________________
कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे.
डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति)
आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९४ मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-१२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति
आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.२००, आदि वाक्यः प्रणिधाय श्रीवीरं स्वल्परूचिनां कृते समासेन... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-७०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ६२, पृ. १८७-१९३ , योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति
डीवीडी-३८/५५ पाताहेसं १०५- पे.क्र. ४, पृ. १२६अ-१४५आ-, स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण पे. नाम- वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-४७वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष
पत्र-३१-४०. प्रत विशेष- पत्र-३२-६५ नहीं है.
कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७४७३, पृ. ३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति-वन्दित्ता सूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२२, ग्रं.१९५०, आदि वाक्यः
श्रीवर्धमानमानम्य स्पष्टा वृत्तिर्विधीयते...
कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १४३-१, पृ. १५४, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, वि-१२९९, संपूर्ण
डीवीडी-३५/५३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति
मुनि-पार्श्वसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ९५५ , श्लोक५७७, आदि वाक्यः देवेन्द्रवन्धचरणान् प्रणम्य भक्त्या
जिनेन्द्रमुनीन्...
कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे. पातासंघवी १६०-२- पे.क्र.२, पृ.७८-१४४, यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र.६, पृ. १०९-१६१, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८मुं पत्र नथी.
डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति
सं., गद्य, भांता ५७, पृ. ३२, वन्दित्तुसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-१०००. ग्रन्थ नथी.
कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१
735