________________
प्रत विशेष- सूचिपत्र प्रमाणे ग्रन्थाग्र- ७४००.
कुल झे. पृष्ठ-११२
पाकाहेम १००७४, पृ. १०१ दशर्वकालिकसूत्र चूर्णि वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-७९७०.
कुल हो. पृष्ठ- १००
कृति उपरथी प्रत माहिती
दशवैकालिकसूत्र-(सं.) टीका
आचार्य - तिलकसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३०४, ग्रं. ७०००, आदि वाक्यः अर्हन्तः प्रथयन्तु मङ्गलममी शृङ्गारयन्तः सदा ।
पाताहेसं २५, पृ. २४०, दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह, संपूर्ण
डीवीडी-३/१३
पाकाहेम १४९२६, पृ. १८४ दशवैकालिकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
पुत्रे ४०७, पृ. २३५ दशवेकालिकसूत्र सह टीका, अपूर्ण
कुल हो. पृष्ठ- २३५
दशवैकालिकसूत्र - ( सं . ) बृहद्वृत्ति
आचार्य हरिभद्रसूरि सं गद्य ग्रं. ७५५०, आदि वाक्य: (१) जयति विजितान्यतेजाः सुराऽसुराधीशसेवितः श्रीमान् । ( २ ) जयति विजितान्यतेजाः ... इहार्थतस्तत्प्रणीतस्य...
कृ. विः वृति नियुक्ति उपर पण छे,
पातासंघवी ७४, पृ. ३११, दशवैकालिकनिर्युक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९, संपूर्ण
प्रत विशेष- सारी, प्रथम २१ पत्रो नथी..
डीवीडी-३१/५०
पातासंघवी ८४, पृ. ३३९, दशवैकालिकटीका, वि - १३२६, संपूर्ण
प्रत विशेष - पत्र १०२ नो टुकडो छे.
डीवीडी-३२/५०
पातासंघवी ३५१ पे. क्र. ३. पृ. २९-१९० दशवैकालिकसूत्र, निर्युक्ति, वृत्ति, संपूर्ण
डीवीडी-२५/४४
पातासंघवी १२८-२ पृ. २०४ दशवैकालिकाटीका, संपूर्ण
प्रत विशेष- केटलेक ठेकाणे पत्रो वळी गयां छे. जीर्ण छे. डीवीडी-३४/५२
पाकाहेम ६५३९, पृ. ९१ दशवेकालिकसूत्रबृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-९२
पाकाहेम ६५६३, पृ. १२३
प्रत विशेष पत्र २८
-
दशवैकालिक बृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण
अने ५६ डबल छे.
कुल डी. पृष्ठ- १२४
पाकाहेम १०४०३, पृ. ८१, दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ- ८१
पाकाहेम १४७९७, पृ. ९८, दशवैकालिकसूत्रसटीक, वि-१४७३, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र - ७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे. कुल हो. पृष्ठ- १००
दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनी (सं.) अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सूत्रतो गणधर कृतस्य .... भांका १२२, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्रादि बृहद्वृत्यवचूरी, वि-१५१०, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१२.
डीवीडी-८५
दशवैकालिकसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति)
346