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कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पातासंघवी ७३, पृ. ३६५, योगशास्त्र विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९, २२७, ३६० नथी १ थी ३, ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकडा छे.
डीवीडी-३१/५० योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. १, पृ. ६३, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक
डीवीडी-५८/६० वताकांति ४३०, पृ. ?, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.
डीवीडी-९७/९८ भांका ९२, पृ. ८, योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः, संपूर्ण
डीवीडी-८४ योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.४३७, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. १, पृ.७३-१६२, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय
डीवीडी-३६/५४ योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक (परिग्रहारम्भ श्लोक), (योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः परिग्रहारम्भ मग्नांस्तारयेयुः कथं परान्...
कृ.विः योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १२वे श्लोक की टीका. पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है.
कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च
श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है.
कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका जुओ - योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च
श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है.
कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.४३७, पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. १, पृ.७३-१६२, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गत सुभाषितसमुच्चय
डीवीडी-३६/५४ योगशास्त्र त्रिभुवनसार जुओ - त्रिभुवनसार योगशास्त्र, संस्कृत
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