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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व
४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है.
कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि- (सं.)विषमपद टिप्पण
आचार्य-मुनिचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९५५, आदि वाक्यः प्रणिपत्यविमल केवल... तालाद ३८२, पृ. ७५, शतकचूर्णि-विषमपद टिप्पनक, वि-१३३४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३८, डीवीडी-९४/९६ शतकलघुचूर्णि जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णि, प्राकृत, ग्रं.२३२२ शतपदीकाप्रश्नोत्तरपद्धति जुओ - शतपदीप्रकरण, आचार्य-धर्मघोषसूरि, संस्कृत,प्राकृत शतपदीप्रकरण (शतपदीकाप्रश्नोत्तरपद्धति), (प्रश्नोत्तरपद्धति)
आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं.,प्रा., पातासंघवी १२६, पृ. २३२, शतपदी, संपूर्ण प्रत विशेष- २२८ मां पानाथी टुकडा छे.
डीवीडी-३४/५२ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ भांका २५६, पृ. १०९, शतपदिका, संपूर्ण
डीवीडी-८९ शतपदीप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.५२००, आदि वाक्यः त्रिभुवनगृहप्रदीपः कल्याणविधिर्भवोदघौ द्विपः ।...
कृ.विः मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७०७४, पृ. १५२, शतपदी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९ भेगा छे., ग्रन्थाग्र-५३४२.
कुल झे.पृष्ठ-१५२ शतपदीप्रकरणवृत्ति-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ शतपदीप्रकरण-(सं.)वृत्ति
आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२९४, ग्रं.५२००, आदि वाक्यः त्रिभुवनगृहप्रदीपः कल्याणविधिर्भवोदघौ द्विपः।...
कृ.विः मूलनी ज पुनर्रचना गोठवण आदि. पाताहेसं १०४, पृ. २४४, शतपदीप्रकरणवृत्ति टीप्पणीसह, वि-१३००, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०१, पृ. २४५, शतपदी प्रश्नोत्तर सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ७०७४, पृ. १५२, शतपदी, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २८-२९ भेगा छे., ग्रन्थाग्र-५३४२.
कुल झे.पृष्ठ-१५२ शतपदीप्रकरणवृत्ति-(सं.)टिप्पणी
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