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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६६२३, पृ. ३७, तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्यसह, वि-१६५४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३७ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका)
गणि-सिद्धसेन, सं., गद्य, ग्रं.२२२८२, आदि वाक्यः (१) वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ तत्त्वार्(२)
जैनेन्द्रशासनसमुद्रमनन्तरत्न..थस्य विधीयते।...
कृ.विः वृत्ति भाष्य उपर पण छे. भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण
छे., १३९ अने १७९ खूटे छे.
कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे.
कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८00- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थान-१८२८२.
कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६७६४, पृ. २८२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति, वि-१६५४, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका सह
कुल झे.पृष्ठ-१९० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका जुओ - तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका, गणि-सिद्धसेन, संस्कृत,
ग्रं.२२२८२ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति
सं., गद्य, भांका २२५, पृ. २०८, तत्त्वार्थवृत्ति, संपूर्ण
डीवीडी-८८ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)स्वोपज्ञभाष्य नी (सं.)टीका (तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्यनी टीका)
गणि-सिद्धसेन, सं., गद्य, ग्रं.२२२८२, आदि वाक्यः (१) वीरं प्रणम्य सर्वज्ञ तत्त्वार्(२)
जैनेन्द्रशासनसमुद्रमनन्तरत्न..थस्य विधीयते।...
कृ.विः वृत्ति भाष्य उपर पण छे. भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण
छे., १३९ अने १७९ खूटे छे.
कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे.
____ कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण
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