________________
कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., गद्य, ग्रं.१४७८४, आदि वाक्यः मङ्गलादीणि सत्थाणि मङ्गलणज्झाणि मङ्गलावसाणाणि।
अवग्गहेहावायधारणासम्था भवन्ति। पातासंघवी ३६- पे.क्र. १, पृ. २-८१, कल्पचूर्णी, भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- पे.१. त्रुटक छे. जीर्णप्राय, पे.२. त्रुटक छे. जीर्णप्राय
डीवीडी-२५/४४ पाताहेसं ९- पे.क्र. १, पृ. १-३८४, बृहत् कल्पसूत्रचूर्णि तथा मूल, संपूर्ण
प्रत विशेष- कृति माहिती गायकवाडी केटलोग-क्रम-२५ प्रमाणे लीधी छे. नवा सूचीपत्रमा कल्पसूत्र लखेल
डीवीडी-१/११ भांता ३९- पे.क्र. ३, पृ. १५९-४६६, बृहत्कल्पसूत्र, लघुभाष्य, चूर्णि, वि-१३३४, अपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५८१. भण्डार संदर्भाक-१३०/७२-७३. प्रत विशेष- भंडार-संदर्भांक-१२८-१३०/७२-७३, सूचीपत्र-नं.१-५६९, १-५७६, १-५८१.
डीवीडी-७०/७९ भांता ४२, पृ. २८१, बृहत्कल्पसूत्र चूर्णि, वि-१२१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१६०००., सूचीपत्र-नं.१-५८०., प्रतिलेखनस्थल-चाहरपल्ली. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-७०/७९ लिंता ४३, पृ. १५७, बृहत्कल्पचूर्णी, वि-१५६३, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रंथसूचि मां प्रत क्रमांक- ४२ आपेल छे. प्रायः शुद्ध प्रति. पाकाहेम ६५५२, पृ. २०२, कल्पचूर्णि, वि-१४९२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १६८मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-२०३ पाकाहेम १००३९, पृ. २१२, कल्पचूर्णि-बृहत्कल्पसूत्रचूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२१३ बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति
आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पाकाहेम १००४१, पृ. २४२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५७३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा क्र. ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे- चित्र छे. पत्र १८३मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-२४१ पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे.
कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे.
___ कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००.
कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण
547