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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- छाणी भंडार की प्रत पर से नकल की गयी है. प्रत पर हाथ से अज्ञातकर्तृकटीका व
शान्तिसूरीय टिप्पन दोनो का उल्लेख है पर प्रत में कहीं भी टीका का उल्लेख नहीं मिलता है.
कुल झे.पृष्ठ-७९ तिहत्तरबोल प्रश्नोत्तर
मारुगूर्जर, ग्रं.८०१, पाकाहेम १०३४०, पृ. १८, तिहुत्तरबोल प्रश्नोत्तर, वि-१५९८, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१९ तीयसप्पगाथा
आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः तीयसप्पदुव्वतीय... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २१, पृ. ?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि.
कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ तीर्थकर धनुषमान सज्झाय
मारुगूर्जर, पद्य, गा.११, आदि वाक्यः पणमवि पढम जिणेसरु पुण भरहेसरु सव्व... पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ४९, पृ. ९८आ-९९आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-५३-५४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ तीर्थकरनामकर्मबन्धकनाम
प्रा., गद्य, आदि वाक्यः समणस्स भगवओ महावीरस्स तित्थम्मि... भांता ७०- पे.क्र. १७०, पृ. २४०B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक २३३ नहीं है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ तीर्थङकरस्तुति जुओ - पञ्चतीर्थङ्करस्तुति, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक९ तीर्थङ्करस्तुति
आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः ध्यानाकुन्द... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. २, पृ. ४A-८B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि.
कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ तीर्थमाला चतुर्विंशतिकास्तुति जुओ - विविधतीर्थस्तुति, प्राकृत, गा.२८ तीर्थमाला स्तोत्र (सकलतीर्थस्तोत्र)
आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.३५, आदि वाक्यः संसारतारयाणं तियसासुरमुणअ... पातासंघवी ५६-२- पे.क्र.३. पृ. १००-१०४, उपदेशमाला आदि, वि-१३वी, संपूर्ण
पे. नाम- सकलतीर्थस्तोत्र, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-३३. झेरोक्ष पत्र-१३-१४. प्रत विशेष- पत्रांक अव्यवस्थित स्थिति में तथा उलटे क्रम में झेरोक्ष किया गया है.
कुल झे.पृष्ठ-२२, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ८५, पृ. १३७-१३८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१४५ तीर्थमालावन्दन
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