________________
कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ भांका १६८- पे.क्र. २, पृ. २A-३B, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण
पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९.
डीवीडी-८६ भांका २०१, पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९३.
डीवीडी-८७ भांका २२७- पे.क्र. २, पृ. ३B-६B, चतुःशरणप्रकीर्णक आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८६., सूचीपत्र नं.-२९९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२६८. कुल गाथा-१२३३, श्लोक-१५६५.
डीवीडी-८८ भांका २४६- पे.क्र. २, पृ. २A-३A, चतुःशरण सह टिप्पणक आदि, वि-१४६८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्र नं.१-२८८.
डीवीडी-८९ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९१.
कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)टीका
सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र.२, पृ. २०, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ,
वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)टीका
कुल झे.पृष्ठ-२१ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)अवचूरि ।
आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., पद्य, श्लोक८५०, आदि वाक्यः नत्वा वीरजिनं वक्ष्ये मुग्धोपि
स्वगुरोर्मुखात्... पाकाहेम १००८५- पे.क्र. २, पृ. २-१०, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि, वि-१५७३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-११ भांका १६८ - पे.क्र. २, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण
पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.)अवचूरि, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९.
डीवीडी-८६ भांका २०१, पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९३.
डीवीडी-८७ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-२९१.
कुल झे.पृष्ठ-१८, डीवीडी-९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(मा.गु.)बालावबोध
आचार्य-समरचन्द्रसूरि[पार्श्वचन्द्रीय], मारुगूर्जर, गद्य, ग्रं.१६०८, पाकाहेम १०५१५, पृ. १५, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बालावबोधवार्तिकसह, वि-१६०८, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्-(सं.)विवरण
52