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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७९५०, पृ. ४, व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ व्यसायविधिकरणप्रक्रम जुओ - सर्वव्यसायविधिकरणप्रक्रम, संस्कृत, गा.१९१ व्याख्यानारम्भ मङ्गलश्लोक
सं., पद्य, श्लोक११, आदि वाक्यः जनः सुखाभिलाषी स्यात्तद्धर्मात्तच्चज्ञानतो भवति... पाताहेसं ५७- पे.क्र.७, पृ. १६८अ-१६८आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. सटिप्पण. झेरोक्षपत्र-१६३-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि
लाक्षणिकताओं से युक्त है.
कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ व्याख्याने अष्टमङ्गल सविवरण
सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः दधिचन्दनदुर्वा... पाताहेसं ५७- पे.क्र.८, पृ. १६८आ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१६५-१६६. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि
लाक्षणिकताओं से युक्त है.
कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ व्यासभाष्य जुओ - पातञ्जलयोगसूत्र-(सं.)पातञ्जलयोगदर्शनभाष्य, ऋषि-व्यास, संस्कृत व्युत्पत्तिदीपिका जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन नी (सं.)लघुवृत्ति नी (सं.)व्युत्पत्तिदीपिका, संस्कृत व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका, गणि-देवसागर, संस्कृत व्रतकथाकोष
मुनि-श्रुतसागर(दिगम्बर), गुरु-मुनि-विद्यानन्दि, सं., पद्य, श्लोक५०, ग्रं.२२५०, आदि वाक्यः ज्येष्टं जिनं
प्रणम्यादावकलङ्क कलध्वनिं... भांका १८०, पृ. ८०, व्रतकथाकोष, वि-१७७३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-११०२. पत्र-५७,५९,७५, नथी., ग्रन्थाग्र-२२५०. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-८६ व्रतारोपणविधि
सं.,
पाकाहेम ५२६८- पे.क्र.८, पृ. १७-१८, सुबोधसमाचारी आदि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१४ शकुनविचार जुओ - वसन्तराज शाकुनिकशास्त्र, अज्ञात-वसन्तराज, संस्कृत शकुनविचार प्रकरणमां गमनागमन जीवित-मरण-शकुनविचार प्रकरणो
प्रा..
पातासंघवी १८०-२- पे.क्र. ३, पृ. ४२-५७, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४५ ने ४८ थी ५६ नथी. त्रुटक -अपूर्ण.
डीवीडी-३६/५४ शर्केश्वरपार्श्वजिनस्तवन (पार्श्वजिनस्तवन शर्खेश्वर)
सं., पद्य, आदि वाक्यः ॐनमः पार्श्वनाथाय...
पाकाहेम १२३६४- पे.क्र. ५, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण शोश्वरपार्श्वजिनस्तुति (पार्श्वजिनस्तवन शखेश्वर)
सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः नो वह्नि!रगेन्द्रा... पाकाहेम १२३५८- पे.क्र.२, पृ. २, साधारणजिनस्तोत्र सटीक त्रिपाठआदि, वि-१७मी, संपूर्ण
पे. नाम- शंखेश्वरपार्श्वजिनस्तोत्र सह (सं.)टीका शखेश्वरपार्श्वजिनस्तुति-(सं.)टीका
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