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कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.)बालावबोध
कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम ६५७०, पृ. ९, पाक्षिकसूत्रावचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९३३, पृ. ७, पाक्षिकसूत्र अवचूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम ७५०१, पृ. ९, पाक्षिकसूत्र अवचूरि, वि-१६८२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१० पाक्षिकसूत्र-(सं.)अवचूर्णि
सं., गद्य, भांका ८२- पे.क्र. २, पृ. १४B-२२A, दशवैकलिकसूत्र चूलिकायुगलावचूरि आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-११५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र क्रमांक-१-७२८, १-११५९, १-९६१. पत्र १,२ नथी.
डीवीडी-८४ पाक्षिकसूत्र-(सं.)पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी टीका (पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी)
सं., गद्य, पाकाहेम ६९४५, पृ. २, पाक्षिकविषमपदपर्यायमञ्जरी, वि-१६मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३ पाक्षिकसूत्र-(सं.)वृत्ति
आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८०, श्लोक२७००, आदि वाक्यः शिवशर्मैकनिमित्तं
विघ्नौघविघातिनं जिनं नत्वा। पाताहेसं २४- पे.क्र. १, पृ. १-९१, पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र - द्वितीय पर्व, वि-१३२७, संपूर्ण
पे. नाम- पक्षप्रतिक्रमणवृत्ति, पे. विशेष- संपूर्ण. ग्रंथाग्र-२७००., झेरोक्ष पत्र १-६८. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम
क्रमशः दिया गया है.
कुल झे.पृष्ठ-१८२, डीवीडी-३/१३ भांता ३७, पृ. १७७, पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५०.
डीवीडी-६९/७८ भांता ३८, पृ. २५९, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१२७५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५६.
डीवीडी-६९/७८ तालाद ३८५, पृ. १६०, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१४मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९४/९६ लिंता ३४१७, पृ. ३०६, पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक, वि-१३०१, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र ९५, ३०६ नथी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण
डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १४८६८, पृ. ७७, पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं.३१०० आपेल छे.
कुल झे.पृष्ठ-७६ पाखीछत्रीसी
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