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कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ७६- पे.क्र. १, पृ. १-५९, दशवैकालिकसूत्र आदि, त्रुटक
डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६६- पे.क्र. ६, पृ. ३-१८, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४)
डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७४- पे.क्र. १९, पृ. १०५-१०७, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन-१ की गाथा ३० तक हैं. झेरोक्ष पत्र-१४२-१४५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है.
___ कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ३३-३, पृ. ५१, दशवैकालिकसूत्र, संपूर्ण
डीवीडी-२५/४३ पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. १, पृ. १-१६, दशवैकालिकसूत्र, नियुक्ति, वृत्ति, संपूर्ण
डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ३५-२- पे.क्र. २, पृ. ३३-६७, पाक्षिकसूत्र आदि, संपूर्ण
डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. २, पृ. ११८-१३९, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १८२-१- पे.क्र. १, पृ. १-५३, दशवैकालिक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पहेला बे पानामां चित्रो छे. पण खराब छे ने ते बे पानी किनारो खरी गई छे.,
डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १४, पृ. १-९, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- दशवैकालिकसूत्र अध्ययन चार, पे. विशेष- कागळमां.
डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०१-१- पे.क्र. १, पृ. १-७२, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१२२०, संपूर्ण
डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. १५, पृ. ९८-१०१, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं २५, पृ. २४०, दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह, संपूर्ण
डीवीडी-३/१३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १, पृ. १-३५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण
पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-७००. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. १, पृ. १-३६A, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- दशवैतालिक, पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन १ से ३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-१-१७. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १७९- पे.क्र. १, पृ. १-३७, दशवैकालिकसूत्र आदि, वि-१३७२, संपूर्ण
डीवीडी-९/१९ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १, पृ. १B-३४A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. नाम- दसवेयालियं प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर
बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९
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