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कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३२७, पृ. ३०९, स्याद्वादरत्नाकरावतारिका, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ८७५४, पृ. ४४, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह, वि-१४९१, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे. ____ कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी,
संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भीजायेली अने उंदरे करडेली छे. रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणक (रत्नाकरावतारिका-(सं.)वृत्ति)
मुनि-ज्ञानचन्द्र, सं., गद्य, ग्रं.२१०४, पाकाहेम २४५७, पृ. ४६, रत्नाकरावतारिकावृत्ति टिप्पनकप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारसत्क, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम ६६९०, पृ. ३२, रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२ रत्नाकरावतारिका-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाकाहेम १०७०६, पृ. ७९, रत्नाकरावतारिका-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारलघुवृत्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी,
संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००१. प्रति पाणीथी भींजायेली अने उंदरे करडेली छे. प्रमाणप्रकाश
आचार्य-देवभद्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक८२, आदि वाक्यः सन्न्यायनगरारम्भमूलसूत्रसनाभयः... पाताखेत ५४-१- पे.क्र. ४, पृ. १००-११०, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण पे. नाम- प्रमाणप्रकाश- प्रत्यक्ष प्रकाश-१, पे. विशेष- अपूर्ण. परिच्छेद-२ की प्रारंभिक २ श्लोक तथा प्रारंभ
से क्रमशः ८२ श्लोक तक है. प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०.
कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ प्रमाणप्रमेयकलिका
आचार्य-नरेन्द्रसेन, सं., गद्य, आदि वाक्यः ननु भवतां प्रमाणशास्त्रे भवतां वैदुष्यमार्फाते... भांका २९२- पे.क्र. १, पृ. १B-६B, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- प्रमाणप्रमेकलिका
कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ प्रमाणमञ्जरी-(सं.)टिप्पण
सं., गद्य, पाकाहेम ६६६९, पृ. १२, प्रमाणमञ्जरीटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१४ प्रमाणमीमांसा
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., तालाद ३३६- पे.क्र. १, पृ. १-१०८, प्रमाणमीमांसादि, वि-१५मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- ८९ नंबर- पार्नु नथी.
___ कुल झे.पृष्ठ-१५६, डीवीडी-९४/९६ प्रमाणमीमांसोद्धार
सं.,
पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २२, पृ. १५०-१५४, सामाचारी आदि, संपूर्ण
प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि.
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