________________
कृति उपरथी प्रत माहिती हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति
आचार्य-जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, श्लोक१९६, पाकाहेम १५०२५, पृ. ३, हैमविभ्रमवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ हैमविभ्रमसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-गुणचन्द्रसूरि, सं., गद्य,
कृ.विः अंतिमवाक्य-भत्तं पाणं वा उद्घोट्ठिओ. पाकाहेम ८६७९- पे.क्र. १, पृ.७, हैमविभ्रमसूत्र वृत्तिसहित आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- हैमविभ्रमसूत्र सह वृत्ति
कुल झे.पृष्ठ-६ हैमीनाममाला जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, मूल, संस्कृत, ग्रं.२६३०
875