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कृति उपरथी प्रत माहिती कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य
प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः अहिणवगहणं बन्धो उदओ सविवागवेयणं तस्स... पाताखेत ४२- पे.क्र.३, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. १२, पृ. १-४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५.
डीवीडी-३६/५३ पाताहेसं ११२- पे.क्र.८, पृ. ११०-११२, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण
पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व
४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है.
कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति)
आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१०९०, आदि वाक्यः कर्मबन्धोदयोदीर्यासत्तावैचित्र्यवेदिनम।. पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. १, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-सारी
डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ९३, पृ. ७२, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९४, पृ. १५४, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०९, पृ. १९, प्राचीन कर्मस्तव टीका, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रथम
प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धेविसोत्तरसयं सयवावीसं... पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ७, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है.
डीवीडी-५८/६० कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति)
आचार्य-गोविन्दाचार्य, सं., गद्य, ग्रं.१०९०, आदि वाक्यः कर्मबन्धोदयोदीर्यासत्तावैचित्र्यवेदिनम् ।... पातासंघवी १२७-१- पे.क्र. १, पृ. १६१, कर्मस्तव सटीक आदि, वि-१२८८, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण-सारी
डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ९३, पृ. ७२, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ९४, पृ. १५४, कर्मस्तव सटीक, संपूर्ण
डीवीडी-७/१६ वताकांति ४०९, पृ. १९, प्राचीन कर्मस्तव टीका, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य-१
आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.७०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं अणुसरिउं
पुलवभासजुयलं च...
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