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कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २३७, पृ. ४३, ओघनियुक्ति सह अवचूर्णि, वि-१५२७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३४
डीवीडी-८८ ओघनियुक्ति-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रक्रान्तोयमावश्यकानुयोग. आचार्यों मङ्गलार्थं गाथाद्वयमाह अरिहन्ते अशोकाद्य... भांका ३०५, पृ. २४, ओघनिर्युक्त्यवचूरि, वि-१३३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-११३९., १५ अने १६ पार्नु डबल छे.
डीवीडी-९२ ओघनियुक्ति-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १६३- पे.क्र. १, पृ. १०६-१७५, ओघनियुक्ति टिप्पणीसह, पिण्डनियुक्ति अपूर्ण, अपूर्ण पे. नाम- ओघनियुक्ति टिप्पणीसह
डीवीडी-८/१८ ओघनियुक्ति-(सं.)दीपिकाटीका
आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., पद्य, श्लोक५८००, पाकाहेम १६४०५, पृ. ९०, ओघनियुक्ति दीपिकाटीका सह, वि-१५०६, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६१ ओघनियुक्ति-(सं.)पर्याय
सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १९, पृ. ४९-५०, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८४ ओघनियुक्ति-(सं.)वृत्ति
आचार्य-द्रोणाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.७०००, पातासंघवी १७-१, पृ. २१३, ओघनियुक्तिटीका, संपूर्ण
डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६५५९, पृ. १३०, ओघनियुक्ति वृत्ति, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १०-११ अने १०५-१०६ भेगां तेमज १२२मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-१३० पाकाहेम १००६९, पृ. १३४, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पण जेवं चित्र छे. पाकाहेम १०५६२, पृ. १७८, ओघनियुक्ति सटीक त्रिपाठ, वि-१६६५, अपूर्ण पाकाहेम १४८५६, पृ. १०३, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८२२५.
कुल झे.पृष्ठ-१०४ पाकाहेम १४८५७, पृ. १४६, ओघनियुक्ति सटीक, वि-१५७०, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५.
कुल झे.पृष्ठ-१६९ पाकाहेम १४८७५, पृ. १५४, ओघनियुक्तिसटीक, वि-१६३१, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८३८५. पाकाभाभा ६३, पृ. १२३, ओघनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१५२९, संपूर्ण भांका १३९, पृ. १६२, ओघनियुक्ति टीका सहित, वि-१४३६, संपूर्ण
डीवीडी-८५ ओघनिर्युक्त्युद्धार जुओ - ओघनियुक्ति-(प्रा.)सङ्क्षप ओघनिर्युक्त्युद्धार, प्राकृत, गा.५३ ओघनियुक्त्युद्धार
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