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कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १७२, पृ. २४७, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण तालाद ३३८- पे.क्र.२, पृ. १४१-१८३, नाणाचित्तप्रकरण, कर्मप्रकृति, वि-१४मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३४३- पे.क्र. १, पृ. १-७३/१, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४७६.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३८१- पे.क्र. १, पृ. ५०, कर्मप्रकृति व पिण्डविशुद्धिटीका, वि-१३मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-४७३. कुल झे.पृष्ठ-२६, झे.रिमार्क-झेरोक्ष पृष्ट (१) कर्म प्रकृति - २६ तथा (२) पिंड विशुद्धि - ५० छे.,
डीवीडी-९४/९६ कर्मप्रकृति-(सं.)टीका
आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य कर्मद्रुमचक्रनेमिं नमतमत्सुराधीशमरिष्टनेमिम्।... पाताहेसं १७२, पृ. १-१४९, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण भांका १२०, पृ. २२४, कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष-४९,५०, पाना नं. भेगा छे. पाना नं. ५५ अने ५५A बे वखत छे.
डीवीडी-८४ भांका २३१, पृ. १०१, कर्मप्रकृतिटीका, संपूर्ण
डीवीडी-८८ कर्मप्रकृति बत्रीशी जुओ - कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका, प्राकृत, गा.२९ कर्मप्रकृति-(सं.)टीका
आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य कर्मद्रुमचक्रनेमि नमतमत्सुराधीशमरिष्टनेमिम्।... पाताहेसं १७२, पृ. १-१४९, कर्मप्रकृति सटीक, संपूर्ण भांका १२०, पृ. २२४, कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहणी टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- ४९,५०, पाना नं. भेगा छे. पाना नं. ५५ अने ५५A बे वखत छे.
डीवीडी-८४ भांका २३१, पृ. १०१, कर्मप्रकृतिटीका, संपूर्ण
डीवीडी-८८ कर्मप्रकृतित्रोटन
सं., गद्य, भांका २९३- पे.क्र. १०, पृ. ५००-५७B, अर्हत्मण्डपप्रतिष्ठादि सङ्ग्रह, वि-१४६१, संपूर्ण प्रत विशेष- अधिकतम कृतियां दिगम्बर विद्वान रचित है.
कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-९१ कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका (कर्मप्रकृति बत्रीशी)
प्रा., पद्य, गा.२९,
पाकाहेम १०९८९, पृ. २, कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका, वि-१७मी, संपूर्ण कर्मप्रकृतिविषयक पाठ प्रा., पद्य,
कृ.विः विषय को देखकर काल्पनिक नाम दिया गया है. प्रामाणिक संदर्भ पाठ मिलने पर सही नाम दिया
जाएगा. पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र.७, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक
पे. नाम- कर्मप्रकृतिविषयक पाठ सह टीका, पे. विशेष- त्रुटक पत्र है. झे. पत्र-१७-२२ पर है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० कर्मप्रकृतिविषयक पाठ-(सं.)टीका
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