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कृति उपरथी प्रत माहिती पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.३७, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. २, पृ. २-४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-५० पाणकविचार
प्रा., गद्य, पाकाहेम १२७३७, पृ. ३, पाणकविचार, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ पाणिनिव्याकरण (अष्टाध्यायी)
ऋषि-पाणिनि[जैनेतर], सं., गद्य, पाकाहेम १०२०३, पृ. २७, पाणिनिव्याकरणसूत्रपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२८ पाणिनिव्याकरण-(सं.)महाभाष्य
ऋषि-पतञ्जलि, सं., गद्य, पाकाहेम ९३७, पृ. १२५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-१), वि-१४५३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७-३८ भेगा छे.पत्र ४२९ नथी.
कुल झे.पृष्ठ-१२६ पाकाहेम ९३८, पृ. २८, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद थी तृतीयाध्याय सम्पूर्ण, वि-१५४३,
प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम ९३९, पृ. ५४, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-४), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५३ पाकाहेम ९४०, पृ. ३९, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-५), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम ९४१, पृ. ७५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-६), संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७५ पाकाहेम ९४२, पृ. ४०, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-७), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११-१२ भेगा छे.
कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ९४३, पृ. ३२, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-८), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण पाणिनिव्याकरण-(सं.)महाभाष्य
ऋषि-पतञ्जलि, सं., गद्य, पाकाहेम ९३७, पृ. १२५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-१), वि-१४५३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३७-३८ भेगा छे.पत्र ४२मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-१२६ पाकाहेम ९३८, पृ. २८, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद थी तृतीयाध्याय सम्पूर्ण, वि-१५४३,
प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम ९३९, पृ. ५४, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-४), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५३ पाकाहेम ९४०, पृ. ३९, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-५), वि-१५४३, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४० पाकाहेम ९४१, पृ. ७५, पाणिनिव्याकरण महाभाष्य (अध्याय-६), संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७५
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