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कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २१८, पृ. १२०, जीतकल्पसूत्र विवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-५९३. , गाथा-१०७. टीका ग्रन्थाग्र-६७७३.
डीवीडी-८७ जीतकल्पसूत्र-नव्य जुओ - यतिजीतकल्पसूत्र नव्य, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.३३३ जीतकल्पसूत्रचूर्णिगतसिद्धत्थेत्यादि-(सं.)विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः शास्त्रारम्भे विघ्नोपशमनायेष्टदेवता १ गणधर २ स्थविर ३ प्रवचनानां यथाक्रमं ।...
कृ.विः कर्त्ता? चूर्णिनो हिस्सो छे? भांता ३६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१८, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५९७. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७.
डीवीडी-६९/७८ जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णीनुं (सं.)टिप्पनक (विषमपद व्याख्या), (विषमपद टिप्पण)
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२७, ग्रं.११२०, आदि वाक्यः नत्वा
श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे... पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. ???, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण
पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमा अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी
शुं ग्रहण करवू?
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाकाहेम १००५८, पृ. १७, जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१८ जीराउलागीतछन्द (पार्श्वनाथ छन्द)
मारुगूर्जर, पद्य, गा.४, पाकाहेम १०७९१- पे.क्र. २, पृ. १-२, थम्भणपासविवाहलुं आदि, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- जीर्णप्राय जीराउलापार्श्वनाथस्तवन
आचार्य-सुधानन्दसूरि, अप., पद्य, गा.४५, पाकाहेम ९७४९, पृ. २, जीराउलापार्श्वनाथस्तवन, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३ जीराउलापार्श्वनाथस्तुति (पार्श्वनाथस्तुति जिराउला)
सं., पद्य, श्लोक१३, आदि वाक्यः श्रीवामेयं विधुमधु पाकाहेम ७३९६- पे.क्र. १, पृ. १, जिराउलापार्श्वनाथस्तुति आदि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ जीराउलारास (पार्श्वनाथ जीराउलारास)
कवि-देपाल, मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३१, पृ. ७१-७३, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल
में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४५, पृ. १४२-१४६, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण
पे. विशेष- कडी-७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-८१ जीरापल्लिस्तवन (पार्श्वनाथस्तवन जिरापल्लि)
अप., पद्य, गा.१५.
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