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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१० वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
मुनि-विशालराजशिष्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५१२, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः जयति श्रीजिनो वीरः सर्वज्ञः
सर्वकामदः... पाकाहेम १६७७३, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सावचूरि, वि-१५२२, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
आचार्य-प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः यः किल परात्मा स... पाकाहेम १६७७२, पृ. ६, वीतरागस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थान-१८६.
कुल झे.पृष्ठ-७ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः अत्राद्यसार्धश्लोकस्य त्रयपदानां... पाकाहेम २३२४, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध करेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम १०६६२, पृ. ५, वीतरागस्तवावचूरि, वि-१५३५, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०६६३, पृ. ७, वीतरागस्तवावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य,
कृ.विः अवचूरि प्रभानन्दसूरिवृत्त्यानुसारिणी. पाकाहेम २३२८- पे.क्र. १, पृ. १-३, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-१० वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
मुनि-विशालराजशिष्य, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १५१२, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः जयति श्रीजिनो वीरः सर्वज्ञः
सर्वकामदः... पाकाहेम १६७७३, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सावचूरि, वि-१५२२, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
आचार्य-प्रभानन्दसूरि, सं., गद्य, ग्रं.६२५, आदि वाक्यः यः किल परात्मा स... पाकाहेम १६७७२, पृ. ६, वीतरागस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थान-१८६.
कुल झे.पृष्ठ-७ वीतरागस्तोत्र-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः अत्राद्यसार्धश्लोकस्य त्रयपदानां... पाकाहेम २३२४, पृ.७, वीतरागस्तोत्र सह अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिशुद्ध करेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६
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