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कृति उपरथी प्रत माहिती
पाकाम ९७४२ पृ. १ सिद्धहेमद्वितीय तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२
पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२ सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
सिद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासन- द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य (कुमारपालचरित्र) (द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य) आचार्य हेमचन्द्रसूरि प्रा. पद्य, श्लोक९५०,
पातासंघवी १४२-२- पे. क्र. १, पृ. १७६, द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण
पे. विशेष - ग्रन्थाग्र- ९५०.
प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे..
डीवीडी-३५/५३
सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र' (हेम उणादिगण ). ( सिद्धहेम उणादिगण )
आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य,
पातासंघवी ४९ पे.क्र. ३. पृ. १ सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण
प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६
पाताहेसं १८०- पे.क्र. २, पृ. ३०४-३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण
पे. नाम हैमगण
प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२ आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवुं व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे.
डीवीडी-९/१९
पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२. हमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित वि-१५मी संपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ-५१
सिद्धहेमशब्दानुशासन- उणादिगणसूत्र (सं.) विवरण (सिद्धहमउणादिगण )
आचार्य हेमचन्द्रसूरि सं. गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनागुणादीनाम् ....
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पातासंघवी जीर्ण ६० पे.क्र. १, पृ. १७६ उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक
पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन - उणादिगणसूत्र सह (सं.) विवरण, पे. विशेष - कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र - १४९ थी १६९ छे.,
हैमधातुपाठ
डीवीडी-५०/६०
पातासंघवी ४९ - पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण
प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे.. डीवीडी-२८/४६
पातासंघवी ६६-१, पृ. ६६ उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण
डीवीडी - ३० / ४९
पाकाहेम ६७८१ पृ. ५२ हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झ. पृष्ठ-५१
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आचार्य हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः भू सत्तायाम् । पां पाने । ध्रां गन्धोपादानयोः । ... पातासंघवी ५६-३- पे. क्र. २. पृ. ३७-६० वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि संपूर्ण डीवीडी - २९ / ४८
हैमधातुपाठसङ्क्षेप
सं. गद्य,
पाकाहेम ६५९९, पृ. ५, हैमधातुपाठसङ्क्षेप, वि-१५मी, संपूर्ण
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