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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-४ धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९७००, आदि वाक्यः
सज्ज्ञानलोचनविलोकितसर्वभावनिःसीमम्भीमभवकाननदाहदावम्... पाकाहेम १४८७४, पृ. १७८, धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाभाभा ५७, पृ. १५१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १७५, पृ. १७१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१२७१, संपूर्ण
डीवीडी-९/१९ धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९७००, आदि वाक्यः
सज्ज्ञानलोचनविलोकितसर्वभावनिःसीमम्भीमभवकाननदाहदावम... पाकाहेम १४८७४, पृ. १७८, धर्मरत्नप्रकरण सह बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरडे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाभाभा ५७, पृ. १५१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१४८०, संपूर्ण धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-शान्तिसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १७५, पृ. १७१, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, वि-१२७१, संपूर्ण
डीवीडी-९/१९ धर्मरत्नाकर
आचार्य-जयसेन[सरस्वतीगच्छ], सं., पद्यअध्याय२१, आदि वाक्यः लक्ष्मीनिरस्तनिखिलापदमाप्नुवन्तो... भांका १८९, पृ. ९९, धर्मरत्नाकर, वि-१८३२, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६६, डीवीडी-८७ धर्मरसायण (रयणसार) प्रा., पद्य, गा.१५५, आदि वाक्यः णमिऊण देवदेवं धरणिन्दणरिन्दइन्भयप्रदम्।...
कृ.विः अ.वा.-पावइ सासयं ठाणं. भांका २८८, पृ. १३, धर्मरसायण, वि-१८१२, संपूर्ण
___कुल झे.पृष्ठ-७, डीवीडी-९१ धर्मरसायण (रयणसार)
मुनि-पदमनन्दिदेव दिगम्बर], प्रा., पद्य, गा.१९५, आदि वाक्यः णमियूण वड्ढमाणं परमप्पाणं जिणनियं सिरसा।... भांका २८७, पृ. १६, धर्मरसायण, वि-१८१२, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रतिलेखक की भूल से गाथाक्रम ११० की जगह १ दिया गया है. इस प्रकार से कुल गाथा
२०४.
कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-९१ धर्मलक्षण सं., आदि वाक्यः सितं चित्तं...
कृ.विः भाषा? पातासंघवी ५५-२- पे.क्र. ३, पृ. ८२-८४, योगशास्त्र आदि, संपूर्ण
डीवीडी-२९/४७ धर्मलक्षण
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