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कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- प्रतिक्रमणसूत्र चैत्यवन्दनादि संग्रह प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं.
कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ अताका ४९७- पे.क्र. १०, पृ. १६६B-१७३A, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण
पे. नाम- सामायिकसूत्र, वंदित्तु, आयरिय-उवज्झाय व नाणंमिसूत्र प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र.
कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ प्रतिलेखनाकुलक जुओ - पडिलेहणाकुलक, आचार्य-जिनवर्धनसूरि, प्राकृत, गा.३६ प्रतिलेखनागाथा (पडिलेहणागाहा) प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः आसाढे मासे दुपया पोसे मासे चउप्पया...
कृ.विः अं.वाक्य-अट्ठाइयदिवसेहिं चडइ पडइ अंगुलं एक्कं आसाढाओ पोसो पोसाओ जाव आसाढो. भांता ७०- पे.क्र. ११५, पृ. १५१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रतिलेखनाविचारकुलक जुओ - पडिलेहणाकुलक, गणि-विजयविमल गणि, प्राकृत, गा.३४ प्रतिष्ठा विधि जुओ - आचार्यप्रतिष्ठा विधि, प्राकृत, गा.२३ प्रतिष्ठालक्षण-प्रतिष्ठाविधि (प्रतिष्ठाविधि प्रतिष्ठालक्षण)
सं..
पाकाहेम १०३४७, पृ. २, प्रतिष्ठालक्षण प्रतिष्ठाविधि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३ प्रतिष्ठाविचार
सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि श्रावकेणैव प्रतिष्टा विधेयो... भांता ७०- पे.क्र. ५९, पृ.७३B-७८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.
विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
___ कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रतिष्ठाविधि
, सं.,प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ५८-३- पे.क्र. १, पृ. १-१४, प्रतिष्ठविधि व नन्द्यावर्तविधान, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-५७/६० प्रतिष्ठाविधि प्रतिष्ठालक्षण जुओ - प्रतिष्ठालक्षण-प्रतिष्ठाविधि, संस्कृत प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट (दीधिति परिशिष्ट)
जैनेतर-गुणानन्द भट्टाचार्य, सं.,
कृ.विः गंगेश्वराचार्यकृत तत्त्वचिन्तामणि का हिस्सा प्रत्यक्षखंड की दीधितिटीका का गुणानन्द भट्टाचार्यकृत
परिशिष्ट है. पाकाहेम ५०८६, पृ. ८६, प्रत्यक्षमणिदीधिति परिशिष्ट, वि-१८३३, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३५मुं अने ६१मुं नथी
कुल झे.पृष्ठ-५७ प्रत्याख्यान जुओ - सागारप्रत्याख्यान, प्राकृत, गा.५ प्रत्याख्यान विधि जुओ - सागारप्रत्याख्यान विधि, प्राकृत, गा.९
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