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वीतरागस्तोत्र (सं.) टीका
आचार्य प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य,
तालाद ३३६- पे. क्र. २, पृ. १०९-२३५ प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी संपूर्ण
पे. नाम- वीतरागस्तोत्र सह टीका
वीरजन्मोत्सव
मारुगूर्जर,
पाकाहेम १२१२४ - पे.क्र. १, पृ. १-२ प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी.
प्रत विशेष- ८९ नंबरनुं पानुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १५६, डीवीडी- ९४ / ९६
कुल झे. पृष्ठ-८१
वीरजिन सिद्धिगमन पश्चात् मोक्षगामी गणधरों का वर्षमान
कृति उपरथी प्रत माहिती
प्रा. गद्य, आदि वाक्यः वीरजिणे सिद्धिगए वारस वरिसेहिं गोयमा सिद्धा.....
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पाताहेसं १६६- पे.क्र. २, पृ. १०२B, कल्पसूत्र टिप्पणीसह कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण
वीरजिनतीर्थस्वरूप (वीरतित्थसरुव)
प्रत विशेष - मूल पत्रांक- १३४ + १२ = १४६., झेरोक्ष पत्रांक १ नुं बे वखत झेरोक्ष थयेलुं छे, जेना उपर पत्रांक ६६ लखेलुं छे पण खरेखर पानुं ६४ सुधी ज छे.
कुल झे. पृष्ठ - ६४, डीवीडी-९/१८
प्रा., पद्य, आदि वाक्यः चउसट्टिवरिससत्तरिसए य जन्तुम्मि थूलभद्दम्मि....
कृ.वि. अं. वाक्य एसा अनामगाणं वीरेण पहूण पिंडिआ संखा ताणं पुण परिवारो अनामगोयल्लिउ चेव. भांता ७०- पे.क्र. ९७, पृ. १३५A - १३५B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३२.
वीरजिनदृष्टदशस्वप्नार्थ
वीरजिनविज्ञप्ति
प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५००- २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२
प्रा., गद्य, आदि वाक्य: जेन तालपिसायं पराजियं पासित्ता....
कृ.वि आदिवाक्य का प्रथम अक्षर संदिग्ध है.
भांता ७० पे क्र. १४८ पृ. १९९४-२००A अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८ संपूर्ण
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वीरजिनस्तव
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वीरजिनविनन्तिस्तवन
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४६.
प्रत विशेष सूचीपत्र नं ३-१५. पत्र- २५२+२-१-२५३, पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.
विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२
अप., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणेसर तिजयनाह दुहसयदावानलनीरवाह....
पातासंघवी १५६-१- पे. क्र. १०, पृ. १२८मुं. उपदेशमाला आदि संपूर्ण
डीवीडी-३६/५३
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गणि-नगा, मारुगूर्जर, पद्य,
पाकाहेम १०२३०, पृ. ५, वीरजिनवीनतिस्तवन, वि-१६९८, संपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ-५
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