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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-१०३/१०४ ज्ञानार्णवप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ विवरण
उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्पष्टः तत्र पूर्वं ज्ञानानि निरूपयितुं... अताका ४७९- पे.क्र.१, पृ. २५, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द.
नंबर-४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है.
कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-१०३/१०४ ज्ञानार्णवसारोद्धार
आचार्य-शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., ग्रं.६२२, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवसारोद्धार-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवसारोद्धार-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९५ ज्ञापकसमुच्चय
जैनेतर-पुरुषोत्तमदेव, सं., पाकाहेम ७३१५, पृ. २३, ज्ञापकसमुच्चय, वि-१६८४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१६ ज्योतिष करणादि नाम य चतुर्थ पर्व
प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बवं च बालवं चेव कोलवन्थि विलोयणं... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १९, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण
पे. विशेष- पूर्ण. गाथा ६ तक मिलती है. झेरोक्ष पत्र ८८-८९ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित.
__ कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० ज्योतिषमन्त्रऔषधसङ्ग्रह
सं.,मारुगूर्जर, पाकाहेम ८९२३, पृ. ३, ज्योतिष-मन्त्र-औषधसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ ज्योतिषरत्नमाला
श्रीपति, सं..
पाकाहेम १०७२३, पृ. ३३, ज्योतिषरत्नमाला, वि-१५९३, संपूर्ण ज्योतिषविषयकश्लोक
सं., पद्य, आदि वाक्यः यस्मिन् रिक्षे भवेत्... तालाद ३४३- पे.क्र. ६, पृ. १-४, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ ज्योतिष्करण्डकसूत्र (जोइसकरण्डक)
आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., ग्रं.४०५, आदि वाक्यः (१) कातूण णमोक्कारं जिणवरवसभस्स वद्धमाणस्स।
जोतीसकरण्डगमिणं लीलावट्टीव लोगस्स...(२) सुण ताव सूरपण्णत्तिवण्णणं वित्थरेण जं निउणं... (गाथा६)(३) णते भावनियत्तं जोतिस चक्कं... (गाथा-१२)
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