________________
डीवीडी-६१/६३
पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. ८, पृ. ६२-६३, सामाचारी आदि, संपूर्ण
प्रत विशेष - अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे. पृष्ठ-५२, डीवीडी - ३०/४९
पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १०, पृ. १०८ - ११०, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३१/५०
पातासंघवी ११७१ पे.क्र. १५ पृ. ९९-१००, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण
पे. नाम- आत्मसम्बोधकुलक
कृति उपरथी प्रत माहिती
कुल झे. पृष्ठ १०४, डीवीडी-३४/५२
पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २१, पृ. १६५ - १६७, चउसरण आदि, संपूर्ण
पे. नाम- आत्मसम्बोधकुलक, पे. विशेष- श्लोक-३५.
कुल झे. पृष्ठ- ९४, डीवीडी-३५/५३
पाताहे १६८ - पे. क्र. ३६. पृ. ७२-७४ दशवेकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- आत्मसंबोधनाकुलं पे विशेष संपूर्णर झेरोक्ष पत्र-४५-४६.
प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८
पाताहेसं १८९ - पे.क्र. १८, पृ. १०३B- १०५A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण
प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५ +१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं.
कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९
पाकाहेम २५९६ - पे.क्र. ८, पृ. २९, साधु श्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७
धर्मोपदेशमाला सं. पच पद्य,
भांता २५- पे. क्र. ४, पृ. १४५A - १५४B, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण प्रत विशेष भण्डार संदर्भाक-७४(A) / ८०-८१. सूचीपत्र नं. २- २३२. डीवीडी-६९/७०
धर्मोपदेशमाला - (सं.) वृत्ति ( उपदेशमाला - (सं.) वृत्ति )
आचार्य-मुनिदेवसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य,
कृ. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति जयसिंहसूरि कृत? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयो आवे छे.
पातासंघवी ८८. पू. ३१४ उपदेशमालावृत्ति पूर्वार्ध प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष छेवटनी प्रशस्ति त्रुटक छे.
डीवीडी-३२/५१
पातासंघवी ८९ पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति उत्तरार्ध प्रतिपूर्ण
डीवीडी-३२ / ५१
धर्मोपदेशमाला (सं.) वृत्ति ( उपदेशमाला - (सं.) वृत्ति )
,
आचार्य मुनिदेवसूरि बृहद्गच्छीय). सं., गय
कृ. वि. विशिष्ट रचना प्रशस्ति. जयसिंहसूरि कृत? आमां धर्मादि चतुर्विध मिथ्यात्व स्वरूप वि. ९३ विषयो आवे छे.
पातासंघवी ८८, पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति पूर्वार्ध, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष छेवटनी प्रशस्ति त्रुटक छे.
डीवीडी-३२/५१
पातासंघवी ८९, पृ. ३१४, उपदेशमालावृत्ति उत्तरार्ध, प्रतिपूर्ण
386