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कृति उपरथी प्रत माहिती
पातासंघवीजीर्ण ९५ पेक्र. २. पृ. ? कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, संपूर्ण
पे. विशेष आकर्षक व सुन्दर लिपि पत्र अस्त-व्यस्त है.
प्रत विशेष जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित
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सूत्रकृताङ्गसूत्र - (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका)
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मुनि - उपाध्याय साधुरङ्ग, सं. गद्य ग्रं. १३४१६, आदि वाक्यः नमः श्रीवर्धमानाय स्वामिने परमात्मने..... भांका २०८ पृ. २१२ सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह संपूर्ण
प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-४५.
डीवीडी-८७
सूत्रकृताङ्गसूत्र- (सं.) दीपिका टीका ( दीपिका टीका)
गणि-हर्षकुलगणि, गुरु- आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५८३, श्लोक६६००, आदि वाक्यः प्रणम्य श्रीजिनं वीरं गौतमादिगुरुस्तथा...
कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति.
भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित वि-१६५९, संपूर्ण
प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८. ग्रन्थान- ८६००,
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डीवीडी-८९
सूत्रकृताङ्गसूत्र (सं.) पर्याय
सं. गद्य,
पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ३, पृ. ३-४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८४
पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २३, पृ. ६२-६५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-८४
सूत्रकृताङ्गसूत्र (सं.) वृत्ति
आचार्य शीलाङ्काचार्य, सं., गद्य ग्रं. १२८५३ आदि वाक्यः स्वपरसमयार्थसूचकमनन्तगमपर्यायर्थगुणकलितम् । पातासंघवी ३९ पृ. २८३. सुत्रकृताङ्गवृत्ति, अपूर्ण
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प्रत विशेष- अपूर्ण.
डीवीडी- २६/४४
पाताहे ३- पे.क्र. ३. पृ. ४६-३०३ सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४ संपूर्ण
प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-१/११
पाकाहेम १९९२ पृ. २२९ सूत्रकृताङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष प्रथम पत्रमां क्रमांक १९९०ना टिप्पणमां जणीव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ-२२९
पाकाहेम १९९३ पृ. २४१, सूत्रकृतागसूत्र वृत्ति वि-१६मी, संपूर्ण
कुल हो. पृष्ठ- २४२
पाकाहेम १०४१०, पृ. १२९ सूत्रकृतागसूत्रवृत्ति, वि-१७मी संपूर्ण
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प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र-१३८५३.
कुल झे. पृष्ठ- १२९
पाकाहेम १०४६०- पे.क्र. २, पृ. ६ - २३६, सूत्रकृताङ्गसूत्र निर्युक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण
पे. विशेष ग्रन्थाग्र - १२८५०.
कुल झे. पृष्ठ- २३७
पाकाहेम १४७९२, पृ. १४६, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-१३८५०.
कुल डी. पृष्ठ- १४८
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