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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२ मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि-१५४९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ९४ मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-१२३ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे.
डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(प्रा.)चूर्णि (वन्दित्ताचूर्णि)
आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८३, श्लोक४५९०, आदि वाक्यः (१)
सिद्धं सिद्धत्थसुयं सुयधम्मपयासयं...(२) वन्दित्वेति वदि अभिवादन... पाकाहेम ४३६, पृ. १३१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि-त्रुटक, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित, वि-१५९४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२ मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-९६ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि), संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-९२५., ३३, ४० पाना डबल छे.
डीवीडी-९० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२२, ग्रं.१९५०, आदि वाक्यः
श्रीवर्धमानमानम्य स्पष्टा वृत्तिर्विधीयते...
कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवी १४३-१, पृ. १५४, श्राद्धप्रतिक्रमणवृत्ति, वि-१२९९, संपूर्ण
डीवीडी-३५/५३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)वृत्ति
मुनि-पार्श्वसाधु, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ९५५ , श्लोक५७७, आदि वाक्यः देवेन्द्रवन्धचरणान् प्रणम्य भक्त्या
जिनेन्द्रमुनीन्...
कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे. पातासंघवी १६०-२- पे.क्र. २, पृ. ७८-१४४, यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. ६, पृ. १०९-१६१, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८मुं पत्र नथी.
डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति)
आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे.
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