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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २७, पृ. २०९-२१३, चउसरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र.७, पृ. ४८-५३, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३७, पृ. १२९-१३०, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १११- पे.क्र.४, पृ. १६३-१७३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. १२, पृ. १५६-१६१, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५२, पृ. १२१अ-१२५आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ६१-६२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २३, पृ. १११A-११५A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- भक्तामरस्तव प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता २४- पे.क्र. २, पृ. ५७B-६४A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-३५७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ भांता ७२- पे.क्र. २४, पृ. १३९B-१४५B, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ तालाद ३२६- पे.क्र. १३, पृ. ११९-१२३/२, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम १०२२- पे.क्र.८, पृ. ११-१३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८९, पृ. १४४, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. काव्य-११ तक है. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १२, पृ. ११८-१२२, उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ पाकाहेम १०१८९, पृ. २१, भक्तामरस्तोत्र सावचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ 561
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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