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कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ३९९, पृ. ९६, सप्ततिका चूर्णि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-९७/९८ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य आचार्य-अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१९०, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं कम्मट्ठपरूवणं...
कृ.विः अन्तवाक्य- अभयपुरं इच्छमाणेणं. पाताहेसं ११२- पे.क्र.६, पृ. ७७-९५, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण
पे. नाम- सप्ततिकाभाष्य, पे. विशेष- पत्रांक ७७ की गाथा-६ नहीं है. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व
४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है.
कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७६ , पृ. ३१, षष्ठकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३१ सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि
सं., पद्य, आदि वाक्यः सिद्ध० सिद्धानि थायितुं... भांका २०६- पे.क्र.६, पृ. ४९-६४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण
पे. नाम- सप्ततिकावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं.
___ कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ सप्ततिकाप्रकरण (सत्तरि पगरण)
गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः साहूण अणुग्गहढं आयरिएण कयं... पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३८००, पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-मलयगिरिसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.२०००,
कृ.विः कर्ता? पाताहेसं ९६, पृ. ११६, सप्ततिकाप्रकरणचूर्णि, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ सप्ततिकाप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-यशोभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३८००, पाताहेसं ९७, पृ. २८०, सप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसहित, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ सप्ततिशतजिनस्तुति
सं., पद्य, का.४, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.२०, पृ. ८७मुं, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-८१ सप्ततिशतजिनस्तोत्र जुओ - तिजयपहुत्तस्तोत्र, प्राकृत, गा.१४ सप्तनय विचार जुओ - सातनयनो विचार, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर
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