________________
कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-हरिभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-चन्द्रसूरि, प्रा., ग्रं.८०३२, आदि वाक्यः सहलियसयलसुयासो सुवाणिओ
रायहंसकयतोसो...
कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी ५१, पृ. २६५, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१२२३, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिना १३ पाना नथी.
डीवीडी-२८/४७ चन्द्रप्रभचरित्र
पण्डित-यशोकीर्ति, प्रा., पद्यअध्याय११सन्धि, आदि वाक्यः नमिऊण विमलकेवललच्छीसव्वङ्गदिणपरिरम्भं... भांका २१३, पृ. ९०, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१५८७, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-९३९., पत्र २४,२५, नथी.
डीवीडी-८७ चन्द्रप्रभचरित्र (चन्द्रप्रभस्वामिस्तोत्र चरित)
आचार्य-जिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.४१, आदि वाक्यः चरियं भणिमो चन्दप्पहस्स... पाकाहेम ७७५- पे.क्र. १५, पृ. ३३९, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-४०. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे.
कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)टीका
गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र. ६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)विषमपदविवृति
आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०१२३, पृ. ४, चन्द्रप्रभजिनचरित्रविषमपदविवृति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)टीका
गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.६, पृ. २७-३४, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२२ चन्द्रप्रभचरित्र-(सं.)विषमपदविवृति
आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम १०१२३, पृ. ४, चन्द्रप्रभजिनचरित्रविषमपदविवृति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ चन्द्रप्रभजिन स्तुति
अप., पद्य, आदि वाक्यः चन्दप्पह सामिय तुज्झ नमो चन्दप्पह गोर सरीर... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ६३, पृ. १५९आ-, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७२. गाथा-२ तक है. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन जुओ - क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन', संस्कृत, श्लोक३६ चन्द्रप्रभजिनस्तुति
सं., पद्य, श्लोक४,
257