________________
कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८६९५, पृ. २३, प्रास्ताविकश्लोकसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१६ प्रियङ्करनृपकथा जुओ - उपसर्गहरस्तोत्र-(सं.)टीका+कथा, मुनि-जिनसूर, संस्कृत बकुलिशप्रार्थना (मोक्षार्था)
सं., पद्य, श्लोक१३, पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १२, पृ. १५७-१५७, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३४/५३ बत्रीस जीव परिमाण (द्वात्रिंशद्जीव परिमाण)
प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं नमिउं वोच्छं बत्तीसजीवपरिमाणं... पातासंघवी ५४-२- पे.क्र. २, पृ. ४६-४९, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण
डीवीडी-२९/४७ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३६, पृ. १४२A-१४३A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. नाम- जीवविचारप्रकरण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर
बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं.
कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ बन्धषट्त्रिंशिका प्रकरण
प्रा., पद्य, पाकाहेम ४७४०- पे.क्र. ४, पृ. ४-६, साधर्मिककुलक आदि, वि-२०मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ (नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ), (कर्मग्रन्थ नव्य तृतीय)
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धविहाणविमुक्कं वन्दिय सिरिवद्धमाण जिणचन्दं... पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ
कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ
कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः बन्धस्य विधानं मिथ्यात्वादिभिर्निर्वर्त्तनं... भांका १७४- पे.क्र. ३, पृ. १४-१८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००.
कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि
सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) बन्ध० बन्धकर्माणूनां जीवप्रदेशैः सह सम्बन्धस्तस्य विधानं...(२) नव्य बन्धस्वामित्वे
किञ्चिल्लिख्यते... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. ३, पृ. ५-६, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण
पे. नाम- बन्धस्वामित्वावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१६, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण
पे. नाम- बन्धस्वामित्वस्यावचूरि
537