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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती योगशास्त्र-(सं.)आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०३७६, पृ. २०, योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क अवचूरि, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाभाभा ५२, पृ. २२, योगशास्त्र चतुर्थप्रकाश पर्यन्त सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६वी, संपूर्ण योगशास्त्र-(सं.)विवरण सं., गद्य, पातासंघवी ७३, पृ. ३६५, योगशास्त्र विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९, २२७, ३६० नथी १ थी ३, ८, १०, ३२७, ३२९, ३३०, ३५४ थी ३५६ना टुकडा छे. डीवीडी-३१/५० योगशास्त्र-(सं.)स्वोपज्ञ वृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य सिद्धाद्भुतयोगसम्पदे श्रीवीरनाथाय विमुक्तिशालिने।... पाताखेत १३, पृ. १६५, योगशास्त्रविवरण द्वितीय प्रकाश, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १५, पृ. १८३, योगशास्त्रविवरण स्वोपज्ञ अष्टम प्रकाश, प्रतिपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ९६- पे.क्र. १, पृ. ?, योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वो. टीका, पे. विशेष- पत्रानुक्रम अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- गायकवाडी सूचिपत्रमा योगशास्त्र (सविवरण) ए प्रमाणे नाम छे. (पत्र-३६५). डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ५८-२, पृ. १-३, योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्र ४८ नथी. झेरोक्ष पत्र २४ बेवडाएल छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-२५, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ७१-२, पृ. २०६, योगशास्त्रतृतीयप्रकाशविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३८००. , प्रथम पत्रनो टुकडो नथी. डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ११३-१, पृ. १८३, योगशास्त्रविवरण, वि-१३००, संपूर्ण प्रत विशेष- पांचमांथी १२ प्रकाश (५-१२). डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १३१-२, पृ. १७१, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण स्वोपज्ञ, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४४-२, पृ. १२८, योगशास्त्र प्रथमप्रकाशविवरण, वि-१२५५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८००. डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं ३७, पृ. ३१९, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४९२, संपूर्ण डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३८, पृ. ३०८, योगशास्त्र स्वोपज्ञविवरण सह, वि-१४०७, संपूर्ण डीवीडी-५/१४ पाताहेसं ५१- पे.क्र. १, पृ. ?, योगशास्त्रस्वोपज्ञविवरण आदि अनेक ग्रन्थोनां पानां, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्र सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- त्रुटक. पाठानुसन्धान असम्बद्ध है. झेरोक्ष पत्र-६५-? कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-६/१५ पाकाहेम १४८६७, पृ. २१४, योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१५४९, संपूर्ण 627
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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