SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती अष्टोत्तरशतनामगर्भित महावीरद्वात्रिंशिका (महावीरद्वात्रिंशिका अष्टोत्तरशतनामगर्भित) सं., पद्य, श्लोक३२, पाकाहेम ८२२२, पृ. २, अष्टोत्तरशतनामगर्भितमहावीरद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ अष्टोत्तरीस्तवन आचार्य-महेन्द्रसिंहसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १४०२३, पृ. १४, अष्टोत्तरीस्तवन सटीक, वि-१७४३, संपूर्ण अष्टोत्तरीस्नात्रविधि प्रा.,सं., गद्य, पाकाहेम १६५५९, पृ.७, अष्टोत्तरीस्नात्रविधि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ असद्ध्यानक्षामणाकुलक जुओ - मिथ्यादुष्कृतकुलक, प्राकृत, गा.१६ अस्पृशद्गतिवाद उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पाकाहेम ८७६२, पृ. २, अस्पृशद्गतिवाद, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्यत्र दुर्लभ ग्रन्थ. कुल झे.पृष्ठ-३ अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित अष्टादशजिनस्तोत्र जुओ - अष्टादशजिनस्तोत्र अस्मद् युष्मद् रूपगर्भित*, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत आउत्तकप्पजोगवाही (योगविधि) प्रा., आदि वाक्यः आउत्तकप्पजोगवाही गिहत्थसन्न्नासाण मज्झारआमिसासिणं पक्खीणं सन्नाओ... कृ.विः अन्तिमवाक्य-तित्थपरेहिं इयाणि...ते तेतमन्नयरं तस्स पच्छित्तं. भांता ७०- पे.क्र. १५, पृ. १९A-१९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आउर पच्चक्खाण पयन्ना जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक, प्राकृत, गा.२६ आउरपच्चक्खाण लघु जुओ - आतुरप्रत्याख्यान लघु, प्राकृत, गा.६० आउरपच्चक्खाणपयन्ना बृहत् जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ आख्यातवाद जुओ - तत्त्वचिन्तामणीनो हिस्सो आख्यातवाद, जैनेतर-गङ्गेश्वर मिश्र, संस्कृत आख्यातविवेक जैनेतर-रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य, सं., गद्य, आदि वाक्यः आख्यातस्य यन्नोवाच्यः पचति पाकं करोतीति... पाकाहेम १३१८०, पृ. ३, आख्यातविवेक, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आगम अष्टोत्तरी प्रकरण , पद्य, पाताहेसं १७१-१४, पृ. २, आगम अष्टोत्तरी प्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ 36
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy