________________
कृति उपरथी प्रत माहिती तालाद ३२६- पे.क्र. १७, पृ. १३७-१४१, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१०६, डीवीडी-९४/९६ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. ९, पृ. २८-३०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे.
कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ११०८५, पृ. २, आत्मानुशासन, वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- श्लोक-१००. आत्मानुशासनकुलक
आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.५६, आदि वाक्यः सिरिधम्मसूरिसुगरुं पुणो पुणो पुणमिऊण सावेणं.. पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २९, पृ. ३७-३९, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९,
संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३५ आत्मानुशास्तिपचीशी जुओ - आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, संस्कृत, श्लोकर५ आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका (आत्मानुशास्तिपञ्चविशी), (आत्मानुशास्तिपचीशी)
आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, आदि वाक्यः प्राकृतः संस्कृतो वापि पाठः सर्वोपकारणं... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. २७, पृ. ३६-३७, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९,
संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३५ आत्मानुशास्तिपञ्चविशी जुओ - आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका, आचार्य-रत्नसिंहसूरि, संस्कृत, श्लोक२५ आदि वीर स्तव जुओ - आदि-वीरस्तुति, आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्राकृत आदि-वीरस्तुति (आदि वीर स्तव)
आचार्य-पादलिप्तसूरि, प्रा., पद्य, आदि वाक्यः सयलसुरासुरनमियं सेत्तुज्जगिरिस्स मण्डणं वीरं उसहं... पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २१, पृ. २१२-२१३, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३३/५१ आदिजिन पारणा
अप., पद्य, गा.११, आदि वाक्यः सव्वट्ठह जिणु अवयरिउ मरुदेवीहि कुखिहि सम्भमिउ... पाताहेसं १६८- पे.क्र.६१, पृ. १५६आ-१५८अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७१-७२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिन स्तवन जुओ - युगादिदेवस्तवन, आचार्य-सोमसुन्दरसूरि, संस्कृत, श्लोक६ आदिजिन स्तवन
सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः प्रणमामि युगादिजिनेन्द्रमहं सुपंचास्यं । पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५५, पृ. १२७, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- ऋषभनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६३-६४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ आदिजिन स्तुति जुओ - युगादिदेवस्तुति, मारुगूर्जर, गा.९ आदिजिन स्तुति
सं., पद्य, श्लोक८, आदि वाक्यः प्रणतनरामरभुजगेन्द्रमौलिमालाभिरर्चितांह्रियुगं...
___ कृ.विः अन्तवाक्य-संबोधिलाभमतुलं ददातु भक्त्याग्र नाभेयः. पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- ऋषभनाथ स्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
57