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कृति उपरथी प्रत माहिती सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य,
कृ.विः कर्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)दण्ढिकावृत्ति (दुण्ढिकावृत्ति), (प्राकृतदुण्ढिका)
मुनि-सौभाग्यसागर, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५९१, पाकाहेम ७१९०- पे.क्र. २, पृ. ?, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्यायसूत्रपाठ स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित तथा
दुण्ढिकासहित त्रिपाठ, वि-१६६०, संपूर्ण
__ कुल झे.पृष्ठ-८५ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम ७१९१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय अवचूरि, वि-१६६५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति (प्राकृतदीपिका टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य,
कृ.विः कर्त्ता? पाकाहेम ६६१३, पृ. २७, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिदीपिका प्राकृतदीपिका, वि-१५मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२७ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ.६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि
१६०३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका)
सं.,अप., गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि
१६०३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति की (सं.+अप.)दोधक टीका (दोधक टीका)
सं.,अप.. गद्य, पाकाहेम ७१९२, पृ. ६, सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय चतुर्थपाद बृहद्वृत्तिगत दोधक सटीक त्रिपाठ, वि
१६०३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धहैमउणादिगण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धाचलमण्डन ऋषभजिनस्तवन (ऋषभजिनस्तवन), (आदिनाथस्तवन यमकमय), (यमकमय आदिनाथस्तवन) सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः सिद्धाचलश्रीललना...
कृ.विः आदिनाथ स्तवन यमकमय. पाकाहेम ११६६६- पे.क्र. ३, पृ. १, आदौ नेमिजिनं स्तोत्र, वि-१९मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२
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