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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०.३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ पाकाहेम ६५५४, पृ. १८२, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२१२७. कुल झे.पृष्ठ-१८३ पाकाहेम १००४८, पृ. १५६, व्यवहारसूत्र चूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१०३६०. कुल झे.पृष्ठ-१५७ भांका २३८, पृ. २१९, व्यवहारसूत्रचूर्णि, वि-१५६६, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७६., परिमाण-१०३६० ग्रन्थाग्र. डीवीडी-८९ व्यवहारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३७१९, आदि वाक्यः प्रणमत नेमिजिनेश्वरमखिलप्रत्यूहतिमिररविबिम्बम् ।... पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/१-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५A-३५०,३६५A-३६५४,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ भांता २, पृ. ४३९, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल-सम्पूर्ण, टीका-उद्देशक-४-१०, वि-१४१२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- भंडार संदर्भांक-१३१-३२/८१-८२, सूचीपत्र नं.१-४६३/४७४., १००-१,१००-२,१००-३,१००-४ डबल छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ३, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१, वि-१३४४, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४७१., प्रतिलेखनस्थल-सिंहपुरी शाकम्भरी देशे मथुरान्वये., पत्र १०+४०१+१=४१२., मूलपत्र-१-३, १४९A,१४९,१४९८ आ रीते बेवडाएल छे., ४५ नंबर- पत्र घटे छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ४, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४७०., अतिजीर्ण-त्रुटित., झे.पत्र १२३ नथी. डीवीडी-६५/७४ भांता ५, पृ. ४८५, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४६४, पत्र ३०-६३ आडा अवळा छे., पत्र-६+४८५+३=४९४. डीवीडी-६५/७४ भांता ६, पृ. ३४५, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, वि-१३९१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.१-४६५, १-४७३, पत्र २७-४२, ८७-९४, १३१-१३६, २०५-२०८ नंबर सेट थया नथी., पत्र-४+३४५+३+२=३५४. डीवीडी-६६/७५ भांता ७, पृ. ९९, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-७-९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७५. (पत्र-७१-१४९ सारा छे. बाकी खराब छे.), पत्र-५१-१४९=९९+३=१०२. डीवीडी-६६/७५ वताहंस ४४४, पृ. २६३, व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष-७५-७७, ११२-१३९ नंबरना पेज नथी. डीवीडी-९९/१०० वताहंस ४४६, पृ. ३८८, व्यवहारसूत्र वृत्ति, संपूर्ण 695
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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