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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो.
डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २९-१, पृ. १९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी.
डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६४-१, पृ. ३६०, ढ्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९ थी सम्पूर्ण, संपूर्ण
डीवीडी-३०/४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)दुर्गमार्थबोधिनी टीका
सं., गद्य, पाताहेसं १५१- पे.क्र.२, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो
सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग मिलता है. झेरोक्ष पत्र-२४ पर है.
कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास (न्याससारसमुद्धार). (दुर्गपदव्याख्या), (लघुन्यास)
आचार्य-कनकप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम २१६१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास, वि
१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२०-१२४ नथी.
कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम १०१९६, पृ. ७२, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५२७, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १०३८०, पृ. ५२, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्तिलघुन्यास,
वि-१५०९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४८१६.
कुल झे.पृष्ठ-५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससङ्क्षप)
सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण - प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी (सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे.
डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी
सह, प्रतिपूर्ण
डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससङ्क्षप)
सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति-(सं.)विवरण
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