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कृति उपरथी प्रत माहिती भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक (भत्तपरिन्ना पयन्ना) गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, गा.१७२, ग्रं.१७१, आदि वाक्यः नमिऊण महाइसयं महाणुभावं...
कृ.विः गाथा १७१ थी १७३ सुधी मळे छे. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र.२, पृ. ११७-२२७, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिन्ना प्रकीर्णक, पे. विशेष- गाथा-१७१. , अपूर्ण. पत्र ११७-२२७ के बीच दूसरी और भी
कृतियाँ है. ताडपत्रीय पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-२५-८०. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र. ३, पृ. १लु, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक
पे. विशेष- गाथा-१७१. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक.
डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८- पे.क्र.८, पृ. ९४-१००, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३.
डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १७, पृ. ३०८-३२५, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७१.
डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.५, पृ. ६०-६७, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३.
कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ३, पृ. ८०-९२, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७१.
कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १६२- पे.क्र.४, पृ. ???, उत्तराध्ययन सूत्र, वि-१३६९, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां पत्र १७८+२६ थी ४४ आप्या छे.
डीवीडी-८/१८ तालाद ३८९-पे.क्र.६, पृ. १११-१२९, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण पे. नाम- भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक सह टिप्पण, पे. विशेष- गाथा-१७१.
कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ६६६- पे.क्र. ४, पृ. १४-२२, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम ९०२- पे.क्र.८, पृ. १०८-११५, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३.
कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६५६९- पे.क्र.५, पृ. १-३८, मरणविधिप्रकीर्णक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७३.
कुल झे.पृष्ठ-३९ पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. ९, पृ. ८-१०, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१७ पाकाहेम १००८६- पे.क्र. १, पृ. १-३, भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण
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