________________
कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवीजीर्ण ९४- पे.क्र. ४, पृ.?, कल्पसूत्र विगेरे त्रुटक ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. विशेष- झरोक्ष पत्र १०८ से अन्तिम पत्र तक है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित
डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. ३, पृ. १-३२, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३६/५४ कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १६४- पे.क्र. १, पृ. १०८-११८, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा पद्य, अपूर्ण पे. नाम- कल्पसूत्र सह (सं.)टिप्पणी
डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६५, पृ. १-१०३, कल्पसूत्र टिप्पणी त्रुटक अपूर्ण, संपूर्ण
डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६६- पे.क्र. १, पृ. १-१०२A, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण
पे. नाम- कल्पसूत्र सह टिप्पणी प्रत विशेष- मूल पत्रांक-१३४+१२=१४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक
६६ लखेलुं छे पण खरेखर पार्नु ६४ सुधी ज छे.
कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-९/१८ वताकांति ४१३, पृ. ५६, पर्युषणाकल्प टीप्पणक, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १०१२०, पृ. ९९, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१०० कल्पसूत्र-(सं.)सन्देहविषौषधिवृत्ति (सन्देहविषौषधिवृत्ति)
आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३६४, ग्रं.२१६८, पाकाहेम १००३५, पृ. ४५, कल्पसूत्र सन्देहविषौषधिवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरणनुं भव्य चित्र छे.
कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०११८, पृ. ५९, कल्पसूत्रसन्देहविषौषधिटीका, वि-१५७१, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०४३४, पृ. १०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्तिउत्तरार्ध, वि-१६०१, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १०४५२, पृ. २०, सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति, वि-१५९३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३०४१.
कुल झे.पृष्ठ-४१ कल्प्याकल्प्यविचार चौबिसी जुओ - कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका, आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्राकृत कल्प्याकल्प्यविचारचतुर्विंशतिका (चतुर्विंशतिका कल्प्याकल्प्यविचार), (कल्प्याकल्प्यविचार चौबिसी)
आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७७०६- पे.क्र. २, पृ. १-२, विकृतिनिर्विकृतिचतुर्विंशतिकाआदि , वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उभय गाथा-५०.
कुल झे.पृष्ठ-२ कल्याणक
प्रा., पद्य, गा.२०, पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र. १८, पृ. ?, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक
कुल झे.पृष्ठ-६०
183