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कृति उपरथी प्रत माहिती कर्मग्रन्थ नव्य तृतीय जुओ - बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत कर्मग्रन्थ नव्य द्वितीय कर्मस्तव जुओ - कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.३४ कर्मग्रन्थ नव्य पञ्चम जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत कर्मग्रन्थ नव्य प्रथम कर्मविपाक जुओ - कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ', आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.६१ कर्मग्रन्थ प्राचीन द्वितीय कर्मस्तव जुओ - कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ , प्राकृत, गा.५८ कर्मग्रन्थ प्राचीन प्रथम कर्मविपाक जुओ - कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ, आचार्य-गर्गर्षि, प्राकृत, गा.१६७ कर्मग्रन्थ सप्ततिका जुओ - सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ', ऋषि-चन्द्रर्षि महत्तर, प्राकृत, गा.९१ कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)बालावबोध
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०१४३, पृ. ३३, कर्मग्रन्थ सङ्क्षिप्त बालावबोध सहित, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३४ कर्मग्रन्थ-(सं.)टीका*
, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ३, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक
पे. नाम- कर्मग्रन्थ की टीका, पे. विशेष- इस कृति के पत्र क्रमशः नहीं है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मग्रन्थ-५ जुओ - शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-शिवशर्मसूरि, प्राकृत, गा.१११ कर्मग्रन्थषट्क (नव्य कर्मग्रन्थषट्क)
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सिरिवीरजिणं वन्दिय कम्मविवागं समासओ वुच्छं।...
कृ.विः १-५ देवेन्द्रसूरिना रचेला छे अने सप्ततिका कर्मग्रन्थ अन्यकृत् छे. पाकाहेम ६९७० - पे.क्र. २, पृ. ?, लघुक्षेत्रसमासप्रकरण आदि, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२६ पाकाहेम ६९७१, पृ. २३, कर्मग्रन्थषट्क, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम १०१४३, पृ. ३३, कर्मग्रन्थ सङ्क्षिप्त बालावबोध सहित, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५९०, पृ. ९२, नव्यकर्मग्रन्थषट्क सावचूर्णि, वि-१५२८, अपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०५९१, पृ. ८, कर्मग्रन्थषट्क, वि-१५मी, संपूर्ण कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि
आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४५९, ग्रं.३१००, पाकाहेम ८८४, पृ. २५, नव्यकर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम ६९७२, पृ. ५३, कर्मग्रन्थषट्क अवचूरि, वि-१५९२, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम ७६५९, पृ. ३१, कर्मग्रन्थषटकावचूर्णि, वि-१४६६, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२ पाकाहेम १०३२८, पृ. ३३, कर्मग्रन्थपञ्चकावचूरि, वि-१४८६, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३४ पाकाहेम १०५६५, पृ. २०१, कर्मग्रन्थषट्कावचूरि, वि-१६६१, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६७०, रचना संवत १४८६ आपेल छे. पत्र १३मुं नथी. कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि
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