-बाण भट्ट, सं., पद्य, श्लोक १०४, पाकाहेम १०७०२- पे.क्र.१, पृ. १-६, चण्डिकाशतक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र पमुं नथी. चतुःपर्वीकुलक आचार्य-अमररत्नसूरि[आगमगच्छ], गुरु-आचार्य-हेमरत्नसूरि[आगमगच्छ], मारुगूर्जर, पद्य, गा.६८, आदि वाक्यः सरसति सामिणि समरी भाविइं गुरु श्रीहेमरत्नसूरि... पाकाहेम ९७८९, पृ. ३, चतुःपर्वीकुलक, वि-१७वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चतुःशरण (लघु चतुःशरण) सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः यदस्मिन् परस्मिनभवे... पाकाहेम १२३८८ - पे.क्र. १, पृ. १, चतुःशरण आदि, वि-१७२२, संपूर्ण चतुःशरण (चउसरण) प्रा., पाताखेत ३४-१- पे.क्र.३, पृ.?, आरम्भसिद्धि, शब्दब्रह्मोल्लास, चउशरण, संपूर्ण पे. विशेष- प्रत मा आ कृतिनो उल्लेख नथी. प्रत विशेष- पत्र-१४+१२०=१३४. चउशरण पयन्ना नथी. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १६८- पे.क्र. ३, पृ. ८५-८६, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- चउसरण लघु, पे. विशेष- गाथा-३०. डीवीडी-३६/५४ 240 Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती चतुःशरण प्रकीर्णक-वृद्ध (सुप्रणिधानकुलक) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.९०, आदि वाक्यः (१) जिणे सिद्धे नमंसित्ता सव्वसाहू य भावओ।...(२) जिण सिद्धे नमंसित्ता... पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ११, पृ. १२८-१३३, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९१. नवा सूचीपत्रमा गा.९१ छे अने गा.के. मां १९ आपेल छे ज्यारे पत्र संख्या जोतां गाथा ७० नी आसपास होवी जोईए. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ चतुःशरणप्रकीर्णक (चउसरणपयन्ना), (लघु चतुःशरण प्रकीर्णक) प्रा., पद्य, गा.२७, आदि वाक्यः चउसरणगमण दुक्कडगरहा सुकडाणुमोयणा चेव।... पाताखेत ५- पे.क्र. १८, पृ. १९५-१९८, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. ५०, पृ. २४१-२४४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- चउसरण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. २, पृ. ३०२-३०५, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १६, पृ. ६२-६६, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ४, पृ. ५६-५७, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र.६, पृ. ११९-१२३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. ११, पृ. १४४-१४६, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. ६, पृ. ५१-५३, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७ सुधी., पत्र ५४-५५ नथी. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं ११३- पे.क्र. ११, पृ. १६३-१६६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र.८, पृ. १२८-१३०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११८- पे.क्र. २, पृ. ३०-३३, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. 241 Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-७/१७ भांता ६९- पे.क्र. २५, पृ. १७५B-१७८A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२१०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ४, पृ. २६-२७, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२९. कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. १, पृ. ?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. १, पृ.?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०४५५- पे.क्र.१, पृ. १२, चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति, वि-१६०१, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति कुल झे.पृष्ठ-२४ चतुःशरणप्रकीर्णक (चउसरणपयन्ना)(कुशलानुबन्ध्यध्ययन), (कुशलानुबन्धि प्रकीर्णक), (कुशलानुबन्धी अध्ययन), (बृहत् चउसरण), (वृद्धचतुःशरण) गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः सावज्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ य पडिवत्ती।... कृ.विः गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. पाताखेत २३- पे.क्र. ९, पृ. ३२५-३२६, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४२- पे.क्र. १६, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३२-१- पे.क्र. ३, पृ. २५-२८, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गा.के. मां गाथा २७५ आपी छे पण पत्र संख्या जोतां गाथा-७५ होवी जोईए. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १६, पृ. २२८मुं, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- कुलाणुवंधज्झयण, पे. विशेष- गाथा-६२. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६९-७२. प्रारंभिक १० गाथाएँ नहीं हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. ११, पृ. १२९-१३५, उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५७/६० 242 Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ६५ पे.क्र. १ पृ. १३० चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक T प्रत विशेष- अति जीर्ण- त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८ पे. क्र. ६. पृ. ९०-९१ वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- चउसरण बृहत्, पे. विशेष - गाथा - ६९. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १८ पृ. ३२५-३३३. पुष्पमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६२-२- पे. क्र. १३ पृ. ७०-७४ सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष - अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे. क्र. २. पू. ६१-६४, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ६२. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ११७-१- पे. क्र. ३, पृ. ५२-५५, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम कुशलाणुबन्धायण कुल पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे. क्र. १, पृ. ७३-७६, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १ उपर टिप्पण पण छे. कुल झे. पृष्ठ ९४ डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १५, पृ. ९-१२ श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २५ पृ. २१७-२२१ दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह वि-१३८९. संपूर्ण पे. नाम वृद्ध चतुःशरण, पे. विशेष गाथा ६४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ पाताहे १६२ - पे. क्र. २. पृ. २६-२ उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९. संपूर्ण , प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८ + २६ थी ४४ आप्या छे. डीवीडी-८/१८ भांता ७२- पे क्र. १६, पृ. ७८B- ७९B दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष गाथा १० प्रारंभ में चार मंगल गाथा के साथ वीरभद्रगणि कृत चतुःशरण की छूटक गाथाएँ संकलित है. दोनो का गाथाक्रम क्रमशः है. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. कुल झे. पृष्ठ-७२ डीवीडी-७३/८२ तालाद ३८९- पे.क्र. ४, पृ. ९७-१०३, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी- ९४ / ९६ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १, पृ. १-४, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६, पृ. १०२-१०५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक- प्रकरण - कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ६३. कुल झे. पृष्ठ ३१ पाकाहेम ६५६९- पे क्र. ३ पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि वि-१५मी संपूर्ण . पे. नाम कुशलानुबन्धि प्रकीर्णक 243 Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र.७, पृ. ५-६, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १००८४- पे.क्र. १, पृ. १-२, चतुःशरणप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५१०, पृ. ४, चतुःशरणप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०५११, पृ. ३, चतुःशरणप्रकीर्णक, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५१२, पृ. ३, चतुःशरणप्रकीर्णक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०५५३, पृ. ११, चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसहित, वि-१६०३, संपूर्ण पाकाहेम १०६१०- पे.क्र. २, पृ. ३-१४, पुष्पमालाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १२३- पे.क्र. ४, पृ. ७A-८B, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- कुसलाणुबन्धिज्झयण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७३. प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. प्रतिलेखन वर्ष-१४९१. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १६८- पे.क्र. १, पृ. १-२A, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७५. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २२७- पे.क्र. १, पृ. १-३B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२६८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ भांका २४६- पे.क्र. १, पृ. १-२A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७९. डीवीडी-८९ भांका ३००, पृ. ८, चतुःशरण सह अवचूरि, वि-१६४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२७६. डीवीडी-९१ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)विषमपदविवरण (चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)पञ्जिका टीका). (पञ्जिका टीका), (विषमपद विवरण) सं., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः (१) अहँ चतुःशरणविषमपदविवरणं साव...(२) सह अवद्येन पापेन वर्तत... भांका १९२- पे.क्र. १, पृ. 9A-५A, चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२८४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८४, १-२९७, १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १००८४- पे.क्र. २, पृ. २-१०, चतुःशरणप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०१३९, पृ. ११, चतुःशरणप्रकीर्णकावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ 244 Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०५१२, पृ. ३, चतुःशरणप्रकीर्णक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ भांका १६८- पे.क्र. १, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७५. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १८२, पृ. ५, चतुशरण अवचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-८७ भांका ३०१- पे.क्र. १, पृ. २A-४B, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२८३. १४मा गाथा थी प्रारंभ. अन्तवाक्यथी आ कृति कोई अन्य कर्तानी लागे छे. __'अत' निवृत्ते सुखानि तेषामित्यर्थः. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी-९२ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः इदमध्ययनं परमपदप्राप्तिबीजभूतत्वात् श्रेयोभूतं अतस्तदारम्भे ___ ग्रन्थकृन्मङ्गलरूपसामायिकाद्यावश्यकार्थकथन... भांका ३००, पृ. ८, चतुःशरण सह अवचूरि, वि-१६४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२७६. डीवीडी-९१ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)टिप्पणक सं., गद्य, आदि वाक्यः कुशलस्य पुण्यानुबन्धिपुण्यस्य अनुबन्धो निरन्तरता... भांका २४६- पे.क्र. १, पृ. २A-३A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७९. डीवीडी-८९ चतुःशरणप्रकीर्णक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५५३, पृ. ११, चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसहित, वि-१६०३, संपूर्ण चतुःशरणप्रकीर्णक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५५३, पृ. ११, चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसहित, वि-१६०३, संपूर्ण चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १००८४- पे.क्र. २, पृ. २-१०, चतुःशरणप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०१३९, पृ. ११, चतुःशरणप्रकीर्णकावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५१२, पृ. ३, चतुःशरणप्रकीर्णक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ भांका १६८ - पे.क्र. १, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७५. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १८२, पृ. ५, चतुशरण अवचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-८७ 245 Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका ३०१- पे.क्र. १, पृ. २A-४B, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२८३. १४मा गाथा थी प्रारंभ. अन्तवाक्यथी आ कृति कोई अन्य कर्तानी लागे छे. 'अत' निवृत्ते सुखानि तेषामित्यर्थः. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी-९२ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः इदमध्ययनं परमपदप्राप्तिबीजभूतत्वात् श्रेयोभूतं अतस्तदारम्भे ग्रन्थकृन्मङ्गलरूपसामायिकाद्यावश्यकार्थकथन... भांका ३००, पृ. ८, चतुःशरण सह अवचूरि, वि-१६४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२७६. डीवीडी-९१ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)टिप्पणक सं., गद्य, आदि वाक्यः कुशलस्य पुण्यानुबन्धिपुण्यस्य अनुबन्धो निरन्तरता... भांका २४६- पे.क्र. १, पृ. २A-३A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२७९. डीवीडी-८९ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र.१, पृ.?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०४५५- पे.क्र. १, पृ. १२, चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति, वि-१६०१, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति कुल झे.पृष्ठ-२४ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)पञ्जिकाटीका जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)विषमपदविवरण, संस्कृत, गा.६३ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)विषमपदविवरण (चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)पञ्जिका टीका), (पञ्जिका टीका), (विषमपद विवरण) सं., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः (१) अहँ चतुःशरणविषमपदविवरणं साव...(२) सह अवद्येन पापेन वर्तत... भांका १९२- पे.क्र. १, पृ. १A-५A, चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२८४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८४, १-२९७, १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ चतुर्थगर्भित एकवृत्तमयीस्तुति जुओ - एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्भित#, संस्कृत चतुर्थ अणुव्रते शीलवतीकथा श्लोकबद्ध जुओ - शीलवतीकथा श्लोकबद्ध चतुर्थ अणुव्रते, संस्कृत, श्लोक३८७ चतुर्थ कर्मग्रन्थ नव्य जुओ - षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.८६ चतुर्थकर्मग्रन्थ प्राचीन-(प्रा.)टिप्पनक जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(प्रा.)टिप्पनक, ___ गणि-रामदेव गणि, प्राकृत चतुर्थव्रततृतीयातिचारविपाके -धनदकथानक जुओ - धनदकथानक-चतुर्थव्रततृतीयातिचारविपाके, मुनि-अज्ञात, प्राकृत, गा.१०४ चतुर्दश राजलोकवर्णनगाथा प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः तिरिय सत्ता० बत्तीसं रज्जुओ हेत्तकालस्स।... भांता ७०- पे.क्र. १२२, पृ. १६२A-१६४A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपपगतिविचारलेश 246 Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ चतुर्दशकुलक जुओ - चउद्दसगकुलक, प्राकृत,संस्कृत, गा.४० चतुर्दशगुणस्थानकमय महावीरस्तव (महावीरस्तव चतुर्दशगुणस्थानकमय) सं., पद्य, गा.३४, पाकाहेम ११०३९, पृ. १, चतुर्दशगुणस्थानकमय महावीरस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण चतुर्दशचतुर्दशकगाथा प्रा., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः गुणमग्गणजीवअजीव सिद्धसुयापुव्व... भांता ७०- पे.क्र. १२४, पृ. १६७B-१६९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ चतुर्धर्म कुलक (धर्मकुलक) प्रा., पद्य, गा.३०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २९, पृ. ११९मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ चतुर्विंशतिका कल्प्याकल्प्यविचार जुओ - कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका, आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्राकृत चतुर्विंशतिकास्तुति जुओ - विविधतीर्थस्तुति, प्राकृत, गा.२८ चतुर्विंशतिकास्तुति जुओ - स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित, गणि-जगमाल, संस्कृत चतुर्विंशतिकास्तोत्र जैनकवि-भूपाल, सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीलीलायतनं महीकुलगृहं... पाकाहेम ७४०२- पे.क्र. २, पृ. १-२, चतुस्त्रिंशतिकास्तोत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिन पारणकविधिस्तोत्र आचार्य-नयचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्य: नमवि चउवीसतित्थेसपयपङ्कए... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८०, पृ. १३३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ चतुर्विंशतिजिन स्तुति जुओ - २४ जिन स्तुति, अपभ्रंश, गा.२५ चतुर्विंशतिजिनकल्याणकानि अप., पद्य, गा.१३, पातासंघवी १४१-२- पे.क्र.९, पृ. १-९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ चतुर्विंशतिजिनचरित्र गद्य सं., गद्य, __ कृ.विः त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रनो संक्षेप. पाकाहेम ३६९६, पृ. ३९, चतुर्विंशतिजिनचरित्र गद्य, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- अजितनाथथी मल्लिनाथ पर्यन्त. चतुर्विंशतिजिननमस्कार अप., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः पढमजिणवर जणमणाणन्द सुरनाहसन्थ्य चलण भरहजणय,... पाताखेत ४२- पे.क्र. १७, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण 247 Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाक उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम ८४९५, पृ. २, चतुर्विंशतिजिननमस्कार, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिवाक्य नथी. कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिननमस्कार अप., पद्य, श्लोक७५, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २, पृ. ६-७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. चतुर्विंशतिजिननमस्कार जुओ - सकलार्हतस्तोत्र, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२६, श्लोक२४ चतुर्विंशतिजिननमस्कार दण्डक छन्दोमय सं., पद्य, का.२५, कृ.विः दण्डक-२५. पाकाहेम ११३०८ - पे.क्र. १०, पृ. ७-८, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ चतुर्विंशतिजिनपञ्चकल्याणकस्तोत्र (जिनपञ्चकल्याणक स्तोत्र), (पञ्चकल्याणक स्तोत्र) मुनि-मुनिचन्द्र, अप., पद्य, आदि वाक्यः नमिवि सिरिवीरजिणपाया सवत्तयं... पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २२, पृ. २१४-२१६, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ चतुर्विंशतिजिनप्रबन्ध आचार्य-राजशेखरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४०५, श्लोक३८००, पाकाहेम १४९५४, पृ. ६०, चतुर्विंशतिजिनप्रबन्ध, वि-१५मी, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तव आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., पद्य, का.२६, पाकाहेम ८४९८- पे.क्र. १, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तव आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तव आचार्य-जयशेखरसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः सिरिरिसहेसर नाभिराय... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३९, पृ. २२६-२२७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, __ संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ चतुर्विंशतिजिनस्तव मुनि-जयकीर्ति-शिष्य, सं., पद्यअध्याय२४स्तव, आदि वाक्यः कल्याणकोटि समसेवितमुल्लसन्त... पाकाहेम १७०८७- पे.क्र. १, पृ. १-१५, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ चतुर्विंशतिजिनस्तवन सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः ऋषभजिनमजितनाथं.. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३६, पृ. ११२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ चतुर्विंशतिजिनस्तवन आचार्य-लक्ष्मीसागरसूरि, सं., पद्य, का.२६, पाकाहेम १२२०६, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 248 Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चतुर्विंशतिजिनस्तवन आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[ तपागच्छ], सं., पद्य, का. २५, आदि वाक्यः सकलनाकिनिकायनमस्कृत..... पाकाहेम १२२०७ पृ. १ चतुर्विंशतिजिनस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ चतुर्विंशतिजिनस्तवन आनन्दमुनि, सं., पद्य, का. ९. आदि वाक्य वृषभवद् वृषभं .... पाकाहेम १२३८८- पे.क्र. २, पृ. १, चतुःशरण आदि, वि-१७२२, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तवन सं., पद्य, आदि वाक्यः ऋषभजिनमजितमथ सम्भवं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३७, पृ. ११२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल . पृष्ठ- १४५ चतुर्विंशतिजिनस्तवन जुओ चोवीसजिनस्तवन, मुनि-आनन्दविजय मारुगुर्जर, गा. २९ चतुर्विंशतिजिनस्तवन जुओ स्वयम्भूस्तोत्र, आचार्य-समन्तभद्र, संस्कृत चतुर्विंशतिजिनस्तुति - - चतुर्विंशतिजिनस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः नाभेयाजितवासुपूज्य पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३६, पृ. ७७ प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष - पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२३६०- पे क्र. १ पृ. १-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि वि-१७मी, संपूर्ण , , आचार्य जिनप्रभसूरि सं., पद्य, श्लोक५०१, पाकाहेम १५३०६, पृ. १३, चतुर्विंशतिजिनस्तुतिसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण 7 कुल झ. पृष्ठ-१३ चतुर्विंशतिजिनस्तुति (सं.) टीका मुनि कनककुशल, सं., पद्य, श्लोक १६५२, पाकाहेम १५३०६, पृ. १३, चतुर्विंशतिजिनस्तुतिसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३ चतुर्विंशतिजिनस्तुति (जिनस्तुतिचतुर्विंशतिका), (स्तुतिचतुर्विंशतिका) आचार्य सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, का. २७, आदि वाक्यः जनेन येन क्रियते पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३, पृ. ७मुं, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम ८४९९, पृ. ४, जिनस्तुतिचतुर्विंशतिका, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२१२४ - पे. क्र. १७, पृ. ८४-८६, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम १२१९२, पृ. २, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का. २८. कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम १२१९३, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९४ पृ. १ चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः टिप्पणीसहित वि-१७मी संपूर्ण 249 " Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९५- पे.क्र. १, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः तथा पार्श्वनाथस्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- का.२८. प्रत विशेष- अतिजीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३७०- पे.क्र. २, पृ. १, मङ्गलाष्टक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १२१९४, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति मुनि-जयसौभाग्य, मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक३९, पाकाहेम ९४४६, पृ. ३, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, वि-१७७५, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तुति जैनश्रावक-श्रीपाल कविचक्रवर्ती, सं., पद्य, श्लोक२९, पाकाहेम ११२९०, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, का.२९, आदि वाक्यः ऋषभ नम्रसुरासुरशेखर... पाकाहेम १२१८८, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१८९- पे.क्र. १, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः तथा सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९०, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति सं., पद्य, का.२५, पाकाहेम १२२०५- पे.क्र. १, पृ. १-२, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः आदि, वि-१७मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-४ चतुर्विंशतिजिनस्तुति प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः अमरनररायमहिए... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४६, पृ. २३०मुं, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ चतुर्विंशतिजिनस्तुति (साधारणजिनस्तोत्र) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः जिनर्षभ प्रीणित... पाकाहेम १२२३१- पे.क्र. २, पृ. ३, रत्नाकरपञ्चविंशतिका तथा सीमन्धरजिनस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२६३, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५९- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १२३६४- पे.क्र. १, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, 250 Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२२६३, पृ. १-५, चतुर्विंशतिजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५९- पे.क्र. १, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि चतुर्विंशतिजिनस्तुति सं., पद्य, का.२९, आदि वाक्यः प्रथम जिनवर प्रथम जिनवर... पाकाहेम ८२५३- पे.क्र. १, पृ. १-२, चतुर्विंशतिजिनस्तुति तथा शारदाष्टक, वि-१८०१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ चतुर्विंशतिजिनस्तुति मारुगूर्जर, पद्य, गा.२७, पाकाहेम १२२०५- पे.क्र.२, पृ. २-४, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः जय वृषभजिनाभिष्ट्रयसे... पाकाहेम १२२०२, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२०३, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२०४, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः, वि-१७मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १५७८६, पृ. २, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२०३, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आचार्य-बप्पभट्टसूरि, सं., पद्य, का.९६, आदि वाक्यः नमेन्द्रमौलिगलितोत्तमपारिजात... पाकाहेम १६१८४- पे.क्र. १, पृ. १-३, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिजिनस्तुति सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाहेम १६१८४- पे.क्र.१, पृ.६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिजिनस्तुति सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी# (यमकालङ्कारमय चतुर्विंशतिजिनस्तुति) सं., पद्य, का.२७, आदि वाक्यः यत्राखिलश्रीश्रितपाद... पाकाहेम १२१९६. पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९७, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९८, पृ. ३, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७वी, अपूर्ण 251 Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२१९७, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९८, पृ. ३, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७वी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालकारमयी-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२१९७, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१९८, पृ. ३, चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी सावचूरि, वि-१७वी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२६३, पृ. १-५, चतुर्विंशतिजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५९- पे.क्र. १, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२०३, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाहेम १६१८४- पे.क्र. १, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- चतुर्विंशतिजिनस्तुति सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १२१९४, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)टीका मुनि-कनककुशल, सं., पद्य, श्लोक१६५२, पाकाहेम १५३०६, पृ. १३, चतुर्विंशतिजिनस्तुतिसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१३ चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र जुओ - आदौ नेमिजिन स्तोत्र, अज्ञात-शिवलक्ष्मी, संस्कृत, का.९ चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र मुनि-धर्मशेखर, सं., पद्य, का.१३, आदि वाक्यः दीप्रज्ञानरमैक... पाकाहेम १२२६४- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र तथा ८४ आशातनाकाव्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, चतुर्विंशतिजिनेन्द्रचरित्र श्लोकबद्ध आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं., पद्य, 252 Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १८८६, पृ. ३२, चतुर्विंशतिजिनेन्द्रचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ चतुर्विंशतितीर्थङ्कर मुनिसम्पदाप्रमाण जुओ - वैक्रिय-वादिप्रमाण, प्राकृत चतुर्विंशतितीर्थङ्करकलश आचार्य-धर्मप्रभसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः कलुसु निसुणौ कलुसु निसुणौ... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५७, पृ. २३८-२३९, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ चतुर्विंशतिप्रबन्ध (प्रबन्धचिन्तामणि), (प्रबन्धचिन्तामणी) आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., पाकाहेम ८००५, पृ. ८४, चतुर्विंशतिप्रबन्ध-प्रबन्धचिन्तामणि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४ चतुर्विंशिका जुओ - शोभनस्तुति, मुनि-शोभन, संस्कृत, का.९६ चतुर्विध आहारविषयकगाथा मुनि-उदयधर्म, सं., पद्य, गा.१४, पाकाहेम ५३०३- पे.क्र.२, पृ. ८, वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं नथी कुल झे.पृष्ठ-८ चतुर्विध आहारविषयकगाथा-(सं.)टीका गणि-हर्षकुलगणि, गुरु-आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, पाकाहेम ५३०३- पे.क्र. २, पृ.८, वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं नथी कुल झे.पृष्ठ-८ चतुर्विध आहारविषयकगाथा-(सं.)टीका गणि-हर्षकुलगणि, गुरु-आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, पाकाहेम ५३०३- पे.क्र. २, पृ. ८, वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं नथी कुल झे.पृष्ठ-८ चतुर्विधधर्मचउपई काकबन्ध आचार्य-रत्नसागरसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.६९, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २७, पृ. ६४-६६, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. चतुर्विधभावनाकुलक जुओ - भावनाकुलक, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.११ चतुस्त्रिंशतिकास्तोत्र मुनि-पद्मनन्दिदेव[दिगम्बर], सं., पद्य, आदि वाक्यः शुद्धप्रकाशमहिमा पाकाहेम ७४०२- पे.क्र. १, पृ. १-२, चतुस्त्रिंशतिकास्तोत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चतुस्त्रिंशदतिशयगर्भितजिनस्तोत्र जुओ - चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र (जिनअतिशयस्तोत्र), (अतिशयस्तोत्र), (चतुस्त्रिंशदतिशयगर्भितजिनस्तोत्र), (अतिशयस्तवन) प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः थोस्सामि जिणवरिन्दे अभुयभूएहिं... पाताहेसं १६८- पे.क्र. १७, पृ. ३१आ-३२आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३१-३२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. 253 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भांता ७२- पे.क्र. ३०, पृ. १५६B-१५८A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६५, पृ. १२६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १२३७४- पे.क्र. २, पृ. १, परमात्मद्वात्रिंशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण चत्तारिअट्ठगाथाविवरणकुलक (ऋषिकुलक), (चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या) प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ७७८९- पे.क्र. २, पृ. १, गौतमकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ११०९४- पे.क्र. १, पृ. १, चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या पाकाहेम ११०९५- पे.क्र. १, पृ. १, चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या व विचारसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या जुओ - चत्तारिअट्ठगाथाविवरणकुलक, प्राकृत, गा.१२ चत्तारिअट्ठदसदोयसूत्र-(प्रा.)विवरण उपाध्याय-विनयविजय[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.२७, पाकाहेम १२१८१, पृ. १, चत्तारि-अट्ठ गाथा विवरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चत्तारिअट्ठदसदोयसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १५८१७- पे.क्र. ३, पृ. ३-३, मङ्गल्यस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चन्दनबालाकथा सं., पद्य, श्लोक१२२, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ६, पृ. २१-२५, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-१८ चन्दाविज्झय पइन्नय जुओ - चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक, प्राकृत, गा.१७४ चन्द्रगोपालकथानक दानविषये (दानविषये चन्द्रगोपालकथानक) प्रा., पद्य, गा.८९, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. ३, पृ. २३-४३, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ चन्द्रदूतकाव्य जम्बूनाग, सं., पद्य, का.२३, आदि वाक्य: यदतिसितशराग्रग्रस्तमापन्नदुःखं त्यजति जगदशेषं दीनमापन्नदुःखम् ।... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र.७, पृ. ?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे.पृष्ठ-४४ चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, सं.. पाकाहेम १४५४८, पृ. १७, चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा सस्तबक, वि-१७४२, संपूर्ण चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, 254 Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १४५४८ पृ. १७ चन्द्रधवल धर्मदत्तकथा सस्तबक, वि-१७४२. संपूर्ण चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा- (मा.गु.) टबार्थ मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १४५४८, पृ. १७, चन्द्रधवल - धर्मदत्तकथा सस्तबक, वि-१७४२, संपूर्ण चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र (चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र ) प्रा., गद्य, ग्रं. १८३१, आदि वाक्य: (१) जयति नवनलिणिकुवलयवियसियसयवत्तपत्तलदलच्छो । वीरो गइन्दमयगलसललियगयविक्कमो भयवं ।।... ( २ ) जयइ नवन.... पातासंघवी ४४- पे.क्र. १, पृ. ५४, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वृत्ति, वि-१४७९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र - २०५४. प्रत विशेष बने सारी अने पूर्ण छे. डीवीडी - २७/४५ पातासंघवी २९-२ पृ. ४६ चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वि-१४८०, संपूर्ण डीवीडी-२४/४३ पाकाहेम ६५६६, पृ. २६, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८५४. कुल झे. पृष्ठ- २६ पाकाहेम ६५७८, पृ. २८, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- २०००. पाकाहेम १००१९, पृ. ३०, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- २०००. कुल झ. पृष्ठ-३० झे. पाकाहेम १००२०, पृ. ३४ चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १८५४ प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. - कुल झ. पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०३९२, पृ. २१, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- २०५४. पाकाहेम १०४७१ पृ. ४९. चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी संपूर्ण " प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- २३००. कुल झे. पृष्ठ-५० पाकाहेम १४८९०, पृ. ४८, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वि-१५५७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक संख्या १८५४ छे. कुल झे. पृष्ठ-४९ पाकाहेम १४९१५, पृ. २१५, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक, वि-१५६४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१६ पाकाभाभा ७८, पृ. ३२, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वि-१५४६, संपूर्ण पुत्रे ४३५, पृ. १०४, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १८५४. कुल झे. पृष्ठ- १०६ भांका २६५, पृ. २३८, चन्द्रप्रज्ञप्ति सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२५४. डीवीडी - १० चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.) वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ९५००, आदि वाक्यः मुक्ताफलमिव करतलकलितं विश्वं समस्तमपि सततम् । यो वेत्ति विगतकर्मा स जयति नाथो जिनो वीरः ।।१।।... 255 Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ४४- पे.क्र. २, पृ. २६५, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वृत्ति, वि-१४७९, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन वर्ष-१४८०. प्रत विशेष- बने सारी अने पूर्ण छे. डीवीडी-२७/४५ पातासंघवी ३४-१, पृ. ९६, चन्द्रप्रज्ञप्तिटीका, अपूर्ण प्रत विशेष- १२ मां प्राभृतथी छे-आदिभाग नथी. डीवीडी-२५/४४ पाकाहेम ६५६७, पृ. १३८, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १००२१, पृ. १६९, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १०४०२, पृ. ११६, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५९८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११६ पाकाहेम १०४७२, पृ. १५६, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र टीका, वि-१५०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५६ पाकाहेम १४९१५, पृ. २१५, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक, वि-१५६४, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२१६ भांका २६५, पृ. २३८, चन्द्रप्रज्ञप्ति सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२५४. डीवीडी-९० चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५००, आदि वाक्यः मुक्ताफलमिव करतलकलितं विश्वं समस्तमपि सततम् । यो वेत्ति विगतकर्मा स जयति नाथो जिनो वीरः ||१||... पातासंघवी ४४-पे.क्र. २, पृ. २६५, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, वृत्ति, वि-१४७९, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन वर्ष-१४८०. प्रत विशेष- बने सारी अने पूर्ण छे. डीवीडी-२७/४५ पातासंघवी ३४-१, पृ. ९६, चन्द्रप्रज्ञप्तिटीका, अपूर्ण प्रत विशेष- १२ मां प्राभृतथी छे-आदिभाग नथी. डीवीडी-२५/४४ पाकाहेम ६५६७, पृ. १३८, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १००२१, पृ. १६९, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १०४०२, पृ. ११६, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५९८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११६ पाकाहेम १०४७२, पृ. १५६, चन्द्रप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र टीका, वि-१५०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५६ पाकाहेम १४९१५, पृ. २१५, चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र सटीक, वि-१५६४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१६ भांका २६५, पृ. २३८, चन्द्रप्रज्ञप्ति सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२५४. डीवीडी-९० चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र जुओ - चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, प्राकृत, ग्रं.१८३१ चन्द्रप्रभ-युगादीशजिनयुगलस्तुति वागडोदमण्डन जुओ - वागडोदमण्डन चन्द्रप्रभ-युगादीशजिनयुगलस्तुति#, संस्कृत, का.४ चन्द्रप्रभचरित्र 256 Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-हरिभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-चन्द्रसूरि, प्रा., ग्रं.८०३२, आदि वाक्यः सहलियसयलसुयासो सुवाणिओ रायहंसकयतोसो... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ५१, पृ. २६५, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१२२३, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिना १३ पाना नथी. डीवीडी-२८/४७ चन्द्रप्रभचरित्र पण्डित-यशोकीर्ति, प्रा., पद्यअध्याय११सन्धि, आदि वाक्यः नमिऊण विमलकेवललच्छीसव्वङ्गदिणपरिरम्भं... भांका २१३, पृ. ९०, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१५८७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९३९., पत्र २४,२५, नथी. डीवीडी-८७ चन्द्रप्रभचरित्र (चन्द्रप्रभस्वामिस्तोत्र चरित) आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.४१, आदि वाक्यः चरियं भणिमो चन्दप्पहस्स... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १५, पृ. ३३९, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४०. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)विषमपदविवृति आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०१२३, पृ. ४, चन्द्रप्रभजिनचरित्रविषमपदविवृति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)विषमपदविवृति आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०१२३, पृ. ४, चन्द्रप्रभजिनचरित्रविषमपदविवृति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चन्द्रप्रभजिन स्तुति अप., पद्य, आदि वाक्यः चन्दप्पह सामिय तुज्झ नमो चन्दप्पह गोर सरीर... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ६३, पृ. १५९आ-, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७२. गाथा-२ तक है. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन जुओ - क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन', संस्कृत, श्लोक३६ चन्द्रप्रभजिनस्तुति सं., पद्य, श्लोक४, 257 Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८२१८ - पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभजिनस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चन्द्रप्रभपुराण आचार्य-शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., पद्यसर्ग१०, ग्रं.१५६०, भांका १३५, पृ. ७४, चन्द्रप्रभपुराण, वि-१८६२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पंक्ति उखड़ जाने से आदिवाक्य अवाच्य है. कुल झे.पृष्ठ-५०, डीवीडी-८५ चन्द्रप्रभस्तुति , प्रा., पद्य, गा.४, वताकांति ४१९ - पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभस्तुति व अमृताशीति, वि-११९२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९७/९८ चन्द्रप्रभस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्य: वाचावाचां पतिरपिनयं... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ३, पृ. ९A-१३B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ चन्द्रप्रभस्तोत्र सं., पद्य, पाकाहेम १४२४७- पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभस्तोत्र आदि, वि-१८८३, संपूर्ण चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक६१४१, पाताखेत ३०, पृ. ३००, चन्द्रप्रभचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १८९०, पृ. १७८, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र ६८-१०५ नथी अने १६५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४० पाकाहेम १०६३६, पृ. १९, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध आचार्य-देवेन्द्रसूरि[नागेन्द्रगच्छ], सं.,प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १२६४अध्यायरपरि., ग्रं.५३२५, आदि वाक्यः दृष्टोपि हृष्टजनलोचन... पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ पाकाहेम १८७२, पृ. १८१, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोक गाथाबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- कांइक अपूर्ण. प्रतिना कागळ स्थूल छे. पहेला पानामां चन्द्रप्रभस्वामिनुं अने बीजामां आचार्य व्याख्यान वांचेछे ते स्थितिनुं चित्र छे. बन्ने चित्रो लगभग भूसाइ गया छे. पत्र ४२ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१८३ भांका १२७, पृ. ७५, चन्द्रप्रभचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१३०३. डीवीडी-८५ भांका १५८, पृ. ८८, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-२१२. 258 Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८५ भांका २३९, पृ. ९६, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१४६२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-२११. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रारंभना १२० पानाओ नथी. ग्रन्थाग्र-५८१७. डीवीडी-८९ चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६४, सोमेश्वरपुर, पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६४, पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६४, पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२६४, पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ चन्द्रप्रभस्वामिमहामन्त्रमयस्तवन# सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः ॐचन्द्रप्रभ प्रभाधीश... पाकाहेम १२३६४- पे.क्र. ४, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण चन्द्रप्रभस्वामिस्तोत्र चरित जुओ - चन्द्रप्रभचरित्र, आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्राकृत, गा.४१ चन्द्रलेखाकथा पाकाहेम १६४५७- पे.क्र. १, पृ. १-२, चन्द्रलेखाकथा आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ चन्द्रविजयप्रबन्ध कवि-मण्डन, सं., पाकाहेम ९४९२, पृ. ४, चन्द्रविजयप्रबन्ध, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक (चन्दाविज्झय पइन्नय) प्रा., पद्य, गा.१७४, आदि वाक्यः जहमत्थगच्छयाणं विगसिय वरनाणदंसणधराणं... पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र.६, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ६, पृ. ३८-४६, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७५. कुल झे.पृष्ठ-१७४ 259 Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ११, पृ. १३३-१४०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. २, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १००८८- पे.क्र. २, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक-चन्द्रवेध्यक-देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तव अजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. ३, पृ. २३-२९, भक्तपरिज्ञा आदि, वि-१५५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७५. प्रत विशेष- पत्र-११ थी २२ नथी. भांका १२३- पे.क्र. ६, पृ. १३०-१६A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- चन्दाविज्झयणं, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३३८. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका २२७- पे.क्र.६, पृ. ३००-३६B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३३४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ चन्द्रसूर्यमण्डलविचारादि प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ११११८, पृ. १, चन्द्रसूर्यमण्डलविचारादि, वि-१६मी, संपूर्ण चम्पक श्रेष्ठीकथा-अनुकम्पादाने-गद्य (अनुकम्पादाने चम्पक श्रेष्ठीकथा) सं., गद्य, पाकाहेम १३२०५, पृ.६, चम्पकश्रेष्ठिकथा-अनुकम्पादानेगद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ चम्पूमण्डन कवि-मण्डन, सं., पाकाहेम ९४९०, पृ. ९, चम्पूमण्डन, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ चरणकरणमूलोत्तरगुणप्रकरण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा., ग्रं.७०, आदि वाक्य: वन्दिय तिजयसरन्ने गुरुणोवर चरणकरणसम्पत्ते.. पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २३, पृ. ३१-३२, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थान श्लोक-७०. कुल झे.पृष्ठ-३५ चर्चरि जुओ - चच्चरिउ, जैनश्रावक-सोलण, अपभ्रंश, गा.३८ चर्चरीप्रकरण (चर्चरीरासक), (चर्चरीस्तुति) आचार्य-जिनदत्तसूरि, अप., पद्य, गा.४७, पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. २, पृ. ३८-४३, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. १, पृ. १-?, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- चर्चरीप्रकरण सह (सं.)टीका पाकाहेम ८२१९, पृ. १०, चर्चरीस्तुति वृत्तिसहित, वि-१४९९, संपूर्ण 260 Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१० चर्चरीप्रकरण-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. १, पृ. १-?, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- चर्चरीप्रकरण सह (सं.)टीका पाकाहेम ८२१९, पृ. १०, चर्चरीस्तुति वृत्तिसहित, वि-१४९९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० चर्चरीप्रकरण-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, पाकाहेम ६५९३- पे.क्र. १, पृ. १-?, चर्चरी सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- चर्चरीप्रकरण सह (सं.)टीका पाकाहेम ८२१९, पृ. १०, चर्चरीस्तुति वृत्तिसहित, वि-१४९९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० चर्चरीरासक जुओ - चर्चरीप्रकरण, आचार्य-जिनदत्तसूरि, अपभ्रंश, गा.४७ चर्चरीस्तुति जुओ - चर्चरीप्रकरण, आचार्य-जिनदत्तसूरि, अपभ्रंश, गा.४७ चाचरि जुओ - चाचरिस्तुति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.३६ चाचरिस्तुति (चाचरि) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३६, आदि वाक्यः जयउ जयउ सिरिरिसहपहु तिहुयणि पढमजिणिन्दु... कृ.विः कर्ता? पाताखेत ६- पे.क्र. २५, पृ. १६२-१६५, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- वेलाउली रागेण. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ चाणक्य राजनीतिशास्त्र जुओ - वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र, संस्कृत चाणक्य-राजनीतिशास्त्र लघु जुओ - लघुचाणक्य-राजनीतिशास्त्र, संस्कृत चाणक्यनीति-राजनीतिशास्त्र (राजनीतिशास्त्र) सं.. पाकाहेम २७२४, पृ. ११, चाणक्यनीति-राजनीतिशास्त्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ चाणक्यनीतिशास्त्र लघु जुओ - लघुचाणक्यनीतिशास्त्र, संस्कृत चातकाष्टक सं., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १८, पृ. ६, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र. १८, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ चातुर्मासिकनियमे अमरसेनकथा गाथाबद्ध जुओ - अमरसेनकथा गाथाबद्ध चातुर्मासिकनियमे, प्राकृत, गा.५७ चाम्पात देवसिङ्घ छप्पा सवैया कवि-गद्दकवि, ब्रज, पद्य, गा.१२, कृ.विः परिमाण- सवैया-१२. पाकाहेम १४३३३, पृ. ३, चाम्पात देवसिङ्घ छप्पा सवैया, वि-१९मी, संपूर्ण चारित्रमनोरथमाला पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, 261 Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ४, पृ. ६-८, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० चारित्रमनोरथमाला आचार्य-धनेश्वरसूरि, प्रा.,सं., पद्य, गा.३०, पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १२, पृ. १२-१६, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. __ कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १६२०- पे.क्र. २, पृ. १३, शीलोपदेशमालाप्रकरण तथा चारित्रमनोरथमाला, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०५०५- पे.क्र. २, पृ. १-२४, उत्तराध्ययनसूत्र तथा चारित्रमनोरथमाला , वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १३३०५- पे.क्र. १, पृ. १, चारित्रमनोरथमाला आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चारित्रशुद्धि सञ्ज्ञा सं., आदि वाक्यः चतुर्दशरचहिंसा) जीवस्थानेषु... कृ.विः अंग(भेद)-१२३४. भांका १३६, पृ. ४१, चरित्रशुद्ध सञ्ज्ञा, वि-१६४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-८५ चारित्रसार जैनश्रावक-चामुण्डराय, सं., गद्य, ग्रं.१८००, आदि वाक्यः अरिहननरजोहननरहस्यहरं... भांका १९४, पृ. २७, चरित्रसार सह टिप्पण, वि-१५५०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पदच्छेद, संधिसूचकादि संशोधनात्मक चिह्नों के साथ. प्रारंभिक कुछ अंश नहीं है. पत्रांक-२४-५० है. दिगम्बरमतमान्य कृति. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-८७ चारित्रसार-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, भांका १९४, पृ. २७, चरित्रसार सह टिप्पण, वि-१५५०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पदच्छेद, संधिसूचकादि संशोधनात्मक चिह्नों के साथ. प्रारंभिक कुछ अंश नहीं है. पत्रांक-२४-५० है. दिगम्बरमतमान्य कृति. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-८७ चारित्रसार-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, भांका १९४, पृ. २७, चरित्रसार सह टिप्पण, वि-१५५०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पदच्छेद, संधिसूचकादि संशोधनात्मक चिह्नों के साथ. प्रारंभिक कुछ अंश नहीं है. पत्रांक-२४-५० है. दिगम्बरमतमान्य कृति. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-८७ चारुदत्ता विगेरेनी कथाओनो सङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) प्रा., पातासंघवीजीर्ण ४८ - पे.क्र. ४, पृ. २९१-२९७, नलदमयन्ती कथा, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक पत्रो -जीर्ण, पहेला ४ पत्रो नथी. डीवीडी-५७/६० चारूदत्तकथा परिग्रहप्रमाणविषये जुओ - परिग्रहप्रमाणविषये चारूदत्तकथा, संस्कृत, श्लोक७८ चाचिकप्रकरण 262 Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं.प्रा., पद्य, गा.२३२, पातासंघवी १८१-१- पे.क्र.७, पृ. ९९-११५, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ चित्तनिवृत्ति यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकउद्धृति जुओ - यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकउद्धृति-चित्तनिवृत्ति, संस्कृत, ग्रं.१३१० चित्तसमाधिप्रकरण आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.३५४, आदि वाक्यः अन्नाणतिमिरसूरं सम्पावियपरमपस... पाताखेत ५०- पे.क्र. ६, पृ. ६०-८३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ चित्ताधारपञ्चाशिका आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, का.५२, पाकाहेम १०७०३- पे.क्र. ३, पृ. १-४, बोधप्रदीपपञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण चिन्तामणि जुओ - तत्त्वचिन्तामणी, जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, संस्कृत, ग्रं.२८११ चिन्तामणि अष्टक जुओ - चिन्तामण्यष्टक, संस्कृत, श्लोक१० चिन्तामणि पार्श्वनाथस्तवन मारुगूर्जर, पद्य, गा.१४, पाकाहेम १०२३१, पृ. २, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन) मारुगूर्जर, पद्य, गा.७, आदि वाक्य: नमूं देवनागेन्द्रमन्दारमाला... कृ.विः आदिःचउदहपूरवमांहि जु सारु पाकाहेम १२३२३- पे.क्र. २, पृ. १, स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित आदि , वि-१७मी, संपूर्ण चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन) सं., पद्य, श्लोक३०, आदि वाक्यः जगद्गुरुं जगद्देवं... पाकाहेम १२३३५- पे.क्र. १, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति चिन्तामणि) मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः अचिन्त चिन्तामणि पार्श्वदेव... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४३, पृ. २२९मुं, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-९. कुल झे.पृष्ठ-३१ चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र (पार्श्वनाथस्तोत्र चिन्तामणिमन्त्रगर्भित) सं., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः किं कर्पूरमयं सुधारसमयं किं चन्द्ररोचिर्मयं... पाकाहेम ९८२९- पे.क्र. १, पृ. २, चिन्तामणिस्तव व पार्श्वजिनअमृतध्वनि, वि-१८४१, संपूर्ण पे. विशेष- चित्रकाव्य. पाकाहेम १२३२४, पृ. १, चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वजिनस्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३२५, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३२६, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३२७, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१७८८, संपूर्ण पाकाहेम १२३२८- पे.क्र. १, पृ. १, चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तोत्र तथा अङ्गस्फुरणविचार, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १३१७१- पे.क्र.८, पृ. ४B-५A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- चिन्तामणि पार्श्वनाथस्तोत्र कुल झे.पृष्ठ-८ चिन्तामण्यष्टक (रत्नाष्टक), (चिन्तामणि अष्टक) सं., पद्य, श्लोक१०, 263 Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १९, पृ. ६, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १९, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ चिह्नभट्टी विषमपादपञ्जिका जुओ - विषमपादपञ्जिका, जैनेतर-चिह्नभट्ट, संस्कृत चूडामणि टीका जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका, संस्कृत, ग्रं.२३९० चैत्यपरिपाटी आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः जयइ जयइ जिणधम्मो विवेयरम्मो पणासियकुहम्मो... पाताखेत ६- पे.क्र. ३८, पृ. २१२-२१४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अन्त में "इति सर्वचैत्यपरिपाटिः स्वाध्यायो रासेन दीयते वोल्लिका भण्यंते समाधिना" का उल्लेख है. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ चैत्यवन्दन प्रत्याख्यान श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र# प्रा., पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. ४, पृ. ५६-६९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८४. डीवीडी-३४/५२ चैत्यवन्दन विवरण जुओ - चैत्यवन्दन स्थान, संस्कृत चैत्यवन्दन स्थान (चैत्यवन्दन विवरण) सं., पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६१, पृ. १८५-१८६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ चैत्यवन्दनकविधिप्रकरण प्रा., पद्य, गा.३५, पाकाहेम ११०३०, पृ. १, चैत्यवन्दनकविधिप्रकरण, वि-१६५८, संपूर्ण चैत्यवन्दनकुलक (देववन्दनकुलक) आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः नमिऊणमणन्तगुणं चउवयणं जिणवरं महावीरं... भांता ७१, पृ. १६८, चैत्यवन्दनकुलक विवृत्ति सह, वि-१३८८, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२१६. पा. नं. ५८ बे वखत छे. ५८ अने ५८A. पत्र २ मां साधुनुं चित्र. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १०१२, पृ. ८८, चैत्यवन्दनकुलक वृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८. कुल झे.पृष्ठ-८७ चैत्यवन्दनकुलक-(सं.)विवृत्ति कथासहित आचार्य-जिनकुशलसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३८३, ग्रं.४४००, आदि वाक्यः (१) श्रेयांसि बहुविघ्नानि भवन्ति महतामपि...(२) संस्तौमि श्रीमहावीरं जिनं कामप्रवर्द्धनम्... भांता ७१, पृ. १-४२A, चैत्यवन्दनकुलक विवृत्ति सह, वि-१३८८, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२१६. पा. नं. ५८ बे वखत छे. ५८ अने ५८A. पत्र २ मां साधुनुं चित्र. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १०१२, पृ. ८८, चैत्यवन्दनकुलक वृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८. कुल झे.पृष्ठ-८७ 264 Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती चैत्यवन्दनकुलक-(सं.)विवृत्ति कथासहित आचार्य-जिनकुशलसुरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३८३, ग्रं.४४००, आदि वाक्यः (१) श्रेयांसि बहुविघ्नानि ___ भवन्ति महतामपि...(२) संस्तौमि श्रीमहावीरं जिनं कामप्रवर्द्धनम्..... भांता ७१, पृ. १-४२A, चैत्यवन्दनकुलक विवृत्ति सह, वि-१३८८, अपूर्ण __ प्रत विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२१६. पा. नं. ५८ बे वखत छे. ५८ अने ५८A. पत्र २ मां साधुनुं चित्र. ___ कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १०१२, पृ. ८८, चैत्यवन्दनकुलक वृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८. कुल झे.पृष्ठ-८७ चैत्यवन्दनगाथा (वन्दनसूत्र), (वन्दणसुत्त) प्रा., पद्य, गा.५९, आदि वाक्यः भावजिणे दव्वजिणे ठवणजिणे नामजणवरे नमिउं... कृ.विः अंतिमवाक्य-तत्तो य कम्मनासं पणट्ठकम्मोय निव्वाणं. पाताहेसं १०५- पे.क्र.५, पृ. १४७अ-१५३आ, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३९-४२. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ भांता ७०- पे.क्र.७, पृ. ६A-८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२७८. सूचीपत्रांक-१-१३१८ मां पण आनी विगत बेवडाई छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९४४- पे.क्र. १, पृ.?, चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि, वि-१५०१, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ चैत्यवन्दनभाष्य आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः तिण्णि निसिही... पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १, पृ. १-६, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पातासंघवी २०२- पे.क्र. १०, पृ. २४४-२५३, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पुप्रे ४४०, पृ. २८८, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे.पृष्ठ-३२१ पुप्रे ४४१, पृ. २५४, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे.पृष्ठ-२५४ पुप्रे ४४३, पृ. ४०७, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति. पत्र-२४० व २९२ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४०७ चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)सङ्घाचारटीका (सङ्घाचारटीका) आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७८०८, आदि वाक्यः देवेन्द्रवृन्दस्तुतपादपद्मः स्वर्भूर्भुवःश्रीवरकेलिसद्म।... पातासंघवी ८७, पृ. २५६, सङ्घाचारभाष्य, संपूर्ण 265 Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १नो टुकडो छे अने अंतना छ पत्रना टुकडा छे. डीवीडी-३२/५० पुप्रे ४४०, पृ. २८८, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे.पृष्ठ-३२१ पुप्रे ४४१, पृ. २५४, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे.पृष्ठ-२५४ पुप्रे ४४३, पृ. ४०७, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति. पत्र-२४० व २९२ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४०७ चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः वन्दि. वन्दनीयात् परमेष्ठिनः सर्वान्... भांका २२४- पे.क्र. १, पृ. १-७, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवंदनभाष्यावचूर्णि, पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५, १-१३०८, १-१२६५. डीवीडी-८८ चैत्यवन्दनभाष्य-(प्रा.)कथा प्रा., पद्य, पुप्रे ४४०, पृ. २८८, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे.पृष्ठ-३२१ पुप्रे ४४१, पृ. २५४, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं.४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. __ कुल झे.पृष्ठ-२५४ पुप्रे ४४३, पृ. ४०७, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति. पत्र-२४० व २९२ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४०७ चैत्यवन्दनभाष्य आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५१, आदि वाक्यः वन्दित्तु वन्दणिज्जे सव्वे चिइवन्दणाइ सुवियारं... कृ.विः देवेंद्रसूरि कृत भाष्य करतां अन्य कृति. भांका १४८- पे.क्र. १, पृ. १-८A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२२७. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. _कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः वन्दित्वा वन्दनीयान सार्वान् सर्वज्ञान सर्वान् वा... भांका १४८ - पे.क्र. १, पृ. १-८A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२२७. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ चैत्यवन्दनभाष्य-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, 266 Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवन्दनभाष्य- (प्रा.) कथा प्रा., पद्य, पुणे ४४०, पृ. २८८, चैत्यवन्दनमाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं. ४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे. पृष्ठ- ३२१ पुणे ४४१ पृ. २५४ चैत्यवन्दनमाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष प्रत नं ४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे. पृष्ठ- २५४ पुणे ४४३, पृ. ४०७, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति पत्र - २४० व २९२ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ-४०७ चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)अवचूरि सं. गद्य, आदि वाक्यः वन्दित्वा वन्दनीयान् सार्वान् सर्वज्ञान् सर्वान् वा.... भांका १४८ - पे.क्र. १, पृ. १-८A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम - चैत्यवन्दनभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२२७.. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ झे चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)अवचूर्णि कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः वन्दि वन्दनीयात् परमेष्ठिनः सर्वान् .... भांका २२४- पे.क्र. १, पृ. १-७, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवंदनमाष्यावचूर्णि पे विशेष सूचीपत्र नं. १-१२२५. . प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१२२५ १-१३०८, १-१२६५. डीवीडी-८८ चैत्यवन्दनभाष्य- (सं.) सङ्घाचारटीका (सङ्घाचारटीका) आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ७८०८, आदि वाक्य: देवेन्द्रवृन्दस्तुतपादपद्मः स्वर्भूर्भुवः श्रीवरकेलिसद्द्म ।... पातासंघवी ८७, पृ. २५६, सङ्घाचारभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १नो टुकडो छे अने अंतना छ पत्रना टुकडा छे. डीवीडी-३२/५० पुणे ४४०, पृ. २८८, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष प्रत नं. ४४१ इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे. पृष्ठ-३२१ पुणे ४४१ पृ. २५४ चैत्यवन्दनमाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, अपूर्ण प्रत विशेष प्रत नं ४४० इस प्रत से संबंधित भाग होना चाहिये. कुल झे. पृष्ठ- २५४ पुणे ४४३, पृ. ४०७, चैत्यवन्दनभाष्य सह सङ्घाचारवृत्ति व दृष्टान्तकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- लहिया द्वारा लिखी गयी प्रति पत्र - २४० व २९२ नहीं है. चैत्यवन्दनविधान कुल झ. पृष्ठ-४०७ झे. प्रा. पच, गा.१३, आदि वाक्य: सक्कत्थयदण्डेणं भावजिणो..... " तालाद ३३९- पे.क्र. १३, पृ. ७४ /१-७४ /२, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२४, डीवीडी- ९४ / ९६ चैत्यवन्दनविधिकुलक प्रा., पद्य, गा. ३३, आदि वाक्यः तिन्नि निसीही तिन्निय.... पाकाहेम ७७५ पे. क्र. १७ पृ. ३४-३५ दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण 267 Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-३५. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० चैत्यवन्दनसूत्र व्याख्या जुओ - आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र-(सं.)ललितविस्तरावृत्ति, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत चैत्यवन्दनसूत्रादि , प्रा. सं., पद्य, वताकांति ४२५, पृ. ४, चैत्यवन्दनसूत्रादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ चैत्यवन्दनस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक२४, पाकाहेम १५५३५- पे.क्र. २, पृ. ४, चैत्यवन्दनस्तोत्रद्वय, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ चैत्यवन्दनस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम १५५३५- पे.क्र. १, पृ. ४, चैत्यवन्दनस्तोत्रद्वय, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यानभाष्य जुओ - आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान*, प्राकृत चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यान-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५५०, आदि वाक्यः श्रीवीरजिनवरेन्द्रं वन्दित्वा चैत्यवन्दनादीनि... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. १, पृ. १-५८, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय (भाष्यत्रय) प्रा., पद्य, गा.१२२, आदि वाक्यः वन्दित्तु वन्दणिज्जे सव्वे चिइवन्दणाइ सुवियारं... पातासंघवीजीर्ण ८६-१, पृ. ८१, चैत्यवन्दनादिभाष्य, त्रुटक प्रत विशेष- पत्र त्रुटक है तथा अस्त-व्यस्त हालत में झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-६० पातासंघवी १६५- पे.क्र.७, पृ. १८२-१९९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दन, वन्दनक व प्रत्याख्यानभाष्य, पे. विशेष- संपूर्ण. चैत्यवन्दभाष्य गाथा-६३, गुरुवंन्दभाष्य-४१ व प्रत्याख्यानभाष्यय गाथा-३९. झेरोक्ष पत्र-७२-७८. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ तालाद ३८७, पृ. १५४, चैत्यवन्दनादिक सह वृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५०, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १८, पृ. ३६-३९, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः सूत्रं व्याख्यायते इच्छामि पडिक्कमिउं इत्यादि... तालाद ३८७, पृ. १५४, चैत्यवन्दनादिक सह वृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण ___कुल झे.पृष्ठ-५०, डीवीडी-९४/९६ चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम ७७०३, पृ. ८, चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रयावचूर्णि, वि-१७मी, संपूर्ण 268 Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९ चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम ७७०३ , पृ. ८, चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रयावचूर्णि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः सूत्रं व्याख्यायते इच्छामि पडिक्कमिउं इत्यादि... तालाद ३८७, पृ. १५४, चैत्यवन्दनादिक सह वृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५०, डीवीडी-९४/९६ चैत्यवन्दनाधिकारस्तोत्र आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः नमिऊण सयलतियसिन्दाविन्दवन्दियपयारविन्द... भांता ६९- पे.क्र. १९, पृ. १४०B-१४२A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-७१५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ चैत्यवन्दनासूत्र जुओ - आवश्यकसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)चैत्यवन्दनासूत्र*, प्राकृत चैत्यवन्दनासूत्र-(मा.गु.)गाथार्थ मारुगूर्जर, गद्य, डतामुक्ता ४५१, पृ. ४, चैत्यवन्दन गाथार्थ, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ चोत्रीस अतिशय पान्त्रीस वाणीगुण वर्णन मारुगूर्जर, पाकाहेम १३८९६, पृ. २, चौत्रीस अतिशय, पान्त्रिस वाणीगुण वर्णन, वि-२०मी, संपूर्ण चोरासी आशातना काव्य (८४ आशातना काव्य), (जिनमन्दिर चोरासी आशातना काव्य) सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२२६४- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र तथा ८४ आशातनाकाव्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चोरासी गच्छना नाम मारुगूर्जर, पाकाहेम १२२२०- पे.क्र.२, पृ. १, प्रत्याख्यानागार, चोरासी गच्छना नाम तथा ऋषभदेवस्तोत्राष्टक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चोवीस जिनना पञ्चकल्याणक स्तव जुओ - २४ जिनना पञ्चकल्याणक स्तव, प्राकृत, गा.१३६ चोवीसजिनस्तवन (चतुर्विंशतिजिनस्तवन) मुनि-आनन्दविजय, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६५१, गा.२९, पाकाहेम १०१३३- पे.क्र. ३, पृ. ?, गौतमपृच्छास्तवन आदि, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ चौर पञ्चाशिका जुओ - बिल्हणपञ्चाशिका, कवि-बिल्हण, संस्कृत, का.५० चौरासी आशातनागाथा (८४ आशातनासूत्र) प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः खेलं केलि कला कुललयं तम्बोल मुग्गालयं... पाताहेसं ५७- पे.क्र.६, पृ. १६७आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६५-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. 269 Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ चौरासी गच्छनी पट्टावली , सं.,मारुगूर्जर, गद्य, अताका ५०८, पृ. ७६, चौरासी गच्छनी पट्टावली, वि-१९१४, संपूर्ण प्रत विशेष- श्री विनयजीवन मणिविजयजी जैन पुस्तकालय चाणस्मा की प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१५१, डीवीडी-१०३/१०४ च्यवनकल्याणकस्तव आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः गर्भावतार्ण भववार्धितीर्णस्तुवे... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ५, पृ. ३, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- च्यवनकल्याणकस्तवः साधारण __कुल झे.पृष्ठ-६ छ वयणाणि (जिनागमवचन), (षट् वचनानि) आचार्य-जिनेन्द्रप्रभसूरि, प्रा., आदि वाक्यः बपु रि कन्दप्प-सप्पिहिं जगु डसियउ... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. ९, पृ. १०६-१०८, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आना पछी जिनप्रभसूरिकृत जिनमहिमा, अपभ्रंश, आदिवाक्य-जावह जिनवर...वाली कृतिओ छे. पत्र-९९-१०६. डीवीडी-३१/५० छत्रीस ठाण प्रा., पद्य, गा.७८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १२, पृ. ९०-९३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ९३नो टुकडो छे. डीवीडी-३८/५५ छन्दकोश सं., पाकाहेम १३९७९, पृ. १०, छन्दकोश सटीक-अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति घणी सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-७ छन्दाकोश-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १३९७९, पृ. १०, छन्दकोश सटीक-अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति घणी सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-७ छन्दकोश-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १३९७९, पृ. १०, छन्दकोश सटीक-अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति घणी सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-७ छन्दःचूडामणि टीका जुओ - छन्दोनुशासन-(सं.)छन्दश्चूडामणिवृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३००० छन्दना आठ गणनो विचार सं., गद्य, पाकाहेम १४२३४, पृ. १, छन्दना आठ गणनो विचार सस्तबक, वि-१९०१, संपूर्ण छन्दना आठ गणनो विचार-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १४२३४, पृ. १, छन्दना आठ गणनो विचार सस्तबक, वि-१९०१, संपूर्ण 270 Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुलश.2 कृति उपरथी प्रत माहिती छन्दना आठ गणनो विचार-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १४२३४, पृ. १, छन्दना आठ गणनो विचार सस्तबक, वि-१९०१, संपूर्ण छन्दशास्त्र नन्दिअढ जुओ - नन्दिताढ्यछन्दशास्त्र, कवि-नन्दिताढ्य, प्राकृत, गा.९३ छन्दशास्त्र-(सं.)विवरण जुओ - अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)छन्दशास्त्र विवरण, संस्कृत छन्दशेखर कवि-राजशेखर, सं., आदि वाक्यः द्विगुणो यद्यवलंवकः... तालाद ३९०, पृ. ८, छन्दशेखर, वि-११७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९४/९६ छन्दश्चूडामणिवृत्ति जुओ - छन्दोनुशासन-(सं.)छन्दश्चूडामणिवृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३००० छन्दोनुशासन आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः नमिऊण छन्दलक्षणधेणुं सव्वन्नुणोवरं वाणि... डतामुक्ता ४५६, पृ. ९, जिनेश्वरीय छन्दोग्रन्थ सह विवरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ छन्दोनुशासन-(सं.)विवरण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२४३, आदि वाक्यः नत्वा सर्वसमीचीनं वाचागोचरवाजिनं... कृ.विः कर्ता? डतामुक्ता ४५६, पृ. १-२, जिनेश्वरीय छन्दोग्रन्थ सह विवरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ छन्दोनुशासन आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं.. पाताहेसं १८६- पे.क्र. १, पृ. १-१२३, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७२२७, पृ. ४०, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञछन्दःचूडामणि टीकासह सट्टिपण , वि-१६४८, अपूर्ण प्रत विशेष- १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ९८६७, पृ. ८३, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-८३ छन्दोनुशासन-(सं.)छन्दश्चूडामणिवृत्ति (छन्दश्चूडामणिवृत्ति), (छन्दःचूडामणि टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३०००, पाताहेसं १८६- पे.क्र. १, पृ. २५२, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७२२७, पृ. ४०, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञछन्दःचूडामणि टीकासह सट्टिपण , वि-१६४८, अपूर्ण प्रत विशेष- १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ९८६७, पृ. ८३, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. ___ कुल झे.पृष्ठ-८३ छन्दोनुशासन-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ७२२७, पृ. ४०, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञछन्दःचूडामणि टीकासह सट्टिपण , वि-१६४८, अपूर्ण 271 Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ९८६७, पृ. ८३, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-८३ छन्दोनुशासन सं., आदि वाक्यः विभुं नाभेयमानस्य छन्दसामनुशासनं... पातासंघवी ११०-२- पे.क्र. २, पृ. १-४२, प्रवचनसन्दोह तथा छन्दोनुशासनविवरण, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- जूनो नं. १८३(२). डीवीडी-३३/५२ छन्दोनुशासन-(सं.)विवरण कवि-वाग्भट (दिगम्बर), सं., गद्य, ग्रं.५४०, आदि वाक्यः प्रणिपत्य प्रभुं नाभिसम्भवं भक्तिनिर्भरं... पातासंघवी ११०-२- पे.क्र. २, पृ. ५८, प्रवचनसन्दोह तथा छन्दोनुशासनविवरण, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- जूनो नं. १८३(२). डीवीडी-३३/५२ छन्दोनुशासन-(सं.)छन्दश्चूडामणिवृत्ति (छन्दश्चूडामणिवृत्ति), (छन्दःचूडामणि टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३०००, पाताहेसं १८६- पे.क्र. १, पृ. २५२, छन्दोनुशासन-काव्यानुशासन सटीक, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)टीका डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७२२७, पृ. ४०, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञछन्दःचूडामणि टीकासह सट्टिपण , वि-१६४८, अपूर्ण प्रत विशेष- १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ९८६७, पृ. ८३, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-८३ छन्दोनुशासन-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ७२२७, पृ. ४०, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञछन्दःचूडामणि टीकासह सट्टिपण , वि-१६४८, अपूर्ण प्रत विशेष- १६४८मां जयविजय अने मुनिविमलगणिए शोधेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ९८६७, पृ. ८३, छन्दोनुशासन स्वोपज्ञटीकासहित सटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-८३ छन्दोनुशासन-(सं.)विवरण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२४३, आदि वाक्यः नत्वा सर्वसमीचीनं वाचागोचरवाजिनं... कृ.विः कर्ता? डतामुक्ता ४५६, पृ. १-२, जिनेश्वरीय छन्दोग्रन्थ सह विवरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ छन्दोनुशासन-(सं.)विवरण कवि-वाग्भट (दिगम्बर), सं., गद्य, ग्रं.५४०, आदि वाक्यः प्रणिपत्य प्रभुं नाभिसम्भवं भक्तिनिर्भरं... पातासंघवी ११०-२- पे.क्र. २, पृ. ५८, प्रवचनसन्दोह तथा छन्दोनुशासनविवरण, संपूर्ण पे. नाम- छन्दोनुशासन सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- जूनो नं. १८३(२). डीवीडी-३३/५२ 272 Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती छन्दोनुशासनोद्धार सं., आदि वाक्यः मस्त्रिगुरूस्त्रिलघुश्च... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २१, पृ. १४७-१५०, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ छन्दोरत्नावलि मुनि-अमरमुनि, अप.,सं., पद्य, पाकाहेम ९७४६, पृ. १८, छन्दोरत्नावलि, वि-१७वी, संपूर्ण छन्दोरूपक जुओ - प्राकृत पैङ्गलनो हिस्सो छन्दोरूपक#, आचार्य-पिङ्गलाचार्य, अपभ्रंश छन्दोविषयक ग्रन्थ जुओ - कामदुधाक्षीरसागर, संस्कृत छन्दोविषयक ग्रन्थ जुओ - वर्णमर्कटी-वर्णपताकादिविचार, संस्कृत छन्दोवृत्ति अमृतसञ्जीवनी (अमृतसञ्जीवनी) जैनेतर-हलायुध भट्ट, सं., पद्य, श्लोक१२३४, पातासंघवी ६२-५, पृ. १९१, छन्दोवृत्ति अमृतसञ्जीवनी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र पहेलानो टुकडो गयो छे. डीवीडी-३०/४९ छप्पन दिक्कुमारीकृत शुचिकर्म (५६ दिक्कुमारिकृत शुचिकर्म) मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः परमेश्वर श्रीसर्वज्ञतणइ जन्मकलत्तु ।... पाताहेसं ५७- पे.क्र. १०, पृ. १७०अ-१७०आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. नाम- ५६ दिक्कुमारिकृत शुचिकर्म, पे. विशेष- पूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६७-१७०. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ छप्पनदिसाकुमारी जन्माभिषेक जुओ - जिनजन्ममहोत्सवस्तवन, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.२५ छप्पनदिसाकुमारी जन्माभिषेक जुओ - जिनजन्माभिषेक भासरागेण, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.१५ छयासियं जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति*, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ छायानाटक सुभद्रापरिणयन जुओ - सुभद्रापरिणयनछायानाटक, जैनेतर-रामदेव व्यास, संस्कृत छासीइ जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ छोतीमिथ्यात्वकुलक मुनि-पातो, गुजराती, पद्य, गा.६९, पाकाहेम ९४२९, पृ. ४, छोतीमिथ्यात्वकुलक, वि-१७वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ छोतीविचारस्वाध्याय पातु, मारुगूर्जर, पद्य, गा.६१, पाकाहेम ९४१३, पृ. ३, छोतीविचारस्वाध्याय, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ जगचिन्तामणिचैत्यवन्दन जुओ - शाश्वतजिनचैत्यवन्दनविधि, अज्ञात-गौतमस्वामि, अपभ्रंश, गा.९ जगडुवणिक्सम्बन्ध इन्द्रमालपरिधाने (इन्द्रमालपरिधाने जगडुवणिक्सम्बन्ध ) सं., पद्य, श्लोक३३, पाकाहेम २०९७- पे.क्र. २, पृ. २, शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्धादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जगत्कतृईश्वरनिरासवादस्थल सं., गद्य, पाकाहेम ८७९१, पृ. ३, जगत्कर्तृईश्वरनिरासवादस्थल, वि-१६मी, संपूर्ण 273 Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- २ जनहिता टीका जुओ - दशाश्रुतस्कन्ध (सं.) जनहिता टीका, अज्ञात - ब्रह्मर्षि, संस्कृत, ग्रं. ५१५२ जन्मकल्याणकस्तव सं., पद्य, श्लोक १६, आदि वाक्यः भुवनमोहनरूपसुसम्पदः प्रणतवासवमौलिमिलत्पदः.... पाकाहेग ८५१३- पे क्र. ६ पृ. ३. जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ जन्ममहेशशकपञ्चरूप प्रा.सं., गद्य, भांता ७० पे. क्र. १३७, पृ. १८९८-१९०B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती जम्बूचरित्र (जम्बूस्वामिचरित्र) प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. अप, पय, गा.२०, आदि वाक्यः पदमभवे भवदेशे गहियवओ पदमकप्पि सुर पाताखेत ६- पे.क्र. ३६, पृ. २०७-२०९, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ११०, डीवीडी-६१/६३ डतामुक्ता ४५०, पृ. ४, जम्बूस्वामी चरित्र, संपूर्ण डीवीडी - १०१/१०२ जम्बूद्वीपपदार्थसङ्ग्रह - जम्बूद्दीव पगरण जुओ- जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८६ जम्बूद्वीपक्षेत्र समास जुओ जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा. ८६ जम्बूद्वीपक्षेत्र समास प्रकरण जुओ जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि- जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा. ८६ जम्बूद्वीपगतविचारलेश (जम्बूद्वीपपरिधिविवरण) प्रा.सं., गद्य, आदि वाक्य: विक्खम्भवग्गहह गुणकरणीवट्टस्स परिरओ होइ.... भांता ७० पे.क्र. ११९ पृ. १५६B-१६००, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण - प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल - ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रा. सं., आदि वाक्यः वर्ष ४२६ काञ्चनगिरि पर्वत २०० वक्षारगिरिपर्वत... भांता ७० पे.क्र. १२०, पृ. १६० १६१, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ जम्बूद्वीपपरिधिविवरण जुओ जम्बूद्वीपगत विचारलेश, प्राकृत संस्कृत जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र) - पवरो... पे. विशेष - गाथा - २६. सूचीपत्रांक-१-१४३९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. - 274 प्रा. गद्य नं.४१४६, आदि वाक्यः नमो अरहन्ताणं... तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला नाम नयरी होत्या ।.... पातासंघवी ४१-२- पे.क्र. १ पृ. १-९९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल चूर्णि वि-१४७९. संपूर्ण , पे. विशेष प्रतिलेखन वर्ष १४७८. प्रत विशेष - १मां ९९पेज छे अने २मां ४० पेज छे. ८मुं पत्र नथी. Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१४३ पाकाहेम १००१७, पृ. ६९, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम १०४२२, पृ. ५५, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१५०. कुल झे.पृष्ठ-५६ पाकाहेम १०४५१, पृ. १३६, जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४५४. पत्र ४१ ना बे पानां वधारे छे. पत्र ६५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१३७ पाकाभामा ८७४, पृ. ४५३, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१६५०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४२५-४२६ भेगां छे. पुप्रै ४१२, पृ. २६१, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सह अवचूरि, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-(प्रा.)चूर्णी (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गचूर) प्रा., गद्य, ग्रं.१८६९, आदि वाक्यः णमिऊण विणयविरतियकरपङ्कयकयञ्जली पयतो । सुरवरमणिरयणुक्कडफुरन्तपरिघट्टपावीढं ||१||... पातासंघवी ४१-२- पे.क्र.२, पृ. १-४०, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल, चूर्णि, वि-१४७९, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन वर्ष-१४७९. प्रत विशेष- १मा ९९पेज छे अने २मा ४० पेज छे. ८९ पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-१४३ पाकाहेम १००१८, पृ. २८, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१५७३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १०१३७, पृ. ३३, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१६१४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८६०. कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०३६०, पृ. १८, जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२३. कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १४८४५, पृ. ३२, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी, वि-१५०२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८६०. कुल झे.पृष्ठ-३३ पाकाहेम १४८४६, पृ. ७६, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णीसूत्र, वि-१५०२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४५४ (मूल साथे?). कुल झे.पृष्ठ-७५ पाकाहेम १४९१६, पृ. ४५, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८६०., पाकाभाभा ३५, पृ. २३, जम्बूद्वीपचूर्णि, वि-१५३०, संपूर्ण भांका २६७, पृ. ३०, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णि, वि-१६२५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२४६. ग्रन्थाग्र-२०२३. डीवीडी-९० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.)विवृत्ति मुनि-ब्राह्मणमुनि, सं., गद्य, आदि वाक्यः अपारे किल संसारे मज्जतामनिशं... भांका १७६, पृ. २३४, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति विवृत्ति, वि-१६७०, अपूर्ण 275 Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२५० डीवीडी-८६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र - (सं.) टीका आचार्य - हीरविजयसूरि, सं., गद्य, ग्रं. १८४००, पाकाभाभा ८७४, पृ. ४५३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१६५०, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ४२५-४२६ भेगां छे. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र (सं.) अवचूर्णि कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, आदि वाक्य: नत्वार्हन्तं गुरुं चादी सच्चिदानन्दभन्ददम्.... " कृ. वि. बृहद्वृत्त्यनुसारि अवचूर्णि पुणे ४१२, पृ. २६१, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सह अवचूरि, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २६१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र - (प्रा.) चूर्णी (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गचूर) प्रा. गद्य ग्रं. १८६९, आदि वाक्य: णमिऊण विणयविरतियकरपङ्कयकयञ्जली पयतो । सुरवरमणिरयणुक्कडफुरन्तपरिघट्टपावीढं ।। १।।... पातासंघवी ४१-२- पे. क्र. २. पृ. १४०, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल चूर्णि वि-१४७९, संपूर्ण , पे. विशेष प्रतिलेखन वर्ष - १४७९. प्रत विशेष १मां ९९पेज छे अने २मां ४० पेज छे. ८मुं पत्र नथी. - कुल झे. पृष्ठ- १४३ पाकाहेग १००१८, पृ. २८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र चूर्णि वि-१५७३. संपूर्ण कुल ही. पृष्ठ- २९ पाकाहेम १०१३७, पृ. ३३ जम्बूद्दीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसुत्रचूर्णि वि-१६१४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र- १८६०. कुल ३, पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०३६०, पृ. १८, जम्बूद्वी प्रज्ञप्तिउपाङ्गसुत्रचूर्णि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२३. कुल झे. पृष्ठ- १९ पाकाहेम १४८४५, पृ. ३२, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी, वि-१५०२, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१८६०. कुल झे. पृष्ठ-३३ पाकाहेम १४८४६, पृ. ७६, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णीसूत्र, वि-१५०२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४५४ ( मूल साथे ? ). कुल झे. पृष्ठ-७५ पाकाहेम १४९१६, पृ. ४५, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१८६०., पाकाभामा ३५, पृ. २३. जम्बूद्वीपचूर्णि वि-१५३०, संपूर्ण भांका २६७, पृ. ३०, जम्बुद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णि वि-१६२५. संपूर्ण जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र - ( सं .) विवृत्ति प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२४६. ग्रन्थान- २०२३डीवीडी- ९० - , मुनि-ब्राह्मणमुनि, सं., गद्य, आदि वाक्यः अपारे किल संसारे मज्जतामनिशं ... भांका १७६, पृ. २३४, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति विवृत्ति, वि- १६७०, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२५० डीवीडी-८६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र - ( सं . ) टीका 276 Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-हीरविजयसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१८४००, पाकाभाभा ८७४, पृ. ४५३, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१६५०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४२५-४२६ भेगां छे. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.)अवचूर्णि , सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वार्हन्तं गुरुं चादौ सच्चिदानन्दभन्ददम्... कृ.विः बृहद्वृत्त्यनुसारि अवचूर्णि. पुप्रे ४१२, पृ. २६१, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सह अवचूरि, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गचूर जुओ - जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-(प्रा.)चूर्णी, प्राकृत, ग्रं.१८६९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र जुओ - जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र, प्राकृत, ग्रं.४१४६ जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी (लघु सङ्ग्रहणी) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], प्रा., पद्य, गा.३१, ग्रं.१५०, आदि वाक्यः (१) वन्दिवि जिणं सव्वनु जयपूर्व जयगुरुं महावीरं...(२) नमिय जिणं सव्वन्नु जयपुज्जं जयगुरुं महावीरं... पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र. १०, पृ. २०७-२१०, उपदेशमाला आदि, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २६, पृ. १८०-१८३, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १६७, १७९ नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ३, पृ. २८-३०, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- लघुसंग्रहणी, पे. विशेष- गाथा-३१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८८-१- पे.क्र.२, पृ. ६४-८५, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी सह स्वोपज्ञ टीका डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १३, पृ. १८१-१८३, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२६. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. ११, पृ. २६६-२७५, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता ७०- पे.क्र. ११८, पृ. १५३०-१५६०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी-(सं.)टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, पातासंघवी १८८-१- पे.क्र.२, पृ. १२८, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी सह स्वोपज्ञ टीका डीवीडी-३७/५४ जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी-(सं.)टीका 277 Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य हरिभद्रसूरि बृहद्गच्छीय), सं., गद्य, पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. २, पृ. १२८, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी सह स्वोपज्ञ टीका डीवीडी-३७/५४ प्रा., पद्य, गा. ९४, कृति उपरथी प्रत माहिती कृ. विः अन्तवाक्य- तारागण कोडिकोडीणं. पे.क्र. पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. २६, पृ. २००-२०५, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष - ऐसी कृतियां जिनकी स्पष्ट पहचान न हो पायी है तथा अपूर्ण है व पन्ने अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र-२२-४२. अन्य कृतियों की स्पष्टता हेतु संपूर्ण प्रत को एक बार पुनश्च देखना आवश्यक है. प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० जम्बूद्वीपसमास प्रकरण वाचक- उमास्वाति, प्रा., पय, , पाकाभाभा ३ पृ. ५७, जम्बुद्वीपसमास प्रकरण विनेयजनहिता टीका सह वि-१५वी संपूर्ण जम्बूद्वीपसमास प्रकरण- (सं.) टीका (विनेयजनहिता टीका ) आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि- शान्तिमुनि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२१५, 7 पाकाभाभा ३ पृ. ५७, जम्बूद्वीपसमास प्रकरण विनेयजनहिता टीका सह वि-१५वी संपूर्ण जम्बूद्वीपसमास प्रकरण- (सं.) टीका (विनेयजनहिता टीका) आचार्य - विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि - शान्तिमुनि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२१५, पाकाभाभा ३, पृ. ५७, जम्बूद्वीपसमास प्रकरण विनेयजनहिता टीका सह, वि - १५वी, संपूर्ण जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (जम्बूद्वीपक्षेत्र समास प्रकरण ), ( जम्बूद्वीपक्षेत्र समास ), (लघुक्षेत्रसमास ), ( क्षेत्रसमास गाथोद्धार), (क्षेत्रसमासप्रकरण उद्धार), (जम्बूद्दीव पगरण), (सङ्क्षिप्त क्षेत्रसमास) गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.८६, आदि वाक्यः नमिउण सजल जलहर कृ. विः गाथा - ८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे. पाताखेत ३- पे. क्र. ७, पृ. १४१-१५६ गौतमस्वामी स्तुति आदि वि- १२९२. संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपसमास, पे. विशेष- गाथा - १००. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५- पे. क्र. २, पृ. ७४-८६ उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्दीवपगरण, पे. विशेष- गाथा - ८७. प्रत विशेष - श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक - १६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे. पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२ - पे. क्र. ९, पृ. ८५-९२, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ८८. प्रत विशेष- ११५ में पानु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे क्र. ७ पृ. २६२-२६५, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ५. पृ. ८९-९६ बृहत्सग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ८८. प्रत विशेष सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत १७-२- पे.क्र. ६, पृ. १०२-१०९, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि- १२९५, पूर्ण 278 Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-८४. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३२-१- पे.क्र. २, पृ. १५-२५, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- जंबूद्वीपप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-८९. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. ४, पृ. ७०-७७, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. नाम- जम्बूद्वीपप्रकरण डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र. २, पृ. २३A-३०B, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. नाम- खेत्तसमास, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-८४. ताडपत्रीय पत्रांक-२८ (गा.५५-६३)नहीं है. यह कृति ___ झेरोक्ष पत्र ८-११ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र.३, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र.७, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १५१- पे.क्र.५, पृ. ८६-९६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६४- पे.क्र. ५, पृ. १८०-१८८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११२. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६५- पे.क्र.८, पृ. १९९-२११-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा १११ तक है. अन्त के पत्र २१२-२१३ नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-७८-८२. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६६- पे.क्र. ४, पृ.६-८, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५४-२- पे.क्र.५, पृ. ४७-६१, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ३, पृ. १-८, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- क्षेत्रसमास, पे. विशेष- गाथा-८५. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र.७, पृ. ९१-९९, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१९९. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ३, पृ. १२३-१२९, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण 279 Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २७, पृ. १५१-१७०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११९., अन्य परचूरण कृतिओ पण छे. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. २, पृ. २०-२८, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. ४, पृ. ७१-७७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८४. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र. ४, पृ. ९१-९९, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८४. गा. के. मां जम्बूद्वीपप्रकरण ग्रं. १८४ आपेल छे. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. ४, पृ. ६५-७०, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८४-१- पे.क्र. ४, पृ. ८०-८७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र.४, पृ. ९५-१०४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८९. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५-२- पे.क्र. ४, पृ. १०७-११८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपसमास, पे. विशेष- गाथा-९४. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. ११, पृ. १८८-१९६, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११२. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १३, पृ. ९३-९५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८७. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ६९, पृ. ५, जम्बूद्वीपक्षेत्रसमास प्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ११४- पे.क्र.५, पृ. ८२-८८, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८८. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. ७, पृ. १२५-१३१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १८९- पे.क्र.६, पृ. ६७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-५ तक है. अन्त के पत्र नहीं है. 280 Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७२- पे.क्र. ३२, पृ. १६४B-१७४A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. १८, पृ. १४२-१४६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. ५, पृ. ११००-११९B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९४. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२३- पे.क्र.६, पृ.७-११, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण । पे. नाम- जम्बूद्वीपप्रकरण संक्षिप्त क्षेत्रसमास-अपूर्ण, पे. विशेष- अपूर्ण, पत्र ९९ नथी. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ६९६८- पे.क्र. २, पृ. १-१०, सङ्ग्रहणीप्रकरण तथा जम्बूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- जम्बूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-१०९. कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम ६९६९, पृ. ८, सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-१३७, कर्तानाम आपेल नथी. कुल झे.पृष्ठ-९ क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, डतामुक्ता ४६४, पृ. ५६, क्षेत्रसमास टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि (सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमास-(सं.)अवचूरि) सं., गद्य, पाकाहेम ६९६९, पृ. १-२५, सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-१३७, कर्तानाम आपेल नथी. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २१५, पृ. १४, क्षेत्रसमास अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८७ जम्बूपृच्छारास मुनि-देवचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७२८, पाकाहेम ६२३५, पृ. २१, जम्बूपृच्छारास, वि-१७२८, संपूर्ण जम्बूवृक्षविचार प्रा., पद्य, गा.१९, आदि वाक्यः जम्बूणयामयं जम्बूपीढमुत्तर... पाताहेसं १६१- पे.क्र. १४, पृ. १८३-१८४, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१९. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. 281 Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ जम्बूशतक जुओ - जिनशतकमहाकाव्य, कवि-जम्बू, संस्कृत, ग्रं.५००, का.१०० जम्बूस्वामि ब्रह्मगीता स्वाध्याय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७३८, गा.२९, आदि वाक्यः समरीय सरसती विश्वमाता... पाकाभाभा ६२८- पे.क्र. १, पृ. १-३, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ जम्बूस्वामिगीत छन्द मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १०२२५, पृ. ६, जम्बूस्वामिगीत छन्द, वि-१६४१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ जम्बूस्वामिचरित्र जुओ - जम्बूचरित्र, अपभ्रंश, गा.२० जम्बूस्वामिचरित्रसम्बद्धकथासङ्ग्रह मारुगूर्जर, पाकाहेम १०१८०, पृ. १५, जम्बूस्वामिचरित्रसम्बद्धकथासङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ जम्बूस्वामी अध्ययन उपाध्याय-पद्मसुन्दर[नागपुर तपागच्छ], प्रा.अध्याय२१, आदि वाक्यः तेणं कालेणं. रायगिहे. गुणसिला. सेणिए... भांका २५०, पृ. ४८, जम्बूस्वाम्यध्ययन सह टबार्थ, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८७. डीवीडी-८९ जम्बूस्वामी अध्ययन-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, भांका २५०, पृ. ४८, जम्बूस्वाम्यध्ययन सह टबार्थ, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८७. डीवीडी-८९ जम्बूस्वामी अध्ययन-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, भांका २५०, पृ. ४८, जम्बूस्वाम्यध्ययन सह टबार्थ, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८७. डीवीडी-८९ जम्बूस्वामीकुलक प्रा., पद्य, गा.१९, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २५, पृ. ११६मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ जयतिहुअणस्तोत्र (जयत्रिभुवनस्तोत्र) आचार्य-अभयदेवसूरि, अप., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः जयतिहुवण कप्परुक्ख जय जिण... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४२, पृ. १३३मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४. __ डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २२, पृ. ५५-५७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०१९२, पृ. ४, जयतिहुअणस्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण 282 Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०६५८, पृ. ७, जयतिहुयणस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय, भांका २९३- पे.क्र. ४, पृ. ७A-९B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ जयतिहुअणस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६५८, पृ. ७, जयतिहुयणस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय, जयतिहुअणस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६५८, पृ.७, जयतिहुयणस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय, जयत्रिभुवनस्तोत्र जुओ - जयतिहुअणस्तोत्र, आचार्य-अभयदेवसूरि, अपभ्रंश, गा.३० जयन्तविजयमहाकाव्य आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., पद्य, श्लोक२२२०, पाकाहेम २६०६, पृ. ५२, जयन्तविजयमहाकाव्य, वि-१४६८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिचारेबाजु सहेज पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५२ पाकाहेम ६६४१, पृ. ३८, जयन्तविजयमहाकाव्य, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८ जयपायड प्रश्नव्याकरणसूत्र जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड, प्राकृत जयपाहुड प्रश्नव्याकरणसूत्र जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड, प्राकृत जयराजपुरीश पार्श्वजिनस्तवन क्रियागुप्त जुओ - पार्श्वनाथस्तवन क्रियागुप्त जयराजपुरीश, गणि-सिद्धान्तरुचि, संस्कृत, का.१७ जयलक्ष्मीदेवीकथा शीलविषये (शीलविषये जयलक्ष्मीदेवीकथा) प्रा., पद्य, गा.१२६, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. ५, पृ. ४३-५७, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ जल्पमञ्जरी आचार्य-जिनसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५२९, आदि वाक्यः वसुधानन्दनरूपं वसुधानन्दनखत्विषं... कृ.विः रचनाप्रशस्ति नहीं है तथा कृति में कहीं भी रचनाकार का उल्लेख नहीं है. परन्तु संयोजित प्रत भांताका-१३८ की पुष्पिका में "इति श्री जल्पमंजरी कृता तपागच्छाधिराज श्रीसोमसुन्दरसूरिशिष्य पूज्य श्रीसुधानन्दनसूरिशिष्येण" एवं जिनरत्नकोश में सुधानन्दनसूरि शिष्य जिनसूर का स्पष्ट उल्लेख है. जैन आत्मानन्द सभा भावनगर से प्रकाशित पुस्तक में प्राच्यमुनिपुंगवविरचिता (?) तथा प्रस्तावना में कर्ता अज्ञात का संपादकश्री ने जिक्र किया है. भांका १३८, पृ. ९, जल्पमञ्जरी, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-?/८७-९५ कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८५ जागुलीमहाविद्या सं.. पाकाहेम २८०१, पृ. १, जाङ्गुलीमहाविद्या, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पाछल कांई बीजुं मंत्रकल्प जेवू छे. 283 Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ जातकाभरण सं., पाकाहेम १०१२४, पृ. ४, जातकाभरण, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ जिन अन्तर प्रमाण जुओ - अन्तरप्रमाण, संस्कृत जिन अन्तरा व्याख्यान जुओ - अन्तराव्याख्यान, प्राकृत जिनअतिशयस्तोत्र जुओ - चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ जिनअन्तरढाल समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, गा.६७, पाकाहेम १०७९२, पृ. ६, जिनअन्तरढाल, वि-१७मी, संपूर्ण जिनअष्टादशस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूप गर्भित जुओ - अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित*, आचार्य सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत जिनकल्याणकदिनस्तुतयः-कार्तिकादिमासानुक्रमेण (कार्तिकादिमासानुक्रमेण जिनकल्याणकदिनस्तुतयः) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक१०३, आदि वाक्यः यथोगतः शम्भवतीर्थनाथः सत्केवलोद्योत... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ११, पृ. ४-६, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- कार्तिकादिमासानुक्रमेण जिनकल्याणकदिनस्तुतयः कुल झे.पृष्ठ-६ जिनकल्याणकस्तुति जुओ - साधारणजिनकल्याणकस्तुति, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.४ जिनगणधर नमस्कार अप., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः चुलसिय गणहर पढमजिणिन्दह पञ्चनउई सिरिअजियजिण... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. २०, पृ. ११-१२, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० जिनगृहबिम्बविचार प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः निस्सकड निस्सकडेवावि वेइए सव्वहिं... भांता ७०- पे.क्र.६१, पृ. ७९-७९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ जिनजन्ममह जुओ - जिनजन्ममहोत्सव, आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्राकृत जिनजन्ममहोत्सव (जिनजन्ममह) आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्यअध्याय४कडव, आदि वाक्यः सो जयउ जस्स कल्लाणपञ्चगम्मी महूसवं कूणइ... कृ.विः कडव-४. कडवयं १ भासरागेण गाथा-१७। कडवयं २ खंभाइथीभाषया गाथा-११। कडवयं ३ देवकृतीभाषया गाथा-१५. पाताखेत ६- पे.क्र. ४२, पृ. २२१-२२८, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गुंडकृतीभाषया धनासिका. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ जिनजन्ममहोत्सवस्तवन (षट्पञ्चाशद् दिक्कुमारी स्तवन), (छप्पनदिसाकुमारी जन्माभिषेक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिवि सिरिपासनाहस्स पयपङ्कयं हरियदुरिजलि कलिकलु समलु पङ्कयं... पाताखेत ६- पे.क्र. ४८, पृ. २३६-२३९, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- षट्पञ्चाशद्दिक्कुमारिस्तवन 284 Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ जिनजन्माभिषेक प्रा., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः नमिवि चउवीसजिणजणियकल्लाणए मेरुसिहरम्मि... भांता ७२- पे.क्र.७, पृ. ६६०-६८B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३७१. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ जिनजन्माभिषेक भासरागेण (छप्पनदिसाकुमारी जन्माभिषेक), (भासरागेन जिनजन्माभिषेक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः सुरनरखयरिन्दा दिणयर चन्दा पइदिणु पणमहं पाय जसु... पाताखेत ६- पे.क्र. ४७, पृ. २३४-२३६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- छप्पन दिसाकुमारि जन्माभिषेक प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ जिनजन्माभिषेक(?) जुओ - महावीरजिन जन्माभिषेक, अपभ्रंश जिनदत्तकथा दानविषये (दानविषये जिनदत्तकथा) सं., गद्य, पाताहेसं १४५, पृ. २७, जिनदत्तकथा अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १७७६- पे.क्र.८, पृ. ३०-३२, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० जिनदत्तकथासमुच्चय आचार्य-गुणभद्रसूरि (दिगम्बर), सं., पद्यसर्ग९, ग्रं.१०९०, आदि वाक्यः महामोहतमश्छन्नभुवनाम्भोजभानवः... कृ.विः अं.वाक्य-अत्र प्रमाणं प्रथितं समस्त...निःसंशयं विद्भिरमुख्यसारं. भांका २८२, पृ. १०४, जिनदत्तकथा समुच्चय, वि-१६११, संपूर्ण __ प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९५३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थाग्र-१०९०., पत्र ४४ नथी. डीवीडी-९० जिनदत्ताख्यान गणि-सुमति, प्रा., ग्रं.७५०, वताकांति ४३५, पृ. ६९, जिनदत्ताख्यान, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ जिनधर्मप्रबोध(?) जुओ - कुमारपालप्रतिबोध, आचार्य-सोमप्रभसूरि, प्राकृत जिननमस्कार मारुगूर्जर, पद्य, का.८, आदि वाक्यः जासु नहि अन्नाण सोग... कृ.विः परिमाण कडी रूपे आप्या छे. पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४०, पृ. २२७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ जिननमस्कार - यमकमय जुओ - यमकमयजिननमस्कार, संस्कृत, श्लोकर जिननामगर्भितस्तुति जुओ - त्रिंशच्चतुर्विंशतिका जिननामगर्भितस्तुति, संस्कृत, श्लोक११२ जिननिर्वाणकल्याणकस्तव आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक१२, आदि वाक्यः प्राप्तमुक्तिवनितामुख... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ९, पृ. ४, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ 285 Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती जिनपञ्चकल्याणक स्तोत्र जुओ - चतुर्विंशतिजिनपञ्चकल्याणकस्तोत्र, मुनि-मुनिचन्द्र, अपभ्रंश जिनपञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक (पञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक) आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., पाकाहेम ८१९८, पृ. २, जिनपञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ जिनपञ्चकस्तवनपञ्चक जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक, प्राकृत,संस्कृत,अपभ्रंश, का.३० जिनपञ्चस्तवी जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ महावीर पञ्चस्तवी, प्राकृत, गा.३१ जिनपति स्तोत्र अष्टक कवि-बिल्हण, सं., पद्य, का.८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३८, पृ. १३०-१३१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- १३१ मुं पत्र टूटेलुं छे. डीवीडी-३८/५५ जिनपरिवार जुओ - ऋषभादिजिनपरिवार, संस्कृत जिनपूजागाथा प्रा., पद्य, पातासंघवी १६५- पे.क्र. १२, पृ. -२२२-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- इगुणतीसी भावना, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-३०. गाथा २६ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र-८५ पर. सूचीपत्र में इसे प्रकीर्णक कृति अन्तर्गत ली गयी है. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ जिनपूजाद्युपदेश (रत्नचूडादिकथा) (पूजाविधान) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, प्रा., ग्रं.३५००, आदि वाक्यः पणमिय नमिरनरवरसरसिरूहवियासणं भुवणपणयं... पाताखेत २८-१, पृ. १७२, जिनपूजादि उपदेश (रत्नचूडादि कथा), वि-१२०८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ जिनपूजासमयभावना मारुगूर्जर, पद्य, गा.६, पाकाहेम ९०२- पे.क्र.४५, पृ. २३०मुं, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ जिनपूजासम्बन्धउपदेशसप्तक पद्य सं., पद्य, पाकाहेम ८१३६, पृ.७, जिनपूजासम्बद्धउपदेशसप्तक पद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ जिनप्रतिमादिअधिकार मारुगूर्जर, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. १६, पृ. ४६-५०, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० जिनप्रतिमावन्दन स्वाध्याय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः जिन जिन प्रतिमा वन्दन दीसइ... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. २, पृ. ३-४, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ जिनप्रतिमास्थापन सज्झाय 286 Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.१५, पाकाभाभा ६२८- पे.क्र.६, पृ. १०-११, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ जिनप्रतिमास्थापनरास पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४३, पाकाहेम १०८०१- पे.क्र. ३, पृ. ३-७, उपदेशसाररत्नस्वाध्याय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण जिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि जुओ - नवनिष्पन्नजिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि, संस्कृत जिनबिम्बप्रवेशविधि सं., आदि वाक्यः अर्हन्तं नमस्कृत्य युक्त्या सिद्धान्त दिष्टया पाकाहेम १५२२, पृ.७, जिनबिम्बप्रवेशविधि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ जिनभवनादिगाथा प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः नियदव्व मउव्व जिणिन्दभवण... भांता ७२- पे.क्र. १९, पृ. ८१-८२A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ जिनमन्दिर चोरासी आशातना काव्य जुओ - चोरासी आशातना काव्य, संस्कृत, का.४ जिनराजस्तुति सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीतीर्थराजः पद... पाकाहेम १२३६८- पे.क्र.६, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण जिनशतकमहाकाव्य (जम्बूशतक) कवि-जम्बू, सं., पद्य, का.१००, ग्रं.५००, पाकाहेम ७२३४, पृ. १९, जिनशतक पञ्जिकासह त्रिपाठ, वि-१६४०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८६४१, पृ. २६, जिनशतक पञ्जिकासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाहेम १०७०४, पृ.७, जिनशतकमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १७१२५, पृ.६, जिनशतक सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)पञ्जिका टीका (पञ्जिका टीका) मुनि-शाम्ब साधु, सं., पद्य, श्लोक१०२५, पाकाहेम ७२३४, पृ. १९, जिनशतक पञ्जिकासह त्रिपाठ, वि-१६४०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८६४१, पृ. २६, जिनशतक पञ्जिकासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०७०४, पृ.७, जिनशतकमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १७१२५, पृ.६, जिनशतक सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १७१२५, पृ. ६, जिनशतक सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण 287 TE Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७ जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०७०४, पृ. ७, जिनशतकमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)पम्जिका टीका (पञ्जिका टीका) मुनि-शाम्ब साधु, सं., पद्य, श्लोक१०२५, पाकाहेम ७२३४, पृ. १९, जिनशतक पञ्जिकासह त्रिपाठ, वि-१६४०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८६४१, पृ. २६, जिनशतक पञ्जिकासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ जिनस्तव (स्तव) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक२०, आदि वाक्यः त्वत्सेवानिरतांस्त्वर्पित... पातासंघवी ५६-२- पे.क्र.७, पृ. ?, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. विशेष- यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ जिनस्तव जुओ - देवाःप्रभोस्तोत्र, आचार्य-जयानन्दसूरि, संस्कृत, का.९ जिनस्तव जुओ - सर्वजिनस्तव, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत, श्लोक४ जिनस्तव जुओ - साधारणजिनस्तव, प्राकृत, गा.२१ जिनस्तव जुओ - साधारणजिनस्तव, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक५ जिनस्तव - यमकालङ्कारमय जुओ - यमकालङ्कारमय जिनस्तव, मुनि-देवसुन्दरसूरि शिष्य, संस्कृत जिनस्तव रसवत्यादिनामगर्भित जुओ - जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित#, संस्कृत, का.१२ जिनस्तवन सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः शुभभावानतः स्तौमि... पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. २, पृ.?, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जिनस्तवन मुनि-सकलचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१०, पाकाहेम १०१३३- पे.क्र. ४, पृ. ?, गौतमपृच्छास्तवन आदि, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ जिनस्तवन जुओ - पञ्चजिनस्तव हारबन्ध, आचार्य-कुलमण्डनसूरि, संस्कृत, श्लोक२३ जिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन, आचार्य-अमरसिंहसूरि, संस्कृत, श्लोक९ जिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन, प्राकृत, गा.१२ जिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य#, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत, का.४ जिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन, आचार्य-देवसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.११ जिनस्तवन जुओ - साधारणजिनस्तवन, संस्कृत, का.६। जिनस्तवन उक्तित्रय समासषट्क षट्प्रत्ययमय जुओ - देवाःप्रभोस्तोत्र, आचार्य-जयानन्दसूरि, संस्कृत, का.९ जिनस्तवन चौविसी जुओ - जिनस्तवनचतुर्विंशतिका, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, ग्रं.१५५ जिनस्तवन विविधभाषाबद्ध जुओ - विविधभाषाबद्धजिनस्तवन, आचार्य-जयचन्द्रसूरि, प्राकृत,संस्कृत,अपभ्रंश, श्लोक२३ जिनस्तवन षण्णवति जुओ - षण्णवति जिनस्तवन, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, संस्कृत, का.२९ जिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भ जुओ - सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन*, संस्कृत, का.१० जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित (हरिशब्दार्थगर्भित जिनस्तवन) विशालराज, सं., पद्य, का.१०, आदि वाक्यः इन्द्रेभास्वशुक... पाकाहेम १२२८८ - पे.क्र. १, पृ. १, हरिशब्दार्थगर्भितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण 288 Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ-४ जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित (सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १२२८८- पे क्र. १ पृ. १, हरिशब्दार्थगर्भितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम - हरिशब्दार्थगर्भित जिनस्तवन सह (सं.) टिप्पणी कुल झे. पृष्ठ-४ जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित - (सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १२२८८- पे.क्र. १, पृ. १, हरिशब्दार्थगर्भितजिनस्तवन टिप्पणीसहित तथा गोशब्दार्थकाव्य सटिप्पणी, वि-१७मी संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम हरिशब्दार्थगर्मित जिनस्तवन सह (सं.) टिप्पणी निस्तुति जिनस्तवन ? जुओ एकवृत्तमयीस्तुति चतुरर्थगर्मित#, संस्कृत जिनस्तवनचतुर्विंशतिका ( स्तवनचतुर्विंशतिका), (जिनस्तवन चौविसी) गणि- जिनवल्लभ, प्रा. पद्य ग्रं. १५५ " पाकाहेम ८४९४- पे क्र. १ पृ. १४ जिनस्तवनचतुर्विंशतिका आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल की. पृष्ठ-4 निस्तुति पे. नाम हरिशब्दार्थगर्मित जिनस्तवन सह (सं.) टिप्पणी कुल झे. पृष्ठ ४ सं., पद्य, गा. १ + १, आदि वाक्यः नादबिन्दु कलायुक्तम्... तालाद ३३९- पे. क्र. ९ पृ. ६४ जीवविचारप्रकरणादि वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २४, डीवीडी-९४/९६ निस्तुि प्रा. पद्य गा. २७, आदि वाक्य जयपयडपहावं मेघगम्भीररावं भवजलनिहिनावं नायनीसेसभावं.... पातासंघवी २०२- पे.क्र. ७, पृ. २०१-२०७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ जिनस्तुति सं., पद्य, गा.२+१, आदि वाक्यः चक्रे तीर्थङ्करै.... तालाद ३४९- पे.क्र. ३, पृ. ८मुं, सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-९४/९६ निस्तुति - सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः चैत्यद्रुमः कुसुमसन्तति..... पाकाहेम १२३६४- पे क्र. २ पृ. १ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि वि-१५मी संपूर्ण सं., पद्य, उतामुक्ता ४५२, पृ. २. जिन स्तुति, संपूर्ण डीवीडी - १०१/१०२ जिनस्तुति जुओ - पञ्चजिनस्तुति, संस्कृत, का ४ जिनस्तुति जुओ सर्वजिनस्तुति, प्राकृत का४ जिनस्तुति जुओ साधारणजिनस्तुति, संस्कृत = - जिनस्तुति जुओ - सामान्यजिनस्तुति, संस्कृत, श्लोक ५ जिनस्तुति जुओ सामान्यजिनस्तुति, प्राकृत, गा.४ जिनस्तुति सं., पद्य, आदि वाक्य: मदनधनसमीर प्राप्तसंसारतीरं कनकसमशरीरं कोपदावाग्निनीरं..... 289 Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २१, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. संभवतः चार श्लोकवाली स्तुति का मात्र पहला श्लोक है. झेरोक्ष पत्र ९३ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी (उद्दामदण्डकछन्दोमयी जिनस्तुति), (दण्डकछन्दोमयी साधारणजिनस्तुति) __ सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः रुचितरुचिमहा... पाकाहेम १२३६८ - पे.क्र. ३, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३६९- पे.क्र. २, पृ. १, दण्डकछन्दोमयी पार्श्वजिनस्तुति तथा साधारणजिनस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण जिनस्तुति यमकमय(?) जुओ - यमकस्तुति, आचार्य-सोमसूरि, संस्कृत जिनस्तुतिगर्भित क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका (क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका जिनस्तुतिगर्भित) महीमेरु, सं., पद्य, श्लोक५३, पाकाहेम ११२८०, पृ. १, जिनस्तुतिगर्भितक्रियागुप्त पञ्चविंशतिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जिनस्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - चतुर्विंशतिजिनस्तुति, आचार्य-सोमप्रभसूरि, संस्कृत, का.२७ जिनस्तुतिस्तोत्रसमुच्चय जुओ - स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत जिनस्तोत्र अप., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः हेव सूसमु हुअ मह देव हिव दूसमु दूरट्ठिउ सयल रिद्धि... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. २०, पृ. १९८-२२५, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ जिनस्तोत्र जुओ - साधारणजिनस्तोत्र, आचार्य-सोमप्रभसूरि, संस्कृत, का.८ जिनस्तोत्र उपखाणागर्भित जुओ - उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र, प्राकृत, गा.३५ जिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय जुओ - सर्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय, प्राकृत, गा.७ जिनस्तोत्र युष्मदस्मद्गर्भित जुओ - युष्मदस्मद्गर्भितजिनस्तोत्र, आचार्य-सोमप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक८ जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित# (शाकभोज्यादिनामगर्भित जिनस्तोत्र), (रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव), (जिनस्तव रसवत्यादिनामगर्भित), (भोज्यादिनामगर्भित जिनस्तोत्र) सं., पद्य, का.१२, आदि वाक्यः आम्बा रायण शेलडी... पाकाहेम ७३९८- पे.क्र. १, पृ. १, रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३०६, पृ. १, शाकभोज्यादिनामगर्भितजिनस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण जिनस्तोत्ररत्नकोश प्रथमप्रस्ताव आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक११५०, पाकाहेम १०१८७, पृ. १६, जिनस्तोत्ररत्नकोश प्रथमप्रस्ताव, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ जिनागमवचन जुओ - छ वयणाणि, आचार्य-जिनेन्द्रप्रभसूरि, प्राकृत जिनागमस्तव जुओ - जैनागमस्तव, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, का.४६ जिनेन्द्रस्तोत्र सं., पद्य, का.१२, आदि वाक्यः श्रीसिद्धार्थनरेशवंशकमला... पाकाहेम १२३४१, पृ. १, जिनेन्द्रस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८५, संपूर्ण जिनेन्द्रस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३४१, पृ. १, जिनेन्द्रस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८५, संपूर्ण जिनेन्द्रस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३४१, पृ. १, जिनेन्द्रस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८५, संपूर्ण जीतकल्पसूत्र (साधुजीतकल्प), (यतिजितकल्प) 290 Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.१०५, ग्रं.१३०, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो वोच्छं पच्छित्तदाणसङ्खवं।... कृ.विः हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. पाताखेत ४५- पे.क्र.२, पृ. १-१४१, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि-१२९२, संपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य पंडित गुणचन्द्रजीए सं.१२९२ मां आ प्रत लखावीने आचार्य श्री अभयदेवसूरिने आपेल छे. प्रत विशेष- पत्र-२१८+१४१=३५९. कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९- पे.क्र. ९, पृ. ३५८-३६१?, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आनी विगत नथी. , वचमां फाटी गयेला टुकडा छे. डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ५८-१, पृ. १३०, जीतकल्पसूत्र सह स्वोपज्ञ भाष्य, अपूर्ण प्रत विशेष- पुण्यविजयजी द्वारा संपादित मुद्रित प्रत की तुलना में इस प्रत में मूल व भाष्यगाथाक्रम कम है. इनकी प्रस्तावना से स्पष्ट होता है कि पुण्यविजयजी ने इस प्रत का उपयोग संपादन में नहीं किया है. आद्यन्त भाग अपूर्ण. मूलगाथा-८ से मिल रही है. कुल झे.पृष्ठ-८७, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १५, पृ. ९६-१०१, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. नाम- साधुजीत प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. १-१०४, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमां अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १७३- पे.क्र.६, पृ. १६४-१७५, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता ३६- पे.क्र. १, पृ. १-१२, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३. सूचीपत्रांक-१-५९१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७. डीवीडी-६९/७८ अताका ४८८, पृ. ?, जीतकल्प, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(प्राच्य विद्याभवन ताडपत्रीय झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ८५७, पृ. ३५, जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १००५५, पृ. ३, जीतकल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०६. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १००५९, पृ. २६, जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. १, पृ. १-३१, जीतकल्पवृत्तिसहितआदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. 291 Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०४८२, पृ. २, जीतकल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०४. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १४०२६, पृ. २८, यतिजितकल्प वृत्तिसह, वि-१६२६, संपूर्ण भांका ११७, पृ. ६२, जीतकल्पसूत्र विवरणलवसहित, वि-१६११, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९२. वृत्तिकर्ता श्री श्रीतिलकसूरि आपेल छे. डीवीडी-८४ भांका २१८, पृ. १२०, जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९३. , गाथा-१०७. टीका ग्रन्थाग्र-६७७३. डीवीडी-८७ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२७१८, पाकाहेम १००५६, पृ. ५०, जीतकल्पसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२७०८. कुल झे.पृष्ठ-५१ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.११००, आदि वाक्यः सिद्धत्थसिद्धसासणसिद्धत्थसुयं... भांता ३४, पृ. ७९, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१३मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९६. डीवीडी-६९/७८ भांता ३५, पृ. ८५, जीतकल्पूसत्रचूर्णि, वि-१२मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९५. डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम १००५७, पृ. १८, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००. कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १४९१०, पृ. २१, जीतकल्पचूर्णी, वि-१५३८, संपूर्ण जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक (विषमपद व्याख्या), (विषमपद टिप्पण) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२७, ग्रं.११२०, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १००५८, पृ. १७, जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि-(सं.)विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः शास्त्रारम्भे विघ्नोपशमनायेष्टदेवता १ गणधर २ स्थविर ३ प्रवचनानां यथाक्रमं।... कृ.विः कर्ता? चूर्णिनो हिस्सो छे? भांता ३६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१८, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७. 292 Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६९/७८ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णि प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः पगयवयणं ति वा पहाणवयणं ति वा पसत्थवयणे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. १०४, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ जीतकल्पसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२७४, ग्रं.१८००, आदि वाक्यः वन्दे वीरं तपोवीरं तपसादुस्तपेनन यः... पाताखेत ४५- पे.क्र. २, पृ. १-१४१, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि-१२९२, संपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य पंडित गुणचन्द्रजीए सं.१२९२ मां आ प्रत लखावीने आचार्य श्री अभयदेवसूरिने आपेल छे. प्रत विशेष- पत्र-२१८+१४१=३५९. कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९- पे.क्र. ८, पृ. ३२४-३५८, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- वचला अने छेल्ला पानाना टुकडा छे., लेखन संवत-१४५६. स्तम्भतीर्थे. डीवीडी-२२/४१ पाताहेसं १७३- पे.क्र. १, पृ. १-१४९, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ८५७, पृ. ३५, जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १००५९, पृ. २६, जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. १, पृ. १-३१, जीतकल्पवृत्तिसहितआदि, वि-१६मी, संपूर्ण - प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १४०२६, पृ. २८, यतिजितकल्प वृत्तिसह, वि-१६२६, संपूर्ण भांका ११७, पृ. ६२, जीतकल्पसूत्र विवरणलवसहित, वि-१६११, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९२. वृत्तिकर्ता श्री श्रीतिलकसूरि आपेल छे. डीवीडी-८४ जीतकल्पसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.६७७३, आदि वाक्यः जयति महोदयशाली... कृ.विः यतिजीतकल्पनी साधुरत्नसूरि कृत टीकार्नु अने आनुं आदिवाक्य भिन्न छे पण ग्रन्थाग्र जुदा छे. भांका २१८, पृ. १२०, जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९३. , गाथा-१०७. टीका ग्रन्थाग्र-६७७३. डीवीडी-८७ जीतकल्पसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १४, पृ. २८-३०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २९, पृ.७८-८२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ 293 Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)स्वोपज्ञ भाष्य गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.२६०६, आदि वाक्यः पवयण दुवालसङ्गं सामाइयमाइ बिन्दुसारन्तं... पातासंघवी ५८-१, पृ. १३०, जीतकल्पसूत्र सह स्वोपज्ञ भाष्य, अपूर्ण प्रत विशेष- पुण्यविजयजी द्वारा संपादित मुद्रित प्रत की तुलना में इस प्रत में मूल व भाष्यगाथाक्रम कम है. इनकी प्रस्तावना से स्पष्ट होता है कि पुण्यविजयजी ने इस प्रत का उपयोग संपादन में नहीं किया है. आद्यन्त भाग अपूर्ण. मूलगाथा-८ से मिल रही है. कुल झे.पृष्ठ-८७, डीवीडी-२९/४८ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णि प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः पगयवयणं ति वा पहाणवयणं ति वा पसत्थवयणे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. १०४, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमां अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी __ शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.११००, आदि वाक्यः सिद्धत्थसिद्धसासणसिद्धत्थसुयं... भांता ३४, पृ. ७९, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१३मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९६. डीवीडी-६९/७८ भांता ३५, पृ. ८५, जीतकल्पूसत्रचूर्णि, वि-१२मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९५. डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम १००५७, पृ. १८, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००. कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १४९१०, पृ. २१, जीतकल्पचूर्णी, वि-१५३८, संपूर्ण जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक (विषमपद व्याख्या), (विषमपद टिप्पण) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२७, ग्रं.११२०, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमां अहीं नाममां आदि शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १००५८, पृ. १७, जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि-(सं.)विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः शास्त्रारम्भे विघ्नोपशमनायेष्टदेवता १ गणधर २ स्थविर ३ प्रवचनानां यथाक्रमं|... कृ.विः कर्ता? चूर्णिनो हिस्सो छे? भांता ३६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१८, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७. डीवीडी-६९/७८ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)भाष्य 294 Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.२७१८, पाकाहेम १००५६, पृ. ५०, जीतकल्पसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२७०८. कुल झे.पृष्ठ-५१ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)स्वोपज्ञ भाष्य गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.२६०६, आदि वाक्यः पवयण दुवालसङ्गं सामाइयमाइ बिन्दुसारन्तं... पातासंघवी ५८-१, पृ. १३०, जीतकल्पसूत्र सह स्वोपज्ञ भाष्य, अपूर्ण प्रत विशेष- पूण्यविजयजी द्वारा संपादित मुद्रित प्रत की तुलना में इस प्रत में मूल व भाष्यगाथाक्रम कम है. इनकी प्रस्तावना से स्पष्ट होता है कि पुण्यविजयजी ने इस प्रत का उपयोग संपादन में नहीं किया है. आद्यन्त भाग अपूर्ण. मूलगाथा-८ से मिल रही है. कुल झे.पृष्ठ-८७, डीवीडी-२९/४८ जीतकल्पसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १४, पृ. २८-३०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २९, पृ. ७८-८२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ जीतकल्पसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२७४, ग्रं.१८००, आदि वाक्यः वन्दे वीरं तपोवीरं तपसादुस्तपेनन यः... पाताखेत ४५- पे.क्र. २, पृ. १-१४१, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि-१२९२, संपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य पंडित गुणचन्द्रजीए सं.१२९२ मां आ प्रत लखावीने आचार्य श्री अभयदेवसूरिने आपेल छे. प्रत विशेष- पत्र-२१८+१४१=३५९. कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९- पे.क्र.८, पृ. ३२४-३५८, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- वचला अने छेल्ला पानाना टुकडा छे., लेखन संवत-१४५६. स्तम्भतीर्थे. डीवीडी-२२/४१ पाताहेसं १७३- पे.क्र. १, पृ. १-१४९, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ८५७, पृ. ३५, जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १००५९, पृ. २६, जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. १, पृ. १-३१, जीतकल्पवृत्तिसहितआदि, वि-१६मी, संपूर्ण __ प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १४०२६, पृ. २८, यतिजितकल्प वृत्तिसह, वि-१६२६, संपूर्ण भांका ११७, पृ. ६२, जीतकल्पसूत्र विवरणलवसहित, वि-१६११, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९२. वृत्तिकर्ता श्री श्रीतिलकसूरि आपेल छे. डीवीडी-८४ जीतकल्पसूत्र-(सं.)वृत्ति ___ सं., गद्य, ग्रं.६७७३, आदि वाक्यः जयति महोदयशाली... कृ.विः यतिजीतकल्पनी साधुरत्नसूरि कृत टीकार्नु अने आनुं आदिवाक्य भिन्न छे पण ग्रन्थाग्र जुदा छे. 295 Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २१८, पृ. १२०, जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९३. , गाथा-१०७. टीका ग्रन्थाग्र-६७७३. डीवीडी-८७ जीतकल्पसूत्र-नव्य जुओ - यतिजीतकल्पसूत्र नव्य, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.३३३ जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि-(सं.)विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः शास्त्रारम्भे विघ्नोपशमनायेष्टदेवता १ गणधर २ स्थविर ३ प्रवचनानां यथाक्रमं ।... कृ.विः कर्त्ता? चूर्णिनो हिस्सो छे? भांता ३६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१८, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७. डीवीडी-६९/७८ जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक (विषमपद व्याख्या), (विषमपद टिप्पण) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२७, ग्रं.११२०, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी शुं ग्रहण करवू? कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १००५८, पृ. १७, जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ जीराउलागीतछन्द (पार्श्वनाथ छन्द) मारुगूर्जर, पद्य, गा.४, पाकाहेम १०७९१- पे.क्र. २, पृ. १-२, थम्भणपासविवाहलुं आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय जीराउलापार्श्वनाथस्तवन आचार्य-सुधानन्दसूरि, अप., पद्य, गा.४५, पाकाहेम ९७४९, पृ. २, जीराउलापार्श्वनाथस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ जीराउलापार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति जिराउला) सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः श्रीवामेयं विधुमधु पाकाहेम ७३९६- पे.क्र. १, पृ. १, जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जीराउलारास (पार्श्वनाथ जीराउलारास) कवि-देपाल, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३१, पृ. ७१-७३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४५, पृ. १४२-१४६, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ जीरापल्लिस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन जिरापल्लि) अप., पद्य, गा.१५. 296 Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३२९- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण जीरापल्लीपार्श्वजिनस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति जीरापल्ली) आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, का.४५, आदि वाक्यः प्रभु जीरिकापल्लि... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३५, पृ. २१९-२२२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ जीर्णोद्धारे भुवनकथा जुओ - भुवनकथा जीर्णोद्धारे, संस्कृत जीवगुणस्थान १४ प्रभेद निरूपण (मार्गणास्थान) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सव्वगुणाणं ठाण भुवणपहाणे विसुद्धतममाणे... भांता ६९- पे.क्र. ६, पृ. ५५०-६१B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ जीवदयाकुलक गणि-सोममण्डन, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१५, पाकाहेम ९४३२, पृ. १, जीवदयाकुलक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ जीवदयाकुलक प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ११०८२- पे.क्र. १, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण जीवदयाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.११६, आदि वाक्यः संसयतिमिरपयङ्गं भवियायणकुमुयपुन्निमाइन्दं... पाताखेत १२- पे.क्र. २१, पृ. २२०-२३१, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अत्रे गाथा ११२ छे. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४५- पे.क्र. १०, पृ. १०७-११४, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१११. प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.५, पृ. ६०B-६८-, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. नाम- जीवदयापगरण, पे. विशेष- अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्रांक ६४,६५, ६७ व अन्त के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र २३-२५ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १५१- पे.क्र.६, पृ. ९६-१०५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ९४ थी १०५ छे. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र.८, पृ. १६०-१७४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११४. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४१-२- पे.क्र.५, पृ. ८३-९३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ 297 Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १५६-१- पे.क्र.८, पृ. १०९-११८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण __ डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८४-१- पे.क्र.८, पृ. १४३-१५३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१११ सुधी छे. अपूर्ण. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११४-पे.क्र. २१, पृ. १८७-१९५, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११३. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १८, पृ. २००-२०९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११३. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ___कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ भांता २५- पे.क्र.५, पृ. १५४B-१६५A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण __ प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र.५, पृ. १५४B-१६५A, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- जीवदयापगरण, पे. विशेष- गाथा-११२. झेरोक्ष पत्र-४४-४७. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ तालाद ३४३- पे.क्र. ३, पृ. ११७-१३२, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. ६, पृ. १२०A-१३२B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१११. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ५, पृ. ४६-५०, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भांका १६१- पे.क्र. २, पृ. ११A-१५A, प्रवचनसन्दोह, जीवदयाप्रकरण व गाथाकोश, वि-१७८९, संपूर्ण पे. नाम- जीवदयापगरण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-८२०/९५-१९०२ कुल झे.पृष्ठ-१४, डीवीडी-८६ जीवदयाविषये दामन्तककथा (दामन्तककथा जीवदयाविषये) सं., पद्य, श्लोक१०४, पातासंघवी १२९- पे.क्र. ३, पृ. ३०-३९, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ जीवद्रव्य तथा कालद्रव्य स्वरुपविचार (कालद्रव्य तथा जीवद्रव्य स्वरूपविचार) सं., गद्य, पाकाहेम ८३८५, पृ. २, जीवद्रव्य तथा कालद्रव्य स्वरूपविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ जीवपरलोकास्तित्वस्थापनवादस्थल सं., पाकाहेम ८७९६- पे.क्र. २, पृ. ३-४, धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल आदि, वि-१७०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ जीवविचारप्रकरण 298 Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-शान्तिसूरि, प्रा., पद्य, गा.५१, आदि वाक्यः भुवणपईवं वीरं नमिऊण भणामि अबुहबोहत्थं । पाताखेत १२- पे.क्र.२९, पृ. २७३-२७८, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १४, पृ. २७३-२८०, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ६, पृ. ९२-९७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र.१, पृ. २-८, जीवविचार आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २४, पृ. २२१-२२४, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३३, पृ. २०९-२११, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र २०५, २०८ नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र.७, पृ. ४९-५२, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १२, पृ. १४२-१४६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २६, पृ. २४१-२४६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र. १०, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १९, पृ. १९२-१९५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र.७, पृ. -५९-, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-३६ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३९-४० पर बीजक दिया हुआ है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ तालाद ३३९- पे.क्र. १, पृ. ५५-५९, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ डतामुक्ता ४६२, पृ. ४, जीवविचार, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १५, पृ. ३४-३५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम २७२६- पे.क्र. ३, पृ. ५-८, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण 299 Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ४, पृ. ४४-४६, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५२. ___ कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६९५३, पृ. ४, जीवविचारप्रकरण सटीक, वि-१६४४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम ६९५४- पे.क्र. २, पृ. ?, नवतत्त्वप्रकरण आदि, वि-१७५७, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. २, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र.७, पृ. ९५-९८, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०५६६, पृ. २, जीवविचारप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १०५७६, पृ. १०, जीवविचारप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९मुं नथी. जीवविचारप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, कृ.विः ईश्वराचार्य कृत वृत्यनुसारिणी. पाकाहेम ६९५३, पृ. ४, जीवविचारप्रकरण सटीक, वि-१६४४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ जीवविचारप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २७२६- पे.क्र.३, पृ. ५-८, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५७६, पृ. १०, जीवविचारप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९मुं नथी. जीवविचारप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २७२६- पे.क्र. ३, पृ. ५-८, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५७६, पृ. १०, जीवविचारप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९मुं नथी. जीवविचारप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, कृ.विः ईश्वराचार्य कृत वृत्यनुसारिणी. पाकाहेम ६९५३, पृ. ४, जीवविचारप्रकरण सटीक, वि-१६४४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ जीवविभक्ति (जीवविभत्ति) गणि-जिनचन्द्र गणि, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिऊण चलणजुयलं वीरजिणिन्दस्स लोगनाहस्स... पाताहेसं ११३- पे.क्र. १०, पृ. १६१-१६३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- जीवभक्ति कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ जीवविभत्ति जुओ - जीवविभक्ति, गणि-जिनचन्द्र गणि, प्राकृत, गा.२५ जीवसङ्ख्याप्रकरण 300 Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः नमिउं नेमिं एगाइ जीवसङ्ख... तालाद ३४९- पे.क्र. १, पृ. १B-२B, सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९४/९६ जीवसत्तरी जुओ - जीवसप्तति, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.७१ जीवसप्तति (जीवसत्तरी) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७१, आदि वाक्यः उसभाइए जिणिन्दे पत्तेयमणन्तगुणनिही नमिउं... भांता ६९- पे.क्र. ९, पृ. ८०A-८७A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- जीवसत्तरी प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ जीवसमासप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२७०, आदि वाक्यः दस चोदस य जिणवरे चोद्दसगुणजाणए नमंसिता... पातासंघवी २००-२- पे.क्र. १, पृ. १-३५, जीवसमास आदि, वि-११९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३५ पछी नथी. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ११८१, पृ. ९, जीवसमासप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८३. कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ११८२, पृ. १४०, जीवसमासप्रकरण सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९५१, पृ. ११७, जीवसमासप्रकरण बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५२६, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-६६२०., कुल झे.पृष्ठ-१४१ पाकाहेम ६९५२, पृ. १६, जीवसमासप्रकरण मूल, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ भांका २६६, पृ. १११, जीवसमासप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१५११, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८६. झेरोक्ष पत्रांक-१ ना मूलपत्र २B-३B नुं उन्धु झेरोक्ष थएल छे. झेरोक्ष पत्र १३-१४ नथी. झेरोक्ष पत्र ११-१२ डुप्लिकेट छे. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९० जीवसमासप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.६६२७, आदि वाक्यः यः स्फारकेवलकरैर्जगतां निहत्य हार्द तमः प्रकटिताखिलतत्त्ववस्तुः।... पाकाहेम ११८२, पृ. १४०, जीवसमासप्रकरण सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९५१, पृ. ११७, जीवसमासप्रकरण बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५२६, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-६६२०., कुल झे.पृष्ठ-१४१ भांका ८१, पृ. १५, जीवसमासप्रकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-७३/८३ भांका २६६, पृ. १११, जीवसमासप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१५११, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८६. झेरोक्ष पत्रांक-१ ना मूलपत्र २B-३B नुं उन्धु झेरोक्ष थएल छे. झेरोक्ष पत्र १३-१४ नथी. झेरोक्ष पत्र ११-१२ डुप्लिकेट छे. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९० जीवसमासप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.६६२७, आदि वाक्यः यः स्फारकेवलकरैर्जगतां निहत्य हार्द तमः प्रकटिताखिलतत्त्ववस्तुः।... 301 Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११८२, पृ. १४०, जीवसमासप्रकरण सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९५१, पृ. ११७, जीवसमासप्रकरण बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५२६, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-६६२०., ___कुल झे.पृष्ठ-१४१ भांका ८१, पृ. १५, जीवसमासप्रकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-७३/८३ भांका २६६, पृ. १११, जीवसमासप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१५११, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८६. झेरोक्ष पत्रांक-१ ना मूलपत्र २B-३B नुं उन्धु झेरोक्ष थएल छे. झेरोक्ष पत्र १३-१४ नथी. झेरोक्ष पत्र ११-१२ डुप्लिकेट छे. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९० जीवसम्बोधकुलक प्रा., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः रे जीव किं सुमिरिहि चउगइ संसारसागरे भीमे... भांका ११०- पे.क्र. ३, पृ. ३B-४A, मिथ्यात्वपरिहार, एगुणतीसी भावना व जीवसम्बोध कुलक, संपूर्ण पे. नाम- जीवसंबोधकुलं प्रत विशेष- लिखावट सुन्दर है. कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८४ जीवस्थापनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ६९७०- पे.क्र.३, पृ. ?, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ जीवस्वरुपस्थापनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२६, पाकाहेम ११०४१, पृ. १, जीवस्वरूपस्थापनाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण जीवानुशासन आचार्य-वीरदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १९, पृ. ११२-११३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ जीवानुशासन प्राभातिक जुओ - प्राभातिक जीवानुशासन, आचार्य-वादिदेवसूरि, प्राकृत, गा.२३ जीवानुशासनकुलक जुओ - एगुणतीसी भावना, प्राकृत, गा.३० जीवानुशासनप्रकरण आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, पाताहेसं १०३, पृ. २१७, जीवानुशासनप्रकरण स्वोपज्ञ टीका सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ जीवानुशासनप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ टीका आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १०३, पृ. २१७, जीवानुशासनप्रकरण स्वोपज्ञ टीका सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ जीवानुशासनप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ टीका आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १०३, पृ. २१७, जीवानुशासनप्रकरण स्वोपज्ञ टीका सहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ जीवानुशास्तिकुलक (जीवानुसट्ठिकुलक) मुनि-जिनसूर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सुधानन्दनसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः जिणेसराणं पयपङ्कयायिं 302 Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ६- पे.क्र. १०, पृ. १०६-११०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- जीवानुशास्तिप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-३२. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १२, पृ. ६७-६९, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. १२, पृ. ३१-३२, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ जीवानुशास्तिकुलक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ जीवानुशास्तिसन्धि आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः जस्स पहाणज्जवि तवसिरिसमलङ्किया जिया हुन्ति... पाताखेत ६- पे.क्र. २९, पृ. १७६-१७९, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ जीवानुसट्ठि सन्धि अप., पद्य, पातासंघवी ५५-३- पे.क्र. २, पृ. ८५-९२, आराधना कुलक आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ जीवानुसट्ठिकुलक जुओ - जीवानुशास्तिकुलक, मुनि-जिनसूर, प्राकृत, गा.३३ जीवानुसट्ठिकुलक जुओ - क्षमाकुलक, आचार्य-यशोघोषसूरि, प्राकृत, गा.२५ जीवाभिगमसूत्र प्रा., गद्य, ग्रं.४७००, पातासंघवी १०- पे.क्र. १, पृ. १-१२३, जीवाभिगमसूत्र तथा वृत्ति, वि-१४४४, संपूर्ण डीवीडी-२१/४० पाकाहेम १००१४, पृ. ८८, जीवाभिगमउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. १००००ना टिप्पण प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-८८ पाकाहेम १०१३०, पृ. ११४, जीवाभिगमउपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाईने चोंटी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-११५ पाकाहेम १०५६१, पृ. १०९, जीवाभिगमोपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाभाभा ७, पृ. ९१, जीवाभिगमोपाङ्गसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा १२, पृ. ९९, जीवाभिगमोपाङ्गसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण जीवाभिगमसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१२००, पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. ३, पृ. ८२-१६७, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ जीवाभिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१४०००, पातासंघवी १०- पे.क्र. २, पृ. १२४-३७१, जीवाभिगमसूत्र तथा वृत्ति, वि-१४४४, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण छे-वचमां जीर्ण. डीवीडी-२१/४० 303 Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १४८५४, पृ. २३८, जीवाभिगम सूत्र वृत्ति, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्ठमां समोवसरण- चित्र छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाभाभा १३, पृ. २५०, जीवाभिगमोपाङ्गवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४ तथा १५ भेगां छे. जीवाभिगमसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.७, पृ. ६-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण _कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २७, पृ. ७४७६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ जीवाभिगमसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.७, पृ. ६-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २७, पृ. ७४७६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ जीवाभिगमसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१२००, पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. ३, पृ. ८२-१६७, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ जीवाभिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१४०००, पातासंघवी १०- पे.क्र. २, पृ. १२४-३७१, जीवाभिगमसूत्र तथा वृत्ति, वि-१४४४, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण छे-वचमां जीर्ण. डीवीडी-२१/४० पाकाहेम १४८५४, पृ. २३८, जीवाभिगम सूत्र वृत्ति, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्ठमां समोवसरण- चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाभाभा १३, पृ. २५०, जीवाभिगमोपाङ्गवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४ तथा १५ भेगां छे. जीवास्तित्ववादस्थल सं., पाकाहेम ८८०५- पे.क्र. २, पृ. १-२, षड्दर्शनस्वरूप आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जीवास्तिवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः इह केचिदनादिमहामिथ्यात्ववासनाग्रहग्रहिलान्तः... भांका २९२- पे.क्र.९, पृ. १७A-१८A, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ जीवोपदेशपञ्चाशिका (धम्मारिहकुलक), (धर्मार्थकुलक) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जिणिन्दचन्दाणकमारविन्दे वन्दित्तु सङ्कदप्पवन्ददणिज्जे... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २, पृ. ८-१६, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण पे. नाम- विशुद्धधर्मयोग्य जीवोपदेशपंचाशिका 304 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २, पृ. २-४, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. नाम- शुद्धधर्मयोग्यजीवोपदेशपञ्चाशिका कुल झे.पृष्ठ-३५ जीवोपलम्भपञ्चाशिका जुओ - जीवोपालम्भकुलक, अज्ञात-नेमिकुमार, प्राकृत, गा.२५ जीवोपालम्भकुलक जुओ - जीवोपालम्भकुलक, अज्ञात-नेमिकुमार, प्राकृत, गा.२५ जीवोपालम्भकुलक (जीवोपलम्भपञ्चाशिका), (जीवोपालम्भकुलक) नेमिकुमार, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः (१) धम्मोवएसजुत्तं उवलम्भं तस्स जीव! दाहामि ।(२) वन्दे सव्वन्नुनाहस्स सव्वकल्लाणकारणं... पाताखेत २३- पे.क्र. १४, पृ. ३३२-३३३, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १७, पृ. ६६-७०, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशकुलक कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र.७, पृ. ६०-६२, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. ११, पृ. २०२-२०५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- आदि-धम्मोवएस गुत्तं... डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११३- पे.क्र. ९, पृ. १५८-१६१, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण ___कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ७, पृ. २८-२९, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ जैत्रपुरमण्डन-वीरजिनस्तोत्र जुओ - वीरजिनस्तोत्र-जैत्रपुरमण्डन, मुनि-रत्नसिंह, संस्कृत, श्लोक८ जैन सिद्धान्तस्तवन जुओ - सिद्धान्तस्तवन, आचार्य-जयशेखरसूरि, प्राकृत, गा.११ जैनचैत्यस्तुति जुओ - शास्वताशास्वतचैत्यस्तवन, संस्कृत, श्लोक९ जैनधर्मप्राचीनताविचार सं., गद्य, पाकाहेम ९५७०, पृ. १, जैनधर्मप्राचीनताविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ जैनमेघदूतमहाकाव्य आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., पद्य, श्लोक४१८, पाकाहेम २६६१, पृ. १०, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम २६६२, पृ. २६, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टीका, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ जैनमेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका आचार्य-शीलरत्नसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९१, पाकाहेम २६६२, पृ. २६, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टीका, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ जैनमेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण 305 Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम २६६१, पृ. १०, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-८ जैनमेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम २६६१, पृ. १०, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टिप्पणी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-८ जैनमेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका आचार्य-शीलरत्नसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९१, पाकाहेम २६६२, पृ. २६, जैनमेघदूतमहाकाव्य सह टीका, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ जैनरक्षास्तोत्र सं., पद्य, श्लोक१८, पाकाहेम ८२५२, पृ. १, जैनरक्षास्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ११२९३- पे.क्र. २, पृ. १, परमेष्ठिअष्टक आदि, वि-१९०८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७. प्रत विशेष- सूचिपत्र में मुद्रण दोष से प्रत क्रमांक-१११९३ दिया है. कुल झे.पृष्ठ-३ जैनसामुद्रिकशास्त्र (सामुद्रिकशास्त्र) सं., पद्य, श्लोक१२६, आदि वाक्यः आदिदेवं प्रणम्यादौ... कृ.विः सामुद्रिकशास्त्र-नारदीय अने आ बन्ने एक छे? पाकाहेम २७९६, पृ.७, जैनसामुद्रिकशास्त्र, वि-१६५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम २७९७, पृ. १९, जैनसामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ जैनसामुद्रिकशास्त्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक७००, पाकाहेम २७९७, पृ. १९, जैनसामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ जैनसामुद्रिकशास्त्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक७००, पाकाहेम २७९७, पृ. १९, जैनसामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ जैनसिद्धान्तस्तव जुओ - जैनागमस्तव, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, का.४६ जैनागमविचारसारसङ्ग्रह सं.प्रा., पद्य, श्लोक७११३, पाकाहेम १६४०, पृ. १५४, जैनागमविचारसारसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- शुभविजय शिष्य वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति.पत्र ७३मुं अने ७४ मुं नथी.११७ मुं तथा ११८ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०० जैनागमस्तव (जिनागमस्तव), (जैनसिद्धान्तस्तव), (सिद्धान्तस्तवन), (आगमस्तवन) 306 Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, का. ४६, आदि वाक्य: नत्वा गुरुभ्यः श्रुत..... पाकाहेम ७३०७ - पे.क्र. १२, पृ. १९मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल . पृष्ठ १७ झे पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. ४, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३८१- पे क्र. १, पृ. ३. जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम जैनागमस्तव सह (सं.) टीका, पे. विशेष पंचपाठ. - पाकाहेम १२३८२, पृ. २, जिनागमस्तवन, वि-१६६५, संपूर्ण पाकाहेम १२३८३, पृ. १, सिद्धान्तस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण जैनागमस्तव- (सं.) टीका मुनि - विशालराजशिष्य, सं., पाकाहेम ८२१२, पृ. २, जैनसिद्धान्तस्तवावचूर्णि वि-१७मी, संपूर्ण गद्य, कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२३८१- पे क्र. १ पृ. ३ जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम जैनागमस्तव सह (सं.) टीका, पे. विशेष पंचपाठ. पाकाहेम १२३८३, पृ. २ सिद्धान्तस्तव सावचूरि पञ्चपाठ वि-१६मी संपूर्ण जैनागमस्तव - (सं.) टीका - मुनि - विशालराजशिष्य, सं., गद्य, पाकाहेम ८२१२, पृ. २, जैनसिद्धान्तस्तवावचूर्णि वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२३८१- पे.क्र. १, पृ. ३, जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम - जैनागमस्तव सह (सं.) टीका, पे. विशेष- पंचपाठ. पाकाहेम १२३८३ पृ. २, सिद्धान्तस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण जोइसकरण्डक जुओ- ज्योतिष्करण्डकसूत्र, आचार्य पादलिप्तसूरि, प्राकृत, ग्रं.४०५ जोगविहि जुओ योगविधि, प्राकृत, गा.६४ झासयय जुओ- ध्यानशतकप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा. १०६ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र (णायाधम्मकहाओ), (नायाधम्मकहाओ) "" आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं. ५०००, आदि वाक्यः (१) तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा णाम णगरी कोणिए णामं राया होत्था।... (२) पञ्चमअद्गस्स विवाहपन्नत्तीए अयमट्ठे पण्णत्ते । छट्ठस्स णं अद्ङ्गस्स भन्ते ! णायाधम्मकहाणं... पातासंघवी ४२ पे.क्र. १ पृ. १४४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष सारी छे. प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका झेरोक्ष पत्र २, ६, १०, १०, १३ ४२ अने ८१ डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- १३२, डीवीडी - २६/४५ पाताहेसं ५ पे. क्र. १, पृ. ३२-१५९ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सह टीका- अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-१/११ भांता ५२ पे क्र. १, पृ. ५- १६५ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति सचित्र वि १२९३. संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२५. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१२५, १-१३१. डीवीडी-७१/८१ लिंता ३४१८, पृ. १९२, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३३० अने ३३३ नथी., पाकाहेम १०९, पृ. ८५. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि- १४७७, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तमां सा पर्वते लखावेल एकादश अङ्गनी विस्तृत प्रशस्ति छे. कुल झे. पृष्ठ ८४ 307 Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६८९९, पृ. १३३. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि- १६६४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३३ पाकाहेम ६९००, पृ. १३. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१९मी अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - १४ पाकाहेम ६९०१, पृ. १४३ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २५थी २९ ३१ थी ३३ आने ११० थी१२५ नथीछे. कुल झे. पृष्ठ- १४४ पाकाहेम १०००१, पृ. ८५, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण - प्रत विशेष प्रथम पत्रमां मेघकुमारनी प्रव्रज्याना भावने सूचवता चित्र सहित समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पाकाहेम १०२८९, पृ. १६१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र - ५२०० पत्र ३४मुं. १०३, १४२, १४३मुं डबल छे तथा १३० नथी. कुल डी. पृष्ठ- १६१ पाकाहेम १०३१०, पृ. ९२ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि-१५६७, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ-९३ पाकाहेम १०३११, पृ. ३६. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि-१५४९ संपूर्ण प्रत विशेष प्रतिना अंतमां २१ श्लोकनी विस्तृत प्रशस्ति छे - कुल डी. पृष्ठ-४७ पाकाहेम १०४६६, पृ. १९३ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अर्थसहित वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५००. कुल झे. पृष्ठ- १०४ पाकाहेम १०४६७, पृ. ९१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१५५२, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९३ पाकाहेम १०५३१, पृ. १११ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ- ११० पाकाहेम १०५३२, पृ. ९० ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि- १५५९, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-९१ पाकाहेम १०५३३, पृ. १५६ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६० पाकाहेम १०५५९ पृ. १३१, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वि-१७मी संपूर्ण पाकाभाभा ६५ पृ. ७८, ज्ञाता धर्मकथाङ्गसूत्र वि-१७वी संपूर्ण ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र (सं.) वृत्ति · आचार्य - अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं.४३६६, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षितः । ... पातासंघवी ४२ - पे.क्र. २, पृ. १२३, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष सारी छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. झेरोक्ष पत्र- २, ६, १०, १०, १३, ४२ अने ८१ डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- १३२, डीवीडी - २६/४५ पाताहेसं ५- पे.क्र. २, पृ. १६० - २१७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सह टीका- अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-१/११ भांता ५२- पे.क्र. २, पृ. १६६-३०२, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति - सचित्र, वि- १२९३, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३१. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १- १२५, १-१३१. " 308 Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-७१/८१ लिंता ३४१९, पृ. १५७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३३० अने ३३३ नथी. पाकाहेम १२५, पृ. ११७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६१८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११८ पाकाहेम ६९०२, पृ. ९१, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६५६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९१ पाकाहेम १०००२, पृ. ७०, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-३७००. प्रथम पत्रमा प्रव्रज्याने माटे उत्सुक मेघकुमारने तेनी आठ पत्निओ समजावी रही छे ते भावने सूचवतुं हृदयंगम चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-७१ पाकाहेम १०४१३, पृ. ८९, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३८००. कुल झे.पृष्ठ-८९ पाकाभाभा २८, पृ. ९७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा २९, पृ. ७२, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०१, संपूर्ण ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४६६, पृ. १९३, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अर्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५००. कुल झे.पृष्ठ-१०४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसङ्ग्रहणी प्रा., आदि वाक्यः महुरेहिं निउणेहिं वयणेहिं... पाकाहेम ६७५, पृ. ५, ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ४, पृ. २०-२B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसग्रहणी-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ६७५, पृ. ५, ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४६६, पृ. १९३, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अर्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५००. कुल झे.पृष्ठ-१०४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं.४३६६, आदि वाक्यः नत्वा श्रीमन्महावीरं प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षितः।... पातासंघवी ४२- पे.क्र.२, पृ. १२३, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. , झेरोक्ष पत्र-२, ६, १०, १०, १३, ४२ अने ८१ डबल छे. 309 Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल हो. पृष्ठ- १३२ डीवीडी - २६/४५ पाताहेसं ५- पे.क्र. २, पृ. १६० - २१७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र सह टीका - अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-१/११ भांता ५२- पे.क्र. २, पृ. १६६-३०२, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, वृत्ति - सचित्र, वि- १२९३, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३१. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.१-१२५, १-१३१. डीवीडी-७१/८१ लिंता ३४१९, पृ. १५७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३३० अने ३३३ नथी. पाकाहेम १२५, पृ. ११७, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६१८, संपूर्ण - कुल झे. पृष्ठ- ११८ पाकाहेम ६९०२, पृ. ९१, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६५६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९१ पाकाहेम १०००२, पृ. ७०, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-३७०० प्रथम पत्रमां प्रव्रज्याने माटे उत्सुक मेघकुमारने तेनी आठ पत्निओ समजावी रही छे ते भावने सूचवतुं हृदयंगम चित्र छे.. कुल झ. पृष्ठ-७१ पाकाहेम १०४१३, पृ. ८९ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३८००. कुल ३, पृष्ठ-८९ पाकाभाभा २८, पृ. ९७ ज्ञाताधर्मकथासूत्रवृत्ति, वि-१६वी संपूर्ण पाकाभाभा २९, पृ. ७२, ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति, वि - १६०१, संपूर्ण ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसङ्ग्रहणी प्रा., आदि वाक्यः महुरेहिं निउणेहिं वयणेहिं ... पाकाहेम ६७५, पृ. ५. ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ४, पृ. २A - २B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी संपूर्ण . प्रत विशेष पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे पत्र ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झ. पृष्ठ-४१ झे. ज्ञानकल्याणकस्तव · ज्ञाताधर्मकथागोपनयसङ्ग्रहणी (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम ६७५, पृ. ५. ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गोपनयसङ्ग्रहणी- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम ६७५. पृ. ५. ज्ञाताधर्मकथाङ्गदृष्टान्तसङ्ग्रहणी सह टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ ज्ञानचन्द्रोदयनाटक श्लोकबद्ध सं., पद्य, श्लोक १७ आदि वाक्यः केवलालोक सङ्क्रान्तं विश्वत्रय..... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ८, पृ. ३-४, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ उपाध्याय- पद्मसुन्दर[नागपुर तपागच्छ], सं., पद्य, 310 Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७३८२, पृ. २४, ज्ञानचन्द्रोदयनाटक श्लोकबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ ज्ञानपञ्चकभेदसङ्ख्यास्तव आचार्य-जिनकीर्तिसूरि[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक१३, पाकाहेम ११०१९, पृ. १, ज्ञानपञ्चकभेदसङ्ख्यास्तव, वि-१५३१, संपूर्ण ज्ञानपञ्चकविवरणप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२६, पाकाहेम ११०२०, पृ. १, ज्ञानपञ्चकविवरणप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण ज्ञानपञ्चमी कथा आचार्य-महेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.२०००, पातासंघवी ७०-१, पृ. २०७, ज्ञानपञ्चमी कथा, पूर्ण प्रत विशेष- अंतमां थोडा पत्र नथी. डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी १८२-२, पृ. २१४, ज्ञानपञ्चमीकथा, वि-१३१३, संपूर्ण प्रत विशेष- विशलदेवना राज्यमां नागड मंत्रीना वखते लखी छे. डीवीडी-३७/५४ ज्ञानपञ्चमीस्तुति जुओ - पञ्चमीस्तुति, संस्कृत, का.४ ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः उच्छलियविमलकिरणा पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७४, पृ. १३०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः लोयालोयपयासय पाकाहेम १०२३- पे.क्र.७५, पृ. १३०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः असुरवरखयरसुरविसर पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७६, पृ. १३०-१३१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ ज्ञानपञ्चमीस्तोत्र आचार्य-मुनिरत्नसूरि, प्रा., पद्य, गा.२७, आदि वाक्य: नमवि सिरिनेमिजिणनाहपयपङ्कए पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७७, पृ. १३१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ ज्ञानप्रकाश मारुगूर्जर, पाताहेसं १६१- पे.क्र. ५१, पृ. ?, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- अन्तिम आवरण पत्र. झेरोक्ष पत्र- १७९-१८०. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ ज्ञानप्रकाशकुलक 311 Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.११३, आदि वाक्यः देवहं देवु सु जगी जयउ तिहुयणगुरू जिणराउ... पातासंघवी १६४- पे.क्र. १०, पृ. २३४-२४६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११४. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १६, पृ. १३७-१४३, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० ज्ञानबिन्दु अताका ४९२, पृ.?, ज्ञानबिन्दु, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (यशो वि.ए पोताना हस्ताक्षर मां लखेली प्रतनी झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ ज्ञानरत्नोपाख्यान-मलयसुन्दरीचरित्र जुओ - मलयसुन्दरीचरित्र-ज्ञानरत्नोपाख्यान, आचार्य-जयतिलकसूरि, संस्कृत, ग्रं.२४३० ज्ञानसार अष्टक उपाध्याय-यशोविजयजी गणितपागच्छीय], सं.अध्याय३२, आदि वाक्यः ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन लीलालग्नमिवाखिलम्... कृ.विः ३२ अष्टक. पाकाहेम ७८६३, पृ. ४, ज्ञानसार टिप्पणीसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ११३६८- पे.क्र. १, पृ. १-४५, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानसार अष्टक सह (मा.गु.)स्वोपज्ञ टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-५७ पाकाहेम १७६८९, पृ. ७७, ज्ञानसार बालावबोध सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाभाभा २९९, पृ. ३१, ज्ञानसार स्वोपज्ञ बालावबोधसह, वि-१८६१, संपूर्ण ज्ञानसार अष्टक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ७८६३, पृ. ४, ज्ञानसार टिप्पणीसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ ज्ञानसार अष्टक-(मा.गु.)बालावबोधार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७६८९, पृ. ७७, ज्ञानसार बालावबोध सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ ज्ञानसार अष्टक-(मा.गु.)टबार्थ उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः ऐन्द्रवृन्दनतं नत्वा वीरं तत्त्वार्थदेशिम्... पाकाहेम ११३६८- पे.क्र. १, पृ. १-४५, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानसार अष्टक सह (मा.गु.)स्वोपज्ञ टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-५७ ज्ञानसार अष्टक-(मा.गु.)बालावबोध उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा २९९, पृ. ३१, ज्ञानसार स्वोपज्ञ बालावबोधसह, वि-१८६१, संपूर्ण ज्ञानसार अष्टक-(मा.गु.)टबार्थ उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः ऐन्द्रवृन्दनतं नत्वा वीरं तत्त्वार्थदेशिम्... पाकाहेम ११३६८ - पे.क्र. १, पृ. १-४५, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानसार अष्टक सह (मा.गु.)स्वोपज्ञ टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-५७ 312 Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञानसार अष्टक - (मा.गु.) बालावबोधार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७६८९, पृ. ७७, ज्ञानसार बालावबोध सह संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४३ ज्ञानसार अष्टक - (मा.गु.) बालावबोध उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभामा २९९ पृ.३१ ज्ञानसार स्वोपज्ञ बालावबोधसह वि-१८६१, संपूर्ण ज्ञानसार अष्टक- (सं.) टिप्पण ज्ञानार्णव ज्ञानाङ्कुश कृति उपरथी प्रत माहिती , सं., गद्य, पाकाहेम ७८६३, पृ. ४, ज्ञानसार टिप्पणीसहित वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः महात्मनां सत्त्ववशाद्यवस्थितिर्दृढा परिज्ञानसमाहितात्मनां... पातासंघवी १७४- पे. क्र. ७, पृ. ८४-८६. योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण ज्ञानार्णवसारोद्धार पे. नाम- ज्ञानांकुशप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक ८५ ( श्लोक-११से२०) नहीं है. झेरोक्ष पत्र - ३१-३२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे. पृष्ठ- १५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६७-१- पे. क्र. ९, पृ. १८-२०, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ आचार्य शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., पातासंघवी १४६-१- पे. क्र. ७, पृ. १३५-१४८, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ 7 ज्ञानार्णवसारोद्धार (सं.) टिप्पणी आचार्य शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं. ग्रं.६२२, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९५ ज्ञानार्णवप्रकरण सं. गद्य, पाकाहेम १४८९६ पृ. ९५. ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवप्रकरण (सं.) स्वोपज्ञ विवरण उपाध्याय-यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], सं., पद्य, आदि वाक्यः ऐन्दवीं तां कलां स्मृत्वा धीमान्यायविशारदः .... अताका ४७९ - पे. क्र. १, पृ. १-३२, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर-४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. कुल झे. पृष्ठ- २५, डीवीडी - १०३/१०४ उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्पष्टः तत्र पूर्वं ज्ञानानि निरूपयितुं .... अताका ४७९ पे. क्र. १, पृ. २५. ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे नाम ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे विशेष अपूर्ण श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर- ४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. 313 Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-१०३/१०४ ज्ञानार्णवप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्पष्टः तत्र पूर्वं ज्ञानानि निरूपयितुं... अताका ४७९- पे.क्र.१, पृ. २५, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर-४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-१०३/१०४ ज्ञानार्णवसारोद्धार आचार्य-शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., ग्रं.६२२, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवसारोद्धार-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवसारोद्धार-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञापकसमुच्चय जैनेतर-पुरुषोत्तमदेव, सं., पाकाहेम ७३१५, पृ. २३, ज्ञापकसमुच्चय, वि-१६८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ ज्योतिष करणादि नाम य चतुर्थ पर्व प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बवं च बालवं चेव कोलवन्थि विलोयणं... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १९, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. गाथा ६ तक मिलती है. झेरोक्ष पत्र ८८-८९ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. __ कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० ज्योतिषमन्त्रऔषधसङ्ग्रह सं.,मारुगूर्जर, पाकाहेम ८९२३, पृ. ३, ज्योतिष-मन्त्र-औषधसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ ज्योतिषरत्नमाला श्रीपति, सं.. पाकाहेम १०७२३, पृ. ३३, ज्योतिषरत्नमाला, वि-१५९३, संपूर्ण ज्योतिषविषयकश्लोक सं., पद्य, आदि वाक्यः यस्मिन् रिक्षे भवेत्... तालाद ३४३- पे.क्र. ६, पृ. १-४, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ ज्योतिष्करण्डकसूत्र (जोइसकरण्डक) आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., ग्रं.४०५, आदि वाक्यः (१) कातूण णमोक्कारं जिणवरवसभस्स वद्धमाणस्स। जोतीसकरण्डगमिणं लीलावट्टीव लोगस्स...(२) सुण ताव सूरपण्णत्तिवण्णणं वित्थरेण जं निउणं... (गाथा६)(३) णते भावनियत्तं जोतिस चक्कं... (गाथा-१२) 314 Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६५७२, पृ. ६३, ज्योतिष्करण्डक सटीक, वि-१४८८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-६५ पाकाहेम १००९३, पृ. ७४, ज्योतिष्करण्डकसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५४३७. कुल झे.पृष्ठ-७४ भांका २२९, पृ. १४५, ज्योतिष्करण्डक सह टीका, वि-१६४०, संपूर्ण __ प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९३. ग्रन्थाग्र-५५००. डीवीडी-८८ ज्योतिष्करण्डकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, आदि वाक्यः स्पष्टं चराचरं विश्वं जानीते यः प्रतिक्षणं... पातासंघवीजीर्ण ६९- पे.क्र. १, पृ. २-३०७, ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक __ प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण __ डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६५७२, पृ. ६३, ज्योतिष्करण्डक सटीक, वि-१४८८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-६५ पाकाहेम १००९३, पृ. ७४, ज्योतिष्करण्डकसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५४३७. कुल झे.पृष्ठ-७४ भांका २२९, पृ. १४५, ज्योतिष्करण्डक सह टीका, वि-१६४०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९३. ग्रन्थाग्र-५५००. डीवीडी-८८ ज्योतिष्करण्डकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, आदि वाक्यः स्पष्टं चराचरं विश्वं जानीते यः प्रतिक्षणं... पातासंघवीजीर्ण ६९- पे.क्र. १, पृ. २-३०७, ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६५७२, पृ. ६३, ज्योतिष्करण्डक सटीक, वि-१४८८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-६५ पाकाहेम १००९३, पृ. ७४, ज्योतिष्करण्डकसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५४३७. कुल झे.पृष्ठ-७४ भांका २२९, पृ. १४५, ज्योतिष्करण्डक सह टीका, वि-१६४०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९३. ग्रन्थाग्र-५५००. डीवीडी-८८ ज्वरस्थावरादि विषनाशनमन्त्र जुओ - पार्श्वनाथपद्मावती मन्त्र, संस्कृत ज्वालामालिनीस्तोत्र सं., गद्य, आदि वाक्यः ॐ नमो भगवते श्रीचन्द्रप्रभुस्वामिने... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र.५, पृ. २B-३B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ ठाणय स्तवन जुओ - पत्थियसमत्थस्थानकस्तवन, प्राकृत, गा.१३ ठाणाङ्ग सुत्त जुओ - स्थानाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.३३०० 315 Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती ठाणाङ्गगत पाठ जुओ - स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)ठाणाङ्गगत पाठ, प्राकृत ठाणाङ्गसूत्र आलापक जुओ - स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)ठाणाङ्गगत पाठ, प्राकृत ठाणाप्रकरण जुओ - मूलशुद्धिप्रकरण, आचार्य-प्रद्युम्नसूरि, प्राकृत, गा.२१४ ढड्ढसियचरिय (दृढर्षिचरित्र), (ढड्ढसियवीरचरिय) आचार्य-जिनदत्तसूरि[पूर्णतल्लगच्छ], गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि[पूर्णतल्लगच्छ], प्रा., पद्य, गा.२०३, कृ.विः अन्तवाक्य-एयं चरियं जए होओ. पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ५, पृ. २-२६A, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३२-३९ पर उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० ढड्ढसियवीरचरिय जुओ - ढड्ढसियचरिय, आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्राकृत, गा.२०३ ढुण्ढिका अवचूरि जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि ढुण्ढिका, संस्कृत, ग्रं.३२०० ढुण्ढिकावृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)दुण्ढिकावृत्ति, मुनि-सौभाग्यसागर, संस्कृत णायाधम्मकहाओ जुओ - ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.५००० ततार द्विजराजत्वे श्लोकनवार्थी सं., पद्य, आदि वाक्यः ततार द्विजराजत्वे... पाकाहेम ८६८३- पे.क्र.३, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ तत्त्वचिन्तामणी (चिन्तामणि), (न्यायतत्त्वचिन्तामणि) जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, सं., ग्रं.२८११, पाकाहेम १०४२९, पृ. ४६, तत्त्वचिन्तामणि प्रथमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-४७ पाकाहेम १०७१३, पृ. ४७, तत्त्वचिन्तामणि द्वितीयपरिच्छेद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १३५०७, पृ. ६२, न्यायतत्त्वचिन्तामणि, वि-१६३४, संपूर्ण प्रत विशेष- एक खुणेथी बळी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६३५४, पृ. ६३, चिन्तामणि प्रथम परिच्छेद, वि-१७०४, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १६३५५, पृ. ६७, चिन्तामणि द्वितीय परिच्छेद, वि-१७०४, प्रतिपूर्ण तत्त्वचिन्तामणी-(सं.)आलोक टीका (आलोक टीका) जैनेतर-जयदेव, सं., गद्य, पाकाहेम १०७१४, पृ. ४४, तत्त्वचिन्तामणि आलोकटीका प्रथमपरिच्छेद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २६मुं डबल छे. तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद (आख्यातवाद) जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, सं., गद्य, पाकाहेम ६८६६, पृ. १-३८, आख्यातवाद, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रमा टीकाकार-रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य मूलकार-भट्टाचार्य शिरोमणि तरीके आप्यो कुल झे.पृष्ठ-४ प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट (दीधिति परिशिष्ट) जैनेतर-गुणानन्द भट्टाचार्य, सं., कृ.विः गंगेश्वराचार्यकृत तत्त्वचिन्तामणि का हिस्सा प्रत्यक्षखंड की दीधितिटीका का गुणानन्द भट्टाचार्यकृत परिशिष्ट है. पाकाहेम ५०८६, पृ. ८६, प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट, वि-१८३३, संपूर्ण 316 Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष - पत्र ३५मुं अने ६१मुं नथी कुल झ. पृष्ठ-५७ झे. तत्त्वचिन्तामणी - (सं.) आलोक टीका (आलोक टीका) कृति उपरथी प्रत माहिती जैनेतर - जयदेव, सं., गद्य, पाकाहेम १०७१४, पृ. ४४ तत्त्वचिन्तामणि आलोकटीका प्रथमपरिच्छेद, वि-१७मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष पत्र २६ डबल छे, तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद (आख्यातवाद) तत्त्वसार जैनेतर गढ़गेश्वर मिश्र, सं., गद्य, पाकाहेम ६८६६, पृ. १-३८, आख्यातवाद, वि-१७मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रमां टीकाकार - रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य मूलकार - भट्टाचार्य शिरोमणि तरीके आप्यो छे. कुलझे पृष्ठ-४ तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति जुओ प्रवचनसारोद्वार (सं.) तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति, आचार्य सिद्धसेनसुरि, संस्कृत ग्रं. १८००० तत्त्वधर्मोपदेशामृत जुओं धर्मोपदेशामृत मुनि-पद्मनन्दिदेव संस्कृत श्लोक३४ " तत्त्वप्रकाशक जुओ - सम्बोधप्रकरण, आचार्य हरिभद्रसूरि, प्राकृत तत्त्वप्रकाशिका वृहद्वृत्ति जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासन- (सं.) बृहद्वृत्ति, आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत तत्त्वविवेक विवरण जुओ पदार्थतत्त्वनिर्णय - ( सं . ) तत्त्वविवेक विवरण, मुनि-आनन्दज्ञान, संस्कृत तत्त्वसार - " कमलकीर्तिदेव प्रा.. पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६, तत्त्वसार वृत्तिसहित - अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण तत्त्वसार- (मा.गु.) वृत्ति मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६, तत्त्वसार वृत्तिसहित अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण - आचार्य देवसेन (दिगम्बर), प्रा., पद्य, गा.४ पाकाहेम ११०२७- पे क्र. १ पृ. १ तत्त्वसार आदि वि-१७मी, संपूर्ण तत्त्वसार- (मा.गु.) वृत्ति मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५७४, पृ. ३६ तत्त्वसार वृत्तिसहित अपूर्ण वि-१७मी अपूर्ण तत्त्वार्थसूत्र जुओ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र वाचक उमास्वाति, संस्कृत " तत्त्वार्थाधिगमसूत्र (तत्त्वार्थसूत्र ) वाचक- उमास्वाति सं अध्याय १०, आदि वाक्यः (१) सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ... (२) मोक्षमार्गस्य नेतारं भेत्तारं कर्मभूभृताम्।... पातासंघवीजीर्ण ९१ पे. क्र. १, पृ. २-२१B, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. ताडपत्रीय प्रथम पत्र नहीं है. प्रारंभिक १ से ६ कारिकाएं नहीं है. झेरोक्ष पत्र - १ - १२ . प्रत विशेष जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७९-१- पे. क्र. ७, पृ. २२२-२४९, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ भांता ४९ पृ. ३९१ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण 7 प्रत विशेष सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय ७ सूत्र २० सुधी छे अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खुटे छे. कुल झे. पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८ वि - १४८६, प्रतिपूर्ण 317 Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ पाकाहेम ७९९, पृ. ४३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं) भाष्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. १-२६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम ८००- पे.क्र.२, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५३, पृ. ६, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०५४, पृ. ६, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. २, पृ. ५३८-५४३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १४०९४, पृ. २३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि, वि-१८१५, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ. पाकाहेम १६६२३, पृ. ३७, तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्यसह, वि-१६५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्य वाचक-उमास्वाति, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्यग्दर्शनशुद्धं यो ज्ञानं विरतिमेवं चाप्नोति।... लिंता ९४४, पृ. ८९, तत्त्वार्थभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध, मुद्रित सूचीमां पृष्ठ संख्या- ८९ आपेल छे. अताका ४७३, पृ.?, तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- (५९/१५२५), पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७९९, पृ. ४३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं) भाष्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. १-२६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६६२३, पृ. ३७, तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्यसह, वि-१६५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका) गणि-सिद्धसेन, सं., गद्य, ग्रं.२२२८२, आदि वाक्यः (१) वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ तत्त्वार(२) जैनेन्द्रशासनसमुद्रमनन्तरत्न..थस्य विधीयते।... कृ.विः वृत्ति भाष्य उपर पण छे. भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण 318 Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ । लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६७६४, पृ. २८२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति, वि-१६५४, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका सह कुल झे.पृष्ठ-१९० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांका २२५, पृ. २०८, तत्त्वार्थवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-८८ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०९४, पृ. २३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि, वि-१८१५, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका-(सं.)टीका आचार्य-देवगुप्तसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः वीरं प्रणम्य सर्वज्ञं तत्त्वार्थस्य विधीयते... भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०९४, पृ. २३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि, वि-१८१५, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्य वाचक-उमास्वाति, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्यग्दर्शनशुद्धं यो ज्ञानं विरतिमेवं चाप्नोति।... लिंता ९४४, पृ. ८९, तत्त्वार्थभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध, मुद्रित सूचीमां पृष्ठ संख्या- ८९ आपेल छे. अताका ४७३, पृ. ?, तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- (५९/१५२५), पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७९९, पृ. ४३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं) भाष्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. १-२६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. 319 Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६६२३, पृ. ३७, तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्यसह, वि-१६५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका) गणि-सिद्धसेन, सं., गद्य, ग्रं.२२२८२, आदि वाक्यः (१) वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ तत्त्वार्(२) जैनेन्द्रशासनसमुद्रमनन्तरत्न..थस्य विधीयते।... कृ.विः वृत्ति भाष्य उपर पण छे. भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८00- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६७६४, पृ. २८२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति, वि-१६५४, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका सह कुल झे.पृष्ठ-१९० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका जुओ - तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका, गणि-सिद्धसेन, संस्कृत, ग्रं.२२२८२ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांका २२५, पृ. २०८, तत्त्वार्थवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-८८ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका) गणि-सिद्धसेन, सं., गद्य, ग्रं.२२२८२, आदि वाक्यः (१) वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ तत्त्वार्(२) जैनेन्द्रशासनसमुद्रमनन्तरत्न..थस्य विधीयते।... कृ.विः वृत्ति भाष्य उपर पण छे. भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. ____ कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण 320 Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६७६४, पृ. २८२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति, वि-१६५४, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका सह कुल झे.पृष्ठ-१९० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका-(सं.)टीका आचार्य-देवगुप्तसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः वीरं प्रणम्य सर्वज्ञं तत्त्वार्थस्य विधीयते... भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तत्त्वोपप्लव जयराशि, सं., आदि वाक्यः तत्त्वोपप्लवासहपथविषमो नूनं मया नृप... पातासंघवी १७८-२, पृ. १७६, तत्त्वोपप्लव, वि-१३४९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ तत्वबोधविधायिनीवृत्ति जुओ - सन्मतितर्कप्रकरण-(सं.)तत्वबोधविधायिनीवृत्ति, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.२५००० तन्दुलवेयालियपयन्नो जुओ - तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.३४५ तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक (तन्दुलवेयालियपयन्नो) प्रा., पद्य, गा.३४५, आदि वाक्यः निज्जरियजरामरणं वन्दित्ता... पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र.५, पृ. ?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १७१-१३, पृ. ६, तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ५, पृ. २२-३८, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १०, पृ. १२०-१३३, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. ७, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १००८८- पे.क्र. १, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक-चन्द्रवेध्यक-देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तव अजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ भांका १२३- पे.क्र. ५, पृ. ८B-१३A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- तन्दुलवेयालियन्नाम पइन्नगं, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३३०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका २२७- पे.क्र. ५, पृ. १७A-३००, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३२७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ 321 Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तपःसन्धि जुओ - तपसन्धि, मुनि-विशालराजशिष्य, अपभ्रंश, गा.५२ तपकुलक आचार्य-जयघोषसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २९, पृ. २१२-२१४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-३. कुल झे.पृष्ठ-३१ तपविधि सं.,प्रा., पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३१, पृ. २०१-२०४, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ तपविषये अघटकथानक जुओ - अघटकथानक तपविषये, प्राकृत, गा.१२२ तपविषये कुसुमसारकथा जुओ - कुसुमसारकथा तपविषये, संस्कृत तपविषये मृगाङ्कलेखाकथानक जुओ - मृगाङ्कलेखाकथानक तपविषये, प्राकृत, गा.१३७ तपविषये विद्याविलासकथा जुओ - विद्याविलासकथा तपविषये, संस्कृत तपसन्धि (तपःसन्धि) मुनि-विशालराजशिष्य, अप., पद्य, गा.५२, पाकाहेम ९०३४, पृ. २, तपःसन्धि टिप्पणीसहित, वि-१५०५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ तपसन्धि-(सं.)टिप्पणी , गद्य, पाकाहेम ९०३४, पृ. २, तपःसन्धि टिप्पणीसहित, वि-१५०५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ तपसन्धि-(सं.)टिप्पणी , गद्य, पाकाहेम ९०३४, पृ. २, तपःसन्धि टिप्पणीसहित, वि-१५०५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ तपसमास प्रा., पद्य, गा.८८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ११, पृ. ८७-९०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ तपागच्छ पट्टावलि सं.. कृ.विः पट्टावलिमां ऐतिहासिक उल्लेखोनुं विशेष वर्णन छे. पाकाहेम १२५०२, पृ. ८, तपागच्छ पट्टावली, वि-१६८५, संपूर्ण तपागच्छगुर्वावलि उपाध्याय-धर्मसागर, प्रा., पाकाहेम ४७९७, पृ. ८, तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ तपागच्छगुर्वावलि-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, पाकाहेम ४७९७, पृ. ८, तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ तपागच्छगुर्वावलि-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, 322 Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ४७९७, पृ. ८, तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ तपागच्छगुर्वावली त्रिदशतरङ्गिणी जुओ - त्रिदशतरङिगणी-तपागच्छगुर्वावली, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत तपोटमतकुट्टनशत आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक११०, आदि वाक्यः निर्लोठितशठकमळं त्रैलोक्यप्रथितचारुकारुण्यम् । प्रणिपत्य श्रीपाचं तपोटमतकुट्टनं वक्ष्ये ।।१।।... पाकाहेम ७११९, पृ. ५, तपोटमतकुट्टन, वि-१९६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १४०२४, पृ. २, तपोटमतकुट्टन, वि-१८५४, संपूर्ण पाकाहेम १५३१८, पृ. ३, तपोटमतकुट्टनशतक, वि-१६मी, संपूर्ण तपोयन्त्रविचार प्रा., गद्य, पाताखेत ३६- पे.क्र. १७, पृ. ४, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १०३२५, पृ. २, तपोयन्त्रविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ तपोरत्नमालिकाप्रकरण आचार्य-कुलप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.६७, आदि वाक्यः पढमन्तिमे जिणिन्दे वरिस-छमासे तवित्तु उक्कोसं|... भांता ७०- पे.क्र. ५८, पृ. ६८A-७३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ तपोविषये दृढप्रहारीकथा (दृढप्रहारीकथा तपोविषये) सं., पद्य, श्लोक५१, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १४, पृ. २२५-२३०, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ तमस्काण्डस्वरूप (तमुक्कण्डसरूव) सं., गद्य, आदि वाक्यः तमस्कायस्य सर्वथैवाप्रकाशकत्वादधूयपरिणामतैव... कृ.विः अं.वाक्य-हंता असइ अदुवा अणंतखुत्तो नो चेव णंदवित्ताए स्थापना. भांता ७०- पे.क्र. १०१, पृ. १३८A-१३९०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१७४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ तमुक्कण्डसरूव जुओ - तमस्काण्डस्वरूप, संस्कृत तमोवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः तमोनामेत्यादितमोद्रव्यं रूपादिमत्वात्... भांका २९२- पे.क्र. १२, पृ. २३०-२५०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ तरङ्गकथा जुओ - कथारत्नसागर, आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत तर्कदीपिका 323 Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती जैनेतर-विश्वनाथाश्रम, सं., पाकाहेम ८७८०, पृ. ४, तर्कदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ तर्कदीपिका टीका जुओ - तर्कसङ्ग्रह-(सं.)तर्कदीपिका टीका, जैनेतर-अन्नं भट्ट, संस्कृत तर्कपरिभाषा जैनेतर-केशवमिश्र, सं., पाकाहेम १०१०१, पृ. ११, तर्कपरिभाषा, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०२२०, पृ. १५, तर्कपरिभाषा, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०२२१, पृ. ४१, तर्कपरिभाषा प्रकाशिकाव्याख्यासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ तर्कपरिभाषा-(सं.)प्रकाशिकाव्याख्या (प्रकाशिका व्याख्या) जैनेतर-चिन्निभट्ट, सं., गद्य, ग्रं.२७२०, पाकाहेम १०२२१, पृ. ४१, तर्कपरिभाषा प्रकाशिकाव्याख्यासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ तर्कपरिभाषा-(सं.)प्रकाशिकाव्याख्या (प्रकाशिका व्याख्या) जैनेतर-चिन्निभट्ट, सं., गद्य, ग्रं.२७२०, पाकाहेम १०२२१, पृ. ४१, तर्कपरिभाषा प्रकाशिकाव्याख्यासहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ तर्कभाषा जैनेतर-मोक्षाकर गुप्त, सं., पद्य, श्लोक८७०, पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. १, पृ. ५-५६, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण पे. विशेष- बौद्ध. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५५-२, पृ.७५, तर्कभाषा, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र ३ना टुकडा छे. डीवीडी-३५/५३ तर्कसङ्ग्रह मुनि-आनन्दज्ञान, सं.. पाकाहेम ६६७६ , पृ. ३०, तर्कसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० तर्कसङ्ग्रह-(सं.)तर्कदीपिका टीका (तर्कदीपिका टीका) जैनेतर-अन्नं भट्ट, सं., गद्य, भांका २८६- पे.क्र. ३, पृ. ३२०-४२B, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. प्रारंभिक भाग का पाठ नहीं मिलता है. ___ कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ तात्पर्य टीका जुओ - पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)तात्पर्य टीका, मुनि-आनन्दज्ञान, संस्कृत तात्पर्यपरिशुद्धि जुओ - न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि, आचार्य-उदयनाचार्य, संस्कृत तात्पर्यवृत्ति जुओ - न्यायसूत्रना (सं.)न्यायभाष्यनी(सं.)न्यायवार्तिक टीकानी (सं.)तात्पर्यवृत्ति, जैनेतर-वाचस्पति मिश्र, संस्कृत तारणदुर्गमण्डन अजितनाथस्तव जुओ - अजितनाथस्तव तारणदुर्गमण्डन, आचार्य-जिनसोमसूरि, संस्कृत, का.८ ताराकथा शीलविषये (शीलविषये ताराकथा) सं., ग्रं.११६, 324 Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम २१०६ पे क्र. २ पृ. २३-२७, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६५ तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्रह* जैनेतर वरदराज, सं., गद्य, पाकाहेम १०२१९, पृ. २० तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्रह प्रथमपरिच्छेद टिप्पणीसहित वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२० तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्र- (सं.) टिप्पणी सं. गद्य, पाकाहेम १०२१९, पृ. २०, तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्रह प्रथमपरिच्छेद टिप्पणीसहित, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २० तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्र- (सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाकाम १०२१९ पृ. २० तार्किकरक्षाव्याख्यानसारसङ्ग्रह प्रथमपरिच्छेद टिप्पणीसहित वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २० उपाध्याय-यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः ऐन्द्रव्रजाभ्यर्चितपादपद्मं सुमेरुधीरं प्रणिपत्य वीरं .... अताका ४७९- पे. क्र. ४ पृ. १ ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण, ला.द. नंबर-४३०९९. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. तिङन्वयोक्ति कुल झे. पृष्ठ-२५ डीवीडी - १०३/१०४ तिजयपहुत्तस्तोत्र ( सत्तरिसयजिनस्तोत्र ), ( सप्ततिशत जिनस्तोत्र ) प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः तिजयपहुत्त .... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४१, पृ. ११३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम सत्तरसयस्तवन प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १२१२४- पे क्र. ३२ पृ. १२०-१२१ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-१४. प्रत विशेष - पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ भांका २०२- पे.क्र. २, पृ. ३B-७B, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिशतस्तोत्र सह (सं.) टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-५२५. प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ तिजयमहुत्तस्तोत्र (सं.) टीका गणि- सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, भांका २०२ पे. क्र. २. पृ. ७-१३B, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिशतस्तोत्र सह (सं.) टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-५२५. प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ विजयपहुतस्तोत्र (सं.) टीका गणि- सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, भांका २०२ पे. क्र. २, पृ. ७-१३B, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण 325 Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- सप्ततिशतस्तोत्र सह (सं.) टीका, पे. विशेष सूचीपत्रक्रम-३-५२५. प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-३-३९६. ३-५२५, ३-०४० डीवीडी-८७ तित्थोगालि पयन्ना जुओ तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक, मुनि-अज्ञात, प्राकृत, ग्रं. १५६५, गा.१२३३ तिथिविचार जुओ - औदयिकतिथिविचार, मारुगूर्जर तिलकमञ्जरी - कवि-धनपाल, सं., आदि वाक्यः स वः पातु जिनः .... पातासंघवी १०७, पृ. २३६, तिलकमञ्जरी प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३६ नथी. प्रत सारी छे. डीवीडी-३३/५१ तालाद ३७७, पृ. १९३, तिलकमञ्जरी सह टिप्पण, वि-१२५५, संपूर्ण कुल हो, पृष्ठ- १९६, डीवीडी- ९४ / ९६ झे. डतामुक्ता ४५९, पृ. ८ तिलक मञ्जरी, संपूर्ण डीवीडी - १०१/१०२ तिलकमञ्जरी - (सं.) टिप्पण सं., गद्य, तालाद ३७७, पृ. १९३, तिलकमञ्जरी सह टिप्पण, वि-१२५५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १९६, डीवीडी- ९४ / ९६ तिलकमञ्जरी - (सं.) टीप्पण आचार्य-शान्तिसूरि[पूर्णतलगच्छीय], सं., पद्य, श्लोक १०५०, आदि वाक्यः सम्यक् नत्वा महावीरं रागादिक्षयकारणं..... पातासंघवी ६४-३, पृ. ८३. तिलकमञ्जरीटीप्पण, वि-१०५०, संपूर्ण डीवीडी - ३० / ४९ पुत्रे ४३४, पृ. ७९, तिलकमञ्जरीटिप्पन वि-१९५८, संपूर्ण प्रत विशेष छाणी भंडार की प्रत पर से नकल की गयी है. प्रत पर हाथ से अज्ञातकर्तृकटीका व शान्तिसूरीय टिप्पन दोनो का उल्लेख है पर प्रत में कहीं भी टीका का उल्लेख नहीं मिलता है. कुल झे. पृष्ठ-७९ तिलकमञ्जरी कथासार पद्यबन्ध पण्डित लक्ष्मीधर (श्वे), सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२८१ श्लोक १२००, पाकाहेम २६५८, पृ. १९, तिलकमञ्जरीकथासार पद्यबन्ध, वि-१४७४, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १४ झे. तिलकमञ्जरी कथासार पद्यबन्ध पण्डित लक्ष्मीधर (श्वे), सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२८१ श्लोक १२००, पाकाहेम २६५८, पृ. १९, तिलकमञ्जरीकथासार पद्यबन्ध, वि-१४७४, संपूर्ण कुल ही पृष्ठ- १४ तिलकमञ्जरी - (सं.) टिप्पण सं. गद्य, तालाद ३७७, पृ. १९३, तिलकमञ्जरी सह टिप्पण, वि-१२५५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १९६, डीवीडी- ९४ / ९६ तिलकमञ्जरी - (सं.) टीप्पण आचार्य -शान्तिसूरि [पूर्णतलगच्छीय]. सं., पद्य, श्लोक १०५०, आदि वाक्यः सम्यक् नत्वा महावीरं रागादिक्षयकारणं.... पातासंघवी ६४-३, पृ. ८३, तिलकमञ्जरीटीप्पण, वि-१०५०, संपूर्ण डीवीडी - ३०/४९ पुत्रे ४३४, पृ. ७९, तिलकमञ्जरीटिप्पन, वि-१९५८, संपूर्ण 326 Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- छाणी भंडार की प्रत पर से नकल की गयी है. प्रत पर हाथ से अज्ञातकर्तृकटीका व शान्तिसूरीय टिप्पन दोनो का उल्लेख है पर प्रत में कहीं भी टीका का उल्लेख नहीं मिलता है. कुल झे.पृष्ठ-७९ तिहत्तरबोल प्रश्नोत्तर मारुगूर्जर, ग्रं.८०१, पाकाहेम १०३४०, पृ. १८, तिहुत्तरबोल प्रश्नोत्तर, वि-१५९८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ तीयसप्पगाथा आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः तीयसप्पदुव्वतीय... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २१, पृ. ?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ तीर्थकर धनुषमान सज्झाय मारुगूर्जर, पद्य, गा.११, आदि वाक्यः पणमवि पढम जिणेसरु पुण भरहेसरु सव्व... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ४९, पृ. ९८आ-९९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५३-५४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ तीर्थकरनामकर्मबन्धकनाम प्रा., गद्य, आदि वाक्यः समणस्स भगवओ महावीरस्स तित्थम्मि... भांता ७०- पे.क्र. १७०, पृ. २४०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक २३३ नहीं है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ तीर्थङकरस्तुति जुओ - पञ्चतीर्थङ्करस्तुति, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक९ तीर्थङ्करस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः ध्यानाकुन्द... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २, पृ. ४A-८B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ तीर्थमाला चतुर्विंशतिकास्तुति जुओ - विविधतीर्थस्तुति, प्राकृत, गा.२८ तीर्थमाला स्तोत्र (सकलतीर्थस्तोत्र) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.३५, आदि वाक्यः संसारतारयाणं तियसासुरमुणअ... पातासंघवी ५६-२- पे.क्र.३. पृ. १००-१०४, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. नाम- सकलतीर्थस्तोत्र, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-३३. झेरोक्ष पत्र-१३-१४. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८५, पृ. १३७-१३८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ तीर्थमालावन्दन 327 Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः जुहारि जीराउलिपार्श्वनाथ... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४७, पृ. २३०-२३१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-१०. कुल झे.पृष्ठ-३१ तीर्थमालास्तव अप., पद्य, गा.१०८, आदि वाक्यः अरहन्तं भगवन्तं सव्वन्नु सव्वदंसि तित्थयरं... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५६, पृ. १२८अ-१३६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६३-६५. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ तीर्थमालास्तवन जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह[ओशवाल], सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः पञ्चानुत्तरसरणा ग्रैवेयककल्पतल्पगतशदना... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४९, पृ. ११६-११७, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ तीर्थमालास्तवन प्रा., पद्य, गा.१०१, पाकाहेम ३३८४, पृ. २, तीर्थमालास्तवन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ तीर्थमालास्तोत्र आचार्य-रविसिंहसूरि, अप., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः पयतियसपणासणु संसयनासणु... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.८६, पृ. १३९-१३९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ तीर्थराजपदपद्मसेवास्तुति आचार्य-सोमतिलकसूरि, सं., पद्य, का.१, पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- तीर्थराजपदपद्मसेवा सह (सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि तीर्थराजपदपद्मसेवास्तुति-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि आचार्य-सोमतिलकसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- तीर्थराजपदपद्मसेवा सह (सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि तीर्थराजपदपद्मसेवास्तुति-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि आचार्य-सोमतिलकसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, __ संपूर्ण पे. नाम- तीर्थराजपदपद्मसेवा सह (सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि तीर्थवन्दनरूप मङ्गलस्तोत्र जुओ - मङ्गलस्तोत्र तीर्थवन्दनरूप, संस्कृत, का.२५ तीर्थव्यवच्छेदाव्यवच्छेदस्वरूप# प्रा., गद्य, आदि वाक्यः पुरिमन्तिम अट्ठट्ठन्तरेसु तित्थस्स नत्थि वोच्छेओ... सपूण 328 Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ७०- पे.क्र. १५३, पृ. २०४०-२०४B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ तीर्थस्तवन जुओ - बहुतीर्थस्तवन, संस्कृत, श्लोक५ तीर्थोद्गार प्रकीर्णक जुओ - तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक, मुनि-अज्ञात, प्राकृत, ग्रं.१५६५, गा.१२३३ तीर्थोद्गालिक प्रकीर्णक (तीर्थोद्गार प्रकीर्णक), (तित्थोगालि पयन्ना) , प्रा., पद्य, गा.१२३३, ग्रं.१५६५, आदि वाक्यः जयइ ससिपायनिम्मलतिहुयणवित्थिन्न... पातासंघवी १२४-२, पृ. ११३, तीर्थोद्गालिकप्रकीर्णक, वि-१४५२, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. २०, पृ. १८६-२४५, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ६७३९, पृ. २०, तीर्थोद्गारप्रकीर्णक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वाचनाचार्य धर्मविलासगणिए शुद्ध करेली प्रति. पत्र १२{ १३मुं नथी., गाथा-१२६०. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १००९२- पे.क्र. १, पृ. १-२३, तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक आदि, वि-१५७४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२५३. भांका २२१, पृ. २१, तीर्थोद्गालिक, वि-१६१२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९६. डीवीडी-८८ भांका २२७- पे.क्र. १४, पृ. ८८A-१३२A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ तेजसारनरेन्द्रकथा-गद्य दीपकपूजा-फलविषये (दीपकपूजा-फलविषये तेजसारनरेन्द्रकथा-गद्य) सं., गद्य, ग्रं.५००, पाकाहेम ८०७९, पृ. ११, तेजसारनरेन्द्रकथा गद्य दीपकपूजा फलविषये, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ तैजसवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः तेजसैवापवत्य स्कन्धस्तमः... भांका २९२- पे.क्र. १३, पृ. २५B-२७B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ त्याद्यन्तप्रक्रिया उपाध्याय-सर्वधर, सं., पाकाहेम २८७५, पृ. ८९, त्याद्यन्तप्रक्रिया, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ त्रयस्त्रिंशद्व्यञ्जनमयकाव्य सं., पद्य, पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. २, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ त्रयस्त्रिंशद्व्यञ्जनमयकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, 329 Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. २, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ त्रयस्त्रिंशद्व्यञ्जनमयकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ८६८२- पे.क्र. २, पृ. १, अत्कःशल्कयुतो कूटकाव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ त्रयोविंशत्युदययुगप्रधानसूरिसङ्ख्या# सं., कोष्टक, भांता ७०- पे.क्र. १७२, पृ. २४४०-२४६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ त्रिंशच्चतुर्विंशतिका जिननामगर्भितस्तुति (जिननामगर्भितस्तुति) सं., पद्य, श्लोक११२, पाकाहेम ८५०१, पृ. १, त्रिंशच्चतुर्विंशतिका जिननामगर्भिन्तस्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित स्तोत्रकोष जुओ - स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित, गणि-जगमाल, संस्कृत त्रिकाण्डकोश जुओ - अमरकोष, पण्डित-अमरसिंह, संस्कृत, श्लोक२००० त्रिदशतरङ्गिणी-तपागच्छगुर्वावली (तपागच्छगुर्वावली त्रिदशतरङ्गिणी) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., रचना सं. विक्रम १४६६, पाकाहेम ७९८७, पृ. १३, त्रिदशतरङ्गिणी-तपागच्छगुर्वावली टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ७९८८, पृ. १३, त्रिदशतरङ्गिणी-तपागच्छगुर्वावली, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ त्रिपुरदाह डिम कवि-वत्सराज महामात्य, सं.अध्याय४अंक, ग्रं.६६४, आदि वाक्यः परिकरितमिन्दुमौलेजयतिशिरः स्वर्गवाहिनीसलिलैः... कृ.विः डिम. पाताखेत ४१-१- पे.क्र. ३, पृ. ५२-१०३, कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय,, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६२/६४ त्रिपुरान्यास सं., गद्य, पाकाहेम १२३८०- पे.क्र. ४, पृ. २, ऋषिमण्डलस्तोत्र आदि, वि-१७२७, संपूर्ण त्रिभुवनसार योगशास्त्र (योगशास्त्र त्रिभुवनसार) सं., आदि वाक्यः पुनर्जन्म न जायेत यत्स्वरूपनिरूपणात्... पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. १, पृ. १-१९, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष-त्रीजा प्रकाशना ४५ श्लोक सुधी छे, अपूर्ण. पत्र २० थी ३४ नथी. डीवीडी-३६/५४ त्रिशतीगणितपाटी (गणितपाटी त्रिशती) जैनेतर-श्रीधराचार्य, सं., पाकाहेम १०३४९, पृ. ८, त्रिशतीगणितपाटी, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण (आतुरप्रत्याख्यानगत त्रिषष्टिध्यानकथाप्रकरण), (त्रिषष्टिध्यानकुलक) 330 Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः (१) नमिऊण जिणं वीरं वोच्छं ते चडिअसुहज्झयणाणं...(२) नमिऊण महावीरं पुच्छं ते वह्रिअ सुहझाणाणं.... पातासंघवीजीर्ण ५७- पे.क्र. १, पृ. १A-RA, श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-५७/६० भांता ७२- पे.क्र. २८, पृ. १५०B-१५४B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- त्रिषष्ठिध्यानकथानककुलक प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम १२७३- पे.क्र. २, पृ. ३-४, पुराणादिगतश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम ८१३७, पृ. १, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकगत त्रिषष्टिध्यानकथानकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ त्रिषष्टिध्यानकुलक जुओ - त्रिषष्टिध्यानकथानकप्रकरण, प्राकृत, गा.३७ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र गद्य आचार्य-विमलसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः देवः स वः स्वपदमायति नो ददातु यस्यांसयोरसितकेशसटे चकास्तः पाताखेत ३९, पृ. २४५, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र विमलसूरिविरचित, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी, वच्चेना केटलाक खण्डित. डीवीडी-६२/६४ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व जुओ - परिशिष्टपर्व, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, श्लोक३५०० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य" आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यसर्ग१०, कृ.विः पर्व-१०. पाताखेत १६, पृ. ३५३, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथमपर्व त्रुटित, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३७, पृ. २९४, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र पर्व ७ थी ९ अपूर्ण, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२२, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४८- पे.क्र.२, पृ. ३२७-३५९, नलदमयन्ती कथा, संपूर्ण पे. नाम- त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र पर्व ९ सर्ग १ ब्रह्मदत्तचरित्र डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ५३, पृ. २२१, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथम पर्व (श्री आदिनाथचरित्र), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छठ्ठो सर्ग अपूर्ण छे. २०६, २१२, २१८ पत्रो नथी. प्रथम पत्र (त्रुटक) नथी. डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ८५, पृ. ३३३, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र दशम पर्व (श्रीमहावीर चरित्र), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३३३नो टुकडो छे. १ थी ३५ सुधीना पत्रनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३२/५० पातासंघवी ८६- पे.क्र. १, पृ. १-४०, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र षष्ठ पर्व, सप्तम पर्व (श्रीमहावीर चरित्र), प्रतिपूर्ण पे. नाम- त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र षष्ठ पर्व (महावीर चरित्र) प्रत विशेष- पत्र ३-८ नथी. डीवीडी-३२/५० पातासंघवी ८६- पे.क्र.२, पृ. १-२०७, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र षष्ठ पर्व, सप्तम पर्व (श्रीमहावीर चरित्र), प्रतिपूर्ण पे. नाम- त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र सप्तम पर्व (श्री महावीर चरित्र) 331 Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र ३-८ नथी. डीवीडी-३२/५० पातासंघवी १००, पृ. २९५, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र २-३ पर्व, वि-१३०३, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ४-१, पृ. १६८, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व (महावीर चरित्र), वि-१३७२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम त्रण पत्रना टुकडा छे. डीवीडी-२०/३९ पातासंघवी ५४-१, पृ. २२०, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व (श्री महावीरचरित्र), वि-१२९४, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०-११-१३-१४-१८-१२१-१३८-१३९-१८६-१९१ नथी. २१८ त्रुटक छे. कुमारपालनी ने २२०मां देवीनी मूर्ति चीतरेली छे. (श्रीदेवी श्राविका) डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ६५-३, पृ. १९६, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रे नवम पर्व, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ११९-१, पृ. ३४१, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र अष्टमपर्व, वि-१२७५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४९१४. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. मूलपत्र-३३८ पछीना अलगथी ३ पत्रो आमां नथी. झेरोक्ष पत्र ८,४६, ६२ अने १६७ नथी तथा १६६ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-१७१, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४२-१- पे.क्र. १, पृ. १-१४६, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र पञ्चम पर्व (श्री शान्तिनाथ चरित्र) आदि, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. ३. पृ. १६९-१७३, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- त्रिषष्टीय महावीरचरित्रान्तर्गत हस्तिपालस्वप्न, पे. विशेष- श्लोक-३४. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं २४- पे.क्र.२, पृ. १-११९, पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र - द्वितीय पर्व, वि-१३२७, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिपूर्ण., झेरोक्ष पत्र ६९-१८२., अंतिम सर्ग की श्लोकसंख्या ६९२ से अंत तक एवं बीच-बीच में भी अनुपूरित पाठ लिखकर विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है., आचार्य हरिषेणसूरिजीने इस प्रति को पढा. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम क्रमशः दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-१८२, डीवीडी-३/१३ पाताहेसं ४५, पृ. ३२१, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र ७-८-९ पर्व, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १थी १६१ अष्टम पर्व, १६२थी १९७ नवम पर्व, १८ थी ३२१ सप्तम पर्व. डीवीडी-५/१५ पाताहेसं ४६, पृ. २०३, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र १० मुं पर्व, वि-१३६८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५/१५ पाताहेसं ५१- पे.क्र. २, पृ. ?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. नाम- त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र- पर्व ८, पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-२५-४४, ४९-५६. पत्रानुसन्धान असम्बद्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पातासं ५५, पृ. १२०, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र द्वितीय पर्व, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६१, पृ. १०३, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथम पर्व ऋषभदेवचरित्र, प्रतिपूर्ण 332 Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६२, पृ. ३३, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य षष्ठ पर्व कुन्थुनाथचरित्र, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६३, पृ. ६७, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र सप्तम पर्व मुनिपतिचरित्र, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६४, पृ. ११६, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व महावीरचरित्र, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं १५३, पृ. १५१, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र तृतीय पर्व, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं ५४-२, पृ. ८७, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र अष्टम पर्व-सचित्र, वि-१४३६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सचित्र. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कोरंटगच्छीय नन्नसूरि उपदेशात्. डीवीडी-६/१५ तालाद ३३०, पृ. १५०, त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पञ्चम पर्व, वि-१३मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम २३५७- पे.क्र. १, पृ. १-?, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्यपरिशिष्टपर्वसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४०००. कुल झे.पृष्ठ-४५२ पाकाहेम २३५८, पृ. १६०, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथमपर्व ऋषभदेवचरित्र, वि-१६४०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६१ पाकाहेम २३६०, पृ. ४४, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रप्रथमपर्व प्र.खण्ड ऋषभदेवचरित्र, वि-१५६०, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८८ पाकाहेम २३६८, पृ. ९, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रनवमपर्व-प्रथमसर्ग ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिचरित्र, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८९. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम २३६९, पृ. ११, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रपर्व-९ प्रथमसर्ग ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिचरित्र, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५८९. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ६६९७, पृ. ३८, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य पञ्चमपर्व-शान्तिनाथचरित्र, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ पाकाहेम ७०३२, पृ. ४२, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य पञ्चमपर्व-शान्तिनाथ चरित्र, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- अन्तमां वस्तुपालना वंशनी प्रशस्तिना केटलाक श्लोको छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०७३१, पृ. १७२, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य अष्टमपर्व - नेमिनाथचरित्र, वि-१५४६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४७१९. पत्र ५८मुं डबल छे. पाकाभाभा ५९, पृ. १८०, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-१०मुं महावीरचरित्र, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम द्वितीय पत्र नथी. भांका १५४, पृ. ९१, त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-८ सर्ग-१-१२ नेमिनाथचरित्र, वि-१२९९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-२६८. डीवीडी-८५ भांका 30७, पृ. १११, त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र पर्व-७, सर्ग-१-१३, वि-१४५४, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-२५८. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-९२ परिशिष्टपर्व (स्थविरावलीचरित-महाकाव्य), (त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व' ) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक३५००, सर्ग१३, आदि वाक्यः श्रीमते वीरनाथाय सनाथायाभुतश्रिया... 333 Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. ९ पृ. ? कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण स्थिविरावली के दूसरे सर्ग का अन्त भाग है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८ /६० पातासंघवी ८०, पृ. २४३, परिशिष्ट पर्व सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. हेमचंद्राचार्य कुमारपाळ-भूपालदेवी अने वे साधुओनी मूर्तिओ चितरेली छे. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १३६-१, पृ. १६२, परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ पाताहे १२५ पृ. ३२४, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ८९३, पृ. १२१, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४९२. पाणीमां भींजायेली छे पत्र १२२मुं डबल. कुल झे. पृष्ठ-१२३ पाकाहेम २३५७- पे क्र. २. पृ. २-८४७, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्यपरिशिष्टपर्वसहित वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४०००. " कुल झ. पृष्ठ-४५२ पाकाहेम २३७०, पृ. ९६. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि-१६६०, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४९५. कुल झे. पृष्ठ ९६ पाकाहेम ८०१८, पृ. ७२, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि - १४९ संपूर्ण प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. - कुल झे. पृष्ठ-७३ पाकाभाभा ३९ पृ. ९३ परिशिष्टपर्व सर्ग १- १३ वि १४९२, संपूर्ण , प्रत विशेष- "आ ग्रंथना कुल पेज ९३ छे परंतु आ ग्रंथनी फुटनोटमा पत्र २२०, २२१ भेगां छे ते प्रमाणेनी माहिती मळे छे. तेथी आ माहिती चेक करशो. भांका १७२, पृ. ५१, परिशिष्टपर्व, वि-१४७६. संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थान- ३४६०. सुन्दर लिपि. कुल झे. पृष्ठ-३३, डीवीडी-८६ त्रिषष्ठिस्मृति " जैन श्रावक - आशाघर, सं. पद्य रचना सं. विक्रम १२९२अध्याय २४. ग्रं. ५०५, आदि वाक्यः वीरं नत्वेन्द्रमूर्ति च त्रिषष्ठि श्रेष्ठपुंश्रितं..... कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका ८४, पृ. ३७, त्रिषष्ठिस्मृति टिप्पणी सहित वि-१५९४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३८, डीवीडी-८४ त्रिषष्ठिस्मृति- (सं.) टिप्पण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिह्नों से युक्त. , सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९२, नलकच्छपुर, भांका ८४, पृ. ३७, त्रिषष्ठिस्मृति टिप्पणी सहित वि-१५९४, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिह्नों से युक्त. कुल झे. पृष्ठ-३८, डीवीडी - ८४ 334 Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती त्रिषष्ठिस्मृति-(सं.)टिप्पण सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९२, भांका ८४, पृ. ३७, त्रिषष्ठिस्मृति टिप्पणी सहित, वि-१५९४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिह्नों से युक्त. कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-८४ त्रैविद्यगोष्ठी आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., रचना सं. विक्रम १४५५, ग्रं.८७५, पाकाहेम १०३८६, पृ. १४, त्रैविद्यगोष्ठी, वि-१५१९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ भांका १८५, पृ. १३, त्रैवेधगोष्ठी, संपूर्ण डीवीडी-८७ थम्भणपासविवाहलुं (पार्श्वनाथविवाहलु), (स्तम्भन पार्श्वनाथविवाहलु) शान्तिमन्दिरशिष्य, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३२, पाकाहेम १०७९१- पे.क्र. १, पृ. १-२, थम्भणपासविवाहलुं आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय थेरावली जुओ - नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली, वाचक-देववाचक, प्राकृत, गा.५० थेरावली जुओ - स्थविरावलि, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत दगडुं-दाङ्गडउ जुओ - दाङ्गडउ, अपभ्रंश, गा.२९ दङ्गड जुओ - दाङ्गडउ, अपभ्रंश, गा.२९ दडङ्गडउं जुओ - दाङ्गडउ, अपभ्रंश, गा.२९ दढधम्मकहा प्रा., पद्य, गा.१०१, आदि वाक्यः जिणधम्म लहिऊणं जाणमणोमन्दरोव्व निक्कम्पं... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. १०, पृ. ६९०-७९B, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० दण्डकछन्दोमयी पार्श्वजिनस्तुति जुओ - पार्श्वनाथस्तुति दण्डकछन्दोमयी#, संस्कृत, का.४ दण्डकछन्दोमयी साधारणजिनस्तुति जुओ - जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी, संस्कृत, का.४ दण्डकप्रकरण (विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण) मुनि-गजसार, प्रा., पद्य, गा.३८, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. १, पृ. १-३, विचारषट्विशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- विचारषटिंबशिकाप्रकरण सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-३८., पञ्चपाठ. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ६९५४- पे.क्र. ३, पृ.?, नवतत्त्वप्रकरण आदि, वि-१७५७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३८. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ६९५९, पृ. ५, विचारषट्विशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६९६०, पृ. ५, विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ दण्डकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः तित्थं भन्ते इत्यादि तीर्थं सङ्घरूपं... कृ.विः अं.वाक्य-कीर्णश्च क्षमादिगुणैर्व्याप्तश्चतुवर्णाकीर्णः तित्थं भन्ते... भांता ७०- पे.क्र.७८, पृ. ९७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 335 Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दण्डकप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि मुनि-गजसार, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५७९, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. १, पृ. ११, विचारषटिंत्रशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-३८., पञ्चपाठ. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ६९५९, पृ. ५, विचारषटिंत्रशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६९६०, पृ. ५, विचारषट्विशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ दण्डकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः तित्थं भन्ते इत्यादि तीर्थं सङ्घरूपं... कृ.विः अं.वाक्य-कीर्णश्च क्षमादिगुणैर्व्याप्तश्चतुवर्णाकीर्णः तित्थं भन्ते... भांता ७०- पे.क्र. ७८, पृ. ९७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दण्डकप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि मुनि-गजसार, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५७९, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. १, पृ. ११, विचारषटिंबशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-३८., पञ्चपाठ. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ६९५९, पृ. ५, विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ६९६०, पृ. ५, विचारषटिंत्रशिकाप्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि सहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ दत्त शङ्खायणकथा सं., पद्य, श्लोक७५, पाकाहेम ४००१- पे.क्र.५, पृ. १८-२१, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ दमदन्तकथा सं., पद्य, श्लोक२३, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ४, पृ. १७-१८, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ दमयन्तीकथा (दमयन्तीकथा चम्पू) जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., ग्रं.२५००, पातासंघवी १७९-२, पृ. १७२, दमयन्तीकथा मूल, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ५२, पृ. १३७, दमयन्ति कथा चम्पू, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६/१५ 336 Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दमयन्तीकथाचम्पू-(सं.)वृत्ति गणि-गुणविनय, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४६४, श्लोक१००००, दमयन्तीकथा-(सं.)विवरण जैनश्रावक-चण्डपाल, सं., पद्य, श्लोक१९००, पातासंघवीजीर्ण ६३, पृ. १६२, दमयन्तीकथाविवरण, संपूर्ण डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६७२२, पृ. ३१, दमयन्तीचम्पूकथाटीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ दमयन्तीकथा चम्पू जुओ - दमयन्तीकथा, जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, संस्कृत, ग्रं.२५०० दमयन्तीकथा-(सं.)विवरण जैनश्रावक-चण्डपाल, सं., पद्य, श्लोक१९००, पातासंघवीजीर्ण ६३, पृ. १६२, दमयन्तीकथाविवरण, संपूर्ण डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६७२२, पृ. ३१, दमयन्तीचम्पूकथाटीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ दमयन्तीचरित्र (वीस उद्देसा) प्रा., आदि वाक्यः पणमह सन्तिजिणिन्दं सन्तिकरं जच्चकणयच्छायं... पातासंघवी १९९-२, पृ. १२६, दमयन्तीचरित्र वीस उद्देसा, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ दरिसणचउवीसी जुओ - दर्शनचतुर्विंशति, प्राकृत, गा.२४ दरिसणसत्तरि जुओ - दर्शनसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.७० दर्पदलन क्षेमेन्द्र, सं., पद्य, श्लोक७००, पाकाहेम ८६६०, पृ. १३, दर्पदलन, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० दर्शनकुलक प्रा., पद्य, पाकाहेम १८७०५, पृ. २, दर्शनकुलक सावचूरि पञ्चपाठ अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दर्शनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १८७०५, पृ. २, दर्शनकुलक सावचूरि पञ्चपाठ अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दर्शनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १८७०५, पृ. २, दर्शनकुलक सावचूरि पञ्चपाठ अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दर्शनचतुर्विंशति (दरिसणचउवीसी) प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः चउसद्दहण तिलङ्गं दसविणय ति सुद्धि पञ्चगयदोसं... पाताखेत ६- पे.क्र. १५, पृ. १२३-१२५, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २१, पृ. १९६-१९७, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- दरिसण चउवीसी 337 Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-८/१८ दर्शनशुद्धिप्रकरण (सम्यक्त्वशुद्धिप्रकरण) आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः पत्तभवन्नवतीरं दुहदवनीरं सिवम्बतरुकीरं..... पातासंघवीजीर्ण ४५ पे.क्र. १४. पृ. १७६-१८९ सङ्ग्रहणी आदि त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक- जीर्ण-नकामी. कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-५७/६० पातासंघवी २०६-२- पे क्र. ६४, पृ. ६४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/44 पाकाहेम ६५९०, पृ. ५९, दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६४ पाकाहेम ७०२३, पृ. १८६, दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५२४, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ५६मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- १८५ पाकाहेम ७०३४, पृ. १५३ सम्यक्त्वप्रकरण सटीक, वि-१५०४ संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १५३ झे. दर्शनशुद्धिप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य- देवभद्रसूरि, गुरु- आचार्य - विमलसूरि, सं., पद्य, श्लोक३८००, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवर्द्धमानाय निःसीमज्ञानचक्षुषे । ... कृ. विः विमलगणिकृत टीकाना आधारे .. पातासंघवी १४८ पृ. २८२ दर्शनशुद्धिप्रकरणविवरणोद्धति वि-१२४४ संपूर्ण प्रत विशेष गायकवाड केटलॉगमां प्रतिलेखन संवत १२२४ छे सारी. डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ६५९०, पृ. ५९ दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६४ दर्शनशुद्धिप्रकरण- (सं.) टीका (सम्यक्त्वशुद्धिप्रकरण टीका) गणि-विमलगणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८४, श्लोक १२०००, आदि वाक्यः चञ्चच्चन्द्रमरीचिचारुरुचिरा विश्वम्भरा राजते... कृ.वि: विशिष्ट रचना प्रशस्ति. दर्शनशुद्धिप्रकरण (सन्देहविषौषधिप्रकरण) पाकाहेम ७०२३, पृ. १८६, दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५२४, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ५६ डबल छे. कुल हो. पृष्ठ- १८५ पाकाहेम ७०३४, पृ. १५३, सम्यक्त्वप्रकरण सटीक, वि- १५०४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १५३ " सं., पद्य, गा. २८०, पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ३, पृ. १०७-१३४, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १८११ पे. क्र. ५. पृ. ७०-९० उपदेशमाला आदि वि-१२७९. संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ८८, पत्र ७१ थी ७५ नथी. दर्शनशुद्धिप्रकरण- (सं.) टीका डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ७, पृ. ५८-६८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ 338 Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, श्लोक३८००, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवर्द्धमानाय निःसीमज्ञानचक्षुषे ।... कृ.विः विमलगणिकृत टीकाना आधारे. पातासंघवी १४८, पृ. २८२, दर्शनशुद्धिप्रकरणविवरणोद्धृति, वि-१२४४, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां प्रतिलेखन संवत १२२४ छे., सारी. डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ६५९०, पृ. ५९, दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४ दर्शनशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका (सम्यक्त्वशुद्धिप्रकरण टीका) गणि-विमलगणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८४, श्लोक१२०००, आदि वाक्यः चञ्चच्चन्द्रमरीचिचारुरुचिरा विश्वम्भरा राजते... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाकाहेम ७०२३, पृ. १८६, दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक, वि-१५२४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१८५ पाकाहेम ७०३४, पृ. १५३, सम्यक्त्वप्रकरण सटीक, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५३ दर्शनसत्तरी जुओ - श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.१२० दर्शनसप्ततिका जुओ - श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.१२० दर्शनसप्ततिकाप्रकरण (सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण). (दरिसणसत्तरि) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७०, आदि वाक्यः दंसणसुद्धिपयासं तित्थयरमपच्छिम... पाताखेत १२- पे.क्र. १७, पृ. १८९-१९४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३२-१-पे.क्र.४, पृ. २८-३७, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र.८, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अन्तिम पत्र है. झेरोक्ष पत्र ९२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १३५- पे.क्र. २, पृ. १-६, कालिकाचार्य कथानक आदि, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७१. प्रत विशेष- आ नंबरनी विगत नवा केटलॉगमां नथी. गायकवाड केटलॉग नं. ५७(२). डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ७६८३- पे.क्र. ३, पृ. ?, विचारसप्ततिकाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ७८१९, पृ. ४, दर्शनसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-७१. प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०१६१, पृ.५, सम्यक्त्वसप्ततिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०६०१, पृ. ३, सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १४९२४, पृ. १४९, सम्यक्त्वसप्ततिकावृत्ति सह, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-५३६ व टीका ग्रन्थाग्र-७७११., 339 Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- १४९ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य सङ्घतिलकसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः सच्चामीकरबन्धुरोद्धरतरस्कन्ध... पाकाहेम १४९२४, पृ. १४९, सम्यक्त्वसप्ततिकावृत्ति सह, वि - १५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र - ५३६ व टीका ग्रन्थाग्र-७७११., कुल झे. पृष्ठ- १४९ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, ग्रं. ३५७, कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७८१९ पृ. ४ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी संपूर्ण I प्रत विशेष- मूलगाथा- ७१. प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०१६१, पृ. ५. सम्यक्त्वसप्ततिका सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, ग्रं. ३५७, पाकाहेम ७८१९ पृ. ४ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा - ७१. प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०१६१, पृ. ५. सम्यक्त्वसप्ततिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य-सङ्घतिलकसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः सच्चामीकरबन्धुरोद्धुरतरस्कन्ध... पाकाहेम १४९२४, पृ. १४९, सम्यक्त्वसप्ततिकावृत्ति सह, वि - १५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र - ५३६ व टीका ग्रन्थाग्र-७७११., कुल झे. पृष्ठ- १४९ दशपच्चक्खाण (दशविधप्रत्याख्यान), (१० पच्चक्खाणसूत्र ) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः उग्गए सूरे चउविहम्पि आहारं .... पाताखेत ५ पे. क्र. १४ पृ. १०० उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष श्रावकविधिकुलक जिनप्रमसूरिकृत पेटांक १६ एवं २० दोनों पर है. कुल झे. पृष्ठ - ९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. २५ पृ. ३५१-३५३. अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाकाहेग १२१२४- पे.क्र. ५५ पृ. १५७-१६० प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २३मुं नथी. कुल हो. पृष्ठ- ८१ दशबलकारिकाधातुपाठ (धातुपाठ दशबलकारिका ) सं., पद्य, श्लोक ४०, पाकाहेम १०६८०, पृ. २, दशबलकारिकाधातुपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ दशभवग्रहणनिबद्ध पार्श्वनाथ संस्तवन जुओ पार्श्वनाथ संस्तवन दशभवग्रहणनिबद्ध, प्राकृत, गा. २६ दशविधप्रत्याख्यान जुओदशपच्चक्खाण, प्राकृत दशविधसामाचारी प्रा... पाताखेत २४-२- पे.क्र. १, पृ. १-६१, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनिर्युक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण 340 - Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- दसविहसामायारी प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ दशविधसामाचारीस्वरूप प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः पुवफागुणी नटुं न दिसई गिलाणो मरइ वद्धो न सुव्वइ उत्तरफगुणीहिं नटुं वारसाहेण दीसइ... कृ.विः अं.वाक्य-चारित्रोपसंपदापि द्विधा वैयावृत्त्यविषया क्षेपणविषया च इति. भांता ७०- पे.क्र. ९५, पृ. १३३०-१३३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दशविधावस्थितकल्प प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः आचेलक्कुद्देसियसेज्जायररायपिण्डाकियकम्मे... कृ.विः अं.वाक्य-आद्यंतिमतीर्थकरसाधवश्चोभयकालं प्रतिक्रमणं कुर्वन्ति...पुरिमपश्चिमतीर्थकराणां तु नियतः. भांता ७०- पे.क्र. ९४, पृ. १३१B-१३२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दशवीशी भावना प्रा., पद्य, गा.२०८, पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. ४, पृ. ६५-८३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२०५. प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र. ५, पृ. १९६-२२१, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ दशवैकालिकपरिचयगाथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सिज्जम्भवं गणहरं जिणपडिमादसणेण... पाताखेत ६- पे.क्र. १, पृ.?, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-८ तक है. पत्रांक अज्ञात है. झेरोक्ष पत्र-१. किसी अन्य प्रति का पत्र है. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ दशवैकालिकसूत्र आचार्य-शय्यम्भवसूरि, प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं.७००, आदि वाक्यः धम्मो मङ्गलमुक्किठें अहिंसा सञ्जमो तवो।... पाताखेत १७-१- पे.क्र.१, पृ. १-५२, दशवैकालिक अने पाक्षिकसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-३, पृ. ५५, दशवैकालिकसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- चूलिका-२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४२- पे.क्र. २, पृ. १-६६, प्रवचनसारोद्धार तथा दशवैकालिकसूत्र, वि-१२९५, संपूर्ण डीवीडी-५७/६० 341 Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ७६- पे.क्र. १, पृ. १-५९, दशवैकालिकसूत्र आदि, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६६- पे.क्र. ६, पृ. ३-१८, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १९, पृ. १०५-१०७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन-१ की गाथा ३० तक हैं. झेरोक्ष पत्र-१४२-१४५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. ___ कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ३३-३, पृ. ५१, दशवैकालिकसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. १, पृ. १-१६, दशवैकालिकसूत्र, नियुक्ति, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ३५-२- पे.क्र. २, पृ. ३३-६७, पाक्षिकसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. २, पृ. ११८-१३९, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १८२-१- पे.क्र. १, पृ. १-५३, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पहेला बे पानामां चित्रो छे. पण खराब छे ने ते बे पानी किनारो खरी गई छे., डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १४, पृ. १-९, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- दशवैकालिकसूत्र अध्ययन चार, पे. विशेष- कागळमां. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०१-१- पे.क्र. १, पृ. १-७२, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१२२०, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १५, पृ. ९८-१०१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं २५, पृ. २४०, दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १, पृ. १-३५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७००. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. १, पृ. १-३६A, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- दशवैतालिक, पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन १ से ३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-१-१७. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. १, पृ. १-३७, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १, पृ. १B-३४A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- दसवेयालियं प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ 342 Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १७१-८, पृ. २९, दशवैकालिकसूत्र सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ तालाद ३८९- पे.क्र. १, पृ. १-६०, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ वताकांति ४१४- पे.क्र. १, पृ.?, दशवैकालिक पाक्षिक सूत्र, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ वताकांति ४३१-१, पृ. १८, दशवैकालिकसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७७३, पृ. ४०, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, वि-१४८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ७७४, पृ. २८, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय ग्रन्थान-१८४९. पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १, पृ. १-१३, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ९०२- पे.क्र.३, पृ. ६५-९०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६१, पृ. १३, दशवैकालिकसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९४६, पृ. ४२, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ६९४७, पृ. २४, दशवैकालिकसूत्र मूल, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पाकाहेम ६९४८, पृ. २९, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० पाकाहेम ६९४९, पृ. ६१, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१६९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२ पाकाहेम ७५१६, पृ. २४, दशवैकालिकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १८-१९ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम ७५१७, पृ. १५, दशवैकालिकसूत्र, वि-१६२७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम ७५१८, पृ. २०, दशवैकालिकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ७५१९, पृ. ३५, दशवैकालिकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम ७५२४, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ७५२५, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम ७५२६, पृ. ३९, दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम ७५२७, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ७५२८, पृ. ५९, दशवैकालिकसूत्र बालवबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण 343 Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम ७५२९, पृ. ४७, दशवैकालिकसूत्र बालावबोधसहित पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८मुंत्रण छे. कुल झे.पृष्ठ-४८ पाकाहेम १००७२, पृ. १३, दशवैकालिकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०४३३- पे.क्र. १, पृ. २-१२, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१६मी, अपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १०४९४, पृ. ८, दशवैकालिकसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०४९५, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०४९६, पृ. ३०, दशवैकालिकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०४९७, पृ. २२, दशवैकालिकसूत्र, वि-१५५१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०४९८, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र षड्जीवनिकायाध्ययनपर्यन्त, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५०. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०४९९, पृ. ८३, दशवैकालिकसूत्र सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम १४७९७, पृ. ९८, दशवैकालिकसूत्रसटीक, वि-१४७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०० पाकाहेम १५२५२, पृ. ४३, दशवैकालिकसूत्र सटीक अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाभाभा ७४, पृ. ३४, दशवैकालिकसूत्र टीका सह, वि-१६वी, संपूर्ण पुप्रे ४०७, पृ. २३५, दशवैकालिकसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३५ पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह नियुक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम-३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका २०७, पृ. १६, दशवैकालिकसूत्र, चूलिका युगल सह अवचूरि, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२०. डीवीडी-८७ भांका २१०, पृ. १२, दशवैकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२६. डीवीडी-८७ भांका २६२, पृ. ६२, दशवैकालिकसूत्र - चूलिकायुगल तथा टीका, वि-१७४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७१६. डीवीडी-८९ दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति 344 Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.४४०, ग्रं.४४६, आदि वाक्यः (१) सिद्धगतिमुवगयाणं कम्मविसुद्धाण सव्वसिद्धाणं (२) सिद्धिगइमुवगयाणं... कृ.विः गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे. पाताखेत २८-२- पे.क्र. १, पृ. १-३२, दशवैकालिकनियुक्ति ऋषभपञ्चाशिका कर्मविपाक, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ७४, पृ. ३११, दशवैकालिकनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, प्रथम २१ पत्रो नथी. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. २, पृ. १७-२८, दशवैकालिकसूत्र, नियुक्ति, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ७२-२- पे.क्र.६, पृ. १-५४, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५२. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. २, पृ. २६-५५, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५५०(?) डीवीडी-३७/५४ भांता ७२- पे.क्र. १, पृ. १-४२A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम ६५२९, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४५०. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ६५६२, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १००७३, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४४४. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०३२४, पृ. ६, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४४२. कुल झे.पृष्ठ-६ पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह नियुक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम-३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका १४२, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७१०. गाथा-४४८, श्लोक-५५८. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्य, ग्रं.८४००, कृ.विः हस्तप्रतोमां ग्रन्थाग्र ७००० थी ८४०० सुधी मळे छे. समान कृति हशे? पाकाहेम ६५२८, पृ. १४०, दशवैकालिकसूत्रचूर्णि, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०००. कुल झे.पृष्ठ-१४१ पाकाहेम ६५४५, पृ. ११२, दशवैकालिकसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण 345 Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष- सूचिपत्र प्रमाणे ग्रन्थाग्र- ७४००. कुल झे. पृष्ठ-११२ पाकाहेम १००७४, पृ. १०१ दशर्वकालिकसूत्र चूर्णि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-७९७०. कुल हो. पृष्ठ- १०० कृति उपरथी प्रत माहिती दशवैकालिकसूत्र-(सं.) टीका आचार्य - तिलकसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३०४, ग्रं. ७०००, आदि वाक्यः अर्हन्तः प्रथयन्तु मङ्गलममी शृङ्गारयन्तः सदा । पाताहेसं २५, पृ. २४०, दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाकाहेम १४९२६, पृ. १८४ दशवैकालिकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण पुत्रे ४०७, पृ. २३५ दशवेकालिकसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २३५ दशवैकालिकसूत्र - ( सं . ) बृहद्वृत्ति आचार्य हरिभद्रसूरि सं गद्य ग्रं. ७५५०, आदि वाक्य: (१) जयति विजितान्यतेजाः सुराऽसुराधीशसेवितः श्रीमान् । ( २ ) जयति विजितान्यतेजाः ... इहार्थतस्तत्प्रणीतस्य... कृ. विः वृति नियुक्ति उपर पण छे, पातासंघवी ७४, पृ. ३११, दशवैकालिकनिर्युक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, प्रथम २१ पत्रो नथी.. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ८४, पृ. ३३९, दशवैकालिकटीका, वि - १३२६, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १०२ नो टुकडो छे. डीवीडी-३२/५० पातासंघवी ३५१ पे. क्र. ३. पृ. २९-१९० दशवैकालिकसूत्र, निर्युक्ति, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी १२८-२ पृ. २०४ दशवैकालिकाटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- केटलेक ठेकाणे पत्रो वळी गयां छे. जीर्ण छे. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ६५३९, पृ. ९१ दशवेकालिकसूत्रबृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-९२ पाकाहेम ६५६३, पृ. १२३ प्रत विशेष पत्र २८ - दशवैकालिक बृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण अने ५६ डबल छे. कुल डी. पृष्ठ- १२४ पाकाहेम १०४०३, पृ. ८१, दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम १४७९७, पृ. ९८, दशवैकालिकसूत्रसटीक, वि-१४७३, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र - ७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे. कुल हो. पृष्ठ- १०० दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनी (सं.) अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सूत्रतो गणधर कृतस्य .... भांका १२२, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्रादि बृहद्वृत्यवचूरी, वि-१५१०, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१२. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति) 346 Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १८, पृ. ४६-४९, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्त्यनुसारिणी (सं.)वृत्ति , सं., गद्य, पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह नियुक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम-३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे.पृष्ठ-१५७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-सुमतिसूरि, गुरु-बोधक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२०, ग्रं.२६५०, आदि वाक्यः जयति विजितान्यतेजाः... इहाहर्थतस्तत्प्रणीतस्य... कृ.विः हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार. पातासंघवी ४-२, पृ. ११५, दशवैकालिकटीका, वि-११८८, संपूर्ण डीवीडी-२०/३९ पाताहेसं ८८, पृ. १६२, दशवैकालिक लघुटीका, वि-१२४८, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७५२६, पृ. ३९, दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १००७५, पृ. ३४, दशवैकालिकसूत्र टीका, वि-१४९९, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाभाभा ७४, पृ. ३४, दशवैकालिकसूत्र टीका सह, वि-१६वी, संपूर्ण भांका २६२, पृ. ६२, दशवैकालिकसूत्र - चूलिकायुगल तथा टीका, वि-१७४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७१६. डीवीडी-८९ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)टीका मुनि-समयसुन्दरजी, सं., गद्य, पाताहेसं १७१-८, पृ. २९, दशवैकालिकसूत्र सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १५२५२, पृ. ४३, दशवैकालिकसूत्र सटीक अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण दशवैकालिकसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ३४, पृ. १८०, दशवैकालिकलघुवृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां घणा पत्र नथी ने पाछलां पण नथी. डीवीडी-५६/५९ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः सुमतिटीकानुसारिणी. पाकाहेम ५२६, पृ. ३१, दशवैकालिकसूत्र अवचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ७७३, पृ. ४०, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, वि-१४८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ७७४, पृ. १-१३, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय ग्रन्थान-१८४९. 347 Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७५२७, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. १, पृ. १-११, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-३५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)चूलिकायुगलावचूर्णि-अक्षरार्थगमनिका (अक्षरार्थगमनिका) सं., गद्य, आदि वाक्यः धम्मो. धर्म उत्कृष्टं मङ्गलं भवति।... भांका १४१, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्रचूलिकायुगलावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२७. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.२१४३, आदि वाक्यः इहार्थतः श्रीमहावीरप्रणीतस्य सूत्रस्य... कृ.विः हारिभद्री टीका आधारित. पाकाहेम ६९४३, पृ. १२, दशवैकालिकसूत्रावचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ भांका २०७, पृ. १६, दशवैकालिकसूत्र, चूलिका युगल सह अवचूरि, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२०. डीवीडी-८७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचरि (अक्षरार्थगमनिका अवचूरि) सं., गद्य, ग्रं.१७००, आदि वाक्यः इहार्थतः श्रीवीरकृतस्य... तत्र शास्त्रान्यादिमध्यान्त... भांका २१०, पृ. १२, दशवैकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२६. डीवीडी-८७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः जयति विजितान्यतेजाः... संहितादि षड़िवधा व्याख्या... कृ.विः हारिभद्री टीका आधारित. भांका ८२- पे.क्र. १, पृ. १-१४A, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-७२८. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १, २ नथी. डीवीडी-८४ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)टिप्पण मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४८, पृ. २९, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० दशवैकालिकसूत्र-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, तालाद ३८९- पे.क्र. १, पृ. १-६०, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७५२४, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४६, पृ. ४२, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ७५२८, पृ. ५९, दशवैकालिकसूत्र बालवबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण 348 Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम ७५२९, पृ. १-११, दशवैकालिकसूत्र बालावबोधसहित पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८मुंत्रण छे. कुल झे.पृष्ठ-४८ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४९, पृ.६१, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१६९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४९९, पृ. ८३, दशवैकालिकसूत्र सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-८३ दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णि , प्रा., गद्य, ग्रं.७९७०, आदि वाक्यः णमो अरहन्ताणं० मङ्गलादीणि सत्थाणि... पाकाहेम १४९२७, पृ. १९२, दशवैकालिकसूत्र चूर्णि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९२ दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णि , प्रा., गद्य, ग्रं.७९७०, आदि वाक्य: णमो अरहन्ताणं० मङ्गलादीणि सत्थाणि... पाकाहेम १४९२७, पृ. १९२, दशवैकालिकसूत्र चूर्णि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९२ दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्य, ग्रं.८४००, कृ.विः हस्तप्रतोमां ग्रन्थाग्र ७००० थी ८४०० सुधी मळे छे. समान कृति हशे? पाकाहेम ६५२८, पृ. १४०, दशवैकालिकसूत्रचूर्णि, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०००. कुल झे.पृष्ठ-१४१ पाकाहेम ६५४५, पृ. ११२, दशवैकालिकसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचिपत्र प्रमाणे ग्रन्थाग्र-७४००. कुल झे.पृष्ठ-११२ पाकाहेम १००७४, पृ. १०१, दशवैकालिकसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७९७०. कुल झे.पृष्ठ-१०० दशवैकालिकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.४४०, ग्रं.४४६, आदि वाक्यः (१) सिद्धगतिमुवगयाणं कम्मविसुद्धाण सव्वसिद्धाणं (२) सिद्धिगइमुवगयाणं... कृ.विः गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे. पाताखेत २८-२- पे.क्र. १, पृ. १-३२, दशवैकालिकनियुक्ति ऋषभपञ्चाशिका कर्मविपाक, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ७४, पृ. ३११, दशवैकालिकनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी, प्रथम २१ पत्रो नथी. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. २, पृ. १७-२८, दशवैकालिकसूत्र, नियुक्ति, वृत्ति, संपूर्ण 349 Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ७२-२- पे.क्र. ६, पृ. १-५४, एकवीसठाण प्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५२. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. २, पृ. २६-५५, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५५०(?) डीवीडी-३७/५४ भांता ७२- पे.क्र. १, पृ. १-४२A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. __कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम ६५२९, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४५०. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ६५६२, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १००७३, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४४४. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०३२४, पृ. ६, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४४२. कुल झे.पृष्ठ-६ पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह नियुक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम-३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका १४२, पृ. १०, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७१०. गाथा-४४८, श्लोक-५५८. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४९, पृ. ६१, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१६९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२ दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)टिप्पण मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४८, पृ. २९, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-३० दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९४६, पृ. ४२, दशवैकालिकसूत्र टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ७५२८, पृ. ५९, दशवैकालिकसूत्र बालवबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम ७५२९, पृ. १-११, दशवैकालिकसूत्र बालावबोधसहित पिण्डैषणाध्ययनपर्यन्त, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८मुंत्रण छे. कुल झे.पृष्ठ-४८ 350 Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दशवैकालिकसूत्र-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४९९, पृ. ८३, दशवैकालिकसूत्र सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-८३ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः सुमतिटीकानुसारिणी. पाकाहेम ५२६, पृ. ३१, दशवैकालिकसूत्र अवचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ७७३, पृ. ४०, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, वि-१४८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ७७४, पृ. १-१३, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय ग्रन्थान-१८४९. पाकाहेम ७५२७, पृ. ९, दशवैकालिकसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. १, पृ. १-११, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.२१४३, आदि वाक्यः इहार्थतः श्रीमहावीरप्रणीतस्य सूत्रस्य... कृ.विः हारिभद्री टीका आधारित. पाकाहेम ६९४३, पृ. १२, दशवैकालिकसूत्रावचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ भांका २०७, पृ. १६, दशवैकालिकसूत्र, चूलिका युगल सह अवचूरि, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२०. डीवीडी-८७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि (अक्षरार्थगमनिका अवचूरि) सं., गद्य, ग्रं.१७००, आदि वाक्यः इहार्थतः श्रीवीरकृतस्य... तत्र शास्त्रान्यादिमध्यान्त... भांका २१०, पृ. १२, दशवैकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२६. डीवीडी-८७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः जयति विजितान्यतेजाः... संहितादि षड़िवधा व्याख्या... कृ.विः हारिभद्री टीका आधारित. भांका ८२- पे.क्र. १, पृ. १-१४A, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-७२८. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १,२ नथी. डीवीडी-८४ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)चूलिकायुगलावचूर्णि-अक्षरार्थगमनिका (अक्षरार्थगमनिका) सं., गद्य, आदि वाक्यः धम्मो. धर्म उत्कृष्टं मङ्गलं भवति ।... भांका १४१, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्रचूलिकायुगलावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७२७. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.)टिप्पण 351 Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, तालाद ३८९- पे.क्र. १, पृ. १-६०, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी- ९४/९६ पाकाहेम ७५२४, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२ दशवैकालिकसूत्र - (सं.) टीका आचार्य तिलकसूरि, सं. गद्य रचना सं. विक्रम १३०४ ग्रं. ७०००, आदि वाक्य अर्हन्तः प्रथयन्तु मङ्गलममी " " शृङ्गारयन्ता सदा । पाताहेसं २५, पृ. २४० दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाकाहेम १४९२६, पृ. १८४ दशवैकालिकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण पुत्रे ४०७, पृ. २३५ दशवेकालिकसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२३५ दशवैकालिकसूत्र (सं.) टीका मुनि - समयसुन्दरजी, सं., गद्य, पाताहे १७१-८, पृ. २९ दशवैकालिकसूत्र सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १५२५२, पृ. ४३ दशवेकालिकसूत्र सटीक अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण दशवेकालिकसूत्र (सं.) बृहद्वृत्ति आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ७५५०, आदि वाक्य : (१) जयति विजितान्यतेजाः सुराऽसुराधीशसेवितः श्रीमान् । (२) जयति विजितान्यतेजाः ... इहार्थतस्तत्प्रणीतस्य ... कृ. विः वृत्ति निर्युक्ति उपर पण छे. पातासंघवी ७४, पृ. ३११ दशवेकालिकनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९ संपूर्ण प्रत विशेष सारी प्रथम २१ पत्रो नथी. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ८४, पृ. ३३९, दशवैकालिकटीका, वि-१३२६, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र १०२ नो टुकड़ो छे. - डीवीडी-३२/५० पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. ३, पृ. २९-१९०, दशवैकालिकसूत्र, निर्युक्ति, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी - २५/४४ पातासंघवी १२८-२ पृ. २०४ दशवैकालिकाटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- केटलेक ठेकाणे पत्रो वळी गयां छे, जीर्ण छे, डीवीडी-३४ / ५२ पाकाहेम ६५३९, पृ. ९१, दशवैकालिकसूत्रबृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९२ पाकाहेम ६५६३, पृ. १२३, दशवैकालिक बृहद्वृत्ति, वि - १४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८मुं अने ५६मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- १२४ पाकाहेम १०४०३, पृ. ८१, दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- ८१ झे. पाकाहेम १४७९७, पृ. ९८, दशवैकालिकसूत्रसटीक, वि- १४७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे. कुल झ. पृष्ठ- १०० झे. दशवेकालिकसूत्र (सं.) बृहद्धत्तिनी (सं.) अवचूरि 352 Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सुत्रतो गणधर कृतस्य .... भांका १२२, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्रादि बृहद्वृत्यवचूरी, वि-१५१०, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७१२. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १८, पृ. ४६-४९, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-८४ दशवैकालिकसूत्र (सं.) वृहद्वृत्त्यनुसारिणी (सं.) वृत्ति 3 - 3 सं., गद्य, पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह निर्युक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम ३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे. पृष्ठ-१५० दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्त्यनुसारिणी (सं.) वृत्ति सं., गद्य, पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह निर्युक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम - ३० + १७+११० इस प्रकार है. कुल झे. पृष्ठ-१५७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति) सं. गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १८, पृ. ४६-४९, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८४ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनी (सं.) अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सूत्रतो गणधर कृतस्य.... भांका १२२, पृ. १४ दशवेकालिकसूत्रादि बृहद्वत्यवचूरी, वि-१५१० अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१२. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र - (सं.) लघुवृत्ति आचार्य-सुमतिसूरि, गुरु-बोधक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२०, ग्रं. २६५०, आदि वाक्यः जयति विजितान्यतेजाः ... इहाहर्थतस्तत्प्रणीतस्य.... कृ.वि: हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार .. पातासंघवी ४-२, पृ. ११५, दशवैकालिकटीका, वि-११८८, संपूर्ण डीवीडी-२०/३९ पाताहेसं ८८, पृ. १६२, दशवैकालिक लघुटीका, वि - १२४८, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७५२६, पृ. ३९, दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४० पाकाहेम १००७५, पृ. ३४ दशवैकालिकसूत्र टीका, वि-१४९९, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ३०००. कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाभाभा ७४, पृ. ३४, दशवैकालिकसूत्र टीका सह, वि-१६वी, संपूर्ण भांका २६२, पृ. ६२, दशवैकालिकसूत्र चूलिकायुगल तथा टीका, वि-१७४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१६. डीवीडी-८९ 353 Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दशवैकालिकसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ३४, पृ. १८०, दशवैकालिकलघुवृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां घणा पत्र नथी ने पाछलां पण नथी. डीवीडी-५६/५९ दशाश्चर्यविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सिरिरिसहसीयलेसु एक्केक्कं... भांता ७०- पे.क्र. ७१, पृ. ८९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दशाश्रुतस्कन्ध (आचारदशासूत्र) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., ग्रं.२०९६, आदि वाक्यः (१) नमो अरहन्ताणं... (२) सुतं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खातं इधं खलु थेरेहिं भगवन्तेहिं.. पातासंघवी १९- पे.क्र.४, पृ. १६१-२०४, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-१-७२, सीडी नं.४८८. डीवीडी-२२/४१ पाताहेसं १७१-९, पृ. १४, दशाश्रुतस्कन्ध, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १००३१, पृ. २८, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८३०. कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १०३५८, पृ. २१, दशाश्रुतस्कन्ध, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०४७७, पृ. ४१, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ११३०७- पे.क्र. ३, पृ. ३४-५६, दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १५३- पे.क्र. १, पृ. १-३७, दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति व चूर्णि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४८३. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-४८३, १-४८६, १-४८९. डीवीडी-८५ दशाश्रुतस्कन्ध-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.१५४, ग्रं.१८०, आदि वाक्यः (१) वन्दामि भद्दबाहुं पाईणं चरिमसयलसुयनाणिं।...(२) आउविवागज्झयणाणि भावओ... पातासंघवी १९- पे.क्र. २, पृ. ११२-११५, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५४., झेरोक्ष पत्र-१-७२, सीडी नं.४८८. डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम १००३२, पृ. २, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ११३०७- पे.क्र. १, पृ. १-३, दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १५३- पे.क्र. २, पृ. ३७-४१, दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति व चूर्णि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४८६. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-४८३, १-४८६, १-४८९. 354 Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-८५ दशाश्रुतस्कन्ध- (प्रा.) चूर्णी (आचारदशासूत्रचूर्णि ) प्रा. गद्य, ग्रं. २२२५, आदि वाक्य मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलमज्झाणि मङ्गलावसाणाणि अविग्घेण सत्थाणं " पारगा भवन्ति ... तत्थ भावमङ्गलं णिज्जुत्तिकारो आह... वन्दामि भद्दबाहुहुं..... पातासंघवी १९ - पे.क्र. ३, पृ. ११६ - १६१, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष - ग्रन्थाग्र-२२२५. झेरोक्ष पत्र - १-७२, सीडी नं.४८८. डीवीडी - २२/४१ पाकाहेम १००३३, पृ. ३६, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ३६ पाकाहेम ११३०७ पे क्र. २. पृ. ३-३३ दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति आदि वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२२२५. कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाभाभा ३८, पृ. ४०, दशाश्रुतस्कन्ध चूर्णि वि-१६वी, संपूर्ण भांका १५३- पे.क्र. ३, पृ. ४१-८३, दशाश्रुतस्कन्ध, निर्युक्ति व चूर्णि वि-१६६१, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४८९. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-४८३, १-४८६, १-४८९. डीवीडी-८५ दशाश्रुतस्कन्ध- (सं.) जनहिता टीका ( जनहिता टीका ) ब्रह्मर्षि सं. गद्य ग्रं. ५१५२. आदि वाक्यः यथास्थिताशेषपदार्थसार्थक्रमार्थ.... लिंता २०४, पृ. ११३, दशाश्रुतस्कन्धटीका, संपूर्ण लिंता ४५६, पृ. १८३, दशाश्रुतस्कन्धटीका, संपूर्ण भांका २७१ पृ. १६१ जनहिता ( दशाश्रुतस्कन्धसूत्र टीका), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १- ४९३, १०, ८० बे वखत छे. डीवीडी- ९० दशाश्रुतस्कन्ध- (सं.) टीका सं., गद्य, अताका ४६७, पृ. ? दशाश्रुतस्कन्ध टीका, संपूर्ण J प्रत विशेष (लुधियाणा थी आवेल) पृष्ठ माहिति नथी. डीवीडी - १०३/१०४ अताका ४६८, पृ. ?, दशाश्रुतस्कन्ध टीका, संपूर्ण प्रत विशेष (लुधिआणाथी आवेल) पृष्ठ माहिति नथी. डीवीडी - १०३/१०४ दशा श्रुतस्कन्ध- (सं.) पर्याय सं. गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १३, पृ. २६-२८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४ दशाश्रुतस्कन्ध-(प्रा.)चूर्णी (आचारदशासूत्रचूर्णि) "" प्रा. गद्य ग्रं. २२२५, आदि वाक्य मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलमज्झाणि मङ्गलावसाणाणि अविग्घेण सत्थाणं पारगा भवन्ति... तत्थ भावमङ्गलं णिज्जुत्तिकारो आह... वन्दामि भद्दबाहुं..... पातासंघवी १९ पे.क्र. ३. पृ. ११६- १६१, महानिशीथसूत्र आदि वि-१४५६ संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थान- २२२५. झेरोक्ष पत्र १-७२ सीडी नं.४८८. " डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम १००३३, पृ. ३६ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र चूर्णि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३६ पाकाहेम ११३०७ - पे क्र. २. पृ. ३-३३ दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति आदि वि-१६मी, संपूर्ण 355 Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२२२५. पाकाभाभा ३८, पृ. ४०, दशाश्रुतस्कन्ध चूर्णि, वि-१६वी, संपूर्ण भांका १५३- पे.क्र. ३, पृ. ४१-८३, दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति व चूर्णि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४८९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-४८३, १-४८६, १-४८९. डीवीडी-८५ दशाश्रुतस्कन्ध-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.१५४, ग्रं.१८०, आदि वाक्यः (१) वन्दामि भद्दबाहुं पाईणं चरिमसयलसुयनाणिं।...(२) आउविवागज्झयणाणि भावओ... पातासंघवी १९- पे.क्र.२, पृ. ११२-११५, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५४., झेरोक्ष पत्र-१-७२, सीडी नं.४८८. डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम १००३२, पृ. २, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ११३०७- पे.क्र. १, पृ. १-३, दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १५३- पे.क्र. २, पृ. ३७-४१, दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति व चूर्णि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-४८६. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-१-४८३, १-४८६, १-४८९. डीवीडी-८५ दशाश्रुतस्कन्ध-(सं.)जनहिता टीका (जनहिता टीका) ब्रह्मर्षि, सं., गद्य, ग्रं.५१५२, आदि वाक्यः यथास्थिताशेषपदार्थसार्थक्रमार्थ... लिंता २०४, पृ. ११३, दशाश्रुतस्कन्धटीका, संपूर्ण लिंता ४५६, पृ. १८३, दशाश्रुतस्कन्धटीका, संपूर्ण भांका २७१, पृ. १६१, जनहिता (दशाश्रुतस्कन्धसूत्र टीका), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४९३., १०, ८० बे वखत छे. डीवीडी-९० दशाश्रुतस्कन्ध-(सं.)टीका सं., गद्य, अताका ४६७, पृ. ?, दशाश्रुतस्कन्ध टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- (लुधियाणा थी आवेल), पृष्ठ माहिति नथी. डीवीडी-१०३/१०४ अताका ४६८, पृ. ?, दशाश्रुतस्कन्ध टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- (लुधिआणाथी आवेल) पृष्ठ माहिति नथी. डीवीडी-१०३/१०४ दशाश्रुतस्कन्ध-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १३, पृ. २६-२८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-८४ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र अष्टमाध्ययन जुओ - कल्पसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.१२८० दस कल्पद्रुम प्रा., गद्य, आदि वाक्यः मत्तङ्ग्याय भिङ्गा तुडियङ्गा... भांता ७०- पे.क्र. १४४, पृ. १९८०-१९८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 356 Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष सूचीपत्र नं ३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ दाङ्गडउ ( दगड ), (दगडे-दाङ्गडउ), (दडगड), (भावनाकुलक) अप., पद्य, गा.२९, आदि वाक्यः जहिं जिणधम्मु न जाणियइ नवि देवह गुरूभत्ति..... कृ. वि. भावनाकुलक भाषा अपभ्रंश गाथा २१ नुं पण समान आदिवाक्य छे. पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. २७, पृ. ११७मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६८- पे.क्र. २५, पृ. ४६आ-४९अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण गाथा - ३१. झेरोक्ष पत्र - ३५-३८. प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ पे.क्र. ३७ पृ. १४२-१४४४ दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण " प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७३०७ पे.क्र. ५. पृ. ५-५ शीलसन्धि आदि सग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३१. कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. ५४, पृ. १५५-१५७, प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि - १५मी, संपूर्ण पे, विशेष गाथा-३१. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ-८१ दान शील तप भावना स्वाध्याय मुनि-अशोकमुनि, प्रा., पद्य, गा.४७, आदि वाक्यः देवाहिदेवं नमिऊण वीरं सम्पत्तसंसार संसुद्ध तीरं..... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३२, पृ. ६२अ - ६६-१, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. ६६ नं. के पत्रांक २ है. झेरोक्ष पत्र - ४१-४३. प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२ डीवीडी-१/१८ पाताहेसं १८९ पे.क्र. ३८ पृ. १४५०-१४७० दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाग दाणसीलतपभावनाकुलं पे विशेष गाथा- ५०. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५ +१५९ = २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी - १०/१९ पाकाहेम १८१३६, पृ. ६, दान शील तप भावना स्वाध्याय सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७ दानशील तप भावना स्वाध्याय - ( मा. गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १८१३६, पृ. ६, दान शील तप भावना स्वाध्याय सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ दानशील तप भावना स्वाध्याय - ( मा.गु.) स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १८१३६, पृ. ६ दान शील तप भावना स्वाध्याय सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण 357 Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७ दान, देवपूजाविषये अमरसेन वयरसेनकथा जुओ - अमरसेन वयरसेनकथा दान, देवपूजाविषये, संस्कृत दानकल्पद्रुम-धन्यचरित्र पद्य (धन्यचरित्र पद्य), (धन्यशालीचरित्र) आचार्य-जिनकीर्तिसूरितिपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्यअध्याय९पल्लव, ग्रं.१२९२, आदि वाक्यः स श्रेयस्त्रिजगद्ध्येयः श्रीनाभेयस्तनोतु वः... भांका २९९, पृ. २७, धन्यशालीचरित्र - दानकल्पद्रुमगत, वि-१४९७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका., १ थी ८ पाना खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-९१ दानकुलक आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः नमिउण महियमोहं... पाकाहेम ७७८१- पे.क्र. १, पृ.?, दानकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ दानकुलक आचार्य-जयघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.४५, आदि वाक्यः नमिऊण महियमोहं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र.८, पृ. १-५, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३०. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १७, पृ. १०१-१०३, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- दानशीलतपोभावनाकुलक, पे. विशेष- गाथा-४४. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३३, पृ. ६६-६८आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- दाणसीलतवभावनाकुलं, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४३-४४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २७, पृ. २१२-२१४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कुल गाथा-४५. कुल झे.पृष्ठ-३१ दानविधिकुलक (दानविधिप्रकरण). (धम्मोवग्गहकुलक) प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः धम्मोवग्गहदाणं दिज्जइ धम्मट्ठियाण नरनाह । जे खन्तिमद्दवज्जवनियमपरा गुत्तिबम्भधरा ||१||... पाताहेसं ११९- पे.क्र. २३, पृ. २३४-२३७, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. नाम- दानविधिप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-२५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ____ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ भांता २४- पे.क्र.५, पृ. ७००-७०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- धम्मोवग्गह दोणो दिज्झइ, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ तालाद ३२६- पे.क्र.५, पृ. ६१-६२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.२१, पृ. ३७, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे. 358 Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २, पृ. २-३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ७७९४, पृ. १, दानविधिकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ९६२०- पे.क्र. १, पृ. १, दानविधिकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण दानविधिकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७९४, पृ. १, दानविधिकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ दानविधिकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७९४, पृ. १, दानविधिकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ दानविधिप्रकरण जुओ - दानविधिकुलक, प्राकृत, गा.२५ दानविषये कृतपुण्यकथा (कृतपुण्यकथा दानविषये) सं., पद्य, श्लोक१४५, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १०, पृ. १०९-१२१, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ दानविषये कृपणश्रेष्ठिकथा जुओ - कृपणश्रेष्ठिकथा दानविषये, प्राकृत, गा.८९ दानविषये चन्द्रगोपालकथानक जुओ - चन्द्रगोपालकथानक दानविषये, प्राकृत, गा.८९ दानविषये जिनदत्तकथा जुओ - जिनदत्तकथा दानविषये, संस्कृत दानविषये देवराज-वत्सराजकथा पद्य जुओ - देवराज-वत्सराजकथा पद्य दानविषये, संस्कृत, ग्रं.४०० दानविषये धनदकथा जुओ - धनदकथा दानविषये, संस्कृत दानविषये धनदेवधनदत्तकथा जुओ - धनदेवधनदत्तकथा दानविषये, प्राकृत, गा.१४१ दानविषये शूरपालकथा जुओ - शूरपालकथा दानविषये, संस्कृत दानशीलतपभावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाकाहेम १०२५१, पृ. २, दानशीलतपभावनाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण दानशीलतपभावनाकुलक चतुष्टय आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.८१, पाकाहेम ७७७८, पृ. ३, दान-शील-तप-भावनाकुलकचतुष्क, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ७७७९, पृ. ४, दान-शील-तप-भावनाकुलचतुष्क, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम ७७८०- पे.क्र. २, पृ. १-५, नवकारकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०५७१, पृ. ४, दान-शील-तप-भावनाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण दानशीलतपोभावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः नमवि उसभाइ चउवीस तित्थङ्करे... पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३०, पृ. १२७A-१२९A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. 359 Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ दानषट्त्रिंशिका (सङ्घमहोत्सवप्रकरण) आचार्य-राजशेखरसूरि, सं., पद्य, का.३६, पाकाहेम ७८००, पृ. २, दानषट्त्रिंशिका सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दानषट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७८००, पृ. २, दानषट्त्रिंशिका सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दानषट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७८००, पृ. २, दानषट्त्रिंशिका सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दानादिकुलक प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः आइन्नह जिणएक्कमणेण जिमू मुच्चह असुहइ कम्मेण... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३०, पृ. ५८अ-५९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३९-४०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ दानादिप्रकरण सूराचार्य, सं., पद्य, श्लोक५२६, अध्याय७अवसर, पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. २, पृ. ?, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक पे. विशेष- सप्तम अवसर, वि. सं.१२८३. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २०५-१- पे.क्र. ७, पृ. ४-७५, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१, डीवीडी-३८/५५ दानादिफलविषयक विविधकथासङ्ग्रह (विविधकथासङ्ग्रह दानादिफलविषयक), (कथासङ्ग्रह) सं.. पाकाहेम ८१२९, पृ. ४, दानादिफलविषयक विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ दाने धन्य-शालिभद्रकथा जुओ - धन्य-शालिभद्रकथा दाने, संस्कृत, श्लोक२१८ दामन्तककथा जीवदयाविषये जुओ - जीवदयाविषये दामन्तककथा, संस्कृत, श्लोक१०४ दार्शनिकग्रन्थ-अज्ञात (न्यायग्रन्थ) सं., आदि वाक्यः प्रणम्य शम्भुं जगतः पतिं परं समस्ततत्त्वार्थविदं स्वभावतः... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २३, पृ. १५५-१६०, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गायकवाड केटलॉगमां नाम-प्रमाणमीमांसोद्धार., पत्र १५६ थी १५९ नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ तालाद ३४४-२, पृ. ८, न्यायग्रन्थ दार्शनिकग्रन्थ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-९४/९६ डतामुक्ता ४६०, पृ. ४, न्यायग्रन्थ (न्याय प्रवेश), संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ दिक्प्रदा टीका जुओ - श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण-(सं.)दिक्प्रदा टीका, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत दिनकृत्य श्रावकसामाचारी (श्रावकसामाचारी) 360 Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.४९७, आदि वाक्यः वीरं णमिऊण तिलोगभाणुं विसुद्धणाणं सुमहानिहाणं... पातासंघवी १८६-२- पे.क्र.५, पृ. ११३-१५३, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ दिवाकरकथा उत्तमसेवायाम् (उत्तमसेवायाम् दिवाकरकथा) प्रा., पद्य, गा.१३९, पातासंघवी १६८- पे.क्र. १३, पृ. ११९-१२४, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- उत्तम सेवा उपर डीवीडी-३६/५४ दीक्षाकल्याणकस्तव सं., पद्य, श्लोक१२, आदि वाक्यः स्तुवे चारु चारित्र मार्ग... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र.७, पृ.३, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणो दीक्षाकल्याणकस्तव कुल झे.पृष्ठ-६ दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत (मुहूर्तराजान्तर्गत-दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त) सं., पद्य, श्लोक३५, पाकाहेम १४२२३, पृ. २, दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत, वि-१९मी, संपूर्ण दीधिति परिशिष्ट जुओ - प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट, जैनेतर-गुणानन्द भट्टाचार्य, संस्कृत दीपकपूजा-फलविषये तेजसारनरेन्द्रकथा-गद्य जुओ - तेजसारनरेन्द्रकथा-गद्य दीपकपूजा-फलविषये, संस्कृत, ग्रं.५०० दीपालीकाकल्प पाताहेसं ६०- पे.क्र.३, पृ. ???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, दीपालीकाकल्प, संपूर्ण पे. विशेष डीवीडी-६/१५ दीपालीकाकल्प जुओ - दीपोत्सवकल्प, आचार्य-सर्वानन्दसूरि, संस्कृत दीपावलीकल्प सं., पद्य, आदि वाक्य: गुरोः श्रीवर्द्धमानस्य वाचः पुण्यरसोज्वलाः... पाताहेसं १६६- पे.क्र. ४, पृ. १-१२-, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अन्तनो पत्र नथी. श्लोक-१३८ सुधी छे. आ पत्रो कोई बीजी प्रतनुं लागे छे. एकज पत्र __ नो बे वखत झेरोक्ष थएल छे, परन्तु झे. पत्रांक ६१ अने ६२ क्रमसर आपेलु छे. प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९/१८ दीपिका टीका जुओ - आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका, आचार्य-जिनहंससूरि, संस्कृत, ग्रं.१०५०० दीपिका टीका जुओ - आचाराङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका, संस्कृत, ग्रं.९००० दीपिका टीका जुओ - आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका, आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, संस्कृत दीपिका टीका जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)दीपिकाटीका, संस्कृत, ग्रं.८६७० दीपिका टीका जुओ - काव्यप्रकाश-(सं.)दीपिका टीका, जैनेतर-जयन्त भट्ट, संस्कृत दीपिका टीका जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)दीपिका टीका, संस्कृत दीपिका टीका जुओ - सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिकाटीका, मुनि-उपाध्याय साधुरङ्ग, संस्कृत, ग्रं.१३४१६ दीपिका टीका जुओ - सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिकाटीका, गणि-हर्षकुलगणि, संस्कृत, श्लोक६६०० दीपिका वृत्ति जुओ - पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)दीपिकावृत्ति, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत दीपोत्सवकल्प (दीपालीकाकल्प) । आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., वताकांति ४०४, पृ. १५, सर्वानन्दसूरि कृत दीपोत्सव कल्प संस्कृत, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ 361 Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दुःख-सुखविपाककुलक (दुह-सुहविवागसूयक कुलग) प्रा., पद्य, गा.२७, आदि वाक्यः अणवरयकम्म-जललहरिहीरमाणेहिं जन्तुनिवहेहिं... पाताहेसं १४२- पे.क्र. ३, पृ. ३-६, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ दुःषमाव्यवच्छेदस्वरूप प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः झद्धित्तुमियसमिद्धं भारहवासं जिणिन्दकालिम्मि... भांता ७०- पे.क्र. ९९, पृ. १३६A-१३७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ दुर्गपदवृत्ति जुओ - नन्दीसूत्र-(सं.)दुर्गपदवृत्ति, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३३०० दुर्गपदवृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति-(सं.)अवचूरि, संस्कृत दुर्गपदवृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि, संस्कृत दुर्गपदव्याख्या जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास, आचार्य-कनकप्रभसूरि, संस्कृत दुर्घटसङ्ग्रह जुओ - रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत-किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह, कवि-राजकुण्ड, संस्कृत, श्लोक१०१६ दुषमगण्डिका (दूसमवोच्छेयगण्डिया), (दुषमगण्डिका), (दुसमगण्डिया), (विषमदण्डिका) प्रा., पद्य, गा.८१, ग्रं.१०४, आदि वाक्यः नमिऊण जिणवराणं णिज्जियमयमाणं निम्ममत्ताणं... कृ.विः गाथा-८३-१०४ सुधी मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र.९, पृ. १९८-२०७, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. नाम- दूसमगंडिया/विषमदंडिका, पे. विशेष- गाथा-११२. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ५४-२- पे.क्र. ३, पृ. १-१९, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. नाम- दुसमगण्डिया, पे. विशेष- गाथा-११२. डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी १८५-२- पे.क्र.८, पृ. २२७-२४२, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ तालाद ३३९- पे.क्र. १५, पृ. ९१-१०१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ दुषमोद्धारप्रकरण (दुसमोद्धार) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.४७, आदि वाक्यः नमिउण भुवणवीरं... पाताहेसं ११९- पे.क्र. ११, पृ. १५३-१५६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २१, पृ. ८०-८१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ८२,८३ नथी. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ 362 Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती दुष्षमगण्डिका जुओ - दुषमगण्डिका, प्राकृत, ग्रं.१०४, गा.८१ दुसमगण्डिया जुओ - दुषमगण्डिका, प्राकृत, ग्रं.१०४, गा.८१ दुसमोद्धार जुओ - दुषमोद्धारप्रकरण, आचार्य-उदयप्रभसूरि, प्राकृत, गा.४७ दुह-सुहविवागसूयक कुलग जुओ - दुःख-सुखविपाककुलक, प्राकृत, गा.२७ दुहामाइ जुओ - दुहामात्रिका, अपभ्रंश, गा.५८ दुहामातृका जुओ - दुहामात्रिका, अपभ्रंश, गा.५८ दुहामात्रिका (दुहामाइ), (दुहामातृका) अप., पद्य, गा.५८, आदि वाक्यः भले भणेविणु पणमियइ जग-गुरू जगह पयाणु... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. ११, पृ. १११-११४, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० दूसमपद्धति प्रा., पद्य, गा.६४, आदि वाक्यः नमिऊण भुवणवीरं जिणिन्दवीरं समासउ वोच्छं... पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४०, पृ. २५७-२६०, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ दूसमवोच्छेयगण्डिया जुओ - दुषमगण्डिका, प्राकृत, ग्रं.१०४, गा.८१ दृढप्रहारीकथा तपोविषये जुओ - तपोविषये दृढप्रहारीकथा, संस्कृत, श्लोक५१ दृढर्षिचरित्र जुओ - ढड्ढसियचरिय, आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्राकृत, गा.२०३ दृष्टान्तरत्नाकर श्लोकबद्ध गणि-अनन्तहंस, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५७१, पाकाहेम १७७२, पृ. २३, दृष्टान्तरत्नाकर श्लोकबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध कुल झे.पृष्ठ-२४ दृष्टान्तशतक श्लोकबद्ध सं.प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १७७१, पृ. २, दृष्टान्तशतक श्लोकबद्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ दृष्टान्तशतक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका १०३, पृ. ४, दृष्टान्तशतक अवचूरी, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-?/८७-९१ डीवीडी-८४ दृष्टान्तशतक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका १०३, पृ. ४, दृष्टान्तशतक अवचूरी, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-?/८७-९१ डीवीडी-८४ दृष्टिवाद सं., आदि वाक्य: वन्दित्वा परमात्मानं सर्वलोकावभासिकं... भांका २८६- पे.क्र.१, पृ. १, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङग्रह की तर्कदीपिका टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इसमें प्रारंभिक मंगलाचरण पाठ के बाद षड्दर्शनसमुच्चय लघुटीका संलग्न हो गयी है. दृष्टिवाद प्रारंभमात्र ही है. 363 Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ देलउलाण्डन ऋषभजिनस्तवन मन्त्रौषधिकल्पगर्भित जुओ - मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन, आचार्य मुनिसुन्दरसूरि, अपभ्रंश, श्लोक२५ देवकथा गद्य सं., गद्य, पाकाहेम ७४३३- पे.क्र. १, पृ. ?, देवकथा गद्य आदि, वि-१५१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० देवकीचरित्र जुओ - देवकीसुतचरित्र, प्राकृत, गा.९७ देवकीसुतचरित्र (देवकीचरित्र) प्रा., पद्य, गा.९७, आदि वाक्यः नमिऊण चलणजुयलं नेमिजिणिन्दस्स लोगनाहस्स। पाताखेत ११- पे.क्र. ९, पृ. १९८-२०७, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ देवगुर्वादिवर्णन भावनात्मक जुओ - भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन, संस्कृत देवत्वे स्थविराकथा (जिनपूजा उपर) (स्थविराकथा देवत्वे), (पूजा उपर देवत्वे स्थविराकथा) सं., पद्य, श्लोक८२, पातासंघवी १६८- पे.क्र. ११, पृ. ११५-११८, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ देवपत्तनजिनस्तवन आचार्य-विजयप्रभस्वामि, , पद्य, का.७, पाकाहेम ११२७०- पे.क्र. ३, पृ. ?, गौतमस्वामिस्तवन आदि, वि-२०मी, संपूर्ण देवपालकथा पूजायाम् (पूजायां देवपालकथा) पाताहेसं १८५- पे.क्र. ९, पृ. ???, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ देवपूजाविषये मणिचूडकथा गद्य (मणिचूडकथा देवपूजाविषये गद्य) प्रा., गद्य, पाकाहेम २१०६- पे.क्र. ३, पृ. २७-३२, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ देवभद्रगुरुस्तुति सं.,प्रा., पद्य, आदि वाक्यः श्रीमत्तीर्थपतिप्रणीतसमयक्षीरोदचन्द्रद्युतिः... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १२, पृ. १९६-१९७, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ देवराज-वत्सराजकथा पद्य दानविषये (दानविषये देवराज-वत्सराजकथा पद्य ) सं., पद्य, ग्रं.४००, पाकाहेम १०१७२, पृ. ११, देवराज-वत्सराजकथा पद्य दानविषये, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ देवराजादिकथा अविचारितकार्ये (अविचारितकार्ये देवराजादिकथा) सं.. पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ४, पृ. १६-२१, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० देववन्दनकुलक जुओ - चैत्यवन्दनकुलक, आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्राकृत, गा.३० देववन्दनादिभाष्य (भाष्यानि) प्रा., पद्य, 364 Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः देवेन्द्रसूरि कृतथी अन्य. (गद्य?) पाकाहेम १००७- पे.क्र. १, पृ. १-३, देववन्दनादिभाष्यत्रय व सङ्ग्रहणीप्रकरण, संपूर्ण पे. विशेष- देवेन्द्रसूरि कृतथी जुदी. प्रत विशेष- सूचिपत्र में पत्रांक १० का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. ३, पृ. ?, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- देववन्दनादिभाष्य टिप्पणी सहित, पे. विशेष- मूलगाथा-१२०. देवेन्द्रसूरिकृतभाष्यत्रयथी आ भाष्यो जुदां छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १६१७८, पृ. १०, देववन्दनादिभाष्य गद्य अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- देवेन्द्रसूरिथी अन्य. कर्ता छे. देववन्दनादिभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १६१७८, पृ. १०, देववन्दनादिभाष्य गद्य अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- देवेन्द्रसूरिथी अन्य. कर्ता छे. पाकाहेम १९५०७, पृ. १०, देववन्दनादि भाष्यत्रयावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० देववन्दनादिभाष्य-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. ३, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- देववन्दनादिभाष्य टिप्पणी सहित, पे. विशेष- मूलगाथा-१२०. देवेन्द्रसूरिकृतभाष्यत्रयथी आ भाष्यो जुदां छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ देववन्दनादिभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १६१७८, पृ. १०, देववन्दनादिभाष्य गद्य अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- देवेन्द्रसूरिथी अन्य. कर्ता छे. पाकाहेम १९५०७, पृ. १०, देववन्दनादि भाष्यत्रयावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० देववन्दनादिभाष्य-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ९५०४- पे.क्र.३, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- देववन्दनादिभाष्य टिप्पणी सहित, पे. विशेष- मूलगाथा-१२०. देवेन्द्रसूरिकृतभाष्यत्रयथी आ भाष्यो जुदां छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ देववन्दनादिभाष्यत्रय (भाष्यत्रय) प्रा., पद्य, गा.११३, कृ.विः देवेन्द्रसूरिकृत भाष्यथी आ भाष्य जूदा छे. पाकाहेम ९५४६- पे.क्र.६, पृ. ८८-९५, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ देववन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.८५०, पाकाहेम १०५९५, पृ. १३, देववन्दनादिभाष्यत्रय अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०३२, पृ. ९, देववन्दनादिभाष्यत्रयावचूरि, वि-१६७५, संपूर्ण 365 Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती देववन्दनादिभाष्यत्रय जुओ - भाष्यत्रय, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत देववन्दनादिभाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.८५०, पाकाहेम १०५९५, पृ. १३, देववन्दनादिभाष्यत्रय अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०३२, पृ. ९, देववन्दनादिभाष्यत्रयावचूरि, वि-१६७५, संपूर्ण देवसूरिकृत कुलक जुओ - मुनिचन्द्रसूरि विरह, आचार्य-वादिदेवसूरि, प्राकृत, गा.५५ देवाःप्रभोस्तोत्र (साधारणजिनस्तव), (उक्तित्रय समासषट्क षट्प्रत्ययमय जिनस्तवन), (जिनस्तवन उक्तित्रय समासषट्क षट्प्रत्ययमय ), (जिनस्तव) आचार्य-जयानन्दसूरि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः देवाः प्रभो... पाकाहेम ८१९९, पृ. ३, साधारणजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२००, पृ. १, साधारणजिनस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२४४, पृ. १, उक्तित्रय-समासषट्क-षट्प्रत्ययमय जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२४६, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२४७, पृ. १, साधारणजिनस्तवन, वि-१८५०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२४८, पृ. १, साधारणरजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६६५, संपूर्ण पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १२२५१- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १२२५६- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १५३३२, पृ. १, देवाःप्रभोस्तोत्र सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६१६, संपूर्ण देवाःप्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२४४, पृ. १-५, उक्तित्रय-समासषट्क-षट्प्रत्ययमय जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२४६, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२४८, पृ. १-५, साधारणरजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६६५, संपूर्ण पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. १, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १२२५१- पे.क्र. १, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १५३३२, पृ. १, देवाःप्रभोस्तोत्र सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६१६, संपूर्ण देवाःप्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि (साधारणजिनस्तव-(सं.)अवचूरि) गणि-वानर्षि, सं., गद्य, पाकाहेम ८१९९, पृ. ३, साधारणजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२००, पृ. १, साधारणजिनस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ देवाःप्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, 366 Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२२४४, पृ. १-५, उक्तित्रय-समासषट्क-षट्प्रत्ययमय जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२४६, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२४८, पृ. १-५, साधारणरजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६६५, संपूर्ण पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. १, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १२२५१- पे.क्र. १, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पाकाहेम १५३३२, पृ. १, देवाःप्रभोस्तोत्र सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६१६, संपूर्ण देवाःप्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि (साधारणजिनस्तव-(सं.)अवचूरि) गणि-वानर्षि, सं., गद्य, पाकाहेम ८१९९, पृ.३, साधारणजिनस्तव सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२००, पृ. १, साधारणजिनस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ देविन्दत्थओ जुओ - देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक, मुनि-ऋषिपालित, प्राकृत, गा.३८० देवीपूजा-स्थापन-विसर्जनविधि सं., पाकाहेम ८९२१- पे.क्र. ३, पृ. १-२, मयूरशिखाकल्प आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक (देविन्दत्थओ) मुनि-ऋषिपालित, प्रा., पद्य, गा.३८०, आदि वाक्यः अमरनरवन्दिए वन्दिऊण... कृ.विः गाथा- ३०० थी ३११ मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र.७, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-३००. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ९, पृ. ८०-९४, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १२, पृ. १४०-१५२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३००. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १००८८- पे.क्र.३, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक-चन्द्रवेध्यक-देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तव अजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. ४, पृ. २९-४०, भक्तपरिज्ञा आदि, वि-१५५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३००. प्रत विशेष- पत्र-११ थी २२ नथी. भांका १२३- पे.क्र.७, पृ. १६A-२०A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- देविन्दत्थओ, पे. विशेष- गाथा-२९२. सूचीपत्रांक-१-३४३. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. ___ कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका २२७- पे.क्र. ७, पृ. ३६०-४७A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण 367 Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३३९., गाथा-३००. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण सभापञ्चकप्रकरण जुओ - सभापञ्चकप्रकरण-देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण, आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्राकृत, ग्रं.५३ देशान्तरी छन्द मारुगूर्जर, पद्य, पाकाभाभा ४३, पृ. ५, देशान्तरी छन्द, वि-१८८७, संपूर्ण देशीनाममाला आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्रा., पातासंघवी १५२-२, पृ. ११४, देशी नाममाला, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५५-१, पृ. २१२, देशीनाममालावृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- रत्नावली नामनी डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ७२२५, पृ. ७२, देशीनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७१ देशीनाममाला-(सं.)स्वोपज्ञ रत्नावली वृत्ति (रत्नावली वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी १५५-१, पृ. २१२, देशीनाममालावृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- रत्नावली नामनी डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ७२२५, पृ. ७२, देशीनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७१ देशीनाममाला उद्धार आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, श्लोक१२००, पाकाहेम २३००, पृ. २१, देशीनाममाला उद्धार, वि-१६४०, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८७२५, पृ. २४, देशीनाममाला उद्धार, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२७०. कुल झे.पृष्ठ-२४ देशीनाममाला उद्धार आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, श्लोक१२००, पाकाहेम २३००, पृ. २१, देशीनाममाला उद्धार, वि-१६४०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८७२५, पृ. २४, देशीनाममाला उद्धार, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२७०. कुल झे.पृष्ठ-२४ देशीनाममाला-(सं.)स्वोपज्ञ रत्नावली वृत्ति (रत्नावली वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी १५५-१, पृ. २१२, देशीनाममालावृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- रत्नावली नामनी डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ७२२५, पृ. ७२, देशीनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१६६०, संपूर्ण 368 Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देहस्वरुपकुलक दैवाष्टक प्रा., पद्य, गा.२३. कुल झ. पृष्ठ-७१ कृ. विः गर्भवासनो अधिकार. पाकाहेम ७७९६, पृ. १, देहस्वरूपकुलक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम ९६२०- पे.क्र. ३, पृ. १, दानविधिकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०८४, पृ. १, देहस्वरूपकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष जीर्णप्राय. सं., पथ, श्लोकर, पद्य, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १२, पृ. ४, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १२, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष उंदरे करडेली छे. दोहापाहुड (दोहाप्राभृत) कृति उपरथी प्रत माहिती - कुल झ. पृष्ठ-६ झे. दोघट्टीवृत्ति जुओ उपदेशमालाप्रकरण-(सं.) दोघट्टीवृत्ति, आचार्य - रत्नप्रभसूरि, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, ग्रं. ११७६४ दोधक टीका जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद - (सं.) बृहद्वृत्ति की (सं. +अप.) दोधक टीका, संस्कृत, अपभ्रंश द्रव्यस्तवविचार मुनि वीरचन्द्र शिष्य अप, पद्य, गा.३३३, 7 भांका १०२, पृ. १९, दोहापाहूड, संपूर्ण द्रव्यालङ्कार प्रत विशेष भण्डारसंदर्भांक-१/८७-९१ कुल झे. पृष्ठ-१४, डीवीडी-८४ दोहाप्राभृत जुओ- दोहापाहुड, मुनि - वीरचन्द्र शिष्य, अपभ्रंश, गा.३३३ दौर्गसिंहीवृत्ति जुओ - कातन्त्रव्याकरण - ( सं .) दौर्गसिंहीवृत्ति, जैनेतर - दुर्गसिंह, संस्कृत कथा जुओ- नलकथा द्युते, सं., गद्य, पाकाहेम ८३८७- पे.क्र. १, पृ. १-६, द्रव्यस्तवविचार आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ आचार्य - रामचन्द्रसूरि आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य, अताका ४८१ पृ. १ द्रव्यालङ्कार, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी, (पंडित रामचंद्र गुणचंद्र ) डीवीडी - १०३/१०४ अताका ४८२, पृ. २, द्रव्यालङ्कार, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (पंडित रामचंद्र गुणचंद्र ) डीवीडी - १०३/१०४ अताका ४८३ पृ. १, द्रव्यालङ्कार, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (पंडित रामचंद्र गुणचंद्र ) (संवत १४९२ नी लखेली प्रत ) डीवीडी- १०३/१०४ अताका ४८४, पृ. २, द्रव्यालङ्कार, संपूर्ण प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. (पंडित रामचंद्र गुणचंद्र ) ( संवत १४९२नी लखेली प्रत ) 369 Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१०३/१०४ द्वात्रिंशद्जीव परिमाण जुओ - बत्रीस जीव परिमाण, प्राकृत, गा.२८ द्वात्रिंशद्दलकमलबन्धमय महावीरस्तवन (महावीरस्तवन द्वात्रिंशद्दलकमलबन्धमय) मुनि-उदयधर्म, सं., पद्य, श्लोक१८, पाकाहेम ११२९१, पृ. १, द्वात्रिंशद्दलकमलबन्धमय महावीरस्तवन, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका (सिद्धसेनीया द्वात्रिंशिका) आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, सं., पद्यअध्याय३२वत्री, आदि वाक्यः स्वयम्भुवं भूतसहस्रनेत्रमनेकमेकाक्षरभावलिङ्गम्... पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.४, पृ. १-६, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- द्वात्रिंशिका सिद्धसेनीया प्रथम द्वात्रिंशिका, पे. विशेष- गायकवाडी नंबर २४१(४) आपेलो छे., पत्रना टुकडा थयेला छे., गायकवाडी केटलोगमां अन्ययोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका-अपूर्ण हेमचन्द्रसूरिकृत लखेल छे. डीवीडी-३८/५५ भांता ६७, पृ. ९०, द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका १ - २० द्वात्रिंशिका, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३०. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-७२/८२ द्वात्रिंशद्वात्रिंशिकाप्रकरण उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पद्यअध्याय३२बत्री, अताका ४७६, पृ. ?, द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १४५८- पे.क्र. १, पृ. १-३४, द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिकाप्रकरण सह स्वोपज्ञ वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९० द्वात्रिंशद्वात्रिंशिकाप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति उपाध्याय-यशोविजयजी गणितपागच्छीय], सं., गद्य, कृ.विः उभय श्लोक-५५००. पाकाहेम १४५८- पे.क्र. २, पृ. ३४-१३५, द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिकाप्रकरण सह स्वोपज्ञ वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९० द्वात्रिंशद्वात्रिंशिकाप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., गद्य, कृ.विः उभय श्लोक-५५००. पाकाहेम १४५८ - पे.क्र. २, पृ. ३४-१३५, द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिकाप्रकरण सह स्वोपज्ञ वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९० द्वात्रिंशल्लक्षण सं., गद्य, आदि वाक्यः त्रिषु विपुलो गम्भीरस्त्रिष्वेव... भांता ७०- पे.क्र. ११३, पृ. १५००-१५०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ द्वादश व्रत स्वरूप जुओ - भृगुकच्छ वास्तव्य श्रावक द्वादश व्रत स्वरुप, द्वादशकुलक गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.२३३, पाकाहेम ६५९७, पृ. ४२, द्वादशकुलक सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण 370 Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. ११, पृ. १२-१८, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ द्वादशकुलक-(सं.)विवरण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, ग्रं.३३६३, पाकाहेम ६५९७, पृ. ४२, द्वादशकुलक सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ द्वादशकुलक-(सं.)विवरण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, ग्रं.३३६३, पाकाहेम ६५९७, पृ. ४२, द्वादशकुलक सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ द्वादशभावना प्रा., पद्य, गा.१४, पाकाहेम ११०४६- पे.क्र. २, पृ. १, मोक्षोपदेशपञ्चाशिका आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४. द्वादशभावना प्रा., पद्य, गा.१३२, ग्रं.१५७, आदि वाक्यः तित्थयरे भगवन्ते अणुत्तर परक्कमें अमिय नाणी... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.८, पृ. ८१-८७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३३. प्रारंभिक-१७ गाथाएँ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १७, पृ. १४१-१५०, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ द्वादशभावनाकुलक (बार भावना) प्रा., पद्य, गा.२१०, आदि वाक्यः पढममणिच्चयमसरणय संसारो एगया य अन्नत्तं।... पाताखेत १७-२- पे.क्र.८, पृ. १२७-१४६, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र.३, पृ. ५५-७०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ द्वादशभावनाकुलक (द्वादशभावनालघुकुलक) आचार्य-सोमसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः मण मक्कड निअ मण सङ्कलाउ... पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३९, पृ. २५६-२५७, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाकाहेम ७७९१- पे.क्र. २, पृ. १, क्षामणककुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ द्वादशभावनाकुलक (भावनाकुलक) आचार्य-जिनेश्वरसूरि, अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः धणु जुव्वणु जीविउ सयलु चञ्चलु... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र.२६, पृ. ११६-११७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ द्वादशभावनालघुकुलक जुओ - द्वादशभावनाकुलक, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.१२ द्वादशभावनास्वरुप प्रा., पाताहेसं १०८, पृ. ६३, द्वादशभावनास्वरूप अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१६ 371 Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १९, पृ. १९६-२०२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३२. ___ कुल झे.पृष्ठ-३१ द्वादशव्रतातिचार जुओ - सम्यक्त्वद्वादशव्रतातिचार, संस्कृत द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आचार्य-जिनभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः नमिऊण जिणगाणं... पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. १, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण द्वादशानुप्रेक्षा सं., गद्य, आदि वाक्यः मदमदनकषाया... कृ.विः दिगम्बर कृति. भांका २९३- पे.क्र.८, पृ. ३८B-४६A, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. __ कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ द्वादशार नयचक्र-(सं.)न्यायागमानुसारिणी टीका (न्यायागमानुसारिणी टीका) आचार्य-सिंहसूरि क्षमाश्रमण, सं., गद्य, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः जयति नयचक्रनिर्जित निःशेष विपक्षचक्र वृत्तान्तः... पाकाहेम १६१६०, पृ. ४७५, द्वादशार नयचक्र की न्यायागमानुसारिणी टीका, वि-१७१४, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्त के कुछ पत्र नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-३१६ द्वादशार्थविचार प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः लयसद्दा दिणमणिणो धाइसण्डं च जे विभूसन्ति... पाताखेत ६- पे.क्र. ४३, पृ. २२८-२३०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ द्वाविंशति परिसह जुओ - २२ परीसह नाम, प्राकृत, गा.२ द्विचत्वारिंशद्दोषविवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः द्विशतेसप्तत्यधिके कोटीनां स्युः... भांता ७०- पे.क्र. १०८, पृ. १४५A-१४८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१४४९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ द्विजवदनचपेटा-वेदाङ्कुश (वेदाङ्कुश) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं.. पाकाहेम ७९४६, पृ. २, द्विजवदनचपेटा-वेदाकुश, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ द्वितीयकालग्रहणविधि (बीयकालग्गहणविहि), (कालग्रहणविधि) मुनि-शीलचन्द, प्रा., पद्य, गा.८४, आदि वाक्यः चउरासीगाहाण वाणायरियसीलचन्देण... कृ.विः पाउसि उद्धरत्ते उत्तरदिसि...पुव्वदिसा पच्छिमे कालो. भांता ७०- पे.क्र. २०, पृ. २७A-२९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३९७. 372 Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति मुनि-पुण्यरत्न[विधिपक्ष], सं., पद्य, श्लोक२६, पाकाहेम ५२१२, पृ.७, द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति सटीकत्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति-(सं.)टीका मुनि-रामर्षि, सं., गद्य, पाकाहेम ५२१२, पृ.७, द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति सटीकत्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति-(सं.)टीका मुनि-रामर्षि, सं., गद्य, पाकाहेम ५२१२, पृ. ७, द्विवर्णरत्नमालिकास्तुति सटीकत्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ द्विविध तप निरूपण सं., गद्य, आदि वाक्यः बाह्याभ्यन्तरभेदेन द्विविधोपि तपो विधौ... भांका २९३- पे.क्र.९, पृ. ४६०-५०A, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ द्विसन्धानकाव्य नाभेय-नेमि जुओ - नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत द्विसन्धानमहाकाव्य (राघवपाण्डवीय) मुनि-धनञ्जय[दिगम्बर], सं., पद्य, भांका १७१, पृ. २१५, द्विसन्धानमहाकाव्य सह पादकौमुदी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९८६. पत्र-२१५+२+४=२२१., ग्रन्थाग्र-१२०००. , ३ थी ९, २२ थी ९९, २१९ एम कुल ८६ पत्र खूटे छे. डीवीडी-८६ द्विसन्धानमहाकाव्य-(सं.)पादकौमुदी टीका (पादकौमुदी टीका) आचार्य-नेमिचन्द्र (दिगम्बर), सं., पद्य, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः श्रीमान् शिवानन्दननयीशवन्द्यो भूयाद्विभूत्यै मुनिसुव्रतो वः... भांका १७१, पृ. २१५, द्विसन्धानमहाकाव्य सह पादकौमुदी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९८६. पत्र-२१५+२+४=२२१., ग्रन्थाग्र-१२०००. ,३ थी ९,२२ थी ९९, २१९ एम कुल ८६ पत्र खूटे छे. डीवीडी-८६ द्विसन्धानमहाकाव्य-(सं.)पादकौमुदी टीका (पादकौमुदी टीका) आचार्य-नेमिचन्द्र (दिगम्बर), सं., पद्य, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः श्रीमान् शिवानन्दननयीशवन्द्यो भूयाद्विभूत्यै मुनिसुव्रतो वः... भांका १७१, पृ. २१५, द्विसन्धानमहाकाव्य सह पादकौमुदी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९८६. पत्र-२१५+२+४=२२१., ग्रन्थान-१२०००. , ३ थी ९, २२ थी ९९, २१९ एम कुल ८६ पत्र खूटे छे. डीवीडी-८६ द्वीपसागरप्रज्ञप्तिप्रकीर्णक प्रा., पद्य, गा.२२४, ग्रं.२८०, आदि वाक्यः पुक्खरवरदीवड्ढं परिक्खिवइ माणुसोत्तरो सेलो... पातासंघवी ६३-२- पे.क्र.४, पृ. ७७B-१०५B, निरयावली आदि, वि-१३०९, संपूर्ण 373 Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र-१०२+१०५=२०७. झेरोक्ष पत्र-४६ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-३०/४९ द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी प्रा., पद्य, गा.२२५, ग्रं.२००, आदि वाक्यः पुक्खरवरदीवड्ढं परिक्खिवइ माणुसोत्तरो सेलो... पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १५, पृ. १२२-१३१, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२२०. कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ६७३७, पृ. ६, द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी, वि-१५५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १००९२- पे.क्र. २, पृ. २३-२७, तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक आदि, वि-१५७४, संपूर्ण पे. विशेष- गथा-२२३. भांका १६५, पृ. ६, द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९८., गाथा-२२३., ५ मुं पत्र नथी. डीवीडी-८६ द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी प्रा., पद्य, गा.२२५, ग्रं.२००, आदि वाक्यः पुक्खरवरदीवड्ढे परिक्खिवइ माणुसोत्तरो सेलो... पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १५, पृ. १२२-१३१, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२२०. कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ६७३७, पृ. ६, द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी, वि-१५५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १००९२- पे.क्र. २, पृ. २३-२७, तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक आदि, वि-१५७४, संपूर्ण पे. विशेष- गथा-२२३. भांका १६५, पृ. ६, द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३९८., गाथा-२२३., ५ मुं पत्र नथी. ____ डीवीडी-८६ व्यक्षर नेमिस्तव जुओ - नेमिट्ट्यक्षरस्तव, संस्कृत व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य जुओ - सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्राकृत, श्लोक९५० द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-द्व्याश्रयसंस्कृत महाकाव्य, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२८२८ व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-द्व्याश्रयसंस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति, गणि अभयतिलक, संस्कृत, ग्रं.१७५७४ व्याश्रयमय वीरस्तवन (वीरजिनस्तवन द्व्याश्रयमय) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१७, पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ७, पृ. ६, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ धनदकथा दानविषये (दानविषये धनदकथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र.७, पृ. २८-३०, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० धनदकथानक-चतुर्थव्रततृतीयातिचारविपाके (चतुर्थव्रततृतीयातिचारविपाके -धनदकथानक) , प्रा., पद्य, गा.१०४, आदि वाक्यः कक्खोरुहवयणाईरमणीणमनङ्गकीलणकएण... 374 Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ९, पृ. ५७-६९A, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- यह कृति झेरोक्ष पत्र ५३-५७ पर उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० धनदत्तकथानक भावनाप्रभावे (भावनाप्रभावे धनदत्तकथानक) प्रा., पद्य, गा.११२, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. ९, पृ. ९६-१०६, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ धनदत्रिशती जैनश्रावक-धनद, सं., ग्रं.३००, पाकाहेम ९४९४, पृ. १२, धनदत्रिशती, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ धनदेवधनदत्तकथा दानविषये (दानविषये धनदेवधनदत्तकथा) प्रा., पद्य, गा.१४१, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. १, पृ. १-१३, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पाताहेसं १८५- पे.क्र. १२, पृ. २००-२०८, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ धनपालकवि-शोभनमुनिकथा (शोभनमुनि धनपालकवि कथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. २१, पृ. ७५-८२, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० धनपालपञ्चाशिका जुओ - ऋषभपञ्चाशिका, कवि-धनपाल, प्राकृत, गा.५० धनमित्रादिकथा-विविधप्रसङ्गे सं., आदि वाक्यः ज्ञानवान् ज्ञानदानेन निर्भयोभयानतः... भांका ९४, पृ. १३, धनमित्रादिकथा, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८४ धनश्रेष्ठिकथा सम्यक्त्वविषये (सम्यक्त्वविषये धनश्रेष्ठिकथा) प्रा., पद्य, गा.८०, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. २, पृ. १४-२३, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ धन्य-शालिभद्रकथा दाने (दाने धन्य-शालिभद्रकथा) सं., पद्य, श्लोक२१८, पातासंघवी १६८- पे.क्र. १४, पृ. १२४-१३०, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- दान विषे डीवीडी-३६/५४ धन्यचरित्र पद्य जुओ - दानकल्पद्रुम-धन्यचरित्र पद्य, आचार्य-जिनकीर्तिसूरि, संस्कृत, ग्रं.१२९२ धन्यशालीचरित्र जुओ - दानकल्पद्रुम-धन्यचरित्र पद्य, आचार्य-जिनकीर्तिसूरि, संस्कृत, ग्रं.१२९२ धन्यसुन्दरी कथा प्रा., पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. ४, पृ. ८०-११५, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ 375 Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती धम्मरयणपगरण जुओ - धर्मरत्नप्रकरण, आचार्य-शान्तिसूरि, प्राकृत, गा.१४५ धम्मारिहकुलक जुओ - जीवोपदेशपञ्चाशिका, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.५० धम्मोवग्गहकुलक जुओ - दानविधिकुलक, प्राकृत, गा.२५ धरणोरगेन्द्रस्तव (पार्श्वनाथ धरणोरगेन्द्रस्तव), (पार्श्वनाथस्तोत्र), (पार्श्व जिनस्तव), (पार्श्वनाथमहास्तव) आचार्य-देवसूरि, सं., पद्य, गा.३६, ग्रं.३९, आदि वाक्यः धरणोरगेन्द्रसुरपतिविद्याधरपूजितं जिनं नत्वा।... पाताखेत २३- पे.क्र. १९, पृ. ३३८-३४०, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३८. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १९, पृ. २०८-२११, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१-पे.क्र. २६, पृ. २०६-२०९, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- धरणोरगेन्द्रसमा, पे. विशेष- श्लोक-३५. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र.७, पृ. ४३-४८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-३५, गायकवाड केटलॉगमां कर्ता वादिदेवसूरि. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४५, पृ. १३५-१३६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३४. डीवीडी-३८/५५ वताकांति ४२१, पृ. ३, धरणोरगेन्द्र संस्कृत, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ११२६८ - पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथ-धरणोरगेन्द्रस्तव आदि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३३२- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-३९. पाकाहेम १२३३४, पृ. १, धरणोरगेन्द्रस्तव, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३८. धर्मकुलक जुओ - चतुर्धर्म कुलक, प्राकृत, गा.३० धर्मकुलक आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२२, पातासंघवी १६८- पे.क्र.२, पृ. ८५, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ धर्मकुलक जुओ - नाणाचित्तप्रकरण, प्राकृत, गा.८१ धर्मघोषसूरिस्तुति आचार्य-रविप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक३३, आदि वाक्यः श्रीधर्मघोषसूरीणां गुणाली देवतामिव... पाताहेसं ११९- पे.क्र. १९, पृ. २०९-२१६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ धर्मघोषसूरिस्तोत्र अप., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः मणवञ्छियसुहङ्करणो दालिद्दहरणो दालिद्दरोगसोगाणं... पाताखेत २३- पे.क्र. २२, पृ. ३४६-३४८, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ धर्मजिन स्तवन सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः अमरशेष... 376 Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः अन्तवाक्य-सुखमक्षयं. पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५३, पृ. १२५आ-१२६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- धर्मनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. लिपी अवाच्य है. झेरोक्ष पत्र-६१-६२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ धर्मपरीक्षा आचार्य-अमितगति[दिगम्बर], सं., पद्य, श्लोक१७३९, पाकाहेम १०१२७, पृ. ४३, धर्मपरीक्षा, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४थु नथी. कुल झे.पृष्ठ-४४ धर्मपरीक्षा मुनि-हरिषेण, अप., रचना सं. विक्रम १०४४अध्याय११सन्धि, ग्रं.२०७०, आदि वाक्यः सिद्धिपुरन्धिहिकन्तु सुखें तणु मण बयणे भत्ति... कृ.विः इसके संपादन में जिनरत्नकोश का मदद लिया गया है. भांका २८९, पृ. १३७, धर्मपरीक्षा, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. पदच्छेद, टिप्पणादि से युक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका. कर्मचन्द राज्य प्रवर्तमाने. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-९१ धर्मपरीक्षा उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], प्रा., पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपरीक्षा-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पद्य, श्लोक५५५०, पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपरीक्षा मुनि-मनोहर (दिग.), हिन्दी, पद्य, गा.१०८३, आदि वाक्यः पणमुं अरहन्तदेव गुरु निरगन्थ दया धरम भवदधि तारण एव... कृ.विः भाषा-प्राचीन हिन्दी. भांका २९०, पृ. १०१, धर्मपरीक्षा, संपूर्ण - प्रत विशेष- पत्रांक-४३.५७ अवास्तिवक घटते पत्र है. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-९१ धर्मपरीक्षा-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-यशोविजयजी गणितपागच्छीय], सं., पद्य, श्लोक५५५०, पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपाल-वस्तुपालकथा सं., पातासंघवी १६८-पे.क्र. १२, पृ. ११८-११९, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो भूसाई गया छे. डीवीडी-३६/५४ धर्मप्रभगुरुगुणमाल मारुगूर्जर, पद्य, गा.१८, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.५३, पृ. १५४-१५५, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण 377 Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ धर्मप्रभगुरुविवाहलुं मारुगूर्जर, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४७, पृ. १४७मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ धर्मप्रभसूरिधुल-धवल मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४८, पृ. १४७-१४८, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ धर्मप्रभावगाथा प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः धम्मेण धणसमिद्धो धवलजसे धम्मसाहणुजुत्तो... कृ.विः अन्त वाक्य-सइमइविहवो पवित्थरइ. पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ९, पृ. ३A-४A, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० धर्मप्रभावे गुणवर्मकुमारकथा जुओ - गुणवर्मकुमारकथा धर्मप्रभावे, संस्कृत धर्मप्रभावे वसुभूति वसुमित्रकथा जुओ - वसुभूति वसुमित्रकथा धर्मप्रभावे, संस्कृत धर्मबिन्दु (जैन न्याय) सं.. डतामुक्ता ४६५, पृ.?, धर्मबिन्दु (जैनन्याय), वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०१/१०२ धर्मबिन्दुप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्यअध्याय८, आदि वाक्यः प्रणम्य परमात्मानं समुद्धृत्य श्रुतार्णवात्... तालाद ३३५, पृ. २७२, धर्मबिन्दु सह टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११२, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ११२ छे., डीवीडी-९४/९६ लिंता ९६७, पृ. ९४, धर्मबिन्दुसटीक, अपूर्ण पाकाहेम ६५८४, पृ. ५२, धर्मबिन्दुप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं अने ४५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-५१ धर्मबिन्दुप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३०००, आदि वाक्यः शुद्धन्यायवशायत्तीभूतसद्भूतसम्पदे ।... तालाद ३३५, पृ. २७२, धर्मबिन्दु सह टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११२, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ११२ छे., डीवीडी-९४/९६ लिंता ९६७, पृ. ९४, धर्मबिन्दुसटीक, अपूर्ण पाकाहेम ६५८४, पृ. ५२, धर्मबिन्दुप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं अने ४५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-५१ धर्मबिन्दुप्रकरण-(सं.)वृत्ति __ आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३०००, आदि वाक्यः शुद्धन्यायवशायत्तीभूतसद्भूतसम्पदे ।... 378 Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३३५, पृ. २७२ धर्मबिन्दु सह टीका, वि-१५मी संपूर्ण 3 धर्ममतिभावनाकुलक लिंता ९६७, पृ. ९४, धर्मबिन्दुसटीक, अपूर्ण पाकाहेम ६५८४, पृ. ५२, धर्मबिन्दुप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २० अने ४५मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-५१ कुल झे. पृष्ठ - ११२, झे. रिमार्क झेरोक्ष पृष्ट ११२ छे., डीवीडी- ९४ / ९६ पद्य, गा. ३०, पातासंघवी १८१-१- पे. क्र. १८, पृ. १९३-१९५, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ धर्मरत्नकरण्डक आचार्य वर्द्धमानसूरि, सं., पद्य, श्लोक १००००, बताहंस ४४५, पृ. २५०, धर्मरत्नकरण्डक, संपूर्ण डीवीडी- ९९/१०० पाकाहेम १३९२४, पृ. २११, धर्मरत्नकरण्डक सटीक, वि-१८८०, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४३ धर्मरत्नकरण्डक (सं.) टीका सं. गद्य, पाकाहेम १३९२४, पृ. २११, धर्मरत्नकरण्डक सटीक, वि-१८८०, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४३ धर्मरत्नकरण्डक- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १३९२४, पृ. २११, धर्मरत्नकरण्डक सटीक, वि-१८८०, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १४३ धर्मरत्नप्रकरण (धम्मरयणपगरण) आचार्य - शान्तिसूरि, प्रा., पद्य, गा. १४५, आदि वाक्यः नमिउण सयल गुणरयणकुलहरं विमलकेवलं वीरं । .... पाताखेत ४२- पे.क्र. १४, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. ५. पृ. १७५-१९३. पुष्पमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६२१- पे. क्र. ३. पृ. ?, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ८ पृ. १०९-१२४, पुष्पमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं १७५, पृ. १७१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१२७१, संपूर्ण डीवीडी-२/१९ तालाद ३२६- पे. क्र. १५ पृ. १२७-१३६, बृहत्सग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १०६, डीवीडी- ९४ / ९६ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २५. पृ. ९२-९६ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पाकाहेम १४८७४, पृ. १७८ धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण 379 Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४ धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९७००, आदि वाक्यः सज्ज्ञानलोचनविलोकितसर्वभावनिःसीमम्भीमभवकाननदाहदावम्... पाकाहेम १४८७४, पृ. १७८, धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाभाभा ५७, पृ. १५१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १७५, पृ. १७१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१२७१, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९७००, आदि वाक्यः सज्ज्ञानलोचनविलोकितसर्वभावनिःसीमम्भीमभवकाननदाहदावम... पाकाहेम १४८७४, पृ. १७८, धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाभाभा ५७, पृ. १५१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १७५, पृ. १७१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१२७१, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ धर्मरत्नाकर आचार्य-जयसेन[सरस्वतीगच्छ], सं., पद्यअध्याय२१, आदि वाक्यः लक्ष्मीनिरस्तनिखिलापदमाप्नुवन्तो... भांका १८९, पृ. ९९, धर्मरत्नाकर, वि-१८३२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६६, डीवीडी-८७ धर्मरसायण (रयणसार) प्रा., पद्य, गा.१५५, आदि वाक्यः णमिऊण देवदेवं धरणिन्दणरिन्दइन्भयप्रदम्।... कृ.विः अ.वा.-पावइ सासयं ठाणं. भांका २८८, पृ. १३, धर्मरसायण, वि-१८१२, संपूर्ण ___कुल झे.पृष्ठ-७, डीवीडी-९१ धर्मरसायण (रयणसार) मुनि-पदमनन्दिदेव दिगम्बर], प्रा., पद्य, गा.१९५, आदि वाक्यः णमियूण वड्ढमाणं परमप्पाणं जिणनियं सिरसा।... भांका २८७, पृ. १६, धर्मरसायण, वि-१८१२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखक की भूल से गाथाक्रम ११० की जगह १ दिया गया है. इस प्रकार से कुल गाथा २०४. कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-९१ धर्मलक्षण सं., आदि वाक्यः सितं चित्तं... कृ.विः भाषा? पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. ३, पृ. ८२-८४, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ धर्मलक्षण 380 Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः पंचपाठ भांता २४- पे.क्र. ११, पृ. ९३०-९४B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ धर्मलक्षणप्रकरण आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः धर्मार्थं क्लिश्यते लोको न च धर्मं परीक्षते।... पाताखेत ५- पे.क्र. १२, पृ. १६६-१६८, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-१७. प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. १५, पृ. १८४-१८५, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. ६, पृ. ३३५-३३७, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १०८- पे.क्र. १३, पृ. ६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ५९-३- पे.क्र.५, पृ. ३-४, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ७, पृ. १३८-१३९, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-१९. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ३०, पृ. २२८-२२९, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- सर्वज्ञोक्तविध धर्मलक्षण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६७-१- पे.क्र. ४, पृ. ४०मुं, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. ५, पृ. १७७-१७९, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १९, पृ. २३७-२३९, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १२, पृ. ६७-६८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २२, पृ. ११४-११५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४८, पृ. ३३२-३३३, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४४, पृ. ८८आ-८९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण 381 Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४९-५०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २६, पृ. १२०B-१२१B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सर्वज्ञोक्त दशविधधर्मलक्षण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७२- पे.क्र. १५, पृ. ७७A-७८B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्र नं.-९४४. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र.७, पृ. ६५मुं, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. १३, पृ. १८५-१८७A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. _कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १७, पृ. ३५-३६, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ११, पृ. १६-१७, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास मुनि-आनन्द, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १४८७६- पे.क्र. २, पृ.७, शीलोपदेशमाला,धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास, वि-१५७३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३-५७. कुल झे.पृष्ठ-८ धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति सं., पद्य, श्लोक१५, ग्रं.२३, पाकाहेम ७३९७, पृ. १, धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७३९७, पृ. १, धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७३९७, पृ. १, धर्मलक्ष्मीमहत्तरास्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ धर्मविलास उपाध्याय-मतिनन्दन गणि[खरतरगच्छ], गुरु-उपाध्याय-धर्मचन्द्र गणि[खरतरगच्छ], सं., पद्यअध्याय४उल्लास, आदि वाक्यः विश्वत्रयीजन्तुहितावहं तज्जीयात् परं ज्योतिरिदं पवित्रं... कृ.विः संघपति श्रेष्ठिवर्य जावड श्रावक के आग्रह से रचना हुई है. 382 Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुणे ४१७, पृ. ८७, धर्मविलास, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८७ धर्मशर्माभ्युदय कवि-हरिचन्द्र (दि.), सं., पद्यसर्ग२१, आदि वाक्यः श्रीनाभिसूनोश्चिरमंह्रियुग्मनखेन्दवः कौमुदमेधयन्तु... पातासंघवी ६०१ पृ. १४८, धर्मशर्माभ्युदय, संपूर्ण डीवीडी-३०/४८ पातासंघवी १८६-१, पृ. १९५, धर्मशर्माभ्युदय, वि-१२८७, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र १ थी २१ पानानी कोरो खरी गई छे डीवीडी-३७/५४ धर्मसङ्ग्रहणीप्रकरण कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य - हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ६६६२, पृ. १४४, धर्मसङ्ग्रहणी सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ- १४४ धर्मसङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.) वृत्ति आचार्य मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः यथास्थिताशेषपदार्थसार्थप्रकाशनं शासनमद्वितीयं ..... - पातासंघवी ४५ पृ. ३२९ धर्मसङ्ग्रहणीवृत्ति, वि-१४३७, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका, सारी, तद्दन वळी गयेली. मुश्केलीथी बांधी छे. डीवीडी-२७/४६ पाकाहेम ६६६२, पृ. १४४ धर्मसङ्ग्रहणी सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४४ धर्मसङ्ग्रहणीप्रकरण-( सं . ) वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः यथास्थिताशेषपदार्थसार्थप्रकाशनं शासनमद्वितीयं..... पातासंघवी ४५, पृ. ३२९, धर्मसङ्ग्रहणीवृत्ति, वि-१४३७, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका, सारी तद्दन वळी गयेली. मुश्केलीथी बांधी छे. डीवीडी-२७/४६ पाकाहेम ६६६२, पृ. १४४ धर्मसङ्ग्रहणी सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १४४ धर्मसार - मृगावतीचरित्र आचार्य देवप्रभसूरि मलधारी [हर्षपुरीयगच्छ], सं., पाताहेसं ५४-१, पृ. ५३, धर्मसार मृगावती चरित्र (अपूर्ण), अपूर्ण प्रत विशेष- ५४/१ अने ५४/२ भेगा छे, डीवीडी-६/१५ धर्मसूरिस्तवन मारुगुर्जर, पद्य, गा. २७, आदि वाक्यः पहिलउं पणमतं वीरजिजिन्दु पणयसुरासुरखयरनरिन्दु.... पाताखेत २३- पे.क्र. २३ पृ. ३४८-३५०, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ धर्मसूरिस्तुति प्रा., पद्य, गा. २४, आदि वाक्यः जय तिहुयणसूरिमण्डण जय सियसियजसपसरधवलियत्थि... पाताखेत २३- पे. क्र. १२ पृ. ३२-३३१, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ धर्मसूरिस्तुति (बारह नावउं द्वादशमास ) अप, पच, गा. ५०, आदि वाक्यः तिहुयणमणिचूडामणिहिं बारह नावउं धमुसुरिनाहह.... पाताहेसं ११९- पे.क्र. २०, पृ. २१६ - २२१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. 383 . Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ धर्माचार्यबहुमानप्रकरण आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.३४, आदि वाक्यः नमिऊं गुरुपयपउमं धम्मायरियस्स निययसीसेहिं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३२, पृ. ४१-४२, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ धर्माधर्मविचारकुलक आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१९, आदि वाक्यः (१) अह जण निसुणिज्जउ कन्नि धरिज्जउ धम्माधम्मविचार फुडु...(२) इय जणु निसुणिज्जउ... पाताखेत ६- पे.क्र. ६, पृ. ९४-९६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३६, पृ. २५१-२५२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१९. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. २९, पृ. ५६अ-५८अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१८. झेरोक्ष पत्र-३९-४०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. __ कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३३, पृ. १३३A-१३४A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- धर्माधर्मप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-१८. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ धर्माधर्मविचारकुलक मारुगूर्जर, पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः चउदहपूरवमांहि जु सारु... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५९, पृ. २४०-२४१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र (सङ्घपतिवस्तुपालचरित्र), (वस्तुपालचरित्र) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., ग्रं.५२००, आदि वाक्यः अहँल्लक्ष्मी स्तुमः श्रेष्ठपरमेष्ठिपदप्रदाम्... कृ.विः छाया नाटक. पातासंघवी ९४, पृ. ४१६, धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १-३-२०६ना टुकडा छे. १२५-१२७ घसाई गया छे. १९५, २२४, २२८, २४४ थी २५४, २५९, ३०१ थी ३०६, ३०९, ३१२ थी ३२१, ३२३, ३२४, ३२६, ३२७, ३३०, ३५३ थी ३५५, ३६२, ३६३, ३६७ थी ४११, ४१४ नथी. डीवीडी-३२/५१ धर्माभ्युदय छायानाट्यप्रबन्ध आचार्य-मेघप्रभाचार्य, सं., पद्य, आदि वाक्यः यः शक्रेण मुदाभिवन्दितपदद्वन्द्वः क्ष्माभृद्वरः... पाताहेसं १४७- पे.क्र.२, पृ. ४७-६७, लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि, वि-१२७३, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ८५ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ 384 Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती धर्मार्थकुलक जुओ जीवोपदेशपञ्चाशिका, आचार्य मुनिचन्द्रसूरि प्राकृत, गा. ५० धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल सं... - पाकाहेम ८७९६- पे क्र. १ पृ. १-३ धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल आदि वि-१७०३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ धर्मोत्तरटिप्पनक जुओं न्यायबिन्दुनी - (सं.) टीकार्नु -(सं.) धर्मोत्तर टिप्पनक, आचार्य मल्लवादी क्षमाश्रमण संस्कृत ग्रं. १३०० धर्मोत्तरसूत्र जुओं न्यायबिन्दु आचार्य धर्मकीर्ति (बौद्ध), संस्कृत धर्मोपदेश धर्मोपदेश - अप, पद्य, श्लोक७, पातासंघवी ५६-२- पे. क्र. ५. पृ. ? उपदेशमाला आदि वि-१३वी संपूर्ण धर्मोपदेश , पे. विशेष- यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. प्रत विशेष पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी - २९/४८ सं., प्रा., पद्य, आदि वाक्यः धम्मो मङ्गलमुक्किं० इह जगति सर्वकार्यप्रसाधकं ... कृ.वि: विविध संग्रह. भांका १४७, पृ. २५, धर्मोपदेश, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-७२५. प्रारंभ में दो काव्य मन्त्र दिया गया है. प्रतिलेखक- पं. मनसुख कुल झे. पृष्ठ- १६, डीवीडी-८५ अप, पद्य, गा. ५५, पातासंघवीजीर्ण ८१ पे.क्र. ४. पृ. ८१-८५ उपदेशमाला आदि, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० धर्मोपदेशकुलक ( उवएसकुलक) आचार्य - मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, का. १०, आदि वाक्य : (१) लद्धुत्तममाणुसत्तणमिणं कत्तो वि पुन्नोदया...(२) लद्धूणुत्तम माणुसत्तणमिणं.... पातासंघवी ५९-२- पे. क्र. १२ पृ. ५०-५३ मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी - २९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १२, पृ. १०मु, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ , धर्मोपदेशकुलक आचार्य मुनिचन्द्रसूरि प्रा. पद्य गा.२५, आदि वाक्यः भुवणजणवन्दणिज्जं ... धम्मोवएसले ..... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. ८ पृ. ३३-३६, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि संपूर्ण " पे. नाम धर्मोपदेशलेश कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी - २९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ८, पृ. ७मुं मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि - रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ धर्मोपदेशकुलक (वैराग्यकुलक), (भावनाकुलक). (आत्मबोधकुलक), (उपदेशकुलक), (आत्मसम्बोधकुलक) आचार्य- देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. २२, आदि वाक्यः जम्मजरामरणजले नाणाविहवाहिजलयराइन्ने । भवसायरे अपारे दुलहं खलु माणुस जम्मं 11911... पाताखेत २३- पे.क्र. १६, पृ. ३३४-३३५, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण 385 Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ८, पृ. ६२-६३, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष - अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी - ३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १०, पृ. १०८ - ११०, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ११७१ पे.क्र. १५ पृ. ९९-१००, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- आत्मसम्बोधकुलक कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ १०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २१, पृ. १६५ - १६७, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- आत्मसम्बोधकुलक, पे. विशेष- श्लोक-३५. कुल झे. पृष्ठ- ९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहे १६८ - पे. क्र. ३६. पृ. ७२-७४ दशवेकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- आत्मसंबोधनाकुलं पे विशेष संपूर्णर झेरोक्ष पत्र-४५-४६. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ - पे.क्र. १८, पृ. १०३B- १०५A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५ +१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम २५९६ - पे.क्र. ८, पृ. २९, साधु श्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ धर्मोपदेशमाला सं. पच पद्य, भांता २५- पे. क्र. ४, पृ. १४५A - १५४B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष भण्डार संदर्भाक-७४(A) / ८०-८१. सूचीपत्र नं. २- २३२. डीवीडी-६९/७० धर्मोपदेशमाला - (सं.) वृत्ति ( उपदेशमाला - (सं.) वृत्ति ) आचार्य-मुनिदेवसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति जयसिंहसूरि कृत? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयो आवे छे. पातासंघवी ८८. पू. ३१४ उपदेशमालावृत्ति पूर्वार्ध प्रतिपूर्ण प्रत विशेष छेवटनी प्रशस्ति त्रुटक छे. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी ८९ पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति उत्तरार्ध प्रतिपूर्ण डीवीडी-३२ / ५१ धर्मोपदेशमाला (सं.) वृत्ति ( उपदेशमाला - (सं.) वृत्ति ) , आचार्य मुनिदेवसूरि बृहद्गच्छीय). सं., गय कृ. वि. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयसिंहसूरि कृत? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयो आवे छे. पातासंघवी ८८, पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति पूर्वार्ध, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष छेवटनी प्रशस्ति त्रुटक छे. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी ८९, पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति उत्तरार्ध, प्रतिपूर्ण 386 Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३२/५१ धर्मोपदेशमालाप्रकरण (उपदेशमालाप्रकरण) आचार्य-जयसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०३, आदि वाक्यः भयवं दसन्नभद्दो... पाताखेत ३- पे.क्र. ४, पृ. ८१-९७, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि-१२९२, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र.६, पृ. ४७-५५, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३४-३- पे.क्र. ७, पृ. २७६-२८२, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०१. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. १२, पृ. १३५-१४४, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१०३. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र.८, पृ.?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र. २, पृ. ४६-६८, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- ४५मुं पत्र नथी. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १७, पृ. ३११वा, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अंतिम भाग है. झेरोक्ष पत्र-७०-७१. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ३, पृ. १०२-११२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र. २, पृ. ४९-५५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६४- पे.क्र. ९, पृ. २२५-२३४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०२. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र.६, पृ. २०७-२१०, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. २, पृ. ४७-५६, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१००. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र.८, पृ. १८०-१९१, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण 387 Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १४१-२- पे. क्र. २, पृ. ४१-४९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १००. प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना - गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६१-२ पे.क्र. २. पू. ५६-६८ प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा - १०३. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. २, पृ. ४२-५०, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - १०१. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८२१ पे.क्र. ९ पृ. १४३-१५२ दशवैकालिक आदि संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १४९ थी १५२ सुधीना टुकडा छे. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८४१ पे.क्र. २. पृ. ५१-६० उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०१. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०२ पे.क्र. ३. पृ. ८४-९५ उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०१. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५२ पे.क्र. २. पृ. ७१-८३ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५. पृ. ४७-५१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा- १०१. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ३३, पृ. ३२०, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २९८ डीवीडी-४/१४ पाताहे ३४, पृ. ४३३, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- ३६०, डीवीडी-४/१४ पाताहेसं १११- पे.क्र. २, पृ. ८४-९९, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६ - १७९ का झेरोक्ष पत्रांक - १९६ के बाद है. कुल झे. पृष्ठ-५८ डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. ६, पृ. ११६- १२५, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. विशेष गाथा-१००. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७- १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ - १२४, डीवीडी-७/१७ पाताहे १२२- पे. क्र. ७ पृ. ??? नवपदप्रकरण आदि संपूर्ण डीवीडी-७/१७ वताकांति ३९७, पृ. १०७, धर्म उपदेशमाला, संपूर्ण डीवीडी-१७/९८ वताकांति ४४१, पृ. १७५, धर्मोपदेशमाला (अपूर्ण) अपूर्ण डीवीडी-९७ / ९८ धर्मोपदेशमालाप्रकरण- (सं.) टीका . 388 Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, सं., गद्य, ग्रं.१४४७१, आदि वाक्यः नृपत्वतीर्थाधिपतित्वभाजा नयस्य धर्मस्य... कृ.विः विस्तृत रचना प्रशस्ति. पाताहेसं ३३, पृ. ३२०, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९८, डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३४, पृ. ४३३, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६०, डीवीडी-४/१४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, ग्रं.१३८६८, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १७, पृ. -२-२१B, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अंतिम भाग है. झेरोक्ष पत्र-७०-७१. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० धर्मोपदेशमालाप्रकरण आचार्य-जयसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०१, आदि वाक्यः सिज्झउ मज्झविसुयदेवि... पाताखेत १७-२- पे.क्र.२, पृ. ५३-६२, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३०, पृ. १९६-२००, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३., २००मुं पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ११३- पे.क्र. २, पृ. ४६-५३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र.२, पृ. ४६-५४, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ५, पृ. ४७A-६७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- धम्मोवएसमालाप्रकरण, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ३७-३८ पर बीजक दिया है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ६४- पे.क्र. ४, पृ. १४५A-१५४B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण __पे. नाम- धम्मोवएसमाला, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-३९-४४. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ अताका ४९७- पे.क्र. २, पृ. ६००-७१B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २८, पृ. ५८-६०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १८, पृ. ४८-५२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. अन्त में स्थानांगसूत्र की दृष्टान्तगाथा दी गयी है. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ 389 Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती धर्मोपदेशमालाप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य - विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि- शान्तिमुनि, सं., गद्य, ग्रं. १४४७१, आदि वाक्यः नृपत्वतीर्थाधिपतित्वभाजा नयस्य धर्मस्य... कृ.वि: विस्तृत रचना प्रशस्ति. पाताहेसं ३३, पृ. ३२०, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२८, डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३४, पृ. ४३३ धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ३६०, डीवीडी-४/१४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण- (सं.) टीका सं. गद्य ग्रं. १३८६८. पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. १७, पृ. २-२१B, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अंतिम भाग है. झेरोक्ष पत्र -७०-७१. प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित. धर्मोपदेशशत कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० आचार्य धर्मघोषसूरि प्रा.. पातासंघवीजीर्ण ३९ पृ. ८५. धर्मोपदेशशत सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण. डीवीडी-५७/५९ धर्मोपदेशशत- (सं.) टीका सं., गद्य, पातासंघवी जीर्ण ३९ पृ. ८५. धर्मोपदेशशत सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण. डीवीडी-५७/५९ धर्मोपदेशशत- (सं.) टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ३९. ५. ८५. धर्मोपदेशशत सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण. डीवीडी-५७/५९ धर्मोपदेशामृत (तत्त्वधर्मोपदेशामृत) मुनि-पद्मनन्दिदेव[दिगम्बर], सं., पद्य, श्लोक ३४, आदि वाक्यः निःशेषामलशीलसद्गुणमयीमत्यन्त साम्यस्थितां..... भांका २९३- पे.क्र. ६, पृ. ३५A - ३७B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि - १४६१, संपूर्ण पे. नाम - तत्त्वधर्मोपदेशामृत प्रत विशेष अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल हो. पृष्ठ २२, डीवीडी- ९१ धवलाष्टक सं., पच, श्लोकए, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ९, पृ. ३, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. ९, पृ. ८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ-६ धातुपाठ कविकल्पद्रुम जुओ कविकल्पद्रुमधातुपाठ पद्य कवि-बोपदेव, संस्कृत ग्रं. ४०० धातुपाठ दशबलकारिका जुओ- दशबलकारिकाधातुपाठ, संस्कृत, श्लोक४० 390 Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धातुपारायण आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं. ग्रं. ५५००, पाताखेत ५५, पृ. १३२, धातुपारायण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष भ्वादिगण सुधी. झेरोक्ष पत्रांक ३१-१, ३१-२, ३२-१, ३२-२ आ रीते बेवडाएल छे. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ९३ पृ. २६७ धातुपारायण सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १०१-१०३-१०४-१११-१२७-२०२-२०४-२६१-२६३ पत्र नथी. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी १४३-२, पृ. १७९, धातुपारायण स्वोपज्ञ विवरण प्रथमखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५७ थी १७९ सुधी एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. माटे अंकोमा फरक छे. डीवीडी-३५/५३ धातुपारायण (सं.) स्वोपज्ञ विवरण कृति उपरथी प्रत माहिती . आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं., गद्य, पातासंघवी ९३, पृ. २६७ धातुपारायण सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १०१-१०३-१०४-१११-१२७-२०२-२०४-२६१ - २६३ पत्र नथी.. डीवीडी-३२/५१ धातुपारायण- (सं.) स्वोपज्ञ विवरण पातासंघवी १५९, पृ. २६३, धातुपारायणवृत्ति, वि- १३०७, संपूर्ण प्रत विशेष- २६२ अने २६३ पत्रना टुकडा छे. विशलदेवना राज्यमां लखेलुं छे. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १४३-२ पृ. १७९ धातुषारायण स्वोपज्ञ विवरण प्रथमखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र १५७ थी १७९ सुधी एक बाजुनी कोरो खरी गई छे माटे अंकोमा फरक छे. डीवीडी-३५/५३ आचार्य - हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ९३, पृ. २६७ धातुपारायण सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०१-१०३-१०४-१११-१२७-२०२-२०४-२६१-२६३ पत्र नथी.. धातुरत्नाकर डीवीडी-३२ / ५१ पातासंघवी १५९, पृ. २६३, धातुपारायणवृत्ति, वि- १३०७, संपूर्ण प्रत विशेष- २६२ अने २६३ पत्रना टुकडा छे. विशलदेवना राज्यमां लखेलुं छे. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १४३-२, पृ. १७९, धातुपारायण स्वोपज्ञ विवरण प्रथमखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५७ थी १७९ सुधी एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. माटे अंकोमा फरक छे. डीवीडी-३५/५३ उपाध्याय - साधुसुन्दरमणि सं. रचना सं. विक्रम १६८०, आदि वाक्य श्रीदं स्तात्परमं ज्योतिः शब्दब्रहीककारणं... " पाकाहेम ७२१३, पृ. ३२६ धातुरत्नाकर, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र १७१ २७३ अने २९७ डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-३२५ पाकाम १४५५५ पृ. ४२८ धातुरत्नाकर स्वोपज्ञक्रियाकलापनाम्नीवृत्तिसह, वि-१७३७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २८४ धातुरत्नाकर - (सं.) स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति (क्रियाकलाप वृत्ति) उपाध्याय - साधुसुन्दरगणि, सं गद्य रचना सं. विक्रम १६८०, आदि वाक्यः श्रीमान् स श्रीसुमतिजिनपो बुद्धिसौभाग्यदाता..... पाकाहेम ७२१३, पृ. ३२६, धातुरत्नाकर, वि - १८ मी, संपूर्ण 391 Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १७१मुं २७३मुं अने २९७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२५ पाकाहेम १४५५५, पृ. ४२८, धातुरत्नाकर स्वोपज्ञक्रियाकलापनाम्नीवृत्तिसह, वि-१७३७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८४ धातुरत्नाकर-(सं.)स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति (क्रियाकलाप वृत्ति) उपाध्याय-साधुसुन्दरगणि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६८०, आदि वाक्यः श्रीमान् स श्रीसुमतिजिनपो बुद्धिसौभाग्यदाता... पाकाहेम ७२१३, पृ. ३२६, धातुरत्नाकर, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७१मुं २७३मुं अने २९७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३२५ पाकाहेम १४५५५, पृ. ४२८, धातुरत्नाकर स्वोपज्ञक्रियाकलापनाम्नीवृत्तिसह, वि-१७३७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८४ धूर्ताख्यान जुओ - धूर्ताख्यान, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत धूर्ताख्यान (धूर्ताख्यान) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, भांका १२४, पृ. १०, धूताख्यान, संपूर्ण डीवीडी-८५ ध्यानविचार सं., गद्य, पाकाहेम ८४९४- पे.क्र.२, पृ. ४-६, जिनस्तवनचतुर्विंशतिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ ध्यानशतकप्रकरण (ज्झाणसयय) गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.१०६, आदि वाक्यः वीरं सुक्कज्झाणग्गि दड्ढकम्मिन्धणं पणमिऊणं । कृ.विः आवश्यकनियुक्तिमांथी उद्धृत. पाताखेत ५०- पे.क्र. १३, पृ. १६९-१७७, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०६. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत २४-२- पे.क्र.८, पृ. १०९०-१११B, दशविध सामाचारी आदि आवश्यकनियुक्तिसङ्ग्रह, अपूर्ण पे. नाम- ज्झाणसय प्रत विशेष- वच्चेना २० पाना नथी. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ३७७९, पृ. १५, ध्यानशतकप्रकरण सह अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ ध्यानशतकप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ३७७९, पृ. १५, ध्यानशतकप्रकरण सह अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ ध्यानशतकप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ३७७९, पृ. १५, ध्यानशतकप्रकरण सह अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध (ध्यानस्वरूपरास) मुनि-भावविजयजी, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६९६, गा.३००, ग्रं.२७५, 392 Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०३९, पृ. १२, ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध पद्य, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - १६३, ग्रन्थाग्र - २६५. कुल झे. पृष्ठ- १० पाकाहेम १६७२५, पृ. १८, ध्यानस्वरुप, संपूर्ण पाकाहेम १७३१९ पृ. १८ ध्यानस्वरूपरास, वि- १६९६. संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- २७५, गाथा - १६३. कुल झे. पृष्ठ- १९ ध्यानस्वरूपरास जुओ - ध्यानस्वरूपनिरूपणप्रबन्ध, मुनि - भावविजयजी, मारुगूर्जर, ग्रं. २७५, गा.३०० ध्वजाध्याय जुओ गगक्त संहितानो ४७मो ध्वजाध्याय, संस्कृत नक्षत्रगण्डिका जुओ नष्टग्लानबद्धनक्षत्रफल, प्राकृत - - नन्दि श्रावकवतारोप जुओ श्रावकव्रतारोपनन्दि, प्राकृत, गा. १८ नन्दिअड्ड छन्दशास्त्र जुओ नन्दिताढ्य छन्दशास्त्र कवि नन्दिताढ्य, प्राकृत, गा. ९३ नन्दिताढ्यछन्दशास्त्र (नन्दिअड्ढ छन्दशास्त्र), (छन्दशास्त्र नन्दिअड्ढ ) कवि नन्दिताढ्य, प्रा., पद्य, गा. ९३. पाकाहेम २००१, पृ. ५ नन्दिताढ्य छन्दः शास्त्र सह टीका, वि-१५०७ संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०६८६- पे.क्र. ३, पृ. २७-३२, सम्बन्धोद्योत आदि, वि-१६मी, संपूर्ण - कुल झे. पृष्ठ-८ नन्दिताढ्यछन्दशास्त्र - ( सं . ) टीका पे. विशेष - गाथा - ९४. पाका १५२६१, पृ. ५. नन्दिअड्ढछन्दशास्त्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - ९४. मुनि-रत्नचन्द्र[माण्डव्यपुरगच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम २००१, पृ. ५, नन्दिताढ्य छन्दः शास्त्र सह टीका, वि-१५०७, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४ झे. नन्दिविधि नन्दिताचछन्दशास्त्र (सं.) वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ८६१०, पृ. ७, नन्दिता चछन्दः शास्त्र वृत्ति, वि-१६७४, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७ नन्दिताढ्यछन्दशास्त्र (सं.) टीका नन्दिस्तव मुनि-रत्नचन्द्र[माण्डव्यपुरगच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम २००१, पृ. ५ नन्दिताढ्य छन्द शास्त्र सह टीका, वि-१५०७ संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ नन्दिताढ्यछन्दशास्त्र (सं.) वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ८६१०, पृ. ७, नन्दिताढ्यछन्दःशास्त्र वृत्ति, वि - १६७४, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७ प्रा.सं., गद्य, आदि वाक्य राजगृहम्पुरे धनसार्थवाहस्य भद्रा भार्या... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ११, पृ. ११B-१२B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ 393 Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रा. पद्य, गा.५, आदि वाक्य: ओमिति नमो भगवओ..... " नन्दिस्तुति नन्दस्तुति कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३५४- पे.क्र. २, पृ. १, नन्दिस्तुति व्याख्यासहित त्रिपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३५५- पे.क्र. २, पृ. १, नन्दिस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१८०८, संपूर्ण सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः श्रुतकेवलीदंष्ट्रं धर्मीकृतिधारं.... भांता ७०- पे.क्र. ३२, पृ. ४०B - ४१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे, पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रा., पद्य, पाकाहेम ८३५९, पृ. १, नन्दिस्तुति व्याख्यासह, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष पं. रविवर्धने लखेली प्रति. कुल झे. पृष्ठ- १ पाकाहेम १२३५४- पे.क्र. १, पृ. १, नन्दिस्तुति व्याख्यासहित त्रिपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- नन्दिस्तुति सह (सं.) व्याख्या, पे. विशेष- मूलभाषा संस्कृत ? पाकाहेम १२३५५- पे.क्र. १, पृ. १, नन्दिस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१८०८, संपूर्ण पे. नाम- नन्दिस्तुति सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष- मूलभाषा संस्कृत ? नन्दिस्तुति (सं.) व्याख्या गणि- गुणसौभाग्य, सं., गद्य, पाकाहेम ८३५९, पृ. १, नन्दिस्तुति व्याख्यासह, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पं. रविवर्धने लखेली प्रति. कुल हो. पृष्ठ- १ पाकाहेग १२३५४- पे. क्र. १ पृ. १-२ नन्दिस्तुति व्याख्यासहित त्रिपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम नन्दिस्तुति सह (सं.) व्याख्या, पे. विशेष मूलभाषा संस्कृत ? नन्दिस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः पंचपाठ पाकाहेम १२३५५- पे.क्र. १, पृ. १-२, नन्दिस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१८०८, संपूर्ण पे. नाम- नन्दिस्तुति सह ( सं .) अवचूरि, पे. विशेष- मूलभाषा संस्कृत ? नन्दिस्तुति (सं.) अवचूरि सं., गद्य, कृ.वि: पंचपाठ पाकाहेम १२३५५- पे.क्र. १, पृ. १-२, नन्दिस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१८०८, संपूर्ण पे. नाम नन्दिस्तुति सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष मूलभाषा संस्कृत ? नन्दिस्तुति - (सं.) व्याख्या गणि- गुणसौभाग्य, सं., गद्य, पाकाहेम ८३५९, पृ. १, नन्दिस्तुति व्याख्यासह वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष पं. रविवर्धने लखेली प्रति - नन्दीश्वर पञ्चपरमेष्ठि स्तोत्र " कुल हो. पृष्ठ- १ पाकाहेम १२३५४- पे.क्र. १, पृ. १-२ नन्दिस्तुति व्याख्यासहित त्रिपाठ तथा नन्दिस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- नन्दिस्तुति सह (सं.) व्याख्या, पे. विशेष- मूलभाषा संस्कृत ? 394 Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, गा.१३, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४९, पृ. १३८मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतम-सर्वसिद्ध-सिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति# सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः जयर्षभ विभो वध... पाकाहेम १२३६३- पे.क्र.१, पृ. १, नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतम-सर्वसिद्धसिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति आदि, वि १६मी, संपूर्ण नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतम-सर्वसिद्ध-सिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति# सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः सुकरसुकरमो मां.. पाकाहेम १२३६३- पे.क्र.२, पृ. १, नन्दीश्वर-पुण्डरीक-गौतम-सर्वसिद्धसिद्धचक्र-सीमन्धरजिनस्तुति आदि, वि १६मी, संपूर्ण नन्दीश्वरद्वीपजिनस्तुति प्रा., पद्य, आदि वाक्यः निज्जिय दुज्जय पञ्चबाण... तालाद ३३९- पे.क्र. ३, पृ. ६१-६२, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ नन्दीश्वरविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्य: नन्दीसरवरस्स बहमज्झदेसे चउद्दिसिं चत्तारि अञ्जणगपव्वया... कृ.विः अं.वाक्य-ईसाणस्स चत्तारि सभाओ जंबुद्दीवसमाणाओ अग्गमहिसीणं पन्नत्ताओ तथा पश्चिमायामित्यादि. भांता ७०- पे.क्र. १३२, पृ. १८१B-१८३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ नन्दीश्वरस्तवन अप., पद्य, गा.११, कृ.विः भाषा अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ५०, पृ. १५०-१५१, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नन्दीश्वरस्तवन प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः वन्दिय नन्दियलोयं... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १८, पृ. ३५, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० नन्दीश्वरस्तुति सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २१, पृ. ८७मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नन्दीश्वरस्तोत्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः वन्दियनन्दियलोयं पाकाहेम १०२३- पे.क्र.५४, पृ. १२०-१२१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 395 Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ नन्दीसूत्र वाचक-देववाचक, प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं.७००, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणीवियाणओ जयगुरू जगाणन्दो। कृ.विः आनुं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे. पाताखेत ३४-२- पे.क्र. १, पृ.?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती छे., पत्र-१३५+१५. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. २, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- नन्दीसूत्र सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ३७- पे.क्र. १, पृ. १-१५, नन्दीसूत्र तथा नन्दीसूत्रवृत्ति, वि-१४८९, संपूर्ण पे. विशेष- सारी-पूर्ण. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी १४६-२- पे.क्र. १, पृ. १-८२, नन्दीसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७०. डीवीडी-३५/५३ भांता ५९- पे.क्र. १, पृ. ?, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१. डीवीडी-७२/८१ भांता ७०- पे.क्र. २५, पृ. ३२B-३५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३७१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १००२६, पृ. १४, नन्दिसूत्र, वि-१५६९, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०८२०, पृ. १८, नन्दिसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००. भांका २५९- पे.क्र. २, पृ. १५५-१७०, नन्दीसूत्र, टीका, वि-१४७४, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-६०९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६०९, १-६१९. उभयग्रन्थाग्र-८५३५. डीवीडी-८९ नन्दीसूत्र-(प्रा.)चूर्णि गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, रचना सं. शक ५९८ , पाकाहेम १००२७, पृ. २०, नन्दिसूत्रचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगचूर्णि एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र. 396 Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२० नन्दीसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७७३२, आदि वाक्यः जयति भुवनैकभानुः सर्वत्राविहतकेवलालोकः । पातासंघवी ३७- पे.क्र. २, पृ. १६-२२६, नन्दीसूत्र तथा नन्दीसूत्रवृत्ति, वि-१४८९, संपूर्ण पे. विशेष- सारी-पूर्ण. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४४ भांता ५९- पे.क्र. १, पृ. ३००, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ७०२, पृ. १५४, नन्दीसूत्रटीका, वि-१५६५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७७७२. कुल झे.पृष्ठ-१५४ पाकाहेम ३५४५, पृ. १४६, नन्दीसूत्रवृत्ति अपूर्ण, वि-१५वी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१५५ भांका २५९- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, नन्दीसूत्र, टीका, वि-१४७४, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्रांक-१-६१९. ग्रन्थाग्र-७८३२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६०९, १-६१९. उभयग्रन्थाग्र-८५३५. डीवीडी-८९ नन्दीसूत्र-(सं.)विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय टीका) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १६, पृ. ३०-३२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ नन्दीसूत्र-(सं.)दुर्गपदवृत्ति (दुर्गपदवृत्ति) । आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३००, आदि वाक्यः सम्यगित्येवं गुाराधनविषयत्वेनाष्टावपि गुणा व्याख्यायन्ते श्रुतावाप्तौ मूलोपायात्वदुर्वाराधनाया इति गाथार्थः ।... भांका २०९, पृ. ६, नन्दीसूत्रविवरण दुर्गपदव्याख्या, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६२०. डीवीडी-८७ नन्दीसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति सं., कोष्टक, पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. २, पृ.?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक ___ पानां, संपूर्ण पे. नाम- नन्दीसूत्र सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम १००२८, पृ. ३१, नन्दिसूत्रलघुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगसूत्र लघुवृत्ति एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र. कुल झे.पृष्ठ-३१ नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली (स्थविरावली). (नन्दीसूत्रगत थेरावली), (थेरावली) वाचक-देववाचक, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी... पाताखेत ६- पे.क्र. ३, पृ. ५२-५७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- थिरावली 397 स., गधा Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. ३०, पृ. २७९-२८३, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. ६, पृ. २५८-२६२, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १५, पृ.२, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-२६ तक है. झेरोक्ष पत्र-७-८. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अत:११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र.५, पृ. ७७-८१, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा संख्या नथी आपेली. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ५, पृ. १३२-१३५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १८, पृ. २२८-२३३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १०, पृ. १३३-१३७, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १०, पृ. १५३-१५६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ । भांता २४- पे.क्र. ३, पृ. ६७A-७०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- स्थविरावली, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-६२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ तालाद ३२६- पे.क्र. १४, पृ. १२३/२-१२६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.७, पृ. २४-२५, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १३, पृ. ३२-३३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १४, पृ. ३३-३४, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १५, पृ. २४-२६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 398 Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. ९, पृ. १०९-१११, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १४, पृ. ७६-७९, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नन्दीसूत्र-(प्रा.)चूर्णि गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, रचना सं. शक ५९८ , पाकाहेम १००२७, पृ. २०, नन्दिसूत्रचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगचूर्णि एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र. कुल झे.पृष्ठ-२० नन्दीसूत्र-(सं.)दुर्गपदवृत्ति (दुर्गपदवृत्ति) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३००, आदि वाक्यः सम्यगित्येवं गुर्वाराधनविषयत्वेनाष्टावपि गुणा व्याख्यायन्ते श्रुतावाप्तौ मूलोपायात्वदुर्वाराधनाया इति गाथार्थः।... भांका २०९, पृ. ६, नन्दीसूत्रविवरण दुर्गपदव्याख्या, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६२०. डीवीडी-८७ नन्दीसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति सं., कोष्टक, पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र.२, पृ.?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- नन्दीसूत्र सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम १००२८, पृ. ३१, नन्दिसूत्रलघुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगसूत्र लघुवृत्ति एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र. कुल झे.पृष्ठ-३१ नन्दीसूत्र-(सं.)विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय टीका) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १६, पृ. ३०-३२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ नन्दीसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७७३२, आदि वाक्यः जयति भुवनैकभानुः सर्वत्राविहतकेवलालोकः । पातासंघवी ३७- पे.क्र. २, पृ. १६-२२६, नन्दीसूत्र तथा नन्दीसूत्रवृत्ति, वि-१४८९, संपूर्ण पे. विशेष- सारी-पूर्ण. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४४ भांता ५९- पे.क्र. १, पृ. ३००, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ७०२, पृ. १५४, नन्दीसूत्रटीका, वि-१५६५, संपूर्ण 1५० 399 Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७७७२. कुल झे.पृष्ठ-१५४ पाकाहेम ३५४५, पृ. १४६, नन्दीसूत्रवृत्ति अपूर्ण, वि-१५वी, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-१५५ भांका २५९- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, नन्दीसूत्र, टीका, वि-१४७४, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्रांक-१-६१९. ग्रन्थाग्र-७८३२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६०९, १-६१९. उभयग्रन्थाग्र-८५३५. डीवीडी-८९ नन्दीसूत्रगत थेरावली जुओ - नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली, वाचक-देववाचक, प्राकृत, गा.५० नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली (स्थविरावली), (नन्दीसूत्रगत थेरावली). (थेरावली) वाचक-देववाचक, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी... पाताखेत ६- पे.क्र.३, पृ. ५२-५७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- थिरावली प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. ३०, पृ. २७९-२८३, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. ६, पृ. २५८-२६२, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १५, पृ.२, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-२६ तक है. झेरोक्ष पत्र-७-८. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र.५, पृ. ७७-८१, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा संख्या नथी आपेली. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र.५, पृ. १३२-१३५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १८, पृ. २२८-२३३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १०, पृ. १३३-१३७, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४५. __ कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १०, पृ. १५३-१५६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ भांता २४- पे.क्र. ३, पृ. ६७A-७०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- स्थविरावली, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-६२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ 400 Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३२६- पे.क्र. १४, पृ. १२३/२-१२६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.७, पृ. २४-२५, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १३, पृ. ३२-३३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १४, पृ. ३३-३४, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १५, पृ. २४-२६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. ९, पृ. १०९-१११, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १४, पृ. ७६-७९, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नन्द्यावर्तविधान सं.,प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ५८-३- पे.क्र. २, पृ. १४-१५, प्रतिष्ठविधि व नन्द्यावर्तविधान, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-५७/६० नम अक्षरद्वयमय अरिष्टनेमिस्तवन जुओ - अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय#, पं.-शाली आगमिक, संस्कृत, का.९ नमस्कार मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, पातासंघवी २०२- पे.क्र. १३, पृ. २६४-२७३, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ९४३१- पे.क्र. २, पृ. १, ब्रह्मचर्यसमाधिकुलक तथा नमस्कार, वि-१६५१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ नमस्कार कुलक जुओ - नवकारकुलक, प्राकृत, गा.२० नमस्कार फलस्तव लघु जुओ - नवकारकुलक, प्राकृत, गा.२० नमस्कार महामन्त्र जुओ - नवकार, प्राकृत नमस्कारप्रभावे सौभाग्यसुन्दरीकथा जुओ - सौभाग्यसुन्दरीकथा नमस्कारप्रभावे, प्राकृत, गा.१२० नमस्कारफल कुलक अप., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः पणमेवि पाय परमेसराण उसभाइसयलतित्थेसराण... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १४, पृ. ३९-४२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ नमस्कारफल कुलक (नमस्कारफलप्रकरण) प्रा., पद्य, गा.२५, पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १७, पृ. १९२-१९३, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण 401 Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-३७/५४ नमस्कारफलप्रकरण जुओ नमस्कारफल कुलक, प्राकृत, गा. २५ नमस्कारफलप्रकरण जुओ नवकारफलकुलक, प्राकृत, गा. ३३ नमस्कारफलप्रकरण कुलक जुओ नवकारफलकुलक, प्राकृत, गा.३३ नमस्कारमन्त्रविचार जुओ नवकारमन्त्रविचार, संस्कृत नमस्कारमाहात्म्य अष्टप्रकाशात्मक आचार्य सिद्धसेनाचार्य, सं. नं.२१७. " कल्प सं., - - पाकाहेम ४९००, पृ. ५. नमस्कारमाहात्म्य अष्टप्रकाशात्मक, वि-१७मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४ झे. नमस्कारसारस्तव जुओ नवकारसारस्तव, आचार्य - मानतुङ्गसूरि, प्राकृत, गा. ३१ नमस्कारस्तवन जुओ नवकारस्तवन, प्राकृत, गा.६ नमस्कारस्तवन जुओ पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन, संस्कृत प्राकृत श्लोकट नमस्कारस्तोत्र जुओ नवकारस्तोत्र, प्राकृत, गा. ३४ नमिऊणस्तोत्र जुओ भयहरस्तोत्र, आचार्य मानतुङ्गसूरि प्राकृत, गा.२३ - - - नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति (वीरजिनस्तुति) कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १४५०१- पे.क्र. १ पृ. ३ नमुत्थुणं कल्प आदि वि-२०मी, संपूर्ण नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति - (सं.) टीका सं., पद्य, आदि वाक्यः नमोस्तुवर्धमानाय ..... पाकाहेम ७५०५- पे.क्र. १, पृ. १, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि- १६६१, संपूर्ण पे. नाम- नमोऽस्तुवर्धमानाय सह (सं.) टीका कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. १, पृ. १-२, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- नमोऽस्तु वर्धमानाय वीरस्तुति सह ( सं . ) अवचूरि कुल झ. पृष्ठ- २ झे. पाकाहेम १११५१- पे.क्र. ४, पृ. ७A-७B, महासता - सतीकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झ. पृष्ठ-६ कुल डी. पृष्ठ- २ नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति - (सं.) अवचूरि . " सं., गद्य, पाकाहेम ७५०५- पे.क्र. १, पृ. १-२, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. नाम - नमोऽस्तुवर्धमानाय सह (सं.) टीका कुल झे. पृष्ठ- २ नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति - (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. १, पृ. २, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- नमोऽस्तु वर्धमानाय वीरस्तुति सह ( सं . ) अवचूरि कुल हो. पृष्ठ-२ नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति - (सं.) टीका सं. गद्य, पाकाहेम ७५०५- पे.क्र. १, पृ. १-२, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. नाम- नमोऽस्तुवर्धमानाय सह (सं.) टीका 402 Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. १, पृ. २, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- नमोऽस्तु वर्धमानाय वीरस्तुति सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ नयगमस्तव (ऋषभदेवाज्ञास्तव) आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः नयगमभङ्गपहाणा विराहिआ गहिआ व सुपमाणा... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. २१, पृ. १९८-२२५, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाकाहेम १२३१८, पृ. १, ऋषभदेवाज्ञास्तव, वि-१७मी, संपूर्ण नयप्रकाशस्तव (नयस्तव) गणि-पदमसागर, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६३३, श्लोक७४०, आदि वाक्यः तस्मै नमः श्रीजिनशासनाय सप्त... पाकाहेम ८७५९, पृ. १५, नयप्रकाशस्तव स्वोपज्ञटीकासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १२६७७, पृ. १६, नयस्तव स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ भांका १८४, पृ. २९, नयप्रकाश स्तवन-स्वोपज्ञवृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१४. प्रारंभना थोडा पत्रो नथी. डीवीडी-८७ नयप्रकाशस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका (नयस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका) गणि-पद्मसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६७३, आदि वाक्यः (१) प्रमाणवाक्यं नयवाक्यगर्भितं...(२) गङ्गाप्रवाहा इव वाग्विलासा... पाकाहेम ८७५९, पृ. १५, नयप्रकाशस्तव स्वोपज्ञटीकासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १२६७७, पृ. १६, नयस्तव स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ भांका १८४, पृ. २९, नयप्रकाश स्तवन-स्वोपज्ञवृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१४. प्रारंभना थोडा पत्रो नथी. डीवीडी-८७ नयप्रकाशस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका (नयस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका) गणि-पद्मसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६७३, आदि वाक्यः (१) प्रमाणवाक्यं नयवाक्यगर्भितं...(२) गङ्गाप्रवाहा इव वाग्विलासा... पाकाहेम ८७५९, पृ. १५, नयप्रकाशस्तव स्वोपज्ञटीकासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १२६७७, पृ. १६, नयस्तव स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ भांका १८४, पृ. २९, नयप्रकाश स्तवन-स्वोपज्ञवृत्तिसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१४. प्रारंभना थोडा पत्रो नथी. डीवीडी-८७ नयस्तव जुओ - नयप्रकाशस्तव, गणि-पद्मसागर, संस्कृत, श्लोक७४० नयस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका जुओ - नयप्रकाशस्तव-(सं.)स्वोपज्ञ टीका, गणि-पद्मसागर, संस्कृत नयोपदेशप्रकरण अताका ४७४, पृ.?, नयोपदेश प्रकरण, संपूर्ण 403 Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नरनारयणानन्दमहाकाव्य प्रत विशेष- (१४५/५९७६). पृष्ठ माहिती नथी डीवीडी - १०३/१०४ जैन श्रावक - वस्तुपाल, सं., पद्य, श्लोक १२५०, पाकाहेम २६५७, पृ. २५, नरनारायणानन्दमहाकाव्य, वि-१४७७, संपूर्ण प्रत विशेष कर्तामा वसंतपालनुं पण नाम आपेल छे. कुल झे. पृष्ठ-१८ नरलक्षणशास्त्र सामुद्रतिलक जुओ सामुद्रतिलक - नरलक्षणशास्त्र, अज्ञात-दुर्लभराज, संस्कृत नरवर्मनृपकथा उपाध्याय - विनयप्रभ, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४१२, पाकाभाभा ३६, पृ. १२ नरवर्मनृपकथा वि-१६वी, संपूर्ण नराष्टक ( वानराष्टक ?) सं., पद्य, श्लोकर, कृति उपरथी प्रत माहिती नर्तननिर्णय कृ. विः साधुनाम वानराष्टक लागे छे. पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १०, पृ. ३-४, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १०, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ-६ जैनेतर पण्डरीक विट्ठल [कर्णाटक ज्ञातीय]. सं., पाकाहेम ८६३५, पृ. ८, नर्तननिर्णय, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ नर्मदासुन्दरीकथा जुओ- शीलविषये नर्मदासुन्दरीकथा, संस्कृत, श्लोक३२०५ नर्मदा सुन्दरीसन्धि आचार्य जिनप्रभसूरि अप पद्य रचना सं. विक्रम १३६८ गा.७१, आदि वाक्य अज्जवि जस्स पहावो विगलियपावो य..... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. ८. पृ. ९९ १०६. बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण नलकथा घुते (द्युते नलकथा) - डीवीडी - ३१/५० नलदमयन्तीकथा पाताहे १८५ पे. क्र. २ पृ. २२-४९ कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ सं., पद्य, गा.९६३, आदि वाक्यः इहैव भरते भूमिभामिनीभालसन्निभे.... पातासंघवी जीर्ण ४८ पे.क्र. १, पृ. २७५-३२७, नलदमयन्ती कथा, संपूर्ण पे. विशेष वचमां पाना घसायेला छे. डीवीडी-५७/६० नलायन कुबेरपुराण (कुबेरपुराण नलायन) आचार्य माणिक्यदेव, सं. ग्रं. ४७२४, पाकाहेम १०३८८, पृ. १२७, नलायन-कुबेरपुराण, वि-१६मी, संपूर्ण कुलझे पृष्ठ- १२७ भांका १७८, पृ. १५६, नलायन महाकाव्य, संपूर्ण प्रत विशेष- ८८-९१ A साइड, पा. सं. १५ नथी. डीवीडी-८६ 404 Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती नलायनउद्धाररास मुनि-नयसुन्दर, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १०३००, पृ. १७, नलायनउद्धाररास अपूर्ण, वि-१८मी, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. कुल झे.पृष्ठ-१८ नव निधि नाम प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः नेसप्पे पण्डुयए पिङ्गलए सव्वरयण महपउमे... भांता ७०- पे.क्र. १४३, पृ. १९७A-१९८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- आगमिक परचूरन कृतियां. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ नवकार (नमस्कार महामन्त्र) प्रा., पाकाहेम १०१४१, पृ. २, नवकार बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ नवकार-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, भांका ८६, पृ. २६, नमस्कारमन्त्र व्याख्या, संपूर्ण डीवीडी-८४ नवकार-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४१, पृ. २, नवकार बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १७१८०, पृ.८, नवकारबालावबोध, संपूर्ण नवकार जुओ - पञ्चनवकार, प्राकृत नवकार-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४१, पृ. २, नवकार बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १७१८०, पृ.८, नवकारबालावबोध, संपूर्ण नवकार-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, भांका ८६, पृ. २६, नमस्कारमन्त्र व्याख्या, संपूर्ण डीवीडी-८४ नवकारकुलक (नमस्कार कुलक), (नवकारफल कुलक लघु), (लघुनवकारफल कुलक), (लघुनमस्कारफलस्तव), (नमस्कार फलस्तव लघु) प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः (१) घणघायकम्ममुक्का अरहन्ता तह य सव्वसिद्धा य | आयरिया उज्झाया पवरा तह सव्वसाहू य ||१||...(२) घणघाइकम्ममुक्का ... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १३, पृ. ३७-३९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १११- पे.क्र.७, पृ. १८५-१८८, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण 405 Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- नमस्कारफलप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २४, पृ. २३७-२३९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. नाम- नमस्कारफलकुलक, पे. विशेष- गाथा-२५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २२, पृ. ३७-३८, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ७७८०- पे.क्र. १, पृ. १-५, नवकारकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ नवकारफल कुलक जुओ - नवकारफलकुलक, प्राकृत, गा.३३ नवकारफल कुलक लघु जुओ - नवकारकुलक, प्राकृत, गा.२० नवकारफलकुलक प्रा., पद्य, गा.१४, पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४२, पृ. २६२-२६४, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- प्रारंभिक वाक्य घिसा हुआ होने से आदिवाक्य नहीं दिया गया है. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ भांता २४- पे.क्र. ६, पृ. ७२B(?)-७५A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ नवकारफलकुलक (नमस्कारफलप्रकरण), (नमस्कारफलप्रकरण कुलक), (नवकारफल कुलक) प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः पणमेवि पाय परमेसराण उसभाइसयलतित्थेसराण... कृ.विः हस्तप्रतोमां गाथा २३ थी ३३ सुधी मळे छे. पाकाहेम १०२३- पे.क्र.३, पृ. ३-४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ७७५५, पृ. १, नवकारफलप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-२ नवकारमन्त्रविचार (नमस्कारमन्त्रविचार) सं., गद्य, पाकाहेम ८४१३- पे.क्र.२, पृ. १, रागदोषपृच्छाप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ नवकारसारस्तव (नमस्कारसारस्तव), (पञ्चपरमेष्ठिस्तवन) आचार्य-मानतुङ्गसूरि, प्रा., पद्य, गा.३१, आदि वाक्यः भत्तिभरअमरपणयं पणमिय परमेट्ठिपञ्चयं सिरसा । नवकारसारथवणं भणामि भव्वाण भयहरणं ||१||... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १३, पृ. ७५A-९०B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पंचपरमेष्ठिस्तुति प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. 406 Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ नवकारस्तवन (नमस्कारस्तवन) प्रा., पद्य, गा.६, आदि वाक्यः तियसिन्दनरिन्द नमंसियाण... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४०, पृ. ११३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ नवकारस्तोत्र (नमस्कारस्तोत्र) प्रा., पद्य, गा.३४, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १२, पृ.?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० नवकोटिविहार सं., गद्य, आदि वाक्यः हन्ति पचति झापयत्येवं तदेवं... भांता ७०- पे.क्र. १०७, पृ. १४४B-१४५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ नवखण्डापार्श्वनाथवीनती (पार्श्वनाथविनती-नवखण्डा) मारुगूर्जर, पद्य, गा.८, कृ.विः भाषा-अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ५६, पृ. १६०मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नवखण्डापार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन-नवखण्डा) हेमविमलसूरिशिष्य, सं., पद्य, का.२६, आदि वाक्यः विपुलमङ्गलमण्डलदायकं... पाकाहेम १२३३७, पृ. १, नवखण्डापार्श्वनाथस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति नवग्रहस्तुतिगर्भित ) आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः दोसावहारदक्खो... पाकाहेम १२१७४, पृ. १, नवग्रहगर्भितपार्श्वजिनस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १४९७१- पे.क्र. २, पृ. ७, प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२१७४, पृ. १, नवग्रहगर्भितपार्श्वजिनस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२१७४, पृ. १, नवग्रहगर्भितपार्श्वजिनस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ नवग्रहाह्वानस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः तरुणोग्रतरकरविसरप्राग्भार... वताकांति ४२८- पे.क्र. २, पृ. ८९-९१, पूजाष्टक, नवग्रहाह्वान स्तोत्र व महाभयहर स्तोत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-८७-९४. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९७/९८ 407 Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवचउवीसकुलक प्रा., पद्य, " पाकाहेम ७७८९ पे.क्र. ३. पृ. १, गौतमकुलक आदि वि-१७मी, संपूर्ण - कुल हो. पृष्ठ-२ नवतत्त्वनी चोपई स्तवन कृति उपरथी प्रत माहिती मुनि-देवचन्द्र मारुगूर्जर, पद्य, गा.२०८, ग्रं. ३०२. पाकाहेम ५४०९, पृ. १२, नवतत्त्वनी चोपई स्तवन, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १० नवतत्त्वप्रकरण (नवतत्त्वविचार) (नवतत्त्वविचारसारप्रकरण) प्रा. पद्य, गा.४९. आदि वाक्यः जीवाजीवा पुत्रं पावासव संवरो य निज्जरणा... " पाताखेत ५- पे.क्र. ७, पृ. १३१ - १३४, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-२१. प्रत विशेष - श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक - १६ एवं २० दोनो पर है... कुल झे. पृष्ठ ९२ डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२ - पे. क्र. ३३ पृ. २९२- २९४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष ११५ मं पार्नु घटे छे. - डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १८, पृ. १८९-१९२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्वविचार, पे. विशेष गाथा-५३. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १६. पृ. ३५ प्रकरण, स्तुति स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण J प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम ६९५४- पे.क्र. १, पृ. ?, नवतत्त्वप्रकरण आदि, वि-१७५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ पाकाहेम ६९५५ पृ. ५. नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३०. - कुल झे. पृष्ठ पाकाहेम ६९५६, पृ. ३. नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ वि-१५१० संपूर्ण प्रत विशेष मूलगाथा-३१. कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम ६९५७, पृ. १६, नवतत्त्वप्रकरण बालाववोधसहित वि-१८३२, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १० पाकाहेम १०११०, पृ. ९. नवतत्वप्रकरण बालावबोधसहित वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० पाकाहेम १०१४७, पृ. २. नवतत्त्वप्रकरण वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष गाथा- ४४. कुल झे. पृष्ठ-३ पाकाहेम १०१४८, पृ. ४, नवतत्त्वप्रकरण, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४४. कुल डी. पृष्ठ प पाकाम १०५६७, पृ. २. नवतत्त्वप्रकरण वि-१७मी संपूर्ण पाकाहेम १०५७७, पृ. ४, नवतत्त्वप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण 408 , Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- गाथा-४४. पाकाहेम १०५७८, पृ. ६, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि आचार्य-साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९५५, पृ. ५, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३०. कुल झे.पृष्ठ-७ नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९५६, पृ. ३, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५१०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३१. कुल झे.पृष्ठ-६ नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५७८, पृ. ६, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नवतत्त्वप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९५७, पृ. १६, नवतत्त्वप्रकरण बालाववोधसहित, वि-१८३२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०११०, पृ. ९, नवतत्त्वप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० नवतत्त्वप्रकरण प्रा., पद्य, गा.५३, कृ.विः गाथा-४९ पण मळे छे. पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.८, पृ. ५४-५८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३. डीवीडी-३८/५५ नवतत्त्वप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२१, पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. ३, पृ. ५३-५६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. ___ डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४०, पृ. ७८आ-७९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१५. झेरोक्ष पत्र-४७-४८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ तालाद ३२६- पे.क्र. १६, पृ. १३६-१३७, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १६१८४- पे.क्र.३, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. अति सूक्ष्माक्षरी प्रति. कुल झे.पृष्ठ-७ नवतत्त्वप्रकरण (नवतत्त्वप्ररूपणाप्रकरण) आचार्य-देवगुप्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.१३९, 409 Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ४, पृ. १०१-११४, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्व सह (प्रा.)भाष्य, पे. विशेष- कर्ता तरीके जिनचन्द्रगणि आपेल छे. डीवीडी-३५/५३ नवतत्त्वप्रकरण-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५२, आदि वाक्यः इय पुव्वसूरिविरइयसम्मत्तपरूवणत्थगाहाणं... पाताखेत ५०- पे.क्र. १२, पृ. १५९-१६९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ४, पृ. १४४, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्व सह (प्रा.)भाष्य, पे. विशेष- कर्ता तरीके जिनचन्द्रगणि आपेल छे. डीवीडी-३५/५३ नवतत्त्वप्रकरण-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५२, आदि वाक्यः इय पुव्वसूरिविरइयसम्मत्तपरूवणत्थगाहाणं... पाताखेत ५०- पे.क्र. १२, पृ. १५९-१६९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ४, पृ. १४४, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्व सह (प्रा.)भाष्य, पे. विशेष- कर्ता तरीके जिनचन्द्रगणि आपेल छे. डीवीडी-३५/५३ नवतत्त्वप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९५७, पृ. १६, नवतत्त्वप्रकरण बालाववोधसहित, वि-१८३२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०११०, पृ. ९, नवतत्त्वप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि आचार्य-साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९५५, पृ. ५, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३०. कुल झे.पृष्ठ-७ नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९५६, पृ. ३, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५१०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३१. कुल झे.पृष्ठ-६ नवतत्त्वप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५७८, पृ. ६, नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नवतत्त्वप्ररूपणाप्रकरण जुओ - नवतत्त्वप्रकरण, आचार्य-देवगुप्तसूरि, प्राकृत, गा.१३९ नवतत्त्वबोलविचार मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९५८, पृ. ३, नवतत्त्वबोलविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ नवतत्त्वभेद 410 Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत १२- पे.क्र. ३२, पृ. २८७-२९२, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १६, पृ. १०१०-१०१B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ नवतत्त्वविचार जुओ - नवतत्त्वप्रकरण, प्राकृत, गा.४९ नवतत्त्वविचार प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः जीवाजीवा पुन्नं पावासवसंवरोय निज्जरणा... पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १४, पृ. ७१-७२, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ नवतत्त्वविचारसारप्रकरण जुओ - नवतत्त्वप्रकरण, प्राकृत, गा.४९ नवतत्त्वविचारसारोद्धार प्रा., आदि वाक्यः अरहन्ता भगवन्तो सव्वे उप्पण्ण दिव्ववर... पाताहेसं १८९- पे.क्र. ४०, पृ. १५१B-१५८B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- संक्षेपतो नवतत्त्वविचारसारोद्धार प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७२- पे.क्र. २, पृ. ४२B-५५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्वविचारसारोद्धार सह वृत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक ३७B-४२B का झेरोक्ष पत्र नहीं है अर्थात् ३७-४२ के एक भाग का संपूर्ण झेरोक्ष नहीं है प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ नवतत्त्वविचारसारोद्धार-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांता ७२- पे.क्र.२, पृ. ४२B-५५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्वविचारसारोद्धार सह वृत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक ३७B-४२B का झेरोक्ष पत्र नहीं है अर्थात् ३७-४२ के एक भाग का संपूर्ण झेरोक्ष नहीं है प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ नवतत्त्वविचारसारोद्धार-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांता ७२- पे.क्र. २, पृ. ४२B-५५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- नवतत्त्वविचारसारोद्धार सह वृत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक ३७B-४२B का झेरोक्ष पत्र नहीं है अर्थात् ३७-४२ के एक भाग का संपूर्ण झेरोक्ष नहीं है प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ नवनिष्पन्नजिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि (जिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि) सं., पाकाहेम ८१७२, पृ. ५, नवनिष्पन्नजिनबिम्बप्रतिष्ठादिविधि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ 411 Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती नवपदप्रकरण आचार्य-जिनचन्द्रसूरि[उपकेशगच्छ], गुरु-आचार्य-कक्कसूरि[उपकेशगच्छ], आचार्य-देवगुप्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.१३८, आदि वाक्यः नमिउण वद्धमाणं मिच्छं सम्मं वयाइं संलेहा।... कृ.विः कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे. पाताखेत ५- पे.क्र. ४, पृ. १००-११७, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- नवपयं, पे. विशेष- गाथा-१३७. प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. २५, पृ. २५०-२६४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४२. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. २, पृ. ५३-६८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- आ प्रतमां गाथा-१३८ छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत १७-२- पे.क्र.७, पृ. ११०-१२७, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३२-१- पे.क्र. १, पृ. १४, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४०. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ५०, पृ. २०८, नवपदप्रकरणवृत्ति (श्रावकानन्दि) तथा कर्मविपाकादि कर्मग्रन्थ चतुष्टय, वि १३२६, संपूर्ण प्रत विशेष- चोंटेली, जीर्ण, लिपिकृत, हेमकीर्ति. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र. ४, पृ. ४८B-६०B, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. नाम- नवपय, पे. विशेष- गाथा-१३८. अपूर्ण. ताडपत्रीय पत्र ५१ व ५३-५४ नहीं है. झेरोक्ष पत्र १९-२३ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १५१- पे.क्र. ७, पृ. १०५-११९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. ६, पृ. १३३-१५०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३७. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ११, पृ. १५५-१६९, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ९, पृ. १९१-२०७, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र.७, पृ. १९२-२१९, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे. डीवीडी-३६/५४ 412 Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १६, पृ. १८८ - १९१, उपदेशमाला आदि, वि - १२७९, संपूर्ण पे. विशेष गाथा १३८ पत्र १७३ थी १८७ सुधी नथी आदिनी ९४ गाथा नथी. डीवीडी - ३७ / ५४ पातासंघवी १८४१ पे. क्र. ५. पृ. ८८-१००, उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १४०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०२ पे.क्र. ९ पृ. १८४ १९९ उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष गाथा १३९. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ४०- पे.क्र. २, पृ. २३७-२८०, नवपदप्रकरण बृहद्वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां वृत्ति-अपूर्ण अने नाम पण बृहद्वृत्ति नथी लख्युं. पृ. १-२३७, मूल पृ. २३७ २८०. डीवीडी-५/१४ पाताहेसं ११४- पे.क्र. ६, पृ. ८९-१००, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १४०. कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी-७/१७ पाताहे ११९ पे.क्र. ४ पृ. ९६ १०७, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे, विशेष गाथा १३९. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र- ८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ - १२४, डीवीडी-७/१७ पाताहे १२२- पे.क्र. १ पृ. ??? नवपदप्रकरण आदि संपूर्ण 1 डीवीडी-७/१७ भांता २५- पे क्र. ६, पृ. १६५-१७८B उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण प्रत विशेष भण्डार संदर्भाक-७४ (A)/८०-८१. सूचीपत्र नं. २-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे क्र. ६, पृ. १६५-१७८B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- नवपदसूत्र, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र - ४७-५२. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-७२/८१ तालाद ३२६- पे.क्र. १२, पृ. ११० - ११९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १०६. डीवीडी- ९४ / ९६ अताका ४९७- पे.क्र. ७, पृ. १३३A - १४७B, प्रकरणपुस्तिका, वि - १३०१, संपूर्ण पे. नाम- नवपयं, पे. विशेष- गाथा - १३८. प्रत विशेष प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे. पृष्ठ- १२७, डीवीडी - १०३/१०४ नवपदप्रकरण- (सं.) बृहद्वृत्ति आचार्य यशोदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं. १५००, पाताहे ४० पे.क्र. १ पृ. १-२३७, नवपदप्रकरण बृहद्वृत्ति सह संपूर्ण प्रत विशेष गायकवाड केटलोंगमां वृत्ति- अपूर्ण अने नाम पण बृहद्वृत्ति नथी लख्युं पृ. १-२३७, मूल पृ. २३७ २८०. - डीवीडी-५/१४ नवपदप्रकरण- (सं.) श्रावकानन्दि टीका ( श्रावकानन्दि टीका ) ( नवपदलघुवृत्ति) (श्रावकनन्दी) आचार्य-जिनचन्द्रसूरि[उपकेशगच्छ], गुरु- आचार्य-कक्कसूरि[ उपकेशगच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १०७३, आदि वाक्य: नत्वेच्छायोगतोऽयोगं योगिगम्यं जिनेश्वरं .... 413 Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ५०, पृ. २०८, नवपदप्रकरणवृत्ति (श्रावकानन्दि) तथा कर्मविपाकादि कर्मग्रन्थ चतुष्टय, वि १३२६, संपूर्ण प्रत विशेष- चोंटेली, जीर्ण, लिपिकृत, हेमकीर्ति. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १२८-१, पृ. १२५, नवपदलघुवृत्ति (श्रावकानन्दी), संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ वताकांति ४०८, पृ. १६९, नवपद प्रकरण श्रावकानन्दि टीका, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ नवपदप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५००, पातासं ४०- पे.क्र. १, पृ. १-२३७, नवपदप्रकरण बृहद्वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां वृत्ति-अपूर्ण अने नाम पण बृहद्वृत्ति नथी लख्यु. पृ.१-२३७, मूल पृ.२३७ २८०. डीवीडी-५/१४ नवपदप्रकरण-(सं.)श्रावकानन्दि टीका (श्रावकानन्दि टीका), (नवपदलघुवृत्ति), (श्रावकनन्दी) आचार्य-जिनचन्द्रसूरि[उपकेशगच्छ], गुरु-आचार्य-कक्कसूरि[उपकेशगच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १०७३, आदि वाक्यः नत्वेच्छायोगतोऽयोगं योगिगम्यं जिनेश्वरं... पातासंघवीजीर्ण ५०, पृ. २०८, नवपदप्रकरणवृत्ति (श्रावकानन्दि) तथा कर्मविपाकादि कर्मग्रन्थ चतुष्टय, वि १३२६, संपूर्ण प्रत विशेष- चोंटेली, जीर्ण, लिपिकृत, हेमकीर्ति. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १२८-१, पृ. १२५, नवपदलघुवृत्ति (श्रावकानन्दी), संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ वताकांति ४०८, पृ. १६९, नवपद प्रकरण श्रावकानन्दि टीका, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ नवपदलघुवृत्ति जुओ - नवपदप्रकरण-(सं.)श्रावकानन्दि टीका, आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, संस्कृत नवफणा श्रीपार्श्वनाथनमस्कार (पार्श्वनाथ नमस्कार नवफणा) अप., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः जय चिन्तामणि जयनाहु जय नवफणमण्डिय.... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. ३, पृ. २-१, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ नवसंवादसुन्दर सं., पद्य, श्लोक३५२, पाकाहेम २८४८, पृ. ७, नवसंवादसुन्दर सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-९ नवसंवादसुन्दर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८४८, पृ. ७, नवसंवादसुन्दर सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-९ नवसंवादसुन्दर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८४८, पृ.७, नवसंवादसुन्दर सावचूरि त्रिपाठ, वि-१८मी, त्रुटक 414 Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-९ नवाणुप्रकारीपूजा मुनि-वीरविजय, मारुगूर्जर, लिंता २४३२-१, पृ. १, नवाणुप्रकारीपूजा, वि-१८८६, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती-७ पत्रांतर्गत. नव्य कर्मग्रन्थ द्वितीय जुओ - कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.३४ नव्य कर्मग्रन्थ प्रथम जुओ - कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ', आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.६१ नव्य कर्मग्रन्थषट्क जुओ - कर्मग्रन्थषट्क, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ जुओ - बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.४३४० नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण (बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य), (क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य बृहत) आचार्य-सोमतिलकसूरि, प्रा., पद्य, गा.३८६, आदि वाक्यः सिरिनिलयं... पाकाहेम ११६४, पृ. ९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५८७, पृ. १८, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१५३४, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३८७. प्रति पाणीमां भीजाईने एक बाजुथी खराब थई गई छे. पत्र १६मुं नथी. पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १७०, पृ. ८, नव्यबृहत् क्षेत्रसमास, संपूर्ण डीवीडी-८६ नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०३६, पाकाहेम ११६६, पृ. १९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ११६७, पृ. १२, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१४६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५८९, पृ. २३, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०३६, पाकाहेम ११६६, पृ. १९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ११६७, पृ. १२, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१४६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५८९, पृ. २३, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण नव्ययतिजीतकल्पसूत्र जुओ - यतिजीतकल्पसूत्र नव्य, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.३३३ 415 Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नव्यशतकावचूरि जुओ नष्टग्लानबद्धनक्षत्रफल ( नक्षत्रगण्डिका) कृति उपरथी प्रत माहिती शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ (सं.) अवचूरि, संस्कृत प्रा. गद्य, आदि वाक्यः पुण्वतियमसल्लेसासाई भरणीय..... " भांता ७०- पे.क्र. १६६, पृ. २३२B- २३४A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३ - १५. पत्र- २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ नागदत्तकथानक (गद्य) " सं. गद्य, पाकाहेम २१०६- पे.क्र. ९, पृ. ६३-६४, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६५ नागदत्ताकथा परद्रव्यापरहारविषये जुओ- परद्रव्यापरहारविषये नागदत्ताकथा, संस्कृत, श्लोक १२० नागराज शतक जुओ भावशतक, अज्ञात नागराज, संस्कृत, का. १०४ नागानन्दनाटक - कवि - हर्ष कवि, प्रा., सं., पाताहे १४० पृ. ९० नागानन्दनाटक, वि-१२५८. संपूर्ण डीवीडी-८/१७ नागिनीकथा मायायाम् (मायायाम् नागिनीकथा ) प्रा. ग्रं. ११३, पाताहेसं १८५- पे.क्र. ७, पृ. ९८ - १०३, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी - १०/१९ नाट्यपदभञ्जिका राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत जुओ राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत नाट्यपदभञ्जिका, उपाध्याय - पद्मसुन्दर, संस्कृत नाणाइत्तप्रकरण जुओ नाणाचित्तप्रकरण, प्राकृत, गा. ८१ नाणाचित्तप्रकरण (नाणाइत्तप्रकरण), (धर्मकुलक) - प्रा., पद्य, गा. ८१, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं जगजीवबन्धवं धम्मकणयकसवट्टं ।... पातासंघवी ७२२- पे. क्र. ३ पृ. २४-३३ एकवीसठाण प्रकरण आदि संपूर्ण डीवीडी - ३१/५० पातासंघवी १९०२ पे. क्र. १९ पृ. २३४-२४२ उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. विशेष- छेल्लां पानानां बे टुकडा छे.. डीवीडी-३७/५४ पाताहे ११९ - पे. क्र. १७ पृ. १९४-२००, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ४५. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ तालाद ३३८- पे क्र. १ पृ. १ १३, नाणाचित्तप्रकरण, कर्मप्रकृति वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २०, डीवीडी- ९४ / ९६ तालाद ३८४ - पे.क्र. ७, पृ. ४०-४५ पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ३०, झे. रिमार्क झेरोक्ष पृष्ट ३० +६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २३, पृ. ८६-८८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०४. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल हो. पृष्ठ- १४५ 416 Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती नानार्थनामसङ्ग्रह गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., ग्रं.२५८, पाकाहेम ८७३५, पृ. ६, नानार्थनामसङ्ग्रह, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ नानार्थनामसङ्ग्रह-(सं.)स्वोपज्ञवृत्ति गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम ८७३६, पृ. ३५, नानार्थनामसङ्ग्रह स्वोपज्ञवृत्ति, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ नानार्थनामसङ्ग्रह-(सं.)स्वोपज्ञवृत्ति गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम ८७३६, पृ. ३५, नानार्थनामसङ्ग्रह स्वोपज्ञवृत्ति, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ नानार्थरत्नावली वृत्ति जुओ - योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका, मुनि मानसागर, संस्कृत नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य (द्विसन्धानकाव्य नाभेय-नेमि) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, पाकाहेम ६७९०- पे.क्र. १, पृ. १-२९, नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य तथातटिप्पणक, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य-(सं.)टिप्पणक सं., गद्य, पाकाहेम ६७९०- पे.क्र. २, पृ. ?, नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य तथातट्टिप्पणक, वि-१५मी, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कुल झे.पृष्ठ-२९ नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य-(सं.)टिप्पणक सं., गद्य, पाकाहेम ६७९०- पे.क्र. २, पृ.?, नाभेय-नेमिद्विसन्धानकाव्य तथातट्टिप्पणक, वि-१५मी, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कुल झे.पृष्ठ-२९ नाभेयचरित्रस्तोत्र जुओ - नाभेयजिनस्तोत्र, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.२० नाभेयजिनस्तोत्र (आदिजिनस्तोत्र), (नाभेयचरित्रस्तोत्र), (आदिनाथचरित्रस्तोत्र) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः (१) नाभियजिणमुसभ (२) नमियं जिनमुसभमुभयं... डतामुक्ता ४५७- पे.क्र.६, पृ. ७-८, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण पे. नाम- नाभेयस्तोत्र, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५२, पृ. ११९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १०१६६- पे.क्र. १, पृ. १-४, नाभेयचरित्रस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय# (क्रियागुप्त यमकादिमय नाभेयस्तव), (यमकादिमय क्रियागुप्त नाभेयस्तव), (आदिजिनस्तव) नयप्रभ, सं., पद्य, श्लोक१३, पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. १०, पृ.७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण नाभेयस्तोत्र (आदिजिनस्तोत्र) 417 Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः जो पामीयरकन्तीकाय.. भांता ६९- पे.क्र. १७, पृ. १३२-१३८A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२७५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ नाममाला यौगिकशब्द जुओ - यौगिकशब्दनाममाला, संस्कृत, श्लोक५३ नामलिङ्गानुशासन जुओ - अमरकोष, पण्डित-अमरसिंह, संस्कृत, श्लोक२००० नायकनायिकावर्णन सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २४, पृ. १८२-१८७, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण झेरोक्ष पत्र ९४-९५ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० नायाधम्मकहाओ जुओ - ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.५००० नारङ्गपुरमण्डन पार्श्वजिनस्तवन जुओ - पार्श्वनाथस्तवन नारङ्गपुरमण्डन#, आचार्य-विजयदेवसूरि, मारुगूर्जर, गा.११ नारचन्द्र ज्योतिष आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., अताका ४९८, पृ. ३२, नारचन्द्र ज्योतिष प्रथम प्रकरण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पाटण माइक्रोफिल्म रॉल नं.३२ अनुक्रमांक-६२४ उपर पर आनी विगत मळे छे. ते माइक्रोफिल्म रॉल नं. अने शॉट नं. सांकळ्या छे. डीवीडी-१०३/१०४ नारचन्द्र ज्योतिष-(सं.)टिप्पनक आचार्य-सागरचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ७६, पृ. ८, नारचन्द्रज्योतिषटिप्पनक, वि-१५९३, संपूर्ण नारचन्द्र ज्योतिष-(सं.)टिप्पनक आचार्य-सागरचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ७६, पृ. ८, नारचन्द्रज्योतिषटिप्पनक, वि-१५९३, संपूर्ण नारदीय सामुद्रिकशास्त्र (सामुद्रिकशास्त्र नारदीय) ऋषि-नारद देवर्षि, सं.,प्रा., पद्य, श्लोक७६, आदि वाक्यः आदिदेवं प्रणम्यादौ सर्वज्ञं सर्वदर्शिनं... पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. ९, पृ. ७५-८२, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ नारी अष्टक (नार्यष्टक), (वानर्यष्टक(?)) सं., पद्य, श्लोक९, कृ.विः साचु नाम-वानर्यष्टक लागे छे. पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ११, पृ. ४, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. ११, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ नार्यष्टक जुओ - नारी अष्टक, संस्कृत, श्लोकर निगोदषट्त्रिंशिका-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. ५, पृ. ५-६, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ 418 Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निघण्टु शेष जुओ निघण्टुसङ्क्षेप, संस्कृत श्लोक४६ निघण्टुसङ्क्षेप ( निघण्टु शेष ) सं., पद्य, श्लोक४६. वताकांति ४०३, पृ. २९, निघण्टु शेष, संपूर्ण डीवीडी- ९७/९८ पाकाहेम ८७३२- पे.क्र. २, पृ. १-३, यौगिकशब्दनाममाला आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ-३ - नित्यानित्यवादस्थापनावादस्थल सं. ग्रं.३२५. - पाकाहेम ८७९३- पे.क्र. २, पृ. ? स्याद्वादस्थापनवादस्थल आदि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- षड्दर्शनसमुच्चयलघुवृत्तिगत आ वादस्थलो छे. कुल झे. पृष्ठ-4 - निमित्तग्रन्थ जुओ सर्वव्यसायविधिकरणप्रक्रम, संस्कृत, मा. १९१ निमित्तशास्त्र जुओ गर्मलक्षण, वर्षालक्षण, उत्पातदर्शन, संस्कृत - कृति उपरथी प्रत माहिती निमित्तशास्त्र जुओ प्रणष्टलाभ आदि ज्योतिष, प्राकृत, गा. २९ निमित्तशास्त्र जुओ सउण उवस्सुई - छाया-नाडि-निमित जोइस सुविणय- रिट्ठदार, प्राकृत नियमभङ्गे राजहंसकथा जुओ- राजहंसकथा नियमभङ्गे, संस्कृत श्लोक२१० नियाण कुलक नियाण कुलक- ( मा.गु.) स्तबक प्रा., पद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. २, पृ. ४-५, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम नियाण कुलक सह (मा.गु.) स्तबक कुल झे. पृष्ठ-९ नियाण कुलक (मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. २, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- नियाण कुलक सह (मा.गु.) स्तबक कुल झे. पृष्ठ - ९ " - मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. २, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- नियाण कुलक सह (मा.गु.) स्तबक कुल झे. पृष्ठ - ९ निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र जुओ निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र, प्राकृत ग्रं. ११०० निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र (निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र ) ( निर्यावलिकासूत्र ) (निरयावलिकासूत्र ) प्रा. गद्य ग्रं. ११०० आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्या.... उबगाणं भन्ते समणेणं..... पातासंघवी ६३-२- पे.क्र. १, पृ. १B-१०२B, निरयावली आदि, वि - १३०९, संपूर्ण पे. विशेष- १०२ पेज छे. प्रत विशेष - पत्र - १०२ + १०५ = २०७. झेरोक्ष पत्र - ४६ बेवडाएल छे.. कुल झे. पृष्ठ ४६, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५६८- पे.क्र. १, पृ. १-१७, निरयावलिका उपाङ्गसूत्र तथा वृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण पे, विशेष ग्रन्थान-११०९. प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. 419 Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १००२४, पृ. २०, निर्यावलिकोपाङ्गसूत्र, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरण- सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०३५९, पृ. २१, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-११०९. कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०४१९, पृ. २०, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र, वि-१५५३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रति लखावनार श्राविका बाई षीमाईए कमलसंयमोपाध्यायने वहोवरावेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०४२०, पृ. २५, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र, वि-१६०२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-११०९. कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १०४७५, पृ. २३, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-११०९. कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १४८४९, पृ. २०, निरयावलिकासूत्र, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-११०९. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाभाभा २६, पृ. २१, निरयावलिकासूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२८, ग्रं.६४०, आदि वाक्यः पार्श्वनाथं नमस्कृत्य प्रायोन्यग्रन्थ वीक्षिताः... पातासंघवी ६३-२- पे.क्र. २, पृ. १B-७०B, निरयावली आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. लेखन संवत १३१०. लेखन स्थल-गंभुका. प्रत विशेष- पत्र-१०२+१०५=२०७. झेरोक्ष पत्र-४६ बेवडाएल छे. __ कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५६८- पे.क्र.२, पृ. १७-२७, निरयावलिका उपाङ्गसूत्र तथा वृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-६३४. प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १००२५, पृ. १२, निर्यावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. प्रथम पत्रमा नरकविपाक भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०४२१, पृ. ९, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५९८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८००. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १४८६१, पृ. १२, निरयावलिकासूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. प्रथम पत्रमा सूत्रना भावने दर्शावतुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १५, पृ. ३०-३०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण 420 Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८४ निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२८, ग्रं.६४०, आदि वाक्यः पार्श्वनाथं नमस्कृत्य प्रायोन्यग्रन्थ वीक्षिताः... पातासंघवी ६३-२- पे.क्र.२, पृ. १B-७०B, निरयावली आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. लेखन संवत १३१०. लेखन स्थल-गंभुका. प्रत विशेष- पत्र-१०२+१०५=२०७. झेरोक्ष पत्र-४६ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५६८- पे.क्र. २, पृ. १७-२७, निरयावलिका उपाङ्गसूत्र तथा वृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-६३४. प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १००२५, पृ. १२, निर्यावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. प्रथम पत्रमा नरकविपाक भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०४२१, पृ. ९, निरयावलिकोपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५९८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८००. कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १४८६१, पृ. १२, निरयावलिकासूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-६५०. प्रथम पत्रमा सूचना भावने दर्शावतुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १५, पृ. ३०-३०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ निरयावलिकासूत्र जुओ - निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र, प्राकृत, ग्रं.११०० निर्भयभीमव्यायोग कवि-रामचन्द्र, सं.,प्रा., आदि वाक्यः तपोभिर्दुस्तपैर्येन सन्तप्यात्मानमूर्जिताः।... पाकाहेम २७४१, पृ. ४, निर्भयभीमव्यायोग, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ निर्यावलिकासूत्र जुओ - निरयावलिकादिपञ्चोपाङ्गसूत्र, प्राकृत, ग्रं.११०० निशीथसूत्र (निसीहसुत्त) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.८१२, आदि वाक्यः जे भिक्खू हत्थकम्मं करेइ... पातासंघवी ६०-२- पे.क्र. १, पृ. १-६८, निशीथसूत्र एवं व्यवहारसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-३०/४८ पाताहेसं १३- पे.क्र. १, पृ. १-७, निशीथसूत्रलघुभाष्य, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- बीजा सूचिपत्रमा 'निशीथचूर्णि पंचमोद्देश पर्यंत प्रथम खंड' आ प्रमाणे नाम छे. डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १४- पे.क्र. १, पृ. १०, निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि, संपूर्ण पे. विशेष- बीजा सूचिपत्रमा 'निशीथसूत्रचूर्णि' ८ उद्देशथी १४ उद्देश पर्यंत किंचिद् अपूर्ण' आ प्रमाणे नाम छे. डीवीडी-२/१२ भांता १७, पृ. ११५, निशीथसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०६, डीवीडी-६७/७६ 421 Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता १८, पृ. २०, निशीथसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४३७. डीवीडी-६७/७६ भांता १९- पे.क्र. १, पृ. १०५-११५, निशीथसूत्र सह चूर्णि-उद्देशक १-१०, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-११३-११४/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-४३८, १-४४५., पत्र-२३९+१+१=२४१. कुल झे.पृष्ठ-३०८, डीवीडी-६७/७६ पाकाहेम ६५४०- पे.क्र. १, पृ. १-१४, निशीथसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२,३३ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-११४ पाकाहेम १००५१, पृ. ११, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७१५. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३२१, पृ. १२, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०४२३, पृ. ८, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०४८०, पृ. १७, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८१५. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०४८१, पृ. २१, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८१५. कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १४८७२, पृ. १६, निशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ निशीथसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.६४३९, ग्रं.८४००, आदि वाक्यः णवबम्भचेरमइओ अट्ठारसपदसहस्सिओ... भांता २२- पे.क्र. २, पृ. २३५-४१४, निशीथसूत्र भाष्य, विशेषचूर्णि-उद्देशक-१४-२०, वि-११४६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४१, १-४४८. डीवीडी-६८/७७ भांता २६, पृ. १९७, निशीथ भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४२., निशीथसूत्र मूल पण होवु जोईये. आदिवाक्य- जे भिक्खू हत्थ... डीवीडी-६९/७७ लिंता ४४, पृ. ९६, निशीथभाष्य, वि-१५६१, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्धप्रायः पाकाहेम १००५२, पृ. १०५, निशीथसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०५ पाकाहेम १४८७३, पृ. १५५, निशीथसूत्रभाष्य, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५७ निशीथसूत्र-(प्रा.)लघुभाष्य प्रा., पद्य, पाताहेसं १३- पे.क्र. २, पृ. १-७७, निशीथसूत्रलघुभाष्य, वि-१३३०, संपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १४- पे.क्र. २, पृ. ८-१४, निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि, संपूर्ण 422 Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- द्वितीय खण्ड-उ. ८-१४. डीवीडी-२/१२ पाकाहेम ६५४०- पे.क्र. २, पृ. १४-१४६, निशीथसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२,३३ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-११४ निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेष चूर्णि (निशीथसूत्रचूर्णि), (विशेषचूर्णि) गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, श्लोक२८०००, ग्रं.१७८८४, आदि वाक्यः णमिऊण रहन्ताणं सिद्धाण य... पातासंघवी ७६, पृ. ३६०, निशीथचूर्णी प्रथमखण्ड दशमोद्देशपर्यन्त, वि-११५७, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ७७, पृ. ३१८, निशीथचूर्णी द्वितीय खण्ड ११ थी वीसमां उद्देशपर्यन्त, वि-११५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जयसिंहदेव राज्ये-देवप्रसादश्रावकेण लिखिता संशोधिता प्रतिः चित्रशोभनयुक्ता. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १३- पे.क्र. ३, पृ. १-३०४, निशीथसूत्रलघुभाष्य, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- प्रथम खण्ड. (गायकवाड केटलॉग) डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १४- पे.क्र. ३, पृ. १०३-४०५, निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १९- पे.क्र. २, पृ. ११६-३४३, निशीथसूत्र सह चूर्णि-उद्देशक १-१०, प्रतिपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रचूर्णि प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-११३-११४/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-४३८, १-४४५., पत्र-२३९+१+१=२४१. कुल झे.पृष्ठ-३०८, डीवीडी-६७/७६ भांता २०, पृ. ३२६, निशीथसूत्रचूर्णि-उद्देशक-१-१०-प्रथमखण्ड, वि-१३५९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४६. डीवीडी-६८/७६ भांता २१- पे.क्र. १, पृ. १-३३४, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि १२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्र की विशेषचूर्णि प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे. डीवीडी-६८/७७ भांता २२- पे.क्र. १, पृ. १-३३४, निशीथसूत्र भाष्य, विशेषचूर्णि-उद्देशक-१४-२०, वि-११४६, प्रतिपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४१, १-४४८. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३०, पृ. २३४, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-१, वि-१५३९, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३४ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. १, पृ. १-२७७, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. १, पृ. १-४५६, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४मुं ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र. १, पृ. १-३७९, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. १, पृ. १-१२३, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण 423 Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१३५ पाकाहेम १०३४२, पृ. १८, निशीथचूर्णि द्वितीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १४८५३, पृ. ४५१, निशीथसूत्रचूर्णि, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७३ थी १९१ सुधीना पत्रांको लेखकना प्रमादथी छुटी गया छे. पण सम्बन्ध तुटतो नथी. निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या (विंशोद्देशकव्याख्या), (विशेषचूर्णिव्याख्या) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, श्लोक११००, आदि वाक्यः प्रणम्य वीरं सुरवन्दितक्रमं विशुद्धशुद्धयाऽखिलनष्टकल्मषम्... भांता २१- पे.क्र. २, पृ. ३३५-३५३, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि १२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशक व्याख्या प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. २, पृ. २७७-३००, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. २, पृ. ४५६-४७२, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४९ ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र. २, पृ. ३७९-३९४, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. २, पृ. १२३-१३५, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३५ निशीथसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति मुनि-पार्श्वचन्द्रशिष्य, प्रा., गद्य, कृ.विः विशेष चूर्णि मां थी उद्धृत. पाकाहेम १०३६७, पृ. ८३, निशीथसूत्र लघुवृत्ति-विशेषचूर्णिमान्थी उद्धृत प्रथमखण्ड, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८३ निशीथसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ९, पृ.७-१७, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ३०, पृ. ८२-८३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-८४ उपधानविधि निशीथोक्त (निशीथोक्त उपधानविधि) प्रा., आदि वाक्यः सुयं मे आउसं...एवमक्खायं देज्जा आलोयणं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-सुलभबोधिलाभनिमित्तेणं एवं चेइयाइ अकुव्वममाणे अप्पाराहिए महानिशीथे. भांता ७०- पे.क्र. ५५, पृ. ५९A-६२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ निशीथसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.६४३९, ग्रं.८४००, आदि वाक्यः णवबम्भचेरमइओ अट्ठारसपदसहस्सिओ... 424 Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता २२- पे.क्र. २, पृ. २३५-४१४, निशीथसूत्र भाष्य, विशेषचूर्णि-उद्देशक-१४-२०, वि-११४६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४१, १-४४८. डीवीडी-६८/७७ भांता २६, पृ. १९७, निशीथ भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४२., निशीथसूत्र मूल पण होवु जोईये. आदिवाक्य- जे भिक्खू हत्थ... डीवीडी-६९/७७ लिंता ४४, पृ. ९६, निशीथभाष्य, वि-१५६१, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्धप्रायः पाकाहेम १००५२, पृ. १०५, निशीथसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २४मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०५ पाकाहेम १४८७३, पृ. १५५, निशीथसूत्रभाष्य, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५७ निशीथसूत्र-(प्रा.)लघुभाष्य प्रा., पद्य, पाताहेसं १३- पे.क्र. २, पृ. १-७७, निशीथसूत्रलघुभाष्य, वि-१३३०, संपूर्ण डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १४- पे.क्र. २, पृ. ८-१४, निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि, संपूर्ण पे. विशेष- द्वितीय खण्ड-उ. ८-१४. डीवीडी-२/१२ पाकाहेम ६५४०- पे.क्र. २, पृ. १४-१४६, निशीथसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२,३३ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-११४ निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेष चूर्णि (निशीथसूत्रचूर्णि), (विशेषचूर्णि) गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, श्लोक२८०००, ग्रं.१७८८४, आदि वाक्यः णमिऊण रहन्ताणं सिद्धाण पातासंघवी ७६, पृ. ३६०, निशीथचूर्णी प्रथमखण्ड दशमोद्देशपर्यन्त, वि-११५७, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ७७, पृ. ३१८, निशीथचूर्णी द्वितीय खण्ड ११ थी वीसमां उद्देशपर्यन्त, वि-११५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जयसिंहदेव राज्ये-देवप्रसादश्रावकेण लिखिता संशोधिता प्रतिः चित्रशोभनयुक्ता. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १३- पे.क्र. ३, पृ. १-३०४, निशीथसूत्रलघुभाष्य, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- प्रथम खण्ड. (गायकवाड केटलॉग) डीवीडी-२/१२ पाताहेसं १४- पे.क्र. ३, पृ. १०३-४०५, निशीथसूत्रलघुभाष्यचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १९- पे.क्र. २, पृ. ११६-३४३, निशीथसूत्र सह चूर्णि-उद्देशक १-१०, प्रतिपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रचूर्णि प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-११३-११४/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-४३८, १-४४५., पत्र-२३९+१+१=२४१. कुल झे.पृष्ठ-३०८, डीवीडी-६७/७६ भांता २०, पृ. ३२६, निशीथसूत्रचूर्णि-उद्देशक-१-१०-प्रथमखण्ड, वि-१३५९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४६. डीवीडी-६८/७६ 425 Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता २१- पे.क्र. १, पृ. १-३३४, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि १२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्र की विशेषचूर्णि प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे. डीवीडी-६८/७७ भांता २२- पे.क्र. १, पृ. १-३३४, निशीथसूत्र भाष्य, विशेषचूर्णि-उद्देशक-१४-२०, वि-११४६, प्रतिपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४४१, १-४४८. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३०, पृ. २३४, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-१, वि-१५३९, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३४ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. १, पृ. १-२७७, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. १, पृ. १-४५६, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४मुं ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र. १, पृ. १-३७९, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. १, पृ. १-१२३, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३५ पाकाहेम १०३४२, पृ. १८, निशीथचूर्णि द्वितीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १४८५३, पृ. ४५१, निशीथसूत्रचूर्णि, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७३ थी १९१ सुधीना पत्रांको लेखकना प्रमादथी छुटी गया छे. पण सम्बन्ध तूटतो नथी. निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या (विंशोद्देशकव्याख्या), (विशेषचूर्णिव्याख्या) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, श्लोक११००, आदि वाक्यः प्रणम्य वीरं सुरवन्दितक्रमं विशुद्धशुद्धयाऽखिलनष्टकल्मषम्... भांता २१- पे.क्र.२, पृ. ३३५-३५३, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि १२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशक व्याख्या प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. २, पृ. २७७-३००, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. २, पृ. ४५६-४७२, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४मुं ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र. २, पृ. ३७९-३९४, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. २, पृ. १२३-१३५, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३५ निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या (विंशोद्देशकव्याख्या), (विशेषचूर्णिव्याख्या) 426 Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, श्लोक११००, आदि वाक्यः प्रणम्य वीरं सुरवन्दितक्रमं विशुद्धशुद्धयाऽखिलनष्टकल्मषम्... भांता २१- पे.क्र. २, पृ. ३३५-३५३, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि १२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशक व्याख्या प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. २, पृ. २७७-३००, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. २, पृ. ४५६-४७२, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण __ प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४मुं ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र.२, पृ. ३७९-३९४, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. २, पृ. १२३-१३५, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३५ निशीथसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ९, पृ. ७-१७, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ३०, पृ. ८२-८३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ निशीथसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति मुनि-पार्श्वचन्द्रशिष्य, प्रा., गद्य, कृ.विः विशेष चूर्णि मां थी उद्धृत. पाकाहेम १०३६७, पृ. ८३, निशीथसूत्र लघुवृत्ति-विशेषचूर्णिमान्न्थी उद्धृत प्रथमखण्ड, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८३ निशीथसूत्रचूर्णि जुओ - निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेष चूर्णि, गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.१७८८४, श्लोक२८००० निशीथोक्त उपधानविधि जुओ - उपधानविधि निशीथोक्त, प्राकृत निश्शेषसिद्धान्तविषमपदर्याय जुओ - सर्वसिद्धान्तविषमपदर्याय, संस्कृत निसीहसुत्त जुओ - निशीथसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, गा.८१२ नीतिवाक्यामृत आचार्य-सोमदेवसूरि(दि.), सं., पातासंघवी ६७-४, पृ. ९५, नीतिवाक्यामृत, संपूर्ण पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.३, पृ. १-९, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर २२(४६) आपेलो छे., अपूर्ण. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ६६५९, पृ. २०, नीतिवाक्यामृत, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ नीतिशास्त्र जुओ - लघुचाणक्यनीतिशास्त्र, संस्कृत नीरविचार सिद्धान्तोद्धृत प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ७९५५, पृ.३, नीरविचार सिद्धान्तोद्धत, वि-१७मी, संपूर्ण 427 Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिजिन बिरुदावली (स्तोत्र) आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, का.४५, आदि वाक्यः जय श्रीनेमिजिनवर! नवरसोद्गारसुभग... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५१, पृ. १४०-१४१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १३९मुं नथी. पत्र १४० मानी पुंठी घसायेली छे. डीवीडी-३८/५५ नेमिजिन स्तवन-अष्टभाषाबद्ध जुओ - अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन, संस्कृत प्राकृत,अपभ्रंश, श्लोक२१ नेमिजिन स्तुति अप., पद्य, आदि वाक्यः निरुवमसुहतरुकन्दं जायवकुलगयणपुं महावीरं।... कृ.विः गाथा ३ से अधिक है. पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १४, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-३ तक है. झेरोक्ष पत्र ८३ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० नेमिजिनस्तवन मारुगूर्जर, पद्य, गा.५, आदि वाक्यः भली भावना भेटिवा... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६०, पृ. २४१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ नेमिजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन जुओ - नेमिनाथजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन#, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.१७ नेमिजिनस्तुति सं., पद्य, श्लोक२४, आदि वाक्यः कान्तः स्तोतुं कवीनां... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ४, पृ. १४A-२८B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ नेमिजिनस्तुति गिरिनारमण्डन जुओ - गिरिनारमण्डन नेमिजिनस्तुति, आचार्य-जयशेखरसूरि, मारुगूर्जर, गा.१६ नेमिदूतकाव्य कवि-विक्रम कवि, सं., पद्य, श्लोक१२६, पाकाहेम २६६४- पे.क्र. १, पृ. ५, नेमिदूतकाव्य तथा उपदेशरत्नकोष, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ नेमिव्यक्षरस्तव (द्व्यक्षर नेमिस्तव) सं., कृ.विः नम अक्षरद्वय. पाकाहेम ११३०९, पृ. १, नेमिट्ट्यक्षरस्तव सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिव्यक्षरस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११३०९, पृ. १, नेमिट्ट्यक्षरस्तव सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण _कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिव्यक्षरस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११३०९, पृ. १, नेमिट्ट्यक्षरस्तव सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिनाथ धवल १५/ ० 428 Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४१, पृ. १३१मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नेमिनाथ पञ्चासिका आचार्य-जिनसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.५२, आदि वाक्यः पणमिय नेमिजिणिन्दं उज्झिन्त महारिरिन्द... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ५८, पृ. १३९आ-१४३आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- नेमिनाथ पंचासिया, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६७-६८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ नेमिनाथ बोली अप., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः जयतु जयतु शश्वन्नेमिनाथो विवश्व... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५२, पृ. १४१-१४२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ नेमिनाथचन्द्राउलास्तवन आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६५५, गा.७३, पाकाहेम १०७९०, पृ.७, नेमिनाथचन्द्राउलास्तवन, वि-१६६६, संपूर्ण नेमिनाथचरिउ मुनि-सागरचन्द्र, गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि, अप., तालाद ३८४- पे.क्र.६, पृ. ३८-४२, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ नेमिनाथचरित्र जुओ - नेमिनाथस्तोत्रचरित्र, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१५ नेमिनाथचरित्र मुनि-कमलप्रभ, सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीमद्युगादिजिनराजपदारविन्दे... पुप्रे ४२७, पृ. ४१९, नेमिनाथ चरित्र, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१९ नेमिनाथचरित्र (गद्य) मुनि-गुणविजय, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६६८, श्लोक५२७५, पाकाहेम १६७२, पृ. १५४, नेमिनाथचरित्र गद्य, वि-१७०२, संपूर्ण प्रत विशेष- सं.१७०४मां गुणविजयगणि शिष्य रत्नविजये पाटणना भंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१०४ नेमिनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ३, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ नेमिनाथजन्माभिषेक आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः मरगयमणिवन्नह तिन्नपयन्नह सारयचन्दिमचरिउ जसु... पाताखेत ६- पे.क्र. ४४, पृ. २३०-२३१, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ नेमिनाथजिनबारमासा मुनि-देवचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.१५, पाकाहेम ३१४२, पृ. १, नेमिजिनबारमासा, वि-१९मी, संपूर्ण 429 Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिनाथजिनवरस्तवन जैनकवि-ऋषभदास, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६६८, गा.७१, पाकाहेम १०२२९, पृ. ४, नेमिजिनवरस्तवन, वि-१७९९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ नेमिनाथजिनस्तवन सं., पद्य, का.१५, आदि वाक्यः श्रीनेमिस्वामिन नौमि... पाकाहेम १२३७१- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१५मी, संपूर्ण नेमिनाथजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन# (नेमिजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, का.१७, आदि वाक्यः श्रीमदैवतकाभिधान नगभूभूषैक भूषामणं... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. २, पृ. १-२, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- गिरिनारगिरिमण्डन श्रीनेमिजिनस्तव कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १२१३६- पे.क्र. १, पृ. १, गिरिनारमहातीर्थमण्डन नेमिजिनस्तवन तथा पार्श्वनाथपञ्चविंशिका, वि १६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय, आदिः श्रीमदैवताभिधान. आदिः स्फुरत्केवलज्ञानचारु. कुल झे.पृष्ठ-२ नेमिनाथजिनस्तोत्र आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, सं., पद्य, का.२४, आदि वाक्यः नेमिस्समाहितधिया... पाकाहेम १२३१९, पृ. १, नेमिजिनस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण नेमिनाथधुल-धवल मारुगूर्जर, पद्य, गा.७, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४६, पृ. १४६-१४७, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ नेमिनाथरास आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः नन्दउ नेमिजिणिन्दो रेवयगिरिमण्डणु... पाताखेत ६- पे.क्र. ३१, पृ. १८३-१८७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ नेमिनाथस्तवन सं., पद्य, श्लोक२५, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १७, पृ. २१मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ नेमिनाथस्तवन आचार्य-रत्नप्रभसूरि, सं., पद्य, पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ६, पृ. ५-६, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ नेमिनाथस्तवन उपाध्याय-महीसागर, सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः श्रीशैवेयममेयश्री... पाकाहेम १२३२०, पृ. १, नेमिस्तवन स्वोपज्ञावचूरिसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तवन-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि उपाध्याय-महीसागर, सं., गद्य, 430 Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३२०, पृ. १ नेमिस्तवन स्वोपज्ञावचूरिसहित पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तवन आचार्य ऋषिवर्धनसूरि[अञ्चलगच्छ] सं. पद्य का. ११, आदि वाक्यः समुल्लसद्भक्तिसुरा.... पाकाहेम १२३५०, पृ. १, नेमिनाथस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तवन गणि-अमरहर्ष, सं., पय, का. २६, आदि वाक्यः विमलकीर्तिवधूकुलमन्दिरं.... पाकाहेम १२३५६ पृ. १ नेमिनाथस्तवन, वि-१९मी संपूर्ण नेमिनाथस्तवन सं., पद्य, का. १२, आदि वाक्यः श्रीरैवताचल मुकुटायमानं..... पाकाहेम १२३७२- पे क्र. १ पृ. १ नेमिनाथस्तवन आदि वि-१५मी संपूर्ण नेमिनाथस्तवन अप., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः वसुमइ सिरिसुर..... पातासंघवी १७२-३- पे. क्र. ५, पृ. २९A -३९B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण , प्रत विशेष अस्तव्यस्त त्रुटक. कर्ता चक्रेश्वरसूरि आदि. - कुल झे. पृष्ठ - ३०, डीवीडी-३६/५४ नेमिनाथस्तवन सूरिनामगर्मित जुओ सूरिनामगर्मित नेमिनाथस्तवन, संस्कृत श्लोक १० नेमिनाथस्तवन-(सं.)स्वोपज्ञ अवचूरि उपाध्याय महीसागर, सं., गद्य, - पाकाहेम १२३२०, पृ. १, नेमिस्तवन स्वोपज्ञावचूरिसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तुति जुओ - पञ्चमीस्तुति, संस्कृत, का ४ नेमिनाथस्तुति मिनाथस्तोत्र आचार्य चक्रेश्वरसूरि, गुरु आचार्य धर्मघोषसूरि अप, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः सुथिरसुरासुर.... पातासंघवी १७२-३- पे. क्र. ६. पृ. ४००-४३B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त - त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे. पृष्ठ - ३०, डीवीडी-३६/५४ नेमिनाथस्तुति विविधछन्दोबद्ध (विविधछन्दोबद्ध नेमिस्तुति) शिवलक्ष्मी, सं. पद्य, का.४६, आदि वाक्यः श्रीशैवेयं शिवश्री ..... पाकाहेम १२३१२, पृ. १, नेमिस्तुति सावचूरि विविधछन्दोबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण स्तुति विविधछन्दोबद्ध - (सं.) अवचूरि नेमिनाथस्तोत्र सं. गद्य, पाकाहेम १२३१२ पृ. १ नेमिस्तुति सावचूरि विविधछन्दोबद्ध वि-१६मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तुति श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप# (श्रीनेमिः पञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति ) सं., पद्य, का. ४, आदि वाक्यः राज्यं राजिमतिं ... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३९, पृ. ७८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है... पाकाहेम १२३६८- पे क्र. १ पृ. १ नेमिः पञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि वि-१६मी, संपूर्ण , आचार्य - वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्य : जायवकुलसरवर पाकाहेम १०२३- पे क्र. ७२, पृ. १२९ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ-१४५ भारती, सं., पद्य, श्लोक२३, 431 Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २२, पृ. २३मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ नेमिनाथस्तोत्र षड्भाषामय (षड्भाषामय नेमिनाथस्तोत्र) । आचार्य-रत्नप्रभसूरि, प्रा.,सं.,अप., पद्य, श्लोक१७, आदि वाक्यः अमन्दभन्दोदयकन्दसारं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६२, पृ. १२५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ नेमिनाथस्तोत्रचरित्र (नेमिनाथचरित्र) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः मयनाहि सरिसबलसिर देहपहाकय... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १२, पृ. ३१, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ३, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०१६६- पे.क्र. ३, पृ. १-४, नाभेयचरित्रस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ नेमिनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.३, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-२२ नेमिपञ्चाशिका प्रा., पद्य, गा.४९, आदि वाक्यः कुवलयदलसच्छायं तिहुवणमज्झम्मि... भांता ६९- पे.क्र. १६, पृ. १२७A-१३२A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२८८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. ___ कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ नेमिप्रतिमोत्पत्ति पाकाहेम ८००३, पृ. ३, नेमिप्रतिमोत्पत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ नेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय जुओ - अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय#, पं.-शाली आगमिक, संस्कृत, का.९ नेमिस्तुति विविधछन्दोबद्ध-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३१२, पृ. १, नेमिस्तुति सावचूरि विविधछन्दोबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण नैयायिक प्रमाणप्रमेयवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः नैयायिकदर्शने तावत प्रमाणप्रमेयसंशयप्रयोजन... भांका २९२- पे.क्र.७, पृ. १३०-१५A, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ नैवेद्यप्रक्रम जुओ - सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत,प्राकृत नैषधकाव्यमन्त्रोद्धार सं., गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र. ४, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ 432 Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती नैषधचरितमहाकाव्य (शशाङ्कसङ्कीर्तनमहाकाव्य), (नैषधमहाकाव्य), (नैषधीयमहाकाव्य) कवि-हर्ष कवि, सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रिया हियालयविलम्बमाविलं... पातासंघवी १३१-१- पे.क्र. १, पृ. १-९५, नैषध महाकाव्य सर्ग १ थी ९ सुधी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमनां अने अंतनां पत्रो फाटेलां छे. कुल झे.पृष्ठ-६२, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३१-१- पे.क्र. २, पृ. १-९०, नैषध महाकाव्य सर्ग १ थी ९ सुधी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- २२ मो सर्ग अपूर्ण छे. प्रत विशेष- प्रथमनां अने अंतनां पत्रो फाटेलां छे. कुल झे.पृष्ठ-६२, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८७-२, पृ. १९८, नैषध महाकाव्य १४ सर्ग सुधी, वि-११७८, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम १०४००, पृ. ७५, नैषधचरितमहाकाव्य विद्याधरीटीका सहित सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ पाकाहेम १२९२७, पृ. ३४२, नैषधीयमहाकाव्य सटीक, वि-१८०९, संपूर्ण नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)साहित्यविद्याधरीटीका (साहित्यविद्याधरीटीका), (विद्याधरीटीका) पण्डित-विद्याधर, सं., गद्य, पाकाहेम १०४००, पृ. ७५, नैषधचरितमहाकाव्य विद्याधरीटीका सहित सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ नैषधकाव्यमन्त्रोद्धार सं., गद्य, पाकाहेम ८६८३- पे.क्र. ४, पृ. १-३, गुर्जरेश्वरकरणराजस्तुतिकाव्यादि काव्य सटीक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)टीका जैनेतर-गदाधर, सं., गद्य, पाकाहेम १२९२७, पृ. ३४२, नैषधीयमहाकाव्य सटीक, वि-१८०९, संपूर्ण नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)टीका जैनेतर-गदाधर, सं., गद्य, पाकाहेम १२९२७, पृ. ३४२, नैषधीयमहाकाव्य सटीक, वि-१८०९, संपूर्ण नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)साहित्यविद्याधरीटीका (साहित्यविद्याधरीटीका), (विद्याधरीटीका) पण्डित-विद्याधर, सं., गद्य, पाकाहेम १०४००, पृ. ७५, नैषधचरितमहाकाव्य विद्याधरीटीका सहित सप्तमसर्गपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ नैषधमहाकाव्य जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य, कवि-हर्ष कवि, संस्कृत नैषधीयमहाकाव्य जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य, कवि-हर्ष कवि, संस्कृत न्यायकन्दली टीका जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका, जैनेतर-श्रीधर भट्ट, संस्कृत, ग्रं.३७१६ न्यायकलानिधि टिप्पण जुओ - न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायकलानिधि टिप्पण, जैनेतर-विश्वनाथाश्रम, संस्कृत न्यायकलिका जयन्त, सं., आदि वाक्यः नमः स्वमायामाहात्म्यदर्शितानेकमूर्तये... पातासंघवी १४६-१- पे.क्र.२, पृ. ५७-८०, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ न्यायकुमुदचन्द्र टीका जुओ - लघीयस्त्रयप्रकरण-(सं.)न्यायकुमुदचन्द्र टीका, आचार्य-प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), संस्कृत न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण आचार्य-उदयनाचार्य, सं.. पाकाहेम १०७१६, पृ. २८, न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण 433 Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण-(सं.)परिमल टीका (परिमल टीका) उपाध्याय-श्रीदिवाकर, सं., गद्य, पाकाहेम ६६८५, पृ. १६, न्यायकुसुमाञ्जलिपरिमल प्रथमस्तबक, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण-(सं.)टीका (सङ्केत(?)) जैनेतर-वामेश्वरध्वज, सं., गद्य, आदि वाक्यः यद् योगिमुख्यैरपि नैव गम्यं यत् कारणं... पातासंघवी १९१-२, पृ. १५५, न्यायकुसुमाञ्जलिटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- पहेलां ४-५ पत्रो बगडेलां छे. डीवीडी-३७/५४ न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण-(सं.)टीका (सङ्केत(?)) जैनेतर-वामेश्वरध्वज, सं., गद्य, आदि वाक्यः यद् योगिमुख्यैरपि नैव गम्यं यत् कारणं... पातासंघवी १९१-२, पृ. १५५, न्यायकुसुमाञ्जलिटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- पहेलां ४-५ पत्रो बगडेलां छे. डीवीडी-३७/५४ न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण-(सं.)परिमल टीका (परिमल टीका) उपाध्याय-श्रीदिवाकर, सं., गद्य, पाकाहेम ६६८५, पृ. १६, न्यायकुसुमाञ्जलिपरिमल प्रथमस्तबक, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, अज्ञात-वोम्मीदेव, संस्कृत न्यायग्रन्थ जुओ - दार्शनिकग्रन्थ-अज्ञात, संस्कृत न्यायग्रन्थ सं., गद्य, पाकाहेम ७३२१, पृ. १०९, न्यायग्रन्थ अपूर्ण, वि-१५वी, अपूर्ण न्यायग्रन्थ श्रीकण्ठीयटिप्पण जुओ - न्यायटिप्पनक श्रीकण्ठीय, जैनेतर-श्रीकण्ठ पण्डित, संस्कृत न्यायटिप्पनक श्रीकण्ठीय (श्रीकण्ठीय न्यायटिप्पनक (न्यायग्रन्थ)). (न्यायग्रन्थ श्रीकण्ठीयटिप्पण) जैनेतर-श्रीकण्ठ पण्डित, सं., गद्य, आदि वाक्यः संसारिचेतनवर्ग इति संसारिग्रहणेन... कृ.विः कया ग्रन्थनु टिप्पणक. तालाद ३१२, पृ. ६४, श्रीकण्ठीयटिप्पण, वि-१४९२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९३/९५ न्यायतत्त्वचिन्तामणि जुओ - तत्त्वचिन्तामणी, जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, संस्कृत, ग्रं.२८११ न्यायतत्त्वविवेक जैनेतर-उदयकर, सं., पाकाहेम ६६७८, पृ. २२, न्यायतत्त्वविवेक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ न्यायतात्पर्यदीपिका टीका जुओ - न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायतात्पर्यदीपिका टीका, आचार्य-जयसिंहसूरि, संस्कृत न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि (तात्पर्यपरिशुद्धि) आचार्य-उदयनाचार्य, सं., गद्य, आदि वाक्यः मातः सरस्वती पुनः... तालाद ३११, पृ. २१५, तात्पर्यपरिशुद्धिवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- १७६ नंबर- पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-९३/९५ न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, तालाद ३११, पृ. २१५, तात्पर्यपरिशुद्धिवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण 434 Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष - १७६ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ - १२४, डीवीडी-९३/९५ न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि- ( सं . ) वृत्ति सं., गद्य, तालाद ३११, पृ. २१५, तात्पर्यपरिशुद्धिवृत्ति, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - १७६ नंबरनुं पानुं नथी. कुल पृष्ठ- १२४, डीवीडी- ९३/९५ झे. न्यायदीप जुओ न्यायप्रदीप जैनेतर- गोपीकान्त वेणीदत्त याज्ञिक संस्कृत न्यायदीपिका कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-अभिनवधर्मभूषण, सं., पाकाहेम २८६९, पृ. २०, न्यायदीपिका सह टिप्पण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२१ न्यायदीपिका (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम २८६९, पृ. २०, न्यायदीपिका सह टिप्पण, वि-१८मी, संपूर्ण कुझे पृष्ठ २१ न्यायदीपिका- (सं.) टिप्पण सं. गद्य, पाकाहेम २८६९, पृ. २०, न्यायदीपिका सह टिप्पण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ न्यायप्रदीप (न्यायदीप ) "" जैनेतर - गोपीकान्त वेणीदत्त याशिक, सं. गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीविश्वनाथं विरचयति सतां सम्मुदे न्यायदीपं ..... पाकाहेम १३६४३, पृ. ७, न्यायप्रदीप टिप्पण सह संपूर्ण T कुल झ. पृष्ठ-६ न्यायप्रदीप- (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १३६४३, पृ. ७, न्यायप्रदीप टिप्पण सह संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-६ न्यायप्रदीप- (सं.) टिप्पण न्यायप्रवेशसूत्र सं., गद्य, पाकाहेम १३६४३ पृ. ७, न्यायप्रदीप टिप्पण सह संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ आचार्य दिग्नाग, सं.. पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २५, पृ. १६२ - १६६, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष - पत्र १६३ थी १६४ नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२ डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १७१-२- पे. क्र. २. पृ. २६ न्यायावतारसूत्र आदि संपूर्ण प्रत विशेष- कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-३६/५४ न्यायप्रवेशसूत्र - ( सं .) टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ५००, आदि वाक्यः सम्यग् न्यायस्य वक्तारं प्रणिपत्य जिनेश्वरं ... पातासंघवी १७१-२- पे.क्र. ३. पृ. १-२३. न्यायावतारसूत्र आदि, संपूर्ण 435 Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १२२(१) आपेल छे. प्रत विशेष- कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-३६/५४ न्यायप्रवेशसूत्र-(सं.)टीकानी पम्जिकावृत्ति (पञ्जिकावृत्ति) गणि-पार्श्वदेव, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११६९, आदि वाक्यः दुर्वारमारकरिकुम्भतटप्रभेदकण्ठीरवं जिनपतिं वरदं प्रणम्य [... कृ.विः न्यायावतारनुं टिप्पण छे? विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रहरसरूद्र संवत. अन्तवाक्य-न्यायप्रवेशशास्त्रस्य सद्वृत्तेरिहपंजिका... पाताखेत ३८-२- पे.क्र. २, पृ. ११९, कम्मपयडीसङ्ग्रहणी न्यायप्रवेशपञ्जिका, संपूर्ण पे. नाम- न्यायप्रवेशपंजिका डीवीडी-६२/६४ न्यायप्रवेशसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५००, आदि वाक्यः सम्यग् न्यायस्य वक्तारं प्रणिपत्य जिनेश्वरं... पातासंघवी १७१-२- पे.क्र. ३, पृ. १-२३, न्यायावतारसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १२२(१) आपेल छे. प्रत विशेष- कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-३६/५४ न्यायप्रवेशसूत्र-(सं.)टीकानी पञ्जिकावृत्ति (पञ्जिकावृत्ति) गणि-पार्श्वदेव, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११६९, आदि वाक्यः दुरिमारकरिकुम्भतटप्रभेदकण्ठीरवं जिनपतिं वरदं प्रणम्य ।... कृ.विः न्यायावतारनुं टिप्पण छे? विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रहरसरूद्र संवत. अन्तवाक्य-न्यायप्रवेशशास्त्रस्य सद्वृत्तेरिहपंजिका... पाताखेत ३८-२- पे.क्र. २, पृ. ११९, कम्मपयडीसङ्ग्रहणी न्यायप्रवेशपञ्जिका, संपूर्ण पे. नाम- न्यायप्रवेशपंजिका डीवीडी-६२/६४ न्यायप्रवेशसूत्र-(सं.)टीकानी पञ्जिकावृत्ति (पञ्जिकावृत्ति) गणि-पार्श्वदेव, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११६९, आदि वाक्यः दुर्वारमारकरिकुम्भतटप्रभेदकण्ठीरवं जिनपतिं वरदं प्रणम्य ।... कृ.विः न्यायावतार, टिप्पण छे? विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रहरसरूद्र संवत. अन्तवाक्य-न्यायप्रवेशशास्त्रस्य सद्वृत्तेरिहपंजिका... पाताखेत ३८-२- पे.क्र. २, पृ. ११९, कम्मपयडीसङ्ग्रहणी न्यायप्रवेशपञ्जिका, संपूर्ण पे. नाम- न्यायप्रवेशपंजिका डीवीडी-६२/६४ न्यायबिन्दु (लघुधर्मोत्तरसूत्र), (धर्मोत्तरसूत्र) आचार्य-धर्मकीर्ति (बौद्ध), सं., पातासंघवीजीर्ण ६४- पे.क्र. ४, पृ. १६, भवभावना आदि, वि-११९१, संपूर्ण पे. नाम- धर्मोत्तरसूत्र प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ६४- पे.क्र.५, पृ. ११४, भवभावना आदि, वि-११९१, संपूर्ण पे. नाम- न्यायबिन्दु प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० न्यायबिन्दु-(सं.)टीका 436 Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-धर्मोत्तरपाद(बौद्ध), सं., गद्य, ग्रं.१४७७, न्यायबिन्दुनी-(सं.)टीका--(सं.)धर्मोत्तरटिप्पनक (धर्मोत्तरटिप्पनक) आचार्य-मल्लवादी क्षमाश्रमण, सं., गद्य, ग्रं.१३००, आदि वाक्यः (१) प्रणिपत्य जिना [धीशान]...न्यायबिन्दुटीकायाः क्रियते टिप्पनकं (नं) मया ||१||...(२) नमः संसारसागरात्पारं जगन्नेतुं तथागतं... पाताहेसं १४४, पृ. ८३, धर्मोत्तरटिप्पनक तृतीय परिच्छेद पर्यन्त, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ३-८३ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ तालाद ३४७, पृ. १३१, धर्मोत्तरटिप्पनक, वि-१११६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-९४/९६ न्यायबिन्दुनी-(सं.)टीकार्नु-(सं.)धर्मोत्तरटिप्पनक (धर्मोत्तरटिप्पनक) आचार्य-मल्लवादी क्षमाश्रमण, सं., गद्य, ग्रं.१३००, आदि वाक्यः (१) प्रणिपत्य जिना [धीशान्]...न्यायबिन्दुटीकायाः क्रियते टिप्पनकं (नं) मया ||१||...(२) नमः संसारसागरात्पारं जगन्नेतुं तथागतं... पाताहेसं १४४, पृ. ८३, धर्मोत्तरटिप्पनक तृतीय परिच्छेद पर्यन्त, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ३-८३ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ तालाद ३४७, पृ. १३१, धर्मोत्तरटिप्पनक, वि-१११६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-९४/९६ न्यायमकरन्दप्रकरण (न्यायोपदेशमकरन्द) कवि-आनन्दबोध, सं., पाकाहेम २८४१, पृ. ५८, न्यायमकरन्दप्रकरण, वि-१४८०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र५७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ६६८६, पृ. २९, न्यायमकरन्द-न्यायोपदेशमकरन्द, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३० न्यायमकरन्दप्रकरण-(सं.)टीका मुनि-चित्सुख मुनि, सं., गद्य, पाकाहेम ७२४९, पृ. ५२, न्यायमकरन्द टीका, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२ न्यायमकरन्दप्रकरण-(सं.)टीका मुनि-चित्सुख मुनि, सं., गद्य, पाकाहेम ७२४९, पृ. ५२, न्यायमकरन्द टीका, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२ न्यायरत्न जैनेतर-मणिकण्ठ मिश्र, सं., पद्य, श्लोक१४७५, पाकाहेम ७२५०, पृ. ४०, न्यायरत्न, वि-१६६५, संपूर्ण प्रत विशेष- कोई कोई पानां अतिजीर्ण छे. कुल झे.पृष्ठ-४० न्यायलीलावती उपाध्याय-श्रीवल्लभोपाध्याय, सं., पाकाहेम १०७१८, पृ. ३९, न्यायलीलावती, वि-१४८३, संपूर्ण न्यायवार्तिक जुओ - न्यायसूत्रना (सं.)न्यायभाष्यनी(सं.)न्यायवार्तिक टीका, मुनि-भारद्वाज, संस्कृत न्यायशास्त्र-(सं.)अनेकार्थभाष्य (अनेकार्थभाष्य) सं., गद्य, आदि वाक्यः मिलन्मन्दाकिनीमल्लीदामां मूर्ध्नि पुरद्विषः... भांका २५५, पृ. ४०, न्यायानेकार्थभाष्य, संपूर्ण 437 Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-२-१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८९ न्यायसारप्रकरण जैनेतर-भासर्वज्ञ, सं., पाकाहेम २५०२, पृ. २०, न्यायसार, वि-१५२३, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्ता नाम नथी. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ६६७२- पे.क्र. १, पृ. १-४९, न्यायसारसूत्र आदि, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १०१००, पृ. ५, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१४७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०३८७, पृ. ८, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१५०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायतात्पर्यदीपिका टीका (न्यायतात्पर्यदीपिका टीका) आचार्य-जयसिंहसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६६७२- पे.क्र. २, पृ. १-४९, न्यायसारसूत्र आदि, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० न्यायसारप्रकरण-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०१००, पृ. ५, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१४७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०३८७, पृ. ८, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१५०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायकलानिधि टिप्पण (न्यायकलानिधि टिप्पण) जैनेतर-विश्वनाथाश्रम, सं., गद्य, पाकाहेम ६८१०, पृ. २९, न्यायसारटिप्पनक-न्यायकलानिधि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ न्यायसारप्रकरण-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०१००, पृ. ५, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१४७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १०३८७, पृ. ८, न्यायसारप्रकरण टिप्पणीसहित, वि-१५०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायकलानिधि टिप्पण (न्यायकलानिधि टिप्पण) जैनेतर-विश्वनाथाश्रम, सं., गद्य, पाकाहेम ६८१०, पृ. २९, न्यायसारटिप्पनक-न्यायकलानिधि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ न्यायसारप्रकरण-(सं.)न्यायतात्पर्यदीपिका टीका (न्यायतात्पर्यदीपिका टीका) आचार्य-जयसिंहसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६६७२- पे.क्र. २, पृ. १-४९, न्यायसारसूत्र आदि, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० न्यायसिद्धान्तद्वीप जैनेतर-शशधर, सं., पद्य, श्लोक२५००, लिंता १४६५, पृ. ७६, न्यायसिद्धान्तद्वीप, वि-१६६४, संपूर्ण न्यायसूत्रना (सं.)न्यायभाष्यनी (सं.)न्यायवार्तिक टीका (न्यायवार्तिक) 438 Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनि- भारद्वाज, सं., गद्य, तालाद ३२०, पृ. ४११, न्यायवार्त्तिक- तात्पर्यटीका, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष - १६२, १६७, १६८, १६९, १७०, १७३ नंबरना पाना नथी.. झे. कुल पृष्ठ-३३२ डीवीडी- ९३/९५ न्यायसूत्रना (सं.)न्यायभाष्यनी (सं.) न्यायवार्तिक टीकानी (सं.) तात्पर्यवृत्ति (तात्पर्यवृत्ति) जैनेतर वाचस्पति मिश्र, सं., गद्य, तालाद ३२०, पृ. ४११, न्यायवार्त्तिक- तात्पर्यटीका, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष - १६२, १६७, १६८, १६९, १७०, १७३ नंबरना पाना नथी. कुल पृष्ठ-३३२ डीवीडी- ९३/९५ झे. न्यायसूत्रना (सं.)न्यायभाष्यनी (सं.) न्यायवार्त्तिकटीकानी (सं.) विवरणपञ्जिका टीका (न्यायवार्तिकभाष्यवृत्ति(सं.) विवरणपञ्जिका), (भाष्यवार्तिकवृत्तिविवरणपञ्जिका) पण्डित-अनिरुद्ध, सं., गद्य, आदि वाक्यः स्यादेतत्प्रथमाध्याये प्रमाणादयः पदार्था उद्दिष्टाः यथोद्देशञ्च .... " कृ. विः मूल भाष्य अने न्यायवार्तिक त्रणे उपर विवरण. कृति उपरथी प्रत माहिती न्यायसूत्रना (सं.) न्यायभाष्यनी (सं.) न्यायवार्तिक टीकानी (सं.) तात्पर्यवृत्ति (तात्पर्यवृत्ति) जैनेतर - वाचस्पति मिश्र, सं., गद्य, तालाद ३२०, पृ. ४११ न्यायवार्तिक- तात्पर्यटीका, वि-१४८९, संपूर्ण प्रत विशेष- १६२, १६७, १६८, १६९, १७०, १७३ नंबरना पाना नथी. कुल झे. पृष्ठ - ३३२, डीवीडी- ९३/९५ न्यायागमानुसारिणी टीका जुओ द्वादशार नयचक्र - ( सं . ) न्यायागमानुसारिणी टीका, आचार्य सिंहसूरि क्षमाश्रमण संस्कृत, ग्रं. १८००० न्यायार्थमञ्जूषा न्यायावतारसूत्र - गणि हेमहंसगणि, सं., पद्य, श्लोक १०९२, पाकाहेम १०६८१, पृ. २०, न्यायार्थमञ्जूषा, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष १-२-३-४-५-८ प्रति पाणीथी भींजायेली छे, कुल झे. पृष्ठ-१४ आचार्य सिद्धसेन दिवाकर सुरि, पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ६ · कुल झे. पृष्ठ- १० न्यायावतारसूत्र - (सं.) टीका सं. पद्य, श्लोक३२ आदि वाक्यः प्रमाणं स्वपरामासि ज्ञान बाधविवर्जितः.... "I " डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७१-२- पे. क्र. १ पृ. १-२ न्यायावतारसूत्र आदि, संपूर्ण पृ. १३३-१३४, तर्कभाषा आदि संपूर्ण प्रत विशेष कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी - ३६/५४ पाकाहेम १६७९४- पे.क्र. २, पृ. ५-६, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ, न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण मुनि - सिद्ध साधु, सं. गद्य, पातासंघवी १७१-२- पे. क्र. ४. पृ. १६८, न्यायावतारसूत्र आदि संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १२२(१) अने २४१(३) आपेलो छे., त्रुटक, अपूर्ण, कोरो एक बाजुनी खरी गई छे. प्रत विशेष कोई पानानी कोरो खरी गई छे, कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम २४४८- पे.क्र. १, पृ. १-२८, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४१ पाकाहेम ६८०८, पृ. ३३, न्यायावतारविवरण, वि-१६वी, संपूर्ण 439 Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रं.२०७३. कुल झे.पृष्ठ-३५ न्यायावतारसूत्रनी (सं.)वृत्तिनुं (सं.)टिप्पण सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरमेकान्तध्वान्तविध्वंसभास्करं।... पातासंघवी १०५-१, पृ. ७२, न्यायावतारवृत्ति टिप्पण, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-४६-५१-५९ अने अंत नथी. न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी[हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८ - पे.क्र. २, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ६६७१, पृ. १५, न्यायावतारवृत्तिटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ न्यायावतारसूत्र-(सं.)टीका मुनि-सिद्ध साधु, सं., गद्य, पातासंघवी १७१-२- पे.क्र. ४, पृ. १-६८, न्यायावतारसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १२२(१) अने २४१(३) आपेलो छे., त्रुटक, अपूर्ण, कोरो एक बाजुनी खरी गई प्रत विशेष- कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम २४४८- पे.क्र. १, पृ. १-२८, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ६८०८, पृ. ३३, न्यायावतारविवरण, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.२०७३. कुल झे.पृष्ठ-३५ न्यायावतारसूत्रनी (सं.)वृत्तिनुं (सं.)टिप्पण सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरमेकान्तध्वान्तविध्वंसभास्करं।... पातासंघवी १०५-१, पृ. ७२, न्यायावतारवृत्ति टिप्पण, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-४६-५१-५९ अने अंत नथी. न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी [हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८- पे.क्र.२, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ६६७१, पृ. १५, न्यायावतारवृत्तिटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी[हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८ - पे.क्र. २, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ 440 Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६६७१, पृ. १५. न्यायावतारवृत्तिटिप्पन, वि-१५मी संपूर्ण कुल की. पृष्ठ-१४ न्यायावतारसूत्रनी (सं.) वृत्तिनुं (सं.) टिप्पण सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरमेकान्तध्वान्तविध्वंसभास्करं । ... पातासंघवी १०५-१, पृ. ७२, न्यायावतारवृत्ति टिप्पण, अपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १२ - ४६-५१-५९ अने अंत नथी. न्यायोपदेशमकरन्द जुओ न्यायमकरन्दप्रकरण, कवि-आनन्दबोध, संस्कृत न्याससारसमुद्धार जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिनो (सं.) लघुन्यास, आचार्य - कनकप्रभसूरि, संस्कृत पउमचरियं गाथाबद्ध (पद्मचरित्र) आचार्य - विमलसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. वीर ५३०, ग्रं. १०३००, पाकाहेम ६६९८ पृ. १५३ पद्मचरित्र (पउमचरियम्) वि-१४८७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १९३ पाकाहेम १०१८५, पृ. ४, पद्मचरित्रगत चतुर्दशउद्देश, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - गाथा - १६९. कुल झे. पृष्ठ-4 पउमसिरिचरित्र धाहिल, अप., आदि वाक्यः (१) धाहिलु दिव्वदिहि... (२) वाहिलु दिव्वदिहि ..... पातासंघवी २०५-१- पे.क्र. ४, पृ. १-५३, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ६१, डीवीडी-३८/५५ पक्खी खामणा जुओ - क्षामणकसूत्र, प्राकृत पगामसज्झाय (श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र), (यतिप्रतिक्रमणसूत्र ), ( साधुप्रतिक्रमणसूत्र ), ( प्रतिक्रमणसूत्र ) प्रा. ग्रं. ५०, आदि वाक्य इच्छामि पडिक्कमिउं पगामसेज्जाए निगामसेज्जाए सन्धाराउव्वत्तणाए परियत्तणाए आउण्टणाए पसारणाए छप्पइयसङ्घट्टणाए । पातासंघवीजीर्ण ४५ पे. क्र. ३. पृ. ५६-६० सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक- जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७६ पे.क्र. ३. पृ. ८५-९३ दशवेकालिकसूत्र आदि त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६६ - पे. क्र. ५. पृ. १-३, चैत्यवन्दन आदि संपूर्ण " प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १०४-२ पे.क्र. २६ पृ. २२९-२३२ प्रवचनसन्दोह आदि संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १८२-१- पे. क्र. २, पृ. ५३-५९, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं १६१- पे. क्र. ३ पृ. ५०-५४ दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र- ५०. प्रत विशेष प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७० डीवीडी-८/१८ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १८, पृ. १७८ - १८१, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३ पृ. १९-२१, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ ९० 441 Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२१२४- पे. क्र. २६. पृ. १०४-१०८ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २३मुं नथी. कुल ३. पृष्ठ- ८१ झे. पगामसज्झाय- (सं.) वृत्ति ( यतिप्रतिक्रमणसूत्र - (सं.) वृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरजिनं सङ्क्षिप्तरुचीननुग्रहीतुमनाः । सुगमीकरोमि किञ्चिद् यतिप्रतिक्रमणसूत्रमहम् 11911.... भांका १६६, पृ. ६, यतिप्रतिक्रमणसूत्र - वृत्ति, वि- १४९७, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १ ९७३. डीवीडी-८६ पगामसज्झाय- (सं.) i ) वृत्ति पगामसज्झाय- (सं.) वृत्ति मुनि पार्श्वसाघु. सं. गद्य रचना सं. शक ८२१ आदि वाक्यः अथ प्रतिक्रमणमिति कः शब्दार्थ इत्युच्यते ..... कृ. विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे पातासंघवी १६०-२- पे.क्र. १, पृ. १-७७ यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., गद्य रचना सं. विक्रम १३६४, ग्रं. ५४८, पाकाहेम १००७०, पृ. ८ यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुलझे पृष्ठ-९ - पगामसज्झाय-(सं.)वृत्ति ( यतिप्रतिक्रमणसूत्र - (सं.) वृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरजिनं सङ्क्षिप्तरुचीननुग्रहीतुमनाः । सुगमीकरोमि किञ्चिद् यतिप्रतिक्रमणसूत्रमहम् ||१|| .... भांका १६६ पृ. ६ यतिप्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति, वि- १४९७ संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १ ९७३. डीवीडी-८६ पगामराज्झाय (सं.) वृत्ति पगामसज्झाय- (सं.) वृत्ति मुनि पार्श्वसाधु, सं., गद्य रचना सं. शक ८२१ आदि वाक्यः अथ प्रतिक्रमणमिति कः शब्दार्थ इत्युच्यते ..... कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे पातासंघवी १६०-२- पे. क्र. १ पृ. १७७ यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ - आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६४, ग्रं. ५४८, पाकाहेम १००७०, पृ. ८, यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ पच्चक्खाण भाष्य जुओ प्रत्याख्यानभाष्य, प्राकृत, गा. ५७ पच्चक्खाण भाष्य जुओ प्रत्याख्यानभाष्य, प्राकृत, गा. ३९ पच्चक्खाण भाष्य जुओ प्रत्याख्यानभाष्य आचार्य देवेन्द्रसूरि प्राकृत, गा. ४८ पच्चक्खाणकुलग जुओ- प्रत्याख्यानगाथा, प्राकृत, गा. ३२ पच्चक्खाणविचारगाथा - . पच्चक्खाणविवरणगाथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सूरम्मि उग्गयम्मी पच्चक्खाय इति .... कृ.विः परिमाण काव्य मां आपेल छे. पातासंघवीजीर्ण ५७ - पे क्र. ४, पृ. २B-3B, श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा १९ तक है. पच्चक्खाण संबंधी परचूरण गाथा. कुल झे. पृष्ठ- ५४, डीवीडी-५७/६० 442 Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.८२, आदि वाक्यः दुविहं पच्चक्खाणं मूलगुणेसु तहत्तरगुणेसु... पातासंघवीजीर्ण ५७- पे.क्र. ३, पृ. १A-२B, श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-५७/६० पञ्च आराधना प्रकरण प्रा., पद्य, गा.३३९, आदि वाक्यः मणिरहकुमारसाहू १ कामगयन्दो वि मुणिवरो भयवं २|... पाताखेत ५०- पे.क्र.८, पृ. १०२-१२६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३२४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र.६, पृ. १०२-१२३, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११३- पे.क्र.५, पृ. ८७-१२०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पञ्चकप्पसुत्तवुड्ढभास जुओ - पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य, गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.३१२५, गा.२५७४ पञ्चकल्पबृहद्भाष्य जुओ - पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य, गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.३१२५, गा.२५७४ पञ्चकल्पसूत्र (महत्पञ्चकल्प) सं... अताका ४९४, पृ. ?, पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १४९२२, पृ. ६५, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१५४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६६ पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य (महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)भाष्य). (पञ्चकल्पबृहद्भाष्य), (पञ्चकल्पसूत्रबृहद्भाष्य), (पञ्चकप्पसुत्तवुड्ढभास) गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.२५७४, ग्रं.३१२५, आदि वाक्यः (१) वन्दामि भद्दबाहुं पाईणं चरिमसगलसुयनाणि (२) कप्पं ति णामनिप्फण्णं महत्थं... पातासंघवी १९- पे.क्र. ५, पृ. २०५-२५८, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थ नथी. डीवीडी-२२/४१ अताका ४९४, पृ.?, पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५५०, पृ. ४२, पञ्चकल्पबृहद्भाष्य, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३२१८.. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १४८६३, पृ. ४१, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७३५. पृष्ठ ४१ छे. कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १४९२०, पृ. ४९, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १४९२२, पृ. ६५, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१५४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६६ भांका १४०, पृ. ८९, पञ्चकल्पसूत्रबृहद्भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-५८८. गाथा-२५७४ व श्लोकग्रन्थाग्र-३१८५. 443 Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८५ पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी (महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)चूर्णी) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि पूर्वाभिहितानि मङ्गलानि पूर्वन्ताचास्मिन् तन्त्रे कल्पाख्य निष्पन्ने।... पातासंघवी १९- पे.क्र. ६, पृ. २५९-३१५, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- घणा पानानी कोरो कपाई गई छे., झेरोक्ष पत्र-१-४४, सीडी नं.४८८. डीवीडी-२२/४१ अताका ४९४, पृ. ?, पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५५१, पृ. ४२, पञ्चकल्पचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १४९२१, पृ. ६४, पञ्चकल्पचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६७ भांका २७६, पृ. ६१, पञ्चकल्पसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५८७., २४ नंबर, पेज डबल छे. डीवीडी-९० पञ्चकल्पसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १२, पृ. २४-२६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी (महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)चूर्णी) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि पूर्वाभिहितानि मङ्गलानि पूर्वन्ताचास्मिन् तन्त्रे कल्पाख्य निष्पन्ने।... पातासंघवी १९- पे.क्र. ६, पृ. २५९-३१५, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- घणा पानानी कोरो कपाई गई छे., झेरोक्ष पत्र-१-४४, सीडी नं.४८८. डीवीडी-२२/४१ अताका ४९४, पृ.?, पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५५१, पृ. ४२, पञ्चकल्पचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १४९२१, पृ. ६४, पञ्चकल्पचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-६७ भांका २७६, पृ. ६१, पञ्चकल्पसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५८७., २४ नंबर- पेज डबल छे. डीवीडी-९० पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य (महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)भाष्य), (पञ्चकल्पबृहद्भाष्य), (पञ्चकल्पसूत्रबृहद्भाष्य), (पञ्चकप्पसुत्तवुड्ढभास) गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.२५७४, ग्रं.३१२५, आदि वाक्यः (१) वन्दामि भद्दबाहुं पाईणं चरिमसगलसुयनाणि (२) कप्पं ति णामनिप्फण्णं महत्थं... पातासंघवी १९- पे.क्र.५, पृ. २०५-२५८, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थ नथी. डीवीडी-२२/४१ अताका ४९४, पृ.?, पञ्चकल्पभाष्य चूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (नकल-३, A,B,C) (प्रेस कोपी नी झेरोक्ष) 444 Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५५०, पृ. ४२, पञ्चकल्पबृहद्भाष्य, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३२१८. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १४८६३, पृ. ४१, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७३५. पृष्ठ ४१ छे. कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १४९२०, पृ. ४९, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १४९२२, पृ. ६५, पञ्चकल्पभाष्य, वि-१५४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६६ भांका १४०, पृ. ८९, पञ्चकल्पसूत्रबृहद्भाष्य, संपूर्ण । प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-५८८. गाथा-२५७४ व श्लोकग्रन्थाग्र-३१८५. डीवीडी-८५ पञ्चकल्पसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १२, पृ. २४-२६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ । पञ्चकल्पसूत्रबृहद्भाष्य जुओ - पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य, गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.३१२५, गा.२५७४ पञ्चकल्याणक स्तुति प्रा., पद्य, आदि वाक्यः चवणं जम्मण निक्कमण तह य नाण निव्वाणं... पातासंघवी १५१- पे.क्र. ३, पृ. ५५-७०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पञ्चकल्याणक स्तोत्र जुओ - चतुर्विंशतिजिनपञ्चकल्याणकस्तोत्र, मुनि-मुनिचन्द्र, अपभ्रंश पञ्चकल्याणकप्रकरण (कल्याणक प्रकरण), (ऋषभदेवपञ्चकल्याणकस्तव?). (ऋषभदेवपञ्चकल्लाणयस्तोत्र) जिनेन्द्रइन्द्र, प्रा., पद्य, गा.१३७, आदि वाक्यः तित्थं पवयण सुयदेवयं च नमिऊण सव्व भावेणं... कृ.विः कर्ता? गाथा १३५ थी १३७ मळे छे. छेल्ली गाथाओमां तफावत होय छे. पाताखेत ३- पे.क्र.५, पृ. ९८-११५, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि-१२९२, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र.८, पृ.७३-८५, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३५. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १७-२- पे.क्र. ४, पृ. ६८-८२, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३४. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र. ३, पृ.६८-८१, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- पत्र ६९ थी ८० नथी. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र.५, पृ. १५६-१७०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र.५, पृ. ७९-९२, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण 445 Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र. २, पृ. ८-२९, जीवविचार आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १९०-२- पे.क्र.७, पृ. १४१-१५५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११४- पे.क्र. ४, पृ. ७१-८२, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३६. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ अताका ४९७- पे.क्र. ४, पृ. ९५A-१०९B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१३५. अंतिम पत्र पर अजितनाथ भगवान का चित्र है. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पञ्चकल्याणकस्तव गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, का.१२, आदि वाक्यः प्रीतद्वात्रिंशदिन्द्रोदितविततगुणाधारपुत्रावतारं... डतामुक्ता ४५७- पे.क्र. १, पृ. १-२, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक जुओ - जिनपञ्चकल्याणकस्तवपञ्चक, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत पञ्चकल्याणकस्तुति प्रा., पद्य, आदि वाक्यः नाभेयं सम्भवन्त... पाकाहेम ११६८३- पे.क्र.२, पृ. १-३, सीमन्धरजिनस्तुति सटीक आदि, वि-१९६४, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिः महीमंडनं पुण्णं. आदिः नामेथं संबवंत. कुल झे.पृष्ठ-३ पञ्चकल्याणकस्तोत्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः सम्म नमिऊण जिणे चउव्वीसं ते स पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १६, पृ. ३३-३४, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पञ्चकल्याणिकस्तोत्र, पे. विशेष- गाथा-२६. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पञ्चकल्याणकस्तोत्र जुओ - महावीरपञ्चकल्याणकस्तोत्र, प्राकृत, गा.१३ पञ्चग्रन्थी जुओ - बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी, आचार्य-बुद्धिसागरसूरि, संस्कृत, ग्रं.७००० पञ्चचारित्रस्वरूप सं., गद्य, आदि वाक्यः एवं सम्यग्दर्शन लाभोत्तरकाल निःशेषकर्मणः... भांता ७०- पे.क्र. ८७, पृ. १११A-११३०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पञ्चजिनस्तव हारबन्ध (हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन), (जिनस्तवन) आचार्य-कुलमण्डनसूरि, सं., पद्य, श्लोक२३, आदि वाक्यः गरीयोगुणश्रेण्य... पाकाहेम ११२८६, पृ. १, पञ्चजिनस्तव हारबन्ध सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३१३, पृ. १, हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन, वि-१९मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३१४- पे.क्र. १, पृ. १, हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१४८९, संपूर्ण पे. नाम- पंचजिनस्तवन हारबद्ध सह (सं.)अवचूरि कट 446 Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पञ्चजिनस्तव हारबन्ध-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११२८६, पृ. १-३, पञ्चजिनस्तव हारबन्ध सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३१४- पे.क्र. १, पृ. १, हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१४८९, संपूर्ण पे. नाम- पंचजिनस्तवन हारबद्ध सह (सं.)अवचूरि पञ्चजिनस्तव हारबन्ध-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११२८६, पृ. १-३, पञ्चजिनस्तव हारबन्ध सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३१४- पे.क्र. १, पृ. १, हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१४८९, संपूर्ण पे. नाम- पंचजिनस्तवन हारबद्ध सह (सं.)अवचूरि पञ्चजिनस्तुति (जिनस्तुति) सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२३६५- पे.क्र.७, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण पञ्चतीर्थङ्करस्तुति (तीर्थङ्करस्तुति) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः जय श्रीऋषभ श्रेयः... पाकाहेम १२३७३- पे.क्र. १, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पञ्चतीर्थीस्तुति सं., पद्य, गा.४, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३५, पृ. ७७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २३, पृ. ८९मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पञ्चनवकार (नवकार) प्रा., पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ९, पृ. १४०-१४१, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणी जुओ - पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण, आचार्य-अभयदेवसूरि, प्राकृत, ग्रं.१३० पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण (पुलाकोद्देशसङ्ग्रहणी), (पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणी) आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, ग्रं.१३०, पाकाहेम १०५९६, पृ. ५, पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१७१९, संपूर्ण पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका ८९, पृ. २, पञ्चनिर्ग्रन्थ सङ्ग्रहणी अवचूरी, संपूर्ण डीवीडी-८४ पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका ८९, पृ. २, पञ्चनिर्ग्रन्थ सङ्ग्रहणी अवचूरी, संपूर्ण डीवीडी-८४ पञ्चपरमेष्ठि स्तुति 447 Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, आदि वाक्यः नम्रामरेश्वरकिरीटनिविष्टशोण... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४, पृ. ?, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष - अपूर्ण. श्लोक-४ तक है. झेरोक्ष पत्र-२५ पर है. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन (परमेष्ठिस्तव), (आत्मरक्षास्तोत्र ), ( नमस्कारस्तवन) सं., प्रा., पद्य, श्लोकट आदि वाक्यः परमेष्ठि नमस्कारं पाताखेत १२ पे.क्र. २४, पृ. २४७-२५०, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष - ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ९७६०- पे.क्र. २, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम ११२९३- पे. क्र. १, पृ. १, परमेष्ठिअष्टक आदि वि-१९०८ संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ६. प्रत विशेष- सूचिपत्र में मुद्रण दोष से प्रत क्रमांक-१११९३ दिया है. कुल झे. पृष्ठ-३ पाकाहेम ११६६६- पे. क्र. २. पृ. १ आदौ नेमिजिनं स्तोत्र, वि-१९मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेग १२३४० पे.क्र. १ पृ. १ पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र तथा गीतमाष्टक, वि-१६५४, संपूर्ण पाकाहेम १२३७५- पे.क्र. २, पृ. १, लघुशान्तिस्तव आदि वि-१६मी, संपूर्ण 1 पाकाहेम १२३८०- पे. क्र. २. पृ. २. ऋषिमण्डलस्तोत्र आदि वि-१७२७. संपूर्ण पञ्चपरमेष्ठिस्तव सं., पद्य, आदि वाक्य अर्हद्भ्यस्त्रिभुवनराजपूजितेभ्यः.... भांता ७० पे. क्र. ५३. पृ. ५७५-५८B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३४९. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ पञ्चपरमेष्ठिस्तव आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः स्वश्रियः श्रीमदर्हन्तं .... पाकाहेम १२३७५- पे.क्र. ३ पृ. १ लघुशान्तिस्तव आदि वि-१६मी संपूर्ण पञ्चपरमेष्ठिस्तवन जुओ नवकारसारस्तव, आचार्य-मानतुङ्गसूरि, प्राकृत, गा. ३१ पञ्चपरमेष्ठिस्तवन - - - . सं., पद्य, गा. ७, आदि वाक्यः अर्हतस्त्रिजगद्वन्द्यां पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३८ पृ. ११२ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भीजायेली छे, कुल झे. पृष्ठ- १४५ 448 J पञ्चपरमेष्ठिस्तुति " आचार्य चक्रेश्वरसूरि गुरु आचार्य धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः नाभेयादिजिनाः प्रनष्टरज..... पातासंघवी १७२-३- पे. क्र. १७, पृ. ११०- ११२B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त होने से अन्तिम गाथा नहीं मिलती है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे. पृष्ठ - ३०, डीवीडी-३६/५४ Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र समस्याबद्ध प्रा., पद्य, पाकाहेम ८२४०, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिस्तोत्र समस्याबद्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पञ्चपर्वादिकुलक प्रा., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः सुयनाणपञ्चमी अट्ठमी य तह चउदसी... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १४, पृ. ५८-६०, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पञ्चमहाव्रत प्रा., पद्य, पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २०, पृ. ?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ पञ्चमाणुव्रतेपरिपालनदृष्टान्ते -श्रेष्ठिसेनकथा जुओ - श्रेष्ठिसेनकथा-पञ्चमाणुव्रतेपरिपालनदृष्टान्ते, प्राकृत, गा.७४ पञ्चमी स्तोत्र (श्रुतज्ञानस्तोत्र) प्रा., पद्य, गा.२२, आदि वाक्यः विगयमयमयणमुणिवइपणिवइयं... पाताखेत २३- पे.क्र. ११, पृ. ३२९, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण ___ डीवीडी-६१/६३ पञ्चमीस्तुति (श्रीनेमि पञ्चरूपस्तुति). (ज्ञानपञ्चमीस्तुति), (नेमिनाथस्तुति) सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः श्रीनेमिः पञ्चरूप... पाकाहेम १२२८२- पे.क्र.२, पृ. १, विविधतीर्थस्तुति-तीर्थमालाचतुर्विंशतिकास्तुति तथा ज्ञानपञ्चमीस्तुति, वि १७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३६८- पे.क्र.२, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण नेमिनाथस्तुति श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप# (श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति ) सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः राज्यं राजिमतिं... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३९, पृ. ७८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२३६८- पे.क्र. १, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पञ्चमीस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः पञ्चानन्तक... पाकाहेम १२३६२- पे.क्र. ३, पृ. १, यमकमयपार्श्वनाथस्तव आदि, वि-१८मी, संपूर्ण पञ्चमीस्तुति सं., पद्य, आदि वाक्यः पञ्चेषु प्रकटप्रभाव... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३८, पृ. ७८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पञ्चलिङ्गीप्रकरण आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०१, आदि वाक्यः उवसम संवेगो विय निव्वेओ... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३१, पृ. ६३-६५, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०२. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. ट 449 Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ११०२९, पृ. ४, पञ्चलिङ्गिप्रकरण, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०२. भांका ३०८, पृ. ९२, पञ्चलिङ्गीप्रकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- ६०मुं पार्नु डबल छे. डीवीडी-९२ पञ्चलिङ्गीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनपतिसूरि, सं., पद्य, श्लोक६६००, पाकाहेम ६५८७- पे.क्र. १, पृ. १-१२०, पञ्चलिङ्गिप्रकरणवृत्ति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११९ पञ्चलिङ्गीप्रकरण-(सं.)टिप्पण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, ग्रं.२०३, पाकाहेम ६५८७- पे.क्र. २, पृ. १-१२०, पञ्चलिङ्गिप्रकरणवृत्ति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११९ पञ्चलिङ्गीप्रकरण-(सं.)टिप्पण उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, ग्रं.२०३, पाकाहेम ६५८७- पे.क्र.२, पृ. १-१२०, पञ्चलिङ्गिप्रकरणवृत्ति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११९ पञ्चलिङ्गीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनपतिसूरि, सं., पद्य, श्लोक६६००, पाकाहेम ६५८७- पे.क्र. १, पृ. १-१२०, पञ्चलिङ्गिप्रकरणवृत्ति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११९ पञ्चवर्ग अनेकार्थ नाममाला सं., पद्य, श्लोक१३७, आदि वाक्यः आर्हतीं भारती नत्वानेकान्तवादिनीम्... अताका ४७७- पे.क्र. ७, पृ. ९B-१४B, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ पञ्चवर्गपरिहारनाममाला (अपवर्गनाममाला), (अपञ्चवर्गनाममाला) आचार्य-जिनभद्रसूरि[खरतरगच्छ], सं., पद्य, गा.१३३, ग्रं.३६०, आदि वाक्यः नत्वा पञ्चेषु पञ्चास्य शरभं रसभज्जिनं... पाकाहेम ८७३४, पृ. ३, अपञ्चवर्गनाममाला, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पञ्चवर्गपरिहारनाममाला आचार्य-जिनभद्रसूरि[खरतरगच्छ], सं., पद्य, श्लोक२१७, आदि वाक्यः अपवर्गपदाध्यासितमपवर्गत्रितयमार्हतं नत्वा... अताका ४७७- पे.क्र. ६, पृ. १B-९B, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ पञ्चवर्गपरिहारनाममाला आचार्य-जिनभद्रसूरि[खरतरगच्छ], सं., पद्य, श्लोक६१, आदि वाक्यः अनेकार्था... अताका ४७७- पे.क्र.८, पृ. १४B-१६B, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-२ से ३८ नहीं है. 450 Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ पञ्चवर्गपरिहारसाधारणजिनस्तवन जुओ - पद्मानन्दमहाकाव्य-(सं.)पञ्चवर्गपरिहारसाधारणजिनस्तवन#, संस्कृत, श्लोक८ पञ्चवर्गव्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ८७३- पे.क्र. २, पृ. ४, हस्तकाण्ड, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कुल झे.पृष्ठ-५ पञ्चवस्तुकप्रकरण (पञ्चवस्तुसूत्र) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१९००, पातासंघवी १७६-१, पृ. १८१, पञ्चवस्तुकप्रकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४-१५-१७-३९-४३-५८-७२ थी ८०-८४-८८ टुकडा नथी. १८-२२-२४-४५-५६-६२-७९ पत्रो नथी. गाथा-१९०० या १७००. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७७-१, पृ. १२७, पञ्चवस्तुसूत्र, वि-१२६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २२ थी २७ सुधीनां एक कोरथी खरी गया छे. डीवीडी-३६/५४ भांता ७९, पृ. ९८, पञ्चवस्तुप्रकरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७३/८३ पञ्चवस्तुकप्रकरण-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १, पृ. १-२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ भांका २८०, पृ. ४१, पञ्चवस्तु पर्याय, संपूर्ण प्रत विशेष- ७-९B नथी. डीवीडी-९० पञ्चवस्तुकप्रकरण-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १, पृ. १-२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ भांका २८०, पृ. ४१, पञ्चवस्तु पर्याय, संपूर्ण प्रत विशेष-७-९B नथी. डीवीडी-९० पञ्चवस्तुसूत्र जुओ - पञ्चवस्तुकप्रकरण, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.१९०० पञ्चविंशतिभावनास्वाध्याय समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, ग्रं.११५, पाकाहेम १०७९३- पे.क्र. ३, पृ. ४-७, किरियाठाणसज्झाय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पञ्चविधदानधर्मविचार मुनि-अमरसिंह[आगमिकगच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम ७८४२, पृ. २, पञ्चविधदानधर्मविचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पञ्चविधव्यवहारविचार सं., गद्य, 451 Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८३९१- पे.क्र. १, पृ. १-५, पञ्चविधव्यवहारविचार तथा लब्धिविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पञ्चषष्टियन्त्रस्तवन मुनि-जयतिलकसूरिशिष्य, सं.,प्रा., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम ९७६०- पे.क्र. १, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पञ्चसंसार स., कृ.विः आमां पुद्गलपरावर्तनुं स्वरूप वर्णवेलुं छे. ग्रन्थ दिगम्बराचार्यकृत अथवा दिगम्बराचार्य कृत ग्रन्थमांथी उद्धृत लागे छे. पाकाहेम ७७३५, पृ. ३, पञ्चसंसार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पञ्चसङ्ग्रह ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्रा., पद्य, पातासंघवी १४०- पे.क्र. १, पृ. १-४९, पञ्चसङ्ग्रह सूत्र, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ भांका १३४, पृ. १८९, पञ्चसङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-८५ पञ्चसङ्ग्रह-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४६३१, पातासंघवी १४०- पे.क्र. २, पृ. १-३५०, पञ्चसङ्ग्रह सूत्र, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ९२, पृ. २६६, पञ्चसङ्ग्रहटीका द्वितीय खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-७/१६ पञ्चसङ्ग्रह-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४६३१, पातासंघवी १४०- पे.क्र. २, पृ. १-३५०, पञ्चसङ्ग्रह सूत्र, वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ९२, पृ. २६६, पञ्चसङ्ग्रहटीका द्वितीय खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-७/१६ पञ्चसङ्ग्रहसूत्र आचार्य-अमितगति[दिगम्बर], प्रा., रचना सं. विक्रम १०२३, पाकाहेम १०७३२, पृ. २८, पञ्चसङ्ग्रहसूत्र, वि-१५९३, संपूर्ण पञ्चसूत्र प्रा., गद्यअध्यायपसूत्र, आदि वाक्य: नमो वीतरागाणं सव्वन्नृणं देविन्दपूइयाणं जहट्ठियवत्थुवाईणं तेलोक्कगुरूणं अरहन्ताणं भगवन्ताणं। पाताखेत ३४-३- पे.क्र. ३, पृ. २५६-२५९A, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघात गुणबीजाधानसूत्र - पंचसूत्र प्रथमसूत्र डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.६, पृ. ?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २५-२८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ९, पृ. २१५-२१८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण 452 Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६५- पे.क्र. १७, पृ. २४८-२४९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १४, पृ. १४९-१५२, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- प्रथम सूत्र? कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ भांता ६९- पे.क्र. १३, पृ. ९६०-१२०B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ अताका ४९७- पे.क्र. ११, पृ. १७३A-१७७A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. नाम- पावपडिग्घायगुणवीयाहाणसुत्त प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ भांका १२१, पृ. ३०, पञ्चसूत्र सटीक, संपूर्ण डीवीडी-८५ पञ्चसूत्र-(सं.)टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८८०, भांका १२१, पृ. ३०, पञ्चसूत्र सटीक, संपूर्ण डीवीडी-८५ पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र), (पापपडिग्घायगुणबीजाघानसुत्त), (पञ्चसूत्र-प्रथमसूत्र) प्रा., गद्य, पाताखेत १२- पे.क्र. १६, पृ. १८९-१९४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ९, पृ. २१८-२२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ३, पृ. ६१-७९, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र, पे. विशेष- पंचसूत्र-प्रथम सूत्र. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. १३, पृ. १-४, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रथमसूत्र डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २७, पृ. २४६-२४९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधान सूत्र प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ___ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १४, पृ. २३-२४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र-प्रथमसूत्र प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. 453 Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- १४५ आचार्य हरिभद्रसूरि. सं., गद्य ग्रं.८८०, भांका १२१ पृ. ३०, पञ्चसूत्र सटीक, संपूर्ण डीवीडी-८५ पञ्चसूत्र-(सं.)टीका पञ्चसूत्र- प्रथमसूत्र जुओ- पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र, प्राकृत पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र ), ( पापपडिग्घायगुणबीजाघानसुत्त), (पञ्चसूत्र- प्रथमसूत्र ) प्रा., गद्य, पाताखेत १२ पे.क्र. १६. पू. १८९-१९४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण ये नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रत विशेष - ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ९, पृ. २१८-२२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ६६-३- पे. क्र. ३. पू. ६१-७९. पुष्पमाला आदि, संपूर्ण ये नाम- पापप्रतिघातगुणबीजापानसूत्र, पे. विशेष पंचसूत्र- प्रथम सूत्र. डीवीडी - ३० / ४९ पातासंघवी ६७१ पे. क्र. १३. पृ. १-४, उपदेशमाला आदि वि-१२३७. संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रथमसूत्र डीवीडी - ३० / ४९ पाताहेसं ११९ - पे.क्र. २७, पृ. २४६ - २४९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधान सूत्र पञ्चस्थावर निरूपण प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १४ पृ. २३-२४ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र - प्रथमसूत्र प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल हो. पृष्ठ- १४५ प्रा., गद्य, आदि वाक्यः किमयं भन्ते तसुक्काएत्तिय वुच्चइ... भांता ७०- पे.क्र. १००, पृ. १३७B- १३८A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पञ्चाख्यानगतसुभाषित सं., पञ्चाणुव्रतकथा • प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२4 उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १२०५०, पृ. १, पञ्चाख्यानगतसुभाषित वि-१९मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-२ , सं., पद्य, श्लोक १४५, आदि वाक्यः सिद्धिमागपदेष्टारं तीर्ण संसारसागरं .... कृ. विः श्लोक-२४+२७+२०+३६+३८. 454 Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १६७-१- पे.क्र.७, पृ. १-१५, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पञ्चाशकटीकागतविचार प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ८३७९, पृ.६, पञ्चाशक सटीकगतविचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पञ्चाशकप्रकरण (श्रावकधर्म) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०००, अध्याय१९, ग्रं.११८२, आदि वाक्यः (१) नमिऊण वद्धमाणं सावगधम्म समासउ वोच्छं...(२) नेमिजिण वद्धमाणं.. कृ.विः पञ्चाशक-१-१९. पातासंघवीजीर्ण ६४- पे.क्र. २, पृ. ६९, १५८, भवभावना आदि, वि-११९१, संपूर्ण प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २२- पे.क्र. १, पृ. १-४४, पञ्चाशक, वृत्ति, वि-१४४२, संपूर्ण पे. नाम- पञ्चाशक-१९, पे. विशेष- वचमां पत्रो त्रुटक छे अने सारी छे. डीवीडी-२३/४१ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १६, पृ. १५६-२२५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र-१५८-१५९, १७८, १८०, १८९ व १९२ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-६१-९४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५८-३, पृ. ९९, पञ्चाशक सूत्र, संपूर्ण डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६९-१, पृ. १५४, पञ्चाशकसूत्र, वि-१२८८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५३-१५४ टुकडा छे., डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र. १, पृ. १-८३, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४६-२- पे.क्र. ३, पृ. १-५९, नन्दीसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-११८४, गायकवाड केटलॉगमां पत्र १-११७ आप्या छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५२-१- पे.क्र. १, पृ. २६-७९, पञ्चाशकसूत्र तथा उपदेशपद, संपूर्ण पे. विशेष-६४ थी ६६ पत्र नथी. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. ११, पृ. १-३१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. १, पृ. १-६८, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०८२. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ तालाद ३३४, पृ. १२६, पञ्चाशकप्रकरण (प्रथम) सह चूर्णि, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८४- पे.क्र. १, पृ. १-७०, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र-२०-२५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ पञ्चाशकप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी 455 Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य - यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य रचना सं. विक्रम ११७१, तालाद ३३४, पृ. १२६, पञ्चाशकप्रकरण (प्रथम) सह चूर्णि वि-१३मी, कुल झे. पृष्ठ १२६, डीवीडी - २४/९६ संपूर्ण पञ्चाशकप्रकरण-(सं.) वृत्ति आचार्य अभयदेवसूरि सं., गद्य रचना सं. विक्रम ११२४, ग्रं. १४४२, पातासंघवी २२ पे.क्र. २. पू. ४५-३६६ पञ्चाशक वृत्ति वि-१४४२. संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे. डीवीडी-२३/४१ पञ्चाशकटीकागतविचार प्रा.सं., गद्य, पाकाहेम ८३७९, पृ. ६, पञ्चाशक सटीकगतविचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ पञ्चाशकप्रकरण (प्रा.) हिस्सो उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण २० ( उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण) आचार्य - हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ५०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं तवोविहाणं समासओ वोच्छं । .... कृ.विः कर्ता ? पातासंघवी १५३-२ पृ. १२९ पञ्चाशकसूत्र २० उपधानपञ्चाशक, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पञ्चाशकप्रकरण- (प्रा.) चूर्णी आचार्य - यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य रचना सं. विक्रम ११७१, तालाद ३३४, पृ. १२६, पञ्चाशकप्रकरण (प्रथम) सह चूर्णि वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२६, डीवीडी- ९४ / ९६ पञ्चाशकप्रकरण (प्रा.) हिस्सो उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण २० ( उपधानविधिपञ्चाशकप्रकरण) आचार्य - हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ५०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं तवोविहाणं समासओ वोच्छं ।... कृ.विः कर्ता ? पातासंघवी १५३-२, पृ. १२९, पञ्चाशकसूत्र २०मुं उपधानपञ्चाशक, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पञ्चाशकप्रकरण- (सं.) वृत्ति आचार्य - अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२४, ग्रं. १४४२, पातासंघवी २२ - पे.क्र. २, पृ. ४५-३६६, पञ्चाशक, वृत्ति, वि - १४४२, संपूर्ण पे. विशेष सारी छे. डीवीडी-२३/४१ पञ्चाशकटीकागतविचार प्रा.सं. गद्य, " " पाकाहेम ८३७९, पृ. ६, पञ्चाशक सटीकगतविचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ पञ्चाशिका जुओ- बिल्हणपञ्चाशिका, कवि - बिल्हण, संस्कृत, का. ५० पञ्जिका टीका जुओ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका - (सं.) पञ्जिका टीका, आचार्यमुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत ग्रं. २०५० पञ्जिका टीका जुओं चतुःशरणप्रकीर्णक (सं.) विषमपदविवरण, संस्कृत, गा. ६३ 11 पञ्जिका टीका जुओं - जिनशतकमहाकाव्य - ( सं .) पञ्जिका टीका, मुनि - शाम्ब साधु, संस्कृत, श्लोक १०२५ पञ्जिकाविवरण जुओ कातन्त्रव्याकरणनी (सं.) दुर्गसिंहवृत्तिनुं (सं.) पञ्जिकाविवरण, जैनेतर त्रिलोचनदास, संस्कृत पञ्जिकावृत्ति जुओ न्यायप्रवेशसूत्र (सं.) टीकानी पञ्जिकावृत्ति, गणि पार्श्वदेव, संस्कृत पट्टावली - सं. गद्य, आदि वाक्यः शिष्य श्रीगौतमस्वामी मगधदेश गोवरनगरे..... अताका ५०७, पृ. ६. पट्टावली, वि-१८३३ पूर्ण 456 Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- चाणस्मा भंडार की प्रति. मूल पत्रांक-६ तथा झेरोक्ष पत्रांक-१२ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१२, डीवीडी-१०३/१०४ पट्टावली तपागच्छीय (गुरु परिपाटी) आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सिरिमन्तो सुहहेउ गुरुपरिपाडीइ... अताका ५०३, पृ. १९, पट्टावली तपागच्छीय सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- इसी प्रत की दो नकल है जिसे झेरोक्ष पत्रांक क्रमशः दिया गया है. आचार्य हीरसूरि की आज्ञा से १६४८ में वाचक कल्याणविजयजी द्वारा संशोधित प्रति., चाणस्मा भंडार की प्रति. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-१०३/१०४ पट्टावली तपागच्छीय-(सं.)टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., पद्य, आदि वाक्यः अथ गुरुपरिपाटी कथनाय सगतिमाह... अताका ५०३, पृ. १९, पट्टावली तपागच्छीय सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- इसी प्रत की दो नकल है जिसे झेरोक्ष पत्रांक क्रमशः दिया गया है. आचार्य हीरसूरि की आज्ञा से १६४८ में वाचक कल्याणविजयजी द्वारा संशोधित प्रति., चाणस्मा भंडार की प्रति. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-१०३/१०४ पट्टावली तपागच्छीय-(सं.)टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., पद्य, आदि वाक्यः अथ गुरुपरिपाटी कथनाय सगतिमाह... अताका ५०३, पृ. १९, पट्टावली तपागच्छीय सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- इसी प्रत की दो नकल है जिसे झेरोक्ष पत्रांक क्रमशः दिया गया है. आचार्य हीरसूरि की आज्ञा से १६४८ में वाचक कल्याणविजयजी द्वारा संशोधित प्रति., चाणस्मा भंडार की प्रति. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-१०३/१०४ पडिलेहणाकुलक (प्रतिलेखनाकुलक) आचार्य-जिनवर्धनसूरि, प्रा., पद्य, गा.३६, आदि वाक्यः भयवं दसनभद्दो... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २३, पृ. ३८, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पडिलेहणाकुलक (प्रतिलेखनाविचारकुलक) गणि-विजयविमल गणि, प्रा., पद्य, गा.३४, पाकाहेम ४६२७, पृ. ८, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ४७४०- पे.क्र. २, पृ. २-३, साधर्मिककुलक आदि, वि-२०मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३२. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १५७२३, पृ. ३, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पडिलेहणाकुलक-(मा.गु.)स्तबक गणि-वानर्षि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४६२७, पृ. ८, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १५७२३, पृ. ३, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पडिलेहणाकुलक-(मा.गु.)स्तबक गणि-वानर्षि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४६२७, पृ.८, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ 457 Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १५७२३, पृ. ३, पडिलेहणाकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पडिलेहणागाहा जुओ - प्रतिलेखनागाथा, प्राकृत, गा.५ पडिवज्जसुसव्वन्नुकुलक जुओ - परित्यागकुलक, प्राकृत, गा.१६ पढमकालग्रहणविधि जुओ - प्रथमकालग्रहणविधि, प्राकृत, गा.८४ पढमस्सयकज्जगाथा , प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः पढमस्सयकज्जस्सा पढमेण... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १५, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कृतिनाम अस्पष्ट है. झेरोक्ष पत्र ८८-८९ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. __कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पण्डितशतक जुओ - विद्वानशतक, आचार्य-तेजसिङ्घ, संस्कृत, श्लोक२६ पण्णवणा भगवती जुओ - प्रज्ञापनासूत्र, आचार्य-श्यामाचार्य, प्राकृत, ग्रं.७८८७ पण्णवणासूत्र जुओ - प्रज्ञापनासूत्र, आचार्य-श्यामाचार्य, प्राकृत, ग्रं.७८८७ पण्हवागरणं जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.१३५० पत्थियसमत्थस्थानकस्तवन (स्थानकस्तवन), (ठाणय स्तवन) प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः पत्थियसमत्थवत्थूण वित्थरं थुइपराण भावेणं.. पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २१, पृ. ८१-८३, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पथ्यापथ्यविनिश्चय सं., पाकाहेम १३२१६, पृ. २३, पथ्यापथ्यविनिश्चय-अपूर्ण, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ पदप्रकाश वृत्ति जुओ - सरस्वतीकण्ठाभरण-(सं.)पदप्रकाशवृत्ति, जैनश्रावक-अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र पुत्र), संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश पदसङ्ग्रह आनन्दघनकृत जुओ - आनन्दघनकृत पदसङ्ग्रह, मुनि-आनन्दघन, मारुगूर्जर पदार्थ सङ्ग्रह जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका, आचार्य-प्रशस्तपादाचार्य, संस्कृत, श्लोक७७७ पदार्थतत्त्वनिर्णय आनन्दभुवन, सं., पाकाहेम ६६७४, पृ. २४, पदार्थतत्वनिर्णय, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०७१०, पृ. १२, पदार्थतत्त्वनिर्णय प्रथमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी ऊधईए खाधेली छे. पाकाहेम १०७११, पृ. ८, पदार्थतत्त्वनिर्णय द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी ऊधईए खाधेली छे. पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)तात्पर्य टीका (तात्पर्य टीका) मुनि-आनन्दज्ञान, सं., गद्य, कृ.विः मूलना कर्ता अने आनंदज्ञानवाली टीकाओ विशे निर्णय बाकी. पाकाहेम २८४०, पृ. १०८, पदार्थतत्त्वतात्पर्यटीका, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८०मुं नथी. पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)मिताक्षरी व्याख्या (मिताक्षरी व्याख्या) सं., गद्य, पाकाहेम १०७१२, पृ. २६, पदार्थतत्त्वनिर्णय मिताक्षरीव्याख्या, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी ऊधईए खाधेली छे. 458 Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)तत्त्वविवेक विवरण (तत्त्वविवेक विवरण) मुनि-आनन्दज्ञान, सं., गद्य, पाकाहेम ६६९३, पृ. ६१, पदार्थतत्त्वनिर्णय तत्त्वविवेकविवरण, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६१ पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)तत्त्वविवेक विवरण (तत्त्वविवेक विवरण) मुनि-आनन्दज्ञान, सं., गद्य, पाकाहेम ६६९३, पृ. ६१, पदार्थतत्त्वनिर्णय तत्त्वविवेकविवरण, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६१ पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)तात्पर्य टीका (तात्पर्य टीका) मुनि-आनन्दज्ञान, सं., गद्य, कृ.विः मूलना कर्ता अने आनंदज्ञानवाली टीकाओ विशे निर्णय बाकी. पाकाहेम २८४०, पृ. १०८, पदार्थतत्त्वतात्पर्यटीका, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८०मुं नथी. पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)मिताक्षरी व्याख्या (मिताक्षरी व्याख्या) सं., गद्य, पाकाहेम १०७१२, पृ. २६, पदार्थतत्त्वनिर्णय मिताक्षरीव्याख्या, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी ऊधईए खाधेली छे. पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका, आचार्य-प्रशस्तपादाचार्य, संस्कृत, श्लोक७७७ पदार्थधर्मसङ्ग्रहनी (सं.)न्यायकन्दली टीका जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका, जैनेतर-श्रीधर भट्ट, संस्कृत, ग्रं.३७१६ पदार्थरत्नमञ्जूषा पण्डित-कृष्ण पण्डित, सं., पद्य, श्लोक३१८, ग्रं.३२०, आदि वाक्यः नमामः संसारोरूमिहिरदुरन्तापहरं... पाकाहेम ६६८७, पृ. ६, पदार्थरत्नमञ्जूषा, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०७४५, पृ. ५, पदार्थरत्नमञ्जूषा टिप्पणी सहित, वि-१५वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पदार्थरत्नमञ्जूषा-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०७४५, पृ. ५, पदार्थरत्नमञ्जूषा टिप्पणी सहित, वि-१५वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पदार्थरत्नमञ्जूषा-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०७४५, पृ. ५, पदार्थरत्नमञ्जूषा टिप्पणी सहित, वि-१५वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पदार्थस्थापना प्रकरण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.११९, आदि वाक्यः धम्माधम्मवर जिय पुग्गलदव्वाइ सव्वपए... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २१, पृ. २६-२९, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-१२०. कुल झे.पृष्ठ-३५ पद्मचरित्र जुओ - पउमचरियं गाथाबद्ध, आचार्य-विमलसूरि, प्राकृत, ग्रं.१०३०० पद्मनन्दिपञ्चाशिका 459 Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पद्मनन्दि, सं., पद्य, श्लोक५१, पाकाहेम ६५९५- पे.क्र. १, पृ. १-७, पद्मनन्दीपञ्चाशिका आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पदमप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्ध (एकस्वर चित्रबद्ध-पद्मप्रभजिनस्तुति) सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः धरनृपतनयमनकमख... पाकाहेम ७४०३- पे.क्र. १, पृ. १, पद्मप्रभजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ व पार्श्वनाथस्तवन, वि-१५वी, संपूर्ण पे. नाम- पद्मप्रभजिनस्तुति सह अवचूरि, पे. विशेष-, कुल झे.पृष्ठ-२ पद्मप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्ध-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाहेम ७४०३- पे.क्र. १, पृ. १, पद्मप्रभजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ व पार्श्वनाथस्तवन, वि-१५वी, संपूर्ण पे. नाम- पद्मप्रभजिनस्तुति सह अवचूरि, पे. विशेष- , कुल झे.पृष्ठ-२ पद्मप्रभजिनस्तुति-एकस्वर चित्रबद्ध-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, पाकाहेम ७४०३- पे.क्र. १, पृ. १, पद्मप्रभजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ व पार्श्वनाथस्तवन, वि-१५वी, संपूर्ण पे. नाम- पद्मप्रभजिनस्तुति सह अवचूरि, पे. विशेष- , कुल झे.पृष्ठ-२ पद्मप्रभस्वामिचरित्र आचार्य-देवसूरि#[जालिहरगच्छ], प्रा., रचना सं. विक्रम १२५४, आदि वाक्यः मङ्गलमाइजिणेसरभुअदण्डलुलन्तकुन्तला दिन्तु... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ३४-२, पृ. १८१, पद्मप्रभचरित्र, वि-१४७९, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., कोई ठेकाणे चोंटेली छे. डीवीडी-२५/४४ पाकाहेम १८८७, पृ. १६२, पद्मप्रभस्वामिचरित्र गाथाबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६२ पद्मानन्दमहाकाव्य-(सं.)पञ्चवर्गपरिहारसाधारणजिनस्तवन# (पञ्चवर्गपरिहारसाधारणजिनस्तवन) सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः संसारसारं शैवश्री... पाकाहेम १२३१४- पे.क्र.२, पृ. १, हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१४८९, संपूर्ण पद्मानन्दशतक-वैराग्यशतक (वैराग्यशतक) कवि-पद्मानन्द, सं., पद्य, का.१०३, पाकाहेम ८६६९, पृ. ५, पद्मानन्दशतक-वैराग्यशतक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पद्मावतीमन्त्रस्तव (पद्मावतीस्तोत्र), (पद्मावत्यष्टक) सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः श्रीमद्गीर्वाणचक्रस्फुटमुकुटतटीदिव्यमाणिक्यमाला... पाताखेत २३- पे.क्र. १०, पृ. ३२८-३२९, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- पद्मावत्यष्टक, पे. विशेष- का.९. डीवीडी-६१/६३ तालाद ३३९- पे.क्र. ११, पृ. ७०-७१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-९. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७३९६- पे.क्र. २, पृ. १, जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 460 Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. ४, पृ. २०-२B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- पद्मावतीदेवीस्तोत्रमहामन्त्रमय, पे. विशेष- श्लोक-१२. कुल झे.पृष्ठ-८ पद्मावतीस्तोत्र जुओ - पद्मावतीमन्त्रस्तव, संस्कृत, श्लोक१३ पद्मावतीस्तोत्र सं., पद्य, का.१३, पाकाहेम ७१३६, पृ. ३, पद्मावतीस्तोत्र, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पद्मावत्यष्टक जुओ - पद्मावतीमन्त्रस्तव, संस्कृत, श्लोक१३ पद्यसङ्ग्रह जुओ - सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संस्कृत,प्राकृत,मारुगूर्जर पनकस्वरूप सं., गद्य, आदि वाक्यः योजनसहस्रमानो मात्स्यो... भांता ७०- पे.क्र. ९३, पृ. १३०B-१३१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पन्नवणा जुओ - प्रज्ञापनासूत्र, आचार्य-श्यामाचार्य, प्राकृत, ग्रं.७८८७ पन्नवणातृतीयपदसङ्ग्रहणी जुओ - प्रज्ञापनातृतीयपदसङ्ग्रहणी, आचार्य-अभयदेवसूरि, प्राकृत, गा.१३३ परद्रव्यापरहारविषये नागदत्ताकथा (नागदत्ताकथा परद्रव्यापरहारविषये ) सं., पद्य, श्लोक१२०, पातासंघवी १२९- पे.क्र. ६, पृ. ८४-९३, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ परमब्रह्मोत्थापनवादस्थल आचार्य-भुवनसुन्दरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीवीरं जिनमानम्य सर्वातिशयशालिनं... भांका २१४- पे.क्र. ८, पृ. ८A-१२B, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ परमसुखद्वात्रिंशिका आचार्य-जिनप्रभसूरि (आगमिक), सं., पद्य, श्लोक३२, आदि वाक्यः धर्माधर्मान्तरं मत्वा जीवाजीवादित्वं तत्त्ववित्... पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. ११, पृ. ६५-६७, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-४२. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ५०, पृ. ३३४-३३६, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- परमसुखबत्रीसी प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६५, पृ. २५२-२५३, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ४६५४- पे.क्र. २, पृ. २, योगसार तथा परमसुखद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०१६०, पृ. ३, परमसुखद्वात्रिंशिका बालाबोधसहित, वि-१८मी, संपूर्ण 461 Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४ भांका २१७, पृ. ३, परमसुखद्वात्रिंशिका, संपूर्ण डीवीडी-८७ परमसुखद्वात्रिंशिका-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१६०, पृ. ३, परमसुखद्वात्रिंशिका बालाबोधसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ परमसुखद्वात्रिंशिका-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१६०, पृ. ३, परमसुखद्वात्रिंशिका बालाबोधसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ परमात्मद्वात्रिंशिका सं., पद्य, का.३३, आदि वाक्यः सत्वेषु मैत्री गुणिषु प्रमोदं... पाकाहेम १२३७४- पे.क्र. १, पृ. १, परमात्मद्वात्रिंशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण परमानन्दपञ्चविंशतिका सं., पद्य, श्लोक२७, आदि वाक्यः परमानन्दसम्पन्न... पाकाहेम ११०२७- पे.क्र.३, पृ. १, तत्त्वसार आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२२८, पृ. १, परमानन्दस्तोत्रपञ्चविंशतिका, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२२९, पृ. १, परमानन्दस्तोत्रपञ्चविंशतिका, वि-१८वी, संपूर्ण प्रत विशेष- परिमाण-श्लोक-२५. कुल झे.पृष्ठ-१ परमेष्ठिस्तव जुओ - पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन, संस्कृत,प्राकृत, श्लोक८ परम्पराप्रामाण्य आदि अनेकविचारसङ्ग्रह# (अनेकविचारसङ्ग्रह) सं., गद्य, पाकाहेम १२०१२, पृ. १२, परम्पराप्रामाण्य आदि अनेकविचारसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय कुल झे.पृष्ठ-११ परहेतुतमोभास्करन्नामस्थल आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि सकलतार्किकचक्रचूडामणितयात्मानं मन्यमानाः... भांका २१४- पे.क्र. ६, पृ. ४B-७B, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ परिग्रहपरिमाण (परिग्रहप्रमाण) आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८६, गा.८४, आदि वाक्यः पणमिय परमपयत्थं नयसुरसत्थं सुदिट्ठपरमत्थं... पाताहेसं ११३-पे.क्र. १२, पृ. १६७-१७४, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ परिग्रहपरिमाण जुओ - श्राविकाकर्पूरदेवीपरिग्रहपरिमाण, प्राकृत, गा.३९ परिग्रहपरिमाण जुओ - सुराश्रावकपरिग्रहपरिमाण, प्राकृत, गा.२७ परिग्रहप्रमाण जुओ - परिग्रहपरिमाण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.८४ परिग्रहप्रमाण प्रा., आदि वाक्यः वित्थरिय धम्मघोसं जयप्पयासं... भांता ७२- पे.क्र.४, पृ. ५६A-५८B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१३८२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. 462 Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिग्रहप्रमाण परिग्रहप्रमाण कुल झे. पृष्ठ-७२ डीवीडी-७३/८२ प्रा., पद्य, गा.३३. पातासंघवीजीर्ण ५४- पे. क्र. २, पृ. ?, आवश्यकनिर्युक्ति आदि, त्रुटक प्रत विशेष- अपूर्ण त्रुटक डीवीडी-५७/६० कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.४१, पातासंघवीजीर्ण ५४ पे. क्र. ३. पृ. १-१०, आवश्यकनियुक्ति आदि, त्रुटक प्रत विशेष- अपूर्ण त्रुटक डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५४ पे.क्र. ४ पृ. ? आवश्यकनियुक्ति आदि, त्रुटक पे. विशेष - गाथा -४२. प्रत विशेष अपूर्ण त्रुटक डीवीडी-५७/६० परिग्रहप्रमाण जुओ महावीरजिन परिग्रहप्रमाण, संस्कृत, गा. ३२ परिग्रहप्रमाणविषये चारूदत्तकथा ( चारूदत्तकथा परिग्रहप्रमाणविषये ) सं., पद्य, श्लोक७८. पातासंघवी १२९ पे. क्र. ८ पृ. ९५-१०२, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि वि-१३३९ संपूर्ण प्रत विशेष कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ परिग्रहारम्भ श्लोक जुओ योगशास्त्र (सं.) हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक, आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत परित्यागकुलक (पडिवज्जसुसव्वन्नुकुलक), (आराहणाकुलं) प्रा., पद्य, गा. १६, आदि वाक्यः पडिवज्जसु सव्वन्नुं० परमतत्ताइं ... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ९, पृ. ८७-८८, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण - पे. विशेष - गाथा - १५. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी- ३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे. क्र. १२, पृ. १३३ - १३४, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३४, पृ. ६८-६९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-४३-४४. , प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ - परिमल टीका जुओ न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण (सं.) परिमल टीका, उपाध्याय श्रीदिवाकर, संस्कृत परिशिष्टपर्व (स्थविरावलीचरित - महाकाव्य), (त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व * ) आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं., पद्य, श्लोक ३५०० सर्ग५३, आदि वाक्यः श्रीमते वीरनाथाय सनाथायाद्भुतश्रिया..... पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. ९ पृ. ? कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष - अपूर्ण स्थिविरावली के दूसरे सर्ग का अन्त भाग है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. प्रत विशेष टक-अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ८०, पृ. २४३, परिशिष्ट पर्व सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., हेमचंद्राचार्य-कुमारपाळ-भूपालदेवी अने बे साधुओनी मूर्तिओ चितरेली छे, डीवीडी - ३१/५० 463 Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १३६-१, पृ. १६२, परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ पाताहेसं १२५, पृ. ३२४, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ८९३, पृ. १२१, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४९२. पाणीमां भींजायेली छे. पत्र १२२मुं डबल. कुल झे.पृष्ठ-१२३ पाकाहेम २३५७- पे.क्र.२, पृ. ?-८४७, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्यपरिशिष्टपर्वसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४०००. कुल झे.पृष्ठ-४५२ पाकाहेम २३७०, पृ. ९६, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि-१६६०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४९५. कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम ८०१८, पृ. ७२, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि-१४९ , संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाभाभा ३९, पृ. ९३, परिशिष्टपर्व - सर्ग १-१३, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- *आ ग्रंथना कुल पेज ९३ छे परंतु आ ग्रंथनी फूटनोटमा पत्र २२०, २२१ भेगां छे ते प्रमाणेनी ___ माहिती मळे छे. तेथी आ माहिती चेक करशो. भांका १७२, पृ. ५१, परिशिष्टपर्व, वि-१४७६, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४६०. सुन्दर लिपि. कुल झे.पृष्ठ-३३, डीवीडी-८६ परिशिष्टप्रकरण आचार्य-उदयनाचार्य, सं., गद्य, तालाद ३८६, पृ. ९३, परिशिष्टप्रकरण सह टिप्पनक, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ परिशिष्टप्रकरण-(सं.)टिप्पनक जैनेतर-वामध्वज, सं., गद्य, आदि वाक्यः तमीशानं वन्दे नमिनमथ वन्देऽक्षचरणं... तालाद ३८६, पृ. ९३, परिशिष्टप्रकरण सह टिप्पनक, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ परिशिष्टप्रकरण-(सं.)टिप्पनक जैनेतर-वामध्वज, सं., गद्य, आदि वाक्यः तमीशानं वन्दे नमिनमथ वन्देऽक्षचरणं... तालाद ३८६, पृ. ९३, परिशिष्टप्रकरण सह टिप्पनक, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ परीक्षामुखसूत्र-(सं.)प्रमेयकमलमार्तण्ड टीका (परीक्षामुखालङ्कार) आचार्य-प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), सं., गद्यअध्याय६, आदि वाक्यः सिद्धेर्धाम महारिमोह हननं... कृ.विः परिमाण-परिच्छेद-६. दिगंबर न्याय. भांता ५३, पृ. २००, प्रमेयकमलमार्तण्ड ?, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.-२-६६. प्राचीन कानडी लिपी. डीवीडी-७२/८१ तालाद ३१४, पृ. २५६, प्रमेयकमलमार्तण्ड परिच्छेद १ थी ६, वि-१४९२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ९२ नंबरनुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-२५२, डीवीडी-९३/९५ परीक्षामुखालङ्कार जुओ - परीक्षामुखसूत्र-(सं.)प्रमेयकमलमार्तण्ड टीका, आचार्य-प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), संस्कृत 464 Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पर्यन्तसमयाराधनाकुलक जुओ - पर्यन्ताराधनाकुलक, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्राकृत, गा.१६ पर्यन्ताराधनाकुलक (पर्यन्तसमयाराधनाकुलक) आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः सुहिओ वा दुहिओ वा थोवं जिवित्तु... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३३, पृ. ४२मुं, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पर्यन्ताराधनाकुलक प्रा., पद्य, गा.६९, पाताखेत २३- पे.क्र. २१, पृ. ३४१-३४५, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पर्यन्ताराधनाप्रकरण जुओ - आराधनाकुलक, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.६९ पर्युषणपर्व स्तवन मुनि-वीरविजय, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४, आदि वाक्यः परब पजुसण पुन्य पामी परघल प्रेमाणन्दाजी... पाकाहेम १०२३३- पे.क्र. २, पृ. ८, अवन्तिसुकुमाल स्वाध्याय, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पर्युषणाकथा प्रा., पद्य, गा.९६, आदि वाक्यः अस्थि जम्बूदीवे भारहवासम्मि... पातासंघवी ६९-४- पे.क्र. २, पृ. १०६-११३, विजयचन्द्रकेवली चरित्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां कालिकाचार्यकथा एम नाम आप्यु छे. डीवीडी-३१/४९ पर्युषणाकल्प जुओ - कल्पसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.१२८० पर्युषणाकल्प-(प्रा.)चूर्णी जुओ - कल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी, प्राकृत, ग्रं.७०० पर्युषणाकल्प-(प्रा.)नियुक्ति जुओ - कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, गा.६७ पर्युषणाविचार प्रा., गद्य, पाकाहेम ७०४५, पृ. ५, पर्युषणाविचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पर्युषणाविचार सं., गद्य, आदि वाक्यः पर्याया झ तुवद्विकाद्रव्यक्षेत्रकालभाव सम्बन्धिन उत्सृज्यन्ते... कृ.विः अं.वाक्य-वासावासं इत्यादि. भांता ७०- पे.क्र.६८, पृ. ८४०-८७A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पल्योपमविचार प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः अहि पलिउवम च तिविह... पाताहेसं १६१- पे.क्र. १०, पृ. १७४-१७५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- त्रिविध पल्योपमविचार प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पवयणसन्दोह जुओ - प्रवचनसन्दोह, प्राकृत, गा.३३४ पशुपालकथा प्रा.,सं., पद्य, गा.४२, आदि वाक्यः भवजलहिम्मि अपारे दुलहं मणुयतणं... भांका ९०- पे.क्र. ६, पृ. २८B-२९B, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण 465 Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ पश्चाताप प्रा., आदि वाक्यः हा हा दुटु कयं दुठु जेण पाव कम्मुणा... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २०, पृ.७७-८१, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पश्चात्तापकुलक जुओ - उपदेशकुलक, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.३२ पाइयटीका जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति, आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, संस्कृत,प्राकृत, श्लोक१३३४५ पाइयलच्छीनाममाला (पाययलच्छीनाममाला) कवि-धनपाल, प्रा., पद्य, गा.२८०, आदि वाक्यः नमिऊण परमपुरिसं पुरिसोत्तम नाहिसम्भवं देवं... अताका ४७७- पे.क्र. ४, पृ. १६३A-१७३B, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२), संपूर्ण पे. नाम- पाययलच्छिनाममाला, पे. विशेष- संपूर्ण. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे.पृष्ठ-६५, डीवीडी-१०३/१०४ पाक्षिक क्षामणक जुओ - क्षामणकसूत्र, प्राकृत पाक्षिक खामणा जुओ - क्षामणकसूत्र, प्राकृत पाक्षिक प्रतिक्रमणविचार सं.,प्रा., गद्य, पाकाहेम १९५८- पे.क्र. २, पृ. २, मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार तथा पाक्षिक प्रतिक्रमणविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाक्षिकअतिचार जुओ - साधुपाक्षिकअतिचार, मारुगूर्जर पाक्षिकविचार सं., गद्य, पाकाहेम १०७७९- पे.क्र. १, पृ. १-४, पाक्षिकविचार आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी जुओ - पाक्षिकसूत्र-(सं.)पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी टीका, संस्कृत पाक्षिकसप्ततिका जुओ - आवश्यकसप्ततिका, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.७० पाक्षिकसूत्र प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं.३५०, आदि वाक्यः (१) तित्थङ्करे य तित्थे अतित्थसिद्धे य तित्थसिद्धे य...(२) अन्नाणमोहदलणी जणणी सुयनाणभवियलोयस्स।...(३) अण्णाणमोहदलणी जणणी वरनाणभवियलोयस्स।... पाताखेत १७-१- पे.क्र.२, पृ. ५३-७५, दशवैकालिक अने पाक्षिकसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४५- पे.क्र. २, पृ. ४१-५५, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६४-पे.क्र. ३, पृ. ?, भवभावना आदि, वि-११९१, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ७६- पे.क्र. २, पृ. ६०-८५, दशवैकालिकसूत्र आदि, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६६- पे.क्र.७, पृ. १८-२५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ 466 Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ३५-२- पे.क्र. १ पृ. १-३२, पाक्षिकसूत्र आदि संपूर्ण डीवीडी - २५/४४ पातासंघवी १६१-२- पे. क्र. ५. पृ. ९९-१०३ प्रकरण सङ्ग्रह आदि संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६७-१- पे. क्र. ११ पृ. १२० प्रशमरतिप्रकरण आदि संपूर्ण पे. नाम पाक्षिकसूत्र खामणा साधे, पे. विशेष खामणा पण साथे छे. डीवीडी-३६/५४ , पातासंघवी १८२१- पे.क्र. ४ पृ. ६०-८२ दशवेकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०१-१- पे.क्र. २, पृ. १-३१, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१२२०, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्र खामणा साथे, पे. विशेष- खामणा पण साथे छे. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. १६, पृ. १०२-१०८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्र खामणा साथे डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे. क्र. २ पृ. ३५-५० दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र - ३००. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. २, पृ. ३६B-५२, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे नाम पक्खिसुत्त पे विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र- १८-२४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-९/१८ पाताहे १७९- पे.क्र. २ पृ. ३७-५४ दशवैकालिकसूत्र आदि वि-१३७२. संपूर्ण डीवीडी-२/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २, पृ. ३४A ४५B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्रादि संग्रह, पे. विशेष- पत्रांक ४५ का आधा भाग खंडित है. प्रत विशेष- त्रुटक कुल पत्र ४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ३७, पृ. १७७, पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-११५०. डीवीडी-६९/७८ तालाद ३८९- पे.क्र. २, पृ. ६०-८९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी- ९४ / ९६ लिंता ३४१७, पृ. ३०६, पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक, वि - १३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९५, ३०६ नथी. वताकांति ४१४- पे.क्र. २, पृ. ?, दशवैकालिक पाक्षिक सूत्र, संपूर्ण डीवीडी-९७ / ९८ अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि वि - ११८०, पूर्ण " डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १४, पृ. ११० -१२२, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक, वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ७७५ पे. क्र. २ पृ. १३-१९ दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण 467 Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- क्षामणक सहित. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४, पृ. ९०-१०१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३००. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६९३२, पृ. ११, पाक्षिकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९३८- पे.क्र. १, पृ.?, पाक्षिकसूत्र तथा साधुपाक्षिकअतिचार , वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ६९४१- पे.क्र. १, पृ. १-१६७, पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथासप्तनयविवरण, वि-१७९१, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.)बालावबोध कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम १००७१- पे.क्र. १, पृ. ४, पाक्षिकसूत्र तथा पाक्षिकक्षामणक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- खामणा पण साथे छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०४३३- पे.क्र.२, पृ. १२-१६, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २४, पृ. ८९-१०४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १४८६८, पृ. ७७, पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं.३१०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-७६ पाकाहेम १४८६९, पृ. ८, पाक्षिकसूत्रमूल, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाक्षिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.४१५, आदि वाक्यः नित्यं विशुद्धमनसोऽपि साधवः शुद्धवाग्योगकायक्रियाकारिणश्च नित्यं..... कृ.विः यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. २, पृ. ११-१७, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाक्षिकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८०, श्लोक२७००, आदि वाक्यः शिवशर्मैकनिमित्तं विघ्नौघविघातिनं जिनं नत्वा। पाताहेसं २४- पे.क्र. १, पृ. १-९१, पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र - द्वितीय पर्व, वि-१३२७, संपूर्ण पे. नाम- पक्षप्रतिक्रमणवृत्ति, पे. विशेष- संपूर्ण. ग्रंथाग्र-२७००., झेरोक्ष पत्र १-६८. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम ___ क्रमशः दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-१८२, डीवीडी-३/१३ भांता ३७, पृ. १७७, पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५०. डीवीडी-६९/७८ भांता ३८, पृ. २५९, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१२७५, संपूर्ण 468 Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५६. डीवीडी-६९/७८ तालाद ३८५, पृ. १६०, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९४/९६ लिंता ३४१७, पृ. ३०६, पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक, वि-१३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९५, ३०६ नथी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १४८६८, पृ. ७७, पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं.३१०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-७६ पाक्षिकसूत्र-(सं.)पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी टीका (पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी) सं., गद्य, पाकाहेम ६९४५, पृ. २, पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६५७०, पृ. ९, पाक्षिकसूत्रावचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९३३, पृ.७, पाक्षिकसूत्र अवचूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ७५०१, पृ. ९, पाक्षिकसूत्र अवचूरि, वि-१६८२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१० पाक्षिकसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-सुखसागर, मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक१७०३, पाकाहेम ६९४१- पे.क्र. १, पृ. १७३, पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथासप्तनयविवरण, वि-१७९१, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.)बालावबोध कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, भांका ८२- पे.क्र. २, पृ. १४B-२२A, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-११५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १,२ नथी. डीवीडी-८४ पाक्षिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.४१५, आदि वाक्यः नित्यं विशुद्धमनसोऽपि साधवः शुद्धवाग्योगकायक्रियाकारिणश्च नित्यं..... कृ.विः यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. २, पृ. ११-१७, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाक्षिकसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-सुखसागर, मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक१७०३, पाकाहेम ६९४१- पे.क्र. १, पृ. १७३, पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथासप्तनयविवरण, वि-१७९१, संपूर्ण 469 Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.)बालावबोध कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६५७०, पृ. ९, पाक्षिकसूत्रावचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९३३, पृ. ७, पाक्षिकसूत्र अवचूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ७५०१, पृ. ९, पाक्षिकसूत्र अवचूरि, वि-१६८२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१० पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, भांका ८२- पे.क्र. २, पृ. १४B-२२A, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-११५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १,२ नथी. डीवीडी-८४ पाक्षिकसूत्र-(सं.)पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी टीका (पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी) सं., गद्य, पाकाहेम ६९४५, पृ. २, पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाक्षिकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८०, श्लोक२७००, आदि वाक्यः शिवशर्मैकनिमित्तं विघ्नौघविघातिनं जिनं नत्वा। पाताहेसं २४- पे.क्र. १, पृ. १-९१, पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र - द्वितीय पर्व, वि-१३२७, संपूर्ण पे. नाम- पक्षप्रतिक्रमणवृत्ति, पे. विशेष- संपूर्ण. ग्रंथाग्र-२७००., झेरोक्ष पत्र १-६८. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम क्रमशः दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-१८२, डीवीडी-३/१३ भांता ३७, पृ. १७७, पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५०. डीवीडी-६९/७८ भांता ३८, पृ. २५९, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१२७५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५६. डीवीडी-६९/७८ तालाद ३८५, पृ. १६०, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९४/९६ लिंता ३४१७, पृ. ३०६, पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक, वि-१३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९५, ३०६ नथी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १४८६८, पृ. ७७, पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं.३१०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-७६ पाखीछत्रीसी 470 Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३७, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. २, पृ. २-४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० पाणकविचार प्रा., गद्य, पाकाहेम १२७३७, पृ. ३, पाणकविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाणिनिव्याकरण (अष्टाध्यायी) ऋषि-पाणिनि[जैनेतर], सं., गद्य, पाकाहेम १०२०३, पृ. २७, पाणिनिव्याकरणसूत्रपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ पाणिनिव्याकरण-(सं.)महाभाष्य ऋषि-पतञ्जलि, सं., गद्य, पाकाहेम ९३७, पृ. १२५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-१), वि-१४५३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७-३८ भेगा छे.पत्र ४२९ नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२६ पाकाहेम ९३८, पृ. २८, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद थी तृतीयाध्याय सम्पूर्ण, वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम ९३९, पृ. ५४, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-४), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ पाकाहेम ९४०, पृ. ३९, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-५), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम ९४१, पृ. ७५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-६), संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ पाकाहेम ९४२, पृ. ४०, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-७), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११-१२ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ९४३, पृ. ३२, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-८), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण पाणिनिव्याकरण-(सं.)महाभाष्य ऋषि-पतञ्जलि, सं., गद्य, पाकाहेम ९३७, पृ. १२५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-१), वि-१४५३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७-३८ भेगा छे.पत्र ४२मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२६ पाकाहेम ९३८, पृ. २८, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद थी तृतीयाध्याय सम्पूर्ण, वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम ९३९, पृ. ५४, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-४), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ पाकाहेम ९४०, पृ. ३९, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-५), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम ९४१, पृ. ७५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-६), संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ 471 Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९४२, पृ. ४०, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-७), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११-१२ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ९४३, पृ. ३२, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-८), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण पाण्डवचरित्रमहाकाव्य आचार्य-देवप्रभसूरि मलधारीहर्षपुरीयगच्छ], सं., पद्यसर्ग१८, ग्रं.९८८४, आदि वाक्यः श्रियं विश्वत्रयत्राणनिष्णः पुष्णातु वः प्रभुः।... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाताहेसं ६५, पृ. १८८, पाण्डवचरित्र महाकाव्य, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ६६, पृ. २३१, पाण्डवचरित्र महाकाव्य, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं १२३, पृ. ७९, पाण्डवचरित्र महाकाव्य सर्ग-३ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- (गायकवाड केटलॉगमां सर्ग १-४ अपूर्ण-एम आपेल छे.) डीवीडी-७/१७ भांका २९४, पृ. १६६, पाण्डवचरित्र, वि-१४५१, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-३७८. प्रतिले.व.१४५१? विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रथम पत्र नथी. डीवीडी-९१ पातञ्जलयोगदर्शन जुओ - पातञ्जलयोगसूत्र, ऋषि-पतञ्जलि, संस्कृत पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य जुओ - पातञ्जलयोगसूत्र-(सं.)पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य, ऋषि-व्यास, संस्कृत पातञ्जलयोगसूत्र (पातञ्जलयोगदर्शन), (योगदर्शनसूत्र) ऋषि-पतञ्जलि, सं.अध्याय४, आदि वाक्यः अथ योगानुशासनम्... तालाद ३४४-१, पृ. ७२, पातञ्जलयोगदर्शन-व्यासभाष्य, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-९४/९६ पातञ्जलयोगसूत्र-(सं.)पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य (व्यासभाष्य), (पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य) ऋषि-व्यास, सं., गद्य, आदि वाक्यः अथेत्ययमधिकारार्थो योगानुशासनम्... तालाद ३४४-१, पृ. ७२, पातञ्जलयोगदर्शन-व्यासभाष्य, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-९४/९६ पातञ्जलयोगसूत्र-(सं.)पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य (व्यासभाष्य), (पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य) ऋषि-व्यास, सं., गद्य, आदि वाक्यः अथेत्ययमधिकारार्थो योगानुशासनम्... तालाद ३४४-१, पृ. ७२, पातञ्जलयोगदर्शन-व्यासभाष्य, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-९४/९६ पातालकलश-लवणशिखाविचार प्रा., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः पणनवइ सहस्साई ओगाहित्ता चउदिसि लवणं... पाताहेसं १६१- पे.क्र. १५, पृ. १८४-१८५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पात्रपरीक्षा सं., पद्य, का.३१, आदि वाक्यः जीवादिपदार्थो यः समभावेन सर्वसत्त्वानां... पातासंघवी १६७-१- पे.क्र.८, पृ. १६-१८, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पादकौमुदी टीका जुओ - द्विसन्धानमहाकाव्य-(सं.)पादकौमुदी टीका, आचार्य-नेमिचन्द्र (दिगम्बर), संस्कृत, ग्रं.१२००० 472 Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पादलिप्ताचार्यकथा प्रा., आदि वाक्यः अस्थि इह भरहवासे नामेण कोसला पुरी रम्मा... पातासंघवी १३६-२- पे.क्र. २, पृ. ११-४३, सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि, वि-१२९१, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १२-१३-१५-१६-३५-३९-४० नथी. ३७ पत्रनो एक टुकडो नथी. डीवीडी-३४/५३ पापपडिग्घायगुणबीजाघानसुत्त जुओ - पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र, प्राकृत पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र जुओ - पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र, प्राकृत पापफलप्रतिबोधकगाथा प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः पावेण जक्खुडीरो पावरई हीणजाइ कुलसीले... ___कृ.विः अन्त वाक्य-सो धन्नो जो धम्मं सव्वन्नुमयं सया कुणइ. पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. १०, पृ. ४०-४B, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पापबुद्धिनृप-धर्मबुद्धिमन्त्रिकथा-गद्य सं., गद्य, पाकाहेम १३२०७, पृ. ४, पापबुद्धिनृप-धर्मबुद्धिमन्त्रिकथा गद्य, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पायच्छित्तवियार जुओ - प्रायश्चितविचार, प्राकृत पाययलच्छीनाममाला जुओ - पाइयलच्छीनाममाला, कवि-धनपाल, प्राकृत, गा.२८० पार्थपराक्रमव्यायोग कवि-प्रह्लादन, सं., पद्य, श्लोक४३२, पाकाहेम ३९९१, पृ. १२, पार्थपराक्रमव्यायोग, वि-१४२६, संपूर्ण प्रत विशेष- सं.१४२६मां जिनदेवसूरिए लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ६६५७, पृ. ६, पार्थपराक्रमव्यायोग, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पार्श्व जिनस्तव जुओ - धरणोरगेन्द्रस्तव, आचार्य-देवसूरि, संस्कृत, ग्रं.३९, गा.३६ पार्श्वचन्द्रने पूछेला बोलो मारुगूर्जर, पाकाहेम ७९६९, पृ. ६, पार्श्वचन्द्रने पूछेला बोलो, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पार्श्वजिन अमृतध्वनि उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ९८२९- पे.क्र. २, पृ. २, चिन्तामणिस्तव व पार्श्वजिनअमृतध्वनि, वि-१८४१, संपूर्ण पार्श्वजिन मन्त्र प्रा., गद्य, आदि वाक्य: नमो जिणपास विसहर धरणिन्दपदमावती... भांका १३२- पे.क्र. ३, पृ. ३०, संवेगचूडामणिप्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८५ पार्श्वजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः उद्दाममङ्गलसरोरूहसूरबिम्बं... पाताहेसं १६८- पे.क्र.८, पृ. १८आ-१९अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. 473 Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः जय जय पासजिणेसर जय निरुवमरूव परमकारूणिय... पाताहेसं १६८- पे.क्र. १६, पृ. ३०आ-३१आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३१-३२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वजिनस्तव गणि-भद्रबाहु, प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः चउकसाय पडिमल्लइ लूरण... भांका १३२- पे.क्र. २, पृ. ३B, संवेगचूडामणिप्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८५ पार्श्वजिनस्तवन जुओ - स्तम्भनपार्श्वजिनस्तवन, संस्कृत, श्लोक५ पार्श्वजिनस्तवन शर्खेश्वर जुओ - शर्केश्वरपार्श्वजिनस्तवन, संस्कृत पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर जुओ - शर्खेश्वरपार्श्वजिनस्तुति, संस्कृत, श्लोकर पार्श्वजिनस्तवन शर्खेश्वर जुओ - शर्केश्वरपार्श्वनाथस्तवन, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.१० पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर जुओ - शर्खेश्वरपार्श्वनाथस्तवन, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.१७ पार्श्वजिनस्तवन शङ्खेश्वर जुओ - शङ्खेश्वरपार्श्वनाथस्तवन, संस्कृत, का.१४ पार्श्वजिनस्तुति (विरदमाला) आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक२४, आदि वाक्य: जय श्रीस्तम्भनकपुरकृतावतार... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ७, पृ. ४४०-४९A, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ पार्श्वजिनस्तुति सं., पद्य, श्लोक१, आदि वाक्यः दशावतारो वः पायात्कमनीयाञ्जनद्युतिः... भांता ७२- पे.क्र. २१, पृ. ८३A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पार्श्वजिनस्तुति सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः मायातुङ्गी निरासे... पाकाहेम १२१३३- पे.क्र.२, पृ. १, आदिजिनस्तुत्यादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वजिनस्तुति शर्खेश्वर जुओ - शर्केश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र, संस्कृत पार्श्वजिनस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथचरित्रस्तोत्र, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१५ पार्श्वजिनस्तोत्र गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोक१०, डतामुक्ता ४५७- पे.क्र. ४, पृ. ५-६, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पार्श्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रबद्ध# (एकस्वरचित्रबद्ध पार्श्वजिनस्तोत्र) सं., पद्य, श्लोक७, आदि वाक्यः प्रणमदमरवरकर... पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. ३, पृ. २, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथ अष्टक आचार्य-नयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः भुजगेन्द्ररम्यं पाकाहेम १०२३- पे.क्र.६३, पृ. १२५-१२६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 474 Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पार्श्वनाथ अष्टक मन्त्रगर्भित सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः श्रीमन्नागेन्द्ररूद्रस्फुरितफणमणिद्योतिताशामुख श्री.... पातासंघवी १०४-२- पे. क्र. २०, पृ. २११-२१२, प्रवचनसन्दोह आदि संपूर्ण पे. विशेष श्लोक ९. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४४, पृ. १३५. योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. विशेष गाथा ९. डीवीडी-३८/५५ तालाद ३३९ पे. क्र. १० पृ. ६८-६९ जीवविचारप्रकरणादि वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २४, डीवीडी- ९४ / ९६ पार्श्वनाथ अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक३२, पाकाहेम ८२२१, पृ. २, पार्श्वनाथ अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति उंदरे करडेली छे.. कुल झे. पृष्ठ- २ पार्श्वनाथ कमठोपसर्गस्तोत्र जुओ पार्श्वनाथस्तव, आचार्य-कुलप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक १३ पार्श्वनाथ कलश - - मारुगुर्जर, पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६६, पृ. २५३-२५४, ओघनिर्युक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक- प्रकरण - कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कुल झे. पृष्ठ-३१ पार्श्वनाथ छन्द जुओं जीराउलागीतछन्द, मारुगुर्जर, गा.४ पार्श्वनाथ जीराउलारास जुओ जीराउलारास, कवि-देपाल, मारुगूर्जर, गा. ४१ पार्श्वनाथ धरणोरगेन्द्रस्तव जुओ पार्श्वनाथ नमस्कार नवफणा जुओ पार्श्वनाथ प्रबन्ध जुओ स्तम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध, आचार्य मेरुतुङ्गसूरि संस्कृत पार्श्वनाथ यमकमय स्तव (यमकमय पार्श्वनाथस्तव) - - धरणोरगेन्द्रस्तव, आचार्य देवसूरि संस्कृत ग्रं.३९ गा.३६ नवफणा श्रीपार्श्वनाथनमस्कार, अपभ्रंश, गा. ५ " पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र ( यमकमय पार्श्वनाथस्तोत्र) शिवसुन्दर, सं., पद्य, का. ७, आदि वाक्यः वरसंवरसंवर.... पाकाहेम ७४०३- पे. क्र. २ पृ. १ पद्मप्रभजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ व पार्श्वनाथस्तवन, वि-१५वी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३६२- पे क्र. १, पृ. १, यमकमयपार्श्वनाथस्तव आदि वि-१८मी, संपूर्ण पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र (सं.) स्वोपज्ञ टीका आचार्य - पुण्यरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक १५, पाकाहेम ११२८१, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र स्वोपज्ञटीकासहित पञ्चपाठ यमकमय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र (सं.) स्वोपज्ञ टीका " आचार्य - पुण्यरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक १५, पाकाहेम ११२८१, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र स्वोपज्ञटीकासहित पञ्चपाठ यमकमय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ आचार्य पुण्यरत्नसूरि सं., पद्य, श्लोक १५, 475 " Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११२८१, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र स्वोपज्ञटीकासहित पञ्चपाठ यमकमय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथ संस्तवन-दशभवग्रहणनिबद्ध (दशभवग्रहणनिबद्ध - पार्श्वनाथ संस्तवन) प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः सयल सुरासुर नमिउ० पासं दसभवगहण लिंगानि।... पाताहेसं १६८- पे.क्र. १९, पृ. ३४अ-३६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३३-३४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वनाथ स्तवन सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः परिमौलिक... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५४, पृ. १२६अ-१२७अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६१-६३. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वनाथ स्तवन शृङ्खलालङ्कारमय जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथ शृङ्खलालङ्कारमय स्तवन#, संस्कृत, का.८ पार्श्वनाथचरित्र आचार्य-देवप्रभसूरि, प्रा., रचना सं. विक्रम ११६५, ग्रं.९०००, पातासंघवी ७५, पृ. ३११, पार्श्वनाथचरित्र, वि-११९९, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., वचमां केटलांएक पत्रो नथी., प्रत सारी. डीवीडी-३१/५० पार्श्वनाथचरित्र सं., पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.६, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पार्श्वनाथचरित्र आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक१३०६, कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवीजीर्ण २७, पृ. १९०, पार्श्वनाथचरित्र, वि-१३६?, अपूर्ण डीवीडी-५६/५९ पार्श्वनाथचरित्र आचार्य-भावदेवसूरि[खण्डिल्लगच्छ], सं., पद्यसर्ग८, ग्रं.८०७४, आदि वाक्यः नाभेयाय नमस्तस्मै यस्य क्रमनखांशव... पाकाहेम ७३७०, पृ. १३८, पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली अने शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१३७ भांका १०६, पृ. १३८, पार्श्वनाथचरित्र, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं. पा. १०५ नथी. ७५ नंबर २ छे. सूचीपत्रक्रम-४-३८२. ग्रन्थाग्र-६४००. डीवीडी-८४ पार्श्वनाथचरित्र पण्डित-पद्मसुन्दर, गुरु-पण्डित-पद्ममेरु, सं., पद्यअध्याय७, आदि वाक्यः भास्वद्भोगीन्द्रः... पुप्रे ४२९, पृ. ९७, पार्श्वनाथचरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९७ पार्श्वनाथचरित्र सङ्क्षिप्त 476 Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, पाकाहेम १०१६४, पृ. ५३, पार्श्वनाथचरित्र सङ्क्षिप्त गद्य, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ५२मुं डबल छे. कुल की. पृष्ठ-५४ पार्श्वनाथचरित्र (सं.) टीका गणि- साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ४, पृ. १३-१५, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२ पार्श्वनाथचरित्रगत दशदृष्टान्त (मनुष्यभवोपरिदशदृष्टान्त श्लोकबद्ध ) आचार्य - रत्नप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक९५७, पाकाहेम २१०६- पे.क्र. १, पृ. १-२३, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र- ७२१. कुल थी. पृष्ठ-६५ पाकाहेम १०१६५ पृ. २२. पार्श्वनाथचरित्र गत दशदृष्टान्त पद्य वि-१५६७ संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-२५ पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य आचार्य - विनयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक३९८५, पाकाहेम १९६८, पृ. १५७, पार्श्वनाथचरित्र महाकाव्य, वि-१४७१, संपूर्ण प्रत विशेष- कीट खादित. कुल झ. पृष्ठ- १०६ झे पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध आचार्य-भावदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४१२, ग्रं. ६०७४, पातासंघवीजीर्ण ४७, पृ. २७४, पार्श्वनाथचरित्र, वि - १३७९, संपूर्ण प्रत विशेष देखावमां सारां छे पण त्रुटक छे. घोंटेला घसायेलां तेथी निरुपयोगी छे, ग्रन्थाग्र-६४०० डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ५९-१, पृ. २५०, पार्श्वनाथचरित्र, वि - १४६३, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका पत्र ३९-२१२-२२८-२४० नथी. पत्र २०८-२११-१८-२२० ना टुकड़ा छे. गायकवाड केटलॉगमां संवत १४३६ छे. " डीवीडी - २९ / ४८ पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध नो हिस्सो हरिश्चन्द्रराजकथानक (हरिश्चन्द्रराजकथानक ) आचार्य- भावदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४१२, पाकाहेम ८०७६, पृ. १९ हरिश्चन्द्रराजकथानक पथ- पार्श्वनाथचरित्रान्तर्गत, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ९ पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध नो हिस्सो हरिश्चन्द्रराजकथानक (हरिश्चन्द्रराजकथानक ) आचार्य भावदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४१२, पाकाहेम ८०७६, पृ. १९, हरिश्चन्द्रराजकथानक पद्य पार्श्वनाथचरित्रान्तर्गत, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-९ झे. पार्श्वनाथचरित्रस्तोत्र (पार्श्वजिनस्तोत्र ) गणि- जिनवल्लभ, प्रा. पद्य, गा. १५, आदि वाक्यः वन्दे मन्दर नन्दणडुमदहद्दीवायट्ठाणट्ठिए.... "" पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६६, पृ. १२७- १२८ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झ. पृष्ठ- १४५ झे. पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ४, पृ. १३-१५, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल १. पृष्ठ-२२ झे 477 Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पार्श्वनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ४, पृ. १३-१५, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत-पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोगाथा जुओ - पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोगाथा-पार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत, प्राकृत, गा.२६ पार्श्वनाथजन्मकलश आचार्य-आनन्दसूरि (धर्मसूरिशिष्य), अप., आदि वाक्यः अरि रि भवियहु भावु नियचित्ति य... पाताखेत २३- पे.क्र. २४, पृ. ३५०-३५१, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पार्श्वनाथजन्माभिषेक आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः जय जय जगनायग सिवसुखदायग पास पयासियपरमपय... पाताखेत ६- पे.क्र.४५, पृ. २३१-२३२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पार्श्वनाथपञ्चविंशिका जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव, आचार्य-देवसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.२५ पार्श्वनाथपद्मावती मन्त्र (ज्वरस्थावरादि विषनाशनमन्त्र) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वसत्वहितङ्कराय धरणेन्द्रपद्मावती सहिताय... भांका २९३- पे.क्र. ३, पृ. ६०-७A, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ पार्श्वनाथमन्त्र कलिकुण्ड जुओ - कलिकुण्डपार्श्वनाथमन्त्र, संस्कृत पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव सं., पद्य, का.११, आदि वाक्यः नत्वोपासितचरणं... पाकाहेम १२३३२- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- आर्या-११. पार्श्वनाथमहास्तव जुओ - धरणोरगेन्द्रस्तव, आचार्य-देवसूरि, संस्कृत, ग्रं.३९, गा.३६ पार्श्वनाथयमकमयस्तव (यमकमय पार्श्वनाथस्तव) पद्मनन्दि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः लक्ष्मीर्महस्तुत्यसती सती सती... पाकाहेम १२३०८, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३०९, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण पार्श्वनाथयमकमयस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२३०८, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३०९, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण पार्श्वनाथयमकमयस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२३०८, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३०९, पृ. १, पार्श्वनाथयमकमयस्तव सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण पार्श्वनाथयमकमयस्तोत्र (यमकमय पार्श्वनाथस्तोत्र) उपाध्याय-श्रीवल्लभोपाध्याय, सं., पद्य, का.१४, आदि वाक्यः जिनवरेन्द्र वरेन्द्रकृतस्तुते... पाकाहेम १२३५७- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथजिनयमकमयस्तोत्र तथापार्श्वनाथजिनसमस्यामयस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण 478 Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पार्श्वनाथलघुस्तवन आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.७, पाकाहेम ८२०६- पे.क्र. २, पृ. १, उपसर्गहरस्तोत्र पादपूर्तिस्तवन आदि, वि-१६५५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथलघुस्तवन मुनि-मेरुसुन्दर, अप., पद्य, गा.८, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथविनती-नवखण्डा जुओ - नवखण्डापार्श्वनाथवीनती, मारुगूर्जर, गा.८ पार्श्वनाथविवाहलु जुओ - थम्भणपासविवाहलु, अज्ञात-शान्तिमन्दिरशिष्य, मारुगूर्जर, गा.३२ पार्श्वनाथशर्मस्तव सं., पद्य, का.११, आदि वाक्यः शर्म प्रयच्छ सुदशर्म... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथसमस्यामयस्तोत्र (समस्यामय पार्श्वनाथस्तोत्र) उपाध्याय-श्रीवल्लभोपाध्याय, सं., पद्य, का.१२, आदि वाक्यः श्रीपार्श्वनाथजिनपं तमहं... पाकाहेम १२३२९- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- का.१३. पाकाहेम १२३५७- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथजिनयमकमयस्तोत्र तथापार्श्वनाथजिनसमस्यामयस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथसमस्यास्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३३, पृ. १, पार्श्वनाथसमस्यास्तवावचूरि, वि-१६८३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथसहस्रनामस्तोत्र आचार्य-कल्याणसागरसूरि, सं., पद्य, पाकाहेम २००७, पृ. ३, पार्श्वनाथसहस्रनामस्तोत्र, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पार्श्वनाथस्तव जुओ - गोडीपार्श्वनाथस्तव, संस्कृत, का.५ पार्श्वनाथस्तव मारुगूर्जर, पद्य, गा.२०, पाकाहेम ९७६०- पे.क्र. ४, पृ. १, पञ्चपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १५३६०, पृ. १, पार्श्वनाथस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तव (पार्श्वनाथ कमठोपसर्गस्तोत्र), (पार्श्वनाथस्तोत्र) आचार्य-कुलप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः नत्वोपासितचरणं कमठेन प्राप्तबोधिना पार्श्व ... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १५, पृ. ९८०-१०२B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ भांता ७० - पे.क्र. ६, पृ. ५B-६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३३०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पार्श्वनाथस्तव जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव, आचार्य-देवसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.२५ पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त (क्रियागुप्त पार्श्वनाथस्तव) 479 Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मुनि-चन्द्रशेखर, सं., पद्य, श्लोक३२, आदि वाक्यः चरमजिन तं कल्याणा त्वां न वा निहमानो... पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. १, पृ. २जूं, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वजिनस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, त्रुटक. पत्र त्रुटक नथी. कुल झे.पृष्ठ-७ पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. १, पृ. २जूं, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वजिनस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, त्रुटक. पत्र त्रुटक नथी. कुल झे.पृष्ठ-७ पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. १, पृ. २जु, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वजिनस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, त्रुटक. पत्र त्रुटक नथी. कुल झे.पृष्ठ-७ पार्श्वनाथस्तव विविधछन्दोबद्ध जुओ - विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव, संस्कृत, श्लोक३० पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय (षड़भाषामय पार्श्वनाथस्तव) मुनि-धर्मवर्धन, सं., पद्य, पाकाहेम १४४३६- पे.क्र. १, पृ. ५, षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथस्तव सह (सं.)टीका पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४४३६- पे.क्र. १, पृ. ५, षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथस्तव सह (सं.)टीका पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४४३६- पे.क्र. १, पृ. ५, षड्भाषामयपार्श्वनाथस्तव सटीक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथस्तव सह (सं.)टीका पार्श्वनाथस्तव-द्वात्रिंशिका आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.३२, पातासंघवी १८२-१- पे.क्र. ७, पृ. ८९-९४, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पार्श्वनाथस्तव-नवखण्डा आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः स्फूर्जन्नागफणामणीगण... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ४, पृ. २-३, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- नवखंडपार्श्वनाथस्तव __कुल झे.पृष्ठ-६ पार्श्वनाथस्तवन जुओ - चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन, मारुगूर्जर, गा.७ पार्श्वनाथस्तवन जुओ - चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन, संस्कृत, श्लोक३० पार्श्वनाथस्तवन आचार्य-देवसूरि, सं., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः जयति त्रिजगद्रक्षा... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.४६, पृ. ११५-११६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पार्श्वनाथस्तवन 480 Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः वाङ्मात्रेण वितेनिवा पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. १, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण संधिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः श्रीपाश्र्वं भावतः स्तौमि.. पाकाहेम १२३५९- पे.क्र.२, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तवन मुनि-मेरुसुन्दर, अप., पद्य, गा.५, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र.५, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तवन जुओ - पार्श्वनाथस्तोत्र, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत, का.१६ पार्श्वनाथस्तवन जुओ - स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन, मुनि-रत्नसिंहसूरिशिष्य, संस्कृत, श्लोकर पार्श्वनाथस्तवन जुओ - स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन, मुनि-मेरुसुन्दर, अपभ्रंश, गा.५ पार्श्वनाथस्तवन करहेटक जुओ - करहेटक पार्श्वनाथस्तवन, संस्कृत पार्श्वनाथस्तवन कलिकुण्ड जुओ - कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत, श्लोक१० पार्श्वनाथस्तवन क्रियागुप्त जयराजपुरीश (जयराजपुरीश पार्श्वजिनस्तवन क्रियागुप्त). (क्रियागुप्त पार्श्वजिनस्तवन जयराजपुरीश) गणि-सिद्धान्तरुचि, सं., पद्य, का.१७, आदि वाक्यः शश्वच्छासनवैरिदानव... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. १०, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तवन जिरापल्लि जुओ - जीरापल्लिस्तवन, अपभ्रंश, गा.१५ पार्श्वनाथस्तवन नारङ्गपुरमण्डन# (नारङ्गपुरमण्डन पार्श्वजिनस्तवन) आचार्य-विजयदेवसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.११, पाकाहेम १२३८४- पे.क्र. १, पृ. २, नारङ्गपुरमण्डन पार्श्वजिनस्तवन आदि, वि-१६७३, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रगर्भित प्रा., पद्य, का.७, आदि वाक्यः जस्स फणिन्दफणोहो... पाकाहेम ७३९६- पे.क्र.३, पृ. १, जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- केटलोगमां भाषा संस्कृत आपी छे. कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रगर्भित सं., पद्य, श्लोक३, आदि वाक्यः स्यात्तस्मै नम ॐ नमो पाकाहेम ७३९६- पे.क्र. ४, पृ. १, जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन मन्त्राधिराज (मन्त्राधिराज पार्श्वनाथस्तवन) आचार्य-जयतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं., पद्य, का.१६, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.८, पृ. ७१-७२, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३९ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रौषधिगर्भित जुओ - मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तवन*, अपभ्रंश, श्लोक३७ पार्श्वनाथस्तवन यमकालकारमय (यमकालङ्कारमय पार्श्वनाथस्तवन) आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः नतसुरमुकुटाली... पाकाहेम २००५, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन यमकालङ्कारमय-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २००५, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण 481 Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन यमकालङ्कारमय-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २००५, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तवन-नवखण्डा जुओ - नवखण्डापार्श्वनाथस्तवन, अज्ञात-हेमविमलसूरिशिष्य, संस्कृत, का.२६ पार्श्वनाथस्तुति जुओ - गोडीपार्श्वनाथस्तुति, संस्कृत, का.९ पार्श्वनाथस्तुति उपाध्याय-कल्याणविजय, मारुगूर्जर, पद्य, का.१, आदि वाक्यः मनवाञ्छितपूरणकल्पतरू... पाकाहेम १२३६१- पे.क्र.६, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तुति प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः निहतभवनिवासं... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. ८, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः निष्ठुरकमठमहासुर... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. ५, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९३ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. ९, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तुति सं., पद्य, का.१, आदि वाक्यः वासवस्तुतपदो... पाकाहेम १२३६८ - पे.क्र. ५, पृ. १, नेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः श्रीनागराजफणिरत्नरूचि... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र.८, पृ. ५००-५६A, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ पार्श्वनाथस्तुति चिन्तामणि जुओ - चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तुति, मारुगूर्जर, गा.९ पार्श्वनाथस्तुति जिराउला जुओ - जीराउलापार्श्वनाथस्तुति, संस्कृत, श्लोक१३ पार्श्वनाथस्तुति जीरापल्ली जुओ - जीरापल्लीपार्श्वजिनस्तुति, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, संस्कृत, का.४५ पार्श्वनाथस्तुति दण्डकछन्दोमयी# (दण्डकछन्दोमयी पार्श्वजिनस्तुति) सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः चिदानन्दकल्याणवल्लीवसन्तं... पाकाहेम १२३६९- पे.क्र. १, पृ. १, दण्डकछन्दोमयी पार्श्वजिनस्तुति तथा साधारणजिनस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तुति नवग्रहस्तुतिगर्भित जुओ - नवग्रहस्तुतिगर्भितपार्श्वनाथस्तुति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्राकृत, गा.१० पार्श्वनाथस्तुति मथुरावतार (मथुरावतार पार्श्वनाथस्तुति) मारुगूर्जर, पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः महुरं कयअवयारसारु... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३८, पृ. २२५-२२६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पार्श्वनाथस्तुति स्तम्भनक जुओ - स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तुति, मारुगूर्जर, गा.१३ पार्श्वनाथस्तुति हर्षपुरीय (हर्षपुरीय पार्श्वनाथस्तुति) सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१९५- पे.क्र. २, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः तथा पार्श्वनाथस्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण 482 Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष- अतिजीर्ण. कुल झ. पृष्ठ- २ पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ धरणोरगेन्द्रस्तव, आचार्य देवसूरि संस्कृत ग्रं. ३९, गा.३६ पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ पार्श्वनाथस्तव, आचार्य कुलप्रसूरि संस्कृत श्लोक १३ पार्श्वनाथस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र प्रा., पद्य, गा. ४, आदि वाक्यः तं नमह पासनाहं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३२ पृ. ११० प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण , प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पार्श्वनाथस्तोत्र आचार्य - मुनिरत्नसूर, प्रा., पद्य, गा. १६, आदि वाक्यः सयलसिरीण निवासं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४४, पृ. ११५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पार्श्वनाथस्तोत्र - - पार्श्वनाथस्तोत्र कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, आदि वाक्य: नम्रामरनरश्रेणे पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५९ पृ. १२३ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पार्श्वनाथस्तोत्र कुल झ. पृष्ठ- १४५ झे. आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु- आचार्य - धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः निलुप्पल इह देहो पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७०, पृ. १२९ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पार्श्वनाथस्तोत्र आचार्य वादिदेवसूरि प्रा. पद्य, गा. १५, आदि वाक्यः मङ्गलकमलजलाशय ... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७८, पृ. १३१-१३२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ मुनि-चरणप्रमोद शिष्य, मारुगुर्जर, पद्य, गा.३. पाकाहेम ३०३४- पे.क्र. ३, पृ. ३, भयहरस्तोत्रादि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ कवि - बिल्हण, सं., पद्य, का. ९, आदि वाक्यः श्रीपार्श्वनाथ भवतोय.... पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २१, पृ. २२-२३, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम १२१२४- पे क्र. ३९ पृ. १२८-१२९ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल ही. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम १२३५२- पे क्र. १ पृ. १ पार्श्वनाथस्तोत्र आदि अपूर्ण, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पार्श्वनाथस्तोत्र (पार्श्वनाथस्तवन) आचार्य धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, का. १६, आदि वाक्यः कस्तुरीतिलकं भुवः परिभव..... - 483 , - Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३७, पृ. २२४-२२५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १२३२१, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३२२, पृ. १, पार्श्वजिनस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र मुनि-मेरुसुन्दर, सं., पद्य, श्लोक७, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र.६, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र आह्लाद मन्त्री, सं., पद्य, का.१०, आदि वाक्यः श्रीपार्श्वनाथ भावतोय... पाकाहेम १२३५२- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र आदि - अपूर्ण, वि-१५मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र कवि-बिल्हण, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः जयति भुजगराज प्राज्य फुलत्फणाली... पाताहेसं १११- पे.क्र.९, पृ. १८९-१९१, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पार्श्वनाथस्तोत्र सं., पद्य, गा.१०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३९, पृ. १३१-१३२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र, आचार्य-जिनसोमसूरि, संस्कृत, का.११ पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित#, आचार्य-नयचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.९ पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र, आचार्य-देवभद्रसूरि, प्राकृत, गा.१६ पार्श्वनाथस्तोत्र अष्टोत्तरशतनामगर्भित (अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र) सं., पद्य, श्लोक३३, आदि वाक्यः श्रीपार्श्वः पातु वो नित्यं... पाकाहेम ११२९३- पे.क्र. ३, पृ. १-३, परमेष्ठिअष्टक आदि, वि-१९०८, संपूर्ण पे. नाम- अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वस्तोत्र प्रत विशेष- सूचिपत्र में मुद्रण दोष से प्रत क्रमांक-१११९३ दिया है. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १२२७२, पृ. १, अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२७३, पृ. १, अष्टोत्तरशतनामगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र गदबदडां शब्दगर्भित (गदबदडां शब्दगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र) इन्द्रनन्दिसूरिशिष्य, सं., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ९७५७, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ गदबदडां शब्दगर्भित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ९७५७, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ गदबदडां शब्दगर्भित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तोत्र चिन्तामणिमन्त्रगर्भित जुओ - चिन्तामणिमन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र, संस्कृत, गा.११ पार्श्वनाथस्तोत्र त्रोटक छन्द प्रा., पद्य, गा.७, कृ.विः त्रोटक छन्द पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८१, पृ. १३५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 484 Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्भित (मन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र) सं., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः ॐनमो भगवते पार्श्वनाथाय... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १९, पृ.७-?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६१, पृ. १२४-१२५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ११२९३- पे.क्र. ४, पृ. ३, परमेष्ठिअष्टक आदि, वि-१९०८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचिपत्र में मुद्रण दोष से प्रत क्रमांक-१११९३ दिया है. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १२३३२- पे.क्र. ३, पृ. १, पार्श्वनाथमन्त्राधिराजस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-९. पार्श्वनाथस्तोत्र विधि सं., पद्य, पाकाहेम १४००९, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र विधिसह, वि-२०मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र सर्वलघुएकस्वरचित्रशब्दमय# (सर्वलघुएकस्वरचित्रशब्दमय पार्श्वस्तोत्र ) मारुगूर्जर, पद्य, गा.२, आदि वाक्यः सकलकर्मखलदलन... पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. ४, पृ. २, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पार्श्वनाथस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ९७५७, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ गदबदडां शब्दगर्भित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथस्तोत्रचरित्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः गुणमणिनिहिणो जस्सुवरि फणिफणारयणीए... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १३, पृ. ३१, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पार्श्वनाथाष्टक सं., पद्य, का.८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४०, पृ. १३२मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पार्श्वनाथाष्टक सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः ...द्युतमणि द्योतता सा सुखश्री... पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. २, पृ.?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पार्श्वपार्श्वयोः फणसङ्ख्यास्वरूप# (सुपार्श्वपार्श्वफणसङ्ख्यास्वरूप) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः जेणेग पञ्चनवसिरसुनाग सिज्झासु... भांता ७०- पे.क्र. १५४, पृ. २०४B-२०४B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 485 Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पार्श्वस्तुति-चक्राष्टकेन (चक्राष्टकेन पार्श्वस्तुति) गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः चक्रे यस्य नतिः सदा किल सुरै... डतामुक्ता ४५७- पे.क्र.५, पृ. ६-७, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पार्श्वस्थादिगाथा प्रा., पद्य, गा.१९, आदि वाक्यः असञ्जयं नवं दिज्जा मायरं पियरं गुरुं... भांता ७०- पे.क्र. ८४, पृ. १०६B-१०७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पासाकेवली ऋषि-गर्गर्षि, सं., पाकाहेम १५८२४, पृ.७, पाशाकेवली, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पासाकेवली ३ अकोथी मारुगूर्जर, पाकाहेम २७९१, पृ. ४, पासाकेवली ३ अङ्कोथी, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पासाकेवली ४ अकोथी मारुगूर्जर, पाकाहेम २७९२, पृ. ३, पासाकेवली ४ अङ्कोथी, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पिण्डनियुक्ति (महल्लिया पिण्डनियुक्ति) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.६९७, आदि वाक्यः पिण्डे उग्गम उप्पायणेसणा सञ्जोयणा पमाणे य । कृ.विः गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. पाताखेत ३८-१- पे.क्र.२, पृ. ८४-१३५, ओघनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति, वि-१२५९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७०७. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १४, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- पिंडनियुक्ति सह टिप्पन, पे. विशेष- क्रमबद्ध नहीं है., यह कृति झेरोक्ष पत्र ४७,४८, ५५, ५६, ५९, ६० व ७९-८२ पर त्रुटित रूप में उपलब्ध है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ९०- पे.क्र. ३, पृ. २८०-३३४, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७९०. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी १६६- पे.क्र. १२, पृ. १२९-१४७, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७१६. प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) 486 Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७-२- पे.क्र. २, पृ. ७५-१३०, ओघनिर्युक्ति तथा पिण्डनिर्युक्ति, संपूर्ण डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी १७-३- पे.क्र. २. पृ. १७९-१८८, ओघनियुक्ति आदि संपूर्ण प्रत विशेष टक-अपूर्ण - डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी १९७१ पे. क्र. २. पू. ११३-१९३ ओघनियुक्ति तथा पिण्डनिर्युक्ति, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र - ७३०. डीवीडी-313/4] पाताहेसं ५८- पे.क्र. ३, पृ. २४१-३०८, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहे ९१- पे क्र. २, पृ. १९१, ओघनिर्युक्ति- पिण्डनिर्युक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र - ६२+९१. डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६३ - पे.क्र. २ पृ. १०६-१७५, ओघनिर्मुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनिर्युक्ति अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-८/१८ भांता ७४, पृ. २२६, पिण्डनियुक्ति सह शिष्यहिता वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१११५. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ पाकाम ९०२ - पे क्र. २, पृ. ४०-६५ ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक प्रकरण- कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५४४, पृ. ११३, पिण्डनिर्युक्ति शिष्यहिताटीकासहित वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ११४ पाकाहेम ६५६०, पृ. १२६, पिण्डनिर्युक्ति वृत्तिसहित, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष - वृत्तिग्रन्थाग्र - ७००० पत्र २७-२८ अने ७१-७२ भेगां तेमज १८मुं डबल छे.. कुल झे. पृष्ठ- १२५ पाकाहेम ६५७५, पृ. ११, पिण्डनिर्युक्ति, वि-१५मी, संपूर्ण " प्रत विशेष - गाथा - ७०३., पाकाहेम १००७६, पृ. १३, पिण्डनिर्युक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३४ पाकाहेम १००७७, पृ. ११० पिण्डनिर्युक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रथम पत्रमां क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवुं चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ- ११० पाकाहेम १४८५९, पृ. १३, पिण्डनिर्युक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१४ पाकाहेम १४८६०, पृ. १२९, पिण्डनिर्युक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र- ७०००. कुल झे. पृष्ठ- १३२ भांका २२६, पृ. १०२, पिण्डनिर्युक्ति सह विवेचन, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १ - १११६. १लु पत्र डबल छे. डीवीडी-८८ - पिण्डनिर्युक्ति (प्रा.) चूर्णि ) प्रा., गद्य, तालाद ३१७, पृ. ५६, पिण्डनिर्युक्तिचूर्णि-लघुवृत्ति, वि-१५मी, अपूर्ण 487 Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५६, डीवीडी-९३/९५ पिण्डनियुक्ति-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, ग्रं.२९५०, तालाद ३१७, पृ. ५६, पिण्डनियुक्तिचूर्णि-लघुवृत्ति, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६, डीवीडी-९३/९५ पिण्डनियुक्ति-(सं.)बृहद्वृत्ति (पिण्डनियुक्ति-(सं.)वृत्ति) आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७२५०, कृ.विः ग्रन्थाग्र ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. पातासंघवी १६-१, पृ. १८७, पिण्डनियुक्तिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०००. सारी. डीवीडी-२२/४० पाकाहेम ६५६०, पृ. १२६, पिण्डनियुक्ति वृत्तिसहित, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- वृत्तिग्रन्थाग्र-७०००. पत्र २७-२८ अने ७१-७२ भेगां तेमज १८मुं डबल छे. __कुल झे.पृष्ठ-१२५ पाकाहेम १००७७, पृ. ११०, पिण्डनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-११० पाकाहेम १४८६०, पृ. १२९, पिण्डनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-७०००. कुल झे.पृष्ठ-१३२ पिण्डनियुक्ति-(सं.)शिष्यहिता टीका (शिष्यहिता टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७६७१, आदि वाक्यः नम्रामरेश्वरकिरीटनिविष्ट... कृ.विः हरिभद्रसूरि प्रारब्धा. भांता ७४, पृ. २२६, पिण्डनियुक्ति सह शिष्यहिता वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११५., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम ६५४४, पृ. ११३, पिण्डनियुक्ति शिष्यहिताटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११४ पिण्डनियुक्ति-(सं.)अवचूरि मुनि-क्षमारत्न[विधिपक्ष], गुरु-आचार्य-जयकीर्तिसूरि[विधिपक्ष], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीपिण्डनियुक्तिरवचूरिलिख्यते पूर्वमधिकारसूत्रं गाथा पिण्डे... भांका २७७, पृ. ८५, पिण्डनियुक्तिअवचूरि, वि-१९३१, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११७., २४, ७४ पाना डबल छे. डीवीडी-९० पिण्डनियुक्ति-(सं.)विषमगाथाविवरण (विषमगाथाविवरण), (कतिचिद्गाथावृत्ति) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २०, पृ. ५०-५५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- पिण्डनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्तिगत विषमगाथा विवरण कुल झे.पृष्ठ-८४ पिण्डनियुक्ति-(सं.)विवेचन आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि[अञ्चलगच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीआचाराङ्गे द्वितीयश्रुतस्कन्धे आद्यं दशवैकालिके... भांका २२६, पृ. १०२, पिण्डनियुक्ति सह विवेचन, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११६. , पलु पत्र डबल छे. 488 Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८८ पिण्डनियुक्ति-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र. १४, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- पिंडनियुक्ति सह टिप्पन, पे. विशेष- क्रमबद्ध नहीं है., यह कृति झेरोक्ष पत्र ४७,४८, ५५, ५६, ५९, ६० व ७९-८२ पर त्रुटित रूप में उपलब्ध है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पिण्डनियुक्ति-(प्रा.)चूर्णि) प्रा., गद्य, तालाद ३१७, पृ. ५६, पिण्डनियुक्तिचूर्णि-लघुवृत्ति, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६, डीवीडी-९३/९५ पिण्डनियुक्ति-(सं.)अवचूरि मुनि-क्षमारत्न[विधिपक्ष], गुरु-आचार्य-जयकीर्तिसूरि[विधिपक्ष], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीपिण्डनियुक्तिरवचूरिलिख्यते __पूर्वमधिकारसूत्रं गाथा पिण्डे... भांका २७७, पृ. ८५, पिण्डनियुक्तिअवचूरि, वि-१९३१, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११७., २४, ७४ पाना डबल छे. डीवीडी-९० पिण्डनियुक्ति-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १४, पृ.?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- पिंडनियुक्ति सह टिप्पन, पे. विशेष- क्रमबद्ध नहीं है., यह कृति झेरोक्ष पत्र ४७,४८, ५५, ५६, ५९, ६० व ७९-८२ पर त्रुटित रूप में उपलब्ध है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पिण्डनियुक्ति-(सं.)बृहद्वृत्ति (पिण्डनियुक्ति-(सं.)वृत्ति) आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७२५०, कृ.विः ग्रन्थाग्र ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. पातासंघवी १६-१, पृ. १८७, पिण्डनियुक्तिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७०००. सारी. डीवीडी-२२/४० पाकाहेम ६५६०, पृ. १२६, पिण्डनियुक्ति वृत्तिसहित, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- वृत्तिग्रन्थाग्र-७०००. पत्र २७-२८ अने ७१-७२ भेगां तेमज १८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२५ पाकाहेम १००७७, पृ. ११०, पिण्डनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवू चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-११० पाकाहेम १४८६०, पृ. १२९, पिण्डनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-७०००. कुल झे.पृष्ठ-१३२ पिण्डनियुक्ति-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, ग्रं.२९५०, तालाद ३१७, पृ. ५६, पिण्डनियुक्तिचूर्णि-लघुवृत्ति, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६, डीवीडी-९३/९५ 489 Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पिण्डनियुक्ति-(सं.)विवेचन आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि[अञ्चलगच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीआचारागे द्वितीयश्रुतस्कन्धे आद्यं दशवैकालिके... भांका २२६, पृ. १०२, पिण्डनियुक्ति सह विवेचन, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११६. , पलु पत्र डबल छे. डीवीडी-८८ पिण्डनियुक्ति-(सं.)विषमगाथाविवरण (विषमगाथाविवरण), (कतिचिद्गाथावृत्ति) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २०, पृ. ५०-५५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- पिण्डनियुक्ति तथा पिण्डनियुक्तिगत विषमगाथा विवरण कुल झे.पृष्ठ-८४ पिण्डनियुक्ति-(सं.)वृत्ति जुओ - पिण्डनियुक्ति-(सं.)बृहदत्ति, आचार्य-मलयगिरिसूरि, संस्कृत, ग्रं.७२५० पिण्डनियुक्ति-(सं.)शिष्यहिता टीका (शिष्यहिता टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७६७१, आदि वाक्यः नम्रामरेश्वरकिरीटनिविष्ट... कृ.विः हरिभद्रसूरि प्रारब्धा. भांता ७४, पृ. २२६, पिण्डनियुक्ति सह शिष्यहिता वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१११५., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम ६५४४, पृ. ११३, पिण्डनियुक्ति शिष्यहिताटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११४ पिण्डविशुद्धिप्रकरण (पिण्डविशोधिप्रकरण) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१०४, आदि वाक्यः देविन्दविन्दवन्दियपयारविन्देभिवन्दिय जिणिन्दे।... कृ.विः गाथा १०५ सुधी मळे छे. पाताखेत ५- पे.क्र. ३, पृ. ८६-९९, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र. ४, पृ. ५७-६७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक-६४A-B, तथा पत्र-७३A-Dरूप में है. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. ____ कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. २०, पृ. २१०-२२०, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. ___डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ३, पृ. ६८-८२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३२-१- पे.क्र. ९, पृ. ७२-८६, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-३- पे.क्र.६, पृ. २६८-२७५, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक-२७० बढते पत्र है. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.९, पृ. १९१-१९६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. झेरोक्ष पत्र अन्तर्गत कृति कहाँ से कहाँ तक है उसका स्पष्टीकरण नहीं हो सका है. 490 Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढ़ने हेतु यह प्रत दी गयी प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे. पृष्ठ- ८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९ पै.क्र. २. पृ. ४९-५८ उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष के लोगमां कर्तानाम धर्मदास गणि लखेल छे. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १६४- पे.क्र. ८ पृ. २१५-२२४ उपदेशमाला आदि संपूर्ण , पे. विशेष - गाथा - १०४. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६६- पे. क्र. ९ पृ. २७-३०, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण " पे. विशेष - गाथा - १०४. प्रत विशेष प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीघा छे (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२ - पे.क्र. २०, पृ. ३४१-३५२, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०४. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ३५-२- पे.क्र. ३. पू. ६८-८०, पाक्षिकसूत्र आदि संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. ग्रन्थ नथी. डीवीडी- २५/४४ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. ४, पृ. १८१-१८५, आवश्यकनिर्युक्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - १०५. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. १०, पृ. २०७-२२०, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३४ पृ. २११-२१५ आराधनापताका भगवती आदि संपूर्ण कुल पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ झे. पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ८. पृ. ५२-६१ सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - १०४. प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे. पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८११ पे क्र. ६ पृ. ९०-९८ उपदेशमाला आदि वि-१२७९. संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - १०४, पत्र ८६-८७ पण नथी. डीवीडी-३७/५४ , पातासंघवी १८९-१- पे क्र. ३. पृ. ६१-७२, चैत्यवन्दना बन्दनक- प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि दि १२२८. संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - १०४. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ९, पृ. ७९-८२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ८०-८१ पत्र नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११९- पे.क्र. ५, पृ. १०९-११६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. 491 Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र. ९, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १५९, पृ. ७२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण दीपिका सह, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २२, पृ. १९७-२०३, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. ४, पृ. १२३-१२९, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १२, पृ. ८९०-९६A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाताहेसं १७१-११, पृ. ६, पिण्डविशुद्धिप्रकरण सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ भांता ६९- पे.क्र.५, पृ. ४३B-५४B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.-१-४११. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ भांता ७५, पृ. १४२, पिण्डविशुद्धि सुबोधा सहित, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१६. डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. २, पृ. ३८-४६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. ___ कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८९- पे.क्र. ८, पृ. ९-१५, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. विशेष- ले.सं. १६मुं शतक. , गाथा-१०५. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ लिंता ३४१६, पृ. २२२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण वृत्तिसहित, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र नं.१, ११ नथी. पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ४, पृ. २१-२३, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २४, पृ. ८८-९२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. ११, पृ. १११-११८, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १४९८४- पे.क्र. २, पृ. ७०-७२, सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि, वि-१५०४, संपूर्ण 492 Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- सूचीपत्रमा पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाभाभा ३३, पृ. ३, पिण्डविशुद्धिप्रकरण, वि-१६२८, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०४., उंदरे करडेली. भांका २०३, पृ. १८, पिण्डविशुद्धि दीपिका सह, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१७. डीवीडी-८७ भांका २९८, पृ. ८६, पिण्डविशुद्धि सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१४. डीवीडी-९१ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)सुबोधा टीका (सुबोधा टीका) आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७६, ग्रं.२८००, आदि वाक्यः यदुदितलवयोगाद्देहिनः स्युः कृतार्थास्तमिह शुभनिधानं वर्द्धमानं प्रणम्य... पातासंघवी १६२, पृ. २७३, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ अने १७१मुं नथी. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८४-२, पृ. १५८, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- छेल्लुं पार्नु नथी एटले तेमां प्रशस्ति टूटे छे. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८८-२, पृ. २१९, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमां पानां जे खूटे छे ते पाछळ मूक्यां छे. डीवीडी-३७/५४ भांता ७५, पृ. १४२, पिण्डविशुद्धि सुबोधा सहित, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१६. डीवीडी-७३/८२ तालाद ३८१- पे.क्र. २, पृ. ५०, कर्मप्रकृति व पिण्डविशुद्धिटीका, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट (१) कर्म प्रकृति - २६ तथा (२) पिंड विशुद्धि - ५० छे., डीवीडी-९४/९६ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)दीपिकावृत्ति (दीपिका वृत्ति) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९५, आदि वाक्यः तं नमत श्रीवीरं यस्माच्चारित्रभूपतिर्जगति।... कृ.विः यशोदेवसूरि कृत टीका आधारित. पाकाहेम १०३२७, पृ. ९, पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०६२०, पृ. ६, पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण भांका २०३, पृ. १८, पिण्डविशुद्धि दीपिका सह, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१७. डीवीडी-८७ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)वृत्ति सङ्गदेव, सं., गद्य, लिंता ३४१६, पृ. २२२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण वृत्तिसहित, अपूर्ण - प्रत विशेष- पत्र नं.१, ११ नथी. पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका 493 Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४४००, आदि वाक्यः नम्रानेकसुरासुराराधिपशिरोपालार्चित... भांका २९८, पृ. ८६, पिण्डविशुद्धि सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१४. डीवीडी-९१ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-उदयसिंहाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.७०३, पाताहेसं १५९, पृ. ७२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण दीपिका सह, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १७१-११, पृ. ६, पिण्डविशुद्धिप्रकरण सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका १८७, पृ. ४, पिण्डविशुद्धि अवचूरी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-११३१. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थाग्र-८३८५. डीवीडी-८७ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, भांका १८७, पृ. ४, पिण्डविशुद्धि अवचूरी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-११३१. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थाग्र-८३८५. डीवीडी-८७ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४४००, आदि वाक्यः __ नमानेकसुरासुराराधिपशिरोपालार्चित... भांका २९८, पृ. ८६, पिण्डविशुद्धि सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१४. डीवीडी-९१ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-उदयसिंहाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.७०३, पाताहेसं १५९, पृ. ७२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण दीपिका सह, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १७१-११, पृ.६, पिण्डविशुद्धिप्रकरण सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)दीपिकावृत्ति (दीपिका वृत्ति) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९५, आदि वाक्यः तं नमत श्रीवीरं यस्माच्चारित्रभूपतिर्जगति।... कृ.विः यशोदेवसूरि कृत टीका आधारित. पाकाहेम १०३२७, पृ. ९, पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १०६२०, पृ. ६, पिण्डविशुद्धिप्रकरणदीपिका, वि-१६मी, संपूर्ण भांका २०३, पृ. १८, पिण्डविशुद्धि दीपिका सह, वि-१४८१, संपूर्ण 494 Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१७. डीवीडी-८७ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)वृत्ति सङ्गदेव, सं., गद्य, लिंता ३४१६, पृ. २२२, पिण्डविशुद्धिप्रकरण वृत्तिसहित, अपूर्ण - प्रत विशेष- पत्र नं.१, ११ नथी. पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)सुबोधा टीका (सुबोधा टीका) आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७६, ग्रं.२८००, आदि वाक्यः यदुदितलवयोगाद्देहिनः स्युः कृतार्थास्तमिह शुभनिधानं वर्द्धमानं प्रणम्य... पातासंघवी १६२, पृ. २७३, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ अने १७१मुं नथी. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८४-२, पृ. १५८, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- छेल्लुं पार्नु नथी एटले तेमां प्रशस्ति टूटे छे. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८८-२, पृ. २१९, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमां पानां जे खूटे छे ते पाछळ मूक्यां छे. डीवीडी-३७/५४ भांता ७५, पृ. १४२, पिण्डविशुद्धि सुबोधा सहित, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४१६. डीवीडी-७३/८२ तालाद ३८१- पे.क्र. २, पृ. ५०, कर्मप्रति व पिण्डविशुद्धिटीका, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट (१) कर्म प्रकृति - २६ तथा (२) पिंड विशुद्धि - ५० छे., __डीवीडी-९४/९६ पिण्डविशोधिप्रकरण जुओ - पिण्डविशुद्धिप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१०४ पिण्डस्थ पदस्थादि ध्यानगाथा प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः पिण्डत्थोय पदत्थोय रूवत्थोय रूववज्जिओ... भांता ७०- पे.क्र. ६०, पृ. ७८A-७९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-३०४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पिण्डैषणाशतक आचार्य-शान्तिसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०८, पाकाहेम ९५५१, पृ. ३, पिण्डैषणाशतक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पिण्डालोचनाविधानप्रकरण आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.७३, पाकाहेम ११०२५, पृ. १, पिण्डालोचनाविधानप्रकरण, वि-१५१९, संपूर्ण पीस्तालीस आगम पूजा मुनि-उत्तमविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा ३२८, पृ.६, पीस्तालीश आगमपूजा, वि-१९वी, संपूर्ण पुण्डरीकपूजाविधि 495 Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं.. पाकाहेम ८१७५, पृ. १, पुण्डरीकपूजाविधि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १२२३९, पृ. १, पुण्डरीकपूजाविधि, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२२४०, पृ. १, पुण्डरीकपूजाविधि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१ पुण्डरीकस्तव (शत्रुञ्जयमण्डन पुण्डरीकस्तोत्र) आचार्य-लक्ष्मीसागरसूरि, सं., पद्य, का.११, आदि वाक्यः श्रीशत्रुझजयशैलराज... पाकाहेम १२१३७, पृ. १, पुण्डरीकस्तव, वि-१५३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पुण्डरीकस्तव जुओ - सारावली प्रकीर्णक, प्राकृत, गा.११६ पुण्डरीकस्तोत्र आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः सिरिभरहचक्किनन्दण पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६९, पृ. १२८-१२९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पुण्यकुलक (वैराग्यकुलक) प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः सम्पुण्ण इन्दियत्तं... पाकाहेम ११०७५, पृ. १, पुण्यकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०७६, पृ. १, पुण्यकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. पाकाहेम ११०८६- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. पुण्यकुलक-(मा.गु.)अवचूरि मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०७५, पृ. १, पुण्यकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पुण्यकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः सम्पुण्णं इन्दियत्तं पाकाहेम ११०७६, पृ. १, पुण्यकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. पुण्यकुलक-(मा.गु.)अवचूरि मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०७५, पृ. १, पुण्यकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पुण्यकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः सम्पुण्णं इन्दियत्तं पाकाहेम ११०७६, पृ. १, पुण्यकुलक सस्तबक, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११. पुण्यपाल स्वप्नफल जुओ - हस्तिपालस्वप्नफल, संस्कृत, श्लोक५० पुण्यफलकुलक (पुण्यलाभकुलक?) आचार्य-जिनकीर्तिसूरि[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.१६, पाकाहेम ११०८३- पे.क्र. २, पृ. १, संयममञ्जरी आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पुण्यफलकुलक? जुओ - पुण्यलाभकुलक, आचार्य-जिनकीर्तिसूरि, प्राकृत, गा.१६ पुण्यलाभकुलक (पुण्यफलकुलक?) आचार्य-जिनकीर्तिसूरि[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.१६, 496 Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११०७३, पृ. १, पुण्यलाभकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण पुण्यलाभकुलक? जुओ - पुण्यफलकुलक, आचार्य-जिनकीर्तिसूरि, प्राकृत, गा.१६ पुण्यसारकथा सं., पद्य, श्लोक३१, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. १०, पृ. २९-३०, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पुण्यसारकथा पद्य मुनि-शुभशील, सं., पद्य, ग्रं.१३११, पाकाहेम १०१८२, पृ. २३, पुण्यसारकथा पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ पुण्यसारकथा साधर्मिकवात्सल्ये (साधर्मिकवात्सल्ये पुण्यसारकथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ५, पृ. २१-२५, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० पुद्गलपरावर्त प्रा., आदि वाक्यः इरियासमिया जाव परिट्ठावणिया समिया... भांता ७०- पे.क्र.८२, पृ. १०५B-१०६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१७५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पुद्गलपरावर्त प्रा., पद्य, आदि वाक्यः पोग्गल परियट्ठाविइ दव्वाई... भांता ७०- पे.क्र. १५६, पृ. २०५०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१८८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः उरालिविउव्वातेयकम्मभासाणुपाणमणगेहिं... पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १७, पृ. १७७-१७८, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ । पाकाहेम ११०३४- पे.क्र. १, पृ. १-३, पुद्गलपरावर्तस्वरूपप्रकरण सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १२३- पे.क्र. ११, पृ. २४A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ११०३४- पे.क्र. १, पृ. ३, पुद्गलपरावर्तस्वरूपप्रकरण सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण पुद्गलपरावर्तस्वरुपप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, 497 Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११०३४- पे.क्र. १, पृ. ३, पुद्गलपरावर्तस्वरूपप्रकरण सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण पुदगलपरावर्तस्वरूपविषयकप्रकीर्णगाथा सं., पद्य, पाकाहेम ११०३४- पे.क्र. २, पृ. १-३, पुद्गलपरावर्तस्वरूपप्रकरण सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण पुद्गलभङ्गयन्त्रविचार प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम ४६३१, पृ. ५, पुद्गलभङ्गयन्त्रविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पुरन्दरकथारास मालदेव, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३६७, पाकाहेम १०२४३, पृ. १३, पुरन्दरकथारास, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पुरन्दरराजकथा प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः कालम्मि अणाइए दोसेहिं वासिए जीवे... भांका ९०- पे.क्र. ४, पृ. २०B-२६B, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ पुरन्दरीदेवीकथा शीलविषये (शीलविषये पुरन्दरीदेवीकथा) प्रा., पद्य, गा.१०२, पातासंघवी १५७-१-पे.क्र.६, पृ. ५७-६९, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह सं., पद्य, पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. ४, पृ. ८४-९७, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- वर्णोत्पत्ति, वर्णाश्रम. डीवीडी-२९/४७ वताकांति ४३२-१, पृ. १२, पुराण श्लोक सङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम २७२१, पृ. १७, पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम २७२२, पृ. १८, पुराणगतश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ८७१५, पृ. ९, पुराणश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पुराणादिगतश्लोकसङ्ग्रह सं., पद्य, पाकाहेम १२७३- पे.क्र. १, पृ. १-३, पुराणादिगतश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ पुराणोक्तस्कन्दनामानि सं., पद्य, गा.७, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १४, पृ. १५९मुं, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रह (प्रबन्धसङ्ग्रह) सं.. पाकाहेम ३६८८, पृ. ३०, पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रह, वि-१५२८, संपूर्ण पुरुषस्त्रीलक्षण मारुगूर्जर, 498 Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८९१५, पृ. ३, पुरूष-स्त्री लक्षण - अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पुलाकोद्देशसङ्ग्रहणी जुओ - पञ्चनिर्ग्रन्थसङ्ग्रहणीप्रकरण, आचार्य-अभयदेवसूरि, प्राकृत, ग्रं.१३० पुलिन्द्रखण्ड जुओ - कादम्बरी-(सं.)कादम्बरीशेष, कवि-पुलिन्द्र भट्ट, संस्कृत पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोगाथा-पार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत (पार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत-पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोगाथा) प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहोव होऊण... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २५, पृ. १६३A-१६३०, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभ के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र-१०३-१०४., झेरोक्ष पत्र-६८-६९. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध* (सुविधिनाथजिनस्तवन) सं., पद्य, श्लोक२८, पाकाहेम ८२३०, पृ. १, पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३०, पृ. १, पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३०, पृ. १, पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पुष्पमालाप्रकरण (उपदेशमालाप्रकरण), (कुसुममाला) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, प्रा., पद्य, गा.५०५, आदि वाक्यः सिद्धमकम्ममविग्गहमकलङ्कमसङ्गमक्खयं धीरं।... पाताखेत १०, पृ. २४३, उपदेशमाला सह स्वोपज्ञ वृत्ति (भाग-१/?), प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- भावनायां ब्रह्मचर्ये श्रीस्थूलभद्रकथा गाथा-१८ थी गुरुकुलवासविषय गाथा ३२७ सुधी उपलब्ध छे. अन्तभाग अपूर्ण. ५७मुं पार्नु घटे छे. , झेरोक्ष पत्र १०२ न होवानु नोध १०३ पत्र उपर मळे छे. मूलपत्र २०९०-२१३A भागनुं झेरोक्ष नथी. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, उपदेशमाला, भवभावना, कर्मविपाकअपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. १४, पृ. १४५-१८६, उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र.३, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र.२, पृ. ४९-१०२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६४- पे.क्र.२, पृ. ६०-१२०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६५- पे.क्र.२, पृ. ५७-११४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२३-४६. 499 Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ ९० डीवीडी- ३६/५४ पातासंघवी २०२ - पे.क्र. १, पृ. १-५०, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. १ पृ. १-४७, पुष्पमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १२३-२- पे.क्र. १, पृ. १-३२ उपदेशमाला (पुष्पमाला) अने सङ्ग्रहणी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १-३नी कोरो खरी गई छे. पत्र बे (२) नो टुकडो नथी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. २, पृ. ३८-८४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९६-२- पे. क्र. १०, पृ. १४२-१८७, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०४-२- पे.क्र. २. पृ. १-१०३. योगशास्त्र चार प्रकाश आदि वि - १३२९, संपूर्ण ये नाम उपदेशमालाप्रकरण प्रत विशेष पेटांक-१मा ७३ अने २मां पत्र १०३ छे बन्ने मलीने कुल १७६ पत्रो छे. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ३९, पृ. ३९८, पुष्पमालाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४२५, संपूर्ण - प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र-१४०००. डीवीडी-५/१४ 7 पाताहे ११६ - पे. क्र. २. पृ. ५५-१११, उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण पे. नाम उपदेशमाला, पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-२५-४७. प्रत विशेष - पत्रांक- १६९ - १९६ नहीं हैं. कुल झे. पृष्ठ- ९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १, पृ. १-४२, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ५०५. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७- १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल हो. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२ - पे.क्र. ३, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे क्र. ५. पृ. ८८-१२१ दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ५०५. प्रत विशेष - प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. ६, पृ. १६५- १९६, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ " पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २७, पृ. ४९-५८, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र -५८.५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ - ९० पाकाहेम ७३९० पे.क्र. १ पृ. १३ पुष्पमालाप्रकरण आदि वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४ पाकाहेम १०६१०- पे. क्र. १ पृ. १ १३ पुष्पमालाप्रकरण आदि वि-१६मी संपूर्ण " पाकाहेम १४८७१, पृ. ९८, पुष्पमालाप्रकरणसटीक, वि- १५४९, संपूर्ण 500 Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-९९ पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, ग्रं.१५१२, पाकाहेम १४८७१, पृ. ९८, पुष्पमालाप्रकरणसटीक, वि-१५४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९९ पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.१३८६८, आदि वाक्यः येन प्रबोधपरिनिर्मितवाग्वरत्रां क्षिप्त्वोद्धृतानि भुवनानि भवान्धकूपात्... पाताखेत १०, पृ. २-४८, उपदेशमाला सह स्वोपज्ञ वृत्ति (भाग-१/?), प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- भावनायां ब्रह्मचर्ये श्रीस्थूलभद्रकथा गाथा-१८ थी गुरुकुलवासविषय गाथा ३२७ सुधी उपलब्ध छे. अन्तभाग अपूर्ण. ५७मुं पार्नु घटे छे. , झेरोक्ष पत्र १०२ न होवानु नोध १०३ पत्र उपर मळे छे. मूलपत्र २०९०-२१३A भागनुं झेरोक्ष नथी. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. ३, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १२, पृ. ३४८, पुष्पमाला (कुसुममाला) वृत्ति, वि-१३१३, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानाना टुकडा छे तेम सर्वथा पण नथी., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., गाथा-४१. डीवीडी-२१/४० पाताहेसं ३९, पृ. ३९८, पुष्पमालाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४२५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४०००. डीवीडी-५/१४ पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०७३३, पृ. ७, पुष्पमालाप्रकरणावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एख बाजुथी उंदरे करडेली छे. पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०७३३, पृ. ७, पुष्पमालाप्रकरणावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एख बाजुथी उंदरे करडेली छे. पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, ग्रं.१५१२, पाकाहेम १४८७१, पृ. ९८, पुष्पमालाप्रकरणसटीक, वि-१५४९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९९ पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.१३८६८, आदि वाक्यः येन प्रबोधपरिनिर्मितवाग्वस्त्रां क्षिप्त्वोद्धृतानि भुवनानि भवान्धकूपात्... पाताखेत १०, पृ. २-४८, उपदेशमाला सह स्वोपज्ञ वृत्ति (भाग-१/?), प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- भावनायां ब्रह्मचर्ये श्रीस्थूलभद्रकथा गाथा-१८ थी गुरुकुलवासविषय गाथा ३२७ सुधी उपलब्ध छे. अन्तभाग अपूर्ण. ५७मुं पार्नु घटे छे. , झेरोक्ष पत्र १०२ न होवानु नोध १०३ पत्र उपर मळे छे. मूलपत्र २०९०-२१३A भागनुं झेरोक्ष नथी. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-६१/६३ 501 Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. ३, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १२, पृ. ३४८, पुष्पमाला (कुसुममाला) वृत्ति, वि-१३१३, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानाना टुकडा छे तेम सर्वथा पण नथी., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., गाथा-४१. डीवीडी-२१/४० पाताहेसं ३९, पृ. ३९८, पुष्पमालाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४२५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४०००. डीवीडी-५/१४ पुष्पवतीचरित्र अभयदेवसूरि-शिष्य, प्रा., पद्य, गा.६४३, आदि वाक्यः मुत्तममुत्तं सुद्धं सन्तमसन्तं च सुगमगइयं च... पातासंघवी २०५-१-पे.क्र. १, पृ. ४३, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१, डीवीडी-३८/५५ पूजा उपर देवत्वे स्थविराकथा जुओ - देवत्वे स्थविराकथा (जिनपूजा उपर), संस्कृत, श्लोक८२ पूजाधिकारे गुणवर्मकथा जुओ - गुणवर्माचरित्र, आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८०८ पूजाप्रक्रम जुओ - सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत,प्राकृत पूजायां देवपालकथा जुओ - देवपालकथा पूजायाम्, पूजाविधान जुओ - जिनपूजाधुपदेश (रत्नचूडादिकथा), आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.३५०० पूजाष्टक (अष्टप्रकारी पूजा) सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्य: कास्मीरेमलयोद्भवैर्मृगमदेः कर्पूरपूरैः परै... वताकांति ४२८- पे.क्र. १, पृ. ८७-८९, पूजाष्टक, नवग्रहाह्ह्वान स्तोत्र व महाभयहर स्तोत्र, संपूर्ण पे. नाम- पूजाष्टकवृत्तानि, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-२३. प्रत विशेष- पत्रांक-८७-९४. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९७/९८ पूजाष्टक अनन्तनाथचरित्रोद्धृत जुओ - अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.१८७०, गा.१५२५ पूर्णिमा पाक्षिक बुद्धिसूरिस्तुति# (बुद्धिसूरिस्तुति पूर्णिमा पाक्षिक) अप., पद्य, वताकांति ४३७- पे.क्र.२, पृ. ?, पूजाष्टक, पूर्णिमापाक्षिक बुद्धिसूरि स्तुति अपभ्रंश, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पूर्वाचार्यप्रबन्धसङ्ग्रह (प्रबन्धसङ्ग्रह) सं., कृ.विः वर्धमानसूरि१, जिनेश्वरसूरि२, अभयदेवसूरि२, अभयदेवसूरि३, जिनवल्लभसूरि४, जिनदत्तसूरि५, जिनचन्द्रसूरि६, जिनपतिसूरि७, जिनेश्वरसूरि८, जिनसिंहसूरि९ अने जिनप्रभसूरि १० ना प्रबन्धो छे. पाकाहेम ७९९७, पृ. ८, पूर्वाचार्यप्रबन्धसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पृथ्वीकायादिविचार सप्रपञ्च जुओ - पृथ्वीकायादिविचारगाथा, प्राकृत, गा.२५ पृथ्वीकायादिविचारगाथा (पृथ्वीकायादिविचार सप्रपञ्च) प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः पुढवीकाउतिविहो सच्चित्तोमीसउय अच्चित्तो... भांता ७०- पे.क्र. १५८, पृ. २०८A-२०९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 502 Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पृथ्वीचन्द्रकुमाररास मुनि-देवचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६९६, गा.१७४, पाकाहेम ५९७०, पृ. १२, पृथ्वीचन्द्रकुमाररास, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०२३५, पृ. १२, पृथ्वीचन्द्रकुमाररास, वि-१७५६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पृथ्वीचन्द्रराजर्षिचरित्र उपाध्याय-जयसागर वाचनाचार्य[खरतरगच्छ], गुरु-आचार्य-जिनराजसूरि[खरतरगच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५०३अध्याय११, ग्रं.२६५४, आदि वाक्यः श्रीवीरचरणाम्भोज श्रयामि श्रीनिकेतनम्... पुप्रे ४२८, पृ. १९९, पृथ्वीचन्द्रचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- विमलकीर्ति गणि के द्वारा लिखी गयी प्रत. अन्त में ग्रन्थाग्र ३२६४ का भी उल्लेख मिलता है. कुल झे.पृष्ठ-१९९ पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध युगादिजिनस्तवन जुओ - युगादिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध#, आचार्य-सोमतिलकसूरि, संस्कृत, का.३२ पैंसठ द्वार मार्गणास्थानकगत जीवस्थानविवरण प्रा., पद्य, आदि वाक्यः विप्फरियविमलकेवल निन्नासिय... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १९, पृ. १२४-?, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-७ तक मिलती है. यह कृति झेरोक्ष पत्र ३६ पर है. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पोलवालसङ्घप्रशस्ति सं., पद्य, आदि वाक्यः ...पोलवालः कनकगिरि महाकल्पवृक्षः... पाताहेसं ५७- पे.क्र.५, पृ. १६६आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- परचूरन अन्य दूसरे भी संबंधित श्लोक है. झेरोक्ष पत्र-१६५-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ पोसहविधिप्रकरण (पौषधविधिप्रकरण) आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी[हर्षपुरगच्छीय], प्रा., पद्य, गा.११८, पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. ७, पृ. १५०-१६५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पौषधग्रहणविधि प्रा., आदि वाक्यः मुंहपोत्तिं पडिलहेऊण खमा इच्छाकारेण सन्दिसह पोसहु सन्दिसावह... कृ.विः अंतिमवाक्य-तस्स भन्ते पडिक्कमामि गरहामि अप्पाणं वोसिरामि. भांता ७०- पे.क्र. ४२, पृ. ४७A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 503 Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पौषधविधिप्रकरण जुओ - पोसहविधिप्रकरण, आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी, प्राकृत, गा.११८ पौषधविधिप्रकरण गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, पाकाहेम २६०१, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण सह टीका, वि-१६५५, संपूर्ण प्रत विशेष- सं १६६५मां युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिना राज्यमां श्री जयसोममहोपाध्यायना शिष्य वाचक गुणविनय गणिए शोधेली प्रति. अतिशुद्ध. कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम ६७४५, पृ. ५०, पौषधविधिप्रकरण सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७-१८ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १३९६४, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण वृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पौषधविधिप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६१७, ग्रं.३५५५, पाकाहेम २६०१, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण सह टीका, वि-१६५५, संपूर्ण प्रत विशेष- सं १६६५मां युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिना राज्यमां श्री जयसोममहोपाध्यायना शिष्य वाचक गुणविनय गणिए शोधेली प्रति. अतिशुद्ध. कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम ६७४५, पृ. ५०, पौषधविधिप्रकरण सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७-१८ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-५० पौषधविधिप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६१७, ग्रं.३५५५, पाकाहेम १३९६४, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण वृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पौषधविधिप्रकरण प्रा., पद्य, आदि वाक्यः क्षमाश्रमणं दत्वा इच्छाकारेण सन्दिसह भगवन्... भांता ७२- पे.क्र. १२, पृ. ७१B-७३B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पौषधविधिप्रकरण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, गा.९२, आदि वाक्यः सव्वविरएहिं जे हिंसावज्जं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २०, पृ. २१-२५, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. विशेष- उपधान पौषधविधि सहित. कुल झे.पृष्ठ-३५ पौषधविधिप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६१७, ग्रं.३५५५, पाकाहेम २६०१, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण सह टीका, वि-१६५५, संपूर्ण 504 Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ-६९ पाकाहेम ६७४५, पृ. ५०, पौषधविधिप्रकरण सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १७ - १८ भेगां छे. कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सं १६६५मां युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिना राज्यमां श्री जयसोममहोपाध्यायना शिष्य वाचक गुणविनय गणिए शोधेली प्रति अतिशुद्ध. पौषधविधिप्रकरण- (सं.) टीका कुल झ. पृष्ठ-५० सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६१७, ग्रं. ३५५५, पाकाहेम १३९६४, पृ. ६८, पौषधविधिप्रकरण वृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ४६ पौषधसामायिकपारणविधि जुओ सामायिकपौषधपारणविधि, संस्कृत पौषधसामायिकफलकुलक जुओ सामायिकपौषधफलकुलक, आचार्य धर्मघोषसूरि प्राकृत, गा.१६ पौषधाश्रितविचार प्रा. सं., पद्य, आदि वाक्यः सव्वेवि खलु गिहत्था परप्पवादीय वेस विरयाय... भांता ७० पे. क्र. ४४, पृ. ४८-४९A अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी आचार्य तिलकसुरि, प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः पोसहिओ न करेइ आवसिअं वा निसीहियं वा वि.... पाताहेसं १७३- पे.क्र. ४ पृ. १५१-१६१ जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी - ९ / १९ पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी- (सं.) वृत्ति प्रकरण सङ्ग्रह प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. ३ -१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A- २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्य - तिलकसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १७३- पे.क्र. ५, पृ. १६१ - १६३, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी- (सं.) वृत्ति आचार्य तिलकसुरि, सं. गद्य, "" पाताहेसं १७३- पे.क्र. ५, पृ. १६१ - १६३, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-२/१९ प्रकरण सङ्ग्रह बताकांति ४००-१, पृ. १२३ प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण " प्रत विशेष मूलपत्र १३४ थी १४९ सुधी बीजी प्रतना कुल १६ पत्र वधाराना छे झेरोक्ष पत्र ३३ बेवडाएल छे. डीवीडी - २७/९८ प्रा. सं., पद्य, ४६००, पातासंघवी ११८-१, पृ. १९३ प्रकरणसङ्ग्रह वि-१२९२, संपूर्ण प्रत विशेष- आ संग्रहमां नाना मोटां विमलस्तव, योगशास्त्र, थिरावली, उपदेशमाला, दर्शनसप्तति, आत्मानुशासन, जीवानुशासन आदि ६३ प्रकरणो छे. पत्रोना अंको बरोबर न होवाथी नागवार लखी शक्या नथी. (अक्षरांक परिचय) डीवीडी-३४/५२ प्रकाश टीका जुओ - वाक्यपदीय - ( सं .) प्रकाश टीका, अज्ञात हेलाराज, संस्कृत 505 Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रकाशिकावृत्ति जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण- (सं.) बृहद्वृत्ति, आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत ग्रं. २५०० · प्रकाशिका व्याख्या जुओ तर्कपरिभाषा - (सं.) प्रकाशिकाव्याख्या, जैनेतर चिनिभट्ट, संस्कृत ग्रं. २७२० प्रकीर्ण श्लोक (श्लोक सङ्ग्रह) सं., पद्य, , पाकाहेम ७८५७- पे.क्र. १ पृ. १-३ प्रकीर्णकश्लोक आदि वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ प्रकीर्णक अनेक शास्त्रीय विचार सग्रह (शास्त्रीय विचार सङ्ग्रह ) प्रा., गद्य, तालाद ३३३, पृ. १५५, प्रकीर्णक अनेक शास्त्रीय विचार सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७४, डीवीडी-९४/९६ प्रकीर्णक कथाओ (कथा सङ्ग्रह ). ( कथाओ ) सं.. पाकाहेम ८१३१, पृ. १, प्रकीर्णकथाओ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २ प्रकीर्णस्तुति श्लोकसङ्ग्रह सं., पद्य, श्लोकए. पाकाहेम १२३४२ पृ. १ प्रकीर्णकस्तुति श्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रकृतिबन्ध पाकाहेग १३६९८- पे. क्र. २. पृ. 2 गुणस्थानकक्रमारोह स्वोपज्ञटीकासह आदि, वि-१७६७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१५ प्रक्रियाकौमुदी रामचन्द्राचार्य, सं... पाकाहेम १०२८५, पृ. १६३, प्रक्रियाकौमुदी, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १६३ प्रज्ञापनागत-वनस्पतिविचार जुओ वनस्पतिविचार-प्रज्ञापनागत, प्राकृत प्रज्ञापनातृतीयपदसङ्ग्रहणी (पन्नवणातृतीयपदसङ्ग्रहणी) आचार्य अभयदेवसूरि, प्रा. पद्य, गा. १३३. " पातासंघवी ६२-२- पे. क्र. २४, पृ. १६० - १६२, सामाचारी आदि, संपूर्ण - प्रत विशेष - अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२ डीवीडी - ३०/४९ प्रज्ञापनासूत्र (प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र), (पत्रवणा). (पण्णवणासूत्र ) ( पण्णवणा भगवती ) आचार्य-श्यामाचार्य, प्रा., गद्यअध्याय ३६प्रज्, ग्रं. ७८८७, आदि वाक्यः (१) नमो अरिहन्ताणं । नमो सिद्धाणं...(२) ववगयजरमरणभए सिद्धे अभिवन्दिऊण तिविहेण । ... कृ.विः प्रज्ञापना- ३६. पाकाहेम १००१५ पृ. १४१, प्रज्ञापनाउपागसूत्र, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र १२३मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- १४२ पाकाहेम १०३६६, पृ. १६३, प्रज्ञापनोपाद्ङ्गसूत्र, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६३ पाकाहेम १०५५०, पृ. २१३ प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-७८८०. पाकाभाभा २७, पृ. १४२, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र, वि - १७वी, संपूर्ण पुप्रे ४०५, पृ. ५९०, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय व प्रदेश टीका, संपूर्ण 506 Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रज्ञापनोपाङ्गनी उपयोगी नोन्ध. प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. कुल झे.पृष्ठ-५९० प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१६०००, आदि वाक्यः जयति नमदमरमकुटप्रतिबिम्बच्छद्मविहितबहुरूपः। पातासंघवीजीर्ण २३, पृ. १, प्रज्ञापनावृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- पेज मां टुकडा छे. दरेक पानानां टुकडा छे.-नकामी डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम १००१६, पृ. २४७, प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेधुं चित्र छे. पत्र २६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४८ पुप्रे ४०५, पृ. ५९०, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय व प्रदेश टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रज्ञापनोपाङ्गनी उपयोगी नोन्ध. प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. कुल झे.पृष्ठ-५९० प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)लघुवृत्ति (प्रदेशव्याख्या) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३९३८, भांता ६५, पृ. ९४, प्रज्ञापनासूत्र टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२२१., ता.पत्र- १-७ आडा अवळा छे. डीवीडी-७२/८२ पुप्रे ४०५, पृ. ५९०, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय व प्रदेश टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रज्ञापनोपाङगनी उपयोगी नोन्ध. प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. कुल झे.पृष्ठ-५९० प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.८, पृ. ६-७, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २८, पृ. ७६-७८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ प्रज्ञापनातृतीयपदसङ्ग्रहणी (पन्नवणातृतीयपदसङ्ग्रहणी) आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१३३, पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २४, पृ. १६०-१६२, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.८, पृ. ६-७, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २८, पृ. ७६-७८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१६०००, आदि वाक्यः जयति नमदमरमकुटप्रतिबिम्बच्छद्मविहितबहुरूपः। पातासंघवीजीर्ण २३, पृ. १, प्रज्ञापनावृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- पेज मां टुकडा छे. दरेक पानानां टुकडा छे.-नकामी डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम १००१६, पृ. २४७, प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण 507 Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणना जेधुं चित्र छे. पत्र २६मुं डबल छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-२४८ पुप्रे ४०५, पृ. ५९०, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय व प्रदेश टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रज्ञापनोपाङ्गनी उपयोगी नोन्ध. प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. कुल झे.पृष्ठ-५९० प्रज्ञापनासूत्र-(सं.)लघुवृत्ति (प्रदेशव्याख्या) आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३९३८, भांता ६५, पृ. ९४, प्रज्ञापनासूत्र टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२२१., ता.पत्र- १-७ आडा अवळा छे. __ डीवीडी-७२/८२ पुप्रे ४०५, पृ. ५९०, प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र सह मलयगिरीय व प्रदेश टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रज्ञापनोपाङ्गनी उपयोगी नोन्ध. प्रारंभिक ११ पत्र अलग से है. कुल झे.पृष्ठ-५९० प्रज्ञापनोपाङ्गसूत्र जुओ - प्रज्ञापनासूत्र, आचार्य-श्यामाचार्य, प्राकृत, ग्रं.७८८७ प्रज्ञाप्रकाशषट्त्रिंशिका मुनि-यशस्वीगणि-शिष्य[लुकागच्छ], सं., पद्य, श्लोक३७, आदि वाक्यः प्रज्ञाप्रकाशाय नवीनपाठी श्रीमारुदेवं वृषभं प्रणम्य... भांका १८३, पृ. २, प्रज्ञाप्रकाशषट्त्रिंशका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८७ प्रणष्टलाभ आदि ज्योतिष (निमित्तशास्त्र) प्रा., पद्य, गा.२९, आदि वाक्यः सिद्धे सत्ताण हिए सुपइट्ठियसासणे जिणे नमिउं... पातासंघवी ६०-३- पे.क्र. २, पृ. १२५०-१२९A, मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-३०/४८ प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यानादि विविध धार्मिक विचारसग्रह प्रा., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ५७- पे.क्र.५, पृ.?, श्रावक बार व्रत ग्रहण आदि, संपूर्ण पे. नाम- धार्मिक विविध विचारसंग्रह, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-६-२२., विविध परचूरण धार्मिक कृतियां. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-५७/६० प्रतिक्रमणगर्भहेतु (हेतुगर्भप्रतिक्रमणविधि) गणि-जयचन्द्रगणि, सं., पाकाहेम १५०६८, पृ. ११, हेतुगर्भप्रतिक्रमणविधि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ प्रतिक्रमणगर्भहेतु सं.. पाकाहेम १०७३५, पृ. ६, प्रतिक्रमणगर्भहेतु - अपूर्ण, वि-१५मी, अपूर्ण प्रतिक्रमणफल सज्झाय पण्डित-सुमतिकुशल[तपागच्छ], मारुगूर्जर, पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः वीरजिनवर पासे पूछे गणधरूं... पाकाभाभा ६२८- पे.क्र. ३, पृ. ५-६, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ प्रतिक्रमणसूत्र जुओ - पगामसज्झाय, प्राकृत, ग्रं.५० प्रतिक्रमणसूत्र-श्रावक जुओ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, प्राकृत, गा.५० प्रतिक्रमणसूत्रसङ्ग्रह प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः आयरिय उवज्झाए सीसे साहमिए कुलगणेय... पाताहेसं ११९- पे.क्र. १४, पृ. १६५-१७४, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण 508 Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- प्रतिक्रमणसूत्र चैत्यवन्दनादि संग्रह प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ अताका ४९७- पे.क्र. १०, पृ. १६६B-१७३A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. नाम- सामायिकसूत्र, वंदित्तु, आयरिय-उवज्झाय व नाणंमिसूत्र प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ प्रतिलेखनाकुलक जुओ - पडिलेहणाकुलक, आचार्य-जिनवर्धनसूरि, प्राकृत, गा.३६ प्रतिलेखनागाथा (पडिलेहणागाहा) प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः आसाढे मासे दुपया पोसे मासे चउप्पया... कृ.विः अं.वाक्य-अट्ठाइयदिवसेहिं चडइ पडइ अंगुलं एक्कं आसाढाओ पोसो पोसाओ जाव आसाढो. भांता ७०- पे.क्र. ११५, पृ. १५१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रतिलेखनाविचारकुलक जुओ - पडिलेहणाकुलक, गणि-विजयविमल गणि, प्राकृत, गा.३४ प्रतिष्ठा विधि जुओ - आचार्यप्रतिष्ठा विधि, प्राकृत, गा.२३ प्रतिष्ठालक्षण-प्रतिष्ठाविधि (प्रतिष्ठाविधि प्रतिष्ठालक्षण) सं.. पाकाहेम १०३४७, पृ. २, प्रतिष्ठालक्षण प्रतिष्ठाविधि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ प्रतिष्ठाविचार सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि श्रावकेणैव प्रतिष्टा विधेयो... भांता ७०- पे.क्र. ५९, पृ.७३B-७८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ___ कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रतिष्ठाविधि , सं.,प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ५८-३- पे.क्र. १, पृ. १-१४, प्रतिष्ठविधि व नन्द्यावर्तविधान, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-५७/६० प्रतिष्ठाविधि प्रतिष्ठालक्षण जुओ - प्रतिष्ठालक्षण-प्रतिष्ठाविधि, संस्कृत प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट (दीधिति परिशिष्ट) जैनेतर-गुणानन्द भट्टाचार्य, सं., कृ.विः गंगेश्वराचार्यकृत तत्त्वचिन्तामणि का हिस्सा प्रत्यक्षखंड की दीधितिटीका का गुणानन्द भट्टाचार्यकृत परिशिष्ट है. पाकाहेम ५०८६, पृ. ८६, प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट, वि-१८३३, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३५मुं अने ६१मुं नथी कुल झे.पृष्ठ-५७ प्रत्याख्यान जुओ - सागारप्रत्याख्यान, प्राकृत, गा.५ प्रत्याख्यान विधि जुओ - सागारप्रत्याख्यान विधि, प्राकृत, गा.९ 509 Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत्याख्यानकुलक जुओ - प्रत्याख्यानगाथा, प्राकृत, गा.३२ प्रत्याख्यानगाथा (प्रत्याख्यानकुलक), (पच्चक्खाणकुलग) प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः आहारा आगारा विगई दव्वाइ विहि विसुद्धिए... भांता ७०- पे.क्र. ९, पृ. ११B-१३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रत्याख्यानचतुस्सप्ततिका समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, गा.७४, पाकाहेम १०७९८, पृ. ५, प्रत्याख्यानचतुःसप्ततिका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय प्रत्याख्यानपदपर्यायमञ्जरी आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९४४- पे.क्र. ३, पृ.?, चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि, वि-१५०१, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ प्रत्याख्यानप्रकीर्णक जुओ - महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.१४३ प्रत्याख्यानफलकुलक मुनि-विजयदानसूरिशिष्य, प्रा., पद्य, गा.७, पाकाहेम ७७९०- पे.क्र. १, पृ. १, प्रत्याख्यानफलकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ प्रत्याख्यानभाष्य (पच्चक्खाण भाष्य) प्रा., पद्य, गा.५७, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. २, पृ. ६-११, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १५८१९, पृ. ४, पच्चक्खाणभाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्ता देवेन्द्रसूरिथी अन्य कुल झे.पृष्ठ-४ प्रत्याख्यानभाष्य (पच्चक्खाण भाष्य) प्रा., पद्य, गा.३९. पातासंघवी २०२- पे.क्र. ११, पृ. २५३-२५७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ प्रत्याख्यानभाष्य (पच्चक्खाण भाष्य) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.४८, आदि वाक्यः सदपच्चक्खाण चउविहि आहार दुवीस... भांका १४८- पे.क्र. ३, पृ. १२A-१६B, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- प्रत्याख्यानभाष्य सह अवचूर्णि, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५. सूचीपत्रांक-१-१२६२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ प्रत्याख्यानभाष्य-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः अथ प्रत्याख्यानभाष्ये प्रथमां द्वारगाथामाह।... भांका १४८ - पे.क्र. ३, पृ. १६, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- प्रत्याख्यानभाष्य सह अवचूर्णि, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५. सूचीपत्रांक-१-१२६२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ 510 Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २२४- पे.क्र. ३, पृ. ११A-१६B, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२६५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५, १-१३०८, १-१२६५. डीवीडी-८८ प्रत्याख्यानभाष्य प्रा., पद्य, गा.४५, पाताखेत १२- पे.क्र. २७, पृ. २६७-२७१, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ प्रत्याख्यानभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०४३७, पृ. ३, प्रत्याख्यानभाष्य अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ प्रत्याख्यानभाष्य-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि तपागच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः अथ प्रत्याख्यानभाष्ये प्रथमां द्वारगाथामाह।... भांका १४८- पे.क्र.३, पृ. १६, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- प्रत्याख्यानभाष्य सह अवचूर्णि, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५. सूचीपत्रांक-१-१२६२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ भांका २२४- पे.क्र. ३, पृ. ११-१६०, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२६५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५, १-१३०८, १-१२६५. डीवीडी-८८ प्रत्याख्यानसूत्र प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रथमं गुरोद्वादशावर्त वन्दनद्रव्यादिषु... पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ६, पृ. १००-१०३, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- आराधनापताका कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ प्रत्याख्यानागार मारुगूर्जर, पाकाहेम १२२२०- पे.क्र. १, पृ. १, प्रत्याख्यानागार, चोरासी गच्छना नाम तथा ऋषभदेवस्तोत्राष्टक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ प्रत्येकबुद्धकथा प्रा., पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. २, पृ. १-४६, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ पाताहेसं १८५- पे.क्र. १, पृ. १-२२, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ प्रत्येकबुद्धचरित्र अप., ग्रं.२१४, आदि वाक्यः इह जिणुसासणि भवदुहनासणि अक्खं सुणहु पत्तेअकह... पाताखेत ३२-१- पे.क्र.५, पृ. ३७-५४, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ 511 Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम आश्रवद्वार कुलक आचार्य - विनयदेवसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.९२, पाकाहेम १६११६- पे. क्र. १ पृ. १-२ प्रथमआश्रवद्वारकुलक आदि वि-१८मी, संपूर्ण प्रथमकालग्रहणविधि ( पढमकालग्रहणविधि ), ( ग्रहणविधि) प्रा. पद्य, गा८४ आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं नमितं विन्नाय समत्थवत्थुपरमत्थं ... कृ.विः अन्तिमवाक्य- एए सामन्नयरे... मिच्छत्तविराहणं पावे.. भांता ७०- पे.क्र. १९, पृ. २२B - २७A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. ३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल- ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ- ७६, डीवीडी-७२/८२ प्रदीप टीका जुओ कातन्त्रव्याकरण - (सं.) पञ्जिकानी (सं.) प्रदीप टीका, पण्डित- देशल, संस्कृत प्रदीपारात्रिकप्रक्रम जुओ सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्थिकाप्रक्रम, संस्कृत, प्राकृत प्रदेशी कथा प्रा., प्रदीपिका टीका जुओ - आचाराङ्गसूत्र - (सं.) दीपिका टीका, आचार्य - जिनहंससूरि, संस्कृत ग्रं. १०५०० प्रदेशव्याख्या जुओ प्रज्ञापनासूत्र - ( सं .) लघुवृत्ति, आचार्य हरिभद्रसूरि संस्कृत ग्रं. ३९३८ प्रदेशव्याख्या टिप्पणक जुओ आवश्यकसूत्रना (सं.) शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.) प्रदेशव्याख्या टिप्पण, आचार्य हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत ग्रं. ४६४० 1 - कृति उपरथी प्रत माहिती प्रदेशीचरित (प्रदेशीनृप चरित्र) - पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. ३. पृ. १५५, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण प्रत विशेष - अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ प्रद्युम्न साम्यचरित्र प्रा., पद्य, गा.२०२, पाताहेसं १८५ पे. क्र. ३. पृ. ४९-६२. कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी - १०/१९ प्रदेशीनृप चरित्र जुओ प्रदेशीचरित प्राकृत, गा. २०२ प्रदेश नृपचरित - प्रद्युम्नचरित्र पद्य, वताकांति ४०२ पे क्र. २ पृ. २३-२४ आतुरप्रत्याख्यान विवरण व प्रदेशीनृपचरित, संपूर्ण डीवीडी- ९७/९८ प्रा. पथ, गा८४९, आदि वाक्यः नमिरसुरासुरमणिमउडकोडिमसिणियपायारविन्दस्स..... पाताहेसं १८५- पे.क्र. ११, पृ. १५३-२००, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी - १०/१९ प्रद्युम्नचरित्र श्लोकबद्ध प्रा., गद्य, पातासंघवी ९९- पे.क्र. ५, पृ. १०७-१३४, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि - १३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १०७-१०८ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ 512 Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-रविसागर, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६४५, श्लोक७२००, पाकाहेम १७१६, पृ. ३३६, प्रद्युम्नचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१६४५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०९ प्रबन्धचिन्तामणि जुओ - चतुर्विंशतिप्रबन्ध, आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि, संस्कृत प्रबन्धचिन्तामणी जुओ - चतुर्विंशतिप्रबन्ध, आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि, संस्कृत प्रबन्धसङ्ग्रह जुओ - पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रह, संस्कृत प्रबन्धसङ्ग्रह जुओ - पूर्वाचार्यप्रबन्धसङ्ग्रह, संस्कृत प्रबोधचन्द्रोदयनाटक जैनेतर-कृष्णमिश्र, प्रा., पातासंघवी १७३-२, पृ. १५६, प्रबोधचन्द्रोदयनाटक, संपूर्ण प्रत विशेष- पहेलुं ने छेल्लुं पार्नु त्रुटक ने चोंटेलां छे. डीवीडी-३६/५४ प्रबोधचिन्तामणि आचार्य-जयशेखरसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९७६, पाकाहेम १६५४२, पृ. ३४, प्रबोधचिन्तामणि, वि-१७३०, संपूर्ण प्रबोधसार पण्डित-यशोकीर्ति, सं., पद्य, ग्रं.५७८, आदि वाक्यः अकारादि णकारान्तान्... भांका १६७, पृ. २६, प्रबोधसार, संपूर्ण प्रत विशेष- ५ मुं पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-१३, डीवीडी-८६ प्रभातकुलक (प्रभातकुलकस्तोत्र), (वीतरागस्तवन) सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः प्रातरेव समुत्थाय तीर्थनाथ मुखं तव।... पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ११, पृ. ७३-७४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ प्रभातकुलकस्तोत्र जुओ - प्रभातकुलक, संस्कृत, श्लोक१३ प्रभातप्रबोधकुलक जुओ - श्रावकधर्मकुलक, प्राकृत, गा.२१ प्रभातस्मरण प्रा., पद्य, गा.०३, आदि वाक्यः कम्मभूमिहिं पढम सङ्घयणि... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २४, पृ. ३८, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० प्रभातिक जीवानुशासन जुओ - प्राभातिक जीवानुशासन, आचार्य-वादिदेवसूरि, प्राकृत, गा.२३ प्रभातिक स्तुति जुओ - प्राभातिक स्तुति, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.९ प्रभातिकाष्टक सं., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः सर्वज्ञ सर्वहित सर्वद सर्वदर्शिन्... पातासंघवी १६६- पे.क्र. २, पृ. ५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ प्रभावकचरित्र आचार्य-प्रभाचन्द्रसूरि, सं.. पाताहेसं १६९, पृ. १४३, प्रभावकचरित्र (कागळ), संपूर्ण डीवीडी-९/१८ प्रमाणकलिकासूत्र 513 Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-शान्तिसूरि, सं., पद्य, श्लोक५७, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणकलिकासूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणकलिकासूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ५, पृ. ११५-१३३, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ भांता ५६, पृ. १००, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ६६८९, पृ. १८२, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५०००. कुल झे.पृष्ठ-१८२ पाकाहेम ८७५४, पृ. ४४, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह, वि-१४९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४५ भांका १२६, पृ. ६, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार, संपूर्ण डीवीडी-८५ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति (स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति) आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७२८४, पातासंघवी २१, पृ. ३११, स्याद्वादरत्नाकर प्रथम खण्ड, वि-१४७६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- २९६, २९७, २९९, ३०१, ३०६, ३०९ ना टुकडा छे. २९२, २९५, ३०४ नथी., माईक्रोफिल्म माहिती आपेली नथी. डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ४६, पृ. ३४१, स्याद्वादरत्नाकर पञ्चम, षष्ठादि परिच्छेद, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमा ८५ पत्र क्रमांक लख्यो नथी. तेमज घणे ठेकाणे पत्रो लखवानां छे. डीवीडी-२७/४६ भांता ५६, पृ. १००, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २४५६, पृ. २८३, स्याद्वादरत्नाकर-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारटीका खण्ड-२, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १६१-१६२नथी. कुल झे.पृष्ठ-२७८ पाकाहेम ६६८९, पृ. १८२, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण 514 Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थान-१५०००. कुल झे.पृष्ठ-१८२ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)रत्नाकरावतारिका टीका (रत्नाकरावतारिका टीका), (स्याद्वादरत्नाकरावतारिका टीका) आचार्य-रत्नप्रभसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, तालाद ३२७, पृ. ३०९, स्याद्वादरत्नाकरावतारिका, वि-१५मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ८७५४, पृ. ४४, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह, वि-१४९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे. रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणक (रत्नाकरावतारिका-(सं.)वृत्ति) मुनि-ज्ञानचन्द्र, सं., गद्य, ग्रं.२१०४, पाकाहेम २४५७, पृ. ४६, रत्नाकरावतारिकावृत्ति टिप्पनकप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसत्क, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम ६६९०, पृ. ३२, रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे. प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति (स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति) आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७२८४, पातासंघवी २१, पृ. ३११, स्याद्वादरत्नाकर प्रथम खण्ड, वि-१४७६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- २९६, २९७, २९९, ३०१,३०६, ३०९ ना टुकडा छे. २९२, २९५, ३०४ नथी., माईक्रोफिल्म माहिती आपेली नथी. डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ४६, पृ. ३४१, स्याद्वादरत्नाकर पञ्चम, षष्ठादि परिच्छेद, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमा ८५ पत्र क्रमांक लख्यो नथी. तेमज घणे ठेकाणे पत्रो लखवानां छे. डीवीडी-२७/४६ भांता ५६, पृ. १००, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २४५६, पृ. २८३, स्याद्वादरत्नाकर-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारटीका खण्ड-२, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १६१-१६२नथी. कुल झे.पृष्ठ-२७८ पाकाहेम ६६८९, पृ. १८२, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५०००. कुल झे.पृष्ठ-१८२ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)रत्नाकरावतारिका टीका (रत्नाकरावतारिका टीका), (स्याद्वादरत्नाकरावतारिका टीका) आचार्य-रत्नप्रभसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, 515 Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३२७, पृ. ३०९, स्याद्वादरत्नाकरावतारिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ८७५४, पृ. ४४, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह, वि-१४९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे. ____ कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भीजायेली अने उंदरे करडेली छे. रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणक (रत्नाकरावतारिका-(सं.)वृत्ति) मुनि-ज्ञानचन्द्र, सं., गद्य, ग्रं.२१०४, पाकाहेम २४५७, पृ. ४६, रत्नाकरावतारिकावृत्ति टिप्पनकप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसत्क, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम ६६९०, पृ. ३२, रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे. प्रमाणप्रकाश आचार्य-देवभद्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक८२, आदि वाक्यः सन्न्यायनगरारम्भमूलसूत्रसनाभयः... पाताखेत ५४-१- पे.क्र. ४, पृ. १००-११०, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण पे. नाम- प्रमाणप्रकाश- प्रत्यक्ष प्रकाश-१, पे. विशेष- अपूर्ण. परिच्छेद-२ की प्रारंभिक २ श्लोक तथा प्रारंभ से क्रमशः ८२ श्लोक तक है. प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ प्रमाणप्रमेयकलिका आचार्य-नरेन्द्रसेन, सं., गद्य, आदि वाक्यः ननु भवतां प्रमाणशास्त्रे भवतां वैदुष्यमार्फाते... भांका २९२- पे.क्र. १, पृ. १B-६B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- प्रमाणप्रमेकलिका कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ प्रमाणमञ्जरी-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ६६६९, पृ. १२, प्रमाणमञ्जरीटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ प्रमाणमीमांसा आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., तालाद ३३६- पे.क्र. १, पृ. १-१०८, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ८९ नंबर- पार्नु नथी. ___ कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ प्रमाणमीमांसोद्धार सं., पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २२, पृ. १५०-१५४, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. 516 Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ प्रमाणमीमांसोद्धार पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २२, पृ. १५०-१५४, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ प्रमाणरत्नमाला-(सं.)टीका यति-अनुभूतस्वरुप, सं., गद्य, पाकाहेम ६८०९, पृ. २४, प्रमाणरत्नमालाटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ प्रमाणवार्तिकसूत्र (वार्तिकसूत्र) आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, सं., आदि वाक्यः (१) नमो हितार्थसम्प्राप्त्यै... (२) हिताहितार्थ सम्प्राप्त्यै... पाताखेत २६, पृ. २६७, वार्तिकवृत्ति, संपूर्ण पातासंघवी १५४-१- पे.क्र. १, पृ. १-६, वार्तिकसूत्र/वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १८७-१- पे.क्र. १, पृ. १-३, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाभाभा ५३, पृ. ४०, प्रमाणवार्तिक स्वोपज्ञवृत्ति सह प्रथम परिच्छेद, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति (विचारकलिका वृत्ति), (वार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति विचारकलिका) आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमः स्वतः प्रमाणाय वचः प्रामाण्यहेतवे... पाताखेत २६, पृ. १, वार्तिकवृत्ति, संपूर्ण पातासंघवी १५४-१- पे.क्र.२, पृ. ७-१८४, वार्तिकसूत्र/वृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष- केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे. तेमज पानाना टुकडा थई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १८७-१- पे.क्र. २, पृ. ४-१०१, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ५३, पृ. ४०, प्रमाणवार्तिक स्वोपज्ञवृत्ति सह प्रथम परिच्छेद, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति (विचारकलिका वृत्ति), (वार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति विचारकलिका) आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमः स्वतः प्रमाणाय वचः प्रामाण्यहेतवे... पाताखेत २६, पृ. १, वार्तिकवृत्ति, संपूर्ण पातासंघवी १५४-१- पे.क्र. २, पृ.७-१८४, वार्तिकसूत्र/वृत्ति, संपूर्ण पे. विशेष- केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे. तेमज पानाना टुकडा थई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १८७-१- पे.क्र. २, पृ. ४-१०१, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ५३, पृ. ४०, प्रमाणवार्तिक स्वोपज्ञवृत्ति सह प्रथम परिच्छेद, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण प्रमाणसङ्ग्रह सं., आदि वाक्यः श्रीमत्परमगम्भीर स्याद्वादामोघलाञ्छनं... पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. ४, पृ. ६०-९२, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ 517 Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रमाणसुन्दरप्रकरण उपाध्याय-पद्मसुन्दर[नागपुर तपागच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम २४४६, पृ. २१, प्रमाणसुन्दरप्रकरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ प्रमादपरिहारकुलक प्रा., पद्य, गा.३१, पाकाहेम ४७४०- पे.क्र. ३, पृ. ३-४, साधर्मिककुलक आदि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ७७९३, पृ. २, प्रमादपरिहारकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३३. कुल झे.पृष्ठ-३ प्रमेयरत्नकोष आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, सं., ग्रं.१४००, पाकाहेम ६६७५, पृ. १७, प्रमेयरत्नकोष, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ प्रयोगसमुच्चय सं., पाकाहेम ६७१७- पे.क्र. १, पृ. १-७, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- प्रयोगसमुच्चय सह वृत्तिक __ कुल झे.पृष्ठ-१० प्रयोगसमुच्चय-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ६७१७- पे.क्र. १, पृ. ७मुं, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- प्रयोगसमुच्चय सह वृत्तिक कुल झे.पृष्ठ-१० प्रयोगसमुच्चय-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम ६७१७- पे.क्र. १, पृ. ७मुं, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- प्रयोगसमुच्चय सह वृत्तिक कुल झे.पृष्ठ-१० प्रवचनविचारसार उपाध्याय-नयकुञ्जर, प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीशान्तिः शान्तये सोस्तु भवतां भवतान्तिभित्... कृ.विः विविध विषयों पर आगमादि संदर्भो के साथ प्रवचनविचारसारसंग्रह संकलित है. पाकाहेम ७०३५, पृ. २७, प्रवचनविचारसार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ भांका १३३, पृ. ३१, प्रवचनविचारसार, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८५ प्रवचनसन्दोह प्रा., पद्य, गा.३५५, आदि वाक्यः सारस्सयमाइच्चा विण्हवरणा य गद्दतोया य... पाताखेत ४२- पे.क्र. ११, पृ. ???, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र. १२, पृ. १२५-१४६, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. 518 Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र. १, पृ. २-२३A, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. नाम- पवयण संदोह, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ४, पृ.?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १, पृ. ९५-१०६, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. ९, पृ. १२१-१४०, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १३९मुं नथी. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११७- पे.क्र. २, पृ. २, योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय प्रवचनसन्दोह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- (गायकवाड केटलॉग साथे विगत मळती नथी) डीवीडी-७/१७ प्रवचनसन्दोह (पवयणसन्दोह) प्रा., पद्य, गा.३३४, अध्याय६ पद, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं ववगयमाणं सुरेहिं कयमाणं... पाताखेत ११- पे.क्र.७, पृ. १३६-१६३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक-१६३-१६७ नहीं है. पद-६ की प्रारंभिक गाथा तक है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १५, पृ. १८७-२०९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ६, पृ. ५-२७A, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. प्रारंभिक पाठ का त्रुटक अंश उपलब्ध है. झेरोक्ष उलटे क्रम से किया गया है. झेरोक्ष पत्र ३७-४६. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १५, पृ. १३६-१५६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. पत्र-१४३ नहीं है., झेरोक्ष पत्र-५१-६१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ११०-२- पे.क्र. १, पृ. १-१६, प्रवचनसन्दोह तथा छन्दोनुशासनविवरण, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पाताहेसं ११९- पे.क्र.३, पृ. ७४-९६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ तालाद ३४३- पे.क्र. २, पृ. ७३/२-११६, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ 519 Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवचनसार कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ४३४ पे क्र. २ पृ. १४८A- १८१B सङ्ग्रहणी व प्रवचनसन्दोह संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण प्रारंभ के पत्र है. पद-६ की पहली गाथा तक है. प्रत विशेष- पत्र - १४८-१८१. कुल झे. पृष्ठ - १०, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३६ पृ. ७३७९ दशवेकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ ९० भांका १६१ पे क्र. १, पृ. १-११, प्रवचनसन्दोह जीवदयाप्रकरण व गाथाकोश, वि-१७८९ संपूर्ण पे. नाम पवयणसंदोहपगरण प्रत विशेष भण्डारसंदर्भाक-८२० / ९५-१९०२ कुल हो, पृष्ठ- १४, झे. डीवीडी-८६ आचार्य - कुन्दकुन्दाचार्य [दिगम्बर आचार्य], प्रा., पद्य, आदि वाक्यः एस सुरासुरमणुसिन्दवन्दिदं ... भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि २०वी, अपूर्ण - प्रत विशेष प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण अध्याय-१ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार-(सं.)टीकानो (हि.) पद्यानुवाद हिन्दी, पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध सदन बुधि वदन मदन मद कदन दहन रज..... कृ.विः विः अमृतचन्द्राचार्थीय सं टीका की हेमराज पांडे कृत भाषाटीका के अनुसार, भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि२०वी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय- १ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ १८, डीवीडी- ८७ प्रवचनसार - (सं.) छाया सं., पद्य, आदि वाक्यः एष सुरासुरमनुष्येन्द्रवन्दितं धौतघातिकर्ममलम् .... भांका २०४, पृ. २१ प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद वि२०वी, अपूर्ण प्रत विशेष प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण अध्याय १ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ - १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार - (सं.) छाया सं., पद्य, आदि वाक्यः एष सुरासुरमनुष्येन्द्रवन्दितं धीतघातिकर्ममलम्.... भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि२०वी अपूर्ण प्रत विशेष - प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय-१ की गाथा ४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता है. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी-८७ प्रवचनसार-(सं.)टीकानो (हि.) पद्यानुवाद हिन्दी, पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध सदन बुधि वदन मदन मद कदन दहन रज.... कृ.वि: अमृतचन्द्राचार्थीय सं टीका की हेमराज पांडे कृत भाषाटीका के अनुसार, 520 Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २०४, पृ. २१, प्रवचनसार सह छाया व अमृतचन्द्रीय टीका के हेमराजीय अनुवादानुसार पद्यानुवाद, वि २०वी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अध्याय-१ की गाथा-४० तक है. यत्र-तत्र संस्कृत टीकांश भी मिलता कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-८७ प्रवचनसारोद्धार (विचारमुखप्रकरण) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५९९, ग्रं.२०००, आदि वाक्यः नमिऊण जुगाइजिणं वोच्छं भव्वाण जाणणनिमित्तं... पाताखेत २४-१, पृ. १७४, प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४२- पे.क्र. १, पृ. १५६, प्रवचनसारोद्धार तथा दशवैकालिकसूत्र, वि-१२९५, संपूर्ण डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८४, पृ. २०७, प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक, चोंटेलु-नकामुं. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १५०- पे.क्र. २, पृ. १८४-२६६, वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि) व प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४७-१, पृ. १९७, प्रवचनसारोद्धार, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण पत्र ४-२१-२२-२४-११५-१४०-१७०-१८८ नथी. १७मां पानानो टुकडो नथी., . डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५७-२, पृ. १७२, प्रवचनसारोद्धारसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- अंत नथी, १६३ पाना पछी एक बाजुनी कोर खरी गई छे. डीवीडी-३६/५३ पाकाहेम १०३६१, पृ. ६४, प्रवचनसारोद्धारप्रकरण, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १०५६४, पृ. ८१, प्रवचनसारोद्धारप्रकरण, वि-१५१६, संपूर्ण प्रवचनसारोद्धार-(सं.)तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति (तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२४८, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः सन्नद्धैरपि यत्तमोभिरखिलैर्न स्पृश्यते कुत्रचित्... कृ.विः पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्त्ता सिद्धर्षि लख्या छे. पातासंघवी १०१, पृ. २५२, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति २२१मा द्वारथी सम्पूर्ण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छेल्ला पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११५, पृ. ३१८, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति तृतीयखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३२, पृ. २३१, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६२ द्वार सुधी (भाग-१/२), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ७१-१, पृ. ३१७, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६३ थी १५१ द्वार सुधी द्वितीयखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५-१६-१७ना टुकडा उधईथी खवाया छे. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १०२, पृ. १७७, प्रवचनसारोद्धारटीका खण्ड-२, ४२-७२ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-७/१६ 521 Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १९२, पृ. २९७, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ भांता ४७, पृ. १८४, प्रवचनसारोद्धार की तत्त्वज्ञानविकाशिनी टीका - उत्तरार्द्ध, वि-१२६२, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत दो भागों में लिखी गयी है. मूलगाथा ८६६ व द्वारगाथा १३१ की टीका से आरंभ हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-१८४, डीवीडी-७१/८० प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका (विषमपदावबोध टीका), (विषमपदावबोध टिप्पनक) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३२०३, आदि वाक्यः प्रवचनसारोद्धारे विषमपदार्थावबोधमाधत्ते श्रीउदयप्रभसूरिः... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयप्रभ के सहयोग से रची गयी है. पाकाहेम ६७२४, पृ. ४२, प्रवचनसारोद्धार विषमपदपर्याय, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४३ भांका २४७, पृ. ४५, प्रवचनसारोद्वार-विषमपदावबोध टिप्पनक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३३०३. सुन्दर लिपि व यन्त्रस्थापना सहित. प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.?. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-८९ प्रवचनसारोद्धार-(सं.)तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति (तत्त्वज्ञानविकाशिनीवृत्ति) आचार्य-सिद्धसेनसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२४८, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः सन्नद्धैरपि यत्तमोभिरखिलैर्न स्पृश्यते कुत्रचित्... कृ.विः पाटन नवा सूचीपत्रमा कर्त्ता सिद्धर्षि लख्या छे. पातासंघवी १०१, पृ. २५२, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति २२१मा द्वारथी सम्पूर्ण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छेल्ला पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११५, पृ. ३१८, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति तृतीयखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३२, पृ. २३१, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६२ द्वार सुधी (भाग-१/२), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. कुल झे.पृष्ठ-११८, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ७१-१, पृ. ३१७, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति ६३ थी १५१ द्वार सुधी द्वितीयखण्ड, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५-१६-१७ना टुकडा उधईथी खवाया छे. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १०२, पृ. १७७, प्रवचनसारोद्धारटीका खण्ड-२, ४२-७२ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १९२, पृ. २९७, प्रवचनसारोद्धारवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ भांता ४७, पृ. १८४, प्रवचनसारोद्धार की तत्त्वज्ञानविकाशिनी टीका - उत्तरार्द्ध, वि-१२६२, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रत दो भागों में लिखी गयी है. मूलगाथा ८६६ व द्वारगाथा १३१ की टीका से आरंभ हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-१८४, डीवीडी-७१/८० प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका (विषमपदावबोध टीका), (विषमपदावबोध टिप्पनक) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु-आचार्य-माणिक्यप्रभसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३२०३, आदि वाक्यः प्रवचनसारोद्धारे विषमपदार्थावबोधमाधत्ते श्रीउदयप्रभसूरिः... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयप्रभ के सहयोग से रची गयी है. पाकाहेम ६७२४, पृ. ४२, प्रवचनसारोद्धार विषमपदपर्याय, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०मुं डबल छे. 522 Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४३ भांका २४७, पृ. ४५, प्रवचनसारोद्वार-विषमपदावबोध टिप्पनक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३३०३. सुन्दर लिपि व यन्त्रस्थापना सहित. प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.?. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-८९ प्रव्रज्याग्रहणविधि सं., आदि वाक्यः प्रथमं चैत्यभुवने गत्वा प्रदक्षिणात्रयं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-पाउंछणपूठाय पवेयणं पवेयह प्रत्याख्यानं करोति. पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३, पृ. १A-७A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सम्यक्त्वप्रत्याख्यान, व्रतोच्चारादि दीक्षाविधि संग्रह प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७०- पे.क्र.२६, पृ. ३५A-३६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रव्रज्यायोग्यायोग्यविचार प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः अट्ठारसपुरिसेसु वीसं इत्थीसु दस नपुंसेसु... भांता ७०- पे.क्र. २८, पृ. ३७B-३८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रव्रज्याविधानकुलक (प्रव्रज्याविधानप्रकरण) प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः संसारविसमसायरभवजलपडियाण संसरन्ताण। कृ.विः गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे. पाताखेत १२- पे.क्र. १८, पृ. १९४-१९७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८. प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. ६, पृ. ८१-८४, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-३१. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १६५- पे.क्र. ११, पृ. २१८-२१९-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१८ तक है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा १५-१६ के बजाय १९-२० लिखा गया है परन्तु पाठ क्रमशः है. झेरोक्ष पत्र-८३-८४. सूचीपत्र में इसे प्रकीर्णक कृति अन्तर्गत ली गयी है. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १०, पृ. १४१-१४२, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-५३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७. डीवीडी-३४/५२ 523 Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १६१-२- पे.क्र.७, पृ. १०९-१११, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १३, पृ. २०६-२०९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २८, पृ. ११८-११९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३५. डीवीडी-३८/५५ पातासं १११- पे.क्र. ६, पृ. १८३-१८५, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. ___कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १५, पृ. १५२-१५५, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- षटिंत्रशिका, पे. विशेष- गाथा-३६. __कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २५, पृ. २३९-२४१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३०, पृ. २३७-२३९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ भांता २४- पे.क्र.७, पृ. ७५A-७७B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- प्रव्रज्याविधान, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३७३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.६, पृ. २४, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३१, पृ. २१४-२१६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३१. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १६, पृ. २६-२७, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पवज्जाविहाण, पे. विशेष- गाथा-२७. कर्ता नाम मुनिचन्द्रसूरि दिया है. अन्त में द्युत, व्यसनफलादि औपदेशिकश्लोक दिया है. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १०६१९, पृ. २, प्रव्रज्याविधानप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३५. पाकाहेम ११०५२, पृ. १, प्रवज्याविधानकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण 524 Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष जिर्णप्राय प्रव्रज्याविधानकुलक- (सं.) वृत्ति आचार्य प्रद्युम्नसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ७९-१, पृ. २२०, प्रव्रज्याविधानवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रथमना त्रीजा अने २२० मां पानाना टुकडा नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८६, डीवीडी - ३१/५० प्रव्रज्याविधानकुलक-(सं.) वृत्ति कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य प्रद्युम्नसूर, सं., गद्य, पातासंघवी ७९.१ पृ. २२० प्रव्रज्याविधानवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रथमना त्रीजा अने २२० मां पानाना टुकडा नथी.. कुल झे. पृष्ठ- ८६, डीवीडी - ३१/५० प्रव्रज्याविधानप्रकरण जुओं प्रव्रज्याविधानकुलक, प्राकृत, गा. ३० प्रव्रज्याविधि प्रा. पद्य, आदि वाक्यः सुत्तत्थतदुभयविसारयस्स सङ्गहउवायकुसलस्स.... पाकाहेम १२७५५ पे क्र. ९. पु. १०-११, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ प्रव्रज्याविधि तथा उपस्थापनाविधि प्रा... पाकाहेम ५२६८- पे.क्र. ३, पृ. १०-१२, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४ प्रशमरतिप्रकरण " वाचक- उमास्वाति सं. पद्य रचना सं. विक्रम ११८५ श्लोक ३१४, आदि वाक्यः नाभेयाद्या: सिद्धार्थराजसूनुचरमा श्वरमदेहाः ।.... पातासंघवीजीर्ण ९१ पे क्र. २. पृ. २२-५० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि संपूर्ण पे. विशेष पूर्ण गाथा- ३११ तक है. झेरोक्ष पत्र -११-२६. झेरोक्ष पत्रांक १२ के आधे पत्र का झेरोक्ष कट गया है. प्रत विशेष जीर्ण-अव्यवस्थित, कुल झे. पृष्ठ- ४८, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १५१ - पे.क्र. १२, पृ. ५५-८१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३१४. प्रत विशेष आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७४- पे. क्र. ६. पृ. ६१-८३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-३१०. अपूर्ण. पत्र - ६४, ६६, ७८, ८० अने ८१ नथी. झेरोक्ष पत्र - २१-३०. प्रत विशेष झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे. पृष्ठ- १५४, डीवीडी - ३६/५४ पातासंघवी ६८-१, पृ. १९२, प्रशमरति सवृत्तिक, वि - १२९८, संपूर्ण प्रत विशेष गाथा-३१४. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३९-२, पृ. ४१, प्रशमरति, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६७-१- पे क्र. १, पृ. १-२१, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण 525 Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७९-१- पे.क्र.६, पृ. १८०-२२१, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन वर्ष-१३०३. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ३, पृ. १-३७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३१४. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३, पृ. २१-३०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-३१६. पत्र २६-२७नो १-१ टुकडो छे., डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११८ - पे.क्र. १, पृ. १-३०, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १८७, पृ. ४९, प्रशमरति, संपूर्ण __डीवीडी-१०/१९ भांका १७५, पृ. ५, प्रशमरति, संपूर्ण डीवीडी-८६ प्रशमरतिप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., पद्य, श्लोक१८००, आदि वाक्यः उदयस्थितमरुणकरं दिनकरमिव... पातासंघवी ६८-१, पृ. १९२, प्रशमरति सवृत्तिक, वि-१२९८, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३१४. डीवीडी-३०/४९ प्रशमरतिप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः प्रशमस्थितेन येनेयं कृता... पातासंघवी ६८-२, पृ. ३००, प्रशमरतिवृत्ति, वि-१४८७, संपूर्ण प्रत विशेष- पाछळां कागळनां पानानी एक बाजु उधई खाई गई छे. डीवीडी-३०/४९ प्रशमरतिप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः प्रशमस्थितेन येनेयं कृता... पातासंघवी ६८-२, पृ. ३००, प्रशमरतिवृत्ति, वि-१४८७, संपूर्ण प्रत विशेष- पाछळां कागळनां पानानी एक बाजु उधई खाई गई छे. डीवीडी-३०/४९ प्रशमरतिप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., पद्य, श्लोक१८००, आदि वाक्यः उदयस्थितमरुणकरं दिनकरमिव... पातासंघवी ६८-१, पृ. १९२, प्रशमरति सवृत्तिक, वि-१२९८, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३१४. डीवीडी-३०/४९ प्रशमरसपद्य सं., पद्य, श्लोक१, आदि वाक्यः प्रशमरसनिमग्नं दृष्टियुग्मं प्रसन्नं... भांता ७२- पे.क्र. २५, पृ. १४५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-४०३. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ प्रशस्तपाद भाष्य जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका, आचार्य-प्रशस्तपादाचार्य, संस्कृत, श्लोक७७७ प्रश्नचूडामणि टीका जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका, संस्कृत, ग्रं.२३९० 526 Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रश्नचूडामणिसार टीका जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका की प्रश्नचूडामणिसार टीका, जैनेतर-भट्ट लक्षण, संस्कृत प्रश्नपद्धति गणि-हरिश्चन्द्र गणि, सं., तालाद ३२४, पृ. ४९, प्रश्नपद्धति, वि-१११६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५, डीवीडी-९३/९५ प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.१३५० प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)वृत्ति, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.४६३० प्रश्नव्याकरणसूत्र (प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र). (पण्हवागरणं) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, ग्रं.१३५०, आदि वाक्य: नमो अरहन्ताणं | जम्बू इणमो अण्हयसंवरविणिच्छयं पवयणस्स निस्सन्दं।... पाताखेत २७- पे.क्र. ४, पृ. ?, पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्ग-अन्तगडदशा-अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.४, पृ. ३४-५९, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १२४-१- पे.क्र.४, पृ. ९२-१५२, उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाङ्ग, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १११ मांनो टुकडो नथी. डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ६-पे.क्र. २, पृ. ५०B-८७A, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १७३, पृ. ३७, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र, वि-१६२७, संपूर्ण प्रत विशेष- अलवरनगरमां लखेली. कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १७६, पृ. १९, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र, वि-१४३६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भींजाएली छे. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १७८, पृ. ३३, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र, वि-१६०४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र२३ तथा ३० डबल,२६मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०००६, पृ. २५, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्र, वि-१५७०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३३९. प्रथम पत्रमा समवसरण- आकर्षक चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १०४४८, पृ. ३०, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी पाणीमां भीजाई छे. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०५४३, पृ. ३५, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्र, वि-१५६३, संपूर्ण पाकाहेम १४८४८, पृ. २३, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्र, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१३३९. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाभाभा ९, पृ. ३३, प्रश्नव्याकरणसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण 527 Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रथम पत्रे भगवान महावीरनुं चित्र, बीजा पत्रे चतुर्विध संघD चित्र छे सोनेरी. पाकाभाभा ५४, पृ. १९, प्रश्नव्याकरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पुप्रे ४१३, पृ. ४३, प्रश्नव्याकरण सह दीपिका वृत्ति - प्रथमद्वार पर्यन्त, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पुप्रे ४५५-४, पृ. ७७, प्रश्नव्याकरणसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७७ प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)वृत्ति (प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४६३०, पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. ९, पृ. ११४-२०७, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ७, पृ. १६३०-२४०B-, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नव्याकरण की टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन-५ तक है. प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १८४, पृ. ९७, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम १०००७- पे.क्र. ४, पृ. २५-१०५, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १०४१६, पृ. ८२, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम १४८४४, पृ. ८७, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१३०. प्रथम पत्रमा पांच आश्रव ने पांच संवरने सूचवतुं सुन्दर चित्र लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-८७ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ४, पृ. २१-९२, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ६, पृ. ६-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)दीपिका टीका आचार्य-अजितदेवसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमः श्रीशान्तिनाथायासत्यभाषानिवारिणे... पुप्रे ४१३, पृ. ४३, प्रश्नव्याकरण सह दीपिका वृत्ति - प्रथमद्वार पर्यन्त, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड (जयपायड प्रश्नव्याकरणसूत्र), (प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपाहुड), (जयपाहुड प्रश्नव्याकरणसूत्र) प्रा., पुप्रे ४५९, पृ. १५३, प्रश्नव्याकरण जयपायड सह प्रश्नचूडामणि टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रश्नचूडामणि की एक दूसरी नकल भी साथ में संलग्न है. कुल झे.पृष्ठ-१५३ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका (प्रश्नचूडामणि टीका), (चूडामणि टीका) 528 Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, ग्रं.२३९०, आदि वाक्यः करकमलकलित... कृ.विः निमित्तनो ग्रन्थ. पातासंघवी १७७-२- पे.क्र. १, पृ. १-१५९, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पुप्रे ४५९, पृ. १५३, प्रश्नव्याकरण जयपायड सह प्रश्नचूडामणि टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रश्नचूडामणि की एक दूसरी नकल भी साथ में संलग्न है. कुल झे.पृष्ठ-१५३ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका की प्रश्नचूडामणिसार टीका (प्रश्नचूडामणिसार टीका) जैनेतर-भट्ट लक्षण, सं., गद्य, पातासंघवी १७७-२- पे.क्र.३, पृ. १६०-२१७, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)लीलावत्यां मयूरवाहिनी (मयूरवाहिनी), (लीलावती) सं., गद्य, पातासंघवी १७७-२- पे.क्र. २, पृ. १५९-१६३, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका (प्रश्नचूडामणि टीका), (चूडामणि टीका) सं., गद्य, ग्रं.२३९०, आदि वाक्यः करकमलकलित... कृ.विः निमित्तनो ग्रन्थ. पातासंघवी १७७-२- पे.क्र. १, पृ. १-१५९, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पुप्रे ४५९, पृ. १५३, प्रश्नव्याकरण जयपायड सह प्रश्नचूडामणि टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रश्नचूडामणि की एक दूसरी नकल भी साथ में संलग्न है. कुल झे.पृष्ठ-१५३ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका की प्रश्नचूडामणिसार टीका (प्रश्नचूडामणिसार टीका) जैनेतर-भट्ट लक्षण, सं., गद्य, पातासंघवी १७७-२- पे.क्र. ३, पृ. १६०-२१७, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)लीलावत्यां मयूरवाहिनी (मयूरवाहिनी), (लीलावती) सं., गद्य, पातासंघवी १७७-२- पे.क्र. २, पृ. १५९-१६३, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)चूडामणिटीका की प्रश्नचूडामणिसार टीका (प्रश्नचूडामणिसार टीका) जैनेतर-भट्ट लक्षण, सं., गद्य, पातासंघवी १७७-२- पे.क्र.३, पृ. १६०-२१७, प्रश्नव्याकरण-चूडामणिटीका आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपाहुड जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड, प्राकृत प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)दीपिका टीका आचार्य-अजितदेवसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नमः श्रीशान्तिनाथायासत्यभाषानिवारिणे... पुप्रे ४१३, पृ. ४३, प्रश्नव्याकरण सह दीपिका वृत्ति - प्रथमद्वार पर्यन्त, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ६, पृ. ६-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ प्रश्नव्याकरणसूत्र-(सं.)वृत्ति (प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति) 529 Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४६३०, पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.९, पृ. ११४-२०७, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं६- पे.क्र. ७, पृ. १६३०-२४०B-, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नव्याकरण की टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन-५ तक है. प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १८४, पृ. ९७, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम १०००७- पे.क्र. ४, पृ. २५-१०५, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १०४१६, पृ. ८२, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम १४८४४, पृ. ८७, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१३०. प्रथम पत्रमा पांच आश्रव ने पांच संवरने सूचवतुं सुन्दर चित्र लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-८७ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ४, पृ. २१-९२, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण, चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. प्रश्नशत जुओ - प्रश्नशतक, गणि-जिनवल्लभ, संस्कृत, श्लोक१६१ प्रश्नशतक (प्रश्नशत), (एकषष्ट्यधिककाव्यशत)। गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोक१६१, आदि वाक्यः क्रमनखदशकोट्यद्दीप्रदीप्तिप्रदानै... कृ.विः विविध चक्रबंध रचना है. प्रश्न-१६१. भांका २४२, पृ. १४, प्रश्नशत सह अवचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ भांका २६९, पृ. ६, प्रश्नशत सह टिप्पण, संपूर्ण प्रत विशेष- इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है., पलुं पार्नु नथी. __ कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० प्रश्नशतक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, भांका २६९, पृ. ६, प्रश्नशत सह टिप्पण, संपूर्ण प्रत विशेष- इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है., १लुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० प्रश्नशतक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः जिनन् हानि गच्छत् ज्या हानौ... भांका २४२, पृ. १-५A, प्रश्नशत सह अवचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ प्रश्नशतक-(सं.)अवचूरि 530 Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, आदि वाक्यः जिनन् हानि गच्छत् ज्या हानौ.. भांका २४२, पृ. १-५A, प्रश्नशत सह अवचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ प्रश्नशतक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, भांका २६९, पृ. ६, प्रश्नशत सह टिप्पण, संपूर्ण प्रत विशेष- इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है., पलुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० प्रश्नात्मक औपदेशिकश्लोक प्रा., पद्य, गा.३, आदि वाक्यः किं सुरगिरिणो गरुयं जलनिहिणो किं बहज्ज गम्भीरं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १२, पृ. १७वां, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ प्रश्नोत्तरपद्धति जुओ - शतपदीप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत,प्राकृत प्रश्नोत्तररत्नमाला जुओ - प्रश्नोत्तररत्नमालिका, आचार्य-विमलसूरि, संस्कृत, का.२८ प्रश्नोत्तररत्नमालिका (प्रश्नोत्तररत्नमाला), (विमलप्रश्नोत्तररत्नमालिका) आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, का.२८, आदि वाक्यः (१) कः खलु नालङ्क्रियते दृष्टादृष्टार्थसाधनपटीयान्।...(२) प्रणिपत्य जिनवरेन्द्रा प्रश्नोत्तररत्नमालिका वक्ष्ये... पाताखेत ५- पे.क्र. ११, पृ. १६२-१६६, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. १४, पृ. १८१-१८४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. ७, पृ. ३३७-३४०, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नोत्तररत्नमाला, पे. विशेष- श्लोक-२९. प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १०८- पे.क्र. १४, पृ. ६-१०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ५५-२- पे.क्र.२, पृ.७७-८१, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-२९. डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १८, पृ. ७१-७४, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ८, पृ. १३९-१४०, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-२९. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ३१, पृ. २२९-?, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६७-१- पे.क्र. ६, पृ. ८-१०, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ 531 Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. ४, पृ. १७४-१७७, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १८, पृ. २३३-२३७, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १३, पृ. ६८-७०, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- का.२९. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २१, पृ. ११४मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४६, पृ. ३२९-३३१, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- का.२९. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४६, पृ. ९०आ-९३आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- रत्नमालिका, पे. विशेष- संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-५०-५२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २७, पृ. १२१B-१२३०, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- रत्नमाला, पे. विशेष- श्लोक-२९. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता २४- पे.क्र. १०, पृ. ९०A-९३A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता ७२- पे.क्र. १४, पृ. ७४A-७६B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्र नं.-११९१. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. ६, पृ. ६३-६४, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. १४, पृ. १८७A-१९०B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. ____ कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २४, पृ. ६०-६१, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- का.२९. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १०, पृ. १५-१६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नोत्तरमालिका, पे. विशेष- गाथा-२९. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. 532 Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- १४५ पाकाहेम १३७८, पृ. ५, प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ पाकाहेम ७०१३ पृ. ४ प्रश्नोत्तररत्नमाला टबार्थसहित वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष मूल आर्या ३०. कुझे पृष्ठ ४ पाकाहेम ११०९९, पृ. १, प्रश्नोत्तरमाला, वि-१८मी, संपूर्ण - कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- आर्या-२९. पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. १३, पृ. ७५-७६, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ 1 पाकाहेम १४९७१- पे क्र. १, पृ. १७ प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि वि-१५मी संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह (सं.) टीका भांका २३२, पृ. १०७ प्रश्नोत्तररत्नमालिका, संपूर्ण डीवीडी-८८ प्रश्नोत्तररत्नमालिका (सं.) समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति (समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति) सं., गद्य, पाकाहेम १३७८, पृ. ५ प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति, वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ प्रश्नोत्तररत्नमालिका (सं.) वृत्ति सं. गद्य, 1 पाकाहेम १४९७१- पे क्र. १, पृ. १७ प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि वि-१५मी संपूर्ण पे. नाम प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह (सं.) टीका प्रश्नोत्तररत्नमालिका - (मा.गु.) टवार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७०१३, पृ. ४, प्रश्नोत्तररत्नमाला टबार्थसहित वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष मूल आर्या-३०. कुल झे. पृष्ठ-४ प्रश्नोत्तररत्नमालिका-( मा.गु.) टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७०१३, पृ. ४, प्रश्नोत्तररत्नमाला टबार्थसहित, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष मूल आर्या ३० कुल झे. पृष्ठ-४ प्रश्नोत्तररत्नमालिका (सं.) वृत्ति सं. गद्य, पाकाहेम १४९७१- पे क्र. १, पृ. १७ प्रश्नोत्तररत्नमालाप्रकरणवृत्ति सह आदि वि-१५मी संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह (सं.) टीका प्रश्नोत्तररत्नमालिका (सं.) समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति ( समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति) प्रहेलिकाजातिसङ्ग्रह सं., गद्य, पाकाहेम १३७८, पृ. ५. प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति, वि-१७मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७ पाकाहेम ८६८५, पृ. १, प्रहेलिकाजातिसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण 533 · Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल हो. पृष्ठ-२ प्राकृत पैङ्गलनो हिस्सो छन्दोरूपक# (छन्दोरूपक) आचार्य पिङ्गलाचार्य, अप.. पाकाहेम १२०१४, पृ. ४, छन्दोरूपक टिप्पणीसहित- प्राकृतपिङ्गलान्तर्गत, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष जीर्णप्राय कुल झे. पृष्ठ-४ प्राकृत पैङ्गलनो हिस्सो छन्दोरूपक - (सं.) टिप्पण H.. गद्य, पाकाहेम १२०१४, पृ. ४. छन्दोरूपक टिप्पणीसहित प्राकृतपिङ्गलान्तर्गत वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष - जीर्णप्राय कुल झे. पृष्ठ-४ प्राकृत पैगलनो हिस्सो छन्दोरूपक (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेग १२०१४, पृ. ४. छन्दोरूपक टिप्पणीसहित प्राकृतपिङ्गलान्तर्गत, वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष जीर्णप्राय कुल हो. पृष्ठ-४ प्राकृतदुण्डिका जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण- (सं.) डुण्डिकावृत्ति, मुनि-सौभाग्यसागर, संस्कृत प्राकृतदीपिका टीका जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी ( सं .) बृहद्वृत्तिनी (सं.) प्राकृतदीपिका वृत्ति, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत प्राकृतपद्यव्याकरण सं., पद्य, कृति उपरथी प्रत माहिती - क्र. वि: हैमव्याकरण अष्टमाध्यायानुसारी. पाकाहेम ८५६३, पृ. ८. प्राकृत पचव्याकरण, वि-१८मी, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ प्राकृतप्रबोध वृत्ति जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण- (सं.) प्राकृतप्रबोधवृत्ति, आचार्यनरचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत प्राकृतलक्षण कवि-चण्ड, सं., पाकाहेम ७३७१, पृ. ४, प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने टिप्पणीसहित वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. कुल डी. पृष्ठप प्राकृतलक्षणसारोद्धार-(सं.) वृत्ति (सारोद्धार वृत्ति) प्राकृतलक्षण- (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ७३७१, पृ. ४, प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने टिप्पणीसहित वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-५ - प्राकृतलक्षण - (सं.) टिप्पण सं., गद्य, . सं., गद्य, पाकाहेम ७३७१, पृ. ४, प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने टिप्पणीसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-५ 534 Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७३७१, पृ. ४, प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने टिप्पणीसहित वि-१५मी संपूर्ण d. प्रत विशेष प्रति कुल झे. पृष्ठ-५ प्राकृतलक्षणसारोद्धार - (सं.) वृत्ति (सारोद्धार वृत्ति) सं., गद्य, शुद्ध पाकाहेम ७३७१, पृ. ४, प्राकृतलक्षण सारोद्धारवृत्ति अने टिप्पणीसहित वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-4 प्राकृतव्याकरण जुओ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण', आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत, प्राकृत प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति जुओ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति, गणिजिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ ( सं . ) टीका जुओ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति - (सं.) वृत्ति, आचार्य - हरिभद्रसूरि, संस्कृत, ग्रं. ८५० प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ- ( सं . ) वृत्ति जुओ - बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ - (सं.) वृत्ति, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.५६० प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ कर्मस्तव जुओ प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ भाष्य जुओ प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ- (सं.) वृत्ति जुओ ग्रं. १०९० प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (प्रा.) चूर्णी जुओ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (प्रा.) चूर्णि प्राकृत नं. २३२२ प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ - ( सं . ) टीका जुओ- शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ - (सं.) विनेयहिता टीका, आचार्य - हेमचन्द्रसूरि मलचारी, संस्कृत ग्रं. ३७०० 7 - कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ, प्राकृत, गा. ५८ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ - (प्रा.) भाष्य - २, प्राकृत, गा.३३ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ ( सं . ) वृत्ति, आचार्य गोविन्दाचार्य, संस्कृत, प्राचीन पञ्चम शतक कर्मग्रन्थ जुओ- शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य - शिवशर्मसूरि, प्राकृत, गा.१११ प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ कर्मविपाक जुओ कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ, आचार्य-गर्मर्षि, प्राकृत, गा. १६७ प्राचीन षष्ठ कर्मग्रन्थ जुओ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके बन्धुराजकथानक जुओं संपूर्ण प्रायश्चित समुच्चय - कुल झ. पृष्ठ-३५ झे. - प्राकृत, गा. ७७ प्रातिहार्याष्टकमय आदिजिनस्तवन महिसाणापुरमण्डन जुओ महिसाणापुरमण्डन आदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय संस्कृत, श्लोक १० ऋषि चन्द्रर्षि महत्तर प्राकृत, गा. ९१ बन्धुराजकथानक प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके, - प्राभातिक जीवानुशासन ( प्रभातिक जीवानुशासन) ( जीवानुशासन प्राभातिक) आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा. २३, आदि वाक्यः तिहुअणपणमियचलणं पणमित्तु जिणेसर महावीरं .... पातासंघवी ५९-२- पे. क्र. २३ पृ. ८७-९१ मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १४, पृ. ११-१२, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-३५ प्राभातिक स्तुति (प्रभातिक स्तुति) 3 आचार्य - मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः येर्हन् प्रभातसमये तव पादपद्मापन्नमहार्णव... पातासंघवी ५९-२- पे. क्र. २६. पृ. १०२-१०४ मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी - २९/४८ पाकाहेम १११५३- पे क्र. १७, पृ. १४मुं मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह वि-१९७९. 535 Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक ४२२, आदि वाक्यः संयमामलसद्रत्न गम्भीरोदारसागरान् .... कृ.वि: चूलिका सहित. भांका १३१, पृ. २३, प्रायश्चित समुच्चय, वि - २०वी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १६, डीवीडी-८५ प्रायश्चितविचार (पायच्छित्तवियार) प्रा., पद्य, आदि वाक्यः निस्सल्लो जह हवई दुविहो सो हवइ वित्तपच्छित्तो. कृ.वि. अं. वाक्य पणगं मासलहुं चिय पुरु मासो चउ गुरू य चउलहूयं नीपुरि एक्कायामं अब्मत्तट्ठे होइ पंचमर्ग. भांता ७० पे. क्र. १६५ पृ. २२५B- २३२४, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण. पत्रांक २०६ नहीं है. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ प्रायश्चितसङ्क्षेप जुओ सर्वविरतिप्रायश्वितसङ्क्षेप, संस्कृत प्रायश्चित्त जुओ - श्रावकप्रायश्चित, प्रायश्चित्तप्रदानविधि जुओ योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि, आचार्य तिलकसूरि प्राकृत, गा. ३ प्रायश्चित्तविधि - प्रा., सं., पातासंघवी ६९-४- पे.क्र. ३ पृ. १९. विजयचन्द्रकेवली चरित्र आदि संपूर्ण डीवीडी - ३१ / ४९ - प्राशुकपानीयपत्रिशिकाप्रकरण प्राकाम्बुविचार मुनि - दयानन्द, प्रा., पद्य, गा. ३७, पाकाहेम ७२५४, पृ. २, प्राशुकपानीयषट्त्रिशिकाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ प्रास्ताविकगाथासङ्ग्रह आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय (विधि], सं., गद्य रचना सं. विक्रम १४६७, ग्रं. १८७, आदि वाक्यः इह किल प्रासुकोदकं द्विधा उष्णं शीतं च... भांका २४८, पृ. ४, वारिविचारपत्र, वि-१७१९, संपूर्ण प्रत विशेष- भक्तिना लिखितं. कुल झे. पृष्ठ- २, डीवीडी-८९ प्रा., पद्य, गा. ३११, पाकाहेम ९८१७, पृ. ६. प्रास्ताविकगाथासङ्ग्रह वि-१६मी, संपूर्ण प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह प्रा. सं., मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम २७१८, पृ. ६, प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४ पाकाहेम २७१९, पृ. ५, प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- भाषा मात्र प्रा., मा.गु. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६९३ पृ. ४ प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष भाषा-संस्कृत. कुझे पृष्ठ-४ , 536 Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८६९५, पृ. २३, प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ प्रियङ्करनृपकथा जुओ - उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका+कथा, मुनि-जिनसूर, संस्कृत बकुलिशप्रार्थना (मोक्षार्था) सं., पद्य, श्लोक१३, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १२, पृ. १५७-१५७, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ बत्रीस जीव परिमाण (द्वात्रिंशद्जीव परिमाण) प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं नमिउं वोच्छं बत्तीसजीवपरिमाणं... पातासंघवी ५४-२- पे.क्र. २, पृ. ४६-४९, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३६, पृ. १४२A-१४३A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- जीवविचारप्रकरण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ बन्धषट्त्रिंशिका प्रकरण प्रा., पद्य, पाकाहेम ४७४०- पे.क्र. ४, पृ. ४-६, साधर्मिककुलक आदि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ (नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ), (कर्मग्रन्थ नव्य तृतीय) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धविहाणविमुक्कं वन्दिय सिरिवद्धमाण जिणचन्दं... पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः बन्धस्य विधानं मिथ्यात्वादिभिर्निर्वर्त्तनं... भांका १७४- पे.क्र. ३, पृ. १४-१८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) बन्ध० बन्धकर्माणूनां जीवप्रदेशैः सह सम्बन्धस्तस्य विधानं...(२) नव्य बन्धस्वामित्वे किञ्चिल्लिख्यते... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. ३, पृ. ५-६, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१६, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वस्यावचूरि 537 Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः बन्धस्य विधानं मिथ्यात्वादिभिर्निर्वर्त्तनं... भांका १७४- पे.क्र. ३, पृ. १४-१८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) बन्ध० बन्धकर्माणूनां जीवप्रदेशैः सह सम्बन्धस्तस्य विधानं...(२) नव्य बन्धस्वामित्वे किञ्चिल्लिख्यते... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. ३, पृ. ५-६, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१६, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वस्यावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ (कर्मग्रन्थ तृतीय प्राचीन) प्रा., पद्य, गा.५४, पातासंघवी ११७-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११९-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. २, पृ. १२१-१५१, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमां ७ पत्र अने पाछलां पण पत्रो नथी. तेनी नोंध साथेज छे. डीवीडी-३४/५२ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७२, ग्रं.५६०, पातासंघवी ११७-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. __ डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११९-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. २, पृ. १५०, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण 538 Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- वचमां ७ पत्र अने पाछलां पण पत्रो नथी. तेनी नोंध साथेज छे. डीवीडी-३४/५२ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७२, ग्रं.५६०, पातासंघवी ११७-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११९-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. २, पृ. १५०, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमां ७ पत्र अने पाछलां पण पत्रो नथी. तेनी नोंध साथेज छे. डीवीडी-३४/५२ बन्धुराजकथानक-प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके (प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके-बन्धुराजकथानक) प्रा., पद्य, गा.७७, पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र.८, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झे.पत्र २४-३३ अन्तर्गत है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० बन्धोदयसत्ताप्रकरण गणि-विजयविमल गणि, प्रा., पद्य, गा.२४, पाकाहेम १०९९४, पृ. ५, बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण बन्धोदयसत्ताप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.४११, पाकाहेम १०९९४, पृ. ५, बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण बन्धोदयसत्ताप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.४११, पाकाहेम १०९९४, पृ. ५, बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण बप्पभट्टीकथा प्रा., पद्य, गा.६८५, पातासंघवी १३६-२- पे.क्र.४, पृ. ४९-१०५, सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि, वि-१२९१, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५१-५७-७६-७७-७८-१०४ नथी. डीवीडी-३४/५३ बम्भणवाडामण्डन महावीरजिनस्तवन जुओ - महावीरस्तवन बम्भणवाडामण्डन, मुनि-कमलकलशसूरि-शिष्य, अपभ्रंश,मारुगूर्जर, गा.२१ बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता जुओ - भवभावनाप्रकरणनी (सं.)वृत्तिनोहिस्सो-बलिनरेन्द्रकथा, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत बलिनरेन्द्राख्यान प्रा.,सं., आदि वाक्यः बलिरिद्धिरूवजोवणपहुत्तं... भांका ९७, पृ. ४२, बलिनरेन्द्राख्यान, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-४३७. कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-८४ बहुतीर्थस्तवन (तीर्थस्तवन) सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः कुल्पपाके युगादीशं... 539 Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३७८- पे.क्र. ४, पृ. १, कल्याणकस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण बहुबुद्धिकथानक भावनाप्रभावे (भावनाप्रभावे बहुबुद्धिकथानक) प्रा., पद्य, गा.११८, पातासंघवी १५७-9- पे.क्र. १०, पृ. १०६-११८, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ बाणुजिननामस्तवन (९२ जिननाम स्तवन) आचार्य-विनयदेवसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३१, पाकाहेम १६११६- पे.क्र. २, पृ. २-३, प्रथमआश्रवद्वारकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण बादराकायपर्याप्ताकायप्रामाण्यवाद स्थल प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः ये वायर पज्जत्ता पयरस्स असङ्खभाग... पाकाहेम ८८१३- पे.क्र.२, पृ. १B, शब्दप्रामाण्यवादस्थलादि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बार भावना जुओ - द्वादशभावनाकुलक, प्राकृत, गा.२१० बारभावनारास मारुगूर्जर, पद्य, गा.१८५, पाकाहेम १०२३९- पे.क्र. १, पृ. १-१७, बारभावनारास व अनाथीमुनिचउपई, वि-१५९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ बारभावनावेलि यशःसोम, मारुगूर्जर, रचना सं. विक्रम १७०३, पाकाहेम १०१३४, पृ. ७, बारभावनावेलि, वि-१७७३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ बारव्रत रास जुओ - सम्यक्त्वमूलबारव्रत रास, आचार्य-हीरानन्दसूरि, मारुगूर्जर, श्लोक६७ बारव्रतालापकादि प्रा., पाकाहेम १०३३८, पृ. १, बारव्रतालापकादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बारसासूत्र जुओ - कल्पसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.१२८० बारह नावउं द्वादशमास जुओ - धर्मसूरिस्तुति, अपभ्रंश, गा.५० बालपुस्तिका सं., पद्य, श्लोक७, आदि वाक्यः शून्यागारे देवकुले श्मशाने वृक्षमध्यगे... भांका २९३- पे.क्र. १३, पृ. ६१A-६१B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ बावन अक्षर मातृका चउपाई जुओ - मातृका, अपभ्रंश, गा.६३ बावीस परीसह नाम जुओ - २२ परीसह नाम, प्राकृत, गा.२ बाहुबलिस्वाध्याय मुनि-लब्धिविजय, मारुगूर्जर, पद्य, गा.२९, पाकाहेम १०२२४, पृ. २, बाहुबलिस्वाध्याय, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बिल्हणपञ्चाशिका (पञ्चाशिका), (चौर पञ्चाशिका) कवि-बिल्हण, सं., पद्य, का.५०, पाकाहेम ८६६६, पृ. ४, बिल्हणपञ्चाशिका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भीजाएली छे. बीयकालग्गहणविहि जुओ - द्वितीयकालग्रहणविधि, मुनि-शीलचन्द, प्राकृत, गा.८४ बुद्धिनिधि जुओ - बुद्धिसागर, जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह, संस्कृत 540 Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती बुद्धिरास आचार्य-शालिभद्रसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक७३, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३३, पृ. ७५-७६, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४४, पृ. १३७-१४२, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ बुद्धिविषये औत्पत्तिक्यादि भरतनटादिकथाओ जुओ - भरतनटादिकथाओ-औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये, संस्कृत बुद्धिसागर (बुद्धिनिधि), (बुद्धिसिन्धु) जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह[ओशवाल], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२०अध्याय४तरंग, आदि वाक्यः मोहध्वान्तैकभानवे नमज्जनघनानन्दकारिणे... कृ.विः विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. भांका २४१, पृ. १५, बुद्धिसागर, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८९ बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी (पञ्चग्रन्थी) आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १०८०, ग्रं.७०००, पाकाहेम ६६०८, पृ. १०४, बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी, वि-१५मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१०५ बुद्धिसिन्धु जुओ - बुद्धिसागर, जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह, संस्कृत बुद्धिसूरिस्तुति पूर्णिमा पाक्षिक जुओ - पूर्णिमा पाक्षिक बुद्धिसूरिस्तुति#, अपभ्रंश बृहच्चाणक्य राजनीतिशास्त्र जुओ - वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र, संस्कृत बृहच्छान्तिस्तोत्र जुओ - बृहत् शान्तिस्तोत्र, आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, संस्कृत बृहच्छ्रावक विधि जुओ - बृहत् श्रावकविधि, अपभ्रंश, गा.३४ बृहत् अजितशान्तिस्तवन (बृहद् अजितशान्तिस्तवन), (अजितशान्तिस्तवन बृहद्) आचार्य-जयशेखरसूरि, सं., पद्य, का.१७, आदि वाक्यः सकलसुखनिवहदानाय... पाकाहेम १२१५७, पृ. २, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् अजितशान्तिस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२१५७, पृ. १-३, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् अजितशान्तिस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२१५७, पृ. १-३, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् आउरपच्चक्खान पयन्ना जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ बृहत् आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ बृहत् आराधना (आराधना बृहत्) आचार्य-सोमसूरि, प्रा., पद्य, गा.६९, पातासंघवी २०२- पे.क्र. १६, पृ. ३०१-३०८, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ बृहत् कल्पभाष्य जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहत्कल्पभाष्य, प्राकृत, ग्रं.६६०० बृहत् कल्पसूत्र 541 Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा.अध्याय६उद्दे., आदि वाक्यः (१) णो कप्पइ णिग्गन्थाण वा णिग्गन्थीण वा...(२) नो कप्पति निग्गन्थाण वा.... पातासंघवी १९- पे.क्र.७, पृ. ३१६-३२३, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- नकामुं-फाटी गयुं छे. डीवीडी-२२/४१ पाताहेसं ८- पे.क्र. १, पृ. १-१३, बृहत् कल्पसूत्र तथा कल्पलघुभाष्य, संपूर्ण पे. विशेष- उद्देश-६. प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल छे. डीवीडी-१/११ पाताहेसं ९- पे.क्र. २, पृ. ३८५-३९३, बृहत् कल्पसूत्रचूर्णि तथा मूल, संपूर्ण प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग-क्रम-२५ प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे.क्र. १, पृ. १-९, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णि, वि-१३३४, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५६९. प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-१२८-१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१. डीवीडी-७०/७९ भांता ४०- पे.क्र. १, पृ. १-१२, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५७०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७०, १-५७७. डीवीडी-७०/७९ भांता ४१, पृ. १०४, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७५. डीवीडी-७०/७९ तालाद ३६६ , पृ. ११, बृहत्कल्पसूत्र, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३७६, पृ. १३, बृहत्कल्प मूल, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२, डीवीडी-९४/९६ लिंता ६३, पृ.७, बृहत् कल्प, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध पाकाहेम १००३६, पृ. ७, बृहत्कल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १००३७, पृ. ७, बृहत्कल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १०३१४, पृ.७, बृहत्कल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-७ 542 Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभाभा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभाभा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभाभा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभामा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण 543 Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)लघुभाष्य (कल्पलघुभाष्य) गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.६६००, आदि वाक्यः काऊण नमोक्कारं तित्थकराणं तिलोगमहियाणं।... पाताहेसं ८-पे.क्र. २, पृ. १४-२१७, बृहत् कल्पसूत्र तथा कल्पलघुभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल छे. डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे.क्र. २, पृ. १०-१५८, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णि, वि-१३३४, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५७६. भंडारसंदर्भांक-१२९/७२-७३ आपेल छे. प्रत विशेष- भंडार-संदर्भाक-१२८-१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१. डीवीडी-७०/७९ भांता ४०- पे.क्र. २, पृ. १३-१८७, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५७७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७०, १-५७७. डीवीडी-७०/७९ भांता ४१, पृ. १०४, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७५. डीवीडी-७०/७९ पाकाहेम १००३८, पृ. १०८, कल्पलघुभाष्य-बृहत्कल्पसूत्रलघुभाष्य, वि-१६३४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७२००. पत्र ५६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थाग्र - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहद्भाष्य (कल्पबृहद्भाष्य) 544 Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रा., पद्य, पाकाहेम ३२०, पृ. २०७, कल्पबृहद्भाष्य, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १४१ बृहत् कल्पसूत्र - (प्रा.) बृहत्कल्पभाष्य (बृहत् कल्पभाष्य ) प्रा. पद्य, ग्रं.६६००, कृति उपरथी प्रत माहिती कु. विः लघुभाष्य के बृहद्भाष्य. पातासंघवी ३६- पे.क्र. २. पृ. २१-२०८, कल्पचूर्णी, भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष पे. १. त्रुटक छे जीर्णप्राय, पे.२. त्रुटक छे जीर्णप्राय डीवीडी - २५/४४ बृहत् कल्पसूत्र - (प्रा.) कल्पचूर्णी (कल्पचूर्णी). (बृहत्कल्पसूत्रचूर्णी) " प्रा. गद्य ग्रं. १४७८४ आदि वाक्य मङ्गलादीणि सत्याणि मद्गलणज्झाणि मद्गलावसाणाणि । अवग्गहेहावायधारणासम्था भवन्ति । पातासंघवी ३६- पे.क्र. १ पृ. २-८१ कल्पचूर्णी, भाष्य, संपूर्ण 7 प्रत विशेष पे. १. त्रुटक छे जीर्णप्राय पे. २. त्रुटक छे जीर्णप्राय डीवीडी - २५/४४ पाताहेसं ९- पे.क्र. १, पृ. १-३८४, बृहत् कल्पसूत्रचूर्णि तथा मूल, संपूर्ण प्रत विशेष कृति माहिती गायकवाडी केटलोग-क्रम २५ प्रमाणे लीधी छे नवा सूचीपत्रमां कल्पसूत्र लखेल छे. डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे क्र. ३, पृ. १५९-४६६, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य चूर्णि वि-१३३४, अपूर्ण " पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५८१. भण्डार संदर्भांक - १३०/७२-७३. प्रत विशेष - भंडार - संदर्भाक- १२८-१३०/७२-७३ सूचीपत्र नं. १-५६९, १-५७६, १-५८१. डीवीडी-७०/७९ भांता ४२ पृ. २८१, बृहत्कल्पसूत्र चूर्णि वि- १२१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१६०००., सूचीपत्र नं. १-५८०, प्रतिलेखनस्थल - चाहरपल्ली. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७०/७९ लिंता ४३, पृ. १५७, बृहत्कल्पचूर्णी, वि- १५६३, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रंथसूचि मां प्रत क्रमांक- ४२ आपेल छे प्रायः शुद्ध प्रति पाकाहेम ६५५२, पृ. २०२ कल्पचूर्णि वि-१४९२ संपूर्ण - प्रत विशेष - पत्र १६८मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- २०३ पाकाहेम १००३९, पृ. २१२ कल्पचूर्णि बृहत्कल्पसूत्रचूर्णि वि-१५४४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१३ बृहत् कल्पसूत्र- (सं.) वृत्ति ( कल्पवृत्ति ) " आचार्य मलयगिरिसूरि आचार्य-क्षेमकीर्ति [तपागच्छ] सं. प्रा. गद्य आदि वाक्यः प्रकटीकृतनिःश्रेयसपदहेतु..... कृ.विः क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. पाताहे १० पृ. ४२० बृहत् कल्पवृत्ति द्वितीय खण्ड- त्रुटित, त्रुटक पाताहेसं ११, पृ. ३३५, कल्पवृत्ति तृतीय खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ९५२१ प्रतिलेखन पुष्पका सहित. - कुल झे. पृष्ठ- २८५, डीवीडी-२/१२ भांता ४१ पृ. १०४ बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२ अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-५७५. डीवीडी-७०/७९ पाकाहेम १००४१ पृ. २४२ बृहत्कल्पसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य- वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३ प्रतिपूर्ण 545 Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. __ कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभाभा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभाभा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णी (कल्पविशेषचूर्णी), (विशेषचूर्णी) प्रा., गद्य, ग्रं.११०००, पाकाहेम ६५५३, पृ. १४३, कल्पविशेषचूर्णि, वि-१४८९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४३ पाकाहेम ६७६८, पृ. १३८, कल्पविशेषचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १००४०, पृ. १५२, कल्पविशेषचूर्णि-बृहत्कल्पसूत्रविशेषचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६३-६४ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१५३ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १०, पृ. १७-२३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ बृहत् कल्पसूत्र-(सं.)बृहट्टीकानुसारी सक्षिप्तअर्थ आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०३५७, पृ. १३, बृहत्कल्पसूत्र सङ्क्षिप्तअर्थ-बृहट्टीकानुसारी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)कल्पचूर्णी (कल्पचूर्णी), (बृहत्कल्पसूत्रचूर्णी) 546 Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., गद्य, ग्रं.१४७८४, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलणज्झाणि मङ्गलावसाणाणि। अवग्गहेहावायधारणासम्था भवन्ति। पातासंघवी ३६- पे.क्र. १, पृ. २-८१, कल्पचूर्णी, भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- पे.१. त्रुटक छे. जीर्णप्राय, पे.२. त्रुटक छे. जीर्णप्राय डीवीडी-२५/४४ पाताहेसं ९- पे.क्र. १, पृ. १-३८४, बृहत् कल्पसूत्रचूर्णि तथा मूल, संपूर्ण प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग-क्रम-२५ प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे.क्र. ३, पृ. १५९-४६६, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णि, वि-१३३४, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५८१. भण्डार संदर्भाक-१३०/७२-७३. प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-१२८-१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१. डीवीडी-७०/७९ भांता ४२, पृ. २८१, बृहत्कल्पसूत्र चूर्णि, वि-१२१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१६०००., सूचीपत्र-नं.१-५८०., प्रतिलेखनस्थल-चाहरपल्ली. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७०/७९ लिंता ४३, पृ. १५७, बृहत्कल्पचूर्णी, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रंथसूचि मां प्रत क्रमांक- ४२ आपेल छे. प्रायः शुद्ध प्रति. पाकाहेम ६५५२, पृ. २०२, कल्पचूर्णि, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १६८मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२०३ पाकाहेम १००३९, पृ. २१२, कल्पचूर्णि-बृहत्कल्पसूत्रचूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१३ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे- चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण 547 Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभाभा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभाभा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहत्कल्पभाष्य (बृहत् कल्पभाष्य) प्रा., पद्य, ग्रं.६६००, कृ.विः लघुभाष्य के बृहद्भाष्य. पातासंघवी ३६- पे.क्र. २, पृ. २१-२०८, कल्पचूर्णी, भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- पे.१. त्रुटक छे. जीर्णप्राय, पे.२. त्रुटक छे. जीर्णप्राय डीवीडी-२५/४४ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहद्भाष्य (कल्पबृहद्भाष्य) प्रा., पद्य, पाकाहेम ३२०, पृ. २०७, कल्पबृहद्भाष्य, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४१ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)लघुभाष्य (कल्पलघुभाष्य) गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.६६००, आदि वाक्यः काऊण नमोक्कारं तित्थकराणं तिलोगमहियाणं।... पाताहेसं ८- पे.क्र. २, पृ. १४-२१७, बृहत् कल्पसूत्र तथा कल्पलघुभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल छे. डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे.क्र. २, पृ. १०-१५८, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णि, वि-१३३४, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५७६. भंडारसंदर्भांक-१२९/७२-७३ आपेल छे. प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-१२८-१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१. डीवीडी-७०/७९ भांता ४०- पे.क्र. २, पृ. १३-१८७, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५७७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७०, १-५७७. ___ डीवीडी-७०/७९ भांता ४१, पृ. १०४, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७५. डीवीडी-७०/७९ पाकाहेम १००३८, पृ. १०८, कल्पलघुभाष्य-बृहत्कल्पसूत्रलघुभाष्य, वि-१६३४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७२००. पत्र ५६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१०८ पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ 548 Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र पमुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णी (कल्पविशेषचूर्णी), (विशेषचूर्णी) प्रा., गद्य, ग्रं.११०००, पाकाहेम ६५५३, पृ. १४३, कल्पविशेषचूर्णि, वि-१४८९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४३ पाकाहेम ६७६८, पृ. १३८, कल्पविशेषचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १००४०, पृ. १५२, कल्पविशेषचूर्णि-बृहत्कल्पसूत्रविशेषचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६३-६४ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१५३ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १०, पृ. १७-२३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ बृहत् कल्पसूत्र-(सं.)बृहट्टीकानुसारी सङ्क्षिप्तअर्थ आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०३५७, पृ. १३, बृहत्कल्पसूत्र सङ्क्षिप्तअर्थ-बृहट्टीकानुसारी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ बृहत् कल्पसूत्र-(सं.)वृत्ति (कल्पवृत्ति) आचार्य-मलयगिरिसूरि, आचार्य-क्षेमकीर्ति तपागच्छ], सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः प्रकटीकृतनिःश्रेयसपदहेतु... कृ.विः क्षेमकीर्तिसूरि वडे सं. १३३२ मां परिपूरित. पाताहेसं १०, पृ. ४२०, बृहत् कल्पवृत्ति द्वितीय खण्ड- त्रुटित, त्रुटक पाताहेसं ११, पृ. ३३५, कल्पवृत्ति तृतीय खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५२१. प्रतिलेखन पुष्पका सहित. कुल झे.पृष्ठ-२८५, डीवीडी-२/१२ भांता ४१, पृ. १०४, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, टीका उद्देशक-२, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५७५. डीवीडी-७०/७९ पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२४१ 549 Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभामा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभाभा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.६४०, ग्रं.८७५, आदि वाक्यः नमिऊण सजलजलहरनिभस्सणं वद्धमाणजिणवसह।... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १७, पृ.?, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- क्षेत्रसमासप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-६५६. झेरोक्ष पत्र-९ पर है. मात्र अन्त के पत्र हैं. सूचीपत्र में इसका उल्लेख नहीं है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १८३-२, पृ. २४६, क्षेत्रसमास सटीक, वि-१२७४, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३५५, कुल ग्रन्थाग्र-३०००. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. १, पृ. १-६४, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- बृहत् क्षेत्रसमास सह वृत्ति, पे. विशेष- बृहत् क्षेत्रसमास वृत्तिः प्रथमाधिकारान्तर्गत विवरणे लघुक्षेत्रसमाससूत्र व्याख्यानं सविशेष समुद्धृतमिति. डीवीडी-३७/५४ भांता ५१, पृ. २८२, बृहत्क्षेत्रसमास सह मलयगिरीयटीका - उत्तरार्द्ध, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दो भागों में यह प्रत लिखी गयी है. इस भाग में गाथा-३०३ से अन्त तक है. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-७१/८० 550 Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११५४, पृ. २१, बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६५५. पाकाहेम ६७३०, पृ. ६०, बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६० बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य मलयगिरिसूरि सं. गद्य ग्रं. ७६६०, आदि वाक्यः जयति जिनवचनमवितथमितगम्भीरार्थ... नयकलितम् । .... भांता ५१, पृ. ५-१६५, बृहत्क्षेत्रसमास सह मलयगिरीयटीका उत्तरार्द्ध, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दो भागों में यह प्रत लिखी गयी है. इस भाग में गाथा - ३०३ से अन्त तक है. कुल झे. पृष्ठ - ९६, डीवीडी-७१/८० बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (सं.) बृहत् टीका ( बृहत् टीका) आचार्य-सिद्धसूरि[उकेशगच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११९२, ग्रं. ३०००, आदि वाक्य: नत्वा वीरं वक्ष्ये जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणपूज्यैः । रचिते क्षेत्रसमासे वृत्तिमहं स्वपबोधार्थम् ||१।।... पातासंघवी १८३-२ पृ. १५० क्षेत्रसमास सटीक, वि-१२७४ संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा - ३५५, कुल ग्रन्थाग्र - ३०००. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६७३०, पृ. ६०, बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६० बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (सं.) लघुटीका आचार्य-सिद्धसूरि (उकेशगच्छ), सं. गद्य रचना सं. विक्रम ११९२. ग्रं. ११९०, पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. १, पृ. १२८, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- बृहत् क्षेत्रसमास सह वृत्ति, पे. विशेष- बृहत् क्षेत्रसमास वृत्तिः प्रथमाधिकारान्तर्गत विवरणे लघुक्षेत्रसमाससूत्र व्याख्यानं सविशेषं समुद्धृतमिति. डीवीडी-३७/५४ बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (प्रा.) सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण (सङ्क्षिप्त क्षेत्रसमासप्रकरण) (क्षेत्रसमासप्रकरण सङ्क्षिप्त ) गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा. ८५, आदि वाक्यः नमिऊण सजलजलहरनिभस्सणं..... पाताहेसं १६१- पे.क्र. १२, पृ. १८१ - १८३, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ११२. प्रत विशेष प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-८/१८ भांता ६४- पे.क्र. ८, पृ. १८४४-१९२B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- खेत्तसमास, पे. विशेष - अन्तिम पत्र का अक्षर घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र -५४-५६. कुल झे. पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य जुओ- नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, आचार्य सोमतिलकसूरि, प्राकृत, गा.३८६ बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण (प्रा.) सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण (सङ्क्षिप्त क्षेत्रसमासप्रकरण) (क्षेत्रसमासप्रकरण सङ्क्षिप्त ) गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.८५, आदि वाक्यः नमिऊण सजलजलहरनिभरसणं..... पाताहेसं १६१ - पे.क्र. १२, पृ. १८१-१८३, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ११२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ झे. भांता ६४- पे क्र. ८, पृ. १८४३ १९२B उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम खेत्तसमास पे विशेष अन्तिम पत्र का अक्षर घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र- ५४-५६. कुल झे. पृष्ठ-६० डीवीडी-७२/८१ बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य मलयगिरिसूरि सं. गद्य ग्रं. ७६६०, आदि वाक्यः जयति जिनवचनमवितथमितगम्भीरार्थ... नयकलितम् ।.... " 551 Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ५१, पृ. ५-१६५, बृहत्क्षेत्रसमास सह मलयगिरीयटीका - उत्तरार्द्ध, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दो भागों में यह प्रत लिखी गयी है. इस भाग में गाथा-३०३ से अन्त तक है. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-७१/८० बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)बृहत् टीका (बृहत् टीका) आचार्य-सिद्धसूरि[उकेशगच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११९२, ग्रं.३०००, आदि वाक्यः नत्वा वीरं वक्ष्ये जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणपूज्यैः । रचिते क्षेत्रसमासे वृत्तिमहं स्वपबोधार्थम् ||१||... पातासंघवी १८३-२, पृ. १-५०, क्षेत्रसमास सटीक, वि-१२७४, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३५५, कुल ग्रन्थाग्र-३०००. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६७३०, पृ. ६०, बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६० बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)लघुटीका आचार्य-सिद्धसूरि[उकेशगच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११९२, ग्रं.११९०, पातासंघवी १८८-१-पे.क्र. १, पृ. १२८, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- बृहत् क्षेत्रसमास सह वृत्ति, पे. विशेष- बृहत् क्षेत्रसमास वृत्तिः प्रथमाधिकारान्तर्गत विवरणे लघुक्षेत्रसमाससूत्र व्याख्यानं सविशेषं समुद्धृतमिति. डीवीडी-३७/५४ बृहत् चउसरण जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ बृहत् चाणक्य राजनीतिशास्त्र जुओ - वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र, संस्कृत बृहत् टीका जुओ - बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)बृहत् टीका, आचार्य-सिद्धसूरि, संस्कृत, ग्रं.३००० बृहत् शान्तिस्तव (शान्तिस्तव बृहत्) सं., आदि वाक्यः ॐ ह्रीं भो भो भव्यलोका... तालाद ३३९- पे.क्र. ६, पृ. ६५-६७, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०६५७, पृ. ४, बृहत्शान्तिस्तोत्र, वि-१७८४, संपूर्ण बृहत् शान्तिस्तव-(सं.)अवचूरि आचार्य-हर्षकीर्तिसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६५६, श्लोक२१५, पाकाहेम ८२८१, पृ. ५, बृहत् शान्तिस्तवावचूरि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ बृहत् शान्तिस्तव-(सं.)अवचूरि आचार्य-हर्षकीर्तिसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६५६, श्लोक२१५, पाकाहेम ८२८१, पृ. ५, बृहत् शान्तिस्तवावचूरि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ बृहत् शान्तिस्तोत्र (बृहच्छान्तिस्तोत्र) आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, सं., पद्य, आदि वाक्यः भो भो भव्याः श्रृणुत वचनं प्रस्तुतं सर्वमेतत्... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३१, पृ. १०९-११०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३५, पृ. १२१-१२३, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ बृहत् श्रावकविधि (बृहच्छ्रावक विधि) अप., पद्य, गा.३४, आदि वाक्यः वीरजिणिन्दहपयकमलो पणमविपुन्नपवित्तो... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २८, पृ. १०५-१०६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 552 Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ बृहत् षट्स्थानक (गाहाजुअलविवरण) प्रा., पद्य, गा.१७३, ग्रं.२०२, आदि वाक्यः कयवीरजिणपणामो भणियाण पुव्वसूरीहिं... पाताखेत ५०- पे.क्र. १४, पृ. १७८-१८९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण (सङ्ग्रहणीप्रकरण), (सङ्घयणि) गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.५७९, आदि वाक्यः नियट्ठवियअट्ठकम्मं वीरं नमिउण तिगरणविसुद्धं ।... कृ.विः गाथा ३६६ थी ३८० वच्चे पण मळे छे. पाताखेत ११- पे.क्र. १, पृ. २-४८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. नाम- सङ्गहणीनाम पगरण, पे. विशेष- गाथा-५२३. प्रथम पत्र गाथा १-१२ नहीं है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १, पृ. १-५२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१४. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र. १, पृ. -२-३२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. नाम- संघयणी, पे. विशेष- गाथा-५२८. ग्रन्थाग्र-६६०. प्रारंभ व बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं है. प्रारंभिक ९ पत्र अर्धखंडित है. अन्त में क्षेत्रादि परिमाण दिया है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१,७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-३- पे.क्र. १, पृ. २३४-२४४, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५०-३८८. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १३, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- यह कृति झे.पत्र ४१-४८ अन्तर्गत है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १८, पृ. ६१-१०४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- संगहणी, पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-३७०. पत्रांक-६९ नहीं है. झेरोक्ष पत्र १२१-१४२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र.२, पृ. ५४-१०७, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३४. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १, पृ. २९-६१, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३०. डीवीडी-३१/५० पाताहेसं १००, पृ. १४१, सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ 553 Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १२१, पृ. १२३, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १५०, पृ. २८, बृहत्सङ्ग्रहणी प्रकरण त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्रसंख्या ९९ थी१२७ आपेल छे., गा.के. नं. ६२/१०मां पत्र ९१ थी १२७ डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १८१, पृ. २५७, बृहत्सङ्ग्रहणी सटीक शालिभद्रसूरिविरचित, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ तालाद ३२६-पे.क्र. १, पृ. १-३८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५२२. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ वताकांति ४००-२, पृ. १६, बृहत् सङ्ग्रहणी, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ डतामुक्ता ४६१, पृ. २०, बृहत्सङ्ग्रहणी, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३७, पृ. ७९-८९, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अन्त भाग अपूर्ण है. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८.५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ६९६१, पृ. ११, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१४७८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३५६, पृ. ७५, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ पाकाहेम १०४३८, पृ. १२, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१४७९, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-५२०. ग्रन्थाग्र-६५०. कुल झे.पृष्ठ-१३ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, पातासंघवी ९६, पृ. २९८, बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति, वि-१२९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १९१थी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०३, पृ. २५९, बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०९, पृ. ३०५, बृहत्सङ्ग्रहणीवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पाकाहेम १०३५६, पृ. ७५, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-शालिभद्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११३९, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः केवलविमलज्ञानावलोकलोचनसुदृष्टसर्वार्थम् । त्रिदशासुरेन्द्रवन्दितमानम्य जिनं महावीरम् ।।... पाताहेसं १००, पृ. १४१, सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १८१, पृ. २५७, बृहत्सङ्ग्रहणी सटीक शालिभद्रसूरिविरचित, संपूर्ण 554 Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१०/१९ तालाद ३३२, पृ. १९८, सङ्ग्रहणीप्रकरणटीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-९४/९६ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १२१, पृ. १२३, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१७ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५०००, पातासंघवी ९६, पृ. २९८, बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति, वि-१२९०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १९१थी एकबाजुनी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०३, पृ. २५९, बृहत्सङ्ग्रहणी वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०९, पृ. ३०५, बृहत्सङ्ग्रहणीवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पाकाहेम १०३५६, पृ. ७५, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-शालिभद्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११३९, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः केवलविमलज्ञानावलोकलोचनसुदृष्टसर्वार्थम् । त्रिदशासुरेन्द्रवन्दितमानम्य जिनं महावीरम् ||... पाताहेसं १००, पृ. १४१, सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १८१, पृ. २५७, बृहत्सङ्ग्रहणी सटीक शालिभद्रसूरिविरचित, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ तालाद ३३२, पृ. १९८, सङ्ग्रहणीप्रकरणटीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-९४/९६ बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १२१, पृ. १२३, बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक त्रुटक अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१७ बृहत्कल्पसूत्रचूर्णी जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)कल्पचूर्णी, प्राकृत, ग्रं.१४७८४ बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा., पद्य, गा.३७८, कृ.विः गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे. पाताखेत ३२-१- पे.क्र. १०, पृ. ८६-१३३, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ५४-२- पे.क्र. १, पृ. १-४६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६६. नवा सूचीपत्रमां आने श्रीचन्द्रीया तरीके लखी चे पण गा.के. मां नी गाथा संख्या पर थी अहीं लीधी छे. डीवीडी-२९/४७ वताकांति ४३४- पे.क्र. १, पृ. १४८अ, सङ्ग्रहणी व प्रवचनसन्दोह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३७४. अपूर्ण. मात्र अंतिम ३ गाथाएँ हैं. प्रत विशेष- पत्र-१४८-१८१. 555 Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४, पृ. ४३-६१, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३०८. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा., पद्य, गा.५३४, पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. १, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० बृहद् अजितशान्तिस्तवन जुओ - बृहत् अजितशान्तिस्तवन, आचार्य-जयशेखरसूरि, संस्कृत, का.१७ बृहद्ग्रहशान्तिस्तोत्र आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः जगद्गुरुं नमस्कृत्यं श्रुत्वा सद्गुरुभाषितम्... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. १२, पृ. ७A-७B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ बृहद्वृत्ति जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित, गणि-सिद्धर्षि गणि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.९५०० बृहद्वृत्ति जुओ - विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत, ग्रं.२८००० बृहद्वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत बृहद्वृत्तिसारोद्धार जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सक्षेप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत बृहन्महर्षिस्तव जुओ - महर्षिस्तव बृहत्, प्राकृत, गा.५९ बे स्तुतिओ , पद्य, का.८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३४, पृ. १२४मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ बोटिकप्रतिषेध आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पातासंघवी १३५-२- पे.क्र.७, पृ. १०४-१०८, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ बोटिकोच्चाटनवादस्थानक प्रा., पद्य, आदि वाक्यः इत्थं पुण जिणमग्गे तित्थयराणं च पढमउ कप्पो... भांता ७०- पे.क्र. १०४, पृ. १४००-१४४A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ बोधदीपिका वृत्ति जुओ - अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)बोधदीपिका वृत्ति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.७४० बोधप्रदीपपञ्चाशिका सं., पद्य, का.५०, आदि वाक्यः चूडोत्तंसितचारुचन्द्रकलिकाचञ्चच्छिखाभासुरो... कृ.विः काव्य-५१. पातासंघवी १७४- पे.क्र.३, पृ. ४५-५२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- बोधप्रदीप, पे. विशेष- अपूर्ण. त्रुटक पत्र ४५-४६-५०-५१ नथी. झेरोक्ष पत्र-१८-२०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. 556 Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम ७०७१- पे.क्र. १, पृ. १-४, बोधप्रदीपपञ्चाशिका तथा सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०७०३- पे.क्र. १, पृ. १-४, बोधप्रदीपपञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण बोधिदीपिका टीका जुओ - अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)बोधदीपिका वृत्ति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.७४० बोल विचार जुओ - अनेक बोल विचार, मारुगूर्जर बोलविचार मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३३०, पृ.३, बोलविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ बोलसङ्ग्रह मारुगूर्जर, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३०, पृ. ११७-११९, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४२, पाकाहेम ९४३१- पे.क्र. १, पृ. १, ब्रह्मचर्यसमाधिकुलक तथा नमस्कार, वि-१६५१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४१. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ११, पृ. ३२-३४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-५० पाकाहेम १५६०३, पृ. ३, ब्रह्मचर्यदशसमाधिस्थानकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ ब्रह्मचर्यविषये गजसुकुमारकथा (गजसुकुमारकथा ब्रह्मचर्य विषये) सं., पद्य, श्लोक२१, पातासंघवी १२९- पे.क्र. ७, पृ. ९३-९५, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ ब्रह्मदत्तचक्रिचरित्र प्रा., ग्रं.३०३०, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १०, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३७ पर समाप्तिसूचक पुष्पिका है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० ब्रह्मा लूनशिरा इति वृत्तद्वयव्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः ब्रह्मालूनशिरा इत्येवत्कथमत्रोच्यते... पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. २, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ ब्राह्मणज्ञातिनिराकरण सं., पातासंघवी १३५-२- पे.क्र.६, पृ. ९८-१०४, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ 557 Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक (भत्तपरिन्ना पयन्ना) गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, गा.१७२, ग्रं.१७१, आदि वाक्यः नमिऊण महाइसयं महाणुभावं... कृ.विः गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.२, पृ. ११७-२२७, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिन्ना प्रकीर्णक, पे. विशेष- गाथा-१७१. , अपूर्ण. पत्र ११७-२२७ के बीच दूसरी और भी कृतियाँ है. ताडपत्रीय पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-२५-८०. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. ३, पृ. १लु, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१७१. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८- पे.क्र.८, पृ. ९४-१००, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १७, पृ. ३०८-३२५, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७१. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.५, पृ. ६०-६७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ३, पृ. ८०-९२, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७१. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६२- पे.क्र.४, पृ. ???, उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे. डीवीडी-८/१८ तालाद ३८९-पे.क्र.६, पृ. १११-१२९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-१७१. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ४, पृ. १४-२२, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र.८, पृ. १०८-११५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र.५, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३. कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. ९, पृ. ८-१०, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १००८६- पे.क्र. १, पृ. १-३, भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण 558 Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०४२८- पे.क्र.३, पृ.?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५२०- पे.क्र. ३, पृ. १-१६, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. १, पृ. १-७, भक्तपरिज्ञा आदि, वि-१५५४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३. प्रत विशेष- पत्र-११ थी २२ नथी. भांका १२३- पे.क्र. २, पृ. २B-६A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- भत्तपरिन्नाप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-१७१. ग्रन्थान-१७१. सूचीपत्रांक-१-३०४. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १६८ - पे.क्र. ३, पृ. ३B-६B, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०६. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २२७- पे.क्र. ३, पृ. ६B-१२B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ भांका २४६- पे.क्र. ३, पृ. ३A-६A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र क्रम-१-३००. डीवीडी-८९ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. ३, पृ. २०, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः भृञ् धातुर्धारणे पोषणे च।... पाकाहेम १००८६- पे.क्र. २, पृ. ४-६, भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भांका १६८- पे.क्र. ३, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०६. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १९२- पे.क्र.३, पृ. ९B-११A, चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८४, १-२९७, १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ 559 Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका ३०१- पे.क्र. ३, पृ. ७A-८B, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी-९२ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, तालाद ३८९- पे.क्र. ६, पृ. १११-१२९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-१७१. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः भृञ् धातुर्धारणे पोषणे च।... पाकाहेम १००८६- पे.क्र. २, पृ. ४-६, भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भांका १६८- पे.क्र. ३, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०६. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १९२- पे.क्र. ३, पृ. ९B-११A, चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८४, १-२९७, १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ भांका ३०१- पे.क्र. ३, पृ. ७A-८B, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३०७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी-९२ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, तालाद ३८९- पे.क्र. ६, पृ. १११-१२९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-१७१. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. ३, पृ. २०, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञा सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ भक्तामरस्तोत्र आचार्य-मानतुङ्गसूरि, सं., पद्य, का.४४, आदि वाक्यः भक्तामरप्रणतमौलिमणिप्रभाणा... कृ.विः अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ११, पृ. २२५-२३१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण __डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र.६, पृ. ८७-९१, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १७, पृ. २०२-२०६, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण 560 Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २७, पृ. २०९-२१३, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.७, पृ. ४८-५३, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३७, पृ. १२९-१३०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १११- पे.क्र.४, पृ. १६३-१७३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १२, पृ. १५६-१६१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५२, पृ. १२१अ-१२५आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ६१-६२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २३, पृ. १११A-११५A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता २४- पे.क्र. २, पृ. ५७B-६४A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३५७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता ७२- पे.क्र. २४, पृ. १३९B-१४५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. १३, पृ. ११९-१२३/२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०२२- पे.क्र.८, पृ. ११-१३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८९, पृ. १४४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. काव्य-११ तक है. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १२, पृ. ११८-१२२, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१८९, पृ. २१, भक्तामरस्तोत्र सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ 561 Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०१९०, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१६९६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०३७७, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०६५२, पृ. १०, भक्तामरस्तोत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४थु नथी. पाकाहेम १०६५३, पृ. १३, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ५, पृ. ४२-६५, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- का.४४. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ४, पृ. ४-५, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १५००३, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ भक्तामरस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-गुणाकरसूरि रुद्रल्लीय[रुद्रपल्लीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४२६, ग्रं.१५२६, पाकाहेम १०३७७, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १५००३, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ भक्तामरस्तोत्र-(सं.)टीका गणि-गुणसुन्दर, सं., गद्य, पाकाहेम १०६५२, पृ. १०, भक्तामरस्तोत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४थु नथी. भक्तामरस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०१८९, पृ. २१, भक्तामरस्तोत्र सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र.४, पृ.६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ ___ कुल झे.पृष्ठ-७ भक्तामरस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१९०, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१६९६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ भक्तामरस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध ___ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०६५३, पृ. १३, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण भक्तामरस्तोत्र रागमाला मुनि-देवविजय, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७३०, पाकाहेम १०३०७, पृ. १०, भक्तामरस्तोत्र रागमाला, वि-१८८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ 562 Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भक्तामरस्तोत्र रागमाला मुनि-देवविजय, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७३०, पाकाहेम १०३०७, पृ. १०, भक्तामरस्तोत्र रागमाला, वि-१८८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ भक्तामरस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मुनि-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१९०, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१६९६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ भक्तामरस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०६५३, पृ. १३, भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसहित, वि-१७मी, संपूर्ण भक्तामरस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०१८९, पृ. २१, भक्तामरस्तोत्र सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र.४, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ कुल झे.पृष्ठ-७ भक्तामरस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-गुणाकरसूरि रुद्रल्लीय[रुद्रपल्लीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४२६, ग्रं.१५२६, पाकाहेम १०३७७, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १५००३, पृ. २२, भक्तामरस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ भक्तामरस्तोत्र-(सं.)टीका गणि-गुणसुन्दर, सं., गद्य, पाकाहेम १०६५२, पृ. १०, भक्तामरस्तोत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४थु नथी. भक्तिस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक२०, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १९, पृ. २१-२२, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भगवईअङ्गजन्त जुओ - भगवतीसूत्र-(प्रा.)भगवत्यङ्गयन्त्र, प्राकृत भगवती आराधना प्रा.. भांका १७७, पृ. ४०३, भगवती आराधना सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं. पा. ३०३,३०४, B नथी. पा. स. ३०४ नथी. डीवीडी-८६ भांका १९३, पृ. १३५, भगवति आराधना मूल, संपूर्ण प्रत विशेष-६६, नथी. डीवीडी-८७ भगवती आराधना-(सं.)टीका सं., गद्य, भांका १७७, पृ. ४०३, भगवती आराधना सटीक, संपूर्ण 563 Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रं. पा. ३०३,३०४, B नथी. पा. स. ३०४ नथी. डीवीडी-८६ भगवती आराधना-(सं.)टीका सं., गद्य, भांका १७७, पृ. ४०३, भगवती आराधना सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं. पा. ३०३,३०४, B नथी. पा. स. ३०४ नथी. डीवीडी-८६ भगवतीसूत्र आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, ग्रं.१६०००, आदि वाक्यः नमो अरिहन्ताणं...साहूणं नमो बम्भीए लिवीए... वताकांति ३९३, पृ. १९७, भगवतीसूत्र-द्वितीयखण्ड, वि-१३९६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५-१ अने ५-२ बेवडाएल छे. डीवीडी-९७/९८ डतामुक्ता ४४९, पृ. २७६, भगवतीसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १३८AB=२७६ डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम ९९९८, पृ. २७७, भगवतीसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं मनोहर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२७८ पाकाहेम १०१०६, पृ. १७५, भगवतीसूत्र, वि-१६०८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४४मुं डबल छे अने पत्र १५७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१७६ पाकाहेम १०३५०, पृ. ३२०, भगवतीसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२० पाकाहेम १०३५५, पृ. ३४५, भगवतीसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५७५२. पत्र ४६ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४५ पाकाहेम १०४६३, पृ. ४२१, भगवतीसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५७५०. पत्र ८५-८६ भेगां अने २८६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४२२ पाकाहेम १०४६४, पृ. ४७१, भगवतीसूत्र, वि-१६२२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०७मुं १३३मुं १५९मुं डहल अने १५६-१५७, ३०३-३०४, ३८८-३८९ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-४६१ पाकाहेम १०४६५, पृ. २९१, भगवतीसूत्र, वि-१५०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०२ पाकाहेम १४७९४, पृ. २९२, भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१६२०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५०. पत्र २३०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२९७ पाकाहेम १४७९५, पृ. २८३, भगवतीसूत्र सटीक मूल, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२८७ पाकाभाभा १, पृ. १५५, भगवतीसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा ४८, पृ. ३५४, भगवतीसूत्र, वि-१६०५, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका. पाकाभाभा ५५, पृ. ४३, भगवतीसूत्र अपूर्ण त्रूटक, वि-१६वी, अपूर्ण 564 Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १ थी १० तथा ६५मुं, पत्र १ तथा २६ थी ४३ सुधी बन्ने पत्रोना अक्षरो जुदा जुदा छे. पुप्रे ४१०, पृ. २४०, भगवतीसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- जेसलमेर लोंकागच्छीय प्रत पर से. कुल झे.पृष्ठ-२४० पुप्रे ४५३, पृ. ६०५, भगवतीसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- डभोई जम्बूसूरि म.सा. के भंडार की मूल प्रति की प्रेस कॉपी लालजीवाली. कुल झे.पृष्ठ-६०५ भगवतीसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा., पद्य, श्लोक३०००, पाकाहेम ८५४, पृ. ३५, भगवतीसूत्रचूर्णि, संपूर्ण पाकाहेम ६५३१, पृ. ५७, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४७०७. कुल झे.पृष्ठ-५९ पाकाहेम ६५४९, पृ. ७८, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७७ पाकाहेम ६७३१, पृ. ८०, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३५९०. कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ९९९९, पृ. ४२, भगवतीसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३११४. कुल झे.पृष्ठ-४२ भगवतीसूत्र-(सं.)टीका (विशेषवृत्ति), (भगवतीसूत्र-(सं.)विशेषवृत्ति) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२८, ग्रं.१८६१६, आदि वाक्यः सर्वज्ञमीश्वरमनन्तमसङ्गमग्र्यं सर्वीयमस्मरमनीशमनीहसिद्धम्। भांता ५०, पृ. ४१५, भगवतीसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९३., १ अने ३ खूटे छे., ३८,३८A,१०४A,१०४B डबल छे. डीवीडी-७१/८० पाकाहेम १०५, पृ. ३७५, भगवतीसूत्रवृत्ति-अपूर्ण, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७५ पाकाहेम १००००, पृ. ३२०, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा हस्त्यारूढ शासनदेव-देवी सहित समवसरण, आकर्षक चित्र छे. पाकाहेम १४७९३, पृ. ३२९, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३३१ पाकाहेम १४७९४, पृ. २९२, भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१६२०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५०. पत्र २३०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२९७ पाकाहेम १४७९५, पृ. २८३, भगवतीसूत्र सटीक मूल, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२८७ पाकाहेम १४८४२, पृ. २००, भगवतीसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०० पाकाभाभा २, पृ. २०४, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४० तथा १६६ डबल छे. पाकाभाभा २२, पृ. ४६८, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५६२, संपूर्ण 565 Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भगवतीसूत्रनी (सं.) टीकानो हिस्सो मूलाकोदेशकसङ्ग्रहणी (मुलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी) आचार्य अभयदेवसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः पण्णवण वेयरागे कप्प चरित्त पडिसेवण..... पाकाहेम १२७५५- पे. क्र. ५. पृ. ३-४, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिक विषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो पुद्गलषट्त्रिंशिका - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, " पाकाहेम १५८०९ - पे.क्र. २, पृ. २-३, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३ भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो पुद्गलषट्त्रिंशिका * आचार्य - अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२८, गा. १०६, भगवतीसूत्र - (सं.) पर्याय 1 सं., गद्य, रचना सं. विक्रम २०००, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २६ पृ. ७१-७४ सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- ८४ भगवतीसूत्र - (सं.) टिप्पनक सं. गद्य, पाकाहेम ७४४२, पृ. ८६, भगवतीसूत्र टिप्पनक नवमशतकपर्यन्त वि-१७मी प्रतिपूर्ण भगवतीसूत्र (सं.) अवचूर्णि सं. गद्य ग्रं. ३०००, " पाकाहेम ६५३२, पृ. ४९, भगवतीसूत्र अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५० भगवतीसूत्र - (सं.) अवचूर्णि सं., गद्य, ग्रं. ३११४, आदि वाक्यः तेणं कालेणं... अथ समस्तप्रत्यवभासन... भांका २५७, पृ. ५५, भगवतीसूत्रावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-११८. डीवीडी-८९ भगवतीसूत्र - (प्रा.) हिस्सा आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. पातासंघवी १७-३- पे.क्र. ३, पृ. ?, ओघनिर्युक्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम भगवती आलापक प्रत विशेष - त्रुटक-अपूर्ण, डीवीडी-२२/४१ 7 पाकाहेम ६८९८ पृ. २९ भगवतीसूत्र आलापक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २९ पाकाहेम १०४४६, पृ. ७ भगवतीसूत्रगत चमराधिकार, वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ भगवतीसूत्र - (प्रा.) भगवत्यङ्गयन्त्र ( भगवत्यङ्गयन्त्र) ( भगवईअड्ङ्गजन्त) प्रा., आदि वाक्य: पठमसए उद्देसा १० दिन ५ बीयसए उद्देसा १० दिन ७... भांता ७०- पे.क्र. १२, पृ. १७B-१८A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - 566 " प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्रखण्ड भगवतीसूत्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, कृ.विः शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च सेंटर-अहमदाबाद से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है परंतु प्रत में भाषा संस्कृत है. पाकाहेम १५४१९, पृ. १८, भगवतीसूत्र बीजक, वि-१७६२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.४९०. संवत-नेत्ररसमुनिशशिवर्षे. शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च इंस्टिट्यूट से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-९ भगवतीसूत्र-(प्रा.+सं.)आलापकसङ्ग्रह (आलापकसङ्ग्रह) प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः अरहन्त सिद्ध पवयण गुरु थेर बहुस्सुए... भांता ७०- पे.क्र. १३९, पृ. १९००-१९५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्र-(प्रा.)दण्डक (भगवतीसूत्र दण्डक) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अहाकम्मणं भुञ्जमाणे समणे निग्गन्थे किं बन्धइ... भांता ७०- पे.क्र. १५०, पृ. २०१०-२०२०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- अष्टादशधा रसवती, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्र दण्डक जुओ - भगवतीसूत्र-(प्रा.)दण्डक, प्राकृत भगवतीसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा., पद्य, श्लोक३०००, पाकाहेम ८५४, पृ. ३५, भगवतीसूत्रचूर्णि, संपूर्ण पाकाहेम ६५३१, पृ. ५७, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४७०७. कुल झे.पृष्ठ-५९ पाकाहेम ६५४९, पृ. ७८, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७७ पाकाहेम ६७३१, पृ. ८०, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३५९०. कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ९९९९, पृ. ४२, भगवतीसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३११४. कुल झे.पृष्ठ-४२ भगवतीसूत्र-(प्रा.)दण्डक (भगवतीसूत्र दण्डक) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अहाकम्मणं भुञ्जमाणे समणे निग्गन्थे किं बन्धइ... भांता ७०- पे.क्र. १५०, पृ. २०१०-२०२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- अष्टादशधा रसवती, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४३. 567 Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्र-(प्रा.)भगवत्यङ्गयन्त्र (भगवत्यङ्गयन्त्र), (भगवईअङ्गजन्त) प्रा., आदि वाक्यः पठमसए उद्देसा १० दिन ५ बीयसए उद्देसा १० दिन ७... भांता ७०- पे.क्र. १२, पृ. १७B-१८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्र-(प्रा.)हिस्सा आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., पातासंघवी १७-३- पे.क्र. ३, पृ. ?, ओघनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- भगवती आलापक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण, डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६८९८, पृ. २९, भगवतीसूत्र आलापक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १०४४६, पृ. ७, भगवतीसूत्रगत चमराधिकार, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ भगवतीसूत्र-(प्रा.+सं.)आलापकसङ्ग्रह (आलापकसङ्ग्रह) प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः अरहन्त सिद्ध पवयण गुरु थेर बहुस्सुए... भांता ७०- पे.क्र. १३९, पृ. १९०B-१९५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ भगवतीसूत्र-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, ग्रं.३०००, पाकाहेम ६५३२, पृ. ४९, भगवतीसूत्र अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० भगवतीसूत्र-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, ग्रं.३११४, आदि वाक्यः तेणं कालेणं...अथ समस्तप्रत्यवभासन... भांका २५७, पृ. ५५, भगवतीसूत्रावचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११८. डीवीडी-८९ भगवतीसूत्र-(सं.)टिप्पनक सं., गद्य, पाकाहेम ७४४२, पृ. ८६, भगवतीसूत्र टिप्पनक नवमशतकपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण भगवतीसूत्र-(सं.)टीका (विशेषवृत्ति), (भगवतीसूत्र-(सं.)विशेषवृत्ति) आचार्य-अभयदेवसरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२८, ग्रं.१८६१६, आदि वाक्यः सर्वज्ञमीश्वरमनन्तमसङ्गमग्र्यं सर्वीयमस्मरमनीशमनीहसिद्धम्।। भांता ५०, पृ. ४१५, भगवतीसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९३., १ अने ३ खूटे छे., ३८,३८A,१०४A,१०४B डबल छे. 568 Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-७१/८० पाकाहेम १०५, पृ. ३७५, भगवतीसूत्रवृत्ति-अपूर्ण, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७५ पाकाहेम १००००, पृ. ३२०, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा हस्त्यारूढ शासनदेव-देवी सहित समवसरण, आकर्षक चित्र छे. पाकाहेम १४७९३, पृ. ३२९, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३३१ पाकाहेम १४७९४, पृ. २९२, भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१६२०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५०. पत्र २३०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२९७ पाकाहेम १४७९५, पृ. २८३, भगवतीसूत्र सटीक मूल, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२८७ पाकाहेम १४८४२, पृ. २००, भगवतीसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०० पाकाभाभा २, पृ. २०४, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४० तथा १६६ डबल छे. पाकाभाभा २२, पृ. ४६८, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५६२, संपूर्ण भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी (मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः पण्णवण वेयरागे कप्प चरित्त पडिसेवणा... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र.५, पृ. ३०-४A, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो पुदगलषट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. २, पृ. २-३, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ भगवतीसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, रचना सं. विक्रम २०००, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २६, पृ. ७१-७४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ भगवतीसूत्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, कृ.विः शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च सेंटर-अहमदाबाद से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है परंतु प्रत में भाषा संस्कृत है. पाकाहेम १५४१९, पृ. १८, भगवतीसूत्र बीजक, वि-१७६२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.४९०. संवत-नेत्ररसमुनिशशिवर्षे. शारदाबेन चिमनभाई रिसर्च इंस्टिट्यूट से प्रकाशित सूचिपत्र में भाषा प्राकृत का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-९ भगवतीसूत्र-(सं.)विशेषवृत्ति जुओ - भगवतीसूत्र-(सं.)टीका, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८६१६ भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी (मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी) आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः पण्णवण वेयरागे कप्प चरित्त पडिसेवणा... 569 Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेग १२७५५- पे.क्र. ५. पृ. ३A ४A अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि - १५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ भगवतीसूत्रनी (सं.) टीकानो हिस्सो पुद्गलषट्त्रिशिका (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १५८०९ - पे.क्र. २, पृ. २-३, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३ भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो पुद्गलषट्त्रिंशिका (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९ पे. क्र. २, पृ. २-३ सिद्धदण्डिकाविचारआदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३ भगवत्यङ्गयन्त्र जुओ भगवतीसुत्र (प्रा.) भगवत्यङ्गयन्त्र प्राकृत भगवद्गीता सं., पच, पाकाहेम ८६६७, पृ. १३, भगवद्गीता, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ १० भगकगाथा - प्रा., पद्य, गा.६०, आदि वाक्यः पढमवए छब्भङ्गा बी एते छग्गुणा य छत्तीसं..... क्र. वि. अं. वाक्य अणवायम संलोए अणवाय चेव होइ संलोए आवायम संलोए आवाए चेव संलोए. भांता ७०- पे.क्र. १२६, पृ. १६९A - १७४B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२८६. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० - २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ- ७६, डीवीडी-७२/८२ भडलीना जेवं जुओ सप्तविचार (भडलीना जेवुं), संस्कृत भत्तपरिन्ना पयन्ना जुओ- भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, ग्रं. १७१, गा. १७२ भत्तिभरस्तोत्र जुओ महावीरस्तोत्र, गणि जिनवल्लम, प्राकृत, गा. १३ भद्रबाहुचरित्र - मुनि-रत्ननन्दि (दिगम्बर), सं., पद्यअध्याय ४, आदि वाक्यः सद्द्बोधभानुना .... कृ.वि. अं. वाक्य भद्रदोश्चरित अधिकार-४. भांका २५१, पृ. २२, भद्रबाहुचरित्र, वि-१७९७, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रांक-४-१०४३. पृष्ठांक ११ कीटखादित. अधिकार-४. डीवीडी-८९ भयहरस्तोत्र भयस्थितिस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९ पे. क्र. ४ पृ. ३-४ सिद्धदण्डिकाविचारआदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३ प्रा. पथ, गा. १४, आदि वाक्य जमजरमरणदररोयभयदलणये.... " कृ.विः अन्तवाक्य-कम्मतुट्ठिहिं अनुसंपज्जइ परमपउ. पाताहेसं १६८- पे.क्र. २३, पृ. ४० - ४१आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - ३३-३६. 570 Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२ डीवीडी-९/१८ भांता ७२- पे.क्र. २९, पृ. १५४B - १५६B, दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२९२. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. झे. कुल पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ भयहरस्तोत्र (नमिऊणस्तोत्र) आचार्य मानतुङ्गसूरि प्रा. पच, गा. २३ आदि वाक्यः नमिऊण पणयसुरगणचूडामणिकिरणरज्ञ्जियं मुणिणो । .... P कृ. विः गाथा २१ थी २४ मळे छे. पातासंघवी १६५ - पे. क्र. ९ पृ. २१४-२१५ उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथजिनभयहरस्तोत्र, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा - २१. गाथा - १० तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र - ८१ ८२. कुल झे. पृष्ठ ९० डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १६, पृ. २१९-२२१, उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ८, पृ. ४८-५१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे क्र. ४३, पृ. १३३ - १३४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - २१. डीवीडी-३८/५५ पाताहे ११९- पे.क्र. २८ पृ. २४९-२५१ पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. माल्हण द्वारा प्रदत्त यह प्रकरण पुस्तिका वयरसेनसूरि की है. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६८- पे.क्र. १८, पृ. ३२-३४अ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-३२-३४. प्रत विशेष - प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ पे.क्र. २९ पृ. १२५-१२६४ दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष गाथा २५. प्रत विशेष- त्रुटक कुल पत्र-४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७२- पे क्र. २६, पृ. १४५ १४८A, दशवेकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम - भयहरस्तव, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-१५९. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३३६- पे.क्र. ५, पृ. २९३ - ३१०, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम - भयहरस्तोत्र सह वृत्ति . प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १५६, डीवीडी- ९४ / ९६ अताका ४९७- पे.क्र. ९, पृ. १६३B - १६६A, प्रकरणपुस्तिका, वि- १३०१, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा- २३. अन्तिम पत्र पर पद्मप्रभ भगवान का चित्र है. 571 Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २२, पृ. २०५-२०६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०२२- पे.क्र.७, पृ. ११, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४२, पृ. ११३-११४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पार्श्वनाथस्तोत्र प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ३०३४- पे.क्र. १, पृ. ३, भयहरस्तोत्रादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १०, पृ. १०९-१११, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०६५०- पे.क्र. १, पृ. १, भयहरस्तोत्र व स्नातस्या-वीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १२, पृ. ७४मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १२१५०, पृ. १, भयहरस्तोत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१५०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ६, पृ. ७मुं, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- अपूर्ण. पंचपाठ. कुल झे.पृष्ठ-७ भांका २०२- पे.क्र. ३, पृ. ७A-१३B, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- भयहरस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-७४०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ भांका २४३- पे.क्र. २, पृ. ५B, उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह वृत्ति अपूर्ण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३९८. डीवीडी-८९ भयहरस्तोत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६५, ग्रं.३००, तालाद ३३६- पे.क्र.५, पृ. २९३-३१०, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- भयहरस्तोत्र सह वृत्ति प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ भयहरस्तोत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, दाशरथिपुर, पाकाहेम १२१५०, पृ. १, भयहरस्तोत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१५०८, संपूर्ण 572 Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ भांका २०२- पे.क्र. ३, पृ. १३, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- भयहरस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-७४०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ भांका २४३- पे.क्र. २, पृ. ५, उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह वृत्ति अपूर्ण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३९८. डीवीडी-८९ भयहरस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. ६, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- अपूर्ण. पंचपाठ. कुल झे.पृष्ठ-७ भयहरस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र.६, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- अपूर्ण. पंचपाठ. कुल झे.पृष्ठ-७ भयहरस्तोत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२१५०, पृ. १, भयहरस्तोत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१५०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भांका २०२- पे.क्र. ३, पृ. १३, नमस्कार (३ स्मरण) सटीक, संपूर्ण पे. नाम- भयहरस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-७४०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-३९६, ३-५२५, ३-७४०. डीवीडी-८७ भांका २४३- पे.क्र. २, पृ. ५, उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति सह, संपूर्ण पे. नाम- नमिऊणस्तोत्र सह वृत्ति अपूर्ण, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३९८. डीवीडी-८९ भयहरस्तोत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६५, ग्रं.३००, तालाद ३३६- पे.क्र.५, पृ. २९३-३१०, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- भयहरस्तोत्र सह वृत्ति प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ भरतकथा सं., पद्य, श्लोक२६, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ९, पृ. २९-३०, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ भरतचक्रियात्राप्रबन्ध सं., पद्य, श्लोक३८, पाकाहेम २०९७- पे.क्र.३, पृ. २, शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्धादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ न 573 Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भरतनटादिकथाओ-औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये (औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये भरतनटादिकथाओ), (बुद्धिविषये औत्पत्तिक्यादि भरतनटादिकथाओ) सं... पाकाहेम १४९५८, पृ. २८, भरतनटादिकथाओ-औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ७मुं ८मुं ११मुं अने १२मुं नथी. भरहेसरबाहुबलिसज्झाय प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र.६, पृ. ५मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-१७ भरहेसरसज्झाय जुओ - महासता-सतीकुलक, प्राकृत, गा.१३ भरूचमण्डण मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र जुओ - मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र, प्राकृत, गा.३० भवभावनाकुलक (भावनाकुलक). (भाववर्धनकुलक) सोमदेव, प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः (१) नमिऊण नरिन्दसुरिन्दचन्दअसुरिन्दवन्दियं वीरं।...(२) नमिऊण सुरिन्दनरिन्दविन्दनागिन्दवन्दियं वीरं । भवभावणवरकुलयं पबोहणं भणमि जीवस्स ।।१।।... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १०, पृ. ८-११, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २०, पृ. १६३-१६५, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- भाववर्धनकुलक, पे. विशेष- गाथा-२६. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ ।। पाताहेसं १६८ - पे.क्र. २८, पृ. ५४अ-५६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१६. झेरोक्ष पेज-३९-४०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भवभावनाप्रकरण आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, गा.५३१, आदि वाक्यः नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउड फुडन्त किरणकच्चुरियं... पाताखेत १२- पे.क्र. १०, पृ. ९२-१४०, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४२- पे.क्र.९, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३२. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत २-२- पे.क्र. २, पृ. ५०-१०१, उपदेशमाला, भवभावना, कर्मविपाकअपूर्ण, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३०. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. १५, पृ. ४३-८५, उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६४- पे.क्र. १, पृ. ६९, भवभावना आदि, वि-११९१, संपूर्ण प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २०२- पे.क्र.२, पृ. ५१-१०७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ 574 Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ६७-२- पे.क्र. १, पृ. १-६०, भवभावनाप्रकरण तथा एकवीससस्थानप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं ११३- पे.क्र. ३, पृ. ५४-६९, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ । पाताहेसं ११६- पे.क्र. ३, पृ. ११२-१६८, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- भुवभावनारत्न, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-५३३. झेरोक्ष पत्र-४७-७२. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र. ४, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र.६, पृ. १२१-१५२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५३२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र.७, पृ. १९६-२३०, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ भांता २५- पे.क्र. २, पृ. ५२०-१०६A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र. २, पृ.?-१०६A, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- भवभावणा, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ११-२७. ताडपत्रीय पत्रांक प्रारंभ के झेरोक्ष पत्रों में नहीं आया कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ लिंता ३४१५, पृ. ५२, भवभावनाप्रकरण किञ्चिदपूर्ण, संपूर्ण प्रत विशेष- मुद्रीत ग्रंथसूचिमां पृष्ठ संख्या-५१ थी १०० आपेल छे. पाकाहेम ६५८०, पृ. १८८, भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२९९०. १६६०मां जिनचन्द्रसूरिए सांधीने उद्धारेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१९० भवभावनाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, ग्रं.१३०००, आदि वाक्यः येनादौ नयसम्पदः प्रकटिताः सृष्टा स्थितिभूभृतामुत्क्षिप्तोऽतिगुरूः स संयमभरस्तप्तं तदुग्रं तपः।... पाकाहेम ६५८०, पृ. १८८, भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२९९०. १६६०मां जिनचन्द्रसूरिए सांधीने उद्धारेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१९० भवभावनाप्रकरणनी (सं.)वृत्तिनो हिस्सो-बलिनरेन्द्रकथा (बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पाकाहेम ७४११, पृ. ३२, बलिनरेन्द्रकथा-भवभावनास्वोपज्ञवृत्त्यन्तर्गत, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३७८, पृ. १७, बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ भवभावनाप्रकरण-(सं.)सङ्क्षिप्तवृत्ति सं., पद्य, श्लोक४७२१, पाकाहेम १४८९७, पृ. १०३, भवभावनाप्रकरणसङ्क्षिप्तवृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-१३ भेगा छे. 575 Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१०७ भवभावनाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, भांका ११९, पृ. २१, भवभावना अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८४ भवभावनाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. २, पृ.३-७, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० भवभावनाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, भांका ११९, पृ. २१, भवभावना अवचूरि, संपूर्ण डीवीडी-८४ भवभावनाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. २, पृ. ३-७, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० भवभावनाप्रकरण-(सं.)वृत्ति । आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७०, ग्रं.१३०००, आदि वाक्य: येनादौ नयसम्पदः प्रकटिताः सृष्टा स्थितिर्भूभृतामुत्क्षिप्तोऽतिगुरूः स संयमभरस्तप्तं तदुग्रं तपः।... पाकाहेम ६५८०, पृ. १८८, भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२९९०. १६६०मां जिनचन्द्रसूरिए सांधीने उद्धारेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१९० भवभावनाप्रकरणनी (सं.)वृत्तिनो हिस्सो-बलिनरेन्द्रकथा (बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पाकाहेम ७४११, पृ. ३२, बलिनरेन्द्रकथा-भवभावनास्वोपज्ञवृत्त्यन्तर्गत, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३७८, पृ. १७, बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ भवभावनाप्रकरण-(सं.)सक्षिप्तवृत्ति सं., पद्य, श्लोक४७२१, पाकाहेम १४८९७, पृ. १०३, भवभावनाप्रकरणसङ्क्षिप्तवृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-१३ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-१०७ भवभावनाप्रकरणनी (सं.)वृत्तिनो हिस्सो-बलिनरेन्द्रकथा (बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पाकाहेम ७४११, पृ. ३२, बलिनरेन्द्रकथा-भवभावनास्वोपज्ञवृत्त्यन्तर्गत, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३७८, पृ. १७, बलिनरेन्द्रकथा भवभावनावृत्तिगता, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ भववैराग्यशतक प्रा., पद्य, 576 Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०६२५- पे.क्र.२, पृ. १-८, इन्द्रियपराजयशतक तथा भववैराग्यशतक, वि-१६मी, संपूर्ण भवस्थितिकुलक आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ५, पृ. १०-११, विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवस्थितिकुलक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ५, पृ. ११, विचारषट्विंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवस्थितिकुलक-(मा.ग.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र.५, पृ. ११, विचारषटिंत्रशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- भवस्थितिकुलक सह (मा.गु.)बालावबोध, पे. विशेष- गाथा-२५. कुल झे.पृष्ठ-४ भवियकुटुम्बचरित्र आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः पढम जिणिन्दह पाय पणमेवी सेत्तुञ्जमण्डणु झाणु धरेवी... कृ.विः द्रविडी भाषया एम पुष्पिकामां लख्यु छे. पाताखेत ६- पे.क्र. २०, पृ. १४२-१४६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- कृति के अन्त में द्रविडीभाषया का उल्लेख है. द्राविडी भाषा तो नहीं परन्तु संभव है कि द्राविडी लिपि पर से ये देवनागरी लिपि लिखी गई है, क्योंकि आज भी देवाःप्रभोस्तोत्र आदि तेलुगु लिपि की प्रतों में मिलते हैं. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र.३, पृ. २-३, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भव्यचरित आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.४४, आदि वाक्यः भविय सुणउ भवजीवहं चरिउ सोविहिं मणु नीचलु धरिउ... पाताखेत ६- पे.क्र. १९, पृ. १३७-१४२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ भव्यजीवमनोरथ प्रा., पद्य, गा.१२, पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ११, पृ. ११-१२, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ भारतीस्तोत्र सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः राजते श्रीमती देवता भारती शारदेन्दुप्रभा... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र.१०, पृ. ६०-६B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ भावनाकुलक जुओ - एगुणतीसी भावना, प्राकृत, गा.३० भावनाकुलक जुओ - दाङ्गडउ, अपभ्रंश, गा.२९ 577 Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भावनाकुलक जुओ - द्वादशभावनाकुलक, आचार्य-जिनेश्वरसूरि, अपभ्रंश, गा.३२ भावनाकुलक जुओ - भवभावनाकुलक, अज्ञात-सोमदेव, प्राकृत, गा.२४ भावनाकुलक (चतुर्विधभावनाकुलक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः सुमरिवि पञ्चपरमिट्ठी थुइ तिजग गरिद्धि... पाताखेत ६- पे.क्र. ३२, पृ. १८७-१९०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- चतुर्विधभावनाकुलक प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः संसारविसमसायर भवजल वडयाण... पाताहेसं १८९- पे.क्र. १७, पृ. १०२A-१०३B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः रे जीव पावकम्मयहु लहं लहिऊण... पातासंघवी १४५-१-पे.क्र. १४, पृ. १३७-१३८, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ भावनाकुलक आचार्य-जयघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.४५, पाताहेसं १८९- पे.क्र.९, पृ. ८०A-८२B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. पहली गाथा नहीं है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३०, पृ. २१२-२१४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-४. कुल झे.पृष्ठ-३१ भावनाकुलक जुओ - धर्मोपदेशकुलक, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.२२ भावनाकुलक जुओ - मनोनिग्रहभावनाकुलक, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्राकृत, गा.४४ भावनाकुलक जुओ - मिथ्यादुष्कृतकुलक, प्राकृत, गा.१६ भावनाकुलक जुओ - श्रावकधर्मकुलक, प्राकृत, गा.२१ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः पढमन्ति जिणवराणं उसभसेज्जं समकुशासनः।... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३१, पृ. ६०अ-६२अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४१-४२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाताखेत ४४-१- पे.क्र.५, पृ.?-३३५, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक पत्र नहीं है. 578 Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन (देवगुर्वादिवर्णन भावनात्मक) सं.. पाकाहेम ८३८८, पृ. ३, भावनात्मक देवगुर्वादिवर्णन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१८५, पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १४, पृ. १५३-१६७, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १६४मुं नथी. डीवीडी-३७/५४ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, गा.२०८, पातासंघवी १८४-१- पे.क्र.६, पृ. १०१-१२१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भावनाप्रकरण प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सव्वयरे भगवन्ते अणुत्तरे... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १४, पृ. १-१२, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र १-८. शताधिक गाथा के साथ-साथ १२मी भावना अपूर्ण तक है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० भावनाप्रभावे धनदत्तकथानक जुओ - धनदत्तकथानक भावनाप्रभावे, प्राकृत, गा.११२ भावनाप्रभावे बहुबुद्धिकथानक जुओ - बहुबुद्धिकथानक भावनाप्रभावे, प्राकृत, गा.११८ भावनायां खुड्डककुमार कथानक जुओ - खुड्डककुमार कथानक भावनायां, प्राकृत, श्लोक १३५ भावनालेशकुलक आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः एत्तं परम्परोवणिहियाए ठाणाणमप्पबहु भावे... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १५, पृ. ६०-६२, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ भावनाविषये ईलातीपुत्रकथा (ईलातीपुत्रकथा भावनाविषये) प्रा., पद्य, श्लोक६८, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १५, पृ. २३०-२३४, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ भावनासङ्ग्रह सं. कृ.विः दिगम्बरकृत. पातासंघवी १९५-१, पृ. १९३, भावनासङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १-२नो टुकडो एक एक छे. छेल्लां पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ भावनासन्धि मुनि-जीवदेवमुनि, अप., पद्य, गा.६३, 579 Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २५, पृ. २०७-२१०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-६३. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ९०३६, पृ. ५, भावनासन्धि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ९०३७, पृ. ५, भावनासन्धि टबार्थसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भावनासन्धि-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ९०३७, पृ. ५, भावनासन्धि टबार्थसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भावनासन्धि-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ९०३७, पृ. ५, भावनासन्धि टबार्थसहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ भावनासार अप., पद्य, गा.८६, आदि वाक्यः चलु तारुन्नु असारु जिउ... पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. ३, पृ. ८७-१११, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भाववर्धनकुलक जुओ - भवभावनाकुलक, अज्ञात-सोमदेव, प्राकृत, गा.२४ भावविषयककथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह भावविषयक) प्रा.. पाकाहेम १५३०१, पृ. ७, भावविषयककथासङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ भावशतक (नागराज शतक) नागराज, सं., पद्य, का.१०४, पाकाहेम १०७०१, पृ. ४, भावशतक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का.१००. पाकाहेम १२००७, पृ. ५, भावशतक-नागराजशतक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ भावश्रावक लक्षण (श्रावक लक्षण) आचार्य-मुनिरत्नसूरि, प्रा., पद्य, गा.२९, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २०, पृ. ११३मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ भावसङ्ग्रहसूत्र प्रा., पाकाहेम ७८४८, पृ. २२, भावसङ्ग्रहसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भावसङ्ग्रहसूत्र-(सं.)टीका मुनि-सुमतिकीर्ति, सं., गद्य, पाकाहेम ७८४८, पृ. २२, भावसङ्ग्रहसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भावसङ्ग्रहसूत्र-(सं.)टीका मुनि-सुमतिकीर्ति, सं., गद्य, 580 Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७८४८, पृ. २२, भावसङ्ग्रहसूत्र सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ भावाध्याय सं.. पाकाहेम १०२२३, पृ. ४, भावाध्याय अपूर्ण, वि-१९मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ भावारिवारणस्तोत्र (महावीरजिन स्तवन) गणि-जिनवल्लभ, सं.,प्रा., पद्य, का.३०, आदि वाक्यः भावारिवारणनिवारणदारुणोरु... डतामुक्ता ४५७- पे.क्र. ३, पृ. २-५, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २६, पृ. २४-२५, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०६६५, पृ. २, भावारिवारणस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६६६, पृ. १७, भावारिवारणस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ भावारिवारणस्तोत्र-(सं.)टीका मुनि-मेरुसुन्दर, सं., गद्य, पाकाहेम १०६६६, पृ. १७, भावारिवारणस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ भावारिवारणस्तोत्र-(सं.)टीका मुनि-मेरुसुन्दर, सं., गद्य, पाकाहेम १०६६६, पृ. १७, भावारिवारणस्तोत्र सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ भाषाष्टकमय सीमन्धरस्तव जुओ - सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय, गणि-जिनहर्ष गणि, संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश, का.२७ भाष्यत्रय जुओ - चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय, प्राकृत, गा.१२२ भाष्यत्रय जुओ - देववन्दनादिभाष्यत्रय, प्राकृत, गा.११३ भाष्यत्रय (देववन्दनादिभाष्यत्रय) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम १०५६८, पृ. ३, देववन्दन तथा गुरुवन्दन भाष्य, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०५९२, पृ. ६, देववन्दनादिभाष्यत्रय, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १०५९३, पृ. ३, देववन्दनादिभाष्यत्रय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४६४, संपूर्ण पाकाभाभा ६७, पृ. ५९, चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय त्रिपाठ बालावबोधसह, वि-१८८०, संपूर्ण भाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५९३, पृ. ३, देववन्दनादिभाष्यत्रय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४६४, संपूर्ण पाकाहेम १५८०९- पे.क्र.८, पृ. ८-१२, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ भाष्यत्रय-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा ६७, पृ. ५९, चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय त्रिपाठ बालावबोधसह, वि-१८८०, संपूर्ण भाष्यत्रय-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा ६७, पृ. ५९, चैत्यवन्दनादिभाष्यत्रय त्रिपाठ बालावबोधसह, वि-१८८०, संपूर्ण भाष्यत्रय-(सं.)अवचूरि 581 Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम १०५९३, पृ. ३, देववन्दनादिभाष्यत्रय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४६४, संपूर्ण पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. ८, पृ. ८-१२, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ भाष्यानि जुओ - देववन्दनादिभाष्य, प्राकृत भासरागेन जिनजन्माभिषेक जुओ - जिनजन्माभिषेक भासरागेण, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.१५ भुवनकथा जीर्णोद्धारे (जीर्णोद्धारे भुवनकथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १६, पृ. ६१-६२, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० भुवनदीपक आचार्य-पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१८७, कृ.विः प्रश्नज्योतिष ग्रन्थ. पाकाहेम १०७२४, पृ. ८, भुवनदीपक वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण भुवनदीपक-(सं.)वृत्ति आचार्य-सिंहतिलकसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०७२४, पृ. ८, भुवनदीपक वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण भुवनदीपक-(सं.)वृत्ति आचार्य-सिंहतिलकसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०७२४, पृ. ८, भुवनदीपक वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण भृगुकच्छ वास्तव्य श्रावक द्वादश व्रत स्वरुप (द्वादश व्रत स्वरूप), (श्रावक द्वादश व्रत स्वरूप) वताकांति ४२४, पृ. ९, भृगुकच्छ वास्तव्य श्रावक द्वादश व्रत स्वरुप, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ भोगान्तराय-ज्ञानान्तराय विषये विद्याविलासकथा श्लोकबद्ध (विद्याविलासकथा श्लोकबद्ध भोगान्तराय-ज्ञानान्तराय विषये) सं., पद्य, श्लोक१३७, पाकाहेम २१०६- पे.क्र.६, पृ. ४७-५२, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ भोज्यनामगर्भित शान्तिनाथस्तवन (शान्तिनाथस्तवन भोज्यनामगर्भित) रवि, सं., पद्य, श्लोक२०, पाकाहेम ८२२३, पृ. १, भोज्यनामगर्भित शान्तिनाथस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भोज्यादिनामगर्भित जिनस्तोत्र जुओ - जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित#, संस्कृत, का.१२ भौगोलिकपरिमाणगाथा (विमानविचार) प्रा., पद्य, गा.५२, आदि वाक्यः सगवीसा सत्तसया छासीया चउरचउर चऊणउया... पाताहेसं ११०- पे.क्र. १०, पृ. ११३-११७-, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-५२ तक मिलती है. झेरोक्ष पत्र-३१-३४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ८, पृ. १६९-१७२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ भ्रमराष्टक सं., पद्य, श्लोक९, 582 Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १३७५- पे.क्र.५, पृ. २, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र.५, पृ. ५, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ मङ्गलकुलक प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ११०८२- पे.क्र.५, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मङ्गलपाठ स्तुति सं., पद्य, पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ३, पृ. ?, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- परचूरन मांगलिक स्तुतियां, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २६ न होने से कृतियाँ स्पष्ट नहीं हुई है. इसके अन्दर लगभग ३-४ स्तुतियाँ हैं. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ मङ्गलवाद सं.. पाताखेत ३४-२- पे.क्र.२, पृ. ?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती छे., पत्र-१३५+१५. डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १३९३५, पृ. २, मङ्गलवाद, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १३९३७, पृ. १, मङ्गलवाद, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मङ्गलशब्दार्थमयस्तवन आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक६, आदि वाक्यः जय श्रीजिनकल्या... पाकाहेम १२३७३- पे.क्र. २, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन जुओ - महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.२४ मङ्गलस्तव (शान्तिस्तव) सं., पद्य, श्लोक५, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५०, पृ. १३८मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो घसायेला छे. डीवीडी-३८/५५ मङ्गलस्तव सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः वीरु पार्श्व नमी सुपार्श्व सुविधि श्रोयो समल्ली शशी... पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४९, पृ. ३३३-३३५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. __कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ मङ्गलस्तोत्र तीर्थवन्दनरूप (तीर्थवन्दनरूप मङ्गलस्तोत्र) सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः नित्यश्रीभुवनाधिवासी... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५२, पृ. २३४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- का.१५. कुल झे.पृष्ठ-३१ 583 Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मङ्गलाष्टक सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः यत्राखिलश्रीश्रितपादपद्म... पाकाहेम १२३७०- पे.क्र. १, पृ. १, मङ्गलाष्टक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण मङ्गल्यस्तोत्र (माङ्गल्यस्तोत्र(?)) आचार्य-धर्मसूरि, सं., पद्य, श्लोक१४, पाकाहेम १५८१७- पे.क्र. १, पृ. १-१, मङ्गल्यस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मणथिरकरण जुओ - मनःस्थिरीकरण प्रकरण, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, प्राकृत, गा.१६७ मणसंवरणकुलक (मनसंवरण कुलक) प्रा., पद्य, गा.७६, आदि वाक्यः हियय तुमे एस कओ भववासणवागुराए महाबन्धो... पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. १०, पृ. १८०-१८९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ मणिचूडकथा देवपूजाविषये गद्य जुओ - देवपूजाविषये मणिचूडकथा गद्य, प्राकृत मणिपरीक्षाकल्प सं., पद्य, श्लोक३४, पाकाहेम ८९२२- पे.क्र. १, पृ. १-२, मणिपरिक्षाकल्प आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ मण्डनकादम्बरीदर्पण जैनेतर-मण्डन मन्त्री, सं., पद्यअध्याय४परि., आदि वाक्यः सहस्रन्मङ्गलं नित्यं... पाकाहेम ९४८७, पृ. १०, मण्डनकादम्बरीदर्पण, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० मण्डनमन्त्रीचरित्र काव्यमनोहर जुओ - काव्यमनोहर-मण्डनमन्त्रीचरित्र, कवि-महेश्वर, संस्कृत मण्डपप्रतिष्ठाविधान सं., गद्य, आदि वाक्यः ॐ परमब्रह्मणे नमो नमः... भांका २९३- पे.क्र. १, पृ. ५A-६A, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण पे. विशेष- प्रारंभिक पत्र नहीं ह. प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ मण्डलविचार प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः इगुणवन्न मण्डलाइं आलिहमाणो इह पवेसो अयमत्र भावार्थः... कृ.विः अं.वाक्य-एकोनपंचाशन्मंडलानि बुध्यते इति वृद्धास्तत्त्वं तु केवलिनो विदंति. आवश्यक टिप्पणके. भांता ७०- पे.क्र. ११२, पृ. १४९B-१५०A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मथुरावतार पार्श्वनाथस्तुति जुओ - पार्श्वनाथस्तुति मथुरावतार, मारुगूर्जर, गा.१६ मदनरेखासन्धि जुओ - मयणरेहासन्धि (कडव-५), अपभ्रंश मदिरावतीकथा पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ३, पृ. १६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० मधुकरमणिकल्प 584 Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं.. पाकाहेम ८९२२- पे.क्र. २, पृ. १-२, मणिपरिक्षाकल्प आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ मधुवर्णनकाव्य कवि-केलि, सं., पद्य, का.६९, आदि वाक्यः मुदमुपैतु बुधो मधुवर्णनात् सुकविकेलिकृतात् कृतनिस्वनात् ।... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र.५, पृ. ?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे.पृष्ठ-४४ मनःस्थिरीकरण प्रकरण (मणथिरकरण) आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६७, आदि वाक्यः (१) नमिऊण वद्धमाणं चलस्स चित्तस्स किञ्चि थिरकरणं...(२) निमिऊण वद्धमाणं... पातासंघवी ११८-२- पे.क्र.३, पृ. १७A-२६B, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण पे. नाम- मणथिरकरण, पे. विशेष- सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३४-१- पे.क्र. १, पृ. १-१६, मनःस्थिरीकरणप्रकरण आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. विशेष- कर्तानाम महेन्द्रसिंहसूरि आपेल छे. डीवीडी-३४/५२ मनःस्थिरीकरण प्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२३००, आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनं वीरं ____ मनःस्थिरीकरणदुर्गमपदानाम्... पातासंघवी १३४-१- पे.क्र.२, पृ. १-१७८, मनःस्थिरीकरणप्रकरण आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. नाम- मनःस्थिरीप्रकरणवृत्ति, पे. विशेष- सारी. पत्र ७९मुं नथी. डीवीडी-३४/५२ मनःस्थिरीकरण प्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२३००, आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनं वीरं मनःस्थिरीकरणदुर्गमपदानाम्... पातासंघवी १३४-१- पे.क्र.२, पृ. १-१७८, मनःस्थिरीकरणप्रकरण आदि, वि-१२८४, संपूर्ण पे. नाम- मनःस्थिरीप्रकरणवृत्ति, पे. विशेष- सारी. पत्र ७९मुं नथी. डीवीडी-३४/५२ मनसंवरण कुलक जुओ - मणसंवरणकुलक, प्राकृत, गा.७६ मनुष्यभवोपरिदशदृष्टान्त श्लोकबद्ध जुओ - पार्श्वनाथचरित्रगत दशदृष्टान्त, आचार्य-रत्नप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक९५७ मनुष्यसङ्ख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः द्वयो वर्गश्चत्वारो भवन्तीत्येष प्रथमो वर्गः... कृ.विः अं.वाक्य-पंचमवर्गेण गुणितो जघन्येन मनुष्यसंख्या. भांता ७०- पे.क्र. १११, पृ. १४८B-१४९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मनोनिग्गहभावनाकुलक जुओ - मनोनिग्रहभावनाकुलक, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्राकृत, गा.४४ मनोनिग्रहभावनाकुलक (भावनाकुलक). (मनोनिग्गहभावनाकुलक) आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.४४, आदि वाक्यः सिरिधम्मसूरिपहुणो निम्मलकित्तीइ... 585 Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३१, पृ. ४०-४१, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ मन्त्रकल्पादिविषयक विज्ञानभैरवाक्ष जुओ - विज्ञानभैरवाक्ष, संस्कृत मन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्भित, संस्कृत, गा.८ मन्त्रराजरहस्य आचार्य-सिंहतिलकसूरि, सं., रचना सं. विक्रम १३२७, ग्रं.६३२, पाकाहेम ८९१७, पृ. ६, मन्त्रराजरहस्य, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ मन्त्रसङ्ग्रह आचार्य-जिनदत्तसूरि, सं., पाकाहेम १४५०१- पे.क्र.२, पृ. ३, नमुत्थुणं कल्प आदि, वि-२०मी, संपूर्ण मन्त्रस्नानस्तोत्र सं., पद्य, पाकाहेम १२३८०- पे.क्र. ३, पृ. २, ऋषिमण्डलस्तोत्र आदि, वि-१७२७, संपूर्ण मन्त्राधिराज पार्श्वनाथस्तवन जुओ - पार्श्वनाथस्तवन मन्त्राधिराज, आचार्य-जयतिलकसूरि, संस्कृत, का.१६ मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन (ऋषभजिनस्तवन देलउलाण्डन मन्त्रौषधिकल्पगर्भित), (देलउलाण्डन ऋषभजिनस्तवन मन्त्रौषधिकल्पगर्भित ) आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], अप., पद्य, श्लोक२५, पाकाहेम ८२४५, पृ. ४, मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन श्रीऋषभजिनस्तवन सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२४७, पृ. ३, मन्त्रौषधिविचारगर्भित देलवाडामण्डन ऋषभदेवस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन-(सं.)टीका गणि-चन्द्रधर्मगणि, सं., गद्य, पाकाहेम ८२४५, पृ. ४, मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन श्रीऋषभजिनस्तवन सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२४७, पृ. ३, मन्त्रौषधिविचारगर्भित देलवाडामण्डन ऋषभदेवस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन-(सं.)टीका गणि-चन्द्रधर्मगणि, सं., गद्य, पाकाहेम ८२४५, पृ. ४, मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन श्रीऋषभजिनस्तवन सटीक त्रिपाठ, वि-१७मी, अपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८२४७, पृ. ३, मन्त्रौषधिविचारगर्भित देलवाडामण्डन ऋषभदेवस्तवन सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तवन* (पार्श्वनाथस्तवन मन्त्रौषधिगर्भित) अप., पद्य, श्लोक३७, पाकाहेम ८२१०, पृ. २, मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२१०, पृ. २, मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, 586 Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८२१०, पृ. २, मन्त्रौषधिगर्भित पार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मन्नहजिणाणं सज्झाय (मन्हजिणाणं स्वाध्याय) प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः मन्नह जिणाण आणमिच्छं परिहरह... भांता ७२- पे.क्र. १३, पृ. ७३B-७४A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७. सूचिपत्र नं.-१२११. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ पाकाहेम १६१४०- पे.क्र. १, पृ. १A-१B, श्रावकदिनकृत्यकुलक सह टबार्थ व महावीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकदिनकृत्यकुलक कुल झे.पृष्ठ-२ मन्नहजिणाणं सज्झाय-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः वीतरागनी आण मानि... पाकाहेम १६१४०- पे.क्र. १, पृ. ?, श्रावकदिनकृत्यकुलक सह टबार्थ व महावीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकदिनकृत्यकुलक कुल झे.पृष्ठ-२ मन्नहजिणाणं सज्झाय-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः वीतरागनी आण मानि... पाकाहेम १६१४०- पे.क्र.१, पृ. ?, श्रावकदिनकृत्यकुलक सह टबार्थ व महावीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकदिनकृत्यकुलक कुल झे.पृष्ठ-२ मन्हजिणाणं स्वाध्याय जुओ - मन्नहजिणाणं सज्झाय, प्राकृत, गा.५ मयणरेहासन्धि (कडव-५) (मदनरेखासन्धि) अप., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९७, आदि वाक्यः निरूवमनाणनिहाणो पसमपहाणो विवेयसनिहाणो.. पाताखेत ६- पे.क्र. २७, पृ. १६७-१७३, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ मयूरवाहिनी जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड-(सं.)लीलावत्यां मयूरवाहिनी, संस्कृत मयूरशिखाकल्प सं., गद्य, पाकाहेम ८९२१- पे.क्र. १, पृ. १-२, मयुरशिखाकल्प आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ८९२१- पे.क्र. ७, पृ. १-२, मयूरशिखाकल्प आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मरणविधिप्रकीर्णक जुओ - मरणसमाधि प्रकीर्णक, प्राकृत, गा.६६१ मरणसमाधि प्रकीर्णक (मरणविधिप्रकीर्णक) प्रा., पद्य, गा.६६१, आदि वाक्यः तिहुअणसरारविन्दं सप्पवयणरयणसागरं.. कृ.विः गाथा-६५२ थी ६६१ सुधी मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. १३, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-६५२. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र.८, पृ. ५०-८०, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ 587 Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १८, पृ. १६९-१९६, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६६१., चतुःशरणप्रकीर्णकथी मरणसमाधिप्रकीर्णक सुधी एटले के १३ प्रकीर्णकोनी एकन्दर श्लो. सं. २,८४७ ने अक्षर १५ छे. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. १, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६३. कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १००९०, पृ. १३, मरणसमाधिप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-६५९. कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र.८, पृ. ४८-७२, भक्तपरिज्ञा आदि, वि-१५५४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-११ थी २२ नथी. भांका २२७- पे.क्र. १३, पृ. ६२A-८८A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-४२५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ मरुक दृष्टान्त रात्रिभोजने प्रा., पद्य, श्लोक५५, पातासंघवी १६८ - पे.क्र. १६, पृ. १३२-१३४, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- रात्रि भोजन उपर डीवीडी-३६/५४ मलयगिरिव्याकरण जुओ - मलयगिरिशब्दानुशासन, आचार्य-मलयगिरिसूरि, संस्कृत मलयगिरिशब्दानुशासन (मलयगिरिव्याकरण) आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., पातासंघवीजीर्ण ५८-१, पृ. ९३, मलयगिरिव्याकरण तथा परचुरण पत्र आदि, त्रुटक प्रत विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त हैं. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-५७/६० पाकाहेम ७०६१, पृ. ८०, मलयगिरिशब्दानुशासन कृवृत्तिपर्यन्त, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४३००. पत्र ६२मुं अने ६३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-५४ मलयगिरिशब्दानुशासन-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., पद्य, श्लोक४३००, पाकाहेम ७०६१, पृ. ८०, मलयगिरिशब्दानुशासन कृवृत्तिपर्यन्त, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४३००. पत्र ६२मुं अने ६३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-५४ मलयगिरिशब्दानुशासन-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., पद्य, श्लोक४३००, पाकाहेम ७०६१, पृ. ८०, मलयगिरिशब्दानुशासन कृवृत्तिपर्यन्त, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४३००. पत्र ६२मुं अने ६३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-५४ मलयसुन्दरीचरित्र-ज्ञानरत्नोपाख्यान (ज्ञानरत्नोपाख्यान-मलयसुन्दरीचरित्र) आचार्य-जयतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं.अध्याय४, ग्रं.२४३०, आदि वाक्यः चतुरङ्गो जयत्यर्हन् दिशन्... पाकाहेम १०१६८, पृ. ४५, मलयसुन्दरीचरित्र पद्य-ज्ञानरत्नोपाख्यान, वि-१७मी, संपूर्ण 588 . Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम १०६४१, पृ. २९, मलयसुन्दरीचरित्र पद्य, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली अने एक बाजुथी उंदरे करडेली छे. भांका ९८, पृ. ३३, मलयसुन्दरी चरित्र, वि-१४४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-४६४. डीवीडी-८४ मल्लवादी कथा प्रा., पातासंघवी १३६-२- पे.क्र. ३, पृ. ४४-४९, सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि, वि-१२९१, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ मल्लिनाथचरित्र प्रा., पद्य, गा.१०५, आदि वाक्यः इक्खागरायवसभो पडिबुद्धी नाम कोसलासामी... पातासंघवी ९९- पे.क्र.४, पृ. ९९-१०७, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ९९, १०७ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ मल्लिनाथचरित्र आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः पणमवि सिरि उसहाइवीरजिणपज्जन्तजिणेसरा... पाताखेत ६-पे.क्र. ३४, पृ. १९४-२०२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- मल्लिचरित्र प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य (मल्लिस्वामिचरित्र) आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., पद्यअध्याय८, ग्रं.४७५०, कृ.विः सर्ग-८. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. कर्ता-चन्द्रगच्छीय. पाताहेसं ५३, पृ. ३००, मल्लीनाथचरित्र महाकाव्य, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ भांका ३०६, पृ. १८१, मल्लिनाथस्वामिचरित्र, वि-१४९१, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-४७१. ग्रन्थाग्र-४७५०. सर्ग-८. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-९२ मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य-(सं.)विद्याविलास कथा आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अस्ति स्त्रीस्पर्शवत् सर्वविषयेष्वादिमं पुरम्... पुप्रे ४५१, पृ. १९, विद्याविलासकथा-मल्लिनाथकाव्यादुद्धृत, संपूर्ण प्रत विशेष- परिमाण- श्लोक-३६३ से ५६४ तक. कुल झे.पृष्ठ-१९ मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य-(सं.)विद्याविलास कथा आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अस्ति स्त्रीस्पर्शवत् सर्वविषयेष्वादिमं पुरम्... पुप्रे ४५१, पृ. १९, विद्याविलासकथा-मल्लिनाथकाव्यादुद्धृत, संपूर्ण प्रत विशेष- परिमाण- श्लोक-३६३ से ५६४ तक. कुल झे.पृष्ठ-१९ मल्लिनाथस्तवन सं., पद्य, श्लोक११, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १८, पृ. २१मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ 589 Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मल्लिस्वामिचरित्र जुओ - मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य, आचार्य-विनयचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.४७५० मल्लिस्वामिनी चरित्र मायाविषये (मायाविषये मल्लिस्वामिनी चरित्र) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १९, पृ. ६३-६६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० महती आराधना जुओ - आराधना महती, प्राकृत महत्तरानामगर्भित आदिनाथस्तवन (आदिनाथस्तवन महत्तरानामगर्भित) सं., पद्य, श्लोक८, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २९, पृ. ६७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. महत्पञ्चकल्प जुओ - पञ्चकल्पसूत्र, संस्कृत महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)चूर्णी जुओ - पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी, प्राकृत महत्पञ्चकल्प-(प्रा.)भाष्य जुओ - पञ्चकल्पसूत्र-(प्रा.)महाभाष्य, गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.३१२५, गा.२५७४ महरिसिकुलक जुओ - महर्षिकुलक, प्राकृत, गा.३२ महर्षिकुलक जुओ - ऋषिमण्डलप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, ग्रं.२५४, गा.२१० महर्षिकुलक (महरिसिकुलक) प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः निज्जियवम्महमहरिसिसहस्ससेवियपयारविन्दस्स... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ११, पृ. ६५-६७, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. __ कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ११, पृ. ३१, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ महर्षिस्तव जुओ - ऋषिमण्डलस्तव, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.१६२ महर्षिस्तव प्रा., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः तित्थयरे तित्थाई सब्वे गणहारिणो तहा मुणिणो... पाताखेत ६- पे.क्र. २१, पृ. १४७-१५०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ महर्षिस्तव बृहत् (बृहन्महर्षिस्तव) प्रा., पद्य, गा.५९, आदि वाक्यः अमरासुरनरजगडणमयणविजयलद्धजयपडायस्स... पाताखेत ६- पे.क्र. २२, पृ. १५०-१५६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ महल्लिया पिण्डनियुक्ति जुओ - पिण्डनियुक्ति, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, गा.६९७ महाऋषिमण्डलस्तव जुओ - ऋषिमण्डलप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, ग्रं.२५४, गा.२१० महाकविप्रतिज्ञाकाव्य सं., पद्य, पाकाहेम ८७०७, पृ. २, महाकविप्रतिज्ञाकाव्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ महादण्डकछन्दोबद्ध विज्ञप्तिलेख ३९९६ वर्णात्मक (विज्ञप्तिलेख ३९९६ वर्णात्मक) सं., पद्य, 590 Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८०१०, पृ. ३, महादण्डकछन्दोबद्ध विज्ञप्तिलेख ३९९६ वर्णात्मक, वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-३ महादण्डकप्रकरण प्रा., पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. ४, पृ. १२५-१४१, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- महादण्डकप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-२७४. त्रुटित. झेरोक्ष पत्र-३४ पर कृति पूर्ण हुई है. प्रारंभिक भाग अस्पष्ट है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० महादेव स्तोत्र जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवद्वात्रिंशिका जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवलक्षण प्रा., पद्य, श्लोक३२, कृ.विः भाषा-संस्कृत? पातासंघवी १६७-१- पे.क्र. १०, पृ. २०-२२, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ महादेवलक्षण स्तोत्र जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका (महादेव स्तोत्र), (महादेवलक्षण स्तोत्र), (महादेवद्वात्रिंशिका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक३५, ग्रं.३५, आदि वाक्यः प्रशान्तं दर्शनं यस्य... तालाद ३३९- पे.क्र. १७, पृ. १०६-१०९, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- महादेवलक्षणं स्तोत्रम् कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १२२३७, पृ. १, महादेवद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२३८, पृ. १, महादेवस्तवन, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४४. कुल झे.पृष्ठ-२ महानिशीथप्रामाण्यप्रतिष्ठा जुओ - मालारोपणविधि, संस्कृत महानिशीथसूत्र प्रा.अध्याय८, ग्रं.४५४४, आदि वाक्यः (१) ॐनमो तित्थस्स।... (२) ॐनमो अरहन्ताणं... (३) सुयं मे आउसं.! तेणं भगवया एवमक्खाई। इह खलु छउमत्थसञ्जमकिरियाए... कृ.विः अध्ययन-८ पातासंघवी १९- पे.क्र. १, पृ. १-१११, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६५४२, पृ. ७४, महानिशीथसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १००५४, पृ. ६०, महानिशीथसूत्र, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४५०४. प्रथम पत्रमा समवसरण- सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०४२४, पृ. ७१, महानिशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण 591 Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७१ भांका २११, पृ. ६८, महानिशीथसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४५८. डीवीडी-८७ भांका २३४, पृ. ५६, महानिशीथसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४५७. डीवीडी-८८ भांका २४९, पृ. ७५, महानिशीथसूत्र, वि-१५६६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४६०. डीवीडी-८९ भांका २७२, पृ. १२९, महानिशीथसूत्र, वि-१५९४, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४५९., १२मुं पार्नु डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-८६, डीवीडी-९० महानिशीथसूत्रगत आलापक पाकाहेम १०४२५, पृ. ५, महानिशीथसूत्रगत आलापक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० महानिशीथसूत्रगत आलापक प्रा., पाकाहेम १०४२५, पृ. ५, महानिशीथसूत्रगत आलापक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० महापच्चक्खाण पयन्ना जुओ - महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.१४३ महापरिस्थापनिकाविधि सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः इयाणिं अचित्त सञ्जयपरिट्ठवणविही भण्णइ... भांता ७०- पे.क्र. १६८, पृ. २३६A-२३८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक (महापच्चक्खाण पयन्ना). (प्रत्याख्यानप्रकीर्णक) प्रा., पद्य, गा.१४३, आदि वाक्यः एस करेमि पणामं तित्थयराणं अणुत्तरगईणं... पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. ९, पृ. ?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१४३. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ३, पृ. ८-१४, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४२. कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १४, पृ. १५५-१६०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४२. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र.८, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४२. 592 Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ-३९ पाकाहेम १००८८- पे.क्र. ५, पृ. १-२०, तन्दूलवैचारिक- चन्द्रवेध्यक- देवेन्द्रस्तव-गणिविद्या-महाप्रत्याख्यानवीरस्तवअजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २१ पाकाहेम १०५५६- पे क्र. ५, पृ. ४०-४५, भक्तपरिज्ञा आदि वि-१५५४, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - १४४. प्रत विशेष- पत्र - ११ थी २२ नथी. भांका १२३- पे.क्र. ९, पृ. २१B- २३A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि- १४९१, संपूर्ण पे. नाम- महापच्चक्खाण, पे. विशेष- गाथा - १४३. सूचीपत्रांक-१-३५४. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम - १ - ३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ- २७, डीवीडी-८५ भांका २२७ - पे.क्र. ९, पृ. ५०A - ५४B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण महाभयहरस्तोत्र पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३५०. गाथा-१४३. - प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२६८. कुल गाथा - १२३३, श्लोक १५६५. डीवीडी-८८ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः तटीघ्रतटताटनत्रुटितकोटिदं..... वताकांति ४२८- पे.क्र. ३, पृ. ९२-९४, पूजाष्टक, नवग्रहाह्वान स्तोत्र व महाभयहर स्तोत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक- ८७-९४. महाविद्याविडम्बन कुल झे. पृष्ठ-४, डीवीडी-९७/९८ जैनेतर-वादीन्द्र भट्ट, सं., पाकाहेम ६६७३, पृ. २०, महाविद्याविडम्बन टिप्पणीसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ महाविद्याविडम्बन - (सं.) वृत्ति (सं.) टिप्पणक सं., गद्य, पाकाहेम २४४४, पृ. १–५, महाविद्याविडम्बनवृत्ति टिप्पन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ महाविद्याविडम्बन - (सं.) टिप्पण सं. गद्य, पाकाहेम ६६७३, पृ. २०, महाविद्याविडम्बन टिप्पणीसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ महाविद्याविडम्बन- (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ६६७३, पृ. २०, महाविद्याविडम्बन टिप्पणीसहित वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ महाविद्याविडम्बन - (सं.) वृत्ति- (सं.) टिप्पणक सं., गद्य, पाकाहेम २४४४, पृ. १५ महाविद्याविडम्बनवृत्ति टिप्पन वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ महावीर पारणक आचार्य-वर्द्धमानसूरि, अप., पद्य, गा. ४३, आदि वाक्य: जिणनिसुणउ एक्कगमणि धम्मिधरेविणु चित्तु वीरजिणन्दह पारणउ ... पाताहेसं १६८- पे. क्र. ६०, पृ. १५३३-१५६आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण 593 Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६९-७२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ महावीरकलश आचार्य-मङ्गलसूरि, अप., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः श्रेयः पल्लवयन्तु वः प्रतिदिशं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ९, पृ. १४-१५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ महावीरकलश सं., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः भुवणमण्डणु लच्छिआवासु... भांता ७२- पे.क्र.५, पृ. ५८B-६१A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- कलश प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ महावीरकालीन भावी तीर्थकर, जिन मोक्षकाल व प्रमादकाल प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सेणिय सुपास पुट्टिल उदाय सखे... भांता ७०- पे.क्र. १४१, पृ. १९६A-१९६०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२८६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ महावीरचरित्र आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११४१, गा.२४००, ग्रं.३०००, आदि वाक्यः पणमह पढमजिणिन्दं भवियाणणकमलबोहणदिणिन्दं... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाताखेत ७, पृ. २०८, महावीर चरित्र, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १२४, पृ. २६९, महावीरस्वामीचरित्र किञ्चिदपूर्ण, पूर्ण डीवीडी-७/१७ महावीरचरित्र आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, प्रा., रचना सं. विक्रम ११३९, ग्रं.१२०२५, पाताहेसं ४४, पृ. ३४८, महावीरस्वामीचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-५/१५ पाकाहेम ७०३०, पृ. १९०, महावीरचरित्र, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २५२मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१८८ महावीरचरित्र अप., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः सुमरिवि सिरिवद्धमाणु गुणमणिरयणायरू... पाताखेत ६- पे.क्र. ३५, पृ. २०२-२०६, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- अन्त में "महावीरचरित्र रासेनापि दीयते" ऐसा उल्लेख है. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ महावीरजिन जन्माभिषेक (जिनजन्माभिषेक(?)) 594 Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अप., आदि वाक्यः कम्पिउ रयणासणु तवनिन्नासणु मिलियछप्पनदिसाकुमारीए... पातासंघवी २०५-१- पे.क्र. ६, पृ. १-८, पुष्पवतीचरित्र आदि, वि-११९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१, डीवीडी-३८/५५ महावीरजिन परिग्रहप्रमाण (परिग्रहप्रमाण) सं., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रनिर्मलकुलप्रासादसिंहध्वजं... भांता ७२- पे.क्र.६, पृ. ६१A-६६B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ महावीरजिन स्तवन जुओ - भावारिवारणस्तोत्र, गणि-जिनवल्लभ, संस्कृत,प्राकृत, का.३० महावीरजिन स्नात्र महोत्सव (स्नात्र महोत्सव) डतामुक्ता ४५५, पृ. ४, महावीर जिन स्नात्र महोत्सव, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ महावीरजिनस्तुति आचार्य-जयकेसरसूरि[अंचलगच्छ], सं., पद्य, श्लोक१७, आदि वाक्यः श्रीवीतरागसमयेस्तदीया... पाकाहेम १७०८७- पे.क्र.२, पृ. १५, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ महावीरजिनस्तोत्र उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः ऐन्द्रं ज्योतिः किमपि कुनयध्वान्तविध्वंस सज्जं... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. १३, पृ. ७B-CA, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखक-ऋद्धिविजयजी. कुल झे.पृष्ठ-८ महावीरद्वात्रिंशिका सं., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः स्तोष्ये जिनं महावीरं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८८, पृ. १४३-१४४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ महावीरद्वात्रिंशिका अष्टोत्तरशतनामगर्भित जुओ - अष्टोत्तरशतनामगर्भित महावीरद्वात्रिंशिका, संस्कृत, श्लोक३२ महावीरपञ्चकल्याणक स्तवन मारुगूर्जर, पद्य, पाताहेसं १०९, पृ. ७४, महावीरजिनपञ्चकल्याणक स्तवन आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ महावीरपञ्चकल्याणकस्तोत्र (कल्याणकस्तोत्र), (पञ्चकल्याणकस्तोत्र) प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः ओहिन्नाणमुणियतित्थेसर मणुय... पाताहेसं १४२- पे.क्र.२, पृ. १-३, काव्यमीमांसा त्रयोदश अध्याय पर्यन्त, अपूर्ण, अपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११. प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र-५०+९ आप्या छे. प्रतमां काव्यमीमांसा सिवायनी बीजी कृतिओ नथी. डीवीडी-८/१७ महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन (मङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन) आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, का.२४, आदि वाक्यः (१) जय श्रीविलासालयं... (२) जयश्रीविलासालयं... पाकाहेम १२२८५, पृ. १, महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 595 Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३६०- पे. क्र. ३ पृ. २. चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि वि-१७मी संपूर्ण 1 महावीरविनती मारुगूर्जर, पाकाहेम १२१२४- पे. क्र. ५१ पृ. १५१-१५२ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी, संपूर्ण महावीरशब्दगर्भित समवसरणस्थितचतुर्मुखमहावीरस्तव जुओ समवसरणस्थितचतुर्मुखमहावीरस्तवमहावीरशब्दगर्भित#, आचार्य वीरदेवसूरि, संस्कृत, का. ३५ महावीरस्तव महावीरस्तवन प्रा., पद्य, गा.२१, पाकाहेम १५३६१ पृ. १ महावीरस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण महावीरस्तव चतुर्दशगुणस्थानकमय जुओं चतुर्दशगुणस्थानकमय महावीरस्तव, संस्कृत, गा.३४ महावीरस्तव यमकबन्ध ( यमकबन्ध महावीरस्तव) सं., पद्य, का. १४, आदि वाक्यः कलशकलशरादिप्रोल्लस... पाकाहेम १२३११ पृ. १ महावीरस्तव यमकबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ महावीरस्तवन आचार्य जयतिलकसुर ( आगमिकगच्छ), सं., पद्य, का. १०, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १०, पृ. ७२-७३, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण महावीरस्तवन प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ सं., पद्य, का.१३, आदि वाक्यः श्रीवर्धमान परिपूरित..... पाकाहेम १२३५९- पे. क्र. ३. पृ. १ साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि वि-१६मी संपूर्ण - आचार्य - जिनवर्धनसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीसत्यपुरपत्तन पूर्वशैल.... पाकाहेम ७७५- पे. क्र. १९ पृ. ३५-३६ दशवेकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ-९० महावीरस्तवन जुओ महावीरस्तोत्र, प्राकृत, गा. २१ महावीरस्तवन जुओ - सूत्रकृताङ्गसूत्र - (प्रा.) हिस्सा महावीरस्तवन, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत महावीरस्तवन द्वात्रिंशदलकमलबन्धमय जुओ द्वात्रिंशदलकमलबन्धमय महावीरस्तवन, मुनि उदयधर्म, संस्कृत श्लोक १८ महावीरस्तवन बम्भणवाडामण्डन (बम्भणवाडामण्डन महावीरजिनस्तवन) - महावीरस्तुति - मुनि-कमलकलशसूरि-शिष्य, अप., मारुगूर्जर, पद्य, गा. २१, कृ.विः भाषा अपभ्रंश प्रधान मारुगूर्जर. पाकाहेम ८२४८, पृ. २, बम्भणवाडामण्डन महावीर जिनस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष पं. रविवर्धनलिखित. - महावीरस्तवन लक्षणशास्त्रमय जुओ - लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन, आचार्य - जिनप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक १७ महावीरस्तवन सदहणाविचारगर्भित (सदहणाविचारगर्भित महावीरस्तवन) पं. पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६०७ गा. ७०, पाकाहेम १०७८९- पे.क्र. १, पृ. ?, महावीरजिनस्तवन - सद्दहणाविचारगर्भित व शङ्खश्वरपार्श्वनाथस्तवन, वि१७मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. मारुगुर्जर, पद्य, गा.११ आदि वाक्यः सखे एकुं मोरचं भणितं .... 596 Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४४, पृ. २२९-२३०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ महावीरस्तुति सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १९, पृ.८६-८७, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ महावीरस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः प्रणतसुरनरेन्द्र.. पाकाहेम १२३६१- पे.क्र. १, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण महावीरस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः विभुमशिश्रयदद्भुत... पाकाहेम १२३६१- पे.क्र. ३, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण महावीरस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः शीतरुचिकिरणा... पाकाहेम १२३६१- पे.क्र. ४, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण महावीरस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः चिररुचिररुचस्ते.. पाकाहेम १२३७३- पे.क्र.५, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण महावीरस्तुति प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः (१) नाणाइ अपिहु... (२) वीरं देवं नित्यं वन्दे.... पाकाहेम १६१४०- पे.क्र. २, पृ. २B, श्रावकदिनकृत्यकुलक सह टबार्थ व महावीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- वीरजिनस्तुति कुल झे.पृष्ठ-२ महावीरस्तुति विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त# (क्रियागुप्त विविधछन्दोबद्ध महावीरस्तुति), (विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त महावीरस्तुति) मुनि-सागरचन्द्र, सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः जगति जडिमभाजि... पाकाहेम १२३४३, पृ. १, महावीरस्तुति-विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त, वि-१६मी, संपूर्ण महावीरस्तोत्र (गाहाजुयलस्तोत्र) आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः गाहाजुयलेण जिणं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३३, पृ. ११०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ महावीरस्तोत्र (वीरजिनस्तुति), (महावीरस्तवन), (वीरस्तव) प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः जइज्जा समणे भगवं महावीरे जिणुत्तमे... पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. १३, पृ. १४३-१४४, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-२२. डीवीडी-५७/६० पाताहेसं १६८- पे.क्र. २१, पृ. ३७, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३३-३४. ताडपत्रीय पत्र ३८-३९ नहीं है. गाथा-१० तक है. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र.५१, पृ. २३३मुं, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण 597 Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- गाथा-२१. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १०२३- पे.क्र.४५, पृ. ११५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम १२३५३, पृ. १, महावीरस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. ५, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण महावीरस्तोत्र (भत्तिभरस्तोत्र) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः भत्तिब्भरनमिरसुरवइविलोल... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६७, पृ. १२८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ महावीरस्तोत्र पं.-पार्श्वचन्द्र, सं., पद्य, आदि वाक्यः कल्याणमालामणिसंविधानं... पाकाहेम १२३४६, पृ. ४, महावीरस्तोत्र सटीक, वि-१९६४, संपूर्ण महावीरस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-भावप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १२३४६, पृ. ४, महावीरस्तोत्र सटीक, वि-१९६४, संपूर्ण महावीरस्तोत्र आचार्य-जिनसोमसूरि, सं., पद्य, का.७, आदि वाक्यः जय जय जगदानन्दन... पाकाहेम १२३७७- पे.क्र. २, पृ. १, स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण महावीरस्तोत्र-(सं.)टीका आचार्य-भावप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १२३४६, पृ. ४, महावीरस्तोत्र सटीक, वि-१९६४, संपूर्ण महावीरस्वामिचरित्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.४४, आदि वाक्यः दुरियरयसमीरं मोहपकोहनीरं.. पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १४, पृ. ३१-३२, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २०५४- पे.क्र.५, पृ. १५-२७, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३७९, पृ. २, महावीरचरित्र टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १३७३७, पृ. ८, महावीरचरित्र सटीक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १५७१५, पृ. २, महावीरचरित्रस्तुति, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.५, पृ. १५-२७, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १३७३७, पृ.८, महावीरचरित्र सटीक, वि-१९मी, संपूर्ण 598 Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०३७९, पृ. २, महावीरचरित्र टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०३७९, पृ. २, महावीरचरित्र टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ५, पृ. १५-२७, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ महावीरस्वामिचरित्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १३७३७, पृ. ८, महावीरचरित्र सटीक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ महावीरस्वामिस्तवन जुओ - वर्धमानस्वामिस्तवन, आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्राकृत, गा.६ महावीरस्वामीपारj अप., पद्य, गा.४७, आदि वाक्यः कन्नु धरेविणु एक्कमणि समभावे निसुणह रङ्गेण... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. ११, पृ. ३०-३५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ महासता-सतीकुलक (भरहेसरसज्झाय). (महासतीकुलक) प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः भरहेसर बाहुबली अभयकुमारो अ ढण्ढणकुमारो.... पाकाहेम १११५१- पे.क्र. १, पृ. २A-3A, महासता-सतीकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- महासतीकुलंस्वाध्याय, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रथम पत्र की गाथा १ से ४ नहीं है. प्रत विशेष- स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ महासतीकुलक जुओ - महासता-सतीकुलक, प्राकृत, गा.१३ महासतीकुलक प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः तिहुयणनमंसियाणं निम्मलकित्तीण धम्ममुत्तीणं... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र.५, पृ. ५७-५९, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ५, पृ. २७-२८, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ महासतीकुलक मुनि-भुवनतुङ्ग, प्रा., पद्य, गा.३१, आदि वाक्यः पवरगुणनियरवित्तुरियतिजगालए... पाताहेसं १६८- पे.क्र. २६, पृ. ४९अ-५२अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३७-३८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ महासतीकुलक 599 Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः बम्भी महासुन्दरी... पाताहेसं १८९- पे.क्र. १५, पृ. १००B-१०२A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ महासतीलेखपद्धति सं., पाकाहेम ८०१३- पे.क्र. १, पृ. १, महासतीलेखपद्धति तथा श्राविकालेखपद्धति, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ महिपालचरित्र गणि-वीरदेवगणि, प्रा., पद्य, गा.१८१६, ग्रं.२२००, पाकाहेम १०११९, पृ. ५६, महीपालचरित्र पद्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८००. कुल झे.पृष्ठ-५७ पाकाहेम १०६३९, पृ. ३५, महीपालचरित्र, वि-१६मी, संपूर्ण महिपालचरित्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०११९, पृ. ५६, महीपालचरित्र पद्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. कुल झे.पृष्ठ-५७ महिपालचरित्र-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०११९, पृ. ५६, महीपालचरित्र पद्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. कुल झे.पृष्ठ-५७ महिसाणापुरमण्डनआदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय (आदिजिनस्तवन प्रातिहार्याष्टकमय महिसाणापुरमण्डन), (प्रातिहार्याष्टकमय आदिजिनस्तवन महिसाणापुरमण्डन) सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः नम्रनाकिनृपवृन्द... पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. ३, पृ.?, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन द्व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ महेश्वरस्तवन सं., पद्य, श्लोक१४, पाकाहेम १०७०२- पे.क्र. २, पृ. १-६, चण्डिकाशतक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं नथी. माईय चउपाई जुओ - मातृका, अपभ्रंश, गा.६३ माघ काव्य जुओ - शिशुपालवध, कवि-माघ, संस्कृत माङ्गल्यस्तोत्र(?) जुओ - मङ्गल्यस्तोत्र, आचार्य-धर्मसूरि, संस्कृत, श्लोक१४ मातरपूजाप्रक्रम जुओ - सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत,प्राकृत मातृका (बावन अक्षर मातृका चउपाई), (माईय चउपाई) अप., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः त्रिभुवन सरणु सुमरि जगनाहु जिम फिट्टइ भव दव दुह दाहु... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १९, पृ. ४-१०, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० माने गोधनकथा जुओ - गोधनकथा-माने, 600 Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानोन्मानादिविचार प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः माणुम्माणपमाणादिलक्खणं वञ्जणं..... भांता ७०- पे.क्र. ११४, पृ. १५०B १५१८, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ मायायाम् नागिनीकथा जुओ नागिनीकथा मायायाम्, प्राकृत, ग्रं. ११३ मायाविषये मल्लिस्वामिनी चरित्र जुओ मल्लिस्वामिनी चरित्र मायाविषये, संस्कृत मार्गणास्थान जुओ- जीवगुणस्थान १४ प्रभेद निरूपण, आचार्य मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत मालाआदिनाथ (मालाआदिनाम ? ) प्रा., पद्य, गा.२४, - - कृ.विः गायकवाड केटलॉगमां 'मालाआदिनाम ( ? ) ' आ रीते छे.. पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ७, पृ. २, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि वि-१३६९, त्रुटक 1 कुल झे. पृष्ठ-६० मालाआदिनाम? जुओ मालाआदिनाथ, प्राकृत, गा. २४ मालारोपणनन्दि जुओ मालारोपणविधि, संस्कृत मालारोपणविधि (महानिशीथप्रामाण्यप्रतिष्ठा) = सं., आदि वाक्यः अथ महानिशीथ प्रामाण्य प्रतिष्ठा अत्र च आगमप्रामाण्यात्.... क्र. विः अन्तिमवाक्य एवं महानिशीथ तोपि ... विधेयमिति भांता ७०- पे.क्र. ५६, पृ. ६२B-६३, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- आवश्यक उपवास चक्रादि सहित. प्रत विशेष सूचीपत्र नं ३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ- ७६, डीवीडी-७२/८२ यताकांति ४१६- पे क्र. २, पृ. १, उपधानविधि प्रकरण- मालारोपणविधि, संपूर्ण डीवीडी-९७ / ९८ पाकाहेम ५२६८- पे क्र. ६. पृ. १५-१६ सुबोधसमाचारी आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १४ मालारोपणविधि (मालारोपणनन्दि) सं., गद्य, आदि वाक्यः नन्दिः पुनरित्थं क्रियते ... भांता ७०- पे.क्र. ५२, पृ. ५६B-५७A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ मालारोपणसमयवाच्यगाथा (उपधान मालारोपणसमयवाच्यगाथा) - पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३८७. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. 601 आचार्य - मानदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा. ४३, आदि वाक्यः तत्तो जिणपडिमाए पूयादेसाउ सुरभिगन्धड्ढ .... कृ.विः अन्तिमवाक्य-सुहज्झाणानलनिद्दड्ढघाइ... वयणा उयहाणमिण साहेह महानिसीहस्स. भांता ७०- पे.क्र. ५४, पृ. ५८B-५९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-१३८६. Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मासकल्पविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अप्पडिवड्ढेण सया गुरूवएसेण सव्वभावेसु... कृ.विः अं.वाक्य-सेसोमासो जोगपरिक्खेसि ...निग्गंथीण मासं वत्थए. भांता ७०- पे.क्र. ७३, पृ. ९१B-९५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३३. सूचीपत्रांक-२१४१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङक-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मासकल्पादि अनेक आगमोद्धत विचारो प्रा.,सं., गद्य, पातासंघवी ६०-३- पे.क्र. १, पृ. १B-१२५B, मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-३०/४८ मिच्छत्तकुलय (मिथ्यात्वकुलक) प्रा., पद्य, भांता ७२- पे.क्र. ३७, पृ. १९१(?), दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पाठ कहाँ से प्रारंभ होता है वह अस्पष्ट है. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ मिच्छाउक्कडकुलक (मिच्छामि दुक्कडं कुलक) प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः जे कोवीय पाणगुणो दुखे दुतीउमइ गो चिजगनाहो।... कृ.विः गाथा पूर्णता अज्ञात. गाथा इसके बाद भी होनी चाहिये. पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ११, पृ. ४B-4B-, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४५-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है., गाथा-१५ तक ही उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० मिच्छामि दुक्कडं कुलक जुओ - मिच्छाउक्कडकुलक, प्राकृत, गा.१५ मिताक्षरी व्याख्या जुओ - पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)मिताक्षरी व्याख्या, संस्कृत मित्रसेनराजाकथा सं., पद्य, आदि वाक्यः दानशीलतपः सम्पद्भावने भजते रसं... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ११, पृ.७९-८५, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. श्लोक-६१ तक है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० मिथ्यात्वकुलक जुओ - मिच्छत्तकुलय, प्राकृत मिथ्यात्वकुलक प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ७७८२, पृ. २, मिथ्यात्वकुलक बालवबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण 602 Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम ११०६६, पृ. १, मिथ्यात्वकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२६. मिथ्यात्वकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६६, पृ. १, मिथ्यात्वकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२६. मिथ्यात्वकुलक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७७८२, पृ. २, मिथ्यात्वकुलक बालवबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ मिथ्यात्वकुलक प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः चित्तद्धिमि मह न वसी... पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. २, पृ. २जु, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ मिथ्यात्वकुलक-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७७८२, पृ. २, मिथ्यात्वकुलक बालवबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ मिथ्यात्वकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६६. पृ. १, मिथ्यात्वकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२६. मिथ्यात्वगाथा प्रा., पद्य, गा.६, आदि वाक्यः मित्थत्तवेय तह रागदोस सङ्कन्ति सूरससिगहणं... भांता ७०- पे.क्र. ३९, पृ. ४६A-४६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मिथ्यात्वपरिहारकुलक प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः नमिउं वीरजिणिन्दं पणय सुरिन्दं विलीणभवकन्दं... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४१, पृ.७९आ-८१आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झरोक्ष पत्र-४७-७८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ मिथ्यात्वपरिहारकुलक (संसारताराणस्तवन) आचार्य-सिद्धिसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः (१) नमिऊण महावीरं मिच्छत्ततमन्धयारदिणनाहं...(२) निमिऊण वद्धमाणं मिच्छत्ततमधयार दिणनाहं... पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. ११, पृ. ६६-६८, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ 603 Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३१, पृ. १२९A-१३१A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं.. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांका ११०- पे.क्र. १, पृ. १A-२B, मिथ्यात्वपरिहार, एगुणतीसी भावना व जीवसम्बोध कुलक, संपूर्ण पे. नाम- संसारतारयाणास्तवन, पे. विशेष- गाथा-३५. प्रतिलेखक गाथाक्रम २१-२२ देना भूल गया है. प्रत विशेष- लिखावट सुन्दर है. कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८४ मिथ्यात्वसप्ततिकाप्रकरण आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७४, पाकाहेम ७८०१, पृ. २, मिथ्यात्वसप्ततिकाप्रकरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक प्रा., पद्य, गा.४४, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यादुष्कृतकुलक (असद्ध्यानक्षामणाकुलक), (भावनाकुलक) प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः (१) जो को वि य पाणिगणो दुक्खे ठविओ मए भमन्तेणं । सो खमउ मज्झ इण्हिं मिच्छामिह दुक्कडं तस्स ||१||...(२) जो कोइय पाणिगणो दुक्खे ठवितो मए भमन्तेण... पाताहेसं १८९- पे.क्र. ४१, पृ. १५९०-१५९B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- मिथ्यादुःकृतकुलक प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ मुक्तिमार्गविषयकउपदेश सं.. पाकाहेम २१०६- पे.क्र.८, पृ. ६२-६३, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ मुखपोतिकाकुलक आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८, पाकाहेम ९६२२- पे.क्र. १, पृ. १-७, मुखपोतिकाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मुखवस्त्रिका कुलक आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः मोहतिमिरोहसूरं नमिउं वीरं सुयाणुसारेण... भांता ७०- पे.क्र.८०, पृ. १०३B-१०५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२८४. 604 Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मुखवस्त्रिका छत्रीसी जुओ - मुहपत्तिछत्रीसी, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.३६ मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार (मुहपत्तिप्रतिलेखनाधिकार) सं.,प्रा., पाकाहेम १९५८- पे.क्र.१, पृ. १, मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार तथा पाक्षिक प्रतिक्रमणविचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ मुखवस्त्रिकाविचार सं., गद्य, पाकाहेम १०७७९- पे.क्र. ३, पृ. १-४, पाक्षिकविचार आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ मुग्धबोध व्याकरण कवि-बोपदेव, सं., पाताखेत ५३-२, पृ. १६६, मुग्धबोध व्याकरण, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम ७०६०, पृ. ३६, मुग्धबोधव्याकरण, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ मुग्धावबोध औक्तिक आचार्य-कुलमण्डनसूरि, सं.,मारुगूर्जर, रचना सं. विक्रम १४५०, पाकाहेम २६२१- पे.क्र. १, पृ. १-१०, मुग्धावबोध औक्तिकादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १२००९, पृ. ६, मुग्धावबोध औक्तिक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्त्ता देवसुन्दरसूरि शिष्य. कुल झे.पृष्ठ-६ मुद्रागाथा प्रा., पद्य, गा.२, आदि वाक्यः दहण पलावण पडिजीवणं... भांता ७०- पे.क्र. ३३, पृ. ४१A-४१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मुद्राविधि सं., पाकाहेम १२५१०, पृ. १, मुद्राविधि, वि-१९५३, संपूर्ण मुद्रित कुमुदचन्द्रनाटक मुनि-यशस्वीगणि-शिष्य[लुङ्कागच्छ], सं., कृ.विः भाषा-संस्कृत आदि. पाकाहेम ८६३१, पृ. ९, मुद्रितकुमुदचन्द्र नाटक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ मुनिचन्द्रसूरि विरह (देवसूरिकृत कुलक) आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.५५, आदि वाक्यः निव्वाणगमणकल्लाणवासरे जस्समुक्कपोक्कारं... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २५, पृ. ९४-१०२, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ 605 Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ६९ पे. क्र. २७, पृ. १८२- १८९४ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.२-१३३. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १११५३- पे. क्र. १६. पृ. १२-१४, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि - रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३५ मुनिचन्द्रसूरिस्तुति आचार्य-वादिदेवसूरि, अप, पद्य, गा. २५, आदि वाक्यः नाणु चरणु सम्मत्तु जसु रयणत्तउ .... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २४, पृ. ९१-९४, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे. क्र. १५ पृ. १२मुं मुनिचन्द्रसूरि चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९. संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३५ मुनिमुक्तावली अप, पद्य, गा. १३. आदि वाक्यः पणमह तिसलासुयजिणह पायजुयलु सिरिगेहु .... पाताखेत ३६- पे क्र. १६. पृ. १ बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ मुनिसुव्रतजिनस्तुति सं., पद्य, श्लोक४ आदि वाक्य वाचा पुण्याय दीपा... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३७, पृ. ७७ प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है.. मुनिसुव्रतजिनस्तुति आचार्य - अजितदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.२०, कृ.विः अन्तवाक्य- देहि मह मोक्खसोक्खं कप्पियफल कप्परुक्ख तुमं. पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. १८, पृ. २, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण प्रारंभिक ५ गाथाएं नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-७८-७९. प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित. कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० मुनिसुव्रतस्वामि जन्माभिषेक जुओ मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र जन्माभिषेक आचार्य - जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा. १३ मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध " आचार्य श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य धनेश्वरसूरि प्रा. पद्य रचना सं. विक्रम ११९३ गा. १०९९४, पाताहेसं ४३, पृ. ४५१, मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-५/१५ - पाकाहेम १८९५, पृ. २५८, मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १७१ मुं डबल छे. कुल हो. पृष्ठ- १७४ मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य " आचार्य पद्मप्रभसूरि, सं. पद्य रचना सं. विक्रम १२९४ ग्रं. ५५६८. पाकाहेम ७०२८, पृ. ११२, मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण कुलझे पृष्ठ- १११ मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र (भरूचमण्डण मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र) प्रा. पद्य, गा. ३०, आदि वाक्यः भरुयच्छलच्छिवच्छत्थ.... 606 Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ६९- पे.क्र. १८, पृ. १३८०-१४०B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-४२१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्र जन्माभिषेक (मुनिसुव्रतस्वामि जन्माभिषेक) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः जयसिरिसमलङ्किय गयकमलङ्कियपाय पवित्तियमहिवलय... पाताखेत ६- पे.क्र. ४६, पृ. २३२-२३४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- भासरागेण. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ मुहपत्तिछत्रीसी (मुखवस्त्रिका छत्रीसी) पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३६, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. १, पृ. १-२, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० मुहपत्तिप्रतिलेखनाधिकार जुओ - मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार, संस्कृत,प्राकृत मुहूर्तराजान्तर्गत-दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त जुओ - दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत, संस्कृत, श्लोक३५ मूलदेवकथा आदि ३५ कथा प्रा.,सं., भांका १४६, पृ. ३८, मूलदेवकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रंथ नंबर सेट थता नथी., सूचीपत्रक्रम-४-४९१. डीवीडी-८५ मूलविशुद्धि प्रा., पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ११, पृ. २२०-२५६, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ मूलशुद्धि पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. ३, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० मूलशुद्धिप्रकरण (ठाणाप्रकरण), (स्थानप्रकरण) आचार्य-प्रद्युम्नसूरि, प्रा., पद्य, गा.२१४, आदि वाक्यः वन्दामि सव्वन्नुजिणिन्दवाणी पसन्नम्भीरपसत्थसत्था।... कृ.विः गाथा २१२ थी २६५ सुधी मळे छे. गाथा १०१ अने १०३ पण मळे छे. पाताखेत ३- पे.क्र.६, पृ. ११५-१४०, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि-१२९२, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र.७, पृ. ५५-७३, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१२. प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ६, पृ. ९६-११४, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत १७-२- पे.क्र.५, पृ. ८२-१०१, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण 607 Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र. ३, पृ. ३०B-४८B, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. नाम- मूलसुद्धीप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र-३५, ३९, ४० व ४३ नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र ११-१९ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. __ कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र.६, पृ. ९०-१५७, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- पत्र-११६ थी १२३ ने १२५ थी १५६ नथी. प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०८ - पे.क्र.६, पृ. १७१-१९०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र.४, पृ. ७०-८६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१२. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६४- पे.क्र. १२, पृ. २५६-२७४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. ७, पृ. २१०-२१८, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ४, पृ. ६१-७९, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३४-२- पे.क्र. २, पृ. ६८-९३, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२३२. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. ३, पृ. ४८-६५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. २, पृ. ३९-५५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१४. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र. ३, पृ. ६८-९०, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. ३, पृ. ५०-६५, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०१., पत्र ६३-६४ नथी. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८४-१- पे.क्र. ३, पृ. ६१-७९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१२. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र.६, पृ. ११९-१४१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५-२- पे.क्र. ३, पृ. ८३-१०७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण 608 Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- सर्वैक्यं ग्रन्थाग्र-२०१., पे. ३. पत्र १०१ नथी. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६, पृ. ५१-५७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ६७मुं टूटेलुं ने ६९-७०-७१ पत्र नथी., डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११३- पे.क्र. ४, पृ. ७०-८६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. ३, पृ. ५४-७१, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र.८, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ तालाद ३८४- पे.क्र. २, पृ. ७१-८५, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र-७५-७७ नथी. ___ कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+६+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. ३, पृ. ७२A-९४B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२२२. प्रथम पत्र पर चन्द्रप्रभस्वामी का चित्र है. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७०७३, पृ. २७५, मूलशुद्धिप्रकरण विवरणसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- १४०-१४१ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-२७५ मूलशुद्धिप्रकरण-(सं.)विवरण आचार्य-देवचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११४६, ग्रं.१३०००, पाकाहेम ७०७३, पृ. २७५, मूलशुद्धिप्रकरण विवरणसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- १४०-१४१ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-२७५ मूलशुद्धिप्रकरण-(सं.)विवरण आचार्य-देवचन्द्रसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११४६, ग्रं.१३०००, पाकाहेम ७०७३, पृ. २७५, मूलशुद्धिप्रकरण विवरणसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- १४०-१४१ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-२७५ मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी जुओ - भगवतीसूत्रनी (सं.)टीकानो हिस्सो मूलाकोद्देशकसङ्ग्रहणी, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत मृगसुन्दरीकथा सं., पद्य, श्लोक१४७, पाकाहेम १६४५७- पे.क्र.२, पृ. २-३, चन्द्रलेखाकथा आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ मृगाङ्कलेखाकथानक तपविषये (तपविषये मृगाङ्कलेखाकथानक) प्रा., पद्य, गा.१३७, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र.७, पृ. ६९-८२, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ मृगापुत्रमहर्षिकुलक अप., पद्य, गा.४२, पातासंघवी २०२- पे.क्र. ६, पृ. १९३-२०१, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ 609 Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. ४, पृ. ३-५, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ मृत्युमहोत्सव सं., पद्य, श्लोक४, पाकाहेम ११०२७- पे.क्र. २, पृ. १, तत्त्वसार आदि, वि-१७मी, संपूर्ण मेघदूत किरातार्जुनीय रघुवंश कुमारसम्भव महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह जुओ - रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह, कवि-राजकुण्ड, संस्कृत, श्लोक१०१६ मेघदूतमहाकाव्य कवि-कालिदास, सं., पद्य, ग्रं.२०००, पाकाहेम १०१२१, पृ. २६, मेघदूतमहाकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ पाकाहेम १०२१६, पृ. ४०, मेघदूतमहाकाव्य सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०२१६, पृ. ४०, मेघदूतमहाकाव्य सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका कवि-स्थिरदेवकवि, सं., गद्य, ग्रं.१५००, पाकाहेम १०६९७, पृ. १८, मेघदूतमहाकाव्य टीका, वि-१७मी, संपूर्ण मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०१२१, पृ. २६, मेघदूतमहाकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०१२१, पृ. २६, मेघदूतमहाकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०२१६, पृ. ४०, मेघदूतमहाकाव्य सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका कवि-स्थिरदेवकवि, सं., गद्य, ग्रं.१५००, पाकाहेम १०६९७, पृ. १८, मेघदूतमहाकाव्य टीका, वि-१७मी, संपूर्ण मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्ति रूपविजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका (विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका मेघदूतसमस्यालेखमेघदूतपादपूर्तिरुप) उपाध्याय-मेघविजय, सं., पद्य, श्लोक१३१, पाकाहेम ८००८, पृ. ५, मेघदूतसमस्यालेख-मेधदूतपादपूर्तिरूप विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ मेघमाला सं., पद्य, श्लोक४९५, पाकाहेम १०७२२, पृ. १८, मेघमाला, वि-१६मी, संपूर्ण मेघराजाकथानक __प्रा., पद्य, आदि वाक्यः जो देइ दीवयं जिणवरस्सभवणम्मि परमभत्तीए... 610 Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ३, पृ. ?, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्रांक २७ से है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० मेघाभ्युदयकाव्य सं., पद्य, का.३८, आदि वाक्यः काचित् काले प्रभुदितनदन्नीलकण्ठैर्घनागे व्योमाटव्यां प्रतिदिशमलं सञ्चरन् मेघनागे पाकाहेम ६६२३- पे.क्र. ३, पृ.?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे.पृष्ठ-४४ मेघाष्टक सं., पद्य, श्लोक११, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १३, पृ. ४, अकलकदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १३, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश (विश्वतत्त्वप्रकाश) भावसेन, सं., पाकाहेम १०७४४, पृ. ७३, मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०७४४, पृ. ७३, मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०७४४, पृ. ७३, मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण मोक्षोपदेशपञ्चाशिका आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक५१, आदि वाक्यः शुद्धध्यानलवित्रेण समूलः क्लेशपादपः... पातासंघवी १७४- पे.क्र.५, पृ. ५७-६१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- मोक्षोपदशेशपंचाशत्, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र ५८-६० नथी. गाथा-६-५० नथी. झेरोक्ष पत्र-२१-२२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १, पृ. १-८, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण पे. नाम- मोक्षोपदेशपंचाशत् कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. ३, पृ. १५-१८, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ पाकाहेम ११०४६- पे.क्र. १, पृ. १, मोक्षोपदेशपञ्चाशिका आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १, पृ. १-२, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. नाम- मोक्षोपदेशपञ्चाशत् कुल झे.पृष्ठ-३५ मोहकुलक प्रा., पद्य, गा.३४, 611 Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७७८७, पृ. २, मोहकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मोहराजविजय आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., आदि वाक्यः तिहुअण पणमिअपाउ नासियनिसेसकम्मसङ्घाओ... पाताखेत ६- पे.क्र. ३९, पृ. २१४-२१७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- मोहराजविजयोक्ति प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ मोहोन्मूलनवादस्थानक आचार्य-अजितदेव आचार्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११८५, आदि वाक्यः महादिमोहमातङ्गकुम्भभङ्गे मृगाधिपं... अताका ४८५- पे.क्र. १, पृ. १-२५, मोहोन्मूलनवादस्थानक वाक्यार्थविचारवादस्थानक, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक झेरोक्ष पत्र का उल्लिखित है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-१०३/१०४ मौनएकादशी कथानक जुओ - सुव्रतऋषिकथानक-मौनएकादशीकथानकपद्य, प्राकृत, गा.१५९ मौनएकादशीकल्याणकस्तवन अप., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः नेमिजिणराय पणमेवि पाकाहेम ७३९८- पे.क्र. २, पृ. १, रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव आदि, वि-१५मी, संपूर्ण मौनएकादशीमाहात्म्यकथा पद्य गणि-रविसागर, सं., पद्य, श्लोक२००, पाकाहेम १०१७५, पृ.७, मौनएकादशीमाहात्म्यकथा पद्य, वि-१७५९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १३६४६, पृ.६, मौनएकादशीकथा पद्य, वि-२०मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१९९. यतिआराधनाप्रकरण पद्य, पाताहेसं १७१-७- पे.क्र. १, पृ. ???, यतिआराधनाप्रकरण श्रावकआराधनाप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ यतिआराधनाविधि (आराधनाविधि) प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः पूर्वं ग्लानसमीपे प्रतिमा... भांता ७०- पे.क्र. १६७, पृ. २३४०-२३६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ यतिजितकल्प जुओ - जीतकल्पसूत्र, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.१३०, गा.१०५ यतिजीतकल्पसूत्र नव्य (नव्ययतिजीतकल्पसूत्र), (जीतकल्पसूत्र-नव्य) आचार्य-सोमसूरि, प्रा., पद्य, गा.३३३, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो वुच्छं पच्छितदाणसङ्खवं... १।।... भिन्न १ लहु २ गुरू ३ ।।..२४ ।। कृ.विः जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. पाकाहेम ३४३, पृ. १५७, यतिजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १००६०, पृ. ८, नव्ययतिजीतकल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण 612 Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००६१ पृ. ७८ नव्ययतिजीतकल्पसूत्र विवृतिसहित वि-१५७० संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७९ पाकाहेम १४९०७ पृ. १११ यतिजीतकल्पसूत्रसटीक, वि-१५३८, संपूर्ण भांका ११८, पृ. ७९, यतिजीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह- त्रिपाठ, वि-१७००, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६०६. डीवीडी-८४ भांका १५७, पृ. ३९, यतिजीतकल्पसूत्र सह विवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष भंडार संदर्भाक-७८४ / ९५-१९०२ सूचीपत्र नं. १-६०४, पत्र-७९-३३=३९. डीवीडी-८५ भांका १९१, पृ. १५, यतिजीतकल्पसूत्र, वि- १६२१, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६०३. गाथा-३०६.. डीवीडी-८७ " यतिजीतकल्पसूत्र नव्य- (सं.) वृत्ति आचार्य - साधुरत्नसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४५६, श्लोक५७००, आदि वाक्य : (१) जयति महोदयशाली भास्वान् श्रीवर्द्धमान तीर्थपति...(२) शोधयतीति प्रायश्चित्तं आर्षत्वात् प्राकृतेन ..... पाकाहेम ३४३, पृ. १५७, यतिजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १०६ पाकाहेम १००६१, पृ. ७८, नव्ययतिजीतकल्पसूत्र विवृतिसहित, वि-१५७०, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७९ झे पाकाहेम १४९०७, पृ. १११, यतिजीतकल्पसूत्रसटीक, वि-१५३८, संपूर्ण भांका ११८, पृ. ७९ यतिजीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह- त्रिपाठ, वि-१७००, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६०६. डीवीडी-८४ भांका १५७, पृ. ३९, यतिजीतकल्पसूत्र सह विवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - भंडार - संदर्भाक-७८४/९५-१९०२ सूचीपत्र नं. १-६०४, पत्र - ७९-३३ = ३९. डीवीडी-८५ यतिजीतकल्पसूत्र नव्य- (सं.) वृत्ति आचार्य-साधुरत्नसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४५६, श्लोक५७००, आदि वाक्य : (१) जयति महोदयशाली भास्वान् श्रीवर्द्धमान तीर्थपति...(२) शोधयतीति प्रायश्चित्तं आर्षत्वात् प्राकृतेन..... पाकाहेम ३४३, पृ. १५७, यतिजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १०६ पाकाहेम १००६१ पृ. ७८ नव्ययतिजीतकल्पसूत्र विवृतिसहित वि १५७० संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७९ पाकाहेम १४९०७, पृ. १११, यतिजीतकल्पसूत्रसटीक, वि-१५३८, संपूर्ण भांका ११८ पृ. ७९ यतिजीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह- त्रिपाठ, वि-१७००, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-६०६. डीवीडी-८४ भांका १५७, पृ. ३९ यतिजीतकल्पसूत्र सह विवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष भंडार संदर्भाक- ७८४ / ९५-१९०२ सूचीपत्र नं. १-६०४. पत्र- ७९-३३-३९. डीवीडी-८५ यतिदिनकृत्यप्रकरण आचार्य हरिभद्रसूरि सं., पद्य, श्लोक ४२०, पाकाहेम ५३१६, पृ. ८, यतिदिनकृत्य प्रकरण, वि-१७२८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ६ नथी. 613 Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६ यतिदिनचर्या आचार्य-भावदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५४, आदि वाक्यः वीरं नमिऊण जिणं... पाकाहेम १०३३, पृ. ६, यतिदिनचर्या, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ यतिदिनचर्या सामाचारी जुओ - सामाचारी-यतिदिनचर्या, आचार्य-देवसूरि, प्राकृत, गा.३९२ यतिप्रतिक्रमणसूत्र जुओ - पगामसज्झाय, प्राकृत, ग्रं.५० यतिप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति जुओ - पगामसज्झाय-(सं.)वृत्ति, संस्कृत यतिप्रतिमा प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः मासाई सत्तन्ता पढमावी तइअ सत्तराइ दिणा... भांता ७०- पे.क्र. ४६, पृ. ४९B-५०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४११. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ यतिविचारकुलक प्रा., पद्य, गा.२३, पाकाहेम ११०७८, पृ. १, यतिविचारकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५२३, संपूर्ण यतिविचारकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०७८, पृ. १, यतिविचारकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५२३, संपूर्ण यतिविचारकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०७८, पृ. १, यतिविचारकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५२३, संपूर्ण यतिशिक्षापञ्चाशत (यतिशिक्षापञ्चाशिका) प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जयइ जिणसासणमिणं... पाकाहेम १३५१- पे.क्र. १, पृ. १-२, यतिशिक्षापञ्चाशतादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ भांका १९८, पृ. १३, यतिशिक्षापञ्चाशिका, संपूर्ण डीवीडी-८७ यतिशिक्षापञ्चाशिका जुओ - यतिशिक्षापञ्चाशत, प्राकृत, गा.५० यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकउद्धृति-चित्तनिवृत्ति (चित्तनिर्वृत्ति यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकउद्धृति) सं., ग्रं.१३१०, पाकाहेम ७४१३, पृ. १७, यथाच्छन्दच्छन्दच्छेदकुद्धृति-चित्तनिर्वृति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ यन्त्रचिन्तामणिमहाकल्प पण्डित-दामोदर, सं., पाकाहेम १३३२०, पृ. ५६, यन्त्रचिन्तामणिमहाकल्प, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८ यन्त्रप्रकरणकथा सम्यक्त्वविषये जुओ - सम्यक्त्वविषये यन्त्रप्रकरणकथा, संस्कृत, श्लोक९९ यमकबन्ध अजितनाथस्तवन जुओ - अजितनाथस्तवन यमकबन्ध, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक२१ यमकबन्ध अजितनाथस्तवन-(सं.)अवचूरि जुओ - अजितनाथस्तवन यमकबन्ध-(सं.)अवचूरि, संस्कृत यमकबन्ध महावीरस्तव जुओ - महावीरस्तव यमकबन्ध, संस्कृत, का.१४ यमकमय आदिनाथस्तवन जुओ - सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन, संस्कृत, श्लोक१४ 614 Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती यमकमय पार्श्वनाथस्तव जुओ - पार्श्वनाथ यमकमय स्तव, अज्ञात-शिवसुन्दर, संस्कृत, का.७ यमकमय पार्श्वनाथस्तव जुओ - पार्श्वनाथयमकमयस्तव, अज्ञात-पद्मनन्दि, संस्कृत, का.९ यमकमय पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र, आचार्य-पुण्यरत्नसूरि, संस्कृत, श्लोक१५ यमकमय पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथयमकमयस्तोत्र, उपाध्याय-श्रीवल्लभोपाध्याय, संस्कृत, का.१४ यमकमयजिननमस्कार (जिननमस्कार - यमकमय) सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः स्तवस्तव जिनैकोपि... पाकाहेम ७३८६- पे.क्र.५, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ यमकस्तुति (जिनस्तुति यमकमय(?)) आचार्य-सोमसूरि, सं., पद्य, पातासंघवी ५४-३- पे.क्र. २, पृ. ५६मुं, सङ्ग्रहणी तथा यमकस्तुति वृत्ति, संपूर्ण पे. नाम- यमकस्तुति सह वृत्ति, पे. विशेष- अन्तिम पत्र खण्डित. डीवीडी-२९/४७ यमकस्तुति-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः जाड्यध्वंसकृते नत्वा नाभेयप्रमुखान्... पातासंघवी ५४-३- पे.क्र. २, पृ. १-७६, सङ्ग्रहणी तथा यमकस्तुति वृत्ति, संपूर्ण पे. नाम- यमकस्तुति सह वृत्ति, पे. विशेष- अन्तिम पत्र खण्डित. डीवीडी-२९/४७ यमकस्तुति-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः जाड्यध्वंसकृते नत्वा नाभेयप्रमुखान्... पातासंघवी ५४-३- पे.क्र. २, पृ. १-७६, सङ्ग्रहणी तथा यमकस्तुति वृत्ति, संपूर्ण पे. नाम- यमकस्तुति सह वृत्ति, पे. विशेष- अन्तिम पत्र खण्डित. डीवीडी-२९/४७ यमकादिमय क्रियागुप्त नाभेयस्तव जुओ - नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय#, अज्ञात-नयप्रभ, संस्कृत, श्लोक१३ यमकालङ्कारमय चतुर्विंशतिजिनस्तुति जुओ - चतुर्विंशतिजिनस्तुति यमकालङ्कारमयी#, संस्कृत, का.२७ यमकालङ्कारमय जिनस्तव (जिनस्तव - यमकालङ्कारमय) मुनि-देवसुन्दरसूरि शिष्य, सं., पद्य, पाकाहेम ८२३४, पृ. ३, यमकालङ्कारमय जिनस्तव सावचूरि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ यमकालङ्कारमय जिनस्तव-(सं.)अवचूरि आचार्य-साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ८२३४, पृ. ३, यमकालङ्कारमय जिनस्तव सावचूरि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ यमकालङ्कारमय जिनस्तव-(सं.)अवचूरि आचार्य-साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ८२३४, पृ. ३, यमकालङ्कारमय जिनस्तव सावचूरि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ यमकालङ्कारमय पार्श्वनाथस्तवन जुओ - पार्श्वनाथस्तवन यमकालङ्कारमय, आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.९ यमप्रकरण विशुद्धमुनि षड्गोचर-शिष्य, सं., पद्य, गा.२१, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. ११, पृ. १५५-१५६, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ यशोधरचरित्र प्रा., पद्य, गा.२५६, आदि वाक्यः पयडिय दइक्कधम्मं दंसिय जीववहदारुणविवागं... 615 Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका ९०- पे.क्र. २, पृ. ११A-१८B, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ यशोधरचरित्र (गद्य) उपाध्याय-हेमकुञ्जर, सं., गद्य, पाकाहेम २१०५, पृ. १९, यशोधरचरित्र गद्य, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ यशोविजयोपाध्यायपत्र-शास्त्रीयविचारगर्भित (शास्त्रीयविचारगर्भित -यशोविजयोपाध्यायपत्र) मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १२००४, पृ. ५, यशोविजयोपाध्यायपत्र-शास्त्रीयविचारगर्भित, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ युक्तिप्रकाश गणि-पदमसागर, सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः प्रणपत्यव्यक्तभक्त्या श्रीवर्दधमानक्रमाम्बुजं... कृ.विः हीरविजयसूरि विजयराज्ये विरचितं. पाकाहेम ५०९४, पृ. १२, युक्तिप्रकाश स्वोपज्ञ विविरणसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २८५, पृ. ५, युक्तिप्रकाशसूत्र स्वोपज्ञवृत्ति सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९१ युक्तिप्रकाश-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण गणि-पद्मसागर, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीमहावीरं नम्राखण्डलमण्डलं... पाकाहेम ५०९४, पृ. १२, युक्तिप्रकाश स्वोपज्ञ विविरणसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २८५, पृ. ५, युक्तिप्रकाशसूत्र स्वोपज्ञवृत्ति सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९१ युक्तिप्रकाश-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण गणि-पद्मसागर, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीमहावीरं नम्राखण्डलमण्डलं... पाकाहेम ५०९४, पृ. १२, युक्तिप्रकाश स्वोपज्ञ विविरणसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २८५, पृ. ५, युक्तिप्रकाशसूत्र स्वोपज्ञवृत्ति सह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-९१ युगप्रधान आचार्यगाथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः जुगुपहाणु सिरिअभयसूरि हेमसूरि समिद्धउ विजयसिन्धु मुणिराउ... पाताहेसं ११६- पे.क्र. ४, पृ. १६८आ, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-२ अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र-७२वां. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. ___कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ युगप्रधानसत्तरी जुओ - गणधरसत्तरी, प्राकृत, गा.७१ युगादिजिनचरितकुलक जुओ - ऋषभचरितस्तवन चरितकुलक, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.२७ युगादिजिनस्तवन इलदुर्गमण्डन (इलदुर्गमण्डन युगादिजिनस्तवन), (आदिजिनस्तवन-इलदुर्गमण्डन) आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, का.२४, आदि वाक्यः जय श्रीमन्नाभिप्रभवः... पाकाहेम १२१४५, पृ. १, इलदुर्गमण्डनयुगादिजिनस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. कुल झे.पृष्ठ-२ युगादिजिनस्तवन कुल्पपाकमण्डन (कुल्पपाकमण्डन युगादिजिनस्तवन), (आदिजिनस्तवन) 616 Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-भुवनसुन्दरसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः महाभाग्यसौभाग्य... पाकाहेम १२१४३, पृ. १, कुल्पपाकमण्डनयुगादिजिनस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण युगादिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध# (पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध युगादिजिनस्तवन ). (आदिजिनस्तवन पेथडकारितप्रासादसम्बद्ध), (आदिनाथ स्तवन) आचार्य-सोमतिलकसूरि, सं., पद्य, का.३२, आदि वाक्यः श्रीनाभिसम्भव विभो... पाकाहेम १२३४८, पृ. १, पेथडकारितप्रासादसम्बद्धयुगादिदेवस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण युगादिजिनस्तोत्र (आदिजिनस्तोत्र) सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः जय विश्वनयन... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८२, पृ. १३५, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ युगादिदेवस्तवन (आदिजिन स्तवन) आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक६, आदि वाक्यः श्रेयसां पद जिनेन्द्र... पाकाहेम १२३७३- पे.क्र. ३, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण युगादिदेवस्तुति (आदिजिन स्तुति) मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः वडई वेगि वीणा भणी... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४२, पृ. २२८-२२९, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-९. कुल झे.पृष्ठ-३१ युगादिदेवस्तुति जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन युगादिदेवस्तुति#, आचार्य-जयशेखरसूरि, मारुगूर्जर, गा.१६ युगादिदेवस्तुति-शत्रुञ्जयमण्डन जुओ - शत्रुञ्जयमण्डन-युगादिदेवस्तोत्र, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक१६ युगादिदेशना जुओ - आदिनाथ देशना, गणि-सोममण्डन, संस्कृत युष्मदस्मदष्टादशस्तवी (अष्टादशस्तवी) आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः स्तुवे पार्वं जिनाधीशं पार्श्वयक्षेण... कृ.विः परिमाण-१८(१९) स्तवन. भांका १८१, पृ. ५, युष्मदस्मद्स्तोत्र अष्टादशी अवचूर्णि सहित, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-२२. डीवीडी-८७ युष्मदस्मदष्टादशस्तवी-(सं.)अवचूरि गणि-सोमदेव गणि, सं., पद्य, आदि वाक्यः बहुब्रीहेरेकवचने युष्मद् शब्द... भांका १८१, पृ. ५, युष्मदस्मद्स्तोत्र अष्टादशी अवचूर्णि सहित, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-२२. डीवीडी-८७ युष्मदस्मदष्टादशस्तवी-(सं.)अवचूरि गणि-सोमदेव गणि, सं., पद्य, आदि वाक्यः बहुब्रीहेरेकवचने युष्मद् शब्द... भांका १८१, पृ. ५, युष्मदस्मद्स्तोत्र अष्टादशी अवचूर्णि सहित, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-३-२२. डीवीडी-८७ युष्मदस्मद्गर्भितजिनस्तोत्र (जिनस्तोत्र युष्मदस्मद्गर्भित) आचार्य-सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः श्रीमन्धर्म... पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. ४, पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ युष्मदस्मद्रूपगर्भित स्तोत्रसङ्ग्रह जुओ - अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित', आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत 617 Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योग विचार जुओ - योगविधि, प्राकृत,संस्कृत योगकल्पद्रुम सं., पद्य, श्लोक६४, आदि वाक्यः अर्हन्मुनिन्दुर्लोकेशः केशवः शिव इत्यमी... पातासंघवीजीर्ण ५२- पे.क्र. ३, पृ. (ख)२०-२६, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक २५ ना श्लोक ४६-६० नथी. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी., झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-५७/६० पाकाहेम ६५९५- पे.क्र. २, पृ. १-७, पद्मनन्दीपञ्चाशिका आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७८५७- पे.क्र. २, पृ. ३मू, प्रकीर्णकश्लोक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ योगदर्शनसूत्र जुओ - पातञ्जलयोगसूत्र, ऋषि-पतञ्जलि, संस्कृत योगदृष्टिसमुच्चय आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., तालाद ३४२, पृ. ६९, योगदृष्टिसमुच्चय सह टीका, वि-११४६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९४/९६ योगदृष्टिसमुच्चय-(सं.)टीका सं., गद्य, तालाद ३४२, पृ. ६९, योगदृष्टिसमुच्चय सह टीका, वि-११४६, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९४/९६ योगदृष्टिसमुच्चय-(सं.)टीका सं., गद्य, तालाद ३४२, पृ. ६९, योगदृष्टिसमुच्चय सह टीका, वि-११४६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९४/९६ योगद्वहनप्रायश्चित्तप्रदानविधि जुओ - योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि, आचार्य-तिलकसूरि, प्राकृत, गा.३ योगद्वहनविधि जुओ - योगविधि, प्राकृत,संस्कृत योगद्वहनविधि जुओ - स्वाध्यायप्रस्थापनविधि, प्राकृत योगद्वहनविधि कुलक जुओ - योगानुष्ठानविधिकुलक, प्राकृत, गा.३० योगद्वहनविधि प्रकरण जुओ - योगविधिप्रकरण, प्राकृत, गा.५८ योगद्वहनविधि-सक्षिप्त जुओ - सङ्क्षिप्तयोगविधि, प्राकृत, गा.९ योगद्वहनविधिप्रकरण यन्त्र जुओ - योगविधियन्त्र, संस्कृत योगद्वहना आरम्भदिनशुद्ध्युपाङ्गयोगविधि जुओ - योगारम्भदिनशुद्ध्युपाङ्गयोगविधि#, प्राकृत योगद्वहनो उत्क्षेपनिक्षेपविधि जुओ - योगोत्क्षेपनिक्षेपविधि, प्राकृत योगनन्दिविधि प्रा., आदि वाक्यः गुरू आसणसुवगओ अप्परक्खं काऊण मुद्दाए... कृ.विः नित्थारगो नियपइन्नाए पारगो संसारसमुद्दस्स नाणदंसणचरित्तलक्खणेहिं गुरूणेहिवट्टेज्जाहि. भांता ७०- पे.क्र. २४, पृ. ३२B-३५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-६१२. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगप्रदीप सं., पद्य, श्लोक१३४, 618 Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६५९५- पे.क्र. ३, पृ. १-७, पद्मनन्दीपञ्चाशिका आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ योगप्रदीप आचार्य-शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., पाकाहेम ७००८, पृ. ९, योगप्रदीप, वि-१७०९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि (योगद्वहनप्रायश्चित्तप्रदानविधि), (प्रायश्चित्तप्रदानविधि) आचार्य-तिलकसूरि, प्रा., पद्य, गा.३, कृ.विः श्रीचन्द्रसूरि सामाचारीगत. पाकाहेम ७९५२- पे.क्र. २, पृ. १-३, श्रावकसामाचारीप्रकरण तथा योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि सावचूरि त्रिपाठ, वि १७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रीचन्द्रसूरिसामाचारीगत. कुल झे.पृष्ठ-४ योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७९५२- पे.क्र. २, पृ.३, श्रावकसामाचारीप्रकरण तथा योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि सावचूरि त्रिपाठ, वि १७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रीचन्द्रसूरिसामाचारीगत. कुल झे.पृष्ठ-४ योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७९५२- पे.क्र. २, पृ. ३, श्रावकसामाचारीप्रकरण तथा योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि सावचूरि त्रिपाठ, वि १७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रीचन्द्रसूरिसामाचारीगत. कुल झे.पृष्ठ-४ योगबिन्दुप्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, ग्रं.३६२०, तालाद ३४६, पृ. ३३, योगबिन्दुप्रकरण, वि-१३मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रत नं. ३९१-A वस्तुतः ३४६ नं. की प्रत है. पत्र अस्त-व्यस्त अवस्था में झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ७०२७, पृ. ६०, योगबिन्दुप्रकरण, वि-१५१७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ योगबिन्दुप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः सद्योगचिन्तामणितोनणीयो येनाधिजग्मे जगतः पतित्वं... पाताखेत १९, पृ. ३३१, योगबिन्दुवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १०मुं पार्नु डबल छे. डीवीडी-६१/६३ योगबिन्दुप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः सद्योगचिन्तामणितोनणीयो येनाधिजग्मे जगतः पतित्वं... पाताखेत १९, पृ. ३३१, योगबिन्दुवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १०मुं पार्नु डबल छे. डीवीडी-६१/६३ योगमाला जुओ - आश्चर्ययोगमाला, आचार्य-नागार्जुन, संस्कृत, श्लोक१४० योगमाला-(सं.)लघुवृत्ति जुओ - आश्चर्ययोगमाला-(सं.)सुखबोधा विवृत्ति, आचार्य-गुणाकरसूरि, संस्कृत 619 Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योगरत्नमाला जुओ - आश्चर्ययोगमाला, आचार्य-नागार्जुन, संस्कृत, श्लोक१४० योगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि जुओ - गणियोगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि, प्राकृत योगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि जुओ - योगवाहिसत्ताकल्प, प्राकृत योगवाहिसत्ताकल्प (योगवाहिकल्प्याकल्प्यविधि) प्रा., आदि वाक्यः थिरकट्ठकवाडाइं विगइसंसठं न उभत्तं पामं वा उद्घोठ्ठिओ. भांता ७०- पे.क्र. १४, पृ. १९A-१९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगविंशिका-छाया जुओ - योगविधानविंशिका, मुनि-अज्ञात, संस्कृत, श्लोक२० योगविधानविंशिका (योगविंशिका-छाया) , सं., पद्य, श्लोक२०, आदि वाक्यः मोक्षण योजनाद् योगः... पुप्रे ४१८- पे.क्र. ४, पृ. १६८-१६९, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ योगविधि (योगद्वहनविधि), (योग विचार) प्रा.,सं., पाकाहेम १६५०६, पृ. १९, योगविधि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाभाभा ३१३, पृ. ३८, योगविधि, वि-१८९२, संपूर्ण योगविधि (जोगविहि) प्रा., पद्य, गा.६४, आदि वाक्यः नमिऊण जिणे पयओ जगविहाणं समासओ वुच्छं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-(१)अणुन्नाए समं धारेज्जह अन्नेसिं ज पविज्जह. (२)वासनिक्षेपानंतरं नित्थारगपारगा होइ...गुरूगुणेहिं वट्टेज्जाहि. भांता ७०- पे.क्र. ११, पृ. १३B-१७A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगविधि जुओ - आउत्तकप्पजोगवाही, प्राकृत योगविधिप्रकरण (योगद्वहनविधि प्रकरण), (योगोद्वहनविधि प्रकरण) प्रा., पद्य, गा.५८, पाकाहेम ५२६८- पे.क्र. २, पृ. ९-१०, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ योगविधिप्रकरण सं., आदि वाक्यः अथ योगविधिप्रकरणं। आगमग्रन्थार्थयोगहेतुत्वाद्... पाताहेसं १८८- पे.क्र.३, पृ. १-३४, गौडवधादि छ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा त्रणज ग्रन्थो छे., झेरोक्ष पत्रांक १३-३२ कुल २० पत्रो छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-१०/१९ योगविधियन्त्र (योगद्वहनविधिप्रकरण यन्त्र) सं.. पाकाहेम १००९७, पृ. ३, योगविधियन्त्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०१२८, पृ. ३, योगविधियन्त्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ 620 Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०७३७, पृ.३, योगविधियन्त्र, वि-१७मी, संपूर्ण योगशत वैद्यकग्रन्थ सं., __कृ.विः आर्या-२३ पाकाहेम १४८७७, पृ. २४, योगशत अपूर्ण वैद्यक ग्रन्थ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ योगशास्त्र (अध्यात्मोपनिषद) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं.अध्याय१२प्रका, आदि वाक्यः नमो दुर्वाररागादिवैरिवारनिवारिणे।... पाताखेत ११- पे.क्र. ६, पृ. ९२-१३५, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४२- पे.क्र. १२, पृ. ?, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-४६४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५- पेक्र. १३, पृ. १७६-१८९, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७४- पे.क्र. ५, पृ. १८-३८, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १२ मो प्रकाश प्रत विशेष- २०मुं पार्नु नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९६- पे.क्र. १, पृ.?, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वो. टीका, पे. विशेष- पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- गायकवाडी सूचिपत्रमा योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ५८-२, पृ. ४८, योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्र ४८ नथी. झेरोक्ष पत्र २४ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ७३, पृ. ३६५, योगशास्त्र विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९, २२७, ३६० नथी १ थी ३, ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकडा छे. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ४, पृ. ११३-१५५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र. १०, पृ. १-३९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १, पृ. ४-३१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश, पे. विशेष- अपूर्ण. प्रारंभिक ३ पत्र (श्लोक १-३९)नथी. झेरोक्ष पत्र-१-१२. 621 Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७४- पे.क्र. २०, पृ. २३२-२५०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- अध्यात्मोपनिषद्, पे. विशेष- अपूर्ण. बीच के पत्र है. प्रकाश-२ श्लोक-३२ से प्रकाश-३ श्लोक-९९ तक है. झेरोक्ष पत्र-१४५-१५४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. १, पृ. १-७६, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र.९, पृ. २२३-२४०, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १०४-२-पे.क्र. १४, पृ. १५६-१८५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश, पे. विशेष- श्लोक-४६०. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४२-१- पे.क्र. २, पृ. १-२३, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र पञ्चम पर्व (श्री शान्तिनाथ चरित्र) आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १२ मो प्रकाश, पे. विशेष- पत्र २३नो एक टुकडो छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २४, पृ. १७०-२००, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १ से ४ प्रकाश, पे. विशेष- प्रति अपूर्ण. पत्रांक-१८४ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र. १०, पृ. ११८-१५६, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र-४ प्रकाश डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १७०-२- पे.क्र. १, पृ. १-१२९, योगशास्त्र द्वादश प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १२ मो प्रकाश डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-१- पे.क्र. १, पृ. १-१००, योगशास्त्र द्वादश प्रकाश तथा वीतरागस्तव, वि-१२२८, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १२ मो प्रकाश, पे. विशेष- पत्र पहेलानां बे टुकडा छे. तेमज केटलाक पत्रो खवायां डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.५, पृ. १-३४, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. १, पृ. १-६६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश, पे. विशेष- श्लोक-४६५. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०४-२- पे.क्र. १, पृ. १-७३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३२९, संपूर्ण 622 Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- योगशास्त्र ४ प्रकाश, पे. विशेष- श्लोक-४६२. प्रत विशेष- पेटांक-१मां ७३ अने २मां पत्र १०३ छे. बन्ने मलीने कुल १७६ पत्रो छे. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १, पृ. १-१५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगसास्त्र ४ प्रकाश, पे. विशेष- पत्र ५-६-९ नथी. १४ मानो टुकडो छे., डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ३७, पृ. ३१९, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४९२, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३८, पृ. ३०८, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४०७, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ पाताहेसं ५१- पे.क्र. १, पृ.?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- त्रुटक. पाठानुसन्धान असम्बद्ध है. झेरोक्ष पत्र-६५-? कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाताहेसं १११- पे.क्र. ३, पृ. ९९-१६३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र (प्रकाश १-४) प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११६- पे.क्र.७, पृ. २००आ-२४७आ, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र-१ से ४ प्रकाश, पे. विशेष- प्रतिपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७३-९२. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११७- पे.क्र. १, पृ. १, योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय प्रवचनसन्दोह, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय प्रत विशेष- (गायकवाड केटलॉग साथे विगत मळती नथी) डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४३, पृ. २६४-३१६, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१९. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. १२, पृ. २७५-३०४, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र चार प्रकाश डीवीडी-९/१९ भांता २४- पे.क्र. १६, पृ. १३२A-१८६०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण? प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता २५- पे.क्र. ३, पृ. १०६A-१४४B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र १-४ प्रकाश प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ६४- पे.क्र. ३, पृ. १०६A-१४४B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र-१ से ४ प्रकाश, पे. विशेष- प्रतिपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२७-४०. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ 623 Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ७२- पे.क्र. २२, पृ. ८३B-१२२B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र-१ से ४ प्रकाश, पे. विशेष- गाथा-२३. सूचीपत्रांक-३-३८९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ अताका ४९७- पे.क्र. १५, पृ. १९१०-२३७A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र प्रकाश चतुष्ट्य, पे. विशेष- प्रथम पत्र पर भगवान महावीर का चित्र है. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १९, पृ. ३९-४९, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- चार प्रकाश पर्यन्त. प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १९, पृ. ५३-६९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र प्रकाश १-४, पे. विशेष- गाथा-२७३. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र.५, पृ. ६१-८८, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र आद्य प्रकाश चतुष्टय कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१५६, पृ. १६, योगशास्त्र आद्यप्रकाश्चतुष्टय, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०१५७, पृ. ६, योगशास्त्र आद्यप्रकाश युग्म, वि-१८मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०४०६, पृ. ५, योगशास्त्र पञ्चमप्रकाश, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१७१. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०५७३, पृ. २, योगशास्त्र प्रथमप्रकाश, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३, पृ. १२-४२, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र प्रकाश ५-१२ प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १४८६७, पृ. २१४, योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या १२००० आपेल छे. पाकाभाभा ४, पृ. २०४, योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४६१, संपूर्ण पाकाभाभा ५२, पृ. २२, योगशास्त्र चतुर्थप्रकाश पर्यन्त सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण योगशास्त्र-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य सिद्धाद्भुतयोगसम्पदे श्रीवीरनाथाय विमुक्तिशालिने।... पाताखेत १३, पृ. १६५, योगशास्त्रविवरण द्वितीय प्रकाश, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १५, पृ. १८३, योगशास्त्रविवरण स्वोपज्ञ अष्टम प्रकाश, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ 624 Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९६ पे क्र. १ पृ. १, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि संपूर्ण T पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वो टीका, पे. विशेष पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष गायकवाडी सूचिपत्रमां योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ५८-२, पृ. १-३, योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्र ४८ नथी. झेरोक्ष पत्र २४ बेवडाएल छे. कुल झे. पृष्ठ- २५, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ७१-२ पृ. २०६. योगशास्त्रतृतीयप्रकाशविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ३८०० प्रथम पत्रनो टुकडों नथी. डीवीडी - ३१/५० पातासंघवी ११३१, पृ. १८३. योगशास्त्रविवरण, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- पांचमांथी १२ प्रकाश ( ५- १२ ) . डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३१-२, पृ. १७१, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण स्वोपज्ञ, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४४-२, पृ. १२८, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण, वि-१२५५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१८००. - डीवीडी-३५/५३ पाताहे ३७ पृ. ३१९ योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह वि-१४९२ संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३८, पृ. ३०८, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४०७, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ पाताहे ५१ पे.क्र. १ पृ. १, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- त्रुटक. पाठानुसन्धान असम्बद्ध है. झेरोक्ष पत्र - ६५-? कुल झे. पृष्ठ- १०६, डीवीडी-६/१५ पाकाहेम १४८६७, पृ. २१४ योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या १२००० आपेल छे. पाकाभाभा ४, पृ. २०४, योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४६१, संपूर्ण योगशास्त्र (सं.) आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०३७६, पृ. २० योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२१ पाकाभाभा ५२, पृ. २२, योगशास्त्र चतुर्थप्रकाश पर्यन्त सावचूरि पञ्चपाठ, वि - १६वी, संपूर्ण षड्विधावश्यक विवरण आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं., पद्य, श्लोक १३००, कृ. विः योगशास्त्रान्तर्गत तृतीय प्रकाशान्तर्गत. पातासंघवी १०६-२, पृ. १३५, षड्विधावश्यक विवरण, वि-१२९५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१ नथी. डीवीडी-33/49 योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप (योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप) आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., वताकांति ४३३, पृ. ९. योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप, संपूर्ण डीवीडी - २७/९८ योगशास्त्र (सं.) विवरण , 625 Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पातासंघवी ७३, पृ. ३६५, योगशास्त्र विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९, २२७, ३६० नथी १ थी ३, ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकडा छे. डीवीडी-३१/५० योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. १, पृ. ६३, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक डीवीडी-५८/६० वताकांति ४३०, पृ. ?, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-९७/९८ भांका ९२, पृ. ८, योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः, संपूर्ण डीवीडी-८४ योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.४३७, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. १, पृ.७३-१६२, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय डीवीडी-३६/५४ योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक (परिग्रहारम्भ श्लोक), (योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः परिग्रहारम्भ मग्नांस्तारयेयुः कथं परान्... कृ.विः योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १२वे श्लोक की टीका. पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका जुओ - योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.४३७, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. १, पृ.७३-१६२, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय डीवीडी-३६/५४ योगशास्त्र त्रिभुवनसार जुओ - त्रिभुवनसार योगशास्त्र, संस्कृत 626 Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योगशास्त्र-(सं.)आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०३७६, पृ. २०, योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाभाभा ५२, पृ. २२, योगशास्त्र चतुर्थप्रकाश पर्यन्त सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण योगशास्त्र-(सं.)विवरण सं., गद्य, पातासंघवी ७३, पृ. ३६५, योगशास्त्र विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९, २२७, ३६० नथी १ थी ३, ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकडा छे. डीवीडी-३१/५० योगशास्त्र-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य सिद्धाद्भुतयोगसम्पदे श्रीवीरनाथाय विमुक्तिशालिने।... पाताखेत १३, पृ. १६५, योगशास्त्रविवरण द्वितीय प्रकाश, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १५, पृ. १८३, योगशास्त्रविवरण स्वोपज्ञ अष्टम प्रकाश, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ९६- पे.क्र. १, पृ. ?, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वो. टीका, पे. विशेष- पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- गायकवाडी सूचिपत्रमा योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ५८-२, पृ. १-३, योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्र ४८ नथी. झेरोक्ष पत्र २४ बेवडाएल छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ७१-२, पृ. २०६, योगशास्त्रतृतीयप्रकाशविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३८००. , प्रथम पत्रनो टुकडो नथी. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ११३-१, पृ. १८३, योगशास्त्रविवरण, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- पांचमांथी १२ प्रकाश (५-१२). डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३१-२, पृ. १७१, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण स्वोपज्ञ, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४४-२, पृ. १२८, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण, वि-१२५५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ३७, पृ. ३१९, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४९२, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३८, पृ. ३०८, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४०७, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ पाताहेसं ५१- पे.क्र. १, पृ. ?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- त्रुटक. पाठानुसन्धान असम्बद्ध है. झेरोक्ष पत्र-६५-? कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाकाहेम १४८६७, पृ. २१४, योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४९, संपूर्ण 627 Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या १२००० आपेल छे. पाकाभाभा ४, पृ. २०४, योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४६१, संपूर्ण योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक (परिग्रहारम्भ श्लोक), (योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः परिग्रहारम्भ मग्नांस्तारयेयुः कथं परान्... कृ.विः योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १२वे श्लोक की टीका. पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप (योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., वताकांति ४३३, पृ. ९, योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप जुओ - योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. १, पृ. ६३, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक डीवीडी-५८/६० वताकांति ४३०, पृ. ?, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-९७/९८ भांका ९२, पृ. ८, योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः, संपूर्ण डीवीडी-८४ योगसङ्ग्रहसार नन्दिवच्छ, सं., आदि वाक्यः श्रीनन्दिनं गुरूं नत्वा नित्यानन्दैककारणं... पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ३, पृ. ८८-१०१, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ योगसार सं., पद्य, श्लोक२०६, कृ.विः सकलसुखनिवहदानाय पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र.२, पृ. ???, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम ४६५४- पे.क्र. १, पृ. २, योगसार तथा परमसुखद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम ७८५७- पे.क्र.३, पृ. ३-५, प्रकीर्णकश्लोक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२०४. कुल झे.पृष्ठ-६ 628 Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योगानुष्ठानविधिकुलक (योगद्वहनविधि कुलक) प्रा., पद्य, गा.३०, पाकाहेम ११०७२, पृ. २, योगानुष्ठानविधिकुलक, वि-१९मी, संपूर्ण योगारम्भदिनशुद्ध्युपाङ्गयोगविधि# (योगद्वहना आरम्भदिनशुद्ध्युपाङ्गयोगविधि) प्रा., आदि वाक्यः (१) जोगं पुण उक्खिप्पइ जई दिणनक्खत्तजोगकरणग्गाहोरत्तसोहणासए...पुव्वाइ मूलमस्सेसा...(२) अथ योगारम्भदिनशुद्धिः... कृ.विः अन्तिमवाक्य-जइ किमवि अत्थित्तो..आयाराइ अंगा. तेसिं उ इमा उवंगाणि. भांता ७०- पे.क्र. १७, पृ. २०B-२१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२८७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगिप्रायश्चित्तविधि (योगोद्वहन प्रायश्चित्तविध(?)) प्रा., आदि वाक्यः उस्सङ्घटं पुञ्जइ अब्भत्तत्थो लेवाडयं परिवासे अब्भत्थत्थो अहोकम्मियपरिभोगे अब्भत्तट्ठो सन्निहि परिभोगा अब्भत्तट्ठो... कृ.विः अन्तिमवाक्य-गाढा अक्कासणगं ओहियं न पडिलहेइ न पमज्जइ...अभत्थत्थट्ठो. भांता ७०- पे.क्र. १६, पृ. २००-२०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३९०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगोत्क्षेपनिक्षेपविधि (योगद्वहनो उत्क्षेपनिक्षेपविधि) प्रा., आदि वाक्यः पडिक्कमणपज्जत्ते जइ जोगुक्खेवो कओ न होइ... कृ.विः अन्तिमवाक्य-विगइ लेसु...इत्थं खमासमणं दाऊण काउस्सग्गं करेइ. भांता ७०- पे.क्र. २१, पृ. २९B-३००, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ योगोद्वहन प्रायश्चित्तविध(?) जुओ - योगिप्रायश्चित्तविधि, प्राकृत योगोद्वहनविधि प्रकरण जुओ - योगविधिप्रकरण, प्राकृत, गा.५८ योनिपाहुड जुओ - योनिप्राभृत, प्राकृत योनिप्राभृत (योनिपाहुड) प्रा., आदि वाक्यः तित्थं जलवत्थवक्कलवसुविह पुज्जा... अताका ४६६- पे.क्र. १, पृ.?, योनिप्राभृत अने कथारत्नाकर, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिति नथी डीवीडी-१०३/१०४ पुप्रे ४४४, पृ. २२१, योनिप्राभृत, संपूर्ण प्रत विशेष- डक्कन कॉलेज की प्रति पर से नकल की गयी है. कुल झे.पृष्ठ-२३२ भांका ३०२, पृ. ३८, योनिपाहुड, संपूर्ण डीवीडी-९२ 629 Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योनिविचारगर्भविचार सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः विध्वस्यते तु योनिः पञ्चपञ्चाशिका नारी... भांता ७०- पे.क्र. ९१, पृ. १२७B-१२८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ यौगिकशब्दनाममाला (नाममाला यौगिकशब्द) सं., पद्य, श्लोक५३, पाकाहेम ८७३२- पे.क्र. १, पृ. १-३, यौगिकशब्दनाममाला आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-३ रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत-किरातार्जुनीयमहाकाव्यगत दुर्घटसङ्ग्रह (दुर्घटसङ्ग्रह), (कुमारसम्भव मेघदूत किरातार्जुनीय रघुवंश महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह), (मेघदूत किरातार्जुनीय रघुवंश कुमारसम्भव महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह), (किरातार्जुनीय रघुवंश कुमारसम्भव मेघदूत महाकाव्यगतदुर्घटसङ्ग्रह) कवि-राजकुण्ड, सं., पद्य, श्लोक१०१६, पाकाहेम ९५९४, पृ. २७, रघुवंश-कुमारसम्भव-मेघदूत-किरातार्जुनीयमहाकाव्यकगत दुर्घटसङ्ग्रह, वि-१७३६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ रघुवंशमहाकाव्य कवि-कालिदास, सं., पद्य, आदि वाक्यः वागर्थाविव सम्पृक्तो... पाकाहेम १०२१५, पृ. ६०, रघुवंशमहाकाव्य सटीक तृतीयसर्गथी सप्तमसर्ग पर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३३४, पृ. ६१, रघुवंशकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-६२ रघुवंशमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०२१५, पृ. ६०, रघुवंशमहाकाव्य सटीक तृतीयसर्गथी सप्तमसर्ग पर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ रघुवंशमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०३३४, पृ. ६१, रघुवंशकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६२ रघुवंशमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १०३३४, पृ. ६१, रघुवंशकाव्य टिप्पणीसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६२ रघुवंशमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०२१५, पृ. ६०, रघुवंशमहाकाव्य सटीक तृतीयसर्गथी सप्तमसर्ग पर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६१ रघुविलास आचार्य-रामचन्द्रसूरि, सं., पातासंघवी १९१-१, पृ. १८३, रघुविलास, वि-१३४२, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण-चोंटेली-अलभ्य 630 Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रणशूरकथा रत्नकोश सं.. पाकाहेम १६४५७- पे क्र. ३. पृ. ३-५ चन्द्रलेखाकथा आदि संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ डीवीडी-३७/५४ सं., पाकाहेम १०७४९ पृ. ५. रत्नकोश, वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति चोंटी गई छे. रत्नटीका जुओ गणकारिका (सं.) रत्नटीका, संस्कृत रत्नत्रय - कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः नवकारेण विवोहो अनुसरणं..... पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४७, पृ. ३३१-३३२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-८/१८ रत्नत्रय लघु जुओ लघुरत्नत्रय प्राकृत, गा. १३ रत्नत्रयकुलक - रत्नपारास आचार्य - मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ३१, आदि वाक्यः चन्दद्धसमनिडालं झम्पियनीसेसकुगइपायालं । .... पातासंघवी ५९-२- पे. क्र. १३. पृ. ५३-५८, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी - २९/४८ भांता ६९ पे.क्र. ८, पृ. ७७-८०A आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र -नं.२-१३३. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १३, पृ. १०-११, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि - रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ रत्नत्रयकुलक प्रा. मारुगूर्जर, पद्य, गा.६, आदि वाक्यः नवकारेण विबोहो अणुसरणं सावओ वयाइं मे जोगो..... पाताखेत ६- पे.क्र. ४९, पृ. २३९ - २४१, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- रत्नत्रय प्रत विशेष शुद्ध प्रति कुल झे. पृष्ठ - ११०, डीवीडी - ६१/६३ मुनि - मोहनविजय, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७६०, पाकाहेम १०२९९, पृ. ४२, रत्नपालरास, वि - १८१२, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४५ झे रत्नशेखरकथा गद्य सं. गद्य, ग्रं. ४२०, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीमहावीरं सुरासुरनमस्कृतम् विचारं पर्वघस्राणां कुर्वे गुरुप्रसादतः.... कृ.वि: त्रिपाठ पाकाहेम ७४३३- पे.क्र. २, पृ. ?, देवकथा गद्य आदि, वि-१५१६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० रत्नशेखरनृपतिकथानक ( रत्नशेखरी कथा ) मुनि - जिनहर्ष, प्रा., 631 Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७२९६, पृ. १२, रत्नशेखरनृपतिकथानक, वि-१५२२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १५२७०, पृ. २२, रत्नशेखरी कथा, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-११ रत्नशेखरराजकथा विषयपरिहारे (विषयपरिहारे रत्नशेखरराजकथा) सं.. पाकाहेम १७७६- पे.क्र. २०, पृ. ६६-७५, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० रत्नशेखरीकथा जुओ - रत्नशेखरनृपतिकथानक, मुनि-जिनहर्ष, प्राकृत रत्नसिंहसूरिरास (बृहत्तपागच्छीय) उपाध्याय-देवसमुद्र, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १४७०, गा.५१, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३२, पृ. ७३-७५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. रत्नाकरपच्चीशी (रत्नाकरपञ्चविंशतिका), (स्वान्तोद्भवविकल्पप्रकाशनवैराग्यस्तव) आचार्य-रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, का.२५, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ७, पृ. ६९-७१, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- का.२५. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. __ कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १२२३१- पे.क्र. १, पृ. ३, रत्नाकरपञ्चविंशतिका तथा सीमन्धरजिनस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५९- पे.क्र. ४, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१६मी, संपूर्ण रत्नाकरपञ्चविंशतिका जुओ - रत्नाकरपच्चीशी, आचार्य-रत्नाकरसूरि, संस्कृत, का.२५ रत्नाकरावतारिका टीका जुओ - प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)रत्नाकरावतारिका टीका, आचार्य-रत्नप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.५००० रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणक (रत्नाकरावतारिका-(सं.)वृत्ति) मुनि-ज्ञानचन्द्र, सं., गद्य, ग्रं.२१०४, पाकाहेम २४५७, पृ. ४६, रत्नाकरावतारिकावृत्ति टिप्पनकप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसत्क, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम ६६९०, पृ. ३२, रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे. रत्नाकरावतारिका-(सं.)वृत्ति जुओ - रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणक, मुनि-ज्ञानचन्द्र, संस्कृत, ग्रं.२१०४ रत्नावली वृत्ति जुओ - देशीनाममाला-(सं.)स्वोपज्ञ रत्नावली वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत रत्नाष्टक जुओ - चिन्तामण्यष्टक, संस्कृत, श्लोक१० रमतियालप्रबन्ध पाकाहेम ७१५०, पृ. २, रमतियालप्रबन्ध बालावबोधसहित, वि-१८मी, संपूर्ण 632 Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- २ रमतियालप्रबन्ध- (मा.गु.) बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७१५०, पृ. २ रमतियालप्रबन्ध बालावबोधसहित वि-१८मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २ झे. रतियालप्रबन्ध - (मा.गु.) बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७१५०, पृ. २, रमतियालप्रबन्ध बालावबोधसहित वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ रमलशास्त्र कृति उपरथी प्रत माहिती मारुगूर्जर, पाकाहेम १०३०८ पृ. ७५ रमलशास्त्र, वि-१९मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ५६-५७ भेगा छे. कुल झ. पृष्ठ-७६ झे. रयणसार जुओ धर्मरसायण, प्राकृत, गा. १५५ रयणसार जुओ - धर्मरसायण, मुनि-पद्मनन्दिदेव, प्राकृत, गा. १९५ - रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव जुओ जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित#, संस्कृत, का. १२ रसाउलओ-गाथाकोष (गाथाकोष ) मुनि - मुनिचन्द्र [पौर्णमीय], प्रा., पद्य, गा. ३५३, कृ.विः टिप्पणी , पाकाहेम १४८०६, पृ. ९, रसाउलओ - गाथाकोष, वि - १६१२, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ १० झे. 7 रहस्यादर्श टिप्पणी जुओ - अनर्घराघवनाटक - (सं.) रहस्यादर्शटिप्पणी, आचार्य- देवप्रभसूरि, संस्कृत ग्रं. ७१०० रागदोषपृच्छाप्रकरण सं. पद्य, पाकाहेम ८४१३- पे.क्र. १, पृ. १, रागदोषपृच्छाप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ राघवपाण्डवीय जुओ - द्विसन्धानमहाकाव्य, मुनि धनञ्जय, संस्कृत राजनीतिशास्त्र जुओ चाणक्यनीति राजनीतिशास्त्र, संस्कृत राजनीतिशास्त्र जुओ लघुचाणक्य राजनीतिशास्त्र, संस्कृत राजनीतिशास्त्र जुओ - वृद्धचाणक्य राजनीतिशास्त्र, संस्कृत राजपिण्ड आदि विचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः जो मुद्धा अहिसित्तो पञ्चहिं सहिओय भुञ्जए वज्जं .... पातासंघवी १८९१ पे. क्र. ५. पृ. ८१-१०७, चैत्यवन्दना-वन्दनक- प्रत्याख्यान लघुवृति आदि वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ भांता ७०- पे क्र. १६२, पृ. २१५-२१६A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम भगवतीत्यादि दंडकाः पे विशेष सूचीपत्रांक-१-१४५०. प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र- २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १२७५५- पे क्र. १५ पृ. २१-२६B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे पत्र- ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. झे. कुल झ. पृष्ठ-४१ 633 Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र- राजप्रश्नीयसूत्रावतरण, प्राकृत राजप्रश्नीयसूत्रावतरण जुओ राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत नाट्यपदभञ्जिका (नाट्यपदभञ्जिका राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत ) उपाध्याय पद्मसुन्दर[नागपुर तपागच्छ] सं. गद्य, पाकाहेम १०५४९, पृ. ४, राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र अन्तर्गत नाट्यपदभञ्जिका, वि-१७मी, संपूर्ण राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र (रायपसेणइयसुत्त) "" प्रा. ग्रं. २०७२ आदि वाक्यः नमो अरिहन्ताणं नमो सिद्धाणं... तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा नामं नयरी होत्था रिद्धत्थिमिय... कृ. विः अष्टभाषामय, पंचपाठ भांता ७३- पे.क्र. १, पृ. १-५०, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण . पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-१९०. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१८२ १ १८५ १-१९०, ११९७ विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ लिंता ३४१४-२ पृ. १३० राजप्रश्नीयोपाङ्ग सूत्र, संपूर्ण वताकांति ४०६-२, पृ. ३३, राजप्रश्नीयसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२१२०. कुल झे. पृष्ठ ३२, डीवीडी-९७/९८ वताकांति ४०६-४, पृ. १७४, राजप्रश्नीयसूत्र सस्तबक, वि-१८१८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूत्रवृत्ति ग्रन्थाग्र- ५५००. कुल झे. पृष्ठ- १७४, डीवीडी - २७/९८ अताका ४७१, पृ. ?, रायपसेणीय सह स्तबक, संपूर्ण डीवीडी - १०३/१०४ अताका ५०५, पृ. ११८, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि-१६६२, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र- ३७००. कुल झे. पृष्ठ- २३४, डीवीडी - १०३ / १०४ अताका ५०६, पृ. ८५, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि-१६१६, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र- ३७००. कुल झे. पृष्ठ- १६८, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम २२७, पृ. ५५, राजप्रश्नीयसूत्र, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५६ पाकाहेम ७४५७, पृ. ५३, राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र वि-१९मी संपूर्ण प्रत विशेष - श्लोक - २३५०. प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ-५३ पाकाहेम १००१२ पृ. २४. राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०३९४, पृ. ४१ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र, वि-१६०३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०४५०, पृ. ४१ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र, वि-१६०९, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२१७९. कुझे पृष्ठ-४२ पाकाहेग १०५४७, पृ. ५७, राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र - २१००. पाकाहेग १०५४८ पृ. ४७, राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२२५०. कुल झे. पृष्ठ-३३ 634 Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाभाभा २४, पृ. ३६, राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र, वि-१६वी संपूर्ण राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-( सं . ) वृत्ति आचार्य मलयगिरिसूरि सं., गद्य ग्रं. ३७००, आदि वाक्यः प्रणमत वीरजिनेश्वरचरणयुगं परमपाटलच्छायं । भांता ७३- पे.क्र. २, पृ. ५१-१२८, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ अताका ५०५, पृ. ११८, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि-१६६२, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र- ३७००. - कुल झे. पृष्ठ- २३४, डीवीडी - १०३ / १०४ अताका ५०६, पृ. ८५, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि - १६१६, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र-३७००. - कुल झे. पृष्ठ- १६८, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम २३१, पृ. ७६, राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि- १६४१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - ३७५० प्रति सांधेली छे. कुल झ. पृष्ठ-७६ पाकाहेम ६९१७, पृ. ६३ राजप्रश्नीयउपाढ्ङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ६४ पाकाहेम १००१३, पृ. ६५ राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५३१, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र - ३६५०. प्रथम पत्रमां क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र ६ठ्ठे डबल छे, कुल झे. पृष्ठ-६५ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-( मा.गु.) स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, अताका ४७१, पृ. ?, रायपसेणीय सह स्तबक, संपूर्ण डीवीडी- १०३/१०४ राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत नाट्यपदभञ्जिका (नाट्यपदभञ्जिका राजप्रश्नीयोपाङ्ग अन्तर्गत ) उपाध्याय पद्मसुन्दर [ नागपुर तपागच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम १०५४९ पृ. ४, राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र अन्तर्गत नाट्यपदभञ्जिका वि-१७मी, संपूर्ण राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र- राजप्रश्नीयसूत्रावतरण (राजप्रश्नीयसूत्रावतरण) प्रा. आदि वाक्यः जेणेव सिद्धाययणे तेणेव उवागच्छइ.... भांता ७२- पे.क्र. २०, पृ. ८२-८३८, दशवेकालिकसूत्रनिर्युक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा- ४४. सूचीपत्रांक-३-३६०. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७११. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-७३/८२ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र- (मा.गु.) टवार्थ गणि- मेघराज, मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः देवदेवं जिनं नत्वा श्रुतदेवी विशेषतः .... वताकांति ४०६-४, पृ. १७४, राजप्रश्नीयसूत्र सस्तबक, वि-१८१८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूत्रवृत्ति ग्रन्थाग्र- ५५००. कुल झे. पृष्ठ- १७४, डीवीडी-१७/९८ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र - (मा.गु.) स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, अताका ४७१, पृ. ?, रायपसेणीय सह स्तबक, संपूर्ण डीवीडी - १०३/१०४ 635 Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)टबार्थ गणि-मेघराज, मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः देवदेवं जिनं नत्वा श्रुतदेवी विशेषतः... वताकांति ४०६-४, पृ. १७४, राजप्रश्नीयसूत्र सस्तबक, वि-१८१८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूत्रवृत्ति ग्रन्थाग्र-५५००. __ कुल झे.पृष्ठ-१७४, डीवीडी-९७/९८ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३७००, आदि वाक्यः प्रणमत वीरजिनेश्वरचरणयुगं परमपाटलच्छायं । भांता ७३- पे.क्र. २, पृ. ५१-१२८, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-७३/८२ अताका ५०५, पृ. ११८, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि-१६६२, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-३७००. कुल झे.पृष्ठ-२३४, डीवीडी-१०३/१०४ अताका ५०६, पृ. ८५, राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति, वि-१६१६, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-३७००. कुल झे.पृष्ठ-१६८, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २३१, पृ. ७६, राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६४१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७५०. प्रति सांधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-७६ पाकाहेम ६९१७, पृ. ६३, राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १००१३, पृ. ६५, राजप्रश्नीयउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५३१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३६५०. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. पत्र ६टुं डबल कुल झे.पृष्ठ-६५ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-राजप्रश्नीयसूत्रावतरण (राजप्रश्नीयसूत्रावतरण) प्रा., आदि वाक्यः जेणेव सिद्धाययणे तेणेव उवागच्छइ... भांता ७२- पे.क्र. २०, पृ. ८२A-८३A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४४. सूचीपत्रांक-३-३६०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ राजवर्णनशतककाव्यगतकाव्यसङ्ग्रह सं., पद्य, कृ.विः एकद्विबहुवचनतुल्य पाकाहेम ८६७६, पृ. २, राजवर्णनशतककाव्यगत काव्यसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गजसारमुनिलिखित. कुल झे.पृष्ठ-२ राजहंसकथा नियमभङ्गे (नियमभङ्गे राजहंसकथा) सं., पद्य, श्लोक२१०, आदि वाक्यः वयस्य! विश्रुतो राजहंसाः किं न पुनस्त्वया?|... पाकाहेम ८७२, पृ. १०, राजहंसकथा नियमभङ्गे, वि-१४८०, संपूर्ण __ प्रत विशेष- हारिजगच्छे महेन्द्रसुरिए लखेली प्रति. प्रति पाणीथी भींजायेली छे. राजादि रुचादिगणविवरण सं., गद्य, ग्रं.३८०, 636 Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ५९२८, पृ. ५, राजादि आदिगुण विवरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए खाधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४ राजावलीवक्तव्यता सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीमहावीरकल्याणके भस्मकग्रहोदये द्विवर्षसहस्र... भांता ७०- पे.क्र. १६९, पृ. २३८B-२४०A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ राजीमतीप्रबोधनाटक कवि-यशश्चन्द्र, प्रा., पाकाहेम २७४०, पृ. ५, राजीमतीप्रबोधनाटक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ राणकपुरमण्डन खाद्यपदार्थनामगर्भित आदिजिनस्तवन जुओ - आदिजिनस्तवन खाद्यपदार्थनामगर्भित राणकपुरमण्डन#, मुनि-जिनसागर, संस्कृत, श्लोक११ रात्रिभोजनरास वाचक-धर्मसमुद्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.२५६, पाकाहेम १०८००, पृ. ११, रात्रिभोजनरास, वि-१७मी, संपूर्ण रात्रिभोजनविषये वसुमित्र कथा (वसुमित्र कथा रात्रिभोजनविषये) सं., पद्य, श्लोक७९, कृ.विः विविधछन्दोबद्ध पातासंघवी १२९- पे.क्र. ९, पृ. १०२-१०९, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ रात्रिभोजनादिविषयककथासङ्ग्रह -गद्य (कथासङ्ग्रह रात्रिभोजनादिविषयक) सं.,प्रा., गद्य, पाकाहेम ८१३०, पृ. ८, रात्रिभोजनादिविषयककथासङ्ग्रह गद्य, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ रात्रिभोजने एलकाक्षकथा जुओ - एलकाक्षकथा (रात्रिभोजने), प्राकृत, गा.५० राम-लक्ष्मण चरित्र आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः भणियं सीयाचरियं पुव्वभवविवागसूयगं किञ्चि... पातासंघवी ९९- पे.क्र.३, पृ.८४-९९, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ९८ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ रामचरितमहाकाव्य कवि-अभिनन्द, सं., पद्य, पातासंघवी १२१-१, पृ. २३८, रामचरित्र-सर्ग १९-३६, संपूर्ण प्रत विशेष- १९ थी ३६ सर्ग सुधी, पत्र बीजुं (२) नथी, पत्र १-४-५ ना टुकडा नथी. वचमां पण केटलांकना टुकडा नथी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ६६४०, पृ. ८९, रामचरितमहाकाव्य, वि-१५मी, संपूर्ण 637 Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८९ रामायण ऋषि-वाल्मीकि, सं., कृ.विः पंचपाठ वताकांति ४०७, पृ. २५८, किष्किन्धा काण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- रामायण किष्किन्धाकाण्ड. डीवीडी-९७/९८ रायपसेणइयसुत्त जुओ - राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र, प्राकृत, ग्रं.२०७९ रायमल्लाभ्युदयमहाकाव्य पण्डित-पद्मसुन्दर, गुरु-पण्डित-पद्ममेरु, सं., पद्य, आदि वाक्यः स श्रीमान्नाभिसूनुर्विलसद्विकलब्रहमविद्याविभूति... पुप्रे ४३२, पृ. २१, रायमल्लाभ्युदयमहाकाव्य, अपूर्ण प्रत विशेष- सर्ग-२ श्लोक-१५५ तक पाठ है. कुल झे.पृष्ठ-२१ रावणपार्श्वनाथाष्टक अलवरपुरमण्डन# (अलवरपुरमण्डन रावणपार्श्वनाथाष्टक) आचार्य-कल्याणसागरसूरि, सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः देवाधिदेवं कृतम्पार्श्व... पाकाहेम १२१६७- पे.क्र. २, पृ. ३, कल्याणमन्दिरस्तोत्र आदि, वि-१६९०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ रावणवध जुओ - रावणवहो, प्राकृत रावणवहो (रावणवध) प्रा., कृ.विः हरिशब्दार्थ गर्भित पाताखेत १-२, पृ. ७८, रावणवहो त्रुटित-आश्वास ५ थी १३, अपूर्ण डीवीडी-६१/६३ रुक्मणीहरण ईहामृगः (रुक्मिणीहरण ईहामृग नाटक), (ईहामृग) कवि-वत्सराज महामात्य, सं.अध्याय४अंक, ग्रं.५०८, आदि वाक्यः दरमुकुलितनेत्रा स्मेरवक्त्राम्बुजश्री... कृ.विः ईहामृग पाताखेत ५२-२- पे.क्र.२, पृ. १-४०, समुद्रमथन समवकार व रुक्मिणीहरण ईहामृग, संपूर्ण पे. विशेष- वस्तुतः यह पेटांक-१ है. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-६२/६४ रुक्मिणीहरण ईहामृग नाटक जुओ - रुक्मणीहरण ईहामृगः, कवि-वत्सराज महामात्य, संस्कृत, ग्रं.५०८ रुद्रटालङ्कार (रूद्रटकाव्यालङ्कार), (काव्यालङ्कार) जैनेतर-रूद्रट, सं., पाकाहेम ६६४८, पृ. ५७, रूद्रटालङ्कार-टिप्पनकसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ रुद्रटालङ्कार-(सं.)टिप्पनक मुनि-नमिसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२५, श्लोक३०००, आदि वाक्यः अथेदानीं यमकलक्षणमाह । तुल्यश्रुतीत्यादि।... कृ.विः उभयग्रन्थाग्र-३९५०. पाकाहेम ६६२९, पृ. ४२, रूद्रटकाव्यालङ्कार टिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं. ११२५मां रच्यु. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ६६४८, पृ. ५७, रूद्रटालङ्कार-टिप्पनकसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ रुद्रटालङ्कार-(सं.)टिप्पनक 638 Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती मुनि-नमिसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२५, श्लोक३०००, आदि वाक्यः अथेदानीं यमकलक्षणमाह । तुल्यश्रुतीत्यादि।... कृ.विः उभयग्रन्थाग्र-३९५०. पाकाहेम ६६२९, पृ. ४२, रूद्रटकाव्यालङ्कार टिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं. ११२५मां रच्यु. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम ६६४८, पृ. ५७, रूद्रटालङ्कार-टिप्पनकसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ रूद्रटकाव्यालङ्कार जुओ - रुद्रटालङ्कार, जैनेतर-रूद्रट, संस्कृत रूपकमाला उपाध्याय-पुण्यनन्दी, मारुगूर्जर, पाकाहेम ९४२६, पृ.८, रूपकमाला बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ९४२७, पृ. ७, रूपकमाला बालावबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ९४२८, पृ. ४, रूपकमाला बालवबोधसहित त्रुटक, वि-१८मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ रूपकमाला-(मा.गु.)बालावबोध उपाध्याय-रत्नरङ्ग, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ९४२६, पृ. ८, रूपकमाला बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ९४२७, पृ. ७, रूपकमाला बालावबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ९४२८, पृ. ४, रूपकमाला बालवबोधसहित त्रुटक, वि-१८मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ रूपकमाला-(मा.गु.)बालावबोध उपाध्याय-रत्नरङ्ग, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ९४२६, पृ.८, रूपकमाला बालावबोधसहित, वि-१६१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ९४२७, पृ.७, रूपकमाला बालावबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ९४२८, पृ. ४, रूपकमाला बालवबोधसहित त्रुटक, वि-१८मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ रूपसेननरेन्द्रकथा गद्य-पद्य मुनि-जिनसूर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सुधानन्दनसूरि[तपागच्छ.], सं., संयुक्त प+ग, पाकाहेम १०१७८, पृ. २७, रूपसेननरेन्द्रकथा गद्य पद्य, वि-१७१०, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र बीजुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-२८ रोहिणीकथा शीलविषये (शीलविषये रोहिणीकथा) सं., पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १०, पृ. ३६-३९, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० रोहिणीकथा श्लोकबद्ध सं., पद्य, श्लोक२८१, 639 Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम २१०६- पे.क्र.७, पृ. ५२-६२, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ रोहिणीकथानक प्रा., पद्य, गा.६०, आदि वाक्यः इह कुण्डणित्ति पवरा... भांका ९०- पे.क्र. ५, पृ. २६B-२८B, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सामान्य पूर्वभूमिका सहित. कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ रोहिणीपर्वस्तोत्र अप., पद्य, श्लोक१८, आदि वाक्यः वासुपूज्जं थुणामो पाकाहेम १०२३- पे.क्र.८३, पृ. १३५-१३६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ रोहिणीयारास जैनकवि-ऋषभदास, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६४४, पाकाहेम १०१२५, पृ. २०, रोहिणियारास, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ लक्षणविषयक हस्तकाण्ड जुओ - हस्तकाण्ड लक्षणविषयक, मुनि-पार्श्वचन्द्र, संस्कृत, श्लोक९९ लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन (महावीरस्तवन लक्षणशास्त्रमय) आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१७, आदि वाक्यः निस्तीर्णविस्तीर्णभवार्णवं... पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. १, पृ. ?, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. १, पृ. १, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन-(सं.)अवचूरि आचार्य-सोमतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं., गद्य, पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. १, पृ. १, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ लक्षणसमुच्चय शिल्पशास्त्र (शिल्पशास्त्र लक्षणसमुच्चय) जैनेतर-विरोचन, सं., कृ.विः शिल्पनो ग्रंथ छे. शिवमंदिरादिनी विधि छे. पातासंघवी १३३-२, पृ. १३०, लक्षणसमुच्चय, संपूर्ण प्रत विशेष- १२मी विधिथी २७मी विधि सुधी छे पत्र ३ जानो टुकडो त्रुटक छे. डीवीडी-३४/५२ लघीयस्त्रयप्रकरण (लघीयस्त्रयीप्रकरण) आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), सं., आदि वाक्यः धर्मतीर्थकरेभ्योस्तु स्याद्वादवादिभ्यो नमो नमः... भांता ५४, पृ. २६०, लघीयस्त्रय सह टीका न्यायकुमुदचन्द्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.-२-७०. डीवीडी-७२/८१ लिंता १४, पृ. २५, लघीयस्त्रयप्रकरण सटीक, वि-१५६५, संपूर्ण लघीयस्त्रयप्रकरण-(सं.)टीका अभयचन्द्र, सं., गद्य, लिंता १४, पृ. २५, लघीयस्त्रयप्रकरण सटीक, वि-१५६५, संपूर्ण 640 Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती लघीयस्त्रयप्रकरण- (सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका ( न्यायकुमुदचन्द्र टीका) (लघीयस्त्रयालङ्कार) आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्यः सिद्धिप्रदं प्रकटिताखिलवस्तुतत्त्वं ... भांता ५४, पृ. २६०, लघीयस्त्रय सह टीका न्यायकुमुदचन्द्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. २-००. डीवीडी-७२/८१ लघीयस्त्रयप्रकरण (सं.) टीका अभयचन्द्र, सं., गद्य, लिंता १४, पृ. २५, लघीयस्त्रयप्रकरण सटीक वि-१५६५, संपूर्ण लघीयस्त्रयप्रकरण-(सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका (न्यायकुमुदचन्द्र टीका), (लघीयस्त्रयालङ्कार) आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्य सिद्धिप्रदं प्रकटिताखिलवस्तुतत्त्वं ... भांता ५४, पृ. २६०, लघीयस्त्रय सह टीका न्यायकुमुदचन्द्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.- 2000. डीवीडी-७२/८१ लघीयस्त्रयालङ्कार जुओ लघीयस्त्रयप्रकरण - (सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका, आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), संस्कृत लघीयस्त्रयीप्रकरण जुओ लघीयस्त्रयप्रकरण, आचार्य अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), संस्कृत आतुरप्रत्याख्यान लघु, प्राकृत, गा.६० - - " लघु आउरप्रत्याख्यान जुओ लघु आतुरप्रत्याख्यान जुओ आतुरप्रत्याख्यान लघु प्राकृत, गा. ६० लघु चतुःशरण जुओ - चतुःशरण, संस्कृत श्लोक ८ लघु चतुःशरण प्रकीर्णक जुओ- चतुःशरणप्रकीर्णक, प्राकृत, गा. २७ लघु सङ्ग्रहणी जुओ - जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी, आचार्य- हरिभद्रसूरि, प्राकृत, ग्रं. १५०, गा.३१ लघुअजितशान्तिस्तव (अजितशान्तिस्तव लघु) आचार्य सिद्धसूरि, सं., पद्य, श्लोक२२, पाकाहेम ११३०८- पे क्र. ५. पृ. ४-५ अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ लघुअजितशान्तिस्तव (अजितशान्ति लघु) गणि-वीरगणि, अप., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः गब्भअवयारि सोहम्मसुरसामिउ जणणि जे सन्थुणइ भत्तिभरभावित.... पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. १२ पृ. २५१-२५१ आवश्यकनियुक्ति आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १०, पृ. ६५-६६ सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे. पृष्ठ - ३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७२-३- पे. क्र. १८, पृ. ११३A - ?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष अस्तव्यस्त त्रुटक. कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे. पृष्ठ - ३०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-२- पे. क्र. १४ पृ. २२५-२२६, उपदेशमणिमाला आदि वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४८ पृ. ९८ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र -५३-५४. प्रत विशेष - प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ- ७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १४, पृ. ९९-१००B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण 641 Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २१, पृ. २०४-२०५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. १६, पृ. ८३-८४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ लघुअजितशान्तिस्तव (उल्लासिक्कमस्तोत्र), (अजितशान्तिस्तव लघु) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः उल्लसिक्कमनक्ख... पाताखेत ३२-२- पे.क्र.४, पृ. १२२A-१२६०, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-२१-२२ व २५-२६. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ डतामुक्ता ४५७- पे.क्र.७, पृ. ?, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-५-६. पाठ घिसा हुआ है. प्रति.पुष्पिका में प्रतिलेखन वर्ष है किन्तु स्पष्ट पढा नहीं जाता. संभवतः १२वी सदी है. कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम १०२३- पे.क्र.६०, पृ. १२३-१२४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २७, पृ. २५मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ लघुआराधनापताकाप्रकीर्णक (आराधनापताकाप्रकीर्णक लघु) प्रा., पद्य, गा.२६३, आदि वाक्यः सिवसुहसिरीइ हेउं वन्दिय वीरं सुलद्ध सुकयफलं... पाकाहेम ६६६- पे.क्र. २१, पृ. २४५-२५९, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. ११, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६०. कुल झे.पृष्ठ-३९ लघुउपदेशलव प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः पणमिय पसमए सत्थं सारं सिरि वद्धमाणजिण तित्थं... पाताहेसं १६१- पे.क्र. २०, पृ. १९५-१९६, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ लघुउपसर्गप्रदीपिका (उपसर्गप्रदीपिका लघु) सं., पद्य, श्लोक२३, कृ.विः विविधछन्दोबद्ध-क्रियागुप्त पाकाहेम १४३३२- पे.क्र. ३, पृ. २, एकाक्षरनाममाला आदि, वि-१८५३, संपूर्ण लघुकथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह लघु) पाकाहेम ८१२०, पृ. १, लघुकथासङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण 642 Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११२१८, पृ. ३, लघुकथासङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ लघुक्षेत्रसमास जुओ - जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८६ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण (क्षेत्रसमासप्रकरण लघु) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.२६२, आदि वाक्यः वीरं जयसेहरय पइट्ठिअं... कृ.विः टिप्पणी युक्त पाकाहेम ६९६७, पृ. ६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ६९७० - पे.क्र. १, पृ. ?, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम १०३३६, पृ. ३६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १०३४१, पृ. ३४, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०३७४, पृ. ३९, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०५८५, पृ. १३, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १०५८६, पृ. ७, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण अपूर्ण, वि-१६मी, अपूर्ण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०३४१, पृ. ३४, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३४ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६९६७, पृ. ६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध गणि-दयासिंह, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३३६, पृ. ३६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १०३७४, पृ. ३९, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध गणि-दयासिंह, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३३६, पृ. ३६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १०३७४, पृ. ३९, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ६९६७, पृ. ६, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०३४१, पृ. ३४, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५५३, संपूर्ण 643 Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ-३४ लघुचाणक्य राजनीतिशास्त्र (चाणक्य - राजनीतिशास्त्र लघु ), ( राजनीतिशास्त्र) सं... पाकाहेम २७२६- पे. क्र. १ पृ. १-२ लघुचाणक्यादि वि-१७मी, संपूर्ण कुझे. पृष्ठलघुचाणक्यनीतिशास्त्र (चाणक्यनीतिशास्त्र लघु), (नीतिशास्त्र) H.. पाकाहेम १०७०५, पृ. ७, लघुचाणक्यनीतिशास्त्र बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण लघुचाणक्यनीतिशास्त्र (मा.गु.) बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०७०५, पृ. ७, लघुचाणक्यनीतिशास्त्र बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण लघुचाणक्यनीतिशास्त्र (मा.गु.) बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०७०५, पृ. ७, लघुचाणक्यनीतिशास्त्र बालावबोधसहित वि-१६मी, संपूर्ण लघुचूर्णि जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ - (प्रा.) चूर्णि, प्राकृत, ग्रं. २३२२ लघुजातक A.. पाकाहेम १०७२६, पृ. ११, लघुजातक सटीक, वि-१८मी, अपूर्ण लघुजातक - (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०७२६, पृ. ११, लघुजातक सटीक, वि-१८मी, अपूर्ण लघुजातक - (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०७२६, पृ. ११, लघुजातक सटीक, वि-१८मी, अपूर्ण लघुधर्मोत्तरसूत्र जुओ - न्यायबिन्दु, आचार्य धर्मकीर्ति (बौद्ध), संस्कृत लघुनमस्कारफलस्तव जुओ नवकारकुलक, प्राकृत, गा. २० · - लघुनवकारफल कुलक जुओ नवकारकुलक, प्राकृत, गा. २० लघुन्यास जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिनो (सं.) लघुन्यास, आचार्य - कनकप्रभसूरि, संस्कृत लघुन्याससङ्क्षेप जुओं सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससङ्क्षेप, संस्कृत लघुपाक्षिकअतिचार लघुरत्नत्रय (रत्नत्रय लघु) मारुगुर्जर, पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. २७, पृ. १०८ - १०९, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि - १५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ प्रा., पद्य, गा. १३, पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १७, पृ. २३३मुं, उपदेशमणिमाला आदि, वि- १३८८, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १०, पृ. ६३-६५ श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ लघुवृत्ति जुओ षड्दर्शनसमुच्चय- (सं.) लघुवृत्ति, आचार्य सोमतिलकसूरि, संस्कृत ग्रं. १२५२ लघुशान्तिस्तव जुओ - लघुशान्तिस्तोत्र, आचार्य - मानदेवसूरि, संस्कृत, गा.१७ लघुशान्तिस्तोत्र (शान्तिस्तोत्र लघु), (लघुशान्तिस्तव), (शान्तिनाथस्तवन) आचार्य मानदेवसूरि सं., पद्य, गा. १७, आदि वाक्यः शान्तिं शान्तिनिशान्तं शान्तिं शान्ता शिवं नमस्कृत्या.... 644 Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी २०३-२- पे.क्र.६, पृ. ४१-४३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४६, पृ. १३६मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ६, पृ. ११, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४३, पृ. ११४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ८२६७, पृ. ७, लघुशान्तिस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीकाकारे पोताना हाथे लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३१, पृ. ११९-१२०, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- आर्या-१७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १२३७५- पे.क्र. १, पृ. १, लघुशान्तिस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३७६, पृ. २, लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण लघुशान्तिस्तोत्र-(सं.)टीका गणि-गुणविनय, सं., गद्य, पाकाहेम ८२६७, पृ. ७, लघुशान्तिस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीकाकारे पोताना हाथे लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-५ लघुशान्तिस्तोत्र-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १२३७६, पृ. २, लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण लघुशान्तिस्तोत्र-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १२३७६ , पृ. २, लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण लघुशान्तिस्तोत्र-(सं.)टीका गणि-गुणविनय, सं., गद्य, पाकाहेम ८२६७, पृ. ७, लघुशान्तिस्तव सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीकाकारे पोताना हाथे लखेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-५ लघुसङ्ग्रहणीप्रकरण (सङ्ग्रहणीप्रकरण लघु) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहदगच्छीय], प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिऊण जिणममोहं जयपुज्जं जयगुरु महावीरं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २९, पृ. १०६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ लघुस्थापनाकल्प जुओ - स्थापनाकल्प-लघु, संस्कृत लटकमेलकप्रहसन जैनेतर-शङ्खधर, सं., 645 Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ३७३४, पृ. ४ लटकमेलक प्रहसन, वि-१६मी संपूर्ण , कुल झे. पृष्ठ-५ लब्धिविचार सं. गद्य, पाकाहेम ८३९१- पे क्र. २ पृ. १५ पञ्चविधव्यवहारविचार तथा लब्धिविचार, वि-१८मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ लब्धिविचार जुओ- सर्वलब्धिविचार, प्राकृत लब्धिस्तोत्र प्रा., पद्य, पाकाहेम १७२४४, पृ. २, लब्धिस्तोत्र सावचूरि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ लब्धिस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं. गद्य, कृ.वि: पंचपाठ पाकाहेम १७२४४, पृ. २, लब्धिस्तोत्र सावचूरि, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-३ लब्धिस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं., गद्य, कृ.वि: पंचपाठ पाकाहेम १७२४४, पृ. २, लब्धिस्तोत्र सावचूरि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ ललितविस्तरापञ्जिका टीका जुओ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र की ललितविस्तराटीका - (सं.) पञ्जिका टीका, आचार्य - मुनिचन्द्रसूरि, संस्कृत ग्रं. २०५० ललितविस्तरावृत्ति जुओ- आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनसूत्र - (सं.) ललितविस्तरावृत्ति, आचार्य- हरिभद्रसूरि, संस्कृत लिङ्गानुशासन जुओ हैमलिङ्गानुशासन, आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत ग्रं. ३३८४ लिङ्गानुशासन वामनीय जुओ वामनीय लिङ्गानुशासन, जैनेतर वामन, संस्कृत, गा.२५ लीलावती जुओ - प्रश्नव्याकरणसूत्र जयपायड (सं.) लीलावत्यां मयूरवाहिनी, संस्कृत लीलावती - जैनेतर -: र-भूषणभट्टसुत, अप, पद्य, श्लोक १८००, आदि वाक्यः नमह सरोससुअरिसणसव्व... कृ. विः भाषा मरुहट्ठ देशी छे. पातासंघवी ६६-२ पृ. १३१, लीलावती कथा, अपूर्ण प्रत विशेष - प्रथमनां पत्र ५नी कोरो खरी गई छे. सारी, पत्र १३१ नथी. गाथा - १३१९ सुधी छे. संशोधित प्रति. कुल झे. पृष्ठ-५४, डीवीडी - ३०/४९ लुङ्कानी हुण्डी जुओ कुमतकदलीकृपाणिकाचउपई लुकानी हुण्डी, मारुगुर्जर, श्लोक ११३५ लुम्पकचर्चा - लेश्याप्रकरण . प्रा. सं., पद्य, श्लोक५६८. पाकाहेम ३७४९ पृ. २९ लुम्पकचर्चा, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-३० झे. लुम्पकलोपकतपगच्छजयोत्पत्तिवर्णनरास - मुनि - उत्तमविजय, मारुगूर्जर, पद्य, ग्रं. १६०, पाकाहेग ११६०८, पृ. ५. लुम्पकलोपकतपगच्छजयोत्पत्तिवर्णनरास, वि-१८७८, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-५ सं., गद्य, आदि वाक्यः कृष्णनीलकपोतपीत..... 646 Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २९३ पे क्र. २. पृ. ६-६B, अर्हत्मण्डप प्रतिष्ठादि सङ्ग्रह वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी- ९१ लोकनालिका गाथा प्रा. पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः तिरियं सत्तावन्नं उड्नुं पञ्चेव लिहसुरेहाउ... भांता ७० पे क्र. १२१ पृ. १६१-१६२, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण - प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ लोकनालिकाद्वात्रिंशिका (लोकनालिकाप्रकरण) - प्रा., पद्य, गा. ३२, आदि वाक्यः अहीपणमित्तु सुरिन्द खयरिन्द नरिन्दविन्द वन्दिउ महावीरं .... पाताहेसं १६१- पे. क्र. ९. पृ. १७२ १७४ दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि- १३८९, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३८. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-८/१८ पाकाहेम ४४७२- पे क्र. ४ पृ. ८-१० विचारषट्त्रिशिका दण्डकप्रकरणादि वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाग लोकनालिद्वात्रिंशिका सह (सं.) अवचूरि पे विशेष गाथा-३२. पञ्चपाठ पे नं. ४मां पत्रांक १० माने बदले ११मुं अने ११ माने बदले १२मुं छे. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ७६८९, पृ. १, लोकनालिकाद्वात्रिंशिकाप्रकरण अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६००, पृ. १ लोकनालिकाप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण लोकनालिकाद्वात्रिंशिका - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ४, पृ. ११, विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- लोकनालिद्वात्रिंशिका सह ( सं . ) अवचूरि, पे. विशेष- गाथा - ३२. पञ्चपाठ, पे.नं. ४मां पत्रांक १० माने बदले ११ अने ११ माने बदले १२मुं छे. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ५, पृ. ३५ दशवैकालिकावचूरि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाहेम ७६८९, पृ. १, लोकनालिकाद्वात्रिंशिकाप्रकरण अवचूरि पञ्चपाठ वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ लोकनालिकाद्वात्रिंशिका - (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ४, पृ. ११, विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि- १६९९, संपूर्ण 1 पे. नाग लोकनालिद्वात्रिंशिका सह (सं.) अवचूरि पे विशेष गाथा-३२. पञ्चपाठ पे नं. ४मां पत्रांक १० माने बदले ११मुं अने ११ माने बदले १२ मुं छे. कुल झ. पृष्ठ-४ झे. पाकाहेम ७५३२ पे. क्र. ५. पृ. ३५ दशवैकालिकावचूरि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाहेम ७६८९, पृ. १ लोकनालिकाद्वात्रिंशिकाप्रकरण अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ लोकनालिकाप्रकरण जुओ लोकनालिकाद्वात्रिंशिका, प्राकृत, गा.३२ - 647 Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती लोकान्तिकस्तव प्रा., पद्य, गा.१६, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र.२, पृ. ३-४, विचारषटिंत्रशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- लोकान्तिकस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-१६. कुल झे.पृष्ठ-४ लोकान्तिकस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र.२, पृ. ११, विचारषट्विशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- लोकान्तिकस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-१६. कुल झे.पृष्ठ-४ लोकान्तिकस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. २, पृ. ११, विचारषटिंत्रशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- लोकान्तिकस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-१६. कुल झे.पृष्ठ-४ लोचप्रवेदनविधि (लोयपवेयणविही), , विभाग-१ प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सक्कत्थएण चेइयाणिं वन्दित्ता... भांता ७०- पे.क्र.२९, पृ.३८A-३८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ लोचविधि जुओ - साध्वीलोचविधि, प्राकृत लोभे सागरकथा जुओ - सागरकथा लोभे, प्राकृत, गा.९९ लोयपवेयणविही जुओ - लोचप्रवेदनविधि, प्राकृत लौकिकन्यायरत्नाकर जैनेतर-रघुनाथ वर्मा उदासीन, सं., गद्य, आदि वाक्यः यस्माज्जातं निखिलभुवनं जीव्यते येन जातं... पुप्रे ४००, पृ. १७५, लौकिकन्यायरत्नाकर, ईस-१९५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि-१., लेखन काल- १४.०८.१९५७ से १५.०९.१९५७. विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. कुल झे.पृष्ठ-१७५ पुप्रे ४०१, पृ. २११, लौकिकन्यायरत्नाकर, ईस-१९५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि-२., लेखन काल-१५.०९.१९५७ से ०२.११.१९५७. विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. कुल झे.पृष्ठ-२१० पुप्रे ४०२, पृ. २३३, लौकिकन्यायरत्नाकर, ईस-१९५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि-३., लेखन काल-०२.११.१९५७ से. विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. कुल झे.पृष्ठ-२३२ पुप्रे ४०३, पृ. ४२१, लौकिकन्यायरत्नाकर, ईस-१९५७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय पुस्तक प्रतिलिपि-४., प्रतक्रम-४००-४०३ विक्रम १८६५ मूल प्रत पर से लिखी जाने की संभावना है. कुल झे.पृष्ठ-४२० लौकिकमासकल्याणकस्तवन 648 Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः नमिअ चउवीस जिण भणसु... पाकाहेम ७३९८ - पे.क्र. ३, पृ. १, रसवत्यादिनामगर्भितजिनस्तव आदि, वि-१५मी, संपूर्ण वइरसामिचरिउ (वज्रस्वामी चरित्र), (वयरस्वामिचरित्र), (वयरसामिसन्धि) वरदत्त, अप., पद्य, गा.९९, ग्रं.३००, आदि वाक्यः (१) अहु जण! निसुणेज्जहो कन्न धरेज्जहो वइरसामिमुणिवरचरीउ।...(२) अहु जण निसुणिज्जउ कन्नु धरिज्जउ... पाताखेत ११- पे.क्र. १०, पृ. २०७-२३४, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२- पे.क्र. १२, पृ. १५७-१७८, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ७४- पे.क्र.६, पृ. १६मुं, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण पे. नाम- वयरस्वामी चरित्र- प्रथम सन्धि प्रत विशेष- २०मुं पार्नु नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १०, पृ. ९-३०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ वङ्कचूलकथा प्रा., गद्य, आदि वाक्यः थेवो वि कओ नियमो कल्लाणपरम्पराए सुहहेउ... पातासंघवी ११८-२- पे.क्र. २, पृ. ९A-१६B, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण पे. नाम- वङ्कचूलकथा सचित्र कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-३४/५२ वङ्कचूलकथा श्लोकबद्ध सं., पद्य, श्लोक१०९, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. १, पृ. १-५, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ वकचूलरास मारुगूर्जर, पद्य, ग्रं.१३५, पाकाहेम १०१२२, पृ. ३, वङ्कचूलरास, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ वङ्कचूलिकासूत्र प्रा., गद्य, पाकाभाभा ४३५, पृ. ५, वङ्कचूलिकासूत्र, वि-१८वी, संपूर्ण वज्जालग प्रा., पाताहेसं ५९, पृ. १८, वज्जालग, संपूर्ण प्रत विशेष- कागळनी प्रतो. डीवीडी-६/१५ वज्रकर्णकथा सम्यक्त्वविषये जुओ - सम्यक्त्वविषये यन्त्रप्रकरणकथा, संस्कृत, श्लोक९९ वज्रस्वामी चरित्र जुओ - वइरसामिचरिउ, अज्ञात-वरदत्त, अपभ्रंश, ग्रं.३००, गा.९९ वज्रस्वामी चरित्र जुओ - वयरसामिचरित्र, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.६० वद्धमाणविज्जा जुओ - वर्धमानविद्या, आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्राकृत, गा.१२ वनस्पतिविचार-प्रज्ञापनागत (प्रज्ञापनागत-वनस्पतिविचार) 649 Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., गद्य, भांता ७०- पे.क्र. १५७, पृ. -२०७A-२०८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७७, पाकाहेम ७६८३- पे.क्र.२, पृ.?, विचारसप्ततिकाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १६४८७, पृ. ५, वनस्पतिसप्ततिका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. ३, पृ. ३-४, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. ३, पृ. ३-४, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ वन्दणगाहा जुओ - वन्दनकगाथा, प्राकृत, गा.४६ वन्दणसुत्त जुओ - चैत्यवन्दनगाथा, प्राकृत, गा.५९ वन्दनक भाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, पाताखेत १२- पे.क्र. २८, पृ. २७१-२७३, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. ९, पृ. १२३-१२६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ वन्दनक भाष्य प्रा., पद्य, गा.४१, पातासंघवी २०२- पे.क्र. १२, पृ. २५८-२६४, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ वन्दनक भाष्य-(प्रा.)चूर्णि प्रा., गद्य, वताकांति ४१८, पृ. ९०, वन्दनक चूर्णी, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ वन्दनकभाष्य-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः गुरूवन्दण. अथेत्यानन्तर्यार्थे चैत्यवन्दनानन्तरं गुरूवन्दनं कथ्यते इत्यर्थः ।... भांका २२४- पे.क्र. २, पृ. ७A-११A, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनकभाष्य सह (सं.)अवचूर्णि, पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१३०८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५, १-१३०८, १-१२६५. 650 Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८८ वन्दनक भाष्य-(प्रा.)चूर्णि प्रा., गद्य, वताकांति ४१८, पृ. ९०, वन्दनक चूर्णी, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ वन्दनकगाथा (वन्दणगाहा), (गुरुवन्दनक गाथा) प्रा., पद्य, गा.४६, आदि वाक्यः मुहणन्तयदेहावसस्स(ए)सु पणवीसमे च पत्तेयं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-वंदण आलोयण खामणे सुवन्नाण परिसंखा. भांता ७०- पे.क्र.८, पृ. ८B-99A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३०२. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वन्दनकपदपर्यायमञ्जरी आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९४४- पे.क्र. २, पृ. ?, चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि, वि-१५०१, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ वन्दनकभाष्य आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः (१) नमिऊण महावीरं बाणउयसयं भणामि वन्दणए।...(२) गुरुवन्दणमह तिविहं.... कृ.विः प्रचलित भाष्यत्रय करतां भिन्न. भांका १४८ - पे.क्र. २, पृ. ८A-१२A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनकभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३१०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. ___ कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ वन्दनकभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः अथेत्यानन्तर्यार्थे चैत्यवन्दनानन्तरं गुरुवन्दनं... भांका १४८- पे.क्र. २, पृ. ८A-१२A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनकभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३१०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ वन्दनकभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः अथेत्यानन्तर्यार्थे चैत्यवन्दनानन्तरं गुरुवन्दनं... भांका १४८ - पे.क्र. २, पृ. ८A-१२A, चैत्यवन्दनादिभाष्य अवचूर्णि सहित, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनकभाष्य सह अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३१०. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१२२७, १-१३१०, १-१२६२. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८५ वन्दनकभाष्य-(सं.)अवचूर्णि आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः गुरूवन्दण. अथेत्यानन्तर्यार्थे चैत्यवन्दनानन्तरं गुरूवन्दनं __कथ्यते इत्यर्थः ।... भांका २२४- पे.क्र. २, पृ. ७A-११A, चैत्यवन्दनभाष्यावचूर्णि आदि, वि-१५६२, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनकभाष्य सह (सं.)अवचूर्णि, पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-१३०८. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१२२५, १-१३०८, १-१२६५. 651 Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८८ वन्दनफल आदि सं., पातासंघवी ५७-२- पे.क्र. ३, पृ. १६२-१९०, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, वि-१३८१, संपूर्ण पे. नाम- वन्दनफल-गणधरवाद-श्रावकव्रतभंग-उत्तराध्ययन सुभाषित विगेरे प्रत विशेष- कागळमां. डीवीडी-२९/४८ वन्दनविषये दृष्टान्तो (गद्य) सं., गद्य, पाकाहेम २१०६- पे.क्र. ५, पृ. ४६-४७, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ वन्दनसूत्र जुओ - चैत्यवन्दनगाथा, प्राकृत, गा.५९ वन्दारुवृत्ति जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)वन्दारु वृत्ति, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२७७० वन्दित्ताचणि जुओ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(प्रा.)चूर्णि, आचार्य-विजयसिंहसूरि, प्राकृत, श्लोक४५९० वन्दित्तुसूत्र जुओ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, प्राकृत, गा.५० वयरसामिचरित्र (वज्रस्वामी चरित्र) आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, रचना सं. विक्रम १३१६, गा.६०, आदि वाक्यः नमवि जिणवर निज्जियाणङ्ग... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १४, पृ. १२४-१२९, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० वयरसामिसन्धि जुओ - वइरसामिचरिउ, अज्ञात-वरदत्त, अपभ्रंश, ग्रं.३००, गा.९९ वयरस्वामिचरित्र जुओ - वइरसामिचरिउ, अज्ञात-वरदत्त, अपभ्रंश, ग्रं.३००, गा.९९ वराहमिहिरसंहिता जैनेतर-वराहमिहिर, सं., पातासंघवी १५८, पृ. २९९, वराहमिहिरसंहिता- अध्याय ७४ सुधी, वि-१३९३, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३६/५३ वर्णनासार सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वजीवनिकायस्य सर्वथापि हितप्रदा... भांका २६८- पे.क्र. १, पृ. १B-२४A, वर्णनासार व सुभाषितश्लोक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-९० वर्णमर्कटी-वर्णपताकादिविचार (छन्दोविषयक ग्रन्थ) सं., गद्य, कृ.विः छन्दोविषयक ग्रन्थ. पाकाहेम १३१५१, पृ. १, वर्णमर्कटी-वर्णपताकादिविचार, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ वर्धमानचरित्र आचार्य-सकलकीर्ति भट्टारक (दिगम्बर), सं., पद्यअध्याय१९अधि., ग्रं.३०३५, आदि वाक्य: जिनेशे विश्वनाथाय ह्यनन्तगुणसिन्धवे... कृ.विः अधिकार-१९. भांका १५९, पृ. १३४, वर्धमानचरित्र, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१०९४. अधिकार-१९. ग्रन्थाग्र-३०३५. डीवीडी-८६ वर्धमानविज्ञप्तिका प्रा., पद्य, गा.१८, कृ.विः शृंखलालंकारमय पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १५, पृ. २०मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण 652 Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७ वर्धमानविद्या (वद्धमाणविज्जा) आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः विलसन्तजोइवीए परमट्ठीणं सरेमि पञ्चन्हें... कृ.विः अंतिमवाक्य-इय वद्धमाणविज्जा चक्केसरपहुपसायसंपत्ता. पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १४, पृ. ९१B-९७B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ भांता ७०- पे.क्र.५, पृ. ५A-4B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४०१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वर्धमानविद्या प्रा., गद्य, आदि वाक्य: ॐ नमो अरहन्ताणं ॐ नमो सिद्धाणं... भांता ७०- पे.क्र. ५१, पृ. ५६A-५६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२९४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वर्धमानविद्यास्तव प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ९७३१- पे.क्र. १, पृ. १-२, वर्धमानविद्यास्तव आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ वर्धमानविद्यास्तव प्रा., पद्य, गा.१७, पाकाहेम ९७३१- पे.क्र. २, पृ. १-२, वर्धमानविद्यास्तव आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ वर्धमानस्तवन आचार्य-जयकेसरीसूरि, सं., पद्य, का.१३, आदि वाक्यः आनन्दमेदुरसुरेश्वर... पाकाहेम १२३४७, पृ. १, वर्धमानस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण वर्धमानस्तुति प्रा., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः नमिऊण सङ्खसत्थियचक्ककुसकमलपन्तिदुल्ललियं।... पाताहेसं १६८- पे.क्र. २०, पृ. ३६अ-३७अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२०. झेरोक्ष पत्र-३३-३४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ भांता ७२- पे.क्र. २७, पृ. १४८A-१५०A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- वर्द्धमानस्तव, पे. विशेष- गाथा-२१. सूचिपत्र नं.१-११६५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ वर्धमानस्तुति जुओ - स्नातस्या-वीरस्तुति, आचार्य-बालचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.४ वर्धमानस्वामिस्तवन (महावीरस्वामिस्तवन) 653 Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.६, आदि वाक्यः जयइ नवनलिणि कुवलय... कृ.विः श्रीनेमिःपंचरुपस्तुति पादपूर्तिरुप पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४८, पृ. २३१मुं, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ ववहारसुत्त जुओ - व्यवहारसूत्र, आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्राकृत, ग्रं.६८८ वसति-शयनादिदानविषयककथा सङ्ग्रह गद्य जुओ - कथासङ्ग्रह-वसतिशयनासनादिविषयकगद्य, संस्कृत वसतिकालप्रवेदनविधि (कालप्रवेदनविधि) प्रा., आदि वाक्यः सूरे उग्गए पमज्जिए वसहीए पसत्थे दिणे... __ कृ.विः उद्दामदण्डकछन्दोमयी भांता ७०- पे.क्र. २२, पृ. ३००-३००, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२३. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वसतिविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः मूलुत्तरगुणसुद्धं थीएसु पण्डगविवज्जिय वसहिं... भांता ७०- पे.क्र. १६३, पृ. २१६०-२१८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ वसतिशयनादि दानविषये कुरुचन्द्रनृपादिदृष्टान्त (गद्य) जुओ - कुरुचन्द्रनृपादिदृष्टान्त वसतिशयनादि दानविषये (गद्य), संस्कृत वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र (वसन्तराजदिक्चक्रशकुनविचार), (शाकुनिकशास्त्र), (शकुनविचार) वसन्तराज, सं., पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र.१, पृ. ???, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवी ६६-४, पृ. १३०, वसन्तराजशाकुन वर्ग ३ थी १८, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग प्रमाणे वर्ग ३-१८. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम २७९३, पृ. १, वसन्तराजदिक्चक्रशकुनविचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१ वसन्तराजदिक्चक्रशकुनविचार जुओ - वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र, अज्ञात-वसन्तराज, संस्कृत वसहिसयणासण गाथासम्बद्ध कथासङ्ग्रह गद्य जुओ - कथासङ्ग्रह-वसतिशयनासनादिविषयकगद्य, संस्कृत वसुकथा प्रा., पद्य, गा.६५, आदि वाक्यः कोसम्बी अस्थिपुरी पभूयसव्वासु... भांका ९०- पे.क्र. ३, पृ. १८B-२०B, आदिनाथ देशनादि दृष्टान्तकथासङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सामान्य पूर्वभूमिका सहित. सामान्य टिप्पण. कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-८४ वसुदेवहिण्डी गणि-सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., आदि वाक्यः णमो विणयपणयसुरिन्दविन्दवन्दियकविन्दाणं।... कृ.विः दण्डकछन्दोमयी 654 Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३१५, पृ. ५४, वसुदेवहिण्डी ३५ वेरुलियमाला लम्भओथी ४४ मलयसेणा पर्यन्त, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६, डीवीडी-९३/९५ पाकाहेम १००९५, पृ. १३९, वसुदेवहिण्डी प्रथमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-११०००. कुल झे.पृष्ठ-१३९ पाकाभाभा ५, पृ. २७३, वसुदेवहिण्डी, वि-१६वी, संपूर्ण वसुदेवहिण्डी-मध्यमखण्ड गणि-धर्मसेनगणि महत्तर, प्रा., ग्रं.१७०००, कृ.विः भाषा- प्राकृत अने पैशाचि छे. पाकाहेम ६७०५, पृ. १४९, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४९ पाकाहेम ७२७५, पृ. १२२, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड पूर्वार्ध, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-६६००. प्रतिनो एक खूणो उंदरे करडेलो छे. कुल झे.पृष्ठ-१२२ पाकाहेम १००९६, पृ. १७६, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१९०००. पत्र ६१-६२ अने ७२-७३ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१७५ वसुदेवहिण्डी-मध्यमखण्ड गणि-धर्मसेनगणि महत्तर, प्रा., ग्रं.१७०००, कृ.विः भाषा- प्राकृत अने पैशाचि छे. पाकाहेम ६७०५, पृ. १४९, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४९ पाकाहेम ७२७५, पृ. १२२, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड पूर्वार्ध, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-६६००. प्रतिनो एक खूणो उंदरे करडेलो छे. कुल झे.पृष्ठ-१२२ पाकाहेम १००९६, पृ. १७६, वसुदेवहिण्डी मध्यमखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१९०००. पत्र ६१-६२ अने ७२-७३ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१७५ वसुधारा (आर्यवसुधाराधारिणीकल्प) सं., कृ.विः दण्डकछन्दोमयी पाकाहेम २८००, पृ. ६, आर्यवसुधाराधारिणीकल्प, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०३३२, पृ. २, वसुधारा, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १४१२२, पृ. ७, वसुधारा, वि-१६१४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३जुं नथी. जिनचन्द्रसूरि हस्ताक्षर, वसुधाराप्रमाण प्रा., पद्य, आदि वाक्यः वसुधारा वुट्ठा आहयाओ देवदुन्दुं येन निर्मितं... भांता ७०- पे.क्र. १३८, पृ. १९०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 655 Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ वसुभूति वसुमित्रकथा धर्मप्रभावे (धर्मप्रभावे वसुभूति वसुमित्रकथा ) सं. कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. " पाकाहेम १७७६- पे.क्र. २ पृ. ७-१६ अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण P प्रत विशेष - पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६० वसुमित्र कथा रात्रिभोजनविषये जुओ रात्रिभोजनविषये वसुमित्र कथा, संस्कृत श्लोक७२ वस्तुपालचरित्र जुओ - धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.५२०० वाक्यपदीय - जैनेतर - भर्तृहरि, सं., पद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २० पाकाहेम ७३१४, पृ. ३२, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चौद समुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३३ वाक्यपदीय - (सं.) टीका जैनेतर - हरिवृषभ, सं., गद्य, पाकाहेम ७३११ पृ. २१ वाक्यपदीय द्वितीयकाण्डटीका वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २१ वाक्यपदीय - (सं.) प्रकाश टीका (प्रकाश टीका) लाराज, गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., गद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल ३ पृष्ठ- २० झे पाकाहेम ७३१४, पृ. ३२. वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चौद समुद्देशपर्यन्त वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३३ वाक्यपदीय - (सं.) टीका " जैनेतर - हरिवृषभ, सं., गद्य, पाकाहेम ७३११, पृ. २१, वाक्यपदीय द्वितीयकाण्डटीका, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २१ वाक्यपदीय - (सं.) प्रकाश टीका (प्रकाश टीका) हेलाराज, गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., गद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी प्रतिपूर्ण वाक्यप्रकाशक्तिक कुल झे. पृष्ठ- २० पाकाहेग ७३१४, पृ. ३२. वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चाँद समुद्देशपर्यन्त वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३३ मुनि-उदयधर्म, सं., पथ, गा. १२४, 656 Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ५३०३- पे.क्र. १ पृ. १८ वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१७मी संपूर्ण पे. नाम- वाक्यप्रकाश औक्तिक सह टीका प्रत विशेष- पत्र ७मुं नथी कुल झे. पृष्ठ- ८ पाकाहेम १५३१०, पृ. १६ वाक्यप्रकाश औक्तिकसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल रचना संवत १५०७ लखेल छे. वाक्यप्रकाशऔक्तिक- (सं.) टीका "" " गणि-हर्षकुलगणि, गुरु आचार्य हेमविमलसूरि (तपागच्छ), सं. गद्य रचना सं. विक्रम १५०७, पाकाहेम ५३०३- पे.क्र. १, पृ. ८, वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम वाक्यप्रकाश औक्तिक सह टीका प्रत विशेष पत्र ७मुं नथी कुल झ. पृष्ठ-८ झे. पाकाहेम १५३१०, पृ. १६ वाक्यप्रकाशक्तिकसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण - प्रत विशेष- मूल रचना संवत १५०७ लखेल छे. वाक्यप्रकाशक्तिक- (सं.) टीका वाग्मटालङ्कार " " गणि हर्षकुलगणि, गुरु आचार्य हेमविमलसूरि (तपागच्छ), सं. गद्य रचना सं. विक्रम १५०७, पाकाहेम ५३०३- पे.क्र. १, पृ. ८, वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम वाक्यप्रकाश औक्तिक सह टीका प्रत विशेष - पत्र ७मुं नथी कुल झे. पृष्ठ-८ पाकाहेम १५३१०, पृ. १६, वाक्यप्रकाशऔक्तिकसटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - मूल रचना संवत १५०७ लखेल छे. वागडोदमण्डन चन्द्रप्रभ-युगादीशजिनयुगलस्तुति# ( चन्द्रप्रभ-युगादीशजिनयुगलस्तुति वागडोदमण्डन ) सं., पद्य, का. ४, आदि वाक्यः धर्मं कर्तुमहो महोत्सव.... पाकाहेम १२३६४- पे क्र. ३ पृ. १ चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि वि-१५मी संपूर्ण , कवि वाग्भट (दिगम्बर). सं., पाकाहेम २६५२, पृ. ४०, वाग्भटालङ्कार सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. कुल १. पृष्ठ-२८ पाकाहेम १०४०५, पृ. २२ वाग्भटालङ्कार सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-२३ झे. 1 पाकाहेम १०६८७, पृ. ८ वाग्भटालङ्कार, वि-१७४२. संपूर्ण वाग्मटालङ्कार (सं.) टीका गणि- सिंहदेवगण, सं., गय पाकाहेम २६५२, पृ. ४० वाग्मटालङ्कार सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण वाग्भटालङ्कार- (सं.) वृत्ति सं. गद्य, प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे. कुल झे. पृष्ठ- २८ वाग्भटालङ्कार (सं.) टीका आचार्य - जिनवर्धनसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०४०५, पृ. २२ वाग्भटालङ्कार सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२३ " 657 Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०६८८, पृ. १५, वाग्भटालङ्कार वृत्ति - अपूर्ण, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २जु ३जुं ४थु १०मुं अने ११मुं नथी. वाग्भटालङ्कार-(सं.)टीका गणि-सिंहदेवगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २६५२, पृ. ४०, वाग्भटालङ्कार सह टीका, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ वाग्भटालङ्कार-(सं.)टीका आचार्य-जिनवर्धनसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०४०५, पृ. २२, वाग्भटालङ्कार सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३ वाग्भटालङ्कार-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पाकाहेम १०६८८, पृ. १५, वाग्भटालङ्कार वृत्ति - अपूर्ण, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २जुं ३जुं ४थु १०मुं अने ११मुं नथी. वाडीकुलक आचार्य-जिनदत्तसूरि, अप., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ८, पृ. ५३-५४, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ वानराष्टक? जुओ - नराष्टक, संस्कृत, श्लोक९ वानर्यष्टक(?) जुओ - नारी अष्टक, संस्कृत, श्लोक९ वामनीय काव्यालङ्कार (काव्यालङ्कार वामनीय), (वामनीयालङ्कार) जैनेतर-वामन, सं., पातासंघवी १८७-१- पे.क्र. ३, पृ. १-३६, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण पे. विशेष- जीर्ण ने कोरो खरी गयेली छे. डीवीडी-३७/५४ वामनीय काव्यालङ्कार-(सं.)वृत्ति जैनेतर-वामन, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमं ज्योतिमिनेन कविप्रिया | काव्यालङ्कारसूत्राणां स्वेषां वृत्तिर्विधीयते ||छ || काव्यं ग्राह्यमलङ्कारात् ।।... पातासंघवी १८७-१- पे.क्र. ३, पृ. १३७, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण पे. विशेष- जीर्ण ने कोरो खरी गयेली छे. डीवीडी-३७/५४ वामनीय काव्यालङ्कार-(सं.)वृत्ति जैनेतर-वामन, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमं ज्योतिमिनेन कविप्रिया । काव्यालङ्कारसूत्राणां स्वेषां वृत्तिर्विधीयते ||छ।| काव्यं ग्राह्यमलङ्कारात् ।।... पातासंघवी १८७-१- पे.क्र.३, पृ. १३७, वार्तिक आदि, वि-११८७, संपूर्ण पे. विशेष- जीर्ण ने कोरो खरी गयेली छे. डीवीडी-३७/५४ वामनीय लिङ्गानुशासन (लिङ्गानुशासन वामनीय) जैनेतर-वामन, सं., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः सिद्धं विबुधजनेष्टं विदिताऽखिलवाङ्मयं प्रणम्याप्तम्।... पाताहेसं १४७- पे.क्र. १, पृ. १-४६, लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि, वि-१२७३, संपूर्ण पे. नाम- वामनीय लिङ्गानुशासन सह (सं.)टीका प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ८५ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ 658 Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वामनीय लिगानुशासन- (सं.) वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रेयांसं शिवमीश्वरं प्रशमिताशेषात्मदोषः.... पाताहेसं १४७- पे.क्र. १, पृ. १-४६, लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि, वि-१२७३, संपूर्ण पे नाम वामनीय लिङ्गानुशासन सह (सं.) टीका प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ८५ आप्या छे.. डीवीडी-८/१७ वामनीय लिङ्गानुशासन- (सं.) वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रेयांसं शिवमीश्वरं प्रशमिताशेषात्मदोषः .... कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १४७ - पे.क्र. १, पृ. १-४६, लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि वि - १२७३, संपूर्ण " पे. नाम वामनीय लिगानुशासन सह (सं.) टीका प्रत विशेष - गायकवाड केटलॉगमां पत्र ८५ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ वामनीयालङ्कार जुओ - वामनीय काव्यालङ्कार, जैनेतर-वामन, संस्कृत वार्तिकसूत्र जुओ प्रमाणवार्तिकसूत्र आचार्य सिद्धसेन दिवाकर सूरि संस्कृत वार्तिकसूत्र (सं.) वृत्ति विचारकलिका जुओ प्रमाणवार्तिकसूत्र (सं.) वृत्ति, आचार्य शान्तिसूरि, संस्कृत - वासवदत्ता - " कवि सुबन्धु, सं... पाकाहेम १०६९८ पृ. १५ वासवदत्ताकथा वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. वासुपूज्यचरित्र उपाध्याय - चन्द्रप्रभोपाध्याय, प्रा., आदि वाक्यः सुहसिद्धिवहुवसीकरणपच्चला जस्स नामवन्ना वि.... पातासंघवी ९१, पृ. १- ३१२, वासूपुज्यचरित्र, अपूर्ण प्रत विशेष अंत नथी, अपूर्ण वासुपूज्यस्वामिचरित्र पद्य डीवीडी-३२/५१ वासुपूज्यचरित्र सङ्घनकं जुओ वासुपूज्यचरित्र सर्थनक आचार्य वर्द्धमानसूरि, संस्कृत वासुपूज्यचरित्र सर्थनकं ( वासुपूज्यचरित्र सङ्घनकं) आचार्य - वर्द्धमानसूरि, गुरु- आचार्य - विजयसिंहसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अर्हं नौमि .... भांका १४९, पृ. ३, वासुपूज्यचरित्र सर्थनकं, वि - १४८७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-६६४. डीवीडी-८५ आचार्य-वर्द्धमानसूरि, गुरु- आचार्य - विजयसिंहसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९९, ग्रं. ५४९४, आदि वाक्यः मत्ये पतिर्दध्यौ नृपोयं भुजदुर्मदः..... कृ. विः कर्ता नागेन्द्रगच्छ पाताहे ७०, पृ. २५२, वासुपूज्यचरित्र महाकाव्य पद्य, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ भांका ३०९, पृ. ९९, वासुपूज्यचरित्र वि-१४६९. संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र संख्या ४-६६१ पेज १ नहीं है. श्लोक- ५४४२. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१२ वासुपूज्यचरित्र सर्थनकं ( वासुपूज्यचरित्र सङ्घनकं ) आचार्य - वर्द्धमानसूरि, गुरु- आचार्य - विजयसिंहसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अर्ह नौमि .... भांका १४९, पृ. २. वासुपूज्यचरित्र सर्वनर्क, वि-१४८७, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-६६४. डीवीडी-८५ 659 Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वासोन्तिकवितण्डाविडम्बनाप्रकरण आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पाकाहेम ७९३१, पृ. ५, वासोन्तिकवितण्डाविडम्बनाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ विंशतिविशिका प्रकरण आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्यअध्याय२०विंशि, आदि वाक्यः नमिऊण वीयरायं सव्वन्नु तियसनाहकपूयं... भांका २७०, पृ. १०, विंशतिविंशिका प्रकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रानुक्रम व्यवस्थित किये बिना ही झेरोक्ष हुआ है. ___ कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० विंशोद्देशकव्याख्या जुओ - निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, श्लोक११०० विकृति निर्विकृति प्रकरण जुओ - विगइ निविग्गइ प्रकरण, प्राकृत, गा.११ विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विंशतिका आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७७०६- पे.क्र. १, पृ. १-२, विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विंशतिकाआदि , वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय गाथा-५०. कुल झे.पृष्ठ-२ विक्रमचरित्र आचार्य-रामचन्द्रसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४९०, श्लोक६०२० पाकाहेम १४८९९, पृ. २००, विक्रमचरित्र, वि-१५६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११२ मुं डबल अने छेल्लुं पत्र जीर्ण छे. कुल झे.पृष्ठ-२०१ विक्रमचरित्रमहाकाव्य उपाध्याय-देवमूर्तिकासह्रदगच्छीय], सं., पद्य, श्लोक६२६६, पाकाहेम ६८६३, पृ. १४३, विक्रमचरित्रमहाकाव्य, वि-१५१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४३ विक्रमसेनकथा सम्यक्त्वविषये जुओ - सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा, संस्कृत, श्लोक२२३ विक्रमाङ्ककाव्य कवि-बिल्हण, सं., पद्य, ग्रं.२५४५, आदि वाक्यः भुजप्रभादण्ड इवोर्द्धगामी स पातु वः कंसरिपोः कृपाणः ।... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र. १, पृ. ?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे.पृष्ठ-४४ विगइ निविग्गइ प्रकरण (विकृति निर्विकृति प्रकरण) प्रा., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः पवयणमसद्दहणाए... तालाद ३४९- पे.क्र. ४, पृ. ९मुं, सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९४/९६ विचार सङ्ग्रह जुओ - अनेक विचार सङ्ग्रह, प्राकृत विचारकलिका वृत्ति जुओ - प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति, आचार्य-शान्तिसूरि, संस्कृत विचारमुखप्रकरण जुओ - प्रवचनसारोद्धार, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.२०००, गा.१५९९ विचारमुखप्रकरण जुओ - विभक्तिप्रकरण, आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.१४१ विचाररत्नाकर उपाध्याय-कीर्तिविजयगणि[तपागच्छीय], प्रा., पाकाहेम १६४१३, पृ. २३३, विचाररत्नाकरसबीजक, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष- उपा.विनयविजयजीए स्वहस्ते लिखितप्रति प्रथमादर्श. विचाररत्नाकर-(सं.)बीजक 660 Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं. गद्य, पाकाहेम १६४१३, पृ. २३३, विचाररत्नाकरसबीजक, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष - उपा. विनयविजयजीए स्वहस्ते लिखितप्रति प्रथमादर्श. विचाररत्नाकर (सं.) वीजक सं., गद्य, पाकाहेम १६४१३ पृ. २३३ विचाररत्नाकरसबीजक, वि-१६९०, संपूर्ण प्रत विशेष उपा. विनयविजयजीए स्वहस्ते लिखितप्रति प्रथमादर्श. विचारशतक गणि-समयसुन्दरजी गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १७७४, आदि वाक्यः पार्श्वनाथं जिनं नत्वा श्रीमत्समयसुन्दरः... कृ.वि. र.सं. वेदमुनिदर्शनेन्दु. भांका १५६- पे.क्र. १, पृ. १B-३९A, विचारशतक, वि-१८३९, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती विचारशतक - (सं.) बीजक प्रत विशेष भण्डारसंदर्भाक-८३७ / ९५-१९०२. पं. मुनि रंगस्य पुस्तकमिदम्. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी - ८५ सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १७७४ मेडतानगर, भांका १५६- पे. क्र. २, पृ. ३९A ४०B विचारशतक, वि-१८३९, संपूर्ण प्रत विशेष भण्डारसंदर्भाक-८३७/९५-१९०२. पं. मुनि रंगस्य पुस्तकमिदम्. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-८५ विचारशतक (सं.) बीजक विचारश्रेणि सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १७७४, भांका १५६- पे.क्र. २, पृ. ३९A - ४०B, विचारशतक, वि-१८३९, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-८३७/९५-१९०२. पं. मुनि रंगस्य पुस्तकमिदम्. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-८५ विचारसङ्ग्रह सं., गद्य, आदि वाक्यः तं १०८ वर्षाणि मौर्याणां राज्यं मौर्यास्तु.... भांका २५३, पृ. ७, विचारश्रेणि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७, डीवीडी-८९ विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण जुओ दण्डकप्रकरण, मुनि-गजसार, प्राकृत, गा.३८ सं. गद्य, पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३९, पृ. १४७B - १५१, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- विचारसत्तरियं प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९ २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७०४४, पृ. ३, विचारसङ्ग्रह, वि-१७४८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ पाकाहेम ११०९५- पे क्र. २ पृ. १ चत्तारिअट्ठगाथाव्याख्या व विचारसङ्ग्रह, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ विचारसङ्ग्रह जुओ - सिद्धान्तगतअनेक विचारसङ्ग्रह, प्राकृत,संस्कृत विचारसप्ततिकाप्रकरण (वियारसत्तरी) आचार्य महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु आचार्य धर्मघोषसूरि प्रा. पद्य आदि वाक्य: (१) पडिमा मिच्छा कोडी येइअ पासाय रविकरप्पसरो...(२) चउदस पय अडचत्ता.... 661 Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २८, पृ. १७०-१७१, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११८-२- पे.क्र. ५, पृ. ३२०-३६०, आर्द्रकुमारकथा पद्य आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-७० तक है. कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ७६८३- पे.क्र. १, पृ.?, विचारसप्ततिकाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण विचारामृतसङ्ग्रह आचार्य-कुलमण्डनसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४३, ग्रं.२२००, पाकाहेम ३९९३, पृ. ७९, विचारामृतसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- रत्ननिधान उपाध्याये शोधेली प्रति ___कुल झे.पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७०३६, पृ. ३६, विचारामृतसङ्ग्रह अपूर्ण, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०२५७, पृ. ३५, विचारामृतसङ्ग्रह, वि-१४६३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ भांका ८८, पृ. ३६, विचारामृत सङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-८४ विजयचन्द्रकेवली चरित्र ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२७, श्लोक१०६०, पातासंघवी ६९-४- पे.क्र. १, पृ. १-१०५, विजयचन्द्रकेवली चरित्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी ७२-४, पृ. ८७, विजयचन्द्रचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०५५. डीवीडी-३१/५० विजयप्रदीपिका टीका जुओ - विजयप्रशस्तिमहाकाव्य-(सं.)विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका, गणि-गुणविजय गणि, संस्कृत, ग्रं.१०००० विजयप्रभसूरिप्रत्ये लखेलो लेख जुओ - सेवालेखकाव्य-विजयप्रभसूरिप्रत्ये लखेलो लेख, संस्कृत, श्लोक१९० विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्तिरुप जुओ - मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्ति रूपविजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका, उपाध्याय-मेघविजय, संस्कृत, श्लोक१३१ विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिलेख उपाध्याय-विनयविजय[तपागच्छ], सं., पाकाहेम ८००९, पृ. ३, विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिलेख, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विजयप्रशस्तिमहाकाव्य गणि-हेमविजय, गणि-गुणविजय गणि, सं., पद्यसर्ग२१, कृ.विः १६ सर्ग सुधी हेमविजय गणिए रची छे अने १७ थी २१ सुधी गुणविजयजीए रची छे. पाकाहेम २०८०, पृ. २७९, विजयप्रशस्तिमहाकाव्य विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका सहित, वि-१६९१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाटण गामे लखी छे.पत्र २२०-२२१ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-१८६ विजयप्रशस्तिमहाकाव्य-(सं.)विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका (विजयप्रदीपिका टीका), (सुखावबोधिका टीका) गणि-गुणविजय गणि, गणि-गुणविजय गणि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, पाकाहेम २०८०, पृ. २७९, विजयप्रशस्तिमहाकाव्य विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका सहित, वि-१६९१, संपूर्ण 662 Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाटण गामे लखी छे पत्र २२० - २२१ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ- १८६ विजयप्रशस्तिमहाकाव्य- (सं.) विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका (विजयप्रदीपिका टीका), (सुखावबोधिका टीका) गणि-गुणविजय गणि, गणि-गुणविजय गणि, सं., गद्य, ग्रं. १००००, पाकाहेम २०८०, पृ. २७९ विजयप्रशस्तिमहाकाव्य विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका सहित वि-१६९१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाटण गामे लखी छे पत्र २२० - २२१ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ- १८६ विजयश्रेष्ठिकथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सज्जुते जो धरई घरट्टमुसलक्खलाण अहिगरणे.... पातासंघवीजीर्ण ९२ पे. क्र. ७, पृ. ३६-४७B, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा - ९३ तक है अन्त के पत्र नहीं है. झेरोक्ष पत्र ४३ - ४९ पर यह कृति उपलब्ध है. प्रत विशेष जीर्ण- त्रुटक-अव्यवस्थित, झेरोक्ष पत्र के उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ ६४, डीवीडी-५८/६० विजयसेनसूरिचरित्र कीर्तिकल्लोलिनी जुओ कीर्तिकल्लोलिनी विजयसेनसूरिचरित्र, गणि हेमविजय, संस्कृत विजयानन्दसूरीश्वर रास मुनि ऋद्धिविजय[तपागच्छ], मारुगुर्जर, पद्य रचना सं. विक्रम १६९६ गा. १०२ ढाळ९, आदि वाक्य सुख विलसे दोगुन्दक जेसा .... कृ. वि. रचनास्थल- विजापुर. पुत्रे ४१९-५, पृ. ८, विजयाणन्दसूरीश्वर रास, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ विज्जालय जुओ- विद्यालय, मुनि-जयवल्लभ, प्राकृत, गा. ७०० विज्जालय (प्रा.) टिप्पणी जुओ विद्यालय (प्रा.) टिप्पणी, प्राकृत विज्जालय - (सं.) टीका जुओ विद्यालय (सं.) टीका, संस्कृत विज्ञप्तित्रिवेणी विज्ञप्तिपत्रिका सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४८४, श्लोक १०१२ पाकाहेम ६६६०, पृ. १७ विज्ञप्तित्रिवेणी, वि - १४८४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१७ - गणि उदयविजय, सं. कृ. वि. विजयप्रभसूरि उपर लखेली. पाकाहेम ३७६१, पृ. ५, विज्ञप्तिपत्रिका, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ विज्ञप्तिलेख ३९९६ वर्णात्मक जुओ - महादण्डकछन्दोबद्ध विज्ञप्तिलेख३९९६ वर्णात्मक, संस्कृत विज्ञानभैरवाक्ष (मन्त्रकल्पादिविषयक विज्ञानमैरवाक्ष) सं.. कृ. विः मन्त्रकल्पादिविषयक पाकाहेम ८९१६, पृ. ३० विज्ञानमैरवाक्ष, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२ विदग्धमुखमण्डन कवि-धर्मदास, सं., पाकाहेम २७०८, पृ. ११ विदग्धमुखमण्डन सह टिप्पण पञ्चपाठ, वि-१७६०, संपूर्ण कुल थी. पृष्ठ-८ पाकाहेम २७०९ पृ. ८ विदग्धमुखमण्डन सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ 663 Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती विदग्धमुखमण्डन-(सं.)श्रवणभूषण टीका (श्रवणभूषण टीका) जैनेतर-नरहरि भट्ट, सं., गद्य, पाकाहेम ६७९२, पृ. ११, विदग्धमुखमण्डनश्रवणभूषणटीकातट्टिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ विदग्धमुखमण्डन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २७०९, पृ. ८, विदग्धमुखमण्डन सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-६ विदग्धमुखमण्डन-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम २७०८, पृ. ११, विदग्धमुखमण्डन सह टिप्पण पञ्चपाठ, वि-१७६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ विदग्धमुखमण्डन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २७०९, पृ. ८, विदग्धमुखमण्डन सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ विदग्धमुखमण्डन-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम २७०८, पृ. ११, विदग्धमुखमण्डन सह टिप्पण पञ्चपाठ, वि-१७६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ विदग्धमुखमण्डन-(सं.)श्रवणभूषण टीका (श्रवणभूषण टीका) जैनेतर-नरहरि भट्ट, सं., गद्य, पाकाहेम ६७९२, पृ. ११, विदग्धमुखमण्डनश्रवणभूषणटीकातट्टिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ विद्याधरीटीका जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)साहित्यविद्याधरीटीका, पण्डित-विद्याधर, संस्कृत विद्यानन्दीवृत्ति जुओ - कातन्त्रव्याकरण-(सं.)विद्यानन्दीवृत्ति, पं.-विद्यानन्द, संस्कृत विद्यालय (विज्जालय) मुनि-जयवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.७००, कृ.विः पाकाहेम १३७३९, पृ. ५९, विज्जालय सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम १५०४६, पृ. १६, विद्यालय-विज्जालय टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण विद्यालय-(सं.)टीका (विज्जालय-(सं.)टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १३७३९, पृ. ५९, विज्जालय सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० विद्यालय-(प्रा.)टिप्पणी (विज्जालय-(प्रा.)टिप्पणी) प्रा., गद्य, पाकाहेम १५०४६, पृ. १६, विद्यालय-विज्जालय टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण विद्यालय-(प्रा.)टिप्पणी (विज्जालय-(प्रा.)टिप्पणी) प्रा., गद्य, पाकाहेम १५०४६, पृ. १६, विद्यालय-विज्जालय टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण विद्यालय-(सं.)टीका (विज्जालय-(सं.)टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १३७३९, पृ. ५९, विज्जालय सटीक, वि-१८मी, संपूर्ण 664 Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४० विद्याविलास कथानक गणि-शुभशील, सं., पद्य, श्लोक६२४, आदि वाक्यः द्वीपेत्र भरतेक्षेत्रे श्रीयुगादिजिनेशितुः... पुप्रे ४२३, पृ. ३२, विद्याविलास कथानक, वि-१५४१, संपूर्ण प्रत विशेष- उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. भांडारकर ओरियण्टल रिसर्च इंस्टिट्यूट-पूना की प्रति. कुल झे.पृष्ठ-३२ विद्याविलासकथा तपविषये (तपविषये विद्याविलासकथा) सं.. पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १४, पृ. ५४-५६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० विद्याविलासकथा श्लोकबद्ध भोगान्तराय-ज्ञानान्तराय विषये जुओ - भोगान्तराय-ज्ञानान्तराय विषयेविद्याविलासकथा श्लोकबद्ध, संस्कृत, श्लोक१३७ विद्वानशतक (पण्डितशतक) आचार्य-तेजसिङ्घ, सं., पद्य, श्लोक२६, आदि वाक्यः श्रृणु विद्वान् शतं राजन् तद्भावं हृदि धार्यते... भांका २४०, पृ. २, विद्वानशतक सह टबार्थ, वि-१७६८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८९ विद्वानशतक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः हे राजन् पण्डितनो शतकमा भली तेहथी जीवनी बुद्धि वधइ... कृ.विः पंचपाठ भांका २४०, पृ. २, विद्वानशतक सह टबार्थ, वि-१७६८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८९ विद्वानशतक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः हे राजन् पण्डितनो शतकमा भली तेहथी जीवनी बुद्धि वधइ... कृ.विः पंचपाठ भांका २४०, पृ. २, विद्वानशतक सह टबार्थ, वि-१७६८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८९ विधवाकुलक-विधवामहिलासामाचारी प्रकरण (विधवामहिलासामाचारी प्रकरण) प्रा., पद्य, गा.१०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २४, पृ. ११५मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम ४६२०, पृ. १, विधवाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ७७९९- पे.क्र. २, पृ. १, विषयनिन्दापञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ विधवाकुलक-विधवामहिलासामाचारी प्रकरण प्रा., पद्य, गा.२२, कृ.विः नारंगपुरमण्डन पाकाहेम ७७८५, पृ. १, विधवाकुलक-विधवामहिलासामाचारीप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ विधवामहिलासामाचारी प्रकरण जुओ - विधवाकुलक-विधवामहिलासामाचारी प्रकरण, प्राकृत, गा.१० विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति जुओ - सन्देहदोलावलीप्रकरण-(सं.)विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति, उपाध्याय-जयसागर वाचनाचार्य, संस्कृत, ग्रं.१५५० 665 Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती विधिविधान, पर्व, तप, कल्प, पदवीप्रदानादि आगमिक विचारसङ्ग्रह प्रा.,सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ५२- पे.क्र.१, पृ. (क)२-१४४, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- धार्मिक विविध विषय विचारसंग्रह, पे. विशेष- त्रुटक. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी., झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-५७/६० विनयपिटक पाली, पद्य, पुप्रे ४१५, पृ. ३५९, विनयपिटक, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५९ विनयभुजङ्गमयूरी गणि-अमृतसागर गणि, सं., गद्य, पाकाहेम २६०३, पृ. ३, विनयभुजङ्गमयूरि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ७९३६, पृ. ३, विनयभुजङ्गमयूरी, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विनयवर्धनलिखितपत्र मुनि-विनयवर्धन, सं., गद्य, पाकाहेम ८०१२, पृ. १, विनयवर्धनलिखितपत्र, वि-१७०२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ विनेयजनहिता टीका जुओ - जम्बूद्वीपसमास प्रकरण-(सं.)टीका, आचार्य-विजयसिंहसूरि, संस्कृत विनेयहिता टीका जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)विनेयहिता टीका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत, ग्रं.३७०० विपाकसूत्र (विवागसुत्त), (विवागसुअं) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.१३१६, आदि वाक्यः (१) तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नाम नगरी वन्नओ।...(२) दसमस्स पण्हावागरणाणं अङ्गस्स अयमढे पन्नत्ते।... एक्कारसमस्स णं भन्ते! अङ्गस्स विवागसुयस्स... पाताखेत २७- पे.क्र. ५, पृ.?, पञ्चाङ्गी उपासकदशाङ्ग-अन्तगडदशा-अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र, संपूर्ण पे. विशेष- पेटाङ्क १-५ ना ना पेज कल्पित आपेल छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. ४, पृ. ?, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक पे. विशेष- वि.सं.-१२०३. डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९६- पे.क्र.३, पृ.?, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- गायकवाडी सूचिपत्रमा योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. ५, पृ. ५९-८५, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे.. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १२४-१- पे.क्र.५, पृ. १५२मुं, उपासकदशाङ्गसूत्र आदि पञ्चोपाङ्ग, संपूर्ण पे. विशेष- पाछळनो भाग नथी. 666 Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ६- पे.क्र. ३, पृ. ८७A-१२३A, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १८९, पृ. ४६, विपाकसूत्र, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- समायणादुर्गमां लखेली., प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम १९९, पृ. ४२, विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ., वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम २००, पृ. ६६, विपाकसूत्र सटीक, वि-१६४७, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-९५०. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०००८, पृ. २२, विपाकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२४५. प्रथम पत्रमा मृगापुत्रना दुःखविपाकने सूचवतुं अति आकर्षक भावपूर्ण चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३३७, पृ. १८, विपाकसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १०३६५, पृ. २६, विपाकसूत्र, वि-१५८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३९८, पृ. ३६, विपाकसूत्र, वि-१६०१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०४४९, पृ. ३५, विपाकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२५०. कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०५४४, पृ. ३९, विपाकसूत्र, वि-१५६४, संपूर्ण पाकाहेम १०५४५, पृ. ३७, विपाकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाभामा ३१, पृ. ३८, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा ४०, पृ. २१, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा ६९, पृ. २२, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पुप्रे ४५५-५, पृ.७९, विपाकसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७९ विपाकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९००, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवर्द्धमानाय वर्धमानश्रुताध्वने।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. १०, पृ. २०८-२२६, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाकाहेम १९९, पृ. ४२, विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ., वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम २००, पृ. ६६, विपाकसूत्र सटीक, वि-१६४७, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-९५०. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०००९, पृ. १८, विपाकसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५०. प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. 667 Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८६ पाकाहेम १०४१७, पृ. ९, विपाकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १४८९८, पृ. २२, विपाकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र.५, पृ. ९२-१०७, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण, चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. विपाकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९००, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवर्द्धमानाय वर्धमानश्रुताध्वने।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. १०, पृ. २०८-२२६, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाकाहेम १९९, पृ. ४२, विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ., वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम २००, पृ. ६६, विपाकसूत्र सटीक, वि-१६४७, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-९५०. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०००९, पृ. १८, विपाकसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५०. प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-८६ पाकाहेम १०४१७, पृ. ९, विपाकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम १४८९८, पृ. २२, विपाकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ५, पृ. ९२-१०७, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. विप्रवक्त्रमुद्गर सं., गद्य, आदि वाक्यः केवलज्ञानसिद्धौ प्रमाणं अस्ति समस्तवस्तुगोचरं... भांका २९२- पे.क्र. १५, पृ. २८B-२९B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ विभक्तिप्रकरण (विचारमुखप्रकरण) आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१४१, आदि वाक्यः निम्मलनाणपयासियवत्थुविभतुं नमितु वीरजिणं... पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. १३, पृ. १४१-१५४, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ विमलगिरिस्तवन सं., पद्य, आदि वाक्यः कियद्दरे भ्रातर्विमलगिरिनामा नगवरः... पाताखेत ३- पे.क्र. २, पृ.?, गौतमस्वामी स्तुति आदि, वि-१२९२, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-६१/६३ विमलदण्डनायकप्रासादप्रबन्ध सं., पद्य, श्लोक३४, पाकाहेम २०९७- पे.क्र.४, पृ. २, शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्धादि, वि-१७मी, संपूर्ण 668 Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झे. पृष्ठ- २ विमलप्रश्नोत्तर रत्नमालिका जुओ प्रश्नोत्तररत्नमालिका आचार्य विमलसूरि संस्कृत, का.२८ विमलसोमसूरि गुरु बारहमासा मुनि - ज्ञानसोम, मारुगूर्जर, पद्य, गा. ३७, आदि वाक्यः चुवीसइ जिनपय नमी समरी सरसति मात..... पुप्रे ४५५-६- पे.क्र. १, पृ. ५, विमलसोमसूरि गुरु बारहमासा, संपूर्ण प्रत विशेष प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. कुल झे. पृष्ठ-५ विमलाचलस्तोत्र कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित जुओ कातन्त्रव्याकरण सन्धिसूत्रगर्भित विमलाचलस्तोत्र, संस्कृत विमानविचार जुओ भौगोलिकपरिमाणगाथा, प्राकृत, गा. ५२ वियारसत्तरी जुओ- विचारसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य - महेन्द्रसिंहसूरि, प्राकृत विरदमाला जुओ - पार्श्वजिनस्तुति, आचार्य चक्रेश्वरसूरि, संस्कृत, श्लोक२४ विरहिणीप्रलापकाव्य (षऋतुवर्णनकाव्य) कवि-केलि, सं., पद्य, का. ५५, आदि वाक्यः सा बोध्या भारती भव्या न नताऽमरसेनया एक्या भक्तिपरया न न तामरसेन या ।।१।।... पाकाहेम ६६२३- पे. क्र. ६, पृ. २, विक्रमाककाव्य आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ३६-३७ भेगां छे., कुल झे. पृष्ठ-४४ विलासवतीकथा जुओ शीलविषये विलासवतीकथा, संस्कृत श्लोक५५२ विवागसुअं जुओ - विपाकसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.१३१६ विवागसुत्त जुओ - विपाकसूत्र, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं.१३१६ विवाहपटल विविध क्रियासङ्ग्रह - सं.. पाकाहेम १०७२५ पृ. १० विवाहपटल, वि-१८मी संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, आदि वाक्यः क्रियासं पृथक् पृथक् चतुर्दशी क्रियायां सिद्धभक्ति.... भांका २९३ पे क्र. १२. पृ. ५९B-६१, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे. पृष्ठ २२, डीवीडी- ९१ विविध छन्दोमयी क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिका जुओक्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिकाविविध छन्दोमयी, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत श्लोक२५ विविध तपश्चर्याविधि - प्रा., आदि वाक्यः पुरिमड्दु उपवासु एक्कासणं नीविरं आम्बिलु.... भांता ७०- पे.क्र. ५७, पृ. ६३A-६८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण सं., पद्य, " प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ विविध धार्मिक विषयक सुभाषितसङ्ग्रह पातासंघवीजीर्ण ५२- पे क्र. ४, पृ. ( ग ) ४-८७, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- नीतिगत विविध सूक्तिसंग्रह, पे. विशेष- त्रुटक., वचमां घणां पत्रो नथी. प्रत विशेष पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी, झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-५७/६० विविध विषयक औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह जुओ- औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह, संस्कृत 669 Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती विविध विषयक प्रक्रमसङ्ग्रह सं., पद्य, पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १७, पृ. ३१B-६५A, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- विविध विषयक औपदेशिक श्लोकसंग्रह प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ विविध विषयक सुभाषित सङ्ग्रह सं.,प्रा., पद्य, आदि वाक्यः नमस्कारपद्धतिः ध्यानाग्ने धूमवल्लिः प्रशमरससरः... पातासंघवीजीर्ण ५२- पे.क्र. २, पृ. (ख)१-२०, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सूक्तसङ्ग्रह प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी., झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-५७/६० विविधकथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) पाकाहेम ११२२१, पृ. २०, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र १०मुंडबाल छे. कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १३, पृ. १७A-१९B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- दृष्टान्तकथासंग्रह विविध विषयक प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ विविधकथासङ्ग्रह दानादिफलविषयक जुओ - दानादिफलविषयक विविधकथासङ्ग्रह, संस्कृत विविधचित्रबद्ध वीरजिनस्तवन जुओ - वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध, आचार्य-कुलमण्डनसूरि, संस्कृत, का.२१ विविधचित्रबद्ध वीरस्तवन जुओ - वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, श्लोक२८ विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त महावीरस्तुति जुओ - महावीरस्तुति विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त#, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत, का.२५ विविधछन्दोबद्ध नेमिस्तुति जुओ - नेमिनाथस्तुति विविधछन्दोबद्ध, अज्ञात-शिवलक्ष्मी, संस्कृत, का.४६ विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव (पार्श्वनाथस्तव विविधछन्दोबद्ध) सं., पद्य, श्लोक३०, पाकाहेम ८२३५, पृ. ४, विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३५, पृ. ४, विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ८२३५, पृ. ४, विविधछन्दोबद्धपार्श्वनाथस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विविधतीर्थस्तुति (तीर्थमाला चतुर्विंशतिकास्तुति), (चतुर्विंशतिकास्तुति) प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः महन्ति जे भावजुया... 670 Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२२८२- पे क्र. १ पृ. १ विविधतीर्थस्तुति तीर्थमालाचतुर्विंशतिकास्तुति तथा ज्ञानपञ्चमीस्तुति, वि१७मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-२ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन (जिनस्तवन विविधभाषाबद्ध ) आचार्य जयचन्द्रसूरि प्रा. सं., अप, पद्य, श्लोक२३. पाकाहेम ७४०७, पृ. १, विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१७००. कुल झे. पृष्ठ- २ विविधभाषाबद्धजिनस्तवन- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०७, पृ. १, विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१७००. कुल झे. पृष्ठ-२ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०७ पृ. १ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष श्लोक-१७०० कुल झे. पृष्ठ- २ विविधयोगविधिसङ्ग्रह प्रा., सं., गद्य, आदि वाक्यः सुत्ते अत्थे भोयणे काले आवस्सएय..... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५१, पृ. १०३-१२०, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम योगविधि, प्रतिक्रमण व प्रत्याख्यानादि पे विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ५५-६०. , प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ - पे.क्र. ४, पृ. ७A-१७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- दीक्षोपरान्त विविधयोगविधि संग्रह विवेककलिका प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५ +१५९ = २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८ - ४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १२, पृ. १२B - १६B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पं. नाम विविध योगविधिसंग्रह प्रत विशेष - पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है.. कुल झे. पृष्ठ-४१ मुनि नरेन्द्रप्रभ मलधारी, सं., पातासंघवीजीर्ण ५२ - पे क्र. ६, पृ. (ग) १३८ - १६०, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष - १३८, १३९, १४१ पत्रो नथी. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी, झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-५७/६० विवेककुलक बहू आचार्य - जिनप्रभसूर, अप., पद्य, गा. ३२, आदि वाक्यः धणिणो कविणो जइणो तवस्सिणो दाणिणो पाताखेत ६- पे.क्र. १२, पृ. ११५-११८, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष शुद्ध प्रति - 671 लोया... Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ विवेकधैर्याश्रय जैनेतर-रघुनाथ, सं., पाकाहेम १४९७३, पृ. ८, विवेकधैर्याश्रय, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र बीजुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-४ विवेकमञ्जरी कृ.विः आसड कृत? पातासंघवी १९५-२- पे.क्र. ५, पृ. ११८-१३६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ऐक्यं गाथा-१४४., डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १०, पृ. ८२-८७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ८३-८४-८५ पत्र नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १२२- पे.क्र. ६, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ भांता २४- पे.क्र. १२, पृ. ९४B-११०B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ विवेकमञ्जरीप्रकरण आसड, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १२८८, गा.१४४, आदि वाक्यः सिद्धिपुर सत्थवाहं वीरं नमिउण चरमजिणनाहं।... पाताखेत ५- पे.क्र. १९, पृ. १९९-२१६, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४५- पे.क्र. ११, पृ. ११४-१२५, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र.३, पृ. ५७-६९, उपदेशमाला आदि, त्रुटक ___डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १५१- पे.क्र.९, पृ. १२४-१३७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६४- पे.क्र. ६, पृ. १८९-२०१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४५. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६५- पे.क्र.४, पृ. १५३-१६९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- विवेकमंजरीपकरण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६०-६८. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १५, पृ. २८१-३००, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. ८, पृ. २१८-२२३, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ 672 Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १३, पृ. १४९-१५६, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३५, पृ. २१५-२२०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. ५, पृ. १०४-११८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. ९, पृ. ६३-७५, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ७६ थी १४१ नथी. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं ११९- पे.क्र. ९, पृ. १३७-१४९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २४, पृ. २१०-२१७, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४४. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र.८, पृ. २३०-२३९, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ तालाद ३२६- पे.क्र. ८, पृ. ६५-७६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२२. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८९- पे.क्र. ११, पृ. १-१३, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७-पे.क्र. ८, पृ. १४८A-१६३०, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.८, पृ. २५-२८, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २६, पृ. ९६-१०१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११४. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ६७०८, पृ. १२८, विवेकमञ्जरीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२९ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. ५, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०१४९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, ऋषिमण्डलप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०३९९, पृ. ७, विवेकमञ्जरीप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०६१८, पृ. ४, विवेकमञ्जरीप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १४९८४- पे.क्र. ५, पृ. ७९-८१, सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि, वि-१५०४, संपूर्ण 673 Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्रमा पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १६६५७, पृ.७, विवेकमञ्जरी प्रकरण, वि-१५८९, संपूर्ण प्रत विशेष- रचना संवत-१२७८. कुल झे.पृष्ठ-८ विवेकमञ्जरीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-बालचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८०००, आदि वाक्यः (१) नाभिनन्दनविभोर्वदनं मुदेऽस्तु...(२) श्रीनाभिनन्दन... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाकाहेम ६७०८, पृ. १२८, विवेकमञ्जरीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२९ विवेकमञ्जरीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-बालचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८०००, आदि वाक्यः (१) नाभिनन्दनविभोर्वदनं मुदेऽस्तु...(२) श्रीनाभिनन्दन... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पाकाहेम ६७०८, पृ. १२८, विवेकमञ्जरीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२९ विवेकविलास आचार्य-जिनदत्तसूरि, सं., रचना सं. विक्रम १४९३, पातासंघवी २०४-१, पृ. १६३, विवेक विलास, संपूर्ण प्रत विशेष- चेल्लुं १ पत्र नथी. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६३, पृ. १९४-२२८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १९४-१९५-१९७-१९८ घसायेला पत्र २०४, २०६-२०७, २१४, २१५ नो १-१ टुकडो छे. छेवटे १ चित्र हतुं ते घसाई गयुं छे. डीवीडी-३८/५५ पाकाहेम १४९००, पृ. ५०, विवेकविलास, वि-१४५६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५० भांका २३३, पृ. १५, विवेकविलास, संपूर्ण डीवीडी-८८ विशाललोचन वीरस्तुति (वीरजिनस्तुति) सं., पद्य, आदि वाक्यः विशाललोचनदलं... पाकाहेम ७५०५- पे.क्र.२, पृ. १, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. २, पृ. १-२, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १११५१- पे.क्र. ५, पृ. ७B-CA, महासता-सतीकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ विशाललोचन वीरस्तुति-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ७५०५- पे.क्र. २, पृ. १, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२ 674 Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती विशाललोचन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. २, पृ. २, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ विशाललोचन वीरस्तुति-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ७५०५- पे.क्र. २, पृ. १, नमोऽस्तु वर्धमानाय सटीक आदि, वि-१६६१, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२ विशाललोचन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७५०६- पे.क्र. २, पृ. २, नमोऽस्तु वर्धमानाय सावचूरिक आदि, वि-१८९२, संपूर्ण पे. नाम- विशाललोचन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ विशेषचूर्णि जुओ - निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेष चूर्णि, गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.१७८८४, श्लोक२८००० विशेषचूर्णिव्याख्या जुओ - निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, श्लोक११०० विशेषचूर्णी जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णी, प्राकृत, ग्रं.११००० विशेषणवती गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.३४८, ग्रं.४१९, आदि वाक्यः उस्सेहगुलमेगं... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २९, पृ. २०१B-२१९B, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-४६ अपूर्ण तक है. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पुप्रे ४१८ - पे.क्र. १, पृ. १-१६३, विशेषवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- विशेषणवती सह टिप्पणी कुल झे.पृष्ठ-१७२ विशेषणवती-(सं.)टिप्पण सं., पद्य, आदि वाक्यः उतेसेधाङ्गुलमिति कोर्थः उच्यते... पुप्रे ४१८ - पे.क्र. १, पृ. १७२, विशेषवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- विशेषणवती सह टिप्पणी कुल झे.पृष्ठ-१७२ विशेषणवती-(सं.)टिप्पण सं., पद्य, आदि वाक्यः उतेसेधागुलमिति कोर्थः उच्यते... पुप्रे ४१८ - पे.क्र. १, पृ. १७२, विशेषवती आदि, संपूर्ण पे. नाम- विशेषणवती सह टिप्पणी ___कुल झे.पृष्ठ-१७२ विशेषवृत्ति जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)दोघट्टीवृत्ति, आचार्य-रत्नप्रभसूरि, संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश, ग्रं.११७६४ विशेषवृत्ति जुओ - भगवतीसूत्र-(सं.)टीका, आचार्य-अभयदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८६१६ विशेषावश्यकमहाभाष्य गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.४३१४, पाताहेसं २२, पृ. ३६३, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २३, पृ. ४३६, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण 675 Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- आ ज ग्रंथने गा.के. नं.३५मां आवश्यकवृत्ति कर्ता -हरिभद्रसूरि एम लख्युं छे. डीवीडी-३/१३ भांता १५, पृ. १३९, विशेषावश्यकभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११०५. ग्रंथ खराब छे., गाथा-४३३६. डीवीडी-६७/७६ भांता १६, पृ. ३३२, विशेषावश्यकभाष्य व्याख्यान सहित, वि-११३८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११०६. नंबर आडा अवळा छे. डीवीडी-६७/७६ पाकाहेम १४८४३, पृ. ३९६, विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण कुल झे.पृष्ठ-३९५ विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)वृत्ति आचार्य-कोट्याचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१३७००, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो वुच्छं चरणगुणसङ्गहंसयलं... भांता १६, पृ. ३३२, विशेषावश्यकभाष्य व्याख्यान सहित, वि-११३८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११०६. नंबर आडा अवळा छे. डीवीडी-६७/७६ विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति (शिष्यहिता बृहद्वृत्ति), (बृहद्वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७५, ग्रं.२८०००, आदि वाक्यः श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रविश्रुतकुल... पातासंघवीजीर्ण १, पृ. ३१८, विशेषावश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, वि-१४५३, त्रुटक प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त. डीवीडी-५६/५९ पाताहेसं २२, पृ. ३६३, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २३, पृ. ४३६, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- आ ज ग्रंथने गा.के. नं.३५मां आवश्यकवृत्ति कर्ता -हरिभद्रसूरि एम लख्युं छे. डीवीडी-३/१३ भांता १४, पृ. ३४४, शिष्यहिता-विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१११२. ग्रंथ खराब छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पत्र २ थी २५ खूटे छे. डीवीडी-६७/७६ पाकाहेम १४८४३, पृ. ३९६, विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण छे. कुल झे.पृष्ठ-३९५ विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)वृत्ति आचार्य-कोट्याचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१३७००, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो वुच्छं चरणगुणसङ्गहंसयलं... भांता १६, पृ. ३३२, विशेषावश्यकभाष्य व्याख्यान सहित, वि-११३८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११०६. नंबर आडा अवळा छे. डीवीडी-६७/७६ विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति (शिष्यहिता बृहद्वृत्ति), (बृहद्वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७५, ग्रं.२८०००, आदि वाक्यः __ श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रविश्रुतकुल... पातासंघवीजीर्ण १, पृ. ३१८, विशेषावश्यकवृत्ति द्वितीय खण्ड, वि-१४५३, त्रुटक 676 Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त. डीवीडी-५६/५९ पाताहेसं २२, पृ. ३६३, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण __डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २३, पृ. ४३६, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- आ ज ग्रंथने गा.के. नं.३५मां आवश्यकवृत्ति कर्ता -हरिभद्रसूरि एम लख्युं छे. डीवीडी-३/१३ भांता १४, पृ. ३४४, शिष्यहिता-विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति, संपूर्ण __प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१११२. ग्रंथ खराब छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पत्र २ थी २५ खूटे छे. डीवीडी-६७/७६ पाकाहेम १४८४३, पृ. ३९६, विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण कुल झे.पृष्ठ-३९५ विशोपसर्गाधिकार कृ.विः अनुकम्पादाने पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ विशोपसर्गाधिकार-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ विशोपसर्गाधिकार-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ विश्वतत्त्वप्रकाश जुओ - मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश, अज्ञात-भावसेन, संस्कृत विषमगाथाविवरण जुओ - पिण्डनियुक्ति-(सं.)विषमगाथाविवरण, संस्कृत विषमदण्डिका जुओ - दुषमगण्डिका, प्राकृत, ग्रं.१०४, गा.८१ विषमपद टिप्पण जुओ - जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.११२० विषमपद विवरण जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)विषमपदविवरण, संस्कृत, गा.६३ विषमपद व्याख्या जुओ - जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.११२० विषमपदपर्याय टीका जुओ - नन्दीसूत्र-(सं.)विषमपदपर्याय, संस्कृत विषमपदपर्याय वृत्ति जुओ - दशवैकालिकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.)विषमपदपर्याय, संस्कृत विषमपदावबोध टिप्पनक जुओ - प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.३२०३ विषमपदावबोध टीका जुओ - प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.३२०३ विषमपादपञ्जिका (चिह्नभट्टी विषमपादपञ्जिका) जैनेतर-चिह्नभट्ट, सं., गद्य, आदि वाक्यः विघ्नान्धकार भास्वन्तं गजवक्त्रं कृपानिधि... कृ.विः कर्ता-जालपिद्दि भट्टाचार्यशिष्य-विष्णु? पाकाहेम १६७९४- पे.क्र.३, पृ. ६-९, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ,न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० विषमवृत्तसप्तक सं.. पाकाहेम ८६८६, पृ. ५, विषमवृत्तसप्तक व्याख्यासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ 677 Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती विषमवृत्तसप्तक-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ८६८६, पृ. ५, विषमवृत्तसप्तक व्याख्यासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विषमवृत्तसप्तक-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ८६८६, पृ. ५, विषमवृत्तसप्तक व्याख्यासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ विषयनिग्रहोपदेशकुलक जुओ - विषयानुशासनाकुश, प्राकृत, गा.२५ विषयनिन्दापञ्चाशत् प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः पणमिय वीयरायं... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ११, पृ. ९१-९३, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम ७७९९- पे.क्र. १, पृ. १, विषयनिन्दापञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ विषयपरिहारे रत्नशेखरराजकथा जुओ - रत्नशेखरराजकथा विषयपरिहारे, संस्कृत विषयानुशासनाकुश (अनुशासनाकुश), (विषयनिग्रहोपदेशकुलक), (अनुशासनकुलक) प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः विसमो विसयविसदुमो वेरग्गकरेण... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र.६, पृ. २५-२९, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ भांता ६९- पे.क्र. २३, पृ. १५०B-१५३A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ६, पृ. ६टुं, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ विष्कम्भपरिधिमान याय सं., गद्य, पाताहेसं ११०- पे.क्र. ११, पृ. ?, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. कोई नयी प्रत के पत्र है. झेरोक्षपत्र-३३-३४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ विहरमानजिनपञ्चकल्याणकस्तव आचार्य-आनन्दविमलसूरि, सं., पद्य, का.२२, आदि वाक्यः श्रेयांस्यवाप्ता जननी... पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. २, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण विहरमानजिनस्तवन सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः श्रीसीमन्धर प्रथमो द्वितीयो युगमिन्धरः... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.४८, पृ. ११६, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. __कुल झे.पृष्ठ-१४५ वीतरागस्तव आचार्य-देवभद्रसूरि, प्रा., कृ.विः अन्तवाक्य-श्रीवीतरागस्तवनादमुष्मात् पुण्यं यदाप्तं भवतांतौ मे. पाताखेत ५४-१- पे.क्र. १, पृ. ९३-९६, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण 678 Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ वीतरागस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताखेत ५४-१- पे.क्र. १, पृ. ९६-९८, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ वीतरागस्तव जुओ - वीतरागस्तोत्र, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.१८७ वीतरागस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाताखेत ५४-१- पे.क्र. १, पृ. ९६-९८, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ वीतरागस्तवन जुओ - प्रभातकुलक, संस्कृत, श्लोक१३ वीतरागस्तवन आचार्य-जैत्रसूरि, सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः शान्तं शिवं शिवपदस्य... पाकाहेम १२३७४- पे.क्र.४, पृ. १, परमात्मद्वात्रिंशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण वीतरागस्तवन सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः ॐकारस्फाररूपं परमपदगतं... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र.३, पृ. १B-२A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ वीतरागस्तोत्र सं., पद्य, गा.९, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४८, पृ. १३७-१३८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ वीतरागस्तोत्र (वीतरागस्तव) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यअध्याय२०, ग्रं.१८७, आदि वाक्यः यः परात्मा परञ्ज्योतिः परमः परमेष्ठिनाम्... कृ.विः प्रकाश-२०. पातासंघवीजीर्ण ६०- पे.क्र. २, पृ. १-२२, उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. विशेष- जीर्ण-त्रुटक छे., प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र-१४९ थी १६९ छे., डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १०८- पे.क्र.७, पृ. १९१-२०९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र. ११, पृ. ३९-५४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७४- पे.क्र. २, पृ. ३२-४५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र ४४नो १ टुकडो नथी. झेरोक्ष पत्र-११-१८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ५५-२- पे.क्र.६, पृ. १०५-१३७, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. १०, पृ. २४१-२४९, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण 679 Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. ४, पृ. ६८-८२, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १५, पृ. १८५-१९८, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १७०-२- पे.क्र. २, पृ. १३०-१५६, योगशास्त्र द्वादश प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-१- पे.क्र. २, पृ. १०१-११९, योगशास्त्र द्वादश प्रकाश तथा वीतरागस्तव, वि-१२२८, संपूर्ण पे. विशेष- कुमारपाळना विद्यमानपणे कोई प्राग्वाटे लखावी छे. लखावनारना प्रशस्ति त्रुटक छे. __ डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी १९८-२-पे.क्र. ६, पृ. ३४-४८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. २, पृ. ६७-९५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. २, पृ. १५-२०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२००. पत्र १७-१९मुं नथी ने २० मानो टुकडो छे., डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११६- पे.क्र.८, पृ. २४७आ-२६०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रकाश-११ तक है. झेरोक्ष पत्र-९१-९७. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४४, पृ. ३१६-३२५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. १३, पृ. ३०५-३१६, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण पे. नाम- वीतरागस्तव २० प्रकाश डीवीडी-९/१९ भांता २४- पे.क्र. १५, पृ. १२८B-१२९B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. नाम- वीतरागस्तोत्र (१-२) प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता ७२- पे.क्र. २३, पृ. १२२B-१३९A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-४७२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. ३, पृ. ४६-५९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३३६- पे.क्र. २, पृ. १०९-२३५, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- वीतरागस्तोत्र सह टीका प्रत विशेष- ८९ नंबर पार्नु नथी. ___ कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ अताका ४९७- पे.क्र. १६, पृ. २३७A-२५७B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. पत्रांक २५६ नहीं है. हेमचन्द्राचार्य व महाराजा कुमारपाल भूपाल का प्रासंगिक चित्र है. 680 Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रत विशेष प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे. पृष्ठ- १२७, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २१, पृ. ५१-५५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है.. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८७ पृ. १३९-१४३ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ-१४५ पाकाहेम २३२४, पृ. ७ वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध करेली छे. कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम ९५४६- पे क्र. १३. पृ. १२२-१३३ उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१८६, पृ. ६ वीतरागस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ पाकाहेम १०६६०, पृ. १० वीतरागस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम १०६६१, पृ. ५. वीतरागस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १२१२४- पे क्र. २ पृ. ३-११ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ पाकाहेम १६७७२, पृ. ६ वीतरागस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१८६. कुल झे. पृष्ठ-७ पाकाहेम १६७७३, पृ. ७ वीतरागस्तोत्र सावचूरि, वि-१५२२, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ वीतरागस्तोत्र (सं.) टीका आचार्य प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, तालाद ३३६ - पे.क्र. २, पृ. १०९ - २३५ प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- वीतरागस्तोत्र सह टीका प्रत विशेष ८९ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १५६, डीवीडी- ९४ / ९६ वीतरागस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६६२, पृ. ५ वीतरागस्तवावचूरि वि-१५३५. संपूर्ण प्रत विशेष जीर्णप्राय कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०६६३ पृ. ७ वीतरागस्तवावचूरि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ वीतरागस्तोत्र (सं.) अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः अवचूरि प्रभानन्दसूरिवृत्त्यानुसारिणी. पाकाहेम २३२८- पे.क्र. १, पृ. १-३, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमां मूकेली प्रति 681 Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१० वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि मुनि-विशालराजशिष्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५१२, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः जयति श्रीजिनो वीरः सर्वज्ञः सर्वकामदः... पाकाहेम १६७७३, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सावचूरि, वि-१५२२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः यः किल परात्मा स... पाकाहेम १६७७२, पृ. ६, वीतरागस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थान-१८६. कुल झे.पृष्ठ-७ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः अत्राद्यसार्धश्लोकस्य त्रयपदानां... पाकाहेम २३२४, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६६२, पृ. ५, वीतरागस्तवावचूरि, वि-१५३५, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०६६३, पृ. ७, वीतरागस्तवावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, कृ.विः अवचूरि प्रभानन्दसूरिवृत्त्यानुसारिणी. पाकाहेम २३२८- पे.क्र. १, पृ. १-३, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि मुनि-विशालराजशिष्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५१२, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः जयति श्रीजिनो वीरः सर्वज्ञः सर्वकामदः... पाकाहेम १६७७३, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सावचूरि, वि-१५२२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः यः किल परात्मा स... पाकाहेम १६७७२, पृ. ६, वीतरागस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थान-१८६. कुल झे.पृष्ठ-७ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः अत्राद्यसार्धश्लोकस्य त्रयपदानां... पाकाहेम २३२४, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ 682 Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीतरागस्तोत्र (सं.) टीका आचार्य प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, तालाद ३३६- पे. क्र. २, पृ. १०९-२३५ प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी संपूर्ण पे. नाम- वीतरागस्तोत्र सह टीका वीरजन्मोत्सव मारुगूर्जर, पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. १, पृ. १-२ प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १५६, डीवीडी- ९४ / ९६ कुल झे. पृष्ठ-८१ वीरजिन सिद्धिगमन पश्चात् मोक्षगामी गणधरों का वर्षमान कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. गद्य, आदि वाक्यः वीरजिणे सिद्धिगए वारस वरिसेहिं गोयमा सिद्धा..... 3 " पाताहेसं १६६- पे.क्र. २, पृ. १०२B, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण वीरजिनतीर्थस्वरूप (वीरतित्थसरुव) प्रत विशेष - मूल पत्रांक- १३४ + १२ = १४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पानुं ६४ सुधी ज छे. कुल झे. पृष्ठ - ६४, डीवीडी-९/१८ प्रा., पद्य, आदि वाक्यः चउसट्टिवरिससत्तरिसए य जन्तुम्मि थूलभद्दम्मि.... कृ.वि. अं. वाक्य एसा अनामगाणं वीरेण पहूण पिंडिआ संखा ताणं पुण परिवारो अनामगोयल्लिउ चेव. भांता ७०- पे.क्र. ९७, पृ. १३५A - १३५B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३२. वीरजिनदृष्टदशस्वप्नार्थ वीरजिनविज्ञप्ति प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५००- २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ प्रा., गद्य, आदि वाक्य: जेन तालपिसायं पराजियं पासित्ता.... कृ.वि आदिवाक्य का प्रथम अक्षर संदिग्ध है. भांता ७० पे क्र. १४८ पृ. १९९४-२००A अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण - वीरजिनस्तव - वीरजिनविनन्तिस्तवन पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४६. प्रत विशेष सूचीपत्र नं ३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ अप., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणेसर तिजयनाह दुहसयदावानलनीरवाह.... पातासंघवी १५६-१- पे. क्र. १०, पृ. १२८मुं. उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ - गणि-नगा, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १०२३०, पृ. ५, वीरजिनवीनतिस्तवन, वि-१६९८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ 683 Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. पद्य, गा४३. आदि वाक्यः नमिऊण जिणं जयजीवबन्धवं भवियकुमुयरयणियरे..... " पातासंघवीजीर्ण ६५- पे क्र. १०, पृ. ?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक प्रत विशेष- अति जीर्ण- त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १२, पृ. १०६-१०८, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक, वि-१५३८, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- १७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. १५ पृ. १६० १६२, ओघनिर्मुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक प्रकरण कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३१ पाकाहेग ६५६९- पे क्र. ९ पृ. १-३८ मरणविधिप्रकीर्णक आदि वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०५५६- पे.क्र. ६, पृ. ४६-४८, भक्तपरिज्ञा आदि, वि - १५५४, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र - ११ थी २२ नथी. वीर जिनस्तव आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, का. १५, पाकाहेम १२३४५- पे.क्र. २, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि१५मी संपूर्ण पे. नाम वीरस्तव सह ( सं . ) टिप्पणी वीरजिनस्तव - (सं.) टिप्पणी सं., पद्य, पाकाहेम १२३४५- पे.क्र. २, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि१५मी संपूर्ण पे. नाम वीरस्तव सह ( सं . ) टिप्पणी वीरजिनस्तव आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, पाकाहेम १००८८- पे. क्र. ६. पृ. १२०, तन्दुलवैचारिक चन्द्रवेध्यक- देवेन्द्रस्तव गणिविद्या महाप्रत्याख्यानवीरस्तवअजीवकल्पप्रकीर्णक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ११, पृ. ८-९, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ९ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध (अष्टादशचक्रबद्ध वीरस्तव), (वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध), (विविधचित्रबद्ध वीरजिनस्तवन) आचार्य - कुलमण्डनसूरि, सं., पद्य, का. २१, आदि वाक्यः विश्वसिद्धरजश्छिदे..... पाकाम ८२३१, पृ. १, विविध चित्रबद्धवीर जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ वि- १४८६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३१७, पृ. १, अष्टादशचक्रबद्धवीरस्तव सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष अतिजीर्ण पाकाहेम १२३७१- पे. क्र. ४ पृ. १ साधारणजिनस्तवन आदि वि-१५मी संपूर्ण वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ८२३१, पृ. १, विविधचित्रबद्धवीरजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम १२३१७, पृ.१ अष्टादशचक्रबद्धवीरस्तव सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अतिजीर्ण 684 Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ८२३१, पृ. १, विविधचित्रबद्धवीर जिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ वि-१४८६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ पाकाहेम १२३१७, पृ. १, अष्टादशचक्रबद्धवीरस्तव सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष अतिजीर्ण वीरजिनस्तव क्रियागुप्त (क्रियागुप्त वीरजिनस्तव) सं., पद्य, का. १६, पाकाहेम १२३७९- पे.क्र. २, पृ. २जुं, पार्श्वजिनस्तव - क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि-१४८३, संपूर्ण पे. नाम- वीरस्तव क्रियागुप्त सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष - पंचपाठ., कुल झ. पृष्ठ-७ झे. वीरजिनस्तव क्रियागुप्त- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १२३७९ पे क्र. २. पृ. ६ पार्श्वजिनस्तव क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि वि-१४८३. संपूर्ण पे नाम वीरस्तव क्रियागुप्त सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष- पंचपाठ, कुझे पृष्ठ वीरजिनस्तव क्रियागुप्त- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १२३७९ - पे.क्र. २, पृ. ६, पार्श्वजिनस्तव - क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि, वि - १४८३, संपूर्ण पे. नाम - वीरस्तव क्रियागुप्त सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष - पंचपाठ., कुल झे. पृष्ठ-७ वीरजिनरतव (सं.) टिप्पणी कृति उपरथी प्रत माहिती वीर जिन स्तवन सं पथ, पाकाहेम १२३४५- पे क्र. २. पृ. १ अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकमय तथा वीरस्तव सटिप्पणी, वि १५मी, संपूर्ण पे. नाम वीरस्तव सह (सं.) टिप्पणी सं., पद्य, का ७, आदि वाक्यः सिद्धमपारसुबुद्धि..... पाकाहेम १२३८८- पे.क्र. ३, पृ. १, चतुःशरण आदि, वि-१७२२, संपूर्ण वीरजिनरतवन द्व्याश्रयमय जुओ द्व्याश्रयमय वीरस्तवन आचार्य जिनप्रभसूरि, संस्कृत श्लोक १७ वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध जुओ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध, आचार्य कुलमण्डनसुरि, संस्कृत, का. २१ वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध (विविधचित्रबद्ध वीरस्तवन) आचार्य जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक२८ आदि वाक्य चित्रैः स्तोष्ये जिनं वीरं..... कृ.विः मुहूर्तराजान्तर्गत पाकाहेम ११३०८- पे क्र. २, पृ. १-२ अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि वि-१६मी, संपूर्ण - कुल डी. पृष्ठ-९ पाकाहेम १२३१६, पृ.१ विविधचित्रमयवर्धमानजिनस्तोत्रसावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का. २७. वीरजिनस्तवन विविधचित्रबद्ध - (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३१६, पृ. १, विविधचित्रमयवर्धमानजिनस्तोत्रसावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का. २७. वीरजिनरतवन विविधचित्रबद्ध (सं.) अवचूरि सं., गद्य, 685 Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२३१६, पृ. १, विविधचित्रमयवर्धमानजिनस्तोत्रसावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का.२७. वीरजिनस्तवन सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भित जुओ - सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन, मुनि-गुणविजय, संस्कृत, का.१९ वीरजिनस्तुति जुओ - नमोस्तुवर्धमानाय वीरस्तुति, संस्कृत वीरजिनस्तुति जुओ - महावीरस्तोत्र, प्राकृत, गा.२१ वीरजिनस्तुति जुओ - विशाललोचन वीरस्तुति, संस्कृत वीरजिनस्तुति सं., पद्य, का.१, आदि वाक्यः श्रीमद्वीरजिनोदित... __ पाकाहेम १२३६१- पे.क्र. ५, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण वीरजिनस्तुति (अणोझाथुई) सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः यद िनमनादेव... पाकाहेम १२३६२- पे.क्र. ४, पृ. १, यमकमयपार्श्वनाथस्तव आदि, वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३६५- पे.क्र. ६, पृ. ७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण वीरजिनस्तुति प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः अमहेलं अमहेलं... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. ३, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण वीरजिनस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः नताशेषलेखं... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. ६, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण वीरजिनस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः नमत त्रिभुवनसारं... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र.७, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण वीरजिनस्तुति जुओ - स्नातस्या-वीरस्तुति, आचार्य-बालचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.४ वीरजिनस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः सकलसुरासुरपूजिताय... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ९, पृ. ५७A-६३B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ वीरजिनस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः भक्तिसारकलौ... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १०, पृ. ६४A-६६B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ वीरजिनस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः जय जय वीरजिणेसर... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ११, पृ. ६७०-७०B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ वीरजिनस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, अप., पद्य, गा.१२, कृ.विः अन्त वाक्य-संथुय पय परमेसर वीर लहुं देहि मेसि. पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १२, पृ. ७१A-७४A, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ 686 Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वीरजिनस्तुति सं., पद्य, आदि वाक्यः ...नौमि वीरं... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र.६, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. श्लोक-१ का प्रथम पाद अपूर्ण है. झेरोक्ष पत्र-९२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० वीरजिनस्तोत्र-जैत्रपुरमण्डन (जैत्रपुरमण्डन-वीरजिनस्तोत्र) मुनि-रत्नसिंह, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्य: तुभ्यं नमः शुभ सुजैत्रपुरावतार... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. १, पृ. १A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ वीरतित्थसरूव जुओ - वीरजिनतीर्थस्वरूप, प्राकृत वीरद्वात्रिंशिका जुओ - अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका', आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.३२ वीरसेन-कुसुमश्री कथानक पद्य-अनर्थदण्डव्रतोपरि (अनर्थदण्डव्रतोपरि वीरसेन-कुसुमश्री कथानक पद्य ) सं., पद्य, श्लोक३४७, पाकाहेम १०१७३, पृ. ६, वीरसेन-कुसुमश्रीकथानक पद्य अनर्थदण्डव्रतोपरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ वीरस्तव जुओ - कायस्थितिस्तव, संस्कृत वीरस्तव जुओ - महावीरस्तोत्र, प्राकृत, गा.२१ वीरस्तवन सं.,प्रा., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः सरभसनृत्यसुरयुवति... पाकाहेम १२३७२- पे.क्र.२, पृ. १, नेमिनाथस्तवन आदि, वि-१५मी, संपूर्ण वीरस्तवप्रकीर्णक प्रा., पद्य, गा.४३, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं जय जीवबन्धवं... भांका १२३- पे.क्र. १०, पृ. २३B-२४A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- वीरथउ, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३५८. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका २२७- पे.क्र. १०, पृ. ५४B-५६A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३५६. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ वृक्षाष्टक सं., पद्य, श्लोक१०, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १७, पृ. ५-६, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १७, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ वृत्तरत्नाकर जैनेतर-केदार भट्ट, सं., पद्य, कृ.विः छन्दोविषयक ग्रन्थ. पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. ४, पृ. ७५-८६, वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४८ पाताहेसं १४८, पृ. १२७, वृत्तरत्नाकर टीकासहित, संपूर्ण 687 Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- कर्तानाम जैनाचार्य तरीके सूचीपत्रमा लख्या छे. डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १९५०, पृ. ३, वृत्तरत्नाकर सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०३८४, पृ. २७, वृत्तरत्नाकर वृत्तिसहित, वि-१५२८, संपूर्ण प्रत विशेष- वृत्तिनुं नाम सुकविहृदयानन्दिनी छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १०६८४, पृ. ८, वृत्तरत्नाकर, वि-१७१०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०६८५, पृ. ६, वृत्तरत्नाकर, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०६८६- पे.क्र. २, पृ. २१-२७, सम्बन्धोद्योत आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १३४९६, पृ. २१, वृत्तरत्नाकर सटीक, वि-१७७८, संपूर्ण वृत्तरत्नाकर-(सं.)सुकविहृदयानन्दिनी टीका (सुकविहृदयानन्दिनी टीका) जैनश्रावक-सोलण, सं., गद्य, पाकाहेम १०३८४, पृ. २७, वृत्तरत्नाकर वृत्तिसहित, वि-१५२८, संपूर्ण प्रत विशेष- वृत्तिनुं नाम सुकविहृदयानन्दिनी छे. कुल झे.पृष्ठ-२८ वृत्तरत्नाकर-(सं.)वृत्ति जैनेतर-श्रीकण्ठ पण्डित, सं., गद्य, पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. १, पृ. १-४८, वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-२९/४८ वृत्तरत्नाकर-(सं.)टीका जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४८, पृ. १२७, वृत्तरत्नाकर टीकासहित, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्तानाम जैनाचार्य तरीके सूचीपत्रमा लख्या छे. डीवीडी-८/१७ वृत्तरत्नाकर-(सं.)टीका जैनेतर-सोमचन्द्र, सं., गद्य, पाकाहेम १३४९६, पृ. २१, वृत्तरत्नाकर सटीक, वि-१७७८, संपूर्ण वृत्तरत्नाकर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १९५०, पृ. ३, वृत्तरत्नाकर सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ वृत्तरत्नाकर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १९५०, पृ. ३, वृत्तरत्नाकर सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ वृत्तरत्नाकर-(सं.)टीका जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४८, पृ. १२७, वृत्तरत्नाकर टीकासहित, संपूर्ण प्रत विशेष- कर्तानाम जैनाचार्य तरीके सूचीपत्रमा लख्या छे. डीवीडी-८/१७ 688 Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वृत्तरत्नाकर (सं.) टीका जैनेतर सोमचन्द्र, सं., गद्य, पाकाहेम १३४९६ पृ. २१ वृत्तरत्नाकर सटीक, वि-१७७८, संपूर्ण वृत्तरत्नाकर - (सं.) वृत्ति जैनेतर श्रीकण्ठ पण्डित, सं., गद्य, पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. १. पू. १-४८ वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी - २९/४८ कृति उपरथी प्रत माहिती वृत्तरत्नाकर - ( सं .) सुकविह्रदयानन्दिनी टीका (सुकविह्रदयानन्दिनी टीका) जैन श्रावक- सोलण, सं., गद्य, पाकाहेम १०३८४, पृ. २७ वृत्तरत्नाकर वृत्तिसहित, वि-१५२८, संपूर्ण प्रत विशेष - वृत्तिनुं नाम सुकविहृदयानन्दिनी छे. कुल झे. पृष्ठ- २८ वृद्धचतुःशरण जुओ चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ वृद्धचाणक्य- राजनीतिशास्त्र (बृहत् चाणक्य राजनीतिशास्त्र ) ( चाणक्य राजनीतिशास्त्र) (बृहच्चाणक्य राजनीतिशास्त्र), (राजनीतिशास्त्र) सं.. पाकाहेम २७२५, पृ. ६. बृहच्चाणक्य वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम २७२६- पे.क्र. २, पृ. २-५, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ पाकाहेम १३६२१ पृ. ७ वृद्धचाणाक्यराजनीति, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ वृन्दावनमहाकाव्य कवि मानाङ्क, सं., पद्य, का. ५२, आदि वाक्यः वरदाय नमो हारये पतति जनोऽयं स्मरन्नपि न मोहरये ।.... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र. ४, पृ. ?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३६-३७ भेगां छे.. कुल झे. पृष्ठ-४४ वैजनाथ - वृश्चिकोत्तारणादिमन्त्रसङ्ग्रह सं., गद्य, पाकाहेम ८९१८ पृ. १ वृश्चिकोत्तारणादिमन्त्रसङ्ग्रह, वि-१७वी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ वेदपुराणोक्त ऋषभादिजिनोल्लेख सन्दर्भश्लोक सं., गद्य, आदि वाक्यः ॐ ऋषभं पवित्रं पुरुहूतमध्वरं ... भांका २८३ पृ. ५, वेदपुराणमध्ये जैनशास्त्रश्लोक, वि-२०वी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४, डीवीडी- ९० वेदाङ्कुश जुओ - द्विजवदनचपेटा-वेदाङ्कुश, आचार्य हरिभद्रसूरि, संस्कृत वैक्रिय वादिप्रमाण (चतुर्विंशतितीर्थकर मुनिसम्पदाप्रमाण) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः श्रीउसभ १ वेउव्विय १०६०० वादीत.... भांता ७० पे. क्र. १३४, पृ. १८५७-१८६B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ 689 Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अताका ४९६, पृ. १, वैजनाथ अपूर्ण, अपूर्ण वैरस्वाम्याद्युत्पत्तिकाल प्रा. पथ, गा४, आदि वाक्यः पञ्चसए किन्तणे वीरजिणिन्दे य सिद्धिमणुपत्ते.... " भांता ७० पे. क्र. ९८ पृ. १३५B- १३६A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष सूचीपत्रांक-२-७२. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२4 उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रत विशेष प्रत अपूर्ण. पू. जंबूविजयजी म. सा.नी ताडपत्री परथी लीघेली ताडपत्री झेरोक्ष), पाटण माइक्रोफिल्म रॉल नं.३२ अनुक्रमांक ६२८ उपर पर आनी विगत मळे छे ते माइक्रोफिल्म रॉल नं. अने शॉट नं. सांकळ्या छे. डीवीडी - १०३/१०४ वैराग्यकुलक वैराग्यकुलक जुओ वैराग्यकुलक जुओ पुण्यकुलक, प्राकृत, गा. १० वैराग्यकुलक जुओ धर्मोपदेशकुलक, आचार्य देवेन्द्रसूरि प्राकृत, गा. २२ वैराग्यकुलक कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ एगुणतीसी भावना प्राकृत, गा. ३० वैराग्यसज्जाय - मारुगुर्जर, पद्य, गा. १६. पाकाहेम ९८४०, पृ. २, वैराग्यकुलक, वि-१७मी संपूर्ण • - वैरोटयादेवी स्तवन प्रा., पद्य, गा.८, पाकाहेग ११०५८ पे.क्र. २ पृ. १ सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका आदि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष जीर्णप्राय. वैराग्यशतक जुओ पद्मानन्दशतक-वैराग्यशतक, कवि- पद्मानन्द संस्कृत, का. १०३ वैराग्यसज्झाय वैरोट्यास्तोत्र मुनि रङ्गविजय, मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम १०३०४, पृ. १, वैराग्यसज्झाय वि-१८१६. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ मुनि-मालमुनि, मारुगुर्जर, पद्य, गा. १०, पाकाहेम १०१३३- पे.क्र. ५, पृ. ?, गौतमपृच्छास्तवन आदि, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १२ झे. प्रा., पद्य, गा.३१, पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १६, पृ. १४६-१४८ उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५१ , प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः नमिउणजिणम्पासं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७९, पृ. १३२-१३३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका ( प्रशस्तपाद भाष्य ), ( पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका ), ( वैशेषिकभाष्य), (पदार्थ सङ्ग्रह) आचार्य प्रशस्तपादाचार्य, सं., पद्य, श्लोक७०७०, आदि वाक्यः प्रणम्य हेतुमीश्वरं मुनिं कणादमन्वतः.... पातासंघवी १४४-१- पे.क्र. २, पृ. १५६-२००, न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र), वि १२४२, संपूर्ण 690 Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ६६८४, पृ. १२, प्रशस्तपादभाष्य-वैशेषिकभाष्य, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १६७९४- पे.क्र. १, पृ. १-५, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ,न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- प्रशस्तपादवैशेषिकभाष्ये-द्रव्यपदार्थ कुल झे.पृष्ठ-१० वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका (पदार्थधर्मसङ्ग्रहनी (सं.)न्यायकन्दली टीका), (कन्दली टीका), (न्यायकन्दली टीका) जैनेतर-श्रीधर भट्ट, सं., गद्य, रचना सं. शक ९१३ , ग्रं.३७१६, आदि वाक्यः अनादिनिधनं देवं जगत्कारणमीश्वरम्... पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.८, पृ.?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २९-६८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. ____ कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १४४-१- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र), वि-१२४२, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र ६००० डीवीडी-३५/५३ पाकाभाभा १२५४, पृ. २१, न्यायकन्दली, वि-१७वी, संपूर्ण वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका (पदार्थधर्मसङ्ग्रहनी (सं.)न्यायकन्दली टीका), (कन्दली टीका), (न्यायकन्दली टीका) जैनेतर-श्रीधर भट्ट, सं., गद्य, रचना सं. शक ९१३ , ग्रं.३७१६, आदि वाक्यः अनादिनिधनं देवं जगत्कारणमीश्वरम्... पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.८, पृ. ?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २९-६८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १४४-१- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र), वि-१२४२, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र ६००० डीवीडी-३५/५३ पाकाभाभा १२५४, पृ. २१, न्यायकन्दली, वि-१७वी, संपूर्ण वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ । वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रहटीकानी न्यायकन्दलीटीकार्नु (सं.)टिप्पनक आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः अव्याहतमनाद्यन्तमनन्तमहिमास्पदम्... 691 Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ वैशेषिकभाष्य जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका, आचार्य-प्रशस्तपादाचार्य, संस्कृत, श्लोक७७७ वोच्छेज्जगण्डी जुओ - वोच्छेयगण्डिया, प्राकृत, गा.१७३ वोच्छेयगण्डिया (वोच्छेज्जगण्डी) प्रा., पद्य, गा.१७३, आदि वाक्यः अह पुण सरत्थुवन्तो देसे देसे समोसरन्तो.. पाताखेत ५०- पे.क्र. ११, पृ. १४६-१५८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ५४-२- पे.क्र.४, पृ. १९-४६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ तालाद ३३९- पे.क्र. १४, पृ. ७५-९१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ डतामुक्ता ४५७- पे.क्र.८, पृ. २-११, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथानुसन्धान यत्र-तत्र असम्बद्ध है. कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ व्यक्तिविवेक काव्यालङ्कार (काव्यालङ्कार व्यक्तिविवेक) जैनेतर-राजानक महिम, सं., आदि वाक्यः अनुमानान्तर्भावं सर्वस्यैव ध्वनेः प्रकाशयितुम् । व्यक्तिविवेकं कुरुते प्रणम्य महिमा परं वाचम् ||..... पाकाहेम ६६४३, पृ. ३९, व्यक्तिविवेककाव्यालङ्कार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार (षोडश स्वप्न विचार) , गद्य, पाताहेसं १७१-६, पृ. २, व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ व्यवहारभाष्य जुओ - व्यवहारसूत्र-(प्रा.)भाष्य, गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चिताधिकार सं., गद्य, कृ.विः उद्देशक-१०. पाकाहेम ७९५०, पृ. ४, व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ व्यवहारसूत्र (ववहारसुत्त) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., ग्रं.६८८, आदि वाक्यः जे भिक्खू मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा। पातासंघवी ६०-२- पे.क्र. २, पृ. ६९-११०, निशीथसूत्र एवं व्यवहारसूत्र, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३०/४८ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/ १-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५०-३५४,३६५A-३६५४,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ 692 Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती १०० ११००-२, १००-३, १००-४ भांता २. पृ. ४३९, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल सम्पूर्ण टीका उद्देशक- ४ १० वि-१४१२ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष भंडार संदर्भाक- १३१-३२ / ८१-८२ सूचीपत्र नं. १-४६३ / ४७४ डबल छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ५ पृ. ४८५, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका उद्देशक- १-३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं. १ - ४६४, पत्र ३० - ६३ आडा अवळा छे., डीवीडी-६५/७४ भांता ६, पृ. ३४५, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका उद्देशक - १-३, वि-१३९१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं. १-४६५, १-४७३, पत्र २७-४२, ८७-९४, १३१-१३६, २०५ - २०८ नंबर सेट थया नथी.. पत्र-४+३४५+३+२=३५४. डीवीडी-६६/७५ पाकाहेम ६८६ पे क्र. १ पृ. ४१४ व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोदेश पर्यन्त प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे. पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे.क्र. १, पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका- खण्ड-२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे. पृष्ठ- २११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र निर्युक्ति-भाष्य - वृत्तिसहित, वि - १६४६, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ३९३मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६१० पाकाहेम १००४५, पृ. १०, व्यवहारसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० पाकाहेम १००४६, पृ. ११, व्यवहारसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०३१९, पृ. ८, व्यवहारसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र- ५००. कुल झे. पृष्ठ-७ पाकाहेम १०३२०, पृ. ८ व्यवहारसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र ५०० छे., - कुल झ. पृष्ठ-७ पुणे ४३९, पृ. ४६, व्यवहारसूत्र वि-१३०९, संपूर्ण प्रत विशेष- उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है., विस्तृत प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-४६ व्यवहारसूत्र - (प्रा.) नियुक्ति पत्र - ६+४८५+३=४९४. आचार्य भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाकाहेम ६८६- पे.क्र. १, पृ. ४१४, व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोद्देश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे. पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे. क्र. १ पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका खण्ड-२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे. पृष्ठ- २११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र निर्युक्ति - भाष्य - वृत्तिसहित, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुं डबल छे. कुल झ. पृष्ठ-६१० 693 Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००४९, पृ. २२८ व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १६८५६. प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे. कुझे. पृष्ठ- २२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य - वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण डबल छे. प्रत विशेष पत्र ३१६ - कुल ३. पृष्ठ-४६७ व्यवहारसूत्र - (प्रा.) भाष्य प्रा. पद्य, ग्रं. ६०००, " पातासंघवी ४१-१, पृ. १२७, व्यवहारभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष सारी छे पत्र ७० तुटेलुं छे. पत्र ६९-७०नी एक एक कंडीका छे. डीवीडी - २६/४५ पाकाहेम ६८६- पे.क्र. २, पृ. १-४१४, व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोदेश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे. पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे.क्र. २ पृ. १-३०९ व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य टीका खण्ड-२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झ. पृष्ठ- २११ झे. पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ ६१० पाकाहेम १००४७, पृ. ८०, व्यवहारसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-४६२९. कुल डी. पृष्ठ- ८० पाकाहेम १००४९, पृ. २२८, व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य - वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १६८५६. प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे. कुल ३. पृष्ठ-२२८ झे पाकाहेम १००५०, पृ. २३९ व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३१६ डबल छे. - कुल झे. पृष्ठ-४६७ व्यवहारसूत्र - (प्रा.) भाष्य ( व्यवहारभाष्य ) गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ T व्यवहारसूत्र - (प्रा.) चूर्णी प्रा., गद्यअध्याय १०, ग्रं. १२०००, आदि वाक्यः उक्तः कल्पः । अधुना व्यवहारस्यावसरः प्राप्तः । कृ.विः परिमाण - उद्देशक- १०. पातासंघवी ४०, पृ. २७१, व्यवहारचूर्णि वि-१४७०, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. ' डीवीडी-२६/४५ " पाकाहेम ३४७४, पृ. २०८, व्यवहारसूत्रचूर्णि वि - १५९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८७-८८ अने ९५-९६ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ- १३८ पाकाहेम ६५३७, पृ. १५८, व्यवहारसूत्रचूर्णि वि-१४९४ संपूर्ण 694 Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०.३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ पाकाहेम ६५५४, पृ. १८२, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२१२७. कुल झे.पृष्ठ-१८३ पाकाहेम १००४८, पृ. १५६, व्यवहारसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका २३८, पृ. २१९, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५६६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७६., परिमाण-१०३६० ग्रन्थाग्र. डीवीडी-८९ व्यवहारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३७१९, आदि वाक्यः प्रणमत नेमिजिनेश्वरमखिलप्रत्यूहतिमिररविबिम्बम् ।... पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/१-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५A-३५०,३६५A-३६५४,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ भांता २, पृ. ४३९, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल-सम्पूर्ण, टीका-उद्देशक-४-१०, वि-१४१२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- भंडार संदर्भांक-१३१-३२/८१-८२, सूचीपत्र नं.१-४६३/४७४., १००-१,१००-२,१००-३,१००-४ डबल छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ३, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१, वि-१३४४, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४७१., प्रतिलेखनस्थल-सिंहपुरी शाकम्भरी देशे मथुरान्वये., पत्र १०+४०१+१=४१२., मूलपत्र-१-३, १४९A,१४९,१४९८ आ रीते बेवडाएल छे., ४५ नंबर- पत्र घटे छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ४, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४७०., अतिजीर्ण-त्रुटित., झे.पत्र १२३ नथी. डीवीडी-६५/७४ भांता ५, पृ. ४८५, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४६४, पत्र ३०-६३ आडा अवळा छे., पत्र-६+४८५+३=४९४. डीवीडी-६५/७४ भांता ६, पृ. ३४५, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, वि-१३९१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.१-४६५, १-४७३, पत्र २७-४२, ८७-९४, १३१-१३६, २०५-२०८ नंबर सेट थया नथी., पत्र-४+३४५+३+२=३५४. डीवीडी-६६/७५ भांता ७, पृ. ९९, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-७-९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७५. (पत्र-७१-१४९ सारा छे. बाकी खराब छे.), पत्र-५१-१४९=९९+३=१०२. डीवीडी-६६/७५ वताहंस ४४४, पृ. २६३, व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष-७५-७७, ११२-१३९ नंबरना पेज नथी. डीवीडी-९९/१०० वताहंस ४४६, पृ. ३८८, व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण 695 Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- १-१९ नंबरना पेज नथी. डीवीडी-९९/१०० वताकांति ३९६, पृ. ३८८, व्यवहारसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १६६ नंबरनुं पार्नु नथी. डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ६८६- पे.क्र. ३, पृ. १-४१४, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोद्देश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१७२५९. कुल झे.पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे.क्र. ३, पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका-खण्ड-२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१७३६६. कुल झे.पृष्ठ-२११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६१० पाकाहेम १००४९, पृ. २२८, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१६८५६. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६७ व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चिताधिकार सं., गद्य, कृ.विः उद्देशक-१०. पाकाहेम ७९५०, पृ. ४, व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ व्यवहारसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ११, पृ. २३-२४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ व्यवहारसूत्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, पाकाहेम ५३६३, पृ. २, व्यवहारसूत्र बीजक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ व्यवहारसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः य इति सर्वनाम अनिर्दिष्ट नामनो निर्देशे... कृ.विः यह अवचूरि बृहट्टीका से संकलन करके संक्षेप में बनायी गयी है. पुप्रे ४३८, पृ. ७८, व्यवहारसूत्रावचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ व्यवहारसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्यअध्याय१०, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः उक्तः कल्पः। अधुना व्यवहारस्यावसरः प्राप्तः । कृ.विः परिमाण-उद्देशक-१०. पातासंघवी ४०, पृ. २७१, व्यवहारचूर्णि, वि-१४७०, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. 696 Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-२६/४५ पाकाहेम ३४७४, पृ. २०८, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८७-८८ अने ९५-९६ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-१३८ पाकाहेम ६५३७, पृ. १५८, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०,३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ पाकाहेम ६५५४, पृ. १८२, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२१२७. कुल झे.पृष्ठ-१८३ पाकाहेम १००४८, पृ. १५६, व्यवहारसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका २३८, पृ. २१९, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५६६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७६., परिमाण-१०३६० ग्रन्थान. डीवीडी-८९ व्यवहारसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाकाहेम ६८६- पे.क्र. १, पृ. ४१४, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोद्देश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे.पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे.क्र. १, पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका-खण्ड-२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे.पृष्ठ-२११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६१० पाकाहेम १००४९, पृ. २२८, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१६८५६. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६७ व्यवहारसूत्र-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, ग्रं.६०००, पातासंघवी ४१-१, पृ. १२७, व्यवहारभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. पत्र ७० तुटेलुं छे. पत्र ६९-७०नी एक एक कंडीका छे. डीवीडी-२६/४५ पाकाहेम ६८६- पे.क्र. २, पृ. १-४१४, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोद्देश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे.पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे.क्र. २, पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, टीका-खण्ड-२, प्रतिपूर्ण 697 Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे.पृष्ठ-२११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुंडबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६१० पाकाहेम १००४७, पृ. ८०, व्यवहारसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४६२९. कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम १००४९, पृ. २२८, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१६८५६. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६७ व्यवहारसूत्र-(प्रा.)भाष्य (व्यवहारभाष्य) गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ व्यवहारसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः य इति सर्वनाम अनिर्दिष्ट नामनो निर्देशे... कृ.विः यह अवचूरि बृहट्टीका से संकलन करके संक्षेप में बनायी गयी है. पुप्रे ४३८, पृ. ७८, व्यवहारसूत्रावचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ व्यवहारसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ११, पृ. २३-२४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ व्यवहारसूत्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, पाकाहेम ५३६३, पृ. २, व्यवहारसूत्र बीजक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ व्यवहारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३७१९, आदि वाक्यः प्रणमत नेमिजिनेश्वरमखिलप्रत्यूहतिमिररविबिम्बम् ।... पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/ १-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५A-३५०,३६५A-३६५,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ भांता २, पृ. ४३९, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल-सम्पूर्ण, टीका-उद्देशक-४-१०, वि-१४१२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- भंडार संदर्भाक-१३१-३२/८१-८२, सूचीपत्र नं.१-४६३/४७४., १००-१,१००-२,१००-३,१००-४ डबल छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ३, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१, वि-१३४४, अपूर्ण 698 Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १ ४७१ प्रतिलेखनस्थल सिंहपुरी शाकम्भरी देशे मथुरान्वये पत्र १०+४०१+१=४१२, मूलपत्र- १-३, १४९८, १४९B. १४९८ आ रीते बेवडाएल छे. ४५ नंबरनं पत्र घटे छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ४ पृ. ४०० व्यवहारसूत्र भाष्यटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-४७०, अतिजीर्ण- त्रुटित, झे. पत्र १२३ नथी. डीवीडी-६५/७४ भांता ५. पू. ४८५, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका उद्देशक-१-३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-४६४, पत्र ३० - ६३ आडा अवळा छे., डीवीडी-६५/७४ भांता ६, पृ. ३४५, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका उद्देशक- १-३ वि-१३९१ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं. १-४६५, १-४७३, पत्र २७-४२, ८७-९४, १३१-१३६, २०५ - २०८ नंबर सेट थया नथी., पत्र ४+३४५+३+२=३५४. डीवीडी-६६/७५ प्रत विशेष - ७५-७७, ११२-१३९ नंबरना पेज नथी. डीवीडी- ९९/१०० वताहंस ४४६, पृ. ३८८, व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १-१९ नंबरना पेज नथी. भांता ७, पृ. ९९, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका उद्देशक- ७-९ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १ ४७५. (पत्र-७१-१४९ सारा छे बाकी खराब छे) पत्र -५१-१४९ = ९९+३ = १०२डीवीडी-६६/७५ बताहंस ४४४, पृ. २६३. व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी- ९९/१०० वताकांति ३९६, पृ. ३८८, व्यवहारसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - १६६ नंबरनुं पानुं नथी. डीवीडी-२७/९८ " पत्र - ६+४८५+३=४९४. पाकाहेम ६८६- पे.क्र. ३, पृ. १-४१४, व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका तृतीयोदेश पर्यन्त-प्रथमखण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७२५९. कुल झे. पृष्ठ-४१३ पाकाहेम ६८७- पे. क्र. ३ पृ. १-३०९, व्यवहारसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, टीका-खण्ड-२, प्रतिपूर्ण पे.क्र. प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे. पृष्ठ- २११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र निर्युक्ति-भाष्य - वृत्तिसहित, वि - १६४६, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३९३ डबल छे. कुल झे. पृष्ठ- ६१० पाकाहेम १००४९ पृ. २२८ व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी प्रतिपूर्ण व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चिताधिकार सं. गद्य, प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१६८५६. प्रथम पत्रमां समवसरणनुं चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ- २२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनिर्युक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ३१६ मुं डबल छे. कुल झ. पृष्ठ-४६७ कृ.वि: उद्देशक- १०. 699 Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७९५०, पृ. ४, व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ व्यसायविधिकरणप्रक्रम जुओ - सर्वव्यसायविधिकरणप्रक्रम, संस्कृत, गा.१९१ व्याख्यानारम्भ मङ्गलश्लोक सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः जनः सुखाभिलाषी स्यात्तद्धर्मात्तच्चज्ञानतो भवति... पाताहेसं ५७- पे.क्र.७, पृ. १६८अ-१६८आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. सटिप्पण. झेरोक्षपत्र-१६३-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ व्याख्याने अष्टमङ्गल सविवरण सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः दधिचन्दनदुर्वा... पाताहेसं ५७- पे.क्र.८, पृ. १६८आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६५-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ व्यासभाष्य जुओ - पातञ्जलयोगसूत्र-(सं.)पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य, ऋषि-व्यास, संस्कृत व्युत्पत्तिदीपिका जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन नी (सं.)लघुवृत्ति नी (सं.)व्युत्पत्तिदीपिका, संस्कृत व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका, गणि-देवसागर, संस्कृत व्रतकथाकोष मुनि-श्रुतसागर(दिगम्बर), गुरु-मुनि-विद्यानन्दि, सं., पद्य, श्लोक५०, ग्रं.२२५०, आदि वाक्यः ज्येष्टं जिनं प्रणम्यादावकलङ्क कलध्वनिं... भांका १८०, पृ. ८०, व्रतकथाकोष, वि-१७७३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-११०२. पत्र-५७,५९,७५, नथी., ग्रन्थाग्र-२२५०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८६ व्रतारोपणविधि सं., पाकाहेम ५२६८- पे.क्र.८, पृ. १७-१८, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ शकुनविचार जुओ - वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र, अज्ञात-वसन्तराज, संस्कृत शकुनविचार प्रकरणमां गमनागमन जीवित-मरण-शकुनविचार प्रकरणो प्रा.. पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. ३, पृ. ४२-५७, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४५ ने ४८ थी ५६ नथी. त्रुटक -अपूर्ण. डीवीडी-३६/५४ शर्केश्वरपार्श्वजिनस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन शर्खेश्वर) सं., पद्य, आदि वाक्यः ॐनमः पार्श्वनाथाय... पाकाहेम १२३६४- पे.क्र. ५, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण शोश्वरपार्श्वजिनस्तुति (पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर) सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः नो वह्नि!रगेन्द्रा... पाकाहेम १२३५८- पे.क्र.२, पृ. २, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- शंखेश्वरपार्श्वजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका शखेश्वरपार्श्वजिनस्तुति-(सं.)टीका 700 Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम १२३५८- पे.क्र.२, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- शंखेश्वरपार्श्वजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका शखेश्वरपार्श्वजिनस्तुति-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. २, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- शंखेश्वरपार्श्वजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका शखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., पद्य, का.१०, आदि वाक्यः समस्तकल्याणनिधान... पाकाहेम १२३६५- पे.क्र.३, पृ.७, द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण शखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर) पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६०७, गा.१७, पाकाहेम १०७८९- पे.क्र. २, पृ.?, महावीरजिनस्तवन-सद्दहणाविचारगर्भित व शखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन, वि १७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. शखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर) सं., पद्य, का.१४, आदि वाक्यः सौभाग्यभाग्या. पाकाहेम १२३३१, पृ. १, शद्धेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र, वि-१७९३, संपूर्ण शखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र (पार्श्वजिनस्तुति शर्खेश्वर) सं., पद्य, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३४, पृ. १२१मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १४२४७- पे.क्र. २, पृ. १, चन्द्रप्रभस्तोत्र आदि, वि-१८८३, संपूर्ण शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ (नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ), (कर्मग्रन्थ नव्य पञ्चम) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः नमिअ जिणं धुवबन्धो... पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. १, पृ.?, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- पञ्चम कर्मग्रन्थ नव्य सह स्वोपज्ञ (सं.)टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४३४०, पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. १, पृ. १-६५, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- पञ्चम कर्मग्रन्थ नव्य सह स्वोपज्ञ (सं.)टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि (नव्यशतकावचूरि) सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनं ध्रुवबन्धोदयसत्तासर्वदेशघाति... भांका १७४- पे.क्र. ५, पृ. २९-५४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. ___ कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः निजहेतु सद्भावे यासां प्रकृतीनां ध्रुवोवश्यम्भावी... भांका २०६- पे.क्र. ५, पृ. २८-४९, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण 701 Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- शतकस्योद्धार प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४३४०, पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. १, पृ. १-६५, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- पञ्चम कर्मग्रन्थ नव्य सह स्वोपज्ञ (सं.)टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि (नव्यशतकावचूरि) सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनं ध्रुवबन्धोदयसत्तासर्वदेशघाति... भांका १७४- पे.क्र. ५, पृ. २९-५४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः निजहेतु सद्भावे यासां प्रकृतीनां ध्रुवोवश्यम्भावी... भांका २०६- पे.क्र. ५, पृ. २८-४९, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- शतकस्योद्धार प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ बृहद्भाष्य जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)बृहद्भाष्य, आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्राकृत, ग्रं.१४१३ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ (प्राचीन पञ्चम शतक कर्मग्रन्थ), (कर्मग्रन्थ-५) आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्रा., पद्य, गा.१११, आदि वाक्यः अरहन्ते भगवन्ते अणुत्तरपरक्कमे पणमिऊणं।... कृ.विः गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे. पाताखेत ११- पे.क्र. ४, पृ. ७०-८२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४२- पे.क्र.७, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११२. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र.४, पृ. ४६-५३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. नाम- सयपगरण, पे. विशेष- गाथा-१११. पत्रों का आधा भाग खंडित है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१,७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र. ६, पृ. ७६-८४, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.५, पृ. १४२A-१४८, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- प्राचीन शतक कर्मग्रन्थ, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-९८ तक है. पत्र १४७ व १४९ नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३५-३८. बीच में दूसरी कृति भी है. 702 Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ९, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११०. प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १०, पृ. -१०२-१०८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- बन्धशतक पंचम कर्मग्रन्थ, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-११०. पत्र-१०० व १०४ नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३७-४०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ६, पृ. १५६-१७१, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र. ४, पृ. १०७-११९, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११०. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. ४, पृ. ८७-९५, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१११. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र.५, पृ. २४अ-३४अ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- शतक, पे. विशेष- पूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७-९. ताडपत्रीय पत्र-३१ नहीं है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११२- पे.क्र. ४, पृ. ६०-६९, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- सयग, पे. विशेष- गाथा-११०. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १८, पृ. १७२-१८०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- सयगप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-११३. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ भांता ४५- पे.क्र. १, पृ. १-६A, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११०. जेरोक्ष पत्र-१-८. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिउण वद्धमाणं कइवयगाहाण सयगभासं तु... पाताखेत ४२- पे.क्र.६, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ 703 Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)बृहद्भाष्य (शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ बृहद्भाष्य) आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, ग्रं.१४१३, आदि वाक्य: चउबन्धणुओगविहीदुवारचउविणयमइकुसलो... पाताखेत ४६, पृ. १२३, शतकबृहद्भाष्य, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि (प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णी ), (शतकलघुचूर्णि), (लघुचूर्णि) प्रा., गद्य, ग्रं.२३२२, आदि वाक्यः सिद्धो निद्धयकम्मो सद्धम्मपणायगो तिजगनाहो।... पाताखेत ४१-२, पृ. १४३, शतकचूर्णि, वि-१२३२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १६-२, पृ. १२५, शतकचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२२/४० वताहंस ४४८, पृ. १२०, शतकचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-९९/१०० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णितुं (सं.)विषमपद टिप्पण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५५, आदि वाक्यः प्रणिपत्यविमल केवल... तालाद ३८२, पृ. ७५, शतकचूर्णि-विषमपद टिप्पनक, वि-१३३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)विनेयहिता टीका (प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका), (विनेयहिता टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.३७००, आदि वाक्यः जयत्यभिप्रेतसमृद्धिहेतुः शमी समाधिक्षतकर्मबीजः... भांता ४५- पे.क्र. ३, पृ. ७A-१५०B, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण पे. नाम- बन्धशतक की विनेयहिताटीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-८-१२०. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० भांता ४६, पृ. २००, शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ की विनेयहिता टीका, वि-१५वी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं. १४७१ में खरतरगच्छीय जिनराजसूरि के पट्ट अन्तर्गत जिनभद्रसूरि की यह प्रत है का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)लघुभाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं बुच्छामि बन्धसयगे चउण्हबन्धाणं... भांता ४५- पे.क्र. २, पृ. ६०-७A, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण पे. नाम- शतकभाष्य, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-८वा. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः सङ्खामेत्तपयट्ठा सयगे पगईओनाम गाहाणं... पाताहेसं ११२- पे.क्र.७, पृ. ९५-९७, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)विनेयहिता टीका (प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका), (विनेयहिता टीका) 704 Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.३७००, आदि वाक्यः जयत्यभिप्रेतसमृद्धिहेतु: शमी समाधिक्षतकर्मबीजः... भांता ४५- पे.क्र. ३, पृ. ७A-१५०B, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण पे. नाम- बन्धशतक की विनेयहिताटीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-८-१२०. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० भांता ४६, पृ. २००, शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ की विनेयहिता टीका, वि-१५वी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं. १४७१ में खरतरगच्छीय जिनराजसूरि के पट्ट अन्तर्गत जिनभद्रसूरि की यह प्रत है का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि (प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णी ), (शतकलघुचूर्णि), (लघुचूर्णि) प्रा., गद्य, ग्रं.२३२२, आदि वाक्यः सिद्धो निद्धयकम्मो सद्धम्मपणायगो तिजगनाहो।... पाताखेत ४१-२, पृ. १४३, शतकचूर्णि, वि-१२३२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १६-२, पृ. १२५, शतकचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२२/४० वताहंस ४४८, पृ. १२०, शतकचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-९९/१०० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णितुं (सं.)विषमपद टिप्पण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५५, आदि वाक्यः प्रणिपत्यविमल केवल... तालाद ३८२, पृ. ७५, शतकचूर्णि-विषमपद टिप्पनक, वि-१३३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिउण वद्धमाणं कइवयगाहाण सयगभासं तु... पाताखेत ४२- पे.क्र.६, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)बृहद्भाष्य (शतक प्राचीन कर्मग्रन्थ बृहद्भाष्य) आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, ग्रं.१४१३, आदि वाक्यः चउबन्धणुओगविहीदुवारचउविणयमइकुसलो... पाताखेत ४६, पृ. १२३, शतकबृहद्भाष्य, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)लघुभाष्य प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं बुच्छामि बन्धसयगे चउण्हबन्धाणं... भांता ४५- पे.क्र. २, पृ. ६०-७A, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण पे. नाम- शतकभाष्य, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-८वा. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः सखामेत्तपयट्ठा सयगे पगईओनाम गाहाणं.. पाताहेसं ११२- पे.क्र.७, पृ. ९५-९७, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण 705 Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि- (सं.)विषमपद टिप्पण आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५५, आदि वाक्यः प्रणिपत्यविमल केवल... तालाद ३८२, पृ. ७५, शतकचूर्णि-विषमपद टिप्पनक, वि-१३३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ शतकलघुचूर्णि जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि, प्राकृत, ग्रं.२३२२ शतपदीकाप्रश्नोत्तरपद्धति जुओ - शतपदीप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत,प्राकृत शतपदीप्रकरण (शतपदीकाप्रश्नोत्तरपद्धति), (प्रश्नोत्तरपद्धति) आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं.,प्रा., पातासंघवी १२६, पृ. २३२, शतपदी, संपूर्ण प्रत विशेष- २२८ मां पानाथी टुकडा छे. डीवीडी-३४/५२ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ भांका २५६, पृ. १०९, शतपदिका, संपूर्ण डीवीडी-८९ शतपदीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.५२००, आदि वाक्यः त्रिभुवनगृहप्रदीपः कल्याणविधिर्भवोदघौ द्विपः ।... कृ.विः मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७०७४, पृ. १५२, शतपदी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९ भेगा छे., ग्रन्थाग्र-५३४२. कुल झे.पृष्ठ-१५२ शतपदीप्रकरणवृत्ति-(सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ शतपदीप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.५२००, आदि वाक्यः त्रिभुवनगृहप्रदीपः कल्याणविधिर्भवोदघौ द्विपः।... कृ.विः मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७०७४, पृ. १५२, शतपदी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९ भेगा छे., ग्रन्थाग्र-५३४२. कुल झे.पृष्ठ-१५२ शतपदीप्रकरणवृत्ति-(सं.)टिप्पणी 706 Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं. गद्य, पाताहेसं १०४, पृ. २४४ शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि- १३००, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ शतपदीप्रकरणवृत्ति-(सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि- १३००, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ शतश्लोकी कवि - बोपदेव, सं., पद्य, कृ. वि. वैद्यक ग्रन्थ पाकाहेम १०७३०, पृ. १८, शतश्लोकी बालावबोधसहित, वि-१५९२, संपूर्ण शतश्लोकी - (मा.गु.) बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, " पाकाहेम १०७३०, पृ. १८ शतश्लोकी बालावबोधसहित वि-१५९२ संपूर्ण शतश्लोकी - (मा.गु.) बालावबोध मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम १०७३०, पृ. १८ शतश्लोकी बालावबोधसहित वि-१५९२. संपूर्ण " " शतार्थी टीका जुओ - उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा - (सं.) शतार्थी टीका, पं. उदयधर्म गणि, संस्कृत शत्रुञ्जयकथा जुओ सारावली प्रकीर्णक, प्राकृत, गा. ११६ शत्रुञ्जयचैत्यपरिपाटी सं., पद्य, का. २६, आदि वाक्यः नम्रेन्द्रमण्डलमणीमयमौलीमाला.... पाकाहेम १२१३२, पृ. १, शत्रुञ्जयचैत्यपरिपाटी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ शत्रुञ्जयतीर्थकल्प कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य - पादलिप्तसूरि, प्रा., पद्य, गा. ३९, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ८. पृ. २, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि वि-१३६९, त्रुटक कुल झे. पृष्ठ-६० पाकाहेम १०१९३ पृ. ३ शत्रुञ्जयतीर्थकल्प वि-१७मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४ शत्रुञ्जयमण्डन आदिजिनस्तुति जुओ आदिजिनस्तुति - शत्रुञ्जयमण्डन, संस्कृत, श्लोक ४ शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभजिनस्तुति (ऋषमजिनस्तुति शत्रुञ्जयमण्डन ) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु - आचार्य - माणिक्यप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः आनन्दानम्रकम्रत्रिदशपतिशिरः... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३४, पृ. ७६-७७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२३६०- पे क्र. २ पृ. २. चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि वि-१७मी संपूर्ण , पाकाहेम १२३६१- पे.क्र. २, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभदेवविनती (ऋषभदेवविनती) कुल झ. पृष्ठ-६ झे. उपाध्याय-विनयविजयं तपागच्छ], मारुगुर्जर, पद्य, गा.५८, पाकाहेम १०३०५, पृ. ३, शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभदेवविनती, वि-१९मी, संपूर्ण 7 - शत्रुञ्जयमण्डन पुण्डरीकस्तोत्र जुओ पुण्डरीकस्तव, आचार्य लक्ष्मीसागरसूरि संस्कृत, का. ११ शत्रुञ्जयमण्डन युगादिदेवस्तुति# (युगादिदेवस्तुति), (ऋषभजिनस्तुति) आचार्य -जयशेखरसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा. १६, आदि वाक्यः विमलगिरिवर विमलगिरिवर... 707 - Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६३, पृ. २४९-२५०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-१६. कुल झे.पृष्ठ-३१ शत्रुञ्जयमण्डन-युगादिदेवस्तोत्र (युगादिदेवस्तुति-शत्रुञ्जयमण्डन), (आदिजिनस्तुति), (ऋषभदेवस्तुति) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक१६, आदि वाक्यः यस्य स्कन्धाग्रभागे विलसति सततं... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. १२, पृ. ६-७, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- शत्रुजयमंडन-युगादिदेवस्तुति कुल झे.पृष्ठ-६ शत्रुञ्जयमहातीर्थकल्प प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः अइमुत्तयकेवलिणा पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५५, पृ. १२१, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः सयलसुरासुरनमियं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५६, पृ. १२१-१२२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र सं., पद्य, श्लोक२४, आदि वाक्यः नमेन्द्रमण्डलमणिमय पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५७, पृ. १२२-१२३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शत्रुञ्जयमहातीर्थस्तोत्र आचार्य-नयचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः जत्थ सिरिपुण्डरीयो पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५८, पृ. १२३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शत्रुञ्जयमाहात्म्य आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., ग्रं.८८१२, पाकाहेम १५०३२, पृ. १६७, शत्रुञ्जयमाहात्म्य, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९०२४. प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाभाभा ४९, पृ. १९०, शत्रुञ्जयमाहात्म्य, वि-१४९५, संपूर्ण शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्ध सं., पद्य, श्लोक३६, पाकाहेम २०९७- पे.क्र. १, पृ. २, शत्रुञ्जययात्राफलप्रबन्धादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ शत्रुञ्जयोद्धार मुनि-नयसुन्दर, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६३८, कृ.विः रचना संवत-१६३७ पण छे. ___ लिंता ३३०६, पृ. ८, शत्रुञ्जयोद्धार, वि-१६९४, संपूर्ण शनिचक्र 708 Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शनैश्वरस्तुति स्कन्दपुराणगत शबरीभा प्रा.. पातासंघवी १८०-२- पे. क्र. ४, पृ. ५८मुं, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५८मां संपूर्ण थाय छे. पण आद्य भाग नथी... डीवीडी-३६/५४ जैनेतर दशरथ राजा, सं., पद्य, पाकाहेम ८२५९ पृ. २ शनैश्वरस्तुति स्कन्दपुराणगत, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ मारुगुर्जर, पद्य, गा. १५, पाकाहेम १२१२४- पे क्र. ४३, पृ. १३५-१३७ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ कृति उपरथी प्रत माहिती शब्दपीद्गलिकत्वसिद्धिवादस्थल सं.. पाकाहेम ८७९५- पे.क्र. २ पृ. १ सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल आदि वि-१६९८. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ शब्दप्रभेद जुओ शब्दभेदप्रकाश नाममाला, कवि महेश्वर, संस्कृत श्लोक १९२ शब्दप्रभेदनाममाला जुओ शब्दरत्नाकर शब्दप्रभेदनाममाला, उपाध्याय साधुसुन्दरगणि, संस्कृत शब्दप्रामाण्यवादस्थल शब्दब्रह्मोल्लास - सं. गद्य, आदि वाक्यः एतेन यत्कैश्चित् शब्दस्य बहिरर्थं प्रतिप्रामाण्यमपाक्रियते .... पाकाहेम ८८१३- पे.क्र. १, पृ. १A - १B, शब्दप्रामाण्यवादस्थलादि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ शब्दभेदप्रकाश नाममाला (शब्दप्रभेद) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु आचार्य माणिक्यप्रभसूरि, सं., आदि वाक्यः ॐ नमः सकलाध्यात्मतत्त्वत्वाचे परात्मने... पाताखेत ३४-१- पे.क्र. १, पृ. १आ-१४आ-, आरम्भसिद्धि, शब्दब्रह्मोल्लास, चउशरण, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण श्लोक-४९ सुधी छे पत्र- १४ नो झेरोक्ष झे. पत्र- २१-२२ उपर उपलब्ध छे. प्रत विशेष- पत्र - १४+१२० = १३४. चउशरण पयन्ना नथी. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी-६२/६४ · कवि-महेश्वर, सं., पद्य, श्लोक १९२, आदि वाक्यः प्रबोधमाधातुमशाब्दिकानां कृपामुपेत्यापि सतां कवीनाम् । .... अताका ४७७ पे.क्र. ५. पृ. १७३B-१८४, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२) संपूर्ण पे. विशेष- अन्त के पाठ अनुपलब्ध है. प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे. पृष्ठ-६५, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम ८७४८, पृ. ४, शब्दभेद प्रकाश, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ४ पाकाहेम ९५७८, पृ. ७३, शब्दप्रभेद वृत्तिसहित, वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७३ पुणे ४३०, पृ. २३६ शब्दभेदप्रकाश सह टीका, संपूर्ण " कुल झे. पृष्ठ- २३५ शब्दभेदप्रकाश नाममाला- (सं.) वृत्ति 709 Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपाध्याय-ज्ञानविमल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६५४, ग्रं.३७००, आदि वाक्यः श्रीमन्तं भगवन्तमन्वहमहं श्रीशान्तिनाथं जिनं. पाकाहेम ९५७८, पृ. ७३, शब्दप्रभेद वृत्तिसहित, वि-१६५७, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-७३ पुप्रे ४३०, पृ. २३६, शब्दभेदप्रकाश सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३५ शब्दभेदप्रकाश नाममाला-(सं.)वृत्ति उपाध्याय-ज्ञानविमल, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६५४, ग्रं.३७००, आदि वाक्यः श्रीमन्तं भगवन्तमन्वहमहं श्रीशान्तिनाथं जिनं... पाकाहेम ९५७८, पृ. ७३, शब्दप्रभेद वृत्तिसहित, वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७३ पुप्रे ४३०, पृ. २३६, शब्दभेदप्रकाश सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३५ शब्दरत्नाकर-शब्दप्रभेदनाममाला (शब्दप्रभेदनाममाला) उपाध्याय-साधुसुन्दरगणि, सं., कृ.विः कवि महेश्वरकृत शब्दभेदप्रकाशनी वृत्ति? पाकाहेम ७२२६, पृ. २८, शब्दरत्नाकर-शब्दप्रभेदनाममाला, वि-१७६७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ शब्दसञ्चय सं., ग्रं.५५०, पाकाहेम १०११५- पे.क्र. १, पृ. १-११, शब्दसञ्चय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०३८२, पृ. ८, शब्दसञ्चय, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०३८३, पृ. १२, शब्दसञ्चय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ शब्दाम्बरगुणत्वनिर्लोचनस्थल सं., गद्य, आदि वाक्य: ये केचन श्रोत्रेन्द्रियस्याप्राप्यकारित्वं... भांका २१४- पे.क्र. ४, पृ. ४A-४B, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ शम्भलीमत जुओ - कुट्टनीमत-शुम्भलीमत, पण्डित-दामोदर, संस्कृत, ग्रं.१२९०, श्लोक१०३९ शय्यान्तरपिण्डविचारणा सं., गद्य, आदि वाक्यः सागारि उत्ति कोपुण काहेवा... पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. ४, पृ. ७२-८१, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १४, पृ. २००-२१A, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३९ डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ शय्यान्तरविचार (सेज्जन्तवियार) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः असइ वसहीएवी मुञ्चरुमाणानन्तरा उ भवियव्वा... कृ.विः अं.वाक्य-आयारेओ तस्स छायं वज्जंति जत्थ आयरिओ वसई स सेज्जायरो सेसो असिज्जायरा. भांता ७०- पे.क्र. १०९, पृ. १४८A-१४८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण 710 Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ शय्यान्तरविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सागारिओ त्ति का (को)पुण काहे य कइविहो य सो पिट्टो अ... कृ.विः अं.वाक्य-निमंतिते य भणंति बालादीणं कज्जे प्पिच्छामो अलाघंवद्धारानंतरं इदं द्वारं ज्ञेयमिति. भांता ७०- पे.क्र. १६१, पृ. २१३०-२१५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ शशधरप्रकरण जैनेतर-शशधर शर्मा, सं., पद्य, पाकाहेम १०७१९, पृ. ४३, शशधरप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १६६७०, पृ. २९, शशधरप्रकरण, वि-१५४१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ शशाङ्कसङ्कीर्तनमहाकाव्य जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य, कवि-हर्ष कवि, संस्कृत शाकभोज्यादिनामगर्भित जिनस्तोत्र जुओ - जिनस्तोत्र शाकभोज्यादिनामगर्भित#, संस्कृत, का.१२ शाकुनिकशास्त्र जुओ - वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र, अज्ञात-वसन्तराज, संस्कृत शान्तिजिन स्तुति अप., पद्य, आदि वाक्यः देव दसविहधम्मधुरधवल... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २८, पृ. ११०-११४, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ शान्तिजिन स्तुति आचार्य-वीरप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः सन्तिजिण तुब्भ गुणरयण रयणाय रञ्चरीओ कित्तेमि... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. १०, पृ. २०आ-२१आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिनाथदेव स्तुति, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२८-३०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ शान्तिजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः पणमवि परमेसर सन्तिजणेसर सयलदुक्खनिन्नासहरो... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ११, पृ. २१आ-२३अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२९-३०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ शान्तिजिनस्तव सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः सुरराजसमाजनतांह्रियुगं... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. १४, पृ. ८A-८B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिस्तव कुल झे.पृष्ठ-८ शान्तिजिनस्तुति प्रा., पद्य, गा.४, कृ.विः अन्तवाक्य-दिसउ मम सुहं बंभसंती सुकंती. 711 Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९०- पे. क्र. २२, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण प्रारंभिक गाथा नहीं है, झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. प्रत विशेष टक-अव्यवस्थित. शान्तिनाथ १२भव नोन्ध कुल झे. पृष्ठ - १४४, डीवीडी - ५८ /६० मारुगूर्जर, गद्य, पाताहे ५७ पे.क्र. ३ पृ. १६५आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र- १६१-१६२. प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे. पृष्ठ १७०, डीवीडी-६/१५ शान्तिनाथकलश अप., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः तिजगदीवर कणय समवन्नु तित्थङ्करु सोलसमु .... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८. पू. १२-१४ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ शान्तिनाथचरित्र आचार्य - अजितप्रभसूरि, सं. पद्य रचना सं. विक्रम १३०७, श्लोक १६३३ अध्याय६ प्रस्त, आदि वाक्यः श्रेयोरत्नाकरोद्भुता महल्लक्ष्मीमुपास्महे... पाताहेसं ५७- पे.क्र. १, पृ. १ - १६५अ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण " पे. नाम - शान्तिनाथचरित्रमहाकाव्य सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - १ - १६२. टिप्पणयुक्त पाठ. प्रत की लिपि सुन्दर व सुवाच्य तथा पदच्छेद, अलंकरण, संधिसूचकादि लाक्षणिकताओं के साथ. प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-६/१५ पाकाहेम १६३६१, पृ. १८१, शान्तिनाथचरित्र, वि-१६६३, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र १२४मुं डबल छे तथा पत्र १३०मुं नथी. कुल ही. पृष्ठ- १२२ शान्तिनाथचरित्र (सं.) टिप्पण सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३०७, पाताहेसं ५७ - पे.क्र. १, पृ. १- १६५अ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि- १३८४, संपूर्ण शान्तिनाथचरित्र पे. नाम- शान्तिनाथचरित्रमहाकाव्य सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - १- १६२. टिप्पणयुक्त पाठ. प्रत की लिपि सुन्दर व सुवाच्य तथा पदच्छेद, अलंकरण, संधिसूचकादि लाक्षणिकताओं के साथ. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे. पृष्ठ- १७०, डीवीडी-६/१५ गणि- जिनवल्लभ, प्रा. पथ, गा.२३. "" पाकाहेम २०५४- पे.क्र. २, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ३३. कुल झे. पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०१६६- पे.क्र. २, पृ. १-४, नाभेयचरित्रस्तोत्र आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ शान्तिनाथचरित्र-(सं.) टीका 712 Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. २, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. कुल झे.पृष्ठ-२२ शान्तिनाथचरित्र सं., भांता ६१, पृ. ३००, शान्तिनाथचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.४-६१. डीवीडी-७२/८१ शान्तिनाथचरित्र आचार्य-जयसिंहसूरि, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.५, पृ.?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र १३-१६ पर है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० शान्तिनाथचरित्र (गद्यपद्यबद्ध) आचार्य-देवचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११६०, श्लोक१२१००, पाताहेसं ४२, पृ. ३१३, शान्तिनाथचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ पाकाहेम १६६७, पृ. ३३०, शान्तिनाथचरित्र गद्यपद्यबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७ मुं नथी अने २४५ मुं डबल छे. शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आचार्य-माणिक्यचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक५५७४, आदि वाक्यः तेपि ब्रह्मादयो यस्यानुग्रहात् ज्ञानविग्रहाः... पातासंघवी ५७-१- पे.क्र. १, पृ. १-१५८, शान्तिनाथचरित्र प्रथम, द्वितीय भाग, वि-१४७०, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिनाथचरित्र प्रथम भाग, पे. विशेष- १५८ पेज अने द्वितीय मां १५९-३१६ सुधी छे. ३१५मुं पत्र तुटी गयुं छे, वचमां कोईक पत्र भूसाई गयुं छे. डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ५७-१- पे.क्र. २, पृ. १५९-३१६, शान्तिनाथचरित्र प्रथम, द्वितीय भाग, वि-१४७०, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिनाथचरित्र द्वितीय भाग, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-५५००., ३१५मुं पत्र तुटी गयुं छे, वचमां कोईक पत्र भूसाई गयुं छे. डीवीडी-२९/४८ भांता ६२, पृ. १५५, शान्तिनाथचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.४-७२२. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ८६५, पृ. १७१, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य, वि-१४५०, संपूर्ण प्रत विशेष- जयमंगलपाठकने आपेली प्रति. पत्र १२२ थी १७१ सुधीमां उधईए मोटुं काणुं पाड्यु छे. कुल झे.पृष्ठ-१२४ शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध आचार्य-मुनिदेवसूरि[बृहदगच्छीय], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३२२, श्लोक५०५५, आदि वाक्य: वेश्मरत्ननिशारत्ननभोरत्नपरम्परम्।... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १७२-२, पृ. १६३, शान्तिनाथचरित्र (कागळमां छे), वि-१३२२, संपूर्ण प्रत विशेष- छेल्लुं पार्नु फाटवा मांडयुं छे. , ग्रन्थाग्र-४८५५. डीवीडी-३६/५४ 713 Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ३९२, पृ. १९७, शान्तिनाथचरित्र, वि-१४१२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. , सचित्र. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-१७८, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १६७०, पृ. १०८, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१५४८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५०. वीरमगामना श्रावके धर्महंससूरिना उपदेशथी लखावेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-७० पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र पला ने रजामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१७३ पाकाहेम २०६३८, पृ. ८२, शान्तिनाथचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- मुद्रित सूचीपत्रमा विगत नथी. कुल झे.पृष्ठ-५५ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र पला ने रजामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१७३ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३०७, पाताहेसं ५७- पे.क्र. १, पृ. १-१६५अ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिनाथचरित्रमहाकाव्य सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-१६२. टिप्पणयुक्त पाठ. प्रत की लिपि सुन्दर व सुवाच्य तथा पदच्छेद, अलंकरण, संधिसूचकादि लाक्षणिकताओं के साथ. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र १ला ने २जामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१७३ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टीका गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.२, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. कुल झे.पृष्ठ-२२ शान्तिनाथस्तवन जुओ - लघुशान्तिस्तोत्र, आचार्य-मानदेवसूरि, संस्कृत, गा.१७ शान्तिनाथस्तवन आचार्य-नयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः यस्सजा चितनात्सद्यः सञ्जयन्तेखिलल श्रियः... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.३९, पृ. ११३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शान्तिनाथस्तवन प्रा., पद्य, गा.१७. पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २४, पृ. २४मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण 714 Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७ शान्तिनाथस्तवन आचार्य-जयतिलकसूरि[आगमिकगच्छ], सं., पद्य, का.९, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ९, पृ. ७२मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ शान्तिनाथस्तवन भोज्यनामगर्भित जुओ - भोज्यनामगर्भित शान्तिनाथस्तवन, अज्ञात-रवि, संस्कृत, श्लोक२० शान्तिनाथस्तोत्र गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः अप्पडिहयधम्मचक्केण.... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ११, पृ. ३०-३१, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५३, पृ. ११९-१२०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शान्तिनाथस्तोत्र सं., पद्य, का.१३, आदि वाक्यः सकलदेवनरेश्वरवन्दित... पाकाहेम १२३३९, पृ. १, शान्तिनाथस्तोत्र, वि-१८मी, संपूर्ण शान्तिस्तव जुओ - मङ्गलस्तव, संस्कृत, श्लोक५ शान्तिस्तव बृहत् जुओ - बृहत् शान्तिस्तव, संस्कृत शान्तिस्तवन मुनि-मेरुसुन्दर, प्रा., पद्य, गा.३, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र. ३, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण शान्तिस्तोत्र लघु जुओ - लघुशान्तिस्तोत्र, आचार्य-मानदेवसूरि, संस्कृत, गा.१७ शाबरभाष्य सं., गद्य, आदि वाक्यः अथातो धर्मजिज्ञासा । लोके येष्वर्थेषु प्रसिद्धानि पदानि तानि सति सम्भवे तदर्थान्येव सूत्रेष्वित्यवगन्तव्यम्।... पाकाहेम १०४३२, पृ. ५०, शाबरभाष्य चतुर्थाध्याय, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००. कुल झे.पृष्ठ-५१ शाम्बपञ्चाशिका मुनि-शाम्ब साधु, सं., पद्य, श्लोक५३, पाकाहेम ७८७९, पृ.८, शाम्बपञ्चाशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ शाम्बपञ्चाशिका-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ७८७९, पृ.८, शाम्बपञ्चाशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ शाम्बपञ्चाशिका-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ७८७९, पृ.८, शाम्बपञ्चाशिका सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ शाम्बप्रद्युम्नरास उपाध्याय-सकलचन्द्रखिरतर], मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६५९, 715 Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०२३८, पृ. २१, शाम्बप्रद्युम्नरास, वि - १८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२ शारदानन्दनपण्डितकथा A.. पाकाहेम ५२४२ पृ. १ शारदानन्दन पण्डित कथा, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ शारदाष्टक " आचार्य जिनप्रभसूरि, सं. पद्य, श्लोकर, आदि वाक्य ॐनमस्त्रिवसवन्दितक्रमे सर्वविद्वदनपद्द्मभृङ्गिके... पाकाहेम ८२५३- पे.क्र. २, पृ. १-२, चतुर्विंशतिजिनस्तुति तथा शारदाष्टक, वि-१८०१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ शालिभद्रकारक (सालिभद्द कक्क ), ( काक), (कक्क) पउम, अप., पद्य, गा.६९, आदि वाक्य भलि भञ्जण कम्मारिकुल वीरनाहु पणमेव..... पाताखेत १२ पे.क्र. २. पू. ६. गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष - ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ७२-३- पे. क्र. १२ पृ. ११४-११९ बृहत् सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण डीवीडी-३१/५० शालिभद्रचरित्र प्रा., पद्य, गा.१७५, आदि वाक्य : (१) सुरवरकयमाणं नट्ठनीसेसमाणं भवजलयहिसुजाणं सत्तहत्थप्पमाणं । (२) सुरनरकयमाणं नट्ट्ठनीसेसमाणं भवजलहिसुजाणं सत्तहत्यप्यमाणं .... कृ. विः गाथा १७५ थी १७९ सुधी मळे छे.. पातासंघवीजीर्ण ८१ पे.क्र. ७. पू. १५७-१७३ उपदेशमाला आदि, त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १५६-१- पे क्र. ६. पृ. ९१-१०४ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ शालिभद्रचरित्र पे. विशेष- आदिना २५ श्लोक नथी.. प्रत विशेष- नकामी. प्रा., पद्य, गा. १८०, आदि वाक्यः इय परमपवित्तं सालिभद्दस्स एयं ... पाताखेत ११- पे.क्र. ८, पृ. १६८ - १९८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित पत्रांक- १६३-१६७ नहीं है. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४, ९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे. पृष्ठ- ११२, डीवीडी - ६१/६३ शालिभद्रचरित्र पद्य जैन श्रावक - धर्मकुमार, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३३४ ग्रं. १२४२ आदि वाक्य: श्रीदानधर्मकल्पद्रुर्जीयात् सौभाग्यभाग्यभूः ।... पाकाहेम १०६४०, पृ. २५ शालिभद्रचरित्र पद्य, वि-१५२१, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र - १२२४ प्रति पाणीथी भींजायेली छे. शालिभद्रमाई अप, पद्य, गा. ५५, कृ.वि: First २५ versesare obliterated. पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ३३, पृ. १२३ - १२४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष पण केटलाक अक्षरो घसायेला छे. तेनी गाथा ५५ कुल छे. डीवीडी-३८/५५ 716 Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती शाश्वतचैत्यस्तोत्र प्रा., पद्य, गा.३२, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ११, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० शाश्वतजिनचैत्यवन्दनविधि (जगचिन्तामणिचैत्यवन्दन) गौतमस्वामि, अप., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः जगचिन्तामणि जगनाह.. पाकाहेम १२३३८, पृ. १, शाश्वतजिनचैत्यवन्दनविधि-जगचिन्तामणिचैत्यवन्दन, वि-१९मी, संपूर्ण शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र प्रा., पाकाहेम १०२२८, पृ. ९, शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र सार्थ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०२२८, पृ. ९, शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र सार्थ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र-(मा.गु.)अर्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०२२८, पृ. ९, शाश्वतजिनचैत्यवन्दनसूत्र सार्थ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ शाश्वतजिनचैत्यस्तोत्र आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः तिपयपयसियतिजयं पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५१, पृ. ११८-११९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ११०१४, पृ. १, शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण __ प्रत विशेष- आ प्रति रिक्तलिपिचित्रमय छे. शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या -(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०१४, पृ. १, शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रति रिक्तलिपिचित्रमय छे. शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या -(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०१४, पृ. १, शाश्वतजिनभवनसङ्ख्या सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रति रिक्तलिपिचित्रमय छे. शाश्वतजिनस्तव आचार्य-धर्मसूरि, सं., पद्य, गा.१४, पातासंघवी १६६- पे.क्र. ३, पृ. ५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ शाश्वतजिनस्तवन प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्य: नमिउणं सव्व जिणे पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३५, पृ. ११२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण 717 Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ शाश्वताशाश्वतचैत्यमाला आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.२४, पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १८, पृ. १-४, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० शाश्वताशाश्वतजिनचैत्यवन्दन हेलाराज, गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः नित्ये श्रीभवनाधिवासभवनवाते मणिद्योतिते... पाताहेसं १८९- पे.क्र. २४, पृ. ११५A-११६B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१४. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. ७, पृ. ४०-४B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-१५. कुल झे.पृष्ठ-८ शास्त्रप्रकारविवरण सं., पद्य, पाताहेसं ५७- पे.क्र. ९, पृ. १६९अ-१६९आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६४-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ शास्त्रवार्तासमुच्चय आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं.. पाताखेत ४४-२, पृ. ४७, शास्त्रवार्तासमुच्चय, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ भांका २३५, पृ. १०२, शास्त्रवार्तासमुच्चय, संपूर्ण डीवीडी-८८ शास्त्रसारसमुच्चय सं., गद्यअध्याय४, आदि वाक्यः सीमं नम्रामरस्तोमं प्राप्तानन्त चतुष्टयं... भांका २९३- पे.क्र. ११, पृ. ५७B-५९B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. ___ कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ शास्त्रीय विचार सङ्ग्रह जुओ - प्रकीर्णक अनेक शास्त्रीय विचारसङ्ग्रह, प्राकृत शास्त्रीयवादस्थल सं., पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र. ४, पृ. २९-१९५, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ शास्त्रीयविचारगर्भित -यशोविजयोपाध्यायपत्र जुओ - यशोविजयोपाध्यायपत्र-शास्त्रीयविचारगर्भित, मारुगूर्जर शास्वतजिनभवन स्तोत्र प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः वन्दिय चउवीसजिणे सिद्धाययणेसु सव्वसिद्धाणं... 718 Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १६८- पे.क्र. १४, पृ. २७अ-२९अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३१-३२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ शास्वतजिनभवनस्तवन अप., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः कल्लाणपरम्परकारगाणि... पाकाहेम १२३९१, पृ. १, शास्वतजिनभवनस्तवन, वि-१७वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ शास्वताशास्वतचैत्यस्तवन (जैनचैत्यस्तुति) सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः सद्भक्त्या देवलोके रविशशिभवने व्यन्तराणां निकाये... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. ६, पृ. ३B-४A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ शिक्षाकुलक आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.७४, पाकाहेम ३८९४- पे.क्र.९, पृ. ५४-५६, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ शिक्षाशतक प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १६मी, गा.१००, आदि वाक्यः केवल अप्पसरूवं... पाकाहेम १३५१- पे.क्र. ३, पृ. ३-६, यतिशिक्षापञ्चाशतादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७८७८, पृ. ४, शिक्षाशतकप्रकरण, वि-१५४१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ भांका १२९, पृ. ८, शिक्षाशतक, संपूर्ण डीवीडी-८५ शिल्पशास्त्र लक्षणसमुच्चय जुओ - लक्षणसमुच्चय शिल्पशास्त्र, जैनेतर-विरोचन, संस्कृत शिशुपालवध (माघ काव्य) कवि-माघ, सं., पातासंघवीजीर्ण २८, पृ. १४५, शिशुपालवधटीका (माघ काव्य), त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक, पेज नं. ३५-७९, अने ४९-१७९ लखेला छे. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवी ६९-३, पृ. १८५, शिशुपालवध (माघ काव्य), वि-१२९६, संपूर्ण डीवीडी-३१/४९ पाकाहेम १०१०८, पृ. १२, शिशुपालवधमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ शिशुपालवधमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१०८, पृ. १२, शिशुपालवधमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ शिशुपालवधमहाकाव्य-(सं.)सन्देहविषौषधि टीका (सन्देहविषौषधि टीका) वल्लभदेव, सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण २८, पृ. १४५, शिशुपालवधटीका (माघ काव्य), त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक, पेज नं. ३५-७९, अने ४९-१७९ लखेला छे. 719 Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-५६/५९ शिशुपालवधमहाकाव्य-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१०८, पृ. १२, शिशुपालवधमहाकाव्य सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१३ शिशुपालवधमहाकाव्य-(सं.)सन्देहविषौषधि टीका (सन्देहविषौषधि टीका) वल्लभदेव, सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण २८, पृ. १४५, शिशुपालवधटीका (माघ काव्य), त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक, पेज नं. ३५-७९, अने ४९-१७९ लखेला छे. डीवीडी-५६/५९ शिष्यहिता टीका जुओ - पिण्डनियुक्ति-(सं.)शिष्यहिताटीका, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.७६७१ शिष्यहिता बृहद्वृत्ति जुओ - विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत, ग्रं.२८००० शिष्यहितावृत्ति जुओ - आवश्यकसूत्र-(सं.)शिष्यहितावृत्ति, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.२२००० शिष्यहितैषिणीवृत्ति जुओ - खण्डनखण्डखाद्य-(सं.)शिष्यहितैषिणीवृत्ति, संस्कृत शिष्यानुशास्ति प्रा., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः धन्नोसि तुमं सुन्दर... भांता ७०- पे.क्र. २७, पृ. ३६B-३७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङक-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ शीलकुलक प्रा., पद्य, गा.३१, आदि वाक्यः जस्स न भिन्न हिययं.. पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १६, पृ. २३०-२३३, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३५. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ तालाद ३८९- पे.क्र. ९, पृ. १५-१६, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. विशेष- लेखन संवत १६मु शतक. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ११०५४, पृ. १, शीलकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण शीलकुलक आचार्य-जयघोषसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २८, पृ. २१२-२१४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- दानशीलतपभावनाकुलकचतुष्टय-२. कुल झे.पृष्ठ-३१ शीलतरङ्गिणीवृत्ति जुओ - शीलोपदेशमाला-(सं.)शीलतरङ्गिणीवृत्ति, आचार्य-सोमतिलकसूरि, संस्कृत, ग्रं.१२९४ शीलप्रशंसाकुलक आचार्य-गुणसूरि, प्रा., पद्य, गा.४४, आदि वाक्यः तिलोयपुज्जाण जिणेसराणं सिद्धाणसूरीणय वायगाणं... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १२, पृ. ९३-९५, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं १६१- पे.क्र. २७, पृ. २२९-२३२, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण 720 Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शीलरक्षाकुलक प्रा., पद्य, गा. १०, पातासंघवी १६१-२ पे.क्र. ९ पृ. ११७-११८ प्रकरण सङ्ग्रह आदि संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ शीलवतीकथा शीलविषये (शीलविषये शीलवतीकथा) सं... पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ११, पृ. ३९-४२, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६० शीलवतीकथा श्लोकबद्ध चतुर्थ अणुव्रते (चतुर्थ अणुव्रते शीलवतीकथा श्लोकबद्ध) सं., पद्य, श्लोक ३८७, पाकाहेम ४२८९, पृ. ८, शीलवतीकथा-चतुर्थाणुव्रते श्लोकबद्ध, वि - १५९२, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-४४. प्रत विशेष प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. डीवीडी-८/१८ कुल झे. पृष्ठ- १७०, प्रत विशेष प्रतिशुद्ध छे कुल झे. पृष्ठ - ९ शीलविषये कलिङ्गसेनाकथा जुओ कलिङ्गसेनाकथा शीलविषये, संस्कृत शीलविषये जयलक्ष्मीदेवीकथा जुओ जयलक्ष्मीदेवीकथा शीलविषये प्राकृत, गा. १२६ शीलविषये ताराकथा जुओ ताराकथा शीलविषये, संस्कृत ग्रं. ११६ शीलविषये नर्मदासुन्दरीकथा (नर्मदासुन्दरीकथा) - सं., पद्य, श्लोक३२०५. पातासंघवी १२९ पे. क्र. ११ पृ. १२१-१३७, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि वि-१३३९ संपूर्ण प्रत विशेष कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? - शीलसन्धि कृति उपरथी प्रत माहिती - डीवीडी-३४/५२ शीलविषये पुरन्दरीदेवीकथा जुओ पुरन्दरीदेवीकथा शीलविषये प्राकृत, गा. १०२ शीलविषये रोहिणीकथा जुओ रोहिणीकथा शीलविषये, संस्कृत शीलविषये विलासवतीकथा (विलासवत्तीकथा) - शीलसन्धि - - सं., पद्य, श्लोक५५२. पातासंघवी १२९- पे क्र. १२, पृ. १३७-१७९ सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि वि-१३३९ संपूर्ण प्रत विशेष कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४ / ५२ शीलविषये शीलवतीकथा जुओ शीलवतीकथा शीलविषये, संस्कृत शीलविषये सीताचरित्र महाकाव्य ४ सर्ग (सीताचरित्र महाकाव्य) सं., पद्य, का. ५५५, अध्याय४, पातासंघवी १२९- पे. क्र. १३, पृ. १८०-२२५, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि वि-१३३९ संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ आचार्य - वज्रसेनसूरि, अप., पद्य, गा. ३४, कृ.विः कर्ता ? वज्रसेनसूरि ? पाकाहेम ७३०७ पे क्र. १ पृ. १ शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७ 721 . Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनि-जयशेखर-शिष्य, अप., पद्य, गा. ३४, पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २६, पृ. २१०-२१२, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक प्रकरण- कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष कडी-३४. कुल झ. पृष्ठ-३१ पाकाहेग ९०३३- पे.क्र. १ पृ. १-२ शीलसन्धि तथा उदेशसन्धि, वि-१७मी संपूर्ण 1 कुल झे. पृष्ठ-३ शीलाङ्गरथ तथा सामाचारीरथ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा.. पाकाहेम ८४०२, पृ. २, शीलाङ्गरथ तथा सामाचारीरथ सचित्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ शीलाङ्गरथ विधि प्रा. पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः गोयमसामि नमिठं जईण सीलाङ्गरहविहिं वोच्छं.... " शीलाङ्गरथस्थापनाक्रम पातासंघवी १८५-२- पे. क्र. ७, पृ. २२४-२२७, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३७/५४ प्रा. पद्य, आदि वाक्यः करणे जोए सन्ना इन्दियमोमाइसमणधम्मो य..... . " शीलोपदेशमाला भांता ७०- पे.क्र. ११७, पृ. १५३A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ - आचार्य जयकीर्तिसूरि, प्रा., पद्य, गा. ११६, आदि वाक्यः आबाल बम्भयारिं नेमिकुमारं .... - पातासंघवीजीर्ण ४९ पे.क्र. ८ पृ. ९०-१०० उपदेशमाला आदि त्रुटक पे. विशेष - गाथा - ११५. डीवीडी- ५०/६० पातासंघवी ६६-३- पे. क्र. ७, पृ. ९७-१०९ पुष्पमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३०, पृ. ६१-६३, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८.५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ ९० पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ११, पृ. २८-३१, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २७ पृ. १०१-१०५ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ पाकाहेम १६२० पे.क्र. १ पृ. ११-१३ शीलोपदेशमालाप्रकरण तथा चारित्रमनोरथमाला, वि-१७मी संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ११५. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १६२३. पृ. २४७ शीलोपदेशमालाप्रकरण सह वृत्ति, वि-१५६७, संपूर्ण प्रत विशेष मूलगाथा- ११५. 722 Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१६८ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. ८, पृ. ९८-१०६, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१५२, पृ. २, शीलोपदेशमालाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११५. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०१५३, पृ. ३, शीलोपदेशमालाप्रकरण, वि-१५४७, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-११५. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०१५४, पृ. ९, शीलोपदेशमालाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०१५५, पृ. ६, शीलोपदेशमालाप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०३७१, पृ. ११०, शीलोपदेशमालाप्रकरण-शीलतरङ्गिणीवृत्तिसहित, वि-१५३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११० पाकाहेम १०७३४- पे.क्र. १, पृ. १-२, शीलोपदेशमालाप्रकरण व गौतमपृच्छाप्रकरण, वि-१६वी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०७. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १४८७६- पे.क्र. १, पृ. १-७, शीलोपदेशमाला,धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास, वि-१५७३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १४९८४- पे.क्र.३, पृ. ७३-७५, सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि, वि-१५०४, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रमा पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १६६३९, पृ. ५, शीलोपदेशमाला प्रकरण, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाभाभा ५८, पृ. १२६, शीलोपदेशमाला शीलतरङ्गिणीवृत्तिसह किञ्चिदपूर्ण, वि-१६वी, संपूर्ण भांका १८८, पृ. २, शीलोपदेशमाला, संपूर्ण डीवीडी-८७ शीलोपदेशमाला-(सं.)शीलतरङ्गिणीवृत्ति (शीलतरङ्गिणीवृत्ति) आचार्य-सोमतिलकसूरि[रूद्रपल्लीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.१२९४, कृ.विः सोमतिलकसूरिनुं आचार्य पदवी पहेलानुं नाम विद्यातिलक हतुं. पाकाहेम १६२३, पृ. २४७, शीलोपदेशमालाप्रकरण सह वृत्ति, वि-१५६७, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-११५. कुल झे.पृष्ठ-१६८ पाकाहेम १०३७१, पृ. ११०, शीलोपदेशमालाप्रकरण-शीलतरङ्गिणीवृत्तिसहित, वि-१५३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११० पाकाभाभा ५८, पृ. १२६, शीलोपदेशमाला शीलतरङ्गिणीवृत्तिसह किञ्चिदपूर्ण, वि-१६वी, संपूर्ण शीलोपदेशमाला-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८ - पे.क्र. ५, पृ. १२, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० शीलोपदेशमाला-(सं.)पञ्जिका टीका 723 Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-पुण्यकीर्ति[कृष्णर्षिगच्छ], गुरु-आचार्य-कमलचन्द्रसूरि[कृष्णर्षिगच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वसिद्धिप्रदां देवीं नमस्कृत्य सरस्वतीं... भांका १६९, पृ. ४, शीलोपदेशमाला की पञ्जिका टीका, वि-१५५५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूक्ष्माक्षर लिपि में लिखित प्रति. __ कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८६ शीलोपदेशमाला-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र.५, पृ. १२, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० शीलोपदेशमाला-(सं.)पज्जिका टीका गणि-पुण्यकीर्ति[कृष्णर्षिगच्छ], गुरु-आचार्य-कमलचन्द्रसूरि[कृष्णर्षिगच्छ], सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वसिद्धिप्रदां देवीं नमस्कृत्य सरस्वतीं... भांका १६९, पृ. ४, शीलोपदेशमाला की पञ्जिका टीका, वि-१५५५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूक्ष्माक्षर लिपि में लिखित प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८६ शीलोपदेशमाला-(सं.)शीलतरङ्गिणीवृत्ति (शीलतरङ्गिणीवृत्ति) आचार्य-सोमतिलकसूरि[रूद्रपल्लीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.१२९४, कृ.विः सोमतिलकसूरिनुं आचार्य पदवी पहेलानुं नाम विद्यातिलक हतुं. पाकाहेम १६२३, पृ. २४७, शीलोपदेशमालाप्रकरण सह वृत्ति, वि-१५६७, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-११५. कुल झे.पृष्ठ-१६८ पाकाहेम १०३७१, पृ. ११०, शीलोपदेशमालाप्रकरण-शीलतरङ्गिणीवृत्तिसहित, वि-१५३४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११० पाकाभाभा ५८, पृ. १२६, शीलोपदेशमाला शीलतरङ्गिणीवृत्तिसह किञ्चिदपूर्ण, वि-१६वी, संपूर्ण शुकराजनृपकथा-गद्य आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५००, पाकाहेम ८०५७, पृ. १४, शुकराजनृपकथा गद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ शुक्लरौद्रआदि धर्मध्यान विवेचन सं., पद्य, आदि वाक्यः ...बुद्धिमानपि गुरुः शक्तो... भांका २९३- पे.क्र. ५, पृ. १००-३५A, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-३-९. बीच-बीच के कुछ पत्र नहीं होने से कौन कृति कहाँ से प्रारंभ व कहाँ पर पूरी हुई है उसका ठीक-ठीक पता नहीं चलता है. प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ शुभभावना उपदेश आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः सुहभावणावसाओ सोयपिसाओ सुहेण... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. १०, पृ. ४०-४५, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. __ कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १०, पृ. ८-९, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३. 724 Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३५ शुम्भलीमत कुट्टनीमत जुओ - कुट्टनीमत-शुम्भलीमत, पण्डित-दामोदर, संस्कृत, ग्रं.१२९०, श्लोक१०३९ शूरपालकथा दानविषये (दानविषये शूरपालकथा) पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ६, पृ. २५-२८, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० शृङ्खलालङ्कारमय स्तम्भनपार्श्वनाथ स्तवन जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथ शृङ्खलालङ्कारमय स्तवन#, संस्कृत, का.८ शृङ्गदत्तकथा अतिलोभे (अतिलोभे शृङ्गदत्तकथा) पाकाहेम १७७६ - पे.क्र. १८, पृ. ६३, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० शृङ्गारमण्डन कवि-मण्डन, सं., पाकाहेम ९४८८, पृ. ४, शृङ्गारमण्डन, वि-१५०४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ शोकपरिहारकुलक प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः जइवि गुणसालिणो हिययहारिणो... पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. १६, पृ. १३९-१४१, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ शोकवारणप्रकरण जुओ - उपदेशामृतप्रकरण, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.३२ शोभन चतुर्विंशतिका जुओ - शोभनस्तुति, मुनि-शोभन, संस्कृत, का.९६ शोभनमुनि धनपालकवि कथा जुओ - धनपालकवि-शोभनमुनिकथा, संस्कृत शोभनस्तुति (चतुर्विंशिका), (स्तुतिचतुर्विंशतिका), (शोभन चतुर्विंशतिका) मुनि-शोभन, सं., पद्य, का.९६, आदि वाक्यः भव्याम्भोजविबोधनैकतरणे! पाकाहेम १०६६९, पृ. ७, शोभनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पुप्रे ४१९-३, पृ. १०२, शोभनस्तुति सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०२ शोभनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६६९, पृ.७, शोभनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ शोभनस्तुति-(सं.)टीका आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १७७८, ग्रं.३१२५, आदि वाक्यः श्रीमज्जिनेन्द्रं प्रणिपत्य भावतो... __कृ.विः रचनास्थल-स्तम्भतीर्थ. आचार्य ज्ञानविमलसूरि द्वारा संशोधित. पुप्रे ४१९-३, पृ. १०२, शोभनस्तुति सह टीका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०२ शोभनस्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०६६९, पृ.७, शोभनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ शोभनस्तुति-(सं.)टीका 725 Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य सौभाग्यसागरसूरि सं., गद्य रचना सं. विक्रम १७७८ ग्रं. ३१२५. आदि वाक्यः श्रीमज्जिनेन्द्रं प्रणिपत्य भावतो.... कृ. वि. रचनास्थल-स्तम्मतीर्थ आचार्य ज्ञानविमलसूरि द्वारा संशोधित. पुणे ४१९-३ पृ. १०२ शोभनस्तुति सह टीका, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १०२ श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र जुओ पगामसज्झाय, प्राकृत, ग्रं. ५० - श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र जुओ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, प्राकृत, गा. ५० श्रवणभूषण टीका जुओ विदग्धमुखमण्डन- (सं.) श्रवणभूषणटीका, जैनेतर नरहरि भट्ट, संस्कृत श्राद्धजीतकल्पसूत्र (सड्ढ जीअ कप्पो ), ( श्रावकजीतकल्प) आचार्य - धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा. १३७, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो.... पातासंघवी ६२-२- पे. क्र. १६, पृ. १०१-१०६, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष - अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल हो. पृष्ठ-५२ डीवीडी - ३०/४९ पाकाहेम १००६२, पृ. ४, श्राद्धजीतकल्पसूत्र, वि-१५७ - संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - १४२. कुल झे. पृष्ठ-५ पाकाहेम १०२८१, पृ. ६, श्राद्धजीतकल्पसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-19 पाकाहेम १०४८३, पृ. ५, श्राद्धजीतकल्प, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ भांका १२८ पृ. ६३ श्राद्धजीतकल्प वृत्ति सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-६०७. डीवीडी-८५ श्राद्धजीतकल्पसूत्र (सं.) वृत्ति - आचार्य सोमतिलकसूर, सं. गद्य ग्रं. २६४७, पाकाहेम १००६३, पृ. ३७, श्राद्धजीतकल्पसूत्र वृत्ति, वि- १५७३, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ ४० श्राद्धजीतकल्पसूत्र-(सं.) वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीवीरं सगणधरं नत्वा श्रुतधरमुनीन् गुरूंश्च मुदा ...(२) इह हि श्रावकजिनप्रायश्चित्तप्रतिपादका... भांका १२८, पृ. ६३, श्राद्धजीतकल्प वृत्ति सह संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-६०७. डीवीडी-८५ श्राद्धजीतकल्पसूत्र - (प्रा.) अवचूरि प्रा., गद्य, पाकाहेग १०२८१ पृ. ६ श्राद्धजीतकल्पसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ श्राद्धजीतकल्पसूत्र (प्रा.) अवचूरि प्रा., गद्य, पाकाहेम १०२८१, पृ. ६, श्राद्धजीतकल्पसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ श्राद्धजीतकल्पसूत्र - ( सं . ) वृत्ति आचार्य सोमतिलकसूरि, सं. गद्य, ग्रं. २६४७, पाकाहेम १००६३, पृ. ३७, श्राद्धजीतकल्पसूत्र वृत्ति, वि- १५७३, संपूर्ण 726 Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुल झ. पृष्ठ-४० श्राद्धजीतकल्पसूत्र - ( सं . ) वृत्ति सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीवीरं सगणधरं नत्वा श्रुतधरमुनीन् गुरूंश्च मुदा... (२) इह हि श्रावकजिनप्रायश्चित्तप्रतिपादका.... कृति उपरथी प्रत माहिती भांका १२८, पृ. ६३, श्राद्धजीतकल्प वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-६०७. डीवीडी-८५ श्रद्धदिनकृत्य ( श्रावकदिनकृत्य), (श्राद्धदिनकृत्यकुलक), (श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण) प्रा., पद्य, गा. ३४०, आदि वाक्यः वीरं नमेउण तिलोयभाणं विसुद्धनाणं सुमहानिहाणं.... कृ.वि गाथा- ३३९ थी ३४४ सुधीनी संख्यामां मळे छे. देवेन्द्रसूरि कृतनो ज गाथोद्धार ? समान आदिवाक्य ? पाताखेत ४२ - पे.क्र. १३, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ३४१. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४९ पे. क्र. ९. पू. १००-१२५ उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष गाथा-३४४. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ३. पृ. ११-४६, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि वि-१३६९, त्रुटक कुल झे. पृष्ठ-६० पातासंघवी १६५ पे. क्र. ३ पृ. ११४-१५३ उपदेशमाला आदि संपूर्ण पे. नाम दिनकृत्यसूत्र, पे. विशेष संपूर्ण गाथा ३४४. झेरोक्ष पत्र-४६-५९. कुल झे. पृष्ठ ९० डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६८- पे. क्र. १०, पृ. १०४ ११५ वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. ४, पृ. १३८-१७५, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - ३३९. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी १३०-२- पे. क्र. ७, पृ. १२३-१६०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि- १३३०, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पाताहे १२२- पे.क्र. ५. पृ. ??? नवपदप्रकरण आदि संपूर्ण डीवीडी-७/१७ तालाद ३२६- पे. क्र. ११ पृ. ८७-१०९, बृहत्सग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे, विशेष गाथा-३४२. कुल झे. पृष्ठ - १०६, डीवीडी- ९४ / ९६ पाकाहेम १०१५८ पृ. १५ श्रावकदिनकृत्यप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४१. कुल झे. पृष्ठ- १६ आद्धदिनकृत्यकुलक जुओ श्राद्धदिनकृत्य, प्राकृत, गा. ३४० श्राद्धदिनकृत्यकुलक जुओ- श्रावकदिनकृत्यकुलक, प्राकृत श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण जुओ श्राद्धदिनकृत्य, प्राकृत, गा. ३४० श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण-( सं . ) अवचूरि - सं., गद्य, पाकाहेम १०१५९ पृ. २२ श्रावकदिनकृत्यप्रकरण अवचूरि वि-१७मी संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २३ झे. 727 Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.१२८०, आदि वाक्यः गोभिर्येन जगत्त्रयेऽपि निखिलद्रव्यप्रकाशः सदा।... पातासंघवी १७५, पृ. ३५७, श्रावकदिनकृत्यवृत्ति, वि-१४०९, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र प्रा., गद्य, पाकाभाभा ८१, पृ. १६२, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्ति सह, वि-१६वी, संपूर्ण श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अवचूरि , गद्य, पाकाभाभा ६२, पृ. ३१, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अवचूरि, वि-१६वी, संपूर्ण श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिका वृत्ति आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ८१, पृ. १६२, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्ति सह, वि-१६वी, संपूर्ण श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिका वृत्ति आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, पाकाभाभा ८१, पृ. १६२, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्ति सह, वि-१६वी, संपूर्ण श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अवचूरि , गद्य, पाकाभाभा ६२, पृ. ३१, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र अवचूरि, वि-१६वी, संपूर्ण श्राद्धलघुजीतकल्प जुओ - श्रावकसामाचारीप्रकरण, आचार्य-तिलकसूरि, प्राकृत, गा.३८ श्राद्धलघुजीतकल्प-(सं.)वृति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. २, पृ. ३१-३३, जीतकल्पवृत्तिसहितआदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४ श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसद्उत्तर (अञ्चलमतसद्उत्तर), (अञ्चलमतदलन) मुनि-हर्षभूषण, सं., रचना सं. विक्रम १४८०, ग्रं.१२८३, पाकाहेम ७९३०, पृ. १-२६, श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसदुत्तर बीजकसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ श्रावक अतिचार वर्णन प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः ...ताडन बन्धोरज्वादिभिः छविछेद कर्णादिकर्तन... पाताहेसं ५७- पे.क्र. ११, पृ. ?, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६७-१७०. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ श्रावक आवश्यकसूत्र प्रा.,मारुगूर्जर, पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ६२, पृ. २४३-२४९, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ श्रावक की ११ प्रतिमा वर्णन प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्य: नमस्कारपूर्वकं अहं भन्ते पढमं.... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. २, पृ. १A-9B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण 728 Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे. पृष्ठ-४१ श्रावक द्वादश व्रत स्वरूप जुओ भृगुकच्छ वास्तव्य श्रावक द्वादश व्रत स्वरुप, श्रावक लक्षण जुओ - भाव श्रावक लक्षण, आचार्य मुनिरत्नसूरि, प्राकृत, गा.२९ श्रावक आराधनाप्रकरण प्रा. मारुगुर्जर, पद्य, पाताहेसं १७१७- पे.क्र. २, पृ. ??? यतिआराधनाप्रकरण श्रावकआराधनाप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. २९, पृ. ११४-११७, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि - १५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ आवक आवश्यकसूत्र जुओ श्रावककुलक प्रा., पद्य, पाताखेत १२ - पे. क्र. २६, पृ. २६४-२६७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ में पानु घटे थे, डीवीडी-६१/६३ श्रावकक्रियाकुलक श्रावकषडावश्यकसूत्र, प्राकृत, संस्कृत मारुगूर्जर, पद्य, गा. ११, आदि वाक्य तित्थङ्करचउवीसजिण मनि ते समरेई .... कृ.विः भाषा ? पाकाहेम १११५१- पे क्र. ३, पृ. ४8-00, महासता सतीकुलक आदि वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झे. पृष्ठ-६ श्रावकजीतकल्प जुओ आवकदिनकृत्य जुओ श्राद्धदिनकृत्य, प्राकृत, गा. ३४० श्रावकदिनकृत्यकुलक (श्राद्धदिनकृत्यकुलक) - श्राद्धजीतकल्पसूत्र आचार्य धर्मघोषसूरि प्राकृत, गा. १३७ प्रा., पद्य, पाकाहेम ११०८२- पे.क्र. ३, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण आवकधर्म जुओ पञ्चाशकप्रकरण आचार्य हरिभद्रसूरि प्राकृत ग्रं. ११८२ गा. १००० श्रावकधर्म सम्यक्त्वरत्न , • प्रा., पद्य, गा.३७, आदि वाक्यः पणित्तुपायकमलं चरमजिणिन्दरस परमभत्तीए.... 3 पाताखेत ३६ पे क्र. १८ पृ. ? बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण - प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ श्रावकधर्मकुलक (प्रभातप्रबोधकुलक), (भावनाकुलक) प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः निसाविरामे परिभावयामि गेहे पलित्ते किमहं सुयामि..... पाताखेत २३- पे. क्र. १७, पृ. ३३५-३३७, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ९, पृ. ६३-६४, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. १६, पृ. १०० - १०१, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - २१. कुल झे. पृष्ठ- १०४, डीवीडी-३४/५२ 729 Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २३, पृ. १६८-१७०, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १११- पे.क्र. १०, पृ. १९२-१९६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- कुलक, पे. विशेष- गाथा-२२. प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३५, पृ. २४९-२५१, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- भावनाकुलक, पे. विशेष- गाथा-२२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३७, पृ. ७४अ-७६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- भावनाकुलक, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४५-४६. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २०, पृ. १०६०-१०७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- स्वजीवानुशासनकुलं प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.५, पृ. २३-२४, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ९, पृ. २९-३०, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७७९८- पे.क्र. २, पृ.?, श्रावकविधिप्रकरण तथा भावनाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२२. कुल झे.पृष्ठ-२ श्रावकधर्मप्रकरण आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३१३, का.२४५, ग्रं.२५०, आदि वाक्यः भेजुर्यस्यांह्रियुग्मं पथि मथितरिपोर्जातरूपस्य यातः... पाकाहेम ६५८८, पृ. २४०, श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४० श्रावकधर्मविधिप्रकरण-(सं.)वृत्ति मुनि-लक्ष्मीतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१७, ग्रं.१५३३१, प्रह्लादनपुर, पाकाहेम ६५८८, पृ. २४०, श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४० श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण (दर्शनसप्ततिका), (दर्शनसत्तरी) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं सावगधम्म समासओ वोच्छं... पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. ९, पृ. ११८-१२८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १, पृ. १-८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर आपेलो नथी., गाथा ७८ थी १२० सुधी नथी. डीवीडी-३८/५५ 730 Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाकाहेम ७७५ पे. क्र. ३३ पृ. ६७-६९ पे. नाम दर्शनसप्ततिका प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ-९० श्रावकधर्मविधिप्रकरण - (सं.) वृत्ति कृति उपरथी प्रत माहिती दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण मुनि-लक्ष्मीतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१७, ग्रं. १५३३१, पाकाहेम ६५८८, पृ. २४० श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २४० श्रवकधर्मोपरि कथा प्रा., गद्य, कृ. विः अन्तवाक्य सावगधम्मस्सपरमत्थो. पातासंघवीजीर्ण ९२ पे.क्र. ८ पृ. ५०-५० ओघनियुक्ति आदि अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि संपूर्ण पे. विशेष- आद्यन्तभाग अपूर्ण है. प्रत विशेष - जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित, झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ - ६४, डीवीडी-५८/६० श्रावकनन्दी जुओ - नवपदप्रकरण - ( सं .) श्रावकानन्दि टीका, आचार्य - जिनचन्द्रसूरि, संस्कृत श्रावकपाक्षिक अतिचार मारुगूर्जर, पाकाहेम ६९३९ पृ. १० श्रावकपाक्षिकअतिचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० पाकाहेम ७४९६- पे क्र. १ पृ. १४ श्रावकपाक्षिकअतिचार श्राविकापाक्षिकअतिचार, वि-१६मी संपूर्ण · कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १५ पृ. १३७-१४६ उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ५१ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण (सावयपण्णत्ति ) वाचक- उमास्वाति, प्रा. पद्य, गा.४०१, आदि वाक्य अरहन्ते वन्दित्ता सावगधम्मं दुवालसविहम्पि.... पातासंघवी १६०-१- पे क्र. २, पृ. १-४६, सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण पे. नाम- सावयपण्णत्ती प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे. पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह दिक्प्रदा टीका, वि-१५९३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६, डीवीडी-८४ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण- (सं.) दिक्प्रदा टीका (दिक्प्रदा टीका ) "" , आचार्य-हरिभद्रसूरि(बृहद्गच्छीय), सं. गद्य, आदि वाक्यः स्मरणं यस्य सत्वानां तीव्रपापौघशान्तये .... भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह दिक्प्रदा टीका, वि-१५९३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६, डीवीडी - ८४ आवकप्रज्ञप्तिप्रकरण- (सं.) दिक्प्रदा टीका (दिवप्रदा टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्मरणं यस्य सत्वानां तीव्रपापौघशान्तये .... भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह विकादा टीका, वि-१५९३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - १६, डीवीडी - ८४ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (वन्दित्तुसूत्र ), ( प्रतिक्रमणसूत्र - श्रावक ), ( श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र ) प्रा. पद्य, गा. ५०, आदि वाक्यः वन्दित्तु सव्वसिद्धे धम्मायरिए य सव्वसाहू य । .... पाताखेत ३२-२- पे.क्र. २ पृ. १०१-१०९B, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण 731 Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, पे. विशेष- पत्रानुक्रम अव्यवस्थित में ही झेरोक्ष निकाल दिया गया है. झेरोक्ष पत्र-१८-२४. कुल हो. पृष्ठ २६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-३- पे.क्र. २, पृ. १, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १०८- पे.क्र. ८, पृ. २०९-२१४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र. ८, पृ. ११९- १२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. ६, पृ. १३५-१३८, प्रवचनसन्दोह आदि संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०४-२- पे. क्र. २७, पृ. २३२-२३५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४१-२ पे.क्र. ८ पृ. १०३-११०, उपदेशमाला आदि संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना - गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६१-२ पे.क्र. ६. पृ. १०३-१०९ प्रकरण सङ्ग्रह आदि संपूर्ण T . डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १३. पृ. १४९-१५३ उपदेशमाला आदि वि-१२७२, संपूर्ण पे. नाम श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र आयरिय उवज्झाय अने अतिचार गाथा, पे. विशेष गाथा ४०. · डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०-२- पे. क्र. १७, पृ. २२१-२२७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा - ६०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५२ पे. क्र. ७, पृ. १५१-१५६ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/५५ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ४, पृ. ३२-३९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ५७, पृ. १५१-१६४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो घसायेला. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १११- पे.क्र. ५, पृ. १७३-१८३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६ - १७९ का झेरोक्ष पत्रांक- १९६ के बाद है. कुल झे. पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११३- पे.क्र. ७, पृ. १३५-१५७, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण 732 कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहे ११९ - पे. क्र. १३. पृ. १६१ १६५. पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ भांता २५- पे. क्र. ९, पृ. १९३-१९७० उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण " पे. नाम- श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र, पे. विशेष- सूचीपत्र नं. १-९१९. प्रत विशेष भण्डार संदर्भाक - ७४ (A) / ८०-८१. सूचीपत्र नं. २- २३२. डीवीडी-६९/७७ Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ५७ पृ. ३२ वन्दित्तुसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.१-१०००. ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ भांता ६९ पे. क्र. १२, पृ. ९१-९६B आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि संपूर्ण - " पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-९२०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. २- १३३. कुल झे. पृष्ठ ४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम ४३६, पृ. १३१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि - त्रुटक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित वि-१५९४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २८ पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३२ मुं नथी. . कुल झे. पृष्ठ - ९६ पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि- १५४९, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १२३ भांका २७८, पृ. ४४ वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि), संपूर्ण " प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-९२५, ३३, ४० पाना डबल छे. डीवीडी- ९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- (प्रा.) चूर्णि ( वन्दित्ताचूर्णि ) आचार्य - विजयसिंहसूरि, गुरु- मुनि शान्तिमुनि, प्रा. पद्य रचना सं. विक्रम ११८३ श्लोक ४५९०, आदि वाक्यः (१) सिद्धं सिद्धत्थसुर्य सुयधम्मपयासयं.. (२) वन्दित्वेति यदि अभिवादन.... पाकाहेम ४३६, पृ. १३१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि - त्रुटक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित वि-१५९४, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २८ पाकाहेम १४८९४ पृ. ९५ आवकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३२ मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ-९६ भांका २७८, पृ. ४४ वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि ), संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-९२५, ३३ ४० पाना डबल छे. डीवीडी- ९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) वृत्ति आचार्य श्रीचन्द्रसूरि, गुरु- आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२२, ग्रं. १९५०, आदि वाक्यः श्रीवर्धमानमानम्य स्पष्टा वृत्तिर्विधीयते .... F " कृ.वि: विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १४३-१, पृ. १५४, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, वि - १२९९, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) वृत्ति मुनि पार्श्वसाधु, सं. पद्य रचना सं. विक्रम ९५५ श्लोक५७७ आदि वाक्यः देवेन्द्रवन्यचरणान् प्रणम्य भक्त्या जिनेन्द्रमुनीन्.... 733 Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे पातासंघवी १६०-२- पे क्र. २, पृ. ७८-१४४ यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे. क्र. ६, पृ. १०९ - १६१, चैत्यवन्दना - वन्दनक- प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८ पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति) आचार्य- रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि - १५४९, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) लघुवृत्ति आचार्य तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं. २००, आदि वाक्यः प्रणिधाय श्रीवीरं स्वल्परूचिनां कृते समासेन..... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-७०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ६२. पृ. १८७-१९३ योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. नाम श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) लघुवृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाताहे १०५ पे.क्र. ४. पृ. १२६अ १४५ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण ये नाम वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष पूर्ण गाथा- ४७वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र - ३१-४०. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२ डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७४७३, पृ. ३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति - वन्दित्ता सूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) वृत्ति सं. गद्य, भांता ५७, पृ. ३२ वन्दित्तुसुत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१००० ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- (प्रा.) चूर्णि ( वन्दित्ताचूर्णि ) आचार्य विजयसिंहरि गुरु- मुनि शान्तिमुनि, प्रा. पद्य रचना सं. विक्रम ११८३ श्लोक ४५९०, आदि वाक्य: (१) " सिद्धं सिद्धत्वसुर्य सुयधम्मपयासयं...(२) वन्दित्वेति वदि अभिवादन... पाकाहेम ४३६, पृ. १३१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णित्रुटक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित वि-१५९४ संपूर्ण कुझे. पृष्ठ- २८ पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३२ में नथी. - " झे. पृष्ठ-९६ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि ), संपूर्ण 734 Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे. डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२००, आदि वाक्यः प्रणिधाय श्रीवीरं स्वल्परूचिनां कृते समासेन... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-७०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६२, पृ. १८७-१९३ , योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १०५- पे.क्र. ४, पृ. १२६अ-१४५आ-, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-४७वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र-३१-४०. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७४७३, पृ. ३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति-वन्दित्ता सूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२२, ग्रं.१९५०, आदि वाक्यः श्रीवर्धमानमानम्य स्पष्टा वृत्तिर्विधीयते... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १४३-१, पृ. १५४, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, वि-१२९९, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति मुनि-पार्श्वसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ९५५ , श्लोक५७७, आदि वाक्यः देवेन्द्रवन्धचरणान् प्रणम्य भक्त्या जिनेन्द्रमुनीन्... कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे. पातासंघवी १६०-२- पे.क्र.२, पृ.७८-१४४, यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र.६, पृ. १०९-१६१, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८मुं पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांता ५७, पृ. ३२, वन्दित्तुसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१०००. ग्रन्थ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ 735 Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती श्रावकप्रायश्चित (प्रायश्चित्त) भांता ३६- पे.क्र. २, पृ. १२-१३, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७. डीवीडी-६९/७८ श्रावकवक्तव्यताप्रकरण (षट्स्थानकप्रकरण) आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०३, आदि वाक्यः कयवयकम्मपभावो सीलत्तं चेव तहय गुणवत्तं... कृ.विः खरा कर्ता कोण? जिनेश्वरसूरिना नामनुं षट्स्थानप्रकरण १९१ गाथार्नु पण मळे छ । पाताहेसं ११९- पे.क्र. १५, पृ. १७५-१८२, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ___ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ तालाद ३२६- पे.क्र. २०, पृ. १५०-१५७, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः इय पुव्वसूरिविरइयगाहाजुयलस्स विवरियं किञ्चि... पाताहेसं ११९- पे.क्र. १६, पृ. १८२-१९४, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ श्रावकवक्तव्यताप्रकरण (षट्स्थानकप्रकरण) आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०३, आदि वाक्यः कयवयकम्मयभावो सीलत्तं चेव कहय गुणवत्तं... कृ.विः खरा कर्त्ता कोण? पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ५, पृ. ७४-८५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ३२, पृ. ६५-६७, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ५, पृ. ७४-८५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः इय पुव्वसूरिविरइयगाहाजुयलस्स विवरियं किञ्चि... पाताहेसं ११९- पे.क्र. १६, पृ. १८२-१९४, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ श्रावकवक्तव्यताप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ५, पृ. ७४-८५, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०१. 736 Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ श्रावकवर्णन प्रा., आदि वाक्यः अहिगय जीवाजीवे उवलद्ध पुन्नपावे... भांता ७०- पे.क्र. ८१, पृ. १०५A-१०५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ श्रावकवर्षाभिग्रह प्रा., आदि वाक्यः वर्षा चतुर्मासकाभिग्रहा यथा वारचतुष्टयं चैत्यवन्दना दिनमद्ये कार्या... पातासंघवी १८५-२- पे.क्र.६, पृ. २२१-२२४, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३८, पृ. ५०-५१, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ श्रावकविधि भांता २४- पे.क्र. ४, पृ. ६७A-७०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ श्रावकविधिकुलक आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः वीरजिणिन्दह पयकमलु पणामिउ परमपवित्तु... पाताखेत ५- पे.क्र. १६, पृ. १८१-१८५, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५- पे.क्र. २०, पृ. २१६-२१९, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र.८, पृ. ९९-१०२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकविधिप्रकरण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३८, पृ. २५४-२५६, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकविधिप्रकरण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ श्रावकविधिकुलक प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः निसाविरामे परिभावयामि... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३३, पृ. २१७-२१८, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. कुल झे.पृष्ठ-३१ श्रावकविधिकुलक जुओ - श्रावकविधिप्रकरण, कवि-धनपाल, प्राकृत, गा.२२ 737 Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रावकविधिप्रकरण (श्रावकविधिकुलक) कवि - धनपाल, प्रा., पद्य, गा. २२, आदि वाक्यः जत्थ पुरे जिणभवणं समयविऊ साहुसावया जत्थ । .... पातासंघवी ५६-२- पे. क्र. ४. पृ. १०५-१०८ उपदेशमाला आदि वि-१३वी संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण गाथा- २३. झेरोक्ष पत्र - १३-१४. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १४१-२ पे.क्र. १५. पृ. ४२-४४, उपदेशमाला आदि संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना - गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ११९ - पे.क्र. २२, पृ. २३२-२३४, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - २१. प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७- १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ तालाद ३२६- पे क्र. ४ पृ. ६०-६१, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण 7 कुल झे. पृष्ठ- १०६, डीवीडी- ९४ / ९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २०, पृ. ३६, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे पत्र -५८, ५९ भेगा छे, कुल झे. पृष्ठ ९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १, पृ. १-२ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कृति उपरथी प्रत माहिती श्रावकविधिप्रकाश कुल हो. पृष्ठ- १४५ पाकाहेम ७७९८- पे.क्र. १, पृ. ? श्रावकविधिप्रकरण तथा भावनाकुलक, वि-१७मी, कुल झे. पृष्ठ- २ संपूर्ण क्षमाकल्याण, मारुगूर्जर, रचना सं. विक्रम १८३८, पाकाहेम १४३१८, पृ. १४ श्रावकविधिप्रकाश वि-१९मी, संपूर्ण श्रावकविधिरास मुनि - पद्मानन्दसूरि-शिष्य अप, पद्य रचना सं. विक्रम १३७१, गा. ५०. पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २६, पृ. ६२-६४, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण श्रावकव्रत (गुरुस्तुति) श्रावकव्रतभङ्ग प्रत विशेष - पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. , मुनि-देवसूरि-शिष्य, प्रा., पद्य, गा. ५७, आदि वाक्यः तिहुअणकयबहुमाणे सन्नाणे.... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २९ पृ. ११४-१२३, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १८ पृ. १४-१६, मुनिचन्द्रसूरि चक्रेश्वरसूरि रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह वि-१९७९. संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-३५ भांका २०० पृ. १ श्रावकव्रतभङ्ग, संपूर्ण डीवीडी-८७ श्रावकव्रतभङ्गदेवकुलिका सं.. पाकाहेम १४३३६, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गदेवकुलिका, वि-१९मी, संपूर्ण 738 Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण प्रा., पद्य, गा.४१, पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण भांका २९६, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९१ श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४७२, पृ. ६, श्रावकषडावश्यकसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४७२, पृ.६, श्रावकषडावश्यकसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतभङ्गभेदसङ्ख्या , सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः प्रणम्य समस्तपरमार्थवस्तुविस्तारदेशकं वीरं... पुप्रे ४१८- पे.क्र. २, पृ. १६४-१६५, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ११०६५, पृ. १, श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतारोपनन्दि (नन्दि श्रावकव्रतारोप) प्रा., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः चीवन्दणवन्दणयं गिहिवयउस्सग्ग पइवउव्वरणं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-अहगहियभंगएहिं परिहरामि अईयं निंदामि शेषं पूर्वदंडकवत्. भांता ७०- पे.क्र. ४८, पृ. ५१A-५२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३५०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ श्रावकषडावश्यकसूत्र (श्रावकआवश्यकसूत्र), (आवश्यकसूत्र), (षडावश्यकसूत्र) प्रा.,सं., संयुक्त प+ग, आदि वाक्यः नमो अरहन्ताणं नमो सिद्धाणं.. पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १३, पृ. १९८-२२५, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनक अने प्रतिक्रमणसूत्रादि, पे. विशेष- बे स्तोत्रो पण छे ते पेटांक २०,२१ पर छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १, पृ. २-५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १३, पृ. १७-२२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ६९३४, पृ. १०, षडावश्यकसूत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम ७४६०, पृ. १४, श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण 739 Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ- १५ पाकाहेम ७४६१, पृ. ४, श्रावकषडावश्यकसूत्र चित्रलिपिमय दि-१७मी, अपूर्ण कुल ही, पृष्ठल्प पाकाहेम ७४६२, पृ. ९ श्रावकषडावश्यकसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ ९ पाकाहेम ७४६३, पृ. १६, श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि-१६११, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-१७ पाकाहेम ७४६४, पृ. १७ श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि-१८४१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ पाकाहेम ७४६५ पृ. ९ श्रावकषडावश्यकसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १० पाकाहेम ७४६६, पृ. १६, श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि- १६६१, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- १७ पाकाहेम ७४६७, पृ. १५ श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि- १६६५, अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६ पाकाहेम ७४६८, पृ. ६, श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ पाकाहेम ७४७४, पृ. १२ श्रावकषडावश्यकसूत्र सस्तबक, वि-१५९९, संपूर्ण पाकाहेम १०४८७, पृ. ५८, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वृत्तिसह - वन्दारुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-५९ पाकाहेम १४८८२, पृ. ११, षडावश्यकसूत्रसस्तबक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२ पाकाहेम १५०१०, पृ. ७ षडावश्यकसूत्र सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-८ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.) वन्दारु वृत्ति ( वन्दारुवृत्ति), (श्रावकानुष्ठानविधि), ( अनुष्ठानविधि टीका) आचार्य- देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. २७७०, आदि वाक्यः (१) वृन्दारुवृन्दारकवृन्दवन्द्यं...(२) प्रणौमि महिमामेयं.... कृ.विः मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? पातासंघवीजीर्ण ५६, पृ. ८०, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ८० थी पण वधारे छे पण त्रुटक छे ने अपूर्ण. - डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १५० पे.क्र. १ पृ. १८४-२६६, वन्दारुवृत्ति (आवकानुष्ठानविधि) व प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह (सं.) वन्दारुवृत्ति, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र - २७००, २७७०. सारी डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६८ - पे.क्र. १, पृ. १-८४, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र-२७२०. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ७८-१, पृ. २४६, वन्दारुवृत्ति ( श्रावकानुष्ठानविधि), संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पाकाहेम ६९३७, पृ. १३६ श्रावकषडावश्यकसूत्रवृत्ति वन्दारुवृत्ति टबार्थसह वि-१८५३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३७ पाकाहेम ७४७०, पृ. ७७, श्रावकषडावश्यकसूत्र वृत्ति वन्दारुवृत्ति, वि - १४९०, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७८ पाकाहेम १०४८७, पृ. ५८, श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वृत्तिसह - वन्दारुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५९ 740 Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १७७१७, पृ. १-४, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति-वन्दारुवृत्ति, वि-१८५०, संपूर्ण भांका १४५, पृ. २२, वन्दारूवृत्ति अवचूरी सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१८७., डीवीडी-८५ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)वन्दारूवृत्तिनी (सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इह तावदास्तिकेनापि नित्यं त्रीन् वारान्... भांका १४५, पृ. २२, वन्दारूवृत्ति अवचूरी सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-१८७., डीवीडी-८५ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)वन्दारुवृत्तिना (मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९३७, पृ. १-१२, श्रावकषडावश्यकसूत्रवृत्ति-वन्दारुवृत्ति टबार्थसह, वि-१८५३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३७ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)वृत्ति मुनि-नमिसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२२, श्लोक१५५०, पाकाहेम ६९३६, पृ. ३५, षडावश्यकसूत्रवृत्ति, वि-१५२१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम ७४६९, पृ. २५, श्रावकषडावश्यकसूत्र वृत्ति, वि-१५३६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२५ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १५०१०, पृ.७, षडावश्यकसूत्र सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७४७४, पृ. १२, श्रावकषडावश्यकसूत्र सस्तबक, वि-१५९९, संपूर्ण पाकाहेम १४८८२, पृ. ११, षडावश्यकसूत्रसस्तबक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (वन्दित्तुसूत्र), (प्रतिक्रमणसूत्र-श्रावक), (श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र) प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः वन्दित्तु सव्वसिद्ध धम्मायरिए य सव्वसाहू या... पाताखेत ३२-२- पे.क्र. २, पृ. १०१B-१०९B, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, पे. विशेष- पत्रानुक्रम अव्यवस्थित में ही झेरोक्ष निकाल दिया गया है. झेरोक्ष पत्र-१८-२४. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-३- पे.क्र. २, पृ. १, बृहत्सङ्ग्रहणीगाथा श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रादि, वि-१३५४, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १०८- पे.क्र.८, पृ. २०९-२१४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १५१- पे.क्र.८, पृ. ११९-१२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां घणे ठेकाणे केटलांक प्रकरणोमां पानाना अक्षरो घसाई गया छे. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र.६, पृ. १३५-१३८, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २७, पृ. २३२-२३५, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण 741 Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. ८, पृ. १०३-११०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६१-२- पे.क्र. ६. पृ. १०३-१०९, प्रकरण सङ्ग्रह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८१-१- पे.क्र. १३, पृ. १४९-१५३, उपदेशमाला आदि, वि-१२७९, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र आयरिय उवज्झाय अने अतिचार गाथा, पे. विशेष- गाथा-४०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र. १७, पृ. २२१-२२७, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-६०. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९५-२- पे.क्र. ७, पृ. १५१-१५६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५५ पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ४, पृ. ३२-३९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५७, पृ. १५१-१६४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो घसायेला. __ डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १११- पे.क्र.५, पृ. १७३-१८३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११३- पे.क्र.७, पृ. १३५-१५७, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १३, पृ. १६१-१६५, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. ___ कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ भांता २५- पे.क्र. ९, पृ. १९३०-१९७B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र, पे. विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९१९. प्रत विशेष- भण्डार संदर्भाक-७४(A)/८०-८१. सूचीपत्र-नं.२-२३२. डीवीडी-६९/७७ भांता ५७, पृ. ३२, वन्दित्तुसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१०००. ग्रन्थ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ भांता ६९- पे.क्र. १२, पृ. ९१A-९६B, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-९२०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. __ कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम ४३६, पृ. १३१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि-त्रुटक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित, वि-१५९४, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण 742 Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२ मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१२३ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे. डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(प्रा.)चूर्णि (वन्दित्ताचूर्णि) आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८३, श्लोक४५९०, आदि वाक्यः (१) सिद्धं सिद्धत्थसुयं सुयधम्मपयासयं...(२) वन्दित्वेति वदि अभिवादन... पाकाहेम ४३६, पृ. १३१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि-त्रुटक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित, वि-१५९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२ मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-९६ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे. डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२२, ग्रं.१९५०, आदि वाक्यः श्रीवर्धमानमानम्य स्पष्टा वृत्तिर्विधीयते... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १४३-१, पृ. १५४, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, वि-१२९९, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति मुनि-पार्श्वसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ९५५ , श्लोक५७७, आदि वाक्यः देवेन्द्रवन्धचरणान् प्रणम्य भक्त्या जिनेन्द्रमुनीन्... कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे. पातासंघवी १६०-२- पे.क्र. २, पृ. ७८-१४४, यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. ६, पृ. १०९-१६१, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८मुं पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. 743 Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १४९०५. पृ. १२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि- १५४९ संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं. २००, आदि वाक्यः प्रणिधाय श्रीवीरं स्वल्परूचिनां कृते समासेन.... पातासंघवी १२१-२- पे क्र. २. पृ. ५१-७० चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४ / ५२ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ६२, पृ. १८७-१९३ योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण " पे. नाम - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र - (सं.) लघुवृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाताहे १०५ पे. क्र. ४ पृ. १२६अ १४५आ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि अपूर्ण पे. नाम वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष पूर्ण गाथा ४७वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र - ३१-४०. प्रत विशेष पत्र-३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२, डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७४७३ पृ. ३. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति वन्दित्ता सुत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) वृत्ति सं. गद्य, भांता ५७, पृ. ३२, वन्दित्तुसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १ - १०००. ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ श्रावकषडावश्यकसूत्र - (मा.गु.) स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ७४७४, पृ. १२, श्रावकषडावश्यकसूत्र सस्तबक, वि-१५९९, संपूर्ण पाकाहेम १४८८२, पृ. ११, षडावश्यकसूत्रसस्तबक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२ श्रावकष डावश्यक सूत्र- (सं.) अवचूरि सं. गद्य, " पाकाहेम १५०१०, पृ. ७ षडावश्यकसूत्र सावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ श्रावकषडावश्यकसूत्र-(सं.) वन्दारु वृत्ति (वन्दारुवृत्ति), (श्रावकानुष्ठानविधि), (अनुष्ठानविधि टीका) आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. २७७०, आदि वाक्य : (१) वृन्दारुवृन्दारकवृन्दवन्द्यं ...(२) प्रणौमि महिमामेयं.... कृ. विः मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर? पातासंघवीजीर्ण ५६, पृ. ८०, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ८० थी पण वधारे छे पण त्रुटक छे ने अपूर्ण. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १५०- पे.क्र. १, पृ. १८४-२६६, वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि) व प्रवचनसारोद्धार, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह (सं.) वन्दारुवृत्ति, पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-२७००, २७७०. सारी डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १६८- पे.क्र. १, पृ. १-८४, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र-२७२०. - डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ७८-१ ५ २४६ वन्दारुवृत्ति (श्रावकानुष्ठानविधि), संपूर्ण डीवीडी-३१/५० 744 Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६९३७, पृ. १३६, श्रावकषडावश्यकसूत्रवृत्ति - वन्दारुवृत्ति टबार्थसह, वि-१८५३, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १३७ पाकाहेम ७४७०, पृ. ७७, श्रावकषडावश्यकसूत्र वृत्ति वन्दारुवृत्ति, वि- १४९०, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७८ पाकाहेम १०४८७, पृ. ५८ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वृत्तिसह वन्दारुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५९ पाकाहेम १७७१७, पृ. १-४, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति - वन्दारुवृत्ति, वि-१८५०, संपूर्ण भांका १४५ पृ. २२. वन्दारुवृत्ति अवचूरी सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-१८७.. डीवीडी-८५ आवकषडावश्यक सूत्र (सं.) वन्दारुवृत्तिनी (सं.) अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इह तावदास्तिकेनापि नित्यं त्रीन् वारान्... भांका १४५, पृ. २२, वन्दारुवृत्ति अवचूरी सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-१८७.. डीवीडी-८५ श्रावकषडावश्यकसूत्र-( सं .) वन्दारुवृत्तिना ( मा. गु. ) टबार्थ मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९३७, पृ. १-१२ श्रावकषडावश्यकसूत्रवृत्ति - वन्दारुवृत्ति टबार्थसह, वि- १८५३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १३७ आवकषडावश्यक सूत्र- (सं.) वन्दारुवृत्तिना ( मा.गु.) टवार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९३७, पृ. १-१२ श्रावकषडावश्यक सूत्रवृत्ति वन्दारुवृत्ति टबार्थसह वि-१८५३, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १३७ झे आवकषडावश्यक सूत्र- (सं.) वन्दारुवृत्तिनी (सं.) अवचूरि सं. गद्य, आदि वाक्यः इह तावदास्तिकेनापि नित्यं त्रीन् वारान्... भांका १४५, पृ. २२, वन्दारूवृत्ति अवचूरी सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रक्रम-१-१८७., डीवीडी-८५ श्रावकषडावश्यकसूत्र- ( सं . ) वृत्ति मुनि नमिसाधु, सं., पथ, रचना सं. विक्रम ११२२, श्लोक १५५० पाकाहेम ६९३६, पृ. ३५, षडावश्यकसूत्रवृत्ति, वि-१५२१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३६ पाकाहेम ७४६९, पृ. २५, श्रावकषडावश्यकसूत्र वृत्ति, वि-१५३६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २५ श्रावकसामाचारी जुओ दिनकृत्य श्रावकसामाचारी, प्राकृत, गा.४९७ श्रावकसामाचारी (सामाचारी) गणि- जिनचन्द्र गणि, प्रा., पातासंघवी ६७-१- पे. क्र. १२ पृ. २६५-२८१, उपदेशमाला आदि वि-१२३७, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र २५७ थी २६४ नथी.. डीवीडी - ३० / ४९ पाकाहेम ३३३३, पृ. २२. श्रावकसामाचारी सटीक, वि-१९५८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १६ आवकसामाचारी (सं.) टीका सं. गद्य, 745 Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ३३३३, पृ. २२ श्रावकसामाचारी सटीक, वि-१९५८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ १६ श्रावकसामाचारी (सं.) टीका सं. गद्य, पाकाहेम ३३३३, पृ. २२ श्रावकसामाचारी सटीक, वि-१९५८, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ- १६ श्रावकसामाचारीप्रकरण (आद्धलघुजीतकल्प) (श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण ), ( सामाचारी) आचार्य - तिलकसूरि, प्रा., पद्य, गा.३८, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं नमिउं पायच्छितं सावयाण वुच्छामि..... कृ.विः प्रायश्चित्त. पातासंघवी ६२-२- पे. क्र. १ पृ. १५००, सामाचारी आदि संपूर्ण पे. नाम - विधि, तप, पच्चक्खाण आदि विविध आगमिक विचारसंग्रह प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ - ५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १८३१, पृ. ९७ श्रावकसामाचारी व्याख्यान, अपूर्ण प्रत विशेष अपूर्ण. डीवीडी - ३७ / ५४ पाताहे १७३ पे. क्र. २ पृ. १५०-१५१ जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - २०. - डीवीडी - ९ / १९ पाकाहेम ६५९४, पृ. १३, श्रावकसामाचारीप्रकरण सह टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२ पाकाहेम ७९४८- पे.क्र. १, पृ. १, श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण आदि, वि-१६००, संपूर्ण पे. विशेष गाथा-२०. कुल डी. पृष्ठ १० पाकाहेम ७९५२- पे.क्र. १ पृ. १-३ श्रवकसामाचारीप्रकरण तथा योगप्रायश्चित्तप्रदानविधि सावचूरि त्रिपाठ, वि १७मी, संपूर्ण प्रत विशेष श्रीचन्द्रसूरिसामाचारीगत. कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०३२३- पे. क्र. २, पृ. ३१-३३ जीतकल्पवृत्तिसहितआदि वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. कुल डी. पृष्ठ-३४ श्राद्धलघुजीतकल्प-(सं.) वृति आचार्य तिलकसूरि, सं. गद्य, पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. २, पृ. ३१-३३, जीतकल्पवृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे. कुल झे. पृष्ठ-३४ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) टीका सं. गय पाकाहेम ६५९४, पृ. १-७, श्रावकसामाचारीप्रकरण सह टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२ A.. गद्य, पाकाहेम ७९४८- पे क्र. २ पृ. ३५३, श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण आदि वि-१६००, संपूर्ण श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण- (सं.) व्याख्या कुल झ. पृष्ठ- १० झे. 746 Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) आवकसामाचारीवृत्ति (श्रावकसामाचारीवृत्ति ) आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनं वीरं श्रावकाणां विशुद्धिकृत्..... पाताहेसं १७३- पे.क्र. ३ पृ. १५१-१५९, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) टीका सं. गद्य, आदि वाक्यः येन ध्यान समन्वितेन तपसा.... पातासंघवी १८३-१, पृ. ९७ श्रावकसामाचारी व्याख्यान अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३७/५४ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) बीजक सं., गद्य, पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १, पृ. २१९, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. नाम विधि, तप, पच्चक्खाण आदि विविध आगमिक विचारसंग्रह प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. डीवीडी-३०/४९ कुल झे. पृष्ठ-५२ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम ६५९४, पृ. १७ श्रावकसामाचारीप्रकरण सह टीका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १२ झे. श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः येन ध्यान समन्वितेन तपसा.... पातासंघवी १८३-१, पृ. ९७ श्रावकसामाचारी व्याख्यान, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३७/५४ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) बीजक सं. गद्य, पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १ पृ. २१९ सामाचारी आदि संपूर्ण पे. नाम - विधि, तप, पच्चक्खाण आदि विविध आगमिक विचारसंग्रह प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२ डीवीडी-३०/४९ श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.) श्रावकसामाचारीवृत्ति ( श्रावकसामाचारीवृत्ति) आचार्य तिलकसुरि, सं. गद्य आदि वाक्यः प्रणिपत्य जिनं वीरं श्रावकाणां विशुद्धिकृत्..... " पाताहेसं १७३- पे.क्र. ३, पृ. १५१-१५९, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ श्रावकसामाचारीवृत्ति जुओ- श्रावकसामाचारीप्रकरण- (सं.)श्रावकसामाचारीवृत्ति, आचार्य - तिलकसूरि, संस्कृत श्रावकातिचार (अतिचार - श्रावक ) मारुगूर्जर, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २३, पृ. ५७-६०, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं. की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. आवकानन्दि टीका जुओ नवपदप्रकरण - (सं.) श्रावकानन्दि टीका, आचार्य जिनचन्द्रसूरि संस्कृत श्रावकानुष्ठानविधि जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र (सं.) वन्दारु वृत्ति, आचार्य - देवेन्द्रसूरि, संस्कृत ग्रं. २७७० श्रावकाराधना मारुगुर्जर, पद्य, गा. १४३. - 747 Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २०, पृ. ४९-५१, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. श्रावकाराधना गणि-समयसुन्दरजी गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६६७, श्लोक२११, पाकाहेम १४४३३, पृ. ४, श्रावकाराधना, वि-१९मी, संपूर्ण श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण जुओ - श्रावकसामाचारीप्रकरण, आचार्य-तिलकसूरि, प्राकृत, गा.३८ श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ७९४८ - पे.क्र. २, पृ. ३-१३, श्रावकालोचनासामाचारीप्रकरण आदि, वि-१६००, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० श्राविकाकर्पूरदेवीपरिग्रहपरिमाण (परिग्रहपरिमाण) प्रा., पद्य, गा.३९, पाकाहेम ७१२४- पे.क्र. २, पृ. ?, कुमारपालचरित्र, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ श्राविकापाक्षिक अतिचार मारुगूर्जर, पाकाहेम ७४९६- पे.क्र. २, पृ. ४-६, श्रावकपाक्षिकअतिचार श्राविकापाक्षिकअतिचार, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ श्राविकालेखपद्धति सं., पाकाहेम ८०१३- पे.क्र.२, पृ. १, महासतीलेखपद्धति तथा श्राविकालेखपद्धति, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ श्रीकण्ठीय न्यायटिप्पनक (न्यायग्रन्थ) जुओ - न्यायटिप्पनक श्रीकण्ठीय, जैनेतर-श्रीकण्ठ पण्डित, संस्कृत श्रीचन्द्रीया सङ्ग्रहणी जुओ - सङ्ग्रहणीप्रकरण, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि मलधारि, प्राकृत, गा.२७३ श्रीदत्तकथा उपकारविषये (उपकारविषये श्रीदत्तकथा) सं., कृ.विः उपकारविषये पाकाहेम १७७६- पे.क्र. १७, पृ. ६२-६३, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. __ कुल झे.पृष्ठ-६० श्रीधरचरित्रकाव्य आचार्य-माणिक्यसुन्दरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४६३, श्लोक१६८९, अध्याय९, आदि वाक्य: यस्मिन्नाभिनरेन्द्रनिर्मलकुल... पुप्रे ४२४, पृ. १४७, श्रीधरचरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४७ श्रीनेमि पञ्चरूपस्तुति जुओ - पञ्चमीस्तुति, संस्कृत, का.४ श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप नेमिनाथस्तुति जुओ - नेमिनाथस्तुति श्रीनेमिःपञ्चरूपस्तुतिपादपूर्तिरूप#, संस्कृत, का.४ श्रीपाल चरित्र आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १७४५, आदि वाक्यः सकलकुशलवल्ली सेचने नन्यदेवो... पुप्रे ४१९-१, पृ. ७४, श्रीपाल चरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७४ श्रीपालचरित्र आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १३३८, गा.१३४१, पाकाहेम ६८६२, पृ. २३, श्रीपालचरित्र, वि-१४८७, संपूर्ण 748 Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२४ श्रीपालनृपरास मुनि-जिनहर्ष, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७४२, गा.३०२, पाकाहेम १०२२६, पृ. १६, श्रीपालनृपरास, वि-१७८०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०२३७, पृ. १८, श्रीपालरास, वि-१७६६, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२८२. श्रुतज्ञानस्तोत्र जुओ - पञ्चमी स्तोत्र, प्राकृत, गा.२२ श्रुतधर्म जुओ - सुअधम्म, प्राकृत, गा.१० श्रुतास्वादशिक्षाप्रकरण मुनि-सहजकुशल, गणि-सकलचन्द्र, प्रा., पद्य, श्लोक१६८, कृ.विः बन्ने कर्ता नाम अलग-अलग मळे छे? खरा कर्ता कोण? पाकाहेम ७७५३, पृ. ८, श्रुतास्वादशिक्षाप्रकरण, वि-१६७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ७७५४, पृ. ९, श्रुतास्वादशिक्षाप्रकरण, वि-१६८१, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१६६. ग्रन्थाग्र-२४०. कुल झे.पृष्ठ-९ श्रेयांसजिनचरित्र आचार्य-देवप्रभसूरि, प्रा., ग्रं.११०००, कृ.विः प्रथम आदर्श लेखक-गणि विमलचन्द्र. पातासंघवी ४८, पृ. २३७, श्रेयांसजिनचरित्र, वि-१४७०, संपूर्ण प्रत विशेष- सारी छे. डीवीडी-२८/४६ श्रेष्ठिसेनकथा-पञ्चमाणुव्रतेपरिपालनदृष्टान्ते (पञ्चमाणुव्रतेपरिपालनदृष्टान्ते -श्रेष्ठिसेनकथा) प्रा., पद्य, गा.७४, आदि वाक्यः खेत्ते वत्थु हिरं ने सुवन्न धण धन्न दुपय चउचरण... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र.६, पृ. २६०-३६A, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३९-४३ पर यह कृति उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० श्लोक सङ्ग्रह जुओ - प्रकीर्ण श्लोक, संस्कृत श्लोकबद्ध कल्पमञ्जरी कथाकोष जुओ - कल्पमञ्जरी कथाकोष श्लोकबद्ध, आचार्य-जयतिलकसूरि, संस्कृत श्लोकसप्तशती हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह (हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह श्लोकसप्तशती) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, ग्रं.७००, पाकाहेम ८६७४, पृ. १५, श्लोकसप्तशती, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्यकृतिगत कुल झे.पृष्ठ-१२ श्वेतपटता क्रियते मया वाक्यार्थविचारवादस्थानक आचार्य-अजितदेव आचार्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११८५, आदि वाक्यः इह हि नैयायिकमतानुसारिणा केनचिथापितं नामगर्भ[... कृ.विः परिमाण काव्य स्वरूपे छे. अताका ४८५- पे.क्र. २, पृ. २५-३६, मोहोन्मूलनवादस्थानक वाक्यार्थविचारवादस्थानक, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक झेरोक्ष पत्र का उल्लिखित है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-१०३/१०४ 749 Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्वेतरिङ्गिणीकल्प सं.. पाकाहेम ५१०८- पे.क्र. २. पृ. १, श्वेतार्ककल्प श्वेतरिङ्गिणीकल्प व हरस-मसा औषधादि, वि-१७मी संपूर्ण श्वेतार्ककल्प सं., पाकाहेम ५१०८- पे.क्र. १, पृ. १, श्वेतार्ककल्प श्वेतरिङ्गिणीकल्प व हरस-मसा औषधादि, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ८९२१- पे.क्र. २ पृ. १२ मयूरशिखाकल्प आदि वि-१६मी संपूर्ण " कुल झे. पृष्ठ- २ श्वेतार्कगणपतिमेखलाकल्प सं... कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८९२१- पे.क्र. ४, पृ. १-२, मयूरशिखाकल्प आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ षट् वचनानि जुओ - छ वयणाणि आचार्य - जिनेन्द्रप्रभसूर, प्राकृत षट्कारक रभसनन्द, सं., पाकाहेम ६६५८- पे.क्र. १, पृ. १-९, षट्कारक तथा क्रियाकलाप, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष उमय श्लोक-४२०, कुल झे. पृष्ठ- १६ पाकाहेम ७३८५, पृ. ४, षट्कारक-सम्बन्धोद्योत सटीक टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ षट्कारक-(सं.)सम्बन्धउद्योत टीका ( सम्बन्धोद्योत टीका ) सं., गद्य, पाकाहेम ७३८५, पृ. ४, षट्कारक-सम्बन्धोद्योत सटीक टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-4 पाकाहेग १०६८६- पे. क्र. १ पृ. १२० सम्बन्धोद्योत आदि वि-१६मी संपूर्ण षट्कारक - (सं.) टिप्पण सं. गय " पाकाहेम ७३८५, पृ. १, षट्कारक - सम्बन्धोद्योत सटीक टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ " षट्कारक - (सं.) सम्बन्धउद्योत टीका (सम्बन्धोद्योत टीका) षट्कारक - (सं.) टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ७३८५. पृ.१ षट्कारक सम्बन्धोद्योत सटीक टिप्पणी सहित वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५ झे. - - जैनेतर पृथुयशा सं., पद्य, पाताहेसं १३८, पृ. ३२ षट्पञ्चाशिकावृत्ति सहित संपूर्ण सं., गद्य, पाकाहेम ७३८५ पृ. ४, षट्कारक सम्बन्धोद्योत सटीक टिप्पणी सहित वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ पाकाहेम १०६८६- पे. क्र. १ पृ. १२०, सम्बन्धोद्योत आदि वि-१६मी संपूर्ण " षट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका जुओ- गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलकर, आचार्य- रत्नशेखरसूरि, प्राकृत, गा. ४० षट्पञ्चाशद् दिक्कुमारी स्तवन जुओ जिनजन्ममहोत्सवस्तवन, आचार्य - जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा. २५ षट्पञ्चाशिका · डीवीडी - ८/१७ पाकाहेम १०१०३, पृ. ३, षट्पञ्चाशिका, वि-१५मी, संपूर्ण 750 " Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ षट्पञ्चाशिका-(सं.)वृत्ति कुल झे. पृष्ठ-३ पाकाहेम १०२२२, पृ. १४, षट्पञ्चाशिका वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०४३६, पृ. ५, षट्पञ्चाशिका टिप्पणीसहित वि-१५४१, संपूर्ण कुझे पृष्ठ-५ जैनेतर उत्पल भट्ट, सं. गद्य, पाताहे १३८ पृ. ३२ षट्पञ्चाशिकावृत्ति सहित, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ षट्पञ्चाशिका (सं.) टिप्पणी पाकाहेम १०२२२, पृ. १४ षट्पञ्चाशिका वृत्तिसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-१५ झे. कृति उपरथी प्रत माहिती षट्पञ्चाशिका - (सं.) टिप्पणी षट्प्राभृत सं., गद्य, पाकाहेम १०४३६, पृ.५ षट्पञ्चाशिका टिप्पणीसहित वि-१५४१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-4 षट्पञ्चाशिका-(सं.)वृत्ति सं. गद्य, पाकाहेम १०४३६, पृ. ५, षट्पञ्चाशिका टिप्पणीसहित, वि-१५४१, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५ झे. जैनेतर उत्पल भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १३८, पृ. ३२, षट्पञ्चाशिकावृत्ति सहित, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ , पाकाहेम १०२२२ पृ. १४ षट्पञ्चाशिका वृत्तिसहित वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१५ · आचार्य-कुन्दकुन्दाचार्य[दिगम्बर आचार्य], प्रा., पाकाहेम १०५६९ पृ. २३ षट्प्रामृत, वि-१६०४, संपूर्ण षट्स्थानकप्रकरण जुओ आवकवक्तव्यताप्रकरण, आचार्य-जिनेश्वरसूरि प्राकृत, गा.१०३ षट्स्थानकप्रकरण जुओ - श्रावकवक्तव्यताप्रकरण, आचार्य अभयदेवसूरि, प्राकृत, गा. १०३ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ (चतुर्थ कर्मग्रन्थ नव्य). ( कर्मग्रन्थ चतुर्थ नव्य) कुल झ. पृष्ठ- २१ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ (सं.) अवचूरि आचार्य- देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ८६, आदि वाक्यः नमिअ जिणं जिअमग्गण गुणठाणुवओगजोगलेसाओ.... पाकाहेम ६९७५- पे क्र. २, पृ. २०, तृतीय- चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित वि-१७मी, संपूर्ण पे नाम षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)टवार्थ कुल झे. पृष्ठ-२१ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ ( मा.गु.) टबार्थ मारुगुर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. २, पृ. २०, तृतीय- चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम - षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ सह ( मा. गु. ) टबार्थ सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीजिनं नत्वा जीवस्थानादि वक्ष्यं... भांका १७४- पे.क्र. ४, पृ. १८-२९, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि - १६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र - ३०००. 751 Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) नमि० तत्र जीवन्ति यथायोग्यं प्राणानां...(२) नव्य षडशीतिकस्य किञ्चिल्लिख्यते प्रथमगाथाद्वयं सुगमं... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र.४, पृ.६-९, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- षडशीतिकावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ४, पृ. १६-२८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- षडशीतिकोद्धार । प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. __कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. २, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२१ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीजिनं नत्वा जीवस्थानादि वक्ष्यं... भांका १७४- पे.क्र. ४, पृ. १८-२९, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) नमि० तत्र जीवन्ति यथायोग्यं प्राणानां...(२) नव्य षडशीतिकस्य किञ्चिल्लिख्यते प्रथमगाथाद्वयं सुगमं... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. ४, पृ. ६-९, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- षडशीतिकावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ४, पृ. १६-२८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- षडशीतिकोद्धार प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ षडशीतिप्रकरण जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ षडावश्यक , प्रा., गद्य, पाताखेत ६-पे.क्र.५, पृ. ६७-९४, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ षडावश्यकसूत्र जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र, प्राकृत,संस्कृत षडावश्यकसूत्र जुओ - साधुषडावश्यकसूत्र, प्राकृत,संस्कृत षडावश्यकसूत्रादि जुओ - साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि, प्राकृत,संस्कृत,मारुगूर्जर षड्ऋतुवर्णनकाव्य जुओ - विरहिणीप्रलापकाव्य, कवि-केलि, संस्कृत, का.५५ षड्दर्शनसङ्ग्रहसूत्र 752 Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती जाखराज, सं., पद्य, का.३४, पाकाहेम ८७५१, पृ. २, षड्दर्शनसङ्ग्रहसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ षड्दर्शनसमुच्चय आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक८७, आदि वाक्यः सद्दर्शनं जिनं नत्वा वीरं स्याद्वाददेशकं... वताकांति ४३२-२, पृ. २, षड्दर्शन समुच्चय, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १९५२, पृ. १७, षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ भांका १०७, पृ. ४, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, वि-१५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५०. शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १२५, पृ. ६, षड्दर्शनसमुच्चय, संपूर्ण डीवीडी-८५ भांका १९५- पे.क्र. १, पृ. १A-९A, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, पे. विशेष- अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ भांका २८६- पे.क्र. २, पृ. १-३१B, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)लघुवृत्ति (लघुवृत्ति) आचार्य-सोमतिलकसूरि[रूद्रपल्लीय], सं., गद्य, ग्रं.१२५२, आदि वाक्यः सज्ज्ञानदर्पणतले विमलेन यस्य... भांका २८६- पे.क्र. २, पृ. ४२, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका, संपूर्ण पे. नाम- षडदर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)लघुटीका सं., गद्य, पाकाहेम १९५२, पृ. १७, षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीमद्वीरजिनं नत्वा हरिभद्रगुरुंस्तथा...(२) सत् शोभनं दर्शनं शासन सामान्यावबोधलक्षणं ज्ञानं... भांका १०७, पृ. ४, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, वि-१५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५०. शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १९५- पे.क्र. १, पृ. ९, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, पे. विशेष- अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)अवचूरि 753 Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीमद्वीरजिनं नत्वा हरिभद्रगुरुस्तथा...( २ ) सत् शोमनं दर्शनं शासन सामान्यावबोधलक्षणं ज्ञानं..... भांका १०७ पृ.४ षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि वि- १५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - २५०. शुद्ध प्रति. कुल झे. पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १९५- पे क्र. १, पृ. ९ षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४ संपूर्ण पे. नाम षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि पे विशेष अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है. कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.) लघुटीका सं. गद्य, पाकाहेम १९५२, पृ. १७ षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ षड्दर्शनसमुच्चय- (सं.) लघुवृत्ति (लघुवृत्ति) आचार्य सोमतिलकसूर ( रुद्रपल्लीय), सं. गद्य ग्रं. १२५२ आदि वाक्यः सज्ज्ञानदर्पणतले विमलेत्र यस्य .... " भांका २८६- पे क्र. २, पृ. ४२ दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका, " संपूर्ण षड्दर्शनस्वरूप A.. पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है. कुल झे. पृष्ठ-४२, डीवीडी- ९१ पाकाहेम ८८०५- पे.क्र. १, पृ. १-२, षड्दर्शनस्वरूप आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ षड्भाषागर्भित ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र जुओ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर जिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, का. ३० षड्भाषामय नेमिनाथस्तोत्र जुओ नेमिनाथस्तोत्र षद्भाषामय, आचार्य रत्नप्रभसूरि प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, श्लोक १७ षड्भाषामय पार्श्वनाथस्तव जुओ पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय मुनि-धर्मवर्धन, संस्कृत षड्‌भाषामयऋषभस्तोत्र ( ऋषभस्तोत्र षमाषामय) - सं., प्रा., अप, पद्य, का. ४०, पाकाहेम ८२२८, पृ. १, षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २ षड्भाषामयऋषभस्तोत्र (सं.) अवचूरि A.. " गद्य, पाकाहेम ८२२८, पृ. १, षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ षड्भाषामयऋषभस्तोत्र-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ८२२८, पृ.१ षमाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ षड्भाषामयस्तवनपञ्चक जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक, प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, का. ३० षड्विध प्रवचनकौशल प्रा., पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः कयवयकम्मयभावो.... पातासंघवी १६०१ पे. क्र. ६. पू. ८५-८६ सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण 754 Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ षड्विधलेश्या प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः जह जम्बुपायवेगो सुपक्कफलभारनमिय सालग्गो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १६, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९९-१०० पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० षड्विधावश्यकप्रक्रम जुओ - सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत,प्राकृत षड्विधावश्यकविवरण आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक१३००, कृ.विः योगशास्त्रान्तर्गत तृतीय प्रकाशान्तर्गत. पातासंघवी १०६-२, पृ. १३५, षड्विधावश्यकविवरण, वि-१२९५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१ नथी. डीवीडी-३३/५१ षण्णवति जिनस्तवन (जिनस्तवन षण्णवति), (९६ जिनस्तवन) आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, का.२९, आदि वाक्यः सच्चक्रलोचनसुधाञ्जन... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३६, पृ. २२२-२२४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ षष्टिशतकप्रकरण (सट्ठीसयप्रकरण), (सट्ठीसयपगरण) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, पाकाहेम १०६२८, पृ. ३१, षष्टिशतकप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण षष्टिशतकप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१४९६, पाकाहेम १०६२८, पृ. ३१, षष्टिशतकप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण षष्टिशतकप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१४९६, पाकाहेम १०६२८, पृ. ३१, षष्टिशतकप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१६मी, संपूर्ण षष्टिशतप्रकरण (सट्ठिसयप्रकरण), (सट्ठीसयप्रकरण) जैनश्रावक-नेमिचन्द्र भण्डारी, प्रा., पद्य, गा.१६०, पाकाहेम ११०९०, पृ. ४, सट्ठिसयप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १५२६९, पृ. ६, षष्टिशतप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१६१. कुल झे.पृष्ठ-७ षष्टिशतप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०९०, पृ. ४, सट्ठिसयप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण षष्टिशतप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०९०, पृ. ४, सट्ठिसयप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ , ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ षोडश स्वप्न विचार जुओ - व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार, 755 Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ षोडशकप्रकरण आचार्य हरिभद्रसूरि सं, पद्य, श्लोक२९६. पातासंघवी १६७-१- पे क्र. ३. पृ. १९३९ प्रशमरतिप्रकरण आदि संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ षोडशकप्रकरण- (सं.) वृत्ति पाकाहेग १५५०२- पे. क्र. १ पृ. १ १६ षोडशकप्रकरण, वि-१८मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ षोडशकप्रकरण- (सं.) वृत्ति कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य यशोभद्रसूरि, गुरु आचार्य श्रीचन्द्रसूरि सं., गद्य, ग्रं. १५००, पाकाहेम ६७४४, पृ. ३८ षोडशकप्रकरण विवरण, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३७ पाकाहेम १५५०२- पे.क्र. २, पृ. १६-२२, षोडशकप्रकरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ आचार्य यशोभद्रसूरि, गुरु आचार्य श्रीचन्द्रसूरि सं., गद्य ग्रं. १५००, पाकाहेम ६७४४, पृ. ३८, षोडशकप्रकरण विवरण, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३७ पाकाहेम १५५०२- पे.क्र. २, पृ. १६-२२, षोडशकप्रकरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ षोडशव्रतोच्चारादि ४ द्वार (१६ व्रतोच्चार द्वार) (२५ कायोत्सर्ग द्वार) (२८ अनशन द्वार), (३२ आराधनाफल द्वार) " प्रा., पद्य, आदि वाक्यः भयवं भवजलहीए दुहजलयरभीसण..... पातासंघवी १४५-१- पे क्र. ७, पृ. १०४ १०८, चउसरण आदि, संपूर्ण संयममञ्जरीप्रकरण (सञ्जममञ्जरी) पे. नाम- १६ व्रतोच्चारद्वार, २५ कायोत्सर्गद्वार, २८ अनशनद्वार व ३२ आराधनाफलद्वार कुल झे. पृष्ठ - ९४, डीवीडी-३५/५३ पे. विशेष- अपूर्ण प्रत विशेष- २०मुं पानुं नथी. आचार्य महेश्वरसूरि अप पद्य, गा.३५, आदि वाक्यः नमिऊण नमिरतियसिन्दविन्दसिरिमउडलीढपयवीढं । पास जिणेसर सञ्जमसरूवसङ्कित्तणं काहं । । १ । । ... पातासंघवीजीर्ण ७४- पे. क्र. ३, पृ. १३-१७, अवन्तीसुकुमारसन्धि आदि, संपूर्ण डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६५ पे.क्र. १०, पृ. २१५-२१८, उपदेशमाला आदि संपूर्ण , पे. नाम- संजममंजरी, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र - ८१-८४. झेरोक्ष पत्र ८३ के दो पन्ने है. कुल झे. पृष्ठ - ९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९०२ पे.क्र. १४, पृ. २०९-२१३ उपदेशमाला आदि संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ संरम्भाद्यष्टोत्तरशतभङ्गविचार पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४, पृ. ४-५ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल हो. पृष्ठ - १४५ पाकाहेम ११०८३- पे.क्र. १, पृ. १, संयममञ्जरी आदि, वि-१७मी, संपूर्ण भांका १४३ पृ. १४८, संयममञ्जरी, संपूर्ण प्रत विशेष- ४५,४७, B नथी. ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ- १०१, डीवीडी-८५ प्रा., गद्य, आदि वाक्यः संरम्भो समारम्भो एएसिं.... " 756 Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांता ७०- पे.क्र. १०६, पृ. १४४B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ संलेखनाविधि प्रा., आदि वाक्यः समणोवासगधम्मो वोच्छं संलेहणाविहि परमं... पाताखेत ६- पे.क्र. ५२, पृ. २४७-२५०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- आराहणा प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ संवरकुलक मारुगूर्जर, पद्य, गा.२७, पाकाहेम ९४३४, पृ. २, संवरकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०८१९, पृ. २, संवरकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण संवरकुलक प्रा., पद्य, पाकाहेम १८१८१, पृ. १, संवरकुलक सस्तबक, वि-१६९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ संवरकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १८१८१, पृ. १, संवरकुलक सस्तबक, वि-१६९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ संवरकुलक-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १८१८१, पृ. १, संवरकुलक सस्तबक, वि-१६९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ संवादशतक-निगममत ग्रन्थ सं., पद्य, श्लोक१०१, कृ.विः निगममत ग्रन्थ. पाकाहेम १३४१, पृ. ४, संवादशतक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ संवादसुन्दर सं., पद्य, श्लोक३३३, कृ.विः शारदा-लक्ष्मी, गांगेय-गुंजा आदि अनेक संवादोनो सङ्ग्रह. पाकाहेम ९६६, पृ. ६, संवादसुन्दर, वि-१९५९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ५१४६, पृ. ५, संवादसुन्दर, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १५२४६, पृ. ६, संवादसुन्दर, वि-१५५४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ संवादसुन्दर मुनि-कनककुशल, सं., रचना सं. विक्रम १६३८, पाकाहेम ५२४४- पे.क्र. १, पृ. १-९, संवादसुन्दर सावचूरि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण 757 Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- संवादसुन्दर सावचूरि कुल झे.पृष्ठ-८ संवादसुन्दर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ५२४४- पे.क्र. १, पृ. ९, संवादसुन्दर सावचूरि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- संवादसुन्दर सावचूरि कुल झे.पृष्ठ-८ संवादसुन्दर-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६३८, भांका २८१, पृ. १०, संवादसुन्दर अवचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-९० संवादसुन्दर-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ५२४४- पे.क्र. १, पृ. ९, संवादसुन्दर सावचूरि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- संवादसुन्दर सावचूरि कुल झे.पृष्ठ-८ संवादसुन्दर-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १६३८, भांका २८१, पृ. १०, संवादसुन्दर अवचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-९० संविज्ञसाधुयोग्यनियमकुलक आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.४५, पाकाहेम ७७८४, पृ. २, संविज्ञसाधुयोग्यनियमकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ संवेगकुलक जुओ - अन्नायउञ्छकुलक, प्राकृत, गा.२८ संवेगगाथा प्रा., पद्य, गा.१४, पाकाहेम ७७९९- पे.क्र. ३, पृ. १, विषयनिन्दापञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ संवेगचूडामणिप्रकरण प्रा., पद्य, गा.५२, आदि वाक्यः नमीऊण तित्थनाहं भगवउ बद्धमाण जिणवसहं... भांका १३२- पे.क्र. १, पृ. 9A-३B, संवेगचूडामणिप्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण पे. नाम- संवेगचूडामणि सह टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८५ संवेगचूडामणिप्रकरण-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः तीर्थनाथ श्रमण भगवन्त तेहूइ नमस्कारीनइ... भांका १३२- पे.क्र. १, पृ. ३, संवेगचूडामणिप्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण पे. नाम- संवेगचूडामणि सह टबार्थ ___ कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८५ संवेगचूडामणिप्रकरण-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, आदि वाक्यः तीर्थनाथ श्रमण भगवन्त तेहूइ नमस्कारीनइ... भांका १३२- पे.क्र. १, पृ. ३, संवेगचूडामणिप्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण पे. नाम- संवेगचूडामणि सह टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८५ 758 Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती संवेगद्रुमकन्दली आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, गा.५२, पाकाहेम ६७१७- पे.क्र.३, पृ.७-८, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० भांका १७३, पृ.३, संवेगद्रुमकन्दली, संपूर्ण डीवीडी-८६ संवेगप्रकरण जुओ - संवेगमञ्जरीप्रकरण, आचार्य-देवभद्रसूरि, प्राकृत, गा.३२ संवेगमञ्जरीप्रकरण (संवेगप्रकरण) आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः (१) सद्देसणमलयानिलमञ्जरियविसुद्धभावसहयारो | जयइ जणाणन्दयरो वसन्तसमउ व्व जिणवीरो ||१||...(२) सन्देसण मलयानिल... कृ.विः उपदेश प्रकरण? पाताखेत ५- पे.क्र. २१, पृ. २१९-२२२, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १३, पृ. १४६-१४९, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १३५१- पे.क्र. २, पृ. २-३, यतिशिक्षापञ्चाशतादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ६, पृ. ५०-५२, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ संवेगमाई (संवेगमातृका) अप., पद्य, गा.६१, आदि वाक्यः भले भणउ जाणउ परमत्थु, दुलहउ चउविह सङ्घह सत्थु... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १३, पृ. ११९-१२४, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १२० थी १२३ नथी. डीवीडी-३१/५० संवेगमातृका जुओ - संवेगमाई, अपभ्रंश, गा.६१ संवेगरङ्गशाला आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२५, गा.१००५३, आदि वाक्यः रेहइ जेसिं पयमह परम्परा उग्गमन्त... भांता ४८, पृ. २१४, संवेगरङ्गशाला, अपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-७५३० तक है. अन्त भाग अपूर्ण है., कुल झे.पृष्ठ-१६४, डीवीडी-७१/८० भांता ७७, पृ. ३१०, संवेगरङ्गशाला, संपूर्ण डीवीडी-७३/८२ संवेगरत्नमाला आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५०, आदि वाक्यः भावम्मि समाही पुण एगं तेणेव चित्तविजयाओ... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३७, पृ. ४६-५०, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगशतक अप., पद्य, गा.१०७, आदि वाक्यः इह लोईयम्मिक जे जीवो आरम्भ कुव्वई बहुलं... भांका १००- पे.क्र. १, पृ. १B-६A, संवेगशतक व सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ संवेगामृतपद्धति 759 Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक४३, आदि वाक्यः शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां श्रीरत्नसिंहसूरयः... कृ.विः श्लोक-४० के बाद "अयं अन्यकृतः" ऐसा लिखा हुआ है. पाकाहेम ११०२६- पे.क्र. ३, पृ. ?, आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३५, पृ. ४३-४४, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगामृतपद्धति आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२२, आदि वाक्यः (१) शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां श्रीरत्नसिंहसूरयः...(२) वेरग्गरङ्गसङ्गो लग्गइ सव्वङ्ग चङ्गिमाचङ्गो... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३६, पृ. ४४-४६, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगामृतभावना आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, पाकाहेम ११०२६- पे.क्र. २, पृ. ?, आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण संसक्तनियुक्ति प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः उसभाय वीरचरिमो सुरासुर नमंसिए पणमिऊणं संसत्तयनिज्जुतिं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ६, पृ. १-४, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. __कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २८, पृ. १८९०-१९४B, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १९५, १९७ थी २०० नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६३-२- पे.क्र. ३, पृ. ७१B-७७B, निरयावली आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- संसत्तयनिज्जुत्ती, पे. विशेष- गाथा-५६. १०५ पेज छे. प्रत विशेष- पत्र-१०२+१०५=२०७. झेरोक्ष पत्र-४६ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-३०/४९ भांका १२३- पे.क्र. १२, पृ. २४०-२५A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- संसत्तयनिज्जुत्ती, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३२४. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ संसारताराणस्तवन जुओ - मिथ्यात्वपरिहारकुलक, आचार्य-सिद्धिसेनसूरि, प्राकृत, गा.३० संसारदावास्तुति आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., पद्य, का.४, आदि वाक्यः संसारदावानलदाहनीरं... कृ.विः भाषा समसंस्कृत-प्राकृत. पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ९, पृ. ५१-५२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ संसारदावास्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ३, पृ. ७-८, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० संसारदावास्तुति-(सं.)अवचूरि 760 Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ३, पृ. ७-८, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० संसारनिस्तारक गुरुगुण श्लोक सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः त्रित्रेधाव्रतषट्कपालनपरः.. भांता ७२- पे.क्र. १०, पृ. ६९B-७०A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्र नं.-१३६५. , सूचिपत्र नं.-१२९०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ संसारभावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः संसारम्मि असारे... पाताहेसं १६८- पे.क्र. २७, पृ. ५२अ-५४अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२९. झेरोक्ष पेज-३७-३९. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. __कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३२, पृ. २१६-२१७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२६. कुल झे.पृष्ठ-३१ संस्तारकप्रकीर्णक (सन्थारगपयन्नो) प्रा., पद्य, गा.१२४, आदि वाक्यः काऊण नमोक्कारं जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १८, पृ. ११७A-२०९A, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- संथारा प्रकीर्णक, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१२०. झेरोक्ष पत्र-२५, ६१-६२ व ६५-६६. पत्रांक ६५ पर आरंभ एवं २५ पर पूर्ण हुई है. पत्रांक उलटे क्रम में है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा ५६ की जगह ६६ लिखा गया है. सूचिपत्र में इस कृति का उल्लेखनहीं है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र.४, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१२२. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८ - पे.क्र. ९, पृ. १००-१०३, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२१. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र.८, पृ. २०८-२२०, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.६, पृ. ६७-७३, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. पत्र १८ (७८?)मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र.४, पृ. ९२-९९, चउसरण आदि, संपूर्ण 761 Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- सन्थारओ, पे. विशेष- गाथा-१२१. कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६२-पे.क्र.५, पृ. ?-४४, उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे. डीवीडी-८/१८ तालाद ३८९- पे.क्र.७, पृ. १२९-१३९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२०. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १०, पृ. ९४-९९, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र.९, पृ. ११५-१२०, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२२. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र. ६, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२१. ___ कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १०, पृ. १०-१२, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १००८७- पे.क्र. १, पृ. १-२, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०१४०- पे.क्र. १, पृ. ?, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. ४, पृ. ?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०५१६, पृ. २४, संस्तारकप्रकीर्णक विवरणसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२४ पाकाहेम १०५१७, पृ. ३, संस्तारकप्रकीर्णक - अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-५५. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०५१८, पृ. ६, संस्तारकप्रकीर्णक, वि-१६२२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५२०- पे.क्र. १, पृ. १-१६, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६ पाकाहेम १०८०१- पे.क्र. २, पृ. ३-७, उपदेशसाररत्नस्वाध्याय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १२३- पे.क्र. १, पृ. १A-२B, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२१. सूचीपत्रांक-१-३१७. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १६८ - पे.क्र. ४, पृ. ६B-८B, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३१९. 762 Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २२३, पृ. १८, संस्तारक सह विवरण (अवचूरी), वि-१६६९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३१८. डीवीडी-८८ भांका २२७- पे.क्र. ४, पृ. १२B-१७A, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-३१३. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५. डीवीडी-८८ भांका २४६- पे.क्र. ४, पृ. ६A-७B, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३१०. डीवीडी-८९ संस्तारकप्रकीर्णक-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र.४, पृ. २०, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.)टीका कुल झे.पृष्ठ-२१ संस्तारकप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १००८७- पे.क्र.२, पृ. ३-५, संस्तारकप्रकीर्णक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ संस्तारकप्रकीर्णक-(सं.)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पद्य, गा.१२२, आदि वाक्य: वसन्तपुरे गायनः। पुष्पशालसुस्वरः ।... भांका १६८- पे.क्र. ४, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३१९. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १९२- पे.क्र. ४, पृ. ११-१३B, चतुःशरणविषमपद-विवरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३२२. कर्ता-गणरत्नसूरि. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८४, १-२९७, १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ भांका ३०१- पे.क्र. ४, पृ. ८B-१०B, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि, अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३२१. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८३, १-२९६, १-३०७, १-३२१. डीवीडी-९२ संस्तारकप्रकीर्णक-(सं.)विवरण आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., गद्य, ग्रं.१२०९, आदि वाक्यः शमित निःशेषकर्मणे वरशर्मणे... पाकाहेम १०५१६, पृ. २४, संस्तारकप्रकीर्णक विवरणसहित, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२४ भांका २२३, पृ. १६, संस्तारक सह विवरण (अवचूरी), वि-१६६९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३१८. 763 Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी - ८८ संस्तारकप्रकीर्णक-(सं.) अवचूरि आचार्य गुणरत्नसूर, सं., पद्य, गा. १२२, आदि वाक्यः वसन्तपुरे गायनः पुष्पशाल सुस्वर: ।.... भांका १६८ पे क्र. ४, पृ. ८ चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-३१९. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका १९२- पे.क्र. ४, पृ. ११-१३३, चतुःशरणविषमपद विवरण आदि संपूर्ण पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-३२२. कर्ता गणरत्नसूरि. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८४, १-२९७ १-३०८, १-३२२. - डीवीडी-८७ भांका ३०१ पे क्र. ४, पृ. ८B-१०B आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि अपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष सूचीपत्रांक-१-३२१. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८३ १-२९६ १-३०७, १-३२१. डीवीडी- ९२ संस्तारकप्रकीर्णक (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १००८७- पे. क्र. २, पृ. ३५, संस्तारकप्रकीर्णक आदि वि-१६मी, संपूर्ण संस्तारकप्रकीर्णक (सं.) टीका संस्तारकप्रकीर्णक- (सं.) विवरण सं. गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे. क्र. ४ पृ. २० चतुःशरण- आतुरप्रत्याख्यान भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- संस्तारकप्रकीर्णक सह ( सं . ) टीका कुल झे. पृष्ठ- २१ आचार्य भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., गद्य ग्रं. १२०९, आदि वाक्यः शमित निःशेषकर्मणे वरशर्मणे.... · पाकाहेम १०५१६, पृ. २४. संस्तारकप्रकीर्णक विवरणसहित वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. . - P कुल झे. पृष्ठ- २४ भांका २२३, पृ. १६, संस्तारक सह विवरण (अवचूरी), वि-१६६९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-३१८. डीवीडी-८८ सउण उवस्सुई - छाया-नाडि- निमित जोइस सुविणय- रिट्ठदार (निमित्तशास्त्र ) प्रा. आदि वाक्यः जालयभमरी गिधनकीडियालीण..... पातासंघवी १८०-२- पे. क्र. १०, पृ. ८४ - १०६, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ८३मुं नथी. आद्यंत पण नथी. डीवीडी-३६/५४ सकलतीर्थस्तोत्र जुओ तीर्थमाला स्तोत्र आचार्य सिद्धसेनसूरि प्राकृत, गा.३५ " सकलाहंतस्तोत्र (चतुर्विंशतिजिननमस्कार ) · " 764 आचार्य - हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक२४, ग्रं. २६, आदि वाक्यः सकलार्हत्प्रतिष्ठानं... पाताहे १६८ - पे. क्र. ६ पृ. १४ दशवेकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण श्लोक-२१ तक है. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. ताडपत्रीय पत्र - १६ नहीं है. Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम १२१२४ - पे. क्र. ४९, पृ. १४८-१५०, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष श्लोक-२४. प्रत विशेष पत्र २३ नथी. कुल झे. पृष्ठ-८१ सगरचक्रवर्ती आख्यान प्रा., आदि वाक्यः सुरवरकयमाणं नट्ठनीसेसमाणं.... पातासंघवी २०५१- पे.क्र. ३. पृ. १५ पुष्पवतीचरित्र आदि वि-११९१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ६१, डीवीडी-३८/५५ सङ्केत(?) जुओ - न्यायकुसुमाञ्जलिप्रकरण- (सं.) टीका, जैनेतर - वामेश्वरध्वज, संस्कृत सङ्क्षिप्त क्षेत्रसमास जुओ जम्बूद्वीपसमासप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा. ८६ सङ्क्षिप्त क्षेत्रसमासप्रकरण जुओ - बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण- (प्रा.) सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमासप्रकरण, गणि- जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.८५ - सङ्क्षिप्तकथासङ्ग्रह गद्य (कथासङ्ग्रह गद्य) सं. गद्य, ग्रं. ४५९. पाकाहेम १०१८३, पृ. ९, सङ्क्षिप्तकथासङ्ग्रह गद्य, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० सङ्क्षिप्तक्षेत्रसमास-(सं.) अवचूरि जुओ - क्षेत्रसमासप्रकरण -(सं.) अवचूरि, संस्कृत सङ्क्षिप्तयोगविधि (योगद्वहनविधि-सङ्क्षिप्त) प्रा., पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः नमिऊण वराणं गणहराणं थेराणं सञ्जयाणं च... कृ.विः अन्तिमवाक्य-एयरिसाणं पुरओ विणयं... पुव्वसयसमुद्दनीसंदं. भांता ७० पे क्र. १८, पृ. २१B-२२A अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४०६. प्रत विशेष सूचीपत्र नं ३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ सङ्क्षेप आराधना (आराधना सङ्क्षेप) सङ्क्षेप सर्वज्ञसिद्धि " प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः परमपयपत्ताणं जिणाण चलणुप्पले.... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. २२, पृ. ८४-८७, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २८, डीवीडी - २९/४८ सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि विमलकेवलालोकसमालोकित.... भांका २९२- पे. क्र. ५. पृ. ११-१२A प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक तैलाद्रक्षेद्०. कुल झे. पृष्ठ- २०, डीवीडी- ९१ सङ्ख्यात असङ्ख्यात अनन्तविचारवार्तिक जुओ सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा - ( मा.गु.) बालावबोध, पं. पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर - सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा * प्रा., पद्य, पाकाहेम ११०४२ पृ. १ सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा विवरणसह वि-१६मी, संपूर्ण सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा - (मा.गु.) बालावबोध (सङ्ख्यात असङ्ख्यात अनन्तविचार वार्तिक ) पं पार्श्वचन्द्र मारुगुर्जर, गद्य, 765 Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०३६२- पे.क्र.८, पृ. २०-२४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाहेम ११०४२, पृ. १, सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा विवरणसह, वि-१६मी, संपूर्ण सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा-(मा.गु.)बालावबोध (सङ्ख्यात असङ्ख्यात अनन्तविचार वार्तिक ) पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र.८, पृ. २०-२४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाहेम ११०४२, पृ. १, सङ्ख्यातासङ्ख्यातानन्तविचारगाथा विवरणसह, वि-१६मी, संपूर्ण सङ्ख्येयासङ्ख्येयानन्तविचार सं., गद्य, आदि वाक्यः समयप्रसिद्ध सङ्ख्येयकं अनन्तकं तत्त्वजघन्यादिभेदा... भांता ७०- पे.क्र. ९२, पृ. १२८B-१३०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२३६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सङ्ग्रहणीप्रकरण जुओ - बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.५७९ सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा., पद्य, कृ.विः गाथा ३६६ थी ५२७ सुधी मळे छे. पाताखेत ४२- पे.क्र. १०, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३७९. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र. १, पृ. १-११, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ६२-१- पे.क्र.४, पृ. ?, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र.५, पृ. ६९-११९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३७५. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र. १, पृ. ३-५२, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४०२. डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम ६९६५, पृ. २७, सङ्ग्रहणीप्रकरण सावचूर्णि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-२८१. कुल झे.पृष्ठ-२७ 766 Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.७००, कृ.विः देवभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारिणी. पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ३, पृ. १७-२३, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०३७२, पृ.७, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८१, पृ. ३१, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. पाकाहेम १०५८२, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- देवभद्रवृत्त्यनुसारिणी. सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम ६९६५, पृ. २७, सङ्ग्रहणीप्रकरण सावचूर्णि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-२८१. कुल झे.पृष्ठ-२७ सङ्ग्रहणीप्रकरण गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.३६७, आदि वाक्यः निट्ठवियअट्ठकम्मं वीरं नमिऊण तिगरणविसुद्धं... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १, पृ. ४७-८१, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- बृहत्संग्रहणीप्रकरण, पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-५२७. प्रक्षेप गाथा के साथ. झेरोक्ष पत्र-९-२६. मात्र ताडपत्रीय पत्र ८० नहीं है. टिप्पणयुक्त विशेषपाठ. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. ६, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १२३-२- पे.क्र. २, पृ. १-३७, उपदेशमाला (पुष्पमाला) अने सङ्ग्रहणी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५-६ना बब्बे टुकडा छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. १, पृ. १-३६, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- सङ्गहणी, पे. विशेष- गाथा-३५६. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र.७, पृ. १२४-१५१, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६६. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र. ९, पृ. ६८आ-११२आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण 767 Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- बृहत्संग्रहणी, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-५३०. झेरोक्ष पत्र-१९-३२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११४- पे.क्र. ७, पृ. १००-१२८, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६७. कर्ता-जिनभद्र. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११८- पे.क्र. ३, पृ. १-४६, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६७. डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २, पृ. ४२-७४, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३८८. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(प्रा.)नियुक्ति प्रा., पद्य, भांका ९१, पृ. ४८, सङ्ग्रहणी नियुक्ति, संपूर्ण डीवीडी-८४ सङ्ग्रहणीप्रकरण (श्रीचन्द्रीया सङ्ग्रहणी) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि मलधारि, गुरु-आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२७३, आदि वाक्यः नमिउं अरहन्ताइ ठिइभवणो गाहणायपत्तेयं... पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १९, पृ. १२१-१५२, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पातासंघवी १६४- पे.क्र. ४, पृ. १५५-१८०, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी २०२- पे.क्र. ३, पृ. १०८-१३८, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ५४-३- पे.क्र. १, पृ. १-४८, सङ्ग्रहणी तथा यमकस्तुति वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी ५६-२- पे.क्र. २, पृ. १-४५, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२७३. झेरोक्ष पत्र-१३-२२. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. २, पृ. १-२७, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६१-२- पे.क्र. ४, पृ. ९२-१२६, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ९, पृ. १२४-१४७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २, पृ. १०६-१२३, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २६, पृ. १३६-१५०, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण 768 Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- सामाचारी, पे. विशेष- १४९ना बे टुकडा छे. पत्रांक-१५० नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १, पृ. १-२०, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- संग्रहणीरत्न, पे. विशेष- गाथा-२७३., पत्र १-२मां चित्रो छे. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १९०-२- पे.क्र.८, पृ. १५५-१८४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १७, पृ. २-३८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ३९(७) आपेलो छे., गाथा-६-२४६., अपूर्ण छे. डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र.८, पृ. ७२-७९, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष-७३ थी ७८ सुधी पत्र नथी. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं ११६- पे.क्र. ५, पृ. १६८अ, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- संग्रहणीरत्न, पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अन्तिम गाथा है. गाथा-२७४. झेरोक्ष पत्र-७१. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ७, पृ. १५२-१६९, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७३. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. __कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. १०, पृ. २४८-२६६, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाकाहेम १००७- पे.क्र. २, पृ. ३-९, देववन्दनादिभाष्यत्रय व सङ्ग्रहणीप्रकरण, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२८३. प्रत विशेष- सूचिपत्र में पत्रांक १० का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. २०, पृ. ७०-८०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ६९६२, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१६१७, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३१४. कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम ६९६३, पृ. ४४, सङ्ग्रहणीप्रकरण यन्त्रचित्रसहित, वि-१६७१, अपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३३२. चित्रो सुन्दर छे. कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम ६९६६, पृ. ७९, सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-३७०००. कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ६९६८- पे.क्र. १, पृ. १-१०, सङ्ग्रहणीप्रकरण तथा जम्बूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७७. 769 Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ ११ पाकाहेम ९५०४- पे.क्र. १, पृ. १-१४, सङ्ग्रहणीप्रकरण आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. २, पृ. ३६-५३, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. विशेष - गाथा - २७३. कुल झे. पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०११४, पृ. १८ सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १९ झे. पाकाहेम १०३२९, पृ. ३९ सङ्ग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४० पाकाहेम १०३७३, पृ. १६ सङ्ग्रहणीप्रकरण सस्तबक, वि-१५२१, संपूर्ण प्रत विशेष मूलगाथा-२७९. कुल ३, पृष्ठ- २७ पाकाहेम १०४३९, पृ. ३३ सङ्ग्रहणीप्रकरण बालावबोधसहित वि-१५५७. संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५८०, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - ३१२. पाकाहेम १०५८३ पृ. ४५ सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, वि-१४७१, संपूर्ण पाकाहेम १०५८४, पृ. ८ सङ्ग्रहणीप्रकरण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - २७७. पाकाहेम १४९८४- पे.क्र. १, पृ. ६५-६९, सङ्ग्रहणी प्रकरण आदि, वि-१५०४, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्रमां पत्र संख्या ६५-८१ लखी छे. - कुल झे. पृष्ठ-१७ भांका २९५, पृ. ७७, सङ्ग्रहणी, संपूर्ण डीवीडी-९१ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(प्रा.) चूर्णि आचार्य - देवानन्दसूरि, प्रा., गद्य, भांका १५१, पृ. २५, सङ्ग्रहणी चूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-८५ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (सं.) टीका आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु- आचार्य श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ३५००, आदि वाक्यः अत्यद्भुतं योगिभिरप्यगम्यं विधूतनिःशेषतमोवितानम् ।... पाकाहेम ६९६६, पृ. ७९. सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष टीका ग्रन्थाग्र-३७०००. कुल झ. पृष्ठ-८० पाकाहेम १०३२९, पृ. ३९ सङ्ग्रहणीप्रकरण वृतिसहित वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४० पाकाहेम १०५८३, पृ. ४५ सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, वि-१४७१, संपूर्ण सङ्ग्रहणीप्रकरण-(मा.गु.) बालावबोध गणि दयासिंह, मारुगुर्जर, गद्य, ग्रं. १७५७ पाकाहेम १०४३९, पृ. ३३, सङ्ग्रहणीप्रकरण बालावबोधसहित, वि-१५५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३४ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (मा.गु.) स्तबक मारुगुर्जर, गद्य, ४५१. 770 Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०३७३, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण सस्तबक, वि-१५२१, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-२७९कुल डी. पृष्ठ-२७ सङ्ग्रहणीप्रकरण - (सं.) अवचूर्णि सं. गद्य, आदि वाक्यः नमिउ० आदी शास्त्रकारोमीष्टदेवता नमस्कारमाह... कृ.विः श्रीचन्द्रसूरिशिष्य श्रीदेवभद्रसूरिविनिर्मित विवरणानुसारेण संग्रहण्यवचूर्णिः .. भांका २४५, पृ. १२, सङ्ग्रहणीप्रकरण की अवचूर्णि, वि-१४८९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८, डीवीडी-८९ सङ्ग्रहणीप्रकरण लघु जुओ लघुसङ्ग्रहणीप्रकरण, आचार्य हरिभद्रसूरि प्राकृत, गा. २५ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (प्रा.) चूर्णि - आचार्य - देवानन्दसूरि, प्रा., गद्य, भांका १५१, पृ. २५, सङ्ग्रहणी चूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-८५ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(प्रा.) निर्युक्ति प्रा., पद्य, भांका ९१, पृ. ४८, सङ्ग्रहणी निर्युक्ति, संपूर्ण डीवीडी-८४ सङ्ग्रहणीप्रकरण (मा.गु. ) बालावबोध गणि दयासिंह, मारुगूर्जर गय, ग्रं. १७५७, , पाकाहेम १०४३९, पृ. ३३ सङ्ग्रहणीप्रकरण बालावबोधसहित वि-१५५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३४ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (मा. गु.) स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.४५१, पाकाहेम १०३७३, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण सस्तबक, वि-१५२१, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा - २७९. कुल झ. पृष्ठ-२७ झे. सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, ग्रं.७००, कृ. विः देवभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारिणी. पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ३ पृ. १७-२३ दशवैकालिकावचूरि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०३७२, पृ. ७, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाम १०५८१ पृ. ३१ सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. पाकाहेम १०५८२, पृ. १६ सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष देवभद्रवृत्त्यनुसारिणी. सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.) अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम ६९६५, पृ. २७, सद्ग्रहणीप्रकरण सावचूर्णि त्रिपाठ, वि-१७मी संपूर्ण प्रत विशेष मूलगाथा-२८१. कुल झे. पृष्ठ-२७ 771 Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (सं.) अवचूर्णि सं., गद्य, आदि वाक्यः नमिउ० आदौ शास्त्रकारोभीष्टदेवता नमस्कारमाह .... कृ.विः श्रीचन्द्रसूरिशिष्य श्रीदेवभद्रसूरिविनिर्मित विवरणानुसारेण संग्रहण्यवचूर्णिः भांका २४५, पृ. १२, सङ्ग्रहणीप्रकरण की अवचूर्णि, वि-१४८९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-८९ सङ्ग्रहणीप्रकरण- (सं.) टीका कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु- आचार्य - श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ३५००, आदि वाक्यः अत्यद्भुतं योगिभिरप्यगम्यं विधूतनिःशेषतमोवितानम् । .... पाकाहेम ६९६६, पृ. ७९. सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, दि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - टीका ग्रन्थाग्र - ३७०००. कुल झे. पृष्ठ- ८० पाकाहेम १०३२९, पृ. ३९ सङ्ग्रहणीप्रकरण वृतिसहित वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ४० पाकाहेम १०५८३, पृ. ४५, सङ्ग्रहणीप्रकरण सटीक, वि-१४७१, संपूर्ण सङ्ग्रहणीप्रकरणयन्त्र सं. गद्य, पाकाहेम ६९६४, पृ. ९ सङ्ग्रहणीप्रकरण यन्त्रसहित वि-१७मी अपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- १० झे. पाकाहेम १०५७९, पृ. ८ सङ्ग्रहणीप्रकरणयन्त्र, वि-१६मी, संपूर्ण सङ्घकुलक प्रा., पद्य, गा.२१, पाकाहेम ९६२० पे.क्र. २ पृ. १ दानविधिकुलक आदि वि-१६मी संपूर्ण सङ्घपट्टक गणि जिनवल्लम, सं. ग्रं.७५ पाकाहेम ६७२१, पृ. ६७, सङ्घपट्टक सटीक वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-६८ पाकाहेम ७९४५- पे.क्र. १, पृ. १-२, सङ्घपट्टकप्रकरण तथा आत्मनिन्दाष्टक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३ भांका १०८, पृ. २७, सङ्घपट्टक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-१८, डीवीडी-८४ भांका १०९, पृ. २९, सङ्घपट्टक, संपूर्ण डीवीडी-८४ भांका २९७, पृ. १४, सङ्घपट्टक, संपूर्ण डीवीडी-९१ सङ्घपट्टक- (सं.)टीका सं. गद्य, पाकाहेम ६७२१, पृ. ६७, सङ्घपट्टक सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६८ भांका २७४ पृ. ४१ सङ्घपट्टकवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी- ९० सङ्घपट्टक- (सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम ६७२१, पृ. ६७ सङ्घपट्टक सटीक वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६८ भांका २७४, पृ. ४१, सङ्घपट्टकवृत्ति, संपूर्ण " 772 " Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-९० सङ्घपतिवस्तुपालचरित्र जुओ - धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.५२०० सङ्घमहोत्सवप्रकरण जुओ - दानषट्त्रिंशिका, आचार्य-राजशेखरसूरि, संस्कृत, का.३६ सङ्घयणि जुओ - बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, गा.५७९ सङ्घस्वरूप प्रा., आदि वाक्यः सुहसीलतेण गहिए भवपल्लिन्तेण जगडियमणाहे... भांता ७०- पे.क्र. ६३, पृ. ८१०-८१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सघाचारटीका जुओ - चैत्यवन्दनभाष्य-(सं.)सङ्घाचारटीका, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत, ग्रं.७८०८ सङ्घाधिपतिपदप्रदानप्रशस्ति सं., पद्य, श्लोक१५, आदि वाक्यः विश्वसेनकुलोत्तंसोचिरादेवीतनूदणामं च।... कृ.विः श्रीमाल वंश के रत्न श्रावक की संघपतिपदप्रदान प्रसंग पर. पाताहेसं ५७- पे.क्र.४, पृ. १६६वा, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६३-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि लाक्षणिकताओं से युक्त है. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ सज्जनचित्तवल्लभ आचार्य-मल्लिषेणाचार्य, सं., पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. ३, पृ. ५-८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- सज्जनचित्तवल्लभ सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ सज्जनचित्तवल्लभ-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. ३, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- सज्जनचित्तवल्लभ सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ सज्जनचित्तवल्लभ-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र.३, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- सज्जनचित्तवल्लभ सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ सज्झायपट्ठवणविहि जुओ - स्वाध्यायप्रस्थापनविधि, प्राकृत सञ्जममञ्जरी जुओ - संयममञ्जरीप्रकरण, आचार्य-महेश्वरसूरि, अपभ्रंश, गा.३५ सट्ठिसयप्रकरण जुओ - षष्टिशतप्रकरण, जैनश्रावक-नेमिचन्द्र भण्डारी, प्राकृत, गा.१६० सट्ठीसयपगरण जुओ - षष्टिशतकप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत सट्ठीसयप्रकरण जुओ - षष्टिशतकप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत सट्ठीसयप्रकरण जुओ - षष्टिशतप्रकरण, जैनश्रावक-नेमिचन्द्र भण्डारी, प्राकृत, गा.१६० सडसठ बोल समकित स्वाध्याय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.६५, तालाद ३९१-२- पे.क्र. ३. पृ. १-३, काव्यप्रकाश सह टीका - २ से ३ उल्लास आदि, प्रतिपूर्ण 773 Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- पत्रांक-२ नहीं है. प्रत विशेष- महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति., प्रत नं.३९१-A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१-A को ३४६ नं. पर रख दिया गया है. इसका पुराना नं.२७६१३. कुल झे.पृष्ठ-२९, डीवीडी-९४/९६ सड्ढ जीअ कप्पो जुओ - श्राद्धजीतकल्पसूत्र, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.१३७ सत्तरभेदपूजास्थापना सज्झाय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.९, आदि वाक्यः सत्तरभेदपूजाफल साम्भली... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. ३, पृ. ४, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाभाभा ६२८- पे.क्र.७, पृ. ११-१२, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ सत्तररिसय जिनस्तवन मुनि-विशालसुन्दरसूरि-शिष्य, मारुगूर्जर, पद्य, गा.६५, पाकाहेम १४८३६, पृ. ५, सत्तररिसयजिनस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण सत्तरि जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ', ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ सत्तरि पगरण जुओ - सप्ततिकाप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत सत्तरिया जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ', ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ सत्तरिसयजिनस्तोत्र जुओ - तिजयपहुत्तस्तोत्र, प्राकृत, गा.१४ सत्तरी प्रकरण जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ', ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ सत्तानिरूपण सं., गद्य, भांका १९५- पे.क्र. २, पृ. ९A-९B, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ सत्पुरुषाष्टक सं., पद्य, श्लोक, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १५, पृ. ५, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १५, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ सत्यव्रतविषये ऋषिदत्ताकथा (ऋषिदत्ताकथा) सं., पद्य, श्लोक९९, पातासंघवी १२९- पे.क्र.४, पृ. ३९-४७, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ सदसद्वादस्थापनावादस्थल सं., पाकाहेम ८७९३- पे.क्र. ३, पृ.?, स्याद्वादस्थापनवादस्थल आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- षड्दर्शनसमुच्चयलघुवृत्तिगत आ वादस्थलो छे. __ कुल झे.पृष्ठ-५ सदेवच्छ-सावलिङ्गाचोपाई (सदेववत्स-सावलिङ्गाचोपाइ) नित्यलाभ, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १७८२, पाकाहेम १३१९५, पृ. ३४, सदेवच्छ-सावलिङ्गाचोपाई, वि-१८३९, संपूर्ण सदेववत्स-सावलिङ्गाचोपाइ जुओ - सदेवच्छ-सावलिङ्गाचोपाई, अज्ञात-नित्यलाभ, मारुगूर्जर 774 Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सद्गुरु सेवन सज्झाय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.३९, आदि वाक्यः सेवउ सद्गुरु गुण निरधारी... पाकाभाभा ६२८- पे.क्र. ४, पृ. ६-८, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ सद्गुरु सेवन सज्झाय उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाभाभा ६२८- पे.क्र.५, पृ. ८-१०, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ सद्गुरुपट्टगाथा प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः हरिसउरगच्छतिलओ गुणनिलओ विहिय सयलदुहविलओ... पाताहेसं ११६- पे.क्र.६, पृ. १९७अ-१९९आ, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७१-७२. प्रत विशेष- पत्रांक-१६९-१९६ नहीं हैं. कुल झे.पृष्ठ-९७, डीवीडी-७/१७ सद्दहणाविचारगर्भित महावीरस्तवन जुओ - महावीरस्तवन सद्दहणाविचारगर्भित, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.७० सद्दहणास्वरुप मारुगूर्जर, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. १४, पृ. ३८-४३, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका जैनेतर-योगीन्द्र, सं., पद्य, का.५०, पाकाहेम ७०७१- पे.क्र. २, पृ. १-४, बोधप्रदीपपञ्चाशिका तथा सद्बोधचन्द्रोदयपञ्चाशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०७०३- पे.क्र. २, पृ. १-४, बोधप्रदीपपञ्चाशिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण सद्भक्त्यास्तोत्र सं., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः सद्भक्त्या... पाकाहेम १५८१७- पे.क्र. २, पृ. २-२, मगल्यस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ सन्ताण सत्तरी जुओ - गणधरसत्तरी, प्राकृत, गा.७१ सन्तिकरंस्तोत्रआम्नाय सं., पद्य, पाकाहेम ८९१९, पृ. २, सन्तिकरंस्तोत्रआम्नाय, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सन्तिकरस्तवन आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.१४, आदि वाक्यः सन्तिकरं... पाकाहेम ३०३४- पे.क्र. २, पृ.३, भयहरस्तोत्रादि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सन्तिकरंस्तोत्रआम्नाय सं., पद्य, पाकाहेम ८९१९, पृ. २, सन्तिकरंस्तोत्रआम्नाय, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सन्थारगपयन्नो जुओ - संस्तारकप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.१२४ सन्देहदोलावलीप्रकरण 775 Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५०, आदि वाक्यः पडिबिम्बिय पणयजयं जस्संह्रिरुहे... पाकाहेम ७००४, पृ. २४, सन्देहदोलावलीप्रकरण विधिरत्नकरण्डिकानामक लघुवृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाहेम ७०२५, पृ. ७५, सन्देहदोलावलीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ भांका २७५, पृ. १०५, सन्देहदोलावली सह टीका, वि-१६३७, संपूर्ण प्रत विशेष- १,१०,११ पाना डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-७०, डीवीडी-९० सन्देहदोलावलीप्रकरण-(सं.)विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति (विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति) उपाध्याय-जयसागर वाचनाचार्य[खरतरगच्छ], गुरु-आचार्य-जिनराजसूरि[खरतरगच्छ], सं., गद्य, ग्रं.१५५०, पाकाहेम ७००४, पृ. २४, सन्देहदोलावलीप्रकरण विधिरत्नकरण्डिकानामक लघुवृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ सन्देहदोलावलीप्रकरण-(सं.)टीका गणि-प्रबोधचन्द्र गणि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३२०, ग्रं.४७५०, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानं प्रभुमानमाम्यहं यज्ज्योतिषिस्फूर्जति सर्वतोमुखेन... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. र.सं.-अम्बरकरशिखिरूपमिते-१३२०. पाकाहेम ७०२५, पृ. ७५, सन्देहदोलावलीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ भांका २७५, पृ. १०५, सन्देहदोलावली सह टीका, वि-१६३७, संपूर्ण प्रत विशेष- १,१०,११ पाना डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-७०, डीवीडी-९० सन्देहदोलावलीप्रकरण-(सं.)टीका गणि-प्रबोधचन्द्र गणि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३२०, ग्रं.४७५०, आदि वाक्य: श्रीवर्द्धमानं प्रभुमानमाम्यहं यज्ज्योतिषिस्फूर्जति सर्वतोमुखेन... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. र.सं.-अम्बरकरशिखिरूपमिते-१३२०. पाकाहेम ७०२५, पृ. ७५, सन्देहदोलावलीप्रकरण सटीक, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ भांका २७५, पृ. १०५, सन्देहदोलावली सह टीका, वि-१६३७, संपूर्ण प्रत विशेष- १,१०,११ पाना डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-७०, डीवीडी-९० सन्देहदोलावलीप्रकरण-(सं.)विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति (विधिरत्नकरण्डिका लघुवृत्ति) उपाध्याय-जयसागर वाचनाचार्य[खरतरगच्छ], गुरु-आचार्य-जिनराजसूरि[खरतरगच्छ], सं., गद्य, ग्रं.१५५०, पाकाहेम ७००४, पृ. २४, सन्देहदोलावलीप्रकरण विधिरत्नकरण्डिकानामक लघुवृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ सन्देहविषौषधि टीका जुओ - शिशुपालवधमहाकाव्य-(सं.)सन्देहविषौषधि टीका, अज्ञात-वल्लभदेव, संस्कृत सन्देहविषौषधिप्रकरण जुओ - दर्शनशुद्धिप्रकरण, संस्कृत, गा.२८० सन्देहविषौषधिवृत्ति जुओ - कल्पसूत्र-(सं.)सन्देहविषौषधिवृत्ति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.२१६८ सन्मतितर्कप्रकरण आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सिद्धं सिद्धट्ठाणं ठाणमणोवम सुहं... पाकाहेम ६६६१, पृ. २००, सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनी टीकासहित प्रथमखण्ड, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२८३८. पाकाहेम ६८५४, पृ. २५, सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनीटीकासहित द्वितीयखण्ड, वि-१६५२, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२५ पाकाहेम १६८९४, पृ. ५०४, सन्मतितर्कप्रकरणतत्वबोधविधायिनी टीका सह, वि-१७३४, संपूर्ण 776 Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १८५-१८६, २६१, ४७९ डबल छे. भांका २३०, पृ. ४, सन्मतितर्कप्रकरण- सिद्धसेनदिवाकर, संपूर्ण डीवीडी-८८ सन्मतितर्कप्रकरण-(सं.) तत्वबोधविधायिनीवृत्ति (तत्वबोधविधायिनीवृत्ति) आचार्य अभयदेवसूरि, सं. गद्य, नं. २५०००, ग्रं. पातासंघवी १८ पृ. ३३५. सन्मतितर्कटीका द्वितीय तृतीय काण्ड, वि-१४४६ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सारी-३३४-३३५ बेना 'टुकड़ा छे. डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ५८-२, पृ. १८६, सन्मतितर्क वृत्ति - अपूर्ण, अपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण. डीवीडी - २९/४८ पाकाहेम ६६६१, पृ. २०० सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनी टीकासहित प्रथमखण्ड वि-१५मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १२८३८. पाकाहेम ६८५४, पृ. २५, सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनीटीकासहित द्वितीयखण्ड, वि - १६५२, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२५ पाकाहेम १६८९४, पृ. ५०४, सन्मतितर्कप्रकरणतत्वबोधविधायिनी टीका सह, वि-१७३४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १८५-१८६, २६१, ४७९ डबल छे. सन्मतितर्कप्रकरण-(सं.) तत्वबोधविधायिनीवृत्ति (तत्वबोधविधायिनीवृत्ति) आचार्य अभयदेवसूरि सं., गद्य, ग्रं. २५०००, पातासंघवी १८, पृ. ३३५, सन्मतितर्कटीका द्वितीय तृतीय काण्ड, वि-१४४६ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष सारी-३३४-३३५ बेना टुकड़ा छे. डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ५८-२, पृ. १८६, सन्मतितर्क वृत्ति - अपूर्ण, अपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण. डीवीडी- २९/४८ पाकाहेम ६६६१, पृ. २००, सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनी टीकासहित प्रथमखण्ड, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १२८३८. पाकाहेम ६८५४, पृ. २५, सन्मतितर्क तत्त्वबोधविधायिनीटीकासहित द्वितीयखण्ड, वि-१६५२ प्रतिपूर्ण झे. कुल झ. पृष्ठ-२२५ पाकाहेम १६८९४, पृ. ५०४ सन्मतितर्कप्रकरणतत्वबोधविधायिनी टीका सह वि- १७३४, संपूर्ण " प्रत विशेष - पत्र १८५- १८६, २६१, ४७९ डबल छे. सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ * (षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ), (सत्तरि), (सत्तरिया), (कर्मग्रन्थ सप्ततिका), (प्राचीन षष्ठ कर्मग्रन्थ), (सत्तरी प्रकरण) ऋषि - चन्द्रर्षि महत्तर, प्रा., पद्य, गा. ९१, आदि वाक्यः सिद्धपएहिं महत्थं बन्धोदयसन्तपयडिठाणाणि । ... कृ.वि: चन्द्रमहत्तरीयानुसार गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे. पाताखेत ११- पे.क्र. ५. पृ. ८२-९१ बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो वि-१२७८ संपूर्ण पे. नाम सत्तरी, पे. विशेष गाथा ९२. प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे. पृष्ठ- ११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १२ पृ. १४५-१६३, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष गाथा १९१ (?) सत्तरिया ज छे? प्रत विशेष सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ - 777 Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ४२- पे.क्र.८, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाक उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र. ५, पृ. ५३-५९, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र का आधा भाग जहाँ-तहाँ खंडित है. पत्र-५८-६१ पत्र-६८-६९ के बीच में हैं. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५- पे.क्र.७, पृ. ८४-९०, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र.८, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. ११, पृ. १०८-११५, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- सत्तरिया, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४०-४३. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. २, पृ. ?, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह (सं.)टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ७, पृ. १७१-१८०, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-८९. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र.५, पृ. ११९-१३९, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९१. डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र. ४, पृ. ९१-१२८, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे., नवा सूचीपत्रमा गाथा-१९१., गा. के. प्रमाणे कृति अपूर्ण. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. ५, पृ. ९६-१०१, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. नाम- सत्तरिया, पे. विशेष- गाथा-९१. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र. ६, पृ. ३४अ-४२आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- सत्तरिया, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-९४. झेरोक्ष पत्र-९-१२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११२- पे.क्र. ५, पृ. ६९-७६, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९१. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १९, पृ. १८०-१८७, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण 778 Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- सत्तरीयापगरण, पे. विशेष- गाथा-९१. कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ भांता ४३, पृ. १९६, सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका, वि-१४९०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७८०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-७०/७९ भांता ४४, पृ. २०६, सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- मात्र अंतिम गाथा की टीका का अंतिम आंशिक भाग एवं टीका प्रशस्ति नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७०/८० पाकाहेम ६९७६, पृ. ३१, षष्ठकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि प्रा., गद्य, ग्रं.२०००, आदि वाक्यः (१) सिद्धिविवन्धव बन्धुदयसन्तखवणविहि...सो जयइ वीरो...(२) सिद्धिविवधणवन्धुदय...सो जयइ वीरो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १०, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण व त्रुटक.पत्र अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र-१-२२ व १०५-१४४. झे. पत्र १७-२२ का पाठ १०५-११० पर भी मिलता है. बीच में अन्य दूसरी कृतियाँ हैं. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० तालाद ३८३, पृ. १५६, सप्ततिकाचूर्णि, वि-१३मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-९४/९६ वताकांति ३९९, पृ. ९६, सप्ततिका चूर्णि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-९७/९८ सप्ततिकाप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-मलयगिरिसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.२०००, कृ.विः कर्ता? पाताहेसं ९६, पृ. ११६, सप्ततिकाप्रकरणचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३७८०, आदि वाक्यः अशेषकर्मांशतमः समूहभास्वानिवदीप्ततेजः... पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. २, पृ. १-६५, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह (सं.)टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १५३-१, पृ. १२२, सप्ततिकाटीका, वि-१२२१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २ थी ९ नथी. डीवीडी-३५/५३ भांता ४३, पृ. ?, सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका, वि-१४९०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७८०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०? कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-७०/७९ भांता ४४, पृ. ?, सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- मात्र अंतिम गाथा की टीका का अंतिम आंशिक भाग एवं टीका प्रशस्ति नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७०/८० 779 Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ ( मा.गु. ) टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७६, पृ. ३१ षष्ठकर्मग्रन्थ टबार्थसहित वि-१७मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३१ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (सं.) अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध० सिद्धानि थायितुं ... भांका २०६ - पे.क्र. ६, पृ. ४९-६४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिकावचूरि कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्र. पु. श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे. पृष्ठ-४२, डीवीडी - ८७ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (प्रा.) भाष्य आचार्य अभयदेवसूरि प्रा. पद्य गा. १९०, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं कम्मट्ठपरूवणं..... , -, कृ.विः अन्तवाक्य- अभयपुरं इच्छमाणेणं. पाताहेसं ११२- पे.क्र. ६, पृ. ७७-९५ कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण ये नाम सप्ततिकाभाष्य, पे. विशेष पत्रांक ७७ की गाथा-६ नहीं है. प्रत विशेष - हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है., झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे. पृष्ठ ४६, डीवीडी-७/१७ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (सं.) टीका आचार्य मलयगिरिसूरि, सं. गद्य, ग्रं. ३७८०, आदि वाक्य अशेषकर्माशतमः समूहभास्वानिवदीप्ततेजः ... पातासंघवी ६१-१- पे.क्र. २, पृ. १-६५, कर्मग्रन्थ ५-६ सटीक, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह ( सं . ) टीका प्रत विशेष- पत्र २४४-२८३ नथी, अंतमां छेल्ली गाथानी टीका अने प्रशस्ति नथी. डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १५३-१, पृ. १२२, सप्ततिकाटीका, वि-१२२१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २ थी ९ नथी. डीवीडी-३५/५३ भांता ४३ पृ. ? सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका वि-१४९०. संपूर्ण " , प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ३७८० विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ प्रत लखवामां आयी. जूनो नं. १८८० ? सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ (प्रा.) चूर्णि कुल झे. पृष्ठ-१४४, डीवीडी-७०/७९ भांता ४४, पृ. ?, सप्ततिका कर्मग्रन्थ सह मलयगिरीयटीका, संपूर्ण प्रत विशेष - मात्र अंतिम गाथा की टीका का अंतिम आंशिक भाग एवं टीका प्रशस्ति नहीं है. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-७०/८० . " प्रा. गद्य ग्रं. २०००, आदि वाक्यः (१) सिद्धिविवन्धव बन्धुदयसन्तखवणविहि...सो जयइ वीरो... ( २ ) सिद्धिविवधणवन्धुदय....सो जयइ वीरो..... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे क्र. १०, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण व त्रुटक पत्र अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र - १- २२ व १०५-१४४. झे. पत्र १७ - २२ का पाठ १०५-११० पर भी मिलता है. बीच में अन्य दूसरी कृतियाँ हैं. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल हो. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८/६० तालाद ३८३, पृ. १५६, सप्ततिकाचूर्णि वि-१३मी संपूर्ण " कुल झे. पृष्ठ- ८०, डीवीडी- ९४/९६ 780 Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ३९९, पृ. ९६, सप्ततिका चूर्णि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-९७/९८ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१९०, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं कम्मट्ठपरूवणं... कृ.विः अन्तवाक्य- अभयपुरं इच्छमाणेणं. पाताहेसं ११२- पे.क्र.६, पृ. ७७-९५, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिकाभाष्य, पे. विशेष- पत्रांक ७७ की गाथा-६ नहीं है. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व ४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७६ , पृ. ३१, षष्ठकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध० सिद्धानि थायितुं... भांका २०६- पे.क्र.६, पृ. ४९-६४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- सप्ततिकावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. ___ कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ सप्ततिकाप्रकरण (सत्तरि पगरण) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः साहूण अणुग्गहढं आयरिएण कयं... पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३८००, पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-मलयगिरिसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.२०००, कृ.विः कर्ता? पाताहेसं ९६, पृ. ११६, सप्ततिकाप्रकरणचूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३८००, पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ सप्ततिशतजिनस्तुति सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.२०, पृ. ८७मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ सप्ततिशतजिनस्तोत्र जुओ - तिजयपहुत्तस्तोत्र, प्राकृत, गा.१४ सप्तनय विचार जुओ - सातनयनो विचार, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर 781 Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सप्तनय-विवरण सं., पद्य, आदि वाक्यः जीवाजीवा चावश्च संवरो निर्जरा तथा... पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र. ७, पृ. ?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २७-३० पर है. श्लोक २८ तक है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पाकाहेम ६९४१- पे.क्र. २, पृ. १६७-१७३, पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथासप्तनयविवरण, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ सप्तपदार्थी भावविश्वेश्वर, सं., गद्य, पाकाहेम १०११३, पृ. ८, सप्तपदार्थी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ सप्तपदार्थी-(सं.)कणपोटली टीका (कणपोटली टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १०११२, पृ. १२, सप्तपदा टीका कणपोटली, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र ३M नथी. कुल झे.पृष्ठ-१३ सप्तपदार्थी-(सं.)कणपोटली टीका (कणपोटली टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १०११२, पृ. १२, सप्तपदार्थीटीका कणपोटली, वि-१५१५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र ३जु नथी. कुल झे.पृष्ठ-१३ सप्तविचार (भडलीना जेवू) (भडलीना जेवू) सं., पद्य, पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. २, पृ. ३५-४२, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ३८-४० नथी. डीवीडी-३६/५४ सप्तशती छाया जुओ - गाथा सप्तशती-(सं.)छाया, अज्ञात-जल्हणदेव, संस्कृत सप्तषष्टि सम्यक्त्वभेद जुओ - सम्यक्त्वकुलक, प्राकृत, गा.१७ सप्रपञ्चकालचक्र (कालचक्र सप्रपञ्च) प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं सुयदेवयं च वोच्छं गगुरुवएसेणं... भांता ७०- पे.क्र. ११६, पृ. १५१०-१५३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सप्रपञ्चपृथ्वीकायादिविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः कोट्ठय पत्तय चम्पयमालय... भांता ७०- पे.क्र. १५९, पृ. २०९B-२१२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सभापञ्चकप्रकरण-देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण (देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण सभापञ्चकप्रकरण ) 782 Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य चक्रेश्वरसूरि प्रा. ग्रं. ५३ आदि वाक्यः पञ्चसब्भा पनत्ता उववायसमा..... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २४, पृ. ३२-३३, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थ श्लोक - ५३. कुल झे. पृष्ठ-३५ समकीत के ६७ भेद जुओ सम्यक्त्वकुलक, प्राकृत, गा. १७ समग्र ग्रन्थ परिमाण जुओ आगमादि विविध ग्रन्थों के सूत्रवृत्ति आदि का ग्रन्थपरिमाण, संस्कृत समयक्षेत्रसमास 3 समयसारप्रकरण - पद्य, भांता २५ पे.क्र. ८, पृ. १८४४-१९२B उपदेशमालाप्रकरण आदि संपूर्ण प्रत विशेष भण्डार संदर्भांक - ७४ (A) / ८०-८१. सूचीपत्र नं. २- २३२. डीवीडी-६९/७७ - आचार्य देवानन्दसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४६९. पाकाहेम ६७१९, पृ. ३५, समयसारप्रकरण स्वोपज्ञटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं १६५८मां रत्ननिधानउपाध्याये शोधेल प्रति.. कुल झे. पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०१४४, पृ. २१, समयसारप्रकरण सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२ पाकाहेम १७१००, पृ. ४ समयसार प्रकरण वि-१५०३. संपूर्ण प्रत विशेष- दिगंबरीय कुल झ. पृष्ठ-४ समयसारप्रकरण (सं.) स्वोपज्ञ टीका आचार्य देवानन्दसूरि सं., गद्य, , पाकाहेम ६७१९, पृ. ३५, समयसारप्रकरण स्वोपज्ञटीकासहित वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष सं १६५८मां रत्ननिधानउपाध्याये शोधेल प्रति. कुल झ. पृष्ठ-३६ झे. समयसारप्रकरण- (मा.गु.) टवार्थ मारुगूर्जर, गद्य, रचना सं. विक्रम १४६९, पाकाहेम १०१४४, पृ. २१, समयसारप्रकरण सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२ समयसारप्रकरण- (मा. गु. ) टबार्थ समराइच्चकहा मारुगूर्जर, गद्य, रचना सं. विक्रम १४६९, पाकाहेम १०१४४, पृ. २१, समयसारप्रकरण सस्तबक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२ समयसारप्रकरण- (सं.) स्वोपज्ञ टीका . आचार्य देवानन्दसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६७१९, पृ. ३५, समयसारप्रकरण स्वोपज्ञटीकासहित, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सं १६५८मां रत्ननिधानउपाध्याये शोधेल प्रति. कुल झे. पृष्ठ-३६ आचार्य - हरिभद्रसूरि, प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं. १००००, आदि वाक्यः पणमह विजियसुदुज्जयणिज्जियसुरमणुयविसमसरपसरं । .... पाताहेसं ४८, पृ. ३५४, समराइच्चकहा, संपूर्ण 783 Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५/१५ समवसरणगाथा प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः जत्थ अपुवो सरणं जत्तय देवो महट्ठिओए... भांता ७०- पे.क्र. १२९, पृ. १७८B-१७९A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२ उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ समवसरणगाथा-(सं.)टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः समोसरणेत्यादि द्वारगाथा समोसरणनाम... भांता ७०- पे.क्र. १२८, पृ. १७५A-१७८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ समवसरणगाथा-(सं.)टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः समोसरणेत्यादि द्वारगाथा समोसरणनाम.. भांता ७०- पे.क्र. १२८, पृ. १७५A-१७८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ समवसरणथवण जुओ - समवसरणस्तवन, आचार्य-कुलप्रभसूरि, प्राकृत, गा.२५ समवसरणप्रकरण जुओ - समवसरणस्तव, आचार्य-धर्मघोषसूरि, अपभ्रंश, गा.२४ समवसरणविचार आचार्य-रत्नसिंहसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३१, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २५, पृ. ६१-६२, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. समवसरणविचारस्तव मुनि-सोमसुन्दरसूरि-शिष्य, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३३, पाकाहेम ७७९७- पे.क्र.३, पृ. ?, संवेगकुलक-अन्नायउञ्छकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ समवसरणस्तव (समवसरणप्रकरण) आचार्य-धर्मघोषसूरि, अप., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः थुणिमो केवलिवत्थं वरविज्जाणन्दधम्मकित्तित्थं |... पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १७, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ३, पृ. ४-७, विचारषट्त्रिंशिका दण्डकप्रकरणादि, वि-१६९९, संपूर्ण पे. नाम- समवसरणस्तव सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- गाथा-२४. ___ कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १४, पृ. २०मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण 784 Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समवसरणस्तव-(सं.)अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे क्र. ३ पृ. ११ विचारषट्त्रिशिका दण्डकप्रकरणादि वि- १६९९, संपूर्ण पे. नाम- समवसरणस्तव सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष - गाथा - २४. कुल झे. पृष्ठ-४ समवसरणस्तव- (सं.) अवचूरि कुल झ. पृष्ठ-१७ समवसरणस्तवन सं., गद्य, पाकाहेम ४४७२- पे.क्र. ३ पृ. ११ विचारषट्त्रिशिका दण्डकप्रकरणादि वि-१६९९ संपूर्ण पे. नाम- समवसरणस्तव सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष - गाथा - २४. कुल झे. पृष्ठ-४ आचार्य - जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक३४, पाकाहेम ११३०८- पे क्र. ८ पृ. ६-७ अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ समवसरणस्तवन (समवसरणथवण) कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य - कुलप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा. २५, आदि वाक्य: अइसयलच्छिसणाहं सिरिवीरं पणमिऊण जिणनाहं .... भांता ७०- पे.क्र. १३०, पृ. १७९A - १८०B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२७. प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ समवसरणस्तवन प्रकरण समवसरणस्थापना प्रा., पद्य, गा. २३, आदि वाक्यः पडिवन्नचरमतणुणो... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ५०, पृ. ११७-११८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झ. पृष्ठ- १४५ प्रा.सं., गद्य, आदि वाक्यः जे जम्मि जुगे तणु देहमाणओ उस्सहेण धणुहाई .... भांता ७०- पे.क्र. १३१, पृ. १८०B- १८१B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण समवायाङ्गसूत्र - प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ समवसरणस्थितचतुर्मुखमहावीरस्तव महावीरशब्दगर्भित# (महावीरशब्दगर्भित समवसरणस्थितचतुर्मुखमहावीरस्तव) आचार्य - वीरदेवसूरि, सं., पद्य, का. ३५, आदि वाक्यः श्रियां परं धाम गिराम..... पाकाम १२३८४- पे.क्र. २, पृ. २. नारङ्गपुरमण्डन पार्श्वजिनस्तवन आदि, दि १६७३, संपूर्ण आचार्य - सुधर्मास्वामी, प्रा. ग्रं. १६६७, पाकाहेम ९९९६, पृ. २७ समवायाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण - 785 कुल झे. पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३६४, पृ. ३४, समवायाङ्गसूत्र, वि-१६६७, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-३४ Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०५२८, पृ. २८, समवायाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम १०५२९, पृ. ४७, समवायाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४७ पाकाहेम १०५३०, पृ. ४१, समवायाङ्गसूत्र, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १४०१३, पृ. १०३, समवायाङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण समवायाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं.३५७५, आदि वाक्यः वर्द्धमानमानम्य समवायाङ्गवृत्तिका।... पाकाहेम ६८९७, पृ. ८४, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ९९९७, पृ. ६९, समवायाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रथम पत्रमा अष्टमङ्गल तथा शासनाधिष्ठायक देव-देवी सहित समवसरणनुं भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम १०४१२, पृ. ४८, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५९८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७५०. पाकाहेम १०४६२, पृ. ८१, समवायाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३९७८. पाकाहेम १५४२९, पृ. ८३, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रति शुद्ध करेल छे. झेरोक्स लीस्ट मां नथी. पाकाभाभा ७९, पृ. २४, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति अपूर्ण, वि-१७वी, अपूर्ण पाकाभाभा ८०, पृ. ९०, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०८, संपूर्ण समवायाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.५, पृ. ५-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २५, पृ. ६८-७१, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ समवायाङ्गसूत्र-(प्रा.सं.)पर्याय (निश्शेषसिद्धान्तपर्याये). (समवायाङ्गपर्याय) गणि-चन्द्रकीर्ति, प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.१६६७, समवायाङ्गसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०१३, पृ. १०३, समवायाङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण समवायाङ्गसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०१३, पृ. १०३, समवायाङ्गसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण समवायाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र.५, पृ. ५-६, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ 786 Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २५, पृ. ६८-७१, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ समवायाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं.३५७५, आदि वाक्यः वर्द्धमानमानम्य समवायाङ्गवृत्तिका।... पाकाहेम ६८९७, पृ. ८४, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ९९९७, पृ. ६९, समवायाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रथम पत्रमा अष्टमङ्गल तथा शासनाधिष्ठायक देव-देवी सहित समवसरण भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम १०४१२, पृ. ४८, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५९८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७५०. पाकाहेम १०४६२, पृ. ८१, समवायाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३९७८. पाकाहेम १५४२९, पृ. ८३, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रति शुद्ध करेल छे. झेरोक्स लीस्ट मां नथी. पाकाभाभा ७९, पृ. २४, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति अपूर्ण, वि-१७वी, अपूर्ण पाकाभाभा ८०, पृ. ९०, समवायाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०८, संपूर्ण समस्याकाव्यत्रय साध्वीजी-शान्तिमाला गणिनी, सं., पद्य, पाकाहेम ८४९८- पे.क्र. २, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तव आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ समस्यामय पार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथसमस्यामयस्तोत्र, उपाध्याय-श्रीवल्लभोपाध्याय, संस्कृत, का.१२ समस्याश्लोकसङ्ग्रह सं., पद्य, पाकाहेम ८६८४, पृ. १, सटीक समस्याश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ समस्याश्लोकसङ्ग्रह-(सं.)टीका सं., पद्य, पाकाहेम ८६८४, पृ. १, सटीक समस्याश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ समस्याश्लोकसङ्ग्रह-(सं.)टीका सं., पद्य, पाकाहेम ८६८४, पृ. १, सटीक समस्याश्लोकसङ्ग्रह, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ समस्यास्तवन सं., पद्य, श्लोकर, पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. १, पृ. २A-३B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ समाधिशतक आचार्य-पूज्यपाददिगम्बर], सं., पद्य, 787 Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः दिगम्बर ग्रन्थ. पाकाहेम १३३९, पृ. २८, समाधिशतक सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ समाधिशतक-(सं)टीका आचार्य-पूज्यपाद[दिगम्बर], सं., गद्य, पाकाहेम १३३९, पृ. २८, समाधिशतक सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ समाधिशतक-(सं)टीका आचार्य-पूज्यपाद[दिगम्बर], सं., गद्य, पाकाहेम १३३९, पृ. २८, समाधिशतक सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ समासप्रकरण सं., गद्य, पाकाहेम २६२१- पे.क्र. २, पृ. १०-१२, मुग्धावबोध औक्तिकादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ समासलक्षण आचार्य-रत्नमण्डनसूरि, सं., पाकाहेम ४८६१, पृ. १, समासलक्षण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६१७, संपूर्ण समासलक्षण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ४८६१, पृ. १, समासलक्षण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६१७, संपूर्ण समासलक्षण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ४८६१, पृ. १, समासलक्षण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६१७, संपूर्ण समासविशेषभेद पाकाहेम ६७१७- पे.क्र. २, पृ. ७मुं, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति जुओ - प्रश्नोत्तररत्नमालिका-(सं.)समासार्थप्रकाशिनी वृत्ति, संस्कृत समुद्रदत्तकथा अनित्यताविषये (अनित्यताविषये समुद्रदत्तकथा) प्रा., पद्य, गा.११८, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. १२, पृ. १३१-१४१, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ समुद्रमथन समवकार (समुद्रमथनाभिधान समवकार (नाटक)) कवि-वत्सराज महामात्य, सं.अध्याय३अंक, ग्रं.६१४, आदि वाक्यः गङ्गाधरो रुचिरशीतकराभिरामो... कृ.विः समवकार प्रकारक नाटक. पाताखेत ५२-२- पे.क्र. १, पृ. १३१-१८३, समुद्रमथन समवकार व रुक्मिणीहरण ईहामृग, संपूर्ण पे. विशेष- वस्तुतः यह पेटांक-२ है. सूचीपत्र में पत्रांक-४०,४३ का उल्लेख है. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-६२/६४ समुद्रमथनाभिधान समवकार (नाटक) जुओ - समुद्रमथन समवकार, कवि-वत्सराज महामात्य, संस्कृत, ग्रं.६१४ समुद्राष्टक सं., पद्य, श्लोक, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. १४, पृ. ४-५, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. १४, पृ. १-८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण 788 Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ सम्प्रति अवन्तिसुकुमालकथा प्रा., पद्य, गा.११९, पाताहेसं १८५- पे.क्र. १०, पृ. ?-१५२, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ सम्बन्धोद्योत टीका जुओ - षट्कारक-(सं.)सम्बन्धउद्योत टीका, संस्कृत सम्बोधप्रकरण (तत्त्वप्रकाशक) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः नमिऊण वीयरायं सव्वन्नू तियसनाह कयपूयं... भांका १०५, पृ. ८२, सम्बोधप्रकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- सचित्र यन्त्र सहित. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-८४ सम्बोधप्रकरण आचार्य-जयशेखरसूरि, सं., पद्य, अताका ४६९, पृ.?, सम्बोधप्रकरण, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. (लवारनी पोळ-अमदावाद) डीवीडी-१०३/१०४ सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण (सम्बोधसित्तरीप्रकरण) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.७४, पाकाहेम १०१६२, पृ. १३, सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण बालावबोधसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १०१६३- पे.क्र.२, पृ. ९-११, ऋषिमण्डलप्रकरण आदि, वि-१८मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७२. कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १०६२७, पृ. ४, सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण, वि-१६मी, संपूर्ण सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध उपाध्याय-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१७२७, पाकाहेम १०१६२, पृ. १३, सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण बालावबोधसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध उपाध्याय-मेरुसुन्दर, मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१७२७, पाकाहेम १०१६२, पृ. १३, सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण बालावबोधसह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ सम्बोधसित्तरीप्रकरण जुओ - सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्राकृत, गा.७४ सम्भवनाथचरित्र जैनश्रावक-तेजपाल, अप., पद्यअध्यायसंधि, भांका २१९, पृ. ६६, सम्भवनाथचरित्र, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-७९७. डीवीडी-८७ सम्भवस्तोत्र मुनि-मेरुसुन्दर, प्रा., पद्य, गा.३, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र. ४, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण सम्मुच्छिममणुस्सोप्पत्तिट्ठाण जुओ - सम्मूर्च्छितमनुष्योत्पत्तिस्थान#, प्राकृत सम्मूर्च्छितमनुष्योत्पत्तिस्थान# (सम्मुच्छिममणुस्सोप्पत्तिट्ठाण) 789 Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. गद्य, आदि वाक्य कहं भन्ते सम्मुच्छिममणुस्सा समुच्छन्ति.... " कृ.विः अं.वाक्य-समग्मेहिं पज्जत्तीहिं अपज्जत्तगा अंतोमुहुत्तद्धाओ या चेव कालं करेंति.. भांता ७० पे. क्र. १६०, पृ. २१२, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. - कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्व चोपई (सम्यक्त्वचतुष्पदिका) उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा. १२५, तालाद ३९१-१- पे. क्र. २, पृ. ४4-04 आठ दृष्टि स्वाध्याय, वि-१८वी, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. गाथा - ५१ तक नहीं है. प्रत विशेष महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित लिपिवाली प्रति सम्यक्त्व बारव्रतकुलक सम्यक्त्वकुलक - - कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३९१-४- पे.क्र. २, पृ. ७-११, आठ दृष्टि स्वाध्याय व सम्यक्त्व चतुष्पदिका, संपूर्ण पे. विशेष पत्र- ५ से ७ नहीं है. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखा गया है जो दोनो अलग-अलग पेटांक रूप में है., पेटांक - १ के पत्र- ४ तथा पेटांक - २ के ७ पत्र है. दोनो पेटांक के पत्र को क्रमशः गिना गया है. कुल झे, पृष्ठ-४, डीवीडी- ९४ / ९६ मारुगुर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १५३४ गा.३४९. पाकाहेम १०२४९, पृ. १६. सम्यक्त्वबारव्रतकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६ " सम्यक्त्व मूल १२ व्रतोच्चारण विधि जुओ सामान्य व्रतोच्चारण विधि, प्राकृत, संस्कृत सम्यक्त्वकुलक आचार्य अमरचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ३५. आदि वाक्य देवो धम्मो मरणो... तालाद ३४३- पे.क्र. ५, पृ. १-५, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी- ९४/९६ प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः वेसागिहेसु गमणं महाविरूद्धं जहा कुलवहूणं..... पाताखेत ६ पे. क्र. १३ पृ. ११८-१२०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे. पृष्ठ - ११०, डीवीडी - ६१/६३ सम्यक्त्वकुलक (सम्यक्त्वप्रकरण). ( सम्यक्त्वभेदप्रकरण) (सप्तषष्टि सम्यक्त्वमेद), (समकीत के ६७ मेद) प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः चउसद्दहण तिलिङ्गं दस विणय ति सुद्धि पञ्चगयदो .... पाताखेत ५- पे. क्र. १३. पृ. १६८-१७१, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष - श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक - १६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे. पृष्ठ ९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२ पे. क्र. ३४, पृ. २९४ २९५ गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १३०-१- पे. क्र. १२, पृ. ६८-६९, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा - १६. प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे. पृष्ठ-३७, डीवीडी - ३४/५२ 790 Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहे १६८- पे.क्र. ३९ पृ. ७७-७८आ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि संपूर्ण पे. नाम सम्यक्त्व, पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-४५-४८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ पे. क्र. ३५. पू. १४१३-१४१B, दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सप्तषष्टि सम्यक्त्व भेदाः, पे. विशेष- गाथा - १६. प्रत विशेष- त्रुटक, कुल पत्र-४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी - १०/१९ पाकाहेम ४७३२, पृ. ५. सम्यक्त्वस्तवकुलक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ सम्यक्त्वकुलक जुओ सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका, प्राकृत, गा.२५ सम्यक्त्वगाथा - प्रा. पच, आदि वाक्यः एगविहाई दसविहं समतन्ति... भांता ७०- पे.क्र. ८६, पृ. ११०A - १११A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२ - १ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका, सम्यक्त्वदेशनागाथा कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्वचतुष्पदिका जुओ सम्यक्त्व चोपई, उपाध्याय यशोविजयजी गणि, मारुगूर्जर, गा. १२५ सम्यक्त्वदण्डक प्रा. आदि वाक्यः अहं भन्ते तुम्हाणं समीवे मिच्छत्ताओ पडिवकमामि सम्मत्तं उवसम्पज्जामि तं जहा.... कृ.वि: अंतिमवाक्य-बलाभयोगेणं देवयाभिओगेणं गुरुनिग्गहेणं चित्तीकंवारेण वोसिरामि भांता ७०- पे क्र. ३८, पृ. ४५B-४६A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२ - १=२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ . - - - प्रा. सं., पद्य, आदि वाक्यः सम्मत्तदायगाणं पुप्पडियारम्भवेसु वहुए ... भांता ७०- पे क्र. ४०, पृ. ४६-४७A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - - पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३६४. सम्यक्त्वद्वादशवतातिचार ( द्वादशव्रतातिचार ) प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्व पञ्चविंशतिका (सम्यक्त्वकुलक), (सम्यक्त्वस्तव) 791 सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीवीरं देशकं नत्वा यतिश्रावकधर्मयो.... भांता ७०- पे.क्र. ८५, पृ. १०७B- ११०A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. ३ - १५. पत्र - २५२+२-१ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ११०५५, पृ. ३, सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६४४, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे. पाकाहेम ११०५६, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०५७, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६९२, संपूर्ण पाकाहेम ११०५८- पे.क्र. १, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५५, पृ. ३, सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६४४, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे. पाकाहेम ११०५६, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०५७, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६९२, संपूर्ण सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०५५, पृ. ३, सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६४४, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे. सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०५५, पृ. ३, सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६४४, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे. सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५५, पृ. ३, सम्यक्त्वकुलक सस्तबक सावचूरि त्रिपाठ, वि-१६४४, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्यक्त्वपंचविंशतिका अथवा सम्यक्त्वस्तव तरीके पण ओळखाय छे. पाकाहेम ११०५६, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावरिपञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०५७, पृ. १, सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६९२, संपूर्ण सम्यक्त्वप्रकरण जुओ - सम्यक्त्वकुलक, प्राकृत, गा.१७ सम्यक्त्वप्रकरण आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ८०५, पृ. २९०, सम्यक्त्वप्रकरण सह वृत्ति, वि-१४६६, पूर्णता अज्ञात प्रत विशेष- कागळ स्थूल छे, प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली. कुल झे.पृष्ठ-१२९ सम्यक्त्वप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, आचार्य-तिलकाचार्य, सं., गद्य, पाकाहेम ८०५, पृ. २९०, सम्यक्त्वप्रकरण सह वृत्ति, वि-१४६६, पूर्णता अज्ञात प्रत विशेष- कागळ स्थूल छे, प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली. __कुल झे.पृष्ठ-१२९ सम्यक्त्वप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, आचार्य-तिलकाचार्य, सं., गद्य, पाकाहेम ८०५, पृ. २९०, सम्यक्त्वप्रकरण सह वृत्ति, वि-१४६६, पूर्णता अज्ञात प्रत विशेष- कागळ स्थूल छे, प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली. कुल झे.पृष्ठ-१२९ सम्यक्त्वभेदप्रकरण जुओ - सम्यक्त्वकुलक, प्राकृत, गा.१७ 792 Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सम्यक्त्वमूलबारव्रत रास (बारव्रत रास) आचार्य-हीरानन्दसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १४९४, श्लोक६७, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३०, पृ. ६७-७१, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. सम्यक्त्वरत्नमहोदधि आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्रा., पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वरत्नमहोदधि-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वरत्नमहोदधि-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वविचारस्तवन प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविचारस्तवन-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविचारस्तवन-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविषये उपदेश गाथा (उपदेशगाथा सम्यक्त्वविषये) प्रा., पद्य, गा.२६, पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १३, पृ. ६९-७१, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-१ नथी. झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ सम्यक्त्वविषये धनश्रेष्ठिकथा जुओ - धनश्रेष्ठिकथा सम्यक्त्वविषये, प्राकृत, गा.८० सम्यक्त्वविषये यन्त्रप्रकरणकथा (यन्त्रप्रकरणकथा सम्यक्त्वविषये), (वज्रकर्णकथा सम्यक्त्वविषये) सं., पद्य, श्लोक९९, पातासंघवी १२९- पे.क्र.२, पृ. २२-३०, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा (विक्रमसेनकथा सम्यक्त्वविषये) सं., पद्य, श्लोक२२३, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १, पृ. १-२२, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण 793 Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ सम्यक्त्वशुद्धिप्रकरण जुओ - दर्शनशुद्धिप्रकरण, आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्राकृत सम्यक्त्वशुद्धिप्रकरण टीका जुओ - दर्शनशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका, गणि-विमलगणि, संस्कृत, श्लोक१२००० सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण जुओ - दर्शनसप्ततिकाप्रकरण, आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्राकृत, गा.७० सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य सुलसाचरित्र जुओ - सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य, आचार्य-जयतिलकसूरि, संस्कृत, श्लोक७४१ सम्यक्त्वस्तव जुओ - सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका, प्राकृत, गा.२५ सम्यक्त्वस्वाध्याय मारुगूर्जर, पद्य, गा.१९, पाकाहेम १०२३२, पृ. २, सम्यक्त्वस्वाध्याय, वि-१६०२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सम्यक्त्वारोपण विधि सं., आदि वाक्यः प्रथमं चैत्यभुवने गत्वा प्रदक्षिणात्रयं अक्षतफलभरिताञ्जलिं दत्वा शक्रस्तवं अड्ढाइज्जिसु इत्यादि भणित्वा आचार्यस्य क्षमाश्रमणं ददाति... कृ.विः अंतिमवाक्य-तदनंतरं वासा दीयंते प्रदक्षिणात्रयं च ततो वन्दनपूर्वं प्रत्याख्यानं. भांता ७०- पे.क्र. ३७, पृ. ४५०-४५०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम ५२६८- पे.क्र.७, पृ. १६-१७, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ सम्यक्त्वोपरि विक्रमसेनचरित्र आदि कथाओ मुनि-पद्मचन्द्रसूरि शिष्य, सं., आदि वाक्यः तिसकुच्छिसरोवरकलहंसं... पातासंघवी ६५-४, पृ. ७८, सम्यक्त्वोपरि विक्रमसेन चरित्र अघट कथा पर्यन्त-४ कथाओ, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. डीवीडी-३०/४९ सम्यक्त्वोपादविधि जुओ - सम्यक्त्वोपायविधि, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.२९ सम्यक्त्वोपायविधि (सम्यक्त्वोपादविधि) आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२९, आदि वाक्यः भुवणजणवन्दणिज्जं...सम्मत्तुपायविहिं... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र.९, पृ. ३६-४०, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ९, पृ. ७-८, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ सरस्वतीकण्ठाभरण जैनेतर-भोजदेव महाराजा, सं.,प्रा., पातासंघवी १०२-१, पृ. ३०४, सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२-१००-१०१ १०५ थी ११०-११६-१३७ थी १३९-१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३-१८४-१८८-१९०-१९११९६-१९७-१९९-२००-२०३-२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी२४९-२५८-२६०-२६४२६५-२६७ थी २७१-२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८ थी २९०-२९३-२९५ थी २९८-३०१३०२ नथी. डीवीडी-३३/५१ 794 Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सरस्वतीकण्ठाभरण - (सं.) पदप्रकाश वृत्ति (पदप्रकाश वृत्ति) जैन श्रावक - अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र, सं., प्रा., अप., गद्य, पातासंघवी १०२-१, पृ. ३०४ सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२-१००-१०११०५ थी ११०-११६-१३७ थी १३९-१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३-१८४-१८८-१९०-१९११९६-१९७-१९९-२००-२०३-२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी२४९-२५८-२६०-२६४२६५-२६७ थी २७१-२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८ थी २९० २९३-२९५ थी २९८-३०१३०२ नथी. डीवीडी-३३/५१ सरस्वतीकण्ठाभरण-(सं.) पदप्रकाश वृत्ति (पदप्रकाश वृत्ति) जैन श्रावक- अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र, सं. प्रा. अप, गद्य, पातासंघवी १०२-१, पृ. ३०४, सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२-१००-१०११०५ थी ११०-११६ - १३७ थी १३९-१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३-१८४-१८८-१९०-१९११९६-१९७-१९९-२००-२०३-२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी२४९-२५८-२६०-२६४२६५-२६७ थी २७१-२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८ थी २९० २९३-२९५ थी २९८-३०१३०२ नथी. डीवीडी-३३ / ५१ सरस्वतीस्तोत्र जुओ अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव, आचार्य बप्पभट्टसूरि, संस्कृत श्लोक १३ सर्वजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा. १०, आदि वाक्यः असुरसुरकिन्नरदेवरायवर..... पाताहे १६८- पे.क्र. ९ पृ. १९आ-२०अ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सुत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि संपूर्ण " पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-२७-२८. सर्वजिनकल्याणकस्तोत्र प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोकट, आदि वाक्यः पुरन्दरपुरस्पर्धि वर्धितर्द्धिमहोदयं .... पाताखेत २३- पे. क्र. १३ पृ. ३३१-३३२, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ डतामुक्ता ४५७- पे. क्र. २. पृ. २. जिनवल्लभ कृतयः वि १२वी संपूर्ण पे नाम सर्वजिनकल्याणकस्तव, पे. विशेषकुल झे. पृष्ठ-९, डीवीडी- १०१ / १०२ सर्वजिनस्तव (जिनस्तव) सर्वजिनस्तोत्र आचार्य धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः खस्ताशर्मावृतसुमहिमा पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. ३ पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तुति (जिनस्तुति) प्रा., पद्य, का. ४, आदि वाक्यः एगे जे अरविन्दचन्द... पाकाहेम १२३६७- पे क्र. ५. पृ. १ पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि वि-१६मी संपूर्ण 7 " 795 . पं. हर्षवर्द्धन गणि, सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः श्रीनाभिजात सुमते जिनशम्भवेश ..... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. २, पृ. २अ जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे. पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-(सं.)अवचूरि Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीऋषभपक्षे हे श्रीनाभिजात त्वं मे मम शिव शर्म... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र.२, पृ. २, जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र मुनि-रत्नसिंह, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः नमस्तेस्तदानन्द सन्दोहकारिन्... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. २, पृ. १A, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ सर्वजिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय (एकस्वरचित्रमय सर्वजिनस्तोत्र), (जिनस्तोत्र एकस्वरचित्रमय) प्रा., पद्य, गा.७, आदि वाक्यः जय जय जय जणवच्छल पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७१, पृ. १२९, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ सर्वजिनस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीऋषभपक्षे हे श्रीनाभिजात त्वं मे मम शिव शर्म... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. २, पृ. २, जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय (आदिमध्यान्त यमकमय-सर्वजिनस्तोत्र), (सर्वजिनस्तोत्र-षड्चक्रबन्ध कविनामगर्भित) पं.-हर्षवर्द्धन गणि, सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः मानवा जिनवर त्वयि शश्वन् मानवा रणहरे रचयन्ति... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. १, पृ. १अ-२अ, जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- यमकमय सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि, पे. विशेष- सचित्र षट्चक्र. कुल झे.पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः हे मानगजसिंह पूजोत्करं अष्टप्रकाररूपं... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. १, पृ. २, जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- यमकमय सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि, पे. विशेष- सचित्र षट्चक्र. कुल झे.पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः हे मानगजसिंह पूजोत्करं अष्टप्रकाररूपं... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. १, पृ. २, जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- यमकमय सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि, पे. विशेष- सचित्र षट्चक्र. ___कुल झे.पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-षड़चक्रबन्ध कविनामगर्भित जुओ - सर्वजिनस्तोत्र-आदिमध्यान्त यमकमय, पं.-हर्षवर्द्धन गणि, संस्कृत, श्लोक२८ सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल सं., आदि वाक्यः इह केचिदहङ्कारशिखरिशिखामध्यमध्यारूढाः... पाकाहेम ८७९५- पे.क्र. १, पृ. १, सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल आदि, वि-१६९८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ भांका २१४- पे.क्र. ३, पृ. २B-४A, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ भांका २९२- पे.क्र. ४, पृ. १०B-११A, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सर्वज्ञवादस्थल कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ 796 Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सर्वज्ञदेवसहस्रनामस्तोत्र (सहस्रनामस्तोत्र) सं., पद्य, श्लोक१२८, पाकाहेम ८२२०- पे.क्र. २, पृ. १-३, अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ सर्वज्ञपरीक्षा प्रा., पद्य, गा.१४१, आदि वाक्यः एवं अण्णाइ कालं जीवो... तालाद ३३९- पे.क्र. १६, पृ. १०२-१०५, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ सर्वज्ञवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः सकल प्रत्यक्षं लक्षयन्ति सकलं तु सामग्रीविशेष... भांका २९२- पे.क्र. ६, पृ. १२B-१३०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सर्वज्ञव्यवस्था प्रकरण सं., पातासंघवी १३५-२- पे.क्र.८, पृ. १०८-१२१, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ सर्वज्ञव्यवस्थापननामप्रकाश डतामुक्ता ४५८, पृ.६, सर्वज्ञ व्यवस्थापन नाम प्रकाश, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ सर्वज्ञव्यवस्थापनवादस्थल सं.. पाकाहेम ८७९६- पे.क्र. ३, पृ. ४-६, धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल आदि, वि-१७०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सर्वज्ञव्यवस्थापनावादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि केचिदज्ञानमहामहीधरभाराक्रान्तचेतसः... भांका २९२- पे.क्र.८, पृ. १५A-१६०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सर्वज्ञशतक उपाध्याय-धर्मसागर, प्रा., पद्य, गा.११२, आदि वाक्यः पणमिय सिरिवीरजिणं छउमत्थ जिणाणमन्तरं सम्म... भांका १९९, पृ. ४, सर्वज्ञशतक, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. टिप्पण सहित. कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८७ सर्वज्ञसिद्धिनिरूपण सं., पद्य, कृ.विः दिगम्बर आचार्य श्रीअनन्तकीर्ति रचित बृहत्सर्वज्ञसिद्धि नामक कृति में उल्लिखित पद्यांश भाग से इस कृति की सभी कारिकाएँ मिलती है परन्तु गद्यांश भाग सर्वथा भिन्न है. ये पद्यांश भाग श्री कुमारिल भट्ट निरूपित पूर्वपक्ष मंडनात्मक है. पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १७, पृ.७२-८०, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८३-८७. बृहत्सर्वज्ञसिद्धि की कारिका नं.१ ताडपत्रीय पत्रांक ७८ पर व झेरोक्ष पत्र ८६ पर मिलती है. इस प्रत में उल्लिखित पद्य बृहत्सर्वज्ञसिद्धि से मिलता है परन्तु गद्यांश भाग इससे सर्वथा भिन्न है. सर्वज्ञसिद्धिविषयक कोई नयी कृति लगती है. झेरोक्ष क्रमबद्ध नहीं किया गया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० 797 Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण सं., पद्य, पाकाहेम ८७९४- पे.क्र. १, पृ. ?, सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ सर्वज्ञस्तुति प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ११०८२- पे.क्र. २, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण सर्वलघुएकस्वरचित्रशब्दमय पार्श्वस्तोत्र जुओ - पार्श्वनाथस्तोत्र सर्वलघुएकस्वरचित्रशब्दमय#, मारुगूर्जर, गा.२ सर्वलब्धिविचार (सव्वलद्धिवियार), (लब्धिविचार) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः आमोसहि १ विप्पोसहि २ खेलोसहि ३ जल्लमओसही चेवं ४... कृ.विः अं.वाक्य-छठें छद्रेण तवोकम्मेणं बिज्जाए...खमासमणविज्जा वारणलद्धी भवति. भांता ७०- पे.क्र. ९६, पृ. १३३०-१३५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सर्वविरतिप्रायश्चितसक्षेप (प्रायश्चितसक्षेप) सं., पाकाहेम ७९५१, पृ. २, सर्वविरतिप्रायश्चितसक्षेप, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सर्वव्यसायविधिकरणप्रक्रम (व्यसायविधिकरणप्रक्रम), (निमित्तग्रन्थ) सं., पद्य, गा.१९१, पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. ११, पृ. १२०-१३८, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां विवेकवलास उ.१-२ आपेल छे. आ ग्रंथमा पहेलांना ११९ पत्र ने अंतनो भाग नथी. डीवीडी-३६/५४ सर्वव्यापिआत्मवादनिरास स्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः आत्मा सर्वगतो न भवति... पाकाहेम ८७९२- पे.क्र. ३, पृ. ४-६, ईश्वरजगत्कर्तृत्ववादनिरास आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सर्वसामान्य स्तोत्र सं., पद्य, गा.२२, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४७, पृ. १३७मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ सर्वसिद्धान्तविषमपदर्याय (निश्शेषसिद्धान्तविषमपदर्याय) सं., गद्य, अताका ५००, पृ. ?, सर्वसिद्धान्त विशमपदपर्याय, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०३/१०४ सर्वानुमानोत्थापनस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः ननु भोः कोविदकुलावचूल निरवद्यहृद्यविद्या... भांका २१४-पे.क्र. २, पृ. २A-२B, अग्निशीतत्वादिवादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८७ सर्वार्थनिराकरणवादस्थल सं., गद्य, आदि वाक्यः यः कश्चिदिहविपश्चित्किञ्चित्साधयति... 798 Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २९२- पे.क्र. २, पृ. ८A-९A, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखक की भूल से पत्र-७ लिखने की जगह ८ लिखा गया है. कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल-उत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो (सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, संस्कृत सविचारस्थण्डिलचक्र (स्थण्डिलचक्र) प्रा.,सं., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः अहियासियाए अन्तो आसन्ने चेव... भांता ७०- पे.क्र. १२७, पृ. १७४B-१७५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४२. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सव्वलद्धिवियार जुओ - सर्वलब्धिविचार, प्राकृत सहस्रनामस्तोत्र जुओ - सर्वज्ञदेवसहस्रनामस्तोत्र, संस्कृत, श्लोक१२८ सागरकथा लोभे (लोभे सागरकथा) प्रा., पद्य, गा.९९, पाताहेसं १८५- पे.क्र.८, पृ. १०३-१०९, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ सागरकथादिकथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) सं., कृ.विः अम्बिका,विमलमंत्री,लूणिग,वस्तुपालादिने लगता प्रसंगो छे. पाकाहेम ९७५१, पृ. २, सगरकथादि कथासङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सागारप्रत्याख्यान (प्रत्याख्यान). (सागारप्रत्याख्यान(?)) प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः एस करेमि पणामं जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स... भांता ७२- पे.क्र. १८, पृ. ८०B-८%A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण? प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ सागारप्रत्याख्यान विधि (प्रत्याख्यान विधि) प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः पडिवज्जसु निस्सेसं इत्तरसागारपच्चक्खाणविहिं... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २, पृ. ५१-५२, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ५, पृ. ९९-१००, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ सागारप्रत्याख्यान(?) जुओ - सागारप्रत्याख्यान, प्राकृत, गा.५ साङ्ख्यकारिका जुओ - साङ्ख्यसप्ततिका, जैनेतर-ईश्वरकृष्ण, संस्कृत, का.७० साङ्ख्यकारिका-(सं.)भाष्य जुओ - साङ्ख्यसप्ततिका-(सं.)भाष्य, जैनेतर-गौडपाद, संस्कृत साङ्ख्यसप्ततिका (साङ्ख्यकारिका) जैनेतर-ईश्वरकृष्ण, मुनि-कपिल, सं., पद्य, का.७०, आदि वाक्यः दुःखत्रयाभिघाताज्जिज्ञासा तदपघातके हेतौ। दृष्टै साऽपर्था चेन्नैकान्तात्यन्ततो भावात् ।।छ।।... कृ.विः कर्तानाममां कपिल ऋषि पण आवे छे. पाकाहेम १०७२०, पृ. १०, साङ्ख्यकारिका भाष्यसहित पञ्चपाठ, वि-१६४२, संपूर्ण 799 Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती साङ्ख्यसप्ततिका-(सं.)भाष्य (साङ्ख्यकारिका-(सं.)भाष्य) जैनेतर-गौडपाद, सं., गद्य, पाकाहेम १०७२०, पृ. १०, साङ्ख्यकारिका भाष्यसहित पञ्चपाठ, वि-१६४२, संपूर्ण साङ्ख्यसप्ततिका-(सं.)भाष्य (साङ्ख्यकारिका-(सं.)भाष्य) जैनेतर-गौडपाद, सं., गद्य, पाकाहेम १०७२०, पृ. १०, साङ्ख्यकारिका भाष्यसहित पञ्चपाठ, वि-१६४२, संपूर्ण सातनयनो विचार (सप्तनय विचार) पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र.९, पृ. २४-२७, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० साधम्मियकुलय जुओ - साधर्मिककुलक, आचार्य-अभयदेवसूरि, प्राकृत, गा.२६ साधर्मिककुलक (साधम्मियकुलय) आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.२६, पाकाहेम ४७४०- पे.क्र. १, पृ. १-२, साधर्मिककुलक आदि, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ साधर्मिकवात्सल्यकुलक आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः साहम्मियवच्छलं भणामि भावियाण... पाताखेत ६- पे.क्र. ४०, पृ. २१७-२२०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- संबंधित अन्य गाथाएँ भी संलग्न है. प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ साधर्मिकवात्सल्ये पुण्यसारकथा जुओ - पुण्यसारकथा साधर्मिकवात्सल्ये, संस्कृत साधारणजिन पञ्चकल्याणकस्तव आचार्य-सोमसुन्दरसूरितपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः कल्याणकारीणि जिनेश्वराणां... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. १०, पृ. ४, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ साधारणजिनकल्याणकस्तुति (जिनकल्याणकस्तुति) आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः सर्वे धुलोकागम... पाकाहेम १२३७३- पे.क्र. ४, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तव जुओ - देवाःप्रभोस्तोत्र, आचार्य-जयानन्दसूरि, संस्कृत, का.९ साधारणजिनस्तव (जिनस्तव) प्रा., पद्य, गा.२१, पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १६, पृ. १३मुं, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ साधारणजिनस्तव (जिनस्तव), (साधारणजिनस्तोत्र) आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः जयश्रीजिनकल्याण... पाकाहेम १२२५६- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-६. पाकाहेम १२२५७, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२५९, पृ. १, साधारणजिनस्तुति सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. १, पृ. २, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण 800 Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- मूलश्लोक-६. पाकाहेम १२३६१- पे.क्र.७, पृ. १, महावीरस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२२५९, पृ. १-५, साधारणजिनस्तुति सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. १, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- मूलश्लोक-६. साधारणजिनस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२५७, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ साधारणजिनस्तव-(सं.)अवचूरि जुओ - देवाःप्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि, गणि-वानर्षि, संस्कृत साधारणजिनस्तव-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२२५७, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६८४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ साधारणजिनस्तव-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२२५९, पृ. १-५, साधारणजिनस्तुति सटीक त्रिपाठ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३५८- पे.क्र. १, पृ. १-२, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका, पे. विशेष- मूलश्लोक-६. साधारणजिनस्तवन (जिनस्तवन) आचार्य-अमरसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः भवभिदेनृसुरासुर पाकाहेम ७४०६- पे.क्र.५, पृ. ?, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ साधारणजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०६- पे.क्र. ५, पृ. १, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन द्व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ साधारणजिनस्तवन (जिनस्तवन) प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ११०८६- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. साधारणजिनस्तवन सं., पद्य, का.९, आदि वाक्यः शान्तो वेशः समसुखकला... पाकाहेम १२३१०- पे.क्र. २, पृ. १, अजितनाथस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ यमकबन्ध आदि, वि-१६मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तवन (जिनस्तवन) आचार्य-देवसुन्दरसूरि, सं., पद्य, का.११, आदि वाक्यः कलाभवन्तं सकलाधरन्तं... पाकाहेम १२३७१- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१५मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तवन (जिनस्तवन) 801 Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, का.६, आदि वाक्यः प्रातिहार्यकलिताशशोभं... पाकाहेम १२३७१- पे.क्र. ३, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१५मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य# (एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन), (जिनस्तवन) आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः श्रस्ताशर्मावृतसुमहिमा... पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १२३०५- पे.क्र. १, पृ. १, साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- एकद्विबहुवचनतुल्य साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि साधारणजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०६- पे.क्र.५, पृ. १, लक्षणशास्त्रमय महावीरस्तवन द्व्याश्रय सावचूरि आदि , वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तवन सह (सं.)अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-२ साधारणजिनस्तुति (जिनस्तुति) सं., पद्य, आदि वाक्यः गर्भे जन्मनि दीक्षायां... पाकाहेम १२३७०- पे.क्र. ४, पृ. १, मङ्गलाष्टक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तोत्र जुओ - चतुर्विंशतिजिनस्तुति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, का.८ साधारणजिनस्तोत्र जुओ - साधारणजिनस्तव, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक५ साधारणजिनस्तोत्र (जिनस्तोत्र) आचार्य-सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः श्रीमान् धर्म... पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टिप्पणी पाकाहेम १२२५१- पे.क्र. २, पृ. १, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण साधारणजिनस्तोत्र-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. २, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टिप्पणी साधारणजिनस्तोत्र-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम १२२५०- पे.क्र. २, पृ. १-५, साधारणजिनस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- साधारणजिनस्तोत्र सह (सं.)टिप्पणी साधु आहार एषणादि दोषगाथा प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः आहाकम्मदेशीय परियट्टिए... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ४, पृ. १-३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- धर्मलक्षण अने बेतालीस दोष 802 Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ साधुगुण(?) , पद्य, श्लोक१३, पातासंघवी ५६-२- पे.क्र.९, पृ.?, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण पे. विशेष- यह कृति इस प्रत में उपलब्ध नहीं है. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ साधुगुणकुलक प्रा., पद्य, गा.२४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ३७, पृ. १२५-१२६, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ साधुगुणरत्नसमुच्चय समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १५९२, गा.३९८, पाकाहेम १०७९९, पृ. २५, साधुगुणरत्नसमुच्चय-औपपातिकसूत्रानुसारी, वि-१७मी, संपूर्ण साधुजीतकल्प जुओ - जीतकल्पसूत्र, गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत, ग्रं.१३०, गा.१०५ साधुत्वव्यवस्थापनवादस्थल सं... पाकाहेम ८८०२, पृ. ८, साधुत्वव्यवस्थापनवादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पं. रविवर्धनलिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ साधुपाक्षिकअतिचार (पाक्षिकअतिचार) मारुगूर्जर, पाकाहेम ६९३८- पे.क्र. २, पृ. ?, पाक्षिकसूत्र तथा साधुपाक्षिकअतिचार , वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ६९४०, पृ. ३, साधुपाक्षिकअतिचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम ७४८९, पृ. ९, साधुपाक्षिकअतिचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाकाहेम ७४९०, पृ.३, साधुपाक्षिकअतिचार, वि-१६९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०२७९, पृ. ३, साधुपाक्षिकअतिचार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ साधुप्रतिक्रमणसूत्र जुओ - पगामसज्झाय, प्राकृत, ग्रं.५० साधुप्रतिक्रमणसूत्र प्रा., पद्य, गा.५३, कृ.विः अ.वा.-खमामि सव्वस्स अहियंपि. भांता ६४- पे.क्र. ९, पृ. १९३०-१९७B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-५५-५८. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम १०४३३- पे.क्र. ३, पृ. १७-१८, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ साधुलक्षण 803 Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः क्षुधार्तः शक्तिमान्साधुरेषणां नाभिलङ्घयेत्... भांता ७०- पे.क्र. १५२, पृ. २०२B-२०३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ साधुवन्दना पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.५६, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ६, पृ. १०-१४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० साधुवर्णन प्रा., गद्य, आदि वाक्यः एतेय सरीरवायर वणप्फइ काया दुवालसविहा पण्णत्ता... भांता ७०- पे.क्र.८३, पृ. १०६०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ साधुश्रावकव्रतनिरूपण प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सुदं में आउसं तो इह खलु समणेण भयवदा... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. २, पृ. १-७, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. पूर्णतासूचक संकेत अनुपलब्ध है. झेरोक्ष पत्र-११-१४. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि (षडावश्यकसूत्रादि) प्रा.,सं.,मारुगूर्जर, पाकाहेम १०४५३, पृ. ३५, साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-३६ साधुश्रावकसामाचारी प्रा.,सं., आदि वाक्यः आयारमयं वीरं... पाताहेसं १५८- पे.क्र. १, पृ. १-१९१, साधुश्रावकसामाचारी सुखबोधा सामाचारी, आगमगत अनेक विचार सङ्ग्रह, संपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. १, पृ. १-२३, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७०३७, पृ. २१, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१६७८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ७३८९, पृ. ५, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ७९३३, पृ. १६, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१६२५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ११७२६, पृ. ११, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१५०१, संपूर्ण 804 Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-८ साधुश्रावकसामाचारी (सामाचारी) प्रा.,सं., ग्रं.२०००, आदि वाक्यः नमिऊण तिलोयगुरुं लोयालोयप्पयासयं वीरं... पाताहेसं १०६, पृ. ९८, साधु-श्रावक सामाचारी, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ साधुषडावश्यकसूत्र (षडावश्यकसूत्र) प्रा.,सं., पाकाहेम ६९३५, पृ. १४, साधुषडावश्यकसूत्र, वि-१७७७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ७४७५, पृ. ७, साधुषडावश्यकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण साधुसाध्वीयोग्यनियमकुलक जुओ - साधुसामाचारीकुलक, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, प्राकृत, गा.४६ साधुसामाचारीकुलक (साधुसाध्वीयोग्यनियमकुलक) आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.४६, पाकाहेम १०२५२, पृ. २, साधुसामाचारीकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ११०५३, पृ. ३, साधुसाध्वीयोग्यनियमकुलक, वि-१५९६, संपूर्ण साधुसामाचारीकुलक प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, पाकाहेम ११०८२- पे.क्र.४, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण साध्वीलोचविधि (लोचविधि) प्रा., आदि वाक्यः अहसा भमरसन्निभे... भांता ७०- पे.क्र. ६५, पृ. ८२A-८२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१५८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सामाचारी जुओ - श्रावकसामाचारी, गणि-जिनचन्द्र गणि, प्राकृत सामाचारी जुओ - श्रावकसामाचारीप्रकरण, आचार्य-तिलकसूरि, प्राकृत, गा.३८ सामाचारी जुओ - साधुश्रावकसामाचारी, प्राकृत,संस्कृत, ग्रं.२००० सामाचारी प्रा., आदि वाक्यः आयारविहीनिलओ... पातासंघवीजीर्ण ४०, पृ. ८९, सामाचारी, संपूर्ण प्रत विशेष- चोंटेली. डीवीडी-५७/५९ पाकाहेम ११७२९, पृ. १, सामाचारी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सामाचारी कृ.विः उपधान, मालारोपण, योगविधि आदि. पाताहेसं १७१-२, पृ. १७, सामाचारी अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-९/१८ वताकांति ४१५, पृ. ३६, सामाचारी....., संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ सामाचारी 805 Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ७०, पृ. १११, सामाचारी, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण., प्रतिष्ठाप्रभृति. डीवीडी-५८/६० सामाचारी प्रा., पद्य, गा.७, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १३, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. ___कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० सामाचारी सुखबोधा जुओ - सुखबोधासमाचारी, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, प्राकृत, ग्रं.१३११ सामाचारी सुबोध जुओ - सुबोधसामाचारी, प्राकृत सामाचारी-यतिदिनचर्या (यतिदिनचर्या सामाचारी) आचार्य-देवसूरि, प्रा., पद्य, गा.३९२, आदि वाक्यः तं जयइ सुहं कम्म पाकाहेम ७९५३, पृ. ११, सामाचारी-यतिदिनचर्या, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ सामाचारीकुलक जुओ - सुगुरुसामाचारीकुलक, अपभ्रंश, गा.३३ सामाचारीध्यान? प्रा., पद्य, गा.२६, कृ.विः पार्श्वनाथचरित्रादुद्धृत. पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. ११, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. इस कृति का क्या आदिवाक्य है किस पत्र पर है आदि का कोई संदर्भ नहीं मिलता. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० सामाचारीशतक-(मा.गु.)बीजक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ११०९८, पृ. १, सामाचारीशतक बीजक, वि-१७मी, संपूर्ण सामान्य व्रतोच्चारण विधि (सम्यक्त्व मूल १२ व्रतोच्चारण विधि) प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः नमस्कारपूर्वकं अहं भन्ते दंसणविसोहि... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १, पृ. १A, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ सामान्यजिनस्तुति (जिनस्तुति) सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः गम्भीरस्तम्भमूर्ति... तालाद ३३९- पे.क्र. ५, पृ. ६४-६५, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ सामान्यजिनस्तुति (जिनस्तुति) प्रा., पद्य, गा.४, आदि वाक्यः समहिय समहिय... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र.४, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण सामान्यजिनस्तुति सं., पद्य, पाकाहेम १२१३३- पे.क्र. ३, पृ. १, आदिजिनस्तुत्यादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- सामान्य जिनस्तुति प्रत विशेष- जीर्णप्राय 806 Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय मारुगूर्जर, पद्य, गा.२९, पाकाहेम १२१८९- पे.क्र. २, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः तथा सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकग्रहणविधि सं., आदि वाक्यः सामायिकमुखवस्त्रिकाप्रत्युपेक्षणपूर्वकं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-पुणरवि खमासमणं दाऊण भणइ इच्छाकारेण संदिसह सज्झाउ करइ. भांता ७०- पे.क्र. ४१, पृ. ४७A-४७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सामायिकपौषधकुलक आचार्य-जिनकीर्तिसूरि[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः छत्तीसदिणसहस्सा वाससए होइ आउपरिमाणं... पाकाहेम ११०८१, पृ. १, सामायिकपौषधफलकुलक, वि-१६वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकपौषधपारणविधि (पौषधसामायिकपारणविधि) सं., आदि वाक्यः पौषधधारणके प्रथमं सामायिकं पार्यते... कृ.विः अन्तिमवाक्य-ततः छउमत्थो मूढमणो इत्यादि गाथाकदंबकमुद्धायीत. भांता ७०- पे.क्र. ४३, पृ. ४७B-४८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सामायिकपौषधफलकुलक (पौषधसामायिकफलकुलक) आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६, पाकाहेम ७७९०- पे.क्र. २, पृ. १, प्रत्याख्यानफलकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकप्रकरण प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः सम्मसुयदेसविरई चरणं सामाइयाइं चत्तारि... पाताखेत १२- पे.क्र. ३, पृ. १-२, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र (नरलक्षणशास्त्र सामुद्रतिलक) दुर्लभराज[नृसिंहपुत्र], सं., पाकाहेम १०४४२, पृ. १४, सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र तृतीय अधिकार पर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५ सामुद्रिकविविधसङ्ग्रह मारुगूर्जर, पाकाहेम ८९१४, पृ. ५, सामुद्रिकविविधसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ 807 Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कलो कृति उपरथी प्रत माहिती सामुद्रिकशास्त्र जुओ - जैनसामुद्रिकशास्त्र, संस्कृत, श्लोक१२६ सामुद्रिकशास्त्र सं., पद्य, श्लोक११५, पाकाहेम ८९१३, पृ. ४, सामुद्रिकशास्त्र, वि-१५२६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ सामुद्रिकशास्त्र सं., पद्य, श्लोक१८, पातासंघवी ५७-२- पे.क्र. २, पृ. १५९-१६२, उत्तराध्ययनसूत्र आदि, वि-१३८१, संपूर्ण प्रत विशेष- कागळमां. डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६०-३- पे.क्र. ३, पृ. १२९-१३०, मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो आदि, संपूर्ण पे. नाम- अंगलक्षण फलकथन, पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-१४ तक है. कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-३०/४८ पाकाहेम १६१६७, पृ. २८, सामुद्रिकशास्त्रसस्तबक, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १६१६८, पृ. ४, सामुद्रिकशास्त्र, वि-१७मी, संपूर्ण सामुद्रिकशास्त्र-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १६१६७, पृ. २८, सामुद्रिकशास्त्रसस्तबक, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ सामुद्रिकशास्त्र नारदीय जुओ - नारदीय सामुद्रिकशास्त्र, ऋषि-नारद देवर्षि, संस्कृत,प्राकृत, श्लोक७६ सामुद्रिकशास्त्र-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १६१६७, पृ. २८, सामुद्रिकशास्त्रसस्तबक, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ साम्यशतक आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, सं., पद्य, श्लोक३०४, पातासंघवी १७०-२- पे.क्र.३, पृ. १५७-१७१, योगशास्त्र द्वादश प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५९मुं नथी. डीवीडी-३६/५४ सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन (वीरजिनस्तवन सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भित) मुनि-गुणविजय, सं., पद्य, का.१९, पाकाहेम ८२२६- पे.क्र. १, पृ. १, सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सारसङ्ग्रह जुओ - आयुःसङ्ग्रह, आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, प्राकृत, गा.८२ सारसमुच्चयकुलक प्रा., पद्य, गा.३८, आदि वाक्य: नरनरवइदेवाणं जं सोक्खं सव्वमुत्तमं लोए... पाताखेत ६- पे.क्र. १६, पृ. १२५-१२८, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ सारस्वतधातुपाठ आचार्य-अनुभूतिस्वरुप[जैनेतर, सं., पाकाहेम १०२०७, पृ. १०, सारस्वतधातुपाठ सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ 808 Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सारस्वतधातुपाठ (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०२०७, पृ. १० सारस्वतधातुपाठ सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ११ सारस्वतधातुपाठ- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०२०७, पृ. १०, सारस्वतधातुपाठ सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ११ सारस्वतव्याकरण आचार्य अनुभूतिस्वरुप [जैनेतर], सं., पाताहेसं १७६, पृ. १४३, सारस्वत व्याकरण, संपूर्ण डीवीडी-९/१९ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०२०४, पृ. ४३ सारस्वतव्याकरण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४३ पाकाहेम १०२०५ पृ. २४ सारस्वतव्याकरण उत्तरार्द्ध, वि-१७७९ संपूर्ण " कुल झे. पृष्ठ- २४ पाकाहेम १०३३३, पृ. १५ सारस्वतव्याकरण, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १७ सारस्वतव्याकरण- (सं.) टीका सारस्वतधातुपाठ सं., गद्य, पाकाहेम १०२०६, पृ. ९९, सारस्वतव्याकरण टीका त्रुटक अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष पत्र ६४,६५,७४,८६६९२ अने ९७६११०० नथी. कुल झे. पृष्ठ-९१ आचार्य-अनुभूतिस्वरुप [जैनेतर], सं., पाकाहेम १०२०७, पृ. १०, सारस्वतधातुपाठ सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-११ सारस्वतधातुपाठ- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०२०७, पृ. १० सारस्वतधातुपाठ सावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-११ सारस्वतव्याकरण- तृतीयसन्धिगत निपातसूत्र (सं.) व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ५२४४- पे.क्र. २, पृ. ९ संवादसुन्दर सावचूरि आदि वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ सारस्वतव्याकरण- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०२०६, पृ. ९९, सारस्वतव्याकरण टीका त्रुटक अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष पत्र ६४,६५,७४,८६थी९२ अने ९७थी१०० नथी. कुल झे. पृष्ठ - ९१ सारस्वतव्याकरण-तृतीयसन्धिगत निपातसूत्र - (सं.) व्याख्या सं. गद्य, पाकाहेम ५२४४- पे.क्र. २, पृ. ९, संवादसुन्दर सावचूरि आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८ सारावली प्रकीर्णक (पुण्डरीकस्तव), (शत्रुञ्जयकथा) 809 Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.११६, आदि वाक्यः आरम्भेसु नियत्ता सव्वट्ठाणेसु. कृ.विः खंभात सूचिपत्र भाग-२ में कर्ता-जिनयश का उल्लेख है. पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १९, पृ. १८१-१८६, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम १४९३५- पे.क्र. १, पृ. १-४, सारावलि प्रकीर्णक, आचाराङ्गसूत्र चूलिका, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ भांका २५८- पे.क्र. २, पृ. ९२०-९५B, आराधनापताकाभगवती व सारावली प्रकीर्णक, संपूर्ण पे. नाम- सारावलीपयण्णय कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८९ सारोद्धार वृत्ति जुओ - प्राकृतलक्षणसारोद्धार-(सं.)वृत्ति, संस्कृत सार्धशतकप्रकरण जुओ - सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१६४ सालिभद्द कक्क जुओ - शालिभद्रकारक, अज्ञात-पउम, अपभ्रंश, गा.६९ सावयपण्णत्ति जुओ - श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण, वाचक-उमास्वाति, प्राकृत, गा.४०१ साहित्यविद्याधरीटीका जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)साहित्यविद्याधरीटीका, पण्डित-विद्याधर, संस्कृत सिंहव्याघ्रकथा क्रोधे (क्रोधे सिंहव्याघ्रकथा) पाताहेसं १८५- पे.क्र.५, पृ. ७०-९०, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण डीवीडी-१०/१९ सिंहाष्टक सं., पद्य, श्लोक११, पाकाहेम १३७५- पे.क्र.८, पृ. ३, अकलकदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र.८, पृ. ८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धचक्र स्तुति सं., पद्य, का.१२, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४१, पृ. १३३मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ सिद्धदण्डिकाविचार प्रा., पद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. १, पृ. १-२, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-१३ सिद्धन्तजुत्तीप्रकरण आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.७२, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं दव्वाणि कहेमि विगइपमुहाणि... तालाद ३४९- पे.क्र. २, पृ. २B-८A, सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९४/९६ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः सिद्धं सिद्धत्थसुयं नमिउं... पाकाहेम १०५९८, पृ. २, सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण, वि-१६४६, संपूर्ण पाकाहेम १३५७६, पृ. ५, सिद्धपञ्चाशिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १६१८४- पे.क्र. ४, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा ४ तक है. कुल झे.पृष्ठ-७ 810 Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाभाभा ४४, पृ.८, सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण पञ्चपाठ बालावबोध सह, वि-१७वी, संपूर्ण सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १३५७६, पृ. ५, सिद्धपञ्चाशिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा ४४, पृ. ८, सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण पञ्चपाठ बालावबोध सह, वि-१७वी, संपूर्ण सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(सं.)छाया , सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्धं सिद्धार्थसुतं नत्वा... पुप्रे ४१८- पे.क्र. ३, पृ. १६७, विशेषवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९ तक ही है. कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभाभा ४४, पृ. ८, सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण पञ्चपाठ बालावबोध सह, वि-१७वी, संपूर्ण सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १३५७६, पृ. ५, सिद्धपञ्चाशिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण-(सं.)छाया , सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्धं सिद्धार्थसुतं नत्वा... पुप्रे ४१८- पे.क्र. ३, पृ. १६७, विशेषवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-९ तक ही है. कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धपाहुड जुओ - सिद्धप्राभृतसूत्र, प्राकृत, गा.१२१ सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम (नैवेद्यप्रक्रम), (प्रदीपारात्रिकप्रक्रम), (पूजाप्रक्रम), (मातरपूजाप्रक्रम), (स्थापनाचार्यप्रक्रम), (षड्विधावश्यकप्रक्रम). (आर्यिकाप्रक्रम) सं.,प्रा., आदि वाक्यः मग्गे नाणाण सिवं पत्ता... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १९, पृ. ११०-१४२, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १२१,१२५,१२६,१२७,१३६,१४२ नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ सिद्धप्राभृतसूत्र (सिद्धपाहुड) प्रा., पद्य, गा.१२१, आदि वाक्यः (१) तिहुयण पणए तिहुयण गुणाहिए तिहुयणातिसयणाणे।...(२) तिहुअण पणए तिहुअण गुणाहिए तिहुअणातिसयणाणे।... पातासंघवी ६८-३- पे.क्र.२, पृ. ६९-८१, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२०. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५५५- पे.क्र. १, पृ. १-१४?, सिद्धप्राभृतसूत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १००९४- पे.क्र. १, पृ. १-३, सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण 811 Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धप्राभृतसूत्र-(सं.)वृत्ति । सं., गद्य, ग्रं.८१५, आदि वाक्यः सकलभुवनेशभूतान्निखिलातिशयान् जिनान् गुरून् स्तुत्वा ।... कृ.विः ससूत्र ग्रन्थाग्र-९५०. अग्गेणियपूवनिस्संदं. पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. १, पृ. १-६८, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५५५- पे.क्र.२, पृ. १-१४?, सिद्धप्राभृतसूत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १००९४- पे.क्र. २, पृ. ३-१५, सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धप्राभृतसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.८१५, आदि वाक्यः सकलभुवनेशभूतान्निखिलातिशयान् जिनान् गुरून् स्तुत्वा।... कृ.विः ससूत्र ग्रन्थाग्र-९५०. अग्गेणियपूव्वनिस्संदं. पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. १, पृ. १-६८, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५५५- पे.क्र. २, पृ. १-१४?, सिद्धप्राभृतसूत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १००९४- पे.क्र. २, पृ. ३-१५, सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धविभक्तिविंशिका सं., पद्य, श्लोक२०, आदि वाक्यः सिद्धानां च विभक्तिः तथैकरूपाणां तत्त्वेन... पुप्रे ४१८ - पे.क्र. ६, पृ. १७०-१७१, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धश्चतुर्दशकव्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः उवओगे आहारे इत्यस्यार्थ उपयोगेलक्षणो जीवः... भांता ७०- पे.क्र. १२५, पृ. १६९०-१६९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२ उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सिद्धसारस्वतस्तव जुओ - अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव, आचार्य-बप्पभट्टसूरि, संस्कृत, श्लोक१३ सिद्धसुख वर्णन सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा त्रिभुवनगुरुं परमानन्तसुखसगतमपि सदा... पुप्रे ४१८- पे.क्र.७, पृ. १७२, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धसेनकथा जुओ - सिद्धसेनदिवाकरचरित्र, प्राकृत सिद्धसेनदिवाकरचरित्र (सिद्धसेनकथा) प्रा., आदि वाक्यः सिरिसिद्धसेण पालित्त मल्ल सिरिबप्पहटिसारिच्छा... पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. ५, पृ. १-२९, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ 812 Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १३६-२- पे.क्र. १, पृ. १-११, सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि, वि-१२९१, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४-५-१० नथी. डीवीडी-३४/५३ सिद्धसेनीया द्वात्रिंशिका जुओ - द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका, आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, संस्कृत सिद्धहेम उणादिगण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र', आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण', आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत,प्राकृत सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति-प्राकृतप्रबोध जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)प्राकृतप्रबोधवृत्ति, आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य (कुमारपालचरित्र), (द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, श्लोक९५०, पातासंघवी १४२-२- पे.क्र. १, पृ. १-७६, द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-९५०. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे. डीवीडी-३५/५३ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन (जिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भ) सं., पद्य, का.१०, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं.. गद्य, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत सिद्धहेमशब्दानुशासन (सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ), (हैम व्याकरण), (हैम शब्दानुशासन) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः अहँ । सिद्धिः स्याद्वादात्। लोकात्। औदन्ताः स्वराः।... पाताहेसं १२७- पे.क्र. २, पृ. १, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअध्याय ३ पाद ३ थी अध्याय ५, पाद-४, वि १३७०, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३२, पृ. १९०, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- लिंग-धातु-गणोणादि सहित. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५४, पृ. २०२, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय-२, पाद ३ थी अध्याय ३, पाद २, प्रतिपूर्ण 813 Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५५, पृ. २५०, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय ३, पाद ३ थी अध्याय ४ पाद ३, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५६, पृ. २४७, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्वृत्ति पञ्चमोध्याय (कृदन्त), प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७८, पृ. ३८६, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्वृत्ति सह तद्धित, वि-१२९७, प्रतिपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाताहेसं १८०- पे.क्र. १, पृ. १-३०४, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२, आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवं व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे. डीवीडी-९/१९ अताका ४९५, पृ. ?, सिद्धहेमशब्दानुशासन मूळ पाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६५९८, पृ. १६, सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ सप्तमाध्याय पर्यन्त, वि-१५वी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-७८१. पाकाहेम १०१९४, पृ. १९, सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ सप्तमाध्यायपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए खाधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम १०१९५, पृ. ८, सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ चतुर्थाध्यायतृतीयपदपर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण पाकाहेम १०१९७, पृ. ४७, सिद्धहेमशब्दानुशासनपञ्चमषष्ठसप्तमाध्याय, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०६७०, पृ. १९, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ अष्टमाध्यायपर्यन्त, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १०६७२, पृ. २२, सिद्धहेमशब्दानुशासन बालावबोध सह चतुर्थाध्याय पर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति (तत्त्वप्रकाशिका बृहद्वृत्ति), (बृहद्वृत्ति), (अष्टादशसहस्री वृत्ति), (अढारहजारी वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाताखेत ८, पृ. ३५७, हेमशब्दानुशासनबृहद्वृत्ति अध्याय १ थी २, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १८, पृ. २२८, हैमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- अङ्क-६. ८२मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. १, पृ. १२५-२६४, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ३२, पृ. ४५७, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां घणुं त्रुटक, अस्तव्यस्त-जीर्ण, नकामी. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवीजीर्ण ३५, पृ. २९२, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति तद्धित ७मो अध्याय, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण. डीवीडी-५६/५९ 814 Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ४३, पृ. २१३, शब्दानुशासनबृहद्वृत्ति-पाद २,३, त्रुटक प्रत विशेष- ताडपत्र-१३५, जीर्ण-कागळना ७८ पत्र त्रुटक. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५१, पृ. १७५, सिद्धहेमबृहद्भत्ति (तद्धितपाद चारनी) , प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण, त्रुटक ने नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. १, पृ. १-१९४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- सिद्धहेम बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ पर्यन्त प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ४९- पे.क्र.२, पृ. १-१५०, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- सिद्धहेम बृहद्वृत्ति अध्याय ३ थी ५ प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ११६, पृ. ३४८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय ६-७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- घणी सारी छे. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ९८-१, पृ. १३९, सिद्धहेमबृहद्भत्ति ९-१० पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- पाद-९-१०. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११०-१, पृ. २७५, सिद्धहेमआख्यातबृहद्वृत्ति, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३०, पृ. १३०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति पञ्चमाध्याय कृद्वृत्ति, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५१- पे.क्र.३, पृ. ?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- हैमाख्यातकृबृहद्वृत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. ग्रन्थाग्र-२३६९. झेरोक्ष पत्र-३० पर है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५४, पृ. २०२, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय-२, पाद ३ थी अध्याय ३, पाद २, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५५, पृ. २५०, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय ३, पाद ३ थी अध्याय ४ पाद ३, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५६, पृ. २४७, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्वृत्ति पञ्चमोध्याय (कृदन्त), प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७८, पृ. ३८६, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्भत्ति सह तद्धित, वि-१२९७, प्रतिपूर्ण डीवीडी-९/१९ 815 Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६६०३, पृ. १७४, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति पञ्चमाध्याय चतुर्थपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सक्षेप-(सं.)कक्षापट वृत्ति (कक्षापट वृत्ति), (बृहद्वृत्तिसारोद्धार), (सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार) सं., गद्य, पाकाहेम ७१७७, पृ. ४१, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्तिसारोद्धार-कक्षापटवृत्ति, वि-१५२१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास (न्याससारसमुद्धार), (दुर्गपदव्याख्या). (लघुन्यास) आचार्य-कनकप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम २१६१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास, वि १६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२०-१२४ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम १०१९६, पृ. ७२, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५२७, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १०३८०, पृ. ५२, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्तिलघुन्यास, वि-१५०९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४८१६. कुल झे.पृष्ठ-५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससक्षेप) सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३००, आदि वाक्यः (१) प्रणम्य परमात्मानं श्रेयः शब्दानुशासनम्।..(२) अहँ ।।... पाताखेत ५४-२, पृ. २३१, हैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति-अध्याय १-५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- अङ्क १-२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ७०-४, पृ. १४४, हैमआख्यातलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय-चतुर्थ पाद, संपूर्ण डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी ७९-२, पृ. १३७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ८२-२, पृ. १४०, सिद्धहेमलघुवृत्ति आख्यात, प्रतिपूर्ण 816 Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १२४ उपर अंको लखेला छे. बाकीना ७ पाना उपर अंको नथी, आ साथे अनेकार्थना १६ पाना अने ४ पाना कोई बीजा ग्रंथना छे. डीवीडी-३२/५० पातासंघवी १०४-१, पृ. १४९, सिद्धहेमलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३७-२, पृ. १-१९३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय, वि-१२२१, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४१-१, पृ. १-४१, सिद्धहेमशब्दानुशासन वृत्ति-बीजा अध्यायना प्रथमपाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५६-२, पृ. १०, सिद्धहेमलघुवृत्ति तद्धित ६-१ थी ७ मां ना ४ पाद सुधी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक नथी. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६७-२, पृ. १६२, सिद्धहेमलघुवृत्ति-तृतीयाध्यायतृतीयपाद थी पञ्चमाध्याय पर्यन्त, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छेल्ला पानाना बे टुकडा छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८०-१, पृ. १-१९, सिद्धहेमआख्यात वृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पाछळ त्रुटक छे. वचमां बे ठेकाणे कागळना पत्रो छे ते उधईथी खवाई गया छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८९-२, पृ. १-४, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय-द्वितीयापादावचूरि, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम वृत्ति पातासंघवी २०६-१, पृ. २०४, सिद्धहेमशब्दानुशासन आख्यात लघुवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पाछलां अने वचलां केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १२७- पे.क्र. १, पृ. १-११५, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअध्याय ३ पाद ३ थी अध्याय ५, पाद-४, वि-१३७०, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- चतुष्क वृत्ति. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह, वि-१४०३, संपूर्ण प्रत विशेष- तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५७, पृ. २८७, सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८०- पे.क्र. १, पृ. ३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२, आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने न, व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे. डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. १, पृ. १-५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम १०१९८, पृ. ३८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-षष्ठ-सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिका-तद्धितवृत्ति, वि १५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०४४३, पृ. १६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिद्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण 817 Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम १०४४४, पृ. १८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिद्वितीयाध्यायतृतीय पादथी तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १९ पाकाहेम १०७४१, पृ. २८, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ लघुवृत्ति पञ्चमाध्याय कृद्वृत्ति, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे. सिद्धहेमशब्दानुशासन नी ( सं .) लघुवृत्ति नी ( सं . ) व्युत्पत्तिदीपिका (व्युत्पत्तिदीपिका) सं., गद्य, पाकाहेम १०१९८, पृ. ३८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-षष्ठ- सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिका- तद्धितवृत्ति, वि१५मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३९ सिद्धहेमशब्दानुशासन- लघुवृत्ति- (सं.) विवरण सं., गद्य, पाताहेसं १५७, पृ. २८७, सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति - (सं.) अवचूरि ( दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवार्च्य प्रणम्य विवृणोम्यहम् । .... पाकाहेम १०२००, पृ. १७, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरि - द्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.) लघुवृत्तिनी (सं.) अवचूरि पं. धनचन्द्र, सं., गद्य, पातासंघवी १७३-१, पृ. ८०, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र- ८०+६२. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह, वि - १४०३, संपूर्ण प्रत विशेष - तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि. डीवीडी - ८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.) लघुवृत्तिनी (सं.) अवचूरि ( दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवार्थ्यं प्रणम्य विवृणोम्यहं .... कृ. विः जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत ? रचना संवत - १२६४ ? पातासंघवीजीर्ण ५५- पे. क्र. १, पृ. १५७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. २, पृ. ९१, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम हैमलघुवृत्ति आख्यात अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७५, पृ. १२०, सिद्धहेमलघुवृत्तिअवचूरि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक- अपूर्ण-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ७२-१, पृ. २०६, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि प्रथमाध्यायथी बीजा अध्यायना तृतीय पाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी - ३१/५० सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.) लघुवृत्तिनी ( सं . ) अवचूरि ढुण्ढिका (दुण्डिका अवचूरि) 818 Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, ग्रं.३२००, पाकाहेम ६६०९, पृ. ६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-चतुष्कवृत्ति अवचूरिदुण्ढिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९७, पृ. ५१, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णिका तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्ति अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १०१९९, पृ. ४३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अवचूरि द्वितीयाध्याय प्रथमपादपर्यन्त दीपिकावृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-४३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पातासंघवी १८९-२, पृ. १-४, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय-द्वितीयापादावचूरि, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम वृत्ति पाकाहेम १०१९९, पृ. ४३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अवचूरि द्वितीयाध्याय प्रथमपादपर्यन्त दीपिकावृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-४३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०६७२, पृ. २२, सिद्धहेमशब्दानुशासन बालावबोध सह चतुर्थाध्याय पर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण* (प्राकृतव्याकरण). (सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अथ प्राकृतं... पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. २, पृ. ८०, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. १, पृ. ?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ पाकाहेम ९४९८, पृ. १-१४, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ भांका ९३, पृ. १७, सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-८४ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)प्राकृतप्रबोधवृत्ति (सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति-प्राकृतप्रबोध), (प्राकृतप्रबोध वृत्ति) आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पातासंघवी १४२-२- पे.क्र. २, पृ. १-१२७, व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे. डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम १०६७३, पृ. ३०, प्राकृतप्रबोध-सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति, वि-१६१३, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. 819 Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति (प्रकाशिका वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः अथ शब्द आनन्तर्यार्थो... पातासंघवी १८१-२, पृ. १-५३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय प्रकाशिका नाम्नी वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. २, पृ. ८०, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ७१९०- पे.क्र.१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहसत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ पाकाहेम ९४९८, पृ. १-१४, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ भांका ९३, पृ. १७, सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-८४ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः कर्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)ढुण्ढिकावृत्ति (दुण्ढिकावृत्ति). (प्राकृतढुण्ढिका) मुनि-सौभाग्यसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५९१, पाकाहेम ७१९०- पे.क्र.२, पृ.?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहदत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७१९१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय अवचूरि, वि-१६६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका) सं.,अप., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ.६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य), (कुमारपालचरित) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यसर्ग२०, ग्रं.२८२८, आदि वाक्यः अर्हमित्यक्षरं ब्रह्म वाचकं परमेष्ठिनः... पातासंघवी २८, पृ. २८४, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी १२५, पृ. २७८, द्व्याश्रय संस्कृत २० सर्ग, संपूर्ण 820 Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २४३-२४५ नथी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २९-१, पृ. १-१९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६२-३, पृ. ३६०, द्व्याश्रय संस्कृत (महाकाव्य), वि-१३३५, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ भांता ६३, पृ. १९०, कुमारपालचरित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.४-१२४ (१२२A)., सर्ग-२०, ग्रन्थाग्र-२८२८., पत्र-१८३+२+४+७=१९६. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २३०८, पृ. ६७, द्व्याश्रयमहाकाव्य सम्पूर्ण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिना कागळ बहु सरस छे.आनुं सम्पूर्ण नाम सिद्धहेमचन्द्राभिधानशब्दानुशासनद्वयाश्रयमहाकाव्य छे. कुल झे.पृष्ठ-४६ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति) गणि-अभयतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१२, ग्रं.१७५७४, आदि वाक्यः श्रीभूर्भुवः स्वस्तितयाहिताग्निगेहेभितो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र.२. प. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छुटक पन्ने. संपूर्ण पे. नाम- दव्याश्रयमहाकाव्य की अभयतिलकीय टीका, पे. विशेष- मात्र प्रारंभिक भाग है. झेरोक्ष पत्र-५५ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २८, पृ. २८४, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी ९५, पृ. २८४, व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग-८ सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २९-१, पृ. १९९, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६४-१, पृ. ३६०, द्व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९ थी सम्पूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)दुर्गमार्थबोधिनी टीका सं., गद्य, प्रह्लादनपत्तन, पाताहेसं १५१- पे.क्र.२, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग मिलता है. झेरोक्ष पत्र-२४ पर है. ___ कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन* (जिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भ) सं., पद्य, का.१०, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, 821 Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाम ९७४२ पृ. १ सिद्धहेमद्वितीय तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२ सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासन- द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य (कुमारपालचरित्र) (द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य) आचार्य हेमचन्द्रसूरि प्रा. पद्य, श्लोक९५०, पातासंघवी १४२-२- पे. क्र. १, पृ. १७६, द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण पे. विशेष - ग्रन्थाग्र- ९५०. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे.. डीवीडी-३५/५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र' (हेम उणादिगण ). ( सिद्धहेम उणादिगण ) आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ४९ पे.क्र. ३. पृ. १ सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पाताहेसं १८०- पे.क्र. २, पृ. ३०४-३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण पे. नाम हैमगण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२ आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवुं व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे. डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२. हमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन- उणादिगणसूत्र (सं.) विवरण (सिद्धहमउणादिगण ) आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं. गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनागुणादीनाम् .... " पातासंघवी जीर्ण ६० पे.क्र. १, पृ. १७६ उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन - उणादिगणसूत्र सह (सं.) विवरण, पे. विशेष - कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र - १४९ थी १६९ छे., हैमधातुपाठ डीवीडी-५०/६० पातासंघवी ४९ - पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे.. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ६६-१, पृ. ६६ उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण डीवीडी - ३० / ४९ पाकाहेम ६७८१ पृ. ५२ हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५१ " आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः भू सत्तायाम् । पां पाने । ध्रां गन्धोपादानयोः । ... पातासंघवी ५६-३- पे. क्र. २. पृ. ३७-६० वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि संपूर्ण डीवीडी - २९ / ४८ हैमधातुपाठसङ्क्षेप सं. गद्य, पाकाहेम ६५९९, पृ. ५, हैमधातुपाठसङ्क्षेप, वि-१५मी, संपूर्ण 822 Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सिद्धहेमशब्दानुशासन नी (सं.)लघुवृत्ति नी (सं.)व्युत्पत्तिदीपिका (व्युत्पत्तिदीपिका) सं., गद्य, पाकाहेम १०१९८, पृ. ३८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-षष्ठ-सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिका-तद्धितवृत्ति, वि १५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०६७२, पृ. २२, सिद्धहेमशब्दानुशासन बालावबोध सह चतुर्थाध्याय पर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पातासंघवी १८९-२, पृ. १-४, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय-द्वितीयापादावचूरि, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम वृत्ति पाकाहेम १०१९९, पृ. ४३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अवचूरि द्वितीयाध्याय प्रथमपादपर्यन्त दीपिकावृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-४३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) सं., गद्य, पाकाहेम १०१९९, पृ. ४३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अवचूरि द्वितीयाध्याय प्रथमपादपर्यन्त दीपिकावृत्ति, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-४३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति (तत्त्वप्रकाशिका बृहद्वृत्ति), (बृहद्वृत्ति), (अष्टादशसहस्री वृत्ति), (अढारहजारी वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाताखेत ८, पृ. ३५७, हेमशब्दानुशासनबृहद्वृत्ति अध्याय १ थी २, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १८, पृ. २२८, हैमशब्दानुशासन बृहद्धृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- अङ्क-६. ८२मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४४-१- पे.क्र. १, पृ. १२५-२६४, प्रकीर्णत्रुटितग्रन्थसङ्ग्रह (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. प्रत विशेष- कुळ ७ ज कृतियो छे. कुल झे.पृष्ठ-२६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ३२, पृ. ४५७, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति, त्रुटक प्रत विशेष- वचमां घणुं त्रुटक, अस्तव्यस्त-जीर्ण, नकामी. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवीजीर्ण ३५, पृ. २९२, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति तद्धित ७मो अध्याय, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवीजीर्ण ४३, पृ. २१३, शब्दानुशासनबृहद्वृत्ति-पाद २,३, त्रुटक प्रत विशेष- ताडपत्र-१३५, जीर्ण-कागळना ७८ पत्र त्रुटक. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५१, पृ. १७५, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति (तद्धितपाद चारनी) , प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण, त्रुटक ने नकामी. 823 Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. १, पृ. १-१९४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- सिद्धहेम बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ पर्यन्त प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ४९- पे.क्र.२, पृ. १-१५०, सिद्धहेमबृहपत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- सिद्धहेम बृहद्वृत्ति अध्याय ३ थी ५ प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ११६, पृ. ३४८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय ६-७, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- घणी सारी छे. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ९८-१, पृ. १३९, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति ९-१० पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- पाद-९-१०. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११०-१, पृ. २७५, सिद्धहेमआख्यातबृहद्वृत्ति, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३३/५२ पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३०, पृ. १३०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति पञ्चमाध्याय कृद्धृत्ति, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५१- पे.क्र. ३, पृ. ?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- हैमाख्यातकृबृहद्वृत्ति, पे. विशेष- अपूर्ण. ग्रन्थाग्र-२३६९. झेरोक्ष पत्र-३० पर है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५४, पृ. २०२, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय-२, पाद ३ थी अध्याय ३, पाद २, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५५, पृ. २५०, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय ३, पाद ३ थी अध्याय ४ पाद ३, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १५६, पृ. २४७, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्वृत्ति पञ्चमोध्याय (कृदन्त), प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १७८, पृ. ३८६, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ बृहद्वृत्ति सह तद्धित, वि-१२९७, प्रतिपूर्ण डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ६६०३, पृ. १७४, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति पञ्चमाध्याय चतुर्थपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षप-(सं.)कक्षापट वृत्ति (कक्षापट वृत्ति), (बृहद्वृत्तिसारोद्धार), (सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार) सं., गद्य, 824 Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७१७७, पृ. ४१, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्तिसारोद्धार कक्षापटवृत्ति, वि- १५२१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.) लघुन्यास (न्याससारसमुद्धार), (दुर्गपदव्याख्या), (लघुन्यास) आचार्य - कनकप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम २१६१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास, वि १६मी प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२० - १२४ नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८४ पाकाम १०१९६ पृ. ७२. सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त वि-१५२७ प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-७३ झे. पाकाहेम १०३८०, पृ. ५२, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिलघुन्यास, वि-१५०९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - गाथा- ४८१६. कुल झे. पृष्ठ-५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन- बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससङ्क्षेप (लघुन्याससङ्क्षेप) सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि- १४४१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमां मुकेली प्रति .. कुल झ. पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी (सं.) टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति - अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद - २ पर्यन्त - एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ T सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.) बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षेप- (सं.) कक्षापट वृत्ति (कक्षापट वृत्ति), (बृहद्वृत्तिसारोद्धार), (सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार) सं. गद्य, पाकाहेम ७१७७, पृ. ४१ सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्तिसारोद्धार कक्षापटवृत्ति, वि-१५२१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२८ सिद्धहेमशब्दानुशासन- (सं.) लघुवृत्ति आचार्य- हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ३३००, आदि वाक्य : (१) प्रणम्य परमात्मानं श्रेयः शब्दानुशासनम् । ...(२) अहं ।।..... पाताखेत ५४-२ पृ. २३१, हेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति- अध्याय १-५ प्रतिपूर्ण प्रत विशेष अङ्क १-२ - डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ७०-४, पृ. १४४ हेमआख्यातलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय चतुर्थ पाद, संपूर्ण डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी ७९-२, पृ. १३७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क, प्रतिपूर्ण डीवीडी - ३१/५० पातासंघवी ८२-२, पृ. १४०, सिद्धहेमलघुवृत्ति आख्यात, प्रतिपूर्ण 825 Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष - पत्र १२४ उपर अंको लखेला छे. बाकीना ७ पाना उपर अंको नथी, आ साथे अनेकार्थना १६ पाना अने ४ पाना कोई बीजा ग्रंथना छे. डीवीडी-३२/५० पातारांघवी १०४-१ पृ. १४९ सिद्धहेमलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३७-२, पृ. १-१९३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय, वि-१२२१, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १४१-१, पृ. १-४१, सिद्धहेमशब्दानुशासन वृत्ति - बीजा अध्यायना प्रथमपाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १५६-२, पृ. १० सिद्धहेमलघुवृत्ति तद्धित ६-१ थी ७ मां ना ४ पाद सुधी प्रतिपूर्ण " प्रत विशेष- पत्रांक नथी. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १६७-२ पृ. १६२. सिद्धहेमलघुवृत्ति तृतीयाध्यायतृतीयपाद थी पञ्चमाध्याय पर्यन्त प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- छेल्ला पानाना बे टुकडा छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८०-१, पृ. १-१९, सिद्धहेमआख्यात वृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पाछळ त्रुटक छे. वचमां बे ठेकाणे कागळना पत्रो छे ते उधईथी खवाई गया छे. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८९-२ पृ. १-४ सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय द्वितीयापादावचूरि प्रतिपूर्ण प्रत विशेष प्रथम वृत्ति पातासंघवी २०६-१, पृ. २०४, सिद्धहेमशब्दानुशासन आख्यात लघुवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पाछलां अने वचलां केटलांक पानानी कोरो खरी गई छे. डीवीडी-३८/५५ पाताहे १२७- पे. क्र. १ पृ. १-११५ सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअध्याय ३ पाद ३ थी अध्याय ५ पाद-४, वि-१३७०, प्रतिपूर्ण पे. विशेष चतुष्क वृत्ति. डीवीडी - ८/१७ पाताहे १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह वि-१४०३, संपूर्ण , प्रत विशेष तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि डीवीडी - ८/१७ पाताहे १५७, पृ. २८७, सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८०- पे.क्र. १, पृ. ३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२ आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवुं व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे, डीवीडी - ९ / १९ पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. १, पृ. १-५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-८० झे. पाकाम १०१९८, पृ. ३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृति-षष्ठ-सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिका-तद्धितवृत्ति, वि १५मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३९ पाकाहेम १०४४३, पृ. १६. सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिद्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त वि-१५मी प्रतिपूर्ण 826 Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १०४४४, पृ. १८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिद्वितीयाध्यायतृतीय पादथी तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भीजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १०७४१, पृ. २८, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ लघुवृत्ति पञ्चमाध्याय कृवृत्ति, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे. सिद्धहेमशब्दानुशासन नी (सं.)लघुवृत्ति नी (सं.)व्युत्पत्तिदीपिका (व्युत्पत्तिदीपिका) सं., गद्य, पाकाहेम १०१९८, पृ. ३८, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-षष्ठ-सप्तमाध्याय व्युत्पत्तिदीपिका-तद्धितवृत्ति, वि १५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाताहेसं १५७, पृ. २८७, सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति-(सं.)अवचूरि (दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवाय॑ प्रणम्य विवृणोम्यहम्।... पाकाहेम १०२००, पृ. १७, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरि-द्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि पं.-धनचन्द्र, सं., गद्य, पातासंघवी १७३-१, पृ. ८०, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-८०+६२. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह, वि-१४०३, संपूर्ण प्रत विशेष- तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि. डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि (दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवाय॑ प्रणम्य विवृणोम्यहं... कृ.विः जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत-१२६४? पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. १, पृ. १५७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. २, पृ. ९१, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति आख्यात अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७५, पृ. १२०, सिद्धहेमलघुवृत्तिअवचूरि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ७२-१, पृ. २०६, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि प्रथमाध्यायथी बीजा अध्यायना तृतीय पाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि ढुण्ढिका (दुण्ढिका अवचूरि) टी 827 Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, ग्रं.३२००, पाकाहेम ६६०९, पृ. ६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-चतुष्कवृत्ति अवचूरिढुण्ढिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९७, पृ. ५१, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णिका तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्ति अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९७, पृ. ५१, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णिका तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्ति अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि पं.-धनचन्द्र, सं., गद्य, पातासंघवी १७३-१, पृ. ८०, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-८०+६२. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह, वि-१४०३, संपूर्ण प्रत विशेष- तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि. डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि (दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवायँ प्रणम्य विवृणोम्यहं... कृ.विः जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत-१२६४? पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. १, पृ. १५७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. २, पृ. ९१, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति आख्यात अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७५, पृ. १२०, सिद्धहेमलघुवृत्तिअवचूरि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ७२-१, पृ. २०६, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि प्रथमाध्यायथी बीजा अध्यायना तृतीय पाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि ढुण्ढिका (दुण्ढिका अवचूरि) सं., गद्य, ग्रं.३२००, पाकाहेम ६६०९, पृ. ६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-चतुष्कवृत्ति अवचूरिढुण्ढिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र (हैम उणादिगण), (सिद्धहेम उणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ?, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ 828 Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १८०- पे.क्र.२, पृ. ३०४-३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण पे. नाम- हैमगण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२, आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवें व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे. डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण (सिद्धहैमउणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनामुणादीनाम्... पातासंघवीजीर्ण ६०- पे.क्र. १, पृ. १-७६, उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र-१४९ थी १६९ छे., डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ६६-१, पृ.६६, उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण (सिद्धहैमउणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनामुणादीनाम्... पातासंघवीजीर्ण ६०- पे.क्र. १, पृ. १-७६, उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र-१४९ थी १६९ छे., डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ६६-१, पृ. ६६, उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य), (कुमारपालचरित) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यसर्ग२०, ग्रं.२८२८, आदि वाक्यः अर्हमित्यक्षरं ब्रह्म वाचकं परमेष्ठिनः... पातासंघवी २८, पृ. २८४, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी १२५, पृ. २७८, द्व्याश्रय संस्कृत २० सर्ग, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २४३-२४५ नथी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २९-१, पृ. १-१९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ 829 Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ६२-३, पृ. ३६०, द्व्याश्रय संस्कृत (महाकाव्य), वि-१३३५, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ भांता ६३, पृ. १९०, कुमारपालचरित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.४-१२४ (१२२A)., सर्ग-२०, ग्रन्थाग्र-२८२८., पत्र-१८३+२+४+७=१९६. डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २३०८, पृ. ६७, व्याश्रयमहाकाव्य सम्पूर्ण, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिना कागळ बहु सरस छे.आनुं सम्पूर्ण नाम सिद्धहेमचन्द्राभिधानशब्दानुशासनद्वयाश्रयमहाकाव्य छे. कुल झे.पृष्ठ-४६ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति ) गणि-अभयतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१२, ग्रं.१७५७४, आदि वाक्यः श्रीभूर्भुवः स्वस्तितयाहिताग्निगेहेभितो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- व्याश्रयमहाकाव्य की अभयतिलकीय टीका, पे. विशेष- मात्र प्रारंभिक भाग है. झेरोक्ष पत्र-५५ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २८, पृ. २८४, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी ९५, पृ. २८४, व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग-८ सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २९-१, पृ. १९९, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६४-१, पृ. ३६०, द्व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९ थी सम्पूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)दुर्गमार्थबोधिनी टीका सं., गद्य, प्रह्लादनपत्तन, पाताहेसं १५१- पे.क्र.२, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग मिलता है. झेरोक्ष पत्र-२४ पर है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति ) गणि-अभयतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१२, ग्रं.१७५७४, आदि वाक्यः श्रीभूर्भुवः स्वस्तितयाहिताग्निगेहेभितो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- व्याश्रयमहाकाव्य की अभयतिलकीय टीका, पे. विशेष- मात्र प्रारंभिक भाग है. झेरोक्ष पत्र-५५ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २८, पृ. २८४, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी ९५, पृ. २८४, व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग-८ सचित्र, संपूर्ण 830 Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो. डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २९-१, पृ. १९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६४-१, पृ. ३६०, ढ्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९ थी सम्पूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)दुर्गमार्थबोधिनी टीका सं., गद्य, पाताहेसं १५१- पे.क्र.२, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग मिलता है. झेरोक्ष पत्र-२४ पर है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास (न्याससारसमुद्धार). (दुर्गपदव्याख्या), (लघुन्यास) आचार्य-कनकप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम २१६१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास, वि १६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२०-१२४ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम १०१९६, पृ. ७२, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५२७, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १०३८०, पृ. ५२, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्तिलघुन्यास, वि-१५०९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४८१६. कुल झे.पृष्ठ-५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससङ्क्षप) सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण - प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससङ्क्षप) सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति-(सं.)विवरण 831 Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाताहेसं १५७, पृ. २८७, सिद्धहेमशब्दानुशासनवृत्तिविवरण अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१८ सिद्धहेमशब्दानुशासननी लघुवृत्ति-(सं.)अवचूरि (दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवाय॑ प्रणम्य विवृणोम्यहम् ।... पाकाहेम १०२००, पृ. १७, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरि-द्वितीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-१८ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण (प्राकृतव्याकरण), (सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं.,प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अथ प्राकृतं... पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. २, पृ. ८०, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहदत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. १, पृ. ?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्भत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ पाकाहेम ९४९८, पृ. १-१४, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ भांका ९३, पृ. १७, सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-८४ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)प्राकृतप्रबोधवृत्ति (सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति-प्राकृतप्रबोध), (प्राकृतप्रबोध वृत्ति) आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पातासंघवी १४२-२- पे.क्र. २, पृ. १-१२७, द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे. डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम १०६७३, पृ. ३०, प्राकृतप्रबोध-सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति, वि-१६१३, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति (प्रकाशिका वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः अथ शब्द आनन्तर्यार्थो... पातासंघवी १८१-२, पृ. १-५३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय प्रकाशिका नाम्नी वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६७८०- पे.क्र. २, पृ. ८०, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. १, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ पाकाहेम ९४९८, पृ. १-१४, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ भांका ९३, पृ. १७, सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-८४ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, 832 Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः कर्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)ढुण्ढिकावृत्ति (दुण्ढिकावृत्ति), (प्राकृतढुण्ढिका) मुनि-सौभाग्यसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५९१, पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. २, पृ.?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७१९१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय अवचूरि, वि-१६६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका) सं.,अप., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)प्राकृतप्रबोधवृत्ति (सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति-प्राकृतप्रबोध), (प्राकृतप्रबोध वृत्ति) आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, पातासंघवी १४२-२- पे.क्र. २, पृ. १-१२७, व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे. डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम १०६७३, पृ. ३०, प्राकृतप्रबोध-सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति, वि-१६१३, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति (प्रकाशिका वृत्ति) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः अथ शब्द आनन्तर्यार्थो.. पातासंघवी १८१-२, पृ. १-५३, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय प्रकाशिका नाम्नी वृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ६७८०- पे.क्र.२, पृ. ८०, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तितृतीयाध्याय तृतीयपादथी सप्तमाध्यायपर्यन्त तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. १, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८५ पाकाहेम ९४९८, पृ. १-१४, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४९ भांका ९३, पृ. १७, सिद्धहेम प्राकृतव्याकरण टीका, संपूर्ण डीवीडी-८४ 833 Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः कर्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)दण्ढिकावृत्ति (दुण्ढिकावृत्ति), (प्राकृतदुण्ढिका) मुनि-सौभाग्यसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५९१, पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. २, पृ. ?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-८५ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७१९१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय अवचूरि, वि-१६६५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः कर्त्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ.६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका) सं.,अप., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका) सं.,अप.. गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि १६०३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धहैमउणादिगण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन (ऋषभजिनस्तवन), (आदिनाथस्तवन यमकमय), (यमकमय आदिनाथस्तवन) सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः सिद्धाचलश्रीललना... कृ.विः आदिनाथ स्तवन यमकमय. पाकाहेम ११६६६- पे.क्र. ३, पृ. १, आदौ नेमिजिनं स्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ 834 Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धाचलस्तुति सं., पद्य, श्लोक४, पाकाहेम १२१२४ - पे. क्र. १८, पृ. ८६मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र २३ नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ सिद्धादेश सं., पद्य, श्लोक६२, आदि वाक्यः सिद्धादेशं प्रवक्ष्यामि भाषितं च चतुर्मुखैः..... पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. ७ पृ. ६७-७२ त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि संपूर्ण , डीवीडी-३६/५४ सिद्धान्त आराधना एकोनचत्वारिंशतिका कृति उपरथी प्रत माहिती पं. पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा. ४०, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ५, पृ. ८-१०, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण सिद्धान्तगत लेखादिस्वरूप प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ ५० सिद्धान्तगत अनेककथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) प्रा.सं., पाकाहेम ८१४२- पे क्र. १ पृ. १-२५ सिद्धान्तगत लेखादिस्वरूप आदि वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २५ प्रा. सं., पाकाहेम ८१४२- पे.क्र. २, पृ. १-२५ सिद्धान्तगत लेखादिस्वरूप आदि वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २५ सिद्धान्तगतअनेकविचारसङ्ग्रह (विचारसङ्ग्रह ) प्रा.सं., गद्य, पाकाहेम ११११६, पृ. ३, सिद्धान्तगतअनेकविचारसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण सिद्धान्तरत्नावली सिद्धान्तरत्नावली- (सं.) टिप्पन मुनि-हेमसूरि-शिष्य [खरतरगच्छ], सं., पद्य, श्लोक३२, आदि वाक्यः कुग्राहनिवारणे पटुतरस्साक्षाद्गिरागीष्पतिः.... भांका १९०, पृ. ७ सिद्धान्तरत्नावली सह टिप्पण, वि-१९वी संपूर्ण प्रत विशेष पदच्छेद व अन्ययदर्शक चिनयुक्त. कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ सं., पद्य, भांका १९०, पृ. ७, सिद्धान्तरत्नावली सह टिप्पण, वि-१९वी, संपूर्ण प्रत विशेष पदच्छेद व अन्वयदर्शक चिनयुक्त. कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ सिद्धान्तविचार · सिद्धान्तरत्नावली- (सं.) टिप्पन सं., पद्य, भांका १९०, पृ. ७, सिद्धान्तरत्नावली सह टिप्पण, वि-१९वी, संपूर्ण प्रत विशेष- पदच्छेद व अन्वयदर्शक चिह्नयुक्त. कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ मारुगूर्जर, सं., प्रा., गद्य, पाकाहेम १३६८७, पृ. २४, सिद्धान्तविचार, वि-१९मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. 835 Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२४ सिद्धान्तसारप्रकरण-आचरणोपन्यासप्रकरण (आचरणोपन्यासप्रकरण) सं.. पाकाहेम ९६२२- पे.क्र. २, पृ. १-७, मुखपोतिकाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण सिद्धान्तसारोद्धार प्रकरण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.२१३, आदि वाक्यः अइविसमरागकेसरि नरिन्दनिद्दारणम्मि जसपसरो... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. १९, पृ. १६-२१, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ सिद्धान्तस्तवन जुओ - जैनागमस्तव, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, का.४६ सिद्धान्तस्तवन (जैन सिद्धान्तस्तवन) आचार्य-जयशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.११, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १३, पृ. १९-२०, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ सिद्धान्तालापकादि प्रा., गद्य, पाकाहेम ८१३९, पृ. ५, सिद्धान्तालापकादि, वि-१६मी, संपूर्ण __ कुल झे.पृष्ठ-५ सिद्धिकुलक प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः ज्झायन्तो सुहज्झाणं सुक्कं जं चउव्विहं समक्खायं... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३८, पृ. ७६अ-७७अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- सिद्धि, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४५-४६. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ सिन्दूरप्रकर आचार्य-सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः सिन्दूरप्रकरस्तपः... पातासंघवी ५५-२- पे.क्र.८, पृ. १६-३१, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २९, पृ. २१७-२२७, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाकाभाभा ४५, पृ. ८, सिन्दूरप्रकर, वि-१९वी, संपूर्ण सियाचरित्र (सीताचरित्र) प्रा., पद्य, आदि वाक्यः कमनहकन्तिजलेण वखालिय देह सुणिम्मला हुन्ति... कृ.विः अं.वाक्य- एयं सीयाचरियं...सूरींहि निवेइयं किचि. कर्ता-? भांका २६०, पृ.६१, सियाचरित्र, वि-१६००, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-८२४. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-८९ सीता चरित्र आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, प्रा., पद्य, गा.४४१, आदि वाक्यः जस्स पयपउमनहचन्दजुहजलजालियखालिमलोहहं... पातासंघवी ९९- पे.क्र. २, पृ. ५४-८४, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५४ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ 836 Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सीता हरण जुओ - सीयाहरणु, मुनि-सागरचन्द्र, अपभ्रंश, गा.८० सीताचरित्र जुओ - सियाचरित्र, प्राकृत सीताचरित्र जुओ - सीयादेवीचरिउ, मुनि-सागरचन्द्र, अपभ्रंश सीताचरित्र महाकाव्य जुओ - शीलविषये सीताचरित्र महाकाव्य ४सर्ग, संस्कृत, का.५५५ सीतासत अप., पद्य, गा.२०, आदि वाक्यः पूरवि दसरथु जाणियए केगइ वरु मागेइ... पातासंघवी १४१-२- पे.क्र. १७, पृ. ४७-४९, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथमना छ पत्रोना टुकडा खरी गया छे., दशवीशी भावना- गाथा-२०५. डीवीडी-३५/५३ सीमन्धरजिन स्तवन उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्यढाळ२०, आदि वाक्यः श्रीसीमन्धर साहिब आगे विनतडी एक कीजे... पुप्रे ४१९-४, पृ. ७५, सीमन्धरजिन स्तवन सह बालावबोध, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ सीमन्धरजिन स्तवन-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, पुप्रे ४१९-४, पृ. ७५, सीमन्धरजिन स्तवन सह बालावबोध, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ सीमन्धरजिन स्तवन उपाध्याय-सकलचन्द्र[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-दानसूरि[तपागच्छ], मारुगूर्जर, पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः परममुणि झाणवणगहण... पाकाभाभा ६२८- पे.क्र.२, पृ. ३-५, जम्बूस्वामी ब्रह्मगीता स्वाध्याय आदि सङ्ग्रह, वि-१७९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ सीमन्धरजिन स्तवन उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.१२५, ढाळ११, आदि वाक्यः स्वामि सीमन्धर वीनती साम्भलो माहरी... पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. ४, पृ. ४-८, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सीमन्धरजिन स्तवन-(मा.गु.)बालावबोध आचार्य-ज्ञानविमलसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, पुप्रे ४१९-४, पृ. ७५, सीमन्धरजिन स्तवन सह बालावबोध, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७५ सीमन्धरजिनस्तवन आचार्य-शान्तिसूरि, अप., पद्य, गा.८, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ५२, पृ. १५२-१५४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- कडी-८. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ सीमन्धरजिनस्तुति अप., पद्य, आदि वाक्यः केवलनाणसहाणं... भांता ७२- पे.क्र. ३६, पृ. १८९B-१९१(?), दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पत्रांक संदिग्ध है. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. 837 Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीमन्धरजिन स्तुति प्रा. पथ, गा.४, आदि वाक्यः महीमण्डनं पुण्ण पद्य, " पाकाहेग ११६८३- पे. क्र. १ पृ. १३ सीमन्धरजिनस्तुति सटीक आदि वि-१९६४, संपूर्ण सीमन्धर जनस्तुति प्रत विशेष आदि महीमंडनं पुण्णं. आदि नामेथं संबवंत. कुल झे. पृष्ठ-३ कुल झे. पृष्ठ ७२ डीवीडी-७३/८२ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य जयशेखरसूरि सं., पद्य, का. ११ आदि वाक्य असुरसुरमधुपकुल..... " सीमन्धरजिनस्तोत्र कृ.विः गेयरूपा. पाकाहेम ९०२- पे.क्र. २४, पृ. २०६ - २०७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक प्रकरण- कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३१ प्रा., पद्य, गा.२०, कृ. विः अन्तवाक्य - सासयसुहेक्कजणउ कयनाहो होउ भव्वाणं. पाताहेसं १६८- पे.क्र. १५, पृ. २९-३०आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-३१-३२. सीमन्धरजिनस्तोत्र प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः निज्जियमोहं सम्पत्तकेवलं सुरवरिन्दकयपूयं .... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ४७ पृ. ११६ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १४५ सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय (भाषाष्टकमय सीमन्धरस्तव), (अष्टभाषामय सीमन्धरजिनस्तव) गणि-जिनहर्ष गणि, सं., प्रा., अप., पद्य, का. २७, आदि वाक्यः श्रीसर्वज्ञसमग्रसौख्यपदवी... कृ.वि: अष्टभाषायुक्त. पाकाहेम १२३०२, पृ. १, भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ, वि- १८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३०३ पृ. १ भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७४५, संपूर्ण सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय (सं.) अवचूरि , सं., गद्य, पाकाहेम १२३०२, पृ. १, भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३०३, पृ. १, भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७४५, संपूर्ण सीमन्धरस्तव भाषाष्टकमय - (सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम १२३०२, पृ. १, भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ वि-१८मी, संपूर्ण पाकाहेम १२३०३, पृ. १, भाषाष्टकमयसीमन्धरस्तव सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१७४५, संपूर्ण सीमन्धरस्तुति सं., पद्य, का.४, आदि वाक्य कोटाकोटचत्तर ..... पाकाहेम १२३८४- पे.क्र. ३, पृ. २, नारङ्गपुरमण्डन पार्श्वजिनस्तवन आदि, वि-१६७३, संपूर्ण सीमन्धरस्वामिस्तवन प्रा., पद्य, गा. २१, पाकाहेग ४६४०- पे क्र. २ पृ. ८ उपदेशमालाप्रकरण तथा सीमन्धरस्वामिस्तवन वि-१६मी संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-९ 838 Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सीयादेवीचरिउ (सीताचरित्र) मुनि-सागरचन्द्र, गुरु-आचार्य-वर्द्धमानसूरि, अप., आदि वाक्यः सीयचरिउ निसुणेहु... तालाद ३८४- पे.क्र.५, पृ. २९-३६, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ सीयाहरणु (सीता हरण) मुनि-सागरचन्द्र, गुरु-आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), अप., पद्य, गा.८०, आदि वाक्यः नवकारिविसुयएवि... तालाद ३८४- पे.क्र. ३, पृ. १-१६, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ सुअधम्म (श्रुतधर्म) प्रा., पद्य, गा.१०, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १६, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० सुकविहृदयानन्दिनी टीका जुओ - वृत्तरत्नाकर-(सं.)सुकविहृदयानन्दिनी टीका, जैनश्रावक-सोलण, संस्कृत सुकोशलकथा प्रा., पातासंघवीजीर्ण ८९- पे.क्र. ३, पृ. ३८-६७, ललितविस्तरा चैत्यवन्दनटीका आदि, वि-११८५, त्रुटक पे. विशेष- ३८ थी ६७ नं. पेज छे. त्रुटक डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. १, पृ. १-५, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ सुकोशलचरित्र प्रा., पद्य, गा.१०७, आदि वाक्यः अह एत्तो वीसइमे जिणन्तरे वट्टमाणसमयम्मि। पाताखेत १२- पे.क्र. २२, पृ. २३१-२४०, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०५. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५०- पे.क्र. १५, पृ. १८९-१९६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१,७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ सुकोशलचरित्र अप., पद्य, रचना सं. विक्रम १३०२, आदि वाक्यः पणमं सिरिअरहन्त निरवाय विसुद्धा... पाताखेत ६- पे.क्र. ३७, पृ. २०९-२१२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- सुकोसलचरित्र प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ सुखबोधा टीका जुओ - आश्चर्ययोगमाला-(सं.)सुखबोधा विवृत्ति, आचार्य-गुणाकरसूरि, संस्कृत सुखबोधा टीका जुओ - औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)सुखबोधा टीका, संस्कृत सुखबोधावृत्ति जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)सुखबोधावृत्ति, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश, ग्रं.१२००० सुखबोधासमाचारी (सामाचारी सुखबोधा) आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.१३११, पाताहेसं १५८- पे.क्र. २, पृ. ???, साधुश्रावकसामाचारी सुखबोधा सामाचारी, आगमगत अनेक विचार सङ्ग्रह, संपूर्ण 839 Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-८/१८ सुखावबोधिका टीका जुओ - विजयप्रशस्तिमहाकाव्य-(सं.)विजयप्रदीपिका नाम सुखावबोधिका टीका, गणि-गुणविजय गणि, संस्कृत, ग्रं.१०००० सुगरिट्ठ प्रा., पद्य, गा.१६, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. ९, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० सुगुणकुमारकथानक सं., पद्य, आदि वाक्यः धर्माद् धनं धनत एव समस्तकामाः... भांका १९७, पृ. ५, सुगुणकुमारकथानक, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-८३९. डीवीडी-८७ सुगुरुसामाचारीकुलक (सामाचारीकुलक) अप., पद्य, गा.३३, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २, पृ. १-२, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७ सुदर्शनश्रेष्ठिकथादि कथाओ (कथाओ) सं., पाकाहेम ८१३५, पृ. ३, सुदर्शनश्रेष्ठिकथादिकथाओ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सुदर्शनाचरित्र प्रा., कृ.विः देवेन्द्रसूरिकृत करता जुदुं. अताका ४८९, पृ.?, सुदर्शना चरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(खंभात ताडपत्रीय झेरोक्ष- नं.२२२) डीवीडी-१०३/१०४ अताका ४९०, पृ.?, सुदर्शना चरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(खंभात ताडपत्रीय झेरोक्ष- नं.२२२) डीवीडी-१०३/१०४ सुन्दरिदेवीकथानक- शीलव्यावर्णने-सुन्दरिदेवीकथानक जुओ - सुन्दरिदेवीकथानक- शीलव्यावर्णने, प्राकृत, गा.१०१ सुन्दरिदेवीकथानक- शीलव्यावर्णने (सुन्दरिदेवीकथानक- शीलव्यावर्णने-सुन्दरिदेवीकथानक) प्रा., पद्य, गा.१०१, कृ.विः अन्त वाक्य- धम्मे आयरं कुणह. पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १५, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० सुपार्श्वनाथचरित्र गाथाबद्ध (सुपासचरिय) गणि-लक्ष्मण गणि, प्रा., पद्य, पातासंघवी ४७, पृ. २७५, सुपार्श्वनाथचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रत सारी-पदच्छेद करेली. डीवीडी-२७/४६ सुपार्श्वपार्श्वफणसङ्ख्यास्वरूप जुओ - पार्श्वपार्श्वयोः फणसङ्ख्यास्वरूप#, प्राकृत सुपासचरिय जुओ - सुपार्श्वनाथचरित्र गाथाबद्ध, गणि-लक्ष्मण गणि, प्राकृत सुप्रणिधानकुलक जुओ - चतुःशरण प्रकीर्णक-वृद्ध, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.९० 840 Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सुबाहु आदि कथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) प्रा., पातासंघवी ९९- पे.क्र. १, पृ. १-५३, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. नाम- सुबाहु आदि कथा सचित्र, पे. विशेष- पत्र ५० थी ५२ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमां चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ सुबाहुकुमारकथा (सुबाहुचरित्र) प्रा., पद्य, गा.२१५, ग्रं.२७६, आदि वाक्यः (१) अत्थेत्थ भरहवासम्मि नयरं नयराण उत्तम...(२) अत्थित्थ भारहवासम्म्मि नयरं नयराण उत्तमं... कृ.विः गद्यपद्यमय. पातासंघवीजीर्ण ८१- पे.क्र.८, पृ. १७४-१९८, उपदेशमाला आदि, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी. डीवीडी-५८/६० भांता ६९- पे.क्र. २४, पृ. १५३B-१७५A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-४-८४६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ तालाद ३८४- पे.क्र. ४, पृ. १७-२८, पञ्चाशकप्रकरणादि, वि-१४मी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र-१८, २२, २४, २७ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३०, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट ३०+६+८+४+४+२+२ छे., डीवीडी-९४/९६ सुबाहुचरित्र जुओ - सुबाहुकुमारकथा, प्राकृत, ग्रं.२७६, गा.२१५ सुबाहुचरित्र प्रा., पद्य, गा.२१९, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं वीरं ससुरासुरमणुयइन्दणयचलणं|... कृ.विः गाथा २१७ थी २२८ सुधी मळे छे. पातासंघवी ६१-२- पे.क्र.८, पृ. १६६-१९२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र.५, पृ. ७७-९१, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१८. डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८४-१- पे.क्र.७, पृ. १२२-१४२, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१७. डीवीडी-३७/५४ सुबोधसामाचारी (सामाचारी सुबोध) प्रा., गद्य, पाकाहेम ५२६८ - पे.क्र. १, पृ. १-९, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ सुबोधा टीका जुओ - पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.)सुबोधा टीका, आचार्य-यशोदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.२८०० सुबोधावृत्ति जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)सुखबोधावृत्ति, आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, संस्कृत,प्राकृत,अपभ्रंश, ग्रं.१२००० सुभद्राकथा श्लोकबद्ध सं., पद्य, श्लोक६२, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ३, पृ. १५-१७, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ सुभद्राचरित्र गणि-अभय गणि, अप., आदि वाक्यः पणमेविणु जिणु सन्ति जगसन्तिहिकारु... 841 Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ७६- पे.क्र.५, पृ. १०१-१०९, दशवैकालिकसूत्र आदि, त्रुटक डीवीडी-५८/६० सुभद्रापरिणयनछायानाटक (छायानाटक सुभद्रापरिणयन) जैनेतर-रामदेव व्यास, सं., पाकाहेम ३७३३, पृ. ४, सुभद्रापरिणयन छायानाटक सह टिप्पणी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ सुभद्रापरिणयनछायानाटक-(सं)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ३७३३, पृ. ४, सुभद्रापरिणयन छायानाटक सह टिप्पणी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ सुभद्रापरिणयनछायानाटक-(सं)टिप्पण सं., गद्य, पाकाहेम ३७३३, पृ. ४, सुभद्रापरिणयन छायानाटक सह टिप्पणी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ सुभाषित आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., पद्य, पाकाहेम १५२३१, पृ. ८, सुभाषित, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ सुभाषितकुलक जुओ - उपदेशकुलक, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.३२ सुभाषितद्वात्रिंशिका जुओ - उपदेशकुलक, आचार्य-जिनप्रभसूरि, अपभ्रंश, गा.३२ सुभाषितपद्यसङ्ग्रह जुओ - सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संस्कृत,प्राकृत,मारुगूर्जर सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह (सुभाषितपद्यसङ्ग्रह), (पद्यसङ्ग्रह), (सूक्तमुक्तावलि) सं.,प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य, कृ.विः विविध प्रकारना सुभाषित संग्रहो माटे आ कृति सामान्य पणे सांकळवामां आवी छे. पाकाहेम २७१६, पृ. १४, सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह-सूक्तमुक्तावलि, वि-१६१४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम ५२३२, पृ. १०, सुभाषित श्लोकसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम ५२३३, पृ. १०, सुभाषित श्लोकसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम ५२५७, पृ. १८, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१६९६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ७३९५, पृ. २५, सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- संस्कृत, का.१३. कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र. २२, पृ. १-२०, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ८६९७, पृ. १, सुभाषितश्लोक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- भाषा-संस्कृत, प्राकृत. कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम ८७००, पृ. २, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२ 842 Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७०१, पृ. १७, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे खाधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम ८७०२, पृ. ५, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८७०३, पृ. ४, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १३९४१, पृ. ११, सुभाषित, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १४९८२, पृ. १६, सुभाषित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२० भांका १००- पे.क्र. २, पृ. ६A, संवेगशतक व सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-२. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका २६८- पे.क्र. २, पृ. २४A, वर्णनासार व सुभाषितश्लोक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-९० सुभाषितसारोद्धार सं., पद्य, श्लोक४६५०, पाकाहेम २७१३, पृ. ९४, सुभाषितसारोद्धार, वि-१७मी, संपूर्ण सुभाषितावली प्रा., पद्य, गा.३१, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुभाषितावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुभाषितावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुरनारकषड्लेश्याविचार सं., गद्य, आदि वाक्यः सुरनेरइयाण छल्लेसा इति... भांता ७०- पे.क्र. ११०, पृ. १४८B-१४८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सुरसेनकुमाररास पण्डित-हर्षराज, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६१३, गा.८८१, पाकाहेम १०८०३, पृ.३६, सुरसेनकुमररास, वि-१६५२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २ थी ८ नथी. सुराश्रावकपरिग्रहपरिमाण (परिग्रहपरिमाण) 843 Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रा., पद्य, गा.२७, पाकाहेम ७१२४- पे.क्र. ३, पृ. ?, कुमारपालचरित्र, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ सुलसाचरित्र 1 अप, आदि वाक्यः पणमवि तित्थेसरु वीरजिणेसरु भणामि सुलससावि चरिउ .... पातासंघवी २०५१ पे.क्र. २. पृ. १-४३ पुष्पवतीचरित्र आदि वि-११९१, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १२A - १३B उपर एकाक्षर स्तुति छे ते पेटांक-८ उपर लीधी छे. कुल झे. पृष्ठ ६१, डीवीडी - ३८/५५ कृति उपरथी प्रत माहिती सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य (सम्यक्त्वसम्भव महाकाव्य सुलसाचरित्र ) आचार्य जयतिलकसूरि|आगमिकगच्छ), सं., पद्य, श्लोक७४१, सुवर्णरौप्यसिद्धिशास्त्र पाकाहेम १९४०, पृ. ८, सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भवमहाकाव्य, वि-१५मी, संपूर्ण कुलझे पृष्ठ - ९ पाकाहेग २१११, पृ. ८ सुलसाचरित्र सम्यक्त्वसम्भवमहाकाव्य वि-१६मी संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-६ प्रा. सं., आदि वाक्यः धम्मो मङ्गलमुक्किट्ठे .... तालाद ३२९ पृ. ४३, सुवर्णरीप्यसिद्धिशास्त्र, वि-१८मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २२, डीवीडी- ९४ / ९६ सुविधिजिनस्तवन एकस्वरचित्रगर्भित जुओ - एकस्वरचित्रगर्भितसुविधिजिनस्तवन, मुनि - गुणविजय, संस्कृत, का.८ सुविधिनाथजिनस्तवन जुओ- पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध, संस्कृत श्लोक२८ सुविहणस्तवन अप, पद्य, गा.१४, पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ७, पृ. ५२-५३, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ सुविहितकुलक प्रा. पथ, गा. ३४ आदि वाक्यः सिद्धत्थपत्थिवसु नमिउ सिरि वद्धमाण तित्थयरं.... " भांता ७०- पे.क्र. १७१, पृ. २४१०-२४३B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे, पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सुव्रतऋषिकथानक - मौनएकादशीकथानक पद्य (मौनएकादशी कथानक ) सुराढकथा प्रा., पद्य, गा. १५९. पाकाहेम १०१७६, पृ. ५. सुव्रतऋषिकथानक मौनएकादशीकथानकपच वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५ प्रा... पाताहेसं १७१-१२, पृ. ७, सुसढकथा, संपूर्ण डीवीडी - ९ /१८ सूक्तमाला मुनि- नरेन्द्रप्रभ मलधारी, सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणिपत्य परं ज्योतिर्नानाभणिति..... पातासंघवीजीर्ण ५२ - पे. क्र. ७, पृ. ( ग ) १६१ - १६२, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-२२ सुधी छे.. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी, झेरोक्ष पत्र ५० नथी. 844 Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-५७/६० सूक्तमुक्तावलि जुओ - सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संस्कृत,प्राकृत,मारुगूर्जर सूक्तमुक्तावली आचार्य-मेघप्रभाचार्य, सं., पद्य, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमभिनौमि... पाताहेसं १४७- पे.क्र. ३, पृ. ६८-८५, लिङ्गानुशासन वृत्तिसहित आदि, वि-१२७३, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र ८५ आप्या छे. डीवीडी-८/१७ सूक्तरत्नाकर जैनश्रावक-मन्मथ सिंह- विद्यासिंहपुत्र, सं., पद्य, श्लोक४३४०, आदि वाक्यः जीयाज्जगन्मङ्गलदीपकस्य कल्याणकुम्भः शिवसौधमूर्धनि.... पातासंघवी १४९, पृ. २६८, सूक्तरत्नाकर, वि-१३४७, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ सूक्तसङ्ग्रह सं., पद्य, ग्रं.९९, पाकाहेम २७१७, पृ.८, सूक्तसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ सूक्तसङ्ग्रह सं., पद्य, आदि वाक्यः जयतिसरोरुहवसतिर्निगमगिरां... पातासंघवीजीर्ण ७१, पृ. ७८, सूक्तसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. अन्तिम बे पत्रो अवाच्य छे. श्लोक-७०५ थी पण बधारे छे., एक बाजुनी कोरो खरी गई छे. झेरोक्ष पत्र-८ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३१, डीवीडी-५८/६० सूक्तसमुच्चय मुनि-विबुधचन्द्र मलधारी, सं., पद्य, गा.४२१, आदि वाक्यः छायाविश्रान्तसंसारसन्तप्तानन्तजन्तवे... पातासंघवीजीर्ण ५२- पे.क्र. ५, पृ. (ग)९८-१३७, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक., वचमां घणां पत्रो नथी. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी., झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-५७/६० सूक्तावली सं.प्रा., पद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. १, पृ. १-४, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण पे. विशेष- मूल सं., गाथा-३२. कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १०२१८, पृ. ४०, सूक्तावली, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ सूक्तावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. १, पृ. १-४, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण पे. विशेष- मूल सं., गाथा-३२. कुल झे.पृष्ठ-३ सूक्तावली सं., पद्य, पाकाहेम २७१५, पृ. ४४, सूक्तावली, वि-१६१८, संपूर्ण 845 Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६११४, पृ. ४, सूक्तावली, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का.१५५. सूक्तावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. १, पृ. १-४, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण पे. विशेष- मूल सं., गाथा-३२. कुल झे.पृष्ठ-३ सूक्ष्मविचारसार जुओ - सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१६४ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (सार्धशतकप्रकरण), (सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धारप्रकरण), (सूक्ष्मविचारसार) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१६४, आदि वाक्यः (१) सयलन्तरायवीरं वन्दिय वरणाणलोयणं वीरं।...(२) सयलन्तरारि वीरं वन्दिय... कृ.विः गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे. पाताखेत २३- पे.क्र. ३, पृ. २३४-२४७, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १४, पृ. १७४-१८६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२३. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४२- पे.क्र. ५, पृ. ???, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५८. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र. ९, पृ. १२७-१३८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५३. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र.८, पृ. ९०-१०१, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. २०, पृ.?, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण गाथा-९ तक है. झेरोक्ष पत्र-७३-७४. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १४, पृ. १२३-१३३-, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-४७-५२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र. ४, पृ. ४०-६३, जीवविचार आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. डीवीडी-३१/५० 846 Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११३-२, पृ. ११४, सार्धशतकवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र १५९ नथी. बाकी छे ते सारां छे, पत्र २२० नथी. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ३, पृ. ४६-६४, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १७०-१, पृ. ११९, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्राकृतविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अंतमा अपूर्ण-आ विवरण मुनिचंद्रसूरिकृत चूर्णि होवी जोईए. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र.६, पृ. १५९-१९१, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे., गाथा-१५५. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र.८, पृ. ५२आ-६७आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- सार्द्धशतक, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१५२. झेरोक्षपत्र-१५-२०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ भांता ६८, पृ. १२८, सूक्ष्मार्थविचारसार सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है परन्तु ग्रन्थ संपूर्ण है. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७२/८२ भांता ६९- पे.क्र. ४, पृ. २६०-४३A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १०३३५, पृ. ३७, सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १६५२५, पृ. ५९, सार्धशतकप्रकरण सटीक, संपूर्ण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्य, डतामुक्ता ४५३, पृ. २६, सप्ततिका सार्धशतक चूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति* आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७१, ग्रं.३७००, कृ.विः सूचीपत्रोमा बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. पाताहेसं १९०, पृ. १५१, सार्धशतकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १४९मुं पार्नु नथी. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०३३५, पृ. ३७, सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १६५२५, पृ. ५९, सार्धशतकप्रकरण सटीक, संपूर्ण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति 847 Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पातासंघवी ११३-२, पृ. ११४, सार्धशतकवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र १५९ नथी. बाकी छे ते सारां छे, पत्र २२० नथी. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ११४-१, पृ. १८२, सार्धशतकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६ टुकडो छे. पत्र १८३ नथी. पत्र १८४ना बे टुकडा छे. पत्र १८६नो एक टुकडो नथी. डीवीडी-३३/५२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(प्रा.)विवरण प्रा., गद्य, आदि वाक्यः नाणज्झाणबलेण जेण निहया रागाइणो वेरिणा... पातासंघवी १७०-१, पृ. ११९, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्राकृतविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अंतमा अपूर्ण-आ विवरण मुनिचंद्रसूरिकृत चूर्णि होवी जोईए. डीवीडी-३६/५४ भांता ६८, पृ. १-१०B, सूक्ष्मार्थविचारसार सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है परन्तु ग्रन्थ संपूर्ण है. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७२/८२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्य, डतामुक्ता ४५३, पृ. २६, सप्ततिका सार्धशतक चूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(प्रा.)विवरण प्रा., गद्य, आदि वाक्यः नाणज्झाणबलेण जेण निहया रागाइणो वेरिणा... पातासंघवी १७०-१, पृ. ११९, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्राकृतविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अंतमा अपूर्ण-आ विवरण मुनिचंद्रसूरिकृत चूर्णि होवी जोईए. ___ डीवीडी-३६/५४ भांता ६८, पृ. १-१०B, सूक्ष्मार्थविचारसार सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है परन्तु ग्रन्थ संपूर्ण है. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७२/८२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति* आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७१, ग्रं.३७००, कृ.विः सूचीपत्रोमा बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. पाताहेसं १९०, पृ. १५१, सार्धशतकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १४९मुं पार्नु नथी. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०३३५, पृ. ३७, सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १६५२५, पृ. ५९, सार्धशतकप्रकरण सटीक, संपूर्ण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पातासंघवी ११३-२, पृ. ११४, सार्धशतकवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र १५९ नथी. बाकी छे ते सारां छे, पत्र २२० नथी. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ११४-१, पृ. १८२, सार्धशतकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६ टुकडो छे. पत्र १८३ नथी. पत्र १८४ना बे टुकडा छे. पत्र १८६नो एक टुकडो नथी. 848 Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५२ सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धारप्रकरण जुओ - सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१६४ सूक्ष्मार्थसप्ततिका आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११५५, गा.७५, आदि वाक्यः सिद्धो बुद्धो अणन्तो बंओभो सोमो सिवो गुरू... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २२, पृ. २९-३१, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण पे. नाम- सूक्ष्मार्थसत्तरि कुल झे.पृष्ठ-३५ सूक्ष्मार्थसप्ततिका-(सं.)टिप्पण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनं समीचीनं वस्तुसद्भावभावकं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २५, पृ. ३३-३६, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ सूक्ष्मार्थसप्ततिका-(सं.)टिप्पण आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा जिनं समीचीनं वस्तुसद्भावभावकं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २५, पृ. ३३-३६, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ सूत्रकृताङ्गगत महावीरस्तवन जुओ - सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)हिस्सा महावीरस्तवन, आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्राकृत सूत्रकृताङ्गसूत्र (सूयगडाङ्गसूत्र) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.२२००, आदि वाक्यः (१) बुज्झिज्ज तिउट्टेज्जा बन्धणं परिजाणिया।...(२) बुज्झेज्ज तिउट्टिज्जा... पाताखेत ५३-१- पे.क्र. १, पृ. १-१४५, सूयगडाङ्गसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३१-३- पे.क्र.१, पृ. १-४८, सूत्रकृताङ्ग मूल, नियुक्ति, वि-१४६८, संपूर्ण डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी १८६-२- पे.क्र. ४, पृ. ९७-११२, आचारनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ३- पे.क्र. १, पृ. १-४१, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१/११ पाताहेसं ५१- पे.क्र. ५, पृ. ?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. नाम- सूत्रकृतांग-पुंडरीक अध्ययन, पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र-४१-४४. इन पत्रों के अलावे भी दूसरे पत्र होने संभव है. कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाताहेसं १७१-१, पृ.?, सूत्रकृताङ्ग सूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- आ १७१ नंबरनी पोथी कागळनी छे. डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ६८९५, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि-१७वी, संपूर्ण पाकाहेम ९९९०- पे.क्र. १, पृ. १-४४, सूत्रकृताङ्गसूत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-४९ 849 Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०१२९, पृ. ३९ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५६१, संपूर्ण कुल ३, पृष्ठ-३९ झे. पाकाहेम १०२६२, पृ. १०२ सूत्रकृताङ्गसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रति पाणीमां भीजाईने चोटी गयेल छे. - कुल हो. पृष्ठ - १०२ पाकाहेम १०३५४, पृ. ४७ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५९९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०४५८, पृ. ८५, सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८५ पाकाहेम १०५२१, पृ. ५४, सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५४६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५४ पाकाहेम १०५२२, पृ. ६५ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६६ पाकाहेग १०५२३, पृ. ८७ सूत्रकृताङ्गसुत्र वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-८७ झे. भांका २०८ पृ. २१२ सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-४५. डीवीडी-८७ भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८. ग्रन्थान- ८६००. डीवीडी-८९ सूत्रकृताङ्गसूत्र- (प्रा.) निर्युक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः तित्थयरे य जिणवरे सुत्तकरे गणहरे य नमिऊणं । पाताखेत ५३-१- पे.क्र.२ पृ. ११८ सूयगडाङ्गसूत्रनिर्युक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे. , डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३१-३- पे.क्र. २, पृ. ४९-५४, सूत्रकृताङ्ग मूल, निर्युक्ति, वि - १४६८, संपूर्ण डीवीडी २५/४३ पाताहे ३- पे.क्र. २, पृ. ४१-४५ सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१/११ पाकाहेम ९९९० पे. क्र. २ पृ. ४४-४९ सूत्रकृतागसूत्र आदि वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे. कुल झ. पृष्ठ-४९ पाकाहेम १०४५९, पृ. ३ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा - २०५. कुल झै. पृष्ठ-४ पाकाहेम १०४६० पे. क्र. १ पृ. १५ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७ कुल डी. पृष्ठ- २३७ पाकाहेम १४८६२, पृ. ७, सूत्रकृताङ्गसूत्र निर्युक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण सूत्रकृताङ्गसूत्र (प्रा.सं.) चूर्णी " 850 Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा.,सं., पद्य, श्लोक९५००, आदि वाक्यः (१) णमो अरहन्ताणं... साहूणं... मङ्गलादीणि सत्थाणि...(२) मङ्गलादीणि सत्थाणि... तालाद ३१९, पृ. २०१, सूत्रकृताङ्गचूर्णि, वि-१४९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८०, डीवीडी-९३/९५ पाकाहेम ६५३४, पृ. १६३, सूत्रकृन्ताङ्ग सूत्र चूर्णि, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६३ पाकाहेम ६५४८, पृ. १४९, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४९ पाकाहेम ९९९१, पृ. १५१, सूत्रकृताङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १४९३८, पृ. १५५, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति चोटेली छे. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१५६ भांका १०४, पृ. २४५, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५२. डीवीडी-८४ भांका २६४, पृ. १५७, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५१. डीवीडी-९० सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-शीलाङ्काचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१२८५३, आदि वाक्यः स्वपरसमयार्थसूचकमनन्तगमपर्यायर्थगुणकलितम् | पातासंघवी ३९, पृ. २८३, सूत्रकृताङ्गवृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-२६/४४ पाताहेसं ३- पे.क्र. ३, पृ. ४६-३०३, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१/११ पाकाहेम ९९९२, पृ. २२९, सूत्रकृताङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्रमांक १९९०ना टिप्पणमां जणीव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२९ पाकाहेम ९९९३, पृ. २४१, सूत्रकृताङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४२ पाकाहेम १०४१०, पृ. १२९, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३८५३. कुल झे.पृष्ठ-१२९ पाकाहेम १०४६०- पे.क्र. २, पृ. ६-२३६, सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-१२८५०. कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाहेम १४७९२, पृ. १४६, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३८५०. कुल झे.पृष्ठ-१४८ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, 851 Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७१११- पे.क्र.३, पृ. ३-४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २३, पृ. ६२-६५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) मुनि-उपाध्याय साधुरङ्ग, सं., गद्य, ग्रं.१३४१६, आदि वाक्यः नमः श्रीवर्धमानाय स्वामिने परमात्मने... भांका २०८, पृ. २१२, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४५. डीवीडी-८७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका) गणि-हर्षकुलगणि, गुरु-आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५८३, श्लोक६६००, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीजिनं वीरं गौतमादिगुरूंस्तथा... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित, वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८. ग्रन्थाग्र-८६००. डीवीडी-८९ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५२४, पृ. ११, सूत्रकृताङ्गसूत्र वार्तिक (बालावबोध) अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)हिस्सा महावीरस्तवन (महावीरस्तवन), (सूत्रकृताङ्गगत महावीरस्तवन) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १६, पृ. २०-२१, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- महावीरस्तवन सूत्रकृताङ्गगत अध्ययन कुल झे.पृष्ठ-१७ सूत्रकृताङ्गसूत्रपर्याय मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४११, पृ. २६, सूत्रकृताङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्धपर्याय, वि-१६२७, प्रतिपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-२७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९५- पे.क्र. २, पृ. ?, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष- आकर्षक व सुन्दर लिपि. पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः तित्थयरे य जिणवरे सुत्तकरे गणहरे य नमिऊणं। पाताखेत ५३-१- पे.क्र. २, पृ. १-१८, सूयगडाङ्गसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३१-३- पे.क्र. २, पृ. ४९-५४, सूत्रकृताङ्ग मूल, नियुक्ति, वि-१४६८, संपूर्ण डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ३- पे.क्र. २, पृ. ४१-४५, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. 852 Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१/११ पाकाहेम ९९९०- पे.क्र. २, पृ. ४४-४९, सूत्रकृताङ्गसूत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-४९ पाकाहेम १०४५९, पृ. ३, सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२०५. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०४६०- पे.क्र. १, पृ. १-५, सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३७ पाकाहेम १४८६२, पृ. ७, सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)हिस्सा महावीरस्तवन (महावीरस्तवन), (सूत्रकृताङ्गगत महावीरस्तवन) आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १६, पृ. २०-२१, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- महावीरस्तवन सूत्रकृताङ्गगत अध्ययन कुल झे.पृष्ठ-१७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.सं.)चूर्णी प्रा.,सं., पद्य, श्लोक९५००, आदि वाक्यः (१) णमो अरहन्ताणं... साहूणं... मङ्गलादीणि सत्थाणि...(२) मङ्गलादीणि सत्थाणि... तालाद ३१९, पृ. २०१, सूत्रकृताङ्गचूर्णि, वि-१४९१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८०, डीवीडी-९३/९५ पाकाहेम ६५३४, पृ. १६३, सूत्रकृन्ताङ्ग सूत्र चूर्णि, वि-१४९४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६३ पाकाहेम ६५४८, पृ. १४९, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४०मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४९ पाकाहेम ९९९१, पृ. १५१, सूत्रकृताङ्गसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १४९३८, पृ. १५५, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति चोटेली छे. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१५६ भांका १०४, पृ. २४५, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५२. डीवीडी-८४ भांका २६४, पृ. १५७, सूत्रकृताङ्गसूत्रचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५१. डीवीडी-९० सूत्रकृताङ्गसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५२४, पृ. ११, सूत्रकृताङ्गसूत्र वार्तिक (बालावबोध) अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-११ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)टीका सं., गद्य, 853 Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९५ पेक्र. २. पृ. ? कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष आकर्षक व सुन्दर लिपि पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित - सूत्रकृताङ्गसूत्र - (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका) " मुनि - उपाध्याय साधुरङ्ग, सं. गद्य ग्रं. १३४१६, आदि वाक्यः नमः श्रीवर्धमानाय स्वामिने परमात्मने..... भांका २०८ पृ. २१२ सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-४५. डीवीडी-८७ सूत्रकृताङ्गसूत्र- (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका) गणि-हर्षकुलगणि, गुरु- आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५८३, श्लोक६६००, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीजिनं वीरं गौतमादिगुरुस्तथा... कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८. ग्रन्थान- ८६००, - डीवीडी-८९ सूत्रकृताङ्गसूत्र (सं.) पर्याय सं. गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ३, पृ. ३-४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २३, पृ. ६२-६५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-८४ सूत्रकृताङ्गसूत्र (सं.) वृत्ति आचार्य शीलाङ्काचार्य, सं., गद्य ग्रं. १२८५३ आदि वाक्यः स्वपरसमयार्थसूचकमनन्तगमपर्यायर्थगुणकलितम् । पातासंघवी ३९ पृ. २८३. सुत्रकृताङ्गवृत्ति, अपूर्ण . " प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी- २६/४४ पाताहे ३- पे.क्र. ३. पृ. ४६-३०३ सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४ संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-१/११ पाकाहेम १९९२ पृ. २२९ सूत्रकृताङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पत्रमां क्रमांक १९९०ना टिप्पणमां जणीव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ-२२९ पाकाहेम १९९३ पृ. २४१, सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति वि-१६मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २४२ पाकाहेम १०४१०, पृ. १२९ सूत्रकृतागसूत्रवृत्ति, वि-१७मी संपूर्ण " प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र-१३८५३. कुल झे. पृष्ठ- १२९ पाकाहेम १०४६०- पे.क्र. २, पृ. ६ - २३६, सूत्रकृताङ्गसूत्र निर्युक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र - १२८५०. कुल झे. पृष्ठ- २३७ पाकाहेम १४७९२, पृ. १४६, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१३८५०. कुल डी. पृष्ठ- १४८ 854 Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूत्रकृतागसूत्रपर्याय मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४११ पृ. २६, सूत्रकृतागसूत्र प्रथम श्रुतस्कन्धपर्याय, वि- १६२७ प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७ कृति उपरथी प्रत माहिती सूयगडाङ्गसूत्र जुओ - सूत्रकृताङ्गसूत्र, आचार्य - सुधर्मास्वामी, प्राकृत, ग्रं. २२०० सूरपन्नति जुओ - सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र, प्राकृत, ग्रं. २२०० सूरिगुणस्वरूपगाथा प्रा., पद्य, • पाकाहेम १२३८१ पे क्र. २. पृ. ३. जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम- सूरिगुणस्वरूपगाथा सह (सं.) टीका सूरिगुणस्वरूपगाथा - (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२३८१- पे क्र. २. पृ. ३. जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम- सूरिगुणस्वरूपगाथा सह (सं.)टीका सूरिगुणस्वरूपगाथा (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२३८१- पे क्र. २, पृ. ३. जैनागमस्तव सटीक पञ्चपाठ आदि वि-१५१८, संपूर्ण पे. नाम सूरिगुणस्वरूपगाथा सह (सं.) टीका सूरिनामगर्भित नेमिनाथस्तवन (नेमिनाथस्तवन सूरिनामगर्भित ), ( आचार्यनामगर्भित नेमिनाथस्तवन) सं., पद्य, श्लोक १०, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २८, पृ. ६६-६७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं. १०१२ को भूल से नं. १०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है.. सूरिमन्त्रपटालेखनविधि जुओ - आमेरु महामन्त्र, आचार्य-पूर्णचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा. १३ सूरिविजय महामन्त्र प्रा., आदि वाक्यः ॐनमो जिणाणं मना (स्ना) नं... " कृ.विः अन्तिमवाक्य- ॐ वगु (ग्गु ? ) वगु महु महुरे प्राकार. भांता ७०- पे.क्र. ४, पृ. ४B- ५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३८०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५००- २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ सूरिविद्यास्तोत्र जुओ- अरिहाणस्तोत्र, आचार्य - मानदेवसूरि, प्राकृत, गा. १० सूर्य आभ्यन्तर मण्डल विवरण प्रा., सं., पद्य, आदि वाक्यः सव्वेसिं सूराणं अग्मिन्तरमण्डल.... पातासंघवीजीर्ण ९२ पे क्र. १ पृ. ? ओघनियुक्ति आदि अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि संपूर्ण , पे. विशेष - झेरोक्ष पत्र ४ पर उपलब्ध है. सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र (सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र ), ( सुरपन्नति) प्रत विशेष जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित, झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासुची आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० प्रा., गद्य, ग्रं. २२००, आदि वाक्यः (१) नमो अरिहन्ताणं ।... तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला नामं नगरी होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा |...(२) तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला नामं नगरी होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा ।.... पातासंघवी २६- पे.क्र. १, पृ. १-५०, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका, वि-१४८१, संपूर्ण 855 Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीवीडी-२४/४२ तालाद ३१६, पृ. ६४, सूर्यप्रज्ञप्ति, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६४, डीवीडी- ९३/९५ पाकाहेग ६५७६, पृ. ३१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३१ पाकाहेम १००२२, पृ. ४२, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि - १५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे., कुल झ. पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०४१८ पृ. ४८ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२१७०. कृति उपरथी प्रत माहिती कुल डी. पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०४७३, पृ. ४१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वि-१५०३. संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १८५४. कुझे पृष्ठ-४१ पाकाभामा १९ पृ. ३९. सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१७वी संपूर्ण पुझे ४११ पृ. १३२, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रास्ताविक ३ पत्र अलग से. कुल झे. पृष्ठ- १३२ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.) वृत्ति , आचार्य मलयगिरिसूरि, सं. गद्य नं. ९१२५, आदि वाक्यः यथास्थितं जगत्सर्वमीक्षते यः प्रतिक्षणम् ।.... पातासंघवी २६- पे क्र. २, पृ. १-२३७, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका, वि-१४८१, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ भांता ५५ पृ. २, सूर्यप्रज्ञप्तिटीका, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२३५. पृष्ठ माहिती अप्राप्य. - डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ६५३८, पृ. १२१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि- १४९३, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- १२७ पाकाहेम ६५७७, पृ. ११४, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१४८४ संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र- ९५००. पत्र ६७मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ ११४ पाकाहेम १००२३, पृ. १४३ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र - ९५०० प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र ६२-६४ भेगां छे. कुल झे. पृष्ठ- १४४ पाकाहेम १०४७४, पृ. १६५, सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक - ९५००. कुल झे. पृष्ठ- १६६ पाकाभाभा १८, पृ. १६९, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७वी संपूर्ण सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.) वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ९१२५, आदि वाक्यः यथास्थितं जगत्सर्वमीक्षते यः प्रतिक्षणम् । ... पातासंघवी २६- पे.क्र. २, पृ. १- २३७, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका, वि-१४८१, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ भांता ५५, पृ. ?, सूर्यप्रज्ञप्तिटीका, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १ २३५. पृष्ठ माहिती अप्राप्य. डीवीडी-७२/८१ 856 Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६५३८, पृ. १२१, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४९३, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२७ पाकाहेम ६५७७, पृ. ११४, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१४८४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५००. पत्र ६७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-११४ पाकाहेम १००२३. पृ. १४३, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५००. प्रथम पत्रमा समवसरण- सुन्दर चित्र छे. पत्र ६२-६४ भेगां छे. कुल झे.पृष्ठ-१४४ पाकाहेम १०४७४, पृ. १६५, सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-९५००. कुल झे.पृष्ठ-१६६ पाकाभाभा १८, पृ. १६९, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७वी, संपूर्ण सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र जुओ - सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र, प्राकृत, ग्रं.२२०० सूर्यशतक कवि-मयूर, सं., पद्य, का.१००, ग्रं.२६२, पाकाहेम १०७००, पृ. १८, सूर्यशतक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८७, संपूर्ण सूर्यशतक-(सं.)अवचूरि गणि-हेमसमुद्रगणि[मुनिसुन्दरसूरिश], सं., गद्य, पाकाहेम १०७००, पृ. १८, सूर्यशतक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८७, संपूर्ण सूर्यशतक-(सं.)अवचूरि गणि-हेमसमुद्रगणि[मुनिसुन्दरसूरिश], सं., गद्य, पाकाहेम १०७००, पृ. १८, सूर्यशतक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४८७, संपूर्ण सेज्जन्तवियार जुओ - शय्यान्तरविचार, प्राकृत सेवालेखकाव्य-विजयप्रभसूरिप्रत्ये लखेलो लेख (विजयप्रभसूरिप्रत्ये लखेलो लेख) सं., पद्य, श्लोक१९०, पाकाहेम ८०११, पृ.८, सेवालेखकाव्य-विजयप्रभसूरि प्रत्येलखेलो लेख, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ सोमसुन्दरसूरिचरित्र जुओ - सोमसौभाग्यकाव्य श्लोकबद्ध, मुनि-प्रतिष्ठासोम, संस्कृत सोमसुन्दरसूरिस्तुति मारुगूर्जर, पद्य, आदि वाक्यः सिरितपगछनायग भुवणताय... कृ.विः भाषा? पाकाहेम १११५१- पे.क्र. २, पृ. ३०-४B, महासता-सतीकुलक आदि, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- सोमसुन्दरसूरीणांस्तुति प्रत विशेष- स्थूलाक्षर में लिखित. कुल झे.पृष्ठ-६ सोमसौभाग्यकाव्य श्लोकबद्ध (सोमसुन्दरसूरिचरित्र) मुनि-प्रतिष्ठासोम, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२४, पाकाहेम २०८८, पृ. २५, सोमसौभाग्य काव्य श्लोकबद्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाहेम ८००६, पृ. ५०, सोमसौभाग्यकाव्य-सोमसुन्दरसूरिचरित्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सौभाग्यपञ्चमीकथा पद्य गणि-कनककुशलगणि, सं., पद्य, श्लोक१५२, पाकाहेम १०१७४, पृ. ५, सौभाग्यपञ्चमीकथा पद्य, वि-१७मी, संपूर्ण 857 Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५ सौभाग्यसुन्दरीकथा नमस्कारप्रभावे (नमस्कारप्रभावे सौभाग्यसुन्दरीकथा) प्रा., पद्य, गा.१२०, पातासंघवी १५७-१- पे.क्र. ११, पृ. ११८-१३०, द्वादशकथा, विभक्तिप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ स्तम्भन पार्श्वनाथविवाहलु जुओ - थम्भणपासविवाहलुं, अज्ञात-शान्तिमन्दिरशिष्य, मारुगूर्जर, गा.३२ स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन) मुनि-रत्नसिंहसूरिशिष्य, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्यः यन्मूर्तिःस्वर्गलोके पाकाहेम ७४०४, पृ. १, स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन) मुनि-मेरुसुन्दर, अप., पद्य, गा.५, पाकाहेम १२३६६- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथलघुस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति स्तम्भनक) मारुगूर्जर, पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः सखे थाम्भणइ पासुसामि नमिजइ.. पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४१, पृ. २२७-२२८, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३१ स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र (पार्श्वनाथस्तोत्र) आचार्य-जिनसोमसूरि, सं., पद्य, का.११, आदि वाक्यः श्रीस्तम्भनं पार्श्वजिनं... पाकाहेम १२३७७- पे.क्र. १, पृ. १, स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र आदि, वि-१७मी, संपूर्ण स्तम्भनपार्श्वजिनस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन) सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः स्तुवे श्रीस्तम्भनाम्भोजं... पाकाहेम १२३७८ - पे.क्र.५, पृ. १, कल्याणकस्तोत्र आदि, वि-१६मी, संपूर्ण स्तम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध (पार्श्वनाथ प्रबन्ध). (स्थम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध) आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., रचना सं. विक्रम १४०१, पाकाहेम १४९६५, पृ. ९३, स्थम्भनपार्श्वनाथप्रबन्ध, वि-१४२४, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २२,२४,२५,२८,२९,३२,३३,४३,५६,८२,८४ नथी. स्तम्भनपार्श्वनाथ शृङ्खलालङ्कारमय स्तवन# (शृङ्खलालङ्कारमय स्तम्भनपार्श्वनाथ स्तवन), (पार्श्वनाथ स्तवन शृङ्खलालङ्कारमय) सं., पद्य, का.८, आदि वाक्यः स्तवीमि तं पार्श्व.... पाकाहेम १२३६७- पे.क्र. २, पृ. १, पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि, वि-१६मी, संपूर्ण स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव (पार्श्वनाथपञ्चविंशिका), (पार्श्वनाथस्तव) आचार्य-देवसुन्दरसूरि, सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः स्फुरत्केवलज्ञान... पाकाहेम ८५१३- पे.क्र. ३, पृ. २-२, जिनस्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- स्तम्भनकपार्श्वनाथ पंचविंशतिका, पे. विशेष- पुष्पिकान्तर्गत कर्ता में सोमसुन्दरसूरि का उल्लेख कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १२१३६- पे.क्र. २, पृ. १, गिरिनारमहातीर्थमण्डन नेमिजिनस्तवन तथा पार्श्वनाथपञ्चविंशिका, वि १६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय, आदिः श्रीमदैवताभिधान. आदिः स्फुरत्केवलज्ञानचारु. कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३३०, पृ. १, स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव, वि-१७मी, संपूर्ण स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र (पार्श्वनाथस्तोत्र) आचार्य-देवभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः लच्छीलीलाभवणं थम्भणयपइट्ठियस्स पासस्स... 858 Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ५४-१- पे.क्र. ३, पृ. ९८-९९, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण पे. नाम- स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०. ___ कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित# (हरिशब्दार्थगर्भित स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र), (पार्श्वनाथस्तोत्र) आचार्य-नयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२५७, का.९, आदि वाक्यः सेढीतटस्तम्भनकप्रतिष्ठ... पाकाहेम १२३२३- पे.क्र. १, पृ. १, स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित आदि , वि-१७मी, संपूर्ण स्तव जुओ - जिनस्तव, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत, श्लोक२० स्तवनचतुर्विंशतिका जुओ - जिनस्तवनचतुर्विंशतिका, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, ग्रं.१५५ स्तुति अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित जुओ - अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित स्तुति, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.१२ स्तुति आचार्यनामगर्भित जुओ - आचार्यनामगर्भित स्तुति, संस्कृत, श्लोक७ स्तुति द्वात्रिंशिका सं., पद्य, का.३४, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३५, पृ. १२४-१२६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ स्तुति द्वात्रिंशिका अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः विणनयरी नाभि मरुदेवि तसु नन्दणु पढमजिणु पहु वसहलञ्छणु... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३६, पृ. १२७-१२८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - चतुर्विंशतिजिनस्तुति, आचार्य-सोमप्रभसूरि, संस्कृत, का.२७ स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - शोभनस्तुति, मुनि-शोभन, संस्कृत, का.९६ स्तुतिचतुर्विंशतिका-क्रियागुप्त विविध छन्दोमयी जुओ - क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिकाविविध छन्दोमयी, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत, श्लोक२५ स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय (जिनस्तुतिस्तोत्रसमुच्चय) आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, पाकाहेम ८५१२, पृ. ८, स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित (त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित स्तोत्रकोष), (चतुर्विंशतिकास्तुति) गणि-जगमाल, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६३१, पाकाहेम ८५००, पृ.८, स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ स्तोत्रसङ्ग्रह युष्मदस्मद्रूपगर्भित-(सं.)टीका गणि-सोमदेव गणि, सं., गद्य, पाकाहेम १२२९४, पृ. ४, युष्मदस्मद्रूपगर्भितस्तोत्रसङ्ग्रह सटीक पञ्जपाठ अष्टादशस्तवी, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ स्तोत्रावली सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा जगद्गुरुदेवं... पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र.५, पृ. १, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-६० स्त्रीनिर्वाण आचार्य-शाकटायन भदन्तपाद[यापनीय], सं., पद्य, श्लोक४५, आदि वाक्यः प्रणिपत्य भुक्तिमुक्तिप्रदममलं धर्ममर्हतो दिशतः... पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १, पृ. ११-१३, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ 859 Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., आदि वाक्यः इह च ये स्त्रीनिर्वाणं प्रति विप्रतिपद्यन्ते, त एवं वाच्या..... पाताहेसं १८८- पे.क्र. २, पृ. २४-६६, गौडवधादि छ ग्रन्थो, संपूर्ण स्त्रीनिर्वाण केवलिभुक्ति " प्रत विशेष गायकवाड केटलॉगमां त्रणज ग्रन्थो छे. झेरोक्ष पत्रांक १३-३२ कुल २० पत्रो छे कुल झे. पृष्ठ ३२, डीवीडी-१०/१९ स्त्रीनिर्वाणसिद्धिवादस्थल सं. गद्य, आदि वाक्यः सर्व वाक्यं सावधारणं प्रवर्त्तते.... भांका २९२ पे क्र. १६. पृ. २९B-३२०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण ये नाम स्त्रीनिर्वाणसिद्धि-रत्नावतारितायां कुल झे. पृष्ठ- २०, डीवीडी-९१ स्त्रीमुक्तिव्यवस्थापनवादस्थल सं. गद्य, पाकाहेम ८८०३, पृ. १, स्त्रीमुक्तिव्यवस्थापनवादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ स्थण्डिलचक्र जुओ सविचारस्थण्डिलचक्र, प्राकृत संस्कृत, गा. १० स्थम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध जुओ स्तम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध, आचार्य मेरुतुङ्गसूरि, संस्कृत स्थविराकथा देवत्वे जुओ देवत्वे स्थविराकथा (जिनपूजा उपर), संस्कृत, श्लोक ८२ स्थविरावलि (थेरावती) आचार्य हरिभद्रसूरि प्रा., पद्य, पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. ४, पृ. १११-१२०, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- १११-१२० - डीवीडी-३७/५४ पाताहे १०५ पे क्र. १ पृ. १३१ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि अपूर्ण पे. नाम- स्थविरावली सह वृत्ति, पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र - १-८ पाठ व्यवस्थित नहीं मिलता है. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२, डीवीडी-७/१६ स्थविरावलि-(सं.)वृत्ति सं. गद्य, पाताहे १०५ पे. क्र. १ पृ. १५३ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि अपूर्ण पे. नाम- स्थविरावली सह वृत्ति, पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र - १-८ पाठ व्यवस्थित नहीं मिलता है. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ स्थविरावलि - (सं.) वृत्ति सं., गद्य, पाताहे १०५ पे.क्र. १ पृ. १५३ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि अपूर्ण पे. नाम- स्थविरावली सह वृत्ति, पे. विशेष- त्रुटक. झेरोक्ष पत्र - १-८. पाठ व्यवस्थित नहीं मिलता है. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२, डीवीडी-७/१६ स्थविरावली जुओ नन्दी सूत्रनो हिस्सो (प्रा.) स्थविरावली, वाचक देववाचक, प्राकृत, गा. ५० स्थविरावली - H.. पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. ५, पृ. ९७-१०५, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण डीवीडी - २९/४७ स्थविरावलीचरित -महाकाव्य जुओ परिशिष्टपर्व आचार्य हेमचन्द्रसूरि संस्कृत श्लोक३५०० 860 - Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती स्थविरावलीयुगल- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ४ पृ. ८-९ वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमां मुकेली प्रति कुल झे. पृष्ठ- १० स्थानकस्तवन जुओ पत्थियसमत्थस्थानकस्तवन, प्राकृत, गा. १३ स्थानप्रकरण जुओ मूलशुद्धिप्रकरण आचार्य प्रद्युम्नसूरि प्राकृत, गा. २१४ स्थानाङ्गसूत्र (ठाणाङ्ग सुत्त) - " आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं. ३३००, आदि वाक्यः सुर्य में आउसे तेणं भगवया एवमक्खायं एगे आया एगे दण्डे ... पातासंघवी ३१-२, पृ. १००, स्थानाङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी- २५/४३ पाताहेसं ८६, पृ. १८५, स्थानाङ्गसूत्र अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहे १७१-१०, पृ. ५. स्थानाङ्गसूत्र अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-२/१८ भांता ६०, पृ. २१० स्थानाङ्गसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-५९. ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-७५, डीवीडी-७२/८१ पाकाम ९९९४, पृ. ६९ स्थानाङ्गसूत्र वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झ. पृष्ठ-७० पाकाहेम १०३६३, पृ. ८६ स्थानाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८७ पाकाहेम १०४४५. पू. ११८ स्थानाङ्गसुत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६७-६८ भेगां अने ८७मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-७९ पाकाहेम १०५२५, पृ. ९९ स्थानाङ्गसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १०० पाकाहेम १०५२६, पृ. ७८, स्थानाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ-५४ पाकाहेम १०५५८, पृ. १०६ स्थानाङ्गसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र- ४७५१ प्रति एक बाजुथी उंदरे घणी ज करडेली छे. पाकाहेम १४८४७, पृ. ६१ स्थानागसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३७७०. कुल झे. पृष्ठ-६२ स्थानाङ्गसूत्र- (सं.) वृत्ति आचार्य अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं. १४२५०, आदि वाक्यः श्रीवीरं जिननाथं त्वा स्थानाङ्गकतिपयपदानाम् ।.... कु. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवीजीर्ण २६ पृ. ४५२ स्थानाङ्गवृत्ति, वि-१३४६ त्रुटक प्रत विशेष- अस्तव्यस्त - त्रुटक-नकामी., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५६/५९ 861 Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ३८, पृ. ३६८, स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष प्रत वळेली छे पण सारी. डीवीडी - २६/४४ पाकाहेम १०४६१ पृ. २९७ स्थानाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६१३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - १४०००. कुल झे. पृष्ठ-२९८ पाकाम १४७९६ पृ. २५४ स्थानाङ्गसुत्रवृत्ति, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२७० स्थानाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्तिगत गाथाविवरण मुनि-सुमतिकल्लोल, मुनि - हर्षनन्दन, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १७०५, ग्रं. ११०००, लिंता ४३२, पृ. ३६७, स्थानाङ्गसूत्रगतगाथाविवरण, वि-१७१४, संपूर्ण पाकाहेम ६८९६, पृ. ४०० स्थानाङ्गसूत्र वृत्तिगतगाथाविवरण, वि-१८मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ४०१ स्थानाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ४, पृ. ४-५ सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २४, पृ. ६५-६८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४ स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.) ठाणाङ्गगत पाठ (वाणाङ्गगत पाठ) (ठाणाङ्गसूत्र आलापक) प्रा.. पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र. ३, पृ. ४-४१,४३,४५, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवी ६२-२- पे. क्र. १४, पृ. ७४-९६, सामाचारी आदि संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ स्थानाङ्गसूचना बोल " मारुगूर्जर, पाकाहेम १०५२७, पृ. ५६ स्थानाद्गसूत्र ना बोल, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५६ स्थानाङ्गसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ४, पृ. ४-५ सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २४, पृ. ६५-६८, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४ स्थानाङ्गसूत्र-(सं.) वृत्ति आचार्य अभयदेवसूरि, सं. गद्य रचना सं. विक्रम ११२० नं. १४२५० आदि वाक्यः श्रीवीरं जिननाथं नत्वा स्थानाङ्गकतिपयपदानाम् ।... कृ.वि: विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवीजीर्ण २६ पृ. ४५२ स्थानाङ्गवृत्ति, वि-१३४६ त्रुटक , प्रत विशेष- अस्तव्यस्त - त्रुटक-नकामी., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका .. डीवीडी-५६/५९ 862 Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ३८, पृ. ३६८, स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- , प्रत वळेली छे-पण सारी. डीवीडी-२६/४४ पाकाहेम १०४६१, पृ. २९७, स्थानाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६१३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४०००. कुल झे.पृष्ठ-२९८ पाकाहेम १४७९६, पृ. २५४, स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७० स्थानाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्तिगत गाथाविवरण मुनि-सुमतिकल्लोल, मुनि-हर्षनन्दन, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १७०५, ग्रं.११०००, लिंता ४३२, पृ. ३६७, स्थानाङ्गसूत्रगतगाथाविवरण, वि-१७१४, संपूर्ण पाकाहेम ६८९६, पृ. ४००, स्थानाङ्गसूत्र वृत्तिगतगाथाविवरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४०१ स्थानाङ्गसूत्र-(सं.)वृत्तिगत गाथाविवरण मुनि-सुमतिकल्लोल, मुनि-हर्षनन्दन, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १७०५, ग्रं.११०००, लिंता ४३२, पृ. ३६७, स्थानाङ्गसूत्रगतगाथाविवरण, वि-१७१४, संपूर्ण पाकाहेम ६८९६, पृ. ४००, स्थानाङ्गसूत्र वृत्तिगतगाथाविवरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४०१ स्थानाङ्गसूत्रना बोल मारुगूर्जर, पाकाहेम १०५२७, पृ. ५६, स्थानाङ्गसूत्र ना बोल, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ स्थानाङ्गसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)ठाणाङ्गगत पाठ (ठाणाङ्गगत पाठ), (ठाणाङ्गसूत्र आलापक) प्रा., पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र. ३, पृ. ४-४१,४३,४५, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १४, पृ. ७४-९६, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ स्थापनाकल्प-लघु (लघुस्थापनाकल्प) सं., पाकाहेम ८२२६- पे.क्र. ३, पृ. १, सारङ्गशब्दषष्टिअर्थगर्भितवीरस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ स्थापनाचार्य प्रतिष्ठा विधि प्रा., गद्य, आदि वाक्यः करेमि भन्ते सामाइयं गोयमसामी भट्टारगं भणइ... भांता ७०- पे.क्र.७६, पृ. ९६०-९७A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ स्थापनाचार्यप्रक्रम जुओ - सिद्धपूजाप्रक्रम, नैवेद्यप्रक्रम, प्रदीपारात्रिकप्रक्रम, पूजाप्रक्रम, मातरपूजाप्रक्रम, स्थापनाचार्यप्रक्रम, षड्विधावश्यकप्रक्रम, आर्यिकाप्रक्रम, संस्कृत,प्राकृत स्थापनाचार्यविचार 863 Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम १०७७९- पे.क्र. २, पृ. १-४, पाक्षिकविचार आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ स्थापनाद्विपञ्चाशिका पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.५२, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. १३, पृ. ३६-३७, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-५० स्थितास्थितकल्प विधि आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५२, आदि वाक्यः नमिऊण जिणं वीरं ठियाइकप्पं समासओ बुच्छं... पाकाहेम १२७५५- पे.क्र.८, पृ. ९०-९B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ स्थितिस्थानकुलक आचार्य-जिनदत्तसूरि, प्रा., पद्य, गा.१७, पाकाहेम ११०७९, पृ. १, स्थितिस्थानकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण स्थूलभद्रस्वामिचरित्र आचार्य-जयानन्दसूरि, सं., पाकाहेम १०६४४, पृ. ११, स्थूलभद्रस्वामिचरित्र पद्य, वि-१४८२, संपूर्ण स्थूलिभद्रकथानक प्रा., पद्य, गा.१२, आदि वाक्यः इत्थ भारहि... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४२, पृ. ८४अ-८६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. परन्तु पूर्णता व कृति स्पष्ट नहीं है. झेरोक्ष पत्र-४७-४९. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ स्नातस्या-वीरस्तुति (वीरजिनस्तुति), (वर्धमानस्तुति) आचार्य-बालचन्द्रसूरि, सं., पद्य, का.४, आदि वाक्यः स्नातस्या प्रतिमस्य मेरुशिखरे... पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ४०, पृ.७८, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल __ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०६५०- पे.क्र. २, पृ. १, भयहरस्तोत्र व स्नातस्या-वीरस्तुति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२३७०- पे.क्र. ३, पृ. १, मङ्गलाष्टक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण स्नात्र महोत्सव जुओ - महावीरजिन स्नात्र महोत्सव, स्नात्रकुसुमाञ्जलि सं.,प्रा.,अप., पद्य, आदि वाक्यः मुक्तालङ्कारविकारसारसौम्यत्वकान्तिकमनीयं.. पाताखेत २३- पे.क्र. २०, पृ. ३४०-३४१, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ स्नानाष्टक मुनि-पङ्कजनन्दि, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः सन्माल्यादि यदीय सन्निधिदशा... भांका २९३- पे.क्र.७, पृ. ३७B-३८B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है. कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ 864 Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती स्यादिप्रक्रम आचार्य-अमरचन्द्रसूरि, सं., ग्रं.२४४, पाकाहेम १०११५- पे.क्र.२, पृ. ११-१६, शब्दसञ्चय आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ स्यादिसमुच्चय आचार्य-अमरचन्द्रसूरि[वायडगच्छ], सं., ग्रं.१२६७, पाकाहेम ६८६९- पे.क्र. २, पृ. ३८-६७, क्रियाकलाप तथा स्यादिसमुच्चय, वि-१४८५, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-२०००. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०१०७, पृ. ३७, स्यादिसमुच्चय, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३७ पाकाहेम १०३८१, पृ. १९, स्यादिसमुच्चय, वि-१४९५, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ स्याद्वादचूलिका आचार्य-अमृतचन्द्राचार्य (दिगम्बर)[दिगम्बर], सं., पद्य, श्लोक३२, आदि वाक्यः अत्र स्याद्वादशुद्ध्यार्थं वस्तुतत्त्वव्यवस्थितिः... कृ.विः कुन्दकुन्दाचार्य रचित समयससार की समाप्ति विषयक उठे विचारस्वरूप यह कृति बनायी गयी है. भांका २८४, पृ. ४२, स्याद्वादचूलिका सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७८४. अन्त में श्लोकानुक्रमणिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९१ स्याद्वादचूलिका-(हि.)भाषाटीका हिन्दी, गद्य, आदि वाक्यः भूयः अपि मनाक् चिन्त्यते भूयः अपि कहता... कृ.विः भाषा-प्राचीन हिन्दी. भांका २८४, पृ. ४२, स्याद्वादचूलिका सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७८४. अन्त में श्लोकानुक्रमणिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९१ स्याद्वादचूलिका-(हि.)भाषाटीका हिन्दी, गद्य, आदि वाक्यः भूयः अपि मनाक् चिन्त्यते भूयः अपि कहता... कृ.विः भाषा-प्राचीन हिन्दी. भांका २८४, पृ. ४२, स्याद्वादचूलिका सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७८४. अन्त में श्लोकानुक्रमणिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-९१ स्याद्वादपुष्पकलिका सं., पद्य, श्लोक१४६, आदि वाक्यः नत्वा संयमवामेयं गुरुनौनिधिवाचकं... भांका १६२, पृ. ५, स्याद्वादपुष्पकलिका, वि-२०वी, संपूर्ण प्रत विशेष- भण्डारसंदर्भाक-८६९/९५-१९०२. श्लोक-१३९ तक है. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८६ स्याद्वादमञ्जरी टीका जुओ - अन्ययोगव्यवच्छेदवीरद्वात्रिंशिका-(सं.)स्याद्वादमञ्जरी टीका, आचार्य-मल्लिषेणाचार्य, संस्कृत, श्लोक२८०० स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति जुओ - प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति, आचार्य-वादिदेवसूरि, संस्कृत, ग्रं.७२८४ स्याद्वादरत्नाकरावतारिका टीका जुओ - प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)रत्नाकरावतारिका टीका, आचार्य-रत्नप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.५००० स्याद्वादविरोधपरिहारवादस्थल सं., गद्य, 865 Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७९३- पे.क्र. १, पृ.?, स्याद्वादस्थापनवादस्थल आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- षड्दर्शनसमुच्चयलघुवृत्तिगत आ वादस्थलो छे. कुल झे.पृष्ठ-५ स्वप्नचिन्तामणि जैनेतर-जगदेव, सं., पद्य, श्लोक३१३, पाकाहेम १६४८१- पे.क्र. १, पृ. १-९, स्वप्नचिन्तामणि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ स्वप्नफल प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः चिन्तइज... पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १८, पृ. १०९B, सामाचारी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण जुओ - आगमोद्धारगाथा, प्राकृत, गा.७१ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-सर्वदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२८७, ग्रं.९७०, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र.२, पृ. २८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरणगतगाथा प्रा., पद्य, गा.३८, आदि वाक्यः किञ्चोदाहरणाई बहुजणमहिगिच्च पुव्वसूरीहिं। एत्थं णिदंसियाई एयाइं इमम्मि कालम्मि||१||... पाकाहेम ६५९६- पे.क्र. २, पृ. १-२८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति आचार्य-सर्वदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२८७, ग्रं.९७०, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र.२, पृ. २८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नाध्याय सं., पद्य, श्लोक४२, पाकाहेम १६४८१- पे.क्र. २, पृ. ९-१०, स्वप्नचिन्तामणि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ स्वप्नाष्टकविचार गणि-जिनवल्लभ, प्रा., गद्य, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र.३, पृ. १-२८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नाष्टकविचार-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र. ३, पृ. २८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वप्नाष्टकविचार-(सं.)टीका उपाध्याय-जिनपाल, सं., गद्य, पाकाहेम ६५९६- पे.क्र. ३, पृ. २८, कर्मविपाककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ स्वयम्भूस्तोत्र (चतुर्विंशतिजिनस्तवन) आचार्य-समन्तभद्र[दिगम्बर], सं., पद्य, आदि वाक्यः स्वयम्भुवा भूतहितेन भूतं... पाकाहेम ८५१५, पृ. ५, स्वयम्भूस्तोत्र, वि-१६मी, संपूर्ण 866 Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम १०६६८, पृ. ५, स्वयम्भूस्तोत्र-चतुर्विंशतिजिनस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १६१८४- पे.क्र. २, पृ. ३-६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- स्वयम्भूस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ स्वयम्भूस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १६१८४- पे.क्र.२, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- स्वयम्भूस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ स्वयम्भूस्तोत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १६१८४- पे.क्र.२, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. नाम- स्वयम्भूस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे.पृष्ठ-७ स्वरोदयवार्ता ब्रज, गद्य, आदि वाक्यः टेस्टीङ्ग आदिवाक्य... पाकाहेम १४५०८, पृ. २, स्वरोदयवार्ता, वि-१९मी, संपूर्ण स्वाध्यायप्रस्थापनविधि (सज्झायपट्ठवणविहि), (योगद्वहनविधि) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः तयाणन्तरं वाणायरिओ जोगवाहिणो य सज्झायं पट्ठवन्ति... कृ.विः अन्तिमवाक्य-तओ वंदणं दाऊण...एसा सज्झायपट्ठवणविही. भांता ७०- पे.क्र. २३, पृ. ३०B-३१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३८८. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ स्वाध्यायसमाप्तिगुरूपृच्छा जुओ - अष्टप्रवचनमातागाथा, प्राकृत, गा.२० स्वान्तोद्भवविकल्पप्रकाशनवैराग्यस्तव जुओ - रत्नाकरपच्चीशी, आचार्य-रत्नाकरसूरि, संस्कृत, का.२५ हंसपादकथा सं.. पाकाहेम ७४३३- पे.क्र. ३, पृ. ?, देवकथा गद्य आदि, वि-१५१६, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० हंसाष्टक सं., पद्य, श्लोक९, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ३, पृ. १-२, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र.३, पृ. ३, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-६ हनुमानविद्याधरराजर्षि अञ्जनासतीचरित्र-पद्य जुओ - अञ्जनासती-हनुमानविद्याधरराजर्षिचरित्र-पद्य, संस्कृत, श्लोक३०९ हरमेखलोद्धार सं.. 867 Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८९२१- पे क्र. ६ पृ. १-२ मयूरशिखाकल्प आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ हरस-मसा औषधादि गुजराती, गद्य, पाकाहेग ५१०८- पे.क्र. ३ पृ. १, श्वेतार्ककल्प श्वेतरिङ्गिणीकल्प व हरस-मसा औषधादि वि-१७मी, संपूर्ण हरिणाष्टक सं., पद्य, श्लोक, पाकाहेम १३७५- पे.क्र. ७, पृ. २-३, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र. ७ पृ. ७ अष्टकानि आदि वि-१८मी, संपूर्ण T प्रत विशेष उदरे करडेली छे. कुल झै. पृष्ठ-६ हरितत्त्वमुक्तावली जुओ हरिमीडेस्तोत्र, यति शङ्कराचार्य, संस्कृत श्लोक४४ हरिमीडेस्तोत्र (हरितत्त्वमुक्तावली), (हरिस्तुति) हरियाली यति-शङ्कराचार्य, सं., पद्य, श्लोक४४, आदि वाक्यः स्तोष्ये भक्त्या विष्णुमनादि जगदादिं यस्मिन्... भांका ८५, पृ. ३८, हरिमीडेस्तोत्र सह टीका, वि-१८३१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २६, डीवीडी - ८४ हरिमीडेस्तोत्र (सं.) टीका यति स्वयम्प्रकाशस्वामि, सं., पद्य, आदि वाक्यः नित्यं निजानन्द सदद्वितीयं शुद्धं विभुं सत्यमिति स्वतन्त्रं .... भांका ८५, पृ. ३८. हरिमीडेस्तोत्र सह टीका, वि-१८३१, संपूर्ण हरिमीडेस्तोत्र (सं.) टीका यति-स्वयम्प्रकाशस्वामि, सं., पद्य, आदि वाक्यः नित्यं निजानन्द सदद्वितीयं शुद्धं विभुं सत्यमिति स्वतन्त्रं .... भांका ८५, पृ. ३८, हरिमीडेस्तोत्र सह टीका, वि - १८३१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ २६, डीवीडी-८४ कुल झे. पृष्ठ २६, डीवीडी-८४ उपाध्याय यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा८, आदि वाक्यः एक पुरुष अति दीपतो रे लो..... अताका ४७९ - पे.क्र. ३, पृ. १आ, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. कुल हो. पृष्ठ- २५, डीवीडी - १०३/१०४ हरिवंशपुराण पुष्पदन्त, अप., पद्य, ग्रं. ११५००, आदि वाक्यः पणवेवि गुरूपयइ भव्वहं तमोहतिमिरन्धहं.... कृ.विः अं. वाक्य- सुविहिहिं अरुहहो नित्यं करहो... विविह जम्मभम्म हरइं. भांका ३१०, पृ. ९३, हरिवंशपुराण, वि-१४४१, संपूर्ण हरिवाहन चरित्र हरिविक्रमचरित्र प्रत विशेष- सूचिक्रम-४ -११६२. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. ग्रन्थाग्र - ११५००. डीवीडी- ९२ वताहंस ४४३ पृ. ८०, हरिवाहन चरित्र, संपूर्ण डीवीडी- ९९/१०० आचार्य- जयतिलकसूरि [आगमिकगच्छ], सं., पाताहे ७१ पृ. ९८, हरिविक्रमचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाकाहेम १०१६७, पृ. ७५, हरिविक्रमचरित्र पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण 868 Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-७६ हरिशब्दार्थगर्भित जिनस्तवन जुओ - जिनस्तवन हरिशब्दार्थगर्भित, अज्ञात-विशालराज, संस्कृत, का.१० हरिशब्दार्थगर्भित स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित#, आचार्य-नयचन्द्रसूरि, संस्कृत, का.९ हरिश्चन्द्रराजकथानक जुओ - पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध नो हिस्सो हरिश्चन्द्रराजकथानक, आचार्य-भावदेवसूरि, संस्कृत हरिस्तुति जुओ - हरिमीडेस्तोत्र, यति-शङ्कराचार्य, संस्कृत, श्लोक४४ हर्षपुरीय पार्श्वनाथस्तुति जुओ - पार्श्वनाथस्तुति हर्षपुरीय, संस्कृत, का.४ हलायुधकाव्य जुओ - कविरहस्य, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, ग्रं.२९९ हस्तकाण्ड लक्षणविषयक (लक्षणविषयक हस्तकाण्ड) मुनि-पार्श्वचन्द्र, सं., पद्य, श्लोक९९, पाकाहेम ८७३- पे.क्र. १, पृ. १-४, हस्तकाण्ड, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-१००. कुल झे.पृष्ठ-५ पाकाहेम १९६३, पृ. ३, हस्तकाण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- बीजु पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-३ हस्तरेखा विज्ञान प्रा.. वताकांति ४३८, पृ.७, हस्तरेखा विज्ञान प्राकृत, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ हस्तसञ्जीवनी उपाध्याय-मेघविजय, सं., पद्य, श्लोक५२५, पाकाहेम १३५८०, पृ. २१, हस्तसञ्जीवनी हस्तचित्रसह, वि-१८७७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति ऊधईए करडेली छे., सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१५ हस्तिपालस्वप्नफल (पुण्यपाल स्वप्नफल) सं., पद्य, श्लोक५०, पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १७, पृ. १०६-११०, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षर अवाच्य होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. ___ कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ हानर्षिगणिए हेमविमलसूरिनी शाळामां मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो (हेमविमलसूरिनी शाळामा हानर्षिगणिए मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो) मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७७०, पृ. १९, हानर्षिगणिए हेमविमलसूरिनी शाळामां मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ हारबद्ध पञ्चजिनस्तवन जुओ - पञ्चजिनस्तव हारबन्ध, आचार्य-कुलमण्डनसूरि, संस्कृत, श्लोक२३ हास्यचूडामणिप्रहसन कवि-वत्सराज महामात्य, सं., ग्रं.३७२, आदि वाक्यः कल्याणं वितरन्तु वः पृथुजटाजूटाग्रविस्तारिण... पाताखेत ४१-१- पे.क्र.२, पृ. २०-५१, कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय,, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-६२/६४ हिंसाष्टक आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अविधायापि हि हिंसा हिंसाफलभाजनम... 869 Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११३६८ - पे.क्र. २, पृ. ४५-५६, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ हिंसाष्टक-(सं.)स्वोपज्ञ टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अपारावारावारसंसारतल्प... पाकाहेम ११३६८ - पे.क्र. २, पृ. ४५-५६, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ हिंसाष्टक-(सं.)स्वोपज्ञ टीका आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः अपारावारावारसंसारतल्प... पाकाहेम ११३६८- पे.क्र. २, पृ. ४५-५६, ज्ञानसार व हिंसाष्टक सह स्वोपज्ञ टबार्थ, वि-१८६९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५७ हिताचरणप्रकरण उपाध्याय-सकलचन्द्र[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-दानसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, श्लोक१२४३९, पाकाहेम १४६०, पृ. २७१, हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ बीजक सहित. कुल झे.पृष्ठ-१८२ हिताचरणप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-सकलचन्द्रतिपागच्छ], गुरु-आचार्य-दानसूरितिपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.१२४३९, पाकाहेम १४६०, पृ. २७१, हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ बीजक सहित. कुल झे.पृष्ठ-१८२ हिताचरणप्रकरण-(सं.)बीजक सं., गद्य, पाकाहेम १४६०, पृ. २७१, हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ बीजक सहित. कुल झे.पृष्ठ-१८२ हिताचरणप्रकरण-(सं.)बीजक सं., गद्य, पाकाहेम १४६०, पृ. २७१, हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ बीजक सहित. कुल झे.पृष्ठ-१८२ हिताचरणप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-सकलचन्द्र[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-दानसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, ग्रं.१२४३९, पाकाहेम १४६०, पृ. २७१, हिताचरणप्रकरण सह स्वोपज्ञ टीका व बीजक त्रिपाठ, वि-१६३०, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ बीजक सहित. ___ कुल झे.पृष्ठ-१८२ हितोपदेशकुलक जुओ - उपदेशकुलक, आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.२५ हितोपदेशकुलक प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः (१) भो भव्वा सवणञ्जलीहिं दुहदाह...(२) भो भो भव्वा सवणञ्जलीहिं दुहदाहयसमणसमत्थं.. पातासंघवी ५९-२- पे.क्र.५, पृ. २२-२५, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ भांता ६९- पे.क्र. २०, पृ. १४२B-१४५A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ 870 Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १११५३- पे.क्र.५, पृ. ५-६, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ हितोपदेशकुलक आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः सुणेह भो भव्वजणा भवित्ता सम्म... पातासंघवी ५९-२- पे.क्र. ४, पृ. १९-२२, मोक्षोपदेशपञ्चाशत् आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ४, पृ. ४-५, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ हितोपदेशकुलक प्रा., पद्य, गा.८, पाकाहेम ११०८६- पे.क्र. ३, पृ. १, साधारणजिनस्तवन आदि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय. हीरविजयसूरिना १२ बोल आचार्य-हीरविजयसूरि, मारुगूर्जर, पाकाहेम ५९२९, पृ. २, हीरविजयसूरीना १२ बोल, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पानां उंदरे करडेलां छे. कुल झे.पृष्ठ-२ हुण्डीपत्र , गद्य, भांका ९५, पृ. २१, हुण्डीपत्र, संपूर्ण डीवीडी-८४ हेतुगर्भप्रतिक्रमणविधि जुओ - प्रतिक्रमणगर्भहेतु, गणि-जयचन्द्रगणि, संस्कृत हेतुबिन्दु सं., पातासंघवी २०१-२, पृ. २१५, हेतुबिन्दु तर्क सह टीका, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ हेतुबिन्दुतर्क-(सं.)टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः यः सञ्जात महाकृपो व्यसनिनं त्रातुं... कृ.विः बौद्ध न्यायनो ग्रन्थ. टीका आदिवाक्यमां 'जिनवरविद्ध्ना नमस्यामि' शब्द आवे छे. पातासंघवी २०१-२, पृ. २१५, हेतुबिन्दु तर्क सह टीका, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ हेतुबिन्दुतर्क-(सं.)टीका सं., गद्य, आदि वाक्यः यः सञ्जात महाकृपो व्यसनिनं त्रातुं... कृ.विः बौद्ध न्यायनो ग्रन्थ. टीका आदिवाक्यमां 'जिनवरविद्ध्ना नमस्यामि' शब्द आवे छे. पातासंघवी २०१-२, पृ. २१५, हेतुबिन्दु तर्क सह टीका, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह श्लोकसप्तशती जुओ - श्लोकसप्तशती हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.७०० हेमविमलसूरिनी शाळामा हानर्षिगणिए मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो जुओ - हानर्षिगणिए हेमविमलसूरिनी शाळामां मोकलावेल प्रश्नपत्रना उत्तरो, मारुगूर्जर हेयोपादेया टीका जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित, गणि-सिद्धर्षि गणि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.९५०० 871 Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती हेयोपादेया टीका-कथा रहित जुओ- उपदेशमालाप्रकरण (सं.) हेयोपादेया टीका-कथा रहित, गणि- सिद्धर्षि गणि, संस्कृत, ग्रं. ४०६१ हैम अनेकार्थकोश जुओ अनेकार्थसङ्ग्रह, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत ग्रं. १८२७ हैम अनेकार्थनाममाला जुओ अनेकार्थसङ्ग्रह, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं. १८२७ - - हैम अनेकार्थसङ्ग्रह जुओ - अनेकार्थसङ्ग्रह, आचार्य - हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत ग्रं. १८२७ हैम उणादिगण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन- उणादिगणसूत्र', आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत हैम व्याकरण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत हैम शब्दानुशासन जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन, आचार्य हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत हैमधातुपाठ आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः भू सत्तायाम् । पां पाने । ध्रां गन्धोपादानयोः । ... पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. २, पृ. ३७-६०, वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी - २९ / ४८ हैमधातुपाठसङ्क्षेप सं., गद्य, पाकाहेम ६५९९, पृ. ५, हैमधातुपाठसङ्क्षेप, वि-१५मी, संपूर्ण हैमधातुपाठसङ्क्षेप सं., गद्य, पाकाहेम ६५९९, पृ. ५, हैमधातुपाठसङ्क्षेप, वि - १५मी, संपूर्ण हैमलिङ्गानुशासन (लिङ्गानुशासन) आचार्य - हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, ग्रं. ३३८४, पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. ३, पृ. ६०-७४, वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी - २९ / ४८ पाकाहेम ७२२३, पृ. ८, हैमलिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ पाकाहेम १०२०२, पृ. ८, लिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुझे. पृष्ठ-९ पाकाभाभा ७५, पृ. ६५, लिङ्गानुशासन स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४२, संपूर्ण हैमलिङ्गानुशासन-(सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७२२३, पृ. ८ हैमलिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ पाकाहेम १०२०२, पृ. ८, लिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ हैमलिङ्गानुशासन- (सं.) विवरण आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः सिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशितानि लिङ्गानि ।... पाताखेत ४५- पे.क्र. १, पृ. १-२१८, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि- १२९२, संपूर्ण पे. विशेष ग्रन्थाग्र-३२८४. प्रत विशेष- पत्र-२१८+ १४१=३५९. कुल झे. पृष्ठ - १२८, डीवीडी-६२/६४ पाकाभाभा ७५, पृ. ६५, लिङ्गानुशासन स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि- १५४२, संपूर्ण हैमलिङ्गानुशासनना (सं.) विवरणनो (सं.) उद्धार सं., गद्य, पाकाहेम १०२०१, पृ. २१, हैमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२ हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण (पद्यबद्ध ) 872 Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-कल्याणसागरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ८५४०, पृ. २२, हैमलिङ्गानुशासन पद्यबद्ध विवरण अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रन्थ अपूर्व अने अलभ्य छे. कुल झे.पृष्ठ-१६ हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७२२३, पृ. ८, हैमलिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ पाकाहेम १०२०२, पृ. ८, लिङ्गानुशासन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः सिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशितानि लिङ्गानि।... पाताखेत ४५- पे.क्र. १, पृ. १-२१८, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि-१२९२, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-३२८४. प्रत विशेष- पत्र-२१८+१४१=३५९. कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-६२/६४ पाकाभाभा ७५, पृ. ६५, लिङ्गानुशासन स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४२, संपूर्ण हैमलिङ्गानुशासनना (सं.)विवरणनो (सं.)उद्धार सं., गद्य, पाकाहेम १०२०१, पृ. २१, हैमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण (पद्यबद्ध) आचार्य-कल्याणसागरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ८५४०, पृ. २२, हैमलिङ्गानुशासन पद्यबद्ध विवरण अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रन्थ अपूर्व अने अलभ्य छे. कुल झे.पृष्ठ-१६ हैमलिङ्गानुशासनना (सं.)विवरणनो (सं.)उद्धार सं., गद्य, पाकाहेम १०२०१, पृ. २१, हैमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ हैमविभ्रमसूत्र सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः testing Adivakya one... पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ. १-७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. २, पृ. १-७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९६, पाकाहेम १५०२५, पृ.३, हैमविभ्रमवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्घोट्ठिओ. 873 Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ.७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९६, पाकाहेम १५०२५, पृ. ३, हैमविभ्रमवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्घोट्ठिओ. पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ.७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ हैमीनाममाला जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२६३० हैमलिङ्गानुशासनना (सं.)विवरणनो (सं.)उद्धार सं., गद्य, पाकाहेम १०२०१, पृ. २१, हैमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण (पद्यबद्ध) आचार्य-कल्याणसागरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ८५४०, पृ. २२, हैमलिङ्गानुशासन पद्यबद्ध विवरण अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आ ग्रन्थ अपूर्व अने अलभ्य छे. कुल झे.पृष्ठ-१६ हैमलिङ्गानुशासनना (सं.)विवरणनो (सं.)उद्धार सं., गद्य, पाकाहेम १०२०१, पृ. २१, हैमलिङ्गानुशासनस्वोपज्ञविवरणउद्धार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ हैमविभ्रमसूत्र सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः testing Adivakya one... पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ. १-७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. २, पृ. १-७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९६, पाकाहेम १५०२५, पृ. ३, हैमविभ्रमवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्घोट्ठिओ. पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ.७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ 874 Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृति उपरथी प्रत माहिती हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९६, पाकाहेम १५०२५, पृ. ३, हैमविभ्रमवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य, कृ.विः अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्घोट्ठिओ. पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ.७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति कुल झे.पृष्ठ-६ हैमीनाममाला जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, मूल, संस्कृत, ग्रं.२६३० 875 Page #893 --------------------------------------------------------------------------