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कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. ९ पृ. ? कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण स्थिविरावली के दूसरे सर्ग का अन्त भाग है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है.
प्रत विशेष- त्रुटक- अव्यवस्थित.
कुल झे. पृष्ठ- १४४, डीवीडी-५८ /६०
पातासंघवी ८०, पृ. २४३, परिशिष्ट पर्व सचित्र, संपूर्ण
प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. हेमचंद्राचार्य कुमारपाळ-भूपालदेवी अने वे साधुओनी मूर्तिओ
चितरेली छे.
डीवीडी-३१/५०
पातासंघवी १३६-१, पृ. १६२, परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण
डीवीडी-३४/५३
पाताहे १२५ पृ. ३२४, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र परिशिष्ट पर्व, संपूर्ण
डीवीडी-८/१७
पाकाहेम ८९३, पृ. १२१, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य परिशिष्टपर्व, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४९२. पाणीमां भींजायेली छे पत्र १२२मुं डबल.
कुल झे. पृष्ठ-१२३
पाकाहेम २३५७- पे क्र. २. पृ. २-८४७, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्यपरिशिष्टपर्वसहित वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४०००.
"
कुल झ. पृष्ठ-४५२
पाकाहेम २३७०, पृ. ९६. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि-१६६०, संपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३४९५.
कुल झे. पृष्ठ ९६
पाकाहेम ८०१८, पृ. ७२, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व, वि - १४९ संपूर्ण
प्रत विशेष प्रति शुद्ध छे.
-
कुल झे. पृष्ठ-७३
पाकाभाभा ३९ पृ. ९३ परिशिष्टपर्व सर्ग १- १३ वि १४९२, संपूर्ण
,
प्रत विशेष- "आ ग्रंथना कुल पेज ९३ छे परंतु आ ग्रंथनी फुटनोटमा पत्र २२०, २२१ भेगां छे ते प्रमाणेनी माहिती मळे छे. तेथी आ माहिती चेक करशो.
भांका १७२, पृ. ५१, परिशिष्टपर्व, वि-१४७६. संपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थान- ३४६०. सुन्दर लिपि. कुल झे. पृष्ठ-३३, डीवीडी-८६
त्रिषष्ठिस्मृति
"
जैन श्रावक - आशाघर, सं. पद्य रचना सं. विक्रम १२९२अध्याय २४. ग्रं. ५०५, आदि वाक्यः वीरं नत्वेन्द्रमूर्ति च त्रिषष्ठि श्रेष्ठपुंश्रितं.....
कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति.
भांका ८४, पृ. ३७, त्रिषष्ठिस्मृति टिप्पणी सहित वि-१५९४, संपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ-३८, डीवीडी-८४
त्रिषष्ठिस्मृति- (सं.) टिप्पण
प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिह्नों से युक्त.
,
सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२९२, नलकच्छपुर,
भांका ८४, पृ. ३७, त्रिषष्ठिस्मृति टिप्पणी सहित वि-१५९४, संपूर्ण
प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका नेमिचन्द्राचार्य ने यह प्रति लिखवायी. पदच्छेद, संधिसूचकादि चिह्नों से युक्त.
कुल झे. पृष्ठ-३८, डीवीडी - ८४
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