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कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः कर्त्ता? पातासंघवी १३८-१- पे.क्र.१, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण पे. नाम- अष्टक सटीका
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ ब्रह्मा लूनशिरा इति वृत्तद्वयव्याख्या
सं., गद्य, आदि वाक्यः ब्रह्मालूनशिरा इत्येवत्कथमत्रोच्यते... पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. २, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका
आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३७०, पाकाहेम ६७४२- पे.क्र.२, पृ.७-८८, अष्टकप्रकरण व टीका, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-३३७० आपेल छे. -नक्की करवं.
कुल झे.पृष्ठ-८९ अष्टकप्रकरण-(सं.)टीका आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., गद्य,
कृ.विः कर्ता? पातासंघवी १३८-१- पे.क्र. १, पृ. १९३-१९८, अष्टकप्रकरण सटीक आदि, संपूर्ण पे. नाम- अष्टक सटीका
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-३५/५३ अष्टकानि जुओ - गजाष्टक, संस्कृत, श्लोक९ अष्टकानि जुओ - गजाष्टकादिसप्तदशाष्टक, संस्कृत अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक
प्रा., पद्य, गा.७५४, अध्याय७कथानक, आदि वाक्यः वरगन्धधूअचुक्खक्खएहिं कुसुमेहिं पवरदीवेहिं... भांका २५४, पृ. १५, अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक, वि-१४७५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ अष्टप्रकारी जिनपूजाकथानक
प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. ३, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र अस्त-व्यस्त है. झेरोक्ष पत्र-७४-?. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित.
कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ४, पृ. ?, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० अष्टप्रकारी पूजा जुओ - पूजाष्टक, संस्कृत, श्लोक८ अष्टप्रकारीपूजा
आचार्य-भद्रेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः परिमलमिलन्तभसला पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ६८, पृ. १२८, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१४५ अष्टप्रकारीपूजाकथा-अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत (अनन्तनाथजिनचरित्र), (अनन्तनाथजिनचरितान्तर्गत अष्टप्रकारीपूजाकथा), (पूजाष्टक अनन्तनाथचरित्रोद्धृत), (अनन्तनाथचरित्रोद्धृत पूजाष्टक) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५२५, ग्रं.१८७०, आदि वाक्यः जयइ जुगाइजिणिन्दो
परिविलसिरसमवसरणचउरूवो।...
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