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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिकायुक्त.
डीवीडी-५६/५९ पाताहेसं २२, पृ. ३६३, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण
__डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २३, पृ. ४३६, विशेषावश्यकमहाभाष्य वृत्तिसह प्रथम खण्ड, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- आ ज ग्रंथने गा.के. नं.३५मां आवश्यकवृत्ति कर्ता -हरिभद्रसूरि एम लख्युं छे.
डीवीडी-३/१३ भांता १४, पृ. ३४४, शिष्यहिता-विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति, संपूर्ण __प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१११२. ग्रंथ खराब छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पत्र २ थी २५ खूटे छे.
डीवीडी-६७/७६ पाकाहेम १४८४३, पृ. ३९६, विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह, वि-१५८५, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण
कुल झे.पृष्ठ-३९५ विशोपसर्गाधिकार
कृ.विः अनुकम्पादाने पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८ विशोपसर्गाधिकार-(सं.)टीका
सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८ विशोपसर्गाधिकार-(सं.)टीका
सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१७, पृ. ५, विशोपसर्गाधिकार सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८ विश्वतत्त्वप्रकाश जुओ - मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश, अज्ञात-भावसेन, संस्कृत विषमगाथाविवरण जुओ - पिण्डनियुक्ति-(सं.)विषमगाथाविवरण, संस्कृत विषमदण्डिका जुओ - दुषमगण्डिका, प्राकृत, ग्रं.१०४, गा.८१ विषमपद टिप्पण जुओ - जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.११२० विषमपद विवरण जुओ - चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)विषमपदविवरण, संस्कृत, गा.६३ विषमपद व्याख्या जुओ - जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक, आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.११२० विषमपदपर्याय टीका जुओ - नन्दीसूत्र-(सं.)विषमपदपर्याय, संस्कृत विषमपदपर्याय वृत्ति जुओ - दशवैकालिकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.)विषमपदपर्याय, संस्कृत विषमपदावबोध टिप्पनक जुओ - प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.३२०३ विषमपदावबोध टीका जुओ - प्रवचनसारोद्धार-(सं.)विषमपदपर्याय टीका, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.३२०३ विषमपादपञ्जिका (चिह्नभट्टी विषमपादपञ्जिका) जैनेतर-चिह्नभट्ट, सं., गद्य, आदि वाक्यः विघ्नान्धकार भास्वन्तं गजवक्त्रं कृपानिधि...
कृ.विः कर्ता-जालपिद्दि भट्टाचार्यशिष्य-विष्णु? पाकाहेम १६७९४- पे.क्र.३, पृ. ६-९, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ,न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१० विषमवृत्तसप्तक
सं..
पाकाहेम ८६८६, पृ. ५, विषमवृत्तसप्तक व्याख्यासहित, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४
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