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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००११, पृ. ५९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. प्रथम पत्रमा अम्बड परिव्राजक सुलसा श्राविकाना सम्यक्त्वनी परीक्षा करी रह्यो
छे ते भावने सूचवता चित्र सहित भगवान महावीरना समवसरण, भाववाही हृद्यंगम सुमधुर चित्र छे.
कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०३४४, पृ. ६३, औपपातिकोपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५७८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४३५.
कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १६७३७, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४३००.
कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १६७३८, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५६ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)सुखबोधा टीका (सुखबोधा टीका)
सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१८, पृ. १-५९, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)पर्याय
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४९ साधुगुणरत्नसमुच्चय
समरसिंह, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १५९२, गा.३९८,
पाकाहेम १०७९९, पृ. २५, साधुगुणरत्नसमुच्चय-औपपातिकसूत्रानुसारी, वि-१७मी, संपूर्ण औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)पर्याय
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४९ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)टीका
आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४३००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षिता __औपपातिकशास्त्रस्य... भांता ७३- पे.क्र. ४, पृ. १५४-२२६, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१८५. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-७३/८२ वताकांति ४०६-१, पृ. ३५, औपपातिकसूत्र वृत्ति सह, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका गन्थाग्र-३१२५.
कुल झे.पृष्ठ-३५, डीवीडी-९७/९८ अताका ४७२, पृ. ३५, उववाई सूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- (आत्मारामजी-वडोदरा)
डीवीडी-१०३/१०४ अताका ५०४, पृ. ६५, औपपातिकसूत्रवृत्ति, संपूर्ण
___ कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २१७, पृ. ६९, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति शुद्ध करेल छे. ग्रन्थाग्र-३१२५.
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