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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८०१०, पृ. ३, महादण्डकछन्दोबद्ध विज्ञप्तिलेख ३९९६ वर्णात्मक, वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-३ महादण्डकप्रकरण
प्रा.,
पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. ४, पृ. १२५-१४१, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- महादण्डकप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-२७४. त्रुटित. झेरोक्ष पत्र-३४ पर कृति पूर्ण हुई है.
प्रारंभिक भाग अस्पष्ट है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० महादेव स्तोत्र जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवद्वात्रिंशिका जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवलक्षण प्रा., पद्य, श्लोक३२,
कृ.विः भाषा-संस्कृत? पातासंघवी १६७-१- पे.क्र. १०, पृ. २०-२२, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३६/५४ महादेवलक्षण स्तोत्र जुओ - महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.३५, श्लोक३५ महादेवस्तोत्रद्वात्रिंशिका (महादेव स्तोत्र), (महादेवलक्षण स्तोत्र), (महादेवद्वात्रिंशिका)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक३५, ग्रं.३५, आदि वाक्यः प्रशान्तं दर्शनं यस्य... तालाद ३३९- पे.क्र. १७, पृ. १०६-१०९, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- महादेवलक्षणं स्तोत्रम्
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १२२३७, पृ. १, महादेवद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १२२३८, पृ. १, महादेवस्तवन, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-४४.
कुल झे.पृष्ठ-२ महानिशीथप्रामाण्यप्रतिष्ठा जुओ - मालारोपणविधि, संस्कृत महानिशीथसूत्र
प्रा.अध्याय८, ग्रं.४५४४, आदि वाक्यः (१) ॐनमो तित्थस्स।... (२) ॐनमो अरहन्ताणं... (३) सुयं मे आउसं.! तेणं
भगवया एवमक्खाई। इह खलु छउमत्थसञ्जमकिरियाए...
कृ.विः अध्ययन-८ पातासंघवी १९- पे.क्र. १, पृ. १-१११, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण
डीवीडी-२२/४१ पाकाहेम ६५४२, पृ. ७४, महानिशीथसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १००५४, पृ. ६०, महानिशीथसूत्र, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४५०४. प्रथम पत्रमा समवसरण- सुन्दर चित्र छे.
कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०४२४, पृ. ७१, महानिशीथसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण
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