________________
कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०४८२, पृ. २, जीतकल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०४.
कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम १४०२६, पृ. २८, यतिजितकल्प वृत्तिसह, वि-१६२६, संपूर्ण भांका ११७, पृ. ६२, जीतकल्पसूत्र विवरणलवसहित, वि-१६११, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९२. वृत्तिकर्ता श्री श्रीतिलकसूरि आपेल छे.
डीवीडी-८४ भांका २१८, पृ. १२०, जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९३. , गाथा-१०७. टीका ग्रन्थाग्र-६७७३.
डीवीडी-८७ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)भाष्य
प्रा., पद्य, गा.२७१८, पाकाहेम १००५६, पृ. ५०, जीतकल्पसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-२७०८.
कुल झे.पृष्ठ-५१ जीतकल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी
आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.११००, आदि वाक्यः सिद्धत्थसिद्धसासणसिद्धत्थसुयं... भांता ३४, पृ. ७९, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१३मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९६.
डीवीडी-६९/७८ भांता ३५, पृ. ८५, जीतकल्पूसत्रचूर्णि, वि-१२मी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९५.
डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम १००५७, पृ. १८, जीतकल्पसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१३००.
कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १४९१०, पृ. २१, जीतकल्पचूर्णी, वि-१५३८, संपूर्ण जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक (विषमपद व्याख्या), (विषमपद टिप्पण)
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२७, ग्रं.११२०, आदि वाक्यः नत्वा
श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण
पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी
शुं ग्रहण करवू?
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १००५८, पृ. १७, जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१८ जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि-(सं.)विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः शास्त्रारम्भे विघ्नोपशमनायेष्टदेवता १ गणधर २ स्थविर ३ प्रवचनानां यथाक्रमं।...
कृ.विः कर्ता? चूर्णिनो हिस्सो छे? भांता ३६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१८, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७.
292