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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र २४३-२४५ नथी.
डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २९-१, पृ. १-१९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी.
डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६२-३, पृ. ३६०, द्व्याश्रय संस्कृत (महाकाव्य), वि-१३३५, संपूर्ण
डीवीडी-३०/४९ भांता ६३, पृ. १९०, कुमारपालचरित, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.४-१२४ (१२२A)., सर्ग-२०, ग्रन्थाग्र-२८२८., पत्र-१८३+२+४+७=१९६.
डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २३०८, पृ. ६७, द्व्याश्रयमहाकाव्य सम्पूर्ण, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रतिना कागळ बहु सरस छे.आनुं सम्पूर्ण नाम सिद्धहेमचन्द्राभिधानशब्दानुशासनद्वयाश्रयमहाकाव्य छे.
कुल झे.पृष्ठ-४६ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)वृत्ति)
गणि-अभयतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१२, ग्रं.१७५७४, आदि वाक्यः श्रीभूर्भुवः
स्वस्तितयाहिताग्निगेहेभितो... पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र.२. प. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छुटक पन्ने. संपूर्ण पे. नाम- दव्याश्रयमहाकाव्य की अभयतिलकीय टीका, पे. विशेष- मात्र प्रारंभिक भाग है. झेरोक्ष पत्र-५५
पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित.
कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी २८, पृ. २८४, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी ९५, पृ. २८४, व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग-८ सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- हेमचन्द्राचार्य अने कुमारपालना चित्रो.
डीवीडी-३२/५१ पातासंघवी २९-१, पृ. १९९, व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी.
डीवीडी-२४/४३ पातासंघवी ६४-१, पृ. ३६०, द्व्याश्रयसंस्कृतवृत्ति सर्ग ९ थी सम्पूर्ण, संपूर्ण
डीवीडी-३०/४९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य-(सं.)दुर्गमार्थबोधिनी टीका
सं., गद्य, प्रह्लादनपत्तन, पाताहेसं १५१- पे.क्र.२, पृ.?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो
सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. मात्र प्रारंभिक भाग मिलता है. झेरोक्ष पत्र-२४ पर है.
___ कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन* (जिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भ)
सं., पद्य, का.१०, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य,
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