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कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः अन्त वाक्य- संकलियं सिरिमहिंदसूरीहिं० पाढंतु नो विवुहा. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. ११, पृ. १९२-१९६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-६९. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५४-५७. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य-२ (प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ भाष्य) प्रा., पद्य, गा.३३, आदि वाक्यः बन्धेविसुत्तरसयं सयवावीसं तु...
कृ.विः अन्त वाक्य-अणुदय पत्तुदीरमा या. पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १२, पृ. १९६-१९७, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-३३. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ५७-५८. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पाताहेसं ११०- पे.क्र.३, पृ. ६अ-९अ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण
पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२७. झेरोक्षपत्र-१-४. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य
प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः अहिणवगहणं बन्धो उदओ सविवागवेयणं तस्स... पाताखेत ४२- पे.क्र. ३, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-२४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाक उपलब्ध नथी.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. १२, पृ. १-४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२५.
डीवीडी-३६/५३ पाताहेसं ११२- पे.क्र.८, पृ. ११०-११२, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण
पे. नाम- कर्मस्तवभाष्य, पे. विशेष- गाथा-२३. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व
४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है.
कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य प्रथम
प्रा., पद्य, आदि वाक्यः बन्धेविसोत्तरसयं सयवावीसं... पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ७, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है.
डीवीडी-५८/६० कर्मोपदेश
प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः सुणेह भो भव्वजणा भवित्ता सम्मं समाहाणयहाणचित्ता... भांता ६९- पे.क्र. २२, पृ. १४७B-१५०A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण
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